Update 53
औलाद की चाह
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-
‘ परिधान'
मिनी स्कर्ट
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-
‘ परिधान'
मिनी स्कर्ट
गोपालजी ने दीपू से स्कर्ट ले ली और उसमें कुछ देखने लगा. मुझे समझ नहीं आया की टेलर क्या चेक कर रहा है ?
गोपालजी – हम्म्म …ठीक है. मैडम आप ट्राइ कर सकती हो.
“कमर ठीक है ?”
ये एक बेवकूफी भरा सवाल था क्यूंकी कोई भी देख सकता था की स्कर्ट की कमर में इलास्टिक बैंड है.
गोपालजी – ये फ्री साइज़ है मैडम. कोई भी औरत इसे पहन सकती है. इसमें इलास्टिक बैंड है.
“हाँ हाँ. मैंने देख लिया.”
ऐसा कहते हुए मैंने टेलर से स्कर्ट ले ली और मेरा गला अभी से सूखने लगा था. ये इतना छोटा कपड़ा था की मेरी जांघों की तो बात ही नहीं मुझे तो आशंका थी की इससे मेरी बड़ी गांड भी ढकेगी या नहीं.
मेरे हाथों में मिनी स्कर्ट देखकर दीपू और गोपालजी की आँखों में चमक आ गयी. क्यूंकी मैं अपना पेटीकोट उतारकर इसे पहनूँगी तो ये मर्दों के लिए देखने लायक नज़ारा होगा. मैं बाथरूम की और जाने लगी तभी……
गोपालजी – मैडम, अगर आपको बुरा ना लगे तो यहीं पर पहन लो. बाथरूम जाने की ज़रूरत नहीं.
“क्या मतलब ?”
गोपालजी – मैडम, बुरा मत मानिए. अगर आप ध्यान से देखो तो स्कर्ट की कमर में में एक हुक है जिसे आप खोल सकती हो. इससे स्कर्ट टॉवेल की तरह खुल जाएगी. फिर आप इसको कमर में लपेट लेना और फिर पेटीकोट खोल देना.
मैंने स्कर्ट को देखा. वो सही था लेकिन मुझे लगा की पेटीकोट के ऊपर स्कर्ट को लपेटकर फिर पेटीकोट को उतारने में दिक्कत भी हो सकती है, ख़ासकर की जब दो मर्द सामने खड़े मुझे घूर रहे होंगे.
“गोपालजी , मेरे लिए बाथरूम में चेंज करना ही कंफर्टेबल रहेगा.”
गोपालजी – ठीक है मैडम, जैसी आपकी मर्ज़ी.
मैं बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन मुझे महसूस हुआ की चलते समय दो जोड़ी आँखें मेरी मटकती हुई गांड पर टिकी हुई हैं.
दीपू – मैडम, ध्यान रखना. आपको थोड़ी देर पहले ही होश आया है.
“हाँ. शुक्रिया.”
मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और उस आदमकद शीशे के आगे खड़ी हो गयी.
मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और उस आदमकद शीशे के आगे खड़ी हो गयी. मेरा दिल तेज तेज धड़क रहा था. मुझे एक अजीब सी भावना का एहसास हो रहा था, जिसमें शरम से ज़्यादा मेरे बदन के एक्सपोज होने का रोमांच था. मैंने जिंदगी में कभी इतनी छोटी स्कर्ट नहीं पहनी थी. मुझे याद था की काजल के बाथरूम में उस कमीने नौकर के सामने मैंने जो काजल की स्कर्ट पहनी थी उससे मेरे घुटनों तक ढका हुआ था पर ये वाली स्कर्ट तो कुछ भी नहीं ढकेगी. मैंने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और पेटीकोट मेरे पैरों में फर्श पर गिर गया. मेरी जाँघें और टाँगें नंगी हो गयीं , मेरी साँसें तेज चलने लगीं और ब्रा के अंदर मेरे निप्पल टाइट हो गये.
मैंने केले के पेड़ के तने की तरह सुडौल और गोरी गोरी अपनी जांघों को देखा और उस छोटे से कपड़े को पहनने का रोमांच बढ़ने लगा. मैंने शीशे में अपनी पैंटी को देखा और खुशकिस्मती से उसमें कोई गीला धब्बा नहीं दिख रहा था. मैंने स्कर्ट का हुक खोला और उसको अपनी कमर पर लपेटकर फिर से हुक लगा दिया. हुक लगाने के बाद मेरी कमर पर स्कर्ट का इलास्टिक बैंड टाइट महसूस हो रहा था. मैंने शीशे में देखा की मैं कैसी लग रही हूँ और मैं शॉक्ड रह गयी.
“उउउउउउ………..”
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. स्कर्ट के नीचे मेरी गोरी मांसल जांघों का अधिकतर भाग नंगा दिख रहा था और मेरी नाभि से नीचे का हिस्सा भी नंगा था , इससे मैं बहुत उत्तेजक और कामुक लग रही थी.
ये स्कर्ट तो किसी मर्द के सामने पहनी ही नहीं जा सकती थी. ये इतनी छोटी थी की इसे बंद दरवाजों के भीतर सिर्फ अपने बेडरूम में ही पहना जा सकता था. वैसे तो मुझे भी यहाँ आश्रम में बंद दरवाजों के भीतर ही इसे पहनना था पर गुरुजी और अन्य मर्दों के सामने. और महायज्ञ के लिए मुझे ऐसी स्कर्ट पहननी ही थी. इसलिए मैंने अपने मन को बिल्कुल ही बेशरम बनने के लिए तैयार करने की कोशिश की और अपना फोकस सिर्फ अपने गर्भवती होने पर रखा. मैंने सोचा अगर मेरी संतान हो जाती है तो फिर मुझे भगवान से और कुछ नहीं चाहिए. मैंने अपने मन को दिलासा देने की कोशिश की मेरे पति को कभी पता नहीं चलेगा की यहाँ आश्रम में मेरे साथ क्या क्या हुआ था और एक बार मैं अपने घर वापस चली गयी तो आश्रम के इन मर्दों से मेरा कभी वास्ता नहीं पड़ेगा.
मैंने फर्श से पेटीकोट उठाया और हुक में लटका दिया और बाथरूम का दरवाज़ा खोल दिया. मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था क्यूंकी मैं दो मर्दों के सामने छोटी सी स्कर्ट में जाने वाली थी. बाथरूम से कमरे में आते ही मुझे देखकर दीपू के मुँह से वाह निकल गया. मैं उन दोनों से नजरें नहीं मिला सकी और स्वाभाविक शरम से मेरी आँखें झुक गयीं. मुझे मालूम था की उन दोनों मर्दों की निगाहें मेरी चिकनी जांघों को घूर रही होंगी.
गोपालजी – मैडम, आप तो अप्सरा लग रही हो. इस स्कर्ट में बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो.
मैंने सोचा की गोपालजी ने मेरे लिए सेक्सी की बजाय खूबसूरत शब्द का इस्तेमाल किया इसके लिए उसका शुक्रिया. मैं मन ही मन मुस्कुरायी और उस छोटी स्कर्ट को पहनकर नॉर्मल रहने की कोशिश की. मैंने ख्याल किया की मेरी केले जैसी मांसल जांघों को देखकर दीपू का जबड़ा खुला रह गया है. गोपालजी की नजरें मेरे सबसे खास अंग पर टिकी हुई थी और शुक्र था की स्कर्ट ने उसे ढक रखा था.
“गोपालजी ये स्कर्ट कमर में बड़ी टाइट हो रही है.”
मैंने अपनी कमर की तरफ इशारा करते हुए कहा. बिना वक़्त गवाए बुड्ढा तुरंत मेरे पास आ गया और मेरी स्कर्ट के इलास्टिक बैंड में अंगुली डालकर देखने लगा की कितनी टाइट हो रखी है. गोपालजी स्कर्ट के एलास्टिक को खींचकर देखने लगा की कितनी जगह है. मुझे मालूम था की एलास्टिक को खींचकर वो मेरी सफेद पैंटी को देख रहा होगा. एक तो उस छोटी सी बदन दिखाऊ ड्रेस को पहनकर वैसे ही मैं रोमांचित हो रखी थी और अब एक मर्द का हाथ लगने से मेरा सर घूमने लगा. मेरा चेहरा लाल होने लगा और मेरे होंठ सूखने लगे.
गोपालजी – हाँ मैडम, आप सही हो. कमर में ¾ “ एक्सट्रा कपड़ा लगाकर ठीक से फिटिंग आएगी. मैं हुक को भी ½ “ खिसका दूँगा. दीपू नोट करो.
दीपू – जी नोट कर लिया.
गोपालजी – लेकिन मैडम क्या आप यहाँ पर साड़ी बाँधती हो ?
“क्यूँ ?”
गोपालजी – असल में मुझे लग रहा है की आपने स्कर्ट थोड़ी ऊपर बाँधी है.
“लेकिन मैं तो अक्सर अपनी साड़ी को नाभि पर बाँधती हूँ और स्कर्ट तो मैंने नीचे बाँधी है.
मैंने दिखाया की स्कर्ट मेरी नाभि से डेढ़ इंच नीचे है.
गोपालजी – ना मैडम, आपको थोड़ी और नीचे बांधनी पड़ेगी. मैं एडजस्ट करूँ ?
मुझे अच्छी तरह मालूम था की एडजस्ट करने के लिए इसे मेरी स्कर्ट का हुक खोलना होगा और फिर स्कर्ट नीचे होगी. मैंने गले में थूक गटका.
“ठी….ठीक है……”
गोपालजी ने तुरंत मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया और अब मेरी इज़्ज़त उसके हाथों में थी. वो टेलर मेरे बदन पर झुका हुआ था और एक दो बार मेरी चूचियाँ उसके बदन से छू गयीं. उसने धीरे धीरे स्कर्ट को नीचे करना शुरू किया और अब मुझे लगा की मेरी पैंटी दिखने लगी है.
“गोपालजी प्लीज. इतना नीचे मत करिए.”
गोपालजी – मैडम, प्लीज आप मेरे काम में दखल मत दीजिए.
स्कर्ट को एडजस्ट करते हुए गोपालजी की अँगुलियाँ मेरी पैंटी के इलास्टिक बैंड को छू रही थीं और एक बार तो मुझे ऐसा लगा की उसने एक अंगुली मेरी पैंटी के एलास्टिक के अंदर घुसा दी है.
“आउच……आआहह…”
मेरी सांस रुक गयी और मेरे मुँह से अपनेआप निकल गया.
गोपालजी ने सर उठाकर ऊपर को देखा और उसका सर ब्लाउज से ढकी हुई मेरी बायीं चूची से टकरा गया. अब मैं आँखें बंद करके जोर से धड़कते हुए दिल से खड़ी थी क्यूंकी मुझे मालूम था की मेरी स्कर्ट का हुक अभी भी खुला है. मेरी आँखें बंद देखकर गोपालजी स्कर्ट को एडजस्ट करने के बहाने दोनों हाथों से मेरी कमर को पैंटी के पास छूते रहा और बीच बीच में अपने सर को मेरी बायीं चूची पर दबाते रहा. उसके ऐसा करने से ऐसी इरोटिक फीलिंग आ रही थी की क्या बताऊँ.
शुक्र था की आख़िरकार उसने स्कर्ट का हुक लगा ही दिया.
गोपालजी – मैडम अब ठीक लग रहा है. देख लीजिए.
मैंने आँखें खोली और अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए एक गहरी सांस ली और फिर नीचे देखा.
“ईईईईई…..”
कुछ इस तरह की आवाज मेरे मुँह से निकली, गोपालजी ने स्कर्ट इतनी नीचे कर दी थी की मेरी नाभि और उसके आस पास का पूरा हिस्सा नंगा था और स्कर्ट का एलास्टिक ठीक मेरी पैंटी के एलास्टिक के ऊपर आ गया था.
गोपालजी – मैडम, देखो, मैंने बहुत सी औरतों के लिए ड्रेस सिली हैं और मैं आपको बता सकता हूँ की ज़्यादातर औरतें अपने पेट से ज़्यादा जांघों को ढकना पसंद करती हैं. इसलिए….
“गोपालजी ये बात तो सही है पर ….”
गोपालजी – गुस्ताख़ी माफ़ मैडम, लेकिन आपकी जाँघें बहुत गोरी और आकर्षक हैं. इसलिए मुझे लगता है की लोगों के सामने इन्हें जितना ढकोगी उतना ही आपके लिए अच्छा रहेगा.
बातों के दौरान मैं ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी की मेरे नितंबों को स्कर्ट कितना ढक रही है. मुझे लगा की जहाँ से कमर का घुमाव शुरू होता है वो हिस्सा दिख रहा होगा क्यूंकी स्कर्ट उससे नीचे बँधी थी. इतनी नीचे स्कर्ट पहनकर मैं बहुत कामुक लग रही हूंगी और जब मैंने दीपू की ओर देखा तो उसकी हवसभरी आँखें यही बता रही थी.
“ठीक है फिर. मैं यहीं पर बाधूंगी.
गोपालजी – मैडम, मैं एक बार चुन्नट भी देख लूँ फिर आपकी स्कर्ट फाइनल करता हूँ.
मैंने सर हिला दिया और वो बुड्ढा फिर से मेरी नंगी टाँगों के आगे बैठ गया. उसका चेहरा ठीक मेरी चूत के सामने था.
गोपालजी – मैडम चुन्नट बाहर से तो ठीक हैं. एक बार जल्दी से अंदर से भी देख लेता हूँ.
मुझे रियेक्ट करने का वक़्त दिए बिना उस टेलर ने चुन्नट चेक करने के बहाने से तुरंत अपने दोनों हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डाल दिए. क्यूंकी स्कर्ट टाइट थी इसलिए उसकी हथेलियों का पिछला हिस्सा मेरी नंगी जांघों को छूने लगा. स्वाभाविक था की मैं इसके लिए तैयार नहीं थी और थोड़ा पीछे हट गयी. मेरी स्कर्ट के अंदर पैंटी के पास एक मर्द का हाथ देखकर अपनेआप ही मेरी टाँगें चिपक गयीं. फिर उसके हाथ मैंने स्कर्ट के अंदर ऊपर को बढ़ते महसूस किए अब तो मुझे बोलना ही था.
“अरे… गोपालजी ये क्या कर रहे हो ?”
मैंने अपने होंठ दबा लिए क्यूंकी गोपालजी के हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर एक लय में चुन्नट के साथ ऊपर नीचे जा रहे थे. वो एक एक करके हर चुन्नट को चेक कर रहा था. अब मैं उसकी ये हरकत और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी थी. मैंने स्कर्ट के बाहर से उसका एक हाथ पकड़ लिया. वो दृश्य बहुत कामुक लग रहा था, मैं एक मर्द के सामने खड़ी थी और उसने मेरे पैरों में बैठ के मेरी स्कर्ट के अंदर अपने हाथ घुसा रखे थे और अब मैंने उसका एक हाथ स्कर्ट के बाहर से पकड़ा हुआ था.
गोपालजी – क्या…क्या हुआ मैडम ?
“मेरा मतलब….प्लीज अब बस करो…”
गोपालजी – लेकिन मैडम, मैं तो ऐसे ही अंदर के चुन्नट चेक करता हूँ वरना मुझे आपकी स्कर्ट ऊपर को उठाकर पलटकर अंदर से चुन्नट चेक करनी पड़ेगी जो की और भी ज़्यादा…….
“ना ना, पहले आप अपने हाथ बाहर निकालो…प्लीज……”
गोपालजी बड़ा आश्चर्यचकित लग रहा था पर उसने धीरे से अपने हाथ स्कर्ट से बाहर निकाल लिए.
“गोपालजी माफ कीजिएगा, लेकिन मुझे अजीब सा ….. मेरा मतलब गुदगुदी सी हो रही थी…”
गोपालजी – ओह …..मैंने सोचा…..चलो ठीक है. मैडम , आप पहली बार स्कर्ट की नाप दे रही हो इसलिए ऐसा हो गया होगा.
वो हल्के से हंसा , उसके साथ दीपू भी हंस दिया और शरमाते हुए मैं भी मुस्कुरा दी.
दीपू – मेरे ख्याल से एक काम हो सकता है. जब मैडम साड़ी पहन लेगी तब हम स्कर्ट के अंदर के चुन्नट चेक कर सकते हैं.
गोपालजी – दीपू , मेरे नाप लेने के तरीके में हर चीज का कुछ ना कुछ मतलब होता है. अगर ऐसा हो सकता जैसा की तुम सुझाव दे रहे हो तो मैंने मैडम को ऐसे शर्मिंदा नहीं किया होता. है की नहीं ?
दीपू – जी , माफी चाहता हूँ.
गोपालजी – दीपू, अगर अंदर से चुन्नट बराबर नहीं होंगी तो ये मैडम की जांघों को छूएंगी और उसे अनकंफर्टेबल फील होगा. इसलिए मैं इन्हें तभी चेक कर रहा हूँ जब मैडम ने इसे पहना है.
अब मुझे भी बात साफ हो गयी. टेलर का इरादा तो नेक था पर उसकी इस हरकत से मुझे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.
गोपालजी – कोई बात नहीं , मैडम को असहज महसूस हो रहा है इसलिए इसे मैं बाद में ठीक करूँगा.
वो थोड़ा रुका. मैं एक बेशरम औरत की तरह उस छोटी सी स्कर्ट और ब्लाउज में उनके सामने खड़ी थी.
गोपालजी – अब मैडम, अगर आप चाहो तो मैं कुछ और चीज़ें चेक कर लूँ सिर्फ आपकी इज़्ज़त बचाने के लिए. लेकिन सिर्फ तभी जब आप चाहोगी….
“गोपालजी , लगता है की आप मुझसे नाराज हो गये हो. लेकिन मैं तो सिर्फ…”
गोपालजी – ना ना मैडम, ऐसी कोई बात नहीं . मुझे खुशी है की आपने साफ साफ बता दिया की आपको असहज महसूस हो रहा है. लेकिन मैं ये कहना चाहता हूँ की इसका मेरे नाप लेने से कोई मतलब नहीं . देखो मैडम, आप पहली बार मिनी स्कर्ट पहन रही हो, इसलिए आपको ध्यान रखना चाहिए की आप अपनी पैंटी..…मेरा मतलब आपकी पैंटी लोगों को दिख ना जाए इसका ध्यान रखना होगा.
ये बात तो मेरे दिमाग़ में भी थी पर मुझे कैसे पता चलेगा की लोगों को मेरी पैंटी दिख रही है या नहीं .
“हम्म्म ….. हाँ ये तो है . पर इसे चेक कैसे करुँगी ?”
गोपालजी – मैडम, आपको कुछ भी नहीं करना है. मैं हूँ ना आपको गाइड करने के लिए.
उसके आश्वासन से मुझे राहत हुई और मैं उस अनुभवी टेलर के निर्देशों का इंतज़ार करने लगी.
गोपालजी – मैडम, अब आपकी स्कर्ट सही जगह पर बँधी है और मैं आपके बैठने के पोज चेक करूँगा. अगर कुछ एडजस्ट करना होगा तो बताऊँगा , ठीक है ?
गोपालजी – ठीक है गोपालजी.
गोपालजी – मैडम, आपको समझ आ रहा होगा की मिनी स्कर्ट पहनने में सबसे बड़ी समस्या इसके अंदर दिखने की है और इसके लिए आपको बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी. अगर आप मेरे बताए निर्देशों का पालन करोगी तो ज़्यादा एक्सपोजर नहीं होगा.
जिस तरह से वो टेलर मेरी मदद करने की कोशिश कर रहा था उससे मुझे अच्छा लगा और मैंने उसकी बात पर सर हिला दिया.
गोपालजी – दीपू, क्या तुम बता सकते हो की वो कौन से पोज हैं जिसमें मैडम को अलर्ट रहना चाहिए.
दीपू – जी, 6 ख़ास पोज हैं, खड़े होना, बैठना, झुकना, पैरों पर बैठना, लेटना और चढ़ना.
गोपालजी – बहुत अच्छे. देखो मैडम, इसने मेरे साथ रहकर काफ़ी कुछ सीख लिया है.
वो दोनों मुस्कुराने लगे और मैं उनके सामने एक सेक्सी मॉडल की तरह खड़ी रही. वैसे मैंने मन ही मन गोपालजी के सिखाने के तरीके की तारीफ़ की.
गोपालजी – ठीक है फिर. मैडम, एक एक करके हर पोज देख लेते हैं ताकि आपको क्लियर आइडिया हो जाए की क्या करना है और क्या नहीं करना है.
“जैसा आप कहो गोपालजी.”
मुझे अच्छा लग रहा था की गोपालजी मुझे अच्छे से गाइड कर रहा था. मैंने सोचा की कई तरह के पोज में बैठाकर गोपालजी मुझे गाइड करेगा की क्या करना है और क्या नहीं. पर मुझे क्या पता था की गाइड करने के दौरान मेरे साथ क्या होने वाला है.
गोपालजी – मैडम, जब आप ये स्कर्ट पहनकर महायज्ञ में बैठोगी तो वहीं पर बांधना जहाँ पर अभी मैंने बांधी है, पैंटी के एलास्टिक से एक अंगुली ऊपर. और स्कर्ट के कपड़े को आगे और पीछे से ऐसे खींच लेना.
गोपालजी ने ऐसे दिखाया जैसे वो स्कर्ट पहने है और अपने आगे पीछे से कपड़े को नीचे खींच रहा है.
गोपालजी – सबसे पहला पोज खड़े होना है और ये सबसे सेफ पोज है.
वो मुस्कुराया. दीपू भी मुस्कुरा रहा था और मैं बेवकूफ़ के जैसे उस टेलर के निर्देशों का इंतज़ार कर रही थी.
गोपालजी – दीपू, क्या मैडम ठीक से खड़ी है ?
दीपू – जी नहीं.
मुझे आश्चर्य हुआ क्यूंकी मैं तो हमेशा जैसे खड़ी होती हूँ वैसे ही खड़ी थी चाहे साड़ी पहनी हो चाहे सलवार कमीज.
“क्यूँ ? क्या समस्या है ?”
गोपालजी – दीपू, क्या तुम….
दीपू – जी जरूर.
दीपू मेरे पास आया और मेरी नंगी टाँगों के सामने पैरों पर बैठ गया. उसका मुँह मेरी चूत के पास था, उसे अपने इतने नजदीक बैठा देखकर जैसे ही मैं पीछे हटने को हुई……
दीपू – मैडम, आप हिलना मत. मैं आपको बताऊँगा की ग़लत क्या है.
दीपू ने मेरी नंगी टाँगों को घुटनों से थोड़ा ऊपर पकड़ लिया और मुझे इशारा किया की मैं अपनी टाँगों को और चिपका लूँ. एक मर्द के मेरी नंगी टाँगों को पकड़ने से मेरे बदन में सिहरन दौड़ गयी फिर मैंने अपने को कंट्रोल किया और टाँगों को थोड़ा और चिपका लिया.
“अब ठीक है ?”
दीपू – ना मैडम. अभी भी आपकी जांघों के बीच गैप दिख रहा है जो की नहीं होना चाहिए.
ऐसा कहते हुए उसने अपनी अंगुली को मेरी जांघों में उस गैप पर फिराया. उसके बाद उसने दोनों हाथों से मेरी जांघों के पीछे के भाग को पकड़ लिया और उस गैप को भरने के बहाने उन पर हाथ फिराने लगा और उन्हें दबाने लगा. उसकी इस हरकत से मेरी चिकनी जांघों में सनसनाहट होने लगी जो टाँगों से होती हुई चूत तक पहुँच गयी. मैं शरमा गयी और अपने सूखे हुए होठों को जीभ से गीला करके नॉर्मल बिहेव करने की कोशिश करने लगी.
“ओह्ह……ओके दीपू, मैं समझ गयी.”
गोपालजी – ठीक है मैडम. जब भी आप स्कर्ट पहनकर खड़ी होगी तो अपनी जांघें चिपकाकर खड़ी होना. जब आप साड़ी, सलवार कमीज या नाइटी पहनती हो तो आपकी टाँगें ढकी रहती हैं इसलिए अगर आप टाँगें अलग करके भी खड़ी रहती हो तो अजीब नहीं लगता. पर ये वेस्टर्न ड्रेस है इसलिए ये अंतर ध्यान में रखना.
“हम्म्म, सही है.”
दीपू – मैडम, आपकी टाँगें बहुत मांसल और खूबसूरत हैं. सच बताऊँ मैडम, केले के पेड़ की तरह दिखती हैं.
गोपालजी – हाँ मैडम. ये तो आप भी मानोगी.
मुझे उस लड़के से अपनी टाँगों पर ऐसे डाइरेक्ट कमेंट की उम्मीद नहीं थी और मुझे कुछ समझ नहीं आया की कैसे रियेक्ट करूँ. मुझे तुरंत अपनी शादी के शुरुवाती दिनों की एक घटना याद आ गयी जब मेरे पति राजेश ने मेरी चूचियों को सेब जैसी कहा था. उस रात को राजेश बहुत देर से मेरी नंगी चूचियों को मसल रहे थे. मेरी कामोत्तेजना से और उनके मसलने से चूचियों लाल हो गयीं. फिर राजेश बोले, “अब तुम्हारी चूचियाँ सेब जैसी दिख रही हैं गोल और लाल.”
अब दीपू मेरे आगे बैठी हुई पोजीशन से खड़ा हो गया. मैंने ख्याल किया उसकी आँखें ऐसी हो रखी थीं की जैसे मेरे पूरे बदन को चाट रही हों. मेरी चूचियाँ थोड़ा तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगीं और ब्लाउज के अंदर ब्रा कप में टाइट होने लगीं. मैंने ऐसे दिखाया जैसे की मेरे कंधे में खुजली लगी हो और इस बहाने ब्लाउज को थोड़ा एडजस्ट कर लिया.
कहानी जारी रहेगी