Update 13

मुझे देखते ही ढोलू के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान तैरने लगी..

अरे अंशुल तुम.. आओ आओ अंदर आओ.. कैसे हो तुम.. और घर में बाकी सब लोग कैसे हैं... ढोलू ने मुझसे पूछा..

जी भैया घर में सब ठीक है... आप कब ...( जेल से कब रिहा हुए).. मैं पूछना चाहता था पर बोल नहीं पाया..

राजू है क्या घर में भैया.. मैंने पूछा.

नहीं , राजू को मैंने बाहर भेजा है कुछ काम से.. आ जाएगा थोड़ी देर में.. तुम अंदर आओ.. ढोलू कहा और मेरा हाथ पकड़ कर घर के अंदर ले गया मुझे..मुझे ढोलू को देखकर बहुत डर लग रहा था.. उसका व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था.. कम से कम 6 फुट 2 इंच लंबा.. बलिष्ठ शरीर.. काला रंग, ऊपर से उसने शर्ट भी नहीं पहनी हुई थी.. उसकी बातों से लगा कि वह अकेला घर में बैठा दारू पी रहा है और खूब नशे में है..

उसके कमरे में जाते ही वहां का नजारा देख कर मुझे अजीब सा लगा.. टेबल पर बियर की 2-3 खाली बोतल पड़ी हुई थी.. और एक शराब की बोतल और ग्लास.. बोतल वैसे आधी खाली हो चुकी थी... पूरा कमरा धुए से भरा हुआ था.. बुझी हुई चिलम उसके बगल में ही पड़ी हुई थी..

ढोलू ने मेरा हाथ पकड़ कर सोफे पर बिठा दिया मुझे, और मेरे सामने ही बैठ गया... उसने फिर से दारु पीना चालू कर दिया और अपना चिलम सुलगा के मेरी तरफ बढ़ाया..

नहीं भैया मैं चिलम नहीं पीता हूं.. मैंने मना किया..

ढोलू ने जबरदस्ती नहीं की मेरे साथ और खुद चिलम पीने लगा..

मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसके साथ क्या बात करूं..

भैया मुझे जाना है मैं फिर बाद में आ जाऊंगा.. मैंने कहा..

अरे सुन तो अंशुल.. मुझे तुझसे कुछ जरूरी बात करनी है.. कहां जा रहा है, अभी थोड़ी देर में राजू आने ही वाला है.. ढोलू ने मुझसे कहा.

मैं चुपचाप शांति से वहीं पर बैठ गया.. वैसे भी मुझ में हिम्मत नहीं थी ढोलू की बात को मना कर सकूं..

ढोलू की नजर अपने मोबाइल पर टिकी हुई थी.. वह उसमें कोई वीडियो देख रहा था... मेरा ध्यान उसकी तरफ नहीं था..

अचानक उसके मोबाइल से...आ आ अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! अहह.. ! आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. !.. की आवाजें आने लगी..

जाहिर है वह कोई ब्लू फिल्म देख रहा था अपने मोबाइल पर.. और मुस्कुरा रहा था.. उसकी लूंगी में टेंट बना हुआ था... तभी मेरा ध्यान उसके मोबाइल में सिसक रही औरत की तरफ गया... मुझे लगा कि यह आवाज तो कोई जानी पहचानी सी है...

सुना है तेरी रूपाली दीदी अपने ससुराल से वापस आई है.. राजू बता रहा था कि तेरी दीदी मां भी बन चुकी है.. तेरा जीजा भी आया है क्या... ढोलू ने कुटिल मुस्कान के साथ देखते हुए मुझसे पूछा..

ढोलू की आंखें लाल हो चुकी थी.. उसकी आंखों में वासना थी.. उसकी नजरें कभी अपने मोबाइल में चल रहे वीडियो पर .. कभी मेरे चेहरे की तरह होती .. मेरी तो हवाइयां उड़ी हुई थी.. थोड़ा बहुत मेरी भी समझ में आने लगा था... मेरी समझ में यह बात तो आ चुकी थी कि मोबाइल में ढोलू जिस औरत का वीडियो देख रहा है.. और अपना लूंगी में टेंट बनाया हुआ लोड़ा अपने एक हाथ से सहला रहा है, वह और कोई नहीं बल्कि मेरी रूपाली दीदी है..

मैंने अपनी घबराहट को छुपाते हुए... जी भैया, मेरी रूपाली दीदी पहली बार अपने ससुराल से वापस आई है..

फिर तो बहुत मजा आने वाला है... कसम से अंशुल... तुझे पता है.. मेरी बीवी मुझे हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर जा चुकी है.. अब वह लौट के नहीं आना चाहती..

ढोलू घूंट पर घुट दारु पिए जा रहा था.. और नशे की हालत में न जाने क्या क्या बड़बड़ा रहा था.. मेरी तो पहले से ही गांड फटी हुई थी.. मैं बेहद डरा हुआ था... मेरी हिम्मत बिल्कुल नहीं हो रही थी कि मैं ढोलू को कुछ भी बोलूं..

बड़ी हिम्मत करके मैंने कहा: ढोलू भैया प्लीज मुझे घर जाना है मैं फिर बाद में आ जाऊंगा राजू से मिलने..

मेरी बात सुनकर ढोलू पहले तो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया.. फिर उसने बड़े ही कठोर अंदाज में मुझसे कहा: चुपचाप यहीं बैठा रह साले बहन के लोड़े.. बहन चोद... अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई है.. तुझे एक वीडियो दिखाता हूं... यह देख...

मेरी आंखों के सामने अपने मोबाइल की स्क्रीन रख ढोलू मेरी तरफ देखकर कुटिलता से मुस्काने लगा..

उस वीडियो में मेरी रूपाली दीदी की चुदाई हो रही थी मेरे ही घर की छत पर.. मेरी रूपाली दीदी हमारे घर की छत पर पूर्ण नग्न अवस्था में घोड़ी बनी हुई थी.. पीछे से उनके बाल पकड़कर रवि उनकी गांड मार रहा था और आगे से दिनेश अपना लौड़ा मेरी बहन के मुंह में ठूंस के मजे ले रहा था... जैसा कि आपको पता है दोस्तों यह घटना तो मेरी आंखों के सामने ही हुई थी.. और जब यह सब कुछ देखते हुए मैं खड़ा-खड़ा मुट्ठ मार रहा था... उसी वक्त राजू ने पूरी घटना का वीडियो बना लिया था अपने मोबाइल में... पूरी बात मेरी समझ में आ चुकी थी... राजू के मोबाइल से वह वीडियो ढोलू के पास कैसे पहुंची इस बात का तो मुझे कोई अंदाजा नहीं था.. पर एक बात तो तय हो चुकी थी कि अब मैं और मेरी रूपाली दीदी एक दूसरी मुसीबत में फंस चुके हैं.. क्या ढोलू भी मेरी रूपाली दीदी को परेशान करेगा... मैं इन्हीं बातों में खोया हुआ था..

यह तेरी रुपाली दीदी ही है ना... ढोलू ने बड़े कामुक अंदाज में मुझसे पूछा... मुझे काटो तो खून नहीं... मेरा चेहरा काला पड़ गया.. मैं कुछ भी बोलने की अवस्था में नहीं था..

बोल ना बहन चोद... मुंह में दही जम गया है क्या मां के लोड़े.. साले.. भड़वे... वीडियो को आगे फॉरवर्ड करके मुझे दिखाते हुए ढोलू ने मुझसे कहा... यह देख बहन के लोड़े.. तू अपनी बहन को ही अपनी सती सावित्री बहन चुदते हुए देख मुट्ठ मार रहा है कुत्ते...

सारा दृश्य मेरी आंखों के सामने था... मेरी गांड फट के चबूतरा हो चुकी थी... मेरी हालत रोने जैसी हो गई थी... बड़ी हिम्मत करके मैंने कहा:

ढोलू भैया आप क्या चाहते हो.. आपको यह वीडियो कहां से मिली.

प्लीज भैया अगर यह बात किसी को भी पता चल गया तो मैं मर जाऊंगा आत्महत्या करके... आप मुझसे क्या चाहते हो..

... मैं लगभग रोने लगा था..

मेरी हालत देखकर ढोलू के चेहरे पर एक कामुक और कुटिल मुस्कान सजी हुई थी... उसने अपनी लूंगी हटाकर अपना मुसल लण्ड मेरी आंखों के सामने प्रदर्शित कर दिया.. उसका काला भयंकर मुसल लण्ड देख कर मैं मेरा गला सूखने लगा... तकरीबन 10 इंच, असलम के बराबर, मगर मोटाई में तो इसका कोई जवाब नहीं था.. मेरे एक हाथ की मुट्ठी की गोलाई में भी नहीं समा पाता, ढोलू का लोड़ा अपनी पूरी लंबाई में तन कर खड़ा था.. बेहद भयंकर लौड़ा मेरी आंखों के सामने था...

मेरी रूपाली दीदी के गोरे गुलाबी जिस्म के बारे में सोच सोच कर अपना लौड़ा सहलाने लगा अपने हाथ से ढोलू.. मेरी तरफ देखता हुआ.

मेरी हालत बिल्कुल पतली हो चुकी थी.. ढोलू की बातें सुनकर और उसकी हरकतें देखकर मुझे कुछ कुछ तो समझ में आ रहा था कि यह इंसान आखिर क्या चाहता है, पर फिर भी मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी पूछने की.. मेरी नजरें उसके काले रंग के 10 इंच बड़े लंड पर टिकी हुई थी.. और उसकी नजरें मेरी रुपाली दीदी पर... ढोलू का 10 इंच लंबा & बहुत ही मोटा लंड 2 बड़े-2 आंडो के उपर सीधा तना खड़ा था, बिल्कुल कुतुबमीनार की तरह..

ढोलू भैया.. प्लीज आप यह वीडियो अपने मोबाइल में से डिलीट कर दो.. नहीं तो हमारे पूरे खानदान की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.. मैंने बड़ी हिम्मत करके कहा..

साले... आज तुझे अपने खानदान की इज्जत की पड़ी हुई है.. बहन के लोड़े तुझे शर्म नहीं आई जब तू अपनी सगी बहन को चुदते हुए देख मुट्ठ मार रहा था बहन चोद...ढोलू की आंखों में हवस थी.

ढोलू भैया... आप क्या चाहते हो, आप जो कहोगे वह मैं करने के लिए तैयार हूं, पर प्लीज यह वीडियो डिलीट कर दो अपने मोबाइल से, अगर किसी ने देख लिया तो मेरी रूपाली दीदी पूरे गांव में बदनाम हो जाएगी... मैं ढोलू के पैरों में गिर कर रोने लगा..

पर ढोलू को मेरे ऊपर बिल्कुल भी दया नहीं आई.. उसने मेरे बाल पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर उठाया... अब मेरी आंखों के ठीक सामने उसका खूंखार लंड खड़ा था.. देख बहन के लोड़े देख.... ठीक से देख लोड़े को.. क्या मेरा लौड़ा दिनेश और रवि के लोड़े से कमजोर है... ढोलू ने मुझसे पूछा..

नहीं भैया... आपका लल.. बहुत बड़ा है.. मेरे मुंह से लंड शब्द नहीं निकल पाया...

इसी लंड से अब मैं तेरी रुपाली दीदी को पेलूंगा... तेरी रंडी बहन को पटक पटक के चोदूंगा... साली की चूत का भोसड़ा बना दूंगा.. तेरी बहन को घोड़ी बनाकर उसकी गांड भी मारूंगा.. बहन चोद... क्या मस्त आइटम है तेरी रुपाली दीदी... जब से तेरी बहन जवान हुई है तभी से सपने देख रहा हूं तेरी बहन को अपने लंड पर बिठाने का.. आप जाकर मौका मिला है मां के लोड़े.. मस्त बड़े-बड़े ग़दर तेरी बहन की चूची देख यार, गुलाबी नेपल्स... दूध से भरी हुई है, बहुत मजा आने वाला है तेरी बहन की चूची से दूध पीने में... साली रंडी पूरी दूध की दुकान है..

ढोलू बड़बड़ा रहा था.. और अपना आज हिला रहा था मेरी आंखों के ठीक सामने... वह पूरी तरह पागल हो चुका था..

मेरा लौड़ा चूस देगा क्या बहन चोद.... मुझसे पूछा उसने.

नहीं ढोलू भैया.. प्लीज मुझे माफ कर दो... मैंने कहा..

चल कोई बात नहीं बहन के लोड़े.. अब तो तेरी रूपाली दीदी मेरा लंड चूस चूस के लेगी.. तेरी बहन को इतना पेलूंगा कि तेरी रुपाली दीदी 4 दिनों तक ठीक से चल भी नहीं पाएगी .. रंडी साली..."ऊन्नह....हायऽऽऽऽ तेरी बहना..हायऽऽऽऽ ... बोलते हुए ढोलू ने मेरे चेहरे के ऊपर ही लण्ड की पिचकारी मार दिया.. मेरा पूरा फेस गीला हो गया.. ढोलू तो सोफे पर लेट के लंबी लंबी सांसे लेने लगा.. और मैं अपने चेहरे को पास में पड़े हुए तौलिए से साफ करने की कोशिश करने लगा.. मुझे बहुत ही बुरा लग रहा है... मैं मन ही मन इस अपमान का घूंट पी के रह गया.. क्योंकि आने वाली मुसीबत बहुत बड़ी थी..

कुछ देर बाद जब मैं वहां से निकलने के लिए दरवाजे की तरफ जाने लगा तो ढोलू ने एक बार फिर मुझे रोका.. वह मेरे पास आया और उसने मुझसे कहा...

सुन बहन के लोड़े.. कल दोपहर 12:00 बजे तू अपनी रुपाली दीदी को लेकर मेरे घर पर आएगा... मैं राजू को बाहर भेज दूंगा.. समझ गया ना.. अगर कल दोपहर 12:00 बजे तक तेरी बहना यहां नहीं आई, तो गांव के हर लौंडे के मोबाइल में तेरी बहन का यह वीडियो होगा.. पूरा गांव तेरी बहन को देखकर मुट्ठ मारेगा... और तेरी इज्जत क्या रह जाएगी साले, तू भी तो इस वीडियो में है... कल दोपहर 12:00 बजे.. समझा..

मैंने सर झुका कर ढोलू को अपनी मौन सहमति दी.. मैं वहां से निकल गया.. पूरे रास्ते में सोचता रहा कि अब मैं क्या करूं... मैं अपनी दीदी को यह बात कैसे बताऊंगा... मुझे अपने दोस्त राजू पर बहुत गुस्सा आ रहा था, उसी की वजह से हम लोग इस मुसीबत में फंसे हुए थे.. मेरा सर घूम रहा था चक्कर खा खाकर... मैं अपने घर पहुंच कर अपने बिस्तर में जाकर लेट गया और सो गया...

शाम को मैं अपनी रुपाली दीदी के पास बैठा हुआ था.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी दीदी को क्या बताऊं.. मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी... मेरी हालत देखकर मेरी रुपाली दीदी ने मुझसे पूछा..

क्या हुआ अंशुल... तुम इतना परेशान क्यों लग रहे हो.. कोई बात है तो मुझसे बता सकते हो..

हां दीदी.. दरअसल बात यह है कि... वह वीडियो... वीडियो.. मैं हकला रहा था.

कौन से वीडियो अंशुल... क्या बोलना चाहते हो तुम साफ-साफ बोलते क्यों नहीं... मेरी दीदी चिंतित स्वर में बोली..

दीदी.. उस दिन छत पर जब दिनेश और रवि आपके साथ.... उस दिन ना जाने कब राजू ने अपने मोबाइल में पूरी वीडियो बना के रख ली है.. डरते डरते घबराते घबराते मैंने लगभग पूरी बात अपनी रुपाली दीदी को बता दी.. मेरी बात सुनकर मेरी दीदी के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई थी, उनका चेहरा भी पीला पड़ने लगा था... मेरी बहन किसी गहरी सोच में डूबी हुई थी..

मैं मन ही मन सोच रहा था कि अगर मेरी रूपाली दीदी ने ढोलू के पास जाने से इंकार कर दिया तो फिर मैं क्या करूंगा... मेरी गांड फटी हुई थी..

कुछ देर बाद मेरी रूपाली दीदी ने मुझसे जो बात बताई सुनकर मैं हतप्रभ रह गया था... मेरी दीदी ने कल के लिए जो योजना बनाई थी हुआ सुनने में तो मुझे बड़ी अजीब लग रही थी.. पर मुझे अपनी दीदी पर पूरा भरोसा था... और इसके अलावा हमारे पास कोई चारा भी नहीं था.. मैंने अपनी दीदी की बात मान ली... मेरे जीजू कुछ काम से अपने घर वापस लौट चुके थे.. रात को हम सब ने मिलकर खाना खाया और अपने अपने कमरों में सोने के लिए चले गय.. मुझे नींद नहीं आ ही थी.. मैं सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि कल वह गुंडा मेरी बहन के साथ ना जाने क्या-क्या करेगा... खैर जो भी हो मुझे अपनी बहन की योजना के अनुसार ही काम करना होगा... इसी में हमारी भलाई है... इन्हें खयालों में खोए हुए ना जाने मुझे कब नींद आ गई..

अगले दिन मेरी रूपाली दीदी ढोलू के घर पर जाने के लिए तैयार हो चुकी थी मेरे साथ... मेरी दीदी ने घर में सब को समझा दिया था कि वह अपनी एक सहेली से मिलने जा रही है और मुझे भी अपने साथ ले जा रही है..

मैं अपनी बहन को अपनी बाइक के पीछे बिठाकर ढोलू के घर की तरफ चल पड़ा.. दोस्तों आपको बताने की जरूरत नहीं है कि मेरी रूपाली दीदी बिल्कुल क़यामत लग रही थी.. लाल रंग की साड़ी चोली में मेरी बहन स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी.. उनको देखकर रास्ते में हर मर्द अपनी कामुक कामनाओं को ऊंची उड़ान दे रहा था...

थोड़ी देर में हम लोग ढोलू के घर पर पहुंच चुके थे.. मैंने उसके घर की घंटी बजाई.. मेरी रूपाली दीदी मेरे पीछे ही खड़ी थी अपनी बेटी मुन्नी को अपनी गोद में लिय.. दरवाजा खोला ढोलू ने.. वह ऊपर से बिल्कुल नंगा था... उसका काला बलिष्ठ शरीर देखकर मैं तो घबरा गया..

मेरे पीछे खड़ी मेरी रूपाली दीदी को देखकर उसकी लूंगी मैं टेंट बनने लगा था.. और उसके चेहरे पर कामुक मुस्कान थी.. उसकी सांसों से शराब की बदबू आ रही थी...

अंशुल अंदर आओ.. रुपाली तुम भी आ जाओ.. ढोलू ने हमें अंदर आने के लिए आमंत्रित किया.. मैं तो अंदर घुस गया पर मेरी दीदी अंदर जाने में घबरा रही थी. मेरी बहन का हाथ पकड़ के अंदर खींच लिया ढोलू ने..

मेरी दीदी लड़खड़ा गई.. बड़े प्यार से ढोलू ने मेरी बहन का हाथ पकड़ के उनको अपने कमरे में ले गया... मैं भी उनके साथ साथ उस कमरे में गया.. ढोलू ने मेरी बहन को अपने सोफे पर बिठाया.. और खुद भी उनसे बिल्कुल चिपक के बैठ गया... मेरी दीदी की गोद में उनकी बेटी थी..

ढोलू ने मुन्नी को अपनी गोद में ले लिया.. और उसको बड़े प्यार से देखने लगा... कुछ देर बाद उसने मुझे अपने पास बुलाया और मुन्नी को मेरी गोद में देते हुए कहा... अंशुल तुम अपनी भांजी के साथ दूसरे कमरे में जाकर आराम करो.. तब तक मैं तुम्हारी रूपाली दीदी के साथ कुछ बात करना चाहता हूं...

मैं मुन्नी को अपनी गोद में लेकर दूसरे कमरे में जाने के लिए मुड़ा ही था कि मेरी रुपाली दीदी ने मुझे रोका.. नहीं अंशुल रुक जा.. तू कहीं नहीं जाएगा.. फिर उन्होंने ढोलू की तरफ देखते हुए कहा... देखो ढोलू भैया मुझे अच्छी तरह पता है कि आपने मुझे यहां क्यों बुलाया है.. आपको जो कुछ भी करना है मेरे साथ आप कर लो.. मैं आपको रोकूंगी नहीं.. पर मेरे भाई को भी यहीं पर रहने दो... मेरी दीदी ने बड़ी दृढ़ता के साथ कहा.

ढोलू को भला क्या आपत्ति हो सकती थी.. उसे थोड़ा आश्चर्य भी हुआ खुशी भी... ढोलू खुद भी चाहता था कि मेरी बहन का ढोल बजाए मेरी आंखों के सामने... उसके मन की मुराद पूरी हो रही थी..

ठीक है रूपाली.. जैसा तू चाहती है वैसा ही होगा.. सब कुछ तेरे भाई के सामने करूंगा.. चलो अपनी साड़ी उतार के मेरे सामने खड़ी हो जा.. ढोलू ने मेरी दीदी को आदेश दिया... मेरी दीदी पहले तो घबरा गई.. फिर खुद को संभालते हुए मेरी दीदी खड़ी हुई और उन्होंने अपनी साड़ी उतार के टेबल के ऊपर रख दी.. मेरी बहन ढोलू की आंखों के सामने खड़ी थी चोली और पेटीकोट में.

ढोलू ने अपनी लूंगी उतार के फेंक दी.. अब वह बिल्कुल नंगा मेरी रूपाली दीदी की आंखों के सामने सोफे पर बैठा हुआ था.. मैं देख पा रहा था कि जब मेरी रुपाली दीदी को उसके खूंखार लण्ड के दर्शन हुए तू मेरी बहन का गला सूख गया... मेरी दीदी अपनी नजरें उसके औजार से हटाने में नाकाम साबित हो रही थी.. ढोलू मेरी बहन की हालत देख कर मुस्कुरा रहा था.. उसने मेरी रूपाली दीदी को इशारा किया अपनी टांगों के बीच बैठने के लिए... मेरे रूपाली दीदी बेझिझक उसकी दोनों टांगों के बीच घुटने के बल बैठ गई और उसका खूंखार लण्ड अपने दोनों हाथों से पकड़ कर हिलाने लगी..

मेरी रूपाली दीदी: ढोलू भैया..तुमारा औजार तो बहुत बड़ा है, चीखे उबल पड़ती होगी जिसकी चूत पर ये औजार रख देते होगे..

ढोलू ने मेरी बहन से कहा: छमिया ये तो चीटिंग है .. सब कुछ खुलकर होगा .. ये औजार सौजार नहीं चलेगा...लंड बोलो सीधे.. लोड़ा बोल लोड़ा..

वह मेरी बहन की तारीफ से बेहद खुश हुआ था..

मेरी रूपाली दीदी उसे ताना देते हुए बोली- ठीक है ठीक है .. ढोलू भैया.. बहुत बड़ा मुसल लंड है आपका... दिनेश और रवि का तो कुछ भी नहीं आपके सामने... जाहिर है मेरी रूपाली दीदी उसको उत्तेजित करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाह रही थी..

ढोलू का लंड पूरी तरह से फूल चूका था .उसका सुपाडा उसकी खाल छोड़ चूका था.. मेरी रूपाली दीदी अपने कांपते हुए हाथों से उसका मुसल लंड अपने हाथ में थाम सहलाने लगी.. मेरी रूपाली दीदी के हाथों की चूड़ियां खनखन बजने लगी.. ढोलू और मेरी बहन ने एक दूसरे की आंखों में देखा.. फिर वह दारू की बोतल उठा कर पीने लगा...

मेरी रूपाली दीदी ने ढोलू के मुसल लंड पर सख्ती बढ़ा दी और लंड को बुरी तरह मसलने लगी..ढोलू मेरी बहन की हरकत देख कर हैरान हो गया था.. उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी..

ढोलू का लंड मेरी रूपाली दीदी के चेहरे के ठीक सामने था... मेरी बहन के हाथों की फिसलन से ढोलू के लंड का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा था... मेरी बहन ने ढोलू के चेहरे की तरफ देखना बंद कर दिया अब उनका पूरा ध्यान ढोलू के लंड पर था.. ढोलू के के लंड में तेजी से खून भरने लगा . उसका लंड का कड़ापन बढ़ने लगा

...ढोलू के शरीर में भी वासना की गर्मी बढ़ने लगी ...

मेरी रूपाली दीदी के हाथ तेजी से ढोलू के लंड की मजबूती चेक कर रहे थे ..ढोलू का लंड ने बिलकुल 90 डिग्री का कोण बना दिया..ढोलू की कामुक कराहे उसकी उत्तेजना के साथ बढ़ने लगी .

मेरी दीदी ने एक बार तेजी से हाथ पीछे ढोलू के लंड की जड़ तक खीच दिए ..

ढोलू लंड की खाल पीछे तक खीचती चली गयी उसका लंड का मोटा फूला लाल सुपाडा मेरी रूपाली दीदी की आंखों के सामने चमकने लगा.

मेरी दीदी की जिस्म की धधकती आग के कारन उसके ओंठ वासना की प्यास में सूखते चले गए.. मेरी रूपाली दीदी ने अपनी जीभ के गीलेपन से अपने गुलाबी ओंठो को सींचा, जिससे उसके ओंठो की नमी वापस आई.

मेरी बहन ने अपनी उंगली से ढोलू के जलते लंड के धधकते सुपाडे के तापमान का जायजा लिया ..बहुत तेजी से मुठीयाने के कारन ढोलू की सांसे तेज हो गयी थी.. अब मेरी रूपाली दीदी ने अपने रस भरे ओंठो को ढोलू के लंड के सुपाडे को छुआ और उसके छेद से निकली नमी की बूंद से अपने ओंठ सींच लिए.. मेरी बहन की सांसों की गर्मी और उनके गुलाबी होठों की छुअन ढोलू के हथियार को एक नई बुलंदी प्रदान कर रही थी..

ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी के मुहँ की तरफ लंड ठेलने की कोशिश की लेकिन मेरी बहन ने चालाकी से लंड को तिरछा कर दिया..मेरी दीदी के हाथ ढोलू के लंड पर फिसलते रहे ..

मेरी रूपाली दीदी: थोड़ा तो सब्र करो... अपनी बीवी को भूल जाओगे.. यह रूपाली का वादा है..

ढोलू: - ओह्ह्ह्ह रंडी......

मेरी रूपाली दीदी ढोलू के काले खूंखार लंड के सुपाडे पर जीभ फिराते हुए उसको मुहँ में घोटने लगी थी ..बार बार लंड उसके मुहँ में आता जाता ..लंड को अन्दर तक ले जाती बाहर लाती सुपाडे को जीभ से चाटती, चूसती जैसे कोई लोलीपोप चूसता है ..उसके बाद मेरी दीदी उसके सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लेती | लंड को मुहँ में लेकर ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है , और फिर धीरे धीरे अपना सर हिलाने लगती | मेरी रूपाली दीदी की अदाए और हरकते और लंड पर फिसलते उसके हाथ और ओंठ सब कुछ सोचकर देखकर ढोलू पागल हुआ जा रहा था ...ढोलू कामुक लम्बी कराहे भर रहा था .कुछ देर बाद अचानक ढोलू का हाथ मेरी रूपाली दीदी के सर तक पंहुच गया, उसने मेरी दीदी के काले बालो को मजबूती से पकड़ लिया और उसके सर को नीचे की तरफ ठेलने लगा.. वह मेरी तरफ देखकर कुटिलता के साथ मुस्कुरा रहा था.. उसने दारु की बोतल उठा ली और घट घट पीने लगा.

ढोलू कमर उचका उचका के मेरी बहन के मुंह में पेल रहा था.. और मेरी तरफ देख रहा था.. मेरी निगाहें शर्म के मारे झुक गई थी..

मेरी रूपाली दीदी को पता था लंड चूसते चूसते एक समय आता है जब मर्द अपने खड़े लंड को पूरी तरह से औरत के जिस्म के अन्दर सामने के लिए व्याकुल हो जाता है ..उसे फर्क नहीं पड़ता कौन सा छेद है कौन सी जगह है ..मेरी रूपाली दीदी इस तरह से अभी लंड गटकने के लिए तैयार नहीं थी ..मेरी दीदी ने ढोलू का प्रतिरोध किया, लेकिन ढोलू की ताकत और मजबूती के आगे उसे ढोलू का पूरा लंड गटकना पड़ा.. ढोलू का लंड उसके रसीले ओठो को फैलाता हुआ, गीली जीभ पर से फिसलता हुआ मेरी रूपाली दीदी के गले में जाकर अटक गया ..ढोलू ने नीचे से कमर का झटका मारा और मेरी दीदी का सर ऊपर उठाया फिर नीचे को दबा दिया ..लंड उसके गले में फंस गया ..मेरी रूपाली दीदी को लगा किसी ने उसका गला घोट दिया, अन्दर की साँस अन्दर रह गयी बाहर की बाहर, उसका दम घुटते घुटते बचा था .. उसको तेज खांसी सी आ गयी और मुहँ में पूरा लंड होने की वजह से घुट कर रह गयी ..

मेरी रूपाली दीदी ने पूरी ताकत लगाकर खुद के सर को पीछे ठेला और लंड के बाहर निकलते ही लम्बी साँस लेकर खासने लगी ..उसके मुहँ से लार की नदियाँ बह निकली ..उसकी आँखों से पानी बहने लगा .. ढोलू मेरी बहन की हालत देख कर हंसने लगा.. उसे जरा भी दया नहीं आ रही थी हम दोनों भाई बहन की हालत पर.. एक बार फिर से उसने मेरी दीदी के बाल पकड़ के उनका चेहरा अपने औजार की तरफ किया..

मेरी रूपाली दीदी ने अपने ओंठ चौड़े किये और उसके लंड को निगलती चली गयी.. फिर तेजी से उसके लंड पर अपना सर हिलाने लगी .उसके ओंठ लंड के चारो ओर सरसराने लगे .. वो तेजी से लंड को अन्दर बाहर करने लगी .. ढोलू ने मेरी बहन के बाल पकड़ के उनके सर पर दबाव बनाए रखा और नीचे से कमर हिलानी शुरू करी और ऊपर से उसका मुहँ स्थिर कर दिया..मेरी रूपाली दीदी के मुहँ की गीली सुरंग में ढोलू का लंड सरपट फिसलने लगा ..मेरी दीदी के मुहँ से बाद गों गों गों गों गों गों गों की आवाजे ही आ रही थी..उसके मुहँ का रस तेजी से बाहर की तरफ बह रहा था और उसकी आंखे लाल होती जा रही थी...ढोलू कुछ देर बाद कमर हिलाने के बाद रुक गया.. मुझे मेरी रूपाली दीदी के बदन की बढ़ती हुई गर्मी और तेज सांसें भी साफ साफ नजर आ रही थी | इधर ढोलू भी पूरी तरह से पस्त हो गया था ..इस तरह से लंड को चूसना तो छोड़ो , इधर कई सालों से तो किसी औरत को छू भी नहीं पाया था वह दरिंदा..

मेरी रूपाली दीदी कसकर ढोलू के लंड को अपनी गुलाबी होठों की सख्त कसावट से चूस रही थी ऐसा लग रहा था जैसे ढोलू स्वर्ग में पहुंच गया हो.. मेरी दीदी के मुहँ की गरम गुनगुनी गुलाबी खुरधुरी जीभ का उसके गरम मीनार की तरह तपते लंड पर अहसास, मेरी रूपाली दीदी की गीली लार के चिकनाहट के साथ उसके लंड पर फिसलते रसीले गुलाबी ओंठ यह ऐसा एहसास था जो शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता था बस महसूस किया जा सकता था ...मेरी दीदी उस एहसास को ढोलू को महसूस करा रही थी..

मेरी रूपाली दीदी की आंखों से पानी बह रहा था उसकी आंखें लाल हो गई थी लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं थी .. ढोलू के साथ-साथ मैं भी समझ गया था कि मेरी बहन अब वासना में पूरी तरह डूब चुकी है उसे अपने मुहँ और गले में होने वाली तकलीफ का अहसास तक नहीं है .. उसने मेरी रूपाली दीदी के सर पर हाथ रखा और उसके मुंह को नीचे हिला हिला के चोदने लगा था और नीचे से भी कमर के थोड़े थोड़े झटके देने लगा था हालांकि बहुत हल्के हलके झटके मार रहा था... कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा.. फिर.. मेरी रूपाली दीदी ने धीरे-धीरे जितेश के लंड को जड़ तक निगल लिया | जब ढोलू देखा तो मेरी दीदी तो जड़ तक उसका लंड मुहँ में घोंट के बैठी है तो हैरान रह गया ..मेरी रूपाली दीदी ने सर को पीछे खीचा और लम्बी साँस ली ..

मेरी रूपाली दीदी फिर अपनी उखड़ी सांसे काबू करते हुए बोली - इसे मेरे गले के नीचे उतार दो |

ढोलू - साली रंडी... पूरी बेशर्म हो गई है... तेरी मां का भोसड़ा चोदा... तेरा छोटा भाई यहीं बैठा हुआ सब कुछ देख रहा है मादरजात.. अपने भाई के सामने मेरे लौड़ा चूसते हुए तुझे शर्म नहीं आ रही है ...

मेरी रूपाली दीदी- मेरा भाई है ना... तुम्हें क्यों शर्म आ रही है.. उसे देखने दो ,तुम तो बस चुपचाप मेरे मुहँ में लंड पेलो..

ढोलू- हां बहन की लोड़ी... अभी दिखाता हूं तुझे... देख बहन चोद तू भी देख अपनी रंडी बहन को.. क्या बोल रही है...मेरे मुहँ में लंड पेलो.. तेरी बहना कह रही है... साले भड़वे.. देख मैं तेरी बहन की कैसी मुख चुदआई करता हूं...

अब मेरी रूपाली दीदी ढोलू का लंड अपने मुंह में ले रही थी और ढोलू लम्बे लेकिन बेहद धीमे झटके लगा रहा था |

मेरी दीदी के मुहँ में चुदने की आवाजे ही आ रही थी - ख्ख्ख्खक्क्क्कक्क्क ख्ख्ख्खाक्काक्काक आआआआह्ह्ह्ह ऊऊऊह्ह्ह्ह, ह्ह्ह्हक्क्क्कक ..

मेरी रूपाली दीदी भी चाहती थी कि अब ढोलू कसकर उसके मुंह में लंड को पेल दे ..

मेरी रूपाली दीदी - अब बिना मेरी परवाह किये पेल दो मेरे मुहँ में लंड.. मिटा लो अपनी हसरत और बुझा दो इस हवस की ख्हवाइश को हमेशा के लिए ..

अपनी बहन के मुंह से इस प्रकार की बातें सुनकर मुझे बड़ा अजीब लग रहा था... मेरा छोटा सा लोड़ा अंगड़ाई लेने लगा था.. पर मुझे शर्म भी बहुत आ रही थी.. मेरी अजीबोगरीब हालत हो रही थी...

मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था की ढोलू को अपने शरीर में तनाव महसूस होने लगा था उसने मेरी बहन के सर को कसकर जकड लिया ताकि वो हिलने न पाए और बेतहाशा उसके मुहँ में लंड पेलकर उसके मुहँ को चोदने लगा.. मेरी रूपाली दीदी भी समझ गयी ढोलू झड़ने वाला है उसने भी होंठ फैला दिया, ताकि ज्यादा से ज्यादा लंड उसके मुहँ में जा सके .. अब सिर्फ मुहँ चुदाई हो रही थी वो भी अपनी फुल स्पीड में ..

ढोलू अपने चरम पर पंहुच पता नहीं क्या क्या बडबडा रहा है – आह रंडी.. रूपाली..बहन की लोड़ी मै झड़ने वाला हूँ, मेरा सफ़ेद रस बस निकलने वाला ही है ..तुम पियोगी ना मेरा गरम लंड रस.. बहन की लोड़ी.. चूस मेरा साली .. ले मेरा पूरा माल रंडी...

मेरी दीदी- भर दो न मेरा मुहँ अपने गरम लावे से ..बहुत प्यासी हूं..इस प्यासी की सारी प्यास बुझा दो .. पिला दो न सफ़ेद गरम लंड रस, सीच दो आज बरसो से पड़ी सुखी जमीन को ..

दोनों ही अपनी उत्तेजना में न जाने क्या क्या बडबडा रहे थे.. और मैं बेवकूफ की तरह उन दोनों को देख रहा था...

ढोलू ने पूरी ताकत लगाकर अपने लंड को मेरे रूपाली दीदी के मुंह में गले तक ठेल दिया .. उसकी जांघे कपने लगी, शरीर अकड़ गया, उसके चुतड अपने आप ही सिकुड़ने फैलने लगे | उसकी गोलियों से तेज बहाव लंड की तरफ आता महसूस हुआ ...

ढोलू – रूपाली मेरी पिचकारी छुटने वाली है आआआआआ आआआआआआआआआआ..ढोलू के लंड से पिचकारियाँ छुटने लगी ..

मेरी रूपाली दीदी उसकी मलाई चाटने लगी... मेरी बहन उसका पूरा माल पीने की कोशिश कर रही थी... उसकी मलाई बहुत ज्यादा थी.. मेरी बहन अपना पूरा मुंह खोल कर ज्यादा से ज्यादा उसका माल पीने की कोशिश कर रही थी..ढोलू के हाहाकारी भारी भरकम मोटे मुसल लंड के आक्रमण से मेरी रूपाली दीदी के जलते गले में एक गरम पिचकारी लगी, और सीधे गले में उतर गयी ..ढोलू का सफ़ेद गरम लंड रस बह निकला... मेरी दीदी के मुंह में...

जलते गले में गीले गरम पिचकारी लगने से मेरी बहन के शरीर में एक झुनझुनी सी दौड़ गयी.. गरम सफ़ेद लंड रस के स्पर्श से ही उसे हल्का सा ओर्गास्म हो गया .. फिर लंड ने पिचकारी की झड़ी लगा दी, ढोलू ने थोड़ा लंड बाहर खीचा और मुहँ में झाड़ने लगा ताकि मेरी रूपाली दीदी उसका सफ़ेद गाढ़ा लंड रस का स्वाद ले सके ..

काफी देर तक ढोलू की कमर हिलती रही, मेरी दीदी के मुहँ में वो झड़ता रहे, मेरी रूपाली दीदी उनके लंड रस की एक एक बूंद गटकती चली गयी ..ढोलू की गोलिया खाली हो गयी, आखिरी बची कुछ बुँदे उसके लाल फूले सुपाडे पर आकर अटक गयी जिन्हें मेरी बहन ने अपनी जीभ से चाट लिया.. मेरी बहन ढोलू के लंड को चाटती रही और तब तक चाटती रही जब तक उसमे से एक भी बूंद की गुंजाईश बनी रही..

मेरी रूपाली दीदी ढोलू के सीने पर अपना सर रख दीया..ढोलू ने मेरी बहना को अपनी बाहों में भर लिया... दोनों एक दूसरे से चिपक कर अपनी अपनी सांसे काबू करने लगे ..दोनों तेजी से हाफ रहे थे उनके शरीर पसीने से लथपथ थे.. वह दोनों खुद को काबू करने की कोशिश करने लगे और अपनी लंबी लंबी तेज सांसों को नियंत्रित करने लगे .. ढोलू ने अपनी आंखें बंद कर ली थी उसे जो सुख प्राप्त हुआ था वह जिस आनंद के सागर में गोते लगाकर अभी अभी निकला था उसकी कल्पना भी उसने कभी नहीं की थी .. वह आंखें बंद करके बस उसी पल को हमेशा के लिए अपने दिलो-दिमाग में सजा लेना चाहता था. मेरी रूपाली दीदी भी खुद को काबू कर रही थी.. मेरी दीदी ढोलू के सीने पर हाथ रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगी ढोलू का हाथ मेरी दीदी के चूतड़ों पर चला गया और वह चूतड़ों को सहलाने लगा था ..दोनों छत की तरफ देख रहे थे..

मेरी रूपाली दीदी और ढोलू दोनों काफी देर तक एक दूसरे को सहलाते हुए एक दूसरे से चिपके रहे ..ढोलू के लंड से पिचकारी छूटने के बाद वह मुरझा गया था ..बस लंड ही मुरझाया था अरमान नहीं ..अरमान तो उसके अभी भी जिन्दा थे, मेरी बहन के अरमान, उसके गुलाबी नाजुक कोमल जिस्म को भोगने के अरमान .. उसके रसीले ओंठो का रस पीने के अरमान ..मेरी बहन की गुलाबी जिस्म की मखमली गुलाबी कसी हुई चूत चोदने के अरमान.. मेरी बहन की इज्जत लूटने के अरमान..

अब जब उसने मेरी रुपाली दीदी के साथ के यहाँ तक का सफ़र तय ही कर लिया है तो अब बिना चोदे मेरी बहन को इस तरह से हाथ से जाने देना बेवखूफी होगी .. मेरे और मेरी रूपाली दीदी के दिलो दिमाग में क्या है उसे पता नहीं था लेकिन उसने हर हाल में मेरी दीदी को चोदने का इरादा मजबूत कर लिया था ..

ढोलू अपने मुरझाये लंड को अपने अरमानो के फौलादी इरादों से फिर खड़ा करने लगा ..इन्ही अरमानो की लगायी आग उसके जिस्म में फिर से फ़ैलने लगी ..उसका बदन मेरी रूपाली दीदी के जिस्म से सटा हुआ था .. धीरे धीरे मेरी दीदी के नाजुक गोरे गुलाबी बदन की गर्माहट और मेरी रूपाली दीदी को चोदने के जिन्दा अरमानों ने उसके अंदर फिर से जोश भर दिया और मेरी दीदी की तरफ से बिना किसी वासना के उकसावे हरकत के ही ढोलू का लंड फिर से तन्ने लगा था, फूलने लगा था .. मुझे देखकर हैरानी होने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी तो अपने ख्यालों में खोई हुई थी..

ढोलू भैया... प्लीज बहुत देर हो रही है.. हमें घर जाने दो... मम्मी घर पर इंतजार कर रही होगी.. डरते डरते मैंने कहा..

अभी नहीं बहन चोद... अभी तो मैं तेरी रूपाली दीदी का ढोल बजाऊंगा.. तेरी बहन को जन्नत दिखाऊंगा आज..साले तेरी दीदी की चुत का भोसड़ा बनाऊंगा .. तू चुपचाप देख और मजे ले.... ज्यादा नाटक किया तो तेरी भी गांड मार लूंगा.... शर्म से मेरी नजरें झुक गई फिर से.... मेरी रूपाली दीदी भी शरमा गई उसकी गंदी बातें सुनकर..

वह मेरी बहन की चोली की गांठ पीछे से खोलने लगा... कुछ ही देर में मेरी बहन की चोली जमीन पर पड़ी हुई थी.. फिर ब्रा की बारी आई.. फिर पेटीकोट और अंत में उनकी पैंटी... उसने मेरी दीदी को बिल्कुल नंगा कर दिया.. मांग में सिंदूर गले में मंगलसूत्र... हाथों में चूड़ियां. पायल कंगन और झुमके.. परंतु शरीर पर वस्त्र के नाम पर एक रेशा भी नहीं बचा था.

मेरी रूपाली दीदी को मेरे सामने नंगी होते हुए कुछ खास शर्म नहीं आ रही थी.. क्योंकि पिछले कुछ दिनों में ऐसा कई बार हो चुका था.

परंतु मैं तो बेहद लज्जित महसूस कर रहा था.. उसने फिर से मेरी दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा.

मेरी रूपाली दीदी ने जब ढोलू का तनता हुआ लंड देखा तो उसे फिर अपने हाथों में ले लिया और सहलाने लगी , आखिर उसकी चूत की प्यास तो अभी भी बरक़रार थी ...

मेरी रूपाली दीदी के जादुई स्पर्श से ढोलू के लंड को जैसे करंट लग गया हो, वह बिजली की तेजी से फूलने लगा और उसमें खून भरने लगा..

मेरी रूपाली दीदी ने भी उसके लंड को तेजी से हाथ से हिलाना शुरू कर दिया था मेरी दीदी ने अपने ओंठो को ढोलू के ओंठो पर रख दिया ..ढोलू भी मेरी दीदी को कस कर चूमने लगा था . दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए ..एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगा ..ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी को पूरी तरह से अपने ऊपर लिटा लिया और उसका लंड अब मेरी दीदी की चूत के चिकने त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था .

ढोलू और मेरी रूपाली दीदी एक दूसरे को कस के चूम रहे थे मेरी बहन की बाहें रितेश के सर के दोनों तरफ थी जबकि ढोलू के हाथ मेरी बहन के चूतड़ों पर जाकर जम गए और वह मेरी बहन के बड़े-बड़े चूतड़ों की अपनी हथेलियों से मालिश करने लगा.

मेरी रूपाली दीदी के बड़े बड़े उठे हुए सुडौल उन्नत नुकीले उरोज ढोलू की चौड़ी छातियों से रगड़ खाकर दो जवान जिस्म के पाटो के बीच पिस रहे थे ..दो जिस्मो की इस कशमकश में मेरी दीदी के अरमान और ढोलू की हवस अपनी तरुणाई छोड़कर जवान हो रही थी .. दोनों जिस्म एक दुसरे में गुथमगुथा होकर अपनी वासनाओं की आग को और भड़काने में लगे हुआ थे ..मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से ढोलू के ऊपर उल्टा लेटी हुई थी, उसके मांसल सुडौल चूतड़ ऊपर की तरफ उठे हुए थे ..मेरी बहन हवस की आग में जल रही थी.. तड़प रही थी मचल रही थी... और मैं चुपचाप सब कुछ देख रहा था...

ढोलू और मेरी रूपाली दीदी एक दूसरे को कस कर चूम रहे थे..

ढोलू और मेरी रूपाली दीदी के बदन की गर्मी बढने लगी थी ..दोनों के जिस्मो की धड़कने अब साफ़ एक दुसरे को महसूस होने लगी थी.

ढोलू का लंड पूरी तरह से फूलकर तन गया था ..उसमे दौड़ रहा तेज खून का बहाव उसे कंपा रहा था .. उसका लंड बिल्कुल मेरी दीदी की चूत के मुहाने पर रगड़ खा रहा था और खून से भरा होने के कारन उसका सुपाडा पूरी तरह से लाल हो गया था.

उस पर गीलेपन की बूंद छलक आई थी..

उसके बाद मेरी रुपाली दीदी ढोलू से अलग हो गई और वह जाकर के ढोलू के लंड के पास बैठ गई ढोलू के लंड को चूमने लगी.. उसके लंड के सुपाडे पर आई प्रिकम की बूंद को मेरी दीदी ने चाट लिया और गटक गयी लेकिन मेरी रुपाली दीदी के साथ साथ ढोलू भी सीधा हुआ और उसने मेरी बहन को नीचे फर्श पर पटक दिया बिल्कुल मेरे पैरों के पास, और मेरी बहन पर सवार हो गया. ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी की फुटबॉल जैसी दोनों बड़े बड़े उठे हुए धवल स्वेत गुलाबी उन्नत उरोजो की नुकीली पहाड़ियों को अपने हाथों में ले लिया और कसके मसलने लगा, चूमने लगा था .. वह मेरी बहन की नुकीली चुन्चियो को मुंह में भर कर चूसने लगा था...

कुछ देर मेरी दीदी के होठों का रसपान करने के बाद ढोलू ने मेरे रूपाली दीदी की बड़ी-बड़ी चुचियों को एक बार फिर अपने मजबूत कठोर हाथों में दबोच के उन्हें भूखी निगाहों से देखने लगा.... दीदी के दोनों लाल लाल निपल्स जो बिल्कुल खड़े हो चुके थे उन पर दूध की बूंदे भी साफ साफ दिखाई दे रही थी मुझे .... जिन्हें देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था .. उसकी लार टपक रही थी... ढोलू ने मेरी बहन के दोनों पर्वतों को पंप करना शुरू कर दिया... उनको मसलते हुए ... मेरी रूपाली दीदी के निप्पलस से दूध की धार निकलने लगी... दीदी के दूध से ढोलू का चेहरा गीला होने लगा.... गरम गरम दूध की बौछार देख ढोलू से रहा नहीं गया... उसने मेरी दीदी के निप्पल को मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगा.... उसने मेरी दीदी के निप्पल पर अपने दांत गड़ा दिए.....

दर्द से बिल-बिला उठी मेरी रूपाली दीदी...

आययईीीई…माआ… दीदी की कामुक आवाज से पूरा घर गूंजने लगा.

उनकी दर्द भरी सिसकियां ढोलू को और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी.. वह मेरी बहन की दूसरी चूची को जोर जोर से मसलने लगा..

एक हवस में पागल जानवर जाग चुका था ढोलू के अंदर..वह कभी मेरी रूपाली दीदी की बाई चूची को मुंह में लेकर दूध पीता तो कभी दाएं चूची को.... साथ ही साथ वह मेरी दीदी की चूचियों पर अपने दांतो का मुहर भी लगा रहा था.. दांत काट काट के उसने मेरी दीदी को बेहाल कर दिया... मेरी दीदी पीड़ा में थी..मेरी दीदी के मुंह से कामुक चीत्कार निकल रही थी.... सच बताऊं दोस्तों मेरी बहन भी अपने होशो हवास गवां चुकी थी.

.ओह्ह… माँ ऽऽ, अह्ह… ओह्ह...ऊओह्ह… माँ … मेरी रूपाली दीदी के मुंह से आवाज निकलने लगी थी..

ढोलू काफी देर तक मेरी बहन की दोनों चूचियों से दूध निचोड़े निचोड़ कर पीता रहा.. जब तक मेरी बहन की दोनों दूध की टंकियां सूखने नहीं लगी.. मानना पड़ेगा दोस्तों वह मेरी रुपाली दीदी के दूध का एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने दे रहा था... एक एक बूंद चाट चाट के पी लिया उसने..

फिर उसका एक हाथ मेरी रूपाली दीदी के सपाट चिकने पेट पर से फिसलता हुआ मेरी दीदी की चिकनी बाल रहित चूत घाटी का मुआयना करने लगा.. मेरी रुपाली दीदी की चिकनी चूत घाटी की फिसलन को ढोलू का हाथ संभाल नहीं पाया और फिसलता हुआ उसकी जांघों के बीच में स्थित उसके मखमली जिस्म के सबसे वर्जित इलाके में पंहुच गया .. उसकी उंगलिया उसकी चूत घाटी के निचले हिस्से पर उसके चूत दाने पर पहुंच गयी ...मेरी रुपाली दीदी कसकर सिसक उठी.. तड़पने लगी जल बिन मछली की तरह.. हवस की अग्नि में.

मानना पड़ेगा बहन चोद... तेरी बहन से बढ़कर इस दुनिया में और कोई चीज नहीं... सच बोलते हैं गांव वाले तेरी बहन के बारे में.. इसके दुधारू चुचियों से दूध पीने और इसकी टाइट चूत चोदने से बढ़कर नशा दुनिया की और किसी भी चीज में नहीं है.. आज मैं तेरी बहन को अपने लोड़े से असली जन्नत दिखाऊंगा... देखना आज तेरी बहन खुश होकर जाएगी... ढोलू मेरी तरफ देख कर ही बोल रहा था... मैं उससे अपनी नजर नहीं मिला पा रहा था..

उसने मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को मुंह में भर लिया और फिर से दूध पीने लगा..

ऐसा क्यों बोल रहे हो मेरे भाई को.. कुछ मत बोलो मेरे भाई को.. जो कुछ करना है मेरे साथ कर तो रहे हो ना.. बड़ी ही कामुक अदा के साथ मेरी रूपाली दीदी ने ढोलू की छाती पर मुक्का मारते हुए कहा..

ढोलू मेरी तरफ देखकर कुटिलता से मुस्काया और वह मेरी रूपाली दीदी के चूत दाने को रगड़ने लगा था ..मेरी दीदी के तन बदन में आग लगाने के लिए पहले से ही क्या कुछ कम था जो वह चूत दाने को रगड़ने लगा था..चूतदाने पर ढोलू की उंगलियों का स्पर्श पाते ही मेरी दीदी के पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया और वह वासना से पूरी तरह नहा गई.

चूत से उठकर पुरे शरीर में दौड़ गयी वासना की तरंग में उसका पूरा शरीर काँप गया.. ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी के चूत दाने को कसकर उंगलियों से मसल्ला शुरू कर दिया था .. ढोलू ने मेरी दीदी के तन बदनमें आग लगा दी .. उसके अन्दर उमड़ रहे वासना के समन्दर के भंवर और तेज हो गए ..उसके मुहँ से तेज होती मादक कामुक सिसकारियां इस बात की निशानी थी की उसके अन्दर वासना की समुद्र का तूफ़ान और तेज हो रहा है .

मेरी रूपाली दीदी - आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ..."म्‍म्म्मम, "ओह्ह्ह्ह ... आअहह!"ओह्ह्ह्ह.. मम्मी.. प्लीज ढोलू.

मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से मादक कराहे सुन ढोलू का जोश भी बढ़ गया था .. वह मेरी बहन के एक चूची को पकड़कर दूध पी रहा था अब उसका दूसरा हाथ नीचे मेरी बहन की चूत दाने को कस के रगड़ रहा था.. मेरी दीदी अपने बदन में उठते गिरते वासना के भंवर में अपने पैर उठा गिरा रही थी ..मेरी रूपाली दीदी ने भी अपनी पीठ अपने हाथ ढोलू की पीठ पर जमा दिए थे और उसके जिस्म से चिपक कर खुद के बदन को रगड़ने लगी थी . ढोलू की उंगलियाँ किसी जादूगर की तरह मेरी दीदी के मखमली चूत इलाके में फिसल रही थी .. ढोलू की उंगलियों के जादू ने तो जैसे मेरी दीदी को मदहोश कर दिया ...एक तरफ ढोलू मेरी बहन की चूची से सारा दूध निचोड़ कर पीना चाहता था दूसरी तरफ उसकी उंगलियों ने मेरी बहन की फुलझड़ी में आग लगा रखी थी...

ढोलू अपने दांतो और अपनी जुबान से पूरी शिद्दत से मेरी रूपाली दीदी की की उठी हुई उन्नत नुकीली छातियों का रस निचोड़ने में लगा हुआ था.. मेरी बहन की चूत और चूत दाने पर फिसल रही उसकी उंगलियाँ उसकी चूत का सारा रस निचोड़ कर बाहर निकालने में लगी हुई थी ... मेरी रूपाली दीदी की सांसें बहुत तेज हो गई थी और वह मस्ती में आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह मम्मी... कर रही थी..

ढोलू ने मेरी दुधारू रूपाली दीदी की दोनों बड़ी बड़ी दूध की टंकियों को चूस चूस कर पूरा खाली कर दिया.. सारा रस निचोड़ लिया उसने... सूखने लगी थी मेरी बहन की चूचियां... अब उसने मेरी रूपाली दीदी के उन्नत उरोंजो का रस निचोड़ना छोड़कर धीरे-धीरे मेरी बहन की गुलाबी चूत के इलाके पर अपना ध्यान केंद्रित किया...

ढोलू खुद को नीचे करता हुआ मेरी रूपाली दीदी की जांघो के बीच जाकर बैठ गया ... उसने अपना सर मेरी दीदी की नरम गुदाज जांघो में धंसा लिया और कसकर उसकी जांघो को थाम लिया .. उसके ओंठ मेरी बहन की चूत घाटी के बीचो-बीच की मखमली दरार पर पहुंच गये .. उसकी गीली जीभ का तीखा नम स्पर्श अपने गुलाबी जिस्म के सबसे सवेदनशील अंग पर पड़ते ही मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से जैसे सिसकारियों की बौछार निकल पड़ी ..

मेरी रूपाली दीदी : आआआआह्ह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् स्सस्सस्सस ईईईईईईईईई ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई आआआआह्ह्ह्ह म्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्ममा आआआआआआआआआआआअ.. प्लीज ढोलू..आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् नहीं...आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मम्मी...

ढोलू ने आग लगा दी थी मेरी बहन की फुलझड़ी में... अपनी जुबान से..

ढोलू ने मेरी बहन की चूत पर अपने होंठ रख दिए और मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी रसीली मखमली चूत का रस चूसने लगा, वो मेरी बहन की चूत बिलकुल ऐसे चूस रहा था जैसे एक भौंरा किसी कली का रस चूसता है ..उसकी एक उंगली चूत दाने को मालिश करने लगी .. मेरी बहन के जिस्रीम में उठने वाली वासना की मादक तरंगो ने मेरी रूपाली दीदी को मदहोश कर दिया .. मेरी दीदी तो ढोलू की इस हरकत से अपना काबू ही खो बैठी, वो आनंद में पागल हुई जा रही थी.. आज तक किसी ने भी मेरी रूपाली दीदी के साथ इस तरह से प्यार नहीं किया था...

मेरी रूपाली दीदी जैसे अपने जिस्म में उठती वासना की तरंगो को अब संभाल नहीं पा रही थी - आआआआह्ह्ह्ह आआआआह्ह्ह्ह बस करो ढोलू मै मर जाउंगी ....

मेरी दीदी - आआआआह्ह्ह्हआआआ आह्ह्ह्हआआआआह्ह्ह्ह ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह हाय मां..

ढोलू किसी समधिष्ट योगी की तरह बस अपने अधर मेरी बहन की गुलाबी मखमली चूत पर फिसलाता रहा ..उसकी गीली जीभ मेरी बहन की गरम चूत पर अपनी ठंडी फुहारों की मालिश करती रही .. ढोलू के कानो तक मेरी रूपाली दीदी की कामुक सिसकारियां और कराहे पंहुच रही थी .. और मैं भी चुप चाप सब कुछ देख और सुन रहा था.. मेरी बहन फडफड़आती, तड़पती, मचलती, कराहती, सिसकती मेरी तरफ देख रही थी क्योंकि मुन्नी जाग गई थी और रोने लगी थी.. मुन्नी भी अपनी मम्मी की हालत देखकर सहम गई और चुप हो गई... मेरा दिल बैठने लगा था.. मुझे अपने आप से नफरत होने लगी थी... कैसा भाई हूं मैं.. एक भाई का कर्तव्य होता है कि वह अपनी बहन की हर हालत में रक्षा करें.. और मैं खुद ही अपनी बहन को लेकर आया था एक गुंडे के पास.. जो मेरी बहन की इज्जत लूट रहा था मेरी आंखों के सामने... और मैं अपनी बहन की बेटी को यानी कि अपनी भांजी को गोद में लिय कार्यक्रम चुपचाप देख रहा था.. और इंतजार कर रहा था कि कब यह सब कुछ खत्म होगा और हम अपने घर जा सकेंगे... पर मुझे अंदाजा हो चुका था कि यह खेल अब इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है... ढोलू मेरी बहन को ढोल की तरह बजाएगा और खूब बजाएगा.. मैं अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था..

मेरी रूपाली दीदी- आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बबबससससससससस करो ढोलू...अब बस मुझे चोद दो, चोद दो, इस चूत में घुसेड दो अपना लंड...आह , उई ई मां...

ढोलू मेरी बहन की बात सुना ही नहीं जैसे.. वह अपने काम में लगा रहा.. वैसे भी उसे परवाह नहीं थी.. वह तो अपनी मर्जी से मेरी बहन का मजा लेना चाहता था...​
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