Part 03


अब हमने दीदी से पूछा गांड इतनी ढीली हुई है तो उसने बताया कि "मेरा पति तो कभी गांड मारता भी नहीं है जो ससुराल मै खुलेगी मै बता दूंगी पर मेरे पति के सामने ओर देवरजी को भी आ जाने दो फिर"।

इतने में रामलाल बोला "ठीक है मत बता अभी पर तू आज ही बताएगी रुक तू" दीदी बोली "नहीं सब घर में रहेंगे तब" बुड्ढा बोला "भोसड़ की रंडी मंजू का पति आएगा आज ही और तू उसी से चुद्वाएगी आज रात।" दीदी बोली "मेरे तो पीरियड है मुझे दिक्कत नहीं" ओर मुस्कुराई।

रामलाल ने कहा "कोई बात नहीं गांड तो है।" ओर दोनों हंसने लगे।

अब हम लोगों ने मंजू के पति यानी की दीदी के देवर को चुदाई मै शामिल करने का प्लान बनाया।

रात को वह घर आया और प्लान के मुताबिक हमने उनके कमरे में दीदी कि ब्लू फिल्म से भरा कैमरा रख दिया और उसे टीवी से कनेक्ट कर दिया जो भी कैमरा मै देखा जाता वह सब टीवी में चलता।

दीदी का देवर कमरे में आया और उसने कैमरा पड़ा देखा तो उसे चालू कर लिया उसमे फूल आवाज में दीदी की पोर्न चालू हो गई वह सब देखकर भौंचक्का रह गया मानो उसके तो पैरों तले जमीन खिसक गई हो पर वह दीदी की फिल्म देख कम और उसकी बीवी की फिल्म देख ज्यादा चौंक गया था और साथ ही उसकी बेटी जया भी थी।

वह घबरा सा गया और हम सबको ढूंढने लगा पर हम दीदी के कमरे में थे वह आया और देखा कि सब नंगे थे मंजू अपने ससुर के गोद में बैठी थी।

मंजू नंगी ही अपने पति के पास चली गई वह हम सबसे पूछने लगा "क्या हो रहा है इस घर में" तो दीदी बोली "देखो देवर जी आप तो रहते हो हमेशा बाहर पता नहीं कितनी के साथ चुदाई की है और रही बार आपके भैया की तो उनका लन्ड मेरी चूत को प्यासा ही छोड़ देता है तो हम करे तो क्या करे" वह सोचने लगा और बोला "कोई बात नहीं पर बात बाहर नहीं जाने पाए घर की बात घर में" दीदी बोली "आपको इसी बात को डर है ना कि आपकी बीवी को दूसरों ने चोदा तो आप मेरी चुद चोद लो" वह बोला "वह तो मै चोदूंगा ही उसमे कोई पूछने वाली बात है" फिर हमने दीदी के देवर को सारी बात बताई और उसने जया ओर दीदी कि खूब चुदाई की फिर भी दीदी ने गांड ही मरवाई जबकि मंजू की रामलाल, ऋषभ और मैने एकसाथ चुदाई की।

अब शामको जीजाजी आने वाले थे उन्हे रामलाल और दीदी की ढीली गांड़ और उनके भाई के बारे में बताना था।

अब शाम को जीजाजी आ गए उन्होंने देखा ओर चौंक गए क्योंकि हम सब खाना कहा रहे थे वह भी नंगे क्योंकि उसमे उनका बाप और भाई भी था वह भी नंगा।

जया उठकर गई जीजाजी के पास ओर उन्हे समझाकर सारी बात बताई और उनसे वादा करवाया की वह दीदी को कुछ नहीं कहेंगे उनकी ढीली गांड के बारे में।

जीजाजी नहीं मानते इसलिए मंजू बोली "देखो जेठजी हम लोगों की तो लंड से पूर्ति हो जाएगी हम चोदने के लिए ऋषभ, ससुरजी, मेरे पति और वरुण भी है पर आपका क्या होगा अगर आपने कुछ भी उल्टा सीधा किया तो"।

जीजाजी मंजू का मुंह देख रहे थे। जीजाजी ने अकेले ही कपड़े पहन रखे थे।

मंजू बोली "चूत को तरस जाएंगे जेठजी आप"।

जीजाजी बोले "वैसे भी मुझे इस रंडी की गांड से कोई मतलब नहीं मै तो कोई मारता ही नहीं इसकी गांड भले ही यह कुछ भी करे पर उसकी चूत की सील तो मैने ही खोली थी यह पक्का है" यह सुनकर दीदी मुस्कुराने लगी।

जीजाजी बोले "पूरी चादर खून से खराब कर दी थी इस रंडी ने"।

दीदी बोली "यह बात तो सही है चूत तो मैने इन्हीं से पहली बार मरवाई थी पर गांड नहीं और मैने अपने ससुराल में कभी किसी दूसरे मर्द से नहीं चुदवाया।"

अब मैने दीदी से कहा "अब बताओ अपनी स्टोरी।"

दीदी बोली "उनकी गांड फाड़ने मै कईयों का योगदान है"

अब आगे की स्टोरी दीदी की जुबानी।

मै जब शादी के पहले हॉस्टल में पढ़ती थी तबकी बात है हमारी एक गैंग थी जिसमे हम चार लड़कियां थी और चारों चाहती थी कि हम अपनी सील सुहागरात पर ही तुड़वाए पर एक फ्रेंड की सील किसी लड़के ने पहले ही तोड़ दी थी।

एक दिन हॉस्टल मै रैगिंग हो रही थी हम भी बुलाया गया हम चारों फर्स्ट ईयर में थे इसलिए खासकर हम लोगों की ही रैगिंग थी हम सिर्फ 5लड़कियां थी हॉस्टल मै फर्स्ट ईयर की।

जब हम उस रैगिंग वाले कमरे में गई तब तो वह पर सब ठीक था पर हमारे जाते ही दरवाजा अंदर से बन्द हो गया और सभी सेकंड ओर थर्ड ईयर की लड़कियां अपने कपड़े उतारने लगी।

हमारी आंखें फट रही थी हम शर्म आ रही थी वह लड़कियां हमारे पास आयी ओर हम पांचों पर पांच लड़कियां टूट पड़ी और उन्होंने हमारे कपड़े उतारे और चेक कर लिया की हम सब सील पैक थी ओर उन्हे देखकर भी लग रहा था कि वह सब भी सील लगी हुई है।

उनने जान लिया कि सिर्फ एक की ही सील टूटी हुई है।

अब उनमें से एक बोली "अब तुम्हारी रैगिंग होगी चुदाई होगी"।

हम सब घबरा गई।

हमारे वक्त मे जिस लड़की की सील टूटी हो उसे ससुराल वाले गलत समझते थे इसलिए उन लडकियो ने भी सील नहीं तुड़वाई थी।

उन सभी लड़कियों ने अब नकली लंड पहन लिया और हमारी तरफ आने लगी।

वह 20से भी ज्यादा लड़कियां थी सबने 6-7 इंच के लन्ड पहने थे।

हमारी गांड जो कि फटने वाली थी फटे जा रही थी।

उनमें से एक जिसकी बात सब मान भी रही थी

वह बोली चूत वाली की चूत मारो बाकी को हमारा प्यार दिखाओ।

वह सब हम पर टूट पड़ी मेरी एक दोस्त जिसकी चूत फटचुकी थी उसे दो तीन लड़कियां चाटने लगी और वैसे बाकी लड़कियां हम 4पर थी और मेरे ऊपर 5-6 लन्ड वाली लड़कियां थी मुझे किस कर रही थी चाट रही थी।

उनमें से एक मुझसे बोली "चल इस लंड को मुंह में लेकर चाट और थूक लगाकर गीला कर वरना दर्द हो तो मत बोलना"।

अब में बारी बारी से सबके लंड को गीला कर रही थी मुझे शक था कि मेरी चूत फटेगी पर में गलत थी उन लड़कियों ने मुझे घुटने के बल किया और एक मेरे आगे आ गई उसने अपना लन्ड निकाल दिया और मुझे उसकी चूत चाटने को कहा मैने ना नुकुर किया तो मुझे पता ही चला कब किसी ने मेरी गान्ड मे बिना थूक तेल के लन्ड घुसा दिया में जोरों से चिल्ला रही थी मेरा मुंह बंद ही नहीं हो रहा था। अब जिसने मेरी गान्ड मे लन्ड डाला था वह बोली "और मत चूस चूत को अब हम सब बिना थूक के है तेरी गांड पेलेंगे।"

मै रोने लगी थी अब मै उस लड़की कि चूत चाटे जा रही थी सुरूड सुरुड की आवाज आ रही थी।

चूंकि मेरा बाकी लड़कियों को डेमो दिखा दिया गया था और उन सबके साथ सेक्स मेरे बाद किया गया था।

बाकी चारों मै से एक की तो सील टूटी थी इसलिए वह

लन्ड वाली लड़कियां उसकी चूत और गांड दोनों मार रही थी पर बाक लड़कियों में से एक ने मेरा डेमो देखने के बाद भी ना निकुर की तो उसकी गांड और चूत दोनों फाड़ दी बल्कि उनकी गांड में दो लौड़े ओर एक चूत में और लडकियो की चूत उस चूसना पड़ रही थी, उसकी तो गलत पतली हो गई थी वह तो अच्छा हुआ की वह लड़की मॉडर्न सोच वाली फैमिली से थी जैसे कि मुस्लिम वरना पता नहीं उसका क्या हाल होता शादी के बाद अगर उसकी चूत गांड ढीली निकलती तो।

बाकी 2लड़कियां उन लडकियो में घुल मिल गई थीं।

कुछ देर उन सबने मेरी गांड मारी मेरी गांड का खुला हुआ सुराख साफ दिखाई दे रहा था।

सबसे गांड मरवाने के बाद में वही पड़ी रही रात भर।

और जब सुबह उठी तो मुझसे चला भी नहीं जा रहा था।

और उस लड़की कि जिसकी चूत गांड की धज्जियां उड़ी थी वह अभी भी से रही थी मै उसे है देखे जा रही थी।

उस कमरे में हम 5ओर उन लंड वाली लड़कियों में से सिर्फ 2ही थी अब।

उन्होंने हम सबको उठाया और फटी चूत गांड वाली को उठाया ओर दवाई दी उस दिन हम कॉलेज नहीं गई और ना ही हम में से कोई टट्टी कर पाई।

उस लड़की ने जिसका कमरा था उसने बताया कि यहां पर ऐसे ही सबका स्वागत होता है, पर अच्छा है कि यह एक ही बार होता है, पर ऐसी महफ़िल तो रोज होती है पर अब जिसका मन हो वह आओ ओर जिसका ना हो वह मत आओ बस आज आखिरी है, वैसे ऐसी महफ़िल को कोई मना नहीं कर पाता तुम भी कोई नहीं कर पाओगे।

उसने बताया कि उन सबमें से एक उस हॉस्टल की वार्डन भी थी, उस वार्डन को तीन साल हुए थे आए ओर वह लड़कियां भी उस वार्डन के साथ ही आयि थी इस हॉस्टल मे।

और जिस लड़की ने हमे यह बताया उसके साथ बैठी लड़की ही वार्डन थी और वह ज्यादा उम्र कि नहीं थी।

वार्डन बोली कि "जब ने था पहली बार आती थी तब मेरी पहली पोस्टिंग थी यहां पर, यहां फाइनल ईयर में मेरी कुछ फ्रेंड्स थी तब मेरी पोस्टिंग हुई थी उन सबने मुझे बुलाया पहली रात को ऑर उन्होंने मेरी चूत गांड मुह सब सुजा दिया था क्योंकि उनका फेयरवेल था उस रात जिस रात मै आयो थी, वह सब चली गई अगले दिन और फिर कुछ दिन बाद यह लड़कियां आईं तो मैने फैसला किया किया की जबतक कोई परेशान ना करे किसी की चूत की सील नहीं तोड़ेंगे गांड फोड़ेंगे।"

अब वह मुस्कुरा रही थी।

मै बोली "तो मतलब यह आपके सामने दूसरा बैच है?"

उसने हा कहा।

और बोली "जिन लड़कियों ने तुम्हारी गांड मारी वह तीसरे और दूसरे ईयर में है और जब मै आईं थी तो उनका भी स्वागत ऐसे ही हुआ था और अब उन्हें मजा आता है।"

दूसरी लड़की बोली "पहली बार इस छिनाल वार्डन ने हम सबकी गांड मारी थी अकेली ने"। और हंसने लगी फिर बोली "और दूसरी रात को हम सबने इस वार्डन कि गांड चूत सब सुजा डाला था तभी से हम सब ऐसे ही स्वागत करते है।"

वह दोनों चली गई

गांड सूझ गई थी हम सबकी।

शाम तक सब ठीक हो गई किसी को कोई दर्द नहीं था।

रात को वह सब लड़कियां आईं हमारे पास और साथ मै हमारे लिए भी एक एक लंड लाई थी उनके जैसा।

और उनमें से एक लंड मुझे भी दिया गया और हमे बुलाया गया आज हम अपनी मर्ज़ी से बिना किसी के दबाव में उस कमरे में चली गई जैसे ही हम अंदर गई अंदर नजारा ही कुछ अलग था वह सारी लड़कियां नंगी थी और नाच रही थी लंड पहने पार्टी चल रही थी।

उन लड़कियों ने हमारा स्वागत किया आज पर कल जैसा नहीं। और वार्डन बोली "कपड़े उतार दो अपने इनकी यहां जरूरत नहीं।"

मैने सबसे पहले उतारे ओर मैने लन्ड पहन लिया।

वार्डन बोली अब को तुम चाहो कर सकती है अब तुम लोग भी हमारी इस ग्रुप की मेंबर हो।

तो मैने सबसे पहले वार्डन को दबोचा ओर हम पांचों के प्लान के हिसाब से हमने वार्डन की गांड चूत सुजा दी नकली लन्ड घुसा घुसाकर पहले तो क्योंकि यह उसी का तरीका था वेलकम का और में वार्डन से बोली "यह हमारी तरफ से आपको रिटर्न वेलकम गिफ्ट वार्डन मैडम।" तो वह भी कुछ नहीं बोली और हंसने लगी।

अब दूसरी लड़कियां हमारे पास आती ओर एक लड़की मेरी चूत पर आ गई और चूसने चाटने लगी।

एक लडकी को मैने अपने मुंह पर बिठा लिया और उसकी चूत चाटने लगी।

मुझे मजा सा आ रहा था इससे पहले मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया था मै तो जैसे जन्नत में थी।

अब एक लड़की ने मुझे गांड मरवाने का पूछा तो मै उसे मना नहीं कर पाई वह फट से मेरे पास आ गई मैने लन्ड पे थूक लगाया और घोड़ी बन गई पर वह लड़की लंड मेरी गांड मै डालने की जगह गांड को चाटने लग गई थी कुछ देर चाटने के बाद उसने मेरी गांड पर ढेर सारा थूकलगाकर लन्ड डाल दिया अब मुझे पहले जितना दर्द तो नहीं हो रहा था बल्कि मजा आ रहा था।

मै मजा ले रही थी। मै अब झड चुकी थी और बाकी सब भी ढेर हो चुकी थी।

बहुत मज़ा आया था आज तो।

उन सब लड़कियों ने बोला कि "हम ज्वाइन करना चाहती हो तो कर सकती हो कोई जबरदस्ती नहीं है, हमारे ग्रुप का नाम गंडमरी गर्ल्स ग्रुप है।"

मैने तो फट्ट से हां कर दी।

बाकियों ने भी मेरे साथ हां कर दी।

अब हमारा रोज का था यह तो।

मै तो कभी नहीं चूकती रोज एक दो से गांड मरवाती। कुछ ही दिनों में मै पूरा का पूरा हाथ अपनी गांड मे डलवाने लग गई। ऐसे ही तीन साल तक में रोज गांड मरवाती रही।

मेरी गांड में पूरा हाथ तक चला जाता था।

इसी कारण से ही मेरा फिगर इतना फिट था बोबे छोटे और गांड बड़ी।

यहीं थी मेरी गांड फटने की कहानी।

दीदी की ऐसी बातें सुनकर मेरा लन्ड फ़िरसे सलामी देने लगा तो मैने जया को पकड़ लिया और बोला "जया, अब तो तेरा भी फिगर दीदी की तरह ही फिट करना पड़ेगा।

मेरे साथ ही दीदी के ससुर ओर जीजाजी और दीदी के देवर ने भी हामी भर दी।

दीदी का देवर बोला "यह दोनों तो हो गई है परफेक्ट रांड और जया अब तेरी बारी तू भी मुस्कान कि तरफ ही अपना फिगर बना।"

दीदी बोली "देवर जी आप तो भाभी भूल ही गए सीधा मुस्कान पर आ गए।"

वह बोला "अब तो तुम हमारी जानेमन लन्ड की रानी हो अब कहैकी भाभी।"

दीदी मुस्कुराई।

अब जया बोली "पापा, दादाजी, बड़े पप्पा आप फिकर मत करो मै अपना फिगर इस छिनाल फटी गांड की मुस्कान और इस रंडी मंजू से भी ज्यादा अच्छा बनाऊंगी चाहे मुझे दो दो हाथ ही क्यों ना डलवाने पड़े अपनी गांड मे।"

दीदी बोली "चल चल रहने दे अभी तो मुहूर्त भी नहीं हुआ तेरी गांड का और मुझसे कंपीटिशन की बात करती है।"

इतने में डोरबेल भी और सब घबरा गए सभी कपडे ढूंढने लगे सब उथल पुथल हो रहा था किसी के कपड़े नहीं थे वह पर और घंटी बार बार बार रही थी।

सभी सोच रहे थे कि रात की 11बजे कोन होगा।

तो दीदी ने दरवाजे में से झांक कर देखा तो...

(बाकी की कहानी अगले भाग में 5स्टार रेटिंग जरूर दे)​
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