Update 05
एक दिन सुबह-सुबह की मखमली धूप में छत पर वो अपनी बेटी की मालिश कर रही थी, मे भी उनके पास ही बैठा था,
रूचि के सो जाने के बाद उन्होने मेरे से कहा, चलो लल्लाजी तुम भी अपनी शर्ट उतार दो, लगे हाथ तुम्हारी भी मालिश कर देती हूँ.
अपनी शर्ट उतार कर मे भी वहीं लेट गया, नीचे पाजामा पहना हुआ था, तो भाभी बोली – ये पाजामा पहन कर मालिश कराओगे इसे भी उतारो..
मे – लेकिन भाभी नीचे में खाली फ्रेंची ही पहने हूँ..
भाभी – तो अब मेरे से भी शर्म आ रही है, मे तो तुम्हारा सब कुच्छ देख चुकी हूँ..
मेने हिचकते हुए अपना पाजामा भी निकाल दिया और मात्र फ्रेंची में लेट गया,
भाभी ने कहा – पलट जाओ, पहले पीठ की मालिश करती हूँ, फिर आगे करा लेना.
मे पेट के बल लेट गया, भाभी मेरी पीठ की मालिश अच्छे से रगड़ा लगा कर करने लगी,
जब उन्होने मेरी कमर पर दबाब डालकर मालिश की तो पप्पू भाई को तकलीफ़ होने लगी, और वो घुड़कने लगा.
दरअसल, अकड़ तो वो भाभी के टच करते ही गया था, पर जब कमर पर दबाब पड़ा तो हालत और खराब होने लगी…
जब पीछे की मालिश हो गयी, तो उन्होने मुझे सीधे लेटने को कहा….
वो मेरे सीने की मालिश करने लगी, लेकिन उनकी नज़र मेरे पप्पू पर ही थी, जिसने बेचारी छोटी सी फ्रेंची को ऐसे उठा रखा था, जैसे डब्ल्यूडब्ल्यूई के कोर्ट में बिग शो सामने वाले फाइटर को अपने हाथों पर टाँग लेता है..
लल्लाजी ! रश्मि चाची के बारे में तुम्हारा क्या ख़याल है..? भाभी ने अचानक ये सवाल दागा…नज़रें उनकी अभी भी मेरे अंडरवेर पर ही लगी थी.
मे समझा नही भाभी… किस बारे में ..? मेने उल्टा सवाल किया..
वो – आजकल वो तुम्हें कुच्छ ज़्यादा ही लाड़ करने लगी हैं..
मे – हां ! मेने भी फील किया है… लेकिन इसमें मेरा ख़याल क्यों पुछा आपने..?
भाभी – नही ! मेरा मतलब है… जब वो तुम्हें इस तरह से लिपटा चिपटा कर प्यार जताती हैं, तो तुम्हें क्या फील होता है..? आइ मीन कैसा फील करते हो..?
मे तुरंत ही कोई जबाब नही दे पाया, और चाची के साथ हुई उस दिन वाली घटना मेरे दिमाग़ में घूमने लगी…
जिसका इनस्टिट असर मेरे लंड पर पड़ा और वो भेन्चोद फ्रेंची में फड़-फडाने लगा…
उसकी कुदक्की देख कर भाभी के चेहरे पर एक गहरी स्माइल तैर गयी जिसे मेरे जैसे छोटे दिमाग़ वाले को समझना बस की बात नही थी.
भाभी ने अपना सवाल फिरसे दोहराया… तो मे कुच्छ हड़बड़ा गया और बोला –
म.म.मी..क्या फील करूँगा.. क.क.कुकछ नही … बस यही कि वो मेरी चाची हैं और मुझे प्यार करती हैं..बस… मेने बात संभालने की कोशिश की…
भाभी – लेकिन तुम्हारा… ये पप्पू तो कुच्छ और ही कह रहा है.. ये कहकर भाभी ने मेरे लंड को सहला दिया…!
मे – य.यईी..क्या कह रहा है… मतलब.. आप कहना क्या चाहती हो भाभी..?
भाभी – मेरे प्यारे देवर जी अब तुम इतने भी भोले नही हो कि, जो मे कहना चाहती हूँ, वो तुम नही समझ रहे…
अब सीधी तरह बताते हो या… इसको मे उखाड़ लूँ… और भाभी ने शरारती हसी हँसते हुए मेरे लौडे को ज़ोर से मरोड़ दिया..
आईईईईई…..भाभिईीईई…… क्या करती हो…. दर्द करता है…
तो बताओ… फिर क्या बात है…?
तो मेने उस दिन वाली घटना भाभी को बता दी और कहा- कि उस दिन से ही चाची का बिहेवियर चेंज सा हो गया है…
और सच कहूँ तो भाभी उनकी वो हरकतें मुझे भी अच्छी लगती हैं, लेकिन चाह कर भी अपनी तरफ से कुच्छ करने की हिम्मत नही कर पाता…!
भाभी – वैसे क्या करने का मन करता है तुम्हारा…?
मे इतना एक्शिटेड हो चुका था कि आज किसी तरह अपने नाग का जहर निकालना चाहता था.. जल्दी-2 घर पहुँचा और सीधा बाथरूम की तरफ जा रहा था, कि तभी भाभी सामने आ गई…
वो मेरे चेहरे और लंड की भयंकरता को देखते ही समझ गयी और मुस्कराते हुए बोली… चाची के घर गये थे…?
मे उनको हां बोलकर सीधा बाथरूम में घुस गया.. अभी मेने अपने नाग को पिटारे से बाहर निकालकर हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया ही था कि पीछे से भाभी की आवाज़ सुनाई दी…
लल्लाजी ! मेने कितनी बार मना किया है, कि ये हाथ से ज़्यादा मत किया करो.. लेकिन तुम्हारी अकल में ही नही आता है..
मेने फटाफट उसे अंदर किया, और घूम कर बोला – तो मे क्या करूँ भाभी… कैसे शांत करूँ इसे.. आप ही बताइए..?
बभी – अब हुआ क्या है जो इतने उत्तेजित हो रहे हो.. मेने उन्हें अभी-अभी चाची के साथ हुई घटना के बारे में बताया… !
वो मुस्कराते हुए बोली- हूंम्म… तो जैसा मेने सोचा था, वही हुआ..
मे झुँझलाकर बोला – अरे क्या हुआ, और आपने क्या सोचा था ? मेरी तो कुच्छ समझ में नही आ रहा.. ?
भाभी – अभी तुम्हें कुच्छ समझने की ज़रूरत नही है, लाओ इसे मुझे दो मे कुच्छ करती हूँ इसका…!
और उन्होने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर सहलाया, उसके पी होल को अपने नाख़ून से कुरेदने लगी…
मेरी तो सिसकी ही निकल गयी और अपनी आँखे बंद करके आनंद सागर में तैरने लगा… फिर भाभी ने उसे अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया…
भाभी ने अपने अंदाज से मेरे लंड को चुस्कर उसका जहर निकाल दिया जिसे उन्होने बड़े चाव से पी लिया… उसके बाद वो बोली ..
अब जाओ और जाकर अपनी पढ़ाई करो.. पता हैं ना इस बार बोर्ड का एग्ज़ॅम है..!
मे खाना खाकर पढ़ने बैठ गया… सारा काम निपटाकर भाभी मेरे लिए बादाम का दूध लेकर आई और मुझे दूध देते हुए बोली – लो पहले इसे ख़तम करो, फिर पढ़ लेना..
मेने उनके हाथ से दूध का ग्लास लिया और पीने लगा.. तभी भाभी बोली – देखो लल्लाजी .. चाची के साथ आज जो हुआ है, उसे इसके आगे मत होने देना.. !
मेने दूध ख़तम करके खाली ग्लास टेबल पर रखा और उनकी तरफ देखते हुए कहा..
भाभी अब मे बड़ा हो गया हूँ.. , अब मुझसे ये सब और ज़्यादा कंट्रोल नही हो पाता…
उपर से आप ना जाने मेरे साथ क्या खेल खेल रही हो… ऐसा ना हो कि किसी दिन मेरे ना चाहते हुए वो सब हो जाए जो आप नही चाहती.. !
मेने खुले शब्दों में एक तरह से अपने मन की बात कह दी थी..!
वो कुच्छ देर तक मेरे चेहरे की तरफ देखती रही, अनायास ही उनके चेहरे पर गुस्से जैसे भाव आगये.. और वो ठंडे लहजे में बोली –
जान ले लूँगी तुम्हारी अगर ऐसा वैसा कुच्छ किया भी तुमने तो…!
मे भी बिफर पड़ा और झुझलाकर बोला – आख़िर आप चाहती क्या हैं..?
वो भभक्ते हुए एक झटके में बोल पड़ी – अपना हक़..!
मे – मतलव… कॉन्सा हक़..? और कैसा हक़..?
गुस्से में बोले हुए अपने शब्दों का जब उन्हें एहसास हुआ तो उनकी नज़र स्वतः ही झुक गयी… और वो आगे कुच्छ बोल नही पाई…!
जब अपने सवाल का कोई जबाब मुझे ना मिला तो मेने उनके कंधे पकड़ कर झकझोरते हुए पुछा..
बताइए ना भाभी… आप कोन्से हक़ की बात कर रही थी…?
उन्होने नज़र नीची किए हुए अपने नीचे के होठ को चवाते हुए कहा – तुम्हारे कुंवारेपन को पाने का हक़ सबसे पहले मेरा है..
कुच्छ देर तक तो उनकी बात मेरी समझ में ही नही आई, लेकिन जैसे ही मुझे समझ पड़ी… मे उनके गले से लग गया और बोला –
सच भाभी … आप मेरे साथ…वो…वो..सब… करेंगी….बोलिए…!
भाभी मुझसे बिना नज़र मिलाए ही बोली – हां लल्लाजी… पर समय आने पर..,
याद है मेने पहले भी कहा था… कि समय पर तुम्हें हर वो चीज़ मिलेगी जिसकी तुम इच्छा रखते हो..
ओह्ह्ह्ह… थॅंक यू भाभी ! आइ लव यू.. ! आप सच में बहुत अच्छी हैं……. पर वो समय कब आएगा भाभी..?
भाभी – तुम्हारे बोर्ड एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट के बाद, तुम्हारे बर्तडे पर…तब तक तुम इस बारे में कोई बात नही करोगे…!
और हां ! रिज़ल्ट मुझे फर्स्ट डिविषन में चाहिए…!
इतना कह कर वो उठकर अपने रूम में चली गयी.. मे बस उन्हें जाते हुए देखता रहा.. और फिर अपनी पढ़ाई में जुट गया….!
अब मेरे दिमाग़ से सारे फितूर निकल चुके थे… उस दिन के बाद भाभी कुच्छ सीरीयस हो गयी और में भी.. उनकी भावना को समझ चुका था,
वो जो भी कर रही थी, मेरी खातिर ही कर रही थी…..
मे दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुट गया था… पिताजी मुझे सीरियस्ली पढ़ते हुए देखकर अति-प्रसन्न थे, और उन्हें आशा थी कि मे अच्छे नंबरों से ये बोर्ड की परीक्षा पास कर लूँगा.
आख़िरकार मेरे एग्ज़ॅम भी आगये, और मेने पूरे कॉन्सेंट्रेशन के साथ सारे पेपर दिए.
जब सारे पेपर ख़तम हो गये और मे लास्ट पेपर देकर आया, तो भाभी ने मुझे अपनी छाती से किसी बच्चे की तरह लगा लिया और सुबक्ते हुए बोली…
मुझे माफ़ करदेना मेरे बच्चे.. मेने ये सब तुम्हारी भलाई के लिए ही किया है..!
अब तुम अपने रिज़ल्ट तक आज़ाद हो, जैसे चाहे मज़े ले सकते हो, लेकिन एक लिमिट में…!
मे – लेकिन अपना वादा तो याद है ना आपको..?
भाभी – वो मे कैसे भूल सकती हूँ…! जिसका मेने इतने वर्ष इंतेज़ार किया है..
मे – आप सच कह रही हैं.. ! क्या आप पहले से ये सब डिसाइड कर चुकी थी..?
भाभी – हां.. ! जब मेने पहली बार तुम्हें उस तकलीफ़ से निकालने के लिए वो सब किया था, तभी मेने ये डिसाइड कर लिया था, कि तुम्हारी वर्जिनिटी में ही
तुडवाउन्गी…!
मेरे रिज़ल्ट के ठीक एक हफ्ते बाद ही मेरा बर्त डे था, अब हम दोनो ही बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार कर रहे थे….!
लेकिन अब में किसी के साथ भी कैसे भी मज़ा कर सकता था, सिवाय सेक्स के……………………………………क्षकशकशकशकशकश!
मेरे चचेरे भाई सोनू और मोनू भी छुट्टियों में घर आए हुए थे, सोनू मेरे से दो साल बड़ा था, और मोनू मेरे बराबर का ही था…
हम तीनों मिलकर सारे दिन धमाल करते रहते, और एक दूसरे से हर तरह की बातें भी कर लेते थे.. वो दोनो भाई तो आपस में बिल्कुल खुले हुए थे..
बातों-2 में उन्होने बताया कि वो अपने मामी और उसकी एक बेटी जो सोनू के बराबर की थी, उनके साथ मज़े भी कर चुके हैं..
मे ये सुनकर बड़ा सर्प्राइज़ हुआ कि वो दोनो साले अपनी मामी के साथ भी जो उसकी माँ से भी बड़ी थी मज़े ले चुके थे.
पता नही क्यों, छोटी चाची इन दोनो भाइयों को बिल्कुल पसंद नही करती थी, तो ये दोनो भी उनके घर कभी नही जाते थे…!
एक दिन हम तीनों ने मिलकर घर पर वीसीआर ला कर फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया … ये बात सुन कर घर के सभी लोग बड़े खुश हुए…
टाउन से हमने पूरी रात के लिए वीसीआर किराए से लिया और 3-4 मूवी ले आए, जिनमें 2 फॅमिली ड्रामा, एक पूर्ली आक्षन मूवी और 1 एक्सएक्स देशी मूवी की सीडी थी, जो सोनू ने ही सेलेक्ट की, मुझे तो इन सब का कोई नालेज नही था.
हमारा आँगन काफ़ी लंबा चौड़ा था, सो एक साइड में टीवी और वीसीर लगा कर हमने ज़मीन पर ही गद्दे डाल लिए, चारों परिवार के सभी सद्स्य आज काफ़ी दिनो के बाद एक साथ बैठ कर रात एंजाय करने वाले थे.
रेखा दीदी भी आजकल आई हुई थी, जो अब एक बच्चे की माँ थी, उनका बेटा भी लगभग मेरी भतीजी रूचि के साथ ही पैदा हुआ था…
रेखा दीदी का बदन अब काफ़ी भर चुका था, हाइट कम होने की वजह से वो कुच्छ ज़्यादा ही चौड़ी सी दिखती थी, उनके स्तन तो छोटी चाची से भी बड़े हो गये थे..
घर के काम-काज निपटाते 9 बज गये, सब लोग आकर ज़मीन पर पड़े गद्दों पर अपनी सुविधनुसार आकर बैठ गये….
शुरुआत में सोनू ने फॅमिली ड्रामा ही लगाई, सब मूवी एंजाय कर रहे थे, दोनो बड़ी चाचियाँ और चाचा आगे बैठे थे… !
चाचा और बड़ी चाचियाँ तो दूसरी मूवी के शुरू होते ही ऊंघने लगे और एक-एक करके वो उठकर जाने लगे.. दूसरी मूवी के ख़तम होते-होते भाभी समेत सभी बड़े लोग सोने चले गये…
अब हम बस तीन भाई और तीनों बहनें ही बैठे रह गये…
तीसरी सोनू ने आक्षन वाली फिल्म लगा दी… मे सबसे लास्ट मे बैठा था, और मेरे बगल में रेखा दीदी थी, जो बीच-2 में मुझे छेड़ देती थी, लेकिन मे उनके लिए कोई ऐसी वैसी बात मन में अभी तक नही लाया था..
हमारे आगे रामा और आशा दीदी थी, और उन दोनो के आजू बाजू सोनू और मोनू बैठे थे, मोनू रामा दीदी की तरफ और सोनू आशा दीदी की तरफ.
जब बैठे-2 बोर हो जाते तो कोई किसी की जाँघ पर सर रख कर लेट जाता, तो कभी कोई..
तीसरी मूवी के शुरू होने के कुच्छ देर बाद ही रेखा दीदी बोली – सोनू ये तूने क्या बकवास मूवी लगा दी है, कोई और नही है..?
सोनू – है तो सही दीदी लेकिन… वो आप लोगों के लायक नही है..
वो – क्यों ? ऐसा क्या है उसमें…?
सोनू – अरे दीदी ! समझा करो यार ! क्षकश मूवी है आप क्या करोगी देख कर..
वो – अच्छा तो तेरे देखने लायक है, हमारे नही.. लगा तू.. देखें तो सही कैसी एक्सएक्स है..?
मजबूर होकर उसने वो सीडी लगाड़ी… ये एक भोजपुरी भाषा की बी ग्रेड मूवी थी, जिसमें एक लड़का और लड़की आधे अधूरे कपड़ों में जंगल में भटक रहे होते हैं..
अपना मन बहलाने के लिए कभी-2 वो एकदुसरे के साथ छेड़-छाड़ करने लगते हैं, एकदुसरे को किस करने लगते है,
कपड़ों के उपर से जो केवल नाम मात्र के लिए थे उनके शरीरों पर एक दूसरे के नाज़ुक अंगों को सहलाने-पकड़ने लगते हैं..
जैसे-2 मूवी में सेक्स बढ़ता जाराहा था, वहाँ पर बैठे सभी लोग एक्शिटेड होते जा रहे थे, और ना चाहते हुए ही एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं..
जैसे-2 मूवी में सेक्स बढ़ता जाराहा था, वहाँ पर बैठे सभी लोग एक्शिटेड होते जा रहे थे, और ना चाहते हुए ही एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं..
रामा दीदी को ये ज़्यादा अच्छा नही लगा या वो ये सब नही करना चाहती होगी सबके सामने तो वो उठकर सोने चली गयी…
सोनू आशा दीदी के साथ चिपका हुआ था, और अपने हाथ इधर-उधर डाल देता, जिसे वो कभी-2 रोक देती जिससे वो अपनी सीमा में ही रहे..
इधर रेखा दीदी ने मेरे उपर हल्ला ही बोल दिया था…! वो मेरे उपर एक तरह से पसर ही गयी थी.. उसके बड़े-2 भारी भरकम चुचे मेरे साइड से दबे हुए थे..
उत्तेजना से मेरा लंड अकड़ गया, जिसे उन्होने अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मे पर रख लिया..
मेरी सहन शक्ति जबाब देती जा रही थी, धीरे-2 वो वाइल्ड होती जा रही थी, यहाँ तक की उन्होने मेरा एक हाथ अपनी चूत के उपर रख दिया और उसे दबाने सहलाने लगी.. उनकी पाजामी गीली होती जा रही थी..
जब मुझसे और सहन नही हुआ तो मे ये कहकर कि मुझे तो अब नींद आरहि है मे उठ खड़ा हुआ..
दीदी प्यासी सी मेरी ओर देखने लगी और उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली – अरे छोटू बैठ ना.. दिन में नींद पूरी कर लेना..
मे – नही दीदी, अब मेरा सर भारी होने लगा है.. अब मेरे से नही बैठा जाएगा..
वो तीनों तो मूवी में ही खोए हुए थे.. इधर जब मेने उनकी बात नही मानी तो उन्होने मुझे ज़ोर का झटका देकर अपने उपर खींच लिया, जिससे मे उनके उपर गिर पड़ा..
झटका अचानक इतना ज़ोर का था कि वो खुद भी गद्दे पर गिर पड़ी और मे उनके उपर..
उन्होने मुझे अपनी बाहों में कस लिया जिसके कारण उनके दोनो गद्दे जैसे चुचे मेरे सीने में दब गये,
मेरा खड़ा लंड उनकी मोटी-मोटी जांघों के बीच फँस गया, जिसे उन्होने अपनी जांघों को और जोरेसे भींच कर दबा दिया.
वो मुझे किस करने ही वाली थी कि मे उनके उपर से उठ खड़ा हुआ, और तेज़ी से वहाँ से निकल गया और सीधा बाथरूम में घुस गया….
मेने बाथरूम में अपनी टंकी रिलीस की और जाकर अपने बिस्तर पर सो गया, जो छत पर पड़ा हुआ था, मेरे बाजू में ही रामा दीदी का बिस्तर था.
रामा दीदी इस समय अपने घुटने मोड़ कर करवट से गहरी नींद में थी, मे भी जाकर उनकी बगल मे लेट गया और जल्दी ही गहरी नींद में चला गया
मे उँचे और घने पेड़ों के बीच स्थित एक साफ पानी से भरे तलब के किनारे खड़ा हुआ था, अचानक मेरी नज़र तालाब में नहाती हुई एक कमसिन लड़की पर पड़ती है..
उसके बदन पर इस समय मात्र एक पतले कड़े की चुनरी जैसी थी, जो वो अपने शरीर पर लपेटे हुए थी, पानी से गीली होने बाद उसके शरीर का वो कपड़ा उसके बदन को ढकने की वजाय और उसके शरीर के उभारों को प्रदर्शित कर रहा था..
अचानक मुझे देख कर वो लड़की पानी में खड़ी हो जाती है, जिससे उसके कमर से उपर का भाग दिखाई पड़ने लगता है…
पतले गीले कपड़े से उसके गोल –गोल ठोस उरोज साफ-साफ दिखाई दे रहे थे, ब्राउन कलर के अंगूर के दाने जैसे उसके निपल पानी के ठंडे पानी से भीगने के बाद एकदम कड़े होकर उस कपड़े से बाहर निकलने के लिए जैसे व्याकुल हो उठे हों..
मे एकटक उसकी सुंदरता में खोगया, गोरी चिट्टी वो लड़की मेरी तरफ देख कर मंद-मंद मुस्करा रही थी..
अचानक धीरे-2 वो पानी से बाहर आने लगी, मे जड़वत किसी पत्थर की मूरत की तरह वहीं खड़ा उसका इंतेज़ार कर रहा था…
वो बाहर निकल कर ठीक मेरे सामने आकर खड़ी होगयि और उसने अपने गीले कड़क उरोज मेरे सीने में गढ़ा दिए.. और फिर अपने शरीर को उपर-नीचे करके अपने निप्प्लो को मेरे सीने से रगड़ने लगी..
मेरी आँखों में झाँकते हुए उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड पर रख दिया और उसे सहलाने लगी…
उत्तेजना मेरे सर चढ़ कर बोलने लगी थी, मेने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके होठों को चूस्ते हुए उसके उरोजो को मसल्ने लगा…
वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड को मसले जा रही थी… अब उसने मेरा लिंग अपनी यौनी के उपर रगड़ना शुरू कर दिया…
मात्र एक झीने से कपड़े और वो भी पूरी तरह पानी से गीला होने के कारण मेरा लंड उसकी यौनी को अच्छे से फील कर रहा था…
मेने उसके गोल-मटोल कलश जैसे कुल्हों को अपने हाथों में कस लिया और अपनी कमर को एक झटका दिया…
उस झीने कपड़े समेत मेरा लिंग उसकी यौनी में प्रवेश करने लगा…मे अपनी कमर को और ज़्यादा उसकी तरफ पुश करने लगा… उसके चेहरे पर दर्द के भाव बढ़ते जा रहे थे…
मुझे लगा जैसे मेरा लंड पानी छोड़ देगा, मेने उसकी पीड़ा की परवाह ना करते हुए अपना लिंग और अंदर करना चाहा कि किसी ने मुझे झकझोर दिया…
हड़बड़ा कर मेने अपनी आँखें खोली तो देखा दीदी मेरे उपर झुकी हुई मुझे ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी…
छोटू उठ जा अब देख कितनी धूप तेज हो गयी है, पसीने से तर हो गया है.. फिर भी सो रहा है…
मे उठकर बैठ गया… मुझे अभी भी ऐसा फील होरहा था, जैसे ये सब सपना नही हक़ीकत में मेरे साथ हो रहा था….
मेरा लंड पूरी तरह अकड़ कर शॉर्ट को फाडे दे रहा था, एक सेकेंड और मेरी आँख नही खुली होती तो वो पिचकारी छोड़ चुका होता…
दीदी की नज़र मेरे शॉर्ट पर ही थी, जब मेने उसकी निगाहों का पीछा किया तब मुझे एहसास हुआ, और मेने अपनी जांघे भींच कर उसे छुपाने की कोशिश की..
दीदी झेंप गयी और नज़र नीची करके मुस्कराते हुए वहाँ से भाग गयी.. और सीधी के पास जाकर पलट कर बोली- अब सपने से बाहर आ गया हो तो नीचे आजा.. भाभी बुला रही हैं…!
मुझे बड़ी शर्म सी महसूस हुई, फिर कुच्छ देर बैठ कर अपने मन को इधर-उधर करने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ..
फिर उठकर फर्स्ट फ्लोर पर बने बाथरूम में घुस गया और पेसाब की धार मारी तब जाकर कुच्छ शांति मिली……..
चाय नाश्ता करने के बाद मेने अपनी गुड़िया रानी को गोद में लिया और भाभी को बोलकर बड़ी चाची के घर की तरफ निकल गया…
मेने उनके घर के अंदर जैसे ही पैर रखा, सामने ही वरान्डे में रेखा दीदी चारपाई पर बैठी अपने बेटे को दूध पिला रही थी,
उनका पपीते जैसा एक बोबा, कुर्ते के बाहर निकला हुआ था और उसका कागज़ी बादाम जैसा निपल उनके बेटे के मुँह में लगा हुआ था, और वो चुकुर-2 करके उसे चूस रहा था..
मेरे कदमों की आहट सुन कर उन्होने उसे ढकना चाहा, लेकिन जैसे ही उनकी नज़र मेरे उपर पड़ी.. तो उन्होने अपनी कमीज़ और उपर कर ली जिससे उनका पूरा पपीता मेरे सामने आगया….
मे – दीदी क्या हो रहा है…? और उनके पास बैठ कर उनके बेटे के सर पर हाथ फिराया और उनके बेटे से बोला – अले-अले..मम्मा.. का दुद्दु पी रहा है मेरा भांजा…
दीदी ने जलती नज़रों से मुझे देखा लेकिन मेरी बात का कोई जबाब नही दिया..
मेने उनके पास बैठ के रूचि के गाल पर किस किया और उसे खिलाने लगा…वो बार-2 मेरा ध्यान अपनी ओर करने के लिए सस्सिईइ….आअहह…काट मत… जैसी आवाज़ें करने लगी.. लेकिन मे अपनी गुड़िया से ही खेलता रहा…
फिर जब उनकी एक तरफ की टंकी खाली हो गयी, तो उसे पलट कर दूसरे बोबे की तरफ किया और अपनी कमीज़ उठा कर उसको भी नंगा करके निपल उसके मुँह में दे दिया.. लेकिन पहले वाले को ढकने की कोशिश भी नही की..
अब उनकी कमीज़ उनके दोनो चुचियों के उपर टिकी हुई थी…मे कनखियों से उनको देख रहा था, और अपनी भतीजी से खेलता रहा…
वो मन ही मन भुन-भूना रही थी.. फिर मे बिना उनकी तरफ देखे ही बोला – दीदी घर में और कोई नही है…? उन्होने फिर भी सीधे -2 मेरी बात का कोई जबाब नही दिया और मुझे सुनकर अपने बेटे से बातें करने लगी.
ले बेटा ठूंस ले पेट भरके… यहाँ और कोई नही है, जो तेरी भूख शांत करे..
लेकिन बेटा तो दूध पीना बंद करके कब का सो चुका था.. तो उसको उन्होने साइड में सुला दिया और झटके से अपनी कमीज़ नीचे करके अपने पपीतों को ढक लिया.
मे – चल रूचि.. अपना चलते हैं.. यहाँ तो कोई दिख नही रहा.. तो फिर अपन भी यहाँ बैठ के क्या करेंगे…
वो मेरी बात सुनकर और ज़्यादा खीज गयी और पीछे से मेरे गले को अपने एक बाजू से लपेट लिया… और बोली – कमीने तुझे मे इतनी बड़ी यहाँ बैठी दिखाई नही दी.. जो कह रहा है कि यहाँ कोई नही है..
मे – चल रूचि.. अपना चलते हैं.. यहाँ तो कोई दिख नही रहा.. तो फिर अपन भी यहाँ बैठ के क्या करेंगे…
वो मेरी बात सुनकर और ज़्यादा खीज गयी और पीछे से मेरे गले को अपने एक बाजू से लपेट लिया… और बोली – कमीने तुझे मे इतनी बड़ी यहाँ बैठी दिखाई नही दी.. जो कह रहा है कि यहाँ कोई नही है..
मे – आप तो कोई जबाब ही नही दे रही तीन मेरी बात का.. तो मे और किसके साथ बात करूँ?
वो – तू तो अब बड़ा आदमी हो गया है.. हम जैसे छोटे लोगों के साथ तो बैठना भी अपनी बेइज़्ज़ती समझता है… और ये कह कर उन्होने अपने स्तनों को मेरी पीठ पर रगड़ दिया…
मे – आपको ऐसा क्यों लगा कि मे आपके साथ बैठ कर बात नही करना चाहता..?
वो – तो फिर रात उठकर क्यों चला गया था, मेने तुझे रुकने के लिया कितना बोला.
मे – रात मुझे सच में बहुत नींद आ रही थी…
फिर उन्होने पीछे से ही मेरी गोद में बैठी रूचि को खिलाने लगी जिससे उनकी दोनो चुचियाँ मेरे शरीर में गढ़ रही थी..
रूचि के साथ खेलने के बहाने उनका हाथ मेरे लंड की तरफ बढ़ने लगा…
मेने मन ही मन सोचा… ये साली कितनी गरम है.. अपने छोटे भाई का ही लॉडा लेने के चक्कर में है.. अगर मेने भाभी से प्रॉमिस नही किया होता तो इसे यहीं पटक कर चोद डालता.. लेकिन क्या करूँ..
कुच्छ देर जब मेरी सहन शक्ति जबाब देने लगी तो मेने बहाना बनाया… दीदी अब मे चलता हूँ.. रूचि को भूख लग रही होगी.. और मे चारपाई से खड़ा हो गया..
वो मुँह लटका के बैठी रह गयी, एक बार फिरसे मे उसको केएलपीडी करके वहाँ से चला आया…..
…………………………………………………………………………………..
शाम को मेरा मन किया कि आज खेतों की तरफ चला जाए, वैसे भी गर्मी बहुत थी, तो शायद खेतों में या बगीचे घूम-घूम कर कुच्छ राहत मिले…
शाम के 5 बज चुके थे, लेकिन गर्मी और धूप ऐसी थी मानो अभी भी दोपहर ही हो…
मे थोड़ी देर आम के पेड़ों के नीचे इधर उधर घूमता रहा… कुच्छ पके आम दिखे तो उन्हें तोड़ने की कोशिश की, और उन्हें पत्थर मार कर तोड़ने लगा..
एक-दो आम हाथ भी आए… अभी में और आम तोड़ता कि तभी वहाँ आशा दीदी आगयि… और मुझे देखते ही चहकते हुए बोली – और हीरो… आज इधर कैसे..?
मे – बस ऐसे ही चला आया… आज कुच्छ गर्मी ज़्यादा है ना दीदी…!
वो – हां यार मेरा तो पसीना ही नही सूख रहा आज… मेने उसके उपर नज़र डाली.. वाकाई में उसका कुर्ता पसीने से तर हो रहा था.. और वो उसके बदन से चिपका पड़ा था…
उसकी ब्रा का इंप्रेशन साफ-साफ दिखाई दे रहा था.. हम दोनो एक पेड़ के नीचे बैठ कर तोड़े हुए आम खाने लगे.. फिर कुच्छ देर बैठने के बाद वो बोली..
चल छोटू.. ट्यूबिवेल की तरफ चलते हैं… मेने कहा हां ! चलो चलते हैं..
हम दोनो ट्यूबिवेल पर आगाय… वहाँ कोई नही था.. और ट्यूबिवेल चल रहा था.
मेने कहा – दीदी ! यहाँ तो कोई नही है… और ट्यूबिवेल चल रहा है… पानी कहाँ जा रहा है..?
वो – हमारे खेतों में मूँग लगा रखी है ना उसमें… वही देखने मे आई थी.. फिर वो मुझसे बोली… छोटू चल नहले.. यार बड़ी गर्मी है.. थोड़ा ठंडे-2 पानी में नहा कर राहत मिल जाएगी…
मे – मन तो है, पर दूसरे कपड़े नही लाया..
वो – अरे यार ! कपड़े उतार और कूद जा हौदी में.. अंडरवेर तो पहना होगा ना..
मे – हां वो तो पहना है.. फिर मेने अपने शर्ट और पाजामा को उतार कर पास में पड़ी चारपाई पर रखा और कूद गया पानी में….
ट्यूबिवेल का ताज़ा ठंडा पानी शरीर पर पड़ते ही राहत मिली… खड़े होने पर हौदी का पानी मेरे पेट तक ही आरहा था….
उपर से पीपे की धार.. पड़ रही थी जिसमें मे बीच-2 में उसके नीचे अपना सर लगा देता…तो और ज़्यादा मज़ा आ जाता….
अभी मे धार के नीचे से अपना सर हटा कर सीधा खड़ा ही हुआ था… कि मेरे पीछे छपाक की आवाज़ हुई……!
मेने जैसे ही अपने पीछे मुड़कर देखा… तो आशा दीदी भी हौदी में कूद पड़ी थी…
पानी में कूदते ही उसने अंदर डुबकी लगा दी… जब वो बाहर आई और खड़ी हुई… मेरी आँखें उसके शरीर पर चिपक गयीं…
उसका पतले से कपड़े का कुर्ता उसके बदन से चिपक गया था और उसकी ब्रा साफ-साफ दिखाई दे रही थी… शरीर के सारे कटाव एकदम उजागर हो गये थे…
आज मुझे पता चला कि उसका बदन भी कम मादक नही था, 33-26-34 का एक मस्त कर देने वाला गोरा बदन..
मुझे अपनी ओर देखते पाकर वो हँसने लगी और अपने हाथों में पानी भर भरके मेरे उपर उच्छलने लगी.. जो सीधा मेरी आँखों पर भी पड़ने लगा…
मेने भी उसके उपर पानी उच्छालना शुरू कर दिया….मेरी पानी उच्छालने की गति ज़्यादा तेज थी.. सो वो मेरी ओर देख भी नही पा रही थी…
वो चिल्लाने लगी – मान जा.. छोटू… मेरी आँखों मे पानी जा रहा है…
मे बोला – शुरू तो आपने ही किया था ना… अब भुग्तो…और पानी उच्छालना जारी रखा..
वो – अच्छा तो ऐसे नही मानेगा तू.. ,और इतना कह कर उसने मेरे उपर छलान्ग लगा दी.. छपाक से मे पानी के अंदर डूब गया और वो मेरे उपर आ पड़ी…
उसके अमरूद मेरे सीने से टकराए… पानी के अंदर ही उसने मेरे गले में अपनी एक बाजू लपेट दी…
मेने पलटी लेकर पानी से बाहर अपना सर निकाला, तो वो भी मेरे साथ ही बाहर आगयि…
वो मेरे गले से अपनी बाजू कसते हुए बोली – अब बोल… मानेगा… बोल…! मे हँसते हुए.. उनसे छूटने की कोशिस कर रहा था.. लेकिन वो मेरे से और ज़्यादा चिपकती जा रही थी..
मेरा पप्पू छोटी सी फ्रेंची अंडरवेर को फाडे दे रहा था…
मेने उसकी बगलों में एकदम उसकी चुचियों के साइड में गुदगुदी करने लगा…. वो खिल खिलाकर हँसते हुए मुझसे और ज़ोर्से चिपक गयी…
उसकी चुचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थी.. , उसकी मुनिया और मेरे पप्पू में मात्र कुच्छ ही सेंटिमेटेर का फासला था…
अपनी सखी की खुसबु लगते ही पप्पू और फन-फ़ना उठा… मेने उसके कठोर किंतु रूई जैसे गोल – गोल चुतड़ों को अपनी मुत्ठियों में कस कर भींच दिया…तो वो फासला भी ख़तम हो गया और मेरा बबुआ ने…ठीक उसके भग्नासा के उपर अटॅक कर दिया….!
उसने मेरे कंधे में दाँत गढ़ा दिए और ज़ोर्से काट लिया… मेरी चीख निकल पड़ी..
मेने कहा दीदी… छोड़ो ना.. काट क्यों रही हो….
वो बोली – क्यों निकल गयी सारी हेकड़ी… कह कर उसने अपनी एक टाँग मेरी जाँघ पर लपेट दी और पप्पू की सीधी ठोकर उसकी मुनिया के ठीक होठों पर पड़ी….
सीईईईईईईई….अह्ह्ह्ह… छोटू … कह कर उसने मेरे होठों पर किस कर लिया…और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को ज़ोर्से मसल डाला….
ना चाहते हुए भी मेरे हाथ उसके गोल-मटोल चुतड़ों पर फिरसे चले गये और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में कस कर मसल दिया….
उसने अपनी कमर को ज़ोर का झटका देकर अपनी मुनिया को मेरे पप्पू पर रगड़ दिया.. और मेरे होठ चूसने लगी…!
रूचि के सो जाने के बाद उन्होने मेरे से कहा, चलो लल्लाजी तुम भी अपनी शर्ट उतार दो, लगे हाथ तुम्हारी भी मालिश कर देती हूँ.
अपनी शर्ट उतार कर मे भी वहीं लेट गया, नीचे पाजामा पहना हुआ था, तो भाभी बोली – ये पाजामा पहन कर मालिश कराओगे इसे भी उतारो..
मे – लेकिन भाभी नीचे में खाली फ्रेंची ही पहने हूँ..
भाभी – तो अब मेरे से भी शर्म आ रही है, मे तो तुम्हारा सब कुच्छ देख चुकी हूँ..
मेने हिचकते हुए अपना पाजामा भी निकाल दिया और मात्र फ्रेंची में लेट गया,
भाभी ने कहा – पलट जाओ, पहले पीठ की मालिश करती हूँ, फिर आगे करा लेना.
मे पेट के बल लेट गया, भाभी मेरी पीठ की मालिश अच्छे से रगड़ा लगा कर करने लगी,
जब उन्होने मेरी कमर पर दबाब डालकर मालिश की तो पप्पू भाई को तकलीफ़ होने लगी, और वो घुड़कने लगा.
दरअसल, अकड़ तो वो भाभी के टच करते ही गया था, पर जब कमर पर दबाब पड़ा तो हालत और खराब होने लगी…
जब पीछे की मालिश हो गयी, तो उन्होने मुझे सीधे लेटने को कहा….
वो मेरे सीने की मालिश करने लगी, लेकिन उनकी नज़र मेरे पप्पू पर ही थी, जिसने बेचारी छोटी सी फ्रेंची को ऐसे उठा रखा था, जैसे डब्ल्यूडब्ल्यूई के कोर्ट में बिग शो सामने वाले फाइटर को अपने हाथों पर टाँग लेता है..
लल्लाजी ! रश्मि चाची के बारे में तुम्हारा क्या ख़याल है..? भाभी ने अचानक ये सवाल दागा…नज़रें उनकी अभी भी मेरे अंडरवेर पर ही लगी थी.
मे समझा नही भाभी… किस बारे में ..? मेने उल्टा सवाल किया..
वो – आजकल वो तुम्हें कुच्छ ज़्यादा ही लाड़ करने लगी हैं..
मे – हां ! मेने भी फील किया है… लेकिन इसमें मेरा ख़याल क्यों पुछा आपने..?
भाभी – नही ! मेरा मतलब है… जब वो तुम्हें इस तरह से लिपटा चिपटा कर प्यार जताती हैं, तो तुम्हें क्या फील होता है..? आइ मीन कैसा फील करते हो..?
मे तुरंत ही कोई जबाब नही दे पाया, और चाची के साथ हुई उस दिन वाली घटना मेरे दिमाग़ में घूमने लगी…
जिसका इनस्टिट असर मेरे लंड पर पड़ा और वो भेन्चोद फ्रेंची में फड़-फडाने लगा…
उसकी कुदक्की देख कर भाभी के चेहरे पर एक गहरी स्माइल तैर गयी जिसे मेरे जैसे छोटे दिमाग़ वाले को समझना बस की बात नही थी.
भाभी ने अपना सवाल फिरसे दोहराया… तो मे कुच्छ हड़बड़ा गया और बोला –
म.म.मी..क्या फील करूँगा.. क.क.कुकछ नही … बस यही कि वो मेरी चाची हैं और मुझे प्यार करती हैं..बस… मेने बात संभालने की कोशिश की…
भाभी – लेकिन तुम्हारा… ये पप्पू तो कुच्छ और ही कह रहा है.. ये कहकर भाभी ने मेरे लंड को सहला दिया…!
मे – य.यईी..क्या कह रहा है… मतलब.. आप कहना क्या चाहती हो भाभी..?
भाभी – मेरे प्यारे देवर जी अब तुम इतने भी भोले नही हो कि, जो मे कहना चाहती हूँ, वो तुम नही समझ रहे…
अब सीधी तरह बताते हो या… इसको मे उखाड़ लूँ… और भाभी ने शरारती हसी हँसते हुए मेरे लौडे को ज़ोर से मरोड़ दिया..
आईईईईई…..भाभिईीईई…… क्या करती हो…. दर्द करता है…
तो बताओ… फिर क्या बात है…?
तो मेने उस दिन वाली घटना भाभी को बता दी और कहा- कि उस दिन से ही चाची का बिहेवियर चेंज सा हो गया है…
और सच कहूँ तो भाभी उनकी वो हरकतें मुझे भी अच्छी लगती हैं, लेकिन चाह कर भी अपनी तरफ से कुच्छ करने की हिम्मत नही कर पाता…!
भाभी – वैसे क्या करने का मन करता है तुम्हारा…?
मे इतना एक्शिटेड हो चुका था कि आज किसी तरह अपने नाग का जहर निकालना चाहता था.. जल्दी-2 घर पहुँचा और सीधा बाथरूम की तरफ जा रहा था, कि तभी भाभी सामने आ गई…
वो मेरे चेहरे और लंड की भयंकरता को देखते ही समझ गयी और मुस्कराते हुए बोली… चाची के घर गये थे…?
मे उनको हां बोलकर सीधा बाथरूम में घुस गया.. अभी मेने अपने नाग को पिटारे से बाहर निकालकर हाथ में लेकर हिलाना शुरू किया ही था कि पीछे से भाभी की आवाज़ सुनाई दी…
लल्लाजी ! मेने कितनी बार मना किया है, कि ये हाथ से ज़्यादा मत किया करो.. लेकिन तुम्हारी अकल में ही नही आता है..
मेने फटाफट उसे अंदर किया, और घूम कर बोला – तो मे क्या करूँ भाभी… कैसे शांत करूँ इसे.. आप ही बताइए..?
बभी – अब हुआ क्या है जो इतने उत्तेजित हो रहे हो.. मेने उन्हें अभी-अभी चाची के साथ हुई घटना के बारे में बताया… !
वो मुस्कराते हुए बोली- हूंम्म… तो जैसा मेने सोचा था, वही हुआ..
मे झुँझलाकर बोला – अरे क्या हुआ, और आपने क्या सोचा था ? मेरी तो कुच्छ समझ में नही आ रहा.. ?
भाभी – अभी तुम्हें कुच्छ समझने की ज़रूरत नही है, लाओ इसे मुझे दो मे कुच्छ करती हूँ इसका…!
और उन्होने मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर सहलाया, उसके पी होल को अपने नाख़ून से कुरेदने लगी…
मेरी तो सिसकी ही निकल गयी और अपनी आँखे बंद करके आनंद सागर में तैरने लगा… फिर भाभी ने उसे अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया…
भाभी ने अपने अंदाज से मेरे लंड को चुस्कर उसका जहर निकाल दिया जिसे उन्होने बड़े चाव से पी लिया… उसके बाद वो बोली ..
अब जाओ और जाकर अपनी पढ़ाई करो.. पता हैं ना इस बार बोर्ड का एग्ज़ॅम है..!
मे खाना खाकर पढ़ने बैठ गया… सारा काम निपटाकर भाभी मेरे लिए बादाम का दूध लेकर आई और मुझे दूध देते हुए बोली – लो पहले इसे ख़तम करो, फिर पढ़ लेना..
मेने उनके हाथ से दूध का ग्लास लिया और पीने लगा.. तभी भाभी बोली – देखो लल्लाजी .. चाची के साथ आज जो हुआ है, उसे इसके आगे मत होने देना.. !
मेने दूध ख़तम करके खाली ग्लास टेबल पर रखा और उनकी तरफ देखते हुए कहा..
भाभी अब मे बड़ा हो गया हूँ.. , अब मुझसे ये सब और ज़्यादा कंट्रोल नही हो पाता…
उपर से आप ना जाने मेरे साथ क्या खेल खेल रही हो… ऐसा ना हो कि किसी दिन मेरे ना चाहते हुए वो सब हो जाए जो आप नही चाहती.. !
मेने खुले शब्दों में एक तरह से अपने मन की बात कह दी थी..!
वो कुच्छ देर तक मेरे चेहरे की तरफ देखती रही, अनायास ही उनके चेहरे पर गुस्से जैसे भाव आगये.. और वो ठंडे लहजे में बोली –
जान ले लूँगी तुम्हारी अगर ऐसा वैसा कुच्छ किया भी तुमने तो…!
मे भी बिफर पड़ा और झुझलाकर बोला – आख़िर आप चाहती क्या हैं..?
वो भभक्ते हुए एक झटके में बोल पड़ी – अपना हक़..!
मे – मतलव… कॉन्सा हक़..? और कैसा हक़..?
गुस्से में बोले हुए अपने शब्दों का जब उन्हें एहसास हुआ तो उनकी नज़र स्वतः ही झुक गयी… और वो आगे कुच्छ बोल नही पाई…!
जब अपने सवाल का कोई जबाब मुझे ना मिला तो मेने उनके कंधे पकड़ कर झकझोरते हुए पुछा..
बताइए ना भाभी… आप कोन्से हक़ की बात कर रही थी…?
उन्होने नज़र नीची किए हुए अपने नीचे के होठ को चवाते हुए कहा – तुम्हारे कुंवारेपन को पाने का हक़ सबसे पहले मेरा है..
कुच्छ देर तक तो उनकी बात मेरी समझ में ही नही आई, लेकिन जैसे ही मुझे समझ पड़ी… मे उनके गले से लग गया और बोला –
सच भाभी … आप मेरे साथ…वो…वो..सब… करेंगी….बोलिए…!
भाभी मुझसे बिना नज़र मिलाए ही बोली – हां लल्लाजी… पर समय आने पर..,
याद है मेने पहले भी कहा था… कि समय पर तुम्हें हर वो चीज़ मिलेगी जिसकी तुम इच्छा रखते हो..
ओह्ह्ह्ह… थॅंक यू भाभी ! आइ लव यू.. ! आप सच में बहुत अच्छी हैं……. पर वो समय कब आएगा भाभी..?
भाभी – तुम्हारे बोर्ड एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट के बाद, तुम्हारे बर्तडे पर…तब तक तुम इस बारे में कोई बात नही करोगे…!
और हां ! रिज़ल्ट मुझे फर्स्ट डिविषन में चाहिए…!
इतना कह कर वो उठकर अपने रूम में चली गयी.. मे बस उन्हें जाते हुए देखता रहा.. और फिर अपनी पढ़ाई में जुट गया….!
अब मेरे दिमाग़ से सारे फितूर निकल चुके थे… उस दिन के बाद भाभी कुच्छ सीरीयस हो गयी और में भी.. उनकी भावना को समझ चुका था,
वो जो भी कर रही थी, मेरी खातिर ही कर रही थी…..
मे दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुट गया था… पिताजी मुझे सीरियस्ली पढ़ते हुए देखकर अति-प्रसन्न थे, और उन्हें आशा थी कि मे अच्छे नंबरों से ये बोर्ड की परीक्षा पास कर लूँगा.
आख़िरकार मेरे एग्ज़ॅम भी आगये, और मेने पूरे कॉन्सेंट्रेशन के साथ सारे पेपर दिए.
जब सारे पेपर ख़तम हो गये और मे लास्ट पेपर देकर आया, तो भाभी ने मुझे अपनी छाती से किसी बच्चे की तरह लगा लिया और सुबक्ते हुए बोली…
मुझे माफ़ करदेना मेरे बच्चे.. मेने ये सब तुम्हारी भलाई के लिए ही किया है..!
अब तुम अपने रिज़ल्ट तक आज़ाद हो, जैसे चाहे मज़े ले सकते हो, लेकिन एक लिमिट में…!
मे – लेकिन अपना वादा तो याद है ना आपको..?
भाभी – वो मे कैसे भूल सकती हूँ…! जिसका मेने इतने वर्ष इंतेज़ार किया है..
मे – आप सच कह रही हैं.. ! क्या आप पहले से ये सब डिसाइड कर चुकी थी..?
भाभी – हां.. ! जब मेने पहली बार तुम्हें उस तकलीफ़ से निकालने के लिए वो सब किया था, तभी मेने ये डिसाइड कर लिया था, कि तुम्हारी वर्जिनिटी में ही
तुडवाउन्गी…!
मेरे रिज़ल्ट के ठीक एक हफ्ते बाद ही मेरा बर्त डे था, अब हम दोनो ही बड़ी बेसब्री से उस दिन का इंतेज़ार कर रहे थे….!
लेकिन अब में किसी के साथ भी कैसे भी मज़ा कर सकता था, सिवाय सेक्स के……………………………………क्षकशकशकशकशकश!
मेरे चचेरे भाई सोनू और मोनू भी छुट्टियों में घर आए हुए थे, सोनू मेरे से दो साल बड़ा था, और मोनू मेरे बराबर का ही था…
हम तीनों मिलकर सारे दिन धमाल करते रहते, और एक दूसरे से हर तरह की बातें भी कर लेते थे.. वो दोनो भाई तो आपस में बिल्कुल खुले हुए थे..
बातों-2 में उन्होने बताया कि वो अपने मामी और उसकी एक बेटी जो सोनू के बराबर की थी, उनके साथ मज़े भी कर चुके हैं..
मे ये सुनकर बड़ा सर्प्राइज़ हुआ कि वो दोनो साले अपनी मामी के साथ भी जो उसकी माँ से भी बड़ी थी मज़े ले चुके थे.
पता नही क्यों, छोटी चाची इन दोनो भाइयों को बिल्कुल पसंद नही करती थी, तो ये दोनो भी उनके घर कभी नही जाते थे…!
एक दिन हम तीनों ने मिलकर घर पर वीसीआर ला कर फिल्म देखने का प्रोग्राम बनाया … ये बात सुन कर घर के सभी लोग बड़े खुश हुए…
टाउन से हमने पूरी रात के लिए वीसीआर किराए से लिया और 3-4 मूवी ले आए, जिनमें 2 फॅमिली ड्रामा, एक पूर्ली आक्षन मूवी और 1 एक्सएक्स देशी मूवी की सीडी थी, जो सोनू ने ही सेलेक्ट की, मुझे तो इन सब का कोई नालेज नही था.
हमारा आँगन काफ़ी लंबा चौड़ा था, सो एक साइड में टीवी और वीसीर लगा कर हमने ज़मीन पर ही गद्दे डाल लिए, चारों परिवार के सभी सद्स्य आज काफ़ी दिनो के बाद एक साथ बैठ कर रात एंजाय करने वाले थे.
रेखा दीदी भी आजकल आई हुई थी, जो अब एक बच्चे की माँ थी, उनका बेटा भी लगभग मेरी भतीजी रूचि के साथ ही पैदा हुआ था…
रेखा दीदी का बदन अब काफ़ी भर चुका था, हाइट कम होने की वजह से वो कुच्छ ज़्यादा ही चौड़ी सी दिखती थी, उनके स्तन तो छोटी चाची से भी बड़े हो गये थे..
घर के काम-काज निपटाते 9 बज गये, सब लोग आकर ज़मीन पर पड़े गद्दों पर अपनी सुविधनुसार आकर बैठ गये….
शुरुआत में सोनू ने फॅमिली ड्रामा ही लगाई, सब मूवी एंजाय कर रहे थे, दोनो बड़ी चाचियाँ और चाचा आगे बैठे थे… !
चाचा और बड़ी चाचियाँ तो दूसरी मूवी के शुरू होते ही ऊंघने लगे और एक-एक करके वो उठकर जाने लगे.. दूसरी मूवी के ख़तम होते-होते भाभी समेत सभी बड़े लोग सोने चले गये…
अब हम बस तीन भाई और तीनों बहनें ही बैठे रह गये…
तीसरी सोनू ने आक्षन वाली फिल्म लगा दी… मे सबसे लास्ट मे बैठा था, और मेरे बगल में रेखा दीदी थी, जो बीच-2 में मुझे छेड़ देती थी, लेकिन मे उनके लिए कोई ऐसी वैसी बात मन में अभी तक नही लाया था..
हमारे आगे रामा और आशा दीदी थी, और उन दोनो के आजू बाजू सोनू और मोनू बैठे थे, मोनू रामा दीदी की तरफ और सोनू आशा दीदी की तरफ.
जब बैठे-2 बोर हो जाते तो कोई किसी की जाँघ पर सर रख कर लेट जाता, तो कभी कोई..
तीसरी मूवी के शुरू होने के कुच्छ देर बाद ही रेखा दीदी बोली – सोनू ये तूने क्या बकवास मूवी लगा दी है, कोई और नही है..?
सोनू – है तो सही दीदी लेकिन… वो आप लोगों के लायक नही है..
वो – क्यों ? ऐसा क्या है उसमें…?
सोनू – अरे दीदी ! समझा करो यार ! क्षकश मूवी है आप क्या करोगी देख कर..
वो – अच्छा तो तेरे देखने लायक है, हमारे नही.. लगा तू.. देखें तो सही कैसी एक्सएक्स है..?
मजबूर होकर उसने वो सीडी लगाड़ी… ये एक भोजपुरी भाषा की बी ग्रेड मूवी थी, जिसमें एक लड़का और लड़की आधे अधूरे कपड़ों में जंगल में भटक रहे होते हैं..
अपना मन बहलाने के लिए कभी-2 वो एकदुसरे के साथ छेड़-छाड़ करने लगते हैं, एकदुसरे को किस करने लगते है,
कपड़ों के उपर से जो केवल नाम मात्र के लिए थे उनके शरीरों पर एक दूसरे के नाज़ुक अंगों को सहलाने-पकड़ने लगते हैं..
जैसे-2 मूवी में सेक्स बढ़ता जाराहा था, वहाँ पर बैठे सभी लोग एक्शिटेड होते जा रहे थे, और ना चाहते हुए ही एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं..
जैसे-2 मूवी में सेक्स बढ़ता जाराहा था, वहाँ पर बैठे सभी लोग एक्शिटेड होते जा रहे थे, और ना चाहते हुए ही एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं..
रामा दीदी को ये ज़्यादा अच्छा नही लगा या वो ये सब नही करना चाहती होगी सबके सामने तो वो उठकर सोने चली गयी…
सोनू आशा दीदी के साथ चिपका हुआ था, और अपने हाथ इधर-उधर डाल देता, जिसे वो कभी-2 रोक देती जिससे वो अपनी सीमा में ही रहे..
इधर रेखा दीदी ने मेरे उपर हल्ला ही बोल दिया था…! वो मेरे उपर एक तरह से पसर ही गयी थी.. उसके बड़े-2 भारी भरकम चुचे मेरे साइड से दबे हुए थे..
उत्तेजना से मेरा लंड अकड़ गया, जिसे उन्होने अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया, और मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मे पर रख लिया..
मेरी सहन शक्ति जबाब देती जा रही थी, धीरे-2 वो वाइल्ड होती जा रही थी, यहाँ तक की उन्होने मेरा एक हाथ अपनी चूत के उपर रख दिया और उसे दबाने सहलाने लगी.. उनकी पाजामी गीली होती जा रही थी..
जब मुझसे और सहन नही हुआ तो मे ये कहकर कि मुझे तो अब नींद आरहि है मे उठ खड़ा हुआ..
दीदी प्यासी सी मेरी ओर देखने लगी और उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली – अरे छोटू बैठ ना.. दिन में नींद पूरी कर लेना..
मे – नही दीदी, अब मेरा सर भारी होने लगा है.. अब मेरे से नही बैठा जाएगा..
वो तीनों तो मूवी में ही खोए हुए थे.. इधर जब मेने उनकी बात नही मानी तो उन्होने मुझे ज़ोर का झटका देकर अपने उपर खींच लिया, जिससे मे उनके उपर गिर पड़ा..
झटका अचानक इतना ज़ोर का था कि वो खुद भी गद्दे पर गिर पड़ी और मे उनके उपर..
उन्होने मुझे अपनी बाहों में कस लिया जिसके कारण उनके दोनो गद्दे जैसे चुचे मेरे सीने में दब गये,
मेरा खड़ा लंड उनकी मोटी-मोटी जांघों के बीच फँस गया, जिसे उन्होने अपनी जांघों को और जोरेसे भींच कर दबा दिया.
वो मुझे किस करने ही वाली थी कि मे उनके उपर से उठ खड़ा हुआ, और तेज़ी से वहाँ से निकल गया और सीधा बाथरूम में घुस गया….
मेने बाथरूम में अपनी टंकी रिलीस की और जाकर अपने बिस्तर पर सो गया, जो छत पर पड़ा हुआ था, मेरे बाजू में ही रामा दीदी का बिस्तर था.
रामा दीदी इस समय अपने घुटने मोड़ कर करवट से गहरी नींद में थी, मे भी जाकर उनकी बगल मे लेट गया और जल्दी ही गहरी नींद में चला गया
मे उँचे और घने पेड़ों के बीच स्थित एक साफ पानी से भरे तलब के किनारे खड़ा हुआ था, अचानक मेरी नज़र तालाब में नहाती हुई एक कमसिन लड़की पर पड़ती है..
उसके बदन पर इस समय मात्र एक पतले कड़े की चुनरी जैसी थी, जो वो अपने शरीर पर लपेटे हुए थी, पानी से गीली होने बाद उसके शरीर का वो कपड़ा उसके बदन को ढकने की वजाय और उसके शरीर के उभारों को प्रदर्शित कर रहा था..
अचानक मुझे देख कर वो लड़की पानी में खड़ी हो जाती है, जिससे उसके कमर से उपर का भाग दिखाई पड़ने लगता है…
पतले गीले कपड़े से उसके गोल –गोल ठोस उरोज साफ-साफ दिखाई दे रहे थे, ब्राउन कलर के अंगूर के दाने जैसे उसके निपल पानी के ठंडे पानी से भीगने के बाद एकदम कड़े होकर उस कपड़े से बाहर निकलने के लिए जैसे व्याकुल हो उठे हों..
मे एकटक उसकी सुंदरता में खोगया, गोरी चिट्टी वो लड़की मेरी तरफ देख कर मंद-मंद मुस्करा रही थी..
अचानक धीरे-2 वो पानी से बाहर आने लगी, मे जड़वत किसी पत्थर की मूरत की तरह वहीं खड़ा उसका इंतेज़ार कर रहा था…
वो बाहर निकल कर ठीक मेरे सामने आकर खड़ी होगयि और उसने अपने गीले कड़क उरोज मेरे सीने में गढ़ा दिए.. और फिर अपने शरीर को उपर-नीचे करके अपने निप्प्लो को मेरे सीने से रगड़ने लगी..
मेरी आँखों में झाँकते हुए उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड पर रख दिया और उसे सहलाने लगी…
उत्तेजना मेरे सर चढ़ कर बोलने लगी थी, मेने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके होठों को चूस्ते हुए उसके उरोजो को मसल्ने लगा…
वो ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड को मसले जा रही थी… अब उसने मेरा लिंग अपनी यौनी के उपर रगड़ना शुरू कर दिया…
मात्र एक झीने से कपड़े और वो भी पूरी तरह पानी से गीला होने के कारण मेरा लंड उसकी यौनी को अच्छे से फील कर रहा था…
मेने उसके गोल-मटोल कलश जैसे कुल्हों को अपने हाथों में कस लिया और अपनी कमर को एक झटका दिया…
उस झीने कपड़े समेत मेरा लिंग उसकी यौनी में प्रवेश करने लगा…मे अपनी कमर को और ज़्यादा उसकी तरफ पुश करने लगा… उसके चेहरे पर दर्द के भाव बढ़ते जा रहे थे…
मुझे लगा जैसे मेरा लंड पानी छोड़ देगा, मेने उसकी पीड़ा की परवाह ना करते हुए अपना लिंग और अंदर करना चाहा कि किसी ने मुझे झकझोर दिया…
हड़बड़ा कर मेने अपनी आँखें खोली तो देखा दीदी मेरे उपर झुकी हुई मुझे ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी…
छोटू उठ जा अब देख कितनी धूप तेज हो गयी है, पसीने से तर हो गया है.. फिर भी सो रहा है…
मे उठकर बैठ गया… मुझे अभी भी ऐसा फील होरहा था, जैसे ये सब सपना नही हक़ीकत में मेरे साथ हो रहा था….
मेरा लंड पूरी तरह अकड़ कर शॉर्ट को फाडे दे रहा था, एक सेकेंड और मेरी आँख नही खुली होती तो वो पिचकारी छोड़ चुका होता…
दीदी की नज़र मेरे शॉर्ट पर ही थी, जब मेने उसकी निगाहों का पीछा किया तब मुझे एहसास हुआ, और मेने अपनी जांघे भींच कर उसे छुपाने की कोशिश की..
दीदी झेंप गयी और नज़र नीची करके मुस्कराते हुए वहाँ से भाग गयी.. और सीधी के पास जाकर पलट कर बोली- अब सपने से बाहर आ गया हो तो नीचे आजा.. भाभी बुला रही हैं…!
मुझे बड़ी शर्म सी महसूस हुई, फिर कुच्छ देर बैठ कर अपने मन को इधर-उधर करने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ..
फिर उठकर फर्स्ट फ्लोर पर बने बाथरूम में घुस गया और पेसाब की धार मारी तब जाकर कुच्छ शांति मिली……..
चाय नाश्ता करने के बाद मेने अपनी गुड़िया रानी को गोद में लिया और भाभी को बोलकर बड़ी चाची के घर की तरफ निकल गया…
मेने उनके घर के अंदर जैसे ही पैर रखा, सामने ही वरान्डे में रेखा दीदी चारपाई पर बैठी अपने बेटे को दूध पिला रही थी,
उनका पपीते जैसा एक बोबा, कुर्ते के बाहर निकला हुआ था और उसका कागज़ी बादाम जैसा निपल उनके बेटे के मुँह में लगा हुआ था, और वो चुकुर-2 करके उसे चूस रहा था..
मेरे कदमों की आहट सुन कर उन्होने उसे ढकना चाहा, लेकिन जैसे ही उनकी नज़र मेरे उपर पड़ी.. तो उन्होने अपनी कमीज़ और उपर कर ली जिससे उनका पूरा पपीता मेरे सामने आगया….
मे – दीदी क्या हो रहा है…? और उनके पास बैठ कर उनके बेटे के सर पर हाथ फिराया और उनके बेटे से बोला – अले-अले..मम्मा.. का दुद्दु पी रहा है मेरा भांजा…
दीदी ने जलती नज़रों से मुझे देखा लेकिन मेरी बात का कोई जबाब नही दिया..
मेने उनके पास बैठ के रूचि के गाल पर किस किया और उसे खिलाने लगा…वो बार-2 मेरा ध्यान अपनी ओर करने के लिए सस्सिईइ….आअहह…काट मत… जैसी आवाज़ें करने लगी.. लेकिन मे अपनी गुड़िया से ही खेलता रहा…
फिर जब उनकी एक तरफ की टंकी खाली हो गयी, तो उसे पलट कर दूसरे बोबे की तरफ किया और अपनी कमीज़ उठा कर उसको भी नंगा करके निपल उसके मुँह में दे दिया.. लेकिन पहले वाले को ढकने की कोशिश भी नही की..
अब उनकी कमीज़ उनके दोनो चुचियों के उपर टिकी हुई थी…मे कनखियों से उनको देख रहा था, और अपनी भतीजी से खेलता रहा…
वो मन ही मन भुन-भूना रही थी.. फिर मे बिना उनकी तरफ देखे ही बोला – दीदी घर में और कोई नही है…? उन्होने फिर भी सीधे -2 मेरी बात का कोई जबाब नही दिया और मुझे सुनकर अपने बेटे से बातें करने लगी.
ले बेटा ठूंस ले पेट भरके… यहाँ और कोई नही है, जो तेरी भूख शांत करे..
लेकिन बेटा तो दूध पीना बंद करके कब का सो चुका था.. तो उसको उन्होने साइड में सुला दिया और झटके से अपनी कमीज़ नीचे करके अपने पपीतों को ढक लिया.
मे – चल रूचि.. अपना चलते हैं.. यहाँ तो कोई दिख नही रहा.. तो फिर अपन भी यहाँ बैठ के क्या करेंगे…
वो मेरी बात सुनकर और ज़्यादा खीज गयी और पीछे से मेरे गले को अपने एक बाजू से लपेट लिया… और बोली – कमीने तुझे मे इतनी बड़ी यहाँ बैठी दिखाई नही दी.. जो कह रहा है कि यहाँ कोई नही है..
मे – चल रूचि.. अपना चलते हैं.. यहाँ तो कोई दिख नही रहा.. तो फिर अपन भी यहाँ बैठ के क्या करेंगे…
वो मेरी बात सुनकर और ज़्यादा खीज गयी और पीछे से मेरे गले को अपने एक बाजू से लपेट लिया… और बोली – कमीने तुझे मे इतनी बड़ी यहाँ बैठी दिखाई नही दी.. जो कह रहा है कि यहाँ कोई नही है..
मे – आप तो कोई जबाब ही नही दे रही तीन मेरी बात का.. तो मे और किसके साथ बात करूँ?
वो – तू तो अब बड़ा आदमी हो गया है.. हम जैसे छोटे लोगों के साथ तो बैठना भी अपनी बेइज़्ज़ती समझता है… और ये कह कर उन्होने अपने स्तनों को मेरी पीठ पर रगड़ दिया…
मे – आपको ऐसा क्यों लगा कि मे आपके साथ बैठ कर बात नही करना चाहता..?
वो – तो फिर रात उठकर क्यों चला गया था, मेने तुझे रुकने के लिया कितना बोला.
मे – रात मुझे सच में बहुत नींद आ रही थी…
फिर उन्होने पीछे से ही मेरी गोद में बैठी रूचि को खिलाने लगी जिससे उनकी दोनो चुचियाँ मेरे शरीर में गढ़ रही थी..
रूचि के साथ खेलने के बहाने उनका हाथ मेरे लंड की तरफ बढ़ने लगा…
मेने मन ही मन सोचा… ये साली कितनी गरम है.. अपने छोटे भाई का ही लॉडा लेने के चक्कर में है.. अगर मेने भाभी से प्रॉमिस नही किया होता तो इसे यहीं पटक कर चोद डालता.. लेकिन क्या करूँ..
कुच्छ देर जब मेरी सहन शक्ति जबाब देने लगी तो मेने बहाना बनाया… दीदी अब मे चलता हूँ.. रूचि को भूख लग रही होगी.. और मे चारपाई से खड़ा हो गया..
वो मुँह लटका के बैठी रह गयी, एक बार फिरसे मे उसको केएलपीडी करके वहाँ से चला आया…..
…………………………………………………………………………………..
शाम को मेरा मन किया कि आज खेतों की तरफ चला जाए, वैसे भी गर्मी बहुत थी, तो शायद खेतों में या बगीचे घूम-घूम कर कुच्छ राहत मिले…
शाम के 5 बज चुके थे, लेकिन गर्मी और धूप ऐसी थी मानो अभी भी दोपहर ही हो…
मे थोड़ी देर आम के पेड़ों के नीचे इधर उधर घूमता रहा… कुच्छ पके आम दिखे तो उन्हें तोड़ने की कोशिश की, और उन्हें पत्थर मार कर तोड़ने लगा..
एक-दो आम हाथ भी आए… अभी में और आम तोड़ता कि तभी वहाँ आशा दीदी आगयि… और मुझे देखते ही चहकते हुए बोली – और हीरो… आज इधर कैसे..?
मे – बस ऐसे ही चला आया… आज कुच्छ गर्मी ज़्यादा है ना दीदी…!
वो – हां यार मेरा तो पसीना ही नही सूख रहा आज… मेने उसके उपर नज़र डाली.. वाकाई में उसका कुर्ता पसीने से तर हो रहा था.. और वो उसके बदन से चिपका पड़ा था…
उसकी ब्रा का इंप्रेशन साफ-साफ दिखाई दे रहा था.. हम दोनो एक पेड़ के नीचे बैठ कर तोड़े हुए आम खाने लगे.. फिर कुच्छ देर बैठने के बाद वो बोली..
चल छोटू.. ट्यूबिवेल की तरफ चलते हैं… मेने कहा हां ! चलो चलते हैं..
हम दोनो ट्यूबिवेल पर आगाय… वहाँ कोई नही था.. और ट्यूबिवेल चल रहा था.
मेने कहा – दीदी ! यहाँ तो कोई नही है… और ट्यूबिवेल चल रहा है… पानी कहाँ जा रहा है..?
वो – हमारे खेतों में मूँग लगा रखी है ना उसमें… वही देखने मे आई थी.. फिर वो मुझसे बोली… छोटू चल नहले.. यार बड़ी गर्मी है.. थोड़ा ठंडे-2 पानी में नहा कर राहत मिल जाएगी…
मे – मन तो है, पर दूसरे कपड़े नही लाया..
वो – अरे यार ! कपड़े उतार और कूद जा हौदी में.. अंडरवेर तो पहना होगा ना..
मे – हां वो तो पहना है.. फिर मेने अपने शर्ट और पाजामा को उतार कर पास में पड़ी चारपाई पर रखा और कूद गया पानी में….
ट्यूबिवेल का ताज़ा ठंडा पानी शरीर पर पड़ते ही राहत मिली… खड़े होने पर हौदी का पानी मेरे पेट तक ही आरहा था….
उपर से पीपे की धार.. पड़ रही थी जिसमें मे बीच-2 में उसके नीचे अपना सर लगा देता…तो और ज़्यादा मज़ा आ जाता….
अभी मे धार के नीचे से अपना सर हटा कर सीधा खड़ा ही हुआ था… कि मेरे पीछे छपाक की आवाज़ हुई……!
मेने जैसे ही अपने पीछे मुड़कर देखा… तो आशा दीदी भी हौदी में कूद पड़ी थी…
पानी में कूदते ही उसने अंदर डुबकी लगा दी… जब वो बाहर आई और खड़ी हुई… मेरी आँखें उसके शरीर पर चिपक गयीं…
उसका पतले से कपड़े का कुर्ता उसके बदन से चिपक गया था और उसकी ब्रा साफ-साफ दिखाई दे रही थी… शरीर के सारे कटाव एकदम उजागर हो गये थे…
आज मुझे पता चला कि उसका बदन भी कम मादक नही था, 33-26-34 का एक मस्त कर देने वाला गोरा बदन..
मुझे अपनी ओर देखते पाकर वो हँसने लगी और अपने हाथों में पानी भर भरके मेरे उपर उच्छलने लगी.. जो सीधा मेरी आँखों पर भी पड़ने लगा…
मेने भी उसके उपर पानी उच्छालना शुरू कर दिया….मेरी पानी उच्छालने की गति ज़्यादा तेज थी.. सो वो मेरी ओर देख भी नही पा रही थी…
वो चिल्लाने लगी – मान जा.. छोटू… मेरी आँखों मे पानी जा रहा है…
मे बोला – शुरू तो आपने ही किया था ना… अब भुग्तो…और पानी उच्छालना जारी रखा..
वो – अच्छा तो ऐसे नही मानेगा तू.. ,और इतना कह कर उसने मेरे उपर छलान्ग लगा दी.. छपाक से मे पानी के अंदर डूब गया और वो मेरे उपर आ पड़ी…
उसके अमरूद मेरे सीने से टकराए… पानी के अंदर ही उसने मेरे गले में अपनी एक बाजू लपेट दी…
मेने पलटी लेकर पानी से बाहर अपना सर निकाला, तो वो भी मेरे साथ ही बाहर आगयि…
वो मेरे गले से अपनी बाजू कसते हुए बोली – अब बोल… मानेगा… बोल…! मे हँसते हुए.. उनसे छूटने की कोशिस कर रहा था.. लेकिन वो मेरे से और ज़्यादा चिपकती जा रही थी..
मेरा पप्पू छोटी सी फ्रेंची अंडरवेर को फाडे दे रहा था…
मेने उसकी बगलों में एकदम उसकी चुचियों के साइड में गुदगुदी करने लगा…. वो खिल खिलाकर हँसते हुए मुझसे और ज़ोर्से चिपक गयी…
उसकी चुचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थी.. , उसकी मुनिया और मेरे पप्पू में मात्र कुच्छ ही सेंटिमेटेर का फासला था…
अपनी सखी की खुसबु लगते ही पप्पू और फन-फ़ना उठा… मेने उसके कठोर किंतु रूई जैसे गोल – गोल चुतड़ों को अपनी मुत्ठियों में कस कर भींच दिया…तो वो फासला भी ख़तम हो गया और मेरा बबुआ ने…ठीक उसके भग्नासा के उपर अटॅक कर दिया….!
उसने मेरे कंधे में दाँत गढ़ा दिए और ज़ोर्से काट लिया… मेरी चीख निकल पड़ी..
मेने कहा दीदी… छोड़ो ना.. काट क्यों रही हो….
वो बोली – क्यों निकल गयी सारी हेकड़ी… कह कर उसने अपनी एक टाँग मेरी जाँघ पर लपेट दी और पप्पू की सीधी ठोकर उसकी मुनिया के ठीक होठों पर पड़ी….
सीईईईईईईई….अह्ह्ह्ह… छोटू … कह कर उसने मेरे होठों पर किस कर लिया…और अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को ज़ोर्से मसल डाला….
ना चाहते हुए भी मेरे हाथ उसके गोल-मटोल चुतड़ों पर फिरसे चले गये और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में कस कर मसल दिया….
उसने अपनी कमर को ज़ोर का झटका देकर अपनी मुनिया को मेरे पप्पू पर रगड़ दिया.. और मेरे होठ चूसने लगी…!