दीदी ने गुप्त रोग का इलाज किया

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम रवि हैं और मैं आज अपनी आपबीती बनाने जा रहा हूँ।

हम लोग गाँव के रहने वाले है मेरे घर में एक बड़ी ज्वाइंट फैमिली है और हम दो भाई बहन पढ़ने के लिए इंदौर शरीर आ गए मेरी दीदी का नाम स्वाति है और वह दिखने में किसी हीरोइन से कम नहीं है, अच्छे अच्छों के दीदी ने लंड खड़े किए और पैसे भी कमाए हम दोनों ने।

अब आता हूँ अपनी कहानी पर हम दोनों ने एक रूम किराए पर के रखा है शहर में जिसमे एक छोटा-सा किचेन है और एक बाथरूम जिसका भी दरवाजा ठीक से लगता है नहीं पर कोई दिक्कत नहीं थी, हम दोनों भाई बहन ही तो है।

हम दोनों के पास जगह कम होने के कारण हम दोनों सिंगल बेड के पलंग पर दोनों एक साथ ही सोते कभी-कभी दीदी मुझसे चिपक भी जाती मैं कभी उनके 34की छाती वाली चूचियाँ दबा देता कभी वह मेरा गलती से लंड दबा दिया करती। कभी मेरे दिल में दीदी को चोदने का ख्याल नहीं आया और शायद दीदी के भी मैं नहीं आया होगा।

एक दिन मैं अपने कॉलेज के बाथरूम में था मुठ मार रहा था मुझे लगा कि मेरा लिंग टेढ़ा हो गया है मैं घबरा गया मुझे एक दोस्त ने मुठ मारना बन्द करने को बोला मैने एसा ही किया कुछ दिन एक दिन जब मैं दीदी की गांड से चिपककर सो रहा था तब मेरा अपने आप मुठ निकल गया, मैने सुबह देखा तो में घबरा गया फिर मैने अपने दोस्त को फोन लगाया हम दोनों चल दिए सोचते-सोचते क्या करे?

फिर उसे किसी का फोन आया हम उस पते पर चले गए वाहा देखा कि एक वैध जी का बोर्ड टंगा है और अन्दर इलाज चल रहा था, बड़ी लंबी लाइन में लगने के बाद नंबर आया वाहा से हमें एक फार्म देकर भेज दिया गया और बोला गया कि कल आना मैं अपने रूम पर गया दीदी कॉलेज से नहीं आई थी दीदी सेकंड इयर में थी और मैं फ़र्स्ट में।

चुदाई के ज्ञान के मामले में दीदी को ज़्यादा ज्ञान था कि क्या केसे होता है यह मुझे बाद ने पता चला।

मैने रूम में बेड पर वह फॉर्म भरकर रख दिया दीदी साइंस की स्टूडेंट थी उन्हें इन बीमारियों के बारे में पता था पर मैने इसलिए नहीं पूछा कि मुझे यह भ्रम था कि सेक्स की बीमारियों के बारे में डिग्री मिलने के बाद पढ़ाया जाता है। पर दीदी को सब पता था।

मै फॉर्म वहीं भूल गया और बाहर घूमने निकल पड़ा दीदी आयी और उन्होंने फॉर्म देखा मैने ऐसे ही साफ-साफ शब्दों में लिखा था सब जैसे " मेरा लंड टेढ़ा हो गया है और एक रात को मेरा मुठ अपने आप निकल गया और मेरा लन्ड छोटा भी है (यह बात मैने यू ही जोड़ दी थी ताकि मैं अपना लंड बड़ा कर सकू वैसे तो साइज से कुछ नहीं होता पर मैने लिख दिया) ।

इतने में मैं आ गया दीदी के हाथ में फॉर्म देखकर मेरी गान्ड फट गई मैं कुछ बोल भी नहीं पा रहा था, दीदी बोली "क्या है यह सब?"

मै बोला "आपने पढ़ तो लिया मुझे बताने में शर्म आ रही है" दीदी बोली "तुम मुझसे भी पूछ सकते थे मुझे सब पता है तुम इन वैद्य बाबा के चक्कर में क्यों पड़े यह तुम्हारा लन्ड खड़ा ही नहीं होने देंगे"।

दीदी के मुंह से लंड शब्द सुनकर में भौचक्का रह गया दीदी बोली "क्या तुम्हे अपनी बहन से ज़्यादा इन बिना लंड वाले बाबाओं पर भरोसा है?"

दीदी ने फिर लंड शब्द बोला, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब वह लंड बोलती।

मैने कहा "दीदी मुझे आपसे शर्म आती है!"

दीदी बोली "जब वह बाबा तुम्हारी चड्डी उतरवाकर लंड मशीनों से चेक करता तब शर्म नहीं आती?" दीदी गुस्से में थी और मेरी गरदन नीचे दीदी ने वह फॉर्म फाड़ दिया।

अब दीदी बोली "क्या दिक्कत है मुझे बताओ उन बाबाओं को बताते एसा मुझे बता दो"

मै बोला "दीदी मेरा लंड टेढ़ा हो गया है और एक दिन रात की अपने आप मुठ निकल गया और लंड थोड़ा छोटा भी है"।

मेरे मुंह से लंड शब्द सुनकर दीदी को भी अच्छा लग रहा था, फिर दीदी ने दरवाजा लॉक किया और मुस्कुराते हुए पास आयो और मेरा पैंट खींचते हुए बोली "उतार इसे!" मैं शर्मा रहा था दीदी हंस रही थी बोली "बाबाओं के सामने तो वह बोल देते तो अपनी गांड भी मेरा लेता अब मेरे सामने शर्मा रहा है"।

दीदी आज कुछ ज़्यादा ही खुल गई थी मुझसे।

मैने शरमाते हुए पैंट का बटन खोला दीदी मेरे सामने ऐसी बैठ गई जैसे चूस रही हो दीदी ने पैंट को पूरा उतारने को कहा फिर शर्ट भी उतरा दी अब सिर्फ़ चड्डी बची थी।

उसे देख दीदी बोली "यह क्या मेरे लिए है" इससे पहले कि मैं उसे उतारता दीदी ने गुस्से में चड्डी फाड़ दी जो की थोड़ी फटी भी थी।

मै बोला "दीदी इसने क्या बिगाड़ा था तेरा मेरे पास दो तो चड्डिया है अच्छी वाली तुमने फाड़ दी अब मैं क्या करूंगा घर से पैसा नहीं आया अभी"।

दीदी फ्लर्ट करते हुए बोली "मेरे पास बहुत सारी हैहे मेरी पहन लेना" मैने भी बोल दिया कि "मै तो जो पहनी है तुमने वहीं उतार के पहनूंगा" दीदी मेरे मुंह को देखती रह गई जो कि कुछ वक़्त पहले शर्म से नीचे झुका था।

मेरा लंड दीदी ने अब अपने हाथ में लिया चमड़ी पीछे की और बोली "कहा है टेढ़ा दिखाओ?" मैं बोला "अभी थोड़ी दिखेगा खड़ा तो होने दो" दीदी बोली "कब होगा खड़ा?" मैं बोला "पता नहीं"।

इतने में दीदी मेरे लंड की सहलाने लगी मैं चाह रहा था कि लंड खड़ा ना हो ताकि दीदी कुछ आजमाए एसा ही कुछ हुआ।

कुछ देर बाद दीदी बोली "उसमे दिक्कत हैहे यह खड़ा नहीं हो रहा नहीं तो अभी तक किसी लड़की के हाथ में आते ही सलामी देने में पीछे नहीं हटता" दीदी मुस्कुरा रही थी।

अब दीदी ने गप्प से लंड मुंह में डाल लिया लंड फट से खड़ा हो गया दीदी चूसने लगी थोड़ी देर बाद दीदी ने मुंह से बाहर निकाला दीदी बोली "सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि तुमने अभी तक सेक्स नहीं किया, बताओ कहा से हैहे तेढ़ा" मैने हाथ लगा के बताया दीदी ने कहा "लंड एसा ही होता है मेरी बुक में नाना हुआ हैहे लंड और अगर लंड टेढ़ा हो तो चूत में और ज़्यादा मज़ा आता है"।

दीदी बोली "बताओ कितना छोटा हैहे" दीदी शुरू में अपने हाथ से नापने लगी फिर टेप लाई मेरा लंड 6' 5 इंच का निकला दीदी बोली "इतना बड़ा हैहे ये हमारी बुक में लिखा है 80% आदमियों का लन्ड 5 इंच तक होता है और सिर्फ़ 20%का बड़ा होता है मुबारक हो भाई"।

मै खुश था दीदी ने फिर से लंड पकड़ा और देखने लगी मैं बोला "दीदी अब कपड़े पहन लू" दीदी ने हा कहा पर ने बोला "दीदी आपने तो मेरी चड्डी फाड़ दी अब मैं आपकी लूंगा" दीदी बोली ले ले।

हम एक और बीमारी तो भूल गए थे चलो आगे इलाज करवाता हूँ।

मै दीदी के पास गया वह भागने की कोशिश करने लगी पर मैने पकड़ लिया ओर दीदी कि लैगि पकड़ ली वह भागी तो दीदी की लेगी उतर गई ओर शायद थोड़ी फट भी गई।

दीदी को गुस्सा-सा आया वह बोली "ज्यादा शोक है मेरी चड्डी पहनने का ले" ऐसे बोलती हुई उसने अपने कपड़े उतार दिए और चड्डी उतारकर बोली "चल पहन अब तू यही पहनेगा" दीदी की चिकनी चूत चमक रही थी मैने दीदी की चड्डी देखीं वह गीली थी मैने चड्डी पहन ली।

दीदी हसने लगी और बोली रुक तेरा एक फोटो खींच लू दीदी ने फोटो लिया और मुझे याद आया एक और बीमारी का मैने पूछा "मुठ निकल जाता है उसका क्या करू?" दीदी बोली "रोज किसी की चूत में डाल के सोया कर सब ख़तम हो जाएगा" मैं बोला "अब चूत किसकी लाऊ?" दीदी बोली "देख ले सोने हिसाब से मैं तो अभी तक उंगली से काम चलाती थी आगे भी चला लूंगी"।

मैने दीदी को जोर से किस किया और बेड पर पटक दिया और एक झटका मारा दीदी की चूत में आधा ही लंड गया दीदी सील पैक वर्जिन थी दीदी को बहुत दर्द हुआ दीदी चिल्लाई गिड़गिड़ाई, मैं वीडियो भी बना रहा था ताकि दीदी को बाद में दिखा सकू।

दीदी को कुछ देर बाद मज़ा आने लगा मैं चोदता ही रहा।

उस रात हमने पूरी रात चुदाई की और अब हम रोज चुदाई करते घर पर कपड़े नहीं पहनते कपड़ों का खर्च भी कम हो गया था और चड्डी तो सिर्फ़ दीदी कि आती दीदी मुझे उनकी चड्डी ही पहनती।

अगर स्टोरी अच्छी लगी हो तो 5स्टार ज़रूर देना।

मै जल्द ही अगला अपडेट पोस्ट करूंगा इस कहानी का उसमे लिखा है

केसे मेरे दोस्तों ने मेरी गांड और दीदी की चूत मारी मेरे कारण,

हमने पैसे कमाने चालू कर दिए मैं जिगोलो ऑर दीदी मेरी दलाल बन गई​