Update 01
मार्च का महीना था.... मैं अपनी रूपाली दीदी और मुन्नी के साथ उन के ससुराल से ऑटो में निकला.... 2 साल हो चुके थे मेरी दीदी की शादी के तब तक.... मुन्नी तो उस वक्त सिर्फ 6 महीने की थी.... शादी के बाद पहली बार मेरी रूपाली दीदी अपने मायके लौट रही थी... हम सब बेहद खुश थे... वैसे तो जीजाजी भी हमारे साथ आने वाले थे, पर उनके बिजनेस में कुछ प्रॉब्लम आ गई अचानक इसी कारण उन्होंने अपना प्लान कुछ दिनों के लिए टाल दिया था... दोपहर का समय था और मौसम भी बेहद खुशनुमा था.... बातों बातों में पता चला कि ऑटो वाला भी हमारे बगल के गांव का ही है... उसका नाम सुरेश है और वह तकरीबन 40 साल का होगा.. हम लोग बातचीत करते हुए चल रहे थे... सुरेश की बातचीत के अंदाज से मुझे लग रहा था कि वह बेहद अच्छा इंसान है.... मेरी रूपाली दीदी को वह मालकिन बोल के संबोधित कर रहा था...... और दीदी भी उसके साथ बड़े अच्छे से पेश आ रही थी.... वैसे भी मेरी दीदी का नेचर बहुत अच्छा है.... वह हमेशा दूसरे लोगों के साथ बहुत ही नम्रता और शालीनता के साथ बात करती है... जरा सा भी घमंड उनके व्यवहार में कभी नहीं दिखता है... एक बात मैं बता दूं आप लोग को कि बेहद खूबसूरत महिला है मेरी रूपाली दीदी.... उनकी खूबसूरती की चर्चा ना सिर्फ हमारे गांव बल्कि पूरे शहर में थी.... उनकी शादी के पहले..... जब मेरी दीदी की शादी की बात चली तब तो सैकड़ों रिश्ते आए थे हमारे पास पर जहां पर मेरी मम्मी ने तय किया वही मेरी दीदी ने भी स्वीकार कर लिया... वैसे मेरे जीजू दिखने में कुछ खास हैंडसम नहीं है और उनकी उम्र भी तकरीबन 40 साल थी शादी के वक्त..... तब 26 साल की थी मेरी दीदी... 18 साल का था तब मैं.... मैं तो दीदी के साथ ही गया था शादी के बाद उन के ससुराल.... तकरीबन 2 महीने रहा था मैं उन दोनों के साथ... वहां पर जो कुछ भी हुआ था उसकी चर्चा मैं आप लोगों से बाद में करूंगा पर अभी तो हम ऑटो वाले के साथ थे..... और रास्ता भी बहुत लंबा था.. अचानक सुरेश ने कहा... बाबूजी एक काम करे क्या... वैसे तो हमें 4 घंटे लगेंगे गांव पहुंचने में... पर एक रास्ता है जहां से हम शॉर्टकट ले सकते हैं... फिर तो 2 घंटे में पहुंच जाएंगे अपने गांव....
अरे नहीं सुरेश भाई जंगल का है वो रास्ता... बहुत डेंजर हो सकता है उस रास्ते में... उधर से जाना ठीक नहीं..... वैसे भी हमारे पास बहुत समय है.... मैंने सुरेश को जवाब दिया....
ठीक है बाबू जी जैसी आपकी मर्जी..... पर मैं तो लगभग रोज ही उस रास्ते पर जाता हूं.... ऐसा कोई डेंजर तो नहीं है उधर... पर अब आपकी मर्जी नहीं है तो कोई बात नहीं... सुरेश ने कहा...
कौन से रास्ते की बात कर रहे हो आप लोग.... रुपाली दीदी ने पूछा... मालकिन यही माधोपुर से एक शॉर्टकट का रास्ता है जो सीधे हमारे गांव पहुंचा देता है.... जंगल का रास्ता है .. पर आज तक तो कभी कुछ नहीं हुआ... सुरेश ने जवाब दिया....
उसे लगा शायद मेरी रूपाली दीदी मान जाएगी..
फिर ठीक है ना उधर से चलते हैं, क्यों अंशुल.... वैसे भी हमारे सुरेश भैया है ना.... इनको तो सब पता होगा.... रूपाली दीदी ने कहा..
नहीं दीदी वह बहुत घना जंगल..... बोलते बोलते मेरी जुबान रुक गई क्योंकि दीदी ने मुझे बीच में रोक दिया था... अंशुल तुम टेंशन मत लो सुरेश भैया है ना हमारे साथ... सुरेश भैया आप ही बोलो कुछ प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना.... रूपाली दीदी बोल रही थी....
नहीं मालकिन कोई प्रॉब्लम नहीं होगी... आप मुझ पर ट्रस्ट कीजिए.. 2 घंटे के अंदर आप लोगों को आपके घर नहीं पहुंचा दिया तो मेरा नाम सुरेश नहीं.... उसने कहा.....
तो ठीक है भैया, जंगल वाले रास्ते पर पर ही चलेंगे हम लोग.... दीदी ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा....
मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या बोलूं.... ठीक है सुरेश भाई हम लोग शॉर्टकट वाले रास्ते से चलते हैं... मैंने सुरेश को कहा.... ठीक है बाबू जी जैसी आपकी मर्जी..... सुरेश ने कहा और अगले मोड़ पर ऑटो जंगल वाले रास्ते की तरफ मोड़ दिया.... तकरीबन 1 घंटे तक सुरेश की ऑटो सुनसान जंगल वाले रास्ते पर चलती रही.... रास्ता बेहद खराब था.... सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे होने के कारण उसकी ऑटो हिचकोले खा रही थी... मुन्नी सो चुकी थी और मेरी दीदी भी लगभग नींद की आगोश में आ गई थी पर मैं जगा हुआ था....
अचानक उसकी ऑटो बंद हो गई.... सुरेश उसे स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा.... पर वह बार बार विफल हो रहा था...
क्या हुआ सुरेश भाई ऑटो स्टार्ट क्यों नहीं हो रही है...
मैंने व्यतीत होते हुए सुरेश से पूछा.... मैं डर गया था क्योंकि हम बीच जंगल में थे... सुरेश ऑटो से बाहर निकल के उसका इंजन चेक करने लगा...
बाबूजी लगता है कार्बोरेटर गर्म होने के कारण इंजन स्टार्ट नहीं हो रही हैै...
अब क्या करें सुरेश भाई... मैं वाकई डर गया था....
भरी दुपहरी के बावजूद जंगल में अंधेरा जैसा लग रहा था...
क्या हुआ सुरेश भैया हम लोग यहां के रुके हुए है.... दीदी जाग चुकी थी और ऑटो से बाहर निकल कर आ गई थी... मुन्नी को उन्होंने ऑटो की सीट पर सुला दिया था...... सुरेश ने कुछ भी जवाब नहीं दिया बल्कि वह तो अपने ऑटो के इंजन को स्टार्ट करने में व्यस्त था.. जो बिल्कुल भी नहीं हो रहा था...
दीदी मैंने कहा था ना कि इस रास्ते नहीं आते हैं...
अब तो यहां हम किसी को हेल्प के लिए बुला नहीं सकते...क्या करें बताओ.... मैंने कहा.
अंशुल तुम टेंशन मत लो सुरेश भैया कुछ ना कुछ करेंगे... भैया बताओ ना क्या प्रॉब्लम हो गई...... दीदी ने सुरेश से पूछा उसके पास जाकर.....
मालकिन कार्बोरेटर गरम हो गया है, इसको ठंडे पानी की जरूरत है अभी स्टार्ट होने के लिए.... सुरेश ने कहा....
पर भैया यहां पर ठंडा पानी कहां मिलेगा इस जंगल में..
दीदी की आवाज में भी परेशानी झलक रही थी.... मालकिन यहां से थोड़ी दूर पर एक हैंडपंप है.... वहां पर पानी मिल सकता है... मेरे पास दो तीन बोतल है..... मैं ले कर आता हूं वहां से पानी... सुरेश ने कहा....
मेरी रूपाली दीदी बेहद डरी हुई थी..... आप लोग यहीं पर रुको... मैं पानी लेकर आता हूं... बस मुझे अपनी बोतल दे दो..... मैंने सुरेश को कहा...
सुरेश ने मुझे दो बोतल थमाई, और मुझे अच्छे से बताया कि वह हैंडपंप किस तरफ है...... मैं दौड़ता हुआ उस हैंडपंप पर पहुंचा.... उसने बिल्कुल सही बताया था... दो बोतल पानी भरने के बाद जल्दी जल्दी मैं वापस भागने लगा.... दौड़ता हुआ जब मैं वापस ऑटो, दीदी,
सुरेश और मुन्नी के पास पहुंचा तो मेरी फट के दो से चार हो गई...
मेरी रूपाली दीदी को दो तगड़े मर्दों ने घेर रखा था.... ऑटो वाला सुरेश भी उनके पास ही खड़ा था....
कौन हो तुम लोग ...छोड़ दो मेरी दीदी को वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.... मैंने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा और उनकी तरफ बढ़ने लगा.. सब लोग मेरी तरफ पलट के देखने लगे... मुझे उन दोनों को पहचानने में देर नहीं लगी.... दोनों हमारे ही गांव के मशहूर गुंडे थे.... असलम और जुनैद.... उन दोनों पर ना जाने कितने सिक्युरिटी केस थे... आजकल दोनों एक मर्डर केस में फरार थे.... उनको पहचानते ही मेरी हालत बुरी तरह खराब हो गई... मैं बेहद भयभीत हो गया.... मेरी रूपाली दीदी की हालत और भी खराब थी... तेरी बहन का लोड़ा ....तू भी साथ में है... हमें तो लगा तेरी दीदी अकेली है... क्यों बे सुरेश गांडू तू इसे क्यों ले लिया है यहां पर... असलम सुरेश से पूछ रहा था पर मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रहा था.... मैं क्या करता ...बाबूजी तो साथ में ही थे... इनको कहीं रास्ते में तो छोड़ नहीं सकता था... सुरेश ने नजरे झुकाते हुए कहा....
मुझे समझ में आ गया कि सुरेश ने हम लोग यहां इस मुसीबत में फसाया है.... मुझे दीदी पर भी गुस्सा आने लगा कि क्यों उन्होंने इस हरामजादे की बात मानी... पर अब पछताने से क्या फायदा... हमें इस मुसीबत से बाहर निकलना था....
मेरे रूपाली दीदी डर के मारे थरथर कांप रही थी... उनके माथे पे पसीना चमक रहा था... उनके गुलाबी होंठ थरथर आ रहे थे कुछ बोलने के लिए, पर उनकी आवाज नहीं निकल रही थी...
वाह सुरेश तूने तो आज हमारी मुराद पूरी कर दी... इसकी माल बहना को चोदने का सपना तो हम लोग न जाने कितने दिनों से देख रहे थे... साला इसके नाम अपने लोड़े का पानी न जाने कितनी बार निकाला होगा मैंने.... असलम बोला कभी मेरी तरफ तो कभी मेरी दीदी की तरफ देखते हुए...... मेरे बदन में तो मानो काटो तो खून नहीं.. क्या मस्त माल लग रही है बहन की लोड़ी यार... रूपाली रांड... साली का बदन तो कितना गदरआ गया है असलम भाई.... जुनैद मेरी दीदी को गंदी निगाहों से देखता हुआ बोल रहा था...
उसने मेरी दीदी के बारे में रांड शब्द का इस्तेमाल किया था... दीदी की निगाहें शर्म के मारे झुक गई...
हाय रे मेरी शर्मिली छमिया .... जी तो चाहता है बस तुझे अभी यहीं पर पटक के ....... बोलते बोलते जुनैद के मुंह से लार टपकने लगी...
साला इसके आगे तो फिल्मों की हीरोइन भी कुछ नहीं... साली की चूंचियां देख यार..... असलम ने अपनी बात भी खत्म नहीं की थी उसके पहले ही जुनैद ने मेरी दीदी की गुलाबी साड़ी का आंचल उनके सीने से हटा दीया... मेरा तन बदन गुस्से से जलने लगा पर मैं कुछ भी करने की हालत में नहीं था... मैं गुस्से से जुनैद की तरफ उसे मारने के लिए आगे बढ़ा.... पर बीच में ही असलम ने मुझे दबोच लिया... उसके तगड़े बदन के आगे मैं बेबस हो गया... उसने मेरा कॉलर पकड़ कर दो तीन थप्पड़ मारे, फिर मेरे पेट में घुसा जड़ दिया.... मुझे दिन में तारे दिखाई देने लगे.... रूपाली दीदी रोने चिल्लाने लगी थी..... प्लीज आप लोग मेरे भाई को मत मारो..... आप लोगों को जो भी चाहिए मैं देने को तैयार हूं... हमारे पास कुछ ज्वैलरी है.... और ₹12000 कैश है.... आप यह सब कुछ ले लो... और प्लीज हमें जाने दो अब यहां से..... मेरे भाई को छोड़ दो प्लीज मैं आपके आगे हाथ जोड़ती रही हूं.... मेरी दीदी ने पूरी तरह लाचार होते हुए कहा... उनकी आंखों में आंसू भर आए थे मेरी पिटाई देख के.. मेरी भोली हसीन रंडी.. तुझे समझ नहीं आ रहा है कि हम तुझे यहां क्यों लाए.... जुनैद मेरी दीदी को देखता होगा कामुक निगाहों से अपनी जुबान पर अपनी जीभ को घुमा रहा था.... मैं थोड़ा बहुत संभल के खड़ा हो गया.... दीदी के सीने पर अभी भी उनका आंचल नहीं था.... गुलाबी रंग की चोली में, जो कि स्लीवलेस और बैकलेस भी थी... उनके दोनों पर्वत उनकी डरी हुई सांसो के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.... दीदी की चोली वाकई में बहुत तंग थी... उनकी दोनों बड़ी बड़ी छातिया उनकी चोली को फाड़ के बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे... दीदी का मंगलसूत्र उनके क्लीवेज पर टिका हुआ था... मेरी रूपाली दीदी दोनों बड़े बड़े पर्वतों को अपने कठोर हाथों में दबोच कर जुनैद उनको भोंपू की तरह दबाने लगा..
दीदी का विरोध नाम मात्र का था.. उनके मुंह से बस एक आह निकली.... दीदी की चुचियों को छोड़कर कमर से पकड़ा जुनैद ने उन्हें और अपने बदन से चिपका लिया... वैसे तो मेरी दीदी की लंबाई भी 5 फुट 7 इंच होगी और जुनैद के 6 फुट 2 इंच लंबे बदन के आगे दीदी बिल्कुल बच्ची लग रही थी..... मेरी रूपाली दीदी की सुर्ख गुलाबी होंठ जो लिपस्टिक के कारण बिल्कुल लाल लग रहे थे, उन पर जुनैद ने अपना अंगूठा रख दिया और फिरआने लगा... दीदी की आंखें बंद हो गई थी.....
बहन चोद ऊपर के होंठ इतने गर्म है तो नीचे के होठों और कितने गरम होंग मेरे रूपाली जान..... जुनैद ने बड़ी कामुकता के साथ कहा..मेरी तो समझ में नहीं आया कि वह नीचे के किन होठों की बात कर रहा था.... पर असलम और साथ ही साथ सुरेश भी मुस्कुराने लगा था जुनैद की बात सुनकर.... असलम मेरी रूपाली दीदी के पीछे आया.... दीदी के गांड के दोनों भागों को अपने हाथों में दबोच कर वह मसल रहा था... मेरी दीदी की गोरी नंगी पीठ और गर्दन को वह चूमने और चाटने लगा था.... असलम का लोड़ा जिसने उसके पजामे के अंदर तंबू बना रखा था, मेरी दीदी की गांड के दरार के बीच में फंसा हुआ था उनकी साड़ी के ऊपर से...
मेरी दीदी के मुंह से कुछ आवाज निकलती इसके पहले ही जुनैद ने उनके सुर्ख गुलाबी होठों को अपने खुर्दरे मर्दाना होठों के बीच दबोच लिया और चूसने लगा...
मेरी रूपाली दीदी उन दोनों के मर्दाना जिस्म के बीच सैंडविच बन गई थी...... जुनैद मेरी दीदी के दोनों चूचियों को अपने हाथों में जकड़ कर उनके होठों का रस पी रहा था और पीछे से असलम मेरी दीदी की गांड को दबोच के उनकी पीठ और गर्दन को चाट रहा था.... ऑटो वाला सुरेश दृश्य देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था... यहां तक कि वह भी अपने पैंट के ऊपर से अपने लिंग को मसल रहा था.... मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं... मेरी दीदी फस चुकी थी गुंडों के बीच और मैं बेचारा भाई..... वह दोनों मेरी दीदी के नाजुक अंगों के साथ खेल रहे थे और मेरी दीदी का विरोध भी हमारी मजबूरी में दफन हो चुका था.... भरी दुपहरी में बीच सड़क पर यह खेल चल रहा था... यहां बीच सड़क पर सब करना ठीक नहीं है साहब जी.. आप लोग इनको अपने अड्डे पर ले जाओ और जी भर के ऐश करो.... यहां सड़क पर हमें किसी ने देख लिया यह सब कुछ करते हुए तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी आपके लिए भी, हमारे लिए भी.... सुरेश ने कहा वह भी थोड़ा बहुत डरा हुआ था...
सुरेश की बात सुनकर असलम ने मेरी दीदी को छोड़ दिया पर जुनैद अभी भी मेरी दीदी की छातियों को बुरी तरह मसल रहा था.... उसने मेरी दीदी के होठों को अपने होठों से आजाद किया और बोला.... तू सही कह रहा है सुरेश..... हम अपनी महबूबा को यहां नहीं चोदेंगे .... इसे तो हम अपने अड्डे पर ले जाकर पटक पटक के पलेंगे ठोकेंगे.... पर मैं अपनी इस रंडी के भाई का क्या करूं... यह बहन का लौड़ा सारा मजा खराब कर देगा... देख जुनैद हम तो इसकी रूपाली बहना को खूब ठोकेंगे, पर हम इस बहन के लोड़े को यहां से जाने नहीं दे सकते.... क्योंकि अगर यह मादरजात यहां से गया तो फिर हमारी सिक्युरिटी में कंप्लेंट कर देगा और इसके पीछे पीछे सिक्युरिटी यहां तक पहुंच जाएगी... इस भोसड़ी वाले को अपने साथ लेकर चलते हैं.. इसकी दीदी वहां पर हमारे लोड़े पर बैठेगी और यह मादरजात देखेगा.... असलम ने बड़े कठोर तरीके से मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखते हुए कहा..
बहुत सही आईडिया है असलम भाई... और कोई रास्ता भी नहीं है... इस गांडू को तो यहां छोड़ नहीं सकते... जुनैद ने कहा...
साहब जी मैं क्या करूं..... सुरेश ऑटो वाले ने पूछा..
तू एक काम कर तीन चार बोतल दारु का इंतजाम कर हमारे लिए..... बोलते हुए असलम ने सुरेश को कुछ पैसे दिए...
पर छोटी सी झोपड़ी के अंदर जो वासना का नंगा नाच होने वाला था उसका मुझे अंदाजा हो चुका था, क्योंकि मेरी रूपाली दीदी छोटी सी झोपड़ी के बीचो बीच खड़ी थी ठीक मेरे और असलम के सामने... मेरी दीदी के पीछे खड़ा जुनैद अपना पायजामा उतार रहा था... मेरी रूपाली दीदी अपने गुलाबी रंग की तंग चोली और पीले रंग के पेटीकोट में चुपचाप खड़ी थरथर.... डर के मारे मेरी दीदी के दोनों बड़े बड़े जोबन ऊपर नीचे हो रहे थे... मेरी दीदी के माथे पर पसीना... मांग में सिंदूर.... गले में मंगलसूत्र दोनों चूचियों के बीच में.... कानों में झुमके... हाथों में चूड़ी और कंगन... कमर में कमरबंद.. पैरों में पायल... उनका छोटा भाई होने के बावजूद भी मुझे कहना होगा कि मेरी रूपाली दीदी उस वक्त काम की देवी लग रही थी... लिपस्टिक से पुते हुए उनके गुलाबी होंठ जो डर के मारे थरथरा रहे थे... उनके हसीन चेहरे को और भी कामुक बना रहे थे....
ठरकी जुनैद जो पहले ही मेरी दीदी को देखकर बेहद कामुक हो चुका था और पैजामा उतरने के बाद तो उसका तना हुआ लोड़ा उसके अंडरवियर के अंदर तंबू बना चुका था.... उससे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ... उसने मेरी दीदी को पीछे से पकड़ लिया... अपनी बाहों में जकड़ लिया... पेटीकोट के ऊपर से ही उसने मेरी दीदी की गांड के दरारों के बीच अपना लोड़ा रगड़ना शुरू कर दिया... हांआई .... आ, मर गयी... मेरी रूपाली दीदी के मुंह से आवाज निकली... क्योंकि जुनैद ने मेरी दीदी की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां उनकी चोली के ऊपर से ही दबोच ली थी अपने मजबूत हाथों में.. साथ ही साथ जुनैद का तना हुआ लिंग मेरी दीदी की गांड की दरारों के बीच ना जाने क्या गुल खिला रहा था.... जुनैद मेरी दीदी के गर्दन को चुम नहीं बल्कि चाट रहा था... मेरी दीदी कसमसा ने लगी थी... एक हाथ से मेरी दीदी की चूची को दबाता हुआ जुनैद का दूसरा हाथ मेरी दीदी के पेट तक पहुंच चुका था.... मेरी रूपाली दीदी के गहरी नाभि के अंदर उसने अपने हाथ की बीच वाली उंगली डाल के गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया... कुछ देर तक मेरी दीदी की नाभि में गोल गोल अपनी उंगलियों को घुमाने के बाद जुनैद ने अपना वही हाथ मेरी दीदी की योनि पर रख दिया.... उनके पेटीकोट के ऊपर से....
मेरी रूपाली दीदी के मुंह से अजीब सी कामुक सिसकारी निकलने लगी थी...
"ओह्ह्ह, नही,...... मेरी रूपाली दीदी के मुंह से बस इतना ही निकल पाया था की जुनैद ने अपनी बीच वाली उंगली दीदी की योनि में डाल दिया था...... मेरी दीदी के पेटीकोट का कपड़ा बहुत ही नर्म था... जुनैद की उंगली के साथ ही मेरी दीदी के पेटीकोट का कपड़ा उनकी योनि में समा गया था... मेरी दीदी के गालो को चूसता हुआ जुनैद योनि के अंदर अपने बीच वाली उंगली अंदर बाहर कर न लगा... पेटीकोट के ऊपर से ही जुनैद मेरी दीदी की गांड के ऊपर झटके दिए जा रहा था... और पेटीकोट के ऊपर से ही मेरी दीदी की योनि में आगे पीछे हो रही थी जुनैद की मोटी उंगली पर कहर ढा रही थी... दूसरे हाथ से जुनैद मेरी दीदी के मस्त आई चूची को नींबू की तरह निचोड़ रहा था....
"म्म्म्मम, "ओह्ह्ह्ह ... आअहह!"ओह्ह्ह्ह..... मेरी रूपाली दीदी बेकाबू होकर सिसक रही थी....
जुनैद ने अपनी उंगली मेरी दीदी की योनि से बाहर निकाल ली.... उनके पेटीकोट का कपड़ा अब भी उनकी योनि के अंदर ही समाया हुआ था जहां पर हल्का गीलापन मुझे दिखाई दिया. जुनैद की उंगलियों के आक्रमण से शायद मेरी दीदी की योनि काम रस टपकाने लगी थी... मेरी दीदी के बदन से चिपका हुआ जुनैद बिल्कुल मदहोश हो चुका था... उसने मेरी दीदी के मदमस्त चेहरे को अपने एक हाथ से दबाव डालकर अपनी तरफ घुमाया... मेरी रूपाली दीदी ने अपने डरी हुई निगाहों से जुनैद को देखा.... मेरी दीदी और जुनैद के होंठ कुच ही इंच के फासले पर् थे.... जुनैद ने अपने मर्दाना खुर्दअरे होठों को मेरी दीदी के नरम मुलायम पर सुर्ख गुलाबी होठों पर टिका दिया... चूसने लगा था वह मेरी दीदी के लबों को.... मेरी दीदी फिर से कसमसआने लगी थी... दीदी ने अपना मुंह फेर लिया तो जुनैद मेरी दीदी के गाल को ही चाटने लगा... उसने मेरी दीदी की दाएं चूची को बुरी तरह मसल दिया... मेरी दीदी उई... आऐईइ.... आआहह बोलते हुए मचल उठी..
बहन की लोड़ी रंडी.... ठीक से हमारे साथ मजा ले वरना तेरी गांड में लोहे का सरिया डाल दूंगा माधर्चोद.... जुनैद ने दांत पीसते हुए कहा और मेरी दीदी के गाल को दांतों से काट खाया.... जुनैद की क्रूरता भरी बातें सुनकर दीदी के साथ साथ में भी डर गया था... उनका विरोध बेहद कमजोर पड़ गया... एक बार फिर जुनैद ने मेरी दीदी के होठों को अपने होठों के गिरफ्त में ले लिया और मनमर्जी से चूसने लगा... दीदी का विरोध बिल्कुल खत्म हो चुका था... बल्कि दीदी भी इस चुंबन में सहयोग करने लगी थी....
मेरी रूपाली दीदी के होठो को खूब अच्छे से चूसने के बाद जुनैद ने अपनी जुबान मेरी दीदी के मुंह में डाल दी... मेरी संस्कारी मजबूर दीदी भला और क्या करती... उसकी जुबान को चूसने लगी.... एक बार फिर जुनैद के दोनों मजबूत हाथ मेरी दीदी के दोनों ग़दरआए हुए जोबन विशाल पर्वतों की तरह ... उनका मर्दन करने लगा... चोली के ऊपर से ही जुनैद ने मेरी दीदी के दोनों विशाल पर्वतों की दोनों चोटियां ढूंढ निकाली.... जुनैद ने मेरी दीदी की दोनों बड़ी-बड़ी चुचियों की निप्पल को अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच में दबाकर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया.... मेरी दीदी की चुचियों से दूध की धार फूट पड़ी थी शायद.... तभी तो उनकी चोली गीली होने लगी थी.
देख साले तेरी बहन का दूध निकल रहा है.... मस्त दुधारू माल हो गई है तेरी रूपाली दीदी.... हाय रे तेरी दीदी का गर्म गर्म दूध पीने में तो बड़ा मजा आएगा... तेरा जीजा तो खूब चूसता होगा बहन चोद.... नशे में धुत असलम मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोल रहा था.... मैं भला उसकी बातों का क्या जवाब देता.... मेरी निगाहें शर्म के मारे जमीन में गड़ गई थी....
अगर मैं तेरे जीजा की जगह होता ... तेरी रूपाली दीदी को हमेशा अपने लोड़े पर बिठा के रखता ... साले तेरी दीदी तो पूरी मदर डेयरी बन चुकी है..... असलम अभी भी मुझे जलील किए जा रहा था.... दूसरी तरफ मेरी दीदी का दूध जुनैद क कठोर हाथों में ... दबे जा रहे थे.... मेरी रूपाली दीदी और जुनैद की जुबान आपस में जंग छेड़ चुके थे... मेरी रूपाली दीदी के पेटीकोट का कपड़ा योनि में समाया हुआ .... वहां का गीलापन कुछ ज्यादा ही हो गया था.... शायद मेरी संस्कारी दीदी की योनि अपना मदन रस कुछ ज्यादा ही बहाने लगी थी.. वह भी गैर मर्द के छेड़खानी के कारण.. तू इस रंडी की चोली खोल जुनैद मुझसे बर्दाश्त नहीं होता.... इस राड की चूची देने के लिए मैं ना जाने कब से तड़प रहा हूं.... दिखा तो सही अंशुल की दीदी की चोली के अंदर क्या है... असलम ने अपने लौड़ा को मसलते हुए कुछ तेज आवाज में संबोधित किया जुनैद को...
जुनैद तो जैसे नींद से जागा... उसने अपनी जुबान को मेरी दीदी के मुंह से बाहर निकाला.... वह मेरी दीदी की चोली के धागे पीठ पर बंधे हुए थे उन्हें खोलने लगा... कुछ ही देर में मेरी दीदी की चोली जुनैद की हाथों में थी... जुनैद ने मेरी दीदी की चोली असलम की तरफ उछाल दी... असलम ने लपक लिया... दीदी के दूध से गीली हो चुकी चोली को असलम अपनी जुबान से चाटने लगा...
बहन चोद बहुत मीठा दूध है तेरी दीदी का..... साला तेरी दीदी की दूध में तो दारू से भी ज्यादा नशा है... असलम मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराते हुए बोल रहा था.. मेरी रूपाली दीदी की बड़ी-बड़ी चूचियां सिर्फ उनके ब्रा के सहारे पर टिकी हुई थी... जुनैद ने मेरी दीदी की ब्रा का हुक खोलने में जरा भी देर नहीं लगाई... दूध से बिल्कुल गीली हो चुकी मेरी दीदी की ब्रा को जुनैद ने असलम की तरफ उछाल दिया.... असलम ने एक बार फिर लपक लिया... असलम का लोड़ा तंबू बना कर खड़ा था उसके पजामे के अंदर ही....... मेरी रूपाली दीदी अर्ध नग्न अवस्था में मेरे और असलम के सामने खड़ी थी... जुनैद ने उन्हें पीछे से दबोच रखा था... मेरी दीदी अपने हाथों से अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों को ढकने का प्रयास कर रही थी... पर जुनैद ने उनकी एक नहीं चलने दी... दीदी के दोनों हाथ पकड़ के उसने अलग अलग कर दिया.... असलम मंत्रमुद्द मेरी दीदी की चुचियों को निहारे जा रहा था...
जुनैद मां कसम आज तक मैंने ऐसी चूचियां नहीं देखी यार... इस रंडी की चूचियां देख कर मेरा लौड़ा फटने को हो गया है जुनैद.... हाय रे न जाने किस चक्की का आटा खाती है यह साली माधर्चोद.... कितनी बड़ी हो गई है इस रंडी की चूचियां... पर फिर भी कितनी टाइट हो रही है.... निपल्स तो देख मेरी रंडी के.... ऐसे लाल निपल्स तो हमारे यहां किसी कि नहीं होंगे..... और कितने खड़े खड़े हैं निपल्स..... इस के पति के तो मजे हैं... साला खूब चूसता होगा... असलम ने खूब दारु पी ली थी.. ना जाने क्या क्या बक रहा था... असलम ने अपने पजामे को उतार दिया.. उसने अपना अंडरवियर भी उतार दीया बिना देर किए...... असलम का 10 इंच का तना लौड़ा देखकर मेरी फट गई... इतना बड़ा लौड़ा तो मैंने आज तक नहीं देखा था.... असलम की निगाहें मेरी रूपाली दीदी पर जमी हुई थी.... पर उसका हाथ अपने खूंखार लोड़े को ऊपर नीचे करने लगा था....
मेरी रूपाली दीदी बड़ी बेबसी से इस सारे नजारे को देख रही थी... दीदी कभी मुझे देखती तो कभी असलम के लोड़े को.... दीदी की निगाहें जब मेरी निगाहों से टकराई तो उनकी आंखें शर्म और हया के मारे झुक गई.... असलम ने मेरी दीदी के गीली ब्रा को अपने लोड़े पर लपेट लिया जो उनके दूध से सना हुआ था.... उसकी हरकत देखकर मेरी दीदी विचलित हो गई.... उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली....
असलम ने दारू का नया जाम बना लिया था... मेरी दीदी की ब्रा असलम के लोड़े पर झूल रही थी.... दूसरी तरफ मेरी रूपाली दीदी को जुनैद ने नीचे सूखी घास पे पटक दिया था और उनके ऊपर सवार हो गया था.... ठीक हमारी आंखों के सामने.... जुनैद ने अपने पजामा उतार फेंका था... उसका लौड़ा उसके अंडरवियर के अंदर तंबू बना के खड़ा था.. मुझे लग रहा था कि जुनैद का लोड़ा असलम के काले भयंकर लोड़े से भी बड़ा होगा.... जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी के पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया... एक झटके में उसने मेरी दीदी के पेटीकोट को उनकी टांगों से आजाद कर दिया और दूर उछाल दीया... जुनैद ने अपना कुर्ता भी उतार दिया था.... जुनैद के बदन पर वस्त्र के नाम पर सिर्फ उसका अंडरवियर था... नीचे सूखी घास पर लेटी हुई मेरी संस्कारी रूपाली दीदी के बदन पर भी सिर्फ उनकी गुलाबी पेंटी बची हुई थी.... जो बेहद छोटी थी.... और मेरी दीदी की लाज बचाने में असमर्थ लग रही थी.... मेरी दीदी की लाज उनकी छोटी सी पैंटी क्या बचाती जबकि उनका सगा भाई तो ठीक उनके सामने बैठा हुआ अपनी दीदी की इज्जत को तार तार होता हुआ देख रहा था.. जुनैद ने मेरी दीदी की दोनों गोरी गोरी टांगों को फैला दिया और उनके ऊपर चढ़ गया...... जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी के गुलाबी होठों को फिर से अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया और उनकी योनि पर अपने लौंडे से जोर जोर से धक्के लगाने लगा अंडरवियर के ऊपर से ही... कुछ देर मेरी दीदी के होठों का रसपान करने के बाद जुनैद ने मेरी दीदी की बड़ी-बड़ी चुचियों को एक बार फिर अपने मजबूत कठोर हाथों में दबोच के उन्हें भूखी निगाहों से देखने लगा.... दीदी के दोनों लाल लाल निपल्स जो बिल्कुल खड़े हो चुके थे उन पर दूध की बूंदे भी साफ साफ दिखाई दे रही थी मुझे .... जिन्हें देखकर मेरे मुंह में भी पानी आने लगा था... हालांकि मैं अपनी सगी दीदी की चूची देख रहा था... पर ना जाने क्या जादू था मेरी दीदी की चुचियों में की पैंट के अंदर मेरा लिंग भी हिचकोले खाने लगा...... जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी की चुचियों को जोर जोर से पंप करना शुरू किया.... दीदी के निप्पलस से दूध की धार निकलने लगी... दीदी के दूध से जुनैद का चेहरा गीला होने लगा.... गरम गरम दूध की बौछार देख जुनैद से रहा नहीं गया... उसने मेरी दीदी के निप्पल को मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा.... उसने मेरी दीदी के निप्पल पर अपने दांत गड़ा दिए.....
दर्द से बिल-बिला उठी कमसिन नव-यौवना मेरी रूपाली दीदी...
आययईीीई…माआ… दीदी की कामुक आवाज से पूरी झोपड़ी गूंजने लगी थी... लेकिन उनकी दर्द भरी सिसकियां जुनैद पर कुछ भी असर नहीं डाल पा रही थी... बल्कि मेरी दीदी की दूसरी चूची को जुनैद और जोर जोर से मसल रहा था... दूसरी तरफ असलम अपनी लोड़े को हाथ में लिए हुए मेरे रूपाली दीदी का चक्षु चोदन कर रहा था..... जुनैद के अंदर जैसे एक जानवर आ गया था वह कभी मेरी रूपाली दीदी की बाई चूची को मुंह में लेकर दूध पीता तो कभी दाएं चूची को.... साथ ही साथ वह मेरी दीदी की चूचियों पर अपने दांतो का मुहर भी लगा रहा था.. दांत काट काट के मेरी दीदी की चूचीऔ पर उसने मेरी दीदी को बेहाल कर दिया... मेरी दीदी पीड़ा में थी.... यह किस प्रकार की पीड़ा है मेरी समझ में नहीं आ रहा था.... क्योंकि मेरी दीदी के मुंह से कामुक चीत्कार निकल रही थी....
मेरा लौड़ा तो बिल्कुल तन गया था मेरी पैंट के अंदर ही अपनी सगी बहन की कामुक सिसकियां सुन के और उनकी चूचियों को एक गैर मर्द द्वारा चूस चूस के दूध नेछोड़े जाते हुए देख कर.... मैं अंदर ही अंदर ग्लानि का अनुभव कर रहा था पर मेरा लौड़ा मेरे काबू में नहीं था.... जुनैद का 10 इंच का मोटा काला लंड उसके अंडरवियर से बाहर आ चुका था.... जो मेरी रूपाली दीदी के कुल्हों और जांघों के जोड़ों के बीच जा घुसा…! दीदी की पेंटी अभी भी उनकी योनि की रक्षा कर रही थी भले ही बेहद छोटी थी... पर वह छोटी सी पैंटी रूपाली दीदी की लाज की कब तक रक्षा करती... मेरी दीदी की पेंटी को अपने हाथों में ले कर दो टुकड़े कर दिए जालिम जुनैद ने.... जुनेद मेरी रूपाली दीदी की योनि को घूर घूर के देख रहा था...
असलम भाई ऐसी तो आज तक नहीं देखी ... जुनैद के मुंह से लार टपक रही थी मेरी दीदी की योनि को देख.. जुनैद का मस्त घोड़ा मेरी रूपाली दीदी का अस्तबल पाकर हिनहिनने लगा…! जुनैद का लोड़ा 180 डिग्री पे तन के खड़ा हो गया था.... वह मेरी दीदी की योनि को भूखे कुत्ते की तरह देख रहा था.... जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी की दोनो टांगे पकड़ के ऊपर हवा में उठा दी... पूरी तरह से नंगी हो चुकी मेरी दीदी कि दोनों टांगों को जुनैद ने उनके कंधे पर रख दिया... दीदी के घुटने उनके कंधों से चिपके हुए थे... जुनैद ने अपना लौड़ा मेरी दीदी की गांड की दरार पर टिका दिया... मेरी रूपाली दीदी की छोटी सी गान्ड की दरार किसी बबूल के डंडे की खूँटि जैसे लंड पर टिक गयी…!
गान्ड के छेद पर दबाब पड़ते ही मेरी दीदी के मुंह से अजीब अजीब सिसकारियां निकलने लगी...
मेरी रूपाली दीदी के दोनों घुटने पकड़ के को चौड़ा किया जुनैद ने. मेरी दीदी की गुलाबी योनि असलम की आंखों के सामने थी... असलम मेरी दीदी की योनि को देख रहा था एकटक.... नजर उठाकर मैंने भी अपनी रूपाली दीदी की योनि को देखा.. जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी की दोनो टांगे पकड़ के ऊपर हवा में उठा दी... पूरी तरह से नंगी हो चुकी मेरी दीदी कि दोनों टांगों को जुनैद ने उनके कंधे पर रख दिया... दीदी के घुटने उनके कंधों से चिपके हुए थे... जुनैद ने अपना लौड़ा मेरी दीदी की गांड की दरार पर टिका दिया... मेरी रूपाली दीदी की छोटी सी गान्ड की दरार किसी बबूल के डंडे की खूँटि जैसे लंड पर टिक गयी…!
गान्ड के छेद पर दबाब पड़ते ही मेरी दीदी के मुंह से अजीब अजीब सिसकारियां निकलने लगी...
मेरी रूपाली दीदी के दोनों घुटने पकड़ के को चौड़ा किया जुनैद ने. मेरी दीदी की गुलाबी योनि असलम की आंखों के सामने थी... असलम मेरी दीदी की योनि को देख रहा था एकटक.... नजर उठाकर मैंने भी अपनी रूपाली दीदी की योनि को देखा.. मेरी रूपाली दीदी की योनि बिल्कुल चिकनी थी... उनकी योनि पर एक भी बाल नहीं था... दीदी ने आज ही शायद अपनी योनि को साफ किया होगा... गुलाबी योनि की पंखुड़ियां खुली हुई थी..... दीदी की योनि बिल्कुल साफ चिकनी लग रही थी.... रक्त रंजित योनि का लाल हिस्सा बंद था... पर दीदी की योनि की दोनों लाल पंखुड़ियां जो आपस में चिपकी हुई थी पर बेहद गीली हो चुकी.... अपने ही मदन रस से.... दीदी की योनि की गुलाबी पंखुड़ियां फड़क रही थी.... जुनैद का मोटा काला लोड़ा मेरी दीदी की गांड के छेद के साथ साथ मेरी दीदी की योनि की पंखुड़ियों पर भी रगड़ खा रहा था.... जुनैद का लोड़ा मेरी दीदी की गहरी घाटियों के अंदर समाने को पूरी तरह तैयार था.... पर जुनैद अभी भी मेरी दीदी की योनि पर अपने बड़े लोड़े को रगड़ रहा था.... अपनी मुनिया पर लोहे जैसे लोड़े का एहसास पाकर मेरी रूपाली दीदी जोर जोर से सीसीआने लगी... मेरी दीदी तड़प उठी थी....
जुनैद ने बिना देर किए अपने खूंटी जैसे लोड़े को मेरी रूपाली दीदी कि कमसिन योनि में एक जबरदस्त झटके के साथ पेलने लगा... अपनी नाजुक नाजुक योनि में जुनैद के कठोर लोड़े का झटका खाकर मेरी दीदी बेहाल हो गई थी... मेरी दीदी चीख रही थी और मेरी तरफ देख रही थी.... उनकी आंखों में आंसू थे.... उनकी आंखे देखकर लगा था जैसे वह मुझसे कह रही हो की प्लीज भाई मुझे बचा लो इस दरिंदे से... दीदी की हालत देखकर मुझे उन पर तरस आने लगा और खुद पर भी... सगा भाई होने के बावजूद भी मैं अपनी संस्कारी पतिव्रता दीदी की लाज एक गुंडे के हाथों लूटते हुए देख रहा था... चुपचाप...ओह्ह… माँ ऽऽ, फाड़ दी अह्ह… ओह्ह...ऊओह्ह… माँ … मेरी रूपाली दीदी के मुंह से आवाज निकलने लगी थी.. क्यों की जुनैद ने मेरी दीदी की योनि के अंदर कुछ जबरदस्त झटके दिए थे... जुनैद का पूरा लोड़ा मेरी दीदी की छोटी सी योनि में समा चुका था... जुनैद ने मेरी दीदी की दोनो टांगे फैला दी नीचे जमीन पर सूखी घास पर और उनके ऊपर लेट गया.. उसने मेरी दीदी की एक चूची अपने मुंह में ले लि और मेरी दीदी का दूध पीने लगा.... उसका लौड़ा अभी भी मेरी दीदी की योनि की गहराइयों में समाया हुआ था... देख बहन चोद देख.... जुनैद अब तेरी संस्कारी दीदी की चूत का भोसड़ा बना देगा... असलम अपना लौड़ा हिलाते हुए मुझे संबोधित करते हुए कह रहा था पर उसकी नजर जुनैद के नीचे नंगी लेटी हुई मेरी रूपाली दीदी पर ही थी... कुछ देर मेरी दीदी का दूध चूसने के बाद जुनैद ने मेरी दीदी की ठुकाई चालू कर दी... जुनैद अपना पूरा लोड़ा बाहर निकलता और एक झटके में मेरी दीदी की योनि में डाल देता.... मेरी दीदी कराह उठी... वह बिलबिला रही थी.. मचल रही थी... पर जालिम जुनैद मेरी दीदी की योनि की धुनाई किए जा रहा था...मेरा लंड अपने तेवर दिखा रहा था.. ना चाहते हुए भी वह बार-बार खड़ा हो रहा था अपनी सगी दीदी की ठुकाई देखकर... वह भी एक गुंडे के द्वारा.... जुनैद जमीन पर उल्टा हो गया... अब मेरी दीदी उसके ऊपर थी... जुनैद ने मेरी दीदी को बाहों में दबोच रखा था.. उसका लौड़ा मेरी दीदी की योनि में -अभी समाया हुआ था. उसने उठने की कोशिश की तो उसका लौड़ा मेरी दीदी की योनि से फिसल के बाहर निकल गया.. उसका लौड़ा किसी कालिया नाग की तरह लग रहा था... जुनैद उठ के बैठ गया था उसने मेरी दीदी को अपनी गोद में बिठा रखा था... दोनों पसीने से भीगे हुए थे और बिल्कुल नंगे थे.. जैसे अखाड़े में दो पहलवान.... पर यह तो वासना का अखाड़ा था जहां पर मेरी संस्कारी सुहागन रूपाली दीदी एक गैर मर्द से लड़ रही थी... अपनी लाज बचाने के लिए... पर लाज बचाना तो दूर की बात है मेरी दीदी तो नंगी होकर उसके ऊपर बैठी हुई थी.... जुनैद ने अपने लोड़े को एक हाथ में पकड़ा और उसे सीधा किया. मेरी दीदी की कमर थाम के उसने अपना लौड़ा मेरी दीदी की योनि पर सेट किया... दीदी ना नुकुर करने लगी तो जुनैद ने उनकी चूचि को अपने दांतों में दबा लिया और काटने लगा... एक बार जब जुनैद के लोड़े का सुपाड़ा मेरी दीदी की योनि में समा गया... जुनैद ने मेरी दीदी को अपनी दोनों बांहों में मजबूती से जकड़ लिया... और दीदी को अपने लोड़े पर बिठाने लगा.... मेरी दीदी एक दर्द भरी चीख के साथ उसके लोड़े पर बैठने लगी.... जुनैद ने नीचे से जोर का झटका दीया और उसका लौड़ा मेरी दीदी की योनि मैं आधा घुस गया... मेरी दीदी तड़पने और झटपट आने लगी... पर जुनैद को उनकी परवाह नहीं थी.
निर्दई जुनैद के लोड़े पर मेरी दीदी इंच इंच करके बैठने लगी... रास्ता बेहद दर्दनाक था... पर मेरी दीदी मजबूर थी... क्योंकि जुनैद की मजबूत पकड़ में मेरी दीदी लाचार हो चुकी थी.... मेरी दीदी के दोनों घुटने नीचे जमीन पर सूखी घास में लगे हुए थे... दीदी की आंखों में आंसू थे और उनकी योनि में लोड़ा... दीदी अपने होठों को अपने दांतों में दबा जुनैद के लोड़े पर सवार थी.... जुनैद के घोड़े जैसे लोड़े पर मेरी दीदी घुड़सवार बनकर बैठ चुकी थी... जुनैद ने नीचे से जोर जोर से झटके देने शुरू किए और अपना घोड़ा मेरी दीदी की योनि में पूरा का पूरा अंदर डाल दिया....साली रंडी कुतिया, ले खा मेरा लौड़ा कुतिया भोसड़ी की…” और गालियाँ देने लगा था जुनेद... क्योंकि उसने मेरी दीदी की गांड को दबोच कर अपने लोड़े पर पटकना शुरू कर दिया था... मेरी दीदी के सफेद गर्म दूध से उसका पूरा चेहरा गीला हो चुका था... मेरी दीदी का बुरा हाल था... और उनकी हालत देखकर असलम अपने लोड़े को और जोर जोर से हिला रहा था..
साली रंडी..... मस्त चुडक्कड़ है तेरी रूपाली दीदी... हाय रे अंशुल... आज तो तेरी दीदी का फाड़ के रख देगा सभी छेद मेरा जुनैद... असलम अपने लोड़े को हिलाते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोल रहा था... दूसरी तरफ जुनैद मेरी दीदी को अपने लोड़े पर बिठा के नीचे से धक्के दिए जा रहा था... बड़ी बेरहमी से वो मेरी दीदी की योनि की धुलाई कर रहा था... मेरी दीदी की चुचियों से सफेद दूध निकल रहा था... बिना हाथ लगाए जुनैद के..... साली रंडी चुडक्कड़ भोसड़ी की... तेरी मां की... तेरी बहना प्रियंका रंडी की गांड में मेरा लौड़ा ... साली छिनाल कुत्तिया... तेरी छोटी बहन को पटक पटक कर चोद दूंगा... माल हो गई है बहन की लोड़ी तेरी छोटी बहना भी... जुनैद बड़बड़ा रहा था और मेरी रूपाली दीदी को अपनी लोड़े पर उछाल उछाल के चोद रहा था....
प्रियंका दीदी का नाम उस के मुंह से सुनकर मेरी फट गई... क्या यह लोग मेरी प्रियंका दीदी की भी लेंगे..... मेरा खड़ा हुआ लौड़ा फिर से बैठ गया.... पर मेरी रूपाली दीदी की कामुक चीत्कार कुछ और ही इशारा कर रही थी.... दीदी की आंखें बंद थी.. और वह जुनैद के लोड़े पर खुद ही उछल रही थी... जुनैद के लोड़े के झटके ने ऐसा कमाल किया कि मेरी रूपाली दीदी सिसकारियां लेने लगी-“आआऽ उम्म्म्म… ओह्ह… ऊह्ह… अह्ह…” दीदी की अजीबोगरीब आवाज सुनकर मेरा लौड़ा फिर से टाइट होने लगा....
-“आआऽ उम्म्म्ऊह्ह… अह्ह…” मेरे साथ जो भी करना है कर लो पर मेरी छोटी बहन के साथ ऐसा कुछ भी मत करना. ..वह बहुत भोली है... ओह्ह… अह्ह… इतना बड़ा नहीं झेल पाएगी.. मेरी रूपाली दीदी बोल रही थी और साथ ही साथ जुनैद के लोड़े पर उछल रही थी... मेरी रूपाली दीदी जुनैद के लोड़े की तारीफ कर रही थी या मेरी प्रियंका दीदी को बचाने की कोशिश कर रही थी... मेरी तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था... पर मेरा लौड़ा
अरे नहीं सुरेश भाई जंगल का है वो रास्ता... बहुत डेंजर हो सकता है उस रास्ते में... उधर से जाना ठीक नहीं..... वैसे भी हमारे पास बहुत समय है.... मैंने सुरेश को जवाब दिया....
ठीक है बाबू जी जैसी आपकी मर्जी..... पर मैं तो लगभग रोज ही उस रास्ते पर जाता हूं.... ऐसा कोई डेंजर तो नहीं है उधर... पर अब आपकी मर्जी नहीं है तो कोई बात नहीं... सुरेश ने कहा...
कौन से रास्ते की बात कर रहे हो आप लोग.... रुपाली दीदी ने पूछा... मालकिन यही माधोपुर से एक शॉर्टकट का रास्ता है जो सीधे हमारे गांव पहुंचा देता है.... जंगल का रास्ता है .. पर आज तक तो कभी कुछ नहीं हुआ... सुरेश ने जवाब दिया....
उसे लगा शायद मेरी रूपाली दीदी मान जाएगी..
फिर ठीक है ना उधर से चलते हैं, क्यों अंशुल.... वैसे भी हमारे सुरेश भैया है ना.... इनको तो सब पता होगा.... रूपाली दीदी ने कहा..
नहीं दीदी वह बहुत घना जंगल..... बोलते बोलते मेरी जुबान रुक गई क्योंकि दीदी ने मुझे बीच में रोक दिया था... अंशुल तुम टेंशन मत लो सुरेश भैया है ना हमारे साथ... सुरेश भैया आप ही बोलो कुछ प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना.... रूपाली दीदी बोल रही थी....
नहीं मालकिन कोई प्रॉब्लम नहीं होगी... आप मुझ पर ट्रस्ट कीजिए.. 2 घंटे के अंदर आप लोगों को आपके घर नहीं पहुंचा दिया तो मेरा नाम सुरेश नहीं.... उसने कहा.....
तो ठीक है भैया, जंगल वाले रास्ते पर पर ही चलेंगे हम लोग.... दीदी ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा....
मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या बोलूं.... ठीक है सुरेश भाई हम लोग शॉर्टकट वाले रास्ते से चलते हैं... मैंने सुरेश को कहा.... ठीक है बाबू जी जैसी आपकी मर्जी..... सुरेश ने कहा और अगले मोड़ पर ऑटो जंगल वाले रास्ते की तरफ मोड़ दिया.... तकरीबन 1 घंटे तक सुरेश की ऑटो सुनसान जंगल वाले रास्ते पर चलती रही.... रास्ता बेहद खराब था.... सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे होने के कारण उसकी ऑटो हिचकोले खा रही थी... मुन्नी सो चुकी थी और मेरी दीदी भी लगभग नींद की आगोश में आ गई थी पर मैं जगा हुआ था....
अचानक उसकी ऑटो बंद हो गई.... सुरेश उसे स्टार्ट करने की कोशिश करने लगा.... पर वह बार बार विफल हो रहा था...
क्या हुआ सुरेश भाई ऑटो स्टार्ट क्यों नहीं हो रही है...
मैंने व्यतीत होते हुए सुरेश से पूछा.... मैं डर गया था क्योंकि हम बीच जंगल में थे... सुरेश ऑटो से बाहर निकल के उसका इंजन चेक करने लगा...
बाबूजी लगता है कार्बोरेटर गर्म होने के कारण इंजन स्टार्ट नहीं हो रही हैै...
अब क्या करें सुरेश भाई... मैं वाकई डर गया था....
भरी दुपहरी के बावजूद जंगल में अंधेरा जैसा लग रहा था...
क्या हुआ सुरेश भैया हम लोग यहां के रुके हुए है.... दीदी जाग चुकी थी और ऑटो से बाहर निकल कर आ गई थी... मुन्नी को उन्होंने ऑटो की सीट पर सुला दिया था...... सुरेश ने कुछ भी जवाब नहीं दिया बल्कि वह तो अपने ऑटो के इंजन को स्टार्ट करने में व्यस्त था.. जो बिल्कुल भी नहीं हो रहा था...
दीदी मैंने कहा था ना कि इस रास्ते नहीं आते हैं...
अब तो यहां हम किसी को हेल्प के लिए बुला नहीं सकते...क्या करें बताओ.... मैंने कहा.
अंशुल तुम टेंशन मत लो सुरेश भैया कुछ ना कुछ करेंगे... भैया बताओ ना क्या प्रॉब्लम हो गई...... दीदी ने सुरेश से पूछा उसके पास जाकर.....
मालकिन कार्बोरेटर गरम हो गया है, इसको ठंडे पानी की जरूरत है अभी स्टार्ट होने के लिए.... सुरेश ने कहा....
पर भैया यहां पर ठंडा पानी कहां मिलेगा इस जंगल में..
दीदी की आवाज में भी परेशानी झलक रही थी.... मालकिन यहां से थोड़ी दूर पर एक हैंडपंप है.... वहां पर पानी मिल सकता है... मेरे पास दो तीन बोतल है..... मैं ले कर आता हूं वहां से पानी... सुरेश ने कहा....
मेरी रूपाली दीदी बेहद डरी हुई थी..... आप लोग यहीं पर रुको... मैं पानी लेकर आता हूं... बस मुझे अपनी बोतल दे दो..... मैंने सुरेश को कहा...
सुरेश ने मुझे दो बोतल थमाई, और मुझे अच्छे से बताया कि वह हैंडपंप किस तरफ है...... मैं दौड़ता हुआ उस हैंडपंप पर पहुंचा.... उसने बिल्कुल सही बताया था... दो बोतल पानी भरने के बाद जल्दी जल्दी मैं वापस भागने लगा.... दौड़ता हुआ जब मैं वापस ऑटो, दीदी,
सुरेश और मुन्नी के पास पहुंचा तो मेरी फट के दो से चार हो गई...
मेरी रूपाली दीदी को दो तगड़े मर्दों ने घेर रखा था.... ऑटो वाला सुरेश भी उनके पास ही खड़ा था....
कौन हो तुम लोग ...छोड़ दो मेरी दीदी को वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.... मैंने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा और उनकी तरफ बढ़ने लगा.. सब लोग मेरी तरफ पलट के देखने लगे... मुझे उन दोनों को पहचानने में देर नहीं लगी.... दोनों हमारे ही गांव के मशहूर गुंडे थे.... असलम और जुनैद.... उन दोनों पर ना जाने कितने सिक्युरिटी केस थे... आजकल दोनों एक मर्डर केस में फरार थे.... उनको पहचानते ही मेरी हालत बुरी तरह खराब हो गई... मैं बेहद भयभीत हो गया.... मेरी रूपाली दीदी की हालत और भी खराब थी... तेरी बहन का लोड़ा ....तू भी साथ में है... हमें तो लगा तेरी दीदी अकेली है... क्यों बे सुरेश गांडू तू इसे क्यों ले लिया है यहां पर... असलम सुरेश से पूछ रहा था पर मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रहा था.... मैं क्या करता ...बाबूजी तो साथ में ही थे... इनको कहीं रास्ते में तो छोड़ नहीं सकता था... सुरेश ने नजरे झुकाते हुए कहा....
मुझे समझ में आ गया कि सुरेश ने हम लोग यहां इस मुसीबत में फसाया है.... मुझे दीदी पर भी गुस्सा आने लगा कि क्यों उन्होंने इस हरामजादे की बात मानी... पर अब पछताने से क्या फायदा... हमें इस मुसीबत से बाहर निकलना था....
मेरे रूपाली दीदी डर के मारे थरथर कांप रही थी... उनके माथे पे पसीना चमक रहा था... उनके गुलाबी होंठ थरथर आ रहे थे कुछ बोलने के लिए, पर उनकी आवाज नहीं निकल रही थी...
वाह सुरेश तूने तो आज हमारी मुराद पूरी कर दी... इसकी माल बहना को चोदने का सपना तो हम लोग न जाने कितने दिनों से देख रहे थे... साला इसके नाम अपने लोड़े का पानी न जाने कितनी बार निकाला होगा मैंने.... असलम बोला कभी मेरी तरफ तो कभी मेरी दीदी की तरफ देखते हुए...... मेरे बदन में तो मानो काटो तो खून नहीं.. क्या मस्त माल लग रही है बहन की लोड़ी यार... रूपाली रांड... साली का बदन तो कितना गदरआ गया है असलम भाई.... जुनैद मेरी दीदी को गंदी निगाहों से देखता हुआ बोल रहा था...
उसने मेरी दीदी के बारे में रांड शब्द का इस्तेमाल किया था... दीदी की निगाहें शर्म के मारे झुक गई...
हाय रे मेरी शर्मिली छमिया .... जी तो चाहता है बस तुझे अभी यहीं पर पटक के ....... बोलते बोलते जुनैद के मुंह से लार टपकने लगी...
साला इसके आगे तो फिल्मों की हीरोइन भी कुछ नहीं... साली की चूंचियां देख यार..... असलम ने अपनी बात भी खत्म नहीं की थी उसके पहले ही जुनैद ने मेरी दीदी की गुलाबी साड़ी का आंचल उनके सीने से हटा दीया... मेरा तन बदन गुस्से से जलने लगा पर मैं कुछ भी करने की हालत में नहीं था... मैं गुस्से से जुनैद की तरफ उसे मारने के लिए आगे बढ़ा.... पर बीच में ही असलम ने मुझे दबोच लिया... उसके तगड़े बदन के आगे मैं बेबस हो गया... उसने मेरा कॉलर पकड़ कर दो तीन थप्पड़ मारे, फिर मेरे पेट में घुसा जड़ दिया.... मुझे दिन में तारे दिखाई देने लगे.... रूपाली दीदी रोने चिल्लाने लगी थी..... प्लीज आप लोग मेरे भाई को मत मारो..... आप लोगों को जो भी चाहिए मैं देने को तैयार हूं... हमारे पास कुछ ज्वैलरी है.... और ₹12000 कैश है.... आप यह सब कुछ ले लो... और प्लीज हमें जाने दो अब यहां से..... मेरे भाई को छोड़ दो प्लीज मैं आपके आगे हाथ जोड़ती रही हूं.... मेरी दीदी ने पूरी तरह लाचार होते हुए कहा... उनकी आंखों में आंसू भर आए थे मेरी पिटाई देख के.. मेरी भोली हसीन रंडी.. तुझे समझ नहीं आ रहा है कि हम तुझे यहां क्यों लाए.... जुनैद मेरी दीदी को देखता होगा कामुक निगाहों से अपनी जुबान पर अपनी जीभ को घुमा रहा था.... मैं थोड़ा बहुत संभल के खड़ा हो गया.... दीदी के सीने पर अभी भी उनका आंचल नहीं था.... गुलाबी रंग की चोली में, जो कि स्लीवलेस और बैकलेस भी थी... उनके दोनों पर्वत उनकी डरी हुई सांसो के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.... दीदी की चोली वाकई में बहुत तंग थी... उनकी दोनों बड़ी बड़ी छातिया उनकी चोली को फाड़ के बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे... दीदी का मंगलसूत्र उनके क्लीवेज पर टिका हुआ था... मेरी रूपाली दीदी दोनों बड़े बड़े पर्वतों को अपने कठोर हाथों में दबोच कर जुनैद उनको भोंपू की तरह दबाने लगा..
दीदी का विरोध नाम मात्र का था.. उनके मुंह से बस एक आह निकली.... दीदी की चुचियों को छोड़कर कमर से पकड़ा जुनैद ने उन्हें और अपने बदन से चिपका लिया... वैसे तो मेरी दीदी की लंबाई भी 5 फुट 7 इंच होगी और जुनैद के 6 फुट 2 इंच लंबे बदन के आगे दीदी बिल्कुल बच्ची लग रही थी..... मेरी रूपाली दीदी की सुर्ख गुलाबी होंठ जो लिपस्टिक के कारण बिल्कुल लाल लग रहे थे, उन पर जुनैद ने अपना अंगूठा रख दिया और फिरआने लगा... दीदी की आंखें बंद हो गई थी.....
बहन चोद ऊपर के होंठ इतने गर्म है तो नीचे के होठों और कितने गरम होंग मेरे रूपाली जान..... जुनैद ने बड़ी कामुकता के साथ कहा..मेरी तो समझ में नहीं आया कि वह नीचे के किन होठों की बात कर रहा था.... पर असलम और साथ ही साथ सुरेश भी मुस्कुराने लगा था जुनैद की बात सुनकर.... असलम मेरी रूपाली दीदी के पीछे आया.... दीदी के गांड के दोनों भागों को अपने हाथों में दबोच कर वह मसल रहा था... मेरी दीदी की गोरी नंगी पीठ और गर्दन को वह चूमने और चाटने लगा था.... असलम का लोड़ा जिसने उसके पजामे के अंदर तंबू बना रखा था, मेरी दीदी की गांड के दरार के बीच में फंसा हुआ था उनकी साड़ी के ऊपर से...
मेरी दीदी के मुंह से कुछ आवाज निकलती इसके पहले ही जुनैद ने उनके सुर्ख गुलाबी होठों को अपने खुर्दरे मर्दाना होठों के बीच दबोच लिया और चूसने लगा...
मेरी रूपाली दीदी उन दोनों के मर्दाना जिस्म के बीच सैंडविच बन गई थी...... जुनैद मेरी दीदी के दोनों चूचियों को अपने हाथों में जकड़ कर उनके होठों का रस पी रहा था और पीछे से असलम मेरी दीदी की गांड को दबोच के उनकी पीठ और गर्दन को चाट रहा था.... ऑटो वाला सुरेश दृश्य देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था... यहां तक कि वह भी अपने पैंट के ऊपर से अपने लिंग को मसल रहा था.... मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं... मेरी दीदी फस चुकी थी गुंडों के बीच और मैं बेचारा भाई..... वह दोनों मेरी दीदी के नाजुक अंगों के साथ खेल रहे थे और मेरी दीदी का विरोध भी हमारी मजबूरी में दफन हो चुका था.... भरी दुपहरी में बीच सड़क पर यह खेल चल रहा था... यहां बीच सड़क पर सब करना ठीक नहीं है साहब जी.. आप लोग इनको अपने अड्डे पर ले जाओ और जी भर के ऐश करो.... यहां सड़क पर हमें किसी ने देख लिया यह सब कुछ करते हुए तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी आपके लिए भी, हमारे लिए भी.... सुरेश ने कहा वह भी थोड़ा बहुत डरा हुआ था...
सुरेश की बात सुनकर असलम ने मेरी दीदी को छोड़ दिया पर जुनैद अभी भी मेरी दीदी की छातियों को बुरी तरह मसल रहा था.... उसने मेरी दीदी के होठों को अपने होठों से आजाद किया और बोला.... तू सही कह रहा है सुरेश..... हम अपनी महबूबा को यहां नहीं चोदेंगे .... इसे तो हम अपने अड्डे पर ले जाकर पटक पटक के पलेंगे ठोकेंगे.... पर मैं अपनी इस रंडी के भाई का क्या करूं... यह बहन का लौड़ा सारा मजा खराब कर देगा... देख जुनैद हम तो इसकी रूपाली बहना को खूब ठोकेंगे, पर हम इस बहन के लोड़े को यहां से जाने नहीं दे सकते.... क्योंकि अगर यह मादरजात यहां से गया तो फिर हमारी सिक्युरिटी में कंप्लेंट कर देगा और इसके पीछे पीछे सिक्युरिटी यहां तक पहुंच जाएगी... इस भोसड़ी वाले को अपने साथ लेकर चलते हैं.. इसकी दीदी वहां पर हमारे लोड़े पर बैठेगी और यह मादरजात देखेगा.... असलम ने बड़े कठोर तरीके से मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखते हुए कहा..
बहुत सही आईडिया है असलम भाई... और कोई रास्ता भी नहीं है... इस गांडू को तो यहां छोड़ नहीं सकते... जुनैद ने कहा...
साहब जी मैं क्या करूं..... सुरेश ऑटो वाले ने पूछा..
तू एक काम कर तीन चार बोतल दारु का इंतजाम कर हमारे लिए..... बोलते हुए असलम ने सुरेश को कुछ पैसे दिए...
पर छोटी सी झोपड़ी के अंदर जो वासना का नंगा नाच होने वाला था उसका मुझे अंदाजा हो चुका था, क्योंकि मेरी रूपाली दीदी छोटी सी झोपड़ी के बीचो बीच खड़ी थी ठीक मेरे और असलम के सामने... मेरी दीदी के पीछे खड़ा जुनैद अपना पायजामा उतार रहा था... मेरी रूपाली दीदी अपने गुलाबी रंग की तंग चोली और पीले रंग के पेटीकोट में चुपचाप खड़ी थरथर.... डर के मारे मेरी दीदी के दोनों बड़े बड़े जोबन ऊपर नीचे हो रहे थे... मेरी दीदी के माथे पर पसीना... मांग में सिंदूर.... गले में मंगलसूत्र दोनों चूचियों के बीच में.... कानों में झुमके... हाथों में चूड़ी और कंगन... कमर में कमरबंद.. पैरों में पायल... उनका छोटा भाई होने के बावजूद भी मुझे कहना होगा कि मेरी रूपाली दीदी उस वक्त काम की देवी लग रही थी... लिपस्टिक से पुते हुए उनके गुलाबी होंठ जो डर के मारे थरथरा रहे थे... उनके हसीन चेहरे को और भी कामुक बना रहे थे....
ठरकी जुनैद जो पहले ही मेरी दीदी को देखकर बेहद कामुक हो चुका था और पैजामा उतरने के बाद तो उसका तना हुआ लोड़ा उसके अंडरवियर के अंदर तंबू बना चुका था.... उससे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ... उसने मेरी दीदी को पीछे से पकड़ लिया... अपनी बाहों में जकड़ लिया... पेटीकोट के ऊपर से ही उसने मेरी दीदी की गांड के दरारों के बीच अपना लोड़ा रगड़ना शुरू कर दिया... हांआई .... आ, मर गयी... मेरी रूपाली दीदी के मुंह से आवाज निकली... क्योंकि जुनैद ने मेरी दीदी की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां उनकी चोली के ऊपर से ही दबोच ली थी अपने मजबूत हाथों में.. साथ ही साथ जुनैद का तना हुआ लिंग मेरी दीदी की गांड की दरारों के बीच ना जाने क्या गुल खिला रहा था.... जुनैद मेरी दीदी के गर्दन को चुम नहीं बल्कि चाट रहा था... मेरी दीदी कसमसा ने लगी थी... एक हाथ से मेरी दीदी की चूची को दबाता हुआ जुनैद का दूसरा हाथ मेरी दीदी के पेट तक पहुंच चुका था.... मेरी रूपाली दीदी के गहरी नाभि के अंदर उसने अपने हाथ की बीच वाली उंगली डाल के गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया... कुछ देर तक मेरी दीदी की नाभि में गोल गोल अपनी उंगलियों को घुमाने के बाद जुनैद ने अपना वही हाथ मेरी दीदी की योनि पर रख दिया.... उनके पेटीकोट के ऊपर से....
मेरी रूपाली दीदी के मुंह से अजीब सी कामुक सिसकारी निकलने लगी थी...
"ओह्ह्ह, नही,...... मेरी रूपाली दीदी के मुंह से बस इतना ही निकल पाया था की जुनैद ने अपनी बीच वाली उंगली दीदी की योनि में डाल दिया था...... मेरी दीदी के पेटीकोट का कपड़ा बहुत ही नर्म था... जुनैद की उंगली के साथ ही मेरी दीदी के पेटीकोट का कपड़ा उनकी योनि में समा गया था... मेरी दीदी के गालो को चूसता हुआ जुनैद योनि के अंदर अपने बीच वाली उंगली अंदर बाहर कर न लगा... पेटीकोट के ऊपर से ही जुनैद मेरी दीदी की गांड के ऊपर झटके दिए जा रहा था... और पेटीकोट के ऊपर से ही मेरी दीदी की योनि में आगे पीछे हो रही थी जुनैद की मोटी उंगली पर कहर ढा रही थी... दूसरे हाथ से जुनैद मेरी दीदी के मस्त आई चूची को नींबू की तरह निचोड़ रहा था....
"म्म्म्मम, "ओह्ह्ह्ह ... आअहह!"ओह्ह्ह्ह..... मेरी रूपाली दीदी बेकाबू होकर सिसक रही थी....
जुनैद ने अपनी उंगली मेरी दीदी की योनि से बाहर निकाल ली.... उनके पेटीकोट का कपड़ा अब भी उनकी योनि के अंदर ही समाया हुआ था जहां पर हल्का गीलापन मुझे दिखाई दिया. जुनैद की उंगलियों के आक्रमण से शायद मेरी दीदी की योनि काम रस टपकाने लगी थी... मेरी दीदी के बदन से चिपका हुआ जुनैद बिल्कुल मदहोश हो चुका था... उसने मेरी दीदी के मदमस्त चेहरे को अपने एक हाथ से दबाव डालकर अपनी तरफ घुमाया... मेरी रूपाली दीदी ने अपने डरी हुई निगाहों से जुनैद को देखा.... मेरी दीदी और जुनैद के होंठ कुच ही इंच के फासले पर् थे.... जुनैद ने अपने मर्दाना खुर्दअरे होठों को मेरी दीदी के नरम मुलायम पर सुर्ख गुलाबी होठों पर टिका दिया... चूसने लगा था वह मेरी दीदी के लबों को.... मेरी दीदी फिर से कसमसआने लगी थी... दीदी ने अपना मुंह फेर लिया तो जुनैद मेरी दीदी के गाल को ही चाटने लगा... उसने मेरी दीदी की दाएं चूची को बुरी तरह मसल दिया... मेरी दीदी उई... आऐईइ.... आआहह बोलते हुए मचल उठी..
बहन की लोड़ी रंडी.... ठीक से हमारे साथ मजा ले वरना तेरी गांड में लोहे का सरिया डाल दूंगा माधर्चोद.... जुनैद ने दांत पीसते हुए कहा और मेरी दीदी के गाल को दांतों से काट खाया.... जुनैद की क्रूरता भरी बातें सुनकर दीदी के साथ साथ में भी डर गया था... उनका विरोध बेहद कमजोर पड़ गया... एक बार फिर जुनैद ने मेरी दीदी के होठों को अपने होठों के गिरफ्त में ले लिया और मनमर्जी से चूसने लगा... दीदी का विरोध बिल्कुल खत्म हो चुका था... बल्कि दीदी भी इस चुंबन में सहयोग करने लगी थी....
मेरी रूपाली दीदी के होठो को खूब अच्छे से चूसने के बाद जुनैद ने अपनी जुबान मेरी दीदी के मुंह में डाल दी... मेरी संस्कारी मजबूर दीदी भला और क्या करती... उसकी जुबान को चूसने लगी.... एक बार फिर जुनैद के दोनों मजबूत हाथ मेरी दीदी के दोनों ग़दरआए हुए जोबन विशाल पर्वतों की तरह ... उनका मर्दन करने लगा... चोली के ऊपर से ही जुनैद ने मेरी दीदी के दोनों विशाल पर्वतों की दोनों चोटियां ढूंढ निकाली.... जुनैद ने मेरी दीदी की दोनों बड़ी-बड़ी चुचियों की निप्पल को अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच में दबाकर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया.... मेरी दीदी की चुचियों से दूध की धार फूट पड़ी थी शायद.... तभी तो उनकी चोली गीली होने लगी थी.
देख साले तेरी बहन का दूध निकल रहा है.... मस्त दुधारू माल हो गई है तेरी रूपाली दीदी.... हाय रे तेरी दीदी का गर्म गर्म दूध पीने में तो बड़ा मजा आएगा... तेरा जीजा तो खूब चूसता होगा बहन चोद.... नशे में धुत असलम मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोल रहा था.... मैं भला उसकी बातों का क्या जवाब देता.... मेरी निगाहें शर्म के मारे जमीन में गड़ गई थी....
अगर मैं तेरे जीजा की जगह होता ... तेरी रूपाली दीदी को हमेशा अपने लोड़े पर बिठा के रखता ... साले तेरी दीदी तो पूरी मदर डेयरी बन चुकी है..... असलम अभी भी मुझे जलील किए जा रहा था.... दूसरी तरफ मेरी दीदी का दूध जुनैद क कठोर हाथों में ... दबे जा रहे थे.... मेरी रूपाली दीदी और जुनैद की जुबान आपस में जंग छेड़ चुके थे... मेरी रूपाली दीदी के पेटीकोट का कपड़ा योनि में समाया हुआ .... वहां का गीलापन कुछ ज्यादा ही हो गया था.... शायद मेरी संस्कारी दीदी की योनि अपना मदन रस कुछ ज्यादा ही बहाने लगी थी.. वह भी गैर मर्द के छेड़खानी के कारण.. तू इस रंडी की चोली खोल जुनैद मुझसे बर्दाश्त नहीं होता.... इस राड की चूची देने के लिए मैं ना जाने कब से तड़प रहा हूं.... दिखा तो सही अंशुल की दीदी की चोली के अंदर क्या है... असलम ने अपने लौड़ा को मसलते हुए कुछ तेज आवाज में संबोधित किया जुनैद को...
जुनैद तो जैसे नींद से जागा... उसने अपनी जुबान को मेरी दीदी के मुंह से बाहर निकाला.... वह मेरी दीदी की चोली के धागे पीठ पर बंधे हुए थे उन्हें खोलने लगा... कुछ ही देर में मेरी दीदी की चोली जुनैद की हाथों में थी... जुनैद ने मेरी दीदी की चोली असलम की तरफ उछाल दी... असलम ने लपक लिया... दीदी के दूध से गीली हो चुकी चोली को असलम अपनी जुबान से चाटने लगा...
बहन चोद बहुत मीठा दूध है तेरी दीदी का..... साला तेरी दीदी की दूध में तो दारू से भी ज्यादा नशा है... असलम मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराते हुए बोल रहा था.. मेरी रूपाली दीदी की बड़ी-बड़ी चूचियां सिर्फ उनके ब्रा के सहारे पर टिकी हुई थी... जुनैद ने मेरी दीदी की ब्रा का हुक खोलने में जरा भी देर नहीं लगाई... दूध से बिल्कुल गीली हो चुकी मेरी दीदी की ब्रा को जुनैद ने असलम की तरफ उछाल दिया.... असलम ने एक बार फिर लपक लिया... असलम का लोड़ा तंबू बना कर खड़ा था उसके पजामे के अंदर ही....... मेरी रूपाली दीदी अर्ध नग्न अवस्था में मेरे और असलम के सामने खड़ी थी... जुनैद ने उन्हें पीछे से दबोच रखा था... मेरी दीदी अपने हाथों से अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों को ढकने का प्रयास कर रही थी... पर जुनैद ने उनकी एक नहीं चलने दी... दीदी के दोनों हाथ पकड़ के उसने अलग अलग कर दिया.... असलम मंत्रमुद्द मेरी दीदी की चुचियों को निहारे जा रहा था...
जुनैद मां कसम आज तक मैंने ऐसी चूचियां नहीं देखी यार... इस रंडी की चूचियां देख कर मेरा लौड़ा फटने को हो गया है जुनैद.... हाय रे न जाने किस चक्की का आटा खाती है यह साली माधर्चोद.... कितनी बड़ी हो गई है इस रंडी की चूचियां... पर फिर भी कितनी टाइट हो रही है.... निपल्स तो देख मेरी रंडी के.... ऐसे लाल निपल्स तो हमारे यहां किसी कि नहीं होंगे..... और कितने खड़े खड़े हैं निपल्स..... इस के पति के तो मजे हैं... साला खूब चूसता होगा... असलम ने खूब दारु पी ली थी.. ना जाने क्या क्या बक रहा था... असलम ने अपने पजामे को उतार दिया.. उसने अपना अंडरवियर भी उतार दीया बिना देर किए...... असलम का 10 इंच का तना लौड़ा देखकर मेरी फट गई... इतना बड़ा लौड़ा तो मैंने आज तक नहीं देखा था.... असलम की निगाहें मेरी रूपाली दीदी पर जमी हुई थी.... पर उसका हाथ अपने खूंखार लोड़े को ऊपर नीचे करने लगा था....
मेरी रूपाली दीदी बड़ी बेबसी से इस सारे नजारे को देख रही थी... दीदी कभी मुझे देखती तो कभी असलम के लोड़े को.... दीदी की निगाहें जब मेरी निगाहों से टकराई तो उनकी आंखें शर्म और हया के मारे झुक गई.... असलम ने मेरी दीदी के गीली ब्रा को अपने लोड़े पर लपेट लिया जो उनके दूध से सना हुआ था.... उसकी हरकत देखकर मेरी दीदी विचलित हो गई.... उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली....
असलम ने दारू का नया जाम बना लिया था... मेरी दीदी की ब्रा असलम के लोड़े पर झूल रही थी.... दूसरी तरफ मेरी रूपाली दीदी को जुनैद ने नीचे सूखी घास पे पटक दिया था और उनके ऊपर सवार हो गया था.... ठीक हमारी आंखों के सामने.... जुनैद ने अपने पजामा उतार फेंका था... उसका लौड़ा उसके अंडरवियर के अंदर तंबू बना के खड़ा था.. मुझे लग रहा था कि जुनैद का लोड़ा असलम के काले भयंकर लोड़े से भी बड़ा होगा.... जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी के पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया... एक झटके में उसने मेरी दीदी के पेटीकोट को उनकी टांगों से आजाद कर दिया और दूर उछाल दीया... जुनैद ने अपना कुर्ता भी उतार दिया था.... जुनैद के बदन पर वस्त्र के नाम पर सिर्फ उसका अंडरवियर था... नीचे सूखी घास पर लेटी हुई मेरी संस्कारी रूपाली दीदी के बदन पर भी सिर्फ उनकी गुलाबी पेंटी बची हुई थी.... जो बेहद छोटी थी.... और मेरी दीदी की लाज बचाने में असमर्थ लग रही थी.... मेरी दीदी की लाज उनकी छोटी सी पैंटी क्या बचाती जबकि उनका सगा भाई तो ठीक उनके सामने बैठा हुआ अपनी दीदी की इज्जत को तार तार होता हुआ देख रहा था.. जुनैद ने मेरी दीदी की दोनों गोरी गोरी टांगों को फैला दिया और उनके ऊपर चढ़ गया...... जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी के गुलाबी होठों को फिर से अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया और उनकी योनि पर अपने लौंडे से जोर जोर से धक्के लगाने लगा अंडरवियर के ऊपर से ही... कुछ देर मेरी दीदी के होठों का रसपान करने के बाद जुनैद ने मेरी दीदी की बड़ी-बड़ी चुचियों को एक बार फिर अपने मजबूत कठोर हाथों में दबोच के उन्हें भूखी निगाहों से देखने लगा.... दीदी के दोनों लाल लाल निपल्स जो बिल्कुल खड़े हो चुके थे उन पर दूध की बूंदे भी साफ साफ दिखाई दे रही थी मुझे .... जिन्हें देखकर मेरे मुंह में भी पानी आने लगा था... हालांकि मैं अपनी सगी दीदी की चूची देख रहा था... पर ना जाने क्या जादू था मेरी दीदी की चुचियों में की पैंट के अंदर मेरा लिंग भी हिचकोले खाने लगा...... जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी की चुचियों को जोर जोर से पंप करना शुरू किया.... दीदी के निप्पलस से दूध की धार निकलने लगी... दीदी के दूध से जुनैद का चेहरा गीला होने लगा.... गरम गरम दूध की बौछार देख जुनैद से रहा नहीं गया... उसने मेरी दीदी के निप्पल को मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा.... उसने मेरी दीदी के निप्पल पर अपने दांत गड़ा दिए.....
दर्द से बिल-बिला उठी कमसिन नव-यौवना मेरी रूपाली दीदी...
आययईीीई…माआ… दीदी की कामुक आवाज से पूरी झोपड़ी गूंजने लगी थी... लेकिन उनकी दर्द भरी सिसकियां जुनैद पर कुछ भी असर नहीं डाल पा रही थी... बल्कि मेरी दीदी की दूसरी चूची को जुनैद और जोर जोर से मसल रहा था... दूसरी तरफ असलम अपनी लोड़े को हाथ में लिए हुए मेरे रूपाली दीदी का चक्षु चोदन कर रहा था..... जुनैद के अंदर जैसे एक जानवर आ गया था वह कभी मेरी रूपाली दीदी की बाई चूची को मुंह में लेकर दूध पीता तो कभी दाएं चूची को.... साथ ही साथ वह मेरी दीदी की चूचियों पर अपने दांतो का मुहर भी लगा रहा था.. दांत काट काट के मेरी दीदी की चूचीऔ पर उसने मेरी दीदी को बेहाल कर दिया... मेरी दीदी पीड़ा में थी.... यह किस प्रकार की पीड़ा है मेरी समझ में नहीं आ रहा था.... क्योंकि मेरी दीदी के मुंह से कामुक चीत्कार निकल रही थी....
मेरा लौड़ा तो बिल्कुल तन गया था मेरी पैंट के अंदर ही अपनी सगी बहन की कामुक सिसकियां सुन के और उनकी चूचियों को एक गैर मर्द द्वारा चूस चूस के दूध नेछोड़े जाते हुए देख कर.... मैं अंदर ही अंदर ग्लानि का अनुभव कर रहा था पर मेरा लौड़ा मेरे काबू में नहीं था.... जुनैद का 10 इंच का मोटा काला लंड उसके अंडरवियर से बाहर आ चुका था.... जो मेरी रूपाली दीदी के कुल्हों और जांघों के जोड़ों के बीच जा घुसा…! दीदी की पेंटी अभी भी उनकी योनि की रक्षा कर रही थी भले ही बेहद छोटी थी... पर वह छोटी सी पैंटी रूपाली दीदी की लाज की कब तक रक्षा करती... मेरी दीदी की पेंटी को अपने हाथों में ले कर दो टुकड़े कर दिए जालिम जुनैद ने.... जुनेद मेरी रूपाली दीदी की योनि को घूर घूर के देख रहा था...
असलम भाई ऐसी तो आज तक नहीं देखी ... जुनैद के मुंह से लार टपक रही थी मेरी दीदी की योनि को देख.. जुनैद का मस्त घोड़ा मेरी रूपाली दीदी का अस्तबल पाकर हिनहिनने लगा…! जुनैद का लोड़ा 180 डिग्री पे तन के खड़ा हो गया था.... वह मेरी दीदी की योनि को भूखे कुत्ते की तरह देख रहा था.... जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी की दोनो टांगे पकड़ के ऊपर हवा में उठा दी... पूरी तरह से नंगी हो चुकी मेरी दीदी कि दोनों टांगों को जुनैद ने उनके कंधे पर रख दिया... दीदी के घुटने उनके कंधों से चिपके हुए थे... जुनैद ने अपना लौड़ा मेरी दीदी की गांड की दरार पर टिका दिया... मेरी रूपाली दीदी की छोटी सी गान्ड की दरार किसी बबूल के डंडे की खूँटि जैसे लंड पर टिक गयी…!
गान्ड के छेद पर दबाब पड़ते ही मेरी दीदी के मुंह से अजीब अजीब सिसकारियां निकलने लगी...
मेरी रूपाली दीदी के दोनों घुटने पकड़ के को चौड़ा किया जुनैद ने. मेरी दीदी की गुलाबी योनि असलम की आंखों के सामने थी... असलम मेरी दीदी की योनि को देख रहा था एकटक.... नजर उठाकर मैंने भी अपनी रूपाली दीदी की योनि को देखा.. जुनैद ने मेरी रूपाली दीदी की दोनो टांगे पकड़ के ऊपर हवा में उठा दी... पूरी तरह से नंगी हो चुकी मेरी दीदी कि दोनों टांगों को जुनैद ने उनके कंधे पर रख दिया... दीदी के घुटने उनके कंधों से चिपके हुए थे... जुनैद ने अपना लौड़ा मेरी दीदी की गांड की दरार पर टिका दिया... मेरी रूपाली दीदी की छोटी सी गान्ड की दरार किसी बबूल के डंडे की खूँटि जैसे लंड पर टिक गयी…!
गान्ड के छेद पर दबाब पड़ते ही मेरी दीदी के मुंह से अजीब अजीब सिसकारियां निकलने लगी...
मेरी रूपाली दीदी के दोनों घुटने पकड़ के को चौड़ा किया जुनैद ने. मेरी दीदी की गुलाबी योनि असलम की आंखों के सामने थी... असलम मेरी दीदी की योनि को देख रहा था एकटक.... नजर उठाकर मैंने भी अपनी रूपाली दीदी की योनि को देखा.. मेरी रूपाली दीदी की योनि बिल्कुल चिकनी थी... उनकी योनि पर एक भी बाल नहीं था... दीदी ने आज ही शायद अपनी योनि को साफ किया होगा... गुलाबी योनि की पंखुड़ियां खुली हुई थी..... दीदी की योनि बिल्कुल साफ चिकनी लग रही थी.... रक्त रंजित योनि का लाल हिस्सा बंद था... पर दीदी की योनि की दोनों लाल पंखुड़ियां जो आपस में चिपकी हुई थी पर बेहद गीली हो चुकी.... अपने ही मदन रस से.... दीदी की योनि की गुलाबी पंखुड़ियां फड़क रही थी.... जुनैद का मोटा काला लोड़ा मेरी दीदी की गांड के छेद के साथ साथ मेरी दीदी की योनि की पंखुड़ियों पर भी रगड़ खा रहा था.... जुनैद का लोड़ा मेरी दीदी की गहरी घाटियों के अंदर समाने को पूरी तरह तैयार था.... पर जुनैद अभी भी मेरी दीदी की योनि पर अपने बड़े लोड़े को रगड़ रहा था.... अपनी मुनिया पर लोहे जैसे लोड़े का एहसास पाकर मेरी रूपाली दीदी जोर जोर से सीसीआने लगी... मेरी दीदी तड़प उठी थी....
जुनैद ने बिना देर किए अपने खूंटी जैसे लोड़े को मेरी रूपाली दीदी कि कमसिन योनि में एक जबरदस्त झटके के साथ पेलने लगा... अपनी नाजुक नाजुक योनि में जुनैद के कठोर लोड़े का झटका खाकर मेरी दीदी बेहाल हो गई थी... मेरी दीदी चीख रही थी और मेरी तरफ देख रही थी.... उनकी आंखों में आंसू थे.... उनकी आंखे देखकर लगा था जैसे वह मुझसे कह रही हो की प्लीज भाई मुझे बचा लो इस दरिंदे से... दीदी की हालत देखकर मुझे उन पर तरस आने लगा और खुद पर भी... सगा भाई होने के बावजूद भी मैं अपनी संस्कारी पतिव्रता दीदी की लाज एक गुंडे के हाथों लूटते हुए देख रहा था... चुपचाप...ओह्ह… माँ ऽऽ, फाड़ दी अह्ह… ओह्ह...ऊओह्ह… माँ … मेरी रूपाली दीदी के मुंह से आवाज निकलने लगी थी.. क्यों की जुनैद ने मेरी दीदी की योनि के अंदर कुछ जबरदस्त झटके दिए थे... जुनैद का पूरा लोड़ा मेरी दीदी की छोटी सी योनि में समा चुका था... जुनैद ने मेरी दीदी की दोनो टांगे फैला दी नीचे जमीन पर सूखी घास पर और उनके ऊपर लेट गया.. उसने मेरी दीदी की एक चूची अपने मुंह में ले लि और मेरी दीदी का दूध पीने लगा.... उसका लौड़ा अभी भी मेरी दीदी की योनि की गहराइयों में समाया हुआ था... देख बहन चोद देख.... जुनैद अब तेरी संस्कारी दीदी की चूत का भोसड़ा बना देगा... असलम अपना लौड़ा हिलाते हुए मुझे संबोधित करते हुए कह रहा था पर उसकी नजर जुनैद के नीचे नंगी लेटी हुई मेरी रूपाली दीदी पर ही थी... कुछ देर मेरी दीदी का दूध चूसने के बाद जुनैद ने मेरी दीदी की ठुकाई चालू कर दी... जुनैद अपना पूरा लोड़ा बाहर निकलता और एक झटके में मेरी दीदी की योनि में डाल देता.... मेरी दीदी कराह उठी... वह बिलबिला रही थी.. मचल रही थी... पर जालिम जुनैद मेरी दीदी की योनि की धुनाई किए जा रहा था...मेरा लंड अपने तेवर दिखा रहा था.. ना चाहते हुए भी वह बार-बार खड़ा हो रहा था अपनी सगी दीदी की ठुकाई देखकर... वह भी एक गुंडे के द्वारा.... जुनैद जमीन पर उल्टा हो गया... अब मेरी दीदी उसके ऊपर थी... जुनैद ने मेरी दीदी को बाहों में दबोच रखा था.. उसका लौड़ा मेरी दीदी की योनि में -अभी समाया हुआ था. उसने उठने की कोशिश की तो उसका लौड़ा मेरी दीदी की योनि से फिसल के बाहर निकल गया.. उसका लौड़ा किसी कालिया नाग की तरह लग रहा था... जुनैद उठ के बैठ गया था उसने मेरी दीदी को अपनी गोद में बिठा रखा था... दोनों पसीने से भीगे हुए थे और बिल्कुल नंगे थे.. जैसे अखाड़े में दो पहलवान.... पर यह तो वासना का अखाड़ा था जहां पर मेरी संस्कारी सुहागन रूपाली दीदी एक गैर मर्द से लड़ रही थी... अपनी लाज बचाने के लिए... पर लाज बचाना तो दूर की बात है मेरी दीदी तो नंगी होकर उसके ऊपर बैठी हुई थी.... जुनैद ने अपने लोड़े को एक हाथ में पकड़ा और उसे सीधा किया. मेरी दीदी की कमर थाम के उसने अपना लौड़ा मेरी दीदी की योनि पर सेट किया... दीदी ना नुकुर करने लगी तो जुनैद ने उनकी चूचि को अपने दांतों में दबा लिया और काटने लगा... एक बार जब जुनैद के लोड़े का सुपाड़ा मेरी दीदी की योनि में समा गया... जुनैद ने मेरी दीदी को अपनी दोनों बांहों में मजबूती से जकड़ लिया... और दीदी को अपने लोड़े पर बिठाने लगा.... मेरी दीदी एक दर्द भरी चीख के साथ उसके लोड़े पर बैठने लगी.... जुनैद ने नीचे से जोर का झटका दीया और उसका लौड़ा मेरी दीदी की योनि मैं आधा घुस गया... मेरी दीदी तड़पने और झटपट आने लगी... पर जुनैद को उनकी परवाह नहीं थी.
निर्दई जुनैद के लोड़े पर मेरी दीदी इंच इंच करके बैठने लगी... रास्ता बेहद दर्दनाक था... पर मेरी दीदी मजबूर थी... क्योंकि जुनैद की मजबूत पकड़ में मेरी दीदी लाचार हो चुकी थी.... मेरी दीदी के दोनों घुटने नीचे जमीन पर सूखी घास में लगे हुए थे... दीदी की आंखों में आंसू थे और उनकी योनि में लोड़ा... दीदी अपने होठों को अपने दांतों में दबा जुनैद के लोड़े पर सवार थी.... जुनैद के घोड़े जैसे लोड़े पर मेरी दीदी घुड़सवार बनकर बैठ चुकी थी... जुनैद ने नीचे से जोर जोर से झटके देने शुरू किए और अपना घोड़ा मेरी दीदी की योनि में पूरा का पूरा अंदर डाल दिया....साली रंडी कुतिया, ले खा मेरा लौड़ा कुतिया भोसड़ी की…” और गालियाँ देने लगा था जुनेद... क्योंकि उसने मेरी दीदी की गांड को दबोच कर अपने लोड़े पर पटकना शुरू कर दिया था... मेरी दीदी के सफेद गर्म दूध से उसका पूरा चेहरा गीला हो चुका था... मेरी दीदी का बुरा हाल था... और उनकी हालत देखकर असलम अपने लोड़े को और जोर जोर से हिला रहा था..
साली रंडी..... मस्त चुडक्कड़ है तेरी रूपाली दीदी... हाय रे अंशुल... आज तो तेरी दीदी का फाड़ के रख देगा सभी छेद मेरा जुनैद... असलम अपने लोड़े को हिलाते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोल रहा था... दूसरी तरफ जुनैद मेरी दीदी को अपने लोड़े पर बिठा के नीचे से धक्के दिए जा रहा था... बड़ी बेरहमी से वो मेरी दीदी की योनि की धुलाई कर रहा था... मेरी दीदी की चुचियों से सफेद दूध निकल रहा था... बिना हाथ लगाए जुनैद के..... साली रंडी चुडक्कड़ भोसड़ी की... तेरी मां की... तेरी बहना प्रियंका रंडी की गांड में मेरा लौड़ा ... साली छिनाल कुत्तिया... तेरी छोटी बहन को पटक पटक कर चोद दूंगा... माल हो गई है बहन की लोड़ी तेरी छोटी बहना भी... जुनैद बड़बड़ा रहा था और मेरी रूपाली दीदी को अपनी लोड़े पर उछाल उछाल के चोद रहा था....
प्रियंका दीदी का नाम उस के मुंह से सुनकर मेरी फट गई... क्या यह लोग मेरी प्रियंका दीदी की भी लेंगे..... मेरा खड़ा हुआ लौड़ा फिर से बैठ गया.... पर मेरी रूपाली दीदी की कामुक चीत्कार कुछ और ही इशारा कर रही थी.... दीदी की आंखें बंद थी.. और वह जुनैद के लोड़े पर खुद ही उछल रही थी... जुनैद के लोड़े के झटके ने ऐसा कमाल किया कि मेरी रूपाली दीदी सिसकारियां लेने लगी-“आआऽ उम्म्म्म… ओह्ह… ऊह्ह… अह्ह…” दीदी की अजीबोगरीब आवाज सुनकर मेरा लौड़ा फिर से टाइट होने लगा....
-“आआऽ उम्म्म्ऊह्ह… अह्ह…” मेरे साथ जो भी करना है कर लो पर मेरी छोटी बहन के साथ ऐसा कुछ भी मत करना. ..वह बहुत भोली है... ओह्ह… अह्ह… इतना बड़ा नहीं झेल पाएगी.. मेरी रूपाली दीदी बोल रही थी और साथ ही साथ जुनैद के लोड़े पर उछल रही थी... मेरी रूपाली दीदी जुनैद के लोड़े की तारीफ कर रही थी या मेरी प्रियंका दीदी को बचाने की कोशिश कर रही थी... मेरी तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था... पर मेरा लौड़ा