Update 04

आख़िरकार छुट्टियों के दिन बीत गये.. और मेने 11थ में अड्मिशन ले लिया.. कॉलेज शुरू होने के कुच्छ दिन बाद ही भाभी लौट आई, मतलब बड़े भैया ले आए अपनी ससुराल जाकर…

आख़िर उनके भी तो लौडे में खुजली होती ही होगी…भाभी ने आते ही मेरी क्लास ले ली, और वो जो टाइम टेबल बना कर गयी थी, उसके बारे में पुछा जिसे मे एक अग्यकारी शिष्य की तरह ईमानदारी से पालन कर रहा था.

उन्होने मुझे गले से लगा लिया और मेरा माथा चूम कर मुझे अपनी गोद में लिटाया और बीते दिनो का सारा प्यार उडेल दिया.

मे अकेला कॉलेज जाने वाला ही रह गया था, मनझले चाचा के बच्चे तो अपने मामा के यहाँ शहर में रह कर पढ़ रहे थे. और मेरी दीदी समेत वाकी की 12थ तक की पढ़ाई पूरी हो गयी थी.

भाभी की प्रेग्नेन्सी को जैसे -2 दिन बढ़ रहे थे, उनके शरीर में कुच्छ ज़्यादा ही बदलाव दिखने लगे थे, उनके वक्ष और कूल्हे एक दम ऑपोसिट साइड को बाहर निकलते जा रहे थे.

यही नही, वो दिनो दिन बोल्ड भी होती जा रही थी. एक दिन मालिश करते-2 भाभी ने मेरी हालत बहुत खराब कर दी.

ना जाने आज उनको क्या सूझी की अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी, और मात्र ब्लाउस और पेटिकोट में मेरे पप्पू के उपर अपनी उभरी हुई गांद टिका कर मेरे सीने पर मालिश करने लगी.

आगे-पीछे होते हुए उनकी गांद मेरे लंड पर रगड़ा दे रही थी, जिसकी वजह से मेरे लंड महाराज बुरी तरह अकड़ गये, फिर तो उसकी ऐसी रेल बनी कि पुछो मत.

उधर ब्लाउस में कसे उनके उरोज बिल्कुल मेरी आँखों के सामने थे जो झटकों के साथ उच्छल-2 कर बाहर को निकलने पर आमादा दिखाई दे रहे थे.

फिर ना जाने भाभी को क्या सूझी कि वो मेरे उपर ही पसर गयी और उन्होने मेरे होठ अपने होठों में भर लिए, मुझे बड़ा अजीब लगा कि ये कर क्या रही हैं,

जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरे होठों को चूमा था… यही नही, वो अपनी कमर को लगातार ज़ोर-ज़ोर्से मेरे लंड पर घिसने लगी.

15 मिनिट में उन्होने मेरी हालत बैरंग करदी, उनका मुँह लाल भभुका हो गया, बदन भट्टी की तरह तप रहा था, मानो बुखार चढ़ गया हो.

फिर अचानक ही वो शांत पड़ गयी और कुच्छ देर बाद मेरे उपर से उतर कर अपनी साड़ी उठाई और नीचे भाग गयी.

मे बड़ा असमजस में पड़ गया और सोचने लगा कि शायद भाभी को कहीं बुखार तो नही आ गया, जिसकी वजह से वो ऐसी हरकत कर रही थी..

इधर मेरा बुरा हाल था, मेरा मन कर रहा था, कि अपने पप्पू को अंडरवेर से बाहर निकल लूँ और ज़ोर-2 से हिलाऊ, उसे सहलाऊ…. !

आख़िरकार मेने आज पहली बार उसको बाहर निकाल ही लिया और ज़ोर-2 से मसल्ने लगा.

इधर जैसे ही मेरे लंड के टोपे की खाल उपर को खिंची, मुझे बेहद दर्द का भी एहसास हुआ… लेकिन मन करे कि ज़ोर्से इसको रागड़ूं, मसलूं…

अभी मे इसी कस्मकस में था कि क्या और कैसे करूँ कि अचानक भाभी की आवाज़ सुनाई दी….

लल्लाजी !..... ये क्या हो रहा है..?

मेने गर्दन घूमाकर देखा, तो भाभी जीने की सबसे उपरी सीढ़ी पर अपनी कमर पर हाथ रखे खड़ी थी..

मेरी तो गांद ही फट गयी, इधर मेरा पप्पू फुल अकड़ में था… मेने झट से उसे अपने पेट की तरफ लिटाया और अपने शॉर्ट को उपर की तरह खींच कर एलास्टिक छोड़ दी..

चटकककक ! शॉर्ट की टाइट एलास्टिक लंड के ठीक टोपे पर जहाँ उसकी स्किन का जॉइंट था वहाँ पड़ी…..

अरईईई…..मैय्ाआआआआअ………मररर्र्र्र्र्र्र्ररर…..गय्ाआआ……..रीईईईईईईईईईई…

दर्द के मारे मेरी हालत पतली हो गयी और में करवट लेते हुए, अपने घुटनों को पेट पर मोड़ कर लॉट-पॉट होने लगा…!

मुझे दर्द से तड़प्ता देख भाभी दौड़ कर मेरे पास आई, और मेरे सर के पास बैठ, हाथ फेरते हुए बोली – क्या हुआ मेरे राजा मुन्ना को, बताओ मुझे… क्या हुआ..?

मेरे मुँह से कोई शब्द ही नही निकल पा रहे थे… मे लगातार कभी करवट से हो जाता तो कभी पीठ के बल, मेरे घुटने मुड़े ही हुए थे…

मेरी आँखों से पानी निकल आया.. तेज दर्द की लहर मेरी जान ही निकाले दे रही थी.. भाभी मेरे सर को लगातार सहलाए जा रही थी और बार -2 पुछ्ने की कोशिश कर रही थी कि आख़िर मुझे हुआ क्या है..?

जब थोड़ा दर्द में राहत हुई और मेरा चीखना कम हो गया तो उन्होने फिरसे पुछा… देखो लल्लाजी मुझे बताओ…. क्या हुआ है तुम्हें..?

आह्ह्ह्ह…. भाभी मेरे पेट में बहुत तेज दर्द है… मेने बात को छिपाने की कोशिश करते हुए कहा.

मे नही चाहता था कि भाभी को पता चले कि मे क्या कर रहा था..?

वो – देखो झूठ मत बोलो,… पेट दर्द में कोई ऐसा नही बिलबिलाता है… सच-2 बताओ… शरमाओ नही… कहीं कुच्छ बड़ी प्राब्लम हो गयी तो लेने के देने पड़ जाएँगे…

दरअसल उन्होने मुझे वो करते हुए तो देख ही लिया था, तो प्राब्लम भी कोई उसी से रिलेटेड होगी.. इसलिए वो जानना चाहती थी..

मे – नही भाभी सच में मेरे पेट में ही दर्द है.. मेने फिरसे छिपाने की कोशिश की…

वो थोड़ा बनावटी गुस्सा अपने चेहरे पर ला कर बोली – लल्लाजी..! मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी कि मुझसे तुम कोई बात छिपाओगे…!

सच बताओ क्या बात है.. कहीं कुच्छ ज़्यादा प्राब्लम हो गयी तो सब मुझे ही दोष देंगे…, कैसी भाभी है ये..? बिन माँ के बच्चे का ख्याल भी नही रख सकी.. क्या तुम चाहते हो कि तुम्हारी भाभी किसी से बात करने लायक ना रहे..?

अब मेरे पास सच बताने के अलावा और कोई चारा नही बचा था… उन्होने एमोशनली मुझे फँसा दिया था..

मेरा दर्द भी अब जा चुका था तो मे उनकी गोद में अपना सर रख कर बोला – भाभी मेरी सू सू मेरे शॉर्ट की एलास्टिक से दब गयी थी.. बस और कुच्छ नही...

वो – लेकिन तुम कर क्या रहे थे सो तुम्हारी वो दब गयी… और इतनी ज़ोर से कैसे दबी कि इतना दर्द हुआ…?

मे – जाने दो ना भाभी.. ! अब सब ठीक है..!

वो – तो तुम मुझे सच-सच नही बताओगे.. हां ! कोई बात नही, आज के बाद मेरे से कभी बात मत करना और उन्होने मेरा सर अपनी गोद से उठा दिया और उठ कर जाने लगी…

मेने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला – मे सब सच बताता हूँ… लेकिन प्लीज़ भाभी मुझसे नाराज़ मत हो.. वरना मे कैसे जी पाउन्गा…?

उन्होने लाद से मुझे अपने सीने में दबा लिया.. उनके मुलायम दूध मेरे मुँह पर दब गये.. कुच्छ देर बाद उन्होने मुझे अलग किया और मेरा माथा चूमकर मेरी ओर देखने लगी…!

मे – भाभी जब आप मालिश कर रही थी, तो आपके चुतड़ों की रगड़ से मेरी सू सू अकड़ने लगी.. मेरे अंदर उत्तेजना बढ़ने लगी… जो निरंतर बढ़ती ही गयी..

जब आप उठकर चली गयी.. तो लाख कोशिश के बाद भी मे अपने आप को रोक ना सका और अपनी लुल्ली को बाहर निकाल कर मसल्ने लगा…

लेकिन आपकी आवाज़ सुन कर मेने जल्दबाज़ी में उसको छुपाना चाहा और झटके से एलास्टिक छूट कर उसके उपर लगी….

भाभी कुच्छ देर चुप रही… और मेरे मासूम चेहरे की ओर देखती रही.. फिर ना जाने क्या सोचकर वो मुस्कराने लगी और मेरे नंगे बदन पर हाथ फेरते हुए बोली – लाओ दिखाओ तो मुझे.. क्या हुआ है वहाँ..?

मेने शर्म से अपने घुटने जोड़ लिए ताकि भाभी कहीं जबर्जस्ती मेरे शॉर्ट को ना खींच दें.. और बोला – नही भाभी ऐसा कुच्छ भी नही हुआ है.. अब दर्द भी नही हो रहा आप रहने दो..!

वो अपनी आँखें तरेर कर बोली – तुम अभी बच्चे हो…, अभी दर्द नही है तो इसका मतलब ये तो नही हुआ कि सब कुच्छ सही है… कही अंदुरूनी चोट हुई तो, बाद में परेशान कर सकती है..

देखो ये शर्म छोड़ो और मुझे देखने दो… फिर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरे शॉर्ट को नीचे करने लगी.. मेने एक लास्ट कोशिश की और उनके हाथ पकड़ लिया..

उन्होने एक हाथ से मेरा हाथ हटा दिया और मेरा शॉर्ट नीचे खिसका कर घुटनो तक कर दिया….

हइई… दैयाआआआअ…….ये क्या है लल्लाआ………? मेरा लंड देखकर उनका मुँह खुला का खुला रह गया और अपने खुले मुँह पर हाथ रख कर वो कुच्छ देर तक.. टक-टॅकी लगाए वो मेरे पप्पू की सुंदर्दता को देखती रह गयी..!

मे – क्यों क्या हुआ भाभी…? ये मेरी लुल्ली ही तो है…!

वो – हे भगवान..! तुम इसे अभी भी लुल्ली ही समझ रहे हो..? ये तो पूरा मस्त हथियार हो गया है..

फिर वो उसकी जड़ को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर इधर-उधर घुमा फिरा कर देखने लगी….

जब उन्होने मेरे टोपे की खाल को पीछे करने की कोशिश की तो वो बस अपना घूँघट की खोल पाया कि मुझे दर्द होने लगा…

अह्ह्ह्ह… भाभी नही … खोलो मत.. दर्द होता है.. जब भाबी ने सुपाडे के पीछे देखा तो मेरी खाल के होल से कोई आधा-पोना इंच नीचे ही जुड़ी हुई थी, जिसे खींचने पर दर्द होने लगता था.

हाए लल्लाजी… तुम्हारा हथियार तो अभी तक कोरा ही है… कभी कुच्छ किया नही इससे..?

मे – हां ! रोज़ ही करता हूँ…. पेसाब..!

वो – खाली पेसाब ?.... और कुच्छ नही..?

मे – नही..! और भी कुच्छ होता है इससे..?

वो – हां लल्लाजी ! और बहुत कुच्छ होता है.. लेकिन ताज्जुब है..! जब तुमने और कुच्छ भी नही किया है अबतक.. तो फिर ये इतना लंबा और मोटा कैसे हो गया…?

मे क्या जानू… ? मेने जबाब दिया तो वो बोली – तो फिर अभी क्यों हिला रहे थे..?

मे – सच कहूँ भाभी.. आप जब भी मालिश करती हो और आपका बदन इससे रगड़ा ख़ाता है… तो मे इतना एक्शिटेड हो जाता हूँ कि कुच्छ पुछो मत…

और जी करने लगता है की इसको मसल डालूं…, कुचल कर रख दूं.. लेकिन दर्द की वजह से कुच्छ कर नही पाता….!

पर आज आपने इसे ज़्यादा ही रगड़ दिया तो मुझसे रहा नही गया और वो करने लगा..

मेरा लंड अभी भी ज्यों का त्यों सोता सा एकदम 90 डिग्री पर खड़ा उनकी मुट्ठी में क़ैद था.. उन्होने उसको थोड़ा खोल कर उसके मूतने वाले छेद को अपनी उंगली से सहला दिया.. और बोली – तो अब कैसा लग रहा है..?

सीईईईई…. आहह.. भाभी ये सब मत करो… वरना ये फट जाएगा….

वो – तो इसको शांत कैसे करोगे अब…?

मे – पता नही भाभी इसके पहले ये इतना कभी नही फूला था.. आज तो हद ही हो गयी है.. और अब आपका हाथ लगते ही तो और हालत खराब हो रही है…अह्ह्ह्ह…

प्लीज़ भाभी कुच्छ करो ना ! प्लीज़…… वरना में कुच्छ कर बैठूँगा…!

वो – अच्छा..अच्छा.. शांत रहो.. ! मे कुच्छ करती हूँ, और फिर उसे हिलाने लगी, धीरे-2 बड़े एहतियात से उसको आगे पीछे करने लगी ताकि उसकी स्किन ज़्यादा ना खिंच जाए..

मज़े में मेरे मुँह से आहह….उउउहह…और जल्दीीई.. ऐसी आवाज़ें निकलने लगी… और वो उनकी मुट्ठी में और ज़्यादा फूलने लगा… उसकी नसें उभर आईं.

भाभी की भी एग्ज़ाइट्मेंट बढ़ने लगी, और किसी सम्मोहन सी शक्ति उनके चेहरे को मेरे लंड के नज़दीक और नज़दीक खींचने लगी…..

अब भाभी की गरम साँसें मेरे लंड पर महसूस हो रही थी… उत्तेजना में मेरे कान तक लाल हो गये थे.

आख़िरकार उनके होठों ने मेरे अधखुले सुपाडे को छू ही लिया…

उफफफफफफफफफफफ्फ़………….. मे तो जैसे स्वर्ग में ही उड़ने लगा… उनके होठों के स्पर्श होते ही मुझे एक सुकून सा मिला, और उनके रसीले होठ उसको अपनी क़ैद में लेते चले गये….

देखते-2 उनके होठों ने मेरे पूरे 2” लंबे सुपाडे को जो दहक कर लाल शिमला के सेब जैसा दिख रहा था गडप्प कर लिया….

एक थन्न्न्न्न्न्न्दक्क्क… सी पड़ गयी मेरे लंड में… जैसे किसी गरम चीज़ को एक साथ पानी में डाल दिया हो…

उनकी जीभ मेरे पी होल पर गोल-गोल घूम रही थी… आनंद के मारे मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और कमर थर-थराने लगी..

भाभी मेरे पप्पू को अंदर और अंदर अपने मुँह में लेती जेया रही थी, लेकिन खूब कोशिश करके वो उसे करीब आधा ही ले पाई और उतने पर ही अपने होठों से मालिश देने लगी.

भाभी मेरे बगल में ही उकड़ू बैठी थी, लॉड को अंदर-बाहर करते समय उनके मस्त मुलायम बूब्स मेरे पेट और कमर पर रगड़ खा रहे थे.

लंड का जड़ वाला हिस्सा अभी भी भाभी की मुट्ठी में ही था और वो मुँह के साथ-साथ अपने हाथ से भी उसे मसल्ति जा रही थी.

20-25 मिनिट की चुसाई के बाद भी मेरा कुच्छ नही हुआ तो भाभी ने अपना मुँह हटाया और मेरी ओर देख कर बोली – कुच्छ हुआ कि नही..?

मे – बहुत अच्छा लग रहा है भाभी… प्लीज़ रूको मत ऐसे ही करती रहो..!

वो – तुम्हें तो मज़ा आरहा है.. लेकिन मेरा तो मुँह दुखने लगा, और तुम्हारा माल अभी तक नही निकला…

फिर वो मेरी कमर के नीचे की साइड में आकर बैठ गयी और फिरसे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, अब साथ-2 उनकी उंगलियाँ मेरे टट्टों से खेल रही थी..

मेरा तो मज़ा ही दुगना हो गया और मे अपनी कमर उचका-2 कर उनके मुँह में लंड पेलने की कोशिश करने लगा…

अब भाभी जल्दी से जल्दी मेरा पानी निकालना चाहती थी, क्योंकि उनका मुँह दर्द करने लगा था, बीच बीच में वो अपना एक हाथ अपनी चूत के पास ले जाती.. और उपर से उसकी सहला देती…

अब वो मेरे टट्टों और गांद के होल के बीच की जगह पर नाख़ून से खुरचने लगी…

ऐसा करने से मेरे उस जगह पर करेंट जैसा लगा और मुझे उस जगह से कुच्छ उठता सा महसूस होने लगा.

मेने भाभी के सर पर हाथ रखा और ज़ोर्से अपनी कमर उचका कर अपना ज़्यादा से ज़्यादा लंड उनके मुँह में ठूंस दिया… उनका गला चोक हो गया, में दनादन धक्के मारकर उनके सर को दबाए हुए था.

वो मेरे हाथों को हटाने की जी तोड़ कोशिश कर रही थी, लेकिन अब में अपने होशो-हवास खो चुका था…,

फिर कुच्छ ऐसा हुआ मानो मेरे टट्टों से कोई बिजली सी दौड़ती हुई मेरे लंड में प्रवेश कर रही हो और मे उनका सर अपने लंड पर कसकर पिचकारी छोड़ने लगा.

मुझे लगा जैसे कोई गरम लावा जैसा मेरे लंड से निकल कर भाभी के मुँह में भर रहा हो.

दो मिनिट तक देदनादन पिचकारी मारने के बाद मेने अपना हाथ उनके सर से हटाया और अपनी कमर को फर्श पर लॅंड करा दिया…..!!

झट से उन्होने अपना सर उपर किया… फल्फला कर ढेर सारी मलाई जैसी उनके मुँह से निकल कर मेरे पेट पर गिरी… उनका मुँह लाल सुर्ख हो रहा था… वो खों-खों करके खांसने लगी, फिर भागते हुए छत पर लगे नल से पानी लेकर मुँह साफ किया..

मे बैठ कर उन्हें ही देख रहा था, मुँह साफ करके वो वापस लौटी और एक प्यार भरी धौल मेरी पीठ पर जमाई और बोली –

जंगली कहीं के… मेरी दम निकालना चाहते थे..? हां ! पता है ! मेरी साँसें बंद होने लगी थी..

मे – सॉरी भाभी वो मे … मुझे… होश ही नही रहा…

भाभी मुस्करा के बोली… मे समझ सकती हूँ.. अच्छा ये बताओ अब कैसा लग रहा है.. कुच्छ हल्का फील हुआ या नही..

मे – हां भाभी ! थॅंक्स.. ! अब मेरी उत्तेजना कुच्छ कम हो गयी है..

भाभी – लेकिन तुम्हारा ये हथियार तो ज्यों का त्यों खड़ा है.. जाओ बाथरूम में जाकर कुच्छ देर इसपर ठंडा पानी डाल लो..

आज पहली बार मुझे पता चला कि लंड से पेसाब के अलावा और भी कुच्छ निकलता है, जो इतना आनंद देता है….

अब तो मे अपने हाथ से भी उस मज़े को लेने की कोशिश करने लगा, लेकिन वो मज़ा नही मिला जो भाभी के चूसने से मिला था.

फिर एक दिन बाथरूम में खड़ा मे अपने लंड को सहला रहा था कि भाभी ने देख लिया और वो डाँट पिलाई कि पुछो मत..

जब मेने कारण पुछा तो वो समझाने लगी – लल्ला देखो ये रोज़-रोज़ की आदत मत लगाओ… ठीक नही है, इससे तुम्हारा शरीर कमजोर होने लगेगा, हो सकता है कोई बीमारी भी लग जाए..

कभी-2 कर लेने में कोई बुराई नही है, पर हाथ से नही… हाथ से करने को मूठ मारना बोलते हैं.. और लिमिट से ज़्यादा मूठ मारने से इसकी (लिंग) नसें कमजोर पड़ जाती हैं..,

यहाँ तक कि आदमी ना मर्द भी हो जाते हैं, और सदी के बाद वो किसी काम के नही रह पाते..

मेने पुछा कि भाभी तो और कॉन कॉन से तरीके हैं उस आनंद को लेने के.. तो वो मुस्काराई… और बोली – लल्ला तुम तो आज ही सब कुच्छ जानना चाहते हो..!

फिर कुच्छ सोच कर वो बोली – उस दिन मेने जिस तरह से तुम्हें रिलीस किया था उसको मुख मैथुन (ब्लोव्जोब) कहते हैं.. असल में तो वो भी सही तरीका नही है..

मे – तो सही क्या है भाभी…?

भाभी – स्त्री-पुरुष के बीच संभोग ही सही तरीका होता है, जो प्राकृतिक माना जाता है.. लेकिन उसके लिए अभी तुम्हारी उमर नही हुई है,

तुम्हारे लिंग की स्किन जो जुड़ी हुई है ना वो भी तभी अलग होगी जब तुम किसी के साथ ये सब करोगे..

लेकिन ग़लती से भी किसी के साथ ऐसे वैसे संबंध बनाने की कोशिश भी मत करना..वरना… ! मुझसे बुरा कोई नही होगा..! जब भी वो समय आएगा, मे खुद तुम्हारी मदद करूँगी…

मेरे उन मेच्यूर दिमाग़ में कुच्छ पल्ले पड़ा कुच्छ नही, पर मे इतना ज़रूर समझ गया, कि भाभी मेरी सब जायज़, नाजायज़ ज़रूरतों का ख्याल रखती हैं, और जब जिस काम की ज़रूरत होगी वो ज़रूर करेंगी..

मेरे उन मेच्यूर दिमाग़ में कुच्छ पल्ले पड़ा कुच्छ नही, पर मे इतना ज़रूर समझ गया, कि भाभी मेरी सब जायज़, नाजायज़ ज़रूरतों का ख्याल रखती हैं, और जब जिस काम की ज़रूरत होगी वो ज़रूर करेंगी..

मे अपनी पढ़ाई में जुट गया.. समय निकलता रहा, भाभी की प्रेग्नेन्सी का समय नज़दीक आता जा रहा था, अब उनका पेट काफ़ी बड़ा हो गया था.

मे उनके पेट पर हाथ फेर्कर उनको चिड़ाया करता, कभी उनके पेट पर कान लगाकर बच्चे से बात करता.. छोटी चाची, समय समय पर भाभी की देख भाल कर देती.

आख़िरकार वो समय आ गया और भाभी ने एक प्यारी सी गुड़िया को जन्म दिया.

सभी बहुत खुश थे उस नन्ही परी के आने से जिसका नाम मेने रूचि रखा.

कुच्छ दिनो बाद मेरे एग्ज़ॅम भी हो गये, और अब में एक बार फिर बोर्ड की क्लास में पहुँच गया था.

उधर कृष्णा कांत भैया ने ग्रॅजुयेशन के फाइनल के साथ प्फ्र के एग्ज़ॅम भी दे दिए थे, और उनका सेलेक्षन होना लगभग तय था.

रामा दीदी ने 1स्ट एअर प्राइवेट से क्लियर कर लिया था, लेकिन प्रेग्नेन्सी की वजह से भाभी एग्ज़ॅम नही दे पाई, जिसका उनको मलाल था.

लेकिन वो जिंदगी के आहें एग्ज़ॅम में तो पास हो ही चुकी थी.

कुच्छ दिनो के बाद मनझले भैया का पीसीएस का रिज़ल्ट आ गया, रॅंक के हिसाब से उनको डीएसपी की पोस्ट के लिए सेलेक्ट किया गया था, अब उन्हें कुच्छ महीनो के लिए ट्रैनिंग पर जाना था.

मेरा इस साल बोर्ड था, सभी को मेरे भविश्य की चिंता थी, सो कॉलेज के पहले दिन से ही सबका अटेन्षन मेरे उपर ही था.

उस दिन सनडे था, दोनो बड़े भाई भी घर आए हुए थे, कल मंझले भैया को ट्रैनिंग के लिए निकलना था, घर में थोड़ा मिल बैठ कर खाने का प्रोग्राम रखा था.

हमारे परिवार में मेरे यहाँ ही मिक्सर था, जो बड़े भैया की शादी में आया था, और इस समय वो छोटी चाची के यहाँ था, वो किसी काम के लिए ले गयी थी उसे.

वैसे तो चाची को भी हमारे घर ही आना था, लेकिन थोड़ा काम जल्दी हो जाए तो भाभी ने मुझे कहा – लल्लाजी ! छोटी चाची के यहाँ से अपना मिक्सर तो ला दो ज़रा, कुच्छ नारियल वग़ैरह की चटनी भी बना लेंगे..

छोटे चाचा का घर भी बगल में ही था, उन्होने अपने हिस्से में अपनी ज़रूरत के ही हिसाब से दो कमरे और एक छोटा सा किचेन मेन गेट के साथ ही बना रखे थे, वाकई की ज़मीन में उँची सी बाउंड्री से कवर कर रखा था.

बाउंड्री की पीछे की दीवार पर छप्पर डाल कर गाय-भैंस के लिए जगह कर रखी थी उसीके साथ में चारा काटने की मशीन लगा रखी थी जो एक सिंगल फेज़ की मोटर से चल जाती थी.

मे चाची के घर पहुँचा तो उनका मैं गेट अंदर से बंद था, मेने गेट खटखटाया, तो अंदर से चाची की आवाज़ आई… कॉन है…?

मे हूँ चाची… मेने जबाब दिया तो वो बोली – रूको लल्ला .. अभी गेट खोलती हूँ..

थोड़ी देर बाद जैसे ही गेट खुला, सामने चाची को देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी… मुँह खुला का खुला रह गया… और मे फटी आँखों से उन्हें देखता ही रह गया………….

थोड़ी देर बाद जैसे ही गेट खुला, सामने चाची को देख कर मेरी आँखें फटी रह गयी… मुँह खुला का खुला रह गया… और मे फटी आँखों से उन्हें देखता ही रह गया………….

सामने चाची मात्र एक पेटिकोट में जो उनकी पहाड़ की चोटियों जैसी चुचियों पर सिर्फ़ लपेटा हुआ था और वो उसे एक हाथ से पकड़े हुए थी,

वही पेटिकोट नीचे उनके घुटनों से भी 2-3” उपर तक ही आ रहा था और उनकी गोल-गोल खंबे जैसी मांसल जांघे दिखाई दे रही थी.

गेट खोलते ही वो मुझे देख कर मुस्काराई और बोली – आओ छोटू लल्ला..! और इतना कह कर पलट गयी.. अब उनकी हाहकारी गांद मेरी आँखों के सामने थी.

उनकी गांद पीछे को इतनी उभरी हुई थी कि, कमर के कटाव पर अगर कोई तौलिया रख दिया जाए तो गॅरेंटीड वो गिर नही सकता.

उपर से आगे को खिंचा हुआ पेटिकोट.. लगता था गांद के प्रेशर से कहीं फट ना जाए…

कसे हुए पेटिकोट में उनकी गांद ऐसी लग रही थी मानो दो बड़ेवाले तरबूज फिट हो रहे हों…. दोनो के बीच की दरार तरबूजों की कसावट की वजह से बहुत ही कम दिखाई दी मुझे…

वो अपनी तरबूजों को मटकाते हुए अपने बाथरूम की ओर चल दी जो किचेन के साइड से मात्र 3 फीट की तीन तरफ से ऑट सी लगाकर नहाने-धोने के लिए बना रखा था.

उनके मटकते हुए कूल्हे ऐसे लग रहे थे, मानो एक दूसरे से शर्त लगा रहे हों.. कि मे बड़ा कि तू.…

अब रहने वाले दो ही तो प्राणी थे.., शादी के 10 साल बाद भी इतनी उपजाऊ ज़मीन से भी चाचा कोई फसल नही काट पाए थे.

चाची की इस जान मारु गांद को देख कर मेरा पप्पू फड़कने लगा… अब कुच्छ दिन पहले ऐसा कुच्छ हुआ होता तो शायद मेरे लिए ये नॉर्मल बात होती,

लेकिन अब भाभी ने मेरे नाग से जहर निकाल कर ये जता दिया था, कि नारी का बदन क्या, क्यों और किसलिए होता है..?

वो अपनी लंड फादू गांद को मटकाते हुए बाथरूम की ओर बढ़ते हुए बोली – और बतो लल्ला.. कैसे आना हुआ..?

मे हड़बड़ा कर बोला – वो चाची… वो..वो.. भाभी ने.. वो मिक्सर लाने के लिए बोला है…

चाची – अच्छा हां ! तुम थोड़ी देर बैठो.. उसके जार को साफ करना है अभी.. मे थोड़ा नहा लेती हूँ.. उसके बाद साफ करके दूँगी..

मे वहीं आँगन में पड़ी चारपाई पर पैर लटका कर बैठ गया, और कनखियों से उनके बाथरूम की तरफ देखने लगा..

चाची बैठ कर नहा रही थी, उनके सर के बाल मुझे दिख रहे थे.. वो मुझसे बातें भी करती जा रही थी नहाने के साथ-2.

करीब 10 मिनिट में ही उनका नहाना हो गया और उसी अटॅल पर रखे उनके दूसरे पेटिकोट को उन्होने बैठे-बैठे ही उठाया…

और अपने सर के उपर से अपने शरीर पर डाल लिया, फिर वहीं रखी ब्रा उठाई और उसे पहनने लगी.

में अभी भी चोर नज़रों से उधर ही देख रहा था.. अचानक वो उठ खड़ी हुई, उनका पेटिकोट ठीक वैसे ही था जो नहाने से पहले वाला था.. उनकी कमर से उपर का हिस्सा मुझे दिख रहा था.

उन्होने मुझे आवाज़ दी – अरे छोटू लल्ला ! ज़रा इधर तो आना..,

मे उठकर उनके पास पहुँचा, इस समय उनके गीले बदन से वो पेटिकोट भी जगह-2 गीला होकर उनके बदन से चिपका हुआ था,

गीले कपड़े से उनके शरीर का रंग तक झलक रहा था.

उन्होने पेटिकोट के उपर से ही वो ब्रा जिसकी स्ट्रिप्स अपने कंधों पर चढ़ा कर आगे अपने स्तनों पर पकड़ रखी थी, और उसकी पट्टियाँ जिनको पीछे लेजाकर हुक करते हैं, वो साइड्स से झूल रही थीं.

मे उनके ठीक पीछे जा खड़ा हुआ और बोला – जी चाची .. बताइए क्या काम है..?

वो – अरे लल्ला ! देखो ना ये मेरी अंगिया थोड़ी टाइट हो गयी है, बहुत कोशिश की लेकिन मे अपने हाथ से इसके हुक नही लगा पा रही, थोड़ा तुम लगा दो ना !

मेने उनके दोनो ओर झूल रही पट्टियों को पकड़ा.. तो मेरे हाथ उनके गीले नंगे बगलों से टच हो गये.. मेरे पप्पू ने एक फिर ठुमका मारा...!

फिर उन्होने पेटिकोट को ब्रा के नीचे से निकाल कर हाथों में पकड़ लिया और उसको कमर में बाँधने के लिए अपनी नाभि जो किसी बोरिंग के गड्ढे की तरह दिख रही थी… तक ले गयी,

अब एक हाथ उनका आगे दोनो चोटियों के उपर से ब्रा को थामे था, और दूसरे में पेटिकोट पकड़ा हुआ था….

मेने दोनो तरफ की स्ट्रीप को खींच कर पीछे उनकी पीठ पर लाया.. मेरी दोनो हथेलिया चाची की नंगी पीठ पर धीरे-2 फिसल रही थीं…

ना जाने ये कैसी उत्तेजना थी मेरे शरीर में की मेरे हाथ काँपने लगे….

ब्रा वाकई में कुच्छ ज़्यादा ही टाइट थी, उनके हुक के होल जो धागे के बने हुए थे, उनमें हुक डालने में मुझे बड़ी दिक्कत आ रही थी…

अरे ! खड़े-2 क्या कर रहे हो लल्ला, जल्दी डालो ना.. चाची की आवाज़ सुन कर मेरे हाथ और ज़्यादा काँपने लगे…,

मेने स्ट्रीप को और थोड़ा खींच कर उनके होल के मुँह तक हुक लाकर छोड़ दिए.

चाची को लगा कि अब तो हुक लग ही जाएगा, सो उनका वो हाथ जो ब्रा को आगे से संभाले हुए था, वो भी अब पेटिकोट के नाडे को बाँधने के लिए नीचे कर लिया था...!

जैसे ही मेने हुक को उसके होल में छोड़ा, वो साला होल में जाने की वजाय बाहर से ही स्लिप हो गया… नतीजा… चाची की अंगिया किसी स्प्रिंग लगे गुड्डे की तरह उच्छल कर उनके सामने ज़मीन पर टपक गयी…..

फ़ौरन चाची ने अपना एक हाथ अपनी बड़ी बड़ी चुचियों पर रख लिया…और वो उन्हें ढकने की नाकाम कोशिश करती हुई बोली –

क्या लल्ला… औन्ट हो रहे हो और एक छोटा सा काम नही होता तुमसे…

मेने मरी सी आवाज़ में कहा – मेने पहले कभी डाला नही हैं ना चाची.. तो..

वो – क्या नही डाला अभी तक..?

मे – व.व.उूओ.. हुक कभी होल में नही…. डॅलाया.. सॉरी चाची..

चाची सामने पड़ी ब्रा उठाने के लिए आगे को झुकी, नाडे पर उनके हाथ की पकड़ कम हो गयी और जिस हाथ से उन्होने अपनी चुचियाँ ढक रखी थी उसी हाथ से ब्रा उठाने लगी…

तीन काम एक साथ हुए… गांद पर से उनका पेटिकोट थोड़ा नीचे को सरक गया और उनकी गांद की दरार का उपरी हिस्सा मेरी आँखों के सामने उजागर हो गया,

दूसरा झुकने की वजह से उनकी गांद की दरार ठीक मेरे अकडे हुए लंड पर टिक गयी, और उसकी लंबाई दरार के समानांतर होकर वो एक तरह दरार में सेट हो गया….

तीसरा उनकी नंगी गोल-मटोल बड़ी-2 चुचिया, नीचे को झूल गयी जो मुझे साइड से दिखाई दे रही थी..

मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी…, शरीर जुड़ी के मरीज की तरह काँपने लगा….

लेकिन ना तो मेने पीछे हटने की कोई कोशिश की और ना चाची ने मुझे हटने को कहा.

ब्रा को उठा कर उन्होने अपनी गांद को और थोड़ा पीछे को झटका देकर एक फुल लंबाई का रगड़ा मेरे लंड पर मारा और खड़ी हो गयी…

फिर उन्होने अपनी ब्रा को वैसे ही अपनी चुचियों के उपर रख कर उसी पोज़िशन में रह कर बोली – लल्ला तुम जाओ यहाँ से.. तुम्हारे बस का कुच्छ नही है..वैसे ही पहाड़ हो रहे हो, एक हुक तक नही लगा सकते…

मे – पर चाची वो मिक्सर..

वो – मे अपने साथ लेकर आती हूँ, तुम जाओ.. और हां ! ये बातें किसी से कहना मत.. समझ गये…

मे हां में अपना सर हिलाकर, अपनी गादेन झुकाए वहाँ से लौट आया… लेकिन आँखों में अभी भी वही सीन घूम रहे थे…,

सोच सोच कर मेरा पप्पू अंडरवेर में उच्छल-कूद मचाए हुए था, मे जितना उसको दबाने की कोशिश करता वो उतना ही उच्छलने लगता…

ऐसी हालत में घर जाना मेने उचित नही समझा, और मे खेतों की ओर बढ़ गया…

एक झाड़ी के पीछे जाकर पेसाब की धार मारी, मामला कुच्छ हल्का हुआ.. तो मे घर लौट लिया……!

उस घटना के बाद मेरी हिम्मत नही होती चाची से नज़रें मिलाने की, लेकिन इसके ठीक उलट वो हर संभव प्रयास करती रहती मेरे पास आने का,

मुझे लाड करने के बहाने अपने से चिपका लेती, कभी-2 तो मेरे मुँह को अपने बड़े-2 स्तनों के बीच में डाल कर दबाए रखती…

मे उनकी हरकतों से उत्तेजित होने लगता लेकिन उन्हें अपनी तरफ से टच करने की भी हिम्मत नही जुटा पाता…

कुच्छ दिनो से चाची के मेरे प्रति आए बदलाव को भाभी ने नोटीस किया, लेकिन ये बात उन्होने अपने तक ही रखी…​
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