Page 03
सुगंधा- आह.. सस्स पापा.. आह.. अच्छा लग रहा है. उई काटो मत ना.. आह.. हाँ ऐसे ही आह.. आराम से चूसो उफ्फ आह...
काफ़ी देर तक जयशंकर जी अपनी बेटी के मम्मों को चूसते रहे. अब तो सुगंधा की चुत भी पानी टपकाने लगी थी. वो एकदम गर्म हो चुकी थी और यही हाल जयशंकर जी का भी था. उनका लंड अकड़ कर दर्द करने लगा था.
जब सुगंधा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने दूसरा दांव खेला, जो जयशंकर जी के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ.
सुगंधा- आह.. पापा बस भी करो.. अब ठीक हो गया है. मुझे बहुत बेचैनी हो रही है.
जयशंकर जी समझ गए ये उत्तेज़ित हो गई है और इसकी चुत रिस रही होगी.
जयशंकर- कैसी बेचैनी बेटा.. मुझे ठीक से बता ना.. मैं सब कुछ ठीक कर दूँगा.
सुगंधा- पापा व्व..वो वो शायद चींटी ने मेरे पैरों के ऊपर भी काटा है.. वहां भी खुजली हो रही है.
जयशंकर- पैरों पर कहाँ? बता मुझे मैं अभी चूस कर ठीक कर देता हूँ.
सुगंधा खुलकर बोल नहीं सकती थी कि मेरी चुत को चाटो, वहां बेचैनी हो रही है और जयशंकर जी अच्छी तरह जानते थे कि उनको कहाँ चूसना है. मगर ये शर्म का झूठा परदा भर दोनों ने लगाया हुआ था.
सुगंधा- अब आपको कैसे बताऊं पापा.. वो नीचे मेरा मतलब पैरों के ऊपर एकदम वहां..
जयशंकर- अच्छा अच्छा वहां.. मैं समझ गया, तू रहने दे. बस अपने पैरों को थोड़ा खोल दे, मैं अभी ठीक कर देता हूँ.
सुगंधा ने नाइटी ऊपर कर दी और घुटनों को मोड़कर अपनी चुत जयशंकर जी के सामने खोल दी.
वैसे तो कमरे की लाइट बंद थी मगर बाहर से हल्की रोशनी अन्दर आ रही थी और उसने सुगंधा की चुत एकदम चमक रही थी. चूंकि उसकी चुत का रस बहकर चुत पर फैल गया था और अंधेरे में चमक फैला रहा था. सुगंधा की चुत से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी, जो जयशंकर जी को और पागल बना रही थी.
जयशंकर जी ने पहले तो उसकी जाँघों को चूमा-चाटा, उसके बाद वो सीधे चुत को चूसने में लग गए.
सुगंधा- आह.. सस्स पापा.. आह.. यहीं बहुत खुजली हो रही है.. उफ्फ आह.. आह...
जयशंकर जी तो खुद चुत के आशिक थे. अब तो सुगंधा ने उनको खुला निमन्त्रण दे दिया था. वो बड़े मज़े से चुत को चूसने लगे.
चुत चूसते हुए उनको एक ख्याल आया कि ये जो हो रहा है, सुगंधा जानबूझ कर तो नहीं करा रही ना. कहीं वो अपनी उंगली से चुत को चोदती होगी या किसी लड़के के साथ कहीं चुदवा तो नहीं ली. बस यही ख्याल उनके मन में घूमने लगा.
अब जयशंकर जी कभी अपनी जीभ से चुत को कुरेदते, अपनी जीभ की नोक चुत में घुसेड़ने की कोशिश करते और एक बार तो उन्होंने उंगली चुत में घुसाने की कोशिश भी कि जिसका परिणाम जल्दी उनके सामने था.
सुगंधा- ओह पापा.. क्या कर रहे हो आह.. सस्स दुख़्ता है ना.. बस चूस के दर्द दूर कर दो.. आप हाथ मत लगाओ.
सुगंधा की चीख उनके लिए ये इशारा थी कि वो एकदम अनछुई कली है. अब वो और जोश में चुत चुसाई करने लगे. परिणाम स्वरूप अब सुगंधा अपने चरम पे पहुँच गई थी. सुगंधा ने अपनी चुत उठा कर अपने पापा के मुँह से लगा दी- आह.. पापा सस्स.. आह.. ज़ोर से यहीं चींटी ने काटा था आह.. जल्दी आह.. बहुत तेज खुजली हो रही है.
जयशंकर जी समझ गए कि ये अब झड़ने वाली है. वो चुत के होंठों को अपने मुँह में भरकर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे और सुगंधा का रस बह गया, जिसे जयशंकर जी ने चाट कर साफ कर दिया. अब सुगंधा की आग तो ठंडी हो गई थी और ये सब अंजाने बहाने में ही सही.. मगर दोनों को पता था कि अभी क्या हुआ है.
सुगंधा- आह.. सस्स बस पापा.. अब ठीक है.. ठीक हो गया.
जयशंकर जी ने चुत को एकदम चाट कर साफ कर दिया. फिर सुगंधा के पास बैठ गए और उसके सर को सहलाने लगे. सुगंधा तो ठंडी हो गई थी मगर वो जानती थी कि उसके पापा अब वासना की आग में जल रहे हैं और अब उनको शांत करने की उसकी बारी है. मगर उसके लिए भी कोई आइडिया तो लगाना ही पड़ेगा.. और वो सोचने लगी.
सुगंधा- पापा आप बहुत अच्छे हो.. मेरा कितना ख्याल रखते हो आप.
जयशंकर- अरे तू मेरी लाड़ली बेटी है.. तेरा ख्याल ना रखूं तो किसका रखूं.
सुगंधा- पापा मुझे भी आपके लिए कुछ करना है.. आप बताओ मैं क्या करूँ.
जयशंकर- अरे तू क्या करेगी.. चल आजा मेरी गोद में सो जा, तेरे सर को सहला देता हूँ.
जयशंकर जी की बात सुनकर सुगंधा को आइडिया मिल गया. जब उसके पापा आसानी से उसकी चुत को चूस सकते हैं तो वो उनके लंड को क्यों नहीं पकड़ सकती. वो जल्दी से उनकी गोदी में लेट गई. अब उसके होंठ लंड के एकदम करीब थे और लंड अभी भी खड़ा हुआ था.
सुगंधा- पापा वो हम खेल रहे थे तो आपने मुझे क्या चूसने को दिया था.. उसका स्वाद बहुत अच्छा था. प्लीज़ एक बार दिखाओ ना.
सुगंधा ने इनडाइरेक्ट्ली अपने पापा के लंड को देखने की इच्छा जाहिर कर दी.
जयशंकर- अच्छा तुझे इतना पसंद आया वो..?
सुगंधा- हाँ पापा रियली उसका टेस्ट बहुत ही ज़्यादा अच्छा था. काश वैसा बहुत सारा रस एक साथ मिल जाए.
सुगंधा के इशारे जयशंकर जी को समझ में आ रहे थे. वो ये भी समझ गए कि सुगंधा को लंड का पता लग गया है और अब उसका दोबारा उसको चूसने का मन कर रहा है.. वीर्य पीने का दिल कर रहा है.
जयशंकर जी सुगंधा की बात को समझ तो गए मगर वो सीधे कैसे उसके मुँह में लंड घुसा देते. वो कुछ सोचते तभी सुगंधा ने धीरे से उनके लंड पे उंगली टिका दी, जिससे उनका काम आसान हो गया.
जयशंकर- मैं तुझे सुला देता हूँ. तू एक काम कर, मेरी जाँघ पर थोड़ा खुजा दे, थोड़ी बेचैनी हो रही है.
सुगंधा- पापा आपको तो चींटी ने नहीं काटा ना.. मैं देखूं क्या?
जयशंकर- अरे नहीं नहीं, ये तो ऐसे ही हो रही है.. तू ऐसे ही खुजा दे.
सुगंधा को इशारा मिल गया था, अब वो धीरे-धीरे उनकी जाँघ पे हाथ घुमा रही थी.. साथ ही साथ लंड को भी हाथ लगा देती.
जयशंकर- हाँ ऐसे ही कर.. अच्छा लग रहा है.
सुगंधा कुछ देर तो डरते-डरते लंड को छू रही थी मगर थोड़ी देर बाद वो खुल गई और सीधे लंड को पकड़ लिया और जैसे ही जयशंकर जी का अज़गर उसके हाथ में आया, उसकी साँसें ऊपर-नीचे हो गईं और होती भी क्यों नहीं.. आपको तो पता ही है. वो एक 10″ का काफ़ी मोटा लौड़ा था.
सुगंधा अपने मन में बुदबुदाने लगी- हे राम इतना बड़ा है पापा का लंड.. और मोटा भी कितना है, तभी मेरे मुँह में ठीक से नहीं घुस पा रहा था. इसको तो आज चूस कर ठंडा कर दूँगी, तभी मुझे सुकून मिलेगा.
सुगंधा का हाथ लंड पर पड़ते ही जयशंकर जी ने भी चैन की सांस ली. अब उनको यकीन हो गया था कि ये खेल मजेदार होने वाला है.
जयशंकर- आह.. बेटी ऐसे ही सहलाती रह.. इससे मुझे बड़ा आराम मिल रहा है.
सुगंधा ने लंड को मसल कर उसे जांघ कहते हुए कहा- पापा आपकी जाँघ इतनी गर्म क्यों है.. और कितनी सख़्त भी है ये.
सुगंधा अब भी अंधेरे में नासमझी का नाटक कर रही थी मगर इससे क्या फर्क पड़ता है. दोनों अब वासना के जाल में फँस चुके थे. अब इनकी ये वासना इन्हें कहाँ लेकर जाएगी ये तो आने वाला वक़्त बताएगा. अभी तो इन्हें ही देखते हैं.
जयशंकर- आदमी की जाँघ ऐसे ही सख़्त होती है.. तू बस सहलाती रह बेटा.
सुगंधा- पापा आपकी लुंगी की वजह से ठीक से नहीं कर पा रही.. इसको थोड़ा साइड में कर के कर दूँ क्या??
सुगंधा की सारी शर्मोहया अब हवा हो गई थी. वो खुलकर लंड को सहलाना चाहती थी.
जयशंकर- तेरा जैसा मन करे, तू वैसे कर ले बेटी.. मुझे क्या दिक्कत है.
सुगंधा ने लुंगी को एक तरफ़ सरका दिया. अब जयशंकर जी का लंड आज़ाद था और वो किसी ज़हरीले नाग की तरह फुंफकार रहा था. उसे तो बस चुत की जरूरत थी.. मगर इस वक़्त उसको चुत तो नहीं मिली लेकिन एक कमसिन कली का स्पर्श उसको और पागल बना रहा था.
सुगंधा अब बड़े प्यार से लंड को सहला रही थी. ऊपर से नीचे तक पूरा हाथ में लेकर लंड को आगे-पीछे कर रही थी.
जयशंकर- सस्स सुगंधा.. आह.. अच्छा लग रहा है.. मुझे लगता है यहाँ मुझे भी चींटी ने काटा होगा.. थोड़ी जलन हो रही है अगर तुझे कोई दिक्कत ना हो तो बेटा थोड़ा चूस दे ना.
सुगंधा- पापा आप कैसी बात कर रहे हो.. मुझे क्या दिक्कत होगी, आपने भी तो मुझे कितना आराम दिया है.
इतना कहकर सुगंधा ने अपने सर को ठीक किया. वो अपने पापा के लंड सुपारे को जीभ से चाटने लगी और धीरे-धीरे उसने सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगी.
जयशंकर जी धीरे-धीरे सुगंधा की पीठ को सहला रहे थे और मज़ा ले रहे थे. इधर सुगंधा बड़े मज़े से अपने पापा के लंड को चूस रही थी. उसकी पूरी कोशिश थी कि ज़्यादा से ज़्यादा लंड वो निगल जाए. मगर इतना बड़ा लौड़ा पूरा मुँह में लेना उसके बस का नहीं था. बस जितना वो ले सकती थी, उसने लिया और लंड पे चुप्पे मारने लगी.
जयशंकर जी तो अपनी बेटी से लंड चुसवा कर स्वर्ग की सैर पर निकल गए. उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं. काफ़ी देर तक सुगंधा उनको मज़ा देती रही.. जब वो चरम पर पहुँच गए तो..
जयशंकर- बस सुगंधा सस्स आह.. अब आराम है.. आह.. रहने दो नहीं करो.. आह...
मगर सुगंधा कहाँ मानने वाली थी. उसको पता था जिस वीर्य से उसका जन्म हुआ है.. आज वही उसको पीने को मिलेगा. उसने और तेज़ी से लंड की चुसाई शुरू कर दी और अगले ही पल वीर्य की तेज धार उसके गले में उतर गई. एक के बाद ना जाने ऐसी कितनी धारें निकलीं, जिसे सुगंधा ने गटक लिया और आख़िरी बूँद तक सुपारे से निचोड़ डाली. उसके बाद वो अलग होकर लेट गई.
सुगंधा- पापा लगता है बहुत सारी चींटियों ने आपको काटा था, तभी बहुत सारा जहर निकला. अब आपको आराम मिला ना..!
जयशंकर- हाँ सुगंधा बहुत आराम मिला.. तू बहुत अच्छी है मगर ये जो हुआ सही था क्या..? हम बाप बेटी हैं बेटा..!
सुगंधा- ये आप क्या बोल रहे हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. इसमें सही ग़लत कहाँ से आ गया? चींटी ने काटा तो आपने मेरी हेल्प की.. और मैंने आप की हेल्प की. अब आप जाओ मुझे बहुत नींद आ रही है, सुबह कॉलेज भी जाना है.
जयशंकर जी समझ नहीं पाए ये क्या है. सुगंधा अब भी परदा बनाए हुए है. वो उठे और वहां से निकल गए.
जयशंकर जी के जाने के बाद सुगंधा ने चैन की सांस ली. उसकी ज़रा भी हिम्मत नहीं थी इस टॉपिक पे उनसे बात करने की. उधर जयशंकर जी भी झिझक रहे थे तो उन्होंने जाना ही ठीक समझा और जाकर सो गए. इधर सुगंधा भी सोचती रही और कब उसको भी नींद आ गई पता नहीं चला.
दोस्तो सुबह हो गई और रोज की तरह सुगंधा अपने कॉलेज चली गई
सुगंधा सीधी अपने घर चली गई तो देखा पापा भी वहीं थे.. और उनके और मम्मी जी के बीच कोई बात चल रही थी, जो शायद कुछ गड़बड़ का संकेत दे रही थी.
जयशंकर- बेटा तेरी नानी की तबीयत बहुत खराब है. शायद उनका अंतिम समय आ गया है.
सुगंधा- पापा ठीक कह रहे हैं माँ.. आपको वहां जाना चाहिए
सुगंधा और जयशंकर जी ने मम्मी को समझाया तो वो मान गईं. सुगंधा का कॉलेज और जयशंकर जी की दुकान की वजह से दोनों नहीं जा सकते थे, तो ये तय हुआ कि शाम की ट्रेन से मम्मी जी जयपुर जाएंगी.
जयशंकर जी टिकट लेने चले गए और सुगंधा ने खाना खाया, फिर वो पैकिंग में अपनी माँ की मदद करने लगी.
दोपहर से शाम कब हुई, पता भी नहीं चला. दोनों बाप-बेटी मम्मी को स्टेशन छोड़ने गए
मम्मी के जाने से दोनों बाप-बेटी बहुत रिलेक्स फील कर रहे थे. सुगंधा ने नाइटी पहनी हुई थी और खाना तैयार कर रही थी और पापा जी तो वही अपनी लुंगी में मस्त थे. अब मम्मी नहीं है तो आज वो खुलकर मज़ा लेने के मूड में थे.
सुगंधा रोटी बना रही थी और उसकी गांड पीछे को निकली हुई थी, जिसे देख कर पापा जी का मन मचल गया, वो उसके पीछे गए और लंड को लुंगी से बाहर निकाल कर उन्होंने धीरे से सुगंधा की नाइटी ऊपर की.. तो देख कर खुश हो गए कि उसने भी अन्दर कुछ नहीं पहना था. फिर उन्होंने लंड को दोनों जाँघों के बीच फंसाया और सुगंधा से चिपक कर खड़े हो गए.
सुगंधा को जब गर्म अहसास हुआ वो समझ गई कि पापा जी ने लंड को कैसे फँसाया हुआ है मगर वो अनजान बनी रही.
सुगंधा- क्या पापा क्यों परेशान कर रहे हो.. मुझे रोटी बनाने दो ना.
पापा- अरे तो किसने रोका है.. तू अपना काम कर, मैं तो बस तुझे देख रहा हूँ.
सुगंधा- लेकिन आप मुझसे चिपके हुए हो.. मुझे दिक्कत हो रही है ना.
पापा- अरे इसमें दिक्कत कैसी.. तू अपना काम कर, मैं अपना कर रहा हूँ.
सुगंधा- आप बहुत शरारती हो पापा.. अभी जाओ यहाँ से.. आपका काम मैं खाने के बाद कर दूँगी ना.. ऐसे तो मुझसे रोटी ही नहीं बनेगी.
पापा- तूने कल भी नहीं किया था.. बस नींद का बहाना मार दिया.
सुगंधा- अच्छा मेरे अच्छे पापा आज पक्का कर दूँगी.. अब आप यहाँ से जाओ.
पापा जी का लंड चुत से रगड़ खा रहा था, जिससे सुगंधा को भी मज़ा आ रहा था. उसकी चुत एकदम गीली हो गई थी.
पापा- अरे रहने दे ना और वैसे भी तुझे भी तो मेरा ऐसे चिपकना अच्छा लग रहा है.. फिर हटा क्यों रही है.
सुगंधा- नहीं मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा.. आप बस जाओ यहाँ से.
पापा- अच्छा, बिना मज़ा आए ही तेरा रस टपक रहा है क्या?
सुगंधा जल्दी से पलटी और अपने पापा को धक्का देकर अलग किया. तभी उसकी नज़र उनके लंड पर चली गई जो एकदम तना हुआ खड़ा था. आज पहली बार सुगंधा ने लाइट की रोशनी में पापा का लंड देखा था. वो बस पापा का मूसल लंड देखती ही रह गई. जब जयशंकर जी को यह अहसास हुआ तो उन्होंने जल्दी से लुंगी ठीक की.
सुगंधा- पापा आप बहुत बदमाश हो.. कुछ भी बोल देते हो, अब जाओ यहाँ से.
जयशंकर जी ने रुकना चाहा मगर सुगंधा ने ज़िद की तो वो बाहर चले गए और फ्रीज़ से बियर की बोतल निकाल कर बैठ गए.
उधर सुगंधा तो बस लंड के बारे में ही सोच रही थी. आज उसने उस भीमकाय लंड को ऐसे तना हुआ देखा था. सुगंधा सोचने लगी कि वाउ पापा का लंड तो बहुत प्यारा है.. आज तक बस अँधेरे में उसको चूसा है, मगर आज तो ऐसे ही देख कर मज़ा लूँगी मैं..
जयशंकर जी लंड सहलाते हुए बुदबुदा रहे थे- बस सुगंधा, ये लुका-छिपी बहुत हो गई. आज तो तुझे चुदने के लिए बोल ही देता हूँ. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता.
अन्दर सुगंधा कुछ और सोच रही थी और बाहर जयशंकर जी कुछ और
सुगंधा का खाना रेडी हो गया था. जब वो बाहर आई, तो उसके पापा जी मज़े से बियर पी रहे थे.
सुगंधा- ओह.. पापा.. ये क्या है आप अभी क्यों पीने लगे.. पहले खाना तो खा लेते. उसके बाद आराम से पी लेते और मैंने भी तो कहा था मैं भी पीऊंगी.
पापा- सुगंधा, ये चाय नहीं जो खाने के बाद पी जाए. ये बियर है बेटा इसको खाने के पहले ही पीते हैं.
सुगंधा- तो ठीक है लाओ मुझे भी दो.. मैं भी तो देखूं ये क्या है.
पापा- ये तेरे काम की नहीं है बेटा.. तुझे इससे नशा हो जाएगा.
सुगंधा- आपने तो कहा था ये शराब नहीं है.. फिर नशा कैसे होगा?
जयशंकर जी ने सुगंधा को बहुत समझाया कि पहली बार पीने से नशा होता है मगर वो नहीं मानी और गिलास में बियर डालकर पीने लगी. पहली बार तो उसको ये बहुत अजीब लगी मगर धीरे-धीरे इसका टेस्ट सुगंधा को भा गया. उसने आधी बोतल गटक ली.
पापा- बस कर.. नहीं तो यहीं लुढ़क जाएगी. चल अब खाना लगा बहुत भूख लगी है. उसके बाद आज तुझे मेरे साथ ही सोना है.. तेरी माँ तो है नहीं ना..!
सुगंधा- हिच हिच.. नहीं मैं आपके साथ नहीं सोऊंगी.. आप मुझे.. हिच हिच.. परेशान करोगे.
सुगंधा की आँखें नशे से लाल हो गई थीं.. उसकी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही थी.
पापा- मैंने कहा था ना मत पी, अब चढ़ गई ना.. देख सोना तो तुझे मेरे साथ ही पड़ेगा.. आज मुझे मज़ा देने का तेरा अपना पक्का वादा याद है ना?
सुगंधा- हाँ याद है.. हिच एमेम मगर वो करने के बाद मैं अपने कमरे में सो जाऊँगी.. हिच.. नहीं तो आप पूरी रात सताओगे.
पापा- तुझे बहुत चढ़ गई है. तू यहाँ बैठ मैं खाना लगाता हूँ और तेरा इलाज भी करता हूँ. नहीं तो तू ऐसे ही हिचकियां लेती रहेगी और मेरा भी मूड खराब करेगी.
जयशंकर जी ने खाना लगाया और सुगंधा को नींबू काट कर चूसने को दिया, जिससे उसका नशा थोड़ा कम हो और एक गिलास में नींबू पानी भी बना के उसको पिला दिया, जिससे उसकी हिचकी बंद हो गई.
दोनों ने जमकर खाना खाया. फिर जयशंकर जी सुगंधा को अपने कमरे में ले गए. बियर का नशा अभी भी सुगंधा पर था मगर बहुत कम हो गया था. अब वो अपने पापा से ठीक से बात कर रही थी- पापा लाइट बंद कर दो ना ऐसे हम दोनों को नींद कैसे आएगी?
पापा- अरे अभी से सोने की बात कर रही है.. मुझे आराम तो दे दे पहले.. या पहले मैं तुझे मज़ा दूँ?
सुगंधा- ये सब बाद में.. पहले लाइट बंद कर दो आप.. ओके..!
पापा- अरे अंधेरे में तो रोज ही करती हो.. आज ऐसे ही करो ना सुगंधा.
सुगंधा- नहीं पापा मुझे शर्म आती है.
जयशंकर जी ने साफ़ साफ़ कह दिया- ये क्या बात हुई सुगंधा, तुम मेरा लौड़ा कई बार चूस चुकी हो और मुझसे अपनी चुत चटवा चुकी हो.. अब कैसी शर्म?
सुगंधा- छी: पापा ये आज आप कैसी बातें कर रहे हो.. मैं नहीं सोती यहाँ.. मैं जा रही हूँ.
सुगंधा उठ कर जाने लगी तो जयशंकर जी ने उसे पकड़ लिया और बिस्तर पे गिरा कर खुद उसके ऊपर आ गए और अब दोनों की गर्म साँसें एक-दूसरे के होंठों पे पड़ रही थी. बस किसी के पहल करने की देर थी.
सुगंधा- नहीं पापा.. ये ग़लत है आप ऐसा नहीं कर सकते.. मैं आपकी बेटी हूँ.
पापा- सुगंधा कुछ ग़लत नहीं है. इन दिनों हम दोनों ने जो किया, वो यही तो था. बस हम दोनों अनजान बने हुए थे और आज खुलकर मज़ा करेंगे.
पापा- मेरी बेटी, तुम कितनी अच्छी हो. आई लव यू डार्लिंग मगर तुम शायद ये भूल गई कि अगर तुम मुझे तड़पाओगी तो तुम भी तो साथ में तड़पोगी ना.. अब तुम्हें भी तो लंड की जरूरत पड़ेगी तो कोई और क्यों? तुम ही मेरे साथ कर लो ना.. ताकि घर की बात घर में ही रहे.
सुगंधा- नहीं पापा मुझे डर लगता है.. इससे बहुत दर्द होता है.. नहीं नहीं.. मैं नहीं करूँगी.
पापा- अरे तूने कभी किया ही नहीं तो तुझे क्या पता दर्द होगा.
सुगंधा- पापा मैं कोई बच्ची नहीं हूँ. इतना तो पता ही है, इसके लिए करना जरूरी नहीं है.
पापा- अच्छा तू किसी और पे भरोसा मत कर.. मैं तेरा बाप हूँ मुझपे तो तुझे भरोसा है ना, मैं बहुत आराम से करूंगा... एकदम धीरे-धीरे..!
सुगंधा- पापा, मैं आपका लंड चूस कर पानी निकाल देती हूँ ना.. प्लीज़ मुझे बहुत डर लग रहा है. मेरा सेक्स करने का कोई इरादा नहीं था, आप समझो ना प्लीज़.
सुगंधा के चेहरे पर डर साफ नज़र आ रहा था.
पापा- देख सुगंधा, तू मेरी बात सुन आज नहीं तो कल तुझे चुदाई करनी ही होगी. मुझसे नहीं तो किसी और से.. या शादी के बाद अपने पति से तो चुदेगी ही, तब क्या होगा.. सोच?
सुगंधा- पापा, पता नहीं मुझे इससे इतना डर क्यों लगता है.
पापा- अच्छा तुझे कैसे पता दर्द का.. कुछ तो हुआ होगा? तू खुलकर मुझे बता ना!
सुगंधा ने बताया वो एक बार नहा रही थी तब नीचे साबुन लगाते टाइम ग़लती से उसकी उंगली अन्दर चली गई तो बहुत दर्द हुआ था.. तब से उसको डर लगता है. सुगंधा ने एक झूठी कहानी सुनाई .
जयशंकर जी समझ गए कि सुगंधा को सेक्स फोबिया है यानि इंसान किसी भी चीज का वहाँ अपने मन में तय कर लेता है, फिर वही उसका डर बन जाता है. हालांकि सुगंधा ने कभी चुदाई नहीं की थी मगर एक बार चुत रगड़ते टाइम उसकी उंगली जरा सी अन्दर घुस गई थी बस उसी पल से उसको अहसास हुआ कि ये छोटी सी उंगली से इतना दर्द हुआ तो लंड से कितना होगा और यही डर धीरे-धीरे उसको चुदाई के खिलाफ कर चुका था.
पापा- अच्छा ये बात है.. चल जाने दे मैं तेरी चुदाई नहीं करूंगा मगर तुझे मैं खुलकर प्यार तो कर सकता हूँ ना.. उसमें तो तू मेरा साथ देगी ना.
सुगंधा- हाँ पापा, सेक्स के अलावा आप कुछ भी कहो... मैं करने को रेडी हूँ.
पापा- तो ठीक है ये नाइटी निकाल दे, मैं रोशनी में तेरे जिस्म को देखना चाहता हूँ.. इसे चूसना चाहता हूँ तेरे निपल्स को निचोड़ कर इनका रस पीना चाहता हूँ.
सुगंधा- चुप करो पापा, मुझे आप से शर्म आ रही है.
जयशंकर जी ने अपनी लुंगी उतार दी और लंड को हाथ से सहलाते हुए बोले- अरे लंड चूसने में शर्म नहीं आई तो देखने में कैसी शर्म? ये देख कैसे मेरा लंड तुझे बुला रहा है.. चल अब निकाल दे.
सुगंधा- पापा आप ही निकाल लो ना प्लीज़.
सुगंधा ने इशारा दे दिया तो जयशंकर जी आगे बढ़े और बेटी को नंगी कर दिया अब वो ऊपर से नीचे तक सुगंधा को निहार रहे थे और मन ही मन अपनी कामयाबी पे खुश हो रहे थे, उन्होंने सुगंधा को बिस्तर पर लेटाया; उसके नर्म होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया और फिर एक लंबी किस के बाद वो सुगंधा की जीभ को चूसने लगे.
अब सुगंधा भी खुलकर उनका साथ दे रही थी.
अब जयशंकर जी उसके मम्मों पर टूट पड़े और निप्पलों को ऐसे चूसने लगे जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो.
सुगंधा- आह.. पापा नहीं.. आह.. मज़ा आ रहा है.. आप बहुत अच्छे हो.. आह.. चूसो उफ्फ ऐसे ही दबाओ इन्हें आह..
जयशंकर जी मंजे हुए खिलाड़ी थे और सुगंधा नादान कली थी, उसको तो मज़ा आना ही था. अब जयशंकर उसके गले पर सीने के ऊपर पेट पर हर जगह चूम रहे थे, चाट रहे थे और सुगंधा तड़प रही थी.
धीरे-धीरे जयशंकर जी अब नीचे चुत पर आ गए और सुगंधा की जांघें चूसने लगे. अब सुगंधा की उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी चुत के बाँध को रोके रखना अब उसके बस का नहीं था.
सुगंधा- ससस्स पापा आह नहीं.. आह.. उफ़फ्फ़.. मेरा पानी निकालने वाला है.
जयशंकर जी समझ गए कि अब रस की धारा आने वाली है, वो जल्दी से बेटी की चुत से चिपक गए और चुत को होंठों में दबा कर चूसने लगे. उसी पल सुगंधा की चुत का लावा बह गया वो कमर को हिला हिला कर झड़ने लगी और जयशंकर जी सारा रस चाट गए.
सुगंधा- आह.. पापा उफ़फ्फ़.. बस भी करो जान निकाल कर मानोगे क्या.. आह.. आज तो आपने मेरी चाटे बिना ही पानी निकाल दिया.
पापा- क्या चाटे बिना.. चुत बोल सुगंधा.. मुझे तेरे मुँह से सुनकर अच्छा लगेगा.
सुगंधा- नहीं मुझे शर्म आती है.
पापा- अरे नंगी चुत को चटवा सकती है तो पापा की ख़ुशी के लिए बोल नहीं सकती.
सुगंधा- अच्छा ठीक है चुत को आपने चाटा.. मुझे अच्छा लगा. बस अब आप खुश..!
पापा- हाँ मेरी जान खुश. अब तू क्या करेगी.. वो भी बोल कर बता.
सुगंधा- मैं आपके इस लंबे लंड को चूस कर ठंडा करूंगी और आपका रस पीऊंगी.
पापा- आह.. मज़ा आ गया तेरे मुँह से ये चुत और लंड सुनना कितना अच्छा लगता है.
सुगंधा- चलो अब आप लेट जाओ और मैं भी आपको उसी तरह मज़ा दूँगी जैसे अपने मुझे अभी दिया है.
पापा- ठीक है सुगंधा जैसा तेरा मन करे, तू कर ले.. निकाल ले अपने मन की.
जयशंकर जी लेट गए तो सुगंधा उन्हें किस करने लगी. उनके सीने पर भी किस किया.. फिर उसकी लंड चूसने की ललक उसको नीचे ले गई और वो मज़े से लंड को चूसने लगी. साथ ही साथ वो गोटियां भी चूस रही थी.
पापा- आह.. सुगंधा आज तूने मेरी बरसों की तमन्ना पूरी कर दी.. आह.. उफ्फ.. चूस मेरी जान आ चूस.
पापा की बातें सुगंधा को और जोश दिला रही थी. अब वो और तेज़ी से लंड को चूस रही थी.
पापा- आह.. सुगंधा चूस.. तेरे होंठों में इतनी गर्मी है..तो तेरी चुत कैसी होगी उफ्फ चूस आह...
काफ़ी देर तक ये चुसाई चलती रही उसके बाद जयशंकर जी झड़ गए. सुगंधा ने उनका पूरा वीर्य गटक लिया और लास्ट बूँद भी जीभ से छत कर साफ कर दी.
पापा- सुगंधा तुम बहुत अच्छी तरह लंड चूसती हो.. ये कहाँ से सीखा तुमने?
सुगंधा- मैं कहाँ से सीखूँगी.. आपने ही पहले चुसाया था.. तब से सीखी हूँ बस.
पापा- अरे मैं कोई इल्ज़ाम नहीं लगा रहा बेटी.. बस मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था.
अब प्लीज़ मान जाओ ना. बस एक बार हाँ कहो. कि मैं तुझे ही चोदूँ.. ताकि घर की बात बाहर ना जाए.
सुगंधा- नहीं पापा मैंने बताया तो है आपको.. मुझे डर लगता है.
पापा- अरे शादी के बाद पति रहम नहीं करेगा.. वो तो ज़बरदस्ती तेरी चुत में लंड घुसा देगा और तब ज़्यादा दर्द होगा. इससे अच्छा तू मुझसे चुदवा ले. मैं तेरा बाप हूँ तुझे बहुत प्यार से चोदूँगा समझी.
सुगंधा ने थोड़ी देर सोचा कि पापा सही कह रहे हैं और पापा से चुदवाने में फायदा भी है. पापा- क्या सोच रही हो सुगंधा. ये दुनिया बहुत खराब है, इसमें जीना है तो इसके तौर-तरीके सीखने जरूरी है. नहीं तो बाद में तुम्हें मौका नहीं मिलेगा.
सुगंधा- ठीक है पापा, मैं आपकी बात मान लेती हूँ.. मगर आपका लंड बहुत बड़ा है और मुझे पता है एक बार तो ये मेरी जान निकाल ही देगा और कल कॉलेज में मेरा जाना बहुत जरूरी है तो आज आप बस ऐसे ही मज़ा ले लो, कल आप मेरी चुत मार लेना.
पापा- थैंक्स बेटा मुझे ये मौका देने के लिए.. अब इतना वेट किया है तो एक दिन और सही.. बस कल देखना मैं तुझे कैसे कली से खिलता हुआ गुलाब बना देता हूँ.
सुगंधा- ठीक है पापा आपकी बातों से चुत में फिर हलचल शुरू हो गई है. एक बार और इसको चूस कर ठंडा कर दो ना.
पापा- क्यों नहीं मेरी जान तेरी चुत को तो पूरी रात चूस सकता हूँ.. मगर बदले में तुझे भी कुछ करना होगा.
सुगंधा- नहीं पापा आपका पानी बहुत देर से निकलता है और दूसरी बार तो पता नहीं कितनी देर लगेगी. फिर मुझे सुबह जल्दी उठने में तकलीफ़ हो जाएगी.
पापा- अरे मैं लंड चूसने को नहीं बोल रहा.. पहले मेरी बात सुन तो लेती.
सुगंधा- अच्छा तो फिर क्या बात है.
पापा- आज रात तू ऐसे ही नंगी मेरे साथ चिपक कर सोएगी, यहीं इसी कमरे में.
सुगंधा- नहीं पापा पूरी रात ऐसे नंगी.. नहीं नहीं.. रात को आपका दिमाग़ घूम गया और अपने मेरी चुत में लंड घुसा दिया तो?
पापा- अरे मैं तेरा पापा हूँ कोई जल्लाद नहीं और तुम्हें मुझपे इतना भी भरोसा नहीं है क्या? ऐसी हरकत मैं क्यों करूँगा?
सुगंधा- सॉरी पापा ग़लती हो गई अच्छा ठीक है हम ऐसे ही सोएंगे.. चलो अब जल्दी से मेरी चुत को ठंडा करो.
पापा- पहले मैं अपना लंड चुत पे रगड़ता हूँ.. फिर चाट लूँगा.. ठीक है.
सुगंधा- नहीं आप फिर गर्म हो जाओगे तो मुझे भी आपका पानी निकालना पड़ेगा. आप ऐसे ही कर दो फिर चुपचाप सो जाएँगे.
पापा मान गए और अबकी बार उन्होंने जीभ से चुत को कुरेद कर सुगंधा को मज़ा दिया. फिर अच्छे से चुत की चुसाई की और उसको ठंडा किया.
सुगंधा- थैंक्स पापा.. अब हम सो जाएं मगर आपका लंड तो बहुत कड़क हो गया.
पापा- कोई बात नहीं बेटा, इसको ऐसे सूखा रहने की आदत है.. मगर बस आज की बात है. कल से तो इसकी हर रात रंगीन हो जाएगी.
सुगंधा- हाँ पापा, मैं कोशिश करूंगी कि आपको कभी सूखा ना रहना पड़े लेकिन माँ के आने के बाद हम कैसे करेंगे?
पापा- जैसे अभी कर रहे हैं.. वैसे ही करेंगे.
सुगंधा- ओके पापा जी.
पापा- बस मेरी जान अब कल का इन्तजार है. उसके बाद सब कमी दूर हो जाएगी.