Do bahno ki Ek Sath Chudai ki desi kahani - HINDI FONTs.
दीप्ति और वन्दना दोनों बहनों को एक साथ चोदा।
मैं एक शादीशुदा 42 साल का व्यक्ति हूँ और पेशे से फोटोग्राफर हूँ, इस वजह से चूत की कोई कमी नहीं है, मेरे लन्ड सात इंच लम्बा व ढाई इंच मोटा है जो किसी भी औरत की चूत की गहराई नापने के लिए काफी है।
तो चलिए ज्यादा टाइम ना बर्बाद करते हुए कहानी पर आते हैं।
टाइम सुबह के 11.30 बज रहे हैं और मैं अपने आफिस के स्टूडियो में दो नई मॉडल्स का फोटो शूट कर रहा हूँ, तभी मेरे फ़ोन पर दीप्ति की कॉल आती है।
दीप्ति मेरी माशूक है, वो शादीशुदा है और तीन बच्चों की माँ है। पर उसे देख कर कोई कह नहीं सकता कि वो तीन बच्चों की माँ होगी। उसका शरीर बिल्कुल कसा हुआ है। हम दोनों के सम्बन्ध को 10 साल हो गए हैं। इन दस सालों में मैंने दीप्ति को इतनी बार चोदा है कि इतनी बार तो वो अपने पति से भी नहीं चुदी होगी.
खैर मैंने फ़ोन पिक किया- कहो मेरी जान, आज सुबह सुबह कैसे याद किया?
दीप्ति - याद तो तुम हमेशा आते हो जानू, पर आज मैंने तुम्हें तुम्हारे ही मतलब की बात बताने के लिए फ़ोन किया है।
मैं- अच्छा तो बताओ क्या है वो बात?
दीप्ति - जानू, क्या तुम शनिवार की छुट्टी ले सकते हो ओफिस से?
मैं- क्यों क्या इरादा है, फिर से चूत मरवानी है क्या? अभी परसों ही तो हमने दो घण्टे तक सेक्स किया था तुम्हारे घर।
दीप्ति - वो तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है, और हां इस बार हम आगरा जाएंगे।
मैं- ठीक है मेरी जान मैं ले लूंगा छुट्टी।
दीप्ति - ठीक है, फिर मैं तुम्हे शनिवार को सुबह 10 बजे बस अड्डे पर मिलूंगी।
मैं- ओके मेरी जान, बाये लव यू।
शनिवार को मैं अपनी कार से बस अड्डे पहुंचता हूँ, मुझे वहां दीप्ति कहीं दिखाई नहीं देती, पांच मिनट बाद मैं दीप्ति को फ़ोन लगाता हूँ पर उसका फ़ोन नहीं लगता, मैं निराश होकर वापिस जाने लगता हूँ, तो मेरी नज़र सामने खड़ी दीप्ति की छोटी बहन पिंकी पर पड़ती है.
वो मुझे देख कर मुस्कुरा कर हाथ हिलती हुई मेरी तरफ आती है और आकर मुझे बांहों में भर लेती है, मैं उसे देख कर हैरान हो जाता हूँ।
क्या माल लग रही थी वो... उसने एक सफेद रंग की फ्रॉक पहनी थी जिस पर गुलाबी रंग के फूल प्रिंट थे, जिसकी लम्बाई उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर थी जिस कारण उसकी चिकनी सफेद जांघें दिख रही थी.
मेरा लन्ड तो उसे देख कर ही खड़ा हो गया।
पिंकी - क्या बात जीजू, मुझे देख कर आप खुश नहीं हुए?
मैं- अरे नहीं ऐसी बात नहीं है, बस मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा।
पिंकी - वैसे आप यहां क्या कर रहे हो, शायद दीदी से मिलने आये थे।
मैं- हाँ, हमने आगरा जाना था पर लगता वो घर पर कोई बहाना ना लगा पायी होगी। तभी ही नहीं आयी। और फ़ोन भी नहीं लग रहा।
पिंकी मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली- कोई बात नहीं, मैं चलती हूँ तुम्हारे साथ, मेरे प्यारे जीजू आप ऐसे उदास अच्छे नहीं लगते।
वैसे भी मैं दीदी को बता कर तो आयी नहीं हूं।
मैं- तो चलो फिर बैठो गाड़ी में, चलें फिर पहाड़ों की सैर करने।
पिंकी - मेरा तो मन आज किसी और चीज़ पे सैर करने को हो रहा है.
वो मेरे लन्ड को घूरते हुए बोली।
मैं- आज तुम जिस पे बोलोगी उस पर सैर करवा दूंगा, लेकिन इसके बारे दीप्ति को नहीं पता लगना चाहिए।
पिंकी - आप उसकी चिंता मत करो जीजू, दीदी को कुछ पता नहीं चलेगा। जीजू, आगरा में मेरी एक सहेली के पति का होटल है हम वहां कमरा बुक करवा लेते हैं फ़ोन पर।
पिंकी ने फ़ोन कर के कमरा बुक करवा लिया।
अब हमारी गाड़ी आगरा की तरफ दौड़ रही है।
पिंकी - आप को देख कर मुझे कुछ होने लगता है।
मैं उसकी जांघों पे हाथ फेरते हुए पूछता हूँ- क्या होता है।
पिंकी मेरे हाथ को फ्रॉक के अंदर डाल कर अपनी चूत पे रख कर बोली- यहां कुछ होने लगता है, ये गर्म हो जाती है।
मैं- कोई बात नहीं, इसे तो रूम में जाकर ठंडा कर दूंगा.
मैंने उसकी कच्छी के ऊपर से ही चूत पर हाथ फेरते हुए कहा तो उसने मस्ती में आँखें बंद करते हुए मेरा हाथ अपनी चूत पर दबा दिया।
अब पहाड़ी रास्ता शुरू हो गया था, मैंने एक सिगरेट जलाई और कश मारते हुए गाड़ी चला रहा था.
पिंकी ने भी सिगरेट मांगी तो मैंने उसे पैकेट पकड़ाया तो बोली- जो पी रहे हो उसी में से दो कश लगवा दो!
मैंने सिगरेट दी तो वो किसी रंडी की तरह कश मारने लगी।
हम लगभग आधा सफर तय कर चुके थे।
पिंकी - जीजू, मुझे भूख लग रही है।
मैं- आगे कोई दुकान से लेते हैं कुछ खाने को।
पिंकी - कुछ लेने की जरूरत नहीं है मैं घर से ब्रेड ऑमलेट लायी हूँ, बस आप कहीं छाँव में गाड़ी खड़ी करो, हम वहां खा लेते हैं।
मैं- अरे वाह ऑमलेट है तो मैं तो पेग लगाऊंगा।
मुझे थोड़ी दूर एक दुकान नज़र आई। मैं गाड़ी से उतर कर दुकान से एक लिम्का की बोतल एक गिलास ओर कुछ खाने को ले आया।
पिंकी - क्या जीजू एक ही गिलास लाये, आप किसमें पियोगे?
यह बोल कर वो आंख मार कर हँसने लगी।
मैं एक गिलास और ले आया। मेरी आदत है जब मैं कहीं बाहर जाता हूं तो शराब साथ में जरूर लाता हूँ आज मेरे पास वोडका की दो बोतल थी।
चियर्स बोल कर हमने दो दो पेग लगाए और नाश्ता करने के बाद एक सिगरेट लगाई और चल पड़े आगरा की ओर!
थोड़ी दूर जाने के बाद पिंकी बोली- जीजू, मुझे सुसु आयी है जरा कहीं साइड में गाड़ी रोक देना.
मैंने एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक दी। पिंकी जल्दी से उतर कर पिशाब करने भागी और एक पेड़ की ओट में पिशाब करने लगी। पेड़ की ओट से मुझे उसकी आधी गोरी गांड दिखी जिसे देख कर मेरा लन्ड खड़ा हो गया। उसने गुलाबी कच्छी पहनी थी।
जब वो पिशाब करके आने लगी तो मैं भी मूतने लगा। वो तिरछी नज़रों से मेरे लन्ड को देख कर मुस्कुराने लगी क्योंकि मेरा लन्ड उसकी गांड देख कर पूरी तरह तो नहीं पर खड़ा हुआ था.
वो जाकर गाड़ी में बैठ गयी.
मैं भी मूत कर आया और गाड़ी स्टार्ट करते हुए बोला- पेंटी तो मैचिंग डाली है तुमने ड्रेस के साथ!
उसे शराब का नशा हो गया था तो वो फ्रॉक को ऊपर उठा कर बोली- ठीक से देख लो जीजू... किसने मना किया है.
मैंने झुक कर उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से चूम लिया और फिर उसकी पैंटी की साइड से उसकी चूत में उंगली करने लगा.
ऐसा करने से वो मस्ती से आने होंठों को दांतों से चबाने लगी। मैं अब गाड़ी से नीचे उतर गया और उसकी दोनों टांगें सीट से बाहर निकाल दी और उसकी पैंटी निकाल कर उसकी चूत चाटने लगा.
पिंकी मस्ती से मेरा सर अपनी चूत पर दबा रही थी। उसके मुंह से कामुक आवाजें आ रही थी, वो 'आह आह... सस्सश जीजूऊऊ...' बोल रही थी.
थोड़ी देर बाद उसने मेरा मुंह अपनी टांगों में कस लिया। वो झड़ चुकी थी, मैं उसका सारा पानी चाट गया.
अब वो खड़ी हुई और मुझे सीट पर बिठा कर खुद नीचे बैठ कर मेरा लन्ड पैंट से निकाल कर चूसने लगी क्योंकि मैं और पिंकी आज पहली बार सेक्स कर रहे थे तो मैं ज्यादा अभी कुछ करना नहीं चाहता था। थोड़ी देर बाद मैं भी उसके मुंह में झड़ गया.
फिर हमने अपने आप को ठीक किया और चलने लगे और आधे घण्टे बाद हम आगरा पुहंच गए।
गाड़ी पार्किंग में लगा कर हम होटल में गए। पिंकी ने रूम बुकिंग के बारे में रेसेप्शननिस्ट से बात की तो बोली- आपका रूम नंबर *** है और वो खुला ही है.
यह सुन कर मैंने पिंकी से कहा- तुम रूम में चलो, मैं सामान लेकर आता हूँ.
जब मैं सामान लेकर आया मैंने डोर बेल बजाई जब दरवाजा खुला तो मेरा दिमाग घूम गया, मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था मेरा मुंह खुला का खुला रह गया.
दरवाजा जिसने खोला वो और कोई नहीं... दीप्ति थी, उसने काले रंग की थ्री पीस ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उसके मोम्में बाहर आने को तड़प रहे थे उसके मोम्में के बीच एक काला तिल है जो बहुत ही सेक्सी लग रहा था।
दीप्ति मेरी आँखों के आगे हाथ हिला कर बोली- क्यों लगा झटका? कैसा लगा मेरा सरप्राइज़?
मैं पिंकी की तरफ देख कर हँसा और दीप्ति से बोला- क्या तुम दोनों इस प्लान में शामिल थी?
दीप्ति - हाँ मेरी जान, अभी एक सरप्राइज़ और बाकी है। चलो अब दरवाजे पर ही खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे?
मैंने सामान टेबल पर रखा, दीप्ति को बांहों में ले लिया और उसके होंठों पे होंठ रख कर एक दूसरे चूमने लगे.
यह देख कर पिंकी बोली- अरे थोड़ी शर्म करो। कोई और भी है इस रूम में!
हम एक दूसरे से अलग हुए और बैठ गए।
मैं- दीप्ति, वैसे तुमने ये प्लान कैसे सोचा और इसमें पिंकी को कैसे शामिल किया?
दीप्ति - जिस दिन मैंने तुम्हें यहां आने के लिए फ़ोन किया, उसके थोड़ी देर बाद मुझे याद आया कि पिंकी का पति साहिल भी टूर पर 3 दिन के लिए गया हुआ है। और इसे हमारे बारे में सब पता है और इसे ये भी पता है कि हमें एक दूसरे के साथ सेक्स करने में क्या क्या पसंद है। तो मैंने इसे अपने साथ चलने को कहा। तो ये भी मान गयी और उसके बाद इसने ही ये सब प्लान किया और मैं कल शाम को ही बस से यहां आकर होटल ले लिया।
मैंने दीप्ति के कान में पूछा- हम इसके सामने सेक्स कैसे करेंगे?
दीप्ति - तुम उसकी चिंता छोड़ दो, चलो अब तुम्हारा दूसरा सरप्राइज़ खोल देती हूं। तुम मुझसे हमेशा मेरे और मेरी किसी सहेली या बहन के साथ थ्रीसम करना चाहते थे। तो तभी मैंने इसे यहां बुलाया है। अब इसे मनाना तुम्हरा काम है.
यह सुन कर मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया।
पिंकी - तुम दोनों क्या खुसुर पुसुर कर रहे हो?
मैं- अरे कुछ नहीं साली साहिबा, चलो पहले दो दो पेग हो जाये।
पिंकी - जीजू, मैं पहले कपड़े बदल लूं।
दीप्ति - जानू, तुम भी चेंज कर लो!
तब तक पिंकी भी चेंज कर के बाथरूम से आ गयी। उसने बहुत हो छोटी स्कर्ट पहनी थी जो उसकी चूत से थोड़ी नीचे थी और एक टीशर्ट पहनी थी जो सिर्फ उसके मोम्मो को कवर कर रही थी। यानि उसका सारा पेट नंगा था और उसकी गहरी नाभि कहर ढा रही थी.
मैंने पिंकी को कहा- वोडका गिलास ओर कोल्ड ड्रिंक ले आओ!
वन्दना झुक कर टेबल से सामान उठाने लगी तो पीछे से उसकी सारी गांड साफ साफ दिखने लगी। उसने काले रंग की थोंग (एक तरह की पेंटी) डाली थी जो दीप्ति भी देख रही थी.
वो मुझे देख कर इशारे से पूछा- कैसे करोगे?
तो मैंने भी 'मैं सब संभाल लूंगा.' का इशारा कर दिया।
वन्दना ने सारा सामान लाकर बेड पर रख दिया और खुद भी मेरे और दीप्ति के सामने चौकड़ी मार कर बैठ गयी। ऐसे बैठने से उसकी थोंग साफ साफ दिख रही थी। मैंने तीनों के पेग बनाये और उनमें लिम्का डाला जो हमने रास्ते लिया था.
जब हमने एक एक घूंट भरा तो वो गर्म हो गया था। पर इतना भी नहीं कि पिया ना जाये.
मेरी और दीप्ति की नजरें पिंकी की चूत पर ही थी। मेरा लन्ड तन कर लोहा हो गया था। मैं एक बार वन्दना को अकेले में चोदना चाहता था तो मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने दीप्ति के फ़ोन पर मैसेज किया कि वो थोड़ी देर के लिए मार्किट जाकर आये.
फिर हमने अपनी अपनी ड्रिंक खत्म की तो दीप्ति वन्दना से बोली- वन्दना, फ्रिज में जूस का डब्बा होगा, वो निकाल ले... वो ही वोडका में डाल लेंगे। मैं बस सुसु कर के आयी।
यह कह कर दीप्ति वाशरूम गयी और दरवाजा बंद कर लिया।
उधर वन्दना फ्रिज से जूस निकालने के लिए झुकी तो मैंने उसकी गांड में लन्ड दबा दिया।
वन्दना- जीजू क्या कर रहे हो? दीदी आ जायेगी, हम रात को दीदी के सोने के बाद चुदाई करेंगे।
इतने में फ्लश चलने की आवाज आई तो मैं बेड पर वैसे ही बैठ गया और दीप्ति अंदर आ गयी।
वन्दना- दीदी, जूस तो आधा ही डिब्बा है।
दीप्ति - कोई बात नहीं अभी तुम दोनों एन्जॉय करो मैं मार्किट से जूस ले कर आती हूँ, कुछ और लाना हो तो बता दो।
मैं- जानम सिगरेट और कुछ नमकीन भी ले आना।
दीप्ति कपड़े चेंज करके चली गयी।
मैं- देखा भगवान ने हमें मौका दे ही दिया।
वन्दना- हां, अब तो आप अपने मन की करोगे।
मैं- नहीं बेबी, जैसा तुम कहोगी वैसा करेंगे।
वन्दना- रुको पहले मैं ड्रिंक बना लूं।
उसने दो ड्रिंक बनाये और मेरे पास आकर मेरा लोअर उतार दिया और मुझे सोफे पर बिठा दिया.
ड्रिंक लेकर वन्दना मेरे पास आई और मेरी जांघों पर बैठ गयी। ड्रिंक की एक चुस्की लेने के बाद वन्दना ने अपनी ड्रिंक मुझे पकड़ाई और अपनी टीशर्ट उतार दी। उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी। मैं उसके 32 साइज के चुचे देख कर पागल हो गया और उन्हें चूसने लगा.
वन्दना के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी, वो 'आहह आहह और चूसो जीजू आह...' बोलने लगी.
मैं अब शराब भूल चुका था तो वन्दना बोली- जीजू ऊऊ रुको!
मैं रुक गया.
वन्दना ने मेरा पेग उठाया और उसमें अपने दोनों चुचे डुबो दिए और उन्हें मेरे मुंह में देने लगी.
मैं फिर से उसके शराब लगे चुचों को चूसने लगा.
सच बताऊं दोस्तो... उसके चुचे बिल्कुल रुई की तरह नर्म और सफेद थे और उनका निप्पल हल्का ब्राउन रंग का था। चुचों की हरी हरी नसें साफ दिख रही थी.
अब मैंने उसके चुचे छोड़ दिए और उसे स्मूच करने लगा। हम दोनों की जीभ आपस में मिलने लगी और हम एक दूसरे का थूक शेयर कर रहे थे। मैंने उसका सारा चेहरा थूक से गीला कर दिया.
कुछ देर बाद हम अलग हुए। वन्दना जोर जोर से सांस ले रही थी जिससे उसके चुचे ऊपर नीचे हो रहे थे। यहां मेरे लन्ड की हालत बुरी हो रही थी, उसमें दर्द होना शुरू हो गया था। फिर वन्दना ने मेरा वी शेप का अंडरवियर उतार कर मेरा लन्ड अपने पेग में डुबो दिया। लन्ड को अच्छी तरह गीला करके वो सोफे पर घोड़ी बन कर लन्ड चूसने लगी.
मैं अपना हाथ घुमा कर उसकी कच्छी के साइड से उसकी चूत में उंगली करने लगा। वन्दना मेरा पूरा लन्ड गले के अंदर तक ले कर चूस रही थी। बीच बीच में वो मेरे लन्ड के टोपे को अपनी जीभ से चाट रही थी। वो बिल्कुल किसी पोर्न स्टार की तरह लन्ड को चूस रही थी.
थोड़ी देर बाद मैंने उसे खड़ी होने को कहा तो वो बोली- रोक क्यों दिया जीजू? बहुत मजा आ रहा था तुम्हरा केला चूसने में!
मैं बोला- डार्लिंग, मुझे भी तो तुम्हारी चूत के पानी को चखना है.
फिर मैंने उसे घुमा दिया। अब उसकी गांड मेरी तरफ थी। मैंने उसकी जांघों पर हाथ फेरते हुए उसकी स्कर्ट उतार दी और उसके चूतड़ों को चूसने और चाटने लगा.
वो बोली- जीजू यु आर टू गुड इन सेक्स। (जीजू आप सेक्स करने में बहुत माहिर हो.)
फिर मैंने उसे गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और उसकी कच्छी उतार दी। उसकी चिकनी चूत में उसका पानी ओस की बूंद की तरह चमक रहा था। मैंने एक बार अपना पूरा हाथ उसकी चूत पर फेरा, फिर मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दी और आगे पीछे करने लगा.
वन्दना भी अपनी गांड ऊपर कर कर के धक्के मारने लगी। मैंने उंगलियाँ बाहर निकाली, मेरा पूरा हाथ उसके चूत के पानी से गीला हो गया था। मैंने दोनों उंगलियाँ उसके मुंह में दे दी। उसने भी उन पे लगा अपनी चूत का सारा पानी चूस लिया.
अब मैंने उसकी दोनों टांगों को चौड़ा किया और उसकी चूत चाटने लगा। वो जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी 'उम्म्ह... अहह... हय... याह...'
मैं अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत के दाने को छेड़ने लगा। वो अपने दोनों चुचों को दबाते हुए सिसकारियां भरने लगी। मेरे इस तरह चूत चाटने से वन्दना इतनी चुदासी हो गयी कि उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और आहह आहह करने लगी.
तभी मुझे मेरे होंठों पर कुछ प्रेशर सा महसूस हुआ। मुझे लगा शायद वन्दना का मूत निकल गया। लेकिन वो उसका मूत नहीं बल्कि उसकी चूत का पानी था जो उसकी जांघों से होता हुआ उसकी गांड की तरफ बह रहा था.
मैंने वो सारा पानी चाट लिया.
उसे मैंने बेड पर चित लिटा दिया। उसकी टांगें उठा कर अपने कंधों पर रख ली। मैंने अपने लन्ड का टोपा उसकी चूत पर सेट किया और एक ही झटके में पूरा लन्ड उसकी चूत में उतार दिया.
वन्दना की आंखों से पानी निकल आया। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी पीठ पर अपने नाखून गाड़ दिए.
मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। वन्दना भी मस्ती से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लन्ड को अपनी चूत में ले रही थी और बोले जा रही थी- ओह जीजू... फ़क मी हार्ड! और जोर से चोदो! यस यस यस... आहह आहह!
थोड़ी देर बाद मैंने अपना लन्ड बाहर निकाला तो वो भी उठ कर बैठ गयी.
मैंने फिर से अपना लन्ड उसके मुंह में दे दिया। वो मेरे पूरे लन्ड को मुंह में लेती और झटके के साथ बाहर निकालती तो पक्क की आवाज आती। कभी वो मेरे टोपे को जीभ से चाटती और कभी मुठ मारने लगती.
फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत चाटी और अपना लन्ड पेल दिया। फिर मैंने धक्के मारने शुरू कर दिए। इस दौरान वो 2-3 बार झड़ चुकी थी तो वो थक गई थी.
मैंने उसे थोड़ी लेटा दिया। उसकी सांस फूली हुई थी जिससे उसके चुचे ऊपर नीचे हो रहे थे.
थोड़ी देर बाद मैं चित लेट गया और उसे अपने लन्ड पे बिठा लिया। वो मेरे लन्ड पर छलांगें लगाने लगी। उसके चुचे हवा में ऊपर नीचे हो रहे थे.
मैं उसके निप्पल चुटकी में लेकर मसलने लगा.
थोड़ी देर बाद वो बोली- ओह जीजू... आई एम कमिंग!
मैंने उसे उसकी चूत में से बिना लन्ड निकाले पलट दिया और दस पन्द्रह धक्के मारने के बाद हम दोनों साथ में झड़ गए.
मैं उसके ऊपर से उठ कर उसकी बगल में लेट गया। वो मेरी छाती पर सर रख कर लेट गयी.
मैंने उसकी गांड पर हाथ फेरते हुए पूछा- तो साली साहिबा कैसी लगी जीजू के लंड की सैर?
वन्दना- पूछो मत जीजू... बहुत मजा आया, मुझे आज तक साहिल ने भी इस तरह नहीं चोदा।
मैं- मेरा लन्ड तुम्हें कैसा लगा?
मैंने उसका हाथ अपने लन्ड पर रखते हुए पूछा।
वन्दना- बहुत ही प्यारा और तगड़ा लन्ड है आप का! साहिल का लन्ड तो आपके लन्ड के आगे कुछ भी नहीं। अच्छा ये बताओ कि आप को मेरी चूत कैसी लगी?
उसने अपनी टांगों को चौड़ी करते हुए मुझसे पूछा।
मैंने देखा कि उसकी चूत से हम दोनों का पानी मिक्स हो कर उसकी गांड के नीचे की तरफ जा रहा था.
उसकी चूत में दो उंगलियाँ डाल कर मैंने सारा पानी निकाला और उसके चुचों पर मल दिया और बोला- सच पूछो तो तुम दोनों बहनों की चूत बहुत मस्त है। तुम दोनों ही अपनी चूत की बहुत सफाई रखती हो जो मुझे बहुत पसंद है।
यह सुन कर वो मुझे चूमने लगी उसकी जीभ मेरी जीभ से खेलने लगी।
वन्दना- जीजू आप तो चूत को चाटते भी बहुत अच्छा हो, मन करता है कि आपसे सारा दिन बस चूत ही चटवाती रहूं।
मैं- क्या तुम दोबारा मुझसे सेक्स करना चाहोगी?
वन्दना- जीजू, वो औरत पागल ही होगी जो एक बार आपका लन्ड ले कर दोबारा न ले। आप रात को दीदी के सोने के बाद मेरे रूम में आ जाना, फिर हम दोबारा से सेक्स करेंगे।
मैं- वन्दना, अगर हम तीनों आज एक साथ मिल कर सेक्स करे तो तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं?
वन्दना- आप पागल तो नहीं हो जीजू, माना हम दोनों बहनें आपस में ओपन है, पर इतनी भी नहीं के दोनों एक साथ चुदें। और फिर दीदी भी क्या सोचेगी।
मैं- तुम अपनी दीदी की चिंता मत करो, मैं सारा प्रोग्राम सेट कर लूंगा। बस तुम बताओ कि क्या तुम तैयार हो क्योंकि मैंने भी आज तक थ्रीसम नहीं किया है.
मैंने उसे झूठ बोला।
वन्दना- अगर ये बात है तो मैं भी तैयार हूं, मैंने भी बहुत सी थ्रीसम मूवी देखी है पर कभी मौका नहीं मिला ऐसे करने का! अब दीदी को मनाना आप का काम है।
मैं- ये हुई ना बात मेरी जान!
यह कह कर हम फिर से स्मूच करने लगे.
इतने में डोर बैल बजी। वन्दना जल्दी से अपने कपड़े ले कर वाशरूम में घुस गई। जल्दबाजी में उसकी कच्छी नीचे ही गिरी रह गयी। मैंने भी बिना अंडरवियर के लोअर पहना और दरवाजा खोल दिया।
मैंने दरवाजा खोला तो दीप्ति अंदर आयी और सामान टेबल पर रखती हुई बोली- उफ्फ... बाहर तो बहुत गर्मी है.
और इशारे से वन्दना के बारे पूछा तो मैंने वाशरूम की तरफ इशारा किया.
दीप्ति की नज़र जमीन पर गिरी वन्दना की पेंटी पर गयी वो पेंटी को उठा कर धीरे से मुझे बोली- तो लगा ली जनाब ने मेरी बहन की चूत में डुबकी? कैसी लगी फिर उसकी चूत?
मैं- चूत तो उसकी मस्त है पर तुमसे कम!
यह बोल कर मैंने दीप्ति की चूत पर उसकी लेगिंग के ऊपर से ही हाथ फेर दिया।
दीप्ति - आपने थ्रीसम के बारे में बात की उस से?
दीप्ति गिलास में जूस डालती हुई मुझसे बोली।
मैं- हाँ कर ली! पर बहुत मुश्किल से मानी वो! बोल रही थी कि मुझे दीदी के साथ शर्म आएगी।
दीप्ति - जानू, मैंने तुम्हारे लिए उसे बुला तो लिया पर शर्म तो मुझे भी आएगी।
मैं- तुम चिंता मत करो मेरी जान!
मैंने उसके हाथ से गिलास लेकर टेबल पर रखा और उसे स्मूच करते हुए बोला- मैं सब संभाल लूंगा।
इतने में वन्दना भी वाशरूम से नहा कर बाहर आ गयी। उसने अपने बदन पर सिर्फ टॉवल लपेट रखा था.
दीप्ति को देख कर वो बोली- अरे दीदी, आप कब आयी?
दीप्ति उसे उसकी कच्छी दिखाती हुई बोली- जब तू ये लेना भूल गई थी.
वन्दना ने शर्म से अपनी आंखें झुका ली और बोली- ये पता नहीं कैसे यहां रह गयी.
और ये बोलते हुए उसने दीप्ति के हाथ से अपनी पेंटी ले ली।
दीप्ति उसका चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेते हुए बोली- मेरी प्यारी बहना... हम यहां मस्ती करने तो आये हैं। तो अब अगर साहिल यहां नहीं है तो तेरा मन भी तो कुछ करने को करता ही होगा। और ऐसे में अगर तूने अपने जीजू के साथ थोड़े बहुत मजे ले भी लिए तो कौनसा तूफान आ गया।
वन्दना- ओह दीदी, आप कितनी अच्छी हो!
यह कह कर उसने दीप्ति को बांहों में भर लिया.
उसके ऐसा करने से उसका टॉवल खुल कर नीचे गिर गया। वो बिल्कुल नंगी हो गयी और हम दोनों उसे देख कर हँसने लगे.
वन्दना ने अपने दोनों हाथ अपनी चूत पर रख लिए।
दीप्ति - ले अभी कम से कम ये तो पहन!
दीप्ति ने उसे उसकी पैंटी देते हुए कहा।
वन्दना ने हँसते हंसते पेंटी पहनी और ऊपर मेरी बनियान पहन ली।
मैं- अच्छा, अब लंच का क्या प्रोग्राम है?
दीप्ति - आप लंच आर्डर करो, तब तक मैं नहा लूं, सारा शरीर पसीने से भीगा हुआ है।
मैं- नहाना तो मुझे भी है, वन्दना तुम लंच आर्डर करो तब तक मैं और दीप्ति नहा लेते हैं। इस से टाइम भी बचेगा।
दीप्ति ने अपने बैग से कपड़े निकाले और वाशरूम में जाने लगी तो मैंने उसे कहा- अरे अपने कपड़े तो उतार दो।
दीप्ति - नहीं, मैं अंदर ही उतारूंगी।
मैं- मैं तुम्हें पूरी नंगी होने को नहीं बोल रहा हूँ, यहां अपनी लेगिंग और शर्ट उतार दो, देखो वन्दना भी तो पेंटी में ही है।
दीप्ति ने रूम में ही अपने कपड़े उतार दिए। मैंने भी लोअर के ऊपर टॉवल बांध कर लोअर उतार दिया और हम दोनों बाथरूम में चले गए.
मैंने टॉवल खोल दिया। मुझे देख कर दीप्ति ने भी अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे.
दीप्ति ने शावर चलाया और मुझे पकड़ कर शावर के नीचे ले गयी। नीचे बैठ कर वो मेरा लन्ड चूसने लगी.
तभी वो बोली- इसमें से मेरी बहन की चूत की खुशबू आ रही है.
मेरा लन्ड तन कर मूसल हो गया था.
फिर मैंने दीप्ति को खड़ी किया और उसकी एक टांग वाशबेसिन पर रख दी और उसकी चूत चाटने लगा.
दीप्ति एक हाथ से अपने चुचे दबाते हुए सिसकारियां भरने लगी.
फिर मैंने खड़े होकर उसकी चूत में लन्ड पेल दिया और लगा धक्के मारने! दीप्ति के चुचे हवा में झूलने लगे.
थोड़ी देर बाद दीप्ति थक गई तो मैंने उसे बाथरूम की सेल्फ पर बिठा कर उसकी टांगें चौड़ी करके लन्ड पेल दिया.
धक्कों के साथ साथ मैं उसके चुचे और होंठ चूसने लगा। कुछ देर बाद दीप्ति जोर से चिल्लायी और झड़ गयी.
मैंने दीप्ति को जमीन पे खड़ी करके झुका दिया और पीछे से उसकी चूत में लन्ड डाल कर चोदने लगा। दस पन्द्रह धक्कों के बाद मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने उसकी चूत से लन्ड निकाल कर दीप्ति के मुंह में दे दिया और अपना सारा लावा उसके मुंह में भर दिया.
दीप्ति सारा माल गटक गयी और मेरे लन्ड को चूस कर साफ कर दिया.
उसके बाद हम दोनों नहाये और कपड़े पहन कर बाहर आ गए।
वन्दना ने भी कपड़े पहन लिए थे। उसने अब गुलाबी रंग टाइट निक्कर और सन्तरी रंग की स्पोर्ट्स ब्रा पहनी हुई थी और वोडका की चुस्की ले रही थी।
वो हमारी तरफ देख कर हँसती हुई बोली- बड़े जोर शोर से नहा रहे थे?
तो दीप्ति बोली- आज तो थोड़ा कम शोर हुआ... असली शोर तुझे फिर कभी सुनाएंगे।
इतने में वेटर लंच लेकर आ गया। मैंने अपना और दीप्ति का पेग बनाया। दो दो पेग लगाने के बाद हमने खाना खाया।
खाने के बाद मैं बेड पर लेट कर सिगरेट के कश लगाने लगा खाने के बर्तन साइड में रख कर दीप्ति मेरी बगल में आकर लेट गयी और वन्दना हमारे पाओं की तरफ बैठ कर सिगरेट पीने लगी।
दीप्ति मेरा लन्ड सहलाते हुए वन्दना से बोली- जल्दी से सिगरेट खत्म कर और मेरे सामने अपने जीजू के साथ मस्ती कर!
इससे पहले वन्दना कुछ कहती, मैं बोला- दीप्ति, क्यों ना अब हम तीनों एक साथ सेक्स करें?
दीप्ति - तुम्हारा मतलब हम थ्रीसम करें?
मैं- हां और इसमें हर्ज़ ही क्या है। जब वन्दना हमारे बारे में सब जानती है और तुम्हें भी पता है कि मैं अभी कुछ देर पहले वन्दना को चोद चुका हूं। मैं तुम दोनों को नंगी देख चुका हूं, तुम दोनों ने भी मुझे नंगा देखा है तो थ्रीसम करने में क्या दिक्कत है?
वन्दना अंदर से तो राजी थी पर दीप्ति को सुनाते हुए बोली- पर जीजू मुझे दीदी के सामने नंगी होते शर्म आएगी।
दीप्ति - जानू, शर्म तो मुझे भी आएगी अपनी छोटी बहन के सामने नंगी होते! और आप इकट्ठे सेक्स करने की बात कर रहे हो।
मैं- चलो पहले तुम्हारी दोनों की शर्म ही दूर कर दूं।
यह कहते हुए मैंने वन्दना से जूस और वोदका लाने को बोला।
वन्दना- फिर से पेग जीजू? अभी तो खाना खाया कुछ देर पहले।
दीप्ति - ले आ वन्दना... ये नहीं मानने वाले आज।
मैंने उन दोनों के थोड़े स्ट्रांग पेग बनाये और अपने लिए हल्का पेग बनाया। मैंने दोनों के पेग में जूस बहुत कम डाला था।
वन्दना- उम्म... बहुत कड़वा है, इसमें थोड़ा जूस डाल दो।
मैं- नहीं मेरी जान, ऐसे ही पियो, तभी तुम्हारी शर्म दूर होगी। दीप्ति तुम भी एक ही सांस में खींच जाओ पेग!
यह बोल कर मैं बिल्कुल नंगा हो गया।
मुझे नंगा देख कर दोनों ने एक ही घूंट में अपने गिलास खाली कर दिए।
मैंने उन्हें एक एक सिगरेट दी। कुछ देर बाद दोनों पर नशा हावी होने लगा। दोनों ने सिगरेट बुझाई।
वन्दना को कुछ ज्यादा नशा हो गया, वो मेरे पास आई और मेरे लन्ड से खेलते हुए बोली- हम्म... तो बोलो जीजू क्या करना है?
दीप्ति मेरी तरफ देख कर हँसने लगी और बोली- हाँ बोलो जानू, क्या करना है?
मैं- चलो अब तुम दोनों एक दूसरे को नंगी करो। सबसे पहले वन्दना, तुम दीप्ति की कमीज उतारो!
दीप्ति ने हल्के पीले रंग का कॉटन का सलवार सूट पहना था।
वन्दना- जो हुकुम मेरे आका!
बोल कर दीप्ति की कमीज निकाल दी, दीप्ति ने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी।
ये देख कर वन्दना बोली- वाह दीदी, आपके सन्तरे तो बड़े ही गए।
दीप्ति - बड़े नहीं होंगे तो और क्या होंगे? तेरे ये जीजू इन्हें क्या कम मसलते और चूसते हैं।
मैं- दीप्ति, अब तुम वन्दना को बिल्कुल नंगी कर दो और खुद भी नंगी हो जाओ।
दीप्ति ने ऐसा ही किया।
अब मैंने दोनों को बेड पर बुलाया और वन्दना को दीप्ति की चूत चाटने को बोला तो उसने झट से दीप्ति की चूत को मुंह में भर लिया और उसकी चूत के दाने पर जीभ फेरने लगी।
ऐसा करने से दीप्ति एकदम मचल गयी। वो खड़ी हुई और मेरे बिना कहे दोनों बहनें 69 की पोजिशन में हो गयी। दोनों बहनें सिसकारियां ले ले कर एक दूसरे की चूत चाट रही थी क्योंकि दोनों ही पहली बार किसी औरत से चूत चटवा रही थी तो दोनों ही एक साथ झड़ गयी।
मैं सोफे पे बैठा दोनों को देख रहा था।
मैंने दीप्ति को अपने पास बुलाया। वो आकर मेरी जांघों के ऊपर बैठ गयी। मैं उसके होंठ, जिन पे वन्दना की चूत का पानी लगा था, चूसने लगा।
फिर मैंने वन्दना को भी बुलाया।
अब वो दोनों मेरे लन्ड से खेलने लगी।
मैं उठकर सोफे पे बैठ गया वो दोनों भी मेरे अगल बगल बैठ गयी। दीप्ति मेरा लन्ड पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी। मैं वन्दना के होंठों को चूमने लगा, हम दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी।
थोड़ी देर बाद दीप्ति ने मुझे खिसका कर नीचे कर दिया और खुद सोफे पर घोड़ी बन कर मेरा लन्ड चूसने लगी। मैंने अपना हाथ पीछे घुमा कर उसकी चूत में उंगली दे दी और उंगली से उसकी चूत चोदने लगा।
दीप्ति पूरी शिद्दत से मेरा लन्ड चूस रही थी। उसने अपने थूक से मेरा पूरा लन्ड गीला कर दिया जिससे उसके थूक की तारें बनने लगी।
उधर वन्दना ने अपने दोनों पैर मोड़ कर अपनी गांड के नीचे रख लिए और अपने चुचों को मेरे मुंह में देने लगी। मैंने उसके चुचों को चूसते हुए उसके एक निप्पल पर हल्का सा काट दिया तो वो दर्द से उछल गयी और बोली- हाय जीजू, ऐसे मत काटो, निशान पड़ जायेगा।
फिर मैं सोफे पर लेट गया। दीप्ति के चूसने से मेरा लन्ड बिल्कुल तन गया था जिसे देख कर वन्दना के मुंह में पानी आ गया। वो बोली- बस करो दीदी, अब मुझे भी जीजू का लन्ड चूसने दो!
दीप्ति बोली- आ जा मेरी प्यारी बहना, तू भी चूस ले!
मेरा लन्ड दीप्ति के थूक से सना हुआ था जिसे वन्दना झट से मुंह में लेकर चूसने लगी।
मैंने दीप्ति को अपने मुंह पर बिठाया और उसकी चूत चाटने लगा। थोड़ी देर बाद दीप्ति पूरी मस्ती में आ गयी, उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी। वो आह आह करने लगी और 'अंदर तक अपनी जीभ डालो... जानू खा जाओ मेरी चूत के दाने को!' ऐसा बोलने लगी।
मैं उसकी चूत की फांकों को हल्का हल्का काटने लगा।
मेरे ऐसे करने से वो आ आ आ आह करके झड़ गयी और उठ कर वन्दना के पीछे जाकर उसकी चूत चाटने लगी।
बहुत ही कामुक नजारा था।
अब मैंने दीप्ति को बेड पर लिटाया और उसकी गांड के नीचे तकिया रख कर उसकी टांगें हवा में फैला दी जिससे उसकी चूत बिल्कुल ऊपर को हो गयी। मैंने दीप्ति की चूत पर लन्ड सेट किया और एक जोरदार झटके से अंदर पेल दिया.
दीप्ति ने अपने होंठ दांतों में भींच लिए मैं धीरे धीरे झटके मार रहा था और वन्दना उसके चुचों को चूस रही थी।
अब दीप्ति फिर से चुदासी हो गयी और अपनी गांड को उठा उठा कर लन्ड को अंदर लेने लगी। उधर वन्दना अब उठ कर दीप्ति के मुंह पर बैठ कर चूत कटवाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने दीप्ति की चूत से लन्ड निकाल कर वन्दना के मुंह में दे दिया।
अब दीप्ति वन्दना की चूत चाट रही थी और वन्दना मेरा लन्ड चूस रही थी।
फिर मैंने वन्दना को घोड़ी बनाया और उसकी चूत में लन्ड पेल दिया और झटके मारने लगा। वन्दना के चुचे हवा में झूल रहे थे।
अब दीप्ति ने वन्दना का मुंह अपनी चूत पर दबा दिया। वन्दना सामने से दीप्ति की चूत चाट रही थी और पीछे से मेरा लन्ड ले रही थी।
इतनी देर की चुदाई के दौरान दोनों दो दो तीन तीन बार झड़ चुकी थी कुछ देर बाद वन्दना दोबारा से झड़ गयी। फिर मैंने उसकी चूत से लन्ड निकाला और बेड पर लेट गया। दीप्ति आकर मेरे लन्ड पर बैठ गई और कूदने लगी।
फिर वन्दना दीप्ति की तरफ मुंह करके मुझसे अपनी चूत चटवाने लगी और खुद ने अपने होंठ दीप्ति के होंठों पर रख दिये।
कुछ देर बाद दीप्ति का बदन भी अकड़ने लगा और वो जोर से झड़ गई।
अब मेरा पानी निकलने वाला था, मैंने दीप्ति को बताया तो वो दोनों मेरे ऊपर से उठ गई। मैं बेड पर खड़ा हो गया। दीप्ति और वन्दना दोनों एक साथ मेरा लन्ड चूसने लगी.
कुछ देर बाद मेरे लन्ड से जोर से वीर्य की पिचकारी निकली जिससे दोनों बहनों के मुंह और बालों को भर दिया। दोनों ने एक दूसरी को चाटा और फिर मेरे लन्ड को भी दोनों ने चाट कर साफ कर दिया।
अब हम तीनों थक कर बेड पर लेट गए।
थोड़ी देर बाद वन्दना उठी, हम तीनों के लिए पेग बनाये और मुझे एक सिगरेट जला कर दी। हमने नंगे ही पेग पी कर सिगरेट खत्म की और एक दूसरे को चूम कर नंगे ही सो गए।
शाम को मेरी आँख 6.30 बजे खुली। मैंने देखा कि वो दोनों नंगी बहनें गहरी नींद में सोई हुई थी। दोनों बहनों का नंगा बदन बहुत ही कयामत ढा रहा था। मैंने दोनों को जगाया फिर हम तीनों साथ में नहाये और तैयार होकर घूमने चले गए।
हमने बाहर ही खाना खाया और वापिस आ गए।
उसके बाद हमने रात को भी जोरदार चुदाई की, उसके बाद दीप्ति सो गई और मैंने वन्दना को अलग कमरे में चोदा।