Episode 09


बदल गए बालम

किचेन में मैं बोली ,

" और हाँ ,फ्रिज से ज़रा आम निकाल के ले आना ,दसहरी ले आना , लंगड़े नहीं "

आधे घंटे के बाद वो किचेन से निकले , आमलेट और एक प्लेट में लम्बी कटी रसीली आम की फांके।

सुनहली , एकदम परफेक्ट कटी हुयी।

तिरछी निगाहों से मैं देख रही थी कैसे मजे से वो मजे ले ले के चाट रहे थे ,सड़प सड़प कर ,आम की फांक।

"क्यों मजा आ रहा है चूसने चाटने में ,…"

मैंने पूछा।

और मुझे देख के मुस्करा के , वो फिर चाटने में लग गए।

" मेरी मानो ,… तेरे उस माल की न , उस की भी चूसने चाटने में ऐसा ही मजा आएगा। खूब रसीली , चिकनी है उसकी।

उन्होंने जोर से ब्लश किया ,लेकिन मैं चालू रही,

" मालूम है , आम को चूत भी कहते हैं। "

मुझे अंदाज था उन्हें कैसा लग रहा होगा , लेकिन बिना उन्हें कुछ सोचने बोलने का मौक़ा दिया मैं बोली ,

" अरे जरा एक लंगड़ा फ्रिज से ले आना ,अच्छे से छील के ,. . "

चेंज पर चेंज

वह ले आये और हम दोनों ने मिल बाँट कर खाया।

ब्रेकफास्ट के बाद मैं फिर बेडरूम में गयी , और पीछे पीछे वो ,अच्छे बच्चे की तरह ,

बिस्तर पर उनकी रात की पहनी साडी पड़ी थी।

अब मैंने टोन बदला,

" अगर तुम्हे साडी पहनने का शौक है तो उसे ठीक से रखना भी सीखो। चलो तहियाओ इसे। "

बिचारे ,कभी किया हो तो ,हो। कई बार कोशिश किया लेकिन , फेल।

" खाली अपने घर के माल के जुबना दबाते रहते थे क्या, क्या कुछ सिखाया नहीं तेरी माँ बहनों ने "

मैंने फिर , जोर से बोला ,और उनके हाथ से साडी लेके उन्हें दिखाते हुए तह लगाई और वो लेते उसके पहले खोल दी।

" चलो अब तुम करो और अपनी आलमारी में रखो। "

क्विक लर्नर तो वो थे ही , दो बार में ही तह लग गयी और फिर उसे रखने के लिए उन्होंने अपनी वार्डरोब खोली।

और जोर का झटका ,जोर से लगा।

हर तरह की साड़ियां ,चंदेरी ,कोटा ,सिल्कन ,जार्जेट ,शिफॉन और शलवार कुर्ते , पंजाबी ,अनारकली।

एक खाने में ब्लाउज ,पेटीकोट और दूसरे में ब्रा ,पैंटी।

शर्ट पेंट चड्ढी बनयान सब गायब।

जब तक वो कुछ सोचते मैंने वार्डरोब बंद कर दी और बोला ,

"क्यों पसंद आया न, लेकिन अभी बहुत काम पड़ा है। मंजू बाई नहीं आएगी, तो बरतन ,झाड़ू ,पोंछा अभी शुरू करो तो हो जाएगा जल्दी। रात के भी बरतन पड़े हैं। फिर खाना भीबनाना है। "

वो अपने काम में बिजी थे और मैं अपने।

रात की रिकारिडंग देखी , और कुछ और फोटुएं मम्मी को व्हाटसऐप की , फिर अपना फेवरिट सीरियल,

दो ढाई घंटे बाद वो वापस आये , अभी तक चोली साये में ही थे।

लेकिन बहुत थके , माथे पर पसीनाचुहचुहा रहां था।

" क्यों मुन्ना ,थक गए क्या। चलो कोई बात नहीं , दो ग्लास बढ़िया मस्त मैंगो शेक बना के लाओ न ,खूब ठंडा। अब ये मत कहना की मैके में नहीं सीखा , जल्दी। "

और कुछ ही देर में दो ग्लास चिल्ड मैंगो शेक हाजिर था।

मैं चैनेल सर्फिंग कर रही थी और एक चैनल पे कहानी घर घर का री रन आ रहां था मैंने वही लगा दिया।

साक्षी तँवर,

मैंने साफ साफ पूछा , क्यों मस्त माल लग रही न

और तब तक पृष्ठ भाग पर कैमरा न सिर्फ फोकस हुआ बल्कि अच्छी तरह उसकी ऊंचाई ,गहराई , कटाव ,भराव ,. . सब कुछ ,

क्यों क्यों कैसा लगा रहा है इसका पिछवाड़ा किसके जैसा बोलो न , मैंने फिर पूछा।

उनकी निगाहें वहीँ चिपकी थीं।

" बोल न , लगता है न मेरी मम्मी की समधन जैसा , खूब गदराया , भरा भरा , बोलो न " मैंने छेड़ा।

और उन्होंने फिर जोर का ब्लश किया।

" खाने की तैयारी हो गयी क्या "

मैं अब मुदद्दे पे आ गयी।

उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने फिर बोला , अरे खाना आज तुम्हे बनाना है न ,बोला तो था। अच्छा चलो ,आज पहला दिन है समझा देती हूँ।

पिंक एप्रन

" खाने की तैयारी हो गयी क्या " मैं अब मुदद्दे पे आ गयी।

उनकी समझ में नहीं आया तो मैंने फिर बोला , अरे खाना आज तुम्हे बनाना है न ,बोला तो था। अच्छा चलो ,आज पहला दिन है समझा देती हूँ।

किचेन में उनका स्वागत पिंक एप्रन ने किया।

पिंक जो उन्हें एकदम फेमिनिन लगता था और जिस रंग की शर्ट मैंने एक बार उन्हें दे दी तो वो अलपफ , वही रंग ,

और मैंने वो एप्रन उन्हें पहना दिया और ये भी समझा दिया की वो जैसे ही किचेन में घुसे तुरंत , ये एप्रेन पहन लें फिर दूजा काम।

सब्जी धुलना , काटना ,छीलना, और बीच बीच में मेरी बातों का तड़का

" अरे जरा बैगन ठीक से धुलो , ये लम्बे बैगन तो मेरे सास के फेवरिट हैं ,है न तुझे तो मालूम ही होगा। "

कौन सामान कहाँ रखा है ,कौन चीज धीमी आंच पे ,कौन तेज आंच पे।

" चलो यार एक दो महीने में मास्टर शेफ की एंट्री चालू होंगी , अबकी तुम्हारा नाम भेज दूंगी , आखिर बेस्ट शेफ तो सारे मेल्स ही होते हैं "

किचेन से निकलते निकलते २५० ग्राम मस्का लगाया मैंने और फिर वापस अपने बेडरूम में ,

मैं बिजी हो गयी ,व्हाट्सऐप, फेसबुक और सहेलियों से थोड़ी चैटिंग में।

लेकिन खाने के पहले बाथ - वी टुक बाथ टूगेदर।

लेकिन खाने के पहले बाथ - वी टुक बाथ टूगेदर।

उनके लिए तो नहाना एकदम झटपट मामला होता था ,हमेशा।
गए , शावर आन , घुसे ,निकले।

लेकिन आज बिना किसी जल्दी के , मैंने पहले उनके बालों में खूब धीमे धीमे शैम्पू किया ,

फिर उनसे अपने बालों में शैम्पू करवाया , साथ में डीप स्कैल्प मसाज ,

और फिर पूरी देह में साबुन , मेरे उभारों पे जब वो साबुन मल रहे थे तो मैंने कनखियों से देखा

खूंटा खड़ा हो रहा था।

मैंने किसी तरह अपनी मुस्कान रोकी , फिर उनसे जाँघों के ऊपरी हिस्से में , और झुक कर अपनी गांड उनके सामने कर दी।

बड़े बड़े चूतड़ मुझे विरासत में मिले थे। बड़े और कड़े।

उन्होंने साबुन लगा के रगड़ रगड के साफ किया , लेकिन मैंने मुड़ के उनकी ओर देखा और वो समझ गए ,

एक जगह बची थी।

ऊँगली में साबुन लगा के ,गांड के एकदम अंदर तक ,

और फिर मेरी बारी थी।

मैंने हैण्ड शावर का नोज़ल सीधे उनके कड़े कॉक के बेस पे किया और तुरंत वो कटे मुर्गे की तरह फड़फड़ाने लगा।

लेकिन मैं छोड़ने वाली नहीं थी ,मैंने हाथ में खूब साबुन लगाया और लगी उसे मुठियाने।

मस्ती से वो सिसक रहे थे।

लेकिन मैं मुठियाती रही , और फिर अचानक एक झटके से मैंने चमड़ा नीचे कर दिया ,लाल मोटा सुपाड़ा , एकदम भूखा ,खुल गया था।

नोजल की तेज धार अब सीधे पी होल ,( पेशाब के छेद पे ),

और अब मुठियांना बंद करके मेरे हाथ धीमे धीमे उनके बाल्स को सहला ,दबा रहे थे और साबुन लगी ऊँगली अगवाड़े ,पिछवाड़े के बीच वाली जगह धीमे धीमे दबारही थी।

और कुछ देर में फिर दुबारा उनका फ़नफ़नाया लंड मेरी कोमल कोमल मुट्ठी में।

उनकी हालत एकदम ख़राब थी।

मुस्कराते हुए एक बार जोर से दबा के मैंने चिढ़ाया ,

" सुन यार , सुबह तुम मम्मी से खुल के मेरे सास के मस्त मम्मों के बारे में कैसे बाते कर रहे थे। "

" मैं कहाँ , वो तो वही , मैं तो बस " कुछ शरमाते ,झिझकते ,कुछ मुस्कारते वो बोले।

" अरे यार तो इसमें शरमाने की क्या बात है , अगर तेरी माम , मम्मे नहीं मिजवाती ,

हचक हचक के नहीं चुदवाती तो मुझे इत्ता प्यारा प्यार हबी कहाँ से मिलता। पता नहीं कितनी बार ,कितनो से , अच्छा ये बताओ जो मैं पकड़ के दबा रहीं हूँ ,मसल रहीं उसे सबसे पहले किसने पकड़ के दबाया था "

मैंने पूछा।

अब उनकी जोर से शरमाने की बारी थी। एकदम चुप।

" अरे सोचो न जरा "

मेरे लम्बे नाख़ून अब सुपाड़े पे हलके हलके चुभ रहे थे।

" अरे भूल गए जब तुम छोटे थे , तुम्हारी मम्मी इसे पकड़ के सु सु कराती थीं , उन्होंने ने इसे पकड़ा था ,रगड़ा था , खोल के इसमें तेल लगाया था, … सबसे पहले तेरी माम ने ही तो इसे पकड़ा रगड़ा था "

मैंने कहा और हलके से मैंने जोड़ा ,

मादरचोद।

लेकिन वो साफ साफ सुन सकते थे।

मैंने कहा और हलके से मैंने जोड़ा , मादरचोद। लेकिन वो साफ साफ सुन सकते थे।

उनके लंड की हालत और खराब हो गयी।

उनकी आँख में आँख मिलाके देखते मैंने सुपाड़े पे भी साबुन लगाया , और नोजल की तेज धार ,. .

" निहुरो जरा , और , थोड़ा और अरे जैसे मम्मी की समधन निहुरती होंगी , मरवाने के लिए ,हाँ एकदम ऐसा। "

और नोजल आलमोस्ट सीधे उनकी गांड के छेद में

हम दोनों ने एक दूसरे को टॉवेल से खूब रगड़ रगड़ के पोछा, अच्छी तरह से सुखाया।

मजे में उन्होंने मुझे चूम लिया लेकिन मैंने उन्हें दूर कर दिया ,

" ऐसे नहीं यार , ठीक से। "

और फिर मेरे तलुवों से ले के धीमे धीमे उपर तक ,

थोड़ी देर मे मैं डॉगी पोज में ,

और वो मेरे बड़े चूतड़ों को चूम रहे थे चाट रहे थे।

मैंने दोनों हाथों से अपने नितम्बों को फैलाया और इशारा वो समझ गए , सीधे सेंटर में ,छेद पे।

कुछ देर तक तो थोड़ा वो शर्माए , झिझके , फिर खुद अपने हाथ से फैला के , जीभ एकदम अंदर, और चाटने लगे।

मजे से अब मेरी हालत खराब ,

" हाँ चाट चाट , और जोर से पूरे अंदर तक डाल के , हाँ हाँ ,. . मस्त चाटते हो , तेरी उस बहन कम माल की भी
ऐसे ही चटवाउंगी , पहले चाटना फिर मारना उसकीगांड , हाँ बहनचोद हाँ ,… "

और अबकी ड्रेसिंग टेबल पर , सब काम उन्होंने खुद किया ,

और अबकी ड्रेसिंग टेबल पर , सब काम उन्होंने खुद किया ,

सीधी मांग काढना , लिपस्टिक ,

नेल पालिश ,हलका सा काजल , यहाँ तक की बिछुए और पायल भी ,…

हाँ मांग में सिन्दूर मैंने ही भरा।

इस बार उन्होंने अपनी वार्डरोब से निकाल के शलवार सूट ,

अंदर एक अंडरवायर्ड ब्रा , पिंक लेसी पैंटी , और मैंने ' उसको ' टेप में नहीं बांधा , बस एक साइड मेंअड्जस्ट कर दिया।

(ये एकदम साफ था की लड़कियों के ड्रेस से उनका , एकदम टनटना जाता था। )

और फिर मैंने उन्हें एक गिफ्ट पैक दिया , मम्मी की ओर से ,

मैचिंग धानी दुपटटा।

कैसे दुपट्टा ओढ़ा जाय , जिससे एक एक उभार थोड़ा दिखे , एक छिपे ,मैंने दुपट्टा एडजस्ट करते समझाया।

" एकदम मस्त माल लग रहे हो , मेरा मतलब लग रही हो , जरा एक दो सेल्फी खींच लो "

और अबकी खुद उन्होंने मेरे स्मार्ट फ़ोन पे चार सेल्फ़ी खींची जो अगले ही पल मैंने मम्मी को व्हाट्सऐप कर दी।

खाने में भी टेबल सेट करना , सर्व करना , स्वीट डिश में मैंगो और वनीला आइसक्रीम।

" यार सुनो , मंजू बाई तो आएगी नहीं , तुम बरतन अभी निबटा दो , फिर आओ , थोड़ी देर आराम करते हैं। "

मैं बोली।

वो किचेन में , मैं बेडरूम में।

मैं सीरियल सर्फ कर रही थी और किचेन से बरतन धुलने की आवाजें आ रही थीं।

"मेरे भैय्या अपने हाथ से एक ग्लास पानी भी नहीं लेते। "

मुझे अपनी उस चुहिया ननद की बात याद आ रही थी।

" आप क्या जानेगीं मेरे भैय्या को तीन महीने में "

" तुझे तेरे भैय्या की रखैल न बनाया तो ,कहना "

मैंने सोचा और टीवी बंद कर मांम से बाते करने लगीं।

मेरी ननद ,उनका 'माल'

" तुझे तेरे भैय्या की रखैल न बनाया तो ,कहना " मैंने सोचा और टीवी बंद कर मांम से बाते करने लगीं।

वह लौटे तो एकदम थके हारे , पसीने पसीने।

जुलाई की उमस , बादल उमड़ घुमड़ रहे थे सुबह से लेकिन बरस नहीं रहे थे।

और वो भी पहली बार , बेड टी ,नाश्ता ,झाड़ू पोंछा ,बर्तन, खाना ,फिर टेबल साफ करने के लेकर बरतन और किचेन की सफाई।

बेड रूम में एसी फुल ब्लास्ट पर था , मैं एक हल्का कम्बल लपेटे , टीवी पे सीरियल देख रही थी।

'दरवाजा बंद कर दो ,आ आजाओ कम्बल के अंदर , एकदम थक गए हो थोड़ा आराम कर लो "

मैंने कम्बल हलके से उठा के उन्हें अंदर खींच लिया।

कुछ देर में पसीना सूख गया था , और वो भी मेरे साथ अधलेटे , सीरियल देख रहे थे।

और एक कच्ची कली थी सीरियल में , उनकी निगाह बस उसके उसके छोटे छोटे टिकोरे पे ,

" एकदम तेरे माल जैसे ;लगती हैं न , उभार एकदम वैसे ही हैं न "

मैंने कंबल के अंदर उन्हें भींचते पूछा।

उन्होंने हामी में सर हिलाया।

" हे सच बोल , कभी उसकी ली थी क्या सच बोलना मेरी कस्सम , मेरा मतलब अरे यार चुम्मी वुम्मी कभी ऐसे ही खेल खेल में ,चुपके से। "

उन्होंने मना कर दिया , सर हिला के लेकिन फिर खुद ही चालू हो गए जब मैंने पूछा ,

" अच्छा टच वच "

" बहुत हलके से बस एक बार ,'

अब वो धीरे धीरे खुल रहे थे। उनकी निगाह सीरियल की कच्ची कली पर ही थी।

मैं चुपरही और उन्होंने रुक के बोलना शुरू कर दिया ,

बचपन के दिन भुला न देना : उनका माल , मेरी ननदिया

" बहुत हलके से बस एक बार ,' अब वो धीरे धीरे खुल रहे थे। उनकी निगाह सीरियल की कच्ची कली पर ही थी।

मैं चुपरही और उन्होंने रुक के बोलना शुरू कर दिया ,

" एक बार हम सब लोग शादी में गए थे , सब लोग , बहुत भीड़ थी , जाड़े के दिन। सब रजाई ओढ़ के सो रहे थे , मैं भी लेटा और वो मेरे बगल में। बिजली चली गयी थी , रात में १२ से ४ पावर कट होता था। सब लोग एकदम गहरी नींद में ,करीब दो तीन साल पहले की बात है तब हाईकॉलेज में गयी गयी थी वो । "

उन्होंने थूक घोंटा , मैंने अंदाज लगाया चौदह पंद्रह की रही होगी तब वो।

उनके कान को जीभ से हलके सहलाते हुए मैंने उन्हें उकसाया , " फिर "

कुछ देर रुक कर उन्होंने बताना शुरू किया।

" वो एकदम गहरी नींद में सो रही थी। मैं भी थोड़ी नींद में , नींद में ही मेरा हाथ उसके ऊपर , …वहां ,…सीने पर , उसे पता नहीं चला , फ्राक में उसका सीना हलके हलके ऊपर नीचे हो रहा था. मेरी नींद , हलकी सी बस खुली ,…मैने हलके से जैसे गलती से , बहुत हलके से दबाया। "

" फिर ,… " अब मेरी हालत ख़राब हो रही थी , मैंने उन्हें खूब प्यार से भींचा।

" थोड़ी देर तक बस ऐसे ही लेकिन जब मुझे लगा की वो खूब गहरी नींद में सो रही है , और अगल बगल भी , सब लोग रजाई सर तक ओढ़ के सो रहे थे , तो,… तो,… तो थोड़ी हिम्मत कर के मैंने हलके से दबाया।
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