Episode 11


गुड्डी

मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने बोल दिया ," मम्मी ,गुड्डी। "

" गुड्डी , हाँ वही " ,मम्मी ने बात जारी रखी

" तभी मैं कहूँ , उस छिनार से इनकी शक्ल क्यों मिलती है। तेरे मामा और समधन का , पुराना चक्कर होगा बचपन से फँसी होंगी इसलिए। तभी तेरी और गुड्डीकी शकल , इतनी मिलती है। "

फिर मम्मी कुछ रुक के सीरियसली बोलीं ,

" सुन उस ने तेरी माँ चोद दी , तू उसकी बेटी चोद दे हिसाब बराबर। "

खिलखलाते मेरी हालत खराब हो गयी , मैंने किसी तरह हंसी रोक के बोला ,

" मम्मी ये तो आपने इनके मुंह की बात छीन ली। ये तो खुद उसे चोदना चाहते ,… "

मेरी बात काटके मम्मी तुरंत अपने दामाद की ओर से बोलीं ,

" तो क्या गलत चाहता है , बिचारा मेरा दामाद। वो तेरी ननद खुद हाथ में लेके टहल रही है ,तो बिचारे मेरे सीधे साधे दामाद को क्यों दोष देती है। "

कुछ देर रुक कर फिर उन्होंने रुख उनकी ओर मोड़ दिया ,

' तेरे घर में दो दो माल ,एक कच्ची कली और एक भोसड़े वाली , तो भी तुम भूखे प्यासे , इतने दिन तक, अभी भी ज्यादा बिगड़ा नहीं ,है चढ़ जाओ। "

" अरे मामा की मुलगी ,. . तो चलता है यार। "

मैंने भी तड़का लगाया।
मम्मी की बातों का पता नहीं चलता उन्होंने तुरंत पैतरा बदल के दूसरा मोर्चा खोला , उनका फेवरिट, उनकी समधन।

" सुन तू सुबह ,समधन के मस्त जोबन के बारे में बात कर रहा था , बोल क्या साइज होगी , उनकी। ये मत कहना की देखा नहीं। कभी तो रगड़वाते ,मिजवाते,दबवाते तो देखा होगा , इत्ते तो यारों की लाइन लगी रही है , दूधवाला , धोबी , … "

मैंने भी मम्मी की हाँ में हाँ मिलायी।

"मम्मी,सच तो कह रही हैं ,बोलो न क्या साइज होगी , नहीं पकड़ा होगा तो अंदाज से बोल न "

बिचारे , सिर्पफ ब्लश कर रहे थे।

मेरी सास , मम्मी की समधन, उनकी .

अब तक

मम्मी की बातों का पता नहीं चलता उन्होंने तुरंत पैतरा बदल के दूसरा मोर्चा खोला , उनका फेवरिट, उनकी समधन।

" सुन तू सुबह ,समधन के मस्त जोबन के बारे में बात कर रहा था , बोल क्या साइज होगी , उनकी। ये मत कहना की देखा नहीं। कभी तो रगड़वाते ,मिजवाते,दबवाते तो देखा होगा , इत्ते तो यारों की लाइन लगी रही है , दूधवाला , धोबी , … "

मैंने भी मम्मी की हाँ में हाँ मिलायी।

"मम्मी,सच तो कह रही हैं ,बोलो न क्या साइज होगी , नहीं पकड़ा होगा तो अंदाज से बोल न " और पूछा।

बिचारे , सिर्पफ ब्लश कर रहे थे।

आगे

" अच्छा चल मेरा बोल , सुबह तो तूने वहां दो चुम्मी ली थी , बोल मेरे कैसे लगते हैं , देख के बोल। " मम्मी ने दूसरी लाइन पकड़ी।

अबकी आँख उठा के स्काइप पे मम्मी की ओर देखा उन्होंने , मन के उनके कमल खिल उठे , और थदोा शरमाते लजाते बोले ,

" मम्मी ,अच्छा है ,बहुत अच्छा है। "

" अरे खुल के बोल न , आज तेरी बर्थडे है तो मान लो मैं मान जाऊं , तो पहले बोल क्या अच्छा लगता है , फिर मिल जायेगे तो क्या करेगा " मम्मी पीछे पड़ गयीथीं .

" मम्मी आपके जोबन , बहुत , . . कड़े , बहुत , बहुत रसीले हैं। "

मम्मी एकदम खुश हो गयीं और फिर उकसाया ,

" दिया तुझे , आज तेरी बर्थडे पे , बोल तो क्या करेगा जब तूझे मिल जाएंगे ये कड़े , रसीले "

" पकडूँगा , छुऊँगा ,दबाउंगा। " मम्मी ने उनकी झिझक और शर्म बहुत कम कर दी थी।

" अरे तो समधन के भी तो मेरे ऐसे ही तो हैं , उनके भी खुल के दबाना , पकड़ना ,मीजना रगड़ना। "

मम्मी ने प्वाइंट स्कोर कर लिया था।

मुझे लगा मम्मी अब चलने वाली हैं तो मैंने एक बार उनको देखा और फिर स्काइप पे मम्मी को और बोली ,

" मम्मी , आज जाने से पहले इस बर्थडे ब्वॉय की बर्थडे विश तो ग्रांट कर दीजिये। "

मम्मी की आँखे एकदम चमक गयीं ,

"हाँ बोल न , क्या है मेरे मुन्ने की बर्थडे विश "

वो एकदम कन्फ्यूज ,वो मेरी ओर आँखे फाड़ के देख रहे थे। उन्हें कुछ नहीं समझ में आ रहा था ,

और मैंने मॉम से अर्जी लगा दी ,

" सिम्पल ,मम्मी। बर्थ डे के दिन दिन उनकी सिम्पल विश है। बस जिस भोसड़े से आज के दिन निकले थे ,उसी भोंसड़े में जाना चाहते हैं। "

मम्मी ने बहुत प्यार से उनकी ओर देखा और एवमस्तु की मुद्रा में हाथ उठा दिए।

फिर मुस्करा के बोलीं ,

" अरे इतनी सिंपल सी बात , अभी मैं समधन को फोन लगाती हूँ , साफ साफ कहती हूँ ,मेरा दामाद , … "

उनकी तो एकदम फट के , लेकिन मैं आगयी मैदान में और बोली ,

" अरे नहीं मम्मी , बिना आपके कैसे , आप कुछ कर के , . . "

" चल तुझे बना दूंगीं , मादरचोद। बहुत जल्दी। तुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है अब सब मेरी जिम्मेदारी , हाँ और अब तू ऐन मौके में मना मत करना , "

और फिर रुख मेरी ओर मोड़ दिया

" चल तू इसे जल्दी से पहले बहनचोद बना और फिर मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी मेरी , महीने दो महीने के अंदर "

और स्काइप से वो फुर्र हो गयीं।

उनका खड़ा खूंटा ,मम्मी के बातों की हामी भर रहा था।

मम्मी की समधन , मेरी सास और ये,. उर्फ़ एम् आई एल ऍफ़

दोपहर ढल रही थी।

रात की थकान और खुमारी कुछ मेरे ऊपर तारी हो रही थी , कुछ उनके ऊपर भी , और आज फिर रतजगा होना था।

लेकिन उनका खूंटा अभी भी , . नाड़ा खुला हुआ था और तना वो , उसके अंदर से झांक रहा था।

प्यार से मैंने उनके गाल पे जोर से चुम्मी ली और हलके से काट लिया,

"मादरचोद , बहुत मजा आएगा जब मेरी सास के भोंसड़े में ये जाएगा , सटासट, सटासट।"

और हलके से उनके खूंटे को दबाते मैं पलंग से उठ गयी।

वो उठने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया और , कुछ देर में दो स्ट्रांग बीयर के एकदम चिल्ड लार्ज कैन ले आई।

उन्होंने कुछ बोलने की कोशिश की तो मैंने चुप करा दिया और उन्हें कैन पकड़ाती बोली ,

"यार , पहले सोचना था न। अब मम्मी ने एक बार बोल दिया तो अब ये न मेंरे हाथ में है न तेरे

अब तो वो तुझे मादरचोद बना के ही रहेंगी , बस अब तू सोचना शुरू कर दो। कैसे क्या ,क्या। "

हम दोनों बियर गटक रहे थे।

ए सी फूल ब्लास्ट पर था।

दोनों एक बड़ा सा कम्बल ओढ़े , और मैंने एक फ़िल्म चला दी।

एम आई एल फ वाली।

हैं ना मेरी सासु ऐसी।

मैंने उन्हें चिढ़ाया।

लेकिन मेरी बात में दम था , उसी तरह दीर्घ नितम्बा ,

भारी + साइज बूब्स ,लेकिन एकदम कड़े , बिना ब्रा के भी जरा भी सपोर्ट की जरूरत नहीं ,

वो एकदम ध्यान से देख रहे थे ,और मैं उन्हें देख रही थी।

कुछ मम्मी ने मेरी सास का नाम ले के जो चिढ़ाया , और फिर ये फ़िल्म , . .

ऐस फक , टिट फक,सब कुछ।

मम्मी की बातें एकदम सही थी , जिस तरह से वो रियेक्ट कर रहे थे।

फ़िल्म छोटी सी थी , बियर खत्म होने के साथ वो भी खत्म हो गयी।

और मैंने कम्बल सर तक खींच लिया ,और हम दोनों लेट गए , वो मेरी ओर पीठ कर के।

शायद उस एम आई एल फ को देख कर खड़े लंड को छुपाने के लिए।

घुटने तक , कपड़ा खुल गया था उनका।

मैं ने भी उनके औजार को नहीं छेड़ा , थोड़ी देर पहले ही अपनी ममेरी बहन के नाम पे जिस तरह उन्होंने मुट्ठ मारा था , मैंने उसे थोड़ी देर आराम करने दिया आखिर आज रात को फिर

मैं उनके भरे भरे गदराये बबल बॉटम सहला रही थी। मस्त चूतड़ थे ,लौंडिया मात।

और वो सिहर रहे थे , काँप रहे थे।

मेरी उंगली दोनों नितम्बों के बीच की दरार को हलके हलके सहला रही थी।

मुझे एक शरारत सूझी और ऊँगली की टिप सीधे गांड में प्रेस कर दिया , और हलके से उनके नमकीन गाल काटते बोली ,

मेरी उंगली दोनों नितम्बों के बीच की दरार को हलके हलके सहला रही थी।

मुझे एक शरारत सूझी और ऊँगली की टिप सीधे गांड में प्रेस कर दिया , और हलके से उनके नमकीन गाल काटते बोली ,

" तुम मम्मी से तो शर्मा कर बच गए , मुझसे तो बता दो ,इसमें कुछ गया है क्या , कितनी बार। "

" धत्त ,… " जोर से शरमाये वो।

चिकना

अब तक

मेरी उंगली दोनों नितम्बों के बीच की दरार को हलके हलके सहला रही थी।

मुझे एक शरारत सूझी और ऊँगली की टिप सीधे गांड में प्रेस कर दिया , और हलके से उनके नमकीन गाल काटते बोली ,

" तुम मम्मी से तो शर्मा कर बच गए , मुझसे तो बता दो ,इसमें कुछ गया है क्या , कितनी बार। "

" धत्त ,… " जोर से शरमाये वो।

" अरे यार इसमें शर्माने की क्या बात है , अब तक भी तो तुम इतने चिकने नमकीन लगते हो , जरूर बचपन में किसी न किसी ने यहाँ घुसाया होगा , बोल न। "

मेरी ऊँगली पिछवाड़े में गोल गोल घूम रही थी।

शरमाते हुए उन्होंने नहीं में सर हलके से हिलाया।

आगे

मेरा एक हाथ उनके पिछवाड़े लगा हुआ था और दूसरा बहुत प्यार से उनके गाल को घने घने बालों को सहला रहा था। जैसे किसी लौंडिया के शलवार में घुसने के लिए लोग सहलाते है।

मैंने फिर समझाया ,

" यार मान लो तुम ने मरवाया ,तो इसमें कोई बुरी बात थोड़े ही है ,कमल जीजू को तुम जानते ही हो , चीनू दी के हसबैंड , वो तो अभी तक , उन्होंने मुझसे खुद कबूला था की पहली बार उन्होंने एक लड़के के साथ , वो नौवें में थे और लड़का आठवें में , उसके बाद तो लगातार।

यहां तक की अभी भी , शादी के दो तीन साल हो गए हैं ,लेकिन शायद ही कोई महीना नागा जाता हो , जब वो दो तीन लड़कों की न लेते हों , और चीनू दी को भी मालूम है,वो बुरा भी नहीं मानती ।

यहाँ तक की चीनू दी की भी हर हफ्ते एकदो बार पिछवाड़े का बाज बज ही जाता है। "

फिर कुछ याद करते हुए मैंने कहा ,

" अरे यार वो तो तेरे ही कॉलेज में पढ़ते थे , तुम्हे तो अच्छी तरह मालूम होगा। और फिर तुम्हारा कॉलेज तो मशहूर था लौंडेबाजी के लिए ,कीते सीनियर थे "

अब वो खुले।

" मुझसे ४ साल सीनियर थे वो ,कौन नहीं जानता उनके बारे में , मैं जब नौवें में गया तब वो १२ में थे। एकदम मशहूर थे ,सब डरते थे उनसे। "

मैं समझ गयी अब , थोड़ा सा प्रेस करूँ तो शायद और , . . मैंने बात मोड़ी। मैंने पूछा ,

" डरते थे मतलब ,क्या मार पिटाई करते थे ,ऐसे तो नहीं लगते। "

" अरे नहीं यार कैसे तुम्हे समझाऊं , जो नए लड़के आते थे न बस उनके पीछे , गनीमत थी जिस साल मैं आया , उसके अगले साल वो बारहवीं पास कर के , . . जो लड़का के बार उनके चंगुल में पड़ा न ,बस उसकी दो दिन की छुट्टी , एकदम , उनका ,… वो, …साइज ,… इसलिए , सब डरते थे। "

वो धीमे से बोले।

" साफ साफ समझाओ न , सच में मुझे नहीं समझ में आ रहा है ,वो,साइज क्या मतलब , किस चीज के बारे में बात कर रहे हो "

मुस्कान दबाते मैंने पूछा।

" उप्फ कैसे समझाऊं , वो वही , …पूरा बालिश्त भर का , और कलाई इतना मोटा , जो एक बार उनके चक्कर में पड़ गया , दो दिन आ नहीं पाता था कॉलेज। लेकिन जो वैसे लड़के थे वो तारीफ भी करते थे और उनका मन ललचाता ,… "

मैंने उनकी बात काटी और बनावटी गुस्से से घुड़कते हुए उनके कान का पान बनाया और बोली ,

" तू पिटेगा मेरे हाथ से , कित्ती बार समझाया ,मुझसे खुल कर एकदम देसी जुबान में। बोलो खुल के क्या बड़ा था ,कमल जीजू का। "

" वो वही , उनका लंड , खूब लम्बा पूरा बालिश्त भर का और वो बिना पूरा अंदर किये बिना ,मोटा भी इतना था की , लग जाती थी जिसकी लेते थे। "

वो अब थोड़े मूड में आ रहे थे।

" तो कमल जीजू ने तेरे साथ भी ,. . "

मैंने पुछा और अब वो खुल के बात करने के मूड में आ गए।

" नहीं यार , एक तो हमेशा कोई मुझे घर से छोड़ने लेने आता था , उसकी साइकिल पे मैं आता था। कॉलेज खत्म होने के पहले ही वो आ जाता था। फिर एक साल ही हम , अगले साल ही वो इंजीनियरिंग कालेज में चले गए।

लेकिन बात तुम्हारी सही है , जब मैंने कॉलेज ज्वाइन किया न तो सीनियर लड़के और कुछ तो मेरे क्लास वाले भी ,एक से एक खुल के कमेंट करते , मुझसे दोस्ती करने की कोशिश करते। होली में मेरी टायटल भी मिली ,है शुकर की तू है लड़का।

केमिस्ट्री लैब में तो , जैसे मैं पहुंचता था सब के सब एच सी एल ,एच सी एल बोलने लगते। "

लड़कों की टर्मिनोलॉजी मुझे नहीं मालूम थी , इसलिए मैंने साफ साफ पूछ लिया।

" एच सी एल , बोले तो "

" हाई क्लास लौंडा "

वो बोले और फिर बात आगे बढ़ाई ,

" वैसे तो बहुत , लेकिन एक दिन मेरे क्लास का ही लड़का ,चंदू मेरे घर आया था। हम लोग मिल के होम वर्क कर रहे थे, घर में सब लोग बाजार गए थे। फिर इधर उधर की बात शुरू हो गयी , उसने पूछा की मैं एच पी करता हूँ की नहीं , फिर उसने खुद ही अपना हाफ पेंट नीचे सरका के , अपना खोल के दिखाया ,

और जब तक मैं उसे मना करूँ ,. . . उसने मेरी निकर भी सरका दी। "

फ़ट ,. नहीं नहीं , बच गयी

" वैसे तो बहुत , लेकिन एक दिन मेरे क्लास का ही लड़का ,चंदू मेरे घर आया था। हम लोग मिल के होम वर्क कर रहे थे, घर में सब लोग बाजार गए थे। फिर इधरउधर की बात शुरू हो गयी , उसने पूछा की मैं एच पी करता हूँ की नहीं , फिर उसने खुद ही अपना हाफ पेंट नीचे सरका के , अपना खोल के दिखाया , और जब तकमैं उसे मना करूँ उसने मेरी निकर भी सरका दी। "

" कितना बड़ा था उसका ," मैं अपनी उत्सुकता नहीं रोक पायी।

" करीब ५ इंच का रहा होगा , दो चार बार उसने आगे पीछे किया अपना और उसका खड़ा हो गया था ,फिर वो मेरा पकड़ के ,… "

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