Episode 16
अगले ही पल उनके प्यासे , भूखे होंठ ने कचाक से मेरे कड़े ,खड़े निपल को काट लिया।
“उईइइइइइइइइइ , " मैं जोर से चीखी , एकदम गुड्डी की आवाज में।
" उईई भैय्या ,लगता है न धीरे से … "मेरी दर्द भरी चीख के साथ मस्ती भरी सिसकियाँ और उनके होंठ मेरे दूसरे जोबन पर पहुँच गए , लिकिंग ,किसिंग ,सकिंगसब एक साथ।
हम दोनों डबल बेड पे लेटे थे और वो मेरे ऊपर।
लेकिन मैंने उन्हें और उकसाया ,वही गुड्डी की आवाज ,गुड्डी की हरकतें ,
" भैया करो न , मन कर रहा है ,बहोत मन कर रहा है ,दो न "
और जैसे गलती से मेरी उँगलियाँ उनके लिंग से जैसे छू गयीं।
एकदम लोहे का राड , पूरे जोश में , एकदम तैयार खड़ा ,कड़ा।
और मैंने हलके हलके से उसे पकड़ लिया जैसे कोई किशोरी पहली बार झिझकते शरमाते पकड़ रही हो।
" कित्ते दिनों से मेरा मन कर रहा है , इसका ,तुम न भैय्या पूरे बुद्धू हो ,जरा भी इशारा नहीं समझते ,मैं तो ,… उस दिन भी जब केयरफ्री के लिए बोला था ,… तुमएकदम बुद्धू हो भैय्या और , आज भी बुद्धू ही हो ,. . "
और अब मैंने जैसे अपनी किशोर उँगलियों का दबाव हलके हलके उनके तने शिश्न पर बढ़ा दिया और धीमे धीमे सहलाने लगी।
उनकी हालत खराब थी।
मैंने अपनी लता सी टांगों को उनकी पीठ के ऊपर कर के अच्छी तरह बाँध दिया , और अब लिंग मेरी गीली योनि से बार बार रगड़ खा रहा था।
मैं एकदम गुड्डी के रोल में थी न सिर्फ आवाज ,बल्कि बॉडी लैंग्वेज , थोड़ी शर्म झिझक के साथ कुछ हो जाने का मन , जिस तरह से वो अपने चेहरे को एक अदा केसाथ मोड़ती थी , हल्की सी टिल्ट , उसकी लम्बी उँगलियों के तरीके सब कुछ ,
और अब एक बार फिर मैंने अपने हाथ से पकड़ के उनका हाथ अपने जोबन पे रख दिया।
और अब वह भी उसी तरह मुझे गुड्डी मान के , थोड़ा झिझकते ,थोड़ा सम्हल के मेरे जोबन छू रहे थे ,सहला रहे थे।
" भैय्या , भाभी के तो बहुत बड़े हैं न एकदम कड़े कड़े , … " मैंने उन्हें बोलने के लिए उकसाया।
:" हाँ तू सही कह रही है , तेरी भाभी के उभार बहुत मस्त हैं ,खूब रसीले ,एकदम परफेक्ट। " वो बोले।
मुझे अच्छा तो बहुत लगा उनके मन से अपनी तारीफ़ सुन के लेकिन मैं रोल से बाहर नहीं होना चाहती थी ,इसलिए मैं मुंह फुला के बोली ,
"मतलब ,भैय्या आपको मेरा नहीं ,… "
" अरे नहीं ,तेरे भी खूब छोटे छोटे हैं लेकिन कड़े कड़े , " मेरे उरोजों को सहलाते वो बोले।
" पूरा खोल के बोलिए न भैया वरना मैं गुस्सा हो जाउंगी , हाँ आप भी न , भाभी से तो आप एक दम खुल के , … बोलिए न ,बताइये न क्या कड़े कड़े ,… "
एकदम परफेक्ट गुड्डी की आवाज और मैनरिज्म , वही नखड़े ,
" तेरे जोबन , ये तेरी छोटी छोटी कड़ी कड़ी , … "
मैंने एक जोर की सिसकी भरी और उन्हें और उकसाया ,
हाँ भैय्या ऐसे ही प्लीज ,मुझे बहुत मन करता है आप अपने दिल की बात खुल के बोलो न " और साथ में अपने उरोज उनके सीने से रगड़ दिए।
बस जैसे उन्हें आग लग गयी , सब मन के बाँध टूट गए। इतने दिनों की बात सामने गयी।
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्तेकड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[
छोट छोट जोबना दाबे में मज़ा देय
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्ते कड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[
" लो न भैय्या ,मैं तो हरदम से तुम्हे खुद देने को तैयार थी अपनी चूंचियां , दबा दो ओह्ह ओह्ह हाँ ऐसे ही , मैं चाहे चीखूं चिल्लाऊं ,प्लीज भैय्या खूब जोर जोर से मसलो , रगड़ो , और आगे से भी जब भी तेरा मन करे , . . अगर तुम ज़रा भी शर्माएं न , या तुमने पूछा न तो मैं गुस्सा हो जाउंगी। हाँ , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। "[
मैं बोली ,गुड्डी की आवाज में।
फिर तो दोनों हाथों से मेरी चूंचियों की वो रगड़ाई हुयी और बीच बीच में कभी वो निपल काट लेते तो कभी चूंची पे दांत गड़ा देते।
मैं उन्हें और उकसा रही थी और चढ़ा रही थी एकदम अपनी उस कच्ची कली ननद की तरह।
लेकिन अब मैं भी गीली हो रही थी ,मेरा मन कर रहा था बस अब ये हचक के पेल दें।
उनका हथियार अब एकदम तैयार था मस्ती से बर्स्ट कर रहा था।
उसे दबाते मैंने कहा ,
" भैया अब डाल दो न , प्लीज बहुत मन कर रहा है ,लेकिन रुकना मत मैं चाहे जितना चीखूं चिल्लाऊं , आज फाड़ दो न मेरी। "
" तू भी तो साफ साफ़ बोल ,बोल न गुड्डी ,क्या डाल दूँ ,कहाँ डाल दूँ ,"
मस्ती में भरे जोर से मेरी गीली चूत पे अपना मोटा सुपाड़ा रगड़ते ,चिढ़ा के वो बोले।
लेकिन मैं अब पीछे हटने वाली नहीं थी।
बहुत हुयी अब आँख मिचौली
खेलूंगी मैं रस की होली
" भैय्या यही ,अपना मोटा मस्त लंड , अपनी गुड्डी की कसी कच्ची चूत में डालो न भैय्या। " जोर से उनके लंड को अपनी चूत पे रगड़ते मैं बोलीं।
फिर क्या था मेरी दोनों टांगें उनके कंधे पे , जांघे पूरी तरह फैली , और एक धक्का पूरी ताकत से ,…
लेकिन मैंने भी अपनी चूत खूब जोर से सिकोड़ ली थी जिससे उन्हें यही लगे की अपनी कुँवारी अनचुदी ममेरी बहन की चूत में लंड पेल रहे हैं।
एकदम एक लजीली शर्मीली किशोरी की तरह जो पहली बार घोंट रही हो ,
ओह्ह उईइइइइइइइइ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फट गयी भैय्या मेरी बहुत दर्द हो रहा है , ओह्ह आह , नहीईईईईईईईईई ,निकाल लो बहुत ,ओह्ह्ह्ह फाड़ दी भैय्या तूने मेरी , आह।
मैं चीख रही थी ,चिल्ला रही थी चूतड़ पटक रही थी ,सिसक रही थी /
वो भी अब जब आधे से ज्यादा लंड घुस चुका था तो कभी मेरी चूंचियां सहलाते तो कभी होंठ चूम के ढांढस दिलाते।
कुछ देर में मैंने दर्द कम होने का , और हलके से चूतड़ उचकाया ,
फिर क्या था वो , हचक के चुदाई की उन्होंने और नाम ले ले के।
गुड्डी ले ले , घोंट मेरा लंड , बहुत मन करता था तुझे चोदने का यार किती बात तुझे देख के मुट्ठ मारा , ओह्ह ले ले
और मैं भी एकदम गुड्डी की आवाज में कभी चीखती तो कभी सिसकती तो कभी उन्हें उकसाती
" दो न भैय्या ,पूरा दो ओह्ह दर्द हो रहा है लेकिन अच्छा भी लग रहा है। "
और अब वह भी पूरे मूड में थे , बस ऐसे चोद रहे थे ,जैसे अपनी ममेरी बहन कम मस्त माल को ही हचक के चोद रहे हों।
और मैं भी एक कम उमर की कच्ची किशोरी की तरह जिसकी चूत में पहली बार मोटा मूसल घुस रहा हो ,
चीख रही थी,सिसक रही थी ,चूतड़ पटक रही थी।
मैंने चूत खूब कस के सिकोड़ रखा था और उनका मूसल रगड़ता ,दरेरता,फाड़ता घुस रहा था।
उन्होंने अपने लेसन इतने दिनों में अच्छी तरह से सीख लिया था।
वह जान गए थे की उनका पहला काम , प्लीज करना , मजे देना , सटिस्फाई करना है और इससमय भी ,
उनकी उंगलियां ,होंठ और सबसे बढ़कर मूसल , गुड्डी बनी मुझे मजे देने में लगा हुआ था।
उनके होंठ निपल चूसने में लगे थे , और दूसरा निपल उनकी अंगूठे और तरजनी के बीच ,धक्को की रफ्तार
और ताकत अब बढ़ गयी थी , मेरी चीखों और सिसकियोंके बीच , हर चौथा पांचवा धक्का सीधे बच्चेदानी पे ,
साथ में लंड के बेस को जिस तरह वो क्लिट पे रगड़ देते मैं गिनगीना उठती।
और सबसे मजा तो तब आता जब वो चोदते हुए खुश होके बोलते ,
" ओह्ह गुड्डी क्या मस्त चूत है तेरी रानी , क्यों तड़पाया मुझे इत्ते दिन तूने। "
और मैं भी जोर जोर से अपने जोबन उनके सीने पे रगड़ती , अपने लम्बे नाखून उनके कंधो पे धँसाती ,उन्हें और जोर से अपनी ओर खींचती बोलती।
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भैय्या ,ओह्ह चोदो न मैं भी तू तुमसे चुदवाने को इतने दिनों से तड़प रही थीं , तुम्ही बुद्धू थे , तुम कभी भी चोद देते न मैं मना थोड़े ही करती "
और जवाब में उनका अगला धक्का मेरी चूत को चीर के रख देता।
" ओह्ह गुड्डी यार बहुत मजा आरहा है तुझे चोदने में ,ओह्ह आह क्या मस्त छोटी छोटी चूंचियां हैं तेरी ,
ओह क्या कसी चूत है है , मैं ही बुद्धू था , सच में तुझे पकड़ के कब का जबरदस्ती पेल देना चाहिए था। "
गुड्डी बनी मैं गुड्डी की आवाज में बोलती ,
ओह भैय्या , हाँ ओह्ह जैसे भाभी के साथ करते हो वैसे करो न खूब जोर जोर से ओह्ह्ह हाँ ,
बहुत मजा आ रहा है भैया , अब तक क्यों नहीं चोदा मुझे ,
मेरी सारीसहेलियां कब की अपने भाइयों से चुदवा चुदवा के मजे ले रही हैं। ओह्ह अह्ह्ह्हह्ह जोर से हाँ हाँ "
मारे मस्ती के वो अपना मोटा लंड ,सुपाड़े तक निकाल के फिर एक झटके में पूरा अंदर ढकेल देते ,
और जोर सेबोलते ,
" गुड्डी मेरी जान ,आज तो तूने मुझे बहनचोद बना ही दिया , सच बोल क्या तेरा सच में मन करता था मेरा लेने का , बोल आज खुल के बता न अब तो बहनचोद बन ही गया मैं "
“भैय्या हाँ अरे बहनचोद बन गए तो अपनी इस बहन के साथ खुल के मजे लो न , हचक हचक के चोद बहनचोद आज। हाँ भैय्या , मेरी सारी सहेलियां मुझे इतनाछेड़तीं थी , तेरा नाम लेके , इतना उकसाती थीं , तेरा इतना स्मार्ट भाई है ,
तगड़ा , तुझसे इतना घुला मिला , तुझे इतना चाहता है घोंट ले इसका।
दे दे जुबना का दान , लेकिन मैं इतना लिफ्ट देती थी पर , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह , पर तुम ही बुद्धू थे एकदम। बहुत मन करता था भैय्या तेरे साथ मजे करने का तेरा अंदर घोंटनेका
मैंने तो तय कर लिया था मेरी सहेली फटेगी तो तुझसे ,
लेकिन इत्ते दिन बाद, ओह्ह हां बहुत मजा आ रहां है , ओह्ह "
गुड्डी बनी मैं उन्हें और उकसा रही थी , चढ़ा रही थी।
फिर तो उन्होंने वो हचक हचक के चोदा , पांच -छ मिनट में मैं झड़ गयी ,
उन्हें चोदते १२-१५ मिनट हो गए थे।
थोड़ी सी रफ़्तार कम हुयी बस ,
और उसके बाद दुबारा ,
मैं जब दुबारा झड़ी तो वो मेरे साथ झड़े और सारी की सारी मलाई अंदर। [
ब्लाइंड फोल्ड मेरी ब्रेसियर और पैंटी का ऐसे ही मैंने लगा रहने दिया।
कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे फिर मैंने गुड्डी की आवाज मैं
आधे पौन घंटे के ब्रेक के बाद मूसल फिर तैयार था , और मैं भी चुदवासी।
गुड्डी बनी मेरा सेकेण्ड राउंड चालू हो गया।
और ये पहले से भी भीषण था।
और जिस तरह वो खुल के बोल रहे थे गुड्डी के छोटे छोटे उभारो के बारे में , अब मुझे पता चला की उनकी ममेरी बहिन की कच्ची अमिया ने क्या जादू कर रखा था।
खूब खुल के रगड़ा मसला , चूसा ,कचकचा के काटा , और गुड्डी की आवाज में मैं भी भी उन्हें खूब उकसाया।
और चुदाई में चूतड़ उठा उठा कर उनका मैं साथ दे रही थी।
अबकी भी मुझे झाड़ने के बाद ही वो झड़े।
तीन बार झड़े वो , कम से कम कटोरी भर गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरी चूत में लबालब भरी थी ,छलकती , लेकिन एक बूँद भी मैंने बाहर नहीं निकलने नहीं दिया।
मेरी पूरी देह टूट रही थी
रात भी खत्म होने के कगार पर थी। रात की कालिख धीमे धीमे हलकी हो रही थी।
और अब मेरे ऊपर चढ़ने की बारी थी।
मेरी भरी भरी गोरी गोरी जाँघों के बीच उनका सर दबा हुया था , झुक के मैंने उनके आँखों पे बंधी अपनी काली लेसी ब्रेजियर और पैंटी खोल दी ,उसके साथ ही हमदोनों अपने रोल से बाहर.
ऊपर मैं ,नीचे तुम
और अब मेरे ऊपर चढ़ने की बारी थी।
मेरी भरी भरी गोरी गोरी जाँघों के बीच उनका सर दबा हुया था ,
ऊपर मैं ,नीचे तुम
और अब मेरे ऊपर चढ़ने की बारी थी।
मेरी भरी भरी गोरी गोरी जाँघों के बीच उनका सर दबा हुया था ,
झुक के मैंने उनके आँखों पे बंधी अपनी काली लेसी ब्रेजियर और पैंटी खोल दी ,
उसके साथ ही हमदोनों अपने रोल से बाहर,
मैं जोर जोर से अपनी चूत उनके मुंह पे रगड़ रही थी ,
जिसे थोड़ी देर पहले उन्होंने अपनी ममेरी बहन समझ के हचक हचक के चोदा था
और उनकी गाढ़ी कटोरी भरमलाई उसमें भरी थी।
कुछ दिन पहले ही वो चूत चाटने के नाम पे बिदकते थे लेकिन अब तो पक्के चूत चटोरे ,
और मैंने तय किया था की इन्हे नंबरी कम -स्लट बना के छोडूंगी /
" चाट बहनचोद , अपनी गुड्डी के यार अभी बहन समझ के रहा था न जरा अब अपनी जीभ से चाट चाट के साफ कर दो।"
उनकी जीभ आलरेडी मेरी बुर के अंदर , हर कोने में चारो ओर , अच्छी तरह से चाट चुट के ,…
और उनकी इस चूत चटाई से मैं दो बार फिर झड़ गयी।
अपनी थकी चूत को कुछ आराम देने के लिए मैंने पोजीशन थोड़ी बदली और
अब बजाय अगवाड़े के पिछवाडे का छेद सीधे उनके मुंह पे ,और मैंने भी दोनों हाथ से अपने नितम्बों को फैला लिया और सीधे अपनी गांड उनके होंठ पे ,चेहरे पे , अबदोनों हाथों से मैं जोर जोर से उनके बाल पकड़ के अपनी ओर खींच के
" चाट साले , अपनी ममेरी बहन के भंडुए चाट , गांड हाँ खूब जोर से अंदर तक जुबान डाल के ,हाँ हाँ ऐसे ही चाट बहनचोद। तेरी उस छिनाल बहना की गांड भी ऐसेमस्त चाटने लायक है , खूब गांड मटका मटका के पूरे शहर में आग लगा रखी है छिनार ने , बोलती है मेरे भैया ये मेरे भइया वो ,उसी भैया से सबके सामने खुलेआँगन में गांड न मरवाई तो , बोल मारेगा न उस गुड्डी छिनार की गांड , बोल साल्ले बोल , "
मैं जोर जोर से उनके ऊपर बैठी गांड सीधे उनके मुंह के ऊपर रगड़ रही थी , बिचारे मेरी बात का क्या जवाब देते ,बस गों गों आवाजें निकाल पा रहे थे।
लेकिन मैं सुनना तो उनके मुंह से अपनी उस छिनाल ननद का हाल खुलासा सुनना चाहती थी , इसलिए मैंने जरा सा चूतड़ सरकाया , जोर से उनका बाल खींचा औरबोला
" अरे जरा खुल के बोल न अपनी बहिना के गांड के बारे में कैसे लगती है छिनाल की गांड , "
झिझकते शर्माते उनके बोल फूटे ,
"हाँ हाँ ,उसके ,उसका पिछवाड़ा , उसकी ,… गांड बहुत मस्त है। "
और जोर से अपनी भारी भारी जांघो के बीच उनके सर को दबाते , उन्हें हड़काते मैं बोली ,
" अरे बहन के भडुवे , तेरी सारे खानदान की गांड मारू , उस छिनार की बुर चोदते शर्म नहीं लगेगी ,
नाम लेने में शर्म लगती है। पूरे शहर के लौंडे उस साल्ली का नामले ले के मुट्ठ मारते हैं , बिना नागा और तू उस का नाम लेने में ,. .
बोल साफ नाम ले के ,क्या करेगा उसकी गांड का जब मैं दिलवाऊँगी ,बोल ,… "
" हाँ हाँ ,गुड्डी के छोटे छोटे चूतड़ बहुत मस्त हैं, चाटूंगा उनको , जो बोलोगी वो सब करूंगा। "
अब वो बोले।
और इनाम के तौर पे मैंने फिर अपनी गांड से उनका मुंह सील कर दिया ,
और फिर गांड के बाद थोड़ी ही देर में एकबार फिर चूत चटाई ,
सुबह की पहली किरण , अँधेरे की चादर उठा के झाँक रही थी , हलकी सुनहली रोशनी पूरब की ओर से परदे को उठा के आ रही थी।
सुबह की पहली सुनहली किरण मेरी देह को हलके हलके छेड़ रही थी
बेड टी
सुबह की पहली किरण , अँधेरे की चादर उठा के झाँक रही थी , हलकी सुनहली रोशनी पूरब की ओर से परदे को उठा के आ रही थी।
सुबह की पहली सुनहली किरण मेरी देह को हलके हलके छेड़ रही थी।
मैंने अपनी निगाह नीचे की ,मखमली अँधेरे को कच्ची धूप हलके हलके सहला रहा थी और उसके बीच , मेरे लम्बे घने बाल आगे मेरे पथरीले कड़े उरोजों को थोड़ाछिपाते , थोड़ा दिखाते , उनपे नाख़ून और दांत के निशान और खूब कड़े इंच भर के कांच के कंचे ऐसे निपल ,
नीचे पतली सिंहनी सी कमर , गहरी नाभी , जहाँ हलकी हलकी पसीने की बूंदे झलक चमक रही थीं।
और उसके ठीक नीचे जाकर मेरी निगाह ठिठक कर अटक गयी ,
मेरी गुलाबी परी के अधखिले होंठ,अधखुले जैसे सुबह की किरन ने छेड़ के किसी सोती कली को अभी जगाया हो ,
और उन अधखुले गुलाबी होंठों के बीच रात की गाढ़ी थक्केदार रबड़ी मलाई का एक कतरा ,जैसे अब निकला तब निकला।
मेरे अधखुले , फड़कते भगोष्ठ उन के प्यासे नदीदे होंठों से मुश्किल से इंच दो इंच भर दूर रहे होंगे। और उन का चेहरा मेरी जाँघों के बीच कस के दबा ,भींचा , सुनहली धूप का एक शरारती टुकड़ा आके मेरे गुलाबी भगोष्ठों के बीच में आके बैठ गया था।
मैंने अपने रसीले निचले होंठ थोड़ा और नीचे किया और वो तड़प उठे ,
" प्लीज दो न , दो न प्लीज "
मैं कौन होती अपने प्यासे साजन को तरसाने वाली , … मैंने दो उँगलियों से अपने तितली की तरह फड़कते अधखुले निचले होंठों को खोल के ,… और अबउनकेप्यासे भूखे होंठों के बीच मेरे रसीले होंठ।
वो दुष्ट ,उसने अपनी जीभ से पहले एक लकीर सी खींची मेरे दोनों फड़कते तड़पते भगोष्ठों के चारो ओर , और मैं और तड़प उठी।
फिर वो दुष्ट जोभ सीधे मेरे तिलस्म के बटन पे , मेरी पिंकी को फ्लिक करने लगी , और मैं जोर जोर से सिसकियाँ भर उठी।
लेकिन कुछ देर में क्या कोई खेला खाया लंड घुसेगा , जिस तरह से उनकी जीभ मेरी तड़पती चूत में घुस गयी और कोई कोना न बचा होगा ,रात की मलाई का एकएक कतरा ,
" साल्ला पक्का कम स्लट बन गया है , एकदम चूत चटोरा। इसकी उस बिचारी ममेरी बहन की क्या हालत होगी जब उसकीकच्ची चूत इससे मैं चटवाउंगी , "
और जैसे उन्होंने मेरे मन की बात सुन ली हो और खुश हो के वो ,खूब जोर जोर से चूसने चाटने लगे. बीच बीच में मेरी क्लिट पे भी ,जोर जोर से वो चूसता औरकभी चूसने के साथ जीभ से क्लिट को प्रेस भी कर देता।
मेरी हालत खराब थी ,मेरी आँखे कब की मूँद चुकी थीं , जांघे खूब फैली बस लग रहा था अब गयी ,तब गयी ,एक जोर का प्रेशर जाँघों के बीच बन रहा था और मैंने अपने को अपने बालम के हवाले कर दिया था . उसके दोनों तगड़े हाथ भी अब मेरे कमर पे थे और मुझे जोर जोर से अपनी ओर खींच रहे थे ,
मैं एकदम झड़ने के कगार पे थी और मुझसे ज्यादा वो ये बात जान रहा था।
लेकिन तभी एक और प्रेशर चालू हो गया। सुबह का टाइम था और ये टाइम ही था , … फिर कल रात मैंने कई वाइन के पेग और उस के बाद इत्ती उनकी बनायीकॉकटेल ,
मेरी अपनी चूत की मसल्स पर बहुत कंट्रोल था , मैं रेगुलर केजेल एक्सरसाइज करती थी लेकिन इस समय प्रेशर बहुत बढ़ रहा था। मैंने छुड़ाने की कोशिश करते हुएकहा ,प्लीज छोडो , बाथरूम , बस , छोडो न।
उसकी आँखों में अजब की शरारत छा गयी और हाथों में न जाने कहाँ से बला की ताकत आ गयी। उसने खूब जोर से मेरे कमर को अपनी ओर खींच लिया और जैसेकोई तितली पंख फड़फड़ाये , मेरे क्लिट और चूत के होंठों पे उसकी जुबान ,
" छोड़ो न ,प्लीज ," मैं अब बेताब हो रही थी , किसी भी पल ,
" उंहु , बिन बोले उसने सर हिला के मना किया।
" प्लीज , सुसु आ रही है बस अभी कर के आती हूँ जाने दो वरना यहीं हो जायेगी , छोडो न " झुंझला के मैं बोलीं।
" तो हो जाने दो न " बिना रुके अबकी उसने बोला और पूरी क्लिट मुंह में दबा के जोर जोर से चूसने लगा।
मेरी आँखों के सामने कितनी गोल्डन शावर की मूवीज नाच गयीं ,जो हमने साथ देखी थीं , फीमेल डॉमिनेटिंग फोर्सफुली मेकिंग , . .
उसकी आँखों में शरारत नाच रही थी ,एक पल रुक के वो बोला ,
" हो जाने दो न ,मेरी बेड टी हो जायेगी ,"
" लेकिन बेडटी रोज पीनी पड़ती है। "
मैंने भी शरारत से मुस्करा के कहा। अब मैं भी मूड में आ गयी थी।
उसके होंठ अब सीधे यूरेथ्रा ( योनि का मूत्र -छिद्र ) पर आ गए थे ( बहुत कम मर्द होंगे जिन्हे उसकी लोकेशन भी मालूम होगी ). जोर जोर से सीधे अब वो उसी कोचूस रहे थे , एक पल के लिए रुक के बोले ,
" एकदम और सिर्फ एक बार नहीं , चाहे जितनी बार चाहो उतनी बार। तू नहीं देगी तो जबरदस्ती पी लूंगा। "
और ये कह के उन्होंने ' वहां' बहुत हलके से दांत लगा दिया ,
अब मेरे लिए रुकना मुश्किल था। एक बर्निंग सेंसेशन हो रहा था , प्रेशर बहुत ज्यादा हो रहा था मैं क्यों पीछे रहती शरारतों में उनसे और मैंने अपनी एक शर्त औरलगा दी,
" सिरफ बेड टी से काम नहीं चलेगा , फिर ब्रेकफास्ट भी कराऊंगी , "
मैंने झुक के उनकी आँखों में झांकते हुए साफ साफ कहा और उनकी नाचती मुस्कराती आँखों ने हामी भर दी।
और अब इस प्रेशर को रोकना मुश्किल हो गया।
उनके दोनों होंठ जोर से मेरी चूत दबोचे हुए थे और पूरी ताकत से चूस रहे थे , जीभ मूत्र छिद्र को छेड़ रही थी , अब किसी भी पल ,
" एक भी बूँद अगर बाहर गिरी न तो बहुत पीटूंगी "
मैं बोली और उस के ही साथ ,
आई हैड क्रास्ड प्वाइंट आफ नो रिटर्न एंड इट स्टार्टेड ,
पहले तो एक दो बूँद , फिर ट्रिकल ,
सुनहली धूप में वो सुनहली धार साफ़ दिख रही थी।
और मैंने आँख बंद कर ली। उसके बाद तो जैसे बाँध टूट पड़ा , कुछ देर बाद बस इतनी रिलीफ मिली और जब मैंने अपनी आँख खोली ,
वो अपने वादे के पक्के थे , एक भी बूँद बाहर नहीं गयी , सब ,…
और उसके बाद बिना रुके जिस तरह से उन्होंने ' उससे ' पूरी तरह भीगी गीली मेरी चूत को चूसना शुरू किया, बस मेरी जान नहीं निकली। मैंने पूरी ताकत से अपनेलम्बे लाल नेल पालिश से रंगे नाखून उनके कंधो में पैबस्त कर रखे थे। क्या कोई सक्शन पम्प सक करेगा , और बीच में मेरी क्लिट पे कभी जीभ से फ्लिक कभीदांत से हलके से , कुछ ही देर बाद एक के बाद एक वेव्स मेरी देह में उठनी शुरू हो गयीं , एक लहर खत्म नहीं होती की दूसरी चालू हो जाती।
मेरी पूरी देह पिघल रही थी।
मैं बिलकुल आपा खो चुकी थी , पता नहीं कब तक ये चलता रहा ,
मैं बस ये कह सकती हूँ की मेरा अबतक का ये बेस्ट आर्गाज्म था।
और उस के बाद मैं एक बार फिर बिस्तर पे जैसे बेहोंश पड़ गयी और थोड़ी देर बाद आँखे खुली ,उन की आवाज से ,
" बेड टी। "
और कुछ देर बाद जब वो तैयार होके आफिस जा रहे थे , आफ कोर्स मेरी लेसी पैंटीज में ,जो मैंने पिछले २४ घंटे से पहन रखी थी ,
और जिसमें मेरी 'देह गंध ' के अलावा भी बहुत कुछ लगा था,
पतली सी चांदी पायल जो उनके नाजुक पैरों से एकदम चिपकी थी ,उन्हें उनके नए रूप ,नयी पोजीशन का अहसास दिलाते।
मैंने जोर से उनके होंठों को चूमा ( हाँ और मैंने उन्हें न पेस्ट करने दिया था मुंह वाश करने , जिससे 'गोल्डन बेड टी ' का स्वाद गंध दिन भर बची रहे )और शैतानी से पूछा
" क्यों मुन्ने को मजा आया बेड टी में "
उन्होंने भी उतनी ही शैतानी से मुझे बाँहों में दबोच के कान में बोला ,
" लेकिन ब्रेकफास्ट नहीं मिला। "
खिलखिलाते अपने को छुड़ाते मैं बोली ,
" घबड़ा मत मिलेगा वो भी मिलेगा और बहुत जल्द मिलेगा मेरे मुन्ने। "
" और रात में मजा आया अपनी उस माल कम बहना को हचक हचक के नाम ले ले के चोदने में ,क्या मस्त चोद रहे थे साली को है न "
मैंने और छेड़ा।
और क्या जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने ,गौने की दुल्हन मात।
" अरे सोच यार जब ख्यालों में चोदने में उस माल को ये मजा आ रहा था तो सच में जब चोदेगा उस साल्ली को टांगे उठा के उसकी कच्ची चूत को तो कितना मजा आएगा ,घबड़ा मत अबकी तुझे तेरे मायके ले चलूंगी न तो उसकी दिलवाऊँगी , जरूर पक्का।
और जब वो आफिस जाने के लिए निकल चुके थे तो दरवाजा बंद करते मैं बोलीं
" बहन चोद तो तुझे बना ही दिया है , अब मादरचोद भी जल्द ही ,… "
बोला मैंने धीरे था , लेकिन उन्होंने सुना जरूर होगा।
मॉम के इंस्ट्रक्शंस
उनके जाने के बाद मेरी आँख लग गयी , रत जगे का असर.
सोते सोते मैं सोच रही थी , मेरी पूरी कोशिश है की उसके ऊपर जो झूठे वैल्यूज का सो काल्ड संस्कारों का बोझ उसके मायकेवालों ने लाद दिया था , वो सारे बड़े बड़ेपत्थर मैं किसी तरह ठेल ठाल के उसे मुक्त करा दूँ , जिससे ही शुड बी ट्रू टू हिज पर्सनाल्टी , वो खुल के जिंदगी का मजा ले सके , जो भी चीजें उसे बचपन से अच्छीलगती थीं , लेकिन जिसका मजा वो नहीं ले पाया। मुझे कल रात जिस तरह उसने अपनी ममेरी बहन समझ के हचक हचक के , और सबसे मजेदार तो जिस तरहआज आफिस जाते समय उसने मुझे चैलेन्ज किया ,
" ब्रेकफास्ट तो नहीं खिलाया न। "
मैंने मन ही मन बुदबुदाया , घबड़ा मत मुन्ना , वो भी मिलेगा और बहुत जल्द मिलेगा।
मैं मुश्किल से आधे घंटे नींद में थी की मम्मी के फोन से नींद खुल गयी।
वैसे भी ये रोज का समय उनके आफिस जाने के बाद का मम्मी बेटी संवाद का होता था। मैंने पहले भी कई बार कहा है की मॉम से मैं कुछ नहीं छिपाती थी।
और वो खोद खोद के सब बात पूछ भी लेती थीं।
जब मैंने उन्हें बताया की कैसे कल रात अपनी ननद बन के मैं चुदी और उनके मन की सब बातें बाहर अ गयीं , तो वो खूब खिलखिलायीं और बोली
"मैं तुझसे पहले ही कह रही थी चल पहले तू उसे पक्का बहनचोद बना और फिर मैं उसे मादरचोद बना के ही छोडूंगी। "
" अरे मम्मी आप के मुंह में घी शक्कर , वो तो बहुत खुश हो जाएंगे , "
मैंने भी हँसते हुए उनकी हाँ में हाँ लेकिन दलबदलने में मम्मी मेरी ,नेताओं के कान काटती थीं ,खास तौर से अगर उनकै जमाई राजा का मामला हो। पैदा उन्होंनेमुझे किया लेकिन झट्ट से पाला बदल के अपने दामाद के सपोर्ट में आ जाती थीं।
जैसे मैंने उनसे 'बेडटी और ब्रेकफास्ट ' की बात की , एकदम से वो मेरे ऊपर अलफ्फ , और अपने दामाद की ओर से बोलने लगीं ,
" सही तो कह रहा था वो , मेरा मुन्ना। ब्रेकफास्ट तो कराना चाहिए था ना , और थोड़ा सा क्यों पूरा कराती पेट भर। "
लेकिन मैं भी तो अपनी मम्मी की बेटी थी ,पलट के जवाब दिया मैंने ,
" सब कुछ बीबी ही सीखा देगी तो सास क्या करेंगी आके , अब बाकी काम आपके जिम्मे। "
वो जोर से खिलखिलायीं और चैलेन्ज स्वीाकार करते बोलीं,
" आने दे मुझे तू बिंचारे मेरे मुन्ने को जरा से ब्रेकफास्ट के लिए तड़पा रही है ,मैं तो उसे लंच डिनर सब करूंगी भर पेट और नहीं मानेगा तो जबरदस्ती।"
" एकदम मॉम ,वैसे भी वो आपके पिछवाड़े के दीवाने हैं , " मैंने मम्मी को मक्खन लगाया , लेकिन बात सच भी थी।
" मुझे मालूम है ," खुश हो के मम्मी बोलीं , और जोड़ा , " लेकिन मैं भी उसके पिछवाड़े की दीवानी हूँ। "
" मम्मी उनके पिछवाड़े का भी कुछ करना पडेगा , वो दरवाजा अभी तक बंद है। "
मैंने बोला और फिर हाल खुलासा सुनाया की कैसे कब वो १४ साल के थे तो चुदते चुदते रह गए थे और उस के बाद पांच छ बार बाल बाल बचे। "
" ये तो बहुत जुल्म है , माखन ऐसी गांड , ऐसा चिकना लौंडा , …चल अब तूने बोल दिया है तो उसका भी कुछ प्लान करते हैं। "
मॉम बोली।
फिर उन्होंने टॉपिक चेंज कर दिया उनके ड्रेस के बारे.
"मैं सोच रही हूँ अबकी आउंगी तो तेरे लिए कुछ साड़ियां ले आऊं " वो बोलीं।
मन ही मन मैं सोचा ,नेकी और पूछ पूछ लेकिन उन्हें चिढ़ाते बोली ,
" और अपने उस चाहने वाले कम दामाद के लिए कुछ नहीं लाइयेगा क्या ,मुंह फुलाकर बैठ जाएगा। "
" एकदम लाऊंगी , उस के लिए तो मैं चुन चुन कर अपनी वो पुरानी साड़ियां ला रही हूँ जो मैंने खूब पहनी हैं और अब एकदम घिस गयीं हैं ,मेरी देह की महक औररस से भरपूर। हरदम सास की महक आती रहेगी उसे। लेकिन तुमने उस की लिए कुछ नए कपडे सिलवाये की नहीं उसके नाप के। "
और अब मुझे डांट पड़ गयी।
बात मॉम की सही थी।
थोड़ी देर तक हम दोनों इसी बारे में बात करते रहे , और फिर ऐज यूजुअल , बात उनकी समधन या मेरी सास के बारे में चालू हो गयी।
" मैं चढ़ा तो दूँगी उसे तेरी सास के ऊपर , लेकिन उसे तैयार करने का काम , छेड़ने का काम , मन में आग सुलगाने का काम तेरा भी है , वो बोलीं फिर उन्होंने कुछहिंट्स भी दिए।
घंटे बाहर माँ बेटी संवाद चलता रहा ,और जैसे ही मैंने फोन रखा मैंने देखा , मिसेज खन्ना की मिस्ड काल थी , गनीमत थी सिर्फ पांच मिनट पहले की।
“उईइइइइइइइइइ , " मैं जोर से चीखी , एकदम गुड्डी की आवाज में।
" उईई भैय्या ,लगता है न धीरे से … "मेरी दर्द भरी चीख के साथ मस्ती भरी सिसकियाँ और उनके होंठ मेरे दूसरे जोबन पर पहुँच गए , लिकिंग ,किसिंग ,सकिंगसब एक साथ।
हम दोनों डबल बेड पे लेटे थे और वो मेरे ऊपर।
लेकिन मैंने उन्हें और उकसाया ,वही गुड्डी की आवाज ,गुड्डी की हरकतें ,
" भैया करो न , मन कर रहा है ,बहोत मन कर रहा है ,दो न "
और जैसे गलती से मेरी उँगलियाँ उनके लिंग से जैसे छू गयीं।
एकदम लोहे का राड , पूरे जोश में , एकदम तैयार खड़ा ,कड़ा।
और मैंने हलके हलके से उसे पकड़ लिया जैसे कोई किशोरी पहली बार झिझकते शरमाते पकड़ रही हो।
" कित्ते दिनों से मेरा मन कर रहा है , इसका ,तुम न भैय्या पूरे बुद्धू हो ,जरा भी इशारा नहीं समझते ,मैं तो ,… उस दिन भी जब केयरफ्री के लिए बोला था ,… तुमएकदम बुद्धू हो भैय्या और , आज भी बुद्धू ही हो ,. . "
और अब मैंने जैसे अपनी किशोर उँगलियों का दबाव हलके हलके उनके तने शिश्न पर बढ़ा दिया और धीमे धीमे सहलाने लगी।
उनकी हालत खराब थी।
मैंने अपनी लता सी टांगों को उनकी पीठ के ऊपर कर के अच्छी तरह बाँध दिया , और अब लिंग मेरी गीली योनि से बार बार रगड़ खा रहा था।
मैं एकदम गुड्डी के रोल में थी न सिर्फ आवाज ,बल्कि बॉडी लैंग्वेज , थोड़ी शर्म झिझक के साथ कुछ हो जाने का मन , जिस तरह से वो अपने चेहरे को एक अदा केसाथ मोड़ती थी , हल्की सी टिल्ट , उसकी लम्बी उँगलियों के तरीके सब कुछ ,
और अब एक बार फिर मैंने अपने हाथ से पकड़ के उनका हाथ अपने जोबन पे रख दिया।
और अब वह भी उसी तरह मुझे गुड्डी मान के , थोड़ा झिझकते ,थोड़ा सम्हल के मेरे जोबन छू रहे थे ,सहला रहे थे।
" भैय्या , भाभी के तो बहुत बड़े हैं न एकदम कड़े कड़े , … " मैंने उन्हें बोलने के लिए उकसाया।
:" हाँ तू सही कह रही है , तेरी भाभी के उभार बहुत मस्त हैं ,खूब रसीले ,एकदम परफेक्ट। " वो बोले।
मुझे अच्छा तो बहुत लगा उनके मन से अपनी तारीफ़ सुन के लेकिन मैं रोल से बाहर नहीं होना चाहती थी ,इसलिए मैं मुंह फुला के बोली ,
"मतलब ,भैय्या आपको मेरा नहीं ,… "
" अरे नहीं ,तेरे भी खूब छोटे छोटे हैं लेकिन कड़े कड़े , " मेरे उरोजों को सहलाते वो बोले।
" पूरा खोल के बोलिए न भैया वरना मैं गुस्सा हो जाउंगी , हाँ आप भी न , भाभी से तो आप एक दम खुल के , … बोलिए न ,बताइये न क्या कड़े कड़े ,… "
एकदम परफेक्ट गुड्डी की आवाज और मैनरिज्म , वही नखड़े ,
" तेरे जोबन , ये तेरी छोटी छोटी कड़ी कड़ी , … "
मैंने एक जोर की सिसकी भरी और उन्हें और उकसाया ,
हाँ भैय्या ऐसे ही प्लीज ,मुझे बहुत मन करता है आप अपने दिल की बात खुल के बोलो न " और साथ में अपने उरोज उनके सीने से रगड़ दिए।
बस जैसे उन्हें आग लग गयी , सब मन के बाँध टूट गए। इतने दिनों की बात सामने गयी।
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्तेकड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[
छोट छोट जोबना दाबे में मज़ा देय
" गुड्डी , ये तेरे छोटे छोटे कड़े मस्त जोबन , ये चूंचियां ,तुम जानती नहीं , मेरा बहुत मन करता था इन्हे छू लूँ ,दबा दूँ ,कस के मसल दूँ , कचकचा के काट लूँ ,कित्ते कड़े हैं कित्ते मस्त , दो न मुझे। "[
" लो न भैय्या ,मैं तो हरदम से तुम्हे खुद देने को तैयार थी अपनी चूंचियां , दबा दो ओह्ह ओह्ह हाँ ऐसे ही , मैं चाहे चीखूं चिल्लाऊं ,प्लीज भैय्या खूब जोर जोर से मसलो , रगड़ो , और आगे से भी जब भी तेरा मन करे , . . अगर तुम ज़रा भी शर्माएं न , या तुमने पूछा न तो मैं गुस्सा हो जाउंगी। हाँ , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। "[
मैं बोली ,गुड्डी की आवाज में।
फिर तो दोनों हाथों से मेरी चूंचियों की वो रगड़ाई हुयी और बीच बीच में कभी वो निपल काट लेते तो कभी चूंची पे दांत गड़ा देते।
मैं उन्हें और उकसा रही थी और चढ़ा रही थी एकदम अपनी उस कच्ची कली ननद की तरह।
लेकिन अब मैं भी गीली हो रही थी ,मेरा मन कर रहा था बस अब ये हचक के पेल दें।
उनका हथियार अब एकदम तैयार था मस्ती से बर्स्ट कर रहा था।
उसे दबाते मैंने कहा ,
" भैया अब डाल दो न , प्लीज बहुत मन कर रहा है ,लेकिन रुकना मत मैं चाहे जितना चीखूं चिल्लाऊं , आज फाड़ दो न मेरी। "
" तू भी तो साफ साफ़ बोल ,बोल न गुड्डी ,क्या डाल दूँ ,कहाँ डाल दूँ ,"
मस्ती में भरे जोर से मेरी गीली चूत पे अपना मोटा सुपाड़ा रगड़ते ,चिढ़ा के वो बोले।
लेकिन मैं अब पीछे हटने वाली नहीं थी।
बहुत हुयी अब आँख मिचौली
खेलूंगी मैं रस की होली
" भैय्या यही ,अपना मोटा मस्त लंड , अपनी गुड्डी की कसी कच्ची चूत में डालो न भैय्या। " जोर से उनके लंड को अपनी चूत पे रगड़ते मैं बोलीं।
फिर क्या था मेरी दोनों टांगें उनके कंधे पे , जांघे पूरी तरह फैली , और एक धक्का पूरी ताकत से ,…
लेकिन मैंने भी अपनी चूत खूब जोर से सिकोड़ ली थी जिससे उन्हें यही लगे की अपनी कुँवारी अनचुदी ममेरी बहन की चूत में लंड पेल रहे हैं।
एकदम एक लजीली शर्मीली किशोरी की तरह जो पहली बार घोंट रही हो ,
ओह्ह उईइइइइइइइइ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फट गयी भैय्या मेरी बहुत दर्द हो रहा है , ओह्ह आह , नहीईईईईईईईईई ,निकाल लो बहुत ,ओह्ह्ह्ह फाड़ दी भैय्या तूने मेरी , आह।
मैं चीख रही थी ,चिल्ला रही थी चूतड़ पटक रही थी ,सिसक रही थी /
वो भी अब जब आधे से ज्यादा लंड घुस चुका था तो कभी मेरी चूंचियां सहलाते तो कभी होंठ चूम के ढांढस दिलाते।
कुछ देर में मैंने दर्द कम होने का , और हलके से चूतड़ उचकाया ,
फिर क्या था वो , हचक के चुदाई की उन्होंने और नाम ले ले के।
गुड्डी ले ले , घोंट मेरा लंड , बहुत मन करता था तुझे चोदने का यार किती बात तुझे देख के मुट्ठ मारा , ओह्ह ले ले
और मैं भी एकदम गुड्डी की आवाज में कभी चीखती तो कभी सिसकती तो कभी उन्हें उकसाती
" दो न भैय्या ,पूरा दो ओह्ह दर्द हो रहा है लेकिन अच्छा भी लग रहा है। "
और अब वह भी पूरे मूड में थे , बस ऐसे चोद रहे थे ,जैसे अपनी ममेरी बहन कम मस्त माल को ही हचक के चोद रहे हों।
और मैं भी एक कम उमर की कच्ची किशोरी की तरह जिसकी चूत में पहली बार मोटा मूसल घुस रहा हो ,
चीख रही थी,सिसक रही थी ,चूतड़ पटक रही थी।
मैंने चूत खूब कस के सिकोड़ रखा था और उनका मूसल रगड़ता ,दरेरता,फाड़ता घुस रहा था।
उन्होंने अपने लेसन इतने दिनों में अच्छी तरह से सीख लिया था।
वह जान गए थे की उनका पहला काम , प्लीज करना , मजे देना , सटिस्फाई करना है और इससमय भी ,
उनकी उंगलियां ,होंठ और सबसे बढ़कर मूसल , गुड्डी बनी मुझे मजे देने में लगा हुआ था।
उनके होंठ निपल चूसने में लगे थे , और दूसरा निपल उनकी अंगूठे और तरजनी के बीच ,धक्को की रफ्तार
और ताकत अब बढ़ गयी थी , मेरी चीखों और सिसकियोंके बीच , हर चौथा पांचवा धक्का सीधे बच्चेदानी पे ,
साथ में लंड के बेस को जिस तरह वो क्लिट पे रगड़ देते मैं गिनगीना उठती।
और सबसे मजा तो तब आता जब वो चोदते हुए खुश होके बोलते ,
" ओह्ह गुड्डी क्या मस्त चूत है तेरी रानी , क्यों तड़पाया मुझे इत्ते दिन तूने। "
और मैं भी जोर जोर से अपने जोबन उनके सीने पे रगड़ती , अपने लम्बे नाखून उनके कंधो पे धँसाती ,उन्हें और जोर से अपनी ओर खींचती बोलती।
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भैय्या ,ओह्ह चोदो न मैं भी तू तुमसे चुदवाने को इतने दिनों से तड़प रही थीं , तुम्ही बुद्धू थे , तुम कभी भी चोद देते न मैं मना थोड़े ही करती "
और जवाब में उनका अगला धक्का मेरी चूत को चीर के रख देता।
" ओह्ह गुड्डी यार बहुत मजा आरहा है तुझे चोदने में ,ओह्ह आह क्या मस्त छोटी छोटी चूंचियां हैं तेरी ,
ओह क्या कसी चूत है है , मैं ही बुद्धू था , सच में तुझे पकड़ के कब का जबरदस्ती पेल देना चाहिए था। "
गुड्डी बनी मैं गुड्डी की आवाज में बोलती ,
ओह भैय्या , हाँ ओह्ह जैसे भाभी के साथ करते हो वैसे करो न खूब जोर जोर से ओह्ह्ह हाँ ,
बहुत मजा आ रहा है भैया , अब तक क्यों नहीं चोदा मुझे ,
मेरी सारीसहेलियां कब की अपने भाइयों से चुदवा चुदवा के मजे ले रही हैं। ओह्ह अह्ह्ह्हह्ह जोर से हाँ हाँ "
मारे मस्ती के वो अपना मोटा लंड ,सुपाड़े तक निकाल के फिर एक झटके में पूरा अंदर ढकेल देते ,
और जोर सेबोलते ,
" गुड्डी मेरी जान ,आज तो तूने मुझे बहनचोद बना ही दिया , सच बोल क्या तेरा सच में मन करता था मेरा लेने का , बोल आज खुल के बता न अब तो बहनचोद बन ही गया मैं "
“भैय्या हाँ अरे बहनचोद बन गए तो अपनी इस बहन के साथ खुल के मजे लो न , हचक हचक के चोद बहनचोद आज। हाँ भैय्या , मेरी सारी सहेलियां मुझे इतनाछेड़तीं थी , तेरा नाम लेके , इतना उकसाती थीं , तेरा इतना स्मार्ट भाई है ,
तगड़ा , तुझसे इतना घुला मिला , तुझे इतना चाहता है घोंट ले इसका।
दे दे जुबना का दान , लेकिन मैं इतना लिफ्ट देती थी पर , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह , पर तुम ही बुद्धू थे एकदम। बहुत मन करता था भैय्या तेरे साथ मजे करने का तेरा अंदर घोंटनेका
मैंने तो तय कर लिया था मेरी सहेली फटेगी तो तुझसे ,
लेकिन इत्ते दिन बाद, ओह्ह हां बहुत मजा आ रहां है , ओह्ह "
गुड्डी बनी मैं उन्हें और उकसा रही थी , चढ़ा रही थी।
फिर तो उन्होंने वो हचक हचक के चोदा , पांच -छ मिनट में मैं झड़ गयी ,
उन्हें चोदते १२-१५ मिनट हो गए थे।
थोड़ी सी रफ़्तार कम हुयी बस ,
और उसके बाद दुबारा ,
मैं जब दुबारा झड़ी तो वो मेरे साथ झड़े और सारी की सारी मलाई अंदर। [
ब्लाइंड फोल्ड मेरी ब्रेसियर और पैंटी का ऐसे ही मैंने लगा रहने दिया।
कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे फिर मैंने गुड्डी की आवाज मैं
आधे पौन घंटे के ब्रेक के बाद मूसल फिर तैयार था , और मैं भी चुदवासी।
गुड्डी बनी मेरा सेकेण्ड राउंड चालू हो गया।
और ये पहले से भी भीषण था।
और जिस तरह वो खुल के बोल रहे थे गुड्डी के छोटे छोटे उभारो के बारे में , अब मुझे पता चला की उनकी ममेरी बहिन की कच्ची अमिया ने क्या जादू कर रखा था।
खूब खुल के रगड़ा मसला , चूसा ,कचकचा के काटा , और गुड्डी की आवाज में मैं भी भी उन्हें खूब उकसाया।
और चुदाई में चूतड़ उठा उठा कर उनका मैं साथ दे रही थी।
अबकी भी मुझे झाड़ने के बाद ही वो झड़े।
तीन बार झड़े वो , कम से कम कटोरी भर गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरी चूत में लबालब भरी थी ,छलकती , लेकिन एक बूँद भी मैंने बाहर नहीं निकलने नहीं दिया।
मेरी पूरी देह टूट रही थी
रात भी खत्म होने के कगार पर थी। रात की कालिख धीमे धीमे हलकी हो रही थी।
और अब मेरे ऊपर चढ़ने की बारी थी।
मेरी भरी भरी गोरी गोरी जाँघों के बीच उनका सर दबा हुया था , झुक के मैंने उनके आँखों पे बंधी अपनी काली लेसी ब्रेजियर और पैंटी खोल दी ,उसके साथ ही हमदोनों अपने रोल से बाहर.
ऊपर मैं ,नीचे तुम
और अब मेरे ऊपर चढ़ने की बारी थी।
मेरी भरी भरी गोरी गोरी जाँघों के बीच उनका सर दबा हुया था ,
ऊपर मैं ,नीचे तुम
और अब मेरे ऊपर चढ़ने की बारी थी।
मेरी भरी भरी गोरी गोरी जाँघों के बीच उनका सर दबा हुया था ,
झुक के मैंने उनके आँखों पे बंधी अपनी काली लेसी ब्रेजियर और पैंटी खोल दी ,
उसके साथ ही हमदोनों अपने रोल से बाहर,
मैं जोर जोर से अपनी चूत उनके मुंह पे रगड़ रही थी ,
जिसे थोड़ी देर पहले उन्होंने अपनी ममेरी बहन समझ के हचक हचक के चोदा था
और उनकी गाढ़ी कटोरी भरमलाई उसमें भरी थी।
कुछ दिन पहले ही वो चूत चाटने के नाम पे बिदकते थे लेकिन अब तो पक्के चूत चटोरे ,
और मैंने तय किया था की इन्हे नंबरी कम -स्लट बना के छोडूंगी /
" चाट बहनचोद , अपनी गुड्डी के यार अभी बहन समझ के रहा था न जरा अब अपनी जीभ से चाट चाट के साफ कर दो।"
उनकी जीभ आलरेडी मेरी बुर के अंदर , हर कोने में चारो ओर , अच्छी तरह से चाट चुट के ,…
और उनकी इस चूत चटाई से मैं दो बार फिर झड़ गयी।
अपनी थकी चूत को कुछ आराम देने के लिए मैंने पोजीशन थोड़ी बदली और
अब बजाय अगवाड़े के पिछवाडे का छेद सीधे उनके मुंह पे ,और मैंने भी दोनों हाथ से अपने नितम्बों को फैला लिया और सीधे अपनी गांड उनके होंठ पे ,चेहरे पे , अबदोनों हाथों से मैं जोर जोर से उनके बाल पकड़ के अपनी ओर खींच के
" चाट साले , अपनी ममेरी बहन के भंडुए चाट , गांड हाँ खूब जोर से अंदर तक जुबान डाल के ,हाँ हाँ ऐसे ही चाट बहनचोद। तेरी उस छिनाल बहना की गांड भी ऐसेमस्त चाटने लायक है , खूब गांड मटका मटका के पूरे शहर में आग लगा रखी है छिनार ने , बोलती है मेरे भैया ये मेरे भइया वो ,उसी भैया से सबके सामने खुलेआँगन में गांड न मरवाई तो , बोल मारेगा न उस गुड्डी छिनार की गांड , बोल साल्ले बोल , "
मैं जोर जोर से उनके ऊपर बैठी गांड सीधे उनके मुंह के ऊपर रगड़ रही थी , बिचारे मेरी बात का क्या जवाब देते ,बस गों गों आवाजें निकाल पा रहे थे।
लेकिन मैं सुनना तो उनके मुंह से अपनी उस छिनाल ननद का हाल खुलासा सुनना चाहती थी , इसलिए मैंने जरा सा चूतड़ सरकाया , जोर से उनका बाल खींचा औरबोला
" अरे जरा खुल के बोल न अपनी बहिना के गांड के बारे में कैसे लगती है छिनाल की गांड , "
झिझकते शर्माते उनके बोल फूटे ,
"हाँ हाँ ,उसके ,उसका पिछवाड़ा , उसकी ,… गांड बहुत मस्त है। "
और जोर से अपनी भारी भारी जांघो के बीच उनके सर को दबाते , उन्हें हड़काते मैं बोली ,
" अरे बहन के भडुवे , तेरी सारे खानदान की गांड मारू , उस छिनार की बुर चोदते शर्म नहीं लगेगी ,
नाम लेने में शर्म लगती है। पूरे शहर के लौंडे उस साल्ली का नामले ले के मुट्ठ मारते हैं , बिना नागा और तू उस का नाम लेने में ,. .
बोल साफ नाम ले के ,क्या करेगा उसकी गांड का जब मैं दिलवाऊँगी ,बोल ,… "
" हाँ हाँ ,गुड्डी के छोटे छोटे चूतड़ बहुत मस्त हैं, चाटूंगा उनको , जो बोलोगी वो सब करूंगा। "
अब वो बोले।
और इनाम के तौर पे मैंने फिर अपनी गांड से उनका मुंह सील कर दिया ,
और फिर गांड के बाद थोड़ी ही देर में एकबार फिर चूत चटाई ,
सुबह की पहली किरण , अँधेरे की चादर उठा के झाँक रही थी , हलकी सुनहली रोशनी पूरब की ओर से परदे को उठा के आ रही थी।
सुबह की पहली सुनहली किरण मेरी देह को हलके हलके छेड़ रही थी
बेड टी
सुबह की पहली किरण , अँधेरे की चादर उठा के झाँक रही थी , हलकी सुनहली रोशनी पूरब की ओर से परदे को उठा के आ रही थी।
सुबह की पहली सुनहली किरण मेरी देह को हलके हलके छेड़ रही थी।
मैंने अपनी निगाह नीचे की ,मखमली अँधेरे को कच्ची धूप हलके हलके सहला रहा थी और उसके बीच , मेरे लम्बे घने बाल आगे मेरे पथरीले कड़े उरोजों को थोड़ाछिपाते , थोड़ा दिखाते , उनपे नाख़ून और दांत के निशान और खूब कड़े इंच भर के कांच के कंचे ऐसे निपल ,
नीचे पतली सिंहनी सी कमर , गहरी नाभी , जहाँ हलकी हलकी पसीने की बूंदे झलक चमक रही थीं।
और उसके ठीक नीचे जाकर मेरी निगाह ठिठक कर अटक गयी ,
मेरी गुलाबी परी के अधखिले होंठ,अधखुले जैसे सुबह की किरन ने छेड़ के किसी सोती कली को अभी जगाया हो ,
और उन अधखुले गुलाबी होंठों के बीच रात की गाढ़ी थक्केदार रबड़ी मलाई का एक कतरा ,जैसे अब निकला तब निकला।
मेरे अधखुले , फड़कते भगोष्ठ उन के प्यासे नदीदे होंठों से मुश्किल से इंच दो इंच भर दूर रहे होंगे। और उन का चेहरा मेरी जाँघों के बीच कस के दबा ,भींचा , सुनहली धूप का एक शरारती टुकड़ा आके मेरे गुलाबी भगोष्ठों के बीच में आके बैठ गया था।
मैंने अपने रसीले निचले होंठ थोड़ा और नीचे किया और वो तड़प उठे ,
" प्लीज दो न , दो न प्लीज "
मैं कौन होती अपने प्यासे साजन को तरसाने वाली , … मैंने दो उँगलियों से अपने तितली की तरह फड़कते अधखुले निचले होंठों को खोल के ,… और अबउनकेप्यासे भूखे होंठों के बीच मेरे रसीले होंठ।
वो दुष्ट ,उसने अपनी जीभ से पहले एक लकीर सी खींची मेरे दोनों फड़कते तड़पते भगोष्ठों के चारो ओर , और मैं और तड़प उठी।
फिर वो दुष्ट जोभ सीधे मेरे तिलस्म के बटन पे , मेरी पिंकी को फ्लिक करने लगी , और मैं जोर जोर से सिसकियाँ भर उठी।
लेकिन कुछ देर में क्या कोई खेला खाया लंड घुसेगा , जिस तरह से उनकी जीभ मेरी तड़पती चूत में घुस गयी और कोई कोना न बचा होगा ,रात की मलाई का एकएक कतरा ,
" साल्ला पक्का कम स्लट बन गया है , एकदम चूत चटोरा। इसकी उस बिचारी ममेरी बहन की क्या हालत होगी जब उसकीकच्ची चूत इससे मैं चटवाउंगी , "
और जैसे उन्होंने मेरे मन की बात सुन ली हो और खुश हो के वो ,खूब जोर जोर से चूसने चाटने लगे. बीच बीच में मेरी क्लिट पे भी ,जोर जोर से वो चूसता औरकभी चूसने के साथ जीभ से क्लिट को प्रेस भी कर देता।
मेरी हालत खराब थी ,मेरी आँखे कब की मूँद चुकी थीं , जांघे खूब फैली बस लग रहा था अब गयी ,तब गयी ,एक जोर का प्रेशर जाँघों के बीच बन रहा था और मैंने अपने को अपने बालम के हवाले कर दिया था . उसके दोनों तगड़े हाथ भी अब मेरे कमर पे थे और मुझे जोर जोर से अपनी ओर खींच रहे थे ,
मैं एकदम झड़ने के कगार पे थी और मुझसे ज्यादा वो ये बात जान रहा था।
लेकिन तभी एक और प्रेशर चालू हो गया। सुबह का टाइम था और ये टाइम ही था , … फिर कल रात मैंने कई वाइन के पेग और उस के बाद इत्ती उनकी बनायीकॉकटेल ,
मेरी अपनी चूत की मसल्स पर बहुत कंट्रोल था , मैं रेगुलर केजेल एक्सरसाइज करती थी लेकिन इस समय प्रेशर बहुत बढ़ रहा था। मैंने छुड़ाने की कोशिश करते हुएकहा ,प्लीज छोडो , बाथरूम , बस , छोडो न।
उसकी आँखों में अजब की शरारत छा गयी और हाथों में न जाने कहाँ से बला की ताकत आ गयी। उसने खूब जोर से मेरे कमर को अपनी ओर खींच लिया और जैसेकोई तितली पंख फड़फड़ाये , मेरे क्लिट और चूत के होंठों पे उसकी जुबान ,
" छोड़ो न ,प्लीज ," मैं अब बेताब हो रही थी , किसी भी पल ,
" उंहु , बिन बोले उसने सर हिला के मना किया।
" प्लीज , सुसु आ रही है बस अभी कर के आती हूँ जाने दो वरना यहीं हो जायेगी , छोडो न " झुंझला के मैं बोलीं।
" तो हो जाने दो न " बिना रुके अबकी उसने बोला और पूरी क्लिट मुंह में दबा के जोर जोर से चूसने लगा।
मेरी आँखों के सामने कितनी गोल्डन शावर की मूवीज नाच गयीं ,जो हमने साथ देखी थीं , फीमेल डॉमिनेटिंग फोर्सफुली मेकिंग , . .
उसकी आँखों में शरारत नाच रही थी ,एक पल रुक के वो बोला ,
" हो जाने दो न ,मेरी बेड टी हो जायेगी ,"
" लेकिन बेडटी रोज पीनी पड़ती है। "
मैंने भी शरारत से मुस्करा के कहा। अब मैं भी मूड में आ गयी थी।
उसके होंठ अब सीधे यूरेथ्रा ( योनि का मूत्र -छिद्र ) पर आ गए थे ( बहुत कम मर्द होंगे जिन्हे उसकी लोकेशन भी मालूम होगी ). जोर जोर से सीधे अब वो उसी कोचूस रहे थे , एक पल के लिए रुक के बोले ,
" एकदम और सिर्फ एक बार नहीं , चाहे जितनी बार चाहो उतनी बार। तू नहीं देगी तो जबरदस्ती पी लूंगा। "
और ये कह के उन्होंने ' वहां' बहुत हलके से दांत लगा दिया ,
अब मेरे लिए रुकना मुश्किल था। एक बर्निंग सेंसेशन हो रहा था , प्रेशर बहुत ज्यादा हो रहा था मैं क्यों पीछे रहती शरारतों में उनसे और मैंने अपनी एक शर्त औरलगा दी,
" सिरफ बेड टी से काम नहीं चलेगा , फिर ब्रेकफास्ट भी कराऊंगी , "
मैंने झुक के उनकी आँखों में झांकते हुए साफ साफ कहा और उनकी नाचती मुस्कराती आँखों ने हामी भर दी।
और अब इस प्रेशर को रोकना मुश्किल हो गया।
उनके दोनों होंठ जोर से मेरी चूत दबोचे हुए थे और पूरी ताकत से चूस रहे थे , जीभ मूत्र छिद्र को छेड़ रही थी , अब किसी भी पल ,
" एक भी बूँद अगर बाहर गिरी न तो बहुत पीटूंगी "
मैं बोली और उस के ही साथ ,
आई हैड क्रास्ड प्वाइंट आफ नो रिटर्न एंड इट स्टार्टेड ,
पहले तो एक दो बूँद , फिर ट्रिकल ,
सुनहली धूप में वो सुनहली धार साफ़ दिख रही थी।
और मैंने आँख बंद कर ली। उसके बाद तो जैसे बाँध टूट पड़ा , कुछ देर बाद बस इतनी रिलीफ मिली और जब मैंने अपनी आँख खोली ,
वो अपने वादे के पक्के थे , एक भी बूँद बाहर नहीं गयी , सब ,…
और उसके बाद बिना रुके जिस तरह से उन्होंने ' उससे ' पूरी तरह भीगी गीली मेरी चूत को चूसना शुरू किया, बस मेरी जान नहीं निकली। मैंने पूरी ताकत से अपनेलम्बे लाल नेल पालिश से रंगे नाखून उनके कंधो में पैबस्त कर रखे थे। क्या कोई सक्शन पम्प सक करेगा , और बीच में मेरी क्लिट पे कभी जीभ से फ्लिक कभीदांत से हलके से , कुछ ही देर बाद एक के बाद एक वेव्स मेरी देह में उठनी शुरू हो गयीं , एक लहर खत्म नहीं होती की दूसरी चालू हो जाती।
मेरी पूरी देह पिघल रही थी।
मैं बिलकुल आपा खो चुकी थी , पता नहीं कब तक ये चलता रहा ,
मैं बस ये कह सकती हूँ की मेरा अबतक का ये बेस्ट आर्गाज्म था।
और उस के बाद मैं एक बार फिर बिस्तर पे जैसे बेहोंश पड़ गयी और थोड़ी देर बाद आँखे खुली ,उन की आवाज से ,
" बेड टी। "
और कुछ देर बाद जब वो तैयार होके आफिस जा रहे थे , आफ कोर्स मेरी लेसी पैंटीज में ,जो मैंने पिछले २४ घंटे से पहन रखी थी ,
और जिसमें मेरी 'देह गंध ' के अलावा भी बहुत कुछ लगा था,
पतली सी चांदी पायल जो उनके नाजुक पैरों से एकदम चिपकी थी ,उन्हें उनके नए रूप ,नयी पोजीशन का अहसास दिलाते।
मैंने जोर से उनके होंठों को चूमा ( हाँ और मैंने उन्हें न पेस्ट करने दिया था मुंह वाश करने , जिससे 'गोल्डन बेड टी ' का स्वाद गंध दिन भर बची रहे )और शैतानी से पूछा
" क्यों मुन्ने को मजा आया बेड टी में "
उन्होंने भी उतनी ही शैतानी से मुझे बाँहों में दबोच के कान में बोला ,
" लेकिन ब्रेकफास्ट नहीं मिला। "
खिलखिलाते अपने को छुड़ाते मैं बोली ,
" घबड़ा मत मिलेगा वो भी मिलेगा और बहुत जल्द मिलेगा मेरे मुन्ने। "
" और रात में मजा आया अपनी उस माल कम बहना को हचक हचक के नाम ले ले के चोदने में ,क्या मस्त चोद रहे थे साली को है न "
मैंने और छेड़ा।
और क्या जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने ,गौने की दुल्हन मात।
" अरे सोच यार जब ख्यालों में चोदने में उस माल को ये मजा आ रहा था तो सच में जब चोदेगा उस साल्ली को टांगे उठा के उसकी कच्ची चूत को तो कितना मजा आएगा ,घबड़ा मत अबकी तुझे तेरे मायके ले चलूंगी न तो उसकी दिलवाऊँगी , जरूर पक्का।
और जब वो आफिस जाने के लिए निकल चुके थे तो दरवाजा बंद करते मैं बोलीं
" बहन चोद तो तुझे बना ही दिया है , अब मादरचोद भी जल्द ही ,… "
बोला मैंने धीरे था , लेकिन उन्होंने सुना जरूर होगा।
मॉम के इंस्ट्रक्शंस
उनके जाने के बाद मेरी आँख लग गयी , रत जगे का असर.
सोते सोते मैं सोच रही थी , मेरी पूरी कोशिश है की उसके ऊपर जो झूठे वैल्यूज का सो काल्ड संस्कारों का बोझ उसके मायकेवालों ने लाद दिया था , वो सारे बड़े बड़ेपत्थर मैं किसी तरह ठेल ठाल के उसे मुक्त करा दूँ , जिससे ही शुड बी ट्रू टू हिज पर्सनाल्टी , वो खुल के जिंदगी का मजा ले सके , जो भी चीजें उसे बचपन से अच्छीलगती थीं , लेकिन जिसका मजा वो नहीं ले पाया। मुझे कल रात जिस तरह उसने अपनी ममेरी बहन समझ के हचक हचक के , और सबसे मजेदार तो जिस तरहआज आफिस जाते समय उसने मुझे चैलेन्ज किया ,
" ब्रेकफास्ट तो नहीं खिलाया न। "
मैंने मन ही मन बुदबुदाया , घबड़ा मत मुन्ना , वो भी मिलेगा और बहुत जल्द मिलेगा।
मैं मुश्किल से आधे घंटे नींद में थी की मम्मी के फोन से नींद खुल गयी।
वैसे भी ये रोज का समय उनके आफिस जाने के बाद का मम्मी बेटी संवाद का होता था। मैंने पहले भी कई बार कहा है की मॉम से मैं कुछ नहीं छिपाती थी।
और वो खोद खोद के सब बात पूछ भी लेती थीं।
जब मैंने उन्हें बताया की कैसे कल रात अपनी ननद बन के मैं चुदी और उनके मन की सब बातें बाहर अ गयीं , तो वो खूब खिलखिलायीं और बोली
"मैं तुझसे पहले ही कह रही थी चल पहले तू उसे पक्का बहनचोद बना और फिर मैं उसे मादरचोद बना के ही छोडूंगी। "
" अरे मम्मी आप के मुंह में घी शक्कर , वो तो बहुत खुश हो जाएंगे , "
मैंने भी हँसते हुए उनकी हाँ में हाँ लेकिन दलबदलने में मम्मी मेरी ,नेताओं के कान काटती थीं ,खास तौर से अगर उनकै जमाई राजा का मामला हो। पैदा उन्होंनेमुझे किया लेकिन झट्ट से पाला बदल के अपने दामाद के सपोर्ट में आ जाती थीं।
जैसे मैंने उनसे 'बेडटी और ब्रेकफास्ट ' की बात की , एकदम से वो मेरे ऊपर अलफ्फ , और अपने दामाद की ओर से बोलने लगीं ,
" सही तो कह रहा था वो , मेरा मुन्ना। ब्रेकफास्ट तो कराना चाहिए था ना , और थोड़ा सा क्यों पूरा कराती पेट भर। "
लेकिन मैं भी तो अपनी मम्मी की बेटी थी ,पलट के जवाब दिया मैंने ,
" सब कुछ बीबी ही सीखा देगी तो सास क्या करेंगी आके , अब बाकी काम आपके जिम्मे। "
वो जोर से खिलखिलायीं और चैलेन्ज स्वीाकार करते बोलीं,
" आने दे मुझे तू बिंचारे मेरे मुन्ने को जरा से ब्रेकफास्ट के लिए तड़पा रही है ,मैं तो उसे लंच डिनर सब करूंगी भर पेट और नहीं मानेगा तो जबरदस्ती।"
" एकदम मॉम ,वैसे भी वो आपके पिछवाड़े के दीवाने हैं , " मैंने मम्मी को मक्खन लगाया , लेकिन बात सच भी थी।
" मुझे मालूम है ," खुश हो के मम्मी बोलीं , और जोड़ा , " लेकिन मैं भी उसके पिछवाड़े की दीवानी हूँ। "
" मम्मी उनके पिछवाड़े का भी कुछ करना पडेगा , वो दरवाजा अभी तक बंद है। "
मैंने बोला और फिर हाल खुलासा सुनाया की कैसे कब वो १४ साल के थे तो चुदते चुदते रह गए थे और उस के बाद पांच छ बार बाल बाल बचे। "
" ये तो बहुत जुल्म है , माखन ऐसी गांड , ऐसा चिकना लौंडा , …चल अब तूने बोल दिया है तो उसका भी कुछ प्लान करते हैं। "
मॉम बोली।
फिर उन्होंने टॉपिक चेंज कर दिया उनके ड्रेस के बारे.
"मैं सोच रही हूँ अबकी आउंगी तो तेरे लिए कुछ साड़ियां ले आऊं " वो बोलीं।
मन ही मन मैं सोचा ,नेकी और पूछ पूछ लेकिन उन्हें चिढ़ाते बोली ,
" और अपने उस चाहने वाले कम दामाद के लिए कुछ नहीं लाइयेगा क्या ,मुंह फुलाकर बैठ जाएगा। "
" एकदम लाऊंगी , उस के लिए तो मैं चुन चुन कर अपनी वो पुरानी साड़ियां ला रही हूँ जो मैंने खूब पहनी हैं और अब एकदम घिस गयीं हैं ,मेरी देह की महक औररस से भरपूर। हरदम सास की महक आती रहेगी उसे। लेकिन तुमने उस की लिए कुछ नए कपडे सिलवाये की नहीं उसके नाप के। "
और अब मुझे डांट पड़ गयी।
बात मॉम की सही थी।
थोड़ी देर तक हम दोनों इसी बारे में बात करते रहे , और फिर ऐज यूजुअल , बात उनकी समधन या मेरी सास के बारे में चालू हो गयी।
" मैं चढ़ा तो दूँगी उसे तेरी सास के ऊपर , लेकिन उसे तैयार करने का काम , छेड़ने का काम , मन में आग सुलगाने का काम तेरा भी है , वो बोलीं फिर उन्होंने कुछहिंट्स भी दिए।
घंटे बाहर माँ बेटी संवाद चलता रहा ,और जैसे ही मैंने फोन रखा मैंने देखा , मिसेज खन्ना की मिस्ड काल थी , गनीमत थी सिर्फ पांच मिनट पहले की।