Episode 07
प्रीती ने जल्दी-जल्दी अविनाश की जींस के बटन खोले और उसकी जींस और अंडरवियर को नीचे खिसका दिया। जैसे कोई साँप बिल के बाहर आ गया हो, उस तरह उसका दस इंची लंड जो कि तीन इंच मोटा होगा, फुँकार कर खड़ा हो गया। प्रीती उस विशालकाय लंड को अपने हाथों में ले कर सहलाने लगी।
पर देखने लायक तो उसके लंड की दो गोलाइयाँ थीं जो टेनिस बॉल की तरह नीचे लटकी हुई थी। इतनी बड़ी और भरी हुई थी कि शायद पता नहीं कितना पानी उनमें भरा हुआ है। प्रीती अब उसके लंड को जोर से रगड़ रही थी। उसे पता था कि उसका पति और अविनाश की बीवी उसे देख रहे हैं।
मैं जानता था कि प्रीती के घुटनों के बल बैठते ही डिल्डो और अंदर तक उसकी चूत में घुस गया था। प्रीती ने अपनी जुबान बाहर निकाली और उसके लंड के सुपाड़े पे घुमाने लगी। मेरे और मिनी के शरीर में गर्मी बढ़ती जा रही थी। मिनी मेरे गले में बाहें डाल कर मेरे होंठों को चूसने लगी। उसके जिस्म में फ़ैली आग और बदन से उठती खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैं भी उसे सहयोग देते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर घुमाने लगा।
मैं उसके होंठों और जीभ को चूस रहा था तो वो अपनी टाँगें फैला मुझसे बोली, “राज मेरे बदन को सहलाओ ना प्लीज़।” मैंने उसकी ड्रेस के सामने की ज़िप को नीचे कर दिया और उसकी चूचियों को बाहर निकाल लिया। उसके निप्पल इतने काले थे कि क्या बताऊँ। मैं उसकी एक चूँची को अपने हाथों मे पकड़ कर रगड़ने लगा और चूसने लगा। उसके शरीर की कंपन बता रही थी कि उसने अपने आप को मुझे सौंप दिया था लेकिन मैं उसकी चूत से नहीं खेल सकता था।
मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा और अपने हाथ के दबाव से डिल्डो को और अंदर की तरफ़ धकेल दिया। मैं उसकी पैंटी को उतार कर उसकी चूत को चूमना चाहता था पर उसने मुझे रोक दिया, “राज नहीं शर्त का उसूल है कि तुम उसकी बात को टालोगे नहीं।”
मैंने घूम कर प्रीती की तरफ़ देखा कि वो क्या कर रही है। मैंने देखा कि प्रीती अपना मुँह खोले अविनाश के लंड को चूस रही है और एक हाथ से उसकी गोलियों को सहला रही है। इतने में ही प्रीती ने अपने मुँह को पूरा खोला और अविनाश के दस इंची लंड को पूरा अपने गले तक ले लिया। अब उसके होंठ अविनाश की झाँटों को छू रहे थे। प्रीती धीरे से अपने मुँह को पीछे की और करके उसके लंड को बाहर निकालती और फिर गप से पूरा लंड ले लेती।
प्रीती के दोनों छेदों में लंड घुसा हुआ था। असली दस इंची लंड उसके मुँह में और नकली प्लास्टिक का ग्यारह इंची उसकी चूत में।
प्रीती अब जोरों से अविनाश के लंड को चूस रही थी। मेरी और मिनी की आँखें इस दृश्य से हटाये नहीं हट रही थीं। इतने में मिनी भी घुटनों के बल बैठ कर मेरी जींस के बटन खोलने लगी। उसके घुटनों को बल बैठते ही डिल्डो उसकी चूत के अंदर तक समा गया और उसके मुँह से सिस्करी निकल पड़ी, “आआआआआआआआआहहहहहह”
मिनी ने मुझे घुमा कर इस अंदाज़ में खड़ा कर दिया कि मैं उसके पति के सामने खड़ा था। अब वो मेरा लंड अपने मुँह मे ले जोरों से चूस रही थी। दोनों औरतें अपनी चूत में डिल्डो फ़ँसाय किसी दूसरे मर्द का लंड चूस रही थीं। आज की शाम प्रीती के लिए अविनाश दूसरा मर्द था जिसक लंड वो चूस रही थी और मेरे लिए मिनी दूसरी औरत। एक की मैंने गाँड मारी थी और दूसरी अब मेरा लंड चूस रही थी।
मैंने देखा कि वो औरत मेरे लंड को चूस रही थी जिससे मैं चंद घंटे पहले ही मिला था, और मेरी बीवी उसके पति के लंड को चूस रही थी। दोनों औरतें एक दूसरे के पति के लंड को चूसे जा रही थी। धीरे-धीरे उनके चूसने की रफ़्तार बढ़ने लगी और इतने में अविनाश के मुँह से एक सिस्करी निकली, “हाँ..... ऐसे ही चूसो... चूसती जाओ...।”
मिनी ने अपने पति की सिस्करियाँ सुनीं तो अपने मुँह से मेरे लंड को निकाल कर अपने पति को देखने लगी। जैसे-जैसे प्रीती की चूसने की रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे ही अविनाश के शरीर की अकड़न बढ़ रही थी। उसका शरीर अकड़ा और उसके लंड ने अपने वीर्य की बौंछार प्रीती के मुँह में कर दी। मैंने देखा कि बिना एक बूँद भी बाहर गिराये प्रीती उसके सारे पानी को पी गयी।
प्रीती की हरकत देख मिनी भी जोश में भर गयी और मेरे लंड को जोर से चूसने लगी। मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था। मैंने मिनी के सर को पकड़ा और पूरी तरह अपने लौड़े पे दबा दिया। मेरा लंड उसके गले तक घुस गया और तभी लंड ने जोरों की पिचकारी उसके मुँह में छोड़ दी।
हम चारों को अपनी साँसें संभालने में थोड़ा वक्त लगा। हम चारों ने कपड़े पहने और वापस पार्टी में आ गये जो करीब-करीब समाप्त होने के कगार पर थी। हम दोनों मर्दों के चेहरे पे तृप्ति के भाव थे पर दोनों औरतें अभी भी प्यासी थीं। एक तो उनकी चूत ने पानी नहीं छोड़ा था और दूसरा उनके मुँह में हम दोनों के लंड का पानी था। वो बार-बार अपनी जीभ से होंठों पे हमारे लंड के पानी को पोंछ रही थीं। वो दोनों जाकर प्रशाँत के पास खड़ी हो गयी जो पार्टी में आयी किसी महिला से बातों में व्यस्त था।
हम दोनों भी प्रशाँत के पास पहुँच गये। शायद दोनों औरतों की तड़प उससे देखी नहीं गयी। वो भी जानता थी कि प्रीती और मिनी पिछले तीन घंटे से डिल्डो अपनी चूत में लिए घूम रही हैं और अब उनकी चूत भी पानी छोड़ना चाहती होगी। “चलो सब मेहमानों को अलविदा कहते हैं और हम अपनी खुद की पार्टी शुरू करते हैं”, प्रशाँत ने कहा, “मेरा विश्वास करो प्रीती... आज की रात बहुत ही स्पेशल होगी। जो मज़ा तुम्हें आज मिलेगा उस मज़े की कभी तुमने कल्पना भी नहीं की होगी!”
मैं सोच रहा था पता नहीं प्रशाँत के दिमाग में अभी और क्या है। प्रीती हाल में सभी मेहमानों का ख्याल रखने लगी। थोड़ी ही देर में सब मेहमान एक के बाद एक, जाने लगे।
प्रीती जैसे ही किसी काम से नीचे को झुकती तो उसकी गाँड थोड़ा सा ऊपर को उठ जाती। प्रशाँत उसे ही घूर रहा था, “राज अब मैं तुम्हारी बीवी की गाँड मारूँगा जैसे तुमने मेरी बीवी की मारी थी।”
मैं यह सुन कर दंग रह गया। प्रशाँत मेरी बीवी की कुँवारी गाँड मारेगा जैसे मैंने उसकी बीवी की मारी थी। फर्क सिर्फ़ इतना था कि उसकी बीवी की गाँड कुँवारी नहीं थी, वो इतनी खुली थी कि गाँड मरवाने में उसे कोई तकलीफ़ नहीं हुई थी। पर क्या प्रीती सह पायेगी? यह सोच कर ही मेरे बदन में एक सर्द लहर दौड़ गयी।
पंद्रह मिनट में सभी मेहमान चले गये। “चलो अब सब मिलकर इन औरतों का खयाल रखते हैं, लेकिन सबको जैसा मैं कहुँगा वैसा ही करना होगा।” हम सब ने हाँ में गर्दन हिलायी और सब वापस गेस्ट बेडरूम में आ गये।
रूम में आते ही प्रशाँत बिस्तर पर बैठ गया। उसने प्रीती और मिनी को अपने सामने खड़े होने को कहा। फिर वो अपने हाथ दोनों की चूत पर रखकर डिल्डो को अंदर घुसाने लगा। प्रीती की जींस के ऊपर से और मिनी की पैंटी के ऊपर से।
“बबीता अब तुम अविनाश का लंड आज की शानदार चुदाई के लिए तैयार करो, पर ध्यान रखना कि इसका पानी नहीं छूटना चाहिए।” प्रशाँत की बात सुनकर बबीता अविनाश को उसकी कुर्सी के पास ले गयी जहाँ थोड़ी देर पहले प्रशाँत बैठा था। थोड़ी ही देर में बबीता ने अविनाश का लंड बाहर निकाल लिया था और उसे अपने मुँह में ले कर चूस रही थी।
अब सिर्फ़ मैं ही बचा था कि जो कुछ भी नहीं कर रहा था। फिर मैंने सुना कि प्रशाँत प्रीती को मिनी के कपड़े उतारने को कह रहा था। प्रीती ने अपना हाथ बढ़ा कर मिनी के टॉप की ज़िप खोल दी जो थोड़ी देर पहले इसी तरह मैंने खोली थी। पर प्रीती ने टॉप उसके कंधे से उठा कर उतार दिया और मिनी की चूचियाँ फिर एक बार नंगी हो गयी। अजीब कामुक दृश्य था, मेरी बीवी किसी और औरत के कपड़े उतार रही थी।
प्रशाँत खड़ा हुआ और दोनों औरतों के पास आ गया। उसने मेरी बीवी का बाँया हाथ पकड़ा और मिनी की दाँयी चूंची पे रख दिया। फिर उसने प्रीती का दाँया हाथ पकड़ कर मिनी की चूत पे रख दिया। मेरी बीवी की समझ में नहीं आ रहा था कि प्रशाँत क्या चाहता है। दोनों औरतों ने आज तक किसी औरत के साथ सैक्स नहीं किया था।
प्रशाँत ने प्रीती की तरफ़ देखते हुए कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम मिनी की चूत चूस कर उसका पानी छुड़ा दो... फ़िर हम सब मिलकर तुम्हारी चूत पर ध्यान देंगे।” यह कहकर प्रशाँत ने प्रीती को मिनी के सामने घुटनों के बल बिठा दिया और उसके चेहरे को मिनी की गीली हो चुकी पैंटी पे धकेल दिया।
एक बार तो बबीता और अविनाश भी रुक से गये और मैं भी हैरत में खड़ा सोच रहा था कि क्या सचमुच मेरी बीवी इस औरत की चूत चूसेगी। पर प्रीती जो पिछले चार घंटे से अपनी चूत में डिल्डो लिए घूम रही थी और उसकी चूत पानी छोड़ने को बेताब थी, प्रीती ने अपने हाथ मिनी की पैंटी के इलास्टिक में फँसाये और उसे नीचे उतार दिया। जैसे ही मिनी की पैंटी नीचे सरकी तो सबने देखा कि उसकी चूत भी साफ़ की हुई थी। बाल का तो नामो निशान नहीं था चूत पर।
प्रीती ने उसकी पैंटी को और नीचे खिसकाते हुए उसके सैंडल युक्त पैरों के बाहर निकाल दिया। अब मिनी सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने, पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। प्रीती ने अपने हाथ उसके कुल्हों पे रख कर उसे अपने पास खींचा और अपना मुँह उसकी चूत पे रख दिया। वो अब अपनी अँगुली से उसकी चूत का मुँह खोल कर अपनी जीभ डिल्डो के साथ अंदर घुमाने लगी।
प्रीती अब जोरों से मिनी की चूत को चाट और चूस रही थी और साथ ही उसकी चूत में फँसे डिल्डो को जोरों से अंदर-बाहर कर रही थी। “ओहहहहहह आहहआआआआआआ और जोर से...... हँआआआआआआ चूसो मेरी चूत को.... छुड़ाआआआ दो मेरा पानी।” मिनी सिसक रही थी। मिनी की साँसें तेज हो रही थी और साथ ही उसकी चूचियाँ उसकी छाती पर फुदक रही थीं।
प्रीती अपनी जीभ और डिल्डो की रफ़्तार बढ़ाती जा रही थी, और साथ ही मिनी की चूत पानी छोड़ने के कगार पर आ रही थी। मिनी ने अपने दोनों हाथ प्रीती के सर पर रख दिए और उसे जोर से अपनी चूत पे दबा दिया। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। फच-फच की आवाज़ के साथ उसकी चूत पानी छोड़ रही थी। प्रीती का पूरा चेहरा मिनी की चूत से छुटे पानी से भर गया था। प्रीती और जोरों से चूसते हुए उसकी चूत के सारे पानी को पी रही थी। आखिर में थक कर मिनी बिस्तर पर निढाल पड़ गयी और गहरी साँसें लेने लगी।
प्रीती उठ कर खड़ी हो गयी। उसने अभी भी कपड़े पहने हुए थे। आज उसने पूरे दिन में पहले प्रशाँत के लंड को चूसा था और बाद में अविनाश के लंड को। और अब वो हम सब के सामने मिनी की चूत का पानी पीकर खड़ी हुई थी। उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे पर उसके जिस्म की प्यास अभी बाकी थी। मैं आगे बढ़ा और अपनी बीवी को बांहों भर लिया। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे तो मुझे मिनी की चूत के पानी की महक और स्वाद आया। मैं उसके होंठों को चूसने लगा।
मैंने अपना हाथ प्रीती की जींस के ऊपर से उसकी चूत पर रखा तो पाया कि वो पहले से ज्यादा गीली हो चुकी थी। जैसे ही मैंने उसकी चूत को सहलाया वो सिसक पड़ी, “ओहहहहहह आआआहहहहआआआआ हुम्म्म्म्म।”
प्रशाँत ने हम दोनों को अलग किया और मेरी बीवी को चूमते हुए उसे बिस्तर के पास ले गया। फिर उसने प्रीती से पूछा, “क्या तुम मुझसे गाँड मरवाना पसंद करोगी?” प्रीती ने पहले तो उसकी तरफ़ देखा और फिर मेरी तरफ़। उसके पास कोई जवाब नहीं था क्योंकि अगर वो ना कहती तो हम शर्त हार जाते। मैं भी थोड़ी देर पहले उसकी बीवी की गाँड मार चुका था, इसलिए मेरे पास भी ना करने की कोई वजह नहीं थी। मैं सिर्फ़ वहाँ पर खड़ा अपनी बीवी की गाँड मरते देख सकता था।
प्रशाँत ने प्रीती के होंठों को चूसते हुए उसके लाल टॉप के बटन खोल कर उसके टॉप को उतार दिया। अब वो अपने एक हाथ से उसकी चूँची को दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसके निप्पलों को भींच रहा था। प्रीती के मुँह से सिस्करी फूट रही थी, “हाँ दबाओ न.... पर धीरे.... हाँ ऐसे ही... ओओहहहहहह आआआहहहह”
प्रीती की चूचियों को मसलते हुए प्रशाँत अपने हाथ उसकी जींस पे ले जाकर बटन खोलने लगा। बबीता आगे बढ़ कर उनके पास नीचे बैठ गयी और प्रीती की जींस को नीचे उतारने लगी। दोनों ने मिलकर मेरी बीवी को पूरा नंगा कर दिया।
प्रीती भी अब मिनी की तरह सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने पूरी तरह नंगी खड़ी थी। उसकी चूत में घुसा डिल्डो साफ नज़र आ रहा था। प्रशाँत और बबीता ने मिलकर उसे बेड के किनारे पर झुका दिया। बबीता अब उसके सामने आकर बिस्तर पर बैठ गयी और प्रीती की चूचियों को चूसने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद वो बिस्तर पर इस तरह से लेट गयी कि प्रीती का मुँह ठीक उसकी चूत पे था। बबीता ने प्रीती के सिर को पकड़ कर उसे अपनी चूत पे दबा दिया।
प्रीती अब बिस्तर के किनारे पर झुकी बबीता की चूत चूस रही थी। इस तरह झुकने से उसकी गाँड हवा में और ऊपर को उठ गयी थी। पीछे से उसकी चूत में फँसा डिल्डो तो दिख ही रहा था साथ ही उसकी गाँड का छेद भी दिखायी दे रहा था। हम सब जानते थे कि अब प्रशाँत अपना लंड उसकी गाँड मे घुसायेगा, पर उसके मन में तो कुछ और ही था।
प्रशाँत मेरी तरफ़ मुस्कुरा के देख रहा था, “राज आज शाम को मेरी बीवी ने तुम्हें सिखा ही दिया होगा कि एक अच्छी गाँड को चुदाई के लिए कैसे तैयार किया जाता है। बाथरूम मे जाओ और क्रीम ले आओ और बताओ कि तुमने क्या सीखा।” फिर उसने मिनी की तरफ़ देखकर कहा, “तुम मेरे लंड को तैयार करोगी?”
बिना कुछ कहे मैं बाथरूम में जाकर वही क्रीम ले आया जो मैंने बबीता पे इस्तमाल की थी। मिनी मेरे पास आयी और मुझे थोड़ी क्रीम उसके हाथों पे देने को कहा। कैसी शर्त थी कि मैं अपने हाथों से अपनी बीवी की गाँड को किसी दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार करूँ। पर मैं शर्त हारना नहीं चाहता था इसलिए मैं क्रीम लिए प्रीती के पास आ गया।
मैंने खूब सारी क्रीम अपनी अँगुलियों में ली और उसे प्रीती की गाँड के चारों और मलने लगा। फिर मैंने अपनी एक अँगुली उसकी गाँड में डाल दी, “ओहहहहह मर गयीईई,” प्रीती के मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। प्रीती अब भी बबीता की चूत को चाटे जा रही थी।
मैंने थोड़ी और क्रीम अपनी अँगुली में ली और दो अँगुलियाँ उसकी गाँड में डाल दीं। अब मैं अपनी अँगुलियों को उसकी गाँड में चारों तरफ़ गोल गोल घुमा रहा था। प्रशाँत मेरे पास खड़ा मेरी सभी हर्कतों को देख रहा था और उसके पैरों में बैठी मिनी उसके लंड को क्रीम से चिकना कर रही थी।
अब मेरी अँगुलियाँ आसानी से प्रीती की गाँड में अंदर तक जा रही थीं। जब मैं अँगुलियाँ घुमाता तो उसकी चूत में फँसे डिल्डो का एहसास होता मुझे। मैं और अंदर तक क्रीम को मलने लगा। प्रीती को भी शायद मज़ा आने लगा था। उसने जोरों से बबीता की चूत चूसते हुए अपने टाँगें और फैला दीं जिससे मैं और आसानी से उसकी गाँड में अँगुली कर सकूँ।
मिनी भी अब तक अच्छी तरह से प्रशाँत के लंड को क्रीम से चिकना कर चुकी थी। प्रशाँत अपनी जगह से हिला और मुझे साईड में कर दिया। अब उसका लंड क्रीम से चिकना था। उसका तना हुआ लंड एक हथियार की तरह चमक रहा था। जैसे ही प्रशाँत ने अपना लंड प्रीती की गाँड पे रखा वो सिसक कर और जोरों से बबीता की चूत को चूसने लगी। वो उसकी चूत को ऐसे चूस रही थी कि जैसे वो इस कला में बरसों से माहिर हो।
मिनी और अविनाश भी पास में आकर खड़े हो गये। वो भी किसी कुँवारी गाँड की चुदाई देखना चाहते थे। मुझे अंदर से शरम आ रही थी कि अपनी बीवी की गाँड मैं सबसे पहले मारूँ, उसके बजाय मैंने ही अपनी बीवी की गाँड को दूसरे मर्द के लंड के लिए तैयार किया था।
प्रशाँत ने प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर उसकी गाँड के छेद को और फैला दिया। प्रशाँत के दोनों हाथ प्रीती के कुल्हों को पकड़े हुए थे। मिनी ने आगे बढ़ कर प्रशाँत के लंड को ठीक प्रीती की गाँड के छेद पर रख दिया और प्रशाँत अब अपने लंड को अंदर घुसाने लगा। मिनी अभी भी उसके लंड को पकड़े हुए थी। इतनी सारी क्रीम लगने से उसका लंड और प्रीती की गाँड पूरी तरह चिकनी हो गयी थी जिससे प्रशाँत के लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड में आसानी से घुस गया।
मिनी ने अपना हाथ उसके लंड पर से हटा लिया। अब जबकि सुपाड़ा घुस चुका था, प्रशाँत धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर तक घुसाने लगा। उसके हर धक्के के साथ प्रीती की सिस्कार गूँजती, “ओहहहहहह..... आआआहहहहहहह.... थोड़ा धीरे.... दर्द हो रहाआआआआ है।” थोड़ी देर में उसका पूरा लंड प्रीती की गाँड में घुस चुका था। अब उसकी गाँड कुँवारी नहीं रही थी।
प्रीती अब भी बबीता की चूत चूसे जा रही थी। जब प्रशाँत का पूरा लंड उसकी गाँड मे घुस गया तो जोर की सिस्करी निकली, “ओहहहहह हँआँआँआँ।” प्रशाँत का लंड प्रीती की गाँड की दीवारों को रौंदता हुआ जड़ तक समा गया था।
प्रशाँत ने मिनी और मेरा धन्यवाद दिया कि हम दोनों ने प्रीती की गाँड मारने में उसकी सहायता की और कैसे उसका लंड प्रीती की गाँड में अंदर तक घुसा हुआ है और कैसे प्रीती की गाँड उसके लंड को भींचे हुए है। उसने बताया कि उसे प्रीती की चूत में फँसे डिल्डो का भी एहसास हो रहा है और ये उत्तेजना उसके लंड से लेकर उसकी गोलियों तक जा रही थी। प्रशाँत जान बूझ कर ये सब बातें बता कर मुझे चिढ़ा रहा था। “हरामी साला” मेरे मुँह से गाली निकली।
लेकिन अब तक मैं अपना लंड अपनी पैंट में से निकाल कर सहला रहा था। सब जानते थे कि मेरी बीवी की गाँड की चुदाई ने मुझे भी उत्तेजित कर दिया था। पर जो होने वाला था उसके आगे ये कुछ भी नहीं था। मिनी अब उनसे दूर जा कर खड़ी हो गयी। प्रशाँत का लंड प्रीती की गाँड में अंदर बाहर हो रहा था। प्रशाँत अपने लंड को करीब तीन इंच बाहर खींचता और अपने आठ इंच के लंड को पूरा जड़ तक पेल देता।
प्रशाँत जानबूझ कर धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था। पर समय के साथ उसकी रफ़्तार तेज हो रही थी। अब वो पाँच इंच लंड को बाहर निकालता और पूरा पेल देता। थोड़ी देर में वो अपने लंड का सुपाड़ा सिर्फ़ अंदर रहने देता और एक झटके में पूरा लंड प्रीती की गाँड में डाल देता। प्रीती की गाँड पूरी तरह खुल गयी थी और हर झटके को वो अपने कुल्हों को पीछे कर के ले रही थी, “हाँ डाल दो पूरा लंड मेरी गाँड में.... ओहहहहहह हँआँआँ और जोर से.... हँआँआँ चोदो.... फाड़ दो मेरी गाँड को।”
प्रीती उन मिंया-बीवी के बीच सैंडविच बनी हुई थी। नीचे से बबीता अपनी चूत को ऊपर उठा कर उसके मुँह में भर देती और पीछे से प्रशाँत उसके कुल्हों को पकड़ कर जोर से लंड पेल देता। जैसे ही उसका लंड अंदर तक जाता, प्रीती का मुँह बबीता की चूत पे और जोर से दब जाता। प्रशाँत उसकी गाँड भी मार रहा था और उसकी चूत में फँसे डिल्डो को और अंदर की और घुसा देता।
अब अविनाश भी इस खेल में शामिल होना चाहता था। उसने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपने लंड को सहलाने लगा। अपने लंड को सहलाते हुए वो बबीता के चेहरे के पास आ गया। अविनाश अपने लंड को उसके मुँह के पास कर के उसके होंठों पर रगड़ने लगा। बबीता ने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और वो जोरों से अविनाश के लंड को चूसने लगी।
अब मैं और मिनी ही बचे थे। मिनी तो पहले ही नंगी थी। मैं भी कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो कर अपने लंड को सहला रहा था। मिनी मेरे पास आ कर मेरे नंगे बदन से सट गयी और सहलाने लगी। हम भूखे कुत्तों की तरह एक दूसरे के बदन को नोच रहे थे और मसल रहे थे, पर हम अपनी नज़रें बिस्तर से नहीं हटा पा रहे थे जहाँ एक का पति दूसरे की पत्नी से अपना लंड चूसवा रहा था और मेरी बीवी दूसरे की बीवी की चूत चूस रही थी और उसके पति से अपनी गाँड मरवा रही थी।
अचानक प्रीती ने अपना मुँह बबीता की चूत से ऊपर उठाया और जोर से चींख पड़ी, “ओहहहह ये नहीं हो सकता।” मैं सोच में पड़ गया कि अचानक उसे क्या हुआ, क्या उसका पानी छूटने वाला है या उसकी गाँड दर्द कर रही है। “हे भगवान.... प्लीज़ ऐसा मत करो।” वो फिर बोली और उसकी आँखों मे आँसू आ गये।
तब प्रशाँत ने उसके चींखने की वजह बतायी, “राज डरो मत यार... इसके डिल्डो की बेटरी खतम हो गयी है... बेचारी।” अब मेरी समझ में आया कि जब उसका पानी छूटने वाला था तभी डिल्डो की बेटरी खतम हो गयी। और कितना चलती... पाँच घंटे सो तो वो उसे अपनी चूत में डाले घूम रही थी।
प्रीती फिर अपनी उत्तेजना के अंतिम कगार से वंचित रह गयी। प्रशाँत उसकी गाँड में जोर के धक्के मारते हुए बोला, “प्रीती डार्लिंग... चिंता मत करो, मैं वादा करता हूँ कि आज तुम्हें चुदाई का वो आनंद आयेगा कि तुम्हारी चूत खुले बाँध की तरह पानी फ़ेंकेगी।” प्रीती ने अपना चेहरा उठा कर प्रशाँत की और देखा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि और क्या उसके दिमाग में है।
हमने देखा कि अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए प्रीती खुद अपने बंद हुए डिल्डो को पकड़ कर अंदर बाहर करने लगी, पर प्रशाँत ने उसका हाथ हटा दिया। अब प्रशाँत ने प्रीती को उसकी छातियों से पकड़ा और पीछे की और हो गया। थोड़ी देर इस तरह होने के बाद उसने अपनी टाँगें सीधी की और पीठ के बल लेट गया। अब वो जमीन पर लेटा था और प्रीती उसके ऊपर उसका लंड अपनी गाँड मे लिए आधी लेटी थी। प्रीती ने अब अपनी टाँगें फैला दी जिससे प्रशाँत का लंड उसकी गाँड में घुसा हुआ दिख रहा था और साथ ही चूत में फँसा डिल्डो भी।
बबीता अब अविनाश के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथों से उसे मसल रही थी। पर वो खुद छूटने की कगार पर थी, इसलिए वो खड़ी हो गयी और अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत प्रीती के मुँह पर रख दी, “जो तुमने शुरू किया है उसे तुम्हें ही खतम करना पड़ेगा। मेरी चूत जोरों से चूसो और मेरा पानी छुड़ा दो।”
प्रीती अपनी जीभ का तिकोण बना कर उसे चोद रही थी। बबीता और थोड़ा झुकते हुए अपनी चूत को और दबा देती। उसका चेहरा पीछे की और था और उसके बाल प्रशाँत के पेट को छू रहे थे। “हँआँआँआँ चू..ऊऊऊऊऊस ओहहहहहह आहहहहहह “हाँआँआँ जोर से... हूँऊऊऊऊ....,” कहकर बबीता की चूत ने प्रीती के मुँह में पानी छोड़ दिया। प्रीती गटक-गटक कर उसका पानी पी रही थी। जब एक-एक बूँद बबीता की चूत से छूट चुका था तो वो निढाल हो बिस्तर पर गिर गयी।
प्रशाँत अभी तक उसी तरह अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाये लेटा था। फिर उसने अपनी आखिरी चाल चली, “अविनाश मेरा तो पानी अब छूटने वाला है, ऐसा दृश्य देख कर... क्यों नहीं तुम अपना लंड इसकी चूत में डाल देते हो।”
अब मेरे और अविनाश की समझ मे आया की प्रशाँत क्या चाहता था। अविनाश उछल कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया। उसने अपना हाथ प्रीती की चूत में फँसे डिल्डो पर रखा। पर उसे बाहर निकालने की बजाय वो उसे अंदर-बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद अविनाश अपने लंड को प्रीती की चूत के मुँह पे लगा कर धीरे-धीरे अंदर करने लगा और साथ ही डिल्डो को बाहर खींचने लगा। जितना उसका लंड अंदर जाता उतना ही वो डिल्डो को बाहर खींच लेता। मैंने देखा कि डिल्डो पूरी तरह से प्रीती की चूत के पानी से लसा हुआ था और चमक रहा था। जब अविनाश का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया तो उसने डिल्डो बाहर निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि जो डिल्डो मेरी बीवी की चूत में पिछले पाँच घंटे से घुसा हुआ था, वही अब उसके पानी से लसा हुआ मेरे हाथ में है। मैंने बिना हिचकिचाते हुए उसे अपने मुँह में ले चाटने लगा। मुझे उसकी चूत के पानी का स्वाद सही में अच्छा लग रहा था। जब मैंने उसे चाट कर साफ कर दिया तो उसे बिस्तर पर रख दिया।
मिनी अब तक मेरे लंड को पकड़े हुए थी। उसने मेरी तरफ देखा और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। वो एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर चूस रही थी और दूसरे हाथ की अँगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी। पर उसकी नज़रें वहीं गड़ी थीं जहाँ मेरी बीवी की दोहरी चुदाई हो रही थी।
मैंने अपना ध्यान मिनी से हटाया और फिर प्रीती पर केंद्रित कर दिया। मैंने देखा कि अविनाश आधा खड़ा हो अपने लंड को प्रीती के मुँह में दे कर धक्के मर रहा था। प्रीती भी पूरे जोर से उसे चूस रही थी। जब उसका लंड पूरी तरह से तन गया तो वो प्रीती के थूक से लसे अपने लंड को ले कर प्रीती की टाँगों के बीच आ गया।
प्रीती अपनी टाँगें थोड़ी और चौड़ी कर के पीछे को पसर गयी। अविनाश एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर प्रीती की चूत पे रगड़ने लगा। अब मेरी बीवी की दो लंड से चुदाई होने वाली थी। एक उसकी गाँड में और दूसरा उसकी चूत में।
अविनाश ने प्रीती की एक टाँग को जाँघों से पकड़ा और अपनी कोहनी पे रख दी। इससे प्रीती की चूत और खुल गयी। थोड़ी देर अपने लंड को रगड़ने के बाद उसने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। अब वो धक्के लगा कर उसकी चूत को चोद रहा था।
प्रीती प्रशाँत की छाती पर लेटी अपनी ज़िंदगी की सबसे भयंकर चुदाई का आनंद ले रही थी। उसका चेहरा इधर-उधर हो रहा था और साथ ही उसके मुँह से सिस्करियाँ फूट रही थी।
मैं अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था कि जब एक लंड चूत की जड़ों तक पहुँचता है और दूसरी तरफ़ दूसरा लंड गाँड की जड़ों तक पहुँचता है तो शरीर में दोनों लंड के संगम का आनंद कैसा रहता होगा। प्रीती इसी संगम का आनंद उठा रही थी, “मैं तुम दोनों के लंड को अपने में महसूस कर रही हूँ, अभी जोर से चोदो मुझे... हाँ और जोर से... रुको मत बस चोदते जाओ।”
प्रशाँत ने एक जोर की हुँकार भरी और अपने कुल्हे ऊपर को उठा दिए। अविनाश ने भी प्रीती के कुल्हों को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। मैं समझ गया कि दोनों छूटने की कगार पर हैं। प्रीती का भी समय नज़दीक आता जा रहा था, “हँआआआआआआ और जोर से... ओओहहहहह ऊईईईईईईईईईईईई।”
मुझे खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। मिनी इतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी और साथ ही अपने दाँतों का भी इस्तमाल कर रही थी। पर मिनी की आँखें अपने पति के लंड पे जमी थीं जो मेरी बीवी की चूत में एक पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
और फिर वो हुआ जिसका सबको इंतज़ार था, प्रीती जोर से चींखी “ओहहहहहहहह हाँआआआआआआआआ ओहहहहहहहहह हाय आआआआआआआआआ,” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसका शरीर इस तरह अकड़ रहा था कि क्या बताऊँ। इतने में प्रशाँत के लंड ने भी उसकी गाँड में अपना वीर्य उगल दिया।
अविनाश ने प्रीती की दोनों चूचियों को जोर से मसला और उसके लंड ने उसकी चूत में बौंछार कर दी। मैं कल्पना कर रहा था कि प्रीती की चूत और गाँड, वीर्य से भरी कैसी होगी कि तभी मेरा भी शरीर अकड़ा और मैंने अपना वीर्य मिनी के मुँह में उगल दिया।
मिनी ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाला और बेड पर से डिल्डो को उठा कर अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। कसम से ऐसी सामुहिक चुदाई की कल्पना नहीं की थी मैंने।
मुझे इस बात की खुशी थी कि हम शर्त जीत ना सके तो क्या पर हारे भी नहीं थे। अब देखते हैं कि छुट्टियों में क्या गुल खिलते हैं।