Episode 31


भोगी भाई मुस्कुरा दिया। फिर दोनों तैयार होकर निकल गये। मैं वैसी ही नंगी पड़ी रही बिस्तर पर। तभी भीमा दूध का ग्लास लेकर आया और मुझे सहारा देकर उठाया। मैंने उसके हाथों से दूध का ग्लास ले लिया। उसने मुझे एक पेन-किलर भी दिया। मैंने दूध का ग्लास खाली कर दिया। उसने खाली ग्लास हाथ से लेकर मेरे होंठों पर लगे दूध को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया।

वो कुछ देर तक मेरे होंठों को चूमता रहा और मेरे जिस्म पर आहिस्ता से हाथ फ़ेरता रहा। फिर वो उठा और डिटॉल ला कर मेरे जख्मों पर लगा दिया। अब मैं जिस्म में कुछ जान महसूस कर रही थी। फिर कुछ देर बाद आकर उसने मुझे सहारा देकर उठाया और मेरे जिस्म को बांहों में भर कर मुझे उसी हालत में बाथरूम में ले गया। वहाँ काफी देर तक उसने मुझे गर्म पानी से नहलाया। जिस्म पोंछ कर मुझे बिस्तर पर ले गया और मुझे मेरे कपड़े लाकर दिए। वो जैसे ही जाने लगा, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। मेरी आँखों में उसके लिये एहसानमंदी के भाव थे। मैं उसके करीब आकर उसके जिस्म से लिपट गयी।

मैं तब बहुत हल्का महसूस कर रही थी। मैं खुद ही उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गयी। मैंने उससे लिपटते हुए ही उसकी पैंट की तरफ हाथ बढ़ाया। मैं उसके अहसान का बदला चुका देना चाहती थी। वो मेरे होंठों को, मेरी गर्दन को, मेरे गालों को चूमने लगा। फिर मेरी चूचियों पर हल्के से हाथ फ़िराने लगा।

"प्लीज़ मुझे प्यार करो. इतना प्यार करो कि कल रात की घटनायें मेरे दिमाग से हमेशा के लिये उतर जायें।" मैं बेहताशा रोने लगी। वो मेरे एक-एक अंग को चूम रहा था। वो मेरे एक-एक अंग को सहलाता और प्यार करता। मैं उसके होंठ फ़ूलों की पंखुड़ियों की तरह पूरे जिस्म पर महसूस कर रही थी। अब मैं खुद ही गर्म होने लगी और मैं खुद ही उससे लिपटने और उसे चूमने लगी। उसका हाथ मैंने अपने हाथों में लेकर अपनी चूत पर रख दिया।

वो मेरी चूत को सहलाने लगा। फिर उसने मुझे बिस्तर के कोने पर बिठा कर मेरे सामने घुटनों के बल मुड़ गया। मेरे दोनों पैरों को अपने कंधे पर चढ़ा कर मेरी चूत पर अपने होंठ चिपका दिए। उसकी जीभ साँप की तरह सरसराती हुई उसकी मुँह से निकल कर मेरी चूत में घुस गयी। मैंने उसके सिर को अपने हाथों में ले रखा था। उत्तेजना में मैं उसके बालों को सहला रही थी और उसके सिर को चूत पर दाब रही थी।

मेरे मुँह से सिस्करियाँ निकल रही थी। कुछ देर में मैं अपनी कमर उचकाने लगी और उसके मुँह पर ही ढेर हो गयी। मेरे जिस्म से मेरा सारा विसाद मेरे रस के रूप में निकलने लगा। वो मेरे चूत-रस को अपने मुँह में खींचता जा रहा था। कल से इतनी बार मेरे साथ चुदाई हुई थी कि मैं गिनती ही भुल गयी थी मगर आज भीमा की हर्कतों से अब मेरा खुल कर मेरी चूत ने रस छोड़ा।

भीमा के साथ मैं पूरे दिल से चुदाई कर रही थी। इसलिए अच्छा भी लग रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर सवार हो गयी। उसके जिस्म से मैंने कपड़ों को नोच कर हटा दिया। उसका मोटा ताज़ा लंड तना हुआ खड़ा था। काफी तगड़ा जिस्म था। मैं उसके जिस्म को चूमने लगी। उसने उठने की कोशिश की तो मैंने गुर्राते हुए कहा, “चुप चाप पड़ा रह। मेरे जिस्म को भोगना चाहता था ना तो फ़िर भाग क्यों रहा है? ले भोग मेरे जिस्म को।”

मैंने उसे चित्त लिटा दिया और उसके लंड के ऊपर अपनी चूत रखी। अपने हाथों से उसके लंड को सेट किया और उसके लंड पर बैठ गयी। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को चूमता हुआ अंदर चला गया। फिर तो मैं उसके लंड पर उठने-बैठने लगी। मैंने सिर पीछे की ओर झटक दिया और अपने हाथों को उसके सीने पर फ़िराने लगी। वो मेरे मम्मों को सहला रहा था और मेरे निप्पलों को अंगुलियों से इधर-उधर घुमा रहा था। निप्पल भी उत्तेजना में खड़े हो गये थे।

काफी देर तक इस पोज़िशन में चुदाई करने के बाद मुझे वापस नीचे लिटा कर मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रख दिया। इससे चूत ऊपर की ओर हो गयी। अब लंड चूत में जाता हुआ साफ़ दिख रहा था। हम दोनों उत्तेजित हो कर एक साथ झड़ गये। वो मेरे जिस्म पर ही लुढ़क गया और तेज तेज साँसें लेने लगा। मैंने उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुंबन दिया। फिर नीचे उतर कर तैयार हो गयी।

भीमा मुझे घर तक छोड़ आया। दोपहर तक मेरे शौहर रिहा होकर घर आ गये। भोगी भाई ने अपना बयान बदल लिया था। मैंने उन्हें उनकी जमानत की कीमत नहीं बतायी मगर अगले दिन ही उस कंपनी को छोड़ कर वहाँ से वापस जाने का मैंने ऐलान कर दिया। नदीम ने भले ही कुछ नहीं पूछा मगर शायद उसे भी उसकी रिहाई की कीमत की भनक पड़ गयी थी। इसलिए उसने भी मुझे ना नहीं किया और हम कुछ ही दिनों में अपना थोड़ा बहुत सामान पैक करके वो शहर छोड़ कर वापस आगरा आ गये।

बीवी की सहेली
लेखक: पार्थो सेनगुप्ता

यह कहानी मेरी बीवी की सहेली के साथ मेरे शारीरिक संबंध की है। मेरी बीवी और उसकी सहेली दोनों एक साथ एक ऑफिस में काम करती हैं। बीवी की सहेली मेरे पड़ोस में रहती है और उसका नाम रुखसाना है। रुखसाना एक शादीशुदा औरत है और उसको एक बच्चा भी है। रुखसाना एक हसीन औरत है। उसका रंग गोरा है और वोह लंबे-लंबे बाल और बहुत ही सैक्सी शरीर वाली है। हमेशा बहुत ही अच्छे ढंग से फैशनेबल कपड़े सैंडल और एक्सेसरीज़ पहनती है। मैं उस औरत को “नमकीन” कहता हूँ। मैं जब भी रुखसाना को देखता हूँ, मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है और मैंने कितनी ही बार उसके नाम पर मुठ मारी है। उसकी सबसे खास बात उसकी गहरी आँखें हैं। जब भी वो हमारे घर मेरी बीवी से मिलने आती आती है तो मुझसे काफी शर्म करती है लेकिन उसकी आँखों में मुझे हमेशा एक प्यास नज़र आयी।

एक दिन मेरी बीवी ने मुझको कहा कि, “रुखसाना के लैपटॉप में कुछ खराबी आ गयी है. क्या तुम कुछ कर सकते हो? प्लीज़ उसकी मदद कर दो ना।”

मैं भी ऐसे ही मौके की तलाश में था और मैंने फ़ौरन बीवी से कहा, “रुखसाना से कहो कि अपना लैपटॉप हमारे घर पर ले आये. मैं लैपटॉप ठीक कर दुँगा।”

एक शाम को रुखसाना अपना लैपटॉप मेरे घर पर ले आयी। मैंने उसको जाँच कर पाया कि उसके कम्प्यूटर में कुछ “बैड सैक्टर” और वायरस आ गये हैं। मैंने रुखसाना को यह बात बता दी और कहा कि लैपटॉप को फोरमैट करना पड़ेगा। रुखसाना ने अपना लैपटॉप फोरमैट करने की सहमती दे दी। मैंने फिर उससे पूछा, “कोई जरूरी फाइल तो नहीं है जिसका बैक-अप लेना है।”

रुखसाना बोली कि, “कुछ वर्ड फाइल ‘मॉय डॉक्यूमेंट’ फोल्डर में है। हो सके तो उनका बैक-अप ले लीजियेगा।”

फिर वो टी. वी वाले कमरे में मेरी बीवी के साथ जा कर बातें करने लगी। सबसे पहले मैंने उसके लैपटॉप में एक पेन-ड्राईव लगाकर और उसके ‘मॉय डॉक्यूमेंट’ में से सारी फाइल उसमें ट्राँसफर कर दीं। फिर मैंने अपनी उत्सुक्ता से उसके लैपटॉप में कोई सैक्सी फाइल ढूँढने लगा और मुझको उसके लैपटॉप में छुपी फाइलों में कुछ नंगी तसवीरें और क्लिप मिली और साथ में एक फोलडर में करीब चालीस-पचास सैक्सी कहानियाँ भी थीं। कहानियाँ इंगलिश, हिंदी और उर्दू तीनों भाषाओं में थीं। मैंने उन फाइलों को भी अपने कम्प्यूटर में कॉपी कर लिया| उसकी इंटरनेट हिस्ट्री में कईं पोर्न वेबसाईट भी मिलीं। और फिर उसके लैपटॉप को फोरमैट कर दिया। फिर मैंने विंडो कॉपी कर दी। उसके बाद मैंने उसकी सब फाइलें पेन-ड्राईव से उसके लैपटॉप पर कॉपी कर दी और साथ में अपने लैपटॉप से भी कुछ नंगी क्लिप और तसवीरों की फाइलें और कहानी की फाइलें भी कॉपी कर दी। इन सब काम में मुझको करीब दो घंटे लग गये और इस दौरान रुखसाना मेरे बीवी से बातें करती रही।

मैंने सब काम खतम करने के बाद रुखसाना को बुलाया और अपने लैपटॉप को चैक करने के लिये कहा। वो मेरे कमरे में मेरी बीवी के साथ आयी और बोली, “अगर आप को तसल्ली है तो ठीक ही होगा।”

मैंने कहा, “हाँ मेरे ख्याल से आपका लैपटॉप अब बिल्कुल ठीक है और फिर आपको दिक्कत नहीं देगा।”

फिर मैंने अपनी बीवी से लैपटॉप से धूल साफ़ करने के लिये एयर स्प्रे का कैन लाने को कहा। जैसे ही मेरी बीवी कमरे के बाहर गयी, मैंने रुखसाना से कहा, “आपकी वर्ड फाइलें सब उसी फोल्डर में हैं और आपके लैपटॉप में कुछ क्लिप और तसवीरें भी थीं. मैंने उनको भी आपके लैपटॉप में फिर से कॉपी कर दिया है।”

फिर मैंने उसके लैपटॉप पर वो तसवीरों की फाइल खोल दी। वो उन तसवीरों को देख कर बहुत हैरान हो गयी और तब मैंने उससे कहा, “आपका संग्रह बहुत ही अच्छा है. खास कर कहानियों का संग्रह। मैंने आपके लैपटॉप से आपका संग्रह अपने लैपटॉप पर कॉपी कर लिया है। आशा है की आप बुरा नहीं मानेंगी।”

मेरी इन सब बातों को सुन कर वो बहुत ही शर्मा गयी और मेरे से नज़रें चुराने लगी और अपनी नज़र को झुकाते हुए बोली, “प्लीज़ यह बात आप किसी से भी नहीं कहियेगा।” उसकी ज़ुबान कुछ लड़खड़ा रही थी।

मैंने उससे कहा, “आप बिल्कुल मत घबराइये। मेरे पास ऐसी बहुत सी क्लिप, तसवीरें और कहानियाँ हैं और उनमें से मैंने कुछ आपके लैपटॉप में कॉपी कर दी हैं।”

फिर मैंने उसको अपने लैपटॉप स्क्रीन पर देखने को कहा। तब रुखसाना बोली, “प्लीज़ वो (मेरी बीवी) आ रही है, लैपटॉप को बंद कर दीजिये।”

मैंने उसकी लैपटॉप की धूल एयर स्प्रे से साफ़ कर दी और वो अपना लैपटॉप लेके चली गयी। लेकिन उसके जाने से पहले मैंने उसको धीरे से कहा कि, “क्या हम लोग अपने संग्रह की अदला-बदली कर सकते हैं? मुझको कहानियाँ चाहिये और मैं आपको क्लिप और तसवीरें दुँगा।” वो कुछ बोली नहीं और चली गयी। उसके बाद हमारे घर पर करीब एक हफ़्ते तक नहीं आयी।

एक हफ़्ते के बाद वो हमारे घर पर आयी। मैंने दरवाजा खोला, लेकिन वो मुझसे बिना नज़रें मिलाय अंदर चली गयी और मेरी बीवी के पास बैठ कर उससे बातें करने लगी। कुछ देर के बाद मेरी बीवी मेरे कमरे में आयी और बोली, “रुखसाना कह रही है कि उसको वी-जी-ए ड्राईवर की फाइल चाहिये और उसने अपनी एक पेन-ड्राईव दी है फाइल कॉपी कर के देने के लिये!” मेरी बीवी ने मुझे एक पेन-ड्राईव दी।

मैं फौरन बात समझ गया और बोला, “उसको रुकने के लिये बोलो और मैं अभी फाइल कॉपी कर देता हूँ।”

जैसे ही मेरी बीवी बाहर गयी, मैंने पेन-ड्राईव को अपने कम्प्यूटर से खोला और पाया की उसमें कुछ देसी वेबसाइट्स की कहानियाँ हैं। मैंने उन कहानियों को अपने कम्प्यूटर पर कॉपी कर लिया और अपने कम्प्यूटर से कुछ क्लिप और तसवीरों की फाइल रुखसाना की पेन-ड्राईव पर भी कॉपी कर दी। उसके बाद मैंने एक टेक्स्ट फाइल उसकी पेन-ड्राईव में बना कर लिखा, “धन्यवाद, मैंने आपकी कहानियाँ पढ़ीं। कहानियाँ बहुत ही अच्छी और सैक्सी थी। आपको क्लिप कैसी लगीं?”

फिर मैं उसके पास गया और उसको पेन-ड्राईव दे दी। उसने मेरी तरफ ना देखते हुए मुस्कुरा कर मेरे से अपनी पेन-ड्राईव ले ली। इसके बाद बहुत दिनों तक वो हमारे घर पर नहीं आयी। मेरी बीवी ने मुझसे कहा, “रुखसाना को फ़्लू हो गया है और वो छुट्टी पर है।”

फिर एक दिन सुबह फोन पर मेरी ससुराल में किसी के मरने की खबर मिली। ऑफिस में काम की वजह से मुझको छुट्टी नहीं मिल सकी तो हम लोगों ने यह तय किया कि मेरी बीवी हमारे बच्चों के साथ अपने मायके चली जायेगी। मैं उसी सुबह बीवी और बच्चों को एयरपोर्ट छोड़ने चला गया और उनके जाने के बाद मैं घर वापस आ गया। हम लोगों को सुबह-सुबह जाते समय रुखसाना ने देख लिया था और जैसे ही मैं घर वापस आया वो हमारे घर पर पूछताछ करने आ गयी।

मैंने दरवाजा खोला और मुझको देखते ही वो शर्मा गयी। वोह काफी सज-धज कर आयी थी। मैंने उसको हेलो बोल कर अंदर आने के लिये कहा। अपने खाली घर में रुखसाना को अकेली देख कर मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होना शुरू हो गया। रुखसाना ने मेरी बीवी के बारे में पूछा तो मैंने उसको सारी बात बता दी। मेरी बात सुन कर और यह जान कर कि मेरी बीवी घर पर नहीं है, वो मुझसे बोली, “मैं फिर आऊँगी।” फिर उसने मुझको एक पेन-ड्राईव दी और बाहर जाने के लिये मुड़ी।

“सुनिये, मैं इस पेन-ड्राईव से आपकी फाइल अभी कॉपी कर लेता हूँ और आपको भी अपने लैपटॉप से कुछ फाइल कॉपी कर देता हूँ,” मैंने उससे कहा।

“मैं बाद में ले लुँगी” उसने कहा।

मैं यह मौका चूकना नहीं चाहता था और उससे पूछा, “आप मुझसे डरती हैं क्या?”

“न. न. नहीं, असल में मुझे घर में कुछ काम करना है!” उसने कहा।

अब तक सुबह के साढ़े दस बज चुके थे और मुझको पता था कि उसका पति और बच्चा अपने-अपने ऑफिस और कॉलेज जा चूके हैं।

“मुझे मालूम है कि घर पर कोई काम नहीं है और आप मुझसे डर रही हैं,” मैंने उससे कहा लेकिन उसने कोई उत्तर नहीं दिया और मुझसे नज़रें चुराने लगी।

“आपके आने के पहले मैं चाय बना रहा था। चलिये हम लोग साथ बैठ कर चाय पीते हैं और मैं फाइलें कॉपी कर लेता हूँ,” और उसके कुछ कहने के पहले मैंने घर का दरवाजा बंद कर दिया और उससे कहा, “आइये बैठिये, हम मिल कर चाय पीते हैं।”

अब तक मैं यह समझ गया था कि उसको मेरे साथ रहना पसंद है। मैं रुखसाना को हमारे कमरे में लाया और अपने लैपटॉप को चालू कर दिया। मैंने उसकी पेन-ड्राईव को अपने लैपटॉप में डाला और उसमें से कहानियाँ कॉपी करने लगा। मैंने उसको एक कुर्सी दी और बैठने के लिये कहा। वो कुर्सी पर बैठ गयी। मैंने अपने लैपटॉप पर नंगी क्लिप्स का अपना संग्रह खोला और उससे कहा, “मैं चाय लाने जा रहा हूँ, तब तक आप अपनी पसंद की फाइलें अपनी पेन-ड्राईव में कॉपी कर लिजिए।”

उसने शर्मा कर अपना सिर हिला कर अपनी सहमती जतायी। मैं कमरे से बाहर निकल कर रसोई में गया और दो कप चाय बनाने लगा। जब मैं चाय बना कर वापस आया तो वो मेरे लैपटॉप से नंगी क्लिप्स कॉपी कर रही थी और लैपटॉप स्क्रीन पर एक क्लिप चालू थी जिसमें एक औरत कईं मर्दों से एक साथ चुदवा रही थी।। उसने जब मुझको देखा तो जल्दी से क्लिप बंद करना चाहा। जल्द्बाज़ी में क्लिप बंद नहीं हुईं।

वो घबरा गयी और शरम के मारे नज़रें झुका लीं। मैंने आगे बढ़ कर चाय मेज पर रखी और उसके कँधों को पकड़ कर उसको कुर्सी से उठाया। वो जोर लगा कर मेरा हाथ हटाना चाहती थी, लेकिन मैंने भी जोर लगा कर उसको कुर्सी से उठा लिया। वो मेरे सामने नज़रें झुकाये खड़ी हो गयी। मैं उसको खींच कर अपने पास ले आया और उसको अपनी बाँहों में भर कर जकड़ लिया। उसका शरीर काँप रहा था और उसकी साँसें उखड़ रही थी। मैंने उसकी गर्दन और कान के पीछे चुम्मा दिया और उसके कान पर मुँह लगा कर धीरे से कहा, “रुखसाना तुम बहुत ही सुंदर हो। क्या तुम्हें मालूम है कि मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ? तुम मेरे सपनों में हमेशा आती हो और तुम ही मेरे सपनों की रानी हो, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।”

इसके साथ मैंने उसके कान को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया और वो मेरी बाँहों में खड़ी-खड़ी काँप रही थी। मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों से ऊपर किया। वो बहुत शर्मा रही थी और उसकी आँखें बंद थीं और उसके होंठ आधे खुले थे।

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और उसको फिर से अपनी बाँहों में भर कर भींच लिया। उसने अपने चेहरे से अपने हाथों को हटा कर मुझे जकड़ लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने अपना दाँया हाथ उसके चूत्तड़ों पर ले जा कर उसको अपने और पास खींच लिया। मेरा लंड अब तक पूरी तरह से तन्ना गया था और उसकी जाँघों के अंदर घुसना चाह रहा था। उसने मेरी जीभ को अपने दाँतों तले हल्का सा काट लिया और अपने होंठ मेरे होंठों से हटा कर मेरी गरदन पर रखे और वहाँ हल्के से दाँत गड़ कर काँपती हुई आवाज में बोली, “अगर तुम्हारी बीवी को यह बात पता चल गयी तो?”

मैं उसके गालों को चूमते हुए बोला, “हम लोग यह बात किसी से भी नहीं कहेंगे, रुखसाना मैं तुमको कब से प्यार करना चाहता हूँ।”

मैंने अब फिर से उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी और वो मेरी जीभ को चूसने लगी। थोड़ी देर मेरी जीभ को चूसने के बाद वो मुझसे बोली, “हाँ, मैं भी तुमको कईं दिनों से चाहने लगी हूँ।”

“तुम मुझसे क्यों डरती हो” मैंने उससे पूछा।

“नहीं तो…!” उसने उत्तर दिया।

मैंने अपना दाँया हाथ उसकी चूंची पर रखते हुए कहा, “मुझे मालूम है, तुम मुझसे क्यों डरती हो। तुम्हें डर इस बात का है मैं तुम्हें चोद दुँगा।” मैंने कुछ चुप रहने के बाद उससे कहा, “क्या मैं सही बोल रहा हूँ?”

वो एक लम्बी साँस लेने के बाद अपना सिर हिला कर हाँ बोली।

“क्या मैं तुम्हें चोद सकता हूँ?” मैंने उससे कहा और उसकी चूंची को जोर से दबा दिया।

वो एक आह भरते हुए मुझसे बोली, “नहीं ये जायज़ नहीं है।”

मैंने उसकी चूंची और जोर से दबा कर पूछा, “क्यों? क्यों जायज़ नहीं है?”

रुखसाना ने तब मेरे कान को अपने मुँह में लिया और हल्का दाँत लगाया और धीरे से बोली, “जरा धीरे से दबाओ, मुझको दर्द हो रहा है।”

“क्यों जायज़ नहीं है?” मैंने फिर से पूछा।

“क्योंकि हम दोनों ही शादीशुदा हैं!” वो अपनी सैक्सी आवाज में मुझसे बोली। मैंने अपना हाथ उसके कमीज़ में डाल कर उसकी चूंची को पकड़ कर मसलना शुरू किया। उसकी चूंची बहुत सख्त थी और उसके निप्पल खड़े थे।

“हाय मेरी जान! प्यार करने वाले शादी के बिना भी चुदाई कर सकते हैं,” मैंने उसकी चूंची मसलते हुए कहा।

“लेकिन ये गुनाह है,” उसने उत्तर दिया।

मैंने उसके निप्पल अपनी अँगुली के बीच ले कर मसलते हुए कहा, “ये गुनाह करने में बहुत मज़ा है, मेरी जान. प्लीज़ मुझे चोदने दो। प्लीज़ चोदने दो ना,” और मैं उसकी चूंची को कस कर दबाते हुए उसके होठों को पागलों की तरह चूमने लगा।

उसने कोई उत्तर देने की बजाय मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी। मैंने उसकी जीभ को थोड़ी देर के लिये चूसा और फिर कहा, “रुखसाना मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर देखो कि वो कैसे तुम्हारी चूत में घुसने के लिये पागल हो रहा है” और इतना कहने के बाद मैंने अपनी पैंट उतार दी।

पहले तो रुखसाना कुछ सकपकायी लेकिन थोड़ी देर के बाद उसने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। उसने जैसे ही मेरा लंड अपने हाथों से पकड़ा, उसकी कँपकँपी छूट गयी और मुझे अपने दूसरे हाथ से बाँधते हुए बोली, “यह तो बहुत ही लंबा और मोटा लंड है। मैंने अब तक इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा है।” वो मेरा लंड एक हाथ से पकड़ कर मरोड़ने लगी और फिर धीरे से बोली, “मेरी चूत भी इस लंड की लिये बेकरार है। अब जल्दी से मुझे चोदो।”

फिर उसने मेरे लंड पर से अपना हाथ हटा कर मेरा शर्ट उतारना शुरू कर दिया। मैंने उसको मेरी शर्ट उतारने में मदद की। फिर उसने मेरी पैंट और अंडरवीयर भी उतार कर मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया। तब मैंने उसकी कमीज़ और ब्रा उतार दी और उसकी चूंची को नंगी कर दिया। फिर मैंने उसकी सलवार और पैंटी भी उतार दी। अब वो भी मेरे सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी। उसने सिर्फ अपने गले में नेकलेस और पैरों में हाई हील के सैंडल पहने हुए थे।

उसने मेरे लंड को फिर से अपने हाथों से पकड़ लिया और मेरा लंड अपनी चूत की तरफ खींचने लगी। मैं भी अब उसकी चूत को अपने हाथों से मसलने लगा। उसकी चूत एक दम साफ थी और इस समय उसकी चूत में से हल्का-हल्का लसलसा-सा पानी निकल रहा था। मैंने उसकी चूत में अपनी दो अँगुली एक साथ डाल दीं और अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगा।

मेरी अँगुली की चुदाई से वो बहुत ही गरमा गयी और बड़बड़ाने लगी, “हाय, मेरे सनम, मेरी चूत को तुम्हारे लंड की जरूरत है। तुम अपनी अँगुली मेरी चूत से हटा कर उसमें अपना लंड घुसेड़ दो और मेरी चूत को अपने लंड से भर दो। मैं चुदास के मारे मारी जा रही हूँ। जल्दी से मुझको बिस्तर पर डालो. मेरे पैरों को अपने कँधों पर रख कर मेरी चूत की चुदाई कर दो। जल्दी से मुझको अपना लंड खिलाओ और रगड़ कर चोदो मुझे।”

मैंने उसके चूत्तड़ों पर हाथ रख कर उसको अपनी बाँहों में उठा लिया और उसको बिस्तर पर डाल दिया। बिस्तर पर डालने के बाद मैंने उसकी एक चूंची को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू किया और दूसरी चूंची को अपने हाथों से मसलने लगा। रुखसाना तब मेरे चेहरे को अपने हाथों से अपने चूंची पर दबाने लगी। मैं करीब दस-पंद्रह मिनट तक उसकी चूंची चूसता रहा और इस दौरान रुखसाना मुझसे अपनी चूत में लंड डालने को कहती रही।

फिर मैं धीरे-धीरे उसका पेट चाटते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। रुखसाना ने अपनी चूत पर मेरा मुँह लगते ही अपनी टाँगों को फ़ैला कर अपने हाथों से मेरा सिर पकड़ लिया। मैं उसकी चूत का चुम्मा लेने लगा। फिर मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा कर उसकी चूत चूसने लगा। उसकी चूत के अंदर मेरी जीभ घुसते ही उसने मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा लिया और अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी चूत मुझसे चुसवाने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद वो मुझसे बोली, “जल्दी से तुम सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेटो, मुझको भी तुम्हारा लंड चूसना है।”

यह सुन कर मैंने उससे कहा, “यह तो बहुत ही अच्छी बात है. लो मैं अभी तुमको अपना लंड चूसने के लिये देता हूँ,” और मैं तुरंत ही सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में उसके ऊपर लेट गया।

अब मेरी आँखों के सामने उसकी चमकती हुई चूत बिल्कुल खुली हुई थी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर तक घुसेड़ दी और उसकी चूत से निकल रहे मीठे-मीठे रस को चूस-चूस कर पीने लगा। उधर रुखसाना भी मेरे लंड को अपने रसीले होंठों में भर कर चूस रही थी। मैंने अपनी कमर को हिला कर अपना पूरा का पूरा खड़ा लंड उसके मुँह में घुसेड़ दिया। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अंदर और बाहर से चाटा और चूसा। चूत चुसाई से उसकी चूत दो बार रस छोड़ चुकी थे जिसको मैंने बड़े ही चाव से चाट चाट कर पिया। इस समय रुखसाना एक खेली खायी रंडी की तरह से मेरा लंड अपने मुँह में भर कर चूस रही थी और मैं भी अपनी कमर हिला कर अपना लंड उसको चुसवा रहा था।

हम लोग इसी तरह काफी देर तक एक दूसरे का लंड और चूत चूसते रहे। फिर मुझे लगा कि मेरा अपना रस छूटने वाला है और यह बात मैंने रुखसाना से बतायी और कहा, “मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दो।”

लेकिन उसने मेरे चूत्तड़ों को जोर से पकड़ लिया और मेरा लंड अपने दाँतों से हल्के हल्के काटने लगी। इस से मेरी गर्मी और बढ़ गयी मेरे लंड ने उसके मुँह के अंदर उल्टी कर दी और उसके मुँह को अपने पानी से भर दिया। वो मेरा लंड अपने मुँह में ही रखे रही और लंड का सारा पानी पी गयी और मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट-चाट कर साफ़ भी कर दिया।

उसकी इस जबरदस्त चुसाई से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। तब उसने मुझको उठने के लिये कहा और मैं उठ कर उसके पैरों के बीच बैठ गया। वो भी उठ गयी और मेरा लंड पकड़ कर बोली, “अब मैं और नहीं रुक सकती। जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो और मेरी चूत को अपने लंड के धक्कों से फाड़ दो।”

मैंने उसकी टाँगों को उठा कर अपने कँधों पर रख लिया और उसकी चूत के दरवाजे पर अपना लंड टिका दिया। उसकी चूत इस वक्त बहुत ही गीली और गरम थी। मैं उसकी चूत के दरवाजे पर लंड रखके उसके ऊपर लेट गया और उसकी एक चूंची को पकड़ कर उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। रुखसाना मुझको अपने चारों हाथ-पैर से जकड़ कर अपने चूत्तड़ उछालने लगी। मैंने उसकी चूत में अपना लंड एक ही झटके से डाल दिया।

उसने मेरे गालों को काट लिया और चिल्ला कर बोली, “ऊईईईईईई हाय बहनचोद तूने मेरी चूत फाड़ दी हाय।” उसकी चूत बिल्कुल कुँवारी लड़की की तरह तंग थी। उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर रख दीं। मैं उसकी चूंची को सहलाने लगा और कभी-कभी उसके निप्पल अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। रुखसाना चुपचाप पड़ी रही और थोड़ी देर के बाद अपनी सैक्सी आवाज में बोली, “ऊईईईई, उफफ कितना मोटा लंड है. ऐसा लगता है कि गधे का लंड हो।”

मैंने कहा, “गधे का लंड इतना छोटा नहीं होता. तुम्हारी चूत ज़्यादा तंग है इसलिये तुम्हें मेरा लंड मोटा लग रहा है,” और मैं अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा।

रुखसाना मेरे चुदाई शुरू करते ही बोली, “ओह जानू. अभी नहीं हिलो. मुझे दर्द हो रहा है. पहले मेरी चूत को अपने लंड से दोस्ती कर लेने दो. ज़रा दर्द कम हो तो फिर इस को चोदना।”

थोड़ी देर के बाद रुखसाना मुझे चुम कर फिर बोली, “ओह मेरी जान, मुझे तुम्हारा लंड बेहद पसंद आया। मुझे अब तक इतने मोटे, लंबे और सैक्सी लंड से चुदवाने का मौका नहीं मिला। बस अब तुम मुझको जोरदार धक्के मार-मार कर खूब चोदो। अब ये चूत तुम्हारी है. इसको जैसे चाहो अपना लंड पेल-पेल कर चोदते रहो।”

मैं रुखसाना की बात मानते हुए उसकी चूत में लंड दनादन पेलता रहा और अपने दोनों हाथों से उसकी चूंची मसलता रहा। मैं इस समय रुखसाना की चूत एक पागल कुत्ते की तरह चोद रहा था।

शुरू के दस मिनट तक रुखसाना मुझे चोदने में पूरा साथ देती रही पर बाद में मेरे कँधों पर पैर रख कर आँखें बंद करके चुपचप लेट गयी। उसकी सैंडल के बकल मेरी गर्दन पर खरोंच रहे थे। थोड़ी देर के बाद मैं जब झड़ने को हुआ तो मैंने अपनी कमर चलाना बंद कर दी और उससे कहा, “मैं अब अपना लंड निकाल कर तुम्हारे पेट के ऊपर झड़ने वाला हूँ।”

रुखसाना ने मेरी बात सुनते ही मुझे और जोर से अपने हाथों से बाँध लिया और बोली, “खबरदार, अपना लंड मत निकालना। तुम मेरी चूत के अंदर ही अपना पानी छोड़ो। मैं रोज़ पिल्स लेती हूँ। तुम अपने पानी से मेरी चूत को भर दो। मुझे तुम्हारे पानी से अपनी चूत भरनी है।”

मैंने उसकी बातों को सुन कर चोदने की स्पीड फिर से तेज कर दी और उसकी चूत में अपना लंड जल्दी-जल्दी से अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने रुखसाना की चूत के अंदर पिचकारी छोड़ दी और उसकी चूत मेरे पानी से भरने लगी।

रुखसाना भी मेरे झड़ने के साथ साथ झड़ गयी। वो अपनी चूत सिकोड़-सिकोड़ कर मेरे लंड का पानी निचोड़ने लगी। थोड़ी देर मैं अपना लंड रुखसाना की चूत से बिना निकाले उसके उपर लेटा रहा और रुखसाना को फिर से चूमने लगा और हाथों से उसकी चूंची को दबाने लगा। कुछ देर के बाद मैं रुखसाना की एक चूंची अपने मुँह में भर कर चूसने लगा।

करीब दस मिनट के बाद रुखसाना फिर से मुझको अपने हाथों से बाँध कर मुझको चूमने लगी और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद मेरे कान पर अपने दाँत से हल्के-हल्के काटने लगी। फिर वोह मुझसे बोली, “हाय मेरे चोदू सनम, आज तक किसी ने चुदाई में मुझे इस तरह खुश नहीं किया है। मुझे तुम्हारा चुदाई का औजार और तुम्हारा चुदाई का तरीका बेहद पसंद आया और सबसे अच्छी बात चुदाई के दौरान गंदी-गंदी बात करना अच्छा लगा। चूत मरवाते वक्त मुझे गंदी-गंदी बात सुनने और गंदी-गंदी बात करने में बहुत मज़ा आता है. लेकिन मेरा शौहर इमरान कभी भी मुझे चोदते समय गंदी-गंदी बात नहीं करता है। वो तो बस सोने के पहले लाईट ऑफ करके मेरी नाईटी उठा कर मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल कर दस-पंद्रह धक्के मारता है और झड़ जाता है। मैं तब तक गरम भी नहीं होती हूँ। फिर रात भर वो मेरी तरफ अपनी गाँड करके सोता रहता है और मैं अपनी अँगुली से अपनी चूत का पानी निकालती हूँ।”

मैंने तब रुखसाना की चूंची को मसलते हुए कहा, “तुम भी तो चुदाई के दौरान खूब गंदी-गंदी बात करती हो और यह मुझे बहुत पसंद आया. अपने हसबैंड के अलावा और कितने लंड लिये हैं तुमने अपनी चूत में. काफी खेली-खायी लगती हो तुम।”

“मुझे मौका ही कहाँ मिलता है. . शादी से पहले तो मैं कॉलेज में खूब चुदवाती थी पर शादी के बाद से तो बस कभी कभार ही किसी और से चुदवाने का मौका मिलता है. पर जब भी बगैर खतरा उठाये चुदवाने का मौका मिलता है मैं छोड़ती नहीं हूँ।” यह कहकर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैंने उसकी जीभ चूसते हुए उसके मुँह में अपना थूक डाल दिया। इसके साथ मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और वो रुखसाना की चूत में उछलने लगा।

फिर रुखसाना ने अपनी सैक्सी आवाज में मुझसे पूछा, “क्या तुम मुझसे और गंदी बातें सुनना चाहोगे?”

मैंने उसकी चूंची को जोर से मसलते हुए कहा, “क्यों नहीं, जरूर। चलो शुरू हो जाओ गंदी-गंदी बात करना।”

तब रुखसाना मेरे सीने में अपना मुँह छिपाती हुई बोली, “आज तुम मेरी गाँड मारो। मैं तुम्हारा लंबा और मोटा लंड अपनी गाँड को खिलाना चाहती हूँ। मुझे तुम्हारा लौड़ा अपनी गाँड के अंदर लेना है।”

मैं उसकी बात सुन कर बहुत उत्तेजित हो गया और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर उछलना शुरू हो गया। मैंने उसके होठों को चूमते हुए उससे कहा, “हाँ, मुझे भी औरतों की गाँड में लंड पेलने में मजा आता है। मुझे तुम्हारी मोटी-मोटी गाँड के अंदर लंड डाल कर चोदने में बहुत मज़ा आयेगा।”

फिर रुखसाना बोली, “मैंने कईं दफा अपने हसबैंड से मेरी गाँड मारने के लिये कहा, मगर मेरा हसबैंड मेरी गाँड नहीं मारना चाहता है। उसको बस मेरी चूत के अंदर लंड पेलने में ही मज़ा आता है।” वो आगे बोली, “मेरी बहुत सी सहेलियों को भी गाँड मरवाने का शौक है लेकिन उनके शौहर भी उनकी गाँड नहीं चोदते।”

मैंने तब अपना लंड रुखसाना की चूत से निकाला। मेरा लंड इस समय रुखसाना की चूत के रस से सना हुआ था और इस लिये वो चमक रहा था। रुखसाना ने मेरे लंड को देखते ही उसे अपने मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगी। जब तक रुखसाना मेरा लंड चूस रही थी मैं अपनी एक अँगुली से उसकी गाँड खोदता रहा।

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद रुखसाना कुत्तिया की तरह पलंग पर अपने हाथों और घुटनों के बल झुक गयी और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ों की फाँक को खींच कर अपनी गाँड मेरे सामने खोल दी। फिर वोह मुझसे अपने लंड को उसके मुँह के सामने लाने के लिये बोली। मैंने जैसे ही अपना लंड रुखसाना के मुँह के सामने किया तो रुखसाना ने उस पर अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाल कर मेरे लौड़े पर अच्छी तरह से लगाया। मेरा लंड तो पहले से ही उसकी चूत के पानी से लसलसा रहा था। तब रुखसाना मुझसे बोली, “आओ मेरी चूत के सरताज़, अब तक तुमने मेरी चूत का लुत्फ़ लिया अब तुम मेरी गाँड मार कर मुझे गाँड से लंड खाने का मज़ा दो। आज मेरी बहुत दिनों की गाँड चुदवाने की तमन्ना पूरी होने जा रही है। अगर तुमने मेरी गाँड मार कर मुझे खुश कर दिया तो मैं अपनी और सहेलियों की चूत और गाँड तुमसे चुदवाऊँगी। मेरी बहुत सी सहेलियाँ शादी के पहले से गाँड मरवा कर गाँडू बन गयी हैं। चलो अब तुम पहले मेरी गाँड चोदो, सहेलियों की बात बाद में होगी।”

रुखसाना की इन सब बातों से मैं बहुत उत्तेजित हो गया और उसके पीछे अपना खड़ा लंड ले कर बैठ गया। रुखसाना ने अपना चेहरा तकिये में छिपा लिया और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ पकड़ कर मेरे सामने अपनी गाँड का छेद पूरी तरह से खोल दिया। मैंने उसकी गाँड के छेद पर अपने मुँह से थोड़ा थूक लगाया और अपने लंड को उसकी गाँड के छेद पर रख कर रगड़ने लगा। रुखसाना मेरी तरफ अपना चेहरा घुमा कर बोली, “देखो, अपनी शादी के बाद से आज मैं मैंने इतने सालों में पहली बार अपनी गाँड को लंड खिला रही हूँ। मेरी गाँड काफी टाईट है. इसलिये पहले बहुत धीरे-धीरे मेरी गाँड मारना. नहीं तो मेरी गाँड फट जायेगी और मुझको बहुत दर्द होगा।”

करीब पाँच मिनट तक रगड़ने के बाद मैंने अपना लंड रुखसाना की गाँड के छेद में घुसेड़ना चाहा, लेकिन उसकी गाँड काफी टाईट थी और मुझको अपना लंड घुसेड़ने में काफी तकलीफ महसूस होने लगी। फिर मैंने अपने दाहिने हाथ से अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर लगा कर अपने बाँये हाथ से उसके एक निप्पल को जोर से मसल दिया। निप्पल मसले जाने से रुखसाना जोर से चींखी “ऊऊई” और उसने अपनी गाँड को ढील छोड़ दिया और मैंने अपने लंड क सुपाड़ा एक जोरदार धक्के से उसकी गाँड के छेद के अंदर घुसेड़ दिया। रुखसाना ने अपनी गाँड को फिर से टाईट करना चाही, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रुखसाना बोली, “नो. नहींईंईं. प्लीज़।”

चूँकि रुखसाना की गाँड और मेरा लंड थूक से बहुत चीकना हो गया था, मेरा सुपाड़ा उसकी गाँड में धँस चुका था और मैंने उसकी दोनों चूंची कस कर पकड़ कर एक धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड उसकी कसी हुई गाँड के अंदर उतार दिया। मेरा पूरा का पूरा लंड रुखसाना की गाँड में एक झटके के साथ घुस गया। रुखसाना जोर से चींखी, “ऊऊऊईईईईईई ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई अल्लाहहह! मैं मर गयी। ऊईई मेरी गाँड फट गयी ऊऊऊऊ हाय अल्लाहहह ओई मेरी गाँड फट गयी। प्लीज़ बाहर निकाल लो।”

रुखसाना इतनी जोर से चींखी थी कि मुझको डर लगने लगा कि कोई सुन ना ले। मैंने उसके मुँह पर हाथ रखना चाहा, लेकिन रुखसाना ने अपना मुँह तकिये में घुसा दिया। वो अब भी मारे दर्द से सुबक रही थी और बोल रही थी, “मेरी गाँड फाड़ दी, ऊईई मेरी गाँड फट गयी, बाहर निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।”

मैं उसकी चूंचियों को फिर से अपने हाथों से पकड़ कर मसलने लगा। रुखसाना फिर मुझसे बोली, “प्लीज़ बाहर निकालो वरना मैं मर जाऊँगी।”

मैंने उसकी चूंचियों को थोड़ा जोर दे कर दबाया और उससे कहा, “मैं तुम्हें मरने नहीं दुँगा, बस थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा।”

रुखसाना अपना बाँया हाथ अपनी गाँड पर लायी और मेरे लौड़े को छू कर बोली, “उफफ ये बेहद मोटा है, इसने मेरी गाँड फाड़ दी… हाय।”

मैंने उसकी चूंचियों को और थोड़ा जोर देकर मसला और पूछा, “क्या बहुत मोटा है?”

रुखसाना बोली, “यह जैसे तुमने मेरे अंदर मूसल डाल दिया है।”

मैंने फिर से पूछा, “यह क्या है, इस को क्या कहते हैं?”

रुखसाना मेरे आँडों को छूते हुए बोली, “मुझे नहीं पता, तुम्हें पता होगा।”

मैंने अपना लंड उसकी गाँड में और अंदर तक धँसाते हुए कहा, “तुम्हें पता है… थोड़ी देर पहले तो खुल कर इसका नाम ले रही थी और अब क्यों नखरा कर रही है?”

“ओह नहीं बिल्कुल मत हिलो, नहीं. मुझे दर्द हो रहा है. बस आराम से अंदर डाल कर पड़े रहो।”

मैंने फिर से रुखसाना से कहा, “पहले इसका नाम ले कर बोलो जैसे चूत चुदाई के वक्त बोल रही थी!”

रुखसाना मेरे आँडों को अपने हाथों से दबाती हुई बोली, “तुम बहुत बेहया हो, मुझसे गंदी बातें करवाना चाहते हो।”

मैंने कहा, “हाँ मैं तुमसे गंदी बातें करना चाहता हूँ, तुम ही तो कह रही थीं कि तुम्हें गंदी बातें करना और सुनना अच्छा लगता है. तो फिर बेशर्म हो जाओ और खुल कर गंदी बातें करो।”

रुखसाना ने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया और अपने दाँये हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी। उसने मेरे कान पर चुम्मा दिया और मेरे कान मैं फुसफुसा कर बोली, “साले तेरा इतना मोटा लंड अपनी गाँड में ले कर बेहया बनी हुई तो हूँ, और क्या चाहता है तू।”

वोह फिर से मेरे लंड को छू कर बोली, “तेरा लंड बेहद मोटा ओर लंबा है, इमरान का इतना बड़ा नहीं है।”

उसके मुँह से गंदी बातें सुन कर मैं बहुत गरम हो गया और उसकी गाँड में अपना लंड धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। रुखसाना की गाँड इतनी टाईट थी कि लंड को अंदर-बाहर करने में काफी जोर लगाना पड़ रहा था।

रुखसाना फिर चींखी और बोली, “ननन नहीं प्लीज़ हिलना नहीं, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, अभी ऐसे ही रहो. जब मेरी गाँड की तुम्हारे लंड से दोस्ती हो जाये तो फिर हिलना।”

मैंने अपना हाथ उसके पेट के नीचे ले जा कर उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी। फिर थोड़ी देर के बाद मैं रुखसाना की गाँड धीरे-धीरे चोदने की कोशिश करने लगा। वो चिल्ला रही थी, “ऊऊऊईईईईईई. . . नहीं मैं मर जाऊँगी। मेरी गाँड फट जायेगी, प्लीज़ अभी अपने लंड को नहीं हिलाओ!”

लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और उसकी गाँड जोर जोर से चोदने लगा। रुखसाना मुझको गाली देने लगी, “भोँसड़ी के, बहनचोद, गैर औरत की गाँड मुफ्त में मारने को मिल गयी है. इसलिये मेरी गाँड फाड़ रहा है!”

मैं उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए उसकी गाँड में अपना लंड पेल-पेल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद रुखसाना को भी मज़ा आने लगा और अपनी गाँड मेरे लंड के धक्कों के साथ आगे पीछे करने लगी। थोड़ी देर उसकी गाँड चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा वीर्य छूटने वाला है। मैंने उसके चूत्तड़ पकड़ कर अपने और पास खींचते हुए कहा, “ओह जानू, मैं अब छूटने वाला हूँ।”

तब रुखसाना अपनी कमर को मेरे और पास ला कर लंड को अपनी गाँड के और अंदर लेती हुई बोली, “अब मज़ा आ रहा है, अपने लंड को मेरी गाँड के अंदर छूटने दो और मेरी गाँड को अपने लंड की मलाई से भर दो!”

इसके साथ ही मैंने दो चार और तेज़-तेज़ धक्के मार कर उसकी गाँड के अंदर अपने लंड की पिचकारी छोड़ दी। रुखसाना ने भी मेरे झड़ने के साथ ही अपनी चूत का पानी छोड़ दिया। मैं थोड़ी देर तक उसकी पीठ के ऊपर पड़ा रहा और फिर उसकी गाँड में से अपना लंड निकाला। मेरा लंड उसकी गाँड में से “पुच” की आवाज से बाहर निकल आया। रुखसाना जल्दी से उठ कर बाथरूम की तरफ़ अपनी सैंडल खटपटाती हुई भागी और थोड़ी देर के बाद मैं भी बाथरूम में चला गया। रुखसाना मेरे लंड को देखती हुई बोली, “देखो साला मेरी गाँड मार के कैसे मरे चूहे जैसा हो गया है।”

मैंने कहा, “कोई बात नहीं. मैं इस को फिर तैयार कर लेता हूँ।”

अब तक मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। रुखसाना मेरे पास आयी और मुझको अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे होठों पर चुम्मा दे कर बोली, “मैं तुम्हें बताती हूँ की मैं कितनी बेहया और गंदी हूँ!”

फिर मुझको मेरे कँधों से पकड़ कर मुझको कमोड पर बैठने के लिये बोली। मैं उसकी बात मानते हुए कमोड पर बैठ गया। रुखसाना तब मेरी जाँघों पर मेरी तरफ मुँह कर के बैठ गयी। मेरा लंड इस समय उसकी चूत के छेद पर अपना सिर मार रहा था। उसने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे मुँह को चूमते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी और मेरे लंड पर पेशाब करने लगी। मुझको रुखसाना का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। उसके गरम-गरम पेशाब से मेरा लंड धुल रहा था। हम लोग इसी तरह कमोड पर बैठे रहे और जब रुखसाना का पेशाब पूरा हो गया तो वो बोली, “मैंने तुम्हारा लंड गंदा किया था और अब मैंने इसको धो दिया है।”

मैंने उसको चूमते हुए कहा, “तुम वाकय बहुत बेशर्म हो।”

उसने उत्तर दिया, “तुमने बना दिया है।”

मैंने तब रुखसाना से कहा, “उठो और अब तुम घोड़ी बनो. मैं अपने लंड से तुम्हारी गाँड धोता हूँ।”

रुखसाना तब उत्तेजित होकर बोली, “हाँ, बेहद मज़ा आयेगा. पर पहले मैं तुम्हारे लंड को सुखा तो दूँ!”

हम दोनों खड़े हो गये और रुख़साना झट से झुक कर मेरा लंड पकड़ कर अपनी जीभ उस पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगी। मेरे लंड से अपना पेशाब चाटने के बाद वो घोड़ी बन कर कमोड पकड़ के अपनी गाँड ऊपर कर के खड़ी हो गयी। मैंने उसके चूत्तड़ों की फाँकों को अलग करते हुए अपना लंड उसकी गाँड के छेद के सामने रखा। अपना लंड उसकी गाँड के सामने रखते हुए मैंने अपनी पेशाब की धार उसकी गाँड के छेद पर मारनी शुरू कर दी। जैसे ही मेरा गरम-गरम पेशाब उसकी गाँड के छेद पर पड़ा, रुख़साना उत्तेजित हो कर बोली, “ओह जानू. बहुत मज़ा आ रहा है. मुझे आज से पहले चुदाने का इतना मज़ा नहीं आया। तुम भी मेरी तरह बेहद बेहया और गंदे हो, मुझे तुम्हारे जैसा मर्द ही चाहिये था जिस के साथ मैं भी इसी तरह खुल कर बेहयाई कर सकूँ।”

उसके बाद हम दोनों एक साथ शॉवर के नीचे खड़े हो कर नहाए। रुखसाना ने अभी भी अपने सैंडल पहने हुए थे। रुखसाना ने मुझे और मैंने रुख़साना को साबुन लगाया। फिर अपने अपने बदन तौलिये से पोंछ कर हम लोग बेडरूम में आ गये और फिर से एक दूसरे को चूमने-चाटने लगे। करीब दस मिनट तक एक दूसरे को चूमने और चाटने के बाद मैं उसकी चूंची पर अपना मुँह लगा कर फिर से उसकी चूंची पीने लगा।

मैं धीरे-धीरे रुखसाना के पेट को चूमते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। चूत पर मेरा मुँह लगते ही रुखसाना ने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर कसकर दबाने लगी। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा और चूसा। मेरे द्वारा चूत चटाई से रुखसाना बहुत गरम हो गयी और बैठे-बैठे ही अपनी कमर उचकाने लगी। फिर वो मेरा चेहरा अपने हाथों से पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी और बोली, “मेरी जान, हम लोगों का रिश्ता क्या है।”

मैंने उसकी चूंची को मसलते हुए कहा, “हम पड़ोसी हैं और तुम मेरी बीवी की सहेली हो… और आज से मेरी महबूबा हो।”

तब रुखसाना मेरे होठों को चूमते हुए बोली, “तुम मुझको भाभी-जान कह कर पुकारो। मुझे तुम्हारी भाभी बन कर चुदवाने में बेहद मजा मिलेगा। चलो मुझको भाभी-जान कह कर पुकारो और मुझे चोदो।”

उसकी यह बात सुन कर मैंने उसकी चूंची मसलते हुए कहा, “भाभी-जान तुम बहुत ही सैक्सी और चुदक्कड़ हो। तुम्हारी चूत बहुत ही गरम है और चुदास से भरी है। मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुसने के लिये खड़ा होकर झूम रहा है। भाभी-जान मुझको तुमसे प्यार हो गया है।”

मेरी बात सुन कर रुखसाना बिस्तर पे अपने चूत्तड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरे सामने चित हो अपने पैर फ़ैला कर लेट गयी। मैं उसकी चूंची को पकड़ कर उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी चूत की खुशबू बहुत ही अच्छी थी। करीब पाँच मिनट के बाद रुखसाना ने मेरे कँधों को पकड़ कर मुझको अपने ऊपर से उठाया और बोली, “तुम अपने पैर मेरी तरफ कर लो. मुझको तुम्हारा लंड चूसना है।”

हम लोग जल्दी से सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेट गये और अपना अपना काम शुरू कर दिया। रुखसाना बहुत अच्छी तरह से मज़े लेकर मेरा लंड चूस रही थी। हम लोग एक दूसरे के चूत और लंड करीब पाँच मिनट तक चूसते रहे। मैंने फिर रुखसाना को उसकी टाँगें फ़ैला कर लेटने को कहा और उसके पैर अपने कँधों पर रख लिये। मैंने उसकी टाँगों को और फ़ैला कर उसके घुटनों से उसकी टाँगों को मोड़ दिया।

अब रुखसाना की सैक्सी चूत मेरी आँखों के सामने खुली हुई थी। मैंने लंड पर थूक निकाल कर मला और लंड को रुखसाना की चूत पर रख कर एक ही धक्के के साथ उसकी चूत के अंदर कर दिया। इसके बाद मैं उसकी चूंचियों को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड पहले धीरे-धीरे और बाद में जोर-जोर से पेलने लगा। रुखसाना भी अब नीचे से अपनी कमर उछाल कर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी और मुझको अपनी बाँहों में भर कर चूम रही थी।

थोड़ी देर के बाद रुखसाना अपनी एक चूंची मेरे मुँह पे लगाती हुई बोली, “मेरे चोदू सनम. मेरी चूत की चुदाई के साथ-साथ मेरी चूंची भी पियो. इसमें बेहद मज़ा मिलेगा और मेरी चूत भी और गरम हो जायेगी।”

मैंने भी उसकी चूंची को चूसते हुए थोड़ी देर तक उसको चोदा और फिर रुक गया। मेरे रुकते ही रुखसाना ने मुझे चूमते हुए कहा, “शाबाश, तुम बहुत ही बेहतरीन तरीके से चोदते हो। मैं तुम्हें बहुत पहले से चाहती हूँ लकिन मैं तुमसे दूर रहती थी कि कहीं तुम्हारी बीवी को मेरे इरादों का पता न चल जाये।”

मैंने कहा, “तो फिर आज क्यों मेरा लंड अपनी चूत में लिया हुआ है।”

रुखसाना ने उत्तर दिया, “अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा था, मुझे इमरान से तसल्ली नहीं हो रही थी. वो ना तो तुम्हारी तरह मुझे चूदता है और ना ही वो मेरी चूत पे किस करता है और ना ही मेरी गाँड मारता है. मुझे गाँड मरवाने का बहुत शौक था. . साथ ही कईं दिनों से किसी और से चुदवाने का मौका भी नहीं मिला. करीब दो महीने पहले तक ऑफिस का एक चपड़ासी मुझे चोदता था पर वोह भी नौकरी छोड़ कर चला गया।”

उसने अपनी कमर को अब फिर से धीरे-धीरे चलाना शुरू किया और अपनी चूत से मेरा लंड पकड़ने की कोशिश करती हुई बोली, “मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं पहली दफा चुद रही हूँ. तुम बहुत मज़े के साथ चोदते हो. अब धीरे-धीरे मेरी चूत चोदो।”

मैं फिर से उसको धीरे-धीरे चोदने लगा और उससे बोला, “तुम भी मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो. मैं भी हर वक्त तुम्हें चोदने के बारे में सोचता रहता था. मुझे भी तुम्हारी चूत और गाँड ने बहुत मज़ा दिया है. मैंने पहली बार गाँड मारी है. तुम्हारी गाँड इतनी टाईट थी कि लग रहा था कि किस्सी कुँवारी लड़की की चूत हो।”

तब रुखसाना बोली, “तुम्हारा मोटा लंड और मेरी टाईट चूत हम दोनों को बेहद मज़ा दे रहे हैं. अब मैं बहुत गरम हो गयी हूँ. अब मेरी चूत जोर-जोर से चोदो।”
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