Episode 08
मेरे भगोष्ठ उनके सुपाड़े को छू के , सहला के ऊपर उठ जाते थे।
वो तड़प रहे थे , बेताब हो रहे थे।
और वो जैसे अपना ' वो' उचकाते , मैं अपनी सहेली दूर कर लेती।
"प्लीज करनेदो न ,बस थोड़ा सा ,दो न"
वो तरस रहे थे।
" बोल मानेगा न सब बाते मेरी , बोल "
जोर से अपने दोनों हाथों से उनके कंधे को पकड़ के , अपने होंठ आलमोस्ट उनके कान के पास ले जाके मैंने पूछा।
" हाँ हाँ हाँ एकदम मानूंगा , हरदम मानूंगा ,जो कहोगी वो , प्लीज फक मी। "
" पहले मातृभाषा में बोल अपने , सिर्फ हिंदी वो भी देसी "
मैंने उनके गाल पे लाल खूनी रंग में रंगे नाखूनों से हलके खराेचते बोला ,
" हाँ , हाँ प्लीज चोदो न , "
अब वो कुछ भी कहने को तैयार थे।
मेरी जीभ उनके कान में सुरसुरी कर रही थी , कान में फुसफुसा के मैंने पूछा ,
" पहले बोल , तू उसको चोदेगा न , अपने उस माल को "
और साथ में मेरी उँगलियाँ जोर जोर से उनके कड़े निपल को रगड़ रही थीं।
" हाँ , हाँ, पर प्लीज ,हाँ चोदूंगा। "
थूक घोटते , रुक रुक के हलके से बोले।
मैंने कचकचा के उनका गाल काट लिया और अब जोर से बोली ,
" अरे किसको चोदेगा , जोर से बोल , नाम क्या है उस तेरे चुदासी माल का "
" हाँ चोदूंगा , जिसको बोलोगी , गुड्डी को "
अबकी उनकी आवाज में जोर था।
और उसी के साथ मैंने पूरी ताकत से अपन कमर पे जोर लगाया और
उनका मोटा तीन चौथाई सुपाड़ा, मेरी कसी गीली चूत में और उतने ही जोश से मैंने उसे भींच दिया।
" गुड्डी को ,मेरी ननदिया को चोदेगा न " मैंने पूछा और कस के उनके निपल बाइट कर लिए।
"उईइइइइइइइइइ उईईई हाँ हाँ चोदूंगा , चोदूंगा गुड्डी को , तेरी ननद को "
दर्द और मजे की सिसकी के साथ वो बोले और मैंने फिर एक जोर का धक्का मारा ,
और अबकी पूरा सुपाड़ा मेरी चूत में था।
अबकी प्यार से हलके हलके उनके होंठो को चूम के बोली मैं
" चल मुन्ने जल्द ही तुझे बहनचोद बना के रहूंगी , तू भी क्या याद करेगा , बहनचोद। "
जोरू ऊपर ,.
अबकी प्यार से हलके हलके उनके होंठो को चूम के बोली मैं
" चल मुन्ने जल्द ही तुझे बहनचोद बना के रहूंगी , तू भी क्या याद करेगा , बहनचोद। "
आगे
" चल मुन्ने जल्द ही तुझे बहनचोद बना के रहूंगी , तू भी क्या याद करेगा , बहनचोद। "
और मेरी इस बात का ये असर हुआ उन्होंने पूरी तेजी से कमर उचकाई और , अबकी आधा लंड मेरी चूत में।
यही तो मैं चाहती थी। मैंने भी उतनी ही जोर से अपनी चूत में उनके लंड को निचोड़ना,दबोचना ,सिकोड़ना शुरू दिया।
उनके दोनों हाथ बंधे थे , लेकिन न ताकत में कोई कमी थी न जोश में।
" बोल कैसा है तेरा माल , बोल बहनचोद " मैंने उन्हें और उकसाया।
" मस्त है बहुत मस्त "
उन्होंने फिर एक धक्का लगाया।
" हाँ ऐसे ही पूरी ताकत से पेलना होगा उस की चूत में अभी कच्ची कली है , बोल चूंचियां कैसी हैं उसकी "
उनके निपल हलके हलके दबाते सहलाते मैंने पूछा , जैसे उन के माल के ही कच्चे टिकोरे सहला रही होऊं।
" एकदम मस्त , छोटी छोटी हैं लेकिन हैं मस्त। " उन्होंने कबूला।
और फिर हचक के चुदाई चालू हो गयी।
मेरे हर धक्के का जवाब वो दूने ताकत से लगाते ,
मैं कभी कमर गोल गोल घुमाती तो वो भी उसी तरह से , जड़ तक मेरे अंदर घुसा हुआ था उनका वो ,
खूब मोटा खूब कड़ा।
मेरी हालत ख़राब हो रही थी ,जिस तरह से उनका खूंटा रगड़ता ,दरेरता घुसता।
लेकिन मैं भी साथ में , कोई उनकी मायकेवाली शायद ही बची हो जिसे ,एक से एक गाली न दिलवाई हो मैंने।
और हर गाली के बाद दुगुने धक्के से चुदाई वो शुरू कर देते वो।
बीस मिनट तक अनवरत
( ये कहने की बात नहीं की उनकी हर बात रिकार्ड हो रही थी , आडियो रिकारिडंग मुझे मम्मी के पास व्हाट्सएप्प जो करनी थी और आगे भी काम आनी थी ,उन्हें चिढ़ाने के लिए )
और उन धक्को का असर ये हुआ , मेरी देह में बिजली सी लहर दौड़ने लगी , मेरी आँखे बंद होने लगी , जांघे थक गयी ,मैं धीमे पड़ गयी और अब पतवार सिर्फ वो खे रहे थे ,थोड़ी देर में मैं किनारे पर लग गयी।
कुछ देर उन्होंने भी रफ्तार मंद कर दी लेकिन वो अभी ऐसे ही तना था तो ,
और मैंने भी चार पांच मिनट में हम दोनों
और अबकी मैंने सब कुछ इस्तेमाल करना शुरू किया , जब मुझे लगा की वो नजदीक है
मेरी तरजनी हचाक से सीधे उनकी गांड में , जोर जोर से ,गोल गोल
और साथ में गालियों की बारिश ,
साले बहनचोद ,गुड्डी के भंडुवे ,चोद और जोर से चोद
मजा आ रहा है न गांड में ऊँगली का न ,गांडू ,
तेरी बहना की भी गांड बहुत मस्त है ,
उसकी गांड भी मरवाउंगी तुझसे बहनचोद।
रात अभी बाकी थी
और थोड़ी देर में हम दोनों साथ झड़े।
खूब देर तक झड़ते रहे वो।
मेरी चूत में कम से कम दो मुट्ठी मलाई भरी होगी उनकी खूब गाढ़ी थक्केदार।
और मैं सीधे उनके मुंह के ऊपर थी , मेरी चूत उनके होंठो से चिपकी और सारी मलाई अब उनके मुंह के अंदर।
खूब स्वाद से अंदर जीभ डाल डाल कर वो चूस ,चाट रहे।
चल यार तुझे पक्का कम स्लट बनाउंगी , देख तेरे उस माल की कुप्पी से भी ,
और सिर्फ तेरी ही नहीं , ऐसे स्वाद ले ले के खाना मेरे राज्जा।
मैं धीमे धीमे बोल रही थी ,लेकिन उन्हें सुनाई सब पड़ रहा था।
जोश में चाटने की रफ्तार उन्होंने दूनी कर दी।
और जब वो मेरा अगवाड़ा चाट चुके तो मैंने अपना पिछवाड़ा भी उनकेमुंह के सामने कर दिया।
जब मैंने उनकी हथकड़ी खोली तो भी वो मेरी गांड चाट रहे थे।
आँखों पर मेरी ब्रा और पैंटी की पट्टी अभी बंधी थी।
उनका हाथ पकड़ के मैं कमरे के कोने में ले गयी ,
ड्रेसिंग टेबल के सामने और स्टूल पर बैठा दिया।
रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी।
आँखों पर मेरी ब्रा और पैंटी की पट्टी अभी बंधी थी।
उनका हाथ पकड़ के मैं कमरे के कोने में ले गयी , ड्रेसिंग टेबल के सामने और स्टूल पर बैठा दिया।
रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी।
स्टूल पर वो बैठे हुए थे , ड्रेसिंग टेबल के सामने।
' हिलना मत ,ज़रा सा भी "
मैंने बोला और हामी में उन्होंने सर हिलाया।
नख शिख ,मैंने सर से शुरू किया , पहले तो उन के घुंघराले बालों के बीचोबीच चौड़ी सी सीधी मांग निकाली।
और उसके बड़ा उनका प्यारा ,गोरा चेहरा ,
बिंदी , काजल ,मस्कारा , आईलैशेज, आइब्रो ,
लिपस्टिक ,हल्का सा फाउंडेशन फिर गालों पर थोड़ा सा रूज ,
नेलपालिश ,
महावर ,
वो झिझक रहे थे , कुछ अटपटा भी लग रहा था उन्हें लेकिन मजा भी आरहा था उन्हें।
अब खड़े हो जाओ मैं बोली , और वो खड़े हो गए।
' वो ' अभी भी थोड़ा खड़ा था।
जबरन उसे उनकी जांघ के पास दबा कर ,एक टेप से उसे चिपका के बांध दिया।
गुलाबी लेसी पैंटी उनके ऊपर मस्त लग रही थीं।
और,' वहां' लेस का टच ,एकदम मस्ती से उनकी हालत ख़राब हो रही थी।
और उसकी चुगली उनके निप्स कर रहे थे , जो एकदम टनाटन थे।
(हमारी और उनकी साइज अब लगभग एकजैसी हो गयी थी , जब से उनके 'खान पान ' में कुछ बदलाव हुआ और मेरी ट्रेनर ने उनकी एक्सरसाइज रेजीमेन तय की थी , सिवाय एक जगह के , मैं ३४ सी थी और वो ३६ बी। )
लेसी पैडेड ब्रा , जिसके अंदर टेनिस बाल्स थे , उन्हें पहनाते हुए , मुझसे नहीं रहा गया और
मैंने उनकेकड़े ,खड़े निप्स पिंच कर लिए।
अब वो थोड़ा हिचक रहे थे , कुछ ना नुकुर भी कर रहे थे , लेकिन मैंने थोड़ी कड़ी आवाज में बोला ,
पैर उठाओ ,
और वो पेटीकोट केअंदर थे।
बेबी ,नाउ यू हैव इंटरड माई पेटीकोट ,यू आर गोइंग टू बी देयर।
मैं मुस्करा के हलके से बोली।
साटन के पेटीकोट का टच उनकी जाँघों पे , हालत खराब हो रही थी उनकी , लेकिन तबतक रेशमी साडी की छुअन , उनके पेटीकोट में फंसा के मैंने लपेटना शुरू कर दिया ,
उनके चेहरे का ब्लश देखने लायक था।
चोली उनकी एकदम टाइट फिट थी , ( जैसे वो अपने चैट में डिसक्राइब करते थे ,बिलकुल वैसी , रेड लो कट , आलमोस्ट कम्प्लीट बैकलेस , पुशिंग बूब्स अप , वेरी थिन ).
और अब बारी थी गहनों की।
और अब बारी थी गहनों की।
बिछुआ , पायल ,दोनों घुंघरू वाले , करधन ,
फिर मैंने बैंगल बॉक्स खोला , कुहनी तक लाल लाल चूड़ियाँ , मेरे जड़ाऊ कंगन,
और फिर अपने गले का हार उतार कर मैंने उनके गले में पहना दिया।
मेरे पास कुछ इयर रिंग्स , नोज रिंग्स थे , जो बिना छेद के भी पहने जा सकते थे ,
और वो डायमंड स्टडेड , इयर रिंग ,छोटी सी नथुनी ,
और फिर मैंने उनका ब्लाइंड फोल्ड खोल दिया।
क्या कोई नयी दुल्हन पहली रात को ब्लश करेगी , जबरदस्त , एकदम हाय मैं शर्म से लाल हो गयी , जैसा।
उनकी ठुड्डी पकड़ कर मैंने उनकी आँखें ड्रेसिंग टेबल की ओर की और साथ ही ,
स्विच आन किया , पूरा कमरा रौशनी में नहा गया।
एक बार उन्होंने उपर से नीचे तक अपने को देखा , और फिर जबरदस्त शरमा गए।
मस्त माल लगती हो , मैंने छेड़ा और उनके लजाते टटकी खिली गुलाब की कली ऐसे गालों को जोर से पिंच कर लिया ,
एक बार मैंने ऊपर से नीचे तक उन्हें देखा और बोली ,
परफेक्ट , लेकिन ,. . बस एक कसर लगती है इस दुलहन में ,
मैंने अपनी सिन्दूर की डिबिया उठायी ,
खोली और एक हाथ से उनके सर पर से साडी का पल्ला जरा सा सरकाया ,और,
भरी हुयी मांग में सिन्दूर खूब दमक रहा था।
अब तुम सिर्फ जोरू के गुलाम ही नहीं ,बल्कि मेरी जोरू भी हो , मैंने हलके से बोला।
और मेरे कानों को विश्वास नहीं हुआ ,
अपनी बड़ी बड़ी पलकें उन्होंने जरा सा उठायीं ,
इट वाज अ फेंट व्हिस्पर , बट देयर इट वाज , … यस।
और मैंने उन्हें खूब प्यार से जोर से गले लगा लिया।
मेरे जोबन उन्हें क्रश कर रहे थे थे।
पहले तो मैंने एक हलकी सी चुम्मी ली , फिर कचकचा के उनके भरे भरे गाल काट लिए।
ज़रा के बार मेरी इस मस्त दुल्हन को देख तो ,
झिझकते हुए अबकी उन्होंने ड्रेसिंग टेबल में उपर से नीचे तक पूरा देखा।
क्या जोबन है , रज्जा एकदम मस्त , मैंने कमेंट किया तो उनकी निगाहें फिर उनके 'न्यू फाउंड बूब्स ' की ओर ,
लो कट चोली में पुश अप ब्रा , एक नेचुरल क्लीवेज भी निकल आया था।
और एक बार फिर वो बीर बहुटी हो गए लाज से।
मेरा तो मन कर रहा था की अगर मेरे पास ,. . होता तो आज मैं बिना चोदे , लेकिन उसका ,… भी सुना है होता है जुगाड़ , चलो एक दिन वो भी होगा।
फिर उनके हाथ पकड़ के मैं फिर उन्हें पलंग तक ले आयी।
पायल और बिछुए उनके रुनझुन रुनझुन करते रहे
पायल और बिछुए उनके रुनझुन रुनझुन करते रहे ,
और फिर हाथ पकड़ कर अपने पलंग पे बैठा के उन्हें समझाना शुरू किया , उनका रोल ,काम धाम।
" अब तो तुम नयी दुल्हन हो न , तो समझ लो , अब घर का सारा काम काज , सब कुछ तो औरत की ही जिम्मेदारी होती है न "
वो कान खोले सब कुछ सुन रहे थे ,
" सुन , जब तुम आये थे तो दरवाजे पे एक इंस्ट्रक्शन की लिस्ट लगी थी न "
उन्होंने सर हिला के हामी भरी।
" मैं वहीँ खड़ी थी , तेरे अंदर जाने के बाद मैंने बाहर से ताला बंद कर दिया , और पिछवाड़े से अंदर आगयी। और वो भी बंद। अगले तीन दिनों के लिए बर्तन वाली ,मंजू को भी मैंनेछुटटी दे दी ,दूधवाले को , सबको बोल दिया है , पड़ोस में भी की तीन दिनों के लिए हम बाहर जा रहे हैं बस। तो नो डिस्टरबेंस है ना " मैंने सब बात साफ की।
उनके चेहरे की चमक से उनकी ख़ुशी साफ दिख रही थी।
" बस थोड़ा सा काम , मंजू नहीं आएगी तो बर्तन , झाड़ू पोंछा , कर लोगे न ," मैंने थोड़ा और पुश किया।
उनकी गर्दन थोड़ी सी हिली और मैंने उसे हाँ समझ के आगे की लिस्ट खोली ,
"और बेड टी , नाश्ता ,खाना , घबड़ाना मत , मैं हूँ ना , मैं जानती हूँ तेरे मायकेवालियों ने कुछ नहीं सिखाया ,लेकिन मुन्ना मैं हु ना सब सिखा दूंगी। "
अबकी उन्होंने धीरे से हामी भरी।
" घबड़ाने की कोई बात नहीं है , मैं हूँ न। बस जैसे जैसे मैं कहूँ , बस वैसे वैसे , सब सीख जाओगे। बहू को जवाब नहीं देना चाहिए, उसकी आवाज नहीं सुनाई देनी चाहिये , सब तौरतरीका… सब काम घर का , जिम्मेदारी से ,कल सुबह से , … बेड टी मुझे कैसी पसंद है तुझे तो मालूम ही है ,"
हाँ , बड़ी हलकी सी आवाज सुनाई पड़ी उनकी।
"लेकिन नयी दुल्हन का जानते हो असली काम क्या है , सिंदूर दान के बाद , …पहले सिंदूर डलवाया अब कुछ और ,… "
गौने की रात क्या कोई नयी दुल्हन लजाएगी , जिस तरह वो ,. .
" अरे साडी तो उतार दो , वरना क्रश हो जायेगी। " मैंने हंस के बोला।
वो बिचारे उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था , क्या करें। कभी अपनी रेशमी साड़ी देखते ,कभी मुझे ,
" तुझे न , बहुत सिखाना पडेगा " मैंने बोला , उनकी प्लीट्स खोलीं , और फिर एक चक्कर में , जैसे कोई स्ट्रिपटीज कर रही हो ,
आफ कोर्स , उपर मैं ही थी , लेकिन क्या टन टना टन उनका हथियार हो रहा था।
साटन के पेटीकोट और पैंटी का टच , उनके लिए किसी वियाग्रा से भी ज्यादा उनके औजार को पागल करने वाली दवा थी।
और उससे भी ज्यादा कामोत्तेजक चीज थी , उनके मायकेवालों को शुद्ध देसी गालियां.
कच्चे टिकोरों की याद
और उससे भी ज्यादा कामोत्तेजक चीज थी , उनके मायकेवालों को शुद्ध देसी गालियां ,
मुठियाते मैं बोली
' झंडा बड़ा मस्त खड़ा किया है , क्यों अपने माल की , कच्चे टिकोरों की याद आ रही है क्या ,
घबड़ा मत जल्द ही तुझे पक्का बहनचोद बना दूंगी। "
और अपने माल की बात सुनते ही एकदम वो फनफना गया।
थोड़ी सी बची रात में भी दो बार ,
और दोनों बार पहले मैं , बल्कि एक बार नहीं दो बार और दूसरी बार मेरे साथ साथ वो ,
अब उन्होंने समझ लिया था की उनका काम सिर्फ मजा लेना नहीं ,बल्कि मजा देना भी है।
और पहले मुझे झाड़ के तब ,…
बिना किसी लाज शर्म के , और वो जरा भी धीमे पड़ते तो मैं उनकी माँ -बहन एक कर देती।
दूसरी बार जब हम दोनों झड़े तो हलकी हलकी लाली आसमान में आ गयी थी।
मैं सुबह बहुत देर तक सोती रही।
बेड टी ,…
की आवाज के साथ मेरी नींद खुली
वो अभी भी ब्लाउज पेटीकोट में थे।
होंठों की लिपस्टिक ,हलकी सी फैली , और उसी तरह रात का काजल आँखों में।
गुड मॉर्निंग ,
मुस्करा के वो बोले और ट्रे साइड टेबल पे रख दी।
चाय एकदम परफेक्ट , एकदम मेरी पसंद की।
" जरा देखो पेपर आ गया होगा। "
मैंने बोला ,
और मेरी बात पूरी होने के पहले वो चले गए , और लौट के पेपर मुझे पकड़ा दि या।
लेकिन उनकी आँखे पेपर पे चिपकी ,
मैं समझ गयी और स्पोर्ट्स सेक्शन निकाल के उन्हें दे दिया , और बोला
तुम भी चाय पीओ न।
" चाय बहुत अच्छी थी , एक एक प्याला और हो जाय "
चाय खत्म करके आराम से अखबार पढ़ते मैं बोली।
एकदम स्पोर्ट्स सेक्शन वहीँ छोड़ कर वो कप प्लेट लेकर वापस किचेन में चले गए।
ताज़ी चाय बनाने।
मैं पढ़ अखबार रही थी लेकिन कल रात और आने वाले दिनों के बारे में सोच रही थी।
कहीं इनको स्त्रैण तो मैं नहीं बना रही , कहीं मैं जाने अनजाने इनकी फैंटेसी के डोमिनेट्रिक्स की तरह ऐक्ट कर के ,
खुद फीमेल डॉमिनेशन की ओर तो नहीं बढ़ रही ,, क्योंकि मेरा दोनों ही गोल नहीं था।
मेरा लक्ष्य सिम्पल था , इनके मन की गांठे खोलना ,
जो अतृप्त का सूखा तालाब सा इनकी अपब्रिंगिंग के कारण इनके मन में हो गया था , जहाँ सब मजे वाली चीजें वर्जित थीं ,
उस सूखे तालाब को रस के सागर से भर देना ,जिसमे हम दोनों साथ साथ गोते लगा सकें मजे ले सके।
और फिर ये फन ऐंड गेम्स तो बस ये तीन दिन इनकी बर्थ डे के , जहां हम दोनों खूब करीब आ जाए।
मैं अपने शादी के शुरू के दिनों को नहीं भूल पाती , जब हर दुल्हन के लिया जहां ससुराल में सब कुछ नया नया होता है ,
उसका पति ही उसके करीब होता है।
लेकिन उस समय भी मेरी वो ननद और जेठानी कब किस बात के लिए भूत की तरह सामने आ जाएँ ,
" मेरे भैया को ये नहीं अच्छा लगता , वो नहीं अच्छा लगता ,. मैं आपसे अच्छी तरह जानती हूँ इनको आप तो अभी अभी आई हैं। "
और वो भी तो रात में तो चिपके रहते थे और सुबह से ,जैसे जानते ही न हों।
और वो कंडोम वाला वाकया मैंने बताया ही था , अनजाने में मैंने वेडिंग अलबम में रख दिया था उस पन्ने पर जहां इनकी ममेरी बहन की फोटो थी , हम लोगों की शादी में डांस करते, कितना नाराज हुए , रात भर बात तक नहीं की ,और कुछ करना तो छोड़ दीजिये।
फिर यहां पर कंपनी में भी जहां इतना खुलापन था ,इनके एट्टीट्यूड को लेकर , . किसी ने मुझे बताया था ,
शायद मिसेज खन्ना ने ही , आगे बढ़ने के लिए सीनियर मैनेजमेंट रोल्स के लिए आदमी को थोड़ा कम रिजिड होना चाहिए , और उसमें कई गुण ऐसे हैं जो स्त्रियों के है वो होने अच्छेहोते हैं , जैसे अक्सर पुरुष ( सभी नहीं ) विटामिन 'आई ' से ग्रस्त होते हैं , मैंने ये किया मैंने वो किया , ड्राइंग रूम में जाइये तो दर्जा ८ में मिली कॉलेज के ट्राफी से लेकर जितने भीछोटे मोटे अचीवमेंट होते हैं , बात भी करेंगे अगर थोड़े बहुत बहुत पढ़े लिखे हुए तो उनकी पसंद की किताब , उनकी पसंद की म्यूजिक ,ये वो ,. . लेकिन औारत को सबको जोड़ केचलना पड़ता है चाहे मायका हो या ससुराल। वह कहीं जायेगी भी तो किसी की लिए साडी तो किसी के लिए शर्ट ,सब का हिसाब रखती है। बात करने में ,. सबको जोड़ कर रखने कीकोशिश करती है।
वैसे तो बहुत सी बाते थीं लेकिन एक और बात थी जैसे पेन टालरेंस , महिलाओं में बहुत ज्यादा है , प्रसव में जो दर्द महिला सहती है , वो शायद कोई और हो तो दूसरे बच्चे के लिएतैयार ही न हो। फिर काम और होम के बीच बैलेंस ,. बहुत सी बातें।
पूरी , पूरी तरह सही भी नहीं थी , लेकिन ये बात तो मैं भी मानती थी की हर मर्द को थोड़ा सा औरत और हर औरत को थोड़ा सा मर्द होना चाहिए।
इसलिए ये सब ,. . फिर परसों से आफिस जाएंगे तो फिर तो फॉर्मल में ही जायेगे , ये कोई फंतासी तो है नहीं जिंदगी है। किचन का काम फिर मेरे जिम्मे आयेगा ,
लेकिन वो सब बात में अभी तो बस बर्थडे की फुल टाइम मस्ती ,मोस्ट मेमोरेबल बर्थडे , मेरे सोना मोना की ,
जो मेरा ही , सिर्फ मेरा।
एक नया दिन शुरू हो गया था।
एक नया दिन , एक नयी जिंदगी।
मम्मी
ट्रिंग ,ट्रिंग ,फोन बजा।
मैं समझ गयी उन्ही के लिए होगा।
" ये लो तुम्हारे लिए मम्मी का है। " और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
स्पीकर फोन ,आफ कोर्स आन था।
मम्मी उनकी और उनके सारे खानदान की जो घिसाई धुलाई करतीं ,उसके सुनने का मजा ही अलग था।
मम्मी उन्हें हैप्पी बर्थड़े विश कर रही थीं।
" थैंक यूं ,मम्मी "
वो बोले और ख़ुशी उनके चेहरे से छलक रही थी।
( और ये भी उनके लिए एक नयी शुरुआत थी , उनके मायकेवालों का नाम तो मैं खूब आदर के साथ और आज तक मम्मी को वो सिर्फ , तुम्हारी माँ कहकर ही एड्ड्रेस करते थे , पहली बार आज उन्होंने मेरी माम को मम्मी बोला था )
" क्यों गिफ्ट कैसी लगी "मम्मी ने छेड़ा। .
और उनके गाल गुलाल हो गए, मारे शरम के।
फिर बहुत हलके से वो बोले ," हाँ ,बहुत अच्छी। "
मम्मी इत्ती आसानी से छोड़ने वाली थोड़े ही थीं , बोली ,
' तेरे ऊपर लाल रंग बहुत फबता है "
नीचे झुक कर उन्होंने अपनी कच्छी कढ़ाई वाली , खूब लो कट ,टाइट ,बैक लेस लाल चोली की ओर देखा , और एक बार फिर जबरदस्त ब्लश ,
( उनकी ढेर सारी फोटुएं मैंने रात को ही मम्मी को व्हाट्सऐप कर दी थीं )
मुस्कराते हुए मैंने उनके स्कारलेट रेड लिपस्टिक कोटेड होंठों को हलके से छुआ , और वो सिहर गए।
" मॉम ,शरमा रहे हैं "
मैं भी सास -दामाद संवाद में शामिल हो गयी।
" अरे कोई लौंडिया है क्या जो शरमा रहे हैं " खिलखिलाते हुए वो बोलीं।
" मम्मी ,लौंडिया ही तो लग रहे हैं। " मैं भी उनकी खिलखिलाहट में शामिल हो गयी।
लेकिन मम्मी भी न हर बार की तरह ,मेरा साथ छोड़ के वो अपने फेवरिट दामाद की ओर हो गयीं और सब गलती मेरी ,
" गलती तो तेरी है पूरी , सारी रात गुजर गयी , उसकी शरम नहीं उतारी तूने "
झट इल्जाम लगा दिया उन्होंने।
और अब फिर तोप का मुंह मम्मी ने उनकी ओर कर दिया।
" क्यों मजा आया खूब , रात को "
वो बस आँखे नीचे किये , गौने की दुलहन की तरह ,
" मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोलते क्यों नहीं " मैंने उकसाया।
और बड़ी मुश्किल से उनके मुंह से निकला , " हाँ , मम्मी "
वो भी बहुत धीमे से।
" चल मैं एक बहू चाहती थी ,अब ये कसर भी पूरी हो गयी " मम्मी ने ठंडी सांस ले के कहा।
और इसके साथ ही मम्मी ने एक जबरदस्त लांग डिस्टेंस चुम्मी , उन्हें फोन पे ले ली।
" अरे मम्मी की किस्सी का जवाब तो दे ".
अब थोड़ी थोड़ी उनकी झिझक कम हो रही थी।
एक छोटी सी जवाबी किस्सी ,उन्होंने भी बजरिये फोन ,मम्मी को भेज दी।
मम्मी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ,उनकी बात से ख़ुशी छलक रही थी।
और उन्होंने फिर छेड़ा अपने दामाद को ,
" किस्सी किस जगह दी , मेरे होंठ पे या होंठ के नीचे। "
मैंने भी उन्हें चढ़ाया , कान में बोला ,अरे बोल दे न , मम्मी एकदम खुश हो जाएंगी।
अब वो भी थोड़े बोल्ड हो गए थे बोले ,
" होंठों से बस , थोड़ा सा नीचे। "
" अरे तब एक क्यों लिया , दो लेना चाहिए था न , जल्दी से दूसरी भी लो। "
मम्मी ने उन्हें और चढ़ाया।
( मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे )
और उन्होंने ले ली।
मम्मी
और मम्मी की समधन
मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे
और उन्होंने ले ली।
" चल मैं जल्दी आउंगी अब , फिर तुझे सच्ची मुच्ची में दूंगी , बोल मुन्ना दुद्धू पियेगा न "
मम्मी भी , अब वो अपने पूरे रंग में आ रही थीं
धीमी सी हाँ निकली उनके मुंह से निकली खूब शर्माती , झिझकती।
" अच्छा ये बोल तूने सबसे पहले किसके मम्मे पकड़े ,देखे थे। "
मम्मी चालू ही रहीं।
"अरे मॉम और किसके अपनी उस छिनार ममेरी बहन -कम -माल के। "
मम्मी ने मुझे जोर से डांटा ,
" तू चुप रह , हरदम क्या बीबी की सलाह से ही काम करेगा ये हाँ बोलो न सबसे पहले किसके ,… "
वो बिचारे एकदम चुप। जवाब मम्मी ने ही दिया।
" बुरी बात है आज बर्थडे के दिन भी भूल गए , बचपन में में , मेरी समधन के मम्मे , पकड़ा होगा , दबाया होगा चूसा होगा न दूध पीते समय। वैसे एक बात बताऊँ आज भी उनका एकदम टना टन है जोबन ,एकदम गदराया ,चोली फाड़।
अच्छा बोल कभी तूने अपनी जवानी में निगाह डाली , कैसे हैं , कभी तो बिना आँचल के देखा होगा , या किसी के साथ ,क्या साइज होगी ,… "
वो एकदम चुप ,
लेकिन मैं चुप उन्हें रहने कैसी देती। मेरी और मम्मी के डबल पेस अटैक के आगे उनकी तो खुलनी ही थी।
" चल यार अंदाज से बता दे , कुछ भी बता दे , मम्मी ऐसे छोड़ने वाली नहीं "
मैंने उन्हें हिंट भी दिया ,उकसाया भी /
और उन्होंने बोल दिया।
अब तो मम्मी वो खिलखिलायीं ,बोलीं
" अच्छा तो तू मेरे समधन के उभारों पे निगाह रखता है , लालची , मन करता है क्या। लेकिन गलती तेरी नहीं है उनके हैं ही ऐसे मस्त गद्दर। "
और फोन रख दिया।
उन्होंने गहरी सांस ली , लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाली थी ,
" अरे वाह तो तुमने ये बात कबूल कर ली। मम्मी सच बोल रही थीं न ,रखते थे निगाह ?"
बात टालने के लिए उन्होंने औरतों वाला रास्ता निकाला ,
" नाश्ते में क्या बनेगा। "
" कुछ भी बना दो " मैंने टी वी आन करते बोला।
वो निकलने लगे तो मैंने फिर मैंने टोका ,
" रुको , आप आमलेट बना लेते हो। "
उन्होंने ना में सर हिलाया , और मैंने उनकी सारी मायकेवालियों की ,
" यार तेरी माँ बहनों ने साल्ली ,मायके में क्या सिखाया था , क्या सारे मुहल्ले में सिर्फ नैन मटक्का करती रहतीं थीं और मम्मे दबवाती मिसवाती रहती थीं।
चल ये भी मुझे ही सिखाना पडेगा। "
( ये तो मुझे भी मालूम था की उनके मायके में किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं घुस सकता था ,तो ,… लेकिन मौका मैं क्यों चूकती )
किचेन में मैं बोली ,
" और हाँ ,फ्रिज से ज़रा आम निकाल के ले आना ,दसहरी ले आना , लंगड़े नहीं "
वो तड़प रहे थे , बेताब हो रहे थे।
और वो जैसे अपना ' वो' उचकाते , मैं अपनी सहेली दूर कर लेती।
"प्लीज करनेदो न ,बस थोड़ा सा ,दो न"
वो तरस रहे थे।
" बोल मानेगा न सब बाते मेरी , बोल "
जोर से अपने दोनों हाथों से उनके कंधे को पकड़ के , अपने होंठ आलमोस्ट उनके कान के पास ले जाके मैंने पूछा।
" हाँ हाँ हाँ एकदम मानूंगा , हरदम मानूंगा ,जो कहोगी वो , प्लीज फक मी। "
" पहले मातृभाषा में बोल अपने , सिर्फ हिंदी वो भी देसी "
मैंने उनके गाल पे लाल खूनी रंग में रंगे नाखूनों से हलके खराेचते बोला ,
" हाँ , हाँ प्लीज चोदो न , "
अब वो कुछ भी कहने को तैयार थे।
मेरी जीभ उनके कान में सुरसुरी कर रही थी , कान में फुसफुसा के मैंने पूछा ,
" पहले बोल , तू उसको चोदेगा न , अपने उस माल को "
और साथ में मेरी उँगलियाँ जोर जोर से उनके कड़े निपल को रगड़ रही थीं।
" हाँ , हाँ, पर प्लीज ,हाँ चोदूंगा। "
थूक घोटते , रुक रुक के हलके से बोले।
मैंने कचकचा के उनका गाल काट लिया और अब जोर से बोली ,
" अरे किसको चोदेगा , जोर से बोल , नाम क्या है उस तेरे चुदासी माल का "
" हाँ चोदूंगा , जिसको बोलोगी , गुड्डी को "
अबकी उनकी आवाज में जोर था।
और उसी के साथ मैंने पूरी ताकत से अपन कमर पे जोर लगाया और
उनका मोटा तीन चौथाई सुपाड़ा, मेरी कसी गीली चूत में और उतने ही जोश से मैंने उसे भींच दिया।
" गुड्डी को ,मेरी ननदिया को चोदेगा न " मैंने पूछा और कस के उनके निपल बाइट कर लिए।
"उईइइइइइइइइइ उईईई हाँ हाँ चोदूंगा , चोदूंगा गुड्डी को , तेरी ननद को "
दर्द और मजे की सिसकी के साथ वो बोले और मैंने फिर एक जोर का धक्का मारा ,
और अबकी पूरा सुपाड़ा मेरी चूत में था।
अबकी प्यार से हलके हलके उनके होंठो को चूम के बोली मैं
" चल मुन्ने जल्द ही तुझे बहनचोद बना के रहूंगी , तू भी क्या याद करेगा , बहनचोद। "
जोरू ऊपर ,.
अबकी प्यार से हलके हलके उनके होंठो को चूम के बोली मैं
" चल मुन्ने जल्द ही तुझे बहनचोद बना के रहूंगी , तू भी क्या याद करेगा , बहनचोद। "
आगे
" चल मुन्ने जल्द ही तुझे बहनचोद बना के रहूंगी , तू भी क्या याद करेगा , बहनचोद। "
और मेरी इस बात का ये असर हुआ उन्होंने पूरी तेजी से कमर उचकाई और , अबकी आधा लंड मेरी चूत में।
यही तो मैं चाहती थी। मैंने भी उतनी ही जोर से अपनी चूत में उनके लंड को निचोड़ना,दबोचना ,सिकोड़ना शुरू दिया।
उनके दोनों हाथ बंधे थे , लेकिन न ताकत में कोई कमी थी न जोश में।
" बोल कैसा है तेरा माल , बोल बहनचोद " मैंने उन्हें और उकसाया।
" मस्त है बहुत मस्त "
उन्होंने फिर एक धक्का लगाया।
" हाँ ऐसे ही पूरी ताकत से पेलना होगा उस की चूत में अभी कच्ची कली है , बोल चूंचियां कैसी हैं उसकी "
उनके निपल हलके हलके दबाते सहलाते मैंने पूछा , जैसे उन के माल के ही कच्चे टिकोरे सहला रही होऊं।
" एकदम मस्त , छोटी छोटी हैं लेकिन हैं मस्त। " उन्होंने कबूला।
और फिर हचक के चुदाई चालू हो गयी।
मेरे हर धक्के का जवाब वो दूने ताकत से लगाते ,
मैं कभी कमर गोल गोल घुमाती तो वो भी उसी तरह से , जड़ तक मेरे अंदर घुसा हुआ था उनका वो ,
खूब मोटा खूब कड़ा।
मेरी हालत ख़राब हो रही थी ,जिस तरह से उनका खूंटा रगड़ता ,दरेरता घुसता।
लेकिन मैं भी साथ में , कोई उनकी मायकेवाली शायद ही बची हो जिसे ,एक से एक गाली न दिलवाई हो मैंने।
और हर गाली के बाद दुगुने धक्के से चुदाई वो शुरू कर देते वो।
बीस मिनट तक अनवरत
( ये कहने की बात नहीं की उनकी हर बात रिकार्ड हो रही थी , आडियो रिकारिडंग मुझे मम्मी के पास व्हाट्सएप्प जो करनी थी और आगे भी काम आनी थी ,उन्हें चिढ़ाने के लिए )
और उन धक्को का असर ये हुआ , मेरी देह में बिजली सी लहर दौड़ने लगी , मेरी आँखे बंद होने लगी , जांघे थक गयी ,मैं धीमे पड़ गयी और अब पतवार सिर्फ वो खे रहे थे ,थोड़ी देर में मैं किनारे पर लग गयी।
कुछ देर उन्होंने भी रफ्तार मंद कर दी लेकिन वो अभी ऐसे ही तना था तो ,
और मैंने भी चार पांच मिनट में हम दोनों
और अबकी मैंने सब कुछ इस्तेमाल करना शुरू किया , जब मुझे लगा की वो नजदीक है
मेरी तरजनी हचाक से सीधे उनकी गांड में , जोर जोर से ,गोल गोल
और साथ में गालियों की बारिश ,
साले बहनचोद ,गुड्डी के भंडुवे ,चोद और जोर से चोद
मजा आ रहा है न गांड में ऊँगली का न ,गांडू ,
तेरी बहना की भी गांड बहुत मस्त है ,
उसकी गांड भी मरवाउंगी तुझसे बहनचोद।
रात अभी बाकी थी
और थोड़ी देर में हम दोनों साथ झड़े।
खूब देर तक झड़ते रहे वो।
मेरी चूत में कम से कम दो मुट्ठी मलाई भरी होगी उनकी खूब गाढ़ी थक्केदार।
और मैं सीधे उनके मुंह के ऊपर थी , मेरी चूत उनके होंठो से चिपकी और सारी मलाई अब उनके मुंह के अंदर।
खूब स्वाद से अंदर जीभ डाल डाल कर वो चूस ,चाट रहे।
चल यार तुझे पक्का कम स्लट बनाउंगी , देख तेरे उस माल की कुप्पी से भी ,
और सिर्फ तेरी ही नहीं , ऐसे स्वाद ले ले के खाना मेरे राज्जा।
मैं धीमे धीमे बोल रही थी ,लेकिन उन्हें सुनाई सब पड़ रहा था।
जोश में चाटने की रफ्तार उन्होंने दूनी कर दी।
और जब वो मेरा अगवाड़ा चाट चुके तो मैंने अपना पिछवाड़ा भी उनकेमुंह के सामने कर दिया।
जब मैंने उनकी हथकड़ी खोली तो भी वो मेरी गांड चाट रहे थे।
आँखों पर मेरी ब्रा और पैंटी की पट्टी अभी बंधी थी।
उनका हाथ पकड़ के मैं कमरे के कोने में ले गयी ,
ड्रेसिंग टेबल के सामने और स्टूल पर बैठा दिया।
रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी।
आँखों पर मेरी ब्रा और पैंटी की पट्टी अभी बंधी थी।
उनका हाथ पकड़ के मैं कमरे के कोने में ले गयी , ड्रेसिंग टेबल के सामने और स्टूल पर बैठा दिया।
रात अभी बाकी थी , बात अभी बाकी थी।
स्टूल पर वो बैठे हुए थे , ड्रेसिंग टेबल के सामने।
' हिलना मत ,ज़रा सा भी "
मैंने बोला और हामी में उन्होंने सर हिलाया।
नख शिख ,मैंने सर से शुरू किया , पहले तो उन के घुंघराले बालों के बीचोबीच चौड़ी सी सीधी मांग निकाली।
और उसके बड़ा उनका प्यारा ,गोरा चेहरा ,
बिंदी , काजल ,मस्कारा , आईलैशेज, आइब्रो ,
लिपस्टिक ,हल्का सा फाउंडेशन फिर गालों पर थोड़ा सा रूज ,
नेलपालिश ,
महावर ,
वो झिझक रहे थे , कुछ अटपटा भी लग रहा था उन्हें लेकिन मजा भी आरहा था उन्हें।
अब खड़े हो जाओ मैं बोली , और वो खड़े हो गए।
' वो ' अभी भी थोड़ा खड़ा था।
जबरन उसे उनकी जांघ के पास दबा कर ,एक टेप से उसे चिपका के बांध दिया।
गुलाबी लेसी पैंटी उनके ऊपर मस्त लग रही थीं।
और,' वहां' लेस का टच ,एकदम मस्ती से उनकी हालत ख़राब हो रही थी।
और उसकी चुगली उनके निप्स कर रहे थे , जो एकदम टनाटन थे।
(हमारी और उनकी साइज अब लगभग एकजैसी हो गयी थी , जब से उनके 'खान पान ' में कुछ बदलाव हुआ और मेरी ट्रेनर ने उनकी एक्सरसाइज रेजीमेन तय की थी , सिवाय एक जगह के , मैं ३४ सी थी और वो ३६ बी। )
लेसी पैडेड ब्रा , जिसके अंदर टेनिस बाल्स थे , उन्हें पहनाते हुए , मुझसे नहीं रहा गया और
मैंने उनकेकड़े ,खड़े निप्स पिंच कर लिए।
अब वो थोड़ा हिचक रहे थे , कुछ ना नुकुर भी कर रहे थे , लेकिन मैंने थोड़ी कड़ी आवाज में बोला ,
पैर उठाओ ,
और वो पेटीकोट केअंदर थे।
बेबी ,नाउ यू हैव इंटरड माई पेटीकोट ,यू आर गोइंग टू बी देयर।
मैं मुस्करा के हलके से बोली।
साटन के पेटीकोट का टच उनकी जाँघों पे , हालत खराब हो रही थी उनकी , लेकिन तबतक रेशमी साडी की छुअन , उनके पेटीकोट में फंसा के मैंने लपेटना शुरू कर दिया ,
उनके चेहरे का ब्लश देखने लायक था।
चोली उनकी एकदम टाइट फिट थी , ( जैसे वो अपने चैट में डिसक्राइब करते थे ,बिलकुल वैसी , रेड लो कट , आलमोस्ट कम्प्लीट बैकलेस , पुशिंग बूब्स अप , वेरी थिन ).
और अब बारी थी गहनों की।
और अब बारी थी गहनों की।
बिछुआ , पायल ,दोनों घुंघरू वाले , करधन ,
फिर मैंने बैंगल बॉक्स खोला , कुहनी तक लाल लाल चूड़ियाँ , मेरे जड़ाऊ कंगन,
और फिर अपने गले का हार उतार कर मैंने उनके गले में पहना दिया।
मेरे पास कुछ इयर रिंग्स , नोज रिंग्स थे , जो बिना छेद के भी पहने जा सकते थे ,
और वो डायमंड स्टडेड , इयर रिंग ,छोटी सी नथुनी ,
और फिर मैंने उनका ब्लाइंड फोल्ड खोल दिया।
क्या कोई नयी दुल्हन पहली रात को ब्लश करेगी , जबरदस्त , एकदम हाय मैं शर्म से लाल हो गयी , जैसा।
उनकी ठुड्डी पकड़ कर मैंने उनकी आँखें ड्रेसिंग टेबल की ओर की और साथ ही ,
स्विच आन किया , पूरा कमरा रौशनी में नहा गया।
एक बार उन्होंने उपर से नीचे तक अपने को देखा , और फिर जबरदस्त शरमा गए।
मस्त माल लगती हो , मैंने छेड़ा और उनके लजाते टटकी खिली गुलाब की कली ऐसे गालों को जोर से पिंच कर लिया ,
एक बार मैंने ऊपर से नीचे तक उन्हें देखा और बोली ,
परफेक्ट , लेकिन ,. . बस एक कसर लगती है इस दुलहन में ,
मैंने अपनी सिन्दूर की डिबिया उठायी ,
खोली और एक हाथ से उनके सर पर से साडी का पल्ला जरा सा सरकाया ,और,
भरी हुयी मांग में सिन्दूर खूब दमक रहा था।
अब तुम सिर्फ जोरू के गुलाम ही नहीं ,बल्कि मेरी जोरू भी हो , मैंने हलके से बोला।
और मेरे कानों को विश्वास नहीं हुआ ,
अपनी बड़ी बड़ी पलकें उन्होंने जरा सा उठायीं ,
इट वाज अ फेंट व्हिस्पर , बट देयर इट वाज , … यस।
और मैंने उन्हें खूब प्यार से जोर से गले लगा लिया।
मेरे जोबन उन्हें क्रश कर रहे थे थे।
पहले तो मैंने एक हलकी सी चुम्मी ली , फिर कचकचा के उनके भरे भरे गाल काट लिए।
ज़रा के बार मेरी इस मस्त दुल्हन को देख तो ,
झिझकते हुए अबकी उन्होंने ड्रेसिंग टेबल में उपर से नीचे तक पूरा देखा।
क्या जोबन है , रज्जा एकदम मस्त , मैंने कमेंट किया तो उनकी निगाहें फिर उनके 'न्यू फाउंड बूब्स ' की ओर ,
लो कट चोली में पुश अप ब्रा , एक नेचुरल क्लीवेज भी निकल आया था।
और एक बार फिर वो बीर बहुटी हो गए लाज से।
मेरा तो मन कर रहा था की अगर मेरे पास ,. . होता तो आज मैं बिना चोदे , लेकिन उसका ,… भी सुना है होता है जुगाड़ , चलो एक दिन वो भी होगा।
फिर उनके हाथ पकड़ के मैं फिर उन्हें पलंग तक ले आयी।
पायल और बिछुए उनके रुनझुन रुनझुन करते रहे
पायल और बिछुए उनके रुनझुन रुनझुन करते रहे ,
और फिर हाथ पकड़ कर अपने पलंग पे बैठा के उन्हें समझाना शुरू किया , उनका रोल ,काम धाम।
" अब तो तुम नयी दुल्हन हो न , तो समझ लो , अब घर का सारा काम काज , सब कुछ तो औरत की ही जिम्मेदारी होती है न "
वो कान खोले सब कुछ सुन रहे थे ,
" सुन , जब तुम आये थे तो दरवाजे पे एक इंस्ट्रक्शन की लिस्ट लगी थी न "
उन्होंने सर हिला के हामी भरी।
" मैं वहीँ खड़ी थी , तेरे अंदर जाने के बाद मैंने बाहर से ताला बंद कर दिया , और पिछवाड़े से अंदर आगयी। और वो भी बंद। अगले तीन दिनों के लिए बर्तन वाली ,मंजू को भी मैंनेछुटटी दे दी ,दूधवाले को , सबको बोल दिया है , पड़ोस में भी की तीन दिनों के लिए हम बाहर जा रहे हैं बस। तो नो डिस्टरबेंस है ना " मैंने सब बात साफ की।
उनके चेहरे की चमक से उनकी ख़ुशी साफ दिख रही थी।
" बस थोड़ा सा काम , मंजू नहीं आएगी तो बर्तन , झाड़ू पोंछा , कर लोगे न ," मैंने थोड़ा और पुश किया।
उनकी गर्दन थोड़ी सी हिली और मैंने उसे हाँ समझ के आगे की लिस्ट खोली ,
"और बेड टी , नाश्ता ,खाना , घबड़ाना मत , मैं हूँ ना , मैं जानती हूँ तेरे मायकेवालियों ने कुछ नहीं सिखाया ,लेकिन मुन्ना मैं हु ना सब सिखा दूंगी। "
अबकी उन्होंने धीरे से हामी भरी।
" घबड़ाने की कोई बात नहीं है , मैं हूँ न। बस जैसे जैसे मैं कहूँ , बस वैसे वैसे , सब सीख जाओगे। बहू को जवाब नहीं देना चाहिए, उसकी आवाज नहीं सुनाई देनी चाहिये , सब तौरतरीका… सब काम घर का , जिम्मेदारी से ,कल सुबह से , … बेड टी मुझे कैसी पसंद है तुझे तो मालूम ही है ,"
हाँ , बड़ी हलकी सी आवाज सुनाई पड़ी उनकी।
"लेकिन नयी दुल्हन का जानते हो असली काम क्या है , सिंदूर दान के बाद , …पहले सिंदूर डलवाया अब कुछ और ,… "
गौने की रात क्या कोई नयी दुल्हन लजाएगी , जिस तरह वो ,. .
" अरे साडी तो उतार दो , वरना क्रश हो जायेगी। " मैंने हंस के बोला।
वो बिचारे उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था , क्या करें। कभी अपनी रेशमी साड़ी देखते ,कभी मुझे ,
" तुझे न , बहुत सिखाना पडेगा " मैंने बोला , उनकी प्लीट्स खोलीं , और फिर एक चक्कर में , जैसे कोई स्ट्रिपटीज कर रही हो ,
आफ कोर्स , उपर मैं ही थी , लेकिन क्या टन टना टन उनका हथियार हो रहा था।
साटन के पेटीकोट और पैंटी का टच , उनके लिए किसी वियाग्रा से भी ज्यादा उनके औजार को पागल करने वाली दवा थी।
और उससे भी ज्यादा कामोत्तेजक चीज थी , उनके मायकेवालों को शुद्ध देसी गालियां.
कच्चे टिकोरों की याद
और उससे भी ज्यादा कामोत्तेजक चीज थी , उनके मायकेवालों को शुद्ध देसी गालियां ,
मुठियाते मैं बोली
' झंडा बड़ा मस्त खड़ा किया है , क्यों अपने माल की , कच्चे टिकोरों की याद आ रही है क्या ,
घबड़ा मत जल्द ही तुझे पक्का बहनचोद बना दूंगी। "
और अपने माल की बात सुनते ही एकदम वो फनफना गया।
थोड़ी सी बची रात में भी दो बार ,
और दोनों बार पहले मैं , बल्कि एक बार नहीं दो बार और दूसरी बार मेरे साथ साथ वो ,
अब उन्होंने समझ लिया था की उनका काम सिर्फ मजा लेना नहीं ,बल्कि मजा देना भी है।
और पहले मुझे झाड़ के तब ,…
बिना किसी लाज शर्म के , और वो जरा भी धीमे पड़ते तो मैं उनकी माँ -बहन एक कर देती।
दूसरी बार जब हम दोनों झड़े तो हलकी हलकी लाली आसमान में आ गयी थी।
मैं सुबह बहुत देर तक सोती रही।
बेड टी ,…
की आवाज के साथ मेरी नींद खुली
वो अभी भी ब्लाउज पेटीकोट में थे।
होंठों की लिपस्टिक ,हलकी सी फैली , और उसी तरह रात का काजल आँखों में।
गुड मॉर्निंग ,
मुस्करा के वो बोले और ट्रे साइड टेबल पे रख दी।
चाय एकदम परफेक्ट , एकदम मेरी पसंद की।
" जरा देखो पेपर आ गया होगा। "
मैंने बोला ,
और मेरी बात पूरी होने के पहले वो चले गए , और लौट के पेपर मुझे पकड़ा दि या।
लेकिन उनकी आँखे पेपर पे चिपकी ,
मैं समझ गयी और स्पोर्ट्स सेक्शन निकाल के उन्हें दे दिया , और बोला
तुम भी चाय पीओ न।
" चाय बहुत अच्छी थी , एक एक प्याला और हो जाय "
चाय खत्म करके आराम से अखबार पढ़ते मैं बोली।
एकदम स्पोर्ट्स सेक्शन वहीँ छोड़ कर वो कप प्लेट लेकर वापस किचेन में चले गए।
ताज़ी चाय बनाने।
मैं पढ़ अखबार रही थी लेकिन कल रात और आने वाले दिनों के बारे में सोच रही थी।
कहीं इनको स्त्रैण तो मैं नहीं बना रही , कहीं मैं जाने अनजाने इनकी फैंटेसी के डोमिनेट्रिक्स की तरह ऐक्ट कर के ,
खुद फीमेल डॉमिनेशन की ओर तो नहीं बढ़ रही ,, क्योंकि मेरा दोनों ही गोल नहीं था।
मेरा लक्ष्य सिम्पल था , इनके मन की गांठे खोलना ,
जो अतृप्त का सूखा तालाब सा इनकी अपब्रिंगिंग के कारण इनके मन में हो गया था , जहाँ सब मजे वाली चीजें वर्जित थीं ,
उस सूखे तालाब को रस के सागर से भर देना ,जिसमे हम दोनों साथ साथ गोते लगा सकें मजे ले सके।
और फिर ये फन ऐंड गेम्स तो बस ये तीन दिन इनकी बर्थ डे के , जहां हम दोनों खूब करीब आ जाए।
मैं अपने शादी के शुरू के दिनों को नहीं भूल पाती , जब हर दुल्हन के लिया जहां ससुराल में सब कुछ नया नया होता है ,
उसका पति ही उसके करीब होता है।
लेकिन उस समय भी मेरी वो ननद और जेठानी कब किस बात के लिए भूत की तरह सामने आ जाएँ ,
" मेरे भैया को ये नहीं अच्छा लगता , वो नहीं अच्छा लगता ,. मैं आपसे अच्छी तरह जानती हूँ इनको आप तो अभी अभी आई हैं। "
और वो भी तो रात में तो चिपके रहते थे और सुबह से ,जैसे जानते ही न हों।
और वो कंडोम वाला वाकया मैंने बताया ही था , अनजाने में मैंने वेडिंग अलबम में रख दिया था उस पन्ने पर जहां इनकी ममेरी बहन की फोटो थी , हम लोगों की शादी में डांस करते, कितना नाराज हुए , रात भर बात तक नहीं की ,और कुछ करना तो छोड़ दीजिये।
फिर यहां पर कंपनी में भी जहां इतना खुलापन था ,इनके एट्टीट्यूड को लेकर , . किसी ने मुझे बताया था ,
शायद मिसेज खन्ना ने ही , आगे बढ़ने के लिए सीनियर मैनेजमेंट रोल्स के लिए आदमी को थोड़ा कम रिजिड होना चाहिए , और उसमें कई गुण ऐसे हैं जो स्त्रियों के है वो होने अच्छेहोते हैं , जैसे अक्सर पुरुष ( सभी नहीं ) विटामिन 'आई ' से ग्रस्त होते हैं , मैंने ये किया मैंने वो किया , ड्राइंग रूम में जाइये तो दर्जा ८ में मिली कॉलेज के ट्राफी से लेकर जितने भीछोटे मोटे अचीवमेंट होते हैं , बात भी करेंगे अगर थोड़े बहुत बहुत पढ़े लिखे हुए तो उनकी पसंद की किताब , उनकी पसंद की म्यूजिक ,ये वो ,. . लेकिन औारत को सबको जोड़ केचलना पड़ता है चाहे मायका हो या ससुराल। वह कहीं जायेगी भी तो किसी की लिए साडी तो किसी के लिए शर्ट ,सब का हिसाब रखती है। बात करने में ,. सबको जोड़ कर रखने कीकोशिश करती है।
वैसे तो बहुत सी बाते थीं लेकिन एक और बात थी जैसे पेन टालरेंस , महिलाओं में बहुत ज्यादा है , प्रसव में जो दर्द महिला सहती है , वो शायद कोई और हो तो दूसरे बच्चे के लिएतैयार ही न हो। फिर काम और होम के बीच बैलेंस ,. बहुत सी बातें।
पूरी , पूरी तरह सही भी नहीं थी , लेकिन ये बात तो मैं भी मानती थी की हर मर्द को थोड़ा सा औरत और हर औरत को थोड़ा सा मर्द होना चाहिए।
इसलिए ये सब ,. . फिर परसों से आफिस जाएंगे तो फिर तो फॉर्मल में ही जायेगे , ये कोई फंतासी तो है नहीं जिंदगी है। किचन का काम फिर मेरे जिम्मे आयेगा ,
लेकिन वो सब बात में अभी तो बस बर्थडे की फुल टाइम मस्ती ,मोस्ट मेमोरेबल बर्थडे , मेरे सोना मोना की ,
जो मेरा ही , सिर्फ मेरा।
एक नया दिन शुरू हो गया था।
एक नया दिन , एक नयी जिंदगी।
मम्मी
ट्रिंग ,ट्रिंग ,फोन बजा।
मैं समझ गयी उन्ही के लिए होगा।
" ये लो तुम्हारे लिए मम्मी का है। " और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
स्पीकर फोन ,आफ कोर्स आन था।
मम्मी उनकी और उनके सारे खानदान की जो घिसाई धुलाई करतीं ,उसके सुनने का मजा ही अलग था।
मम्मी उन्हें हैप्पी बर्थड़े विश कर रही थीं।
" थैंक यूं ,मम्मी "
वो बोले और ख़ुशी उनके चेहरे से छलक रही थी।
( और ये भी उनके लिए एक नयी शुरुआत थी , उनके मायकेवालों का नाम तो मैं खूब आदर के साथ और आज तक मम्मी को वो सिर्फ , तुम्हारी माँ कहकर ही एड्ड्रेस करते थे , पहली बार आज उन्होंने मेरी माम को मम्मी बोला था )
" क्यों गिफ्ट कैसी लगी "मम्मी ने छेड़ा। .
और उनके गाल गुलाल हो गए, मारे शरम के।
फिर बहुत हलके से वो बोले ," हाँ ,बहुत अच्छी। "
मम्मी इत्ती आसानी से छोड़ने वाली थोड़े ही थीं , बोली ,
' तेरे ऊपर लाल रंग बहुत फबता है "
नीचे झुक कर उन्होंने अपनी कच्छी कढ़ाई वाली , खूब लो कट ,टाइट ,बैक लेस लाल चोली की ओर देखा , और एक बार फिर जबरदस्त ब्लश ,
( उनकी ढेर सारी फोटुएं मैंने रात को ही मम्मी को व्हाट्सऐप कर दी थीं )
मुस्कराते हुए मैंने उनके स्कारलेट रेड लिपस्टिक कोटेड होंठों को हलके से छुआ , और वो सिहर गए।
" मॉम ,शरमा रहे हैं "
मैं भी सास -दामाद संवाद में शामिल हो गयी।
" अरे कोई लौंडिया है क्या जो शरमा रहे हैं " खिलखिलाते हुए वो बोलीं।
" मम्मी ,लौंडिया ही तो लग रहे हैं। " मैं भी उनकी खिलखिलाहट में शामिल हो गयी।
लेकिन मम्मी भी न हर बार की तरह ,मेरा साथ छोड़ के वो अपने फेवरिट दामाद की ओर हो गयीं और सब गलती मेरी ,
" गलती तो तेरी है पूरी , सारी रात गुजर गयी , उसकी शरम नहीं उतारी तूने "
झट इल्जाम लगा दिया उन्होंने।
और अब फिर तोप का मुंह मम्मी ने उनकी ओर कर दिया।
" क्यों मजा आया खूब , रात को "
वो बस आँखे नीचे किये , गौने की दुलहन की तरह ,
" मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोलते क्यों नहीं " मैंने उकसाया।
और बड़ी मुश्किल से उनके मुंह से निकला , " हाँ , मम्मी "
वो भी बहुत धीमे से।
" चल मैं एक बहू चाहती थी ,अब ये कसर भी पूरी हो गयी " मम्मी ने ठंडी सांस ले के कहा।
और इसके साथ ही मम्मी ने एक जबरदस्त लांग डिस्टेंस चुम्मी , उन्हें फोन पे ले ली।
" अरे मम्मी की किस्सी का जवाब तो दे ".
अब थोड़ी थोड़ी उनकी झिझक कम हो रही थी।
एक छोटी सी जवाबी किस्सी ,उन्होंने भी बजरिये फोन ,मम्मी को भेज दी।
मम्मी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ,उनकी बात से ख़ुशी छलक रही थी।
और उन्होंने फिर छेड़ा अपने दामाद को ,
" किस्सी किस जगह दी , मेरे होंठ पे या होंठ के नीचे। "
मैंने भी उन्हें चढ़ाया , कान में बोला ,अरे बोल दे न , मम्मी एकदम खुश हो जाएंगी।
अब वो भी थोड़े बोल्ड हो गए थे बोले ,
" होंठों से बस , थोड़ा सा नीचे। "
" अरे तब एक क्यों लिया , दो लेना चाहिए था न , जल्दी से दूसरी भी लो। "
मम्मी ने उन्हें और चढ़ाया।
( मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे )
और उन्होंने ले ली।
मम्मी
और मम्मी की समधन
मुझे और मम्मी दोनों को मालूम था की वो ,उनके 38 ड़ी ड़ी को चोरी चोरी ललचाते ,देखते थे
और उन्होंने ले ली।
" चल मैं जल्दी आउंगी अब , फिर तुझे सच्ची मुच्ची में दूंगी , बोल मुन्ना दुद्धू पियेगा न "
मम्मी भी , अब वो अपने पूरे रंग में आ रही थीं
धीमी सी हाँ निकली उनके मुंह से निकली खूब शर्माती , झिझकती।
" अच्छा ये बोल तूने सबसे पहले किसके मम्मे पकड़े ,देखे थे। "
मम्मी चालू ही रहीं।
"अरे मॉम और किसके अपनी उस छिनार ममेरी बहन -कम -माल के। "
मम्मी ने मुझे जोर से डांटा ,
" तू चुप रह , हरदम क्या बीबी की सलाह से ही काम करेगा ये हाँ बोलो न सबसे पहले किसके ,… "
वो बिचारे एकदम चुप। जवाब मम्मी ने ही दिया।
" बुरी बात है आज बर्थडे के दिन भी भूल गए , बचपन में में , मेरी समधन के मम्मे , पकड़ा होगा , दबाया होगा चूसा होगा न दूध पीते समय। वैसे एक बात बताऊँ आज भी उनका एकदम टना टन है जोबन ,एकदम गदराया ,चोली फाड़।
अच्छा बोल कभी तूने अपनी जवानी में निगाह डाली , कैसे हैं , कभी तो बिना आँचल के देखा होगा , या किसी के साथ ,क्या साइज होगी ,… "
वो एकदम चुप ,
लेकिन मैं चुप उन्हें रहने कैसी देती। मेरी और मम्मी के डबल पेस अटैक के आगे उनकी तो खुलनी ही थी।
" चल यार अंदाज से बता दे , कुछ भी बता दे , मम्मी ऐसे छोड़ने वाली नहीं "
मैंने उन्हें हिंट भी दिया ,उकसाया भी /
और उन्होंने बोल दिया।
अब तो मम्मी वो खिलखिलायीं ,बोलीं
" अच्छा तो तू मेरे समधन के उभारों पे निगाह रखता है , लालची , मन करता है क्या। लेकिन गलती तेरी नहीं है उनके हैं ही ऐसे मस्त गद्दर। "
और फोन रख दिया।
उन्होंने गहरी सांस ली , लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाली थी ,
" अरे वाह तो तुमने ये बात कबूल कर ली। मम्मी सच बोल रही थीं न ,रखते थे निगाह ?"
बात टालने के लिए उन्होंने औरतों वाला रास्ता निकाला ,
" नाश्ते में क्या बनेगा। "
" कुछ भी बना दो " मैंने टी वी आन करते बोला।
वो निकलने लगे तो मैंने फिर मैंने टोका ,
" रुको , आप आमलेट बना लेते हो। "
उन्होंने ना में सर हिलाया , और मैंने उनकी सारी मायकेवालियों की ,
" यार तेरी माँ बहनों ने साल्ली ,मायके में क्या सिखाया था , क्या सारे मुहल्ले में सिर्फ नैन मटक्का करती रहतीं थीं और मम्मे दबवाती मिसवाती रहती थीं।
चल ये भी मुझे ही सिखाना पडेगा। "
( ये तो मुझे भी मालूम था की उनके मायके में किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं घुस सकता था ,तो ,… लेकिन मौका मैं क्यों चूकती )
किचेन में मैं बोली ,
" और हाँ ,फ्रिज से ज़रा आम निकाल के ले आना ,दसहरी ले आना , लंगड़े नहीं "