Update 09
शिवानी गिनती बोलते हुए कान पकड़कर उठक बैठक लगाने लगी
गौरव शिवानी के सामने सोफे पर बैठा हुआ अपने लण्ड पर हाथ फिर रहा था और साइड में लेदर बेल्ट लिए रवीना खड़ी थी
शिवानी अभी तक बिना रुके एकदम ठीक तरीके से उठक बैठक लगाए जा रही थी -इसलिए रवीना को ऐसा कोई मौका नहीं मिला जिस पर वह अपनी लेदर बेल्ट का इस्तेमाल उसके नितम्बों पर कर पाती
गौरव (शिवानी से) : टाँगे फैलाकर उठक बैठक लगाओ
शिवानी जब तक कुछ समझकर अपनी टाँगे चौड़ी करके दुबारा से उठक बैठक लगाती, तब तक रवीना ने उसके नितम्बों पर दो लेदर बेल्ट के स्ट्रोक जोर से जड़ दिए थे.
गौरव यही चाहता था. वह रवीना से बोला : वैरी गुड, गलती करे तो ऐसे ही इसका पिछवाड़ा गर्म करती रहो
जब पचास उठक बैठक पूरी हो गयीं तो शिवानी हाथ जोड़ते हुए गिड़गिड़ाने लगी : अब मुझसे नहीं होगा-मैं तो पहले ही बहुत थकी हुई हूँ आज. अब बस करो
इस बीच में रवीना ने फिर से दो बेल्ट स्ट्रोक शिवानी के जड़ दिए थे
गौरव ने रवीना को रोकते हुए शिवानी की तरफ देखते हुए कहा : चल अब घोड़ी बन और अपने दोनों हाथों और पैरों पर चलती हुई मेरी तरफ आकर मेरा लण्ड अपने मुंह में लेकर मुझे खुश कर -ऐसा करने पर तुझे बाकी की 50 उठक बैठक लगाने से छूट मिल जाएगी
रवीना के लिए यह सब कुछ बेहद डरावना और चौंकाने वाला था : उसका पति अपनी भाभी से अपना लण्ड चुसवा रहा था और वह उसका लण्ड चूसने की लिए मजबूर भी थी. ऐसा क्यों ? ऐसे कई सवाल रवीना के दिमाग में आने लगे लेकिन उससे पहले ही गौरव की आवाज़ से उसका ध्यान टूट गया. वह रवीना से कह रहा था : देख यह मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेकर चूस रही है-अब तुम मेरी तरफ देखती रहो, जैसे ही मैं इशारा करूँ, वैसे ही तुमने इसके नितम्बों पर अपनी बेल्ट का स्ट्रोक जोर से मारना है -लौंडियों का पिछवाड़ा गर्म होता रहे तो वे लण्ड को अच्छे से चूसती हैं
गौरव ने अपने लण्ड चूसे जाने के दौरान रवीना को इशारा करके दस बार शिवानी के बेल्ट स्ट्रोक लगवाए -हर बेल्ट स्ट्रोक पर शिवानी उछल उछल कर उसके लण्ड को और बढ़िया ढंग से चूसने लगी.
लण्ड चुसवाने के बाद गौरव ने अपने लण्ड को उसकी जीभ से साफ़ भी करवाया और फिर बोला : अब उठ अपने कपडे पहन कर भाग यहां से. भैया आने वाले होंगे. अपनी औकात हमेशा याद रख और मेरे सामने आगे से तमीज से पेश आ , वरना तुझसे बाहर खुली छत पर नंगा मुजरा करवाऊंगा साली.
शिवानी अपने कपडे पहनकर वहां से जा चुकी थी-रवीना एकदम डरी सहमी सी खड़ी अभी तक यह सोच रही थी की यह सब क्या हो रहा था
गौरव डरी हुई रवीना को देखकर मुस्कराते हुए बोला : तू इतनी क्यों डर रही है चिकनी ? तुझे मैं कुछ थोड़े ही कह रहा हूँ . मेरी बात मानती रहेगी और मुझे खुश रखेगी तो तू बहुत मज़े में रहेगी -वरना तेरे साथ भी वही सब कुछ हो सकता है, जो शिवानी के साथ होता हुआ तू देख चुकी है- अब इधर आ जा और मेरी गोद में बैठ जा
रवीना चुपचाप गौरव की गोद में आकर बैठ गयी
गौरव ने अपने हाथों से उसके बदन को सहलाना दबाना शुरू कर दिया और उसके होंठों को चूमते हुए उसके चिकने गालों पर अपने चेहरे को रगड़ने लगा
अगले दिन होली थी। हर तरफ होली का हुड़दंग मचा हुआ था।शिवानी का पति विवेक सुबह सुबह नाश्ता करके होली के अवसर पर आयोजित ग्राम पंचायत की सभा मे भाग लेने के लिए चला गया।
जाने से पहले उसने औपचारिक रूप से रवीना और शिवानी के साथ होली भी खेली।
विवेक हालांकि रवीना को रंग लगाने में संकोच कर रहा था लेकिन जब उसने देखा कि गौरव " होली है होली है " कहकर उसकी पत्नी शिवानी को तबियत से रंग लगा रहा है तो उसने भी रवीना के चेहरे पर ठीक से रंग लगाना शुरू कर दिया। रवीना को यह सब बहुत अजीब लग रहा था क्योंकि उसे पहली बार उसका जेठ उसके चेहरे और गालों पर कसकर रंग लगाने के बहाने इसके गालों पर हाथ फिरा रहा था।
विवेक के जाने के बाद, गौरव ने छत पर स्पीकर लगा कर उस पर भड़काऊ होली के गाने लगे दिए। आसपास की सभी छतों पर भी लोग गाने बजा रहे थे और आपस मे होली खेल रहे थे। उनके दोस्त यार और रिश्तेदार भी छत पर आकर एक दूसरे पर रंग गुलाल लगाकर होली खेल रहे थे।
गौरव, शिवानी और रवीना आसपास की छतों का होली का नज़ारा देख ही रहे थे कि यकायक वहाँ रंगों से लथपथ अमित, रोहित और मोहित आ गए और " होली है होली है" करते हुए गौरव को रंग लगाने लगे। गौरव ने भी उन सबको ठीक से रंग लगाया।
गौरव को रंग लगाने के बाद अमित, रोहित और मोहित एकदम शिवानी की तरफ दौड़ पड़े और उसे पकड़कर उसे रंग लगाने लगे। अमित ने शिवानी को पीछे से पकड़ लिया और उसकी पीठ और गर्दन पर हाथ फिरा फिराकर रंग लगाने लगा। रोहित उसके चेहरे पर रंग लगा रहा था और मोहित रंग लगाने के बहाने उसके मम्मे और चिकने पेट और नाभि प्रदेश पर हाथ फेर रहा था। तीनों ने शिवानी को चारों तरफ से अपनी गिरफ्त में जकड़ा हुआ था और होली खेलने के नाम पर खुली छत पर ही उसके बदन से खिलवाड़ कर रहे थे। शिवानी बेबस थी क्योंकि यह सब गौरव के सामने और उसकी मूक सहमति से ही हो रहा था।
रवीना अभी तक स्तब्ध होकर अपनी बड़ी बहन के साथ होने वाली होली के नाम पर इस जबरदस्ती और बदतमीजी को देखे जा रही थी।
अचानक रवीना ने जो देखा उसे देखकर उसके होश ही उड़ गए। गौरव ने आगे बढ़कर शिवानी की साड़ी उतार दी और बोला : अब खेलो होली इसके साथ, अब आएगा मज़ा।
इस बीच अमित ने रंग से भरी एक बाल्टी शिवानी के ऊपर डाल दिया और अब उसकी ब्लॉउज़ और पेटीकोट भीगकर उसके बदन से चिपक सा गया था। शर्माकर वह कमरे में भगाना चाहती थी लेकिन मोहित ने उसे पकड़कर अपनी बाहों में दबोच लिया और बोला : भागती कहाँ है साली, अभी तो होली शुरू हुई है। मोहित का लण्ड शिवानी के नितंबों की गर्मी महसूस कर रहा था क्योंकि उसने पीछे से शिवानी को अपनी बाहों में कैद किया हुआ था। अमित रोहित और गौरव हंसते हुए होली खेलने के बहाने उससे जी भरकर छेड़खानी और बदमाशी कर रहे थे।
रवीना यह सब देखने के लिए विवश थी। उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वह अब क्या करे।
शिवानी पेटीकोट और ब्लॉउज़ में भीगी खड़ी उन सबकी बदमाशी और छेड़खानी को झेले जा रही थी। चारों अब एक घेरा बनाकर कुर्सियों पर बैठ गए और शिवानी को बीच मे खड़ा करके उससे बोले : चल अब अपने दोनों हाथ उठाकर इस गाने पर सेक्सी डांस करके दिखा। उस समय "टिप टिप बरसा पानी" गाना चल रहा था।
शिवानी ने घबराकर चारों तरफ देखा और बोली : सब देख रहे हैं। हाथ ऊपर मत उठवाओ प्लीज़
गौरव : हाथ ऊपर उठाकर सेक्सी डांस कर साली। नहीं तो तेरी ब्लाउज़ और पेटीकोट उतरवाकर डांस करवाऊंगा। नाच फटाफट
शिवानी अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर गाने की धुन पर थिरकने लगी
गौरव ने अब रवीना की तरफ देखा : इधर आकर मेरी गोद मे बैठ
रवीना अब गौरव की गोद मे आकर बैठ गयी। गौरव उसके बदन के साथ भी छेड़खानी और खिलवाड़ करने लगा।
अमित रोहित और मोहित अब शिवानी के डांस का मज़ा भी ले रहे थे और गौरव जिस तरह से रवीना को मसल रहा था, उसका भी देख देख कर मज़ा ले रहे थे
अमित, मोहित और रोहित का ध्यान अब शिवानी से हटकर गौरव की गोद मे बैठी रवीना की तरफ लगा हुआ था लेकिन उन लोगों की अभी तक हिम्मत नही हो रही थी कि उसके साथ होली खेलकर उसे भी अपनी छेड़खानी का शिकार बनाएं।
गाना खत्म हो चुका था और शिवानी ने डांस भी करना बंद कर दिया था। शिवानी ने अब अपने दोनों हाथ भी नीचे कर लिए लेकिन मोहित ने उसे हुक्म देते हुए कहा : हाथ ऊपर करके खड़ी रह-उस पोजीशन में तू बहुत मस्त और सेक्सी लगती है।
रोहित और अमित भी यह सुनकर भी हंसते हुए कहने लगे : साली है तो एकदम एटम बम। इसे देखते ही लण्ड खड़ा हो जाता है।
वे सब यह बातें ही कर ही रहे थे कि गौरव ने रवीना को अपनी गोद से उतारते हुए कहा : मैं अभी जरा वाशरूम से फ्रेश होकर आता हूँ। तब तक तुम लोग होली खेलो।
यह कहकर गौरव तो कमरे में चल गया और बाहर छत पर अमित,रोहित,मोहित,शिवानी और रवीना रह गए।
अमित ने शरारत से मोहित और रोहित की तरफ देखा और जैसे ही उन तीनों ने नज़रों ही नज़रों में कुछ इशारा किया, वैसे ही तीनों एकदम " होली है होली है' कहते हुए रवीना की तरफ झपट पड़े और उस पर रंग लगा लगाकर उसके बदन के सभी अंगों से छेड़खानी करने लगे।
शिवानी को यह देखकर गुस्सा आ गया और वह जोर से चिल्लाकर नीचे की तरफ भाग खड़ी हुई। शिवानी को नज़रअंदाज़ करते हुए वे तीनों रवीना को अपनी गिरफ्त में लेकर रंग लगाने और होली खेलने के बहाने उससे बदमाशी और छेड़छाड़ किये जा रहे थे। रवीना की साड़ी भी उन लोगों ने उतार फेंकी थी।
साड़ी उतरते ही रवीना ने भी जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया: कोई बचाओ इन बदमाशों से।
इतनी देर में शिवानी नीचे से अपने सास ससुर को लेकर ऊपर पहुंच चुकी थी।
शिवानी उन लोगों की सारी बदमाशी पहले से ही अपने सास ससुर को बताकर लाई थी।
सास ससुर अपने हाथ मे लाये लाठी डंडों से उन तीनों मनचलों की धुनाई करने लगे। मौका देखकर रवीना और शिवानी भी डंडे लेकर उन तीनों पर टूट पड़ी। वे तीनों भौंचक्के होकर इस हमले को झेल रहे थे। इतनी देर में गौरव भी वाशरूम से बाहर आया और उसने यह सारा ड्रामा देखा कि मम्मी पापा रवीना और शिवानी मिलकर उसके तीन दोस्तों की तबियत से पिटाई कर रहे हैं।
गौरव को देखते ही उसके पापा उससे बोले : बेटा, अंदर से मेरी लाइसेंस वाली बंदूक लेकर आ और इन तीनों को ढेर कर दे। इन बदमाशों ने हमारे खानदान की बहुओं की इज़्ज़त पर हाथ डाला है।
गौरव अंदर की तरफ भागा और जब वापस आया तो उसने बंदूक की गोलियाँ उन तीनों के ऊपर दागकर उन्हें वही ढेर कर दिया।
अमित,मोहित और रोहित खून की होली की भेंट चढ़ चुके थे।
इतनी देर में विवेक भी वापस आ चुका था । उसने सारी बातचीत सुनी तो बोला : इन लोगों ने हमारी इज़्ज़त पर हाथ डालने की जो जुर्रत की है, उसके हिसाब से इनके साथ यही होना चाहिए था। गौरव ने एकदम सही काम किया है।
बाद में सिक्युरिटी गौरव को पकड़कर ले गई और वह तीन साल तक जेल में चक्की भी पीसता रहा लेकिन वकीलों और पैसों के बल पर उस पर उन तीनों की हत्या का मामला अदालत में साबित नही हो सका और वह 3 साल जेल में चक्की पीसने के बाद छूटकर घर आ गया और शराफत से रहने की कोशिश करने लगा।
The End
गौरव शिवानी के सामने सोफे पर बैठा हुआ अपने लण्ड पर हाथ फिर रहा था और साइड में लेदर बेल्ट लिए रवीना खड़ी थी
शिवानी अभी तक बिना रुके एकदम ठीक तरीके से उठक बैठक लगाए जा रही थी -इसलिए रवीना को ऐसा कोई मौका नहीं मिला जिस पर वह अपनी लेदर बेल्ट का इस्तेमाल उसके नितम्बों पर कर पाती
गौरव (शिवानी से) : टाँगे फैलाकर उठक बैठक लगाओ
शिवानी जब तक कुछ समझकर अपनी टाँगे चौड़ी करके दुबारा से उठक बैठक लगाती, तब तक रवीना ने उसके नितम्बों पर दो लेदर बेल्ट के स्ट्रोक जोर से जड़ दिए थे.
गौरव यही चाहता था. वह रवीना से बोला : वैरी गुड, गलती करे तो ऐसे ही इसका पिछवाड़ा गर्म करती रहो
जब पचास उठक बैठक पूरी हो गयीं तो शिवानी हाथ जोड़ते हुए गिड़गिड़ाने लगी : अब मुझसे नहीं होगा-मैं तो पहले ही बहुत थकी हुई हूँ आज. अब बस करो
इस बीच में रवीना ने फिर से दो बेल्ट स्ट्रोक शिवानी के जड़ दिए थे
गौरव ने रवीना को रोकते हुए शिवानी की तरफ देखते हुए कहा : चल अब घोड़ी बन और अपने दोनों हाथों और पैरों पर चलती हुई मेरी तरफ आकर मेरा लण्ड अपने मुंह में लेकर मुझे खुश कर -ऐसा करने पर तुझे बाकी की 50 उठक बैठक लगाने से छूट मिल जाएगी
रवीना के लिए यह सब कुछ बेहद डरावना और चौंकाने वाला था : उसका पति अपनी भाभी से अपना लण्ड चुसवा रहा था और वह उसका लण्ड चूसने की लिए मजबूर भी थी. ऐसा क्यों ? ऐसे कई सवाल रवीना के दिमाग में आने लगे लेकिन उससे पहले ही गौरव की आवाज़ से उसका ध्यान टूट गया. वह रवीना से कह रहा था : देख यह मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेकर चूस रही है-अब तुम मेरी तरफ देखती रहो, जैसे ही मैं इशारा करूँ, वैसे ही तुमने इसके नितम्बों पर अपनी बेल्ट का स्ट्रोक जोर से मारना है -लौंडियों का पिछवाड़ा गर्म होता रहे तो वे लण्ड को अच्छे से चूसती हैं
गौरव ने अपने लण्ड चूसे जाने के दौरान रवीना को इशारा करके दस बार शिवानी के बेल्ट स्ट्रोक लगवाए -हर बेल्ट स्ट्रोक पर शिवानी उछल उछल कर उसके लण्ड को और बढ़िया ढंग से चूसने लगी.
लण्ड चुसवाने के बाद गौरव ने अपने लण्ड को उसकी जीभ से साफ़ भी करवाया और फिर बोला : अब उठ अपने कपडे पहन कर भाग यहां से. भैया आने वाले होंगे. अपनी औकात हमेशा याद रख और मेरे सामने आगे से तमीज से पेश आ , वरना तुझसे बाहर खुली छत पर नंगा मुजरा करवाऊंगा साली.
शिवानी अपने कपडे पहनकर वहां से जा चुकी थी-रवीना एकदम डरी सहमी सी खड़ी अभी तक यह सोच रही थी की यह सब क्या हो रहा था
गौरव डरी हुई रवीना को देखकर मुस्कराते हुए बोला : तू इतनी क्यों डर रही है चिकनी ? तुझे मैं कुछ थोड़े ही कह रहा हूँ . मेरी बात मानती रहेगी और मुझे खुश रखेगी तो तू बहुत मज़े में रहेगी -वरना तेरे साथ भी वही सब कुछ हो सकता है, जो शिवानी के साथ होता हुआ तू देख चुकी है- अब इधर आ जा और मेरी गोद में बैठ जा
रवीना चुपचाप गौरव की गोद में आकर बैठ गयी
गौरव ने अपने हाथों से उसके बदन को सहलाना दबाना शुरू कर दिया और उसके होंठों को चूमते हुए उसके चिकने गालों पर अपने चेहरे को रगड़ने लगा
अगले दिन होली थी। हर तरफ होली का हुड़दंग मचा हुआ था।शिवानी का पति विवेक सुबह सुबह नाश्ता करके होली के अवसर पर आयोजित ग्राम पंचायत की सभा मे भाग लेने के लिए चला गया।
जाने से पहले उसने औपचारिक रूप से रवीना और शिवानी के साथ होली भी खेली।
विवेक हालांकि रवीना को रंग लगाने में संकोच कर रहा था लेकिन जब उसने देखा कि गौरव " होली है होली है " कहकर उसकी पत्नी शिवानी को तबियत से रंग लगा रहा है तो उसने भी रवीना के चेहरे पर ठीक से रंग लगाना शुरू कर दिया। रवीना को यह सब बहुत अजीब लग रहा था क्योंकि उसे पहली बार उसका जेठ उसके चेहरे और गालों पर कसकर रंग लगाने के बहाने इसके गालों पर हाथ फिरा रहा था।
विवेक के जाने के बाद, गौरव ने छत पर स्पीकर लगा कर उस पर भड़काऊ होली के गाने लगे दिए। आसपास की सभी छतों पर भी लोग गाने बजा रहे थे और आपस मे होली खेल रहे थे। उनके दोस्त यार और रिश्तेदार भी छत पर आकर एक दूसरे पर रंग गुलाल लगाकर होली खेल रहे थे।
गौरव, शिवानी और रवीना आसपास की छतों का होली का नज़ारा देख ही रहे थे कि यकायक वहाँ रंगों से लथपथ अमित, रोहित और मोहित आ गए और " होली है होली है" करते हुए गौरव को रंग लगाने लगे। गौरव ने भी उन सबको ठीक से रंग लगाया।
गौरव को रंग लगाने के बाद अमित, रोहित और मोहित एकदम शिवानी की तरफ दौड़ पड़े और उसे पकड़कर उसे रंग लगाने लगे। अमित ने शिवानी को पीछे से पकड़ लिया और उसकी पीठ और गर्दन पर हाथ फिरा फिराकर रंग लगाने लगा। रोहित उसके चेहरे पर रंग लगा रहा था और मोहित रंग लगाने के बहाने उसके मम्मे और चिकने पेट और नाभि प्रदेश पर हाथ फेर रहा था। तीनों ने शिवानी को चारों तरफ से अपनी गिरफ्त में जकड़ा हुआ था और होली खेलने के नाम पर खुली छत पर ही उसके बदन से खिलवाड़ कर रहे थे। शिवानी बेबस थी क्योंकि यह सब गौरव के सामने और उसकी मूक सहमति से ही हो रहा था।
रवीना अभी तक स्तब्ध होकर अपनी बड़ी बहन के साथ होने वाली होली के नाम पर इस जबरदस्ती और बदतमीजी को देखे जा रही थी।
अचानक रवीना ने जो देखा उसे देखकर उसके होश ही उड़ गए। गौरव ने आगे बढ़कर शिवानी की साड़ी उतार दी और बोला : अब खेलो होली इसके साथ, अब आएगा मज़ा।
इस बीच अमित ने रंग से भरी एक बाल्टी शिवानी के ऊपर डाल दिया और अब उसकी ब्लॉउज़ और पेटीकोट भीगकर उसके बदन से चिपक सा गया था। शर्माकर वह कमरे में भगाना चाहती थी लेकिन मोहित ने उसे पकड़कर अपनी बाहों में दबोच लिया और बोला : भागती कहाँ है साली, अभी तो होली शुरू हुई है। मोहित का लण्ड शिवानी के नितंबों की गर्मी महसूस कर रहा था क्योंकि उसने पीछे से शिवानी को अपनी बाहों में कैद किया हुआ था। अमित रोहित और गौरव हंसते हुए होली खेलने के बहाने उससे जी भरकर छेड़खानी और बदमाशी कर रहे थे।
रवीना यह सब देखने के लिए विवश थी। उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वह अब क्या करे।
शिवानी पेटीकोट और ब्लॉउज़ में भीगी खड़ी उन सबकी बदमाशी और छेड़खानी को झेले जा रही थी। चारों अब एक घेरा बनाकर कुर्सियों पर बैठ गए और शिवानी को बीच मे खड़ा करके उससे बोले : चल अब अपने दोनों हाथ उठाकर इस गाने पर सेक्सी डांस करके दिखा। उस समय "टिप टिप बरसा पानी" गाना चल रहा था।
शिवानी ने घबराकर चारों तरफ देखा और बोली : सब देख रहे हैं। हाथ ऊपर मत उठवाओ प्लीज़
गौरव : हाथ ऊपर उठाकर सेक्सी डांस कर साली। नहीं तो तेरी ब्लाउज़ और पेटीकोट उतरवाकर डांस करवाऊंगा। नाच फटाफट
शिवानी अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर गाने की धुन पर थिरकने लगी
गौरव ने अब रवीना की तरफ देखा : इधर आकर मेरी गोद मे बैठ
रवीना अब गौरव की गोद मे आकर बैठ गयी। गौरव उसके बदन के साथ भी छेड़खानी और खिलवाड़ करने लगा।
अमित रोहित और मोहित अब शिवानी के डांस का मज़ा भी ले रहे थे और गौरव जिस तरह से रवीना को मसल रहा था, उसका भी देख देख कर मज़ा ले रहे थे
अमित, मोहित और रोहित का ध्यान अब शिवानी से हटकर गौरव की गोद मे बैठी रवीना की तरफ लगा हुआ था लेकिन उन लोगों की अभी तक हिम्मत नही हो रही थी कि उसके साथ होली खेलकर उसे भी अपनी छेड़खानी का शिकार बनाएं।
गाना खत्म हो चुका था और शिवानी ने डांस भी करना बंद कर दिया था। शिवानी ने अब अपने दोनों हाथ भी नीचे कर लिए लेकिन मोहित ने उसे हुक्म देते हुए कहा : हाथ ऊपर करके खड़ी रह-उस पोजीशन में तू बहुत मस्त और सेक्सी लगती है।
रोहित और अमित भी यह सुनकर भी हंसते हुए कहने लगे : साली है तो एकदम एटम बम। इसे देखते ही लण्ड खड़ा हो जाता है।
वे सब यह बातें ही कर ही रहे थे कि गौरव ने रवीना को अपनी गोद से उतारते हुए कहा : मैं अभी जरा वाशरूम से फ्रेश होकर आता हूँ। तब तक तुम लोग होली खेलो।
यह कहकर गौरव तो कमरे में चल गया और बाहर छत पर अमित,रोहित,मोहित,शिवानी और रवीना रह गए।
अमित ने शरारत से मोहित और रोहित की तरफ देखा और जैसे ही उन तीनों ने नज़रों ही नज़रों में कुछ इशारा किया, वैसे ही तीनों एकदम " होली है होली है' कहते हुए रवीना की तरफ झपट पड़े और उस पर रंग लगा लगाकर उसके बदन के सभी अंगों से छेड़खानी करने लगे।
शिवानी को यह देखकर गुस्सा आ गया और वह जोर से चिल्लाकर नीचे की तरफ भाग खड़ी हुई। शिवानी को नज़रअंदाज़ करते हुए वे तीनों रवीना को अपनी गिरफ्त में लेकर रंग लगाने और होली खेलने के बहाने उससे बदमाशी और छेड़छाड़ किये जा रहे थे। रवीना की साड़ी भी उन लोगों ने उतार फेंकी थी।
साड़ी उतरते ही रवीना ने भी जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया: कोई बचाओ इन बदमाशों से।
इतनी देर में शिवानी नीचे से अपने सास ससुर को लेकर ऊपर पहुंच चुकी थी।
शिवानी उन लोगों की सारी बदमाशी पहले से ही अपने सास ससुर को बताकर लाई थी।
सास ससुर अपने हाथ मे लाये लाठी डंडों से उन तीनों मनचलों की धुनाई करने लगे। मौका देखकर रवीना और शिवानी भी डंडे लेकर उन तीनों पर टूट पड़ी। वे तीनों भौंचक्के होकर इस हमले को झेल रहे थे। इतनी देर में गौरव भी वाशरूम से बाहर आया और उसने यह सारा ड्रामा देखा कि मम्मी पापा रवीना और शिवानी मिलकर उसके तीन दोस्तों की तबियत से पिटाई कर रहे हैं।
गौरव को देखते ही उसके पापा उससे बोले : बेटा, अंदर से मेरी लाइसेंस वाली बंदूक लेकर आ और इन तीनों को ढेर कर दे। इन बदमाशों ने हमारे खानदान की बहुओं की इज़्ज़त पर हाथ डाला है।
गौरव अंदर की तरफ भागा और जब वापस आया तो उसने बंदूक की गोलियाँ उन तीनों के ऊपर दागकर उन्हें वही ढेर कर दिया।
अमित,मोहित और रोहित खून की होली की भेंट चढ़ चुके थे।
इतनी देर में विवेक भी वापस आ चुका था । उसने सारी बातचीत सुनी तो बोला : इन लोगों ने हमारी इज़्ज़त पर हाथ डालने की जो जुर्रत की है, उसके हिसाब से इनके साथ यही होना चाहिए था। गौरव ने एकदम सही काम किया है।
बाद में सिक्युरिटी गौरव को पकड़कर ले गई और वह तीन साल तक जेल में चक्की भी पीसता रहा लेकिन वकीलों और पैसों के बल पर उस पर उन तीनों की हत्या का मामला अदालत में साबित नही हो सका और वह 3 साल जेल में चक्की पीसने के बाद छूटकर घर आ गया और शराफत से रहने की कोशिश करने लगा।
The End