Episode 07
हैप्पी बर्थडे
हैप्पी बर्थडे
और मैं उनके ऊपर ,
मैं उन्हें चूम रही थी , उनके गालों , होंठों ,चेहरे के ऊपर अपने होंठ रगड़ रही थी कचकचा कर ,
और मेरे भारी भारी उरोज उनके सीने पे हलके सहला रहे थे ,
उन्होंने एक हाथ से मुझे पकड़ने की कोशिश की , लेकिन मैं थोड़ा ऊपर हट गयी।
उनकी आँखों में झाँक कर मैंने देखा और कड़ी आवाज में उन्हें मना कर दिया ,
"नो ,बर्थडे ब्वॉय विल ओनली फॉलो आर्डर्स ,अंडरस्टैंड। "
और तुरंत सहम कर उन्होंने हाथ पलंग पर कर लिया।
साइड टेबल पर रखी एक प्लेट मैंने खोली , उसमे एक खूब लम्बा ,मोटा ,कड़ा केला और अंगूर के गुच्छे रखे थे।
केला मैंने उठा के उन्हें दिखाते हुए अपने कड़े कड़े ,कंचे ऐसे साइज के निप्स पे पहले तो हलके से दबाया , फिर अपनी चूंचियों के चारो ओर हलके हलके सहलाया।
और उसके बाद अपने दोनों जोबन के बीच उसे दबा के , अपने दोनों हाथों से उरोजों को उसके ऊपर मसल रही थी जैसे जोर जोर से उसे टिट फक कर रही होऊं ,
और साथ में , सिसकियों की ,मस्ती की आवाज , मेरी आँखे आधी बंद थी।
आई वाज मोनिंग इन ज्वाय
एंड सो वाज ही ,… इन फ्रस्ट्रेशन एंड अराउजल।
और वहाँ से थोड़ी देर में , वो मेरे निचले लव लिप्स पे , केयरेस कर रही थी , अपने भगोष्ठों को रगड़ रही थी सिसकियाँ भर रही थी
फिर उन्हें दिखाते हुए गोल गोल , उसके टिप को अंदर घुसाना शुरू कर दिया।
मस्ती के मारे उनकी हालत ख़राब थी , लेकिन हैंडकफ से बंधे होने से।
दो इंच अंदर घुस गया था , फिर मैंने अपनी कलाई की ताकत से उसे अंदर ठेलना शुरु कर दिया ,
मैं कभी सिसकती , कभी चीखती , लेकिन मेरा पूरा ध्यान मेरी प्रेम गली में घुसते केले पे था , और उनकी निगाहें भी वहीँ चिपकी थीं।
कुछ देर में छ इंच अंदर था।
लेकिन अभी भी काफी बाहर था। मैंने उसे गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया और वह पूरी तरह मेरे रस में भीग गया।
और फिर एक झटके में निकाल के सीधे उनके होंठों पे ,
मेरे कहे बिना उन्होंने मुंह खोल दिया और धीमे धीमे सारा , गड़प।
और अब अंगूर की बारी थी।
जैसे कोई हूर सीधे अरेबियन नाइट्स के पन्नों से बाहर उतर आई हो ,
अंगूर के गुच्छे सीधे मेरे उरोजों से सटे ,मेरे निपल्स से अठखेलियां खेलते ,
और जब वो निपल की तलाश में होंठ खोलते ,जीभ बढ़ाते , तो उनके होंठों के बीच अंगूर ,
( और बाकी फलों की तरह अंगूर भी उनके नो नो लिस्ट में था )
कई बार तड़पाने ,तरसाने के बाद आखीर बर्थडे ब्वॉय को मैंने निपल दे ही दिया , और बेसबरा वो , जोर जोर चूसने लगा।
जब वो रसीले निप्स में बिजी थे, मैंने पलंग पर पड़े अपनी ब्रा और थांग उठाया , और सीधे जबरदस्त ब्लाइंड फोल्ड ,
उनकी आँखे बंद।
एक हाथ पहले ही हैंडकफ से बंधा था और अब ब्लाइंड फोल्ड भी,…
रसीली फांके
और अब मैंने दूसरी प्लेट खोली ,
लम्बे लम्बे सुनहले रसीले आम की फांके ,
एक साथ मैंने दो लम्बी फांक निकाली और सीधे मेरी चूत में।
लम्बी लम्बी फांके थी , पांच छह इंच लम्बी और आधी से ज्यादा बाहर।
और अब मेरे निचले होंठ , उनके होंठो चिपके।
सक इट बेबी , सक इट हार्ड , सक , यस्स यस्स टेक इट।
और वो चूस रहे थे , पूरी ताकत से , जोर जोर से।
थोड़ी ही देर में फांकों के टुकड़े उनके मुंह में थे और चूसने की रफ्तार और बढ़ गयी थी।
मैंने नीचे की ओर देखा।
इनका लिंग कभी इत्ता तना , इत्ता कड़ा मैंने इसके पहले नहीं देखा।
और कुछ ही देर में प्लेट में रखी सभी फांके , मेरी प्रेम गली से इनके मुंह में ,
और अब हम 69 की पोज में थे।
उनके होंठ अभी भी मेरी चूत से चिपके आम का रस ,चूस चाट रहे थे।
और मेरे होंठ , उन्होंने प्यार से 'दुल्हन ' का घूंघट खोल दिया ,और सुपाड़ा मेरे होंठों के बीच,
क्या मस्त कडा था ,कदम खूब फूला , लाल , मेरी जीभ की टिप सीधे 'पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे , और मैं जोर जोर से सुरसुरी करने लगी।
जवाब उन्होंने पूरी ताकत से मेरी आम रस से पगी भीगी चूत को पूरे ताकत से चूस कर दिया ,
और बची खुची आम की फांके , मेरी प्रेमगली से सीधे उनके मुंह में,
मेरे होंठ अब प्यार से सुपाड़े को दबोचे हुए थे और जीभ चारो ओर ,लप लप ,लप लप,…
नीचे मेरे अंगूठा और तर्जनी , जोर से मोटे पगलाए बांस के बेस को दबाये हुआ था।
एक पल के लिए मैंने सुपाड़े को आजाद किया ,
बगल में एक प्याला अल्फांसो के ढेर सारे छोटे छोटे टुकड़े , और आइस क्यूब से भरा हुआ था।
अगले ही पल मेरे अल्फांसो , आइस क्यूब भरे मुंह में फिर उनका सुपाड़ा कैद था ,
और बर्फ के पहले स्पर्श से ही वो जोर से चीखे ,
लेकिन इत्ते मस्त कड़े कड़े सुपाड़े को मैं ऐसे थोड़े छोड़ने वाले थी , मैंने और जोर जोर से चूसना शुरू किया।
मेरे दूसरा हाथ सीधे उनके बाल्स पे , जोर से मैंने उसे भी दबोच लिया।
मैं उनके मोटे कड़ियल चर्मदण्ड को जोर जोर से मुठिया रही थी ,
दूसरा हाथ उनके बाल्स को कभी सहलाता और कभी दबोचता और अब आधे से ज्यादा बांस मेरे मुंह में था।
फिर मैंने उनके पिछवाड़े भी मोर्चा खोल दिया।
मेरी ऊँगली पहले उनके गोल कुइयां के आस पास चक्कर काट रही थी , फिर नाख़ून स्क्रैच करना शुरू किया , और थोड़ा सा अंदर।
मेरे होंठ कभी बहुत रोमांटिक ढंग से हलके हलके , प्यार से उनके सुपाड़े पे , खूंटे पे रगड़ते , छेड़ते ऊपर नीचे होते तो , और कभी एकदम जोर से , शरारत से हलके से दांत लगा देते , पूरी ताकत से उनका सुपाड़ा दबा देता।
और अल्फांसो के सुनहले टुकड़े ,उनके मोटे कड़े सुपाड़े से बार बार रगड़ रहे थे ,घिस रहे थे।
मैंने मुठियाने की रफ्तार तेज कर दी। मेरा अंगूठा उनके लंड के बेस को खूब जोर से दबा रहा था ,
और गचाक से , अपनी कलाई के पूरे जोर से मैंने एक ऊँगली पूरी ताकत से उनके पिछवाड़े पेल दी।
बस एक भयानक एक्सप्लोजन ,
लेकिन मैंने सारी मलाई अपने मुंह मेंरोप ली और जोर जोर से मुठ मारने लगी।
मेरे होंठ पूरी ताकत से चूस रहे थे , और जब मेरी ऊँगली ने पिछवाड़े ,अंदर प्रोस्ट्रेट को ऊँगली मोड़ के दबाया ,
तो एक बार फिर से , पहले से भी ज्यादा जोर से खूब गाढ़ी थक्केदार मलाई ,
मेरा पूरा मुंह भरा हुआ था , गाल फूला हुआ।
मुश्किल से मैंने सम्हाला हुआ था।
अल्फांसो के टुकड़े ,मलाई में अच्छी तरह भीगे ,गीले ,
और अब एक बार मैं फिर मुड़ी , मेरे होंठ सीधे उनके मुंह पे ,
और मेरे मुंह का रस पूरा उनके मुंह में और साथ में मेरी जीभ भी ,
उनके होंठ मेरे होंठों ने जबरन सील कर रखा था ,
और उंगलिया अभी भी हलके हलके थोड़े सोये जगे ,थके 'खूंटे' को सहला रही थीं।
एंड ही हैड टू गल्प एवेरी पीस आफ कम सोक्ड मैंगोज।
उसके बाद भी मैं अपने होंठ उनके होंठों पे रगड़ती रही। होंठों पे लगा हुआ सब लिंग रस
" क्यों कैसा लगा मैंगो शेक,मजा आया खूब। "
आँख नचा के मैंने चिढ़ाया।
आखिरी कम सोक्ड टुकड़े अभी भी उनके मुंह में थे।
लेकिन ये तो अभी शुरुआत थी।
आम रस : काम रस
आखिरी कम सोक्ड टुकड़े अभी भी उनके मुंह में थे।
लेकिन ये तो अभी शुरुआत थी।
मैंने उनकी हथकड़ी खोल दी , लेकिन ब्लाइंडफोल्ड अभी भी रहने दिया।
ढेर सारे मैंगो पीसेज अब मेरे जुबना पे , मैं उन्हें गाइड कर रही थी , और ढूंढ ढूंढ कर एक एक पीस उन्होंने गड़प कर लिया।
कुछ ही देर में वो फिर'तैयार', थे , और इस बार मैंने उन्हें अपने ऊपर आने दिया।
हम दोनों पागल हो रहे थे।
वो वेयर ,रेस्लिंग, बाइटिंग , स्क्रैचिंग, ग्रोपिंग , हगिंग ,स्क्वीज़िंग इच अदर।
उनकी उँगलियाँ , होंठ मेरे उभार ढूंढ रहे थे और मेरी उँगलियों ने उन्हें रास्ता दिखा दिया ,
फिर क्या जबरदस्त रगड़ाई , मसलाई हुयी मेरी चूंचियों की।
मुश्किल से एक पल के लिए मैंने उन्हें अपने उरोजों से हटाया , और
फ्रेश क्रीम के साथ एक कप में आम की फांके रखी थी , मैंने निकाल के दोनों जोबन पे , सब की सब ,
और एक बार फिर दोनों हाथों से उनके सर को पकड़ के , होंठों को सीधे वहीँ ,
फिर तो नदीदों की तरह , एक एक करके , सब की सब पीसेज ढूंढ ढूंढ के , उनके होंठों ने ,गड़प।
ब्लाइंड फोल्ड अभी भी आन था।
सबसे ज्यादा हालत ख़राब थी उनके 'उसकी' , एकदम तन्नाया ,बौराया ,पगलाया ,मदमस्त।
बिचारा , मैंने उसे गाइड कर प्रेमगली का रास्ता दिखाया लेकिन एक बार 'दरवाजे ' पे पहुंचते ही ,मेरी पतली कमरिया को दोनों हाथों से पकड़ के ,
क्या धक्का मारा ,मुझे बंद कमरे में तारे नजर आ गए ,
और साथ में उनके होंठ कभी फ्रेश क्रीम मिली आम की फांको का स्वाद ले रहे थे मेरे कड़े कड़े जुबना पर से तो कभी कचकचा कर निपल काट लेते।
अब सिसकने की ,चीखने की बारी मेरी थी। कुछ दर्द से ,कुछ मजे से।
क्या जबरदस्त धक्के मारे उन्होंने , हचक हचक कर।
और लता की तरह मेरी लम्बी गोरी टाँगे भी उनकी कमर से जाके लिपट गयीं , और जोर जोर से अपनी ओर खींचने लगी।
अगला धक्का सीधे मेरी बच्चदानी पे।
और दर्द के मारे मैं उछल पड़ी ,
साथ ही उन्होंने जोर से मेरे निप्स भी काट लिए।
स्क्रैचिंग , बाइटिंग , और क्या मस्ती से धक्के मार रहे थे वो ,
इसी के लिए तो मैं तड़प रही थी इत्ते दिनों से।
एंड सो मेनी थिंग्स वेयर हैपनिंग टूगेदर ,
वि वेयर ईटिंग इच अदर , इटिंग फ्रॉम इच अदर ,स्क्रैचिंग, बाइटिंग , फाँडलिंग जेंटली वन मूमेंट एंड स्क्वीज़िंग वाय्लेंटली ऐट अनादर।
और बिना रुके उनके धक्के , मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ा रहे थे ,जैसे कोई धुनिया रुई धुन रहा हो।
और जब मेरे 'बर्थडे ब्वॉय ' ने झड़ना शुरू किया तो खूब देर तक ,
और चूत रानी ने दबा कर , निचोड़ कर ,भींच कर ,एक एक बूँद अपने अंदर समो लिया।
कुछ देर में मैं फिर ऊपर थी , और मेरी चूत सीधे उनके खुले मुंह से
अपने योनि कूप से 'प्यार का अमृत 'सीधे उनके मुंह में।
दोनों हाथों से मैं जोर से उनके सर को पकडे थी और साथ में मेरी मखमली , केले के तने ऐसी जांघे भी पूरी ताकत से उनके सर को भींचे थी ,
टस से मस नहीं हो सकते थे वो।
अंदर की गाढ़ी थक्केदार मलाई चट करने के बाद , बाहर भगोष्ठों पर लगी दो चार बूंदो को भी उनकी चटोरी जीभ ने ढूंढ कर चाट लिया।
और मैंने उनका ब्लाइंड फोल्ड खोल दिया।
झुक कर उनकी आँखों में झांकते मैंने धीमे से पूछा ,
" बोल ,कैसे लगा। "
रस
झुक कर उनकी आँखों में झांकते मैंने धीमे से पूछा ,
" बोल ,कैसे लगा। "
वो झेप गए।
" अरे मेरा मतलब है , आम खाने में , मैंगो जूस पीने में , था न मजेदार। "
अब मुस्कराकर वो बोले , हाँ बहुत अच्छा।
"चल तो अबकी तेरे मायके में तेरी उस बहना कम माल के सामने खिलाऊँगी , खाओगे न "
पहले तो उन्होंने सर हिलाया फिर साफ साफ कबूल कर लिया ,
" हाँ "
" पहले उसके सामने ,तुझे आम खिलाऊँगी , फिर उसके कच्चे टिकोरे तुझे "
मैं बोली।
वो मुस्करा रहे थे।
" बहनचोद , बहुत मन कर रहा हैं न तेरा अपनी उस बहन कम माल को चोदने का, . . "
मैंने छेड़ा ,और झुक के एक जोर का चुम्मा , मेरी जीभ उनके मुंह के अंदर। ,डीप फ्रेंच किस।
और उनके मुंह में अभी भी आमरस का स्वाद था।
टन टन टन टन , घड़ी ने १२ बजाये।
एक पल के लिए होंठ हटा के मैं बोली ,
" हैप्पी बर्थ डे "
और दुबारा मेरे होठ ,उनके होंठों से चिपक गए , उनके होंठों , मुंह में
" हैप्पी बर्थ डे "
" हैप्पी बर्थ डे "
और दुबारा मेरे होठ ,उनके होंठों से चिपक गए , उनके होंठों , मुंह में घुले आम रस ,काम रस का स्वाद लेते।
अगर उनकेमायकेवाले उन्हें इस तरह देखा होता तो फट के हाथ में आ जाती उनकी।
"मेरे भैय्या ऐसे है , आप मुझसे ज्यादा मेरे भइया को थोड़े जानती हैं। "
मैंने सर झटक के इस ख्यालको हटाया , कुछ ही दिन की बात है फिर तो इनके मायकेवालों के सामने भी , …
और थोड़ी देर में हम दोनों साथ बैठे हुए थे , मैं उनकी गोद में , जोर से हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भींचे हुए , बड़ी देर तक बिना कुछ बोले ,
न हमारे बीच कोई कपड़ा था न लाज , न अतीत की याद ,डर ,झिझक ,न भविष्य की आशंका , न क्या अच्छा क्या बुरा।
सिर्फ साजन ,सजनी।
उनके चेहरे पे एक नयी चमक , एक नया कांफिडेंस था और ख़ुशी एकदम टपक रही थी।
रात बाकी , बात बाकी
और दुबारा मेरे होठ ,उनके होंठों से चिपक गए , उनके होंठों , मुंह में घुले आम रस ,काम रस का स्वाद लेते।
' अगर उनकेमायकेवाले उन्हें इस तरह देखा होता तो फट के हाथ में आ जाती उनकी। मेरे भैय्या ऐसे है , आप मुझसे ज्यादा मेरे भइया को थोड़े जानती हैं। "
मैंने सर झटक के इस ख्यालको हटाया , कुछ ही दिन की बात है फिर तो इनके मायकेवालों के सामने भी , …
और थोड़ी देर में हम दोनों साथ बैठे हुए थे , मैं उनकी गोद में , जोर से हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भींचे हुए , बड़ी देर तक बिना कुछ बोले ,
न हमारे बीच कोई कपड़ा था न लाज , न अतीत की याद ,डर ,झिझक ,न भविष्य की आशंका , न क्या अच्छा क्या बुरा।
सिर्फ साजन ,सजनी।
उनके चेहरे पे एक नयी चमक , एक नया कांफिडेंस था और ख़ुशी एकदम टपक रही थी।
और उनकी ललचाई निगाहें बार बार मेरे गदराये उन्मुक्त जोबन को सहला रहीं थीं , दोनों उभारों के बीच मेरा मंगलसूत्र क्लीवेज के अंदर धंसा था। मेरे सुहाग की निशानी , उनका प्रतीक , उसे निकाल के उन्हें दिखा के मैंने चूम लिया।
उनकी आँखों की ख़ुशी देखते बनती थी।
मैंने प्लेट उठा के उनकी ओर बढ़ा दी , लम्बी लम्बी रस से भरी ,सुनहली ,फांके ,अल्फांसो,केसर ,दसहरी ,…
और अबकी खुद उन्होंने अपने हाथ से उठा के एक गप कर लिया।
क्यों अकेले अकेले ? मैंने उन्हें छेड़ा।
और अगली फांक मेरे मुंह में थी उनके हाथों से।
लेकिन उसके बाद खाने खिलाने का काम होंठों ने संभाल लिया ,कभी उनके होंठों ने कभी मेरे होंठों ने।
थोड़ी ही देर में प्लेट खाली थी।
और अब मैंने एक चॉकलेट निकाली , उनकी 'स्पेशल बर्थडे गिफ्ट ' एक खूब बड़ी सी एनर्जी चॉकलेट।
और जब उन्होंने उसे हाथ से अनरैप करने की कोशिश की तो मैंने उसे पीछे कर लिया ,
और उनके आधे सोये आधे जागे खूंटे की ओर इशारा किया , कैसे मैंने उसका घूंघट अपने होंठों से हटाया था।
और मुस्करा के उन्होंने अपने होंठो से एक तिहाई खोल दिया ,
तो मैंने फिर इशारा किया ,
अपने होंठों के बीच लेके उसे धीमे धीमे चुभलाओ , सक आईटी स्लोली डोंट बाइट , एकदम जैसे मैंने किया
और उन्होंने वही किया ,करीब तीन इंच इंच मोटा सा चॉकलेट का टुकड़ा उनके मुंह में था , और वह चूस चुभला रहे थे जैसे थोड़ी देर पहले मैं उनका सुपाड़ा चूस रही थी।
और इस चॉकलेट में मेरी और बर्थडे गिफ्ट भरी थी , सॉफ्ट सियालिस टैब्स , चाकलेट फ्लेवर की।
इसका असर दूनी तेजी से होता था।
और जब तक वह चाकलेट चूस रहे थे
मैंने एक रेड वाइन का गॉब्लेट उनके होंठों से लगा दिया ,
और जब तक वह कुछ समझें एक तिहाई उनके होंठों से होते पेट में
और यह भी उनके लिए फर्स्ट टाइम था , एक अच्छे बच्चे वाली प्योरिटैनिकल अपब्रिंगिंग के बाद ,
अगली सिप मेरे होंठों ने ली , खूब बड़ी सी और फिर मेरे होंठो से उनके होंठों में,
और उसके बाद अगले दस -पंद्रह मिनट तक जिन उरोजों को वो ललचाते हुए देख रहे थे , उनसे होक मैंने वाइन सीधे उनके होंठों पे ,
तीन चौथाई बॉटल खाली हो गयी थी और उसकी दो तिहाई से ज्यादा उनके पेट में ,
साथ साथ सियालिस से भरी एनर्जी चॉकलेट ,
मेरी उंगलियां भी साथ कभी 'उसे ' छूती ,छेड़तीं , कभी हलके हलके मुठियाने लगती।
और वो अब तनतना गया था , एकदम कड़ा बेकाबू।
टनाटन
मेरी उंगलियां भी साथ कभी 'उसे ' छूती ,छेड़तीं , कभी हलके हलके मुठियाने लगती।
और वो अब तनतना गया था , एकदम कड़ा बेकाबू।
बस। अब आ गया था मौका ,मैंने उन्हें हल्का सा धक्का दिया और वो डबलबेड पर पीठ के बल ,
उनकी दोनों कलाइयां मेरे हाथों में ,
मैं उनके ऊपर ,
मेरी कड़ी कड़ी ,गोरी गोरी गोलाइयाँ उनके भूखे होंठों के ठीक ऊपर लेकिन इंच भर दूरी पर ,
" बोल चाहिए , "
मैंने उनकी आँखों में झांकते पूछा।
" हाँ ,हाँ "
वो बेताब थे , उचक रहे थे।
" ऐसे थोड़ी मिलेगा , पहले बोलो मेरी सब बातें मानोगे ,थोड़ा गिड़गिड़ाओ , ठीक से मांगो ," मैंने तड़पाया।
" हाँ हाँ ,मानूंगा , सारी बाते मानूंगा , प्लीज दो न , अपना अपना रसीला गदराया जोबन , प्लीज बस एक बार चूस लेने दो। "
वो बोले।
लेकिन मैं अब उनके ऊपर बैठ गयी थी , सीधे।
" चल मनभर कर देख ले "
और नशीले मस्ताये अंदाज में मेरी उँगलियों ने कड़े कड़े ३४ सी उभारों को पहले तो उचकाया ,उन्हें दिखा दिखा के ललचाया , फिर दोनों हाथ इस तरह सहला रहे थे मेरे उभारों को कि क्या कोई मर्द सहलाएगा , और अचानक मैंने अंगूठे और तर्जनी से निप्स को जोर से पिंच कर लिया ,
मैंने कनखियों से देखा , 'वो;' बुरी तरह टनटनाया था।
और मैंने फिर से उन्हें ब्लाइंडफोल्ड कर दिया।
इस बार दोनों हाथ जकड़ दिए गए थे हैंडकफ में , मेरे डबल बेड के हेड पोस्ट के साथ।
मेरे होंठों ने बहुत हलके से ,उनके प्यासे तड़पते होंठों पे एक हलकी सी चुम्मी ली , और फिर मेरे होंठ नीचे की ओर मुड़ लिए।
पहले ठुड्डी , फिर सीने पे , तितली की तरह उड़ते मेरे होंठ कभी यहाँ कभी वहां चूम रहे थे , और उनका साथ दे रहे थे मेरे उरोज। कभी उनके प्यासे होंठों पे मैं अपने मतवाले जुबना रगड़ देती तो कभी अपने खड़े ,कड़े निप्स वहां छुला के हटा देती।
मेरे होंठ सीने से हटते ,तो गदराये उभार जोर जोर से वहां रगड़ने लगते ,
और इन सबका सबसे ज्यादा असर हुआ उनके निप्स पे ,
एकदम उनके माल की तरह थे ,छोटे छोटे ,लेकिन टनाटन्न। किसी लौंडिया के निप्स से भी ज्यादा सेंसिटिव।
और पहले तो मेरी जीभ ने उनके निप्स को फ्लिक किया , ऊपर से नीचे तक लिक किया ,
और फिर होंठों की बारी आई जोर जोर से चूसने की। जब वो मस्ती में चूर थे , तो दाँतो ने हलके से बाइट ले लिया
फिर तो क्या चीखे वो ,दर्द से ज्यादा मस्ती से।
आँखे बंद थी , हाथ बंधे थे दोनों ,लेकिन मुंह और कान तो खुले थे।
और जब होंठ नीचे बढे , उनके गोरे गोरे एकदम चिकने पेट पे हलके हलके जीभ से लिक करने ,
तो भी निप्स को कोई राहत नहीं मिली , मेरे लाल नेल पालिश लगे नाख़ून , उन्हें जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे।
बहनचोद
और जब होंठ नीचे बढे , उनके गोरे गोरे एकदम चिकने पेट पे हलके हलके जीभ से लिक करने , तो भी निप्स को कोई राहत नहीं मिली , मेरेलाल नेल पालिश लगे नाख़ून , उन्हें जोर जोर से स्क्रैच कर रहे थे।
खूंटा एकदम तना था , और कुछ पल में होंठ वहां पहुँच भी गए , और सिर्फ बेस पर ८-१० चुम्बन ले डाला।
और जब वो सोच रहे थे अब मैं 'उनका ' चूसूंगी , चाटूंगी , मैंने उससे छोड़ के नीचे का रुख किया
और दोनों बाल्स ,बारी बारी से आराम से चूसती रही।
उसके बाद थोड़ा और पीछे , उनके चिकने नितम्ब उचका के ,
मेरी जीभ लिंग और और गुदा के बीच की जगह पर आराम से आगे पीछे होती रही।
जोश से लंड फटा पड़ रहा था।
मैंने भी , अपने दोनों होंठों से हलके से दबा कर दुल्हन का घूंघट हटा दिया ,
सुपाड़ा ,खूब बड़ा , लाल ,गुस्से में फूला ,मस्त।
लेकिन इस समय मेरी जीभ ने न उसे छेड़ा न चूसा न चाटा।
मैं उठ के चल दी।
बिचारे पलंग पे जल बिन मछली की तरह तड़प रहे थे।
यही तो मजा है , जो मजा देने लेने में है ,उससे ज्यादा इन्तजार कराने ,तड़पाने में है।
वार्डरोब से मैं एक तेल की शीशी लेकर आई , चार पांच बूँद अपनी हथेलियों में लेकर पहले मला ,
फिर सीधे लिंग के बेस से लेकर ऊपर तक मालिश करना शुरूकर दिया।
पांच छ बार ऊपर से नीचे तक, और फिर जैसे कोई मथानी मथे ,
मोटे कड़े लिंग को अपनी दोनों हथेलियों के बीच लेकर।
कुछ ही देर में वो तेल से चमकने लगा था।
ये कोई ऐसा वैसा तेल नहीं असली सांडे का तेल था ,
जिसे मेरी एक भाभी ने दिया था ,लेकिन इनके मायके में तो मौक़ा मिला नहीं , . .
सुपाड़े के नीचे से लेकर एकदम बेस तक अच्छी तरह मैंने 'उसे ' तेल पिला दिया , और अब सुपाड़े की बारी थी।
अंगूठे और तरजनी के बीच उसे मोटे ,लाल गरम सुपाड़े को मैंने हलके से दबाया और , सुपाड़े की आँख ,पी होल खुल गयी।
बस ठीक उसी के अंदर , एक के बाद एक पांच छ बूंदे सांडे के तेल की सीधे अंदर ,
छनछनाकर , चूतड़ उठा के वो जोर से उचके , ( भाभी ने ठीक यही रिएक्शन बताया था ).
और अब दो चार बूंदे मैंने सुपाड़े के बाहरी हिस्से पे भी डाल दी और
अपने कोमल कोमल अंगूठे से फैला दिया।
बस उसके बाद मैं उनके उपर सवार थी ,आलमोस्ट।