Episode 06


मैंने देखा कि प्रशाँत और प्रीती हमारे पास आ गये हैं। प्रीती ने ठीक बबीता के बगल में सोफ़े पर लेट कर अपनी टाँगें फैला दी। उसकी चूत का मुँह और खुल गया था। उसकी गुलाबी चूत इतनी प्यारी थी और जैसे कह रही हो कि आओ मुझे चोदो। प्रशाँत उसकी टाँगों के बीच आकर अपना खड़ा लंड उसकी चूत पे घिसने लगा।

मैं बबीता की चूत को पीछे से चोद रहा था इसलिए मुझे साफ और अच्छी तरह दिखायी दे रहा था कि प्रशाँत किस तरह अपना लंड प्रीती की चूत पे रगड़ रहा था। बबीता ने अपना एक हाथ बढ़ा कर प्रशाँत के लंड को अपने हाथों में ले लिया और उसे प्रीती की चूत के मुँह पे रख दबाने लगी।

क्या नज़ारा था, एक औरत दूसरे मर्द से चुदवा रही थी और अपने पति का लंड उस मर्द की बीवी की चूत पे रगड़ उसे चोदने को कह रही थी। मैं उत्तेजना के मारे बबीता के चूत्तड़ पकड़ कर कस-कस के धक्के लगा रहा था। बबीता ने प्रीती की चूत अपने हाथों से और फैला दी और प्रशाँत के लंड को ठीक वहीं पे रख दिया। प्रशाँत ने इशारा समझ कर एक ही धक्के में अपना लंड पूरा पेल दिया।

प्रशाँत मेरी बीवी प्रीती को जोर के धक्कों के साथ चोद रहा था और मैं उसकी बीवी बबीता की चूत मे अपना लंड पेल रहा था। मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ायी तो बबीता पीछे की और घूम कर बोली, “राज थोड़ा धीरे-धीरे चोदो और अपनी बीवी को देखो।”

मैंने देखा कि प्रीती की टाँग मुड़ कर उसकी चूचियों पे थी और प्रशाँत धीमे धक्कों के साथ उसे चोद रहा था। उसका मोटा लंड वीर्य रस से लसा हुआ लाईट में चमक रहा था। इतने में बबीता अपनी एक अँगुली प्रीती की चूत में डाल अंदर बाहर करने लगी। बबीता की अँगुली और प्रशाँत का लंड एक साथ प्रीती की चूत में आ जा रहे थे। प्रीती भी पूरी उत्तेजना में अपने चूत्तड़ उछाल कर प्रशाँत के धक्कों का साथ दे रही थी।

इतनी जोरदार चुदाई देख मैंने भी अपने धक्कों में तेजी ला दी। बबीता भी अपने चूत्तड़ पीछे की और धकेल कर ताल से ताल मिला रही थी। मैंने अपनी एक अँगुली बबीता की चूत में डाल कर गीली की और फिर उसकी गाँड के छेद पे घुमा कर धीरे से अंदर डाल दी। बबीता सिसक पड़ी, “ओहहहहह राज क्याआआआआ कर रहे हो?” मैंने उसकी बात पे ध्यान नहीं दिया और उसे जोर से चोदते हुए अपनी अँगुली उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। वहीं पर प्रशाँत भी जम कर प्रीती की चुदाई कर रहा था। मैंने बबीता के शरीर को अकड़ता पाया, और उसने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त में ले लिया।

मैं जोर-जोर के धक्के लगा रहा था, मेरा भी पानी छूटने वाला था। मैंने दो चार धक्के मारे और मेरे लंड ने बबीता की चूत में बौंछार कर दी, साथ ही बबीता की चूत ने भी अपना पानी छोड़ दिया।

मैं फिर भी धक्के मारे जा रहा था और अपनी बीवी प्रीती को देख रहा था। उसकी साँसें तेज थी और वो सिसक रही थी, “ओहहहहहह आआहहहहह प्रशाँत. चोदो मुझे. और जोर से. . हाँआआआ ऐसे ही चोदो. . और जोर से. . !”

मैं समझ गया कि प्रीती का समय नज़दीक आ गया है। उसने जोर से अपने चूत्तड़ ऊपर उठा कर प्रशाँत के लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले अपना पानी छोड़ दिया। प्रशाँत का भी काम होने वाला था। वोह अपना लंड प्रीती की चूत से बाहर निकाल कर हिलाने लगा और फिर उसके पेट और छाती पर अपने वीर्य की बरसात कर दी।

प्रशाँत अपना लंड फिर उसकी चूत में घुसा कर धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला तो वो प्रीती की चूत के पानी और खुद के सफ़ेद वीर्य से लिसड़ा हुआ था। प्रशाँत ने थोड़ा साईड में हो कर अपना लंड प्रीती के मुँह में दे दिया। और बबीता अपने आप को एडजस्ट कर अपना मुँह प्रीती की चूत पर रख के उसे चाटने लगी।

मेरा लंड फिर तनाव में आ गया था और मैं जोर के धक्कों के साथ बबीता को चोद रहा था। बबीता मेरी बीवी की चूत को चूस रही थी और प्रीती प्रशाँत के लंड को। माहौल में काम की आग दहक रही थी और हम चारों उत्तेजना से भरे पड़े थे।

दो चार कस के धक्के मार कर मैंने एक बार फिर अपना पानी बबीता की चूत में छोड़ दिया। प्रीती की चूत ने भी बबीता के मुँह में अपना पानी छोड़ दिया और वहीं प्रीती भी प्रशाँत के लंड से छूटे पानी को पी रही थी।

हम चारों पसीने में लथ-पथ थे और साँसें तेज हो गयी थी। ऐसी जमकर चुदाई शायद सभी ने पहली बार की थी। हम सब लेट कर सुस्ताने लगे। बबीता ने मुझे बांहों में भर कर चूमते हुए कहा, “राज ऐसी चुदाई मैंने आज पहली बार की है, तुम्हारे चोदने का अंदाज़ सही में निराला है।”

“बबीता. ये तो मुझे प्रशाँत ने सिखाया कि तुम्हें किस तरह की चुदाई पसंद है,” मैंने उसे चूमते हुए जवाब दिया।

रात के बारह बज चुके थे और दूसरे दिन काम पर भी जाना था। प्रशाँत और बबीता खड़े हो कर अपने कपड़े पहनने लगे। कपड़े पहन कर दोनों ने हमसे विदा ली और अपने घर चले गये। मैं और प्रीती भी एक दूसरे को बांहों में ले सो गये।

अगले कुछ दिनों तक हमारी मुलाकात प्रशाँत और बबीता से नहीं हो पायी। उस रात की चुदाई ने हमारी सैक्स लाईफ को एक नया मोड़ दिया था। अक्सर रात को बिस्तर में हम उस रात की चर्चा करते और जमकर चुदाई करते। हम दोनों की इच्छा थी कि प्रशाँत और बबीता के साथ एक रात और गुज़ारी जाये।
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एक दिन शाम के छः बजे प्रशाँत हमारे घर आया। उसने बताया कि वो ऑफिस के काम में काफी मशगूल था, इसलिए हम लोगों से नहीं मिल पाया। बातचीत के दौरान मैंने प्रशाँत को बताया कि अगले वीक-एंड पर मैं और प्रीती गोआ घूमने जा रहे हैं। मैंने प्रशाँत से कहा, “प्रशाँत तुम और बबीता क्यों नहीं साथ चलते हो?”

प्रशाँत कुछ देर सोचते हुए बोला, “मैं तैयार हूँ. पर हम लोग आपस में एक शर्त लगाते हैं। जो शर्त हार जायेगा उसे घूमने का सारा खर्च उठाना पड़ेगा. बोलो मंजूर है?”

“पर शर्त क्या होगी?” मैंने प्रशाँत से पूछा।

“शर्त ये होगी कि अगले दस दिन तक हम सफ़र की तैयारी करेंगे। इन दस दिनों में हम चारों चुदाई के गुलाम होंगे। हम एक दूसरे से कुछ भी करने को कह सकते हैं, जो पहले काम के लिए मना करेगा वो शर्त हार जायेगा,” उसने कहा।

प्रीती ये बात सुनते ही उछल पड़ी “मुझे मंजूर है।” जब प्रीती हाँ बोल चुकी थी तो मैं कौन होता था ना करने वाला, बल्कि मैं तो तुरंत बबीता के ख्यालों में खो गया कि मैं उसके साथ क्या-क्या कर सकता हूँ, और अगर उसने इनकार किया तो छुट्टियाँ फ़्री में हो जायेंगी, पर मुझे क्या मालुम था कि आगे क्या होने वाला है।

“ठीक है प्रशाँत हमें मंजूर है,” मैंने कहा।

“तो ठीक है हमारी शर्त कल सुबह से शुरू होगी,” कहकर प्रशाँत चला गया।

मुझमें और प्रशाँत में शर्त लग चुकी थी। अब हम अपनी ख्वाहिशें आजमाने का इंतज़ार करने लगे। दूसरे दिन प्रशाँत शाम को हमारे घर आया और शर्त को शुरू कर दिया। उसने प्रीती को अपने पास बुलाया, “प्रीती तुम अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ।”

प्रीती ने अपने पूरे कपड़े उतारे और नंगी हो गयी। प्रशाँत ने उसकी चूत पे हाथ फिराते हुए कहा, “प्रीती पहले तुम अपनी झाँटें साफ़ करो, मुझे चूत पे बाल बिल्कुल भी पसंद नहीं है और उस दिन जैसे ही कोई सैक्सी से हाई हील के सैंडल अपने पैरों में पहन लो।”

प्रीती वहाँ से उठ कर बाथरूम में चली गयी। थोड़ी देर बाद प्रीती बाथरूम से बाहर निकल कर आयी। मैंने देखा कि उसकी चूत एक दम चिकनी और साफ लग रही थी। बालों का नामो निशान नहीं था। प्रीती ने लाल रंग के हाई हील के सैंडल भी पहन लिये थे। प्रशाँत ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसे चूमते हुए उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी।

“वाह क्या चूत है तुम्हारी,” कहकर प्रशाँत अपनी दूसरी अँगुली उसकी चूत में डाल अंदर बाहर करने लगा।

प्रशाँत ने प्रीती को खड़ा किया और खुद खड़ा हो अपने कपड़े उतारने लगा। उसका खड़ा लंड शॉट्‌र्स के बाहर निकल कर फुँकार रहा था। प्रीती आगे बढ़ कर उसके लंड को अपने हाथों में ले सहलाने लगी।

दोनों एक दूसरे के अँगों को सहला रहे थे, भींच रहे थे। कमरे में मेरी मौजूदगी का जैसे किसी को एहसास नहीं था। “आज मैं तुम्हें ऐसे चोदूँगी कि तुम ज़िंदगी भर याद करोगे?” इतना कहकर प्रीती प्रशाँत को खींच कर बिस्तर पे ले गयी।

प्रीती ने प्रशाँत को बिस्तर पर लिटा दिया। उसका लंड पूरा तन कर एक दम तंबू के डंडे की तरह खड़ा था। प्रीती उसकी टाँगों को फैला कर बीच में आ गयी और उसके लंड को चूमने लगी। मैं पीछे खड़ा ये नज़ारा देख रहा था। प्रीती के झुकते ही उसकी गोरे चूत्तड़ ऊपर उठ गये थे और उसकी गुलाबी चूत साफ दिखायी दे रही थी।

मैं देख रहा था की प्रीती प्रशाँत के लंड को अपने हाथों से पकड़ कर उसके सुपाड़े को चाट रही थी। फिर उसने अपना पूरा मुँह खोल कर उसके लंड को अपने गले तक ले लिया।

इतना कामुक और उत्तेजित नज़ारा देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरा लंड मेरी पैंट में पूरा तन गया था। मैं भी अपने कपड़े उतार कर अपने लंड को सहलाने लगा। प्रीती एक कामुक औरत की तरह प्रशाँत के लंड की चूसाई कर रही थी। प्रशाँत ने जब मुझे अपने लंड से खेलते देखा तो कहा, “राज ऐसा करो, तुम अपनी बीवी को थोड़ी देर चोद कर उसकी चूत को मेरे लंड के लिये तैयार करो।”

मुझे एक बार तो बहुत बुरा लगा कि एक दूसरा मर्द मुझे ही मेरी बीवी को चोदने के लिये आज्ञा दे रहा है पर लंड की अपनी भूख होती है और ऊपर से हमारी शर्त। मैं झट से प्रीती के पास पहुँचा और उसके चूत्तड़ पकड़ कर एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी बिना बालों की चूत में पेल दिया।

मेरे लंड के अंदर घुसते ही प्रीती ने अपने चूत्तड़ और पीछे की और करते हुए मेरे लंड को और अंदर तक ले लिया। मैं जोर के धक्के लगा कर प्रीती को चोद रहा था और वो हर धक्के के साथ उतनी ही तेजी से प्रशाँत के लंड को चूस रही थी।

“राज लगता है अब प्रीती तैयार हो गयी है।” प्रशाँत ने प्रीती की चूचियों को मसलते हुए मुझे हटने का इशारा किया। प्रीती ने अभी आखिरी बार उसके लंड को चूमा और उठ कर घूम कर बैठ गयी। प्रीती अपने दोनों पाँव प्रशाँत के शरीर के अगल बगल रख कर बैठ गयी। उसकी पीठ प्रशाँत की और थी और उसका चेहरा मेरे सामने था। प्रीती मुझे आँख मार कर थोड़ा सा उठी और प्रशाँत का लंड अपने हाथों में ले कर उसे अपनी चूत पे रगड़ने लगी। थोड़ी देर लंड को अपनी चूत पे रगड़ने के बाद वो एक हाथ से अपनी चूत का मुँह फ़ैलाते हुए नीचे की और बैठने लगी। प्रशाँत का पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा चुका था।

अब प्रीती अपनी दोनों चूचियों को पकड़ कर एक ब्लू फ़िल्म की अदाकारा की तरह उछल-उछल कर प्रशाँत को चोद रही थी। जैसे ही वो ऊपर की और उठती तो उसकी चूत थोड़ा सुकड़ जाती और जब वो जोर से उसके लंड पे बैठती तो चूत खुल कर लंड को अपने में समेट लेती। दोनों उत्तेजना में भर चुके थे, प्रशाँत के हाथ उसकी कमर पर थे और धक्के लगाने में सहायता कर रहे थे।

उनके शरीर की अकड़न देख कर मैं समझ गया कि दोनों का पानी छूटने वाला है। इतने में प्रशाँत ने प्रीती को रुकने के लिये कहा। प्रीती रुक गयी। प्रशाँत ने उसे खींच कर अपनी छाती पे लिटा लिया। प्रीती अब प्रशाँत की छाती पर पीठ के बल लेती थी। प्रशाँत ने प्रीती की टाँगों को सीधा कर के फैला दिया जिससे उसका लंड चूत में घुसा हुआ साफ दिखायी दे रहा था।

“राज आकर अपनी बीवी की चूत को चूसकर उसका पानी क्यों नहीं छुड़ा देते?” कहकर प्रशाँत ने प्रीती की चूत को अपने हाथों से और फैला दिया। मैं अपने आपको रोक ना सका और उछल कर उन दोनों की टाँगों के बीच आ अपना मुँह प्रीती की चूत पे रख दिया। मैं जोर-जोर से उसकी चूत को चूस रहा था और चाट रहा था। मेरी जीभ की घर्षण ने दोनों के बदन में आग लगा दी।

थोड़ी देर में प्रशाँत ने अपने चूत्तड़ ऊपर की और उठाये जैसे कि अपना लंड उसकी चूत में जड़ तक समाना चाहता हो। मैं समझ गया कि उसका पानी छूटने वाला है। प्रीती ने भी अपनी चूत का दबाव प्रशाँत के लंड पर बढ़ा कर अपना पानी छोड़ दिया। प्रशाँत ने भी प्रीती की कमर को जोर से पकड़ अपने वीर्य को उसकी चूत में उड़ेल दिया।

मैं प्रीती की चूत जोर से चूसे जा रहा था और साथ ही साथ अपने लंड को रगड़ रहा था। जब प्रशाँत के लंड ने अपना सारा पानी प्रीती की चूत में छोड़ दिया तो प्रशाँत ने प्रीती को अपने से नीचे उतार दिया और मेरी तरफ़ देखते हुए कहा, “राज अब तुम प्रीती को चोदो।”

प्रीती मेरे सामने अपनी टाँगें फ़ैलाये लेटी थी। उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी और साथ ही मुझे उसकी चूत से टपकता प्रशाँत का वीर्य साफ दिखायी दे रहा था। दूसरे के वीर्य से भीगी अपनी बीवी की चूत में लंड डालने का मेरा कोई इरादा नहीं था। जब प्रशाँत ने मुझे हिचकिचाते हुए देखा तो इशारे से मुझे शर्त याद दिलायी।

मेरे पास कोई चारा नहीं था, इसलिए मैं प्रीती की टाँगों के बीच आ गया और एक ही धक्के में अपने खड़े लंड को उसकी चूत में जड़ तक समा दिया। मैंने देखा कि मेरा लंड प्रशाँत के वीर्य से लिथड़ा हुआ प्रीती की चूत के अंदर बाहर हो रहा था।

प्रीती ने अपनी उखड़ी साँसों को संभाल कर अपनी आँखें खोलीं और मुझे देख कर मुस्कुरा दी। फिर उसने पलट कर प्रशाँत की और देखा। प्रशाँत उसकी और बढ़ कर उसके होंठों को चूसने लगा। मैं अपनी बीवी को कस के चोदे जा रहा था और वो दूसरे मर्द के होंठों का रसपान कर रही थी। प्रशाँत अब नीचे की और बढ़ कर उसकी एक चूँची को मुँह मे ले चूस रहा था।

इतने में प्रशाँत झटके से उठा, “तुम दोनों मज़ा करो,” कहकर वो अपने कपड़े पहन वहाँ से चला गया। मैंने प्रीती की और देखा तो उसने अपनी टाँगें मोड़ कर अपनी छाती पर रख लीं और अपनी अँगुली मुँह में गीली कर के अपनी चूत में घुसा दी।

मैं और तेजी से उसे चोदने लगा और वो अपनी अँगुली से खुद को चोद रही थी। मुझे पता था कि थोड़ी ही देर में उसकी चूत फिर पानी छोड़ देगी और मेरा लंड उसकी चूत में पानी छोड़ देगा। थोड़ी ही देर में हम दोनों का शरीर अकड़ने लगा और प्रीती ने अपनी नसों के खींचाव से मेरे लंड को पूरा भींच लिया। उसकी चूत ने इतनी जोरों का पानी छोड़ा कि मुझे ऐसा लगा कि मेरे लंड पर कोई बाँध खुल गया है। मैंने भी उसे जोरों से भींचते हुए अपना वीर्य उगल दिया।

हम दोनों आपस में शर्त तो लगा चुके थे, पर इस शर्त की हद कहाँ तक हमें ले जायेगी, ये मुझे कुछ दिनों के बाद पता चला। मैंने और प्रीती ने प्रशाँत और बबीता का अपने दोस्तों से परिचय कराने के लिए एक छोटी सी पार्टी रखी थी।

मैंने सोच लिया था कि मैं बबीता को वो सब करने को कहुँगा जो वो नहीं करना चाहती। अगर उसने ना कहा तो मैं शर्त जीत जाऊँगा। पार्टी के दिन मैं ऑफिस में यही सोचता रहा और शाम तक मैंने सब कुछ सोच लिया था कि मुझे क्या करना है।

बबीता के खयालों में खोया हुआ जब मैं शाम को घर पहुँचा तो मेरा लंड पूरा खंबे के जैसे तना हुआ था। प्रीती ने मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोला और मुझे बांहों मे भर कर चूम लिया। मेरा लंड उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था। प्रीती ने दरवाज़ा बंद किया और घुटनों के बल बैठते हुए मेरी पैंट के बटन खोलने लगी।

मैं दीवार का सहारा ले कर खड़ा हो गया और प्रीती मेरे लंड को बाहर निकल चूसने लगी। वो मुझे जोर-जोर से चूस रही थी और मैं उसके बालों को पकड़ अपने लंड पर उसके मुँह को दबा रहा था। थोड़ी देर में मेरे लंड ने उसके मुँह में वीर्य छोड़ दिया जिसे वो सारा गटक गयी।

अपने होंठों पे लगे मेरे वीर्य को अपनी जीभ से साफ करते हुए वो बोली, “राज जानते हो आज मैं बाज़ार से क्या लेकर आयी हूँ?” इतना कह वो मुझे घसीट कर बेडरूम मे ले गयी। बेडरूम मे पहुँच कर मैंने देखा कि बिस्तर पर एक बहुत ही काले रंग का नौ इंच लंबा और तीन इंच मोटा डिल्डो पड़ा था।

प्रीती ने बताया कि वो ये डिल्डो बबीता के साथ बाज़ार से लायी है। ये बेटरी से चलता है। प्रीती इसे आजमाना चाहती थी। मैंने दराज से बेटरी निकाल कर उसमें लगा दी। प्रीती बिस्तर पर लेट गयी और अपने गाऊन को कमर तक उठा दिया और अपनी चूत को फैला दिया।

मैंने देखा की कई दिनों से प्रीती ने पैंटी पहनना छोड़ दिया था। “मैं चाहती हूँ कि तुम इसे मेरी चूत में डालकर मुझे इससे चोदो,” कहकर प्रीती ने डिल्डो मेरे हाथों में पकड़ा दिया। मैंने पहले उसकी सफ़ाचट चूत को चूमा और फिर डिल्डो को उसकी चूत के मुहाने पे रख दिया। डिल्डो मेरे लंड से भी मोटा था और मैं सोच रहा था कि वो प्रीती की चूत में कहाँ तक जायेगा।

मैंने डिल्डो उसकी चूत पे रखा और अंदर घुसाने लगा। प्रीती अपनी टाँगें हवा में उठाय हुए थी। थोड़ी देर में ही पूरा डिल्डो उसकी चूत में घुस गया और मैंने उसका का स्विच ऑन कर दिया। अब वो प्रीती को मज़े दे रहा था और उसके मुँह से सिस्करी निकल रही थी, “ओहहहहहहह आआआआआहहहहहह।”

इतने में ही फोन की घंटी बजी। प्रीती झट से बिस्तर पर से उठ कर फोन सुनने लगी। फोन पर उसकी फ्रेंड थी जो थोड़ी देर में हमारे घर आ रही थी। प्रीती ने अपने कपड़े दुरुस्त किए और डिल्डो को बेड के साईड ड्रावर (दराज) में रख दिया। दरवाज़े की घंटी बजी और प्रीती अपनी फ्रेंड को रिसीव करने चली गयी।

मैंने भी रात के कार्यक्रम को अंजाम देने की लिए बबीता का फोन मिलाया। उसने पहली घंटी पर ही फोन उठाया और हँसते हुए पूछा, “प्रीती को अपना नया खिलोना कैसा लगा?” मैंने उसकी बातों को नज़र-अंदाज़ कर दिया। मैंने उसे बताया कि उसे रात की पार्टी में टाईट काले रंग की ड्रेस पहन कर आनी थी और उसे नीचे कुछ भी नहीं पहनना था। ना ही किसी तरह की ब्रा और न ही पैंटी। और साथ ही सैंडल भी एक दम हाई हील की होनी चाहिए। उसने बताया कि ऐसी ही एक ड्रेस उसके पास है।

बबीता ने पूछा कि उनके कुछ दोस्त उनके साथ रहने के लिये आ रहे हैं तो क्या वो उन्हें साथ में पार्टी में ला सकती है। मैंने उसे हाँ कर दी।

सबसे पहले पहुँचने वालों में प्रशाँत और बबीता ही थे। वे करीब सात बजे पहुँच गये थे। उनके साथ उनके दोस्त अविनाश और मिनी थे। दोनों की जोड़ी खूब जंच रही थी। अविनाश जिसे सब प्यार से अवी कहते थे, थ्री पीस सूट में काफी हेंडसम लग रहा था। और मिनी का तो कहना ही क्या; उसने काले रंग की डीप-कट ड्रेस पहन रखी थी जो उसके घुटनों तक आ रही थी। गोरा रंग, पतली कमर, सुडौल टाँगें और पैरों में चमचमाते हुए काले रंग के स्ट्रैपी हाई हील के सैंडल। मिनी काफी सुंदर दिखायी दे रहे।

पर बबीता को देख कर तो मेरी साँसें ऊपर की ऊपर रह गयी। जैसे मैंने कहा था उसने लो-कट की काले कलर की टाईट ड्रेस पहन रखी थी। और वो मिनी की ड्रेस से भी छोटी थी। उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर की और तक। ड्रेस इतनी छोटी थी कि बिना ड्रेस को ऊपर किये उसकी साफ और चिकनी चूत दिखायी दे सकती थी। पता नहीं बबीता ने कैसे हिम्मत की होगी बिना ब्रा और पैंटी के ये ड्रेस पहनने की।

प्रीती भी अपनी लाल ड्रेस ओर मैचिंग लाल सैंडलों में थी जो उसने इसी पार्टी के लिये नयी खरीदी थी। सबका परिचय कराने के बद मैं अपने काम में जुट गया। मैं बबीता को इशारा कर के बार काऊँटर की और बढ़ गया, और ड्रिंक्स बनाने लगा। जब मैं ड्रिंक्स बना रहा था तब बबीता ने मेरे पीछे आ कर मेरे कान में कहा कि उसने वैसे ही किया जैसा मैंने उसे करने को कहा था।

वो मेरे सामने आकर अपनी टाँगें थोड़ी फैला कर खड़ी हो गयी, जैसे बताना चाहती हो कि वो सही कह रही है। मैंने जान बूझ कर अपने हाथ में पकड़ा बॉटल ओपनर नीचे जमीन पर गिरा दिया। जैसे ही मैं वो ओपनर उठाने को नीचे झुका तो बबीता ने अपनी ड्रेस उठा कर अपनी बालों रहित चूत को मेरे मुँह के आगे कर दिया। उसके इस अंदाज़ ने मेरे लंड को तन्ना दिया। मैंने थोड़ा सा आगे बढ़ कर हल्के से उसकी चूत को चूमा और खड़ा हो गया। अच्छा हुआ मेरी इस हर्कत को कमरे में बैठे लोगों ने नहीं देखा।

धीरे-धीरे लोग इकट्ठे होते जा रहे थे। बबीता मेरे साथ मेरे पीछे खड़ी मुझे ड्रिंक्स बनाने में सहायता कर रही थी। बार की आड़ लेकर मुझे जब भी मौका मिलता मैं उसके चूत्तड़ और उसकी गाँड पे हाथ फिरा देता। एक बार जब हमारी तरफ़ कोई नहीं देख रहा था तो उसने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूत पे रख दिया और कहा, “राज मेरी चूत को अपनी अँगुली से चोदो ना।”

मेरा लंड मेरी पैंट में एक दम तन चुका था। अब मैं उसकी गर्मी शाँत करना चाहता था। पहले प्रीती को उसके नये डिल्डो के साथ और अब पिछले तीस मिनट बबीता के साथ खेलते हुए मेरा लंड पूरी तरह से तैयार था।

मैंने प्रीती के तरफ़ देखा। वो अविनाश और मिनी के साथ बातों मे मशगूल थी। प्रशाँत भी प्रीती के खयालों में खोया हुआ था। ये उप्युक्त समय था बबीता को गेस्ट रूम में ले जाकर चोदने का। मैंने बबीता से कहा, “तुम गेस्ट रूम मे चलो. मैं तुम्हारे पीछे आता हूँ।”

बबीता बिना कुछ कहे गेस्ट रूम की और बढ़ गयी। मगर मेरा इरादा केवल बबीता को चोदने का नहीं था बल्कि मैं चाहता था कि उसकी चुदाई प्रशाँत अपनी आँखों से देखे। मैं उसके पास गया और उसे साईड मे ले जाकर उससे कहा, “प्रशाँत आज मैं तुम्हारी बीवी की गाँड मारूँगा और मैं चाहता हूँ कि तुम ये सब अपनी आँखों से देखो। ऐसा करना तुम खिड़की के पीछे छिप कर सब देखो, मैंने खिड़की के पट थोड़े खुले छोड़ दिए हैं।” इतना कहकर मैं गेस्ट रूम की तरफ़ बढ़ गया।

मैं कमरे मे पहुँचा तो बबीता मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैंने दरवाज़ा बंद किया और उसे बांहों मे भर कर उसके होंठों को चूमने लगा। मैंने उसके बदन को सहलाते हुए उसकी पीठ पर लगी ज़िप खोल दी, “बबीता अपनी ड्रेस उतार दो।”

बबीता ने अपनी ड्रेस उतार दी। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। अब वो सिर्फ काले रंग के हाई हील के सैंडल पहने नंगी खड़ी मेरी और देख रही थी। बबीता उन सैंडलों में नंगी इतनी सुंदर लग रही थी कि किसी भी मर्द को मदहोश कर सकती थी।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ पकड़ कर उसे अपने नज़दीक खींच लिया, और उसके कान में फुसफुसाया, “बबीता आज मैं तुम्हारी गाँड मारना चाहता हूँ।”

मेरी बात सुनकर वो मुस्कुरा दी और बोली, “राज मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूँ। तुम्हारा जो जी चाहे तुम कर सकते हो।”

बबीता अब घुटनों के बल बैठ कर मेरी पैंट के बटन खोलने लगी। बटन खुलते ही मेरा लंड फुँकार मार कर बाहर निकल आया। बबीता बड़े प्यार से उसे अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। वो इतने प्यार से चूस रही थी जैसे वो मेरे लंड को अपनी गाँड के लिये तैयार कर रही हो।

मैंने अपनी ज़िंदगी में कभी किसी औरत की गाँड नहीं मारी थी। मैंने कई बार प्रीती को इसके लिए कहा पर हर बार उसने साफ़ मना कर दिया। एक बार मेरी काफी जिद करने पर वो तैयार हो गयी। पर मेरी किस्मत, जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया, वो दर्द के मारे इतनी जोर की चींखी, कि घबरा कर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। उसके बाद मैंने दोबारा कभी इस बात की हिम्मत नहीं की।

मगर आज लग रहा था कि मेरी बरसों की मुराद पूरी होने वाली है। मैंने बिना समय बिताय अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया और बबीता से कहा, “बबिता अब तुम मेरे लंड को अपनी गाँड के लिए तैयार करो?”

वो खड़ी हो गयी और मेरे लंड को पकड़ कर मुझे बाथरूम की तरफ़ घसीटने लगी, “राज तुम्हारे पास कोई क्रीम है?”

बाथरूम में पहुँच कर मैंने स्टैंड पर से वेसलीन की शीशी उठा कर उसे दे दी। मैंने सब तैयारी कल शाम को ही कर ली थी। बबीता मुस्कुराते हुए शीशी में से थोड़ी क्रीम ले कर मेरे लंड पर मसलने लगी। मेरे लंड को मसलते हुए वो मेरे सामने खड़ी बड़ी कामुक मुस्कान के साथ मुझे देखे जा रही थी।

बबीता शायद समझ चुकी थी कि मैंने अपनी ज़िंदगी मे कभी किसी की गाँड नहीं मारी है। उसने हँसते हुए मुझे बताया कि गाँड मरवाने में उसे बहुत मज़ा आता है। उसने बताया कि प्रशाँत भी अक्सर उसकी गाँड मारता रहता है।

जब मेरा लंड क्रीम से पूरा चिकना हो चुका था तो वो क्रीम की शीशी मुझे पकड़ा कर घूम कर खड़ी हो गयी। शीशे के नीचे लगे शेल्फ को पकड़ वो नीचे झुक गयी और अपनी गाँड मेरे सामने कर दी।

बबीता ने शीशे में से मेरी और देखते हुए अपने टाँगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी गाँड और खुल गयी। बबीता मेरी और देखते हुए बोली, “राज अब इस क्रीम को मेरी गाँड पर अच्छी तरह चुपड़ कर मेरी गाँड को भी चिकना कर दो?”

मैंने थोड़ी सी क्रीम अपनी अँगुलियों पे ली और उसकी गाँड पे मलने लगा। जैसे ही मेरी अँगुलियों ने उसकी गाँड को छुआ, उसने एक मादक सिस्करी लेते हुए अपने सर को अपने हाथों पे रख दिया, “राज अब तुम अपनी एक अँगुली मेरी गाँड मे डाल दो और उसे गोल-गोल घुमाओ।”

मैंने अपनी एक अँगुली उसकी गाँड मे डाल दी और गोल-गोल घुमाने लगा। थोड़ी देर बाद उसने कहा, “अब तुम थोड़ी और क्रीम अपनी अँगुली पे ले कर अपनी दो अँगुलियाँ मेरी गाँड में डाल कर अंदर बाहर करने लगो।”

उसने जैसा कहा, मैंने वैस ही किया। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, एक तो किसी की बीवी की गाँड मारने का मौका और ऊपर से वो ही मुझे सिखा रही थी कि गाँड कैसे मारी जाती है। काश प्रशाँत ये सब देख पता कि कैसे मेरी दो अँगुलियाँ उसकी बीवी की गाँड में अंदर बाहर हो रही थी।

थोड़ी देर बाद जब उसकी गाँड पूरी तरह से चिकनी हो गयी तो वो बोली, “राज अब तुम मेरी गाँड मार सकते हो, ये तुम्हारे लौड़े के लिए पूरी तरह से तैयार है।”

मैंने उसे सीधा किया और अपनी गोद मे उठा कर उसे बिस्तर पे ले आया। मैंने कनखियों से खिड़की की तरफ़ देखा तो मुझे प्रशाँत की परछाईं दिखायी दी। मैंने बबीता को इस अंदाज़ में घुटनों के बल बिस्तर पर लिटाया कि उसकी गाँड खिड़की की तरफ़ हो और प्रशाँत को सब कुछ साफ नज़र आये।

बबीता बिस्तर पर पूरी तरह अपनी छातियों के बल लेट गयी जिससे उसकी गाँड और ऊपर को उठ गयी थी। मैं उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपना खड़ा लंड उसकी गाँड के गुलाबी छेद पे रख थोड़ा सा अंदर घुसा दिया।

जैसे ही मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड के छेद में घुसा, उसके मुँह से सिस्करी निकल पड़ी, “ऊऊऊऊऊईईईईईईई मर गयीईईईईई”

बबीता ने अपने दोनों हाथ पीछे कर के अपने चूत्तड़ पकड़ कर अपनी गाँड को और फैला लिया। उसकी गाँड और मेरा लंड पूरी तरह से क्रीम से लथे हुए थे। मैंने उसके चूत्तड़ को पकड़ कर अपने लंड को और अंदर घुसाया, पर उसकी गाँड इतनी कसी हुई थी कि मुझे अंदर घुसाने में तकलीफ़ हो रही थी।

बबीता ने अपने चूत्तड़ और फैला दिए, “राज थोड़ा धीरे और प्यार से घुसाओ।”

मैंने अपने लंड को बड़े धीरे से उसकी गाँड में घुसाया तो मुझे लगा कि उसकी गाँड के दीवारें और खुल रही हैं और मेरे लंड के लिए जगह बन रही है। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं उसकी गाँड मे लंड नहीं डाल रहा हूँ बल्कि उसकी गाँड मेरे लंड को निगल रही है। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी गाँड मे समाया हुआ था।

अब मैं अपने लंड को उसकी गाँड में धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रहा था। मैं अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सुपाड़ा अंदर रहता तो एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड मे पेल देता।

बबीता भी अपने चूत्तड़ों को पीछे की और धकेल कर मज़ा ले रही थी, “हाँआआआ राज डाल दो अपने लंड को मेरी गाँड में. . फाड़ दो इसे. लगाओ जोर के धक्के. ।”

मुझे भी जोश आता जा रहा था। मैंने बबीता के कंधों को पकड़ कर उसे अपने से और चिपटा लिया। अब मेरा लंड और भी गहराइयों तक उसकी गाँड में जा रहा था। मैं जैसे ही अपना लंड और घुसाता, वो अपने को और मेरी बदन से चिपका लेती। मैं इसी अवस्था में अपने लंड को उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था कि मैंने उसके हाथों को अपने आँडकोश पे महसूस किया। वो धीरे-धीरे मेरे गोलों को सहला रही थी। उसके हाथों की गर्मी मुझमें और उत्तेजना भर रही थी।

मेरा लंड अब तेजी से उसकी गाँड के अंदर बाहर हो रहा था। मुझे मालूम था कि मेरा छूटने का समय नज़दीक आता जा रहा है। पर शायद उसका पानी नहीं छूटने वाला था, वो अपना हाथ मेरे अँडों पे से हटा कर अपनी चूत को रगड़ने लगी। मैं और जोर से धक्के मार रहा था।

जब उसका छूटने का समय नज़दीक आया तो वो अपनी दो अँगुलियाँ अपनी चूत मे डाल कर अंदर बाहर करने लगी और चींखने लगी, “हाँ मारो मेरी गाँड को. और जोर से. राज छोड़ दो अपना पूरा पानी मेरी गाँड में. ।”

मैं जोर से उसकी गाँड मे अपना लंड पेले जा रहा था। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। जब मेरा लंड उसकी गाँड से निकलता तो उसका छेद सिकुड़ जाता और जब मैं अंदर पेलता तो और खुल जाता। मैं जोर के धक्के लगा रहा था।

मैंने महसूस किया कि उसका शरीर अकड़ रहा था और उसकी गाँड ने मेरे लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया था। मैं समझ गया कि उसका पानी छूट रहा है। मैंने जोर का धक्का लगाया और मेरे लंड ने भी अपने वीर्य की पिचकारी उसकी गाँड मे छोड़ दी। जैसे ही मेरा लंड वीर्य उगलता, मैं अपने लंड को और जड़ तक उसकी गाँड में समा देता।

मुझे आज पहली बार एहसास हुआ कि गाँड मारने में कितना मज़ा आता है। मैं बबीता की गाँड में अभी भी अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था। उसकी गाँड क्रीम और मेरे वीर्य से इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे अपना लंड जड़ तक घुसाने में कोई तकलीफ़ नहीं हो रही थी।

पर हमें नीचे पार्टी में भी शामिल होना था, इसलिए मैंने अपना लंड धीरे-धीरे उसकी गाँड से निकालना शुरू किया। जब मेरा लंड उसकी गाँड से बाहर निकल आया तो बबीता ने घूम कर मुझे चूम लिया, “मैं जानती हूँ तुमने आज पहली बार किसी की गाँड मारी है और तुम्हें खूब मज़ा आया है। मुझे भी मज़ा आया है, आज के बद तुम जब चाहो मेरी गाँड मार सकते हो।”

बबीता के इन शब्दों ने जैसे मेरे मुर्झाये लंड में जान फूँक दी। मेरा लंड फ़िर से तन कर खड़ा हो गया। मैं समझ गया कि मुझे बबीता की गाँड मारने का और मौका भविष्य में मिलेगा।

मैंने और बबीता ने अपने आप को टॉवल से साफ़ किया और अपने कपड़े पहन लिए। मैं बबीता से पहले पार्टी में पहुँचा तो मेरा सामना प्रशाँत से हो गया, “लगता है तुम्हारे और बबीता में अच्छी खासी जमने लगी है। अब मेरा समय है कि मैं प्रीती के सैक्स ज्ञान को और आगे बढ़ाऊँ।”

प्रशाँत अब प्रीती को खोज रहा था। प्रीती कमरे के एक कोने में खड़ी अविनाश और मिनी से बातें कर रही थी। हकीकत में अविनाश बार स्टूल पे बैठा था और प्रीती उसके पास एक दम सट कर खड़ी थी। अविनाश के दोनों हाथ उसकी कमर पर थे।

मैंने देखा कि प्रशाँत प्रीती के पास गया और उसके कान में कुछ कहा। प्रीती उसकी बात सुनकर अविनाश से बोली, “सॉरी, मैं अभी आती हूँ।” यह कहकर वो गेस्ट रूम की और बढ़ गयी।

प्रशाँत मेरी तरफ़ आया और बोला, “अब तुम्हारी बारी है देखने की।” यह कहकर वो भी गेस्ट रूम की और बढ़ गया। एक बार तो मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ, फिर मैं भी उसके पीछे बढ़ गया। मैं भी देखना चाहता था कि वो मेरी बीवी के साथ क्या करता है।

प्रशाँत के जाते ही मैं भी उसके पीछे जा खिड़की के पीछे वहीं छिप गया जहाँ थोड़ी देर पहले प्रशाँत खड़ा था। प्रशाँत और प्रीती कमरे में पहुँच चुके थे, और प्रीती उसे अविनाश और मिनी के बारे में बता रही थी। प्रीती बता रही थी अविनाश कितना हँसमुख इन्सान था और वो उसे किस तरह के जोक्स सुना कर हँसा रहा था।

प्रशाँत ने प्रीती से पूछा, “क्या तुम्हें अविनाश अच्छा लगता है?”

“हाँ अविनाश एक अच्छा इंसान है और मिनी भी। दोनों काफी अच्छे हैं।” प्रीती ने जवाब दिया।

“नहीं सच बताओ क्या तुम अविनाश से चुदवाना चाहती हो, मुझे और बबीता को मालूम होना चाहिए। हम लोग पिछले साल भर से दोस्त हैं और तुम्हें नहीं मालूम कि अविनाश कितनी अच्छी चुदाई करता है,” प्रशाँत ने कहा।

प्रीती ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया पर वो इतना जरूर समझ गयी कि प्रशाँत और बबीता आपस में अविनाश और मिनी के साथ चुदाई करते हैं।

प्रीती ने प्रशाँत को बांहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगी। प्रशाँत ने भी उसे बांहों भर कर अपना एक हाथ उसकी ड्रेस के अंदर डाल दिया। “तो आज तुमने भी पैंटी नहीं पहन रखी है,” कहकर वो उसके चूत्तड़ सहलाने लगा।

हे भगवान! मैं बबीता में इतना खोया हुआ था कि मुझे इस बात का पता ही नहीं चला कि मेरी बीवी बिना पैंटी के इतनी देर से पार्टी में घूम रही है।

“तो तुम्हें तुम्हारा नया खिलोना कैसा लगा। बबीता के पास भी वैसा ही खिलोना है, और उसे बहुत पसंद है। क्या तुम उसे ट्राई कर चुकी हो?” प्रशाँत ने उसके कुल्हों को भींचते हुए कहा।

“कुछ खास अच्छी तरह से नहीं।” प्रीती ने जवाब दिया। प्रशाँत ने उसे अपना नया डिल्डो लाने को कहा। प्रीती ने अपने बेडरूम से डिल्डो लाकर प्रशाँत को पकड़ा दिया।

प्रशाँत ने प्रीती को कमरे में रखी एक अराम कुर्सी पर बिठा दिया। प्रशाँत अब जोरों से उसे चूमने लगा। मैंने देखा कि उसका एक हाथ बबीता की टाँगों को सहलाते हुए अब उसकी जाँघों पर रेंग रहा था। फिर उसने उसकी दोनों टाँगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसकी चूत पूरी तरह खुल कर नज़र आने लगी।

मेरी बीवी कुर्सी पर और पसर गयी और अपने टाँगें और फैला दीं जिससे प्रशाँत को आसानी हो सके। प्रशाँत ने उसकी टाँगों को ऊपर उठा कर कुर्सी के हथे पे रख दिया। जैसे ही प्रशाँत ने अपना मुँह उसकी चूत का स्वाद लेने के लिए बढ़ाया, प्रीती उसकी और कामुक नज़रों से देखने लगी।

कुर्सी ठीक खिड़की के बगल में थी। इसलिए मुझे अंदर का नज़ारा साफ दिखायी पड़ रहा था कि, किस तरह प्रशाँत मेरी बीवी की चूत को चाट रहा था। प्रशाँत चूत चाटने में माहिर था और थोड़ी ही देर में प्रीती के मुँह से सिस्करी गूँजने लगी।

प्रशाँत ने अब अपनी दो अँगुलियाँ अपनी जीभ के साथ प्रीती की चूत मे डाल दी, और अंदर बाहर करने लगा। करीब पंद्रह मिनट तक उसकी चूत को चाटने के बाद प्रशाँत उठा और डिल्डो को ले आया और उसका बटन ऑन करके उसे चालू कर दिया।

मेरी बीवी कुर्सी पर पसरी हुई कामुक नज़रों से प्रशाँत को देख रही थी। वो जानती थी कि एक दूसरा मर्द अब उसकी चूत में एक खिलौने को डालने वाला है। प्रशाँत घुटनों के बल बैठ कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया और उसकी गीली हो चुकी चूत में डिल्डो को डालने लगा। उसने धीरे-धीरे डिल्डो अंदर घुसाया और अब वो प्लास्टिक का खिलौना प्रीती की चूत में पूरा घुस चुका था।

डिल्डो की हर्कत का असर मेरी बीवी के चेहरे पे साफ दिखायी दे रहा था, वो अपनी टाँगों को पूरा भींच कर डिल्डो का मज़ा लेने लगी। मेरा लंड भी ये सब देख एक बार फ़िर तन चुका था, जबकि बीस मिनट पहले ही मैं बबीता की गाँड में झड़ कर अलग हुआ था।

प्रशाँत अब खड़ा होकर अपनी पैंट के बटन खोलने लगा। उसने प्रीती के चेहरे के पास आकर अपना एक घुटना कुर्सी के हथे पे रख दिया। उसका लंड प्रीती के चेहरे पे झटके मार रहा था। प्रीती ने मुस्कुरा कर उसकी तरफ़ देखा और अपना मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर ले लिया।

“प्रीती मैं चाहता हूँ कि तुम मेरा लंड ठीक उसी तरह चूसो जैसे तुमने पहली बार चूसा था। एक हाथ से मेरे लंड को चूसो और दूसरे हाथ से मेरी गोलाइयों को सहलाओ। सच में बहुत मज़ा आया था जब तुमने ऐसा किया था!” प्रीती वैसे ही उसके लंड को जोरों से चूस रही थी। दोनों की गहरी होती साँसें और बदन की हर्कत बता रही थी कि दोनों ही छूटने के करीब हैं।

एक तो प्रीती की चूत में डिल्डो की हर्कत, ऊपर से प्रशाँत का लंड। प्रीती उत्तेजित हो कर प्रशाँत के लंड को अपने गले में ले कर चूस रही थी। प्रशाँत भी उसके मुँह में लंड पूरा अंदर डाल कर चोद रहा था। अचानक बिना बताये प्रशाँत ने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अपना पानी प्रीती की चूचियों पर और चेहरे पे छोड़ दिया।

मैं तीन फ़ुट की दूरी पर खड़ा देख रहा था कि आपत्ति जताने की बजाये प्रीती उसके पानी को अपने पूरे चेहरे पे रगड़ने लगी। फिर उसके रस से भरी अपनी अँगुलियों को चाटने लगी। उसकी हर्कत ने मेरे लंड में जोश भर दिया और मैं अपने लंड को पैंट के ऊपर से रगड़ने लगा।

जब प्रशाँत का पूरा वीर्य झड़ गया तो वो उठ कर खड़ा हो गया। प्रीती अब भी कुर्सी पर लेटी हुई डिल्डो का मज़ा ले रही थी। प्रशाँत ने प्रीती का हाथ पकड़ कर उसे उठाया और बाथरूम मे ले गया। मैंने देखा कि वो एक दूसरे को साफ कर रहे थे। बाथरूम से बाहर आकर प्रशाँत ने अपने कपड़े ठीक किए पर जब प्रीती अपनी ड्रेस देखने लगी तो पाया कि प्रशाँत के वीर्य के धब्बे उसकी ड्रेस पर भी गिर पड़े थे।

प्रीती को उदास देख प्रशाँत ने कहा, “डीयर उदास नहीं होते, ऐसा करो जो उस रात तुमने ड्रेस पहनी थी वही पहन लो, तुम पर वो ड्रेस खूब जँच रही थी।”

प्रीती बेडरूम में गयी और अपनी टाईट जींस और टॉप लेकर आ गयी। प्रशाँत ने उसे बांहों में भर लिया और फिर प्रीती को ले जाकर उसी कुर्सी के पास खड़ा कर दिया।

प्रशाँत कुर्सी पर बैठ गया और मेरी बीवी उसके सामने नंगी खड़ी थी। उसकी चूत एक दम फुली हुई लग रही थी क्योंकि वो डिल्डो अभी भी उसकी चूत में घुसा हुआ था। जैसे ही प्रीती ने वो डिल्डो बाहर निकालने के लिए अपना हाथ बढ़ाया तो प्रशाँत बोला, “तुम्हें इसे बाहर निकालने की इजाजत किसने दी?” अब ये साफ हो गया था प्रशाँत चाहता था कि वो डिल्डो उसकी चूत मे ही घुसा रहे।

प्रशाँत ने अब उसकी जींस अपने हाथों मे ले ली। उसके बदन को सहलाते हुए वो उसे जींस पहनाने लगा। प्रीती ने भी अदा से पहले अपनी एक टाँग उसमें डाली और फिर दूसरी। इसी दौरान एक बार डिल्डो उसकी चूत से फिसलने लगा तो प्रशाँत ने वापस उसे पूरा अंदर घुसा दिया।

प्रीती ने अपनी टाईट जींस का ज़िपर खींचा और उसके बाद बटन बंद करने लगी। पर उसको काफी तकलीफ हुई क्योंकि डिल्डो जो उसकी चूत मे घुसा हुआ था। उसने अपना लाल टॉप भी पहन लिया। इतनी टाईट जींस में वो बहुत सैक्सी लग रही थी। फिर प्रीती ने अपने लाल सैंडल उतार कर दूसरे काले रंग के हाई हील के सैंडल पहन लिए। प्रशाँत और प्रीती पार्टी में जाने को तैयार हो गये।

मैं भी खिड़की से हटा और हाल में आ गया। शराब और शबाब जोरों से चल रही थी। किसी ने ध्यान नहीं दिया कि तीन लोग इतनी देर पार्टी से गायब थे। मैं बबीता के पास आ गया जो अविनाश और मिनी के साथ बातें कर रही थी। जैसे ही प्रशाँत और प्रीती हाल में आये, मैं अपने आपको प्रीती की चूत की तरफ़ देखने से नहीं रोक पाया। सिर्फ़ मैं जानता था कि उसकी चूत में एक डिल्डो घुसा हुआ है। उसकी जींस उस जगह से थोड़ी उठी हुई थी, ये मुझे साफ दिखायी पड़ रहा था। पता नहीं आगे और किस किस का ध्यान इस बात की और जाता है।

प्रीती मेरे पास आयी और गले में बांहें डाल कर मेरे होंठों को चूम लिया। ऐसा वो सबके सामने करती नहीं थी पर शायद एक तो चूत में डिल्डो और दूसरा उसकी चूत ने अभी तक पानी नहीं छोड़ा था इसलिए उसके शरीर में उत्तेजना भरी हुई थी। फिर उसने प्रशाँत के साथ गेस्ट रूम में जाने से पहले शराब भी पी थी जिसके सुरूर उसकी मदहोश आँखों में साफ-साफ दिख रहा था। मैंने अंजान बनते हुए प्रीती से पूछा, “तुमने कपड़े क्यों बदल लिए?”

“बस कपड़ों पर कुछ गिर गया था।” प्रीती ने जवाब दिया। कम से कम वो झूठ तो नहीं बोल रही थी। इतने में प्रशाँत ने मेरी तरफ़ मुस्कुरा के देखा। उसकी आँखों मे एक शैतानी चमक थी। मैं समझ गया कि आज रात बहुत कुछ होने वाला है।

करीब एक घंटे तक प्रीती इस तरह पार्टी में चारों तरफ़ घूमती रही जैसे कुछ हुआ ही ना हो। चूत मे डिल्डो लिए एक अच्छे मेहमान नवाज़ की तरह सब से मिल रही थी। सबको ड्रिंक, स्नैक्स सर्व कर रही थी। मुझे पता थी कि उसकी चूत में आग लगी हुई है और वो कभी भी पानी छोड़ सकती है।

इतने में बबीता मेरा हाथ पकड़ कर अपने साथ डाँस करने के लिए ले आयी। हम हाल के एक कोने में डाँस कर रहे थे जहाँ ज्यादा लोग हमारे पास नहीं थे। मैंने मौके का फ़ायदा उठा कर अपना हाथ उसकी ड्रेस में डाल दिया और उसकी चूत से खेलने लगा। बबीता ने मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा, “राज मैं जानती हूँ कि प्रशाँत ने प्रीती के साथ क्या किया है। ये उसका पुराना खेल है। वो प्रीती की ऐसी हालत कर देगा कि वो अपनी चूत का पानी छुड़ाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जायेगी। पता नहीं प्रशाँत के दिमाग में क्या शरारत भरी हुई है।

इतने में अविनाश ने मेरी बीवी से डाँस करने के लिए कहा। प्रीती ने प्रशाँत की और देखा और प्रशाँत ने आँख से इशारा करते हुए उसे जाने को कहा। मैंने देखा कि प्रीती का बदन मारे उत्तेजना के काँप रहा था। वो बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोक रही थी।

इतने में मिनी ने भी मुझे डाँस करने के लिए कहा। मैं समझ गया कि ये इशारा प्रशाँत ने उसे किया है। अब हम चारों अविनाश के पास आकर डाँस करने लगे। मैं समझ गया कि प्रशाँत के मन में सामुहिक चुदाई का प्रोग्राम है। मिनी इतनी सैक्सी और गरम थी कि मैंने उसे चोदने का पक्का मन बना लिया था, पर मुझे प्रीती का नहीं पता था कि वो अविनाश से चुदवायेगी कि नहीं।

पर मुझे इसकी चिंता नहीं थी। मुझे पता था कि प्रीती की चूत में इतनी देर से डिल्डो होने की वजह से उसकी चूत की हालत खराब हो चुकी होगी। प्रीती अपनी चूत का पानी छोड़ने के लिए अब किसी घोड़े से भी चुदवा सकती है।

मिनी ने मेरी तरफ़ कामुक निगाह से देखा और कहा, “राज आज तक मैं प्रशाँत जैसे मर्द से नहीं मिली। वो चुदाई की कलाओं में इतना माहिर है कि वो किसी औरत को किसी भी मर्द से चुदवाने को उक्सा सकता है।” मैं समझ गया कि वो प्रीती की बात कर रही है।

हम चार जने ही फ़्लोर पर डाँस कर रहे थे। मिनी ने धीरे से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पे रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत को छुआ, मैं चौंक कर उछाल पड़ा। उसकी भी चूत में एक डिल्डो घुसा हुआ था।

“ये ठीक वैसा ही है जैसा तुम्हारी बीवी की चूत में घुसा हुआ है।” उसने मेरे हाथों का दबाव अपनी चूत पे बढ़ाते हुए कहा। मैं समझ गया कि ये सब प्रशाँत का काम है। उसने दो औरतों को इतना उत्तेजित कर दिया था कि वो चुदाने के लिए कुछ भी कर सकती थीं।

नाचते हुए मैंने प्रीती और अविनाश की और देखा। अविनाश का एक हाथ मेरी बीवी की चूत पर था और वो उस डिल्डो को और अंदर तक उसकी चूत में घुसा रहा था। फिर मैंने देखा कि प्रीती उसका हाथ पकड़ कर उसे हाल के बाहर ले जा रही है। मैं सोच रहा था कि पता नहीं अब आगे क्या होने वाला है? मैं भी मिनी को अपने साथ ले उनके पीछे चल दिया।

प्रीती और अविनाश कमरे में पहुँचे और उनके पीछे-पीछे प्रशाँत और बबीता और फिर मैं और मिनी भी कमरे में आ गये। अब ये बात सब पे खुलासा हो चुकी थी कि आज सब एक दूसरे की चुदाई करेंगे।

मिनी मेरे पास आकर मुझसे सट कर खड़ी हो गयी। उसकी आँखों में भी उत्तेजना के भाव थे। लगता था कि प्रशाँत ने उसे भी डिल्डो को छूने की मनाई की हुई थी। बेटरी पे चलता डिल्डो उसकी चूत में आग लगाये हुए था। पता नहीं प्रशाँत ने क्या जादू इन दोनों पे किया हुआ था।

प्रशाँत ने भी शायद उनकी आँखों में छिपी वेदना को पढ़ लिया था, “तुम दोनों चिंता मत करो, आज तुम दोनों की चूत से पानी की ऐसे बौछार छुटेगी जैसे इस कमरे में बाढ़ आ गयी हो। आज तुम को चुदाई का वो आनंद आयेगा कि तुम दोनों जीवन भर याद करोगी।”

“लेकिन प्रीती की पहली बारी है, क्योंकि आज की दावत उसकी तरफ़ से थी। लेकिन ये बाद में. पहले मैं चाहता हूँ कि प्रीती अपने काबिल-ए-तारीफ़ मुँह से अविनाश के लंड से एक एक बूँद पानी निचोड़ ले। लेकिन वो अपनी जींस नहीं उतारेगी और ना ही अपनी चूत पर हाथ रख सकेगी। अगर अविनाश ने इसके काम की तारीफ़ की तो मैं इस विषय पर सोचूँगा। राज और मिनी खड़े होकर इनहें देख सकते हैं लेकिन यही बात मिनी पर भी लागू होती है। तब तक मैं और बबीता मेहमानों का खयाल रखेंगे। जब अविनाश का काम हो जाये तो राज मेरे पास आकर, आगे क्या करना है, पूछ सकता है।” इतना कहकर प्रशाँत और बबीता वापस हाल में चले गये।

प्रीती अविनाश का हाथ पकड़ कर उसे गेस्ट बेडरूम मे ले गयी। मुझे विश्वास नहीं आ रहा था कि थोड़े दिन पहले तक जिस औरत ने शादी के बाद सिवाय मेरे किसी से नहीं चुदवाया था. आज वो फिर एक गैर मर्द का लंड चूसने जा रही है।

मैंने मुड़ कर मिनी की तरफ़ देखा। उसकी भी हालत खराब थी। मिनी भी रूम की तरफ़ बढ़ी तो मैं उसके चूत्तड़ को देखने लगा। कितने गोल और भरे हुए थे। मैं जानता था कि उसकी चूत में डिल्डो होने की वजह से वो अपनी टाँगें सिकोड़ कर चल रही थी।

जैसे ही हम रूम में पहुँचे मैंने दरवाज़ा लॉक कर दिया। प्रीती उत्तेजना में इतनी पागल थी कि बिना समय बिताये वो घुटनों के बल बैठ कर अविनाश की जींस के बटन खोलने लगी। वो जानती थी कि जितनी जल्दी वो अविनाश का लंड चूस कर उसका पानी छुड़ायेगी, उतनी जल्दी ही उसकी चूत को पानी छोड़ने का मौका मिलेगा।
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