Update 15
मुझे देखते ही सब खुश हो गये, मोहिनी भाभी मेरी टाँग खींचते हुए बोली…
लो जी.. आ गये देवर राजा.. बड़े आटिट्यूड वाले हैं.. भाभी बेचारी कब से इंतेज़ार में हैं.. कि उनके प्यारे, दुलारे, जगत से न्यारे देवर जी आएँ तो वो उन्हें लाड करें..
मेने हँसते हुए.. पीछे से उनके गले में बाहें डाल दी और बोला – क्या
भाभी.. मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी… आप मेरी ही टाँग खींचने लगी..
वो हँसते हुए बोली – अरे मेरे प्यारे देवर्जी.. यहाँ सब कब्से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे हैं… और तुम हो कि अभी तक सोए पड़े थे…
खैर चलो… आज आपकी छोटी भाभी का नंबर है लाड करने का.. बड़ी से तो बहुत लाड ले लिया.. जाओ जाकर उनकी गोद में बैठो..
फिर मेरे कान में फुसफुसा कर बोली – लल्ला नयी भाभी पर कोई रहम मत करना… पूरा वजन रख कर बैठना आराम से…
मे मुस्कराते हुए कामिनी भाभी के आगे अपने घुटने टेक कर बैठ गया… और उनके चिन को उठा कर फेस अपनी तरफ कर के बोला –
भाभी बिना देवर की ओर देखे ही लाड करोगी…?
उन्होने मुझे एक बार भरपूर नज़र डालकर देखा… एक सुर्ख लाल जोड़े में वो इस समय बहुत सुंदर लगा रही थी…कुछ – 2 इस तरह की छवि…..
एक दम चाँद का टुकड़ा… होंठों पर सुर्ख लिपीसटिक.. गोरे-2 गाल, हल्की सी लाली लिए..
लेकिन मेकप के बाद भी उनके एक गाल पर कुछ निशान सा था…
उन्होने अपनी प्यारी सी मीठी सी आवाज़ में कहा – देवर जी आइए ना मेरी गोद में बैठिए…
मे – आप मुझे झेल पाएँगी….…?
मेरी बात पर सभी हँसने लगे…और कामिनी भाभी ने शर्म से नज़र झुका ली…
मेने बुआ से पूछा – मेरी बात पर आप सभी लोग हंस क्यों रहे हो…?
बुआ – वो तेरे बड़े भाई को झेल चुकी है, तुझे झेलने में क्या तकलीफ़ होगी…इस बात पर बुआ समेत सभी ज़ोर-2 से हँसने लगे….!
मेने झेन्प्ते हुए कहा – अरे मे तो अपने वजन की बात कर रहा था….!
कामिनी भाभी – कोशिश करूँगी…, आप बैठिए..!
मे अपनी तशरीफ़ लेकर उनकी गोद में बैठने लगा.. मेने धीरे-2 कर के अपना सारा वजन उनकी जांघों पर डाल दिया….
उनकी मांसल जांघों का स्पर्श अपने कुल्हों पर फील होते ही मेरा पप्पू जीन्स में कुलबुलाने लगा..
उन्होने मेरे गालों पर हाथ फेर्कर प्यार से सहलाया और फिर अपने लिपीसटिक से पतले होंठ रख कर दोनो तरफ चूम लिया… लिपीसटिक के निशान मेरे दोनो गालों पर छप गये…
मेने उनके कान में फुसफुसा कर कहा… भाभी में भी आपके गालों पर किस करना चाहता हूँ…
वो मेरी बात सुनकर शरमा गयी.. मेने कहा.. बोलिए ना भाभी.. प्लीज़ एक बार बस…
वो – अपने भैया से पुच्छ लीजिए… ना..
मेने भैया से कहा – भैया.. मे भाभी को किस करना चाहता हूँ.. अगर आप इज़ाज़त दें तो..
वो बोले – अरे यार ! आज तुम भाभी देवर के बीच कोई कुछ नही बोलेगा… तुम दोनो आपस में ही डिसाइड करो भाई…
मेने भाभी की तरफ देखा.. उन्होने मौन स्वीकृति देदि… फिर मेने भाभी के दोनो गालों का चुंबन लिया और फुसफुसाया..
भाभी लगता है भैया ने आपको रात बहुत ज़ोर से काटा है.. निशान अभी तक है..
शर्म से उनकी गर्दन झुक गयी… मे अभी उनकी गोद से उठने की सोच ही रहा था कि चाची बोली पड़ी…
लल्ला ! भाभी की गोद से बिना नेग लिए मत उठना…
वाउ ! ये तो डबल धमाका हो गया… ! हां तो भाभी क्या देंगी.. अपने देवर को..?
वो – जो भी चाहिए माँग लो..!
मे – तो ठीक है… मुझे एक सॅमसंग का स्मार्ट फोन चाहिए… (जो उस समय नया लॉंच हुआ था मार्केट में)…
वो – ठीक है… जब आप गौने के लिए आओगे… आपका फोन आपको मिल जाएगा…
मेने एग्ज़ाइट्मेंट में भाभी के गालों को फिर से चूम लिया और उन्हें थॅंक्स बोलकर गोद से उठ गया……………!
दूसरे दिन शांति बुआ को अपने घर वापस जाना था, सुबह ही सुबह वो तैयार होने में लगी थी.. मे जब जाग के आया तब तक वो जाने के लिए तैयार खड़ी थी…
मेने बुआ को स्माइल किया… और उनके पैर छूते हुए कहा… क्यों बुआ ! कल रात मज़ा आया..
वो भी मुस्कराते हुए बोली – बहुत मस्त चोदता है तू… कभी आना मेरे घर.. तब देखूँगी.. तुझ में कितना दम खम है…
और हँसते हुए उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया…, बुआ के खरबूजों ने मेरे सोए हुए शेर पर फिर अटॅक कर दिया…
मेने उनके कान में कहा.. ज़रूर आउन्गा बुआ… आपका चॅलेंज मुझे मंजूर है… मेरी हॉट डार्लिंग बुआ…..
बीते एक हफ्ते में निशा ने मेरे दिल पर इस कदर कब्जा कर लिया था कि मुझे उठते-बैठते, सोते-जागते बस उसी के ख्याल आते रहते…
बुआ के जाते ही मे फिर उसके ख़यालों में खोने लगा…
भाभी मेरी हालत से अन्भिग्य नही थी, लेकिन घर की भीड़-भाड़ के चलते वो भी कुछ नही कर सकती थी…
धीरे-2 एक-एक कर के रिस्तेदार विदा होने लगे.. भाभी ने निशा को और कुछ दिनो के लिए रोक लिया था… उनका भाई राजेश अपने घर लौट गया था…
बड़ी बुआ भी जा चुकी थी.., एक हफ्ते बाद कामिनी भाभी भी पहली बार विदा होकर अपने घर चली गयी.. और दोनो भाई अपनी ड्यूटी पर लौट गये…
एक दिन मे छोटी चाची के यहाँ उनके आँगन में पड़ी चारपाई पर लेटा था, चाची सिरहने की तरफ पलटी लगाए बैठी थी, मेरा सर उनकी गोद में रखा हुआ था…
मेने चाची के खर्बूजों को दबा कर कहा – आअहह.. चाची ये तो और ज़्यादा फूल कर गुदगूदे होते जा रहे हैं…
वो – हां लल्ला.. अब इनमें दूध भी तो बनेगा ना… बच्चे के लिए.. जैसे-2 दिन नज़दीक आते जाएँगे वैसे-2 इनमें दूध आता जाएगा…
मेने एक चुचि को मसल्ते हुए कहा – तो अभी चूस कर देखूं क्या.. दूध निकलेगा इनमें से..?
वो – नही लल्ला, अभी नही, वो तो बच्चे के जन्म के बाद ही आएगा…! लेकिन लल्ला.. अब मेरा मान बहुत करता है वो करने का… प्लीज़ कुछ करो ना.. !
मे – मुझे कोई प्राब्लम नही है चाची.. आप कहो तो अभी अंदर चलते हैं…?
वो- नही अभी नही.. एक काम करना, कल कॉलेज से जल्दी सीधे यहीं आ जाना..
मेने हां बोलके एक बार और उनके चुचे मसल दिए… उनके मुँह से आहह..
निकल गयी… जबाब में उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर मरोड़ दिया….!
आययईीीई…क्या करती हो चाची… उखाड़ोगी क्या..? मेने सिसकते हुए कहा…
वो हँसते हुए बोली – जब तुमने मेरी चुचि मसली थी, तो कुछ नही, अब अपनी बारी आई तो चिल्लाने लगे…
अभी हम आगे कुछ और करते, कि दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई दी…
मे उनकी गोद से उठ कर बैठ गया.. सामने देखा तो निशा, रूचि को गोद में लिए खड़ी थी..
चाची – आओ निशा ! अंदर आओ, वहाँ क्यों खड़ी रह गयी… ?
वो हमारे पास तक आई.. मे भी चारपाई से खड़ा हो गया और रूचि के गाल पर किस करने के लिए अपने होंठ आगे किए…
मे जैसे ही उसको किस करने वाला था कि रूचि ने अपना सर पीछे हटा लिया.. और मेरे होंठ निशा के गाल पर जा टिके…
रूचि ताली बजाते हुए हँसने लगी और चिल्ला कर बोली … दादी देखो ! चाचू ने मौसी को क़िस्सी कर दी…ओहोहो… ! चाचू ने मौसी को क़िस्सी करदी…!
उसके साथ चाची भी हँसने लगी… और हम दोनो झेंप गये.. मेने उसे सॉरी बोला…
वो रूचि को झूठा गुस्सा दिखा कर बोली – रूचि ! तू बहुत शैतानी करती है..
ठहर अभी तेरी पिटाई करती हूँ….
रूचि उसकी गोद से उतार कर मेरी गोद में आ गयी.. और मेरे गले से लिपट गयी…!
रूचि के गाल पर एक पप्पी कर के मेने उसे चाची के पास चारपाई पर बिठा दिया………
चाची बोली – तुम दोनो बैठो, मे ज़रा गाय-भैंस को चारा डाल कर आती हूँ..
और वो बहाना कर के वहाँ से चली गयी.. मेने कहा, निशा जी बैठिए ना.. !
वो – नही मे ऐसे ही ठीक हूँ.. आप बैठिए..
फिर बोली – आप मुझे निशा जी क्यों बुलाते हैं..? खाली निशा बोला कीजिए ना प्लीज़…!
मे – आपको अच्छा लगेगा..?.. तो उसने कहा – हां ! और हो सके तो ये आप की वजाय तुम कहो तो मुझे और ज़्यादा अच्छा लगेगा..
मे – ठीक है, जैसा तुम कहो… वैसे निशा ! तुमने मेरी बात का अभी तक कोई जबाब नही दिया…?
वो – कॉन सी बात का..?
मे – मेने उस दिन कहा था.. ना ! कि मे तुम्हें पसंद करने लगा हूँ.. क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो..?
वो बिना कोई जबाब दिए मेरी तरफ देखने लगी.. पता नही कैसा जादू था उसकी आँखों में की मे उसकी आँखों डूबने लगता था……!
कुछ देर बाद उसने अपनी पलकें झुका ली.. लेकिन कोई जबाब नही दिया.. मेने उसके हाथ अपने हाथों में ले लिए और फिरसे अपना सवाल दोहराया, बताओ ना प्लीज़…!
वो – अगर मे ना कहूँ तो आप मान लेंगे कि मे आपको पसंद नही करती..…?
मे – फिर भी मे तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ…!
वो – सच कहूँ… तो मे आपको पहली नज़र से ही चाहने लगी थी, तब मुझे आपके बारे में ये भी पता नही था.. कि आप कॉन हो…?
मे – सच..! तुम सच कह रही हो..? ओह निशा… आइ लव यू… ये कहकर मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया…
वो – आइ लव यू टू अंकुश जी… मे भी आपसे प्यार करने लगी हूँ.. लेकिन अभी छोड़िए प्लीज़ … चाची आ गयी तो क्या सोचेंगी..
मेने उसे अपने सीने से लगाकर कहा – तुम चाची की चिंता मत करो जान… वो कुछ भी नही कहेंगी…
तुम नही जानती तुमने मुझे कितनी बड़ी खुशी दे दी है… ये कहकर मेने उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके पतले-2 रसीले होंठों को चूम लिया…
वो बुरी तरह से शरमा गयी, उसका शरीर थर-थर काँपने लगा, साँसें भारी होने लगी…
रूचि फिर ताली बजकर चिल्लाई… ओहो ! चाचू ने फिर मौसी की क़िस्सी कर दी…!
रूचि की आवाज़ सुनकर हम दोनो अलग हो गये…
निशा रूचि को थप्पड़ दिखाते हुए बोली – ठहर शैतान.. अभी बताती हूँ तुझे…
और फिर मुस्कराते हुए प्यार से उसने रूचि को अपनी बाहों में समेट लिया,
उसके गाल पर एक प्यार भरा किस कर के मेरी ओर देखकर वो मुस्काराई, और उसे गोद में लेकर खिल-खिलाती हुई घर की तरफ भाग गयी…
मे मन ही मन मुस्करता हुआ, उसे जाते हुए देखता रहा………!
रात को खाना खाते समय भाभी ने कहा – लल्ला जी… कल निशा को छोड़ आना.. अब बहुत दिन हो गये उसको यहाँ… घरवाले खम्खा परेशान हो रहे होंगे…
मेरी तो ये सुन कर साँस ही अटक गयी.., खाना गले में अटक गया.., मुझे खाँसी का ठन्स्का सा लग गया…
भाभी – क्या हुआ… अच्छे से खाना खाओ.. इतनी भी क्या जल्दी है…ये कहकर मुझे पानी का ग्लास पकड़ा दिया…
मेने चोर नज़रों से निशा की तरफ देखा, वो भी भाभी की बात सुन कुछ दुखी सी लग रही थी…
मे – ऐसी भी क्या ज़रूरत आन पड़ी एकदम से भाभी.. मुझे कल कॉलेज भी जाना ज़रूरी है.. कोर्स बहुत पिछड़ गया है भैया की शादी के चक्कर में….!
भाभी – तो कोई बात नही कॉलेज से लौट कर छोड़ आना.. अब सारी जिंदगी ये यहाँ तो नही रह सकती ना.., वैसे भी तुम्हारी बुलेट रानी के लिए है ही कितना दूर..
मे – ठीक है.. फिर दोपहर के बाद ही निकल पाएँगे…
अब साला चाची से भी कल का वादा किया है, तो वो भी निभाना तो पड़ेगा वरना वो बुरा मान जाएँगी..…,
मेने अकेले में भाभी को ये बात बताई.. तो वो बोली – कोई बात नही, मॅनेज कर लेना…
शाम को थोड़ा लेट चले जाना और रात वहीं रुक जाना.. मेने कहा – वैसे भाभी इतना भी अर्जेंट नही है.. निशा का जाना.. और कुछ दिन रहने दो ना.. !
वो मेरी तरफ गहरी नज़रों से देखते हुए बोली – तुम उसको रोकने के लिए इतना प्रेशर क्यों डाल रहे हो…? बात क्या है..? कुछ लफडा लगता है..क्यों..?
मे नज़र नीची कर के बोला – नही भाभी ऐसा वैसा कुछ नही, बस मे तो यूँही कह रहा था… !
वो – अच्छा वो सब छोड़ो.. अब मुझे सच..सच जबाब देना.. जो मे पुच्छू उसका..
मे – हां ! पुछिये…
वो – तुम्हें निशा कैसी लगती है..?
मे – अच्छी है, सुन्दर है.. इसमें छिपाने जैसा क्या है.. जो सच है सो है..
वो – तुम उसे पसंद भी करते हो…
उनके इस सवाल पर में गड़बड़ा गया… जल्दी से कोई जबाब नही दे सका.. तो नज़र अपने आप झुक गयी…
मेरी ओर से कोई जबाब ना पाकर वो फिर बोली – वो भी तुम्हें पसंद करती है..?
मेने अपनी नज़र ऊपर की और उनकी ओर देखने लगा… मुझे अपनी ओर देखते हुए पाकर वो बोली –
लल्ला ! मे तुम दोनो के बारे में सब जानती हूँ, और इसलिए उसे यहाँ से भेज रही हूँ…. जिससे तुम दोनो कहीं बहक ना जाओ, और समय से पहले कुछ ऐसा हो जो नही होना चाहिए…
मे तुम दोनो से नाराज़ नही हूँ.. बल्कि मे तो खुद चाहती हूँ.. कि आगे चल कर तुम दोनो एक हो जाओ..
निशा के लिए तुमसे अच्छा जीवन साथी और कोई हो ही नही सकता.. लेकिन रिश्तों की कुछ मर्यादाएँ होती हैं, जिन्हें हमें निभाना पड़ता है..!
मे मुँह बाए, बस उनके चेहरे को ही देखता रहा.. उनके चेहरे पर किसी भी तरह के कोई भाव नही थे… जस्ट चिल…
मे भाभी के गले से लग गया… मेरी आँखों से दो बूँद आँसुओं की निकल पड़ी और मेने रुँधे गले से कहा-
सच में आप मेरे लिए भगवान का रूप हो भाभी… हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे हैं.. और अब एक दूसरे के बिना रहने की कल्पना भी नही कर सकते…
वो – लेकिन कुछ साल तो तुम दोनो को इंतेज़ार करना पड़ेगा… लेकिन ये मेरा वादा है तुमसे.. कि चाहे जो भी हो, मे तुम दोनो को मिलाकर ही रहूंगी…
अब तुम जाओ.. और बिना किसी शक-सुवह के सो जाओ… कल बहुत मेहनत करनी है.. ये खाकर मेरे गाल पकड़ कर हँसने लगी…
मेने एक बार भाभी के गालों पर किस किया और सोने चला गया..
दूसरे दिन कॉलेज में दो घंटे बिताने के बाद में जल्दी घर आ गया और सीधा छोटी चाची के पास पहुँच गया…
चाची अभी -अभी नहा कर चुकी थी, मेरे आवाज़ देने पर उन्होने गेट खोला, तो देखा वो उसी अंदाज में अपना पेटिकोट चुचियों पर चढ़ाए हुए थी..
गेट खोल कर वो अपने कमरे की तरफ चल दी.. मेने भी फटाफट दरवाजा बंद किया और उनकी मटकती गान्ड का पीछा करते हुए उनके कमरे में आ गया…
उनकी मटकती गान्ड के सीन ने मेरे लंड को खड़ा कर दिया…
चाची ने अभी तक अपना बदन भी नही पोंच्छा था… पानी की बूँदें किसी मोती के दानों की तरह उनके गोरे मादक बदन पर चमक रही थी…
अंदर जाकर वो पालग पर पड़े अपने कपड़े उठाने ही वाली थी, कि मेने पीछे से उनकी गान्ड में अपना लंड सटा दिया… और कमर में बाहों का लपेटा डालकर उनके बदन से पानी की बूँदों को चाटने लगा…
चाची कपड़े पहनना भूल गयी और अपनी आँखें मीन्चे आनंद के सागर में गोते लगाने लगी…
उनके हाथ से पेटिकोट भी छूट गया… और अब वो उनके पैरों में पड़ा अपनी गुस्ताख़ी की भीख माँग रहा था…
हाल ही में नाहया हुआ बदन, जो दिसंबर की सर्दी में और ज़्यादा ठंडा हो गया था… मेरे शरीर की गर्मी से गरमाने लगा…
मेने अपना पॅंट खोल दिया और फ्रेंची से अपना गरमा-गरम लंड निकाल कर चाची की मदमस्त ठंडी-2 गान्ड से रगड़ दिया…
अहह…………मेरे……….लल्लाआअ……..रजाआाआआ……
कितना गरम है.. तुम्हारा तो…
चाची ! मेने थोड़े बनावटी गुस्से से कहा – ये तुम्हारा.. मेरा… क्या..कहती रहती हो… सीधे-2 नाम नही ले सकती… जाओ .. रखलो अपनी धर्मशाला… मुझे नही चाहिए…
इतना बोल कर मे अलग हो गया और अपना पॅंट उठा लिया…..
अरे…मेरे राजा…मुन्ना….नाराज़ हो गया… चाची ने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में लेकर कहा – तुम्हारा ये लंड महाराज कितना गरम है.. लो अब ठीक है..
ऐसे नाराज़ ना हुआ करो मेरे होनेवाले बच्चे के पापा… मुझे ऐसे शब्द बोलने में थोड़ी झिझक लगती है.. पहले कभी बोले नही ना इसलिए… आगे से ख्याल रखूँगी…
मेने चाची के होंठ अपने मुँह में भर लिए और उन्हें चूसने लगा…
चाची भी मेरा साथ देने लगी, और साथ-साथ मेरा लंड भी मसल्ति जा रही थी…
मेने चाची की चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी और उन्हें अंदर बाहर करके चोदने लगा…
चाची की आँखे लाल होने लगी… वासना की खुमारी उनके सर चढ़ने लगी.. और उनकी चूत गीली हो गयी…
अब मेने उनकी चुचि को दबाते हुए कहा – अह्ह्ह्ह…चाची आपकी ये चुचियाँ कितनी मस्त हो गयी हैं…जी करता है चूस्ता ही रहूं…
तो चूसो ना रजाआ….आअहह…हान्न्न….और ज़ोर से…. खाजाओ… बहुत परेशान करती हैं… काटो…आहह….ज़ोर से नहियीईईईईईई….
मेने चूस-चूस कर उनकी चुचियों को लाल कर दिया… उत्तेजना में कयि जगह दाँत से काट भी लिया… जिससे खून झलकने लगा था….
सॉरी चाची ! मेने आपको काट लिया….
कोई बात नही … मुझे दर्द नही हुआ….
अब हम दोनो से ही और इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा था… सो मेने चाची को लिटा दिया… और उनकी चूत को हाथ से सहला कर चूम लिया… उनकी टाँगें मेरे लंड के स्वागत में खुल गयी…
चाची का पेट अब थोड़ा सा उभर आया था, जिससे उनकी नाभि का गड्ढा थोड़ा कम गहरा हो गया था…
एक बार मेने उनके उभरे हुए पेट को चूमा और अपना मूसल उनकी रसीली गागर के मुँह से अड़ा कर अंदर डाल दिया….
अहह………..आराम से करना…. लल्ला… तुम्हारे बच्चे को चोट ना लग जाए… नही तो कहेगा… कैसा निर्दयी बाप है.. पेट में भी मारता है…
मेने धीरे-2 धक्के लगाकर उनकी चुदाई करने लगा… आजकल उनकी चूत मेरे लंड को कुछ ज़्यादा ही जाकड़ लेती थी… जिससे हम दोनो को ही बहुत मज़ा आता…
एक बार झड़ने के बाद मेने चाची को घोड़ी बना दिया… और उनकी गान्ड को चाटते हुए कहा…
चाची ! आपकी गान्ड कितनी मस्त है… इसमें एक बार लंड डालके देखें..?
वो – नही लल्ला ! दर्द होगा..
मे – प्लीज़ चाची ! कई दिनो से मन था मेरा लेकिन कहा नही… पर आज मान नही मान रहा… प्लीज़ तोड़ा देखें तो सही.. कैसा लगता है…
वो – तुम भी ना लल्ला… बहुत जिद्दी हो… ! अच्छा वहाँ से तेल की शीशी ले लो और अच्छे से सुराख और अपने लंड पे लगाके तब डालना…
मेने फ़ौरन हेर आयिल की शीशी ली.. थोडा चाची की गान्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसे अंदर तक चिकना कर दिया…
फिर अपने लंड पर चुपडा… और उनकी गान्ड के भारी-2 पाटों को अलग कर के उनके छेद पर टिका दिया…..
गान्ड के छेद पर लंड का अहसास होते ही चाची की गान्ड का छेद खुलने-बंद होने लगा…
मेने बॉटल से दो बूँद तेल की और टपका दी… और इस बार अपनी दो उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी, चाची ने चिहुन्क कर अपनी गान्ड के छेद को सिकोड कर मेरी उंगलियों पर कस लिया…..
हइई… लल्ला… क्या करते हो… मेरी गान्ड चटख रही है…
मेने उनकी गान्ड पर दूसरे हाथ से चपत मार कर कहा – ऐसे गान्ड भींचोगी तो चट्केगी ही ना, इसको थोड़ा ढीला छोड़ो…
मेरी बात मानकर चाची ने अपनी गान्ड को थोड़ा ढीला कर लिया, अब मेरी दोनो उंगलियाँ आराम से अंदर तक पहुँच पा रही थी…
उनकी गान्ड का छेद अब थोड़ा सा खुल गया था, मेने उंगलियाँ बाहर निकाल कर दो बूँद तेल और डाला और उसे उंगली से अंदर कर के अपने लंड को उसके छेद पर फिर से रख दिया…
एक हल्के से धक्के के साथ मेरा पूरा सुपाडा गान्ड के अंदर जाकर फिट हो गया..….
लल्ला…. थोड़ा धीरे करो… मेरी गान्ड फट रही है…हाईए… बस करो…
मेने चाची की चौड़ी चकली पीठ को चूमते हुए उनकी चुचियों को थाम लिया और ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा..
चाची की गान्ड में लंड की चुभन कुछ कम होने लगी तो मेने और थोड़ा पुश किया… और आधा लंड अंदर कर दिया..
हइई…लल्लाअ … लगता है आज नही छोड़ोगे… मुझे…अरे मारीी…उफफफफफ्फ़..
अब मेने अपने एक हाथ को उनकी कमर की साइड से नीचे ले जाकर उनकी चूत को सहला दिया और अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर कर के उसे चोदने लगा…
लो जी.. आ गये देवर राजा.. बड़े आटिट्यूड वाले हैं.. भाभी बेचारी कब से इंतेज़ार में हैं.. कि उनके प्यारे, दुलारे, जगत से न्यारे देवर जी आएँ तो वो उन्हें लाड करें..
मेने हँसते हुए.. पीछे से उनके गले में बाहें डाल दी और बोला – क्या
भाभी.. मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी… आप मेरी ही टाँग खींचने लगी..
वो हँसते हुए बोली – अरे मेरे प्यारे देवर्जी.. यहाँ सब कब्से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहे हैं… और तुम हो कि अभी तक सोए पड़े थे…
खैर चलो… आज आपकी छोटी भाभी का नंबर है लाड करने का.. बड़ी से तो बहुत लाड ले लिया.. जाओ जाकर उनकी गोद में बैठो..
फिर मेरे कान में फुसफुसा कर बोली – लल्ला नयी भाभी पर कोई रहम मत करना… पूरा वजन रख कर बैठना आराम से…
मे मुस्कराते हुए कामिनी भाभी के आगे अपने घुटने टेक कर बैठ गया… और उनके चिन को उठा कर फेस अपनी तरफ कर के बोला –
भाभी बिना देवर की ओर देखे ही लाड करोगी…?
उन्होने मुझे एक बार भरपूर नज़र डालकर देखा… एक सुर्ख लाल जोड़े में वो इस समय बहुत सुंदर लगा रही थी…कुछ – 2 इस तरह की छवि…..
एक दम चाँद का टुकड़ा… होंठों पर सुर्ख लिपीसटिक.. गोरे-2 गाल, हल्की सी लाली लिए..
लेकिन मेकप के बाद भी उनके एक गाल पर कुछ निशान सा था…
उन्होने अपनी प्यारी सी मीठी सी आवाज़ में कहा – देवर जी आइए ना मेरी गोद में बैठिए…
मे – आप मुझे झेल पाएँगी….…?
मेरी बात पर सभी हँसने लगे…और कामिनी भाभी ने शर्म से नज़र झुका ली…
मेने बुआ से पूछा – मेरी बात पर आप सभी लोग हंस क्यों रहे हो…?
बुआ – वो तेरे बड़े भाई को झेल चुकी है, तुझे झेलने में क्या तकलीफ़ होगी…इस बात पर बुआ समेत सभी ज़ोर-2 से हँसने लगे….!
मेने झेन्प्ते हुए कहा – अरे मे तो अपने वजन की बात कर रहा था….!
कामिनी भाभी – कोशिश करूँगी…, आप बैठिए..!
मे अपनी तशरीफ़ लेकर उनकी गोद में बैठने लगा.. मेने धीरे-2 कर के अपना सारा वजन उनकी जांघों पर डाल दिया….
उनकी मांसल जांघों का स्पर्श अपने कुल्हों पर फील होते ही मेरा पप्पू जीन्स में कुलबुलाने लगा..
उन्होने मेरे गालों पर हाथ फेर्कर प्यार से सहलाया और फिर अपने लिपीसटिक से पतले होंठ रख कर दोनो तरफ चूम लिया… लिपीसटिक के निशान मेरे दोनो गालों पर छप गये…
मेने उनके कान में फुसफुसा कर कहा… भाभी में भी आपके गालों पर किस करना चाहता हूँ…
वो मेरी बात सुनकर शरमा गयी.. मेने कहा.. बोलिए ना भाभी.. प्लीज़ एक बार बस…
वो – अपने भैया से पुच्छ लीजिए… ना..
मेने भैया से कहा – भैया.. मे भाभी को किस करना चाहता हूँ.. अगर आप इज़ाज़त दें तो..
वो बोले – अरे यार ! आज तुम भाभी देवर के बीच कोई कुछ नही बोलेगा… तुम दोनो आपस में ही डिसाइड करो भाई…
मेने भाभी की तरफ देखा.. उन्होने मौन स्वीकृति देदि… फिर मेने भाभी के दोनो गालों का चुंबन लिया और फुसफुसाया..
भाभी लगता है भैया ने आपको रात बहुत ज़ोर से काटा है.. निशान अभी तक है..
शर्म से उनकी गर्दन झुक गयी… मे अभी उनकी गोद से उठने की सोच ही रहा था कि चाची बोली पड़ी…
लल्ला ! भाभी की गोद से बिना नेग लिए मत उठना…
वाउ ! ये तो डबल धमाका हो गया… ! हां तो भाभी क्या देंगी.. अपने देवर को..?
वो – जो भी चाहिए माँग लो..!
मे – तो ठीक है… मुझे एक सॅमसंग का स्मार्ट फोन चाहिए… (जो उस समय नया लॉंच हुआ था मार्केट में)…
वो – ठीक है… जब आप गौने के लिए आओगे… आपका फोन आपको मिल जाएगा…
मेने एग्ज़ाइट्मेंट में भाभी के गालों को फिर से चूम लिया और उन्हें थॅंक्स बोलकर गोद से उठ गया……………!
दूसरे दिन शांति बुआ को अपने घर वापस जाना था, सुबह ही सुबह वो तैयार होने में लगी थी.. मे जब जाग के आया तब तक वो जाने के लिए तैयार खड़ी थी…
मेने बुआ को स्माइल किया… और उनके पैर छूते हुए कहा… क्यों बुआ ! कल रात मज़ा आया..
वो भी मुस्कराते हुए बोली – बहुत मस्त चोदता है तू… कभी आना मेरे घर.. तब देखूँगी.. तुझ में कितना दम खम है…
और हँसते हुए उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया…, बुआ के खरबूजों ने मेरे सोए हुए शेर पर फिर अटॅक कर दिया…
मेने उनके कान में कहा.. ज़रूर आउन्गा बुआ… आपका चॅलेंज मुझे मंजूर है… मेरी हॉट डार्लिंग बुआ…..
बीते एक हफ्ते में निशा ने मेरे दिल पर इस कदर कब्जा कर लिया था कि मुझे उठते-बैठते, सोते-जागते बस उसी के ख्याल आते रहते…
बुआ के जाते ही मे फिर उसके ख़यालों में खोने लगा…
भाभी मेरी हालत से अन्भिग्य नही थी, लेकिन घर की भीड़-भाड़ के चलते वो भी कुछ नही कर सकती थी…
धीरे-2 एक-एक कर के रिस्तेदार विदा होने लगे.. भाभी ने निशा को और कुछ दिनो के लिए रोक लिया था… उनका भाई राजेश अपने घर लौट गया था…
बड़ी बुआ भी जा चुकी थी.., एक हफ्ते बाद कामिनी भाभी भी पहली बार विदा होकर अपने घर चली गयी.. और दोनो भाई अपनी ड्यूटी पर लौट गये…
एक दिन मे छोटी चाची के यहाँ उनके आँगन में पड़ी चारपाई पर लेटा था, चाची सिरहने की तरफ पलटी लगाए बैठी थी, मेरा सर उनकी गोद में रखा हुआ था…
मेने चाची के खर्बूजों को दबा कर कहा – आअहह.. चाची ये तो और ज़्यादा फूल कर गुदगूदे होते जा रहे हैं…
वो – हां लल्ला.. अब इनमें दूध भी तो बनेगा ना… बच्चे के लिए.. जैसे-2 दिन नज़दीक आते जाएँगे वैसे-2 इनमें दूध आता जाएगा…
मेने एक चुचि को मसल्ते हुए कहा – तो अभी चूस कर देखूं क्या.. दूध निकलेगा इनमें से..?
वो – नही लल्ला, अभी नही, वो तो बच्चे के जन्म के बाद ही आएगा…! लेकिन लल्ला.. अब मेरा मान बहुत करता है वो करने का… प्लीज़ कुछ करो ना.. !
मे – मुझे कोई प्राब्लम नही है चाची.. आप कहो तो अभी अंदर चलते हैं…?
वो- नही अभी नही.. एक काम करना, कल कॉलेज से जल्दी सीधे यहीं आ जाना..
मेने हां बोलके एक बार और उनके चुचे मसल दिए… उनके मुँह से आहह..
निकल गयी… जबाब में उन्होने मेरे लंड को पकड़ कर मरोड़ दिया….!
आययईीीई…क्या करती हो चाची… उखाड़ोगी क्या..? मेने सिसकते हुए कहा…
वो हँसते हुए बोली – जब तुमने मेरी चुचि मसली थी, तो कुछ नही, अब अपनी बारी आई तो चिल्लाने लगे…
अभी हम आगे कुछ और करते, कि दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई दी…
मे उनकी गोद से उठ कर बैठ गया.. सामने देखा तो निशा, रूचि को गोद में लिए खड़ी थी..
चाची – आओ निशा ! अंदर आओ, वहाँ क्यों खड़ी रह गयी… ?
वो हमारे पास तक आई.. मे भी चारपाई से खड़ा हो गया और रूचि के गाल पर किस करने के लिए अपने होंठ आगे किए…
मे जैसे ही उसको किस करने वाला था कि रूचि ने अपना सर पीछे हटा लिया.. और मेरे होंठ निशा के गाल पर जा टिके…
रूचि ताली बजाते हुए हँसने लगी और चिल्ला कर बोली … दादी देखो ! चाचू ने मौसी को क़िस्सी कर दी…ओहोहो… ! चाचू ने मौसी को क़िस्सी करदी…!
उसके साथ चाची भी हँसने लगी… और हम दोनो झेंप गये.. मेने उसे सॉरी बोला…
वो रूचि को झूठा गुस्सा दिखा कर बोली – रूचि ! तू बहुत शैतानी करती है..
ठहर अभी तेरी पिटाई करती हूँ….
रूचि उसकी गोद से उतार कर मेरी गोद में आ गयी.. और मेरे गले से लिपट गयी…!
रूचि के गाल पर एक पप्पी कर के मेने उसे चाची के पास चारपाई पर बिठा दिया………
चाची बोली – तुम दोनो बैठो, मे ज़रा गाय-भैंस को चारा डाल कर आती हूँ..
और वो बहाना कर के वहाँ से चली गयी.. मेने कहा, निशा जी बैठिए ना.. !
वो – नही मे ऐसे ही ठीक हूँ.. आप बैठिए..
फिर बोली – आप मुझे निशा जी क्यों बुलाते हैं..? खाली निशा बोला कीजिए ना प्लीज़…!
मे – आपको अच्छा लगेगा..?.. तो उसने कहा – हां ! और हो सके तो ये आप की वजाय तुम कहो तो मुझे और ज़्यादा अच्छा लगेगा..
मे – ठीक है, जैसा तुम कहो… वैसे निशा ! तुमने मेरी बात का अभी तक कोई जबाब नही दिया…?
वो – कॉन सी बात का..?
मे – मेने उस दिन कहा था.. ना ! कि मे तुम्हें पसंद करने लगा हूँ.. क्या तुम भी मुझे पसंद करती हो..?
वो बिना कोई जबाब दिए मेरी तरफ देखने लगी.. पता नही कैसा जादू था उसकी आँखों में की मे उसकी आँखों डूबने लगता था……!
कुछ देर बाद उसने अपनी पलकें झुका ली.. लेकिन कोई जबाब नही दिया.. मेने उसके हाथ अपने हाथों में ले लिए और फिरसे अपना सवाल दोहराया, बताओ ना प्लीज़…!
वो – अगर मे ना कहूँ तो आप मान लेंगे कि मे आपको पसंद नही करती..…?
मे – फिर भी मे तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ…!
वो – सच कहूँ… तो मे आपको पहली नज़र से ही चाहने लगी थी, तब मुझे आपके बारे में ये भी पता नही था.. कि आप कॉन हो…?
मे – सच..! तुम सच कह रही हो..? ओह निशा… आइ लव यू… ये कहकर मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया…
वो – आइ लव यू टू अंकुश जी… मे भी आपसे प्यार करने लगी हूँ.. लेकिन अभी छोड़िए प्लीज़ … चाची आ गयी तो क्या सोचेंगी..
मेने उसे अपने सीने से लगाकर कहा – तुम चाची की चिंता मत करो जान… वो कुछ भी नही कहेंगी…
तुम नही जानती तुमने मुझे कितनी बड़ी खुशी दे दी है… ये कहकर मेने उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर उसके पतले-2 रसीले होंठों को चूम लिया…
वो बुरी तरह से शरमा गयी, उसका शरीर थर-थर काँपने लगा, साँसें भारी होने लगी…
रूचि फिर ताली बजकर चिल्लाई… ओहो ! चाचू ने फिर मौसी की क़िस्सी कर दी…!
रूचि की आवाज़ सुनकर हम दोनो अलग हो गये…
निशा रूचि को थप्पड़ दिखाते हुए बोली – ठहर शैतान.. अभी बताती हूँ तुझे…
और फिर मुस्कराते हुए प्यार से उसने रूचि को अपनी बाहों में समेट लिया,
उसके गाल पर एक प्यार भरा किस कर के मेरी ओर देखकर वो मुस्काराई, और उसे गोद में लेकर खिल-खिलाती हुई घर की तरफ भाग गयी…
मे मन ही मन मुस्करता हुआ, उसे जाते हुए देखता रहा………!
रात को खाना खाते समय भाभी ने कहा – लल्ला जी… कल निशा को छोड़ आना.. अब बहुत दिन हो गये उसको यहाँ… घरवाले खम्खा परेशान हो रहे होंगे…
मेरी तो ये सुन कर साँस ही अटक गयी.., खाना गले में अटक गया.., मुझे खाँसी का ठन्स्का सा लग गया…
भाभी – क्या हुआ… अच्छे से खाना खाओ.. इतनी भी क्या जल्दी है…ये कहकर मुझे पानी का ग्लास पकड़ा दिया…
मेने चोर नज़रों से निशा की तरफ देखा, वो भी भाभी की बात सुन कुछ दुखी सी लग रही थी…
मे – ऐसी भी क्या ज़रूरत आन पड़ी एकदम से भाभी.. मुझे कल कॉलेज भी जाना ज़रूरी है.. कोर्स बहुत पिछड़ गया है भैया की शादी के चक्कर में….!
भाभी – तो कोई बात नही कॉलेज से लौट कर छोड़ आना.. अब सारी जिंदगी ये यहाँ तो नही रह सकती ना.., वैसे भी तुम्हारी बुलेट रानी के लिए है ही कितना दूर..
मे – ठीक है.. फिर दोपहर के बाद ही निकल पाएँगे…
अब साला चाची से भी कल का वादा किया है, तो वो भी निभाना तो पड़ेगा वरना वो बुरा मान जाएँगी..…,
मेने अकेले में भाभी को ये बात बताई.. तो वो बोली – कोई बात नही, मॅनेज कर लेना…
शाम को थोड़ा लेट चले जाना और रात वहीं रुक जाना.. मेने कहा – वैसे भाभी इतना भी अर्जेंट नही है.. निशा का जाना.. और कुछ दिन रहने दो ना.. !
वो मेरी तरफ गहरी नज़रों से देखते हुए बोली – तुम उसको रोकने के लिए इतना प्रेशर क्यों डाल रहे हो…? बात क्या है..? कुछ लफडा लगता है..क्यों..?
मे नज़र नीची कर के बोला – नही भाभी ऐसा वैसा कुछ नही, बस मे तो यूँही कह रहा था… !
वो – अच्छा वो सब छोड़ो.. अब मुझे सच..सच जबाब देना.. जो मे पुच्छू उसका..
मे – हां ! पुछिये…
वो – तुम्हें निशा कैसी लगती है..?
मे – अच्छी है, सुन्दर है.. इसमें छिपाने जैसा क्या है.. जो सच है सो है..
वो – तुम उसे पसंद भी करते हो…
उनके इस सवाल पर में गड़बड़ा गया… जल्दी से कोई जबाब नही दे सका.. तो नज़र अपने आप झुक गयी…
मेरी ओर से कोई जबाब ना पाकर वो फिर बोली – वो भी तुम्हें पसंद करती है..?
मेने अपनी नज़र ऊपर की और उनकी ओर देखने लगा… मुझे अपनी ओर देखते हुए पाकर वो बोली –
लल्ला ! मे तुम दोनो के बारे में सब जानती हूँ, और इसलिए उसे यहाँ से भेज रही हूँ…. जिससे तुम दोनो कहीं बहक ना जाओ, और समय से पहले कुछ ऐसा हो जो नही होना चाहिए…
मे तुम दोनो से नाराज़ नही हूँ.. बल्कि मे तो खुद चाहती हूँ.. कि आगे चल कर तुम दोनो एक हो जाओ..
निशा के लिए तुमसे अच्छा जीवन साथी और कोई हो ही नही सकता.. लेकिन रिश्तों की कुछ मर्यादाएँ होती हैं, जिन्हें हमें निभाना पड़ता है..!
मे मुँह बाए, बस उनके चेहरे को ही देखता रहा.. उनके चेहरे पर किसी भी तरह के कोई भाव नही थे… जस्ट चिल…
मे भाभी के गले से लग गया… मेरी आँखों से दो बूँद आँसुओं की निकल पड़ी और मेने रुँधे गले से कहा-
सच में आप मेरे लिए भगवान का रूप हो भाभी… हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करने लगे हैं.. और अब एक दूसरे के बिना रहने की कल्पना भी नही कर सकते…
वो – लेकिन कुछ साल तो तुम दोनो को इंतेज़ार करना पड़ेगा… लेकिन ये मेरा वादा है तुमसे.. कि चाहे जो भी हो, मे तुम दोनो को मिलाकर ही रहूंगी…
अब तुम जाओ.. और बिना किसी शक-सुवह के सो जाओ… कल बहुत मेहनत करनी है.. ये खाकर मेरे गाल पकड़ कर हँसने लगी…
मेने एक बार भाभी के गालों पर किस किया और सोने चला गया..
दूसरे दिन कॉलेज में दो घंटे बिताने के बाद में जल्दी घर आ गया और सीधा छोटी चाची के पास पहुँच गया…
चाची अभी -अभी नहा कर चुकी थी, मेरे आवाज़ देने पर उन्होने गेट खोला, तो देखा वो उसी अंदाज में अपना पेटिकोट चुचियों पर चढ़ाए हुए थी..
गेट खोल कर वो अपने कमरे की तरफ चल दी.. मेने भी फटाफट दरवाजा बंद किया और उनकी मटकती गान्ड का पीछा करते हुए उनके कमरे में आ गया…
उनकी मटकती गान्ड के सीन ने मेरे लंड को खड़ा कर दिया…
चाची ने अभी तक अपना बदन भी नही पोंच्छा था… पानी की बूँदें किसी मोती के दानों की तरह उनके गोरे मादक बदन पर चमक रही थी…
अंदर जाकर वो पालग पर पड़े अपने कपड़े उठाने ही वाली थी, कि मेने पीछे से उनकी गान्ड में अपना लंड सटा दिया… और कमर में बाहों का लपेटा डालकर उनके बदन से पानी की बूँदों को चाटने लगा…
चाची कपड़े पहनना भूल गयी और अपनी आँखें मीन्चे आनंद के सागर में गोते लगाने लगी…
उनके हाथ से पेटिकोट भी छूट गया… और अब वो उनके पैरों में पड़ा अपनी गुस्ताख़ी की भीख माँग रहा था…
हाल ही में नाहया हुआ बदन, जो दिसंबर की सर्दी में और ज़्यादा ठंडा हो गया था… मेरे शरीर की गर्मी से गरमाने लगा…
मेने अपना पॅंट खोल दिया और फ्रेंची से अपना गरमा-गरम लंड निकाल कर चाची की मदमस्त ठंडी-2 गान्ड से रगड़ दिया…
अहह…………मेरे……….लल्लाआअ……..रजाआाआआ……
कितना गरम है.. तुम्हारा तो…
चाची ! मेने थोड़े बनावटी गुस्से से कहा – ये तुम्हारा.. मेरा… क्या..कहती रहती हो… सीधे-2 नाम नही ले सकती… जाओ .. रखलो अपनी धर्मशाला… मुझे नही चाहिए…
इतना बोल कर मे अलग हो गया और अपना पॅंट उठा लिया…..
अरे…मेरे राजा…मुन्ना….नाराज़ हो गया… चाची ने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में लेकर कहा – तुम्हारा ये लंड महाराज कितना गरम है.. लो अब ठीक है..
ऐसे नाराज़ ना हुआ करो मेरे होनेवाले बच्चे के पापा… मुझे ऐसे शब्द बोलने में थोड़ी झिझक लगती है.. पहले कभी बोले नही ना इसलिए… आगे से ख्याल रखूँगी…
मेने चाची के होंठ अपने मुँह में भर लिए और उन्हें चूसने लगा…
चाची भी मेरा साथ देने लगी, और साथ-साथ मेरा लंड भी मसल्ति जा रही थी…
मेने चाची की चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी और उन्हें अंदर बाहर करके चोदने लगा…
चाची की आँखे लाल होने लगी… वासना की खुमारी उनके सर चढ़ने लगी.. और उनकी चूत गीली हो गयी…
अब मेने उनकी चुचि को दबाते हुए कहा – अह्ह्ह्ह…चाची आपकी ये चुचियाँ कितनी मस्त हो गयी हैं…जी करता है चूस्ता ही रहूं…
तो चूसो ना रजाआ….आअहह…हान्न्न….और ज़ोर से…. खाजाओ… बहुत परेशान करती हैं… काटो…आहह….ज़ोर से नहियीईईईईईई….
मेने चूस-चूस कर उनकी चुचियों को लाल कर दिया… उत्तेजना में कयि जगह दाँत से काट भी लिया… जिससे खून झलकने लगा था….
सॉरी चाची ! मेने आपको काट लिया….
कोई बात नही … मुझे दर्द नही हुआ….
अब हम दोनो से ही और इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा था… सो मेने चाची को लिटा दिया… और उनकी चूत को हाथ से सहला कर चूम लिया… उनकी टाँगें मेरे लंड के स्वागत में खुल गयी…
चाची का पेट अब थोड़ा सा उभर आया था, जिससे उनकी नाभि का गड्ढा थोड़ा कम गहरा हो गया था…
एक बार मेने उनके उभरे हुए पेट को चूमा और अपना मूसल उनकी रसीली गागर के मुँह से अड़ा कर अंदर डाल दिया….
अहह………..आराम से करना…. लल्ला… तुम्हारे बच्चे को चोट ना लग जाए… नही तो कहेगा… कैसा निर्दयी बाप है.. पेट में भी मारता है…
मेने धीरे-2 धक्के लगाकर उनकी चुदाई करने लगा… आजकल उनकी चूत मेरे लंड को कुछ ज़्यादा ही जाकड़ लेती थी… जिससे हम दोनो को ही बहुत मज़ा आता…
एक बार झड़ने के बाद मेने चाची को घोड़ी बना दिया… और उनकी गान्ड को चाटते हुए कहा…
चाची ! आपकी गान्ड कितनी मस्त है… इसमें एक बार लंड डालके देखें..?
वो – नही लल्ला ! दर्द होगा..
मे – प्लीज़ चाची ! कई दिनो से मन था मेरा लेकिन कहा नही… पर आज मान नही मान रहा… प्लीज़ तोड़ा देखें तो सही.. कैसा लगता है…
वो – तुम भी ना लल्ला… बहुत जिद्दी हो… ! अच्छा वहाँ से तेल की शीशी ले लो और अच्छे से सुराख और अपने लंड पे लगाके तब डालना…
मेने फ़ौरन हेर आयिल की शीशी ली.. थोडा चाची की गान्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसे अंदर तक चिकना कर दिया…
फिर अपने लंड पर चुपडा… और उनकी गान्ड के भारी-2 पाटों को अलग कर के उनके छेद पर टिका दिया…..
गान्ड के छेद पर लंड का अहसास होते ही चाची की गान्ड का छेद खुलने-बंद होने लगा…
मेने बॉटल से दो बूँद तेल की और टपका दी… और इस बार अपनी दो उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी, चाची ने चिहुन्क कर अपनी गान्ड के छेद को सिकोड कर मेरी उंगलियों पर कस लिया…..
हइई… लल्ला… क्या करते हो… मेरी गान्ड चटख रही है…
मेने उनकी गान्ड पर दूसरे हाथ से चपत मार कर कहा – ऐसे गान्ड भींचोगी तो चट्केगी ही ना, इसको थोड़ा ढीला छोड़ो…
मेरी बात मानकर चाची ने अपनी गान्ड को थोड़ा ढीला कर लिया, अब मेरी दोनो उंगलियाँ आराम से अंदर तक पहुँच पा रही थी…
उनकी गान्ड का छेद अब थोड़ा सा खुल गया था, मेने उंगलियाँ बाहर निकाल कर दो बूँद तेल और डाला और उसे उंगली से अंदर कर के अपने लंड को उसके छेद पर फिर से रख दिया…
एक हल्के से धक्के के साथ मेरा पूरा सुपाडा गान्ड के अंदर जाकर फिट हो गया..….
लल्ला…. थोड़ा धीरे करो… मेरी गान्ड फट रही है…हाईए… बस करो…
मेने चाची की चौड़ी चकली पीठ को चूमते हुए उनकी चुचियों को थाम लिया और ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा..
चाची की गान्ड में लंड की चुभन कुछ कम होने लगी तो मेने और थोड़ा पुश किया… और आधा लंड अंदर कर दिया..
हइई…लल्लाअ … लगता है आज नही छोड़ोगे… मुझे…अरे मारीी…उफफफफफ्फ़..
अब मेने अपने एक हाथ को उनकी कमर की साइड से नीचे ले जाकर उनकी चूत को सहला दिया और अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर कर के उसे चोदने लगा…