Update 06

ना चाहते हुए भी मेरे हाथ उसके गोल-मटोल चुतड़ों पर फिरसे चले गये और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में कस कर मसल दिया….

उसने अपनी कमर को ज़ोर का झटका देकर अपनी मुनिया को मेरे पप्पू पर रगड़ दिया.. और मेरे होठ चूसने लगी…!

मेरी हालत खराब होने लगी, …मामला कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था….

मुझे लगने लगा कि मे कहीं भाभी से किया हुआ वादा ना तोड़ दूं…, तो मेने उसके कंधे पकड़ कर अपने से अलग कर दिया और हौदी से बाहर निकालने लगा…

वो मेरा हाथ पकड़ कर रोकने लगी… अरे भाई रुक… ना… थोड़ी देर और नहाते हैं.. कितना अच्छा लग रहा है…

मे- नही दीदी अब बहुत हो गया… अब और नही… बस इतना ही बहुत है.. इतना कह कर मे बाहर आगया.. ,

वो अपनी लाल-लाल शराबी जैसी आँखों से मुझे देखती रह गयी… ,

मेने मन ही मन कहा - उफ़फ्फ़.. ये दोनो बहने तो भेन्चोद हाथ धोके पीछे ही पड़ गयीं हैं यार…जल्दी निकल लो पतली गली से…कहीं भेन्चोद उल्टा बलात्कार ही ना कर्दे मेरा..…

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आज मेरा रिज़ल्ट निकलने वाला था, वैसे तो हमारे यहाँ रोज़ ही न्यूसपेपर आता था, लेकिन मुझसे इंतेज़ार नही हुआ और में सुबह-2 ही अपनी स्कूटी लेकर टाउन की तरफ दौड़ गया और न्यूसपेपर ले आया.

मेरा रिज़ल्ट जैसा भाभी ने प्रॉमिस लिया था, मेरे 85% मार्क्स आए थे, जो अपने कॉलेज में हाइयेस्ट थे…भाभी खुशी से झूम उठी और उन्होने मेरे चेहरे पर चुंम्बानों की बौछार कर दी.

बाबूजी ने मुझे अपने कलेजे से लगा लिया, मेने इसका श्रेय अपनी भाभी को ही दिया, तो बाबूजी ने उन्हें अपनी बेटी की तरह उनका सर अपने सीने से टिका कर आशीर्वाद दिया.

दो सालों की कोशिश के बाद हमारे कॉलेज को डिग्री कॉलेज तक की पर्मिशन मिल गयी थी, तो कॉलेज वालों ने उन सभी बच्चों के गार्जियन से कॉंटॅक्ट किया जो कॉलेज से पास आउट हुए थे.. ताकि उन्हें अड्मिशन मिल सके नये सेमिस्टर के लिए…

मेरी भी इच्छा थी की मे अपने घर ही रहूं.. सो मेने बाबूजी को इस बात के लिए राज़ी कर लिया, हालाँकि बड़े भैया का विचार था कि मे इंजिनियरिंग करूँ.

मे इस बात से खुश था कि चलो अब मुझे अपना घर छोड़ कर नही जाना पड़ेगा.

लेकिन मेरी खुशी अभी अधूरी थी.. जिसका अभी मुझे और कुच्छ दिन इंतजार करना था…और आख़िरकार वो दिन भी आ ही गया………!!!!

आज मेरा जन्म दिन था, चूँकि ये ईवन डे था, तो मेरे भाई तो नही आ सके लेकिन भाभी चाहती थी, मेरे जन्मदिन की खुशी पूरे परिवार के साथ मनाई जाए.. सो उन्होने एक दिन पहले से ही सबको बोल दिया…

पिताजी ने भी पंडितजी को बुलवाके हवन पूजन कराया, और हम सब लोगों ने मिलकर खाना पीना किया… सारा दिन हसी-खुशी में ही निकल गया…

शाम को एक केक मँगवाकर काटा और सबने मुझे जन्मदिन की बधाई और आशीर्वाद के साथ-2 क्षमता अनुसार तोहफे भी दिए…

रात को जब सब अपने-2 घर चले गये, और सारा काम निपटाकर दीदी और भाभी जिसमें चाचियों ने भी सहयोग दिया फारिग हुई..

दीदी चाची के साथ उनके घर चली गयी.. कुच्छ देर बाद आने का बोल कर तब भाभी ने मुझे अकेले में बधाई दी और बोली – देवर जी ! 11 बजे मेरे कमरे में आ जाना आपको स्पेशल गिफ्ट देना है…!!

उनके शब्दों ने मेरे कानों में जैसे शहद ही घोल दिया हो… मेरा मन मयूर की तरह नाच उठा और मेने आवेश में आकर भाभी को गोद में उठा लिया और सारे आँगन में लेकर नाचने लगा….

भाभी खिल-खिला रही थी और बार-2 मुझे उतारने के लिए बोल रही थी.. फिर मेने उनको एक चारपाई पर बड़े प्यार से बिठा दिया.. और उनके गालों के डिंपल को चूमकर बोला –

थॅंक यू भाभी आपको अपना प्रॉमिस पूरा करने के लिए.. मे बता नही सकता कि आज मे कितना खुश हूँ…?

भाभी – अपनी थोड़ी बहुत खुशी आनेवाले समय के लिए भी बचा कर रखो मेरे प्यारे देवर राजा…

आज बहुत कुच्छ सीखना और करना है तुम्हें… और मुस्करा कर वो अपने कमरे में चली गयी….!

रात 11 बजे मे भाभी के कमरे में पहुँचा… वो एक फ्रंट ओपन वन पीस गाउन में अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी थी.. मेरी आहट सुन कर वो खड़ी हो गयी और जैसे ही वो मेरी ओर पलटी…..

मे उन्हें देखता ही रह गया… हल्के से मेक-अप से ही उनका चेहरा कुंदन की तरह दमक रहा था.. पतले -2 होठों पर हल्के लाल रंग की लिपीसटिक,

माथे पर छोटी सी बिंदी, आँखों में हल्का- 2 काजल कमर तक के खुले बालों के बीच मानो घने काले बादलों के बीच अचानक चाँद निकल आया हो.

सुराइदार गर्दन में मात्र एक मन्गल्सुत्र जो उनकी घाटी के बीचो-बीच, उसके काले मोतियो के दाने उनके गोरे बदन को और चार चाँद लगा रहे थे.

झीने कपड़े का गाउन जो सामने उनकी नाभि के उपर मात्र एक डोरी से बँधा था.

उभारों की वजह से गाउन के दोनो छोरो के बीच उनकी चोटियों की ढलान कमरे में फैली हल्की दूधिया बल्ब की लाइट से साफ चमक रही थी.

वो इस समय साक्षात रति का स्वरूप लग रही थी जो किसी भी महायोगी के अंदर सोए कामदेव को जगाने में सक्षम थी. मे उनके इस रूप में जैसे खो सा गया…

भाभी ने मेरी नाक पकड़ कर हिलाई.. और बोली – ओ मेरे अनाड़ी आशिक़ ! कहाँ खो गये..?

मे जैसे नींद से जागा… ! और मेरे मुँह से अपने आप निकल गया… ब्यूटिफुल..! मुझे तो पता ही नही था कि मेरी भाभी इतनी सुंदर हैं…

क्यों मस्का लगा रहे हो..! हँसते हुए कहा उन्होने तो उनके गोरे-गोरे गालों के डिंपल इतने मादक लगे कि मुझसे रहा नही गया, और मेने उनके डिम्पलो को चूम लिया…

सॉरी भाभी ! मेने आपकी बिना पर्मिशन लिए आपके डिंपल चूम लिए…लेकिन ये सच है, कि आप बहुत सुंदर लग रही हो…

भाभी – आज तुम्हें खुली छूट है… आज तुम मेरे साथ अबतक तुमने जो भी सोचा हो मेरे लिए वो सब कर सकते हो…

मे – सच भाभी ! कुच्छ भी.. !

वो मुस्कराते हुए बोली – हां कुच्छ भी…. ये सुनते ही मेने उन्हें अपनी बाहों में कस लिया… आइ लव यू भाभी….

जबाब में उन्होने भी मेरी पीठ पर अपने हाथों को कसते हुए कहा – आइ लव यू माइ स्वीट देवर… मेरे सोना… तुम नही जानते, इस पल का में वर्षों से इंतेज़ार कर रही थी…

हम दोनो के बीच की सारी दूरियाँ आज ख़तम होती जा रही थी, दोनो एकदुसरे से इस कदर चिपके हुए थे कि हवा भी पास नही हो सकती थी…

उनके उरोज मेरे चौड़े सीने में धँस रहे थे.. उनका सर मेरे कंधे पर था और वो अपनी आँखें बंद किए मेरे सीने में अपना चेहरा छुपाये इस अद्वितीय मिलन का आनंद ले रही थी.

ना जाने आज मेरी वासना कहीं कोने में पड़ी सिसक रही थी, उनके अर्धनग्न शरीर के आलिंगन के बाद भी मेरा पप्पू आराम से पड़ा सो रहा था.. शायद उसे आज किसी बात की चिंता नही थी..

वो तो आज पूरी तरह अस्वस्त था की उसका नंबर आना ही आना है…और आज उसके और उसकी सखी के बीच कोई दीवार नही आनेवाली…..!

जब बहुत देर तक मे ऐसे ही उनको अपने से चिपकाए खड़ा रहा तो, भाभी को लगा, कि ये तो इस काम में अनाड़ी है, मुझे ही पहल करनी होगी..

सो उन्होने अपना चेहरा मेरे सीने से हटाया और मेरे सर को अपने हाथों के बीच लेकर उन्होने मेरे माथे से चूमना शुरू किया, फिर गाल, चिन, उसके बाद वो अपने गालों को मेरी दाढ़ी जिस पर हल्के-2 रोएँ जैसे आते जा रहे थे सहलाने लगी..

मे बस बुत बना उनकी पीठ पर अपने हाथ रखे खड़ा था, अपने गालों को मेरी शुरू हो रही दाढ़ी के दोनो तरफ से रगड़ने के बाद वो मेरे होठों पर आ गयी और अपने होठों को मेरे होठों से बस दो इंच दूर रखकर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली –

सुनो मेरे अनाड़ी देवर, अब मे जैसे- 2 तुम्हारे साथ करूँ ठीक तुम भी वैसे ही करना.. और ये बोल कर उन्होने मेरे होठों का चुंबन लेकर अपने होठ अलग कर लिए.. और मेरी तरफ देखने लगी…

मे बस बुत बना उनकी पीठ पर अपने हाथ रखे खड़ा था, अपने गालों को मेरी शुरू हो रही दाढ़ी के दोनो तरफ से रगड़ने के बाद वो मेरे होठों पर आ गयी और अपने होठों को मेरे होठों से बस दो इंच दूर रखकर मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली –

सुनो मेरे अनाड़ी देवर, अब मे जैसे- 2 तुम्हारे साथ करूँ ठीक तुम भी वैसे ही करना.. और ये बोल कर उन्होने मेरे होठों का चुंबन लेकर अपने होठ अलग कर लिए.. और मेरी तरफ देखने लगी…

उनकी कही बात याद आते ही, मेने भी उनके होठों का चुंबन कर दिया, फिर तो भाभी मेरे होठों पर टूट पड़ी, और मेरे होठों को चूसने लगी, मे भी उनकी तरह ही कोशिश करने लगा और मेरे हिस्से उनका निचला होठ आया, और मे उसे पूरी लगन के साथ चूसने लगा.

भाभी मेरे उपर के होठ को चूस रही थी.. फिर कुच्छ देर बाद वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डालने लगी, तो मेने भी अपना मुँह खोल दिया और हम दोनो की जीभ आपस में टकरा गयी और अब वो दोनो एक-दूसरे के साथ खिलवाड़ करने लगी.

5-6 मिनिट यही चलता रहा, एकदुसरे की जीभ का स्पर्श मुझे अंदर तक गुदगुदा रहा था, और एक स्वीट सी मादकता छाती जा रही थी…

उसके बाद भाभी ने किस तोड़ दिया और मेरी टीशर्ट निकाल दी, और अपने होठों से मेरे गले को चूमती हुई मेरे सीने तक आ गयी…

मेरी छाती पर भी हल्के-2 रोँये आते जा रहे थे, उनकी जीभ जब मेरे नये आरहे बालों पर फिराने लगी तो मेरी आँखें अपने आप बंद होती चली गयी, और मेरी उत्तेजना में इज़ाफा होने लगा, मेरा शरीर एक अजीब सी उत्तेजना से काँपने लगा.

फिर जैसे ही उनकी जीभ ने मेरे मक्खी साइज़ निपल से टच किया.. मेरे मुँह से स्वतः ही एक सिसकी निकल गयी.. जिसे सुनकर भाभी ने मेरे चेहरे की तरफ देखा,

मेरे लाल हो चुके चेहरे और अधखुली आँखों को देखकर उनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी…

इसी तरह उन्होने मेरी दोनो निपल को देर तक चाटा, फिर जब वो कुच्छ बाहर को निकल आए, तो अपने दाँतों से हल्के-2 उनको खरोंछने लगी… मेरा शरीर गुदगुदाहट और रोमांच से भर गया, और मे अपने पंजों पर खड़ा हो गया…

मेरा पप्पू लगाम तोड़ते बैल्ल की तरह खड़ा होकर फूँकारने लगा…

भाभी ने यहीं बस नही की और वो मेरे पेट को चूमती चाटती हुई नीचे की ओर बढ़ गई और मेरी नाभि को जीभ से सहला दिया…

मेरे पास शब्द नही थे कि मे इस आनंद को किस तरह बयान करूँ…अब मेरे सामने अपने पंजों पर बैठ गयी, और मेरा लोवर अंडरवेर के साथ खींच कर पैरों पर कर दिया…

भाभी ने जैसे ही मेरा अंडरवेर नीचे किया, पप्पू ने उच्छल कर उनकी ठोडी पर अटॅक कर दिया,

भाभी ने मुस्करा कर उसको प्यार से एक चपत लगाई और बोली – कमीने, अपनी सहेली की मालकिन पर ही अटॅक करता है… ठहर.. मे बताती हूँ तुझे…

उन्होने उसे अपनी मुट्ठी में क़ैद कर लिया और धीरे से मसल्ने लगी.. फिर हल्का सा उसका टोपा खोलकर बोली – चल तेरी पहली ग़लती माफ़, आ तुझे प्यार दूं.. और उन्होने उसे चूम लिया…

मज़े में मेरी आहह… निकल गयी, दूसरे हाथ से वो मेरे टट्टों को सहला रही थी, फिर उन्होने लंड को उपर करके उन्दोनो को अपने मुँह में भर लिया और पपोर्ने लगी…

कुच्छ देर मेरे आंडों को चूसने के बाद उन्होने मेरे अधखुले सुपाडे को अपने होठों में क़ैद कर लिया और धीरे-2 उसको अंदर और अंदर लेने लगी, लेकिन उस्दिन वाली ग़लती इस बार नही की और एक हाथ से उसकी जड़ में पकड़े रखा..

भाभी अपने मुँह को आगे-पीछे करके उसको चूसने लगी.. मेरा हाल बहाल होने लगा, और अपने-आप मेरी कमर भी आगे पीछे होने लगी, एक तरह से में उनके मुँह को चोद रहा था……

मेरे हाथ उनके सर पर थे, वो मेरी आँखों में देख रही थी और चेहरे पर एक शरारती मुस्कान थी…

मे अपने चरम पर पहुँचने ही वाला था कि उन्होने लंड चूसना बंद कर दिया… मेरे चेहरे पर असीम आश्चर्य के भाव आ गये..

तो मेने पुच्छ ही लिया…

रुक क्यों गयी भाभी… और करो ना… ! मेरा निकलने वाला था…!

वो शरारत के साथ इठलाती हुई बोली – क्यों करूँ ? मे तुम्हारी नौकर हूँ..?

मेरा तो कलपद हो गया था यार !, उनकी बातें सुन कर और झांट सुलग गयी.. लेकिन फिर भी मे उनसे और चूसने के लिए मिन्नतें करने लगा… तो वो बोली…

लल्लाजी ! आज इसकी पहली धार मुझे अपने अंदर लेनी है, ये कह कर वो पलट गयी, और अपनी पीठ और मदमस्त गांद मेरे से सटा दी…

मेने उनके कान के नीचे गले पर चूमकर कहा – आप बहुत शरारती हो भाभी..

वो – यही शरारातें एक-दूसरे को और नज़दीक लाती हैं… मेरे भोले देवर्जी..

मे – तो अब में क्या करूँ…?

मेरी बात सुनकर वो झट से अलग हो गयी और मेरी तरफ मूह करके मेरा हाथ पकड़ लिया और अपने गाउन की डोरी पर रख दिया…

मेने उनके गाउन की डोरी खींच दी, और मेरी आँखों के सामने वो नज़ारा आ गया, जिसकी मेने अभी तक कल्पना भी नही की थी..

सामने से वो बिल्कुल नंगी थी.. मेने झपट कर उनका गाउन निकाल कर दूर फेंक दिया और दो कदम पीछे होकर उनके शरीर की सुंदरता को देखने लगा…

दूधिया बल्ब की रोशनी में नाहया उनका गोरा बदन किसी संगेमरमर की मूरत की तरह मेरे सामने था, मानो अजंता की कोई मूरत सजीव हो उठी हो…

सुराइदार गर्दन के नीचे उनके गोल-सुडौल गोरे-2 स्तन मानो कलई के दो मुरादाबादी लोटे चिपके हों उनकी छाती पर, जिनके सिरे पर दो कागज़ी बादाम लगा दिए हों जैसे… ऐसे दो उठे हुए निपल , हल्के भूरे रंग के..

नीचे एकदम सपाट पेट जिसमें एक गहरी सी नाभि.. हल्का सा उठा हुआ उनका पेडू, जो शायद प्रेग्नेन्सी के बाद हो गया था…

कूर्वी कमर के नीचे दो केले जैसी चिकनी गोल-गोल, मांसल जांघें, जिनके बीच दुनिया की सबसे अनमोल चीज़, परमात्मा की सफल कारीगरी,

जिसपर एक बाल नही, एकदम चिकनी चूत जो कामरस से भीगकार और ज़्यादा चमक रही थी…

जो योनि पहली दफ़ा अपने पति के सामने किसी जंगली झाड़ियों से घिरी हुई थी, वही आज आपने नये, अनाड़ी प्रेमी, उसके देवर के लिए एकदम चम चमा रही थी…जैसे कुच्छ घंटों पहले ही साफ की गयी हो…

भाभी मेरी नज़रों का स्पर्श अपने शरीर पर फील करके उनकी नज़रें शर्म से झुक गयी और वो अपने निचले होठ को दाँतों से काटती हुई फर्श की ओर देखने लगी...

भाभी मेरी नज़रों का स्पर्श अपने शरीर पर फील करके उनकी नज़रें शर्म से झुक गयी और वो अपने निचले होठ को दाँतों से काटती हुई फर्श की ओर देखने लगी...

मे हौले से उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया, और उनकी कमर में अपने बाहें लपेट कर अपने से सटा लिया, मेरा लंड उनकी कमर पर ठोकर मारने लगा.

उनके कंधे को चूमते हुए माने कहा – मुझे आज अपने बड़े भैया से जलन हो रही है.. मेरी बात सुन उन्होने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखा, इससे पहले की वो कुच्छ कहती.. मेने आगे कहा.-. काश आप मेरी होती.. !

वो – तो अभी में किसकी बाहों में हूँ…?

मे – मेरा मतलब था, कि आप हमेशा के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी होती.. सच कहता हूँ भाभी…

आपके इस रूप लावण्य से मे चाह कर भी नही निकल सकता...मानो कोई अजंता की मूरत सजीव होकर मेरी बाहों में है..

अपनी तारीफ सुनकर भाभी मन ही मन गद-गद हो उठी और मेरे गालों से अपने गालों को सहलाते हुए बोली –

मे हमेशा ही तुम्हारी रहूंगी लल्लाजी… अपनी मर्यादाओं को निभाते हुए भी मेरा प्रेम तुम्हारे लिए हमेशा बना रहेगा…

अब देखना ये होगा कि तुम मुझे कब तक इसी तरह प्रेम करते रहोगो..?

मे झट से बोल पड़ा – मरते दम तक…! मे आपको ता-उम्र यूँही चाहता रहूँगा..

मेरी बात सुन वो पलट गयी, और किसी दीवानी की तरह मेरे पूरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी…

मे भी उनका भरपूर साथ देने लगा, उन्होने मेरे हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रख दिए जिन्हें मेने हौले से सहला दिया..

अहह…. देवर्जी….. इन्हें मूह में लेकर चूसो मेरे रजाअजीीीइ…. इनका दूध आज तुम्हारे लिए है…

भाभी की बात सुन मेने अपना मूह उनके एक निपल से अड़ा दिया और चुकुर-2 करके उनका दूध चूसने लगा… बड़ा ही टेस्टी दूध था भाभी का, मीठा… वो मेरे सर को अपने हाथ से सहला रही थी अपनी आँखें बंद किए हुए…

एक हाथ से मे उनके दूसरे स्तन को सहला रहा था, कभी-2 उनके कड़क हो चुके निपल को दबा देता.. जिसके कारण उनके मूह से सिसकी… ईीीइसस्स्स्शह…. निकल जाती..

कुच्छ देर बाद मे दूसरे स्तन को चूसने लगा, और पहले वाले को हाथ से सहलाता रहा.... मेने चूस-चूस कर, मसल-मसल कर उनके दोनो स्तनों को लाल कर दिया..

भाभी के हाथ का दबाब अपने सर पर पाकर मे नीचे की ओर बढ़ा और उनके पेट और नाभि को चाटता हुआ, उनके रस कलश पर पहुँचा…

मे अपने घुटनों पर बैठकर उनके यौनी प्रदेश को निहारने लगा.. और अपने दोनो हाथों से उनकी मोटी-मोटी जांघों को सहलाते हुए अंदर की ओर लाया,

मेरे हाथों का स्पर्श अपनी जांघों के अंदुरूनी भाग पर पाकर उनकी जांघे अपने आप चौड़ी हो गयी..

अब उनका यौनी प्रदेश और अच्छे से दिख रहा था… उनकी मुनिया से बूँद-2 करके रस टपक रहा था, जिसे मेने अपनी उंगली पर रख कर चखा,

एक खट्टा-मीठा सा स्वाद मेरी जीभ को अच्छा लगा, और मेने एक बार अपने हाथ से उसको सहला कर अपने होठ उनकी यौनी पर रख दिए…

मेरे होठों का स्पर्श अपनी यौनी पर पाकर भाभी के मूह से एक मीठी सी सिसकी निकल गयी…..ईीीइसस्स्स्शह……उफफफफफ्फ़………आअहह….. द.द.ए.व.ए.रजीीइईई….चातूओ…ईससीईई…..प्लेआस्ीई….

मेने पहले भी कभी उनकी बात नही टाली थी… तो अब तो रस का खजाना मेरे सामने था… सो मेने उनकी यौनी की दोनो पुट्टियों समेत पूरी यौनी को अपने मूह में भर लिया और चूसने लगा…

भाभी के दोनो हाथ मेरे बालों को सहला रहे थे, उनके मूह से लगातार कुच्छ ना कुच्छ निकल रहा था.. कुच्छ देर पूरी यौनी को चुसवाने के बाद भाभी बोली-

ल्लाल्लाजीीइई…..इसको खोल के देखो… और अपनी जीभ अंदर डालके चाटो…प्लेआस्ीई…

आअहह….हान्न्न…ऐसी..हिी…हइईए…माआ…उफफफ्फ़…. और जोर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर….स.ईईईईई…..हाइईईईईईईईईईईईई…….उसस्सुउुउऊहह….खा जाऊ…हरंजड़ीइइ..कूऊ…

हाए… देखो…उपर एक नाक जैसी उठी हुई होगी उसको चूसूऊ…. हान्न्न.. यहीयिइ….एसस्स….बहुत अच्छे….अब अपनी उंगली डाल दो अंदर… हइईए…पूरी घुसाऊओ….डरो मत….आहह…. डालडो….हाआंन्न…..अब ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करूऊ…..तेज़ी सीई…. हइई…राम्म्म्मम….ऑश….उूउउ….मीई…तूओ…गाइिईई…ल्ल्ल्लाअल्ल्लाअज्जजििइईई……..

भाभी ने पूरी ताक़त से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया, और फलफालकर झड़ने लगी… ढेर सारा… गाढ़ा-गाढ़ा.. मट्ठा सा.. उनकी चूत से निकलने लगा…

मेने अपना मूह हटाना चाहा… तो वो बोली… नही पी जाओ इसे… तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा..

मे उनका सारा चूतरस पी गया… भाभी की टाँगें काँप रही थी, अब उनसे खड़े रहना मुश्किल होता जा रहा था…

लल्ला जी मुझे पलंग पर ले चलो…प्लेआसीए…

मेने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया, उन्होने अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दी.. और मेरे मूह पर लगे अपने कामरस को चाटते हुए बोली – कैसा था स्वाद मेरे रस का..?

मे – अह्ह्ह्ह… भाभी.. पुछो मत… ऐसा टेस्ट आज तक किसी चीज़ का नही मिला मुझे.. वो मेरे से और चिपक गयी और मेरे गाल पर ज़ोर से काट लिया..

मेरी चीख निकल गयी और उनके दाँतों के निशान मेरे गाल पर छप गये, जिसे वो अपनी जीभ से चाटने लगी…

मेने भाभी को पलग पर लिटा दिया और खुद भी उनकी बगल में लेटकर उनके बदन पर अपना हाथ फिराने लगा.

भाभी – तुम सीधे लेट जाओ लल्ला… अब मेरी बारी है, तुम्हें वो सुख देने की जिसका तुमने इतने दिन इंतजार किया है, जिसे देने का मेने तुमसे वादा किया था… देखना आज तुम्हारी वर्जिनिटी कितने प्यार से लेती हूँ..

जब मे सीधा लेट गया, तो भाभी अपनी गोल-मटोल 36 इंची गांद लेकर, पैरों को मेरे दोनो तरफ करके, मेरे लंड के पास जांघों पर बैठ गयी..

मेरा लंड अपनी सहेली को अपने सामने इतने नज़दीक पाकर खुशी से ठुमके लगाने लगा..

उसके झटके देखकर भाभी को हँसी आ गयी और बोली – देखा देवर जी.. तुम्हारा ये सिपाही अपनी सहेली को देखकर कैसे ठुमके लगा रहा है…

मे – क्यों ना लगाए, बेचारे को अब तक तो वो घूँघट में ही मिली थी, आज पहली बार मुखड़ा देखने को जो मिला है, खुश तो होगा ही.. हहहे… और हम दोनो ही हँसने लगे…!

फिर भाभी ने अपने हाथ मेरी छाती पर टिका दिए, और उसे सहलाते हुए वो मेरे उपर झुकती चली गयी… मेरे होठों को अपने मूह में लेकर चूसने लगी…

उनके निपल मेरे सीने से रब कर रहे थे, जिसके कारण मेरे पूरे शरीर में सुर-सुराहट सी होने लगी…..

भाभी आगे-पीछे होकर अपनी चुचियों को मेरे सीने से घिस रही थी, जिस के कारण उनकी रसभरी भी अपने प्रियतम को गले मिलने लगी,

और अपने गीले होठों की मसाज देते हुए मानो कह रही ही.. आजा मेरे प्यारे समा जा मुझमें…

हम दोनो फिर एक बार भट्टी की तरह तपने लगे.. अब मुझसे रहा नही जा रहा था, सो बोल पड़ा – आहह… भाभी… कुच्छ करो अब… जल्दी से…

उन्होने भी अब देर करना उचित नही समझा, मेरे उपर झुके हुए ही उन्होने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लिया और अपनी रस से भरी गागर के छोटे से मूह पर रख कर अपनी कमर को हल्के से दबा दिया…

गीली चूत में मेरा चौथाई लंड समा गया..

लेकिन चूत की दीवारों की रगड़ से मेरे सुपाडे से चिपकी हुई स्किन टूटने लगी..

जिसकी वजह से मेरे अंदर एक तेज दर्द की लहर दौड़ गयी.. और मेरे मूह से चीख निकल गयी…

आईईईई……माआ….! भाभी…रूको… मेरा लंड फट गया लगता है… उठो ज़रा देखने दो… आहह…

लेकिन भाभी को पता था कि ऐसा कुच्छ देर के लिए होगा.. सो वो अपनी चूत मेरे लंड पर दबाए हुए बैठी रही और अपनी एक चुचि पकड़ कर मेरे मूह में ठुंसदी…

अरे लल्लाजी.. कुच्छ नही हुआ… लो इसको चूसो.. हान्ं.. शब्बाश… ऐसे ही..

मुझे अपनी चुचि से लगा कर उन्होने अपनी गांद को एक बार और दबा दिया…

अब आधे से ज़्यादा लंड उनकी चूत में सरक चुका था… लेकिन फिर से दर्द हुआ मुझे और उनकी चुचि को मूह से बाहर निकल कर कराहने लगा..

भाभी मुझे दुलारती हुई दूसरी चुचि मूह में देकर चुसवाने लगी..

कुच्छ देर बाद मुझे राहत सी हुई.. तो भाभी पूरी तरह मेरे उपर बैठ गयी और मेरा पूरा साडे सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अपने अंदर घोंट लिया..

मेरा दर्द अब पहले से कम था, शायद उनकी रामप्यारी ने अंदर ही अंदर अपने रस रूपी क्रीम से उसे चिकना दिया था..

अब भाभी ने मेरी छाती पर अपनी हथेलिया जमाई और अपने घुटने मोड़ कर उन्होने उठना बैठना शुरू कर दिया…

शुरू-2 में वो धीरे-2 आराम से उपर-नीचे होती रही.. फिर अपनी गति को बढ़ा दिया..

मुझे अब दर्द की जगह मज़ा आने लगा था.. और मेने भाभी के दोनो चुचे अपनी मुत्ठियों में कस लिए और ज़ोर-ज़ोर से मीँजने लगा…

भाभी कमर चलते-2 हाँफने लगी थी और उनकी स्पीड कम पड़ने लगी,

लेकिन मेरा मज़े से बुरा हाल हो रहा था, एक पल की भी देरी एक सदी के समान लग रही थी….,

सो उनकी गति कम होते देख, मेरी गांद ऑटोमॅटिकली मूव करने लगी और मे नीचे से अपनी गांद उचका-2 कर धक्के लगाने लगा.

भाभी ने अपने धक्के बंद कर दिए, अब वो अपने घुटनो पर हो गयी,

मेने नीचे से धक्कों की कमान अपने हाथ में ले ली और इतनी तेज़ी से धक्के मारने लगा, कि भाभी के मूह से हइई…..हइई…आआहह…मार्ररिइ…ऊओह…उउफफफ्फ़… जैसी आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी….

वो मेरे धक्कों की स्पीड ज़्यादा देर तक नही झेल पाई और झड़ने लगी… पूरी तरह झड़ने के बाद वो मेरे उपर पसर गयी…

लेकिन मेरा अभी होना वाकी था, सो मे अपनी ही धुन में लगा रहा..

भाभी थोड़ी देर में फिरसे गरम हो गयी.. और फिरसे उनके मूह से ऐसे ही मादक किलकरियाँ निकलने लगी…

आखिकार मेने जिंदगी की पहली चुदाई का आनंद पा ही लिया… मेरे अण्डों से बहता हुआ लावा लंड के रास्ते आने लगा…

और मे बुरी तरह हुनकाआररर… भरते हुए भाभी की चूत में झड़ने लगा…

मेरी पिचकारी इतनी तेज़ी से निकली कि उसकी धार की तेज़ी उन्होने अपनी बच्चेदानी के अंदर तक महसूस की और उसके एहसास से वो फिर बुरी तरह से झड गयी…

मेरी कमर हवा में उठ गयी, भाभी के वजन के बावजूद मेने उन्हें दो मिनट तक उठाए रखा….

फिर भाभी और मे, हम दोनो ही एक दूसरे से चिपक गये किसी जोंक की तरह… मानो कोई हमें अलग ना कर्दे..

स्खलन की खुमारी इतनी तगड़ी थी कि आधे-पोने घंटे तक वो मेरे उपर पड़ी रही, और मेने भी उन्हें उठने के लिए नही कहा…

एक तरह से झपकी ही लग गयी थी हम दोनो को…

फिर एक साथ भाभी हड़बड़ा कर उठी,… हाए डाइयाअ.. मेरी तो आँख ही लग गयी थी..तुमने मुझे उठाया क्यों नही…

अभीतक मेरा लंड उनकी चूत में ही था… जो फिरसे गर्मी पाकर अंदर ही अंदर अकड़ने लगा था,

जैसे ही भाभी एक साथ मेरे उपर से उठी, पच की आवाज़ के साथ लंड चूत से बाहर हो गया.

ढेर सारा मसाला जो मेरे लंड और उनकी चूत से दो बार निकला था मेरे उपर गिरा और मेरा सारा पेट, कमर जंघें सब के सब सन गये…

भाभी ने मुझे बाथरूम जाने को कहा – लल्लाजी जाके ये सब साफ कर लो.. देखो तो क्या हॉल हो रहा है..?

मे – आपको अपनी सफाई नही करनी..?

वो – हां ! लेकिन पहले तुम अपना शरीर साफ कर लो फिर में चली जाउन्गी..

मे – फिर साथ में ही चलते हैं ना..! इसमें अब मेरा तेरा क्या है..!

तो वो हंस कर बोली – चलो ठीक है, और उठकर बाथरूम की तरफ चल दी, पीछे -2 मे भी उनकी मटकती गांद को सहलाते हुए चल दिया…

बाथरूम में पहुँचकर भाभी ने पहले मेरा शरीर पानी से धोया, और उसके बाद अपनी यौनी साफ करने लगी…

तौलिए से पोन्छ्ते हुए भाभी बोली – देवेर्जी कैसा लगा मेरे साथ सेक्स करके..

मेने सीधे से कोई जबाब नही दिया, और उन्हें बाहों में भरके उनके होठों पर एक किस करके बोला –

सच कहूँ… तो आपने मुझे बिन-मोल खरीद लिया भाभी.. मरते दम तक आज के दिन को, चाह कर भी भूल नही पाउन्गा…!

वो – बस मेरी साधना सफल हो गयी ये सुनकर… ! मेरा सपना था कि मे तुम्हें तुम्हारे जीवन की हर वो खुशी दे पाऊ जो तुम्हे चाहिए..!

मेने खुशी के मारे भाभी को किसी बच्ची की तरह गोद में उठा लिया… वो भी अपनी दोनो टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मेरे गले से लिपट गयी…..

मेरा लंड उनकी गांद की खुश्बू लेते ही तन टॅनाने लगा.. और उनके गांद के नीचे ठोकर मारने लगा….

अपने घोड़े को कंट्रोल में करो देवर्जी… बहुत उच्छल-कूद कर रहा है नीचे.. भाभी हँसते हुए बोली..

मे – वो बेचारा भी क्या करे, जब इतना आरामदायक अस्तबल दिख रहा हो तो वो उसमें जाने की ज़िद करेगा ही ना…

ऐसी ही हसी मज़ाक करते हुए.. में उन्हें गोद में उठाए बाथरूम से बाहर लाया और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..

भाभी – अब उतारो भी मुझे.. या कुच्छ और इरादा है..?

मे – मन ही नही कर रहा है आपको छोड़ने का....

वो – इतना प्यार करते हो अपनी भाभी से…!

मे – जान हाज़िर है.. आपके एक इशारे पर… अब आप सिर्फ़ मेरी भाभी नही रहीं, जान बन गयी हो मेरी, मेने फिरसे उन्हें अपने से चिपका लिया....

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा देकर लिटा लिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर फिरसे उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

हम दोनो फिर एक बार वासना की आग में जलने लगे,

उसे शांत करने के प्रयास में भाभी ने एक कदम बढ़ाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सी जुम्बिश दी…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा…. ! भाभी आधे लंड को लेकर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी मानो वो उसे मथकर उसमें से रस निकालना चाहती हो…..

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया… अरे लल्लाजी.. कुच्छ नही हुआ… लो इसको चूसो.. हान्ं.. शब्बाश… ऐसे ही..

मुझे अपनी चुचि से लगा कर उन्होने अपनी गांद को एक बार और दबा दिया…

अब आधे से ज़्यादा लंड उनकी चूत में सरक चुका था… लेकिन फिर से दर्द हुआ मुझे और उनकी चुचि को मूह से बाहर निकल कर कराहने लगा..

भाभी मुझे दुलारती हुई दूसरी चुचि मूह में देकर चुसवाने लगी..

कुच्छ देर बाद मुझे राहत सी हुई.. तो भाभी पूरी तरह मेरे उपर बैठ गयी और मेरा पूरा साडे सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अपने अंदर घोंट लिया..

मेरा दर्द अब पहले से कम था, शायद उनकी रामप्यारी ने अंदर ही अंदर अपने रस रूपी क्रीम से उसे चिकना दिया था..

अब भाभी ने मेरी छाती पर अपनी हथेलिया जमाई और अपने घुटने मोड़ कर उन्होने उठना बैठना शुरू कर दिया…

शुरू-2 में वो धीरे-2 आराम से उपर-नीचे होती रही.. फिर अपनी गति को बढ़ा दिया..

मुझे अब दर्द की जगह मज़ा आने लगा था.. और मेने भाभी के दोनो चुचे अपनी मुत्ठियों में कस लिए और ज़ोर-ज़ोर से मीँजने लगा…

भाभी कमर चलते-2 हाँफने लगी थी और उनकी स्पीड कम पड़ने लगी,

लेकिन मेरा मज़े से बुरा हाल हो रहा था, एक पल की भी देरी एक सदी के समान लग रही थी….,

सो उनकी गति कम होते देख, मेरी गांद ऑटोमॅटिकली मूव करने लगी और मे नीचे से अपनी गांद उचका-2 कर धक्के लगाने लगा.

भाभी ने अपने धक्के बंद कर दिए, अब वो अपने घुटनो पर हो गयी,

मेने नीचे से धक्कों की कमान अपने हाथ में ले ली और इतनी तेज़ी से धक्के मारने लगा, कि भाभी के मूह से हइई…..हइई…आआहह…मार्ररिइ…ऊओह…उउफफफ्फ़… जैसी आवाज़ें कमरे में गूंजने लगी….

वो मेरे धक्कों की स्पीड ज़्यादा देर तक नही झेल पाई और झड़ने लगी… पूरी तरह झड़ने के बाद वो मेरे उपर पसर गयी…

लेकिन मेरा अभी होना वाकी था, सो मे अपनी ही धुन में लगा रहा..

भाभी थोड़ी देर में फिरसे गरम हो गयी.. और फिरसे उनके मूह से ऐसे ही मादक किलकरियाँ निकलने लगी…

आखिकार मेने जिंदगी की पहली चुदाई का आनंद पा ही लिया… मेरे अण्डों से बहता हुआ लावा लंड के रास्ते आने लगा…

और मे बुरी तरह हुनकाआररर… भरते हुए भाभी की चूत में झड़ने लगा…

मेरी पिचकारी इतनी तेज़ी से निकली कि उसकी धार की तेज़ी उन्होने अपनी बच्चेदानी के अंदर तक महसूस की और उसके एहसास से वो फिर बुरी तरह से झड गयी…

मेरी कमर हवा में उठ गयी, भाभी के वजन के बावजूद मेने उन्हें दो मिनट तक उठाए रखा….

फिर भाभी और मे, हम दोनो ही एक दूसरे से चिपक गये किसी जोंक की तरह… मानो कोई हमें अलग ना कर्दे..

स्खलन की खुमारी इतनी तगड़ी थी कि आधे-पोने घंटे तक वो मेरे उपर पड़ी रही, और मेने भी उन्हें उठने के लिए नही कहा…

एक तरह से झपकी ही लग गयी थी हम दोनो को…

फिर एक साथ भाभी हड़बड़ा कर उठी,… हाए डाइयाअ.. मेरी तो आँख ही लग गयी थी..तुमने मुझे उठाया क्यों नही…

अभीतक मेरा लंड उनकी चूत में ही था… जो फिरसे गर्मी पाकर अंदर ही अंदर अकड़ने लगा था,

जैसे ही भाभी एक साथ मेरे उपर से उठी, पच की आवाज़ के साथ लंड चूत से बाहर हो गया.

ढेर सारा मसाला जो मेरे लंड और उनकी चूत से दो बार निकला था मेरे उपर गिरा और मेरा सारा पेट, कमर जंघें सब के सब सन गये…

भाभी ने मुझे बाथरूम जाने को कहा – लल्लाजी जाके ये सब साफ कर लो.. देखो तो क्या हॉल हो रहा है..?

मे – आपको अपनी सफाई नही करनी..?

वो – हां ! लेकिन पहले तुम अपना शरीर साफ कर लो फिर में चली जाउन्गी..

मे – फिर साथ में ही चलते हैं ना..! इसमें अब मेरा तेरा क्या है..!

तो वो हंस कर बोली – चलो ठीक है, और उठकर बाथरूम की तरफ चल दी, पीछे -2 मे भी उनकी मटकती गांद को सहलाते हुए चल दिया…

बाथरूम में पहुँचकर भाभी ने पहले मेरा शरीर पानी से धोया, और उसके बाद अपनी यौनी साफ करने लगी…

तौलिए से पोन्छ्ते हुए भाभी बोली – देवेर्जी कैसा लगा मेरे साथ सेक्स करके..

मेने सीधे से कोई जबाब नही दिया, और उन्हें बाहों में भरके उनके होठों पर एक किस करके बोला –

सच कहूँ… तो आपने मुझे बिन-मोल खरीद लिया भाभी.. मरते दम तक आज के दिन को, चाह कर भी भूल नही पाउन्गा…!

वो – बस मेरी साधना सफल हो गयी ये सुनकर… ! मेरा सपना था कि मे तुम्हें तुम्हारे जीवन की हर वो खुशी दे पाऊ जो तुम्हे चाहिए..!

मेने खुशी के मारे भाभी को किसी बच्ची की तरह गोद में उठा लिया… वो भी अपनी दोनो टाँगों को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मेरे गले से लिपट गयी…..

मेरा लंड उनकी गांद की खुश्बू लेते ही तन टॅनाने लगा.. और उनके गांद के नीचे ठोकर मारने लगा….

अपने घोड़े को कंट्रोल में करो देवर्जी… बहुत उच्छल-कूद कर रहा है नीचे.. भाभी हँसते हुए बोली..

मे – वो बेचारा भी क्या करे, जब इतना आरामदायक अस्तबल दिख रहा हो तो वो उसमें जाने की ज़िद करेगा ही ना…

ऐसी ही हसी मज़ाक करते हुए.. में उन्हें गोद में उठाए बाथरूम से बाहर लाया और आकर पलग पर बैठ गया, वो अभी भी मेरी गोद में ही थी…..

भाभी – अब उतारो भी मुझे.. या कुच्छ और इरादा है..?

मे – मन ही नही कर रहा है आपको छोड़ने का....

वो – इतना प्यार करते हो अपनी भाभी से…!

मे – जान हाज़िर है.. आपके एक इशारे पर… अब आप सिर्फ़ मेरी भाभी नही रहीं, जान बन गयी हो मेरी, मेने फिरसे उन्हें अपने से चिपका लिया....

भाभी भी मेरे गले में अपनी मांसल गोरी-गोरी बाहों का हार डाले मेरे होठों को चूसने लगी.. .

मेने उन्हें अपने हाथों से उनकी पीठ पर सहारा देकर लिटा लिया और उनका दूध पीने लगा,

भाभी का सर पीछे को लटक गया, और एक बार फिर उनका मांसल गदराया बदन मस्ती से भरने लगा…

उन्होने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को उपर की तरफ किया और वो उसके उपर अपनी चूत से मालिश करने लगी….

उनके रस सागर से नमी चख कर वो मस्ती में झूम उठा, और फन-फ़ना कर फिरसे उनकी सुरंग में जाने की ज़िद करने लगा…

हम दोनो फिर एक बार वासना की आग में जलने लगे,

उसे शांत करने के प्रयास में भाभी ने एक कदम बढ़ाते हुए मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गुफा के मूह पर सटा लिया… और धीरे से अपनी कमर में एक हल्की सी जुम्बिश दी…

सर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर… से वो रसभरी सुरंग में आधे रास्ते तक पहुँच गया..

एक साथ हम दोनो के मूह से मस्ती भारी आहह…. फुट पड़ी…

उफफफफफफफफफफफ्फ़…. इतना मज़ा…. ! भाभी आधे लंड को लेकर अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी मानो वो उसे मथकर उसमें से रस निकालना चाहती हो…..

मेरे सब्र का बाँध टूट गया , और मेने उन्हें पलग पर लिटा दिया, टाँगे हवा में उठाकर एक भरपूर ताक़तवर धक्का जड़ दिया…​
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