Episode 04
उनकी मुस्कान सब कुछ बोल रही थी .
"तो बोल , आज से क्या है तू "
मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं , कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।
बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं
अब तक
"तो बोल , आज से क्या है तू " मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं , कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।
आगे
ऊप्स , मैं तो भूल ही गयी थी , मुझे अचानक याद आया।
मैंने मोबाइल का एक नंबर दबाया ,हॉट नंबर। मेरी हॉट हॉट मॉम का , और उनकी आवाज सुनते ही, , मैंने फोन , उन्हें पकड़ा दिया।
जिस तरह वो शर्मा रहे थे , ब्लश कर रहे थे , अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहे थे , साफ लग रहा था की मम्मी कैसे जम कर उनकी रगड़ाई कर रही हैं।
लेकिन एक एक बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे , कान पार के , और मैं सास -दामाद का ये संवाद बहुत ही ध्यान से सुन रही थी , अभी तो ये शुरुआत है मुन्ना।
और बात खत्म होते ही फोन उन्होने मुझे पकड़ा दिया , मुस्कराहट और ब्लश दोनों चेहरे पर अभी भी कायम थी।
" क्यों कैसा लगा अपनी मालकिन ,मेरा मतलब , मालकिनो से मिलकर। " मैंने छोड़ा।
जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने , फिर शरमाते लजाते ,आँख झुका के बोले , ' बहुत अच्छा '.
एक चुम्मी तो बनती थी न ऐसे मौके पे , और मैंने लपक के ले ली और जोर से उन्हें भींच के बोला ,
'जोरू के गुलाम'
और एक बार फिर उन्होंने ब्लश किया।
कपडे पहनते हुए उन्होंने बिंदी हटाने की कोशिश की तो मैंने घुड़ककर कहा , उन्न्ह क्या करते हो , और फिर थोड़ी सॉफ्ट टोन में प्यार से , अच्छी तो लग रही है देखो न , और उनके सामने शीशा रख दिया।
क्या कोई नयी दुलहन शरमायेगी , जिस तरह वो शरमाये।
और मेरे मन के पखेरुओं को पंख लग गए ,कित्ता अच्छा लगेगा , इन कानों में झुमके , आँखों में काजल , हलका सा मस्कारा , होंठों पे पिंक लिपस्टिक बहुत फबती इन पे , बहुत ज़रा सा गालों पर फाउंडेशन ,उनका चेहरा वैसे भी खूब गोरा था , मुलायम , नमकीन जैसे मेरी सहेलियां कहती थीं 'लौंडिया छाप ' बिलकुल वैसे, ।
और फिर नाक में नथुनी , ज्यादा बड़ी नहीं छोटी सी , मेरे होंठवा पे नथुनिया कुलेल करेला टाइप्स।
वो अभी भी शीशे में अपना चंदा सा मुखड़ा निहार रहे थे।
मैं कुछ और छेड़ती की बाहर के कमरे से आवाज आई , " खाना " .
वेटर खाना ले आया था।
ये रूम स्यूट टाइप था , बाहरी कमर ड्राइंग -डाइनिंग रूम टाइप और अंदर बेडरूम।
' वहीँ रख दो , बाद में आके बर्तन ले जाना। " मैंने अंदर से बोला।
दरवाजा बंद होने की आवाज आई , वेटर चला गया था।
मैंने बहुत प्यार से उनके माथे पे लगी बड़ी सी लाल लाल बिंदी को चूमा और गोरे गोरे नमकीन गाल को सहलाते हुए कहा ,
' गुड बेबी , आज तुझे मॉम खाना खिलायेगी , अपने हाथ से। यू हैव बीन अ गुड बेबी , चलो आँखे बंद। " और मैंने अपने रसीले होंठों से उनकी आँखे सील कर दीं।
मैं उनका हाथ पकड़ कर दुसरे कमरे में ले आई।
इट वाज 'डिफरेंट'।
खाना विद अ डिफरेंस
ट वाज 'डिफरेंट'।
मुंह खोल , मुन्ना ,
और पहला कौर मैंने अपने हाथ से खिलाया। उनकी टेस्ट बड्स ने जैसे विद्रोह कर दिया हो , चेहरा एकदम गिनगिना गया।
लेकिन तुरंत मेरे होंठ 'ऐक्शन ' में आ गए और न सिर्फ उनके होंठो का खूब रसीला एक चुम्मा लिया ,उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ के , कचकचा कर , बल्कि जीभ भी उनके मुंह में ठेल दी और जो कौर अभी भी उनके मुंह में अटका था उसे सीधे पूरी तरह अंदर ठेल के ही उसने दम लिया।
अगला कौर भी खिलाया मेरे होंठों ने , खूब कुचा कुचाया , मेरे मुख रस से लिथड़ा।
और मुझे कोहबर याद अाया जब तीन चार घंटे तक एक छोटी सी सुपाड़ी को एक छोटे से पान में रख कर मेरे मुंह में रखवाया गया था और फिर उसे एक दूसरे पान में रखकर , मेरे कूचे कुचाये पान को उन्हें ,…
" गुड ब्वॉय अच्छा लग रहा है न , " मैंने गाल पे चूमते पुछा और फिर अगला कौर ,
साथ में मेरा बायां हाथ पाजामे के ऊपर से 'उसे ' सहला रहा था , दबा रहा था।
कुछ ही देर में ' वो ' कुनमुनाने' लगा , जोर जोर से।
मेरा हाथ पाजामे के अंदर था और एक झटके में खीच कर चमड़ा खोल दिया , सुपाड़ा बाहर।
" लगता है फिर उस छिनाल ननद के कच्चे टिकोरे याद आ रहे हैं , चल कोई बात नहीं अबकी तुझे टिकोरों का भी स्वाद चखाउंगी , बस आने दो मौका। "
मैंने जोर से दबाया और एक बूँद , प्री कम की निकल के सुपाड़े पे।
मैंने अंगूठे से उसे समेटा और सीधे अपने गरम गरम होंठों होंठों पे ,
और उसके बाद , मेरे होंठ सीधे उनके होंठ पे।
उनका प्री कम ,… डेजर्ट की तरह।
' अरे सिर्फ कच्चे टिकोरे ही नहीं सब कुछ दिलवाऊँगी उसका बहुत तड़पाया है उसने मेरे मुन्ने को न " मैंने फिर बोला।
कभी मेरे हाथ से कौर उनके मुंह में जा रहा था और कभी होंठों से।
साथ में ढेर सारे फोटोग्राफ्स , और कई सेल्फी भी हम दोनों की।
भला हो स्मार्ट फोन वालों का।
उनके चेहरे का क्लोज अप ,चमकती दमकती बड़ी बड़ी लाल बिंदी ,मैं उन्हें 'क्या खिला ' रही थी , प्लेट्स में ‘क्या क्या’ था। एक छोटा सा वीडियो भी।
मेरे भैया ये नहीं खाते ,वो नहीं खाते
उनके चेहरे का क्लोज अप ,चमकती दमकती बड़ी बड़ी लाल बिंदी ,मैं उन्हें 'क्या खिला ' रही थी , प्लेट्स में ‘क्या क्या’ था। एक छोटा सा वीडियो भी।
और सब साथ साथ मम्मी को व्हाट्सऐप कर दिया।
कुछ देर में सारी प्लेटें साफ।
;" चलो , अब आँख खोल लो , कैसा लगा मेरे हाथ से खाने का मजा " मैंने पूछा।
" बहुत बढ़िया एकदम मजा आ गया। " मुस्करा के बोले वो।
और मैं और जोर से मुस्कराई और साथ में अपनी उंगलिया उनके मुंह में।
चाट चुट के सब उन्होंने साफ कर दिया , मेरी ऊँगली में लगी सारी 'करी 'साफ सूफ के चाट।
" ऐसा कभी नहीं खाया " वो बोले।
" सही कह रहे हो " मैंने मन ही मन सोचा। और फिर आँख मारते हुए ,हंस के पूछा ," क्यों एग करी कैसी थी। "
एकदम हालत खराब उनकी , लेकिन उनके रिएक्शन के पहले मैंने और चिढ़ाया ," अरे यार काटा तो नहीं। "
और वो कुछ रिएक्शन कर पाते , मैंने मोबाइल की फोटुएं दिखाई , सब 'ये नहीं खाते ,वो नहीं खाते 'वाली लिस्ट के।
उनका चेहरा एकदम ,… से ,
लेकिन मैंने झटके से पाजामे का नाड़ा खींच के खोल दिया।
वो एकदम तन्नाया , खूब कड़ा , और मेरी कोमल उँगलियों ने एक झटके में सुपाड़ा झटाक से खोल दिया।
एकदम जोश में , चॉकलेटी ,
और वो चॉकेलट मेरे मुंह में थी , मेरी स्वीट डिश , मैं चूस रही थी ,चुभला रही थी।
मस्ती से उनकी हालत खराब हो रही थी ,
एक पल के लिए मैंने निकाल के उसे बाहर ,उनकी आँख में आँख डाल के पूछा ,
" क्यों मुन्ना , चाहिए क्या। "
उन्होंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया , लेकिन तबतक हम दोनों की निगाह सामने दीवाल घडी पे पड़ी। दो बज रहे थे , और ढाई बजे से उनकी मीटिंग थी ,क्लाएंट से।
" मिलेगा मिलेगा , रात को , जल्दी तैयार हो जाओ। "
वो तैयार हो के निकले तो मैंने मुश्किल से हंसी रोकी।
मेरी बड़ी बड़ी लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे चमक रही थी।
बिंदी निकालते ,मुस्करा के मैं बोली " माना तेरे गोरे गोरे चेहरे पे बहुत अच्छी लगती है लेकिन , बाहर ,… "
हालाँकि मन ही मन मैं सोच रही थीं , " क्यों नहीं , एक दिन बाहर भी ,… बहुत जल्द। "
निकलते निकलते उन्होंने रुक के मुझे फ्लाइंग किस दिया और बोले ,शाम को जल्दी आऊंगा।
इट वाज अनॉदर फर्स्ट।
मैं वेट करुँगी मैंने बोला।
बिस्तर पर लेट कर मैं सोच रही थी , " मेरे भैय्या ये नहीं खाते , मेरे भैय्या वो नहीं खाते। भाभी आप भैया को जानती नहीं। "
आज देखती तो , … अब उसे पता चलेगा की कितने उसके भैय्या हैं और कितने मेरे सैंया।
कुछ दिन में ही पता चलेगा , . . सिर्फ मेरे सैयां। "
जल्द नींद आगयी। खूबी गाढ़ी और गहरी। और सपने में ‘उन्हें’ देखती रही , एक से एक 'आउटफिटस 'में , मेकअप के साथ।
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
सांझ हुयी घर आये
नींद आगयी। खूबी गाढ़ी और गहरी। और सपने में ‘उन्हें’ देखती रही , एक से एक 'आउटफिटस 'में , मेकअप के साथ।
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
आगे
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
और आज से पहले उन्हें कभी इतना बेताब ,बेकाबू नहीं देखा था। और इतना खुश भी,…
उन्होंने सीधे मुझे भींच लिया , ये भी नहीं देखा दरवाजा बंद है की खुला। और उनकी निगाहें सीधे जोबन की चोटियों पर अटकीं ,
और मैं भी न सिर्फ एक साटन की नाटी नाइटी में , वो भी खूब लो कट , और नूडल स्ट्रिंग वाली , पूरा क्लीवेज दिखता।
" बहुत भूख लगी है " नदीदों की तरह सीधे घाटी बीच झांकते वो वोले।
" मुन्ना , दुद्धू पियेगा ," मैंने चिढ़ाकर पुछा।
और जवाब उनके होंठों ने दिया , सीधे नाइटी से झांकते मेरे कबूतर की चोंच को गपुच कर।
मैंने भी ,कस के उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने बूब्स पर जोर से दबा दिया। एक हाथ से मैं उनके बाल सहला रही थी, और दूसरे हाथ से कंधे से स्ट्रैप सरका दिया , और अब निपल सीधे उनके मुंह के अंदर ,
खूब जोर जोर से चूस रहा थे वो।
मैं प्यार से उनके बाल सहला रही थी और कान में किस करके बोली ,
" बहुत भुक्खू लगी है बेबी को। ले न पी , मन भर। " और मैंने जोर से अपना जोबन उनके मुंह में ठूंस दिया।
जवाब में दूसरा हाथ भी उनका मेरे नाइटी के अंदर घुस गया और उरोजों से ग़दर मचाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उन्हें हलके से धक्का देके पलंग पे गिरा दिया , और बोली ,
" मिलेगा ,मिलेगा पूरी रात मिलेगा लेकिन ये बता मीटिंग कैसी रही क्लाएंट के साथ ?
जवाब में फिर उन्होंने जोर से भींच लिया ,और सैकड़ों किस मेरे गालों पे , फिर दोनों हाथ उठा के जोर से बोले ,
डील क्लिंच्ड।
वाउ ग्रेट ,
मैंने भी उन्ही की तरह से जोर से बोला , हम दोनों ने हाई फाइव किया , और उन्होंने अपना मोबाइल का एक मेसेज मेरे आगे किया ,
कंपनी के सीनियर वी पी का मेसेज था , कांग्रेच्युलेशन का, डील होने का।
आगे पढ़ न , वो बोले।
असली बात आगे ही थी , ६५, ००० का स्पेशल बोनस और एक अड्डीशनल इन्क्रीमेंट।
हम लोगों ने फिर हाई फाइव किया और अब उन्हें भींच कर चूमने की मेरी बारी थी।
फिर मैं आँख नचा के बोली ,
"यार , शॉपिंग तो बनती है "
"एकदम "
आज तो वो किसी भी चीज के लिए राजी होने के लिए तैयार थे।
" समझ लो , तेरी जेब काट लुंगी पूरी। "
मैंने धमकाया।
" कोई नहीं , और लौट के जो मैं काटूंगा न , तो चिल्लाना मत। हफ्ते भर निशान रहेगा। "
अब वो पूरी तरह मेरी वेव लेंथ पर आते जा रहे थे।
" जा जा ,मैं ऐसी डरने वाली नहीं , मेरा साजन है चाहे काटे चाहे जो करे ,किसी को क्या। "
खिलखिला के मैं बोली।
तभी मेरी निगाह 'उनकी ' बिंदी पे पड़ी और मुस्करा के मैंने फिर उनके माथे पर लगा दिया। अबकी वो कुछ नहीं बोले।
सिर्फ हलके से मुस्कराए दिए।
" चाय चलेगी "
फोन उठाते मैंने रूम सर्विस को आर्डर देने के पहले पूछा।
" ना , चलेगी नही ,दौड़ेगी ,"
" दो कप चाय " मैंने रूम सर्विस को बोला।
कुछ स्नैक्स भी बोल दो। उन्होंने जोड़ा।
ओके उनकी ओर मुंह करके मैं बोली और फोन पर आर्डर ऐड करा दिया,
" साथ में दो प्लेट आमलेट " और फोन रख दिया।
" आमलेट " चौंक के वो बोले।
जवाब में मैंने उनके होंठ पर एक किस जड़ा और हड़काया ,
" तू न ,अब पिटेगा मेरे हाथ से। सुबह प्लेट भर एग करी अकेले चट कर गया और अब आमलेट के नाम पे परहेज "
वेटर ले आया तो एक बार थोड़ा हिचके वो , ( माथे पर लगी बिंदी को लेकर ) लेकिन मैंने जोर से उनका हाथ पकड़ रखा था।
हम अपने कमरे में चाहे जो करें चाहे जैसे रहें ,किसी से क्या , मैं ये मानने में यकीन करती हूँ।
और अबकी बार वो अपने हाथ से आमलेट खा रहे थे। खुली आँखों से ,
बस मैं यही सोच रही थी की अगर उनकी मायकेवालिया देख लेतीं ( मेरे भैय्या ये नहीं खाते , मेरे भैय्या वो नहीं खाते ) तो बस फट के रह जाती ,
शॉपिंग एंड,.
शॉपिंग में भी खूब मजा आया , विंडो शॉपिंग ज्यादा की लेकिन उनकी जेब भी मैंने काटी।
एक कॉस्मेटिक की शाप से शुरुआत की मैंने , इम्पोर्टेड नेल पालिश ,लिपस्टिक। और मैंने एक पिंक नेलपालिश पिक की , लेकिन जब ट्राई करने का टाइम आया , …मेरे लम्बे नाखूनों में डार्क स्कारलेट नेल पेंट पहले से ही था।
मैंने मुस्करा के उन्हें देखा और उनका बायां हाथ सेल्स गर्ल के सामने बढ़ा दिया , एक पल के लिए हिचकिचाये वो लेकिन जब मैंने देखा उनकी आँखों में , बस वो मुस्करा दिए।
न सिर्फ वो कलर उन्हें पसंद अाया , बल्कि दो और नेल पालिश और स्कारलेट डार्क लिपस्टिक, और दो और बोल्ड शेड्स की भी उन्होंने ले ली।
हम लोग दुकानों के बाहर विंडो शॉपिंग कर रहे थे , मेरी निगाह एक शलवार सूट की दूकान की खिड़की के बाहर ,मुड़ मुड़ कर देख रही थी. मेरे मना करने पर भी वो मुझे खींच कर अंदर ले गए , और खुद सेल्स गर्ल से बोले , जब उसने पूछा की लूज या टाइट फिट , तो बिना रुके वो बोले , एकदम टाइट फिट।
सेल्स गर्ल निकालने के लिए मुड़ी तो मैंने उन्हें बनावटी गुस्से से देखा , तो वो शरारती बच्चे की तरह बस मुस्करा दिए।
और मुझे उनका मायका याद आ गया। मुझे टॉप ,स्कर्ट ,जींस बहुत पसंद थे लेकिन मुझे मालूम था की शादी के बाद तो ये , . . पर मैं अपने कुछ शलवार सूट ले आई थी की कम से कभी दिन में या हनीमून में ,. .
हनीमून तो गयी नहीं और घर में एक बार जेठानी जी ने वार्डरोब में देख लिया तो साफ हुक्म सुना दिया , की शादी के बाद ये सब नहीं चलेगा , मैं इसे बक्से में बंद कर दूँ ,कहीं सासु जो ने देख लिया तो फिर तूफान मच जाएगा। और वैसे भी उनके देवर को एकदम घरेलू मामला पसंद है।
और अपने सामने उन्होंने सब बक्से में बंद करवा दिए।
मैं ट्राई करने गयी और शीशे में देखा तो वो ड्रेस टाइट नहीं थी , बहुत टाइट थी , खासतौर पर मेरे उभारों पर और पिछवाड़े। सारे कटाव , उभार और कड़ापन सब और उभर के दिख रहे थे।
मैंने पहले ही बताया था न की मेरी २८ की पतली कमर के कारण मेरी ३४ सी गोलाइयाँ , ३६ से कम की नहीं लगतीं थी और ३५ का पिछवाड़ा तो और , इनके मायकेवालों की तो सुलग जाती देख के।
मैं जैसे कोई रैम्प मॉडल बाहर निकले बस वैसे मैं अपने 'स्ट्रांग प्वाइंट ' दिखाते बाहर निकली , लेकिन उन्होंने वहीँ रोक दिया , और अब फोटो खींचने की बारी उनकी थी।
उन्होने सेल्स गर्ल के कान में कुछ कहा और वो मुस्कराकर अंदर चली गयी।
उनकी मुस्कान से लग रहा था की उन्हें कैसा लगा रहा है।
ठीक है , मैं चेंज कर लूँ।
नहीं ,बस ऐसे ही चलो। और खुद मेरे हाथ से मेरी पहनी हुयी साडी ब्लाउज ,सब सेल्स गर्ल को दे दिया पैक करने के लिए।
तीन सूट उन्होंने और ले लिए थे , टाइट के साथ वो लो कट भी थे।
कुछ और निक नैक एक दो दुकानो पे हम ने लिए और फिर होटल की ओर मुड़ लिए।
होटल से कुछ दूर पहले एक पतली सी सड़क , सड़क क्या गली सी थी , बहुत हलकी रौशनी। वहां एक पान की दूकान थी , मुझे एक आइडिया सुझा मैं उनका हाथ पकड़ के वहां ले गयी और उनसे बोला,
" एक पैकेट सिगरेट ले लो। "
उन्होंने ले लिया।
" एक सुलगाओ " मैंने कहा ,
अब उनकी ,…
" लेकिन मैंने कभी पी नहीं , "
दबी आवाज में वो बोले।
मेरा एक बार जोर से घूरना काफी था और उन्होंने एक सुलगा के होंठों से लगा ली।
उग्ह्ह अह्ह्ह , वो हलके हलके खांस रहे थे , ठीक से सुलग भी नहीं पा रही थी।
ले मुझे दे , और उनके हाथ से ले के मैंने दो चार कश जोर जोर से लिए लो ठीक से बोला और उन्हें पकड़ा दिया ।
उनकी आँखे फटी पड़ रही थीं ,लेकिन अबकी कोशिश करके ,
जब वो पहली बार स्मोकिंग की कोशिश कर रहे थे, क्लिक किलक क्लिक , पांच छ फोटुएं और सब, व्हाट्सऐप , मम्मी को।
" अरे यार हम लोगे तेरे घर से इतने दूर हैं , आफिस से दूर हैं , इस गली में कौन देखेगा ,कौन पहचानेगा। थोड़ी मौज मस्ती करते हैं न "
मैंने उन्हें चढ़ाया . उन्होंने वो सिगरेट होटल पहुँचने के पहले पूरी खत्म कर दी।
वापस बेड रूम ,
कमरे में घुसने के पहले ही वेटर मिला ,
" मैडम ,डिनर। " उसने पूछा।
" सुबह वाला तो अच्छा था न , बस वही आर्डर कर देते हैं , " उन की ओर मुड कर मैंने मुस्कराते कहा।
और वेटर से बोला , " बेडरूम में ही दे देना , मैं प्लेट्स बाहर रख दूंगी। "
लेकिन उस बार भी खाना उन्होंने पूरा मेरे हाथों और होंठों से ही खाया।
उनके हाथ तो 'कहीं और ' बिजी थे।
पूरा खाना मैंने उन्हें उनकी गोद में बैठकर खिलाया ,और उनके हाथ उस टाइट सूट से छलकते उभारों की नाप जोख करने में लगे थे।
और वहां फिर अबकी हम दोनों ने एक एक सुलगाई साथ साथ।
मायके में तो कई बार , कभी चैलेंज के तौर पर तो कभी बस चिढ़ाने में ,. और कभी कभी सहेलियों के साथ ,
मुझे मम्मी की बात याद आ रही थी , अगर स्मोकर हो तो नान स्मोकर बना दो और नान स्मोकर हो तो स्मोकर ,वेज हो तो नान वेज ,.
आज कितना अच्छा लग रहा था मैं बता नहीं सकती एकदम खुला खुला
और मुझसे ज्यादा उनको
उस रात दो राउंड हुआ और सुबह से भी जबरदस्त। वो भी बिना किसी 'गोली -वोली ' की मदद से।
और जब हम लोग लौट के आये उसके बाद स्लोली लेकिन सिग्निफिकेंटली उनकी हर चीज , खाने की आदत हो ,पहनने की हो एटीट्यूड , सब कुछ बदलने लगा।