Update 14

मेरी रूपाली दीदी अब उत्तेजना के भंवर में बुरी तरह से फंस चुकी थी... ढोलू तो अपनी जीभ से ही मेरी बहन की चूत चोद देना चाहता था लेकिन असफल रहा ...फिर उसने बारी बारी से उसके पतले चूत ओंठो को चूमा और फिर चूत दाना चूसने लगा .. वह मेरी बहन की फुलझड़ी में अपनी जुबान घुसा उसे अन्दर ठेलने की कोशिश करने लगा.. मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी फुलझड़ी झरना बनी हुई थी..

उसने मेरी रूपाली दीदी की चूत के दोनों ओंठ फैला दिए और उसकी चूत के अंदरूनी ओंठो पर अपनी खुरखुरी जुबान फिराने लगा.. मेरी दीदी तो जैसे आनंद से पागल ही हो गई थी ..

मेरी रूपाली दीदी- ओओओओओओ नोनोनोनोनो ढोलू अब रुक जावो प्लीज ढोलू आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मेरी जान लेकर ही मानोगे क्या .... ढोलू आआआह्ह्ह्ह्ह्ह् ओओह्ह्ह प्लीज .. हाय मम्मी...

मेरी रूपाली दीदी के मुंह से फूटती वासना की सिसकारी देखकर और सुनकर ढोलू का जोश और भी बढ़ गया.. उसने मेरी बहन की चूत के होठों पर अपनी जीभ की रफ्तार और भी तेज कर दी और उसकी उंगलियां मेरी बहना की चूत के दाने को छेड़ने लगी.. मेरी दीदी अपनी गांड उठा उठा कर उसे सहयोग दे रही थी...

उसके बाद ढोलू ने अपनी एक उंगली को लार से भिगोते हुए उसे मेरी बहन की गुनगुनी गुलाबी रसीली चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया | मेरी रूपाली दीदी एक मादक कराह से सिसक कर रह गयी |

मेरी रूपाली दीदी - आआह्ह्ह्हह्ह्ह् आआआआआहह्ह्ह् ओओह्ह्ह प्लीज ये मत करो..ढोलू...पागल कर दोगे तुम मुझे, ओओह्ह्हह्ह्ह्ह ढोलू प्लीज् ... हां मम्मी ...हाय दैया... ढोलू मेरा भाई देख रहा है सब कुछ... कुछ तो रहम करो मुझ पर...

पर ढोलू बिल्कुल भी नहीं माना... वह मेरी रुपाली दीदी की गुलाबी फुलझड़ी में आग लगाता रहा.. अपनी खुरदरी जबान से.. मैं चुपचाप सब कुछ देखता रहा.. अपनी सगी बहन को एक घरेलू संस्कारी औरत से एक रंडी की तरह व्यवहार करते हुए..

ढोलू पूरी तरह झुकता हुआ मेरी रूपाली दीदी के नाजुक गुलाबी बदन के ऊपर सवार हो गया... उसने अपने बड़े मोटे काले लोड़े का सुपाड़ा मेरी बहन की कसी हुई गुलाबी मुनिया के छेद पर टिका दिया एक हाथ से पकड़... वह मेरी तरफ देख मुस्काया..

तेरी बहन को जन्नत की सैर कराने ले जा रहा हूं बहन चोद.. ढोलू की आंखों में हवस साफ-साफ दिख रही थी.. मेरी दीदी अपनी जांघे फैलाये नीचे फर्श पर लेटी हुई थी.. मेरी बहन ने खुद को बिल्कुल तैयार कर लिया था ढोलू के मोटे मुसल को अपने अंदर लेने के लिए..

मेरी रुपाली दीदी भी जानती थी ढोलू का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है उसकी चीख ही निकल जाएगी इसीलिए उसने भी अपने आप को तैयार कर लिया था ..उसने अपने पैरो का क्रॉस बनाते हुए उसे ढोलू की कमर पर चिपका दिया .. मेरी रूपाली दीदी जानती थी ढोलू का लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा इसीलिए वह उसको भी बर्दाश्त करने के लिए पूरी तरह तैयार थी ..

मैं अपनी आंखों के सामने होते हुए इस दृश्य को देखकर विचलित हो गया था... मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं अब क्या करूं... मेरी आंखों के सामने ढोलू मेरी रूपाली दीदी का ढोल बजाने वाला था.. मेरी आंखों में आंसू आ गए... आगे होने वाले दृश्य की कल्पना करके ही मेरी रूह कांप गई... ढोलू अब मेरे रूपाली दीदी की लेगा...शायद ढोलू के बलिष्ठ शरीर और मुसल लंड को देखकर मेरी बहन बहक गयी है या फिर ये उसकी ही लालसा थी जिसका मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं हो पा रहा था.. मेरी बहन की गुलाबी फुलझड़ी के अंदर ढोलू का लोड़ा थोड़ा सा समा चुका था..अब बस लंड के चूत में घुसने की देर रह गयी थी..

मेरी आंखें रो-रोकर बेहाल होने लगी थी... आगे का दृश्य सोच सोच कर मुझे चक्कर आने लगा था... सोच सोच कर मेरी आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे कि एक गुंडे का खूंखार लंड मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चिकनी चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा...उसकी मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा ..लगातार ठोकरें मारेगा, दे दनादन ठोकरें मारेगा..

सटासट उसका मुसल लंड मेरी बहन की मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगाएगा और तब तक उसे चीर चीर कर फैलाता रहेगा जब तक पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस न जाये.

फिर शुरू होगा सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई तब तक नहीं रुकेगी जब तक उस मुसल लंड से उसके सफ़ेद लावे की लपटे न निकलने लगे.. ऐसा दृश्य तो मैं अपनी बहन के साथ होते हुए पहले भी देख चुका था.. मेरी दीदी तो तैयार थी पर मैं अपने मन में तैयार नहीं था... पर मेरे बस में कुछ भी नहीं था..

मैं सोच रहा था कि जब तक वह गुंडा मेरी बहन को अपनी बाहों में लेकर ठुकाई करेगा तब तक मेरी दीदी उसकी बलिष्ट बाहों में झूलती रहेगी.. झटके खाती रहेगी... ठोकरे मरेगा.. मसलेगा.. कुचल के रख देगा मेरी बहन को... मेरी रूपाली दीदी की कमर पर झटके मार मार कर उसे बेहाल कर देगा ..उसकी गिरफ्त में वो तड़पती मछली की तरफ फडफडाती रहेगी ..आखिर क्यों वो एक अनजान मर्द के हाथो अपना सबकुछ लुटाने को तैयार है... इसका जवाब मुझे अच्छी तरह पता था... मेरी बहन मजबूर है और मैं भी मजबूर हूं... जिसका एक मुख्य कारण था कि मैं अपनी बहन की रक्षा करने में असमर्थ साबित हुआ था हर बार... मैंने अपनी आंखों से आंसू साफ करके खुद को ढांढस बंधाया.. आप जो होना है वह तो होकर रहेगा मैं भला क्या कर सकता हूं.. जो भी है मेरी दीदी ही हमें इस हालत से बाहर निकाल सकती है... और मेरी बहन पूरी मेहनत के साथ कर भी रही थी.. ढोलू के साथ.. उसके नीचे नंगी लेटी हुई..

ढोलू ने अपने तने लंड को पकड़ कर उस पर हाथ दो-चार बार आगे पीछे किया और उसकी खाल को खींचकर पीछे कर दिया था .. उसने अपने औजार को मेरी रूपाली दीदी की चिकनी गुलाबी मखमली चूत की दरार और दाने पर दो चार बार रगडा, जिससे मेरी बहन की चूत के ओंठ दोनों तरफ को फ़ैल गए ..फिर ढोलू ने अपने लंड के फूले लाल सुपाडे को मेरी बहन की चूत के गुलाबी ओंठो के बीच सटा दिया ..

मेरी रूपाली दीदी सिसक उठी .. एक अनजान मर्द का मोटा लंड मेरी दीदी के जिस्म के सबसे नाजुक हिस्से को चीरने जा रहा था ...मेरी बहन ना जाने क्यों उसकी चंगुल से आजाद होने की कोशिश करने लगी... मेरी दीदी भागने लगी उस को धक्का देकर..

पर ढोलू ने एक बार फिर मेरी दीदी को पकड़ लिया.. अपनी बाहों में लेकर मेरी बहन को अपने बिस्तर की तरफ ले गया... मेरी दीदी के ऊपर चढ़कर उसने एक बार फिर मोटा लौड़ा मेरी बहन की गुलाबी मुनिया पर टिका दिया....

मेरी रूपाली दीदी के प्रतिरोध का कारण मैं बिल्कुल भी नहीं समझ पाया.. मैं अपनी आंखों के सामने घटते हुए उस दृश्य को देखकर अचंभित हो रहा था.. दृश्य बेहद कामुक हो चुका था.

मेरी रूपाली दीदी उसकी सख्त मजबूत बांहों में कसमसाने लगी - छोड़ो मुझे ...

जितेश - छोड़ो नहीं चोदो मुझे कहना चाहिए ...

मेरी दीदी - नहीं ढोलू तुम ऐसा नहीं कर सकते ..

ढोलू - इस समय तुम मेरे रहमोकरम पर हो और मै कुछ भी कर सकता हूँ ..

मेरी रूपाली दीदी उसके चंगुल से खुद को छुड़ाती हुई - तुम मेरा रेप करोगे..

ढोलू भी उसे सख्ती से जकड़ते हुए - अगर नहीं मानी तो सख्ती तो करनी पड़ेगी न...

मेरी दीदी - तुम तो बेहद शरीफ इंसान हो तुम ऐसा कैसे कर सकते हो.

ढोलू - जब शरीफ इंसानों का लंड खड़ा होता है तो उनकी शराफत भी लंड पर आ जाती है ..

बहन की लोड़ी चुपचाप मजा ले ले.. नाटक करेगी तो तेरी भी लूंगा और तेरे भाई को भी नंगा करके लूंगा.. उसकी भी गांड मारूंगा बहन चोद.

मैं थरथर कांपने लगा .... ढोलू की बात सुनकर मैं घबरा उठा..

मेरी रूपाली दीदी- प्लीज ऐसा मत करो.. मम्मी हाय दैया...

ढोलू ने एक लंबी सांस ली उसने अपने मोटे काले खूंखार औजार को मेरी बहन की गरमा गरम फुलझड़ी पर टिका दिया. उसने मेरी बहन की एक ना सुनी..उसने अपने तने हुए लंड के फूले हुए सुपाडे को फिर से मेरी रूपाली दीदी की चूत के छेद पर सटा दिया था .. मेरी दीदी ने एक लम्बी साँस ली और ढोलू की आँखों में आंखे टिका दी ...

मेरी रूपाली दीदी ने अपने बदन को कड़ा किया, उसे पता था उसकी चूत की फैलती दीवारे उसे सुरुआती तीखा मदहोश करने वाला दर्द देकर जाएगी... ढोलू ने मेरी बहन की आँखों में गहराई तक झाँका और उसके बाद में उसने धीरे से एक बार में हल्का सा झटका मारा उसका सुपारा मेरी रदीदीकी कसी हुई गुलाबी चूत को चीरता हुआ अंदर फंस गया..

मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से सिसकारी भरी कराह निकल गयी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह.. ढोलू.. हाय दैया मर गई... प्लीज... धीरे धीरे करो ना.. मेरी जान लोगे क्या..

ढोलू मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया... देख बहन चोद.. तेरा जीजा इतना मजा देता होगा क्या तेरी बहन को... तेरी बहना को लोड़े का मजा मिल रहा है आज... तू तो बस चुपचाप देख...

मेरी रूपाली दीदी की चूत की गर्मी भी कम हो गयी थी और गीलापन भी ..मेरी दीदी को लगा किसी ने नस्तर घुसेड दिया है और उसकी चूत को चीर दिया है ..मेरी दीदी के चेहरे पर दरद की लकीरे उभर आई.. मेरी बहन मेरी ओर देखने लगी... उनकी आंखों में दया की भीख देख कर भी मैं कुछ नहीं कर पा रहा था... मेरी बहन रोने लगी.. मैं भी रोने लगा..

ढोलू ने दो बार फिर से आगे पीछे कमर हिलाई.. मेरी बहन सिसक कर रह गई उसने अपनी बाहों का कसाव ढोलू की पीठ पर और बढ़ा दिया | मेरी रूपाली दीदी के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई - आआआह्हीईइ माम्मामामामामाम्म आआआआआआअ ..ऊऊऊईईई माम्मामामामामाम्मरेरेरेरे मममररर गईईईईईईईई.. हाय रे दैया. ढोलू... तू तो बड़ा जालिम है रे... नहीं भाई प्लीज मत देखो मेरी तरफ..

मैंने अपनी आंखें नीचे झुका ली..

ढोलू ने मेरी रूपाली दीदी के अंदर झटके देने शुरू कर दिए थे.. उसका हर झटका मेरी दीदी के रोम-रोम में एक नया एहसास दे रहा था..

भले ही मेरी बहना की चूत ढोलू के लंड के लिए अभी जगह न बना पाई हो लेकिन ये तीखा दर्द भरा अहसास भी कम जादुई नहीं था ... मेरी बहन की चूत के ओंठ अपने किनारों तक पूरी तरह फ़ैल गए थे ... ढोलू के फौलादी लोड़े ने मेरी रूपाली दीदी की चिकनी चुनमुनिया को पूरा चौड़ा कर दिया था..

मेरी रूपाली दीदी की चूत घाटी की गुलाबी दरार में ढोलू का लंड पूरी तरह धंस चूका था....अब तो बस आगे का सफ़र करने की देर थी ..मेरी दीदी के बदन की गरमी और वासना में उसका पूरा बदन नहाया हुआ था.

मेरी दीदी भी पूरी तरह से वासना की अग्नि में जलने लगी थी... जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी...

मेरी रूपाली दीदी के तने हुए सुडौल उरोज और कठोर निप्पल, और उनसे बहता हुआ दूध इस बात की निशानी थे कि मेरी बहन अब चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार है .. मेरी बहन की उभरी कठोर छातियाँ, चिकनी कसी हुई गुलाबी चूत, ढोलू के तो होश उड़े हुए थे..

मेरी रूपाली दीदी कि चूत की गुलाबी गर्माहट के अहसास और उसके जवान मांसल बदन की कसावट देखकर ढोलू से रहा न गया उसने एक जोरदार ठोकर मेरी बहना के छेद में मारी और मेरी बहना मुसल लंड की ठोकर से मिले दर्द से नहा गयी...

मम्मी रे...आआआईईईईई मामाआआ... मेरी दीदी चीख पड़ी..

इसके बाद ढोलू ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से मेरी रूपाली दीदी की चूत में पेल दिया था

ऊऊऊऊऊईईईईई ...माम्मईईईई.. मर गई रे... मेरी दीदी चीखने लगी..

मेरी आंखों के सामने ही मेरी बहन की इज्जत लूटी जा रही थी..

ढोलू ने फिर से पीछे लंड को खींचा और फिर से मेरी रूपाली दीदी की चूत में गहराई तक पेल दिया था...

इसके बाद मेरी दीदी के मुहँ से तेज कराह निकली - आआह्हीईईइ मामआअ ईईईईईईईईईईई मरररर रर रररर गाअयीईईई..

मुझे यह सब देख कर बड़ा ही अजीब महसूस हो रहा था.. अपनी सगी बहन को, जो शादीशुदा भी है, एक बेटी की मां है... आज वह एक हट्टे कट्टे मर्द के नीचे है और उसका मोटा मुसल लंड उसकी जांघो के बीच की दरार को चीर कर अन्दर तक धंसा हुआ है... मेरी बेवकूफी और कमजोरी की वजह से... मुझे अपनी कमजोरी का एहसास हो रहा था... एक बेचारा भाई, जो कुछ भी नहीं कर सकता है इस समय बस चुपचाप देख सकता है अपनी बहन का संभोग एक गुंडे के साथ जबरदस्ती.. मैं बिल्कुल बेबस हो चुका था...

अपनी मजबूरी पर मेरी आंखों में आंसू आ गए थे.. पर अपनी आंखों के सामने का दृश्य देखने से मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था..

मेरी रूपाली दीदी हांफते हुए - ऐसे ही चोदो मुझे ...कम से कम मेरे भाई को तो बाहर भेज दो ना..

ढोलू भी हांफते हुए - तुझे मजा आ रहा है ना रंडी... बहन की लोड़ी.. रहने दे इस गांडू को यहीं पर.. इसके सामने मैं तेरी बजाने में बड़ा मजा आ रहा है..

मेरी रूपाली दीदी - हाँ बहुत मजा आ रहा है ..

ढोलू - कितना मजा आ रहा है .. तेरा गांडू पति तेरी ऐसी ठुकाई करता है क्या.. बोल रंडी..

मेरी रूपाली दीदी : मम्मी रे ....आआह्हीईई.. नहीं ... मेरे पति में इतनी ताकत नहीं है..आआह्हीईई...

ढोलू मेरी तरफ देखते हुए: सुन रहा है ना बहन चोद.. तेरी रंडी बहन क्या बोल रही है... तेरा जीजा नामर्द हो चुका है..

मैं उसकी बातें सुनकर चुपचाप अपना सर नीचे झुका दिया..

मेरी रूपाली दीदी समझ गई थी की ढोलू उनके मुंह से मुहँ से चूत चुदाई की बकचोदी सुनना चाहता है ..

मेरी रूपाली दीदी - मुझे चोदते रहो..

ढोलू - बस सिर्फ चोदता रहू मेरी रंडी?

मेरी रूपाली दीदी- नहीं दिलो जान से चोदो , ढेर सारा प्यार करके चोदो..लम्बे लम्बे धक्के लगाकर चोदो ..मेरी चूत की गहराइयो तक लंड पेलकर चोदो ..

ढोलू के कानो में पड़े ये शब्द उसकी वासना में उत्प्रेरक की तरह थे.. उसकी कमर तेजी से हिलने लगी...

मेरी दीदी ने उसकी वासना की आग में हवा दे दी थी...

मेरी रूपाली दीदी: हां ढोलू हां ऐसे ही...ऐसे ही चोदो मुझे ...........हह ! आय माआ आ.. ज़ोर से और ज़ोर से… ओह… बहुत अच्छा लग रहा है… अम्‍म्म्म.... हचक हचक के मुसल लंड से मेरी गुलाबी मखमली चूत चीरकर पेलकर मुझे चोदो, बस चोदते रहो ... आआआह्ह्ह बस ऐसे ही मेरी चूत को अपने मुसल लंड से कुचलते रहो ... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है .. बस मुझे चोद चोद कर स्वर्ग की सैर करा दो मेरे लंड राजा अरे मोरी मैया... मोरे राजा चोदो मुझे, चोदो न अपनी डार्लिंग को, उसकी मखमली चूत को, मिटा दो इसकी सारी खुजली आज.. रंडी हूं मैं तेरी ..

ढोलू: हां साली रंडी ले मेरा लौड़ा.. ले मेरे लोड़े के झटके... तेरी मां की ब** चोदा... रंडी की औलाद..

दोनों के बीच अब कोई शर्म नहीं बची थी .. सब कुछ खुल कर हो रहा था वह भी मेरी आंखों के सामने...

मेरी रूपाली दीदी के हरे भरे खेत को खूब अच्छी तरह जोतने के बाद ढोलू ने अपने मुसल लोड़े की मलाई मेरी बहना के छेद में भर दिया और उनके बगल में लेट गहरी गहरी सांसे लेते हुए मेरी तरफ देखने लगा और मुस्कुराने लगा... उसकी मुस्कान देखकर मैं अपना सर नीचे झुकाने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था...

मेरी रूपाली दीदी उसके बगल में नंगी लेटी हुई अपनी चुनमुनिया से गाढ़ा सफेद रस बहा रही थी... और ऊपर पंखे की तरफ देख रही थी..

उस कमरे में अब बिल्कुल सन्नाटा था... बस गहरी गहरी सांसे सुनाई दे रही थी दोनों की.... मैं तो बस मूर्ति बना हुआ बैठा हुआ था..

थोड़ी देर बाद जब मेरी रुपाली दीदी उठने का प्रयास करने लगी तो लड़खड़ा रही थी... लेकिन ढोलू ने मेरी बहन को उठने नहीं दिया... उसने फिर से मेरी बहन को दबोच लिया...

ढोलू: अभी से कहां चल दी मेरी छम्मक छल्लो... मेरी जान अभी तक मैंने तेरी गांड तेरी गांड का बाजा भी तो नहीं बजाया...

और उसने मेरी दीदी को अपने बिस्तर पर घोड़ी बना दिया..

मेरी रूपाली दीदी: नहीं ढोलू..... ऐसा तो मत करो... प्लीज अब मुझे जाने दो बहुत देर होने लगी है... मेरी बेटी घर पर भूखी होगी...

ढोलू ने मेरी बहन की गुहार की कोई परवाह नहीं की... बल्कि तो उसने अपने लोड़े का सुपाड़ा मेरी बहन की गांड के छेद के ऊपर टिका दिया..

ढोलू: चुप कर साली रंडी... मुझे कोई मतलब नहीं तेरी बेटी से... मुझे तुम बिटिया की मम्मी से मतलब है... और उसकी मम्मी की अब गांड मारूंगा..

मेरी रुपाली दीदी: ओह… मेरी गांड उह्ह्ह.... दया करो मुझ पर....

मेरी रूपाली दीदी की सिसकियों और चीखों को सुनकर भी उस दरिंदे को मेरी बहन पर कोई दया नहीं आई... उसने तो एक झटके में ही अपना आधा मुसल मेरी दीदी की गांड के छेद में उतार दिया... और फिर बिना रुके धक्के पर धक्के देने लगा... मेरी दीदी झटपट आने लगी तड़पने लगी चीखने लगी... दर्द के मारे रोने लगे... लेकिन कुछ ही देर में मेरी रूपाली दीदी की तड़प उनकी कामुक सिसकियों में तब्दील हो चुकी थी..

ढोलू ने अपने एक हाथ से मेरी दीदी की कमर थाम रखी थी और दूसरे हाथ से उनके बाल पकड़ रखे थे... बड़ी बेरहमी से और बड़ी तेजी से बिल्कुल दरिंदे की तरह वह मेरी बहन की गांड मार रहा था...

जिस बेशर्मी और कामुकता से मेरी दीदी चीखने चिल्लाने लगी मेरे मन में तो डर था कि कहीं पड़ोसियों ने उनकी आवाज सुन ली तो फिर क्या होगा..

क्या पता वहां के सारे पड़ोसी मेरी बहन की कामुक सिसकियां सुन भी रहे होंगे...

तकरीबन 10 मिनट तक डोलू ने मेरी बहन की गांड मारी... और फिर अपना मक्खन गांड के छेद में ही भर दिया...

10:15 मिनट के अंतराल के बाद ढोलू ने एक बार फिर मेरी रूपाली दीदी को पेला... इस बार उनकी प्यासी नाजुक चुनमुनिया के अंदर... मेरे वहां मौजूद होने के बावजूद भी मेरी दीदी खुल के सहयोग दे रही थी ढोलू को..

मैं तो बुरी तरह से कंफ्यूज होने लगा था कि मेरी बहन एक सती सावित्री औरत है जो अपने पति और अपने परिवार की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकती है या फिर एक कामुक रांड जो खुद को गैर मर्दों के ऊपर न्योछावर कर रही है... जानबूझकर...

तीन बार मेरी बहन के अलग-अलग छेद में अपना मक्खन डालने के बाद ढोलू ने मुझे और मेरी बहन को बड़ी शराफत और इज्जत से अपने घर से बाहर जाने दिया...

मेरी दीदी तो लड़खड़ा रही थी... मैंने उनको सहारा दिया... और किसी तरह से ढोलू के घर से बाहर निकल कर बाहर सड़क पर आकर खड़े हो गए... मैंने अपने दोस्त बिल्लू को फोन किया ऑटो लेकर आने के लिए... वह ऑटो ड्राइवर था... उसकी अपनी ऑटो थी...

मैं और मेरी बहन सड़क पर खड़े होकर बिल्लू के आने का इंतजार कर रहे थे... और ढोलू के पड़ोसी अपने घरों से बाहर निकलकर मेरी दीदी को अजीब नजरों से देख रहे थे... उनमें से कई अंकल और आंटी हम दोनों को अच्छी तरह पहचान रहे थे...

मेरी रुपाली दीदी की हालत ही कुछ ऐसी थी... उनकी हालत देखकर कोई भी आसानी से समझ सकता था... बुरी तरह से बिगड़ा हुआ मेकअप, लड़खड़ा रही चाल और इन सबसे बढ़कर अभी कुछ देर पहले जब मेरी दीदी जबरदस्त कामुक सिसकियां ले रही थी... ढोलू के नीचे लेटी हुई... शायद इन लोगों ने सुन लिया था और अच्छी तरह समझ गए थे..

उनमें से एक अंकल जिनका नाम प्रदीप था वह हमें बड़ी गंदी निगाहों से देख रहे थे... उनका हमारे घर आना जाना भी था... वह मेरी मम्मी को भाभी भाभी कहकर बुलाते थे...

तकरीबन 20 मिनट के बाद बिल्लू आ गया था... बिल्लू को भी मेरी बहन की हालत देख कर हैरानी हो रही थी..

बिल्लू: दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है ना..

मेरी रूपाली दीदी: नहीं मेरी तबीयत ठीक नहीं है..

मैं: मेरी रुपाली दीदी की तबीयत ठीक नहीं है... तुम जल्दी से हमें हमारे घर पहुंचा दो..

बिल्लू: ठीक है आओ जल्दी बैठ जाओ..

हम दोनों ऑटो में बैठ गया... बिल्लू की नजर तुम मेरी रूपाली दीदी के ऊपर टिकी हुई थी... बार-बार वह अपने साइड मिरर को एडजस्ट करके मेरी रूपाली दीदी को निहार रहा था... मुझे तो बुरा लग रहा था... लेकिन इस समय कुछ बोलना बिल्कुल ठीक नहीं था..

मेरी रूपाली दीदी तो अपनी ही दुनिया में खोई हुई थी... पता नहीं क्या सोच रही थी..

एक मेडिकल शॉप के पास आने के बाद मेरी दीदी ने बिल्लू को ऑटो रोकने के लिए कहा...

ऑटो के रुकने के बाद मेरी रूपाली दीदी ऑटो से निकलकर मेडिकल शॉप के पर पहुंच चुकी थी... मैं भी पीछे पीछे उनके जाकर खड़ा हो गया...

मेडिकल शॉप पर एक बुड्ढा अंकल बैठा हुआ था... और उसका नौकर जिसका नाम मुन्ना है वह काम कर रहा था... मेरी रूपाली दीदी को देखकर दोनों अपना काम छोड़कर उनको ही घूरने लगे थे...

मेरी बहन ने अपनी साड़ी का पल्लू दुरुस्त करने के बाद...

बुड्ढे अंकल को कहा.

मेरी रूपाली दीदी(शरमाते हुए): अंकल जी मुझे एक गर्भनिरोधक दे दीजिए..

बुड्ढा अंकल: हां बिटिया रानी अभी देता हूं...अरे मुन्ना... निकाल दे मेरी बिटिया रानी के लिए गर्भनिरोधक की गोली..

बुड्ढा अंकल: शायद तुम मुझे नहीं जानती होगी बिटिया... मेरा नाम बलबीर है... मैं तुम्हारे पिताजी का बहुत अच्छा दोस्त था... मैं कई बार तुम्हारे घर भी आया हूं जब तुम छोटी थी.. तुम्हारी मम्मी तो मुझे बहुत अच्छी तरह से जानती है..

बुड्ढे बलबीर अंकल की बात सुनकर मेरी रुपाली दीदी बुरी तरह से घबरा उठी थी... फिर भी उन्होंने संयम से काम लिया...

मेरी रूपाली दीदी: जी अंकल जी नमस्ते..

बलवीर अंकल: यह लड़का जो तुम्हारे पीछे खड़ा है यह तुम्हारा भाई है ना...

मेरी रूपाली दीदी: जी अंकल...

बलवीर अंकल: मैं इसकी शक्ल देखकर ही पहचान गया था... दिखने में तुम्हारा भाई बिल्कुल तुम्हारे पिताजी की तरह है...

मुन्ना: यह लीजिए गर्भनिरोधक की गोलियां...

मुन्ना और बलवीर अंकल की निगाहे मेरी रूपाली दीदी की घबराहट के कारण उठती गिरती हुई उनकी चुचियों के ऊपर ही टिकी हुई थी...

मेरे साथ साथ मेरी दीदी भी इस बात को अच्छी तरह समझ रही थी...

दीदी ने अपने पर्स में उस गर्भनिरोधक की गोलियों को रख लिया... और ₹100 का नोट निकालकर बलबीर अंकल को देने लगी.... तब तो उस ठरकी बलबीर अंकल ने मेरी बहन का हाथ ही पकड़ लिया...

बलबीर अंकल: ना .....ना मेरी बिटिया रानी... ऐसा पाप हमसे मत करवाओ... तुम से पैसा लेकर मैं अपने सर के ऊपर पाप नहीं चढ़ाना चाहता हूं... तुम्हारा बाप तो मेरा बहुत अच्छा दोस्त था..

मेरी रूपाली दीदी की कलाई को मसलते हुए... बहुत मजे किए हैं हम लोगों ने अपनी जवानी में साथ मिलकर...

तुम्हारा नाम क्या है बिटिया रानी...

मेरी रूपाली दीदी: अंकल जी मेरा नाम रुपाली है..

बलवीर अंकल: बहुत सुंदर नाम है बिटिया रानी तुम्हारा... बिल्कुल तुम्हारी तरह... तुम्हारी मम्मी भी जवानी में दिखने में बिल्कुल तुम्हारी तरह ही थी...

मेरी रूपाली दीदी का हाथ मसलते हुए बलवीर अंकल अपने घटिया पन पर उतर आए थे.. मेरी मासूम दीदी उनकी नियत को समझने के बावजूद भी कुछ नहीं कर पा रही थी..

मैं इसीलिए सामने जाकर खड़ा हो गया...

और बलवीर अंकल से बोला...

मैं: अंकल जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद... कभी आप हमारे घर आइए... हमें तो अभी घर जाना है...

मैंने कड़े स्वर में कहा था... जिसके कारण बलवीर अंकल ने मेरी दीदी का हाथ छोड़ दिया... लेकिन उसके पहले ही उस ठरकी इंसान में दबाव बनाकर मेरी रूपाली दीदी की हाथों की चूड़ियां तोड़ दी थी..

बलबीर अंकल: हां बेटा... जरूर आऊंगा जब तुम बुलाओगे... तुम्हारे घर की चाय और दूध पीने के लिए....

बुड्ढे अंकल की डबल मीनिंग बात सुनकर मेरे ऊपर ही दीदी शर्मा गई...

मैं: ठीक है अंकल जी आप कल हमारे घर आइएगा...

बोलते हुए मैंने अपनी दीदी का हाथ पकड़ा और उसे मेडिकल शॉप से बाहर निकलने लगे...

मुझे और मेरी रूपाली दीदी को अपनी दुकान से बाहर जाते हुए देख कर बलबीर अंकल और उनका नौकर मुन्ना दोनों ही मेरी बहन की पीठ और उनकी गांड को निहार रहे थे...

मन में सोच रहे थे क्या मस्त पटाखा आइटम है यह साली.. इस रंडी को चोदने में कितना मजा आएगा...

दोनों का अपने-अपने पजामे में टेंट बन गया था... लेकिन कुछ कर नहीं सकते थे... मैं अपनी बहन को लेकर वापस ऑटो में आ चुका था.... हम घर की तरफ चल पड़े ....

बिल्लू रास्ते भर मेरी बहन को अपनी साइड मिरर में देखते हुए मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहा था... मैं और दीदी उसकी परवाह भी नहीं कर रहे थे... हम दोनों अपनी अपनी चिंता में खोए हुए थे..

जब हम अपने घर के सामने पहुंचे... और ऑटो से उतरे... हमारे आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा... सामने का दृश्य ही कुछ ऐसा था... मेरी रूपाली दीदी तो बेहोश होने लगी थी.... मैंने उनको सहारा दिया..

दरअसल हमारे घर के आगे सिक्युरिटी जीप खड़ी की.. जिसके अंदर मेरी मम्मी बैठी हुई थी... सिक्युरिटी मेरी मम्मी को अपनी जीप के पीछे बिठाकर ले जा रही थी....

सिक्युरिटी जीप में मेरी मां को बैठकर जाते हुए देख कर मेरे तो हाथ पैर सुन हो गए थे... मेरी रूपाली दीदी का भी कुछ ऐसा ही हाल था... हम दोनों जब बिल्लू के ऑटो से बाहर निकले तो हमारे घर के सामने पड़ोसियों की भीड़ जमी हुई थी... सब लोग हमारी तरफ देखते हुए ही कानाफूसी कर रहे थे.... मैंने जब अपनी रुपाली दीदी की तरफ देखा तो उनके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही थी... हम दोनों को ही बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि आखिर माजरा क्या है...

मैं और मेरी दीदी जल्दी से अपने घर के अंदर घुस गए और दीदी ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया... मेरे सामने ही चंदा भाभी खड़ी हुई रो रही थी.. उनकी गोद में मेरी रूपाली दीदी की बेटी मुन्नी थी.. उनके दोनों बच्चे भी वहीं पर खड़े रो रहे थे...

मैं: क्या हुआ भाभी... क्या बात है आप मुझे सच सच बताओ... मेरी मम्मी को सिक्युरिटी वाले लेकर क्यों गए हैं....

मेरी चंदा भाभी ने रोते रोते हुए हमें पूरा हाल सुना दिया... उनकी बातें सुनकर हमारे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी... मेरी रूपाली दीदी को तो चक्कर आने लगे थे... दरअसल बात यह थी कि जैसा कि चंदा भाभी ने हमें बताया....

चंदा भाभी: किसी जुनैद नाम के गुंडे का मर्डर हो गया है...( रोते बिलखते हुए)... और वह इंस्पेक्टर साहब बोल रहे हैं कि मर्डर प्रियंका ने किया है... उनके पास इस बात का सबूत है... जब हम उनसे सबूत मांगे इस बात का तो उन्होंने मना कर दिया.... वह बोले हैं प्रियंका को सिक्युरिटी थाने में हाजिर होने के लिए... वह तो घर पर नहीं है ..पता नहीं कहां गई है... इसीलिए सिक्युरिटी मम्मी जी को उठाकर ले गई है... प्लीज देवर जी कुछ कीजिए... आप थाने में जाकर उन लोगों को बता दीजिए उनको कुछ गलतफहमी हुई है... हमारी मम्मी जी ना जाने किस हाल में होगी...

मेरी चंदा भाभी का रोना धोना चल ही रहा था... कि प्रियंका दीदी आ चुकी थी... उनके चेहरे पर भी हवाइयां उड़ रही थी...

मेरी रूपाली दीदी ने अपने आपको ठीक किया... और मेरी प्रियंका दीदी कहां से पकड़ कर उनको अपने बेडरूम के अंदर ले गई...

मेरी रूपाली दीदी ने उनको पूरी बात बताई और पूछी...

मेरी रूपाली दीदी: क्या सच में तुम्हारा जुनैद के मर्डर से कोई लेना-देना है... तुम मुझे सच सच बता सकती हो..

मेरी प्रियंका दीदी: नहीं दीदी.... मैं भला मर्डर कैसे कर सकती हूं.. मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानती हूं...( आंखों में आंसू लिए हुए)...

मेरी रूपाली दीदी: हां मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा भरोसा है... तुम कभी इतना गलत काम नहीं कर सकती..

मेरी प्रियंका दीदी के आंसुओं को देखकर रूपाली दीदी ने उनको गले लगा लिया... और उनको समझाने लगी.... आगे के प्लान के बारे में..

प्लान कुछ खास नहीं था... दरअसल मुझे सिक्युरिटी थाने जाना था.. और वहां पर जाकर सिक्युरिटी इंस्पेक्टर के आगे रोना गिड़गिड़ाना था... ताकि वह मेरी मम्मी को आजाद कर दे... अगर कुछ ले देकर मामला निपट सकता है सौदेबाजी करके मुझे इस मुसीबत से अपने परिवार को निकालना है... मेरी रूपाली दीदी ने मुझे अच्छी तरह समझा दिया था जाने से पहले..

सिक्युरिटी थाने के अंदर घुसने से पहले मेरे हाथ पैर ढीले पड़ चुके थे...

जब मैं अंदर गया तो मैंने देखा वहां पर चार-पांच सिक्युरिटी कॉन्स्टेबल अपनी अपनी मेज पर बैठे हुए काम कर रहे थे... मेरी मम्मी लॉक अप के अंदर अपने सर पर हाथ रख कर बैठी हुई थी... उनकी यह दशा देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए..

इंस्पेक्टर साहब कहां पर है: मैंने एक हवलदार से पूछा..

उसने मुझे इंस्पेक्टर साहब के केबिन का रास्ता दिखा दिया...

मैं: क्या मैं अंदर आ सकता हूं इंस्पेक्टर साहब...

इंस्पेक्टर साहब: कौन है तू( बड़ी रोबदार आवाज में)..

मैं: जी सर.. मेरा नाम सैंडी है... आपने मेरी मम्मी को हवालात में बंद कर दिया है... किस जुर्म में...

मेरी बात सुनकर इंस्पेक्टर साहब ने मुझे बड़ी गौर से देखा और अंदर आने का इशारा किया... उन्होंने मुझे कुर्सी पर बैठने का इशारा किया मैं उनके सामने बैठ गया..

इंस्पेक्टर साहब: सैंडी देख.... मुझे अच्छी तरह पता है तेरी मम्मी निर्दोष है.... लेकिन मेरे पास पुख्ता सबूत है कि तेरी प्रियंका दीदी जुनैद के मर्डर में शामिल है... अगर तू अपनी बहन को थाने में हाजिर कर देगा तो मैं तेरी मम्मी को जाने दूंगा...

मैं( थरथर कांपते हुए): कैसा सबूत इंस्पेक्टर साहब?

इंस्पेक्टर साहब: सुन बे बहन के लोड़े म*****....( गंदी गाली)... मेरे सामने ज्यादा नाटक करने की जरूरत नहीं है... मेरा नाम इंस्पेक्टर हरिलाल है.... बड़े-बड़े मुजरिमों को मैंने अपने डं तुझे सबूत देखना है ना बहन चोद... यह देख सबूत...

ऐसा बोलकर इंस्पेक्टर हरिलाल ने मेरे सामने मृतक जुनैद का मोबाइल फोन निकाल लिया और उसमें तस्वीरें वीडियो और व्हाट्सएप चैट दिखाने लगा जो उसने मेरी प्रियंका दीदी के साथ की थी... फिर उसने वह वीडियो भी खोल कर रख दी थी मेरी आंखों के सामने जिसमें असलम और जुनैद दोनों मिलकर मेरी दोनों बहनों को...अपने फार्म हाउस पर रात भर ठोका था...

कल के मर्डर वाले दिन में भी मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के साथ उसके फार्म हाउस पर थी.. इस बात का पुख्ता सबूत मेरी दीदी के मोबाइल लोकेशन और जुनैद के मोबाइल लोकेशन से निकालकर इंस्पेक्टर साहब ने मुझे दिखा दिया था.... जाहिर था कि पिछले 24 घंटे में इस केस को सॉल्व करने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी... सारे सबूत मेरी आंखों के सामने थे और मेरी पेंट गीली हो रही थी...

इंस्पेक्टर हरिलाल: मेरे पास तो तेरी रूपाली दीदी के खिलाफ भी पूरे सबूत लेकिन उसने पक्के नहीं जितनी तेरी प्रियंका दीदी के लिए... वीडियो ऑडियो और व्हाट्सएप चैट से साफ पता चल रहा है कि तुम्हारी दोनों बहनों के संबंध मृतक गुंडे जुनेद के साथ थे...

मेरे पास अब कोई ज्यादा चारा नहीं बचा था... मैं रोने लगा रोते-रोते इंस्पेक्टर साहब के पैरों में गिर पड़ा और उनके पैरों को पकड़ लिया...

मैं (रोते हुए): इंस्पेक्टर साहब हमारे ऊपर दया कीजिए.... अगर यह सब बात लोगों को पता चली तो हम लोग मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे कहीं पर भी.... आप जो कुछ भी कहोगे जो कुछ भी मांगोगे वह मैं देने के लिए तैयार हूं... लेकिन कृपा करके इस केस से हम लोगों को आजाद कर दीजिए.... मैं अपनी मां की कसम खा कर बता सकता हूं कि मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी किसी का भी मर्डर नहीं कर सकती है... अगर कुछ ले देकर आप हमारे केस का मामला उठा सकते हैं तो मैं वह भी करने के लिए तैयार हूं...

मुझे बुरी तरह से रोते हुए और बिलखते हुए देखकर इंस्पेक्टर हरिलाल को मेरे ऊपर दया आ गई थी.. उन्होंने मुझे अपने कदमों से उठाया..

इंस्पेक्टर साहब: देखो सैंडी... तुम बहुत अच्छे लड़के हो... जहां तक मैंने पता किया है तुम्हारा परिवार भी बहुत संस्कारी और बेदाग है... मैंने तुम्हारे पड़ोसियों से पता किया था ...तुम्हारी दोनों बहनों का चरित्र भी इतना बुरा नहीं है... कि जुनेद जैसे इंसान के चक्कर में फंसे... आखिर क्या बात है... मैं एक ईमानदार सिक्युरिटी ऑफिसर हूं... मेरे पास जितने भी केस आए हैं मैंने सब को उसके सही अंजाम तक पहुंचाया है... अगर तुम मुझे सब कुछ सच-सच बता दोगे तो मैं वादा करता हूं कि तुम्हारी मदद जरूर करूंगा...

इंस्पेक्टर साहब की बातें सुनकर मुझे कुछ ढाढस का एहसास हुआ... मुझे सच में लगने लगा था कि इंस्पेक्टर साहब कोई ईमानदार व्यक्ति है जो मेरी मजबूरी को समझ रहे हैं..

इंस्पेक्टर हरिलाल की बातों में आकर मैंने पूरी कहानी उनको बता दी संक्षेप में... किस तरह से जुनेद और असलम ने मुझे और मेरी रुपाली दीदी को बंधक बनाकर जंगल में मेरी दीदी के साथ बलात्कार किया था.. और फिर उसी का फायदा उठाकर मेरी प्रियंका दीदी को भी अपने जाल में फंसाया... फिर मेरी दोनों बहनों को अपने फार्म हाउस पर ले जाकर मेरे सामने ही..... मैंने सब कुछ सच-सच बता दिया था लेकिन संक्षेप में...

इंस्पेक्टर हरिलाल मेरी तरफ अजीब नजरों से देख रहे थे...

वह बोले: कैसा भाई है तू... तुझे तो अपनी बहन की रक्षा करनी चाहिए थी... तू तो खुद ही उनके सामने अपनी बहनों को परोसने ले गया..

उनकी बातें सुनकर मेरी आंखें शर्म से झुक गई...

इंस्पेक्टर हरिलाल: सुनो मेरी बात.... केस तो दर्ज हो चुका है... तेरी प्रियंका दीदी को थाने में आकर अपना बयान तो देना ही होगा... वरना 302 का मुकदमा लगेगा... मैंने अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया... मुझे लगा की औरत है उसका बयान लेना भी ठीक रहेगा...

मैं: लेकिन इंस्पेक्टर साहब क्या मेरी प्रियंका दीदी को इस थाने में लाना ठीक रहेगा... इतने सारे लोग हैं यहां पर क्या इज्जत रह जाएगी हम की.

हरिलाल: तू ही कह रहा है ... तू अपनी बहन को यहां पर मत लाना... थाने के पीछे मेरी खोली है... तुम रात को 9:00 बजे अपनी प्रियंका दीदी को लेकर आ जाना... मैं वहीं पर तुम्हारी दीदी का बयान ले लूंगा..

मैं: ठीक है इंस्पेक्टर साहब... मैं अपनी प्रियंका दीदी को लेकर आप की खोली में आऊंगा... फिर वही पर आप मेरी बहन का बयान दर्ज कर लेना.. मेरी मम्मी को तो जाने दो..

हरिलाल: नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता.... तुम्हारा क्या भरोसा... यहां से जाने के बाद तुम अपनी बहन को लेकर गायब हो गए तो मैं क्या करूंगा... तुम्हारी मम्मी अभी हवालात में ही रहेगी... जब तुम्हारी प्रियंका दीदी मेरी खोली में आएगी... और अच्छे से बयान देगी... तब तुम अपनी मम्मी को घर ले जा पाओगे...

इंस्पेक्टर हरिलाल की बात मुझे ठीक ही लगी थी... मुझे उनके ऊपर भरोसा होने लगा था... कुछ-कुछ उनकी रोबदार पर्सनालिटी और उनकी मूछों का असर था.. मैंने इंस्पेक्टर साहब से वादा कर दिया कि मैं अपनी प्रियंका दीदी को रात 10:00 बजे उनकी खोली में लेकर आऊंगा... उनकी खोली सिक्युरिटी थाने के पीछे थी..

सिक्युरिटी थाने से लौटते हुए मेरे मन में थोड़ी बहुत राहत थी.... दरअसल जुनैद के मरने की बात सुनकर मैं भीतर ही भीतर थोड़ा बहुत खुश भी था.. वह इंसान जिसने असलम के साथ मिलकर मेरी रूपाली दीदी का बलात्कार किया था और फिर मेरी प्रियंका दीदी और रूपाली दीदी दोनों को अपने फार्म हाउस पर ले जाकर उनके साथ संभोग किया था रात भर.. मुझे और मेरे जीजू को जलील किया था... उस इंसान के मरने से मुझे खुशी थी... ऊपर से इंस्पेक्टर साहब ने भी मुझे भरोसा दिया था कि सब कुछ ठीक हो जाएगा... अगर मैं अपनी बहन को उनकी खोली में बयान देने ले जाऊंगा...

जब मैं अपने घर पर आया तब तक शाम के तकरीबन 7:00 बज चुके थे... मेरी रूपाली दीदी, प्रियंका दीदी और चंदा भाभी सभी चिंता की मुद्रा में हॉल में ही बैठे हुए थे...

तीनों मुझे देखते ही भागते हुए आए और पूछने लगे क्या हुआ थाने में... मेरी मम्मी को क्यों नहीं लेकर आया हूं मैं... चंदा भाभी तो दहाड़े मार-मार कर रो रही थी... मेरी प्रियंक दीदी उनको ढाढस बना रही थी..

इसी बीच मेरी रूपाली दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम के अंदर ले गई.. और मुझसे पूछने लगी...

जो कुछ भी मेरे और इंस्पेक्टर हरिलाल के बीच में बातचीत हुई थी मैंने वह सब कुछ सच-सच बता दिया मेरी रूपाली दीदी को...

मेरी बात सुनकर रुपाली दीदी गहरी सोच के मुद्रा में चली गई थी... उनके माथे पर शिकन थी... कुछ देर सोच विचार करने के बाद उन्होंने मुझे कहा: तुम जाओ और थोड़ी देर आराम कर लो... मैं प्रियंका से बात कर लेती हूं...

मैं अपने कमरे में जाकर अपने बिस्तर के ऊपर लेट गया... और सोचने लगा... अब आगे क्या होने वाला है मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था... पर मुझे मेरी रूपाली दीदी की चतुराई पर पूरा भरोसा था.. मुझे भरोसा था कि मेरी दीदी कुछ ना कुछ रास्ता निकाल ही लेगी इस मुसीबत से निकलने के लिए... सोचते सोचते ही मेरी आंख लग गई...

सपने में ढोलू मेरी रूपाली दीदी को प्यार कर रहा था... उनके साथ सेक्स कर रहा था... जो आज दिन में उसने किया था... सब कुछ मेरी आंखों के सामने... वही सब नजारा मुझे सपने में भी दिखाई देने लगा था..

यह सच है यह सपना मैं फर्क नहीं कर पा रहा था...

तकरीबन 9:00 बजे मेरी रूपाली दीदी ने मुझे नींद से जगाया.. और बोली... जल्दी से कुछ खा लो..

मैं: ठीक है दीदी..

मैं खाना खा रहा था और मेरे सामने ही मेरी रूपाली दीदी , प्रियंका दीदी और चंदा भाभी के बीच में कुछ मंत्रना चल रही थी... रूपाली दीदी मेरी प्रियंका दीदी को कुछ समझा रही थी और चंदा भाभी सब कुछ सुन रही थी... घर के सारे बच्चे सो गए थे...

खाना खाने के बाद मेरी रुपाली दीदी ने मुझसे कहा..

मेरी रुपाली दीदी: एक काम करो सैंडी... तुम अपने दोस्त बिल्ललू ऑटो वाले को बुला लो...

मैं: क्या बिल्लू को बुलाना ठीक रहेगा दीदी...

मेरी रूपाली दीदी: हां सैंडी.... बिल्लू अच्छा लड़का है... वैसे भी बाइक पर जाना ठीक नहीं रहेगा... ऑटो में ही ठीक है... तुम उसे फोन करके जल्दी बुला लो..

मैं: ठीक है दीदी...

मैंने बिल्लू को फोन किया... 10 मिनट के अंदर ही वह अपना ऑटो लेकर हमारे घर के सामने खड़ा था... मैं और मेरी प्रियंका दीदी उसके ऑटो की पिछली सीट पर जाकर बैठ गए...

ऑटो अपनी मंजिल की तरफ चल पड़ी... मैंने बिल्लू को सिक्युरिटी थाने के पीछे बनी हुई खोली का रास्ता बता दिया था पहले ही....

बिल्लू को इस बात पर तो हैरानी नहीं थी कि हम सिक्युरिटी थाने के पीछे क्यों जा रहे हैं... क्योंकि उसे थोड़ा बहुत तो समझ में आ गया था कि कुछ सिक्युरिटी का चक्कर है... जिसमें हमारा परिवार फंसा हुआ है..

लेकिन उसे हैरानी इस बात पर थी कि मैं अपनी बहन को लेकर क्यों जा रहा हूं... वह भी इस रूप में... मेरी प्रियंका दीदी जबरदस्त माल लग रही थी... एकदम चिकनी चमेली की तरह.... बन ठन के... लाल रंग की लहंगा चोली... ऊपर से चुनरी डालकर.... चेहरे पर भरपूर मेकअप... कुल मिलाकर पटाखा लग रही थी मेरी बहन.... और बिल्लू की निगाहें अपने साइड मिरर में मेरी प्रियंका दीदी के ऊपर ही टिकी हुई थी..

दिन में मेरी रूपाली दीदी के हुस्न का दीदार करने के बाद रात में वह अपनी ऑटो में मेरी प्रियंका दीदी का हुस्न का दीदार कर रहा था..

अपनी प्यासी निगाहों से वह मेरी प्रियंका दीदी को ऐसे देख रहा था जैसे कि कच्चा ही खा जाएगा... उसकी लूंगी मैं उसका शेषनाग नाचने लगा था... मुझे और मेरे प्रियंका दीदी दोनों को ही एहसास था बिल्लू की हालत का.... लेकिन मुझे अपने दोस्त पर भरपूर भरोसा था कि सुनसान सड़क होने के बावजूद भी वह हमारे साथ कोई गंदी हरकत नहीं करेगा..

कुछ ही देर में हम सिक्युरिटी थाने के पीछे बनी हुई खोली के सामने पहुंच गए थे... मैं और मेरी प्रियंका दीदी ऑटो में से उतर कर खोली के सामने पहुंच गए... बिल्लू अपनी ऑटो में ही बैठा हुआ हमें देख रहा था.. मेरी रूपाली दीदी को देख रहा था... और अपने औजार मसल रहा था..

खोली का दरवाजा खुला तो सामने इंस्पेक्टर हरिलाल खड़े थे...

इंस्पेक्टर साहब की आंखें लाल-लाल दिख रही थी... उनकी सांसो की बदबू से ही समझ आ रहा था कि वह दारू के नशे में धुत है...

पहले तो उन्होंने मुझे पहचाना ही नहीं... फिर जब मैंने उनको बताया कि मैं कौन हूं तब मैंने पूछा..

इंस्पेक्टर हरिलाल: तेरी बहन कहां है?

मैं: सर... यह रही मेरी प्रियंका दीदी...

मैं सामने से हट गया... मेरी प्रियंका दीदी को देखकर हरिलाल भौचक्का रह गया...

इंस्पेक्टर साहब: अच्छा तो तुम हो प्रियंका.. तुम कत्ल करती हो लोगों का... आज तो तुम्हारा अच्छे से बयान लूंगा.

मेरी प्रियंका दीदी: नहीं सर... मैंने कोई कत्ल नहीं किया...

इंस्पेक्टर हरिलाल: अच्छा.... अंदर आओ.... फिर पता चलेगा कि तुमने कत्ल किया है कि नहीं...

ऐसा बोलकर हरिलाल ने मेरी बहन का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच कर अपने सीने से सटा लिया... एक हाथ से उसने मेरी बहन की चोली के ऊपर से उनकी एक चूची को कसके मसल दिया..

मेरी दीदी सीसीआते हुए तड़पने लगी... मुझे हैरानी इस बात की हुई थी कि मेरी दीदी ने उनकी हरकत का कुछ खास विरोध नहीं किया था..

बल्कि मेरी दीदी इंस्पेक्टर साहब से चिपक गई थी...

इंस्पेक्टर हरिलाल ने मेरी बहन को अपनी खोली के अंदर ले लिया और मुझसे बोला..

इंस्पेक्टर साहब: तू यही बाहर दरवाजे पर ही इंतजार कर... मैं तेरी बहन को अपनी खोली में ले जा रहा हूं.. अंदर में अच्छे से इसका बयान लूंगा.. इसके बाद तू अपनी बहन को ले जाना और अपनी मम्मी को भी.. समझ गया ना... उस ऑटो वाले को भगा दे... वह देख रहा है...​
Next page: Update 15
Previous page: Update 13