Episode 10
बहुत हलके से , एकदम रूई के फाहे जैसा , मुलायम
( वो जैसे उस दिन की यादों में खो गए थे। )
फिर अबकी उनके गालों पर अपने होंठ छुला के मैंने पूछा ,
"फिर आगे क्या किया। "
" वो असल में ,पता नहीं कैसे , क्या हो गया था मुझे , मालूम था की तीन चार घंटे लाइट नहीं आएगी , सब लोग रजाई में सो रहे थे ,इसलिए और वो भी ज्यादातर बच्चे ,इसलिए हिम्मत कर के , वो , वो भी खूब गहरी नींद में थी इसलिए , थोड़ी देर छूआ , फिर हलके से दबाया , बहुत धीरे से ,"
" कैसा लगा " मैंने और उकसाया
" कॉटन की फ्राक के ऊपर से , अच्छा लग रहा था , बहुत अच्छा। मुलायम था , छोटा छोटा ,जैसे कोई बादल का टुकड़ा मेरे हाथ में आ गया हो। फिर हिम्मत कर के जब वो नहीं जगी , तो मैंने पूरा अपनी हथेली में पकड़ लिया और दबाने लगा , बहुत अच्छा लग रहा था। हलके हलके दबा रहा था। "
" क्या दबा रहे थे साफ साफ बोलो न " मैंने चढ़ाया।
" वो ,वो उसका सीना " उन्होंने कबूला ,लेकिन मेरे लिया इतना काफी नहीं था।
" अरे यार , तुझे इतना रात भर सिखाया , साफ साफ बोलो न , " मैंने उन्हें और चढ़ाया।
' वो वो उसका जोबन , उसकी चूं , उसकी चूंची करीब १०-१२ मिनट तक दबाया धीमे धीमे ,फिर थोड़ा जोर से ,"
"फिर,… "
"मुझे लगा शायद वो जग गयी है इसलिए ,मैंने हाथ हटा लिया उसके उभारों , जोबन से। "
"उसने कुछ किया क्या जिससे तुम्हे लगा की वो जग गयी। "
"थोड़ा कुनमुनाई थी , वो फिर उसने करवट ले लिया मेरी ओर " उन्होने साफ किया और जोड़ा ,
"नींद में उसने अपना हाथ मेरे ऊपर रख दिया था और एक टांग भी , पकड़ के मुझे सो गयी’ "
बुद्धू रहोगे तुम इतना खुला सिग्नल दे रही थी वो , मैंने सोचा ,फिर पूछा उसकी घुंडी , निपल दबाये थे।
" हाँ ऊँगली से छुआ था फिर अंगूठे और तर्जनी के बीच बहुत हलके से पकड़ा ,तभी वो कुनमुनाई और मैंने छोड़ दिया " कबूला उन्होंने।
" फिर , " मैंने सवालों का सिलसिला बंद नहीं किया।
" कुछ नहीं , मैं थोड़ी देर आँखे मूंदे लेटा था। फिर एकदम नींद में वो मेरी ओर मुड़ी और , . . " वो कुछ सोच के बोले।
" और , … फिर " मैं अपनी उत्सुकता नहीं रोक पा रही थी।
"फिर वही जो बोला था न मेरी ओर करवट कर के , सुबह भी जब मेरी नींद खुली तो वो उसी तरह ". उन्होंने कबूला।
इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे ,…
सिग्नल
" सही कह रही हो मैं डर रहां था की कहीं , लेकिन वो कुछ ज्यादा ही चुलबुली लग रही थी , और एक बार किसी काम के चक्कर में उसने मुझे छत पे बुलाया ,शादीकी गहमागहमी में सब लोग नीचे थे और हम दोनों छत पर एकदम अकेले , उसने आँख नचा शरारत से मुझसे पूछा , इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे
' अगले दिन उसने कोई शिकायत विकायत तो नहीं , "
मैं जानती थी वो क्या सोच रहे होंगे , इसलिए मैंने पूछ लिया।
" भैया कल रात को आप को लगता है ठीक से नींद नहीं आ रही थी। "
मैं तो घबड़ाया लेकिन वो बहुत अदा से बोली , " कोई बात नहीं , मुझे भी ठीक से नींद नहीं आ रही थी। " और जब तक मैं कुछ और बोलता , सीढ़ी से सीधे नीचे वो।
" कुछ और तो नहीं बोला था "मैं खोद खोद के पूछ रही थी।
वो थोड़ी देर चुप रहे जैसे कुछ सोच रहे हों , और फिर बोले ,
"हाँ ,सीढ़ी पे वो रुक गयी थी और जब मैं उसके पास पहुँच गया तो , हलके से मुस्करा के बोली ,
" आप बहुत सीधे हो , जितना मैं सोचती थी , उससे भी ज्यादा "
और ये कहके हंसती हुयी नीचे उत्तर गयी।
और मैं समझ गयी उसका मतलब। सच में इतने सिगनल , फिर भी इंजन भरतपुर के स्टेशन पे नहीं घुसा।
" दिन में देर तक , मैं उसकी सहेलियों के साथ मिल के कभी डेकोरेशन , कभी शॉपिंग , हाँ एक बात और , जब मैं शॉपिंग के लिए जा रहा था तो वो मुझसे अकेले मेंआके बोली ,उसकी केयर फ्री खत्म हो गयी है , मैं ले आऊं , लेकिन बाजार में पहुंचा ही था उसका एक एस एम एस आया, ढेर सारी स्माइलिज और ' रहने दो , अबजरूरत नहीं है। छुट्टी खत्म।
मेरा तो मन हुआ माथा पीट लूँ।
और मैंने बोल ही दिया ,
" यार तुम बास्तव में बुद्धू हो। ये उसका कहने का तरीका था की उसके ' वो दिन ' खत्म हो गए हैं और वो रेड़ी है। उस दिन तो लड़की को वो खुजली मचती है कीबस , और उससे बढ़ के वो एकदम सेफ दिन होता। तुमसे ज्यादा तो वो ही , अच्छा जाओ जरा हमलोगों का वेडिंग एलबम ले आओ।
वो ले आये।
मैंने एक फोटो निकाल ली आपने वेडिंग एल्बम से , एकदम मस्त माल लग रही थी।
झूम झूम के वो नाच रही थी। इस फोटो में उसकी चुन्नी नीचे सरक गयी थी , और उसके छोटे छोटे कड़े कड़े ,नए आये उभार एकदम साफ दिख रहे थे ,और हलकासा क्लीवेज भी।
" कित्ते मस्त लग रहे हैं न उसके जोबन , एकदम दबाने लायक " मैंने उनकी आँखों में आखें डाल कर कहा।
उनकी आँखे भी अपनी उस मस्त ममेरी बहन के उभारों से चिपकी थीं।
मैंने उनकी ऊँगली पकड़ कर , उसके कच्चे टिकोरों पे रख दीं।
" दबाओगे ने , इसे बोल न " मैंने और उकसाया।
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,. . हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा। [/
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,. . हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा।
वो उस रात की यादों में खोये हुए थे जब यही उभार उनकी मुट्ठी में थे।
" हाँ बहुत , खूब अच्छा लग रहा था। " ख्यालों में डूबे वो बोले।
" फ्राक के ऊपर से ही दबाया था न " मैंने हलके से उनके कान में फुसफुसाया।
" हाँ पतली सी ,कॉटन की फ्राक थी , बहुत अच्छा लग रहा था दबाने में। " वो खोये खोये बोले।
" हाँ उसके टिकोरे हैं ही बहुत मस्त , अबकी मायके चलोगे न अपने तो दिलवा दूंगी उसकी खोल के ,बोल दबाओगे न " उनका नाड़ा खोलते हुए मैंने पूछा।
जवाब उनके औजार ने दिया , एकदम टनाटन। खूब कड़ा ,तना।
" सिर्फ उसके जोबन , चूंचियां दबाने में मजा आया था , या उसकी घुन्डियाँ भी पकड़ने में " मैंने हलके हलके मुठियाते पूछा।
" घुन्डियाँ भी , मटर के दाने ऐसी थीं कड़ी कड़ी। " वो बोले।
अब मैंने उनका औजार उनके हाथ में पकड़ा दिया और एक दो बार ऊपर नीचे करके , फिर बोला ,
" चल न दिलवा दूंगी उसकी लेकिन अबकी मत शरमा के बीच में , पहले उाकी हलके हलके पकड़ के छूना , सहलाना , खूब हलके से जैसे उस रात कर रहे थे , फिरधीरे धीरे दबाना। "
हूँ हलके से वो बोले और उन्होंने अपना मुठियाना शुरू कर दिया था।
" बहुत मजा अायेगा उसके मम्मे दबाने में ,सच्ची , फिर जोर जोर से दबाना ,रगड़ना ,मसलना " मैं हलके से उनके कान में बोली।
वो एकदम खोये खोये थे आँखे बंद , " लेकिन अगर वो मना करे तो :
बहुत धीमे से वो बोले।
मैं हूँ न तुम काहें चिंता कर रहे हो , मैं दिलवाऊँगी उसकी , सीधे से न माने तो जबरन , इत्ते दिन से तुम्हे अपने उभार दिखा दिखा के ललचा रही है , पहले तो खूबचूंची दबाना , फिर घुंडी भी। और एक घुंडी मुंह में ले के हलके हलके चूसना चुभलाना , बहुत रस है साली के जुबना में। "
जवाब उनका हाथ दे रहां था , मुठियाने की स्पीड बढ़ गयी थी।
" हाँ , हूँ " उनकी आँखे आधी बंद थी , वो सिसक रहे थे।
" और थोड़ा बहुत छिनालपना करे न ,नखड़ा दिखाए न तो जबरदस्ती करना , कस कस दबाना ,मसलना उसकी चूंची , देखना कुछ देर में ही खुद ही साल्ली ,छिनारबोलेगी , ' हाँ भइया , और जोर से दबाओ , कस कस के मसलो ,रगड़ो मेरी चूंची। ' छोड़ना मत उसको। " मैं उनको और जोर से चढ़ा रही थी।
वह कल्पना की दुनिया में खो गए थे , और मुठियाने की रफ्तार तेज हो गयी थी।
बचपन की बातें ,
अब तक
" उस दिन रात में उसके, उसके, गुड्डी के ,. तेरी ममेरी बहन के मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न "
मैंने पूछा।
वो उस रात की यादों में खोये हुए थे जब यही उभार उनकी मुट्ठी में थे।
" हाँ बहुत , खूब अच्छा लग रहा था। " ख्यालों में डूबे वो बोले।
" फ्राक के ऊपर से ही दबाया था न , हाईकॉलेज में गयी ही थी न तब " मैंने हलके से उनके कान में फुसफुसाया।
" हाँ पतली सी ,कॉटन की फ्राक थी , बहुत अच्छा लग रहा था दबाने में। हाँ नौवैं में थी , "
वो खोये खोये बोले।
" हाँ उसके टिकोरे हैं ही बहुत मस्त , अबकी मायके चलोगे न अपने तो दिलवा दूंगी उसकी खोल के ,बोल दबाओगे न "
उनका नाड़ा खोलते हुए मैंने पूछा।
जवाब उनके औजार ने दिया , एकदम टनाटन। खूब कड़ा ,तना।
" सिर्फ उसके जोबन , चूंचियां दबाने में मजा आया था , या उसकी घुन्डियाँ भी पकड़ने में " मैंने हलके हलके मुठियाते पूछा।
" घुन्डियाँ भी , मटर के दाने ऐसी थीं कड़ी कड़ी। " वो बोले।
अब मैंने उनका औजार उनके हाथ में पकड़ा दिया और एक दो बार ऊपर नीचे करके , फिर बोला ,
" चल न दिलवा दूंगी उसकी लेकिन अबकी मत शरमा के बीच में , पहले उाकी हलके हलके पकड़ के छूना , सहलाना , खूब हलके से जैसे उस रात कर रहे थे , फिर धीरे धीरे दबाना। "
हूँ हलके से वो बोले और उन्होंने अपना मुठियाना शुरू कर दिया था।
" बहुत मजा अायेगा उसके मम्मे दबाने में ,सच्ची , फिर जोर जोर से दबाना ,रगड़ना ,मसलना "
मैं हलके से उनके कान में बोली।
वो एकदम खोये खोये थे आँखे बंद , " लेकिन अगर वो मना करे तो :
बहुत धीमे से वो बोले।
मैं हूँ न तुम काहें चिंता कर रहे हो , मैं दिलवाऊँगी उसकी , सीधे से न माने तो जबरन , इत्ते दिन से तुम्हे अपने उभार दिखा दिखा के ललचा रही है , पहले तो खूब चूंची दबाना , फिर घुंडी भी। और एक घुंडी मुंह में ले के हलके हलके चूसना चुभलाना , बहुत रस है साली के जुबना में। "
जवाब उनका हाथ दे रहां था , मुठियाने की स्पीड बढ़ गयी थी।
" हाँ , हूँ " उनकी आँखे आधी बंद थी , वो सिसक रहे थे।
" और थोड़ा बहुत छिनालपना करे न ,नखड़ा दिखाए न तो जबरदस्ती करना , कस कस दबाना ,मसलना उसकी चूंची , देखना कुछ देर में ही खुद ही साल्ली ,छिनार बोलेगी , ' हाँ भइया , और जोर से दबाओ , कस कस के मसलो ,रगड़ो मेरी चूंची। ' छोड़ना मत उसको। " मैं उनको और जोर से चढ़ा रही थी।
वह कल्पना की दुनिया में खो गए थे , और मुठियाने की रफ्तार तेज हो गयी थी।
आगे
" देखना , वो तेरा माल इतना मस्त हो जाएगा न की खुद टाँगे फैला देगा चुदवाने को। चुदवासी तो वो तबसे हो गयी है ,जबसे चौदह की हुयी , अब तो अच्छी खासी गदरा गयी है , इंटर में पहुँच गयीं है। बिना चोदे मत छोड़ना उस को, भले ही लाख चीखे चिल्लाये। हाँ और जोर से ,हचक हचक के पेलना लंड उसकी कच्ची चूत में , जब फटेगी तो बहुत चिल्लाएगी , लेकिन बिना फाड़े मत छोड़ना। "
अब मैंने गियर चेंज कर दिया था और वो भी ,
खूब तेजी से मुठिया रहे थे , आँखे बंद , जैसे सोच रहे हों कैसे अपने बचपन के माल की नथ उतारेंगे।
" अरे और जोर से धक्के मारों न कच्ची चूत है , बहुत कसी , झिल्ली भी फाड़नी है , और ,… और जोर से ,…हा पूरी ताकत से "
मैं हलके हलके कान में उनके बोल रही थी , गाल सहला रही थी ,आग और भड़का रही थी।
पुराने जमाने में ६०-६१ गिनने तक , उनकी फुस्स हो जाती थी ,लेकिन आज फुल स्पीड में ८४ -८५ हो चुका था और उनकी स्पीड कम नहीं हो रही थीं।
उनके दूसरे हाथ में उनकी ममेरी बहन का वो स्नैप था ,
" चोद साले , चोद ,चोद अपने बहिन को चोद बहनचोद ,एक बार उसकी कसी चूत चोद दे फिर उसके बाद बहन चोद तुझे ,… "
और ये बोलने के साथ मेरा नाखून उनके सुपाड़े के पी होल पे , फिर तो सफेद ज्वालामुखी फूट पड़ा।
खूब ढेर सारी गाढ़ी सफेद थक्केदार मलाई , सीधे उनके माल के जोबन पे ,
" हाँ हाँ और पहले बहनचोद , … फिर,. . मादरचोद "
मैंने बहुत हलके से कहा ,लेकिन उसका असर हुआ की अबकी पहले से भी ज्यादा जोर से
खूब ढेर सारी मलाई रबड़ी फिर अबकी पहले से भी ज्यादा ,
फोटो पूरी तरह उनके सफेद मलाई से लिपटी थी।
" बहुत खुश होगी , जब उसे पता चलेगा की उसके बारे में सोच सोच के उसके प्यारे भैया का ये हाल हुआ। ज़रा चख तो लो ,
और उस फोटो से उठा के मैंने सीधे उनके होंठों पे ,
उन्होंने चाट लिया।
" ये समझ लो , अगली बार सारी मलाई सीधे तेरे माल की बुर में जायेगी "
और फोटो मैंने उनके होंठों से लगा लिया और उन्होंने सब कुछ चाट लिया।
ये कहने की बात नहीं , मैंने सारी हरकत अपने स्मार्ट फोन पे रिकार्ड कर ली और एक छोटा सा वीडियो भी।
स्नैप्स सारे मम्मी को व्हाटसऐप हो गए।
मम्मी और बर्थडे ब्वाय , मेरे बालम
स्नैप्स सारे मम्मी को व्हाटसऐप हो गए।
और मैंने एक क्लोज अप ले लिया , उनके होंठ सीधे , अपने माल के बूब्स पे।
ये वही फोटो थी ,मैंने बोला था न हमारी शादी के तीन चार दिन बाद मैंने अनजाने में कंडोम अपने अल्बम में रख दिया था , इसी फोटो के साथ।
वो इतने नाराज हुए की ,कंडोम तो उन्होंने हटा के झटके से फ़ेंक दिया , फोटो कितनी बार साफ की , रात भर बोले नहीं। मेरी ओर पीठ कर सो गए।
मम्मी का मेसेज आया।
और मैंने स्काइप आन कर दिया।
मैं उनका नाड़ा बाँधने की कोशिश कर रही थी तभी स्काइप पे वो अवतरित हुईं।
वो बिचारे बहुत झेंपे ,लेकिन ,…
" कैसा है बर्थडे ब्वॉय ,मेरा मुन्ना ,… "
मम्मी पूरे रंग में थीं।
" अरे मम्मी , बिचारे नाड़ा नहीं बाँध पा रहे हैं। अपनी माँ बहनों का नाड़ा खोल खोल कर बचपन से नाड़ा खोलने की तो प्रैक्टिस हो गयी लेकिनआपकी समधन ने उन्हें नाड़ा बंद करना सिखाया ही नहीं ".
मैंने भी बहती गंगा में हाथ धोया।
मम्मी भी ,वो मुझसे ज्यादा अपने दामाद का पक्ष लेती थीं , बोलीं
" अरे तो मेरे बिचारे सीधे साधे मुन्ने को क्यों दोष देती हो , अपनी सास को दोष दो न। "
फिर एक ठंडी सांस लेकर बोलीं ,
" लेकिन बिचारी समधन जी भी क्या करें , एक बार उनका नाड़ा खुल गया तो छैले बाँधने नहीं देते , एक के बाद एक , और अभी तो हैं भी तो टनाटन मॉल। नहींबिश्वास हो तो उस छिनार के पूत से पूछ लो , क्यों मुन्ना है न सही बात , उनकी तलैया में गोता खाने वालो की लाइन लगी रहती हैं न। अच्छा बस एक बात बताओ, जब मेरी समधन का नाड़ा खुला था , खुला तो अक्सर ही रहता है , तो तूने उनकी बुलबुल तो देखी होगी न , कैसे लाल लाल चोंच चियारे रहती है ,चारा खाने केलिए। बोल न।
मैं जोर जोर से खिलखिलाने लगी और उनको कुहनी मार के बोला ,
" अरे मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोल न। क्या लौंडियों की तरह शर्मा रहे हो , आखिर तेरे मातृभूमि के बारे में पूछ रही हैं। तुम्हे अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं है क्या , और फिर आज तेरी बर्थडे है , तो जहाँ से निकले थे , उसे याद करने का , देखा तो होगा , बताओ न मम्मी को , … मेरी सास की चिरैया के बारे में , कैसी है ,"
मम्मी भी उस हमले में शामिल हो गयीं ,
"अरे मेरी बिटिया सही तो कह रही है , सोच न आखिर मेरी समधन ने न जाने कितनो से अपने गद्दर जोबन मिजवाये होंगे , कितनो के पास जाके चुदवाया होगा , फिर वो गाभिन हुयी होंगी , फिर उनकी चूत से तू निकला होगा , इसमें शरमाने की क्या बात हैं। तो आज तो उस मातृभूमि को याद करने का दिन है न जिसमें कितनोका लंड गया होगा , किसी की सफल चुदाई के बाद उनकी चूत से तू निकला होगा , और मातृभूमि क्या साफ साफ क्यों नहीं बोलती उस पंचभतारी ,छिनार के पूत सेअपनी माँ के बुर ,… "
मम्मी अब एकदम फुल स्पीड में चालू हो गयी थीं।
वह जोर जोर से ब्लश कर रहे थे , लेकिन मुझे पता था की उन्हें कितना मजा आ रहा है।
" अरे क्यों लौंडिया की तरह शर्मा रहे हो , मम्मी सच तो कह रही हैं , बोलो न खुल के ,मम्मी की बात का जवाब दो न "
मैंने उन्हें छेड़ा।
" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा ,
" इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा , बोल गिफ्ट कैसी लगी। "
वो बिचारे और जोर शर्माए लेकिन मैंने जब जोर से घूरा तो घबड़ा के बोले , " अच्छा है ,मम्मी ,पसंद है मुझे। "
उनकी निगाह उस दुपट्टे पे थी जो मम्मी की गिफ्ट थी।
" कलर एकदम मैचिंग हैं न " मम्मी ने फिर पूछा
मम्मी की समधन
" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा , " इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा , बोल गिफ्ट कैसी लगी। "
वो बिचारे और जोर शर्माए लेकिन मैंने जब जोर से घूरा तो घबड़ा के बोले , " अच्छा है ,मम्मी ,पसंद है मुझे। "
उनकी निगाह उस दुपट्टे पे थी जो मम्मी की गिफ्ट थी।
" कलर एकदम मैचिंग हैं न " मम्मी ने फिर पूछा।
"हाँ मम्मी ," अब वो एकदम खुल के मम्मी से बोल रहे थे। उनकी झिझक बहुत कम हो गयी थी।
"जोबन तो तेरे मस्त लग रहे हैं , " मम्मी बोली और उन्हें दुपट्टा कैसे ओढ़ें की उभार दिखें ज्यादा ,छुपे कम ,समझाने लगी। लेकिन फिर उन्होंने अचानक एक सवाल दाग दिया ,
" तुम इत्ते मस्त चिकने हो ,नमकीन, बचपन में लड़के तेरे पीछे बहुत पड़े रहते होंगे। "
अब तो उन्होंने ऐसे ब्लश की जैसे कोई गौने की दुल्हन , जिसके मायके के राज उसकी सास को पता चल गए हों।
और मैं भी मम्मी के साथ ,
" अरे बोल न , क्या शरमा रहे हो ,मम्मी से कोई बात छिपाता है क्या।
" अरे तेरी माँ बहन सारे मोहल्ले को बांटती फिरती है , उसमे बुराई थोड़े ही है ,कोई पैसे थोड़े लेती हैं बस सब का दिल रखती हैं , तो अगर तुमने भी दो चार का दिल रख दिया तो क्या बुरी बात है। "
मम्मी बोलीं और हम दोनों खिलखिलाने लगे।
लेकिन इनकी शरम देख के मुझे दया आ गयी और मैंने बात बदलने के लिए मम्मी से कहा ,
" अरे मम्मी न जाने किससे किससे चुदवा के आज के दिन आपकी समधन ने बच्चा जना था तो कुछ सोहर वोहर तो होना चाहिए न। "
गाने के लिए तो मम्मी से कहने की बस देर है है और खास तौर से जब वैसे वाले गाने हों ,
बस उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा दी ,
" तुम लोगों की भी गाना पडेगा साथ साथ "
मैंने उनकी ओर देखा और मम्मी चालू हो गयीं ,
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
चोली मत मांगो समधन ,देह का सिंगार रे ,
कहे सुने जो चोली दूंगी , बंध लुंगी काट रे ,
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
बरतन मत मांगो समधन ,रसोई का सिंगार रे ,
कहे सुने जो बटला दूंगी , पेंदा लूंगी काट रे।
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
सैयां मत मांगो समधन ,सेज का सिंगार रे।
अरे सैयां के बदले , अरे सैयां के बदले ,
दामाद दूंगी , चोदी चूत तोहार रे ।
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
सोहर , मम्मी और बर्थडे ब्वाय , मेरे साजन
सैयां मत मांगो समधन ,सेज का सिंगार रे।
अरे सैयां के बदले , अरे सैयां के बदले ,
दामाद दूंगी , चोदी चूत तोहार रे ।
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
और फिर एक बार फिर मैं और मम्मी खिलखिला के हँसे पड़े , मैंने माम से कहा ,
" मम्मी आपने तो इन्ही को चढ़ा दिया , मेरी सास के ऊपर। "
" और क्या ,पूरे गाँव देहात को बाँटती रहती हैं ,समधन जी और मेरा मुन्ना बिचारा भूखा प्यास मुंह देखता रहता है , अच्छी बात है क्या। फिर उनको भी तो मजाआएगा एक जवान मर्द चढ़ के हचक हचक के , दोनों जुबना पकड़ पकड़ के , . . "
फिर मम्मी ने सवाल का रुख उनकी ओर किया ,
" क्यों मुन्ना लेगा न मेरी समधन की ,दिलवाने की जिम्मेदारी मेरी। "
और जवाब उनके बदले मैंने दिया। आखिर सब पावर आफ अटार्नी , उन्होंने लिख दी थी मेरे नाम।
" अरे मम्मी आप की कोई बात आज तक टाली है उन्होंने जो ये टालेंगे , एकदम। "
मम्मी खुश और अपने समधन के लिए दूसरा गाना उन्होंने शुरू कर दिया ,
एक से एक ,
अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में , अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में ,
सब का काटे अगली बगली ,सब का काटे अगली बगली
अरे मुन्ना के अम्मा को , हमरी समधन को काटे भोसड़िया में।
अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में , अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में ,
सब का काटे अगली बगली ,सब का काटे अगली बगली।
मुन्ने की अम्मा छिनार , हमार समधन छिनार ,
जो तेल लगाए वो भी छिनार , जो दूध पिलाये वो भी छिनार
अरे तोरी अम्मा छिनार , तोरी बहना छिनार ,
अरे कहाँ से आई सोंठ ,कहा से आया जीरा ,
अरे किसने चोदी जच्चा रात मेरी गोइयां।
मुन्ने के मामा ने चोदी जच्चा , रात मेरी गोइयाँ।
एक के बाद एक , माम के पास तो ऐसे गानों का जखीरा था।
और फिर मैं भी शामिल हो गयी बहती गंगा में हाथ धोने में , अपनी सास और ननदों का हाल चाल बताने में ,
कामदानी दुपट्टा हमारा है ,कामदानी ,
अरे मुन्ने की अम्मा ने हमारी सासु ने , एक दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया ,तुर्क पठान किया ,
भंगी ,चमार किया ,सारा पाकिस्तान लिया।
अरे नौ सौ ,हो जी नौ सौ , पण्डे बनारस के,
अरे नौ सौ छैले लखनऊ के , नौ सौ।
( लखनऊ हमारा शहर था )
मुन्ने की बहनी ने , गुड्डी छिनार ने
ननदी छिनार ने , एक किया दो साढ़े तीन किया
हिन्दू * किया ,तुर्क पठान किया ,
अरे नौ सौ भडुवे बनारस के , नौ सौ गदहे ऐलवल के
( ऐलवल , मेरी ननद का मोहल्ला )
उनकी हालत खराब थी ,लेकिन मम्मी इत्ती आसानी से छोड़नी वाली नहीं थी और हम दोनों ने , हम दोनों का ज्वाइंट भजन शुरू हुआ ,
गंगा जी तुम्हरा भला करे , गंगा जी तुम्हरा भला करे ,गंगा जी।
तोहरी बहना क बुरिया , तोहरी अम्मा क बुरिया ,
पोखरवा जैसी , तालवा जैसे ,गढ़हिया जैसी ,
ओहमें ९०० गुंडे नहाया करे , डुबकी लगाया करें ,
गंगा जी
तोहरी बहना क बुरिया , तोहरी अम्मा क बुरिया ,
बटुलिया जैसी , पतिलवा जैसी जिसमें ९ मन चावल पका करे
गंगा जी …
फिर मैंने एक शुरू किया , मम्मी का फेवरिट ,
हमरी सासु जी की बिलिया में क्या क्या अमाये,क्या क्या समाये ,
मुन्ने की अम्मा की बुरिया में क्या क्या जाए , क्या समाये।
गदहा जाए ,घोड़ा जाए ,ऊंट बिचारा गोता खाए ,
मुन्ने के मामा जांय ,कमर पकड़ के धक्का लगाएं
मुझसे ज्यादा जोश से मम्मी उन्हें छेड़ छेड़ के गा रही थीं ,
और मैंने उन्हें और चिढ़ाया ,
" क्या मम्मी इनके मामा भी मेरी सासु के साथ ,… "
मम्मी ने मेरी बात अनसुनी करते हुएजैसे वो कुछ सोच रहीं हों , फिर अचानक बोली ,
" वो जो इसकी ममेरी बहन आई थी ,मस्त माल , जिसके टिकोरे देख के सारे लौंडे दीवाने हो रहे थे ,क्या नाम था उसका ,?"
मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने बोल दिया ,
" मम्मी ,गुड्डी। "
( वो जैसे उस दिन की यादों में खो गए थे। )
फिर अबकी उनके गालों पर अपने होंठ छुला के मैंने पूछा ,
"फिर आगे क्या किया। "
" वो असल में ,पता नहीं कैसे , क्या हो गया था मुझे , मालूम था की तीन चार घंटे लाइट नहीं आएगी , सब लोग रजाई में सो रहे थे ,इसलिए और वो भी ज्यादातर बच्चे ,इसलिए हिम्मत कर के , वो , वो भी खूब गहरी नींद में थी इसलिए , थोड़ी देर छूआ , फिर हलके से दबाया , बहुत धीरे से ,"
" कैसा लगा " मैंने और उकसाया
" कॉटन की फ्राक के ऊपर से , अच्छा लग रहा था , बहुत अच्छा। मुलायम था , छोटा छोटा ,जैसे कोई बादल का टुकड़ा मेरे हाथ में आ गया हो। फिर हिम्मत कर के जब वो नहीं जगी , तो मैंने पूरा अपनी हथेली में पकड़ लिया और दबाने लगा , बहुत अच्छा लग रहा था। हलके हलके दबा रहा था। "
" क्या दबा रहे थे साफ साफ बोलो न " मैंने चढ़ाया।
" वो ,वो उसका सीना " उन्होंने कबूला ,लेकिन मेरे लिया इतना काफी नहीं था।
" अरे यार , तुझे इतना रात भर सिखाया , साफ साफ बोलो न , " मैंने उन्हें और चढ़ाया।
' वो वो उसका जोबन , उसकी चूं , उसकी चूंची करीब १०-१२ मिनट तक दबाया धीमे धीमे ,फिर थोड़ा जोर से ,"
"फिर,… "
"मुझे लगा शायद वो जग गयी है इसलिए ,मैंने हाथ हटा लिया उसके उभारों , जोबन से। "
"उसने कुछ किया क्या जिससे तुम्हे लगा की वो जग गयी। "
"थोड़ा कुनमुनाई थी , वो फिर उसने करवट ले लिया मेरी ओर " उन्होने साफ किया और जोड़ा ,
"नींद में उसने अपना हाथ मेरे ऊपर रख दिया था और एक टांग भी , पकड़ के मुझे सो गयी’ "
बुद्धू रहोगे तुम इतना खुला सिग्नल दे रही थी वो , मैंने सोचा ,फिर पूछा उसकी घुंडी , निपल दबाये थे।
" हाँ ऊँगली से छुआ था फिर अंगूठे और तर्जनी के बीच बहुत हलके से पकड़ा ,तभी वो कुनमुनाई और मैंने छोड़ दिया " कबूला उन्होंने।
" फिर , " मैंने सवालों का सिलसिला बंद नहीं किया।
" कुछ नहीं , मैं थोड़ी देर आँखे मूंदे लेटा था। फिर एकदम नींद में वो मेरी ओर मुड़ी और , . . " वो कुछ सोच के बोले।
" और , … फिर " मैं अपनी उत्सुकता नहीं रोक पा रही थी।
"फिर वही जो बोला था न मेरी ओर करवट कर के , सुबह भी जब मेरी नींद खुली तो वो उसी तरह ". उन्होंने कबूला।
इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे ,…
सिग्नल
" सही कह रही हो मैं डर रहां था की कहीं , लेकिन वो कुछ ज्यादा ही चुलबुली लग रही थी , और एक बार किसी काम के चक्कर में उसने मुझे छत पे बुलाया ,शादीकी गहमागहमी में सब लोग नीचे थे और हम दोनों छत पर एकदम अकेले , उसने आँख नचा शरारत से मुझसे पूछा , इससे ज्यादा कोई लड़की क्या सिग्नल देगी , मैंने सोचा ,लेकिन ये भी तो एकदम निरे
' अगले दिन उसने कोई शिकायत विकायत तो नहीं , "
मैं जानती थी वो क्या सोच रहे होंगे , इसलिए मैंने पूछ लिया।
" भैया कल रात को आप को लगता है ठीक से नींद नहीं आ रही थी। "
मैं तो घबड़ाया लेकिन वो बहुत अदा से बोली , " कोई बात नहीं , मुझे भी ठीक से नींद नहीं आ रही थी। " और जब तक मैं कुछ और बोलता , सीढ़ी से सीधे नीचे वो।
" कुछ और तो नहीं बोला था "मैं खोद खोद के पूछ रही थी।
वो थोड़ी देर चुप रहे जैसे कुछ सोच रहे हों , और फिर बोले ,
"हाँ ,सीढ़ी पे वो रुक गयी थी और जब मैं उसके पास पहुँच गया तो , हलके से मुस्करा के बोली ,
" आप बहुत सीधे हो , जितना मैं सोचती थी , उससे भी ज्यादा "
और ये कहके हंसती हुयी नीचे उत्तर गयी।
और मैं समझ गयी उसका मतलब। सच में इतने सिगनल , फिर भी इंजन भरतपुर के स्टेशन पे नहीं घुसा।
" दिन में देर तक , मैं उसकी सहेलियों के साथ मिल के कभी डेकोरेशन , कभी शॉपिंग , हाँ एक बात और , जब मैं शॉपिंग के लिए जा रहा था तो वो मुझसे अकेले मेंआके बोली ,उसकी केयर फ्री खत्म हो गयी है , मैं ले आऊं , लेकिन बाजार में पहुंचा ही था उसका एक एस एम एस आया, ढेर सारी स्माइलिज और ' रहने दो , अबजरूरत नहीं है। छुट्टी खत्म।
मेरा तो मन हुआ माथा पीट लूँ।
और मैंने बोल ही दिया ,
" यार तुम बास्तव में बुद्धू हो। ये उसका कहने का तरीका था की उसके ' वो दिन ' खत्म हो गए हैं और वो रेड़ी है। उस दिन तो लड़की को वो खुजली मचती है कीबस , और उससे बढ़ के वो एकदम सेफ दिन होता। तुमसे ज्यादा तो वो ही , अच्छा जाओ जरा हमलोगों का वेडिंग एलबम ले आओ।
वो ले आये।
मैंने एक फोटो निकाल ली आपने वेडिंग एल्बम से , एकदम मस्त माल लग रही थी।
झूम झूम के वो नाच रही थी। इस फोटो में उसकी चुन्नी नीचे सरक गयी थी , और उसके छोटे छोटे कड़े कड़े ,नए आये उभार एकदम साफ दिख रहे थे ,और हलकासा क्लीवेज भी।
" कित्ते मस्त लग रहे हैं न उसके जोबन , एकदम दबाने लायक " मैंने उनकी आँखों में आखें डाल कर कहा।
उनकी आँखे भी अपनी उस मस्त ममेरी बहन के उभारों से चिपकी थीं।
मैंने उनकी ऊँगली पकड़ कर , उसके कच्चे टिकोरों पे रख दीं।
" दबाओगे ने , इसे बोल न " मैंने और उकसाया।
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,. . हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा। [/
ललचाई नज़रों से उसके उभारों को देखते उन्होंने स्वीकारा , " हूँ ,. . हाँ, …"
" उस दिन रात में उसके मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न " मैंने पूछा।
वो उस रात की यादों में खोये हुए थे जब यही उभार उनकी मुट्ठी में थे।
" हाँ बहुत , खूब अच्छा लग रहा था। " ख्यालों में डूबे वो बोले।
" फ्राक के ऊपर से ही दबाया था न " मैंने हलके से उनके कान में फुसफुसाया।
" हाँ पतली सी ,कॉटन की फ्राक थी , बहुत अच्छा लग रहा था दबाने में। " वो खोये खोये बोले।
" हाँ उसके टिकोरे हैं ही बहुत मस्त , अबकी मायके चलोगे न अपने तो दिलवा दूंगी उसकी खोल के ,बोल दबाओगे न " उनका नाड़ा खोलते हुए मैंने पूछा।
जवाब उनके औजार ने दिया , एकदम टनाटन। खूब कड़ा ,तना।
" सिर्फ उसके जोबन , चूंचियां दबाने में मजा आया था , या उसकी घुन्डियाँ भी पकड़ने में " मैंने हलके हलके मुठियाते पूछा।
" घुन्डियाँ भी , मटर के दाने ऐसी थीं कड़ी कड़ी। " वो बोले।
अब मैंने उनका औजार उनके हाथ में पकड़ा दिया और एक दो बार ऊपर नीचे करके , फिर बोला ,
" चल न दिलवा दूंगी उसकी लेकिन अबकी मत शरमा के बीच में , पहले उाकी हलके हलके पकड़ के छूना , सहलाना , खूब हलके से जैसे उस रात कर रहे थे , फिरधीरे धीरे दबाना। "
हूँ हलके से वो बोले और उन्होंने अपना मुठियाना शुरू कर दिया था।
" बहुत मजा अायेगा उसके मम्मे दबाने में ,सच्ची , फिर जोर जोर से दबाना ,रगड़ना ,मसलना " मैं हलके से उनके कान में बोली।
वो एकदम खोये खोये थे आँखे बंद , " लेकिन अगर वो मना करे तो :
बहुत धीमे से वो बोले।
मैं हूँ न तुम काहें चिंता कर रहे हो , मैं दिलवाऊँगी उसकी , सीधे से न माने तो जबरन , इत्ते दिन से तुम्हे अपने उभार दिखा दिखा के ललचा रही है , पहले तो खूबचूंची दबाना , फिर घुंडी भी। और एक घुंडी मुंह में ले के हलके हलके चूसना चुभलाना , बहुत रस है साली के जुबना में। "
जवाब उनका हाथ दे रहां था , मुठियाने की स्पीड बढ़ गयी थी।
" हाँ , हूँ " उनकी आँखे आधी बंद थी , वो सिसक रहे थे।
" और थोड़ा बहुत छिनालपना करे न ,नखड़ा दिखाए न तो जबरदस्ती करना , कस कस दबाना ,मसलना उसकी चूंची , देखना कुछ देर में ही खुद ही साल्ली ,छिनारबोलेगी , ' हाँ भइया , और जोर से दबाओ , कस कस के मसलो ,रगड़ो मेरी चूंची। ' छोड़ना मत उसको। " मैं उनको और जोर से चढ़ा रही थी।
वह कल्पना की दुनिया में खो गए थे , और मुठियाने की रफ्तार तेज हो गयी थी।
बचपन की बातें ,
अब तक
" उस दिन रात में उसके, उसके, गुड्डी के ,. तेरी ममेरी बहन के मम्मे छूने में ,सहलाने में मजा आया था न "
मैंने पूछा।
वो उस रात की यादों में खोये हुए थे जब यही उभार उनकी मुट्ठी में थे।
" हाँ बहुत , खूब अच्छा लग रहा था। " ख्यालों में डूबे वो बोले।
" फ्राक के ऊपर से ही दबाया था न , हाईकॉलेज में गयी ही थी न तब " मैंने हलके से उनके कान में फुसफुसाया।
" हाँ पतली सी ,कॉटन की फ्राक थी , बहुत अच्छा लग रहा था दबाने में। हाँ नौवैं में थी , "
वो खोये खोये बोले।
" हाँ उसके टिकोरे हैं ही बहुत मस्त , अबकी मायके चलोगे न अपने तो दिलवा दूंगी उसकी खोल के ,बोल दबाओगे न "
उनका नाड़ा खोलते हुए मैंने पूछा।
जवाब उनके औजार ने दिया , एकदम टनाटन। खूब कड़ा ,तना।
" सिर्फ उसके जोबन , चूंचियां दबाने में मजा आया था , या उसकी घुन्डियाँ भी पकड़ने में " मैंने हलके हलके मुठियाते पूछा।
" घुन्डियाँ भी , मटर के दाने ऐसी थीं कड़ी कड़ी। " वो बोले।
अब मैंने उनका औजार उनके हाथ में पकड़ा दिया और एक दो बार ऊपर नीचे करके , फिर बोला ,
" चल न दिलवा दूंगी उसकी लेकिन अबकी मत शरमा के बीच में , पहले उाकी हलके हलके पकड़ के छूना , सहलाना , खूब हलके से जैसे उस रात कर रहे थे , फिर धीरे धीरे दबाना। "
हूँ हलके से वो बोले और उन्होंने अपना मुठियाना शुरू कर दिया था।
" बहुत मजा अायेगा उसके मम्मे दबाने में ,सच्ची , फिर जोर जोर से दबाना ,रगड़ना ,मसलना "
मैं हलके से उनके कान में बोली।
वो एकदम खोये खोये थे आँखे बंद , " लेकिन अगर वो मना करे तो :
बहुत धीमे से वो बोले।
मैं हूँ न तुम काहें चिंता कर रहे हो , मैं दिलवाऊँगी उसकी , सीधे से न माने तो जबरन , इत्ते दिन से तुम्हे अपने उभार दिखा दिखा के ललचा रही है , पहले तो खूब चूंची दबाना , फिर घुंडी भी। और एक घुंडी मुंह में ले के हलके हलके चूसना चुभलाना , बहुत रस है साली के जुबना में। "
जवाब उनका हाथ दे रहां था , मुठियाने की स्पीड बढ़ गयी थी।
" हाँ , हूँ " उनकी आँखे आधी बंद थी , वो सिसक रहे थे।
" और थोड़ा बहुत छिनालपना करे न ,नखड़ा दिखाए न तो जबरदस्ती करना , कस कस दबाना ,मसलना उसकी चूंची , देखना कुछ देर में ही खुद ही साल्ली ,छिनार बोलेगी , ' हाँ भइया , और जोर से दबाओ , कस कस के मसलो ,रगड़ो मेरी चूंची। ' छोड़ना मत उसको। " मैं उनको और जोर से चढ़ा रही थी।
वह कल्पना की दुनिया में खो गए थे , और मुठियाने की रफ्तार तेज हो गयी थी।
आगे
" देखना , वो तेरा माल इतना मस्त हो जाएगा न की खुद टाँगे फैला देगा चुदवाने को। चुदवासी तो वो तबसे हो गयी है ,जबसे चौदह की हुयी , अब तो अच्छी खासी गदरा गयी है , इंटर में पहुँच गयीं है। बिना चोदे मत छोड़ना उस को, भले ही लाख चीखे चिल्लाये। हाँ और जोर से ,हचक हचक के पेलना लंड उसकी कच्ची चूत में , जब फटेगी तो बहुत चिल्लाएगी , लेकिन बिना फाड़े मत छोड़ना। "
अब मैंने गियर चेंज कर दिया था और वो भी ,
खूब तेजी से मुठिया रहे थे , आँखे बंद , जैसे सोच रहे हों कैसे अपने बचपन के माल की नथ उतारेंगे।
" अरे और जोर से धक्के मारों न कच्ची चूत है , बहुत कसी , झिल्ली भी फाड़नी है , और ,… और जोर से ,…हा पूरी ताकत से "
मैं हलके हलके कान में उनके बोल रही थी , गाल सहला रही थी ,आग और भड़का रही थी।
पुराने जमाने में ६०-६१ गिनने तक , उनकी फुस्स हो जाती थी ,लेकिन आज फुल स्पीड में ८४ -८५ हो चुका था और उनकी स्पीड कम नहीं हो रही थीं।
उनके दूसरे हाथ में उनकी ममेरी बहन का वो स्नैप था ,
" चोद साले , चोद ,चोद अपने बहिन को चोद बहनचोद ,एक बार उसकी कसी चूत चोद दे फिर उसके बाद बहन चोद तुझे ,… "
और ये बोलने के साथ मेरा नाखून उनके सुपाड़े के पी होल पे , फिर तो सफेद ज्वालामुखी फूट पड़ा।
खूब ढेर सारी गाढ़ी सफेद थक्केदार मलाई , सीधे उनके माल के जोबन पे ,
" हाँ हाँ और पहले बहनचोद , … फिर,. . मादरचोद "
मैंने बहुत हलके से कहा ,लेकिन उसका असर हुआ की अबकी पहले से भी ज्यादा जोर से
खूब ढेर सारी मलाई रबड़ी फिर अबकी पहले से भी ज्यादा ,
फोटो पूरी तरह उनके सफेद मलाई से लिपटी थी।
" बहुत खुश होगी , जब उसे पता चलेगा की उसके बारे में सोच सोच के उसके प्यारे भैया का ये हाल हुआ। ज़रा चख तो लो ,
और उस फोटो से उठा के मैंने सीधे उनके होंठों पे ,
उन्होंने चाट लिया।
" ये समझ लो , अगली बार सारी मलाई सीधे तेरे माल की बुर में जायेगी "
और फोटो मैंने उनके होंठों से लगा लिया और उन्होंने सब कुछ चाट लिया।
ये कहने की बात नहीं , मैंने सारी हरकत अपने स्मार्ट फोन पे रिकार्ड कर ली और एक छोटा सा वीडियो भी।
स्नैप्स सारे मम्मी को व्हाटसऐप हो गए।
मम्मी और बर्थडे ब्वाय , मेरे बालम
स्नैप्स सारे मम्मी को व्हाटसऐप हो गए।
और मैंने एक क्लोज अप ले लिया , उनके होंठ सीधे , अपने माल के बूब्स पे।
ये वही फोटो थी ,मैंने बोला था न हमारी शादी के तीन चार दिन बाद मैंने अनजाने में कंडोम अपने अल्बम में रख दिया था , इसी फोटो के साथ।
वो इतने नाराज हुए की ,कंडोम तो उन्होंने हटा के झटके से फ़ेंक दिया , फोटो कितनी बार साफ की , रात भर बोले नहीं। मेरी ओर पीठ कर सो गए।
मम्मी का मेसेज आया।
और मैंने स्काइप आन कर दिया।
मैं उनका नाड़ा बाँधने की कोशिश कर रही थी तभी स्काइप पे वो अवतरित हुईं।
वो बिचारे बहुत झेंपे ,लेकिन ,…
" कैसा है बर्थडे ब्वॉय ,मेरा मुन्ना ,… "
मम्मी पूरे रंग में थीं।
" अरे मम्मी , बिचारे नाड़ा नहीं बाँध पा रहे हैं। अपनी माँ बहनों का नाड़ा खोल खोल कर बचपन से नाड़ा खोलने की तो प्रैक्टिस हो गयी लेकिनआपकी समधन ने उन्हें नाड़ा बंद करना सिखाया ही नहीं ".
मैंने भी बहती गंगा में हाथ धोया।
मम्मी भी ,वो मुझसे ज्यादा अपने दामाद का पक्ष लेती थीं , बोलीं
" अरे तो मेरे बिचारे सीधे साधे मुन्ने को क्यों दोष देती हो , अपनी सास को दोष दो न। "
फिर एक ठंडी सांस लेकर बोलीं ,
" लेकिन बिचारी समधन जी भी क्या करें , एक बार उनका नाड़ा खुल गया तो छैले बाँधने नहीं देते , एक के बाद एक , और अभी तो हैं भी तो टनाटन मॉल। नहींबिश्वास हो तो उस छिनार के पूत से पूछ लो , क्यों मुन्ना है न सही बात , उनकी तलैया में गोता खाने वालो की लाइन लगी रहती हैं न। अच्छा बस एक बात बताओ, जब मेरी समधन का नाड़ा खुला था , खुला तो अक्सर ही रहता है , तो तूने उनकी बुलबुल तो देखी होगी न , कैसे लाल लाल चोंच चियारे रहती है ,चारा खाने केलिए। बोल न।
मैं जोर जोर से खिलखिलाने लगी और उनको कुहनी मार के बोला ,
" अरे मम्मी कुछ पूछ रही हैं ,बोल न। क्या लौंडियों की तरह शर्मा रहे हो , आखिर तेरे मातृभूमि के बारे में पूछ रही हैं। तुम्हे अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं है क्या , और फिर आज तेरी बर्थडे है , तो जहाँ से निकले थे , उसे याद करने का , देखा तो होगा , बताओ न मम्मी को , … मेरी सास की चिरैया के बारे में , कैसी है ,"
मम्मी भी उस हमले में शामिल हो गयीं ,
"अरे मेरी बिटिया सही तो कह रही है , सोच न आखिर मेरी समधन ने न जाने कितनो से अपने गद्दर जोबन मिजवाये होंगे , कितनो के पास जाके चुदवाया होगा , फिर वो गाभिन हुयी होंगी , फिर उनकी चूत से तू निकला होगा , इसमें शरमाने की क्या बात हैं। तो आज तो उस मातृभूमि को याद करने का दिन है न जिसमें कितनोका लंड गया होगा , किसी की सफल चुदाई के बाद उनकी चूत से तू निकला होगा , और मातृभूमि क्या साफ साफ क्यों नहीं बोलती उस पंचभतारी ,छिनार के पूत सेअपनी माँ के बुर ,… "
मम्मी अब एकदम फुल स्पीड में चालू हो गयी थीं।
वह जोर जोर से ब्लश कर रहे थे , लेकिन मुझे पता था की उन्हें कितना मजा आ रहा है।
" अरे क्यों लौंडिया की तरह शर्मा रहे हो , मम्मी सच तो कह रही हैं , बोलो न खुल के ,मम्मी की बात का जवाब दो न "
मैंने उन्हें छेड़ा।
" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा ,
" इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा , बोल गिफ्ट कैसी लगी। "
वो बिचारे और जोर शर्माए लेकिन मैंने जब जोर से घूरा तो घबड़ा के बोले , " अच्छा है ,मम्मी ,पसंद है मुझे। "
उनकी निगाह उस दुपट्टे पे थी जो मम्मी की गिफ्ट थी।
" कलर एकदम मैचिंग हैं न " मम्मी ने फिर पूछा
मम्मी की समधन
" अरे शर्मायेगा क्यों मुन्ना मेरा , " मम्मी बोलीं और जोड़ा , " इसकी मां बहने तो शरमाती नहीं, पूरे मोहल्ले को , हिन्दुस्तान -पाकिस्तान बांटती फिरती हैं तो मेरा मुन्ना क्यों शरमाएगा , बोल गिफ्ट कैसी लगी। "
वो बिचारे और जोर शर्माए लेकिन मैंने जब जोर से घूरा तो घबड़ा के बोले , " अच्छा है ,मम्मी ,पसंद है मुझे। "
उनकी निगाह उस दुपट्टे पे थी जो मम्मी की गिफ्ट थी।
" कलर एकदम मैचिंग हैं न " मम्मी ने फिर पूछा।
"हाँ मम्मी ," अब वो एकदम खुल के मम्मी से बोल रहे थे। उनकी झिझक बहुत कम हो गयी थी।
"जोबन तो तेरे मस्त लग रहे हैं , " मम्मी बोली और उन्हें दुपट्टा कैसे ओढ़ें की उभार दिखें ज्यादा ,छुपे कम ,समझाने लगी। लेकिन फिर उन्होंने अचानक एक सवाल दाग दिया ,
" तुम इत्ते मस्त चिकने हो ,नमकीन, बचपन में लड़के तेरे पीछे बहुत पड़े रहते होंगे। "
अब तो उन्होंने ऐसे ब्लश की जैसे कोई गौने की दुल्हन , जिसके मायके के राज उसकी सास को पता चल गए हों।
और मैं भी मम्मी के साथ ,
" अरे बोल न , क्या शरमा रहे हो ,मम्मी से कोई बात छिपाता है क्या।
" अरे तेरी माँ बहन सारे मोहल्ले को बांटती फिरती है , उसमे बुराई थोड़े ही है ,कोई पैसे थोड़े लेती हैं बस सब का दिल रखती हैं , तो अगर तुमने भी दो चार का दिल रख दिया तो क्या बुरी बात है। "
मम्मी बोलीं और हम दोनों खिलखिलाने लगे।
लेकिन इनकी शरम देख के मुझे दया आ गयी और मैंने बात बदलने के लिए मम्मी से कहा ,
" अरे मम्मी न जाने किससे किससे चुदवा के आज के दिन आपकी समधन ने बच्चा जना था तो कुछ सोहर वोहर तो होना चाहिए न। "
गाने के लिए तो मम्मी से कहने की बस देर है है और खास तौर से जब वैसे वाले गाने हों ,
बस उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा दी ,
" तुम लोगों की भी गाना पडेगा साथ साथ "
मैंने उनकी ओर देखा और मम्मी चालू हो गयीं ,
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
चोली मत मांगो समधन ,देह का सिंगार रे ,
कहे सुने जो चोली दूंगी , बंध लुंगी काट रे ,
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
बरतन मत मांगो समधन ,रसोई का सिंगार रे ,
कहे सुने जो बटला दूंगी , पेंदा लूंगी काट रे।
दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
सैयां मत मांगो समधन ,सेज का सिंगार रे।
अरे सैयां के बदले , अरे सैयां के बदले ,
दामाद दूंगी , चोदी चूत तोहार रे ।
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
सोहर , मम्मी और बर्थडे ब्वाय , मेरे साजन
सैयां मत मांगो समधन ,सेज का सिंगार रे।
अरे सैयां के बदले , अरे सैयां के बदले ,
दामाद दूंगी , चोदी चूत तोहार रे ।
" दिल खोल के मांगो समधन ,जो मांगो सो दूंगी।
और फिर एक बार फिर मैं और मम्मी खिलखिला के हँसे पड़े , मैंने माम से कहा ,
" मम्मी आपने तो इन्ही को चढ़ा दिया , मेरी सास के ऊपर। "
" और क्या ,पूरे गाँव देहात को बाँटती रहती हैं ,समधन जी और मेरा मुन्ना बिचारा भूखा प्यास मुंह देखता रहता है , अच्छी बात है क्या। फिर उनको भी तो मजाआएगा एक जवान मर्द चढ़ के हचक हचक के , दोनों जुबना पकड़ पकड़ के , . . "
फिर मम्मी ने सवाल का रुख उनकी ओर किया ,
" क्यों मुन्ना लेगा न मेरी समधन की ,दिलवाने की जिम्मेदारी मेरी। "
और जवाब उनके बदले मैंने दिया। आखिर सब पावर आफ अटार्नी , उन्होंने लिख दी थी मेरे नाम।
" अरे मम्मी आप की कोई बात आज तक टाली है उन्होंने जो ये टालेंगे , एकदम। "
मम्मी खुश और अपने समधन के लिए दूसरा गाना उन्होंने शुरू कर दिया ,
एक से एक ,
अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में , अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में ,
सब का काटे अगली बगली ,सब का काटे अगली बगली
अरे मुन्ना के अम्मा को , हमरी समधन को काटे भोसड़िया में।
अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में , अरे बिच्छी चुभ गए कोना अटरिया में ,
सब का काटे अगली बगली ,सब का काटे अगली बगली।
मुन्ने की अम्मा छिनार , हमार समधन छिनार ,
जो तेल लगाए वो भी छिनार , जो दूध पिलाये वो भी छिनार
अरे तोरी अम्मा छिनार , तोरी बहना छिनार ,
अरे कहाँ से आई सोंठ ,कहा से आया जीरा ,
अरे किसने चोदी जच्चा रात मेरी गोइयां।
मुन्ने के मामा ने चोदी जच्चा , रात मेरी गोइयाँ।
एक के बाद एक , माम के पास तो ऐसे गानों का जखीरा था।
और फिर मैं भी शामिल हो गयी बहती गंगा में हाथ धोने में , अपनी सास और ननदों का हाल चाल बताने में ,
कामदानी दुपट्टा हमारा है ,कामदानी ,
अरे मुन्ने की अम्मा ने हमारी सासु ने , एक दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया ,तुर्क पठान किया ,
भंगी ,चमार किया ,सारा पाकिस्तान लिया।
अरे नौ सौ ,हो जी नौ सौ , पण्डे बनारस के,
अरे नौ सौ छैले लखनऊ के , नौ सौ।
( लखनऊ हमारा शहर था )
मुन्ने की बहनी ने , गुड्डी छिनार ने
ननदी छिनार ने , एक किया दो साढ़े तीन किया
हिन्दू * किया ,तुर्क पठान किया ,
अरे नौ सौ भडुवे बनारस के , नौ सौ गदहे ऐलवल के
( ऐलवल , मेरी ननद का मोहल्ला )
उनकी हालत खराब थी ,लेकिन मम्मी इत्ती आसानी से छोड़नी वाली नहीं थी और हम दोनों ने , हम दोनों का ज्वाइंट भजन शुरू हुआ ,
गंगा जी तुम्हरा भला करे , गंगा जी तुम्हरा भला करे ,गंगा जी।
तोहरी बहना क बुरिया , तोहरी अम्मा क बुरिया ,
पोखरवा जैसी , तालवा जैसे ,गढ़हिया जैसी ,
ओहमें ९०० गुंडे नहाया करे , डुबकी लगाया करें ,
गंगा जी
तोहरी बहना क बुरिया , तोहरी अम्मा क बुरिया ,
बटुलिया जैसी , पतिलवा जैसी जिसमें ९ मन चावल पका करे
गंगा जी …
फिर मैंने एक शुरू किया , मम्मी का फेवरिट ,
हमरी सासु जी की बिलिया में क्या क्या अमाये,क्या क्या समाये ,
मुन्ने की अम्मा की बुरिया में क्या क्या जाए , क्या समाये।
गदहा जाए ,घोड़ा जाए ,ऊंट बिचारा गोता खाए ,
मुन्ने के मामा जांय ,कमर पकड़ के धक्का लगाएं
मुझसे ज्यादा जोश से मम्मी उन्हें छेड़ छेड़ के गा रही थीं ,
और मैंने उन्हें और चिढ़ाया ,
" क्या मम्मी इनके मामा भी मेरी सासु के साथ ,… "
मम्मी ने मेरी बात अनसुनी करते हुएजैसे वो कुछ सोच रहीं हों , फिर अचानक बोली ,
" वो जो इसकी ममेरी बहन आई थी ,मस्त माल , जिसके टिकोरे देख के सारे लौंडे दीवाने हो रहे थे ,क्या नाम था उसका ,?"
मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने बोल दिया ,
" मम्मी ,गुड्डी। "