Episode 21


वह इतने बेताब हो रहे थे मॉम के आने के लिए , क्या कोई गौने की दुल्हन होती होगी। क्या क्या तैयारी नहीं की उन्होंने ,

खुद बार बार कह के मुझसे ग्रूमिंग के लिए गए ,. बार बार मुझसे पूछते ,मम्मी को कौन सा लुक पसंद आयेगा ,हाई चीक बोन्स , खुद कैसे रुज ,मस्कारा और आईलैशेज का इस्तेमाल कर सकते हैं कम से कम घर में ,

और ग्रूमिंग में तो , वही मेरी जादू की दूकान और उनकी साली थी वहां न , तनु , बस एक इशारा मेरा काफी था। फेशियल ,पेडीक्योर ,मैनीक्योर,नेल आर्ट ,हेयर ट्रीटमेंट ,सब कुछ ,.

वो खुद गए शॉपिंग के लिए , मटन ,एग्स , ( मम्मी ने खुद उन्हें बताया था की उन्हें सिर्फ नान वेज पसंद है ) और आम भी अलग लॉग वैरायटी के ( ये आदेश भी मम्मी ने दिया था ,उनकी पुरानी चिढ देखते हुए खास तौर पे ).

दो दिन बाद मॉम आईं।

हम दोनों गए उन्हें स्टेशन रिसीव करने।

और मॉम आ गई।

हम दोनों उन्हें लेने स्टेशन गए थे।

श्वेत धवल शिफॉन की साडी , लो कट स्लीवलेस सफ़ेद ब्लाउज , ५-७ इंच की देह यष्टि , गोरी मांसल देह ,भरी भरी ,लेकिन खूब कसी , सफ़ेद मोतियों की माला और उसके साथ लगा बड़ा सा पेन्डेन्ट ठीक दोनों उभारों के बीच गहरी गहराई में धंसा

लेकिन लो कट ब्लाउज से साफ़ साफ़ दिखता और साफ़ साफ़ झलकती गोलाइयाँ , उनका कटाव ,उभार और कड़ापन।

और डिब्बे से निकल कर उन्हें लगेज देने के लिए जब वो झुकीं तो पता नहीं जाने में या अनजाने ,उनका आँचल झलक गया

और ब्लाउज को फाड़ते ,एकदम तने कड़े कड़े , उभार खुल कर झलक गए। खूब डीप लो कट होने से दोनों मांसल उरोजों की सख्त गोलाइयाँ , एकदम साफ़ साफ़ ,

और उनकी हालत खराब हो गयी।

उनकी निगाहें तो बस सफ़ेद स्लीवलेस ब्लाउज से झांकती
कड़ी गुदाज गोरी गोलाइयों पर चिपक गयी।

उनकी चोरी मैंने और मॉम दोनों ने पकड़ ली,मुश्किल से अपनी मुस्कराहट दबाई।

लगेज पकड़ते समय मॉम की दहकती उंगलियां भी उनकी उँगलियों को छू गईं तो लगा की उनकी उँगलियाँ झुलस गईं।

उनकी निगाहें भी बस ऊपर , . वहीँ ,. . वो तो मैंने घुटनों से हलके से , .

तो वो जैसे होश में आये और फिर झट से घबड़ा के झुक के

एकदम से उन्होंने मॉम के पैर छू लिए।

( ये चीज तो मॉम के लिए भी अनएक्सपेक्टेड थी। बहू को तो सास का पैर छूना ही पड़ता था , कहीं भी कभी भी। लेकिन एक दामाद अपनी सास के पैर छुए , वो भी भीड़ भरे प्लेटफार्म पर सबके सामने ,.
दामाद तो हाथ भी जोड़ ले तो बड़ी बात और वो तो हमेशा मॉम को तुम्हारी मम्मी ,तुम्हारी मम्मी कह के ही बोलते थे , तो उनके लिए ,. )

लेकिन मेरी मॉम ,मेरी भी मॉम थीं।

उन्होंने अपने हाथ से उनके सर को दबाते हुए झुक के फुसफुसाया ,

" अरे ठीक से छू न ,. . "

उन्होंने न सिर्फ दोनों हाथों से दोनों पाँव छुए बल्कि अपना माथा भी उनके गोरे गोरे पैरों हलके से छुला दिया ,

असल जादू डार्क स्कारलेट पेंटेड टो नेल्स का था ,
उनसे नहीं रहा गया तो उन्होंने हलके से उसे चूम भी लिया।

पर मॉम भी न उन्होंने हलके से अपनी सैंडल और उनके मुंह में पुश कर दी, और उनके बाल सहलाते हुए असीसा भी , सदा सुहागन रही और उठा के हलके से अपनी बाहों में भर लिया। कहने की बात नहीं उनके ३८ डी डी उभार हलके हलके उनकी छाती पे पुश कर रहे थे।
और इस का असर घर आते समय भी था। वो ड्राइव कर रहे थे लेकिन उन्होंने रियर व्यू मिरर इस तरह फिक्स कर रखा था सीधे पीछे से , .

लेकिन मैं उन्ही को दोष क्यों दूँ।

पिछली सीट पर मेरी बगल में बैठी वो , कभी उनका आँचल छलक जाता तो कभी खुद गहराइयों में धंसी मोतियों की माला से वो खेलने लगतीं तो कभी,.

और मुझसे बात करते समय भी मेरी सास और ननद के बारे में खुल के एक से एक द्विअर्थी डायलॉग , . और एक बार मॉम ने उन्हें , मिरर में चोरी चोरी उनकी गहराइयों ,गोलाइयों को घूरते देख लिया तो फिर तो ,

अपने होंठ गोल कर के अपनी जीभ गाढ़े लाल लिपस्टिक वाले होंठों पर इस तरह घुमाने लगीं जैसे फ़्लाइंग किस दे रही हों।

घर पहुँचने की मुझे जल्दी थी लेकिन मुझसे जल्दी उन लोगों को थी।

घर पहुंचते ही वो बिचारे मम्मी के बड़े बड़े भारी सूटकेस लाद कर मम्मी के कमरे में ले गए , जिसे उन्होंने बहुत प्यार और मेहनत से तैयार किया था।

और हम दोनों बिस्तर पर धम्म से बिस्तर पर बैठ कर पंचायत करने लगे।

घर पहुंचते ही वो बिचारे मम्मी के बड़े बड़े भारी सूटकेस लाद कर मम्मी के कमरे में ले गए , जिसे उन्होंने बहुत प्यार और मेहनत से तैयार किया था।

और हम दोनों बिस्तर पर धम्म से बिस्तर पर बैठ कर पंचायत करने लगे।

' ये देख , मम्मी बोलीं , उस बेवकूफ वेटर ने चाय गिरा दी। "

एक नन्हा मुन्ना सा चाय का बहुत हल्का सा दाग सफ़ेद शिफॉन की साडी पे दिख रहा था।

और वो सूटकेस पहुंचा के सामने अगले आदेश के इन्तजार में खड़े थे।

" मम्मी दे दीजिये न इन्हे धुल देंगे , जितनी देर होगी दाग और पक्का हो जाएगा। "

मैं बोलीं।

" लेकिन बहुत ध्यान से हैंडवाश करना होगा , बिना मसले रगड़े ,
और सिर्फ उतनी ही जगह पे। "

" कर देंगे मम्मी ये आप बस उतार के इन्हे दे दे दीजिये। "

मैंने फिर कहा और उनसे बोली ,

" सुन रहे हो न , उसके बाद सुखा के , आयरन कर के मॉम के वार्डरोंब में टांग देना। "

' जी ,जी , . हाँ एकदम। " तुरंत वो बोले।

मम्मी भी , वहीँ वो खड़ी हो गईं और एक चक्कर काट के उन्होंने पहले तो पेटीकोट में घुसी साडी को निकाला , उनकी ओर पिछवाड़ा कर के , उनके बड़े भारी नितम्ब और बीच की दरार का दर्शन कराते , और फिर आगे होके अपने जोबन का दर्शन कराते झुक के ,

साडी वहीँ उतार के उन्हें पकड़ा दी।

अब वो सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में थी।

ब्लाउज भी जहाँ से उनके बड़े बड़े उरोज शुरू होते थे वहीँ से शुरू होता था , सफ़ेद ऑलमोस्ट पारभासी ,और खूब लो कट , स्लीवलेस और साइड से भी खूब गहरा कटा हुआ

, जिससे उनकी गोरी गोरी कांखे भी दिख रही थीं. मांसल पान के पत्ते ऐसा चिकना पेट ,खूब गहरी नाभी , और पेटीकोट का नाड़ा भी उन्होंने एकदम नीचे से बांधा था मुश्किल से कूल्हों के ऊपर , और दीर्घ नितम्बा तो वो थी हीं।

मम्मी के तने तने पहाड़ एकदम ब्लाउज को जैसे फाड़ रहे थे , सारा उभार कटाव और जब झुक के वो साडी देने लगीं उन्हें तो सारी गहराई , सब का दर्शन उन्होंने करा दिया।

बिचारे वो उनकी निगाहैं तो बस उन दोनों गोरी गोरी मांसल पहाड़ियों से चिपक के रह गईं ,

"हे क्या देख रहे हो जाके अपना काम करो ,"

मुश्किल से मैंने मुस्कराहट दबाते हुए उन्हें हड़काया।

लेकिन मम्मी भी न , उन्होंने एक अंगड़ाई ली दोनों हाथ ऊपर उठा के ,

अब उनकी गोरी गोरी कांखे , उसमें काले काले बालों की थोड़ी थोड़ी ग्रोथ ,और स्लीवलेस साइड से भी अंदर तक कटा था तो अच्छा खास जोबन दर्शन हो गया ,

जब वो मुड़े तो बस लुढ़कते बचे। खूंटा उनका तन गया था। जैसे तैसे साड़ी लेकर वो अंदर गए।

मम्मी ने मस्करा के मुझे देखा और बोलीं

" होता है यार होता है , मुझे देख के बड़ों बड़ों के साथ ,. और फिर तुम्हारे इस बालक ने इतना सामान ढोया था न की , . कुछ टिप तो बनती थी न "

" टिप , . या टिट दर्शन , मम्मी आप भी न। " खिलखिलाते मैं बोली।

और हम दोनों कॉलेज की सहेलियों की तरह खिलखिलाने लगीं। मेरे और मम्मी के बीच का रिश्ता था भी ऐसा।

सास के चरण

" होता है यार होता है , मुझे देख के बड़ों बड़ों के साथ ,. और फिर तुम्हारे इस बालक ने इतना सामान ढोया था न की , . कुछ टिप तो बनती थी न "

" टिप , . या टिट दर्शन , मम्मी आप भी न। " खिलखिलाते मैं बोली।

और हम दोनों कॉलेज की सहेलियों की तरह खिलखिलाने लगीं। मेरे और मम्मी के बीच का रिश्ता था भी ऐसा।

कुछ ही देर में काम खत्म कर के वो फिर चिराग के जिन्न की तरह हाज़िर।

" मम्मी आप सैंडल उतार के आराम से पैर ऊपर रख के बैठिए न। "

मैं बोली और उन्हें तो बस हिंट चाहिए था।

' लाइए मैं खोल देता हूँ न , " वो बोले और मम्मी ने भी पैर उनकी ओर बढ़ा दिया।

घुटनों के बल बैठ के , बहुत प्यार से उन्होंने सम्हाल के मम्मी के पैर पकडे और आलमोस्ट सहलाते हुए सैंडल खोलने लगे।

लेकिन निगाहें उनकी मॉम के गोरे संदली पैरों से चिपकी थीं।

परफेक्टली पेडिक्योर्ड , रेड स्कारलेट कलर्ड टोनेल्स , चांदी की चमकती छोटे छोटे घुंघरू वाली चमकती बिछिया , और हजार घुंघरुओं वाली पायल , पैरों में छनकती खनकती।

जैसे अनजाने में मम्मी ने हल्का सा झटका दिया और सैंडल के तलवे उनके गाल पे पल भर के लिए लग गए ,

जैसे उन्हें ४४० वोल्ट का झटका लगा हो ,

उनकी उंगलियों का प्रेशर मॉम के खूबसूरत पैरों पर बढ़ रहा था , उनकी आँखे चाहत से जल रही हों जैसे वो झुक के एक ,.

लेकिन मैंने आँखों के इशारे से उन्हें हड़काया।

उसका मौका मिलेगा बाद में ,अभी तो मम्मी आई ही हैं।

सैंडल ले के वो अंदर चल गए।

उनके चेहरे से साफ़ लग रहा था की जैसे किसी बच्चे को कोई मिठाई मिलने वाली हो

फिर अचानक मना कर दिया गया हो।

मैं और मम्मी एक दूसरे को देख के मुस्करा रहे थे।

वहीँ से मैंने हंकार लगाई , और सुनो , मम्मी थकी होंगी न ,

"ज़रा हम लोगों के लिए गरमगरम चाय ले आना।

" मैंने सूना है की तुम पकौड़े बहुत अच्छे बनाते हो , ". .

मम्मी ने उनके दुःख पर जैसे मरहम लगाते हुए कहा।

" एकदम मम्मी अभी बना के लाता हूँ। "

उनकी आवाज में ख़ुशी छलक रही थी।

एकदम अच्छे बच्चे की तरह ,मम्मी को खुश करने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थे।

कुछ देर में मैं भी किचन में पहुंची।

बैगन ,प्याज ,आलू करीने से कटे रखे थे।

एक बाउल में उन्होंने फ्रेश हरी चटनी बनाई थी , चाय चढ़ा दी और पकौड़ी के लिए बेसन भी घोल लिया था।

कड़ाही जस्ट चढ़ाई थी।

एकदम किचन की ड्रेस में ,परफेक्ट। पिंक एप्रन और ,.

मुझे भी एक शरारत सूझी।

मंझली ऊँगली मैंने बेसन के घोल में डीप किया , उसमें कटी हुयी हरी मिर्चें पहले से पड़ी थीं।

जरा सा साये को उठाया और उनके पिछवाड़े ,गचाक से अंदर।

" उईई ई ,"

किसी नयी लौंडिया की तरह चीख पड़े वो।

" क्या हुआ , "बेडरूम से मम्मी की आवाज आई।

" कुछ नहीं मम्मी जरा मिर्चें चेक कर रही थी। "

खिलखिलाते हुए मैं बोली।

" अरे तब तो , बहुत कम हैं। उस छिनार के जने ,हरामन के पूत से कह दो , मुझे तो ज्यादा मिर्चे ही पसंद हैं। "

और मैंने थोड़ी और कटी हरी मिर्चें बेसन के घोल में डाल दीं।

और अबकी जब दुबारा अंदर ऊँगली गयी तो उसमें उसका भी एक टुकड़ा लगा था।

बिचारे की हालत ख़राब हो गयी लेकिन ,

उन्होंने अपने होंठ दांतों से काटकर , किसी तरह चीख रोकी।

लेकिन उनकी आँखों में तैरते आंसू उनकी बुरी हालत बता रहे थे।

कुछ देर में वो तरह तरह के पकौड़े, ताज़ी हरी चटनी और गरमागरम चाय ले कर हाजिर हो गए।

" रुको मैं थोड़ा हाथ वाथ धुल के , . "

मम्मी की बात काट के मैंने उनकी ओर इशारा किया।

" अरे मम्मी ये ६ फिट का आदमी किस मर्ज की दवा है , और उनसे बोली , तुम खिला दो न मॉम को अपने हाथ से। "

वो बिचारे थोड़ा हिचक रहे थे और कारन साफ़ था , मम्मी अभी भी साया और स्लीवलेस ब्लाउज में जिसमें सब कुछ तो नहीं लेकिन बहुत कुछ दिखता था।

हाँ ,एसी फुल ब्लास्ट पर चल रहा था इसलिए मम्मी और मैंने पैरों पर एक हलकी सी जयपुरी डाल रखी थी , इसलिए कमर के नीचे का हिस्सा तो ढंका था पर सफ़ेद स्लीवलेस पारभासी ब्लाउज फाड़ते उनके गोरे मांसल पहाड़ उनकी हालत खराब करने के लिए काफी था।

" हे तुम भी घुस जाओ न अंदर , कम इन ,. "

मॉम ने जिस तरह से कहा अब उनके लिए रुकना मश्किल था और वो अंदर।

पहले ही कौर में मम्मी ने हलके से उनकी उंगली काट ली , चिढ़ाते हुए।

अगली पकौड़ी उन्होंने बैंगनी पेश की ,

मम्मी ने उनकी तारीफ़ भी की और छेड़ा भी ,

" ये तो बहुत अच्छी है ,लगता है तुम्हे बैगन बहुत पसंद है। "

" अरे मम्मी सिर्फ इन्हे ही नहीं मेरी छुटकी ननद को भी बहुत पसंद है बैंगन ,"

मैं क्यों मौक़ा छोड़ती , मैंने भी जड़ दिया।

" हाँ हाँ अच्छा याद दिलाया क्या नाम है तेरी उस ननद का , इनकी शादी में आई तो थी वो सारे गाँव के लौंडे उसके पीछे पड़े थे।

अब तक याद करते हैं उस छिनाल को , "

मॉम ने पूछा।

"गुड्डी ,. मम्मी " खुद उनके मुंह से निकल गया।

" देखो ममी मैंने नाम लिया नहीं , आपने नाम लिया नहीं , अब ये उसे खुद छिनाल बोल रहे हैं तो मेरी क्या गलती जो मैं छिनाल को छिनाल बोलती हूँ। "

हंसी रोकती हुयी मैं बोली।

बिचारे वो शर्म से गुलाल हो रहे थे।

मम्मी ने बात सम्हालने की कोशिश की , और प्यार से ब्लश करते गुलाबी गालों को सहलाते उनका पक्ष लेते बोलीं,

" तू भी न मेरे बिचारे सीधे साधे दामाद के पीछे पड़ जाती है। अरे अगर उनकी ममेरी बहन छिनाल है , सारे मोहल्ले में बांटती फिरती है ,सबसे नैन मटक्का करती है ,सबसे दबवाती लगवाती है , तो इसमें इन बिचारे का क्या कसूर। अरे दो साल पहले जब आई थी तभी उसके गदरा रहे थे , अब तो और बड़े ,. मेरा मतलब क्या साइज है उसकी? "

ये सवाल मम्मी ने सीधे उन्ही से पूछा था और उनकी हालत सांप छछूंदर वाली हो रही थी।

मैंने उकसाया ,

" अरे बता दो न , मम्मी सिर्फ उसकी ब्रा का नंबर ही तो पूछ रही हैं ये थोड़े पूछ रही हैं की तू उसके जुबना दबाते हो की नहीं। बोलो न। "

( अब बात ये थी की उन्होंने मुझसे कबूला था उसकी साइज ३२ सी है , जो की एकदम सही जवाब था। क्योंकि इसी साल कुछ महीने पहले ही होली में तो मैंने जम कर नाप जोख की थी , तो वो मम्मी से झूठ तो बोल नहीं सकते थे की उन्हें मालुम नहीं है। )

उन्होंने थूक गटका , थोड़ी देर इधर उधर देखा और जल्दी से बोल दिया ,

" ३२ सी मम्मी। "

" अरे वाह तब तो बड़े मस्त हो गए होंगे उस छिनाल के ,खूब दबाती मिसवाती होगी ,घूम घूम के , ऐसा करना अबकी तुम उसे १०-१५ के दिन के लिए मेरे साथ गाँव भेज देना , उसका भी मन बदल जाएगा और ,. "

मम्मी ने प्रस्ताव रखा और समर्थन मैंने किया।

" एकदम मम्मी , अभी कुछ दिन बाद जब हम इनके मायके जायंगे न तो यही कह रहे थे उसे कुछ दिन के लिए यहीं से आपके साथ भेज देंगे , क्यों ,. "

मैं उन्हें कमिट कराने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो चुप बैठे थे।

लेकिन मेरी मॉम के तरकश में बहुत तीर थे।

मॉम ने अपना हाथ उनके कंधे पर रख दिया।

और उनका सफ़ेद आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट स्लीवलेस ,डीप लो कट ब्लाउज अच्छी तरह स्ट्रेच हो गया। उनकी बड़ी बड़ी गोरी गुदाज गोलाईयां , उनका कटाव ,उभार कड़ापन सब कुछ साफ़ झलक रहा था। अब एकदम दिख रहा था की उन्होंने सिर्फ हाफ कप ब्रा पहन रखी जो सिर्फ उनके उभारों को सपोर्ट कर रही थी और थोड़ा और उभार रही थी।

हाथ उठाने से स्लीवलेस ब्लाउज से ,मॉम की गोरी गोरी कांखे भी दिख रही थीं ,

और एक गजब की नशीली महक,. उन की आँखे तो बस वहीँ चिपक के रह गयी थीं।

मॉम ने अगला हथियार चलाया , उनकी लम्बी उँगलियाँ , शार्प स्कारलेट कलर्ड नेल्स , . उनके मुलायम गाल में धंसाते वो बोली ,

" अरे यार , कोई न कोई तो उसका नेवान करेगा न ,और अब तो एकदम लेने लायक हो गयी है। ये सही कह रही है , तुम लोग कुछ दिन उसे अपने पास रखो , मजे लो मन भर के आखिर पहला हक़ तो तेरा ही है न।

और कुछ दिन बाद भेज देना मेरे पास , गाँव की हवा की बात ही कुछ और है , फिर बहुत चाहने वाले हैं उस के तेरे ससुराल में भी , और मैं भी ,. उसे रहन सहन , चलना फिरना ,. सब कुछ अच्छी तरह से सिखा के तेरे पास भेज दूंगी ,१०-१५ दिन में। "

" और क्या मम्मी , आज कल गाँव में गन्ने और अरहर के खेत भी तो खूब बड़े बड़े हो गए होंगे। इनके माल के तो मजे ही मजे हैं। "

मैं छेड़ने का मौका क्यों छोड़ती।

लेकिन मम्मी मेरी ,बिना उनसे हाँ कहलाये नहीं छोड़ने वाली थीं।

" तो पक्का न , भेजेगा न उसे मेरे पास १०-१५ दिन के लिए, " उन्होंने फिर पूछा।

कुछ झिझके लेकिन बोल ही दिया उन्होंने ,' ठीक है मम्मी "

और मना करने का सवाल इसलिए भी नहीं था की उनकी निगाहें ,गहरे क्लीवेज में खोयी हुयी थीं। हाफ कप ब्रा और आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट सफ़ेद ब्लाउज से बड़े बड़े निपल्स तक की हलकी आभा दिख रही थी।

जब वो प्लेट रख कर वापस लौटे तो मम्मी ने तय कर लिया था की उनकी इस बात के लिए थोड़ा इनाम तो बनता है।

मम्मी ने अपने हाथ थोड़े और ऊपर कर लिए , अब उनकी गोरी गोरी कांखे एकदम साफ़ साफ़ दिख रही थी।

थोड़ी परेशानी वाली आवाज में मम्मी उनसे बोलीं , " मुन्ना ,जरा देख तो कुछ इचिंग सी हो रही है जैसे कुछ चुनचुना रहा है।
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