Episode 16


उसके बाद जॉन बीस दिनों के लिये कॉलेज के टूर पर चला गया। उसके चले जाने के बाद नसरीन के साथ लेस्बियन चुदाई तो ज़ारी थी लेकिन जॉन के दमदार लंड की कमी बहुत महसूस होती थी। एक दिन जब फ्रांसिस ऑफिस से वापस आये तो उनका चेहरा उदास था।

मैंने पूछा, “क्या हुआ?”

वो बोले, “मेहता को तो जानती हो ना!”

मैंने कहा, “वो तो हमारे बॉस थे। क्या हुआ उनको?”

फ्रांसिस बोले, “उस साले को क्या होगा। आज उसने मुझे अपने चैम्बर में बुलाया और कहने लगा कि पुराना मैनेजर नौकरी छोड़ कर चला गया है। अगर मैं मैनेजर बनना चाहता हूँ तो कहूँ । मैंने उस से कहा कि बनना चाहुँगा तो मेहता बोला कि मैं इसके बदले उसे क्या दूँगा! मैंने उस से कहा कि सारा कुछ उसका ही तो है तो मेहता कहने लगा कि शर्मा भी मैनेजर बनना चाहता है। बदले में वो मुझे एक रात के लिये अपनी बीवी देगा... मैं उसे क्या दूँगा! अगर मैं दो रात के लिये अपनी बीवी उसे दे दूँ तो वो मुझे मैनेजर बना देगा। मैंने तो मेहता से कह दिया कि ऐसा नहीं हो सकता!”

मैंने फ्रांसिस से कहा, “मेहता है ही ऐसा आदमी। वो अपने साथ ऐयाशी करने पर ही कितनों को तरक्की देता है। ऑफिस की कईं औरतें उसके साथ रात गुज़ार हो चुकी हैं। तबस्सुम को तो तुम जानते ही हो। वो मेरी सहेली थी। एक दिन मेहता ने उस से भी यही बात कही थी। उसने उसे अपनी पी-ए बनाने का लालच दिया था। तबस्सुम को ज्यादा पैसों की जरूरत थी इसलिये वो राज़ी हो गयी थी। उसने मेहता के साथ रात गुज़ारी और उसकी पी-ए बन गयी। तीन दिनों तक तबस्सुम ऑफिस नहीं आयी। तीसरे दिन जब तबस्सुम ऑफिस आयी तो मैंने उसका हाल चाल पूछा। तबस्सुम ने मुझे बताया था कि वो मेहता के साथ चुदवाने के बाद चलने फिरने के काबिल नहीं रह गयी थी। मैंने उस से पूछा कि मेहता ने उसके साथ ऐसा क्या कर दिया। उसने मुझे बताया कि मेहता का लंड दस इंच लम्बा और बेहद मोटा था। तब मुझे उसकी बात पर यकीन ही नहीं हुआ था जब मैंने जॉन का लंड देखा तो मुझे पूरा यकीन हो गया है कि तबस्सुम सही कह रही थी। मैं तो जॉन के आठ इंच लम्बे लंड से चुदवाने की आदी हो चुकी हूँ। मेहता का लंड दस इंच लम्बा है। उससे चुदवाने में मुझे और ज्यादा मज़ा आयेगा। जॉन भी टूर पर गया है इस लिये मेरी चूत में खुजली भी हो रही है। तुम भी मैनेजर बन जाओ। इस से तुम्हारी तनख़्वाह दुगुनी हो जायेगी और हमारी जिन्दगी और ज्यादा अच्छी तरह से गुजरेगी। मुझे भी चुदवाने का मौका मिल जायेगा!”

फ्रांसिस बोले, “तुम क्या कह रही हो?”

मैंने कहा, “मैं ठीक ही कह रही हूँ। जॉन से चुदवाने के बाद मेरी चूत काफी खुल चुकी है। मेहता से दो रात चुदवाने से मेरे उपर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, बस मेरी चूत थोड़ी से और खुल हो जायेगी। यह बात किसी को पता भी नहीं चलेगी। बस सिर्फ तुम राज़ी हो जाओ। क्या तुम नहीं चाहते कि मुझे जवानी का बेइंतेहा मज़ा मिले!”

फ्रांसिस सोच में पड़ गये। थोड़ी देर बाद वो बोले, “मैं कल मेहता से बात करूँगा!”

दूसरे दिन जब फ्रांसिस ऑफिस से वापस आये तो उनका चेहरा उदास था। मैंने पूछा, “अब क्या हुआ। क्या मेहता राज़ी नहीं हुआ?”

वो बोले, “अब वो चार दिन के लिये हम बिस्तर होने को कह रहा है। ऑफिस में दो लोग और अपनी बीवी उसे देने के लिये तैयार हैं!”

मैंने कहा, “तुम अभी उसे फोन करके कह दो। नहीं तो जितना ज्यादा देर करोगे मुझे उतने ही ज्यादा दिन उसके पास रहना पड़ेगा!”

फ्रांसिस ने मेहता को फोन किया।

मेहता ने फ्रांसिस से कहा, “अभी नहीं। अभी मैं और इंतज़ार करुँगा । हो सकता है कि कोई मुझे अपनी बीवी और ज्यादा दिनों के लिये देने के लिये तैयार हो जाये!”

फ्रांसिस ने फोन रख दिया। वो उदास हो गये। मैंने कहा, “तुम मैनेजर बनना चाहते हो या नहीं!”

वो बोले, “बनना तो चाहता हूँ लेकिन मेहता मान जाये तब ना!”

मैंने कहा, “तुम उसे दोबारा फोन कर के कह दो कि तुम हर कीमत पर मैनेजर बनना चाहते हो। वो चाहे जितने दिनों के लिये मुझे अपने पास रख ले। मैं जानती हूँ कि वो बहुत अय्याश आदमी है। वो मुझे एक हफ़्ते से ज्यादा अपने पास नहीं रखेगा क्यों कि उसे हमेशा नयी-नयी औरतें चाहिये!”

फ्रांसिस ने मेहता को फोन किया। मेहता तैयार हो गया। लेकिन उसने कहा कि मुझे आज ही जाना होगा। मैंने फ्रांसिस से कहा, “तुम मुझे उसके घर छोड़ दो। जॉन तो यहाँ है नहीं। उसे कुछ भी पता नहीं चलना चाहिये!”

फ्रांसिस मुझे मेहता के घर छोड़ कर वापस चले आये। मेहता मुझे बेहद सैक्सी हाई हील के सैंडल पकड़ाते हुए बोला, “कपड़े उतार दो। अब तुम्हें दस दिनों तक सिर्फ ये सैंडल पहनने हैं!”

मैंने कहा, “ठीक है सर!”

तबस्सुम ने मुझे मेहता के बारे में सब कुछ बता दिया था कि उसने मेहता को कैसे खुश किया था। मैं मेहता को तबस्सुम से भी ज्यादा खुश करना चाहती थी। मैंने मेहता को शराब पिलायी और उसे खूब जोश दिलाया और उसके साथ-साथ खुद भी पीकर मस्त हो गोयी। मेहता बहुत खुश हो गया। उसने अपने कपड़े उतारे तो मैं उसका लंड देखती ही रह गयी। उसका लंड जॉन के लंड से भी ज्यादा लम्बा और मोटा था। मैं समझ गयी कि मुझे फिर से दिक्कत होने वाली है लेकिन मैं ये भी जानती थी कि मुझे मज़ा भी खूब आयेगा। मेहता ने मेरी चूत में अपना लंड घुसाना शुरु किया तो मुझे दर्द होने लगा। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत में आठ इंच तक घुस गया। उसके बाद जब मेहता अपना लंड और ज्यादा अंदर घुसाने लगा तो मेरे मुँह से चीख निकलने लगी। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था। मेहता मेरे चेहरे को देख रहा था। पूरा लंड घुसाने के बाद उसने मुझे चोदना शुरु किया। थोड़ी देर तक मैं दर्द के मारे चीखती रही फिर धीरे-धीरे नॉर्मल हो गयी। मुझे मज़ा आने लगा तो मैंने मेहता को खूब जोश दिला दिला कर चुदवाना शुरु कर दिया। मैंने उसके लंड की खूब तारीफ़ की।

वो मुझसे बहुत खुश हो गया और बोला, “आज तक मैंने जितनी भी लड़कियों को चोदा वो सभी बहुत ज्यादा चिल्लायी और चीखी थी। लेकिन तुम ज्यादा नहीं चीखी और चिल्लायी और तुमने मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। क्या तुम्हारे पति का लंड ज्यादा लम्बा और मोटा है!”

मैंने मेहता से झूठ बोला और कहा, “जी सर!”

वो बोला, “कितना लम्बा और मोटा है तुम्हारे पति का लंड?”

मैंने कहा, “सर! उनका लंड नौ इंच लम्बा है और बहुत मोटा भी!”

वो बोला, “फिर तो तुम्हारी चुदाई करने में मुझे खूब मज़ा आयेगा। बाकी की लड़कियाँ चीखती और चिल्लाती थी इसलिये मुझे ज्यादा मज़ा नहीं आता था। तुम मुझे पूरी तरह से खुश कर दो। मैं तुम्हारे पति को जनरल मनेजर बना दूँगा!”

मैंने कहा, “मैं आप को पूरी तरह से खुश करने की कोशिश करुँगी सर!”

उसने मुझे करीब आधे घंटे तक खूब जम कर चोदा। मैंने भी उसे जोश दिला-दिला कर उससे खूब जम कर चुदवाया । मुझे भी खूब मज़ा आया। इस चुदाई के दौरान मैं तीन मर्तबा झड़ गयी थी। लंड का सारा रस मेरी चूत में निकाल देने के बाद मेहता ने अपना लंड बाहर निकला। उसके बाद वो मेरे बगल में लेट गया। दस मिनट भी नहीं बीते थे कि मैंने उसके लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी।

मेहता बहुत खुश हो गया और बोला, “तुम तो बहुत सैक्सी हो। अभी दस मिनट भी नहीं बीते हैं कि तुमने मेरा लंड चूसना शुरु कर दिया!”

मैंने कहा, “सर! मैं आप को पूरी तरह से खुश करना चाहती हूँ!”

मैं उसका लंड चूसती रही तो दस मिनट में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने मुझे फिर से चोदना शुरू किया। इस बार उसने मुझे लगभग आधे घंटे तक चोदा। मैंने भी उसे खूब जोश दिलाया। मैंने उससे कहा, “सर! आप मुझे बेहद अच्छी तरह से चोद रहे हैं। इतनी अच्छी तरह से मेरे हसबैंड मुझे नहीं चोद पाते। आपका लंड भी बहुत अच्छा है!”

मेरी बात सुन कर वो बहुत खुश हो गया। मैंने छः दिनों तक तरह-तरह के स्टाइल में मेहता से खूब जम कर चुदवाया। सातवें दिन मैं मेहता के साथ उसके आगोश में बैठी शराब पी रही थी और खासे नशे मे थी। मैंने मेहता से कहा, “सर! अब मैं आप को दूसरा मज़ा देना चाहती हूँ!”

वो बोला, “अब कौन सा मज़ा दोगी?”

मैंने कहा, “क्या आपने कभी किसी लड़की की गाँड मारी है?”

वो बोला, “सारी लड़कियाँ मुझसे चुदवाने में ही इतना ज्यादा चीखती और चिल्लाती थी कि मुझे कभी किसी लड़की की गाँड मारने का मौका ही नहीं मिला। क्या तुम मुझसे गाँड मरवाने के लिये तैयार हो!”

मैंने कहा, “जी सर। आप खूब जम कर मेरी गाँड मारिये और मज़ा लीजिये!”

वो बोला, “तुम फिर से चीखोगी और चिल्लाओगी!”

मैंने कहा, “सर! पहली-पहली बार मुझे थोड़ी तो दिक्कत होगी ही क्योंकि आप का लंड मेरे हसबैंड के लंड से ज्यादा लम्बा और मोटा है। मैं अपने हसबैंड से खूब जम कर गाँड मरवाती हूँ!”

वो बोला, “फिर ठीक है!”

चार दिनों तक मेहता ने खूब जम कर मेरी गाँड मारी। मुझे पहली बार उस से गाँड मरवाने में बहुत दर्द हुआ और मैं खूब चीखी भी लेकिन बाद में मुझे खूब मज़ा भी आया। दस दिन गुजर गये तो मेहता ने कहा, अब तुम चाहो तो जा सकती हो।

मैंने कहा, “सर! मुझे रुख़सती नहीं देंगे?

वो बोला, “रुख़सती?”

मैंने कहा, “रुख़सती सर...! मेरा मतलब बिदायी!”

मेहता बोला, “हाँ हाँ!! बोलो क्या चाहिये!”

मैंने कहा, “सर... आपने चार दिनों से मेरी चुदाई नहीं की है। आप सिर्फ मेरी गाँड का ही मज़ा लेते रहे। मेरी चूत में खुजली हो रही है। आप एक बार मुझे और चोद दीजिये!”

वो बोला, “ये कौन सी बड़ी बात है। अभी चोद देता हूँ!”

मेहता ने फिर से मेरी चुदाई की। उसने मुझे खूब जम कर चोदा। मैं उससे चुदवा कर एक दम मस्त हो गयी। उसके बाद मैं घर वापस चली आयी। घर पहुँचते ही फ्रांसिस ने मुझसे पूछा, “क्या हुआ? काम बन गया?”

मैंने मज़ाक करते हुए कहा, “वो तुम्हें मैनेजर नहीं बनायेगा!”

फ्रांसिस उदास हो गये और बोले, “उस साले ने दस दिनों तक मेरी बीवी की चुदाई की और मुझे मैनेजर भी नहीं बनाया!”

मैंने कहा, “लेकिन मेहता ने मुझे खूब जम कर चोदा है। मुझे तो उससे चुदवाने में खूब मज़ा आया और मैं एक दम मस्त हो गयी हूँ!”

फ्रांसिस उदास हो गये थे। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “उदास मत हो। मेहता तुम्हें जनरल मैनेजर बनाने के लिये तैयार हो गया है!”

मेरी बात सुनकार फ्रांसिस बहुत खुश हो गये। उन्होंने मुझे चूम लिया। अगले दिन मेहता ने फ्रांसिस को जनरल मैनेजर बना दिया। कुछ दिनों के बाद जॉन भी वापस आ गया। उसे जब पता चला कि उसके भैया जनरल मैनेजर बन गये हैं तो वो बहुत खुश हो गया। वो नहीं जानता था कि मैने उसके भैया को जनरल मैनेजर कैसे बनवाया है। मुझे अब मेहता अक्सर अपने घर बुलाया करता है। मुझे मेहता का लंड भी काफी पसन्द आ गया था इसलिये मैं अब भी उसके घर जा कर उससे खूब जम कर चुदवाती हूँ और मज़ा लेती हूँ। अब तो जॉन मुझे फ्रांसिस के सामने भी चोदने लगा है। फ्रांसिस और जॉन बहुत खुश हैं और मैं भी।

मैडम को कार चलाना सिखाया
लेखक:- अन्जान

यह उस समय की घटना है जब मैं १२वीं क्लास में था। मेरी इंग्लिश काफ़ी कमज़ोर थी। मैंने ईंग्लिश पर ज्यादा ध्यान देने की सोची। मैं अपनी गर्मी की छुट्टियाँ प्रारंभ होने के ठीक एक दिन पहले अपनी ईंग्लिश मैडम से मिला।

उनका नाम नसीफा था। वोह एक पठानी औरत थीं। उनकी उम्र ३२ - ३३ साल के करीब होगी। पठानी औरतों की तरह वोह भी गोरे बदन की काफी भरी-भरी औरत थीं। ऊँचाई लगभग ५’२” होगी पर उनकी ऊँची एड़ी के सैंडलों के कारण हमेशा ५’६ - ५’७ की लगती थीं। पतली कमर, ३६ के साईज़ की मस्त चूचीयाँ और ३८ की मस्त डोलती भारी गाँड।

“गुड आफ़टरनून मैडम!”

“गुड आफ़टरनून सुमित!”

“मैडम, आई नीड सम गाईडेंस!”

“कहो मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूँ।”

“मैडम आपको तो पता है कि मेरे ईंग्लिश में अच्छे मार्क्स नहीं आये।”

“हाँ मुझे पता है। तभी तो मैं कहती हूँ कि तुम्हें कड़ी मेहनत कारने की दरकार है।”

“हाँ मैडम। मैं नहीं चाहता कि बोर्ड परिक्षा में भी मेरे ऐसे ही मार्क्स आयें।”

”तो आखिर तुम अंत में सही लाइन पर आ ही गये।”

“हाँ मैडम। मुझे पता है कि मुझे कड़ी मेहनत की दरकार है और मैं कुछ भी करने को तैयार भी हूँ। लेकिन मुझे नहीं पता कि कहाँ से शुरू करूँ… और मेरे बेसिक्स भी ठीक नहीं हैं। तो मैडम आप मुझे गाईड करें कि मैं कहाँ से और कैसे शुरू करूँ।”

“ठीक है सुमित। मैं तुम्हारी टीचर हूँ और यह मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं तुम्हें सही दिशा में गाईड करूँ। तुम एक काम करो। तुम मेरा फोन नम्बर ले लो और एक हफ्ते बाद मुझे रिंग करो।”

“ओके... थैंक्स मैडम” फिर मैंने मैडम का फोन नम्बर और ऐड्रस ले लिया। एक हफ़्ते बाद मैंने मैडम को फोन किया।

“हैलो, क्या नसीफा मैडम से बात कर सकता हूँ?”

“बोल रही हूँ”

“मैडम, मैं सुमित बोल रहा हूँ... मैडम आपने कहा था कि एक हफ़्ते बाद फोन कर लेना”

“हाँ याद है। फोन पर तो तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर पाना मुश्किल है.... तुम एक काम करो कल शाम ५ बजे मेरे घर आ जाओ। तभी तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर लेंगे… ठीक है?”

“ओके मैडम... बाय।”

“बाय।”

फिर अगले दिन मैं शाम ५ बजे मैडम के घर गया। मैंने बेल बजायी और मैडम ने दरवाज़ा खोला।

“हैलो मैडम!”

“हैलो सुमित... आओ... अन्दर आओ... बैठो। एड्रस ढूँढने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई?”

“थोड़ी बहुत परेशानी तो हुई क्योंकि आपकी कॉलोनी मेरे लिये नई है।”

“चलो... धीरे-धीरे इस कॉलोनी में पुराने हो जाओगे। खैर... क्या लोगे, टी कॉफी या कोल्ड ड्रिंक?”

“नथिंग मैडम। कुछ नहीं।”

“शरमाओ मत.. तुम्हें कुछ ना कुछ तो लेना ही पड़ेगा।”

“ओके, कॉफी!”

“बस अभी लाती हूँ!”

फिर मैडम कॉफी ले आयीं

“यह लो सुमित, कॉफी लो!”

“थैंक्स!”

“बिस्कुट भी तो लो…”

“नहीं मैडम, इसकी क्या ज़रूरत है…!”

“सुमित! तुम बहुत शाई लड़के हो... खैर हमें क्या बात करनी है? ”

”मैडम आपको तो पता ही है कि मेरे इंग्लिश में कैसे मार्क्स आते हैं।”

“हुम्म.. मेरे खयाल से तुम्हारे ११वीं क्लास में ५० से ज्यादा मार्क्स नहीं आये।”

“येस मैडम.... और हाइएस्ट मार्क्स ९५ तक आते हैं... मैडम मैं चाहता हूँ कि मेरे भी ९०+ आयें।”

“बिल्कुल आ सकते हैं। लेकिन उसके लिये तुम्हें काफ़ी हार्डवर्क करना पड़ेगा... क्या तुम करोगे?”

“येस मैडम, मैं हार्डवर्क करूँगा... पर मेरे बेसिक्स ही क्लीयर नहीं हैं और मेरी ग्रामर बहुत वीक है।”

“सुमित तुम्हें सबसे पहले अपने बेसिक्स ही स्ट्रॉँग बनाने चाहिए। जिसके बेसिक्स स्ट्रॉँग नहीं उसे कुछ भी नहीं आता।”

“मैडम तो बेसिक्स स्ट्राँग कैसे होंगे।”

“उम्म... मैं तुम्हें बेसिक्स स्ट्राँग करने में हेल्प करूँगी।”

“येस मैडम... आप मुझे कुछ दिनों के लिये कोचिंग दे दिजिए।”

“तुम कल से सुबह मेरे पास आ जाया करो।”

“ओके मैडम।”

“कॉफी तो पियो... ठंडी हो रही है।”

“येस मैडम। मैडम आपकी फैमिली में कौन-कौन है?”

“मैं, मेरे हसबैंड और एक बेटी और एक बेटा।”

“मैडम… कहाँ हैं सब... कोई दिख नहीं रहा।”

“बच्चे तो अपनी नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने गये हैं। एकचुअली मैं भी वहाँ से कल ही आयी हूँ पर बच्चे वहीं रुक गये हैं… और हसबैंड २ हफ़्ते के लिये आफिस के काम से आउट आफ स्टेशन गये हैं।”

“बच्चे कब तक आयेंगे?”

“वो भी दो हफ़्ते बाद आयेंगे... यही तो दिक्कत है... अब मुझे मार्केट से कुछ भी लाना हो तो मैं नहीं ला सकती।”

“क्यों मैडम?”

“मार्केट यहाँ से काफ़ी दूर है... रिक्शॉ से जाने में बहुत टाइम लगता है... और स्कूटर और कार मुझे चलानी नहीं आती।”

“मैडम इस में प्रॉब्लम क्या है…। आपको जब कुछ चाहिए तो आप मुझे कह दीजिएगा।”

“नहीं ऐसी बात नहीं है... दैट्स नाईस आफ़ यू.... सुमित तुम्हे कार चलानी आती है क्या?”

“येस मैडम।”

“तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो... मेरे हसबैंड तो सारा दिन बिज़ी रहते हैं... और आज कल तो हमारी कार खाली ही खड़ी है... हसबैंड तो आफिस की कार ले गये हैं”

“येस मैडम मॉय प्लेज़र। मैं आपको कार चलाना सिखा दूँगा।”

“कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?”

“तकरीबन एक हफ़्ता तो लगेगा ही।”

“तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।”

“ओके मैडम... पर किस टाईम?”

“तुम १० बजे पढ़ने तो आओगे ही... तुम्हें पढ़ाने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया करूँगी... पर सुमित... कोई बहुत बड़ा ग्राऊँड है क्या... एक्चुअली कोई मुझे सीखते देखे तो मुझे शरम आयेगी... इसलिए ऐसी जगह हो जो एक दम खाली हो और जहाँ ज्यादा लोग ना आते हों।”

“येस मैडम... शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राऊँड है जो एकदम खाली रहता है।”

“ठीक है... तो वहीं चलेंगे कल दोपहर में।”

“पर मैडम दोपहर में तो काफ़ी गरमी होती है।”

“दोपहर में इसलिए कि उस वक्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो एयर कंडिशंड है... मैं क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखें तो मुझे शरम आती है... बॉय द वे... तुम्हें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?”

“बिल्कुल नहीं... तो मैडम मैं कल आता हूँ १० बजे।”

“ओके सुमित...बाय”

मैं अगले दिन ठीक १० बजे मैडम के घर पहुँच गया। मैडम उस दिन काफ़ी अच्छे से तैयार हुई थीं। उन्होंने ग्रीन कलर का सलवार-कमीज़ और बहुत ही सुंदर ब्लैक कलर के ४ इन्च हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। मुझे तो मैडम सैक्सी लगती ही थी। मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढ़ाया। उसके बाद हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राऊँड में गये। आस-पास कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का वक्त था। ग्राऊँड में पहुँच कर मैंने मैडम को कार सिखानी शुरू की।

“मैडम... पहले तो मैं आपको गेयर डालना सिखाता हूँ।”

मैं कुछ देर तक उनको गेयर, एक्सलरेटर, क्लच, ब्रेक वगैरह के बारे में बताता रहा।

“चलिए मैडम... अब आप चलाइए।”

“मुझे डर लग रहा है!”

“कैसा डर?”

“कहीं मुझसे कंट्रोल नहीं हुई तो?”

“उसके लिये मैं साथ हूँ ना”

फिर मैडम ड्राइवर सीट पर बैठ गयीं और मैं ड्राइवर की साथ वाली सीट पे आ गया। फिर मैडम ने कार चलानी शुरू की लेकिन मैडम ने एक दम से ही रेस दे दी तो एक दम से कार बहुत स्पीड में चल पड़ी। मैडम घबरा गयीं।

मैंने कहा, “मैडम एक्सलरेटर से पैर हटाइये!”

मैडम ने पैर हटा लिया तो मैंने स्टियरिंग पकड़ कर कार कंट्रोल में करी।

“मैंने कहा था ना मुझ से नहीं चलेगी!”

“कोई बात नहीं मैडम... पहली बार ऐसा होता है।”

“नहीं... मैं कार सीख ही नहीं सकती... मुझ से नहीं चलेगी”

“चलेगी... चलिए अब स्टार्ट कीजिये और फिर ट्राई करिये । पर इस बार एक्सलरेटर आराम से छोड़ियेगा।”

“नहीं मुझसे नहीं होगा!”

“मैडम… शुरू-शुरू में गलतियाँ होती हैं... कोई बात नहीं!”

“नहीं मुझे डर लगता है!”

“अच्छा... एक काम करते हैं... मैं भी आपकी सीट पर आ जाता हूँ… फिर तो आपको डर नहीं लगेगा!”

“लेकिन एक सीट पर हम दोनों कैसे आ सकते हैं?”

“आप मेरी गोद में बैठ जाना… मैं स्टियरिंग कंट्रोल करूँगा और आप गेयर कंट्रोल करना… मेरे डैडी ने भी मुझे ऐसे ही ड्राइविंग सिखायी थी।”

“लेकिन कोई हमें देखेगा तो कैसा लगेगा?”

“मैडम इस वक्त यहाँ कोई नहीं आयेगा... और वैसे भी आपकी कार में यह शीशों पर फ़िल्म लगी है जिससे अंदर का कुछ भी बाहर से दिखाई नहीं देता। सो डोंट वरी, नो वन कैन सी व्हॉट इज़ गोइंग आन इन साइड।”

“चलो ठीक है!”

फिर मैं ड्राइवर सीट पर बैठा और मैडम मेरी गोद में। जैसे ही मैडम मेरी गोद में बैठी, मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। हम दोनों का यह पहला स्पर्श था। मैंने कार स्टार्ट करी।

“रैडी मैडम?”

“हाँ... मुझे सिर्फ़ गेयर ही सम्भालने हैं ना?”

“येस मैडम। आज के दिन आप सिर्फ़ गेयर ही सीखो”

कार चलनी शुरू हुई। क्योंकि मेरे हाथ स्टियरिंग पर थे और मैडम मेरी गोद में, इसलिए मेरी बाहें मैडम की चूचियों की साईड से छू रही थी और मैडम की चूचियाँ थी भी काफ़ी बड़ी। वोह थोड़ा अनकम्फर्टेबल फ़ील कर रही थीं और इसलिए वो मेरी जाँघों पे न बैठ के मेरे घुटनों के पास बैठी थी। जैसे ही मैं कार को टर्न करता तो मैडम की पूरी चूचियाँ मेरी बाहों को छूती थी। मैडम गेयर सही बदल रही थीं।

“क्यों सुमित... ठीक कर रही हूँ ना?”

“परफैक्ट मैडम! अब आप थोड़ा स्टियरिंग भी कंट्रोल कीजिए!”

“ओके!”

क्योंकि मैडम मेरी गोद में काफ़ी आगे होकर बैठी थीं इसलिए स्टियरिंग कंट्रोल करने में उन्हें प्रॉब्लम हो रही थी।

“मैडम... आप थोड़ी पीछे खिसक जाईये... तभी स्टियरिंग सही कंट्रोल हो पायेगा।”

अब मैडम मेरी जाँघों पे बैठ गयी और हाथ स्टियरिंग पर रख लिये।

“मैडम! थोड़ा और पीछे हो जाईये!”

“और कितना पीछे होना पड़ेगा?”

“जितना हो सकती हों”

“ठीक है।” अब मैडम पूरी तरह से मेरे लौड़े पर बैठी थी। मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख दिये और स्टियरिंग कंट्रोल करना सिखाने लगा। जब भी कार टर्न होती तो मैडम के चुत्तड़ मेरे लौड़े में धँस जाते। मैडम की चूचियाँ इतनी बड़ी थी कि वो मेरे हाथों को छू रही थी। मैं जान बूझ कर उनकी चूचियों को टच करता रहा।

“मैडम अब एक्सलरेटर भी आप संभालिये!”

“कहीं कार फिर से आउट आफ़ कंट्रोल ना हो जाये…!”

“मैडम अब तो मैं बैठा हूँ ना”

मैडम ने फिर से पूरा एक्सलरेटर दबा दिया तो कार ने एक दम स्पीड पकड़ ली। इस पर मैंने एक दम से ब्रेक लगा दी तो कार एक दम से रुक गयी। मैडम को झटका लगा तो वो स्टियरिंग में घुसने लगी। इस पर मैंने मैडम की चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर मैडम को स्टियरिंग में घुसने से बचा लिया। कार रुक गयी थी और मैडम की चूचियाँ मेरे हाथों में थी।

मैडम बोली, “मैंने कहा था ना कि मैं फिर कुछ गलती करूँगी”

“कोई बात नहीं। कम से कम गेयर तो बदलना सीख लिया।” मैडम की चूचियाँ अभी भी मेरे हाथ में थीं।

“शायद मुझे स्टियरिंग संभालना कभी नहीं आयेगा”

“एक बार और ट्राई कर लेते हैं!”

“ठीक है!”

मुझे एहसास दिलाने के लिये कि मेरे हाथ उनकी चूचियों पर हैं, मैडम ने चूचियों को हल्का सा झटका दिया तो मैंने अपने हाथ वहाँ से हटा लिये। मैंने कार फिर से स्टार्ट करी। मैडम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिये और मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख दिये।

“मैडम एक्सलरेटर मैं ही संभालुँगा... आप सिर्फ़ स्टियरिंग ही संभालिये!”

“यही मैं कहने वाली थी!”

कुछ देर तक मैडम को स्टियरिंग में हेल्प करने के बाद मैं बोला, “मैडम अब मैं स्टियरिंग से हाथ उठा रहा हूँ... आप अकेले ही संभालिये।”

“ओके...अब मुझे थोड़ा कॉनफिडैंस आ रहा है... लेकिन तुम अपने हाथ रैडी रखना कहीं कार फिर से आउट आफ कंट्रोल हो जाये।”

“मैडम मेरे हाथ हमेशा रैडी रहते हैं।”

“सुमित मुझे कस के पकड़ना... कहीं ब्रेक मारने पर मैं स्टियरिंग में ना घुस जाऊँ!”

“येस मैडम मैं कस के पकड़ता हूँ।”

मैंने अपने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैडम की चूचियों पर रख दिये। मैं तो मैडम से डाँट की उम्मीद कर रहा था लेकिन मैडम ने कुछ ना कहा। मैंने तब मैडम की चूचियों को दबा दिया तो उनके के मुँह से आह निकल गयी।

“सुमित... मेरे ख्याल से आज इतना सीखना ही काफ़ी है। चलो अब घर चलते हैं!”

“ओके मैडम।” मैडम मेरी गोद से उठ कर अपनी सीट पर बैठ गयी और हम मैडम के घर चल दिये।

“ओके मैडम... मैं चलता हूँ!”

“खाना खाके जाना!”

“नहीं मैडम… मैंने मम्मी को कहा था कि खाने के टाईम तक घर पर आ जाऊँगा”

“ठीक है... तो कल १० बजे आओगे ना?”

“येस मैडम... आफ़ कोर्स!”

मैं अगले दिन भी पूरे १० बजे पहुँच गया। आज भी मैडम काफी खूबसूरत लग रही थीं। उन्होंने ने आज पीकॉक ब्लू कलर की सिल्क की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी और उनके सफ़ेद कलर के हाई हील सैंडल काफ़ी मैच कर रहे थे। मैडम ने आज बहुत ही अच्छा परफ़्यूम लगा रखा था। पढ़ने के बाद हम फिर से कार सीखने उसी ग्राऊँड में आ गये।

“तो सुमित आज कहाँ से शुरू करेंगे?”

“मैडम मेरे ख्याल से आप पहले स्टियरिंग में परफ़ेक्ट हो जाइये। उसके बाद और कुछ करेंगे!”

“ठीक है। कल जैसे ही बैठना है?”

“येस मैडम”।

मैडम आज सीधे आकर मेरे लौड़े पर बैठ गयी। आज मैडम की सलवार थोड़ी टाईट थी और मैडम के चूत्तड़ों से चिपकी हुई थी। हमने कार चलानी शुरू की। मैडम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिये। मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख लिये। आज मैडम के चूत्तड़ मेरे लौड़े पर बार-बार हिल रहे थे। कुछ देर बाद मैंने कहा, “मैडम... अब मैं अपने हाथ स्टियरिंग से हटा रहा हूँ!”

“हाँ... अपने हाथ स्टियरिंग से हटा लो… पर मुझे कस के पकड़ के रखना… कहीं कल की तरह स्टियरिंग मे घुस ना जाऊँ?”

“मैडम... आप बिल्कुल फ़िक्र ना करें… मैं हूँ ना!” मैंने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैडम को पकड़ने के बहाने उनकी चूचियों पर रख दिये। और वाह... मज़ा आ गया। मैडम ने आज ब्रा नहीं पहनी थी। इसलिए आज मैडम की चूचियाँ बड़ी सॉफ़्ट और माँसल लग रही थी। मैंने मैडम की चूचियों को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया। मैडम की सिल्क की कमीज़ में उनकी चूचियों को दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैडम ने भी तब अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं और अब उनकी बुर मेरे लौड़े पर थी। उनकी इस हरकत से मैंने साहस करके अपना एक हाथ मैडम की कमीज़ में डाला और मैडम की एक चूची को दबाने लगा। और आश्चर्य कि उन्होंने कुछ नहीं कहा।

“मैडम... मज़ा आ रहा है?”

“आहहह...ऊँ... किसमे?”

“कार चलाने में…!”

“हाँ... कार चलाने में भी मज़ा आ रहा है!”

“मैडम... अब आपको स्टियरिंग संभालना आ गया!”

“हुम्म!!”

अब मैंने अपना दूसरा हाथ भी मैडम की कमीज़ में डाल दिया और दोनों चूचियों को दबाने लगा।

“आआहह...हह... सुमित तुम... आहह... यह क्या कर रहे हो?”

“मैडम... आपको कार सीखा रहा हूँ!”

“तुम्हें मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिये... और वैसे भी मैं तो शादी-शुदा औरत हूँ, और मेरे २ बच्चे भी हैं... मुझ में तुम्हें क्या अच्छा लगेगा?”

“मैडम आपकी एक-एक चीज़ अच्छी है”

“सुमित मैं थोड़ा थक गयी हूँ। पहले तुम कार रोक लो... आगे जा कर थोड़ी झाड़ियाँ हैं... कार वहाँ ले चलो…!”
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