Episode 22
आर्मपिट्स
थोड़ी परेशानी वाली आवाज में मम्मी उनसे बोलीं , " मुन्ना ,जरा देख तो कुछ इचिंग सी हो रही है जैसे कुछ चुनचुना रहा है।
उन्होंने अपना चेहरा और पास कर लिया लेकिन मैं इतने आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी ,
" अरे ज़रा एकदम पास ले जाओ न चेहरा , दूर से क्या दिखेगा। "
मम्मी की बांहे जो मृणाल बाहें कहते हैं न बसी उसी तरह की थीं , खूब गोरी मांसल ,माखन ऐसी चिकनी , और उससे ज्यादा उनकी आर्मपिट्स और उसके छोटे छोटे काले काले रोएं ,
उनकी हालत वास्तव में बहुत खराब हो रही थी। किसी तरह थूक गटकते बोले ,
" कुछ नहीं मम्मी , हल्का सा पसीना है। "
बिना कुछ परवाह किये मॉम बोलीं , तो साफ़ कर दे ना।
उन्होंने हाथ बढ़ाया तो मैं ने बरजा।
" अरे ये क्या कर रहे हो , अभी इसी हाथ से खाना बनाओगे ," और रास्ता भी मैंने सुझाया उनके कान में फुसफुसा के ,
" अरे तेरे लिप्स तो यार एकदम एक्सपर्ट हैं कुछ भी साफ़ कर देने में , चलो उन्ही का इस्तेमाल करो।
अब तो वो होश खो बैठे , एक तो वो जहरीली नशीली मॉम के आर्मपिट की महक , किसी भी परफ्यूम से ज्यादा ओवरपावरिंग , और ऊपर से ये खुला दावतनामा।
बस उनके होंठ चुम्बक की तरह चिपक गए ,लालची और भूखे।
उन्होंने हलके से सूंघा और फिर ऐसे चूमना शुरू किया ,
फिर एक के बाद एक लिक्स , उन्होंने हाथों से लिक करना शुरू किया और
सीधे काँखों तक , जैसे ममी कोअपनी सारी कला इसी समय दिखा देना चाहते हों।
वह चूम रहे थे चूस रहे थे चाट रहे थे , हर पल इंजाव्य कर रहे थे।
मम्मी ने वो पतली रजाई अपने हाथ के ऊपर कर लिया
और बस अब उनका सर उनकी काँखों के बीच दबा ,फंसा ,. .
मम्मी अपने हाथ के जोर से भी उनके सर को आर्मपिट्स में दबा रही थीं।
मुझे अब कुछ नहीं दिख रहा था
लेकिन जो क्विल्ट के अंदर से आवाजें आ रही थी , चूसने चाटने की उससे लग रहा था की वो हर पल के मजे लूट रहे हैं।
उनका चेहरा पूरी तरह ढंका था , लेकिन अंदर से चूसने ,चाटने की आवाजें आ रही थीं ,
और मम्मी ने अब उनका हाथ उठा के अपने एक उरोज पर रख दिया, उस पतले ब्लाउज से भी वो उसका कड़ापन , उभार सब कुछ महसूस कर रहे थे।
वो थोड़ा हिचकिचाए तो मम्मी की डांट पड़ गयी,
".
…… मम्मी उन्हें जम के छेड़ रही थीं।
" अरे काहें इतना शरमा रहा है। समझ ले तेरी मां का है , उनका तो और भी गददर है।
तेरे ससुराल में तो आज भी उनके जोबन की याद करके सब मरद मुट्ठ मारते हैं।
उनका तो खूब दबाया होगा न तूने।
बस उन्ही का समझ के पकड़ ले , क्यों कैसा लग रहा है , है न रसभरा ,गदराया। "
बिचारे , मैं समझ रही थी उनकी क्या हालत हो रही होगी और उनसे ज्यादा उनके खूंटे की।
और मॉम ने हमला और तेज कर दिया।
उन्हें मालूम था की वो किस तरह उनके गोरे गोरे पैरों के दीवाने हैं।
बस , उन्होंने थोड़ा सा पेटीकोट ऊपर सरकाया और अब उनका खड़ा खूंटा उनके दोनों तलवों के बीच ,जैसे कोई हल्के हल्के मथानी मथ रहा हो।
सबसे पहले तो लाल रंग से रंगे नाखूनों वाले अंगूठों से
उन्होंने हल्के से सरका सरका के सुपाड़े का चमड़ा सरका दिया ,
फिर पैर के अंगूठे से सुपाड़े के छेद में सुरसुरी करनी उन्होंने शुरू कर दी ,
फिर उनके शरारती पैर के अंगूठों ने हल्के हल्के मांसल सुपाड़े को दबाना ,
मसलना शुरू कर दिया।
खूंटा उनका लोहे के राड ऐसा कड़ा हो रहा था।
पर तड़पाने में तो मम्मी का मुकाबला नहीं था।
उनकी चांदी की पायल की रुनझुन बता रही थी की अब मेरे उनका खूंटा कस कस के मम्मी के दोनों गोरे गोरे तलुवों रगड़ा मसला जा रहा था।
सासू के चरण
खूंटा उनका लोहे के राड ऐसा कड़ा हो रहा था।
पर तड़पाने में तो मम्मी का मुकाबला नहीं था। उनकी चांदी की पायल की रुनझुन बता रही थी की अब मेरे उनका खूंटा कस कस के मम्मी के दोनों गोरे गोरे तलुवों रगड़ा मसला जा रहा था।
उनका चेहरा मम्मी की छोटे छोटे रोएं वाली गोरी मांसल काँख में दबा हुआ था , और मम्मी उन्हें कस के भींचे हुए थीं।
उनकी उन्ह आंह मस्ती की हाल बता रही थी और फिर मम्मी ने अपना सबसे खतरनाक तीर चल दिया। उनका एक पैर अगवाड़े पिछवाड़े के बीच में और फिर मॉम के अंगूठे ने सीधे पिछवाड़े , गोलकुंडा के दरवाजे पर रगड़ दिया।
मस्ती से उनकी हालत खराब हो गई
और फिर सब झिझक भूल के उनके हाथ ने कस के मम्मी के मम्मे को दबोच लिया और कस के दबाने लगे।
यही तो वो चाहती थीं , मम्मी ने उनका दूसरा हाथ भी पकड़ के सीधे अपने गोरे गोरे दूसरे 36 डी डी पर रख दिया और बोलीं ,
" हाँ दबा न कस कस के जैसे मेरी समधन का दबाता है। है न वैसा ही रसीला , कड़ा कड़ा , गदराया ,. अरे घबड़ा मत अगर तुझसे दबवाने में वो जरा भी नखड़े करेंगी तो में हूं न। सारी पोल पट्टी उनकी मुझे मालूम है कैसे जब उनकी कच्ची अमिया भी ठीक से नहीं आई थी तो तेरे मामा से भिजवाती थी।
एकदम खोल के कस कस के दबवाऊंगी ,मुन्ना जरा भी परेशान मत हो तू। "
बिचारे उनका चेहरा तो मम्मी की पसीने से भरी कांख में दबा हुआ था , जहां से जो वो उन्ह आंह की आवाजें निकल रही थी उसे हामी ही कहा जा सकता है।
एक बार फिर तेज पायल की आवाज बता रही थी कैसे उनके लण्ड की जम के रगड़ाई हो रही है।
पायल की बढ़ती रुनझुन बता रही थी की उनके खूंटे की मम्मी के पैरों से रगड़ाई अब कितनी तेजी से हो रही है।
मस्ती से उनकी हालत खराब थी , उनके होंठ , उनकी फेवरिट जगह मम्मी की पसीने से भरी काँखों के बीच चाटते चूसते,
मम्मी के गोरे गोरे पैर उनके खूंटे को मसलते रगड़ते ,
उनके जो हाथ मम्मी के रसीले उभारों पर थे , उन्होंने झिझक छोड़ के उसे कस के दबोचना दबाना शुरू कर दिया था।
और जब उनकी हालत एकदम खराब हो गई वो एकदम झड़ने के कगार पर पहुंच गए
तो बस मम्मी के पैर रुक गए ,
और मम्मी ने उनसे वो साफ साफ कबूलवा लिया जिसमें मैं नाकाम थी।
मॉम ने साफ साफ पूछा ,
" बोल , साले , रंडी के जने , भेजेगा ना अपने माल को मेरे पास , मेरे गांव बोल , मादरचो। "
और उन्होंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया।
मम्मी ने खुशी से मेरी ओर देखा और एक बार फिर से उनकी पायल की रुनझुन चालू हो गई थी।
उनके तलवे फिर से चालू हो गईं. धीमे धीमे फिर उनकी रफ़्तार बढ़ती गई ,
और साथ में मम्मी के अपनी समधन के बारे में कमेंट ,
" अरे दबा कस के , ले मजा जैसे मेरी समधन के गदराए जोबन का लेता है। दुद्धू पिएगा बोल , अरे बचपन में तो बहुत पिया होगा न लेकिन असली मजा तो जवानी में चूस चूस के , . घबड़ा मत पिलाएगी मेरे मुन्ना को और वो भी मेरे सामने। अरे सारे मोहल्ले में बांटती है , तेरे मामा से दबवाती भिजवाती चुसवाती है। अरे पहले सहलाना , फिर मजे से दबाना
फिर चूस चूस के ,जैसे बचपन में पीया होगा न ,वैसे ही। उससे भी ज्यादा मजा आएगा ,सच में। "
मम्मी की खूंटे के रगड़ने की रफ़्तार अब पूरी तेजी पकड़ चुकी थी ,
पायल और बिछुए की रुनझुन ,
8-10 मिनट रगड़ने के बाद जैसे ही मॉम को लगता की वो किनारे पर पहुंचने वाले है ,
वो बस रफ़्तार थोड़ी सी हल्की कर देतीं ,
बिना रुके और हल्के से पाज के बाद फिर से,.
मुझे अपने ऊपर अब , . जो मैंने शिलाजीत,बादाम साण्डे का असली तेल लगा लगा के मालिश की थी उसका असर झलक रहा था।
एकदम लोहे के खम्भे की तरह कड़ा , तना ,.
दूसरा कोई होता तो मम्मी के इस 'ट्रीटमेंट' के बाद कब का पानी फेंक चुका होता।
मम्मी भी तारीफ की निगाहों से मुझे देख रही थीं।
मम्मी ने स्पीड के साथ और भी ट्रिक शुरू कर दी थी ,
उनके पैर का अंगूठा कभी लण्ड के बेस पे रगड़ देता तो कभी पिछवाड़े के छेद पे ,
और उनकी बातों तेज हो गया था ,एकदम खुल्लमखुल्ला,
" मादरचोद , बोल ,…तेरी मां का भोसड़ा , बोल लेगा न मजा उसके भोसड़े का।
बहुत रस है छिनार के भोंसडे में , बोल बहनचोद , रंडी का जना,बहन का भण्डुआ , लेगा न भोसड़े का मजा , मादरचो ,. "
वो झड़ने के एकदम कगार पे थे , और मां ने अपनी कांख से उनके सर को छोड़ दिया था। पर वो अभी भी ,. .
" चलती हूं , अभी सारा सामान अनपैक करना है , फ्रेश भी होना है "
और ये कहते हुए वो उठ खड़ी हुई लेकिन चलने के पहले उन्होंने अपने दामाद को देखा जैसे अपने सवाल का जवाब पूछ रही हों और वो भी ,
उनके मुंह से हाँ निकल ही गया।
विजय भरी मुस्कान से उन्होंने मेरी ओर देखा
और अपने दामाद को ललचाते हुए बड़े बड़े कसे नितम्ब मटकाते , अपने कमरे की ओर चल दीं।
बिचारे वो ,उनकी तो हालत खराब थी , कुलबुलाते छटपटाते दरवाजे की ओर देख रहे थे ,जहां इस तड़पती हालत में उन्हें छोड़ के उनकी सास चली गई।
उनकी हालत देख के, मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पतली रजाई पलट दी
और उनका झंडा अभी भी वैसे ही कड़ा ,खड़ा था , भूखा प्यासा।
उनका झंडा
" चलती हूं , अभी सारा सामान अनपैक करना है , फ्रेश भी होना है "
और ये कहते हुए वो उठ खड़ी हुई लेकिन चलने के पहले उन्होंने अपने दामाद को देखा जैसे अपने सवाल का जवाब पूछ रही हों और वो भी , उनके मुंह से हाँ निकल ही गया।
विजय भरी मुस्कान से उन्होंने मेरी ओर देखा और अपने दामाद को ललचाते हुए बड़े बड़े कसे नितम्ब मटकाते , अपने कमरे की ओर चल दीं।
बिचारे वो ,उनकी तो हालत खराब थी , कुलबुलाते छटपटाते दरवाजे की ओर देख रहे थे ,जहां इस तड़पती हालत में उन्हें छोड़ के उनकी सास चली गई।
उनकी हालत देख के, मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पतली रजाई पलट दी और उनका झंडा अभी भी वैसे ही कड़ा ,खड़ा था , भूखा प्यासा।
मैंने उसे अपनी कोमल कोमल मुट्ठी में दबोच लिया और लगी रगड़ने मसलने ,
" बहुत कस के खड़ा है , अब क्या करोगे? मैं बोलूं , वो जो मेरी छिनार ननद है न तेरी चूतमरानो ममेरी बहन गुड्डी , बस उसी की चूत में पेल दो। एकदम मस्त माल है , सोचो न उसकी उठी हुई सुंदर लम्बी लम्बी टांगे तेरे कंधे पे , खूब फैली हुई गोरी गोरी चिकनी मांसल जाँघे ,. उसकी कच्ची कमसिन टाइट किशोर चूत में दरेरता रगड़ता फाड़ता घुसता तेरा ये मोटा लण्ड , कितना मजा आएगा न , सोचो तुम उस छिनार को हचक हचक के चोद रहे हो , , फचाफच फचाफच,. "
और साथ में मैंने उनके मुठीयाने की रफ़्तार बढ़ा दी ,
लण्ड का सुपाड़ा अभी भी खुला था और मेरा अंगूठा उस पे हल्के से टैप कर रहा था।
मेरे मुठीयाने के साथ अब वो खुद अपना चूतड़ उठा उठा के धक्के वो मार रहे थे जैसे सच में अपनी बहन की कच्ची चूत चोद रहे हों।
मैंने और आग लगाई ,
" बस अब कुछ दिन की ही तो बात है , तुझे ले चलूंगी न तेरे मायके। मिलवाऊंगी तेरे उस माल से , . तो उसे ऐसे ही हचक हचक के , उसके कच्चे टिकोरे पकड़ के पेलना।
बहुत कसी है चूत उसकी
लेकिन देखना हंस हंस के घोंटेगी अपनी चूत में वो , . पक्की चुदवासी है वो ,"
और इसके साथ ही मैंने एक उंगली और अंगूठे से उनके मांसल खूब फूले कड़े सुपाड़े को हल्के से दबाया , दो बूंद प्री कम की छलक आई। मेरी मंझली उंगली का लम्बा शार्प नाखून उनके पी होल ( पेशाब के छेद ) में और दूसरे हाथ का अंगूठा सीधे उनके गांड के छेद में ,
वो उचक गए , और दो चार बूंदे प्री कम की फिर से सुपाड़े से बरस पड़ीं।
मैने उसे तरजनी में लपेटा और उन्हें दिखा के चिढ़ाते हुए चाट लिया और उठ गई , तब तक मम्मी की आवाज उनके कमरे से आई ,
" चल न मम्मी बुला रही है "
और मैं उन्हें उसी हालात में खींच के उस कमरे में ले आई जिसे मॉम के लिए इत्ते प्यार से उन्होंने तैयार किया था।
मम्मी
मेरी तर्जनी पर अभी भी ' रस की बूंदे ' चमक रही थी। मम्मी की निगाहें उधर ही थी , जैसे ही मैने उंगली उनकी ओर बढ़ाई , झट से नदीदी की तरह उन्होंने चाट लिया और बोलीं ,
" यमम , बहुत स्वादिष्ट है। वाह "
माम की तारीफ भरी निगाहें उनकी तरफ थी पर वो शर्मा के बीर बहूटी हो रहे थे।
चारो ओर सामान फैला पड़ा था , उनकी साड़ियां, पेटीकोट , अंडर गारमेंट्स , उन्होंने अपने सारे सूटकेस ,बैग्स खोल दिए थे और अालमारी मे लगाने जा रही थी।
मम्मी की बगल मे मै भी फर्श पर बैठ गयी और बोला ,
" अरी मम्मी काहें तकलीफ़ कर रही हैं , ये ६ फिट का अादमी क्यों खड़ा है। "
खुद ही वो मम्मी के पास बैठ गए फिर जैसा वो कहती गयी अलग अलग शेल्फ पर साड़ी ,पेटीकोट, अंडर गारमेंट्स लगाते गए।
एक गुलाबी रंग की सिल्कन ब्रा को अपने हाथ मे लेकर वो थोड़ी देरतक देखते रहे , उसका टच महसूस करते रहे।
थी भी बहुत अच्छी , खूब कढ़ाई की हुई , लेसी , हाफ कप , प्योर सिल्क ,
मम्मी मुस्करा कर बोलीं , "चल तुझे पसंद अा गयी तो तू ही रख ले। "
इनकी चेहरे की चमक देख के मुश्किल से मै अपनी मुस्कराहट दबा पायी।
वो चेंज करने के लिए बाथरूम की ओर मुड़ने लगीं तो चिढाते हुए मैं बोलीं ,
" अरे मम्मी यहीं चेंज कर लीजिये न अब इनसे क्या शरम। "
" सही कह रही है तू ,अब तो ये भी अपने बिरादरी में शामिल हो गया ,. " और उन्होंने तौलिया लपेट लिया।
लेकिन पहले उनके बड़े बड़े मस्त 36 डी डी ,लेसी ब्रा से झलकते ,छलकते, वो देख चुके थे। और जब वो पीछे मुड़ीं तो उनके बड़े बड़े ,कड़े कड़े चूतड़ ,.
वो बाथरूम में घुसी ही थीं की मैंने फिर बोला ,
" मम्मी आपके लिए उन्होंने खुद चमकाया है ,सब कुछ अपने हाथ से यहां तक की टा. '
लेकिन मेरी बात बीच में काट के मम्मी ने इनकी तरफ मुड़ के तारीफ़ से देखा और बोलीं ,
" चल तब तो आज इस्तेमाल कर लेती हूँ वरना मेरा इरादा तो कुछ और ही था ,. . "
जिस तरह से माम ने उनकी ओर अर्थपूर्ण ढंग से मुस्करा के देखा ,
बिचारे वो ,जोर से ब्लश करने लगे। मम्मी का इरादा वो भी समझ गए थे।
और मैं उनकी रगड़ाई का मौक़ा क्यों छोड़ती ,मैं भी बोली ,
" एकदम सही ,मम्मी। मैंने उनको बता भी दिया है कि ,. "
लेकिन तबतक मम्मी ने बाथरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था।
मैंने उनको किचेन में खदेड़ दिया ,
" अब ज़रा जा के किचेन में लग जाओ ,मम्मी को पता भी तो चले की उनके दमाद ने क्या क्या सीखा है ,क्या तैयारी की है उनके लिए। "
वो किचेन में चले गए और जब मम्मी बाथरूम से फ्रेश होके निकलीं तो हम माँ बेटी 'पंचायत में', हर तरह की गप ,सहेलियों ,रिश्तेदारों से लेकर सीरयल तक.
डेढ़ घंटे बाद उन्होंने अनाउंस किया लन्च तैयार है।
लंच लज़ीज
एकदम दावत ,पूरा दस्तरखान सजा दिया था उन्होंने।
निहारी से शुरू कर ,,चिकेन टिक्का , तरह तरह के कबाब , गलावटी , सामी स्टार्टर में ताज़ी चटनी के साथ ,
और फिर मेंन कोर्स में ,रोगन जोश ,हांडी चिकेन,मटन कोरमा दाल गोश्त , सुरमयी फिश, कीमा बिरयानी।
( मैंने उन्हें बता दिया था की मम्मी को नान वेज डिशेज पसन्द है और कही मेरे कोने में छुटकी ननदिया की बात भी कांटे की तरह धंसी थी ,'हमारे यहां तो ये सब छुआ भी नहीं जाता। )
माम बस खाने की लज्जत का रंग देख रही थीं ,उसकी महक सूंघ रही थीं और जब वो ताजा रोटी लाने गए थे , मुझसे कहने लगी ,
" कोई क्या खाता है , उससे सिर्फ यह नहीं पता चलता है की वो क्या पसंद करता है ,बल्कि इससे उसकी पूरी अपब्रिंगिंग , रहन सहन,घर का माहौल ,बचपन से लेकर आज तक का वातावरण सब कुछ पता चलता है। तूने तो उसकी न सिर्फ सब खाने पीने की हैबिट बदल डाली बल्कि खुद इत्ते अच्छे ढंग से उसने प्यार से मेहनत करके पकाया है ,. सच में तूने उसे उसके मायके वालों के माहौल से…. जिस तरह से बाहर निकाला है न ,. "
उनकी बात काट के मैं बोलीं, " अरी माँ मैं बेटी किस की हूँ ,मजाक है क्या।"
तबतक वो गर्मागर्म रोटियां ले कर और मेरी बात सुन के थाली में रोटी डालते माँ से बोले , (उन्होंने रोटी का भी पूरा प्लैटर बना रखा था। रुमाली रोटी ,शीरमाल ,तवे की रोटी रोटी सब कुछ। )
" मैं भी तो ,. "
" एकदम बेटे ,बैठ न हम लोगों के पास ,चल तू भी खा। "
माँ ने दुलार से उनके गोरे गोरे गाल सहलाते कहा ,
लेकिन मैंने बड़ा सीरीयस चेहरा बना के जैसे कुछ जोड़ते हुए उन्हें छेड़ा ,
" ये रिश्ता मेरे कुछ समझ में नहीं आया ,हाँ ये मैं मानती हूँ की मेरी उस छिनार ननद के बचपन के यार हो तो उस रिश्ते से ननदोई लगोगे ,
और तेरी उस बहना पे मेरे सारे नजदीक के ,दूर के रिश्ते के सब भाई चढ़ेंगे तो उनके साले लगोगे। "
खिलखिलाती हुयी मेरी माम भी उनकी खिंचाई करने में जुट गयीं और बोलने लगी ,
" सही कह रही है तू और फिर ,. . मेरी समधन के भी तो,. "
और हम दोनों साथ साथ हंसने लगे।
फिर तो वो वैसे ऐसे झेंपे की सीधे रसोई में जा के रुके।
अगली बार जब वो रोटियां ले के आये तो फिर माम ने जबरदस्ती उन्हें अपने बगल में न सिर्फ बैठा लिया बल्कि जबरदस्ती अपने मुंह का कौर उनके मुंह डालते हुए साथ खिलाना शुरू किया।
माँ के हाथ से खाते और उनके मुंह से ,खाने की तारीफ़ सुनते हुए वो ऐसे ब्लश कर रहे थे ,
जैसे गौने की रात के बाद की कोई दुल्हन हो।
मैं समझ रही थी ,
तारीफ़ माँ उनकी कर रही थीं लेकिन देख मेरी ओर रही थीं की मैंने कितनी जबरदस्त ट्रेनिंग दी उनको।
स्वीट डिश में जेली के साथ ताजे काट दसहरी आम , डबल का मीठा और फिरनी थी।
उन रसीले आमों की फांके देख के माँ भी अपनी मुस्कान रोक नहीं पायी।
माँ को उनकी जे के जी के पहले के दिनों की चिढ भी मालूम थी और मेरी जो शर्त लगी थी ,मेरी छोटी ननद के साथ वो भी मालुम थी।
माम् रोगनजोश की जो तारीफ़ कर दी
तो फिर तो रेसिपी से लेकर कैसे खुद उन्होंने चेक करके मटन ख़रीदा सब बताया दिया।
सिर्फ रोगनजोश ही नहीं बाकी चीजें भी ,निहारी की रेसिपी तो उन्होंने इतने डिटेल में बतायी,
१२ से १५ लाल सूखी मिर्चें ,पांच हरी इलायचियाँ, पॉपी सीड्स , तेजपत्ता , चार टेबल स्पून भुना जीरा ,दालचीनी ,. क्या क्या कितना डाला ,किस चीज की धीमीआंच में किस चीज को तेज आंच में पकाया , सब कुछ।
मम्मी ने उनकी तरफ प्यार से देख लिया तो बाकी चीजें भी ,
बड़े इसरार से गलावटी कबाब खिलाया और उसके बारे में सब कुछ , . कैसे पपीते का इस्तेमाल उन्होंने उसे मुलायम करने के लिया और कैसे वो मुंह में घुल जाता है।
वास्तव में वह मुंह में घुल गया /
" बस एक बार तुम , अपने मायके में न जो तुम्हारी वो बहन कम माल ज्यादा है उसे भी ये रोगन जोश अपने हाथ से बना के खिला दो ,तेरी गुलाम हो जायेगी ,खिलाओगे न उसे। "
माँ ने बड़े भोलेपन से उनसे पूछा।
वो पशोपेश में थे और मैं मुश्किल से हंसी दबा रही थी। ले
किन मम्मी को मना करने की हिम्मत उनमे कतई नहीं थी ,बस उन्होंने हां में सर हिला दिया।
खुश हो के मम्मी बोलीं ,
" यार तूने इतना अच्छा खाना बनाया है ,कुछ तो इनाम बनता है। बोल क्या लोगे ?"
इनाम
" यार तूने इतना अच्छा खाना बनाया है ,कुछ तो इनाम बनता है। बोल क्या लोगे ?"
उनका चेहरा इतना ख़ुशी से दमक रहा था मैं बता नहीं सकती ,लेकिन फिर वो बोले।
" मम्मी आप को पसंद आया ,इस से बड़ा इनाम मेरे लिए क्या हो सकता है। "
"दूधो नहाओ ,पूतो फलो , "
मैंने मम्मी की ओर से आशीष दे दिया फिर पलीता भी लगा दिया।
" अरे मौक़ा अच्छा है ,मम्मी से उनकी समधन मांग लो ,बचपन से ललचाते थे न ,. . "
" है तेरी वकालत की जरूरत नहीं है ,और मेरी समधन तो मैं वैसे ही अपने मुन्ने को मैं बहुत जल्द दिलवाऊंगी। पूरे मोहल्ले को जोबन लुटाती हैं तो बिचारा मेरा मुन्ना क्यों,. " उन्होंने मुझे जोर से झिड़का और एक बार फिर उनके बाल बिगाड़ते हुए बोलीं ,
"बोल न मुन्ना ,क्या मांगते हो?"
बिना उनके जवाब का इन्तजार किये वो हलके से उनके कान में बोलीं ,
" बोल बच्चे चाहिए न "
" हाँ एकदम मम्मी "
ख़ुशी उनसे रोके नहीं रुक रही थी।
( असल में ये चीज वो पहले दिन से चाहते थे और मैं मना करती थी ,मैं लगातार पिल पर रहती थी "
" कितने एक दो तीन चार ,. "
मम्मी आज उनकी कोई भी ख्वाहिश पूरी करने के मूड में थी।
" पांच " झट से उनके मुंह से निकल गया।
" एवमस्तु ,चल तेरे अगले चार साल में पांच बच्चे होंगे। तू जल्द ही पांच का पिता बन जाएगा। "
एक बार तो मैं झटक गयी फिर मुझे समझ में आ गया ,मम्मी ने उनको पिता बनने का आशीर्वाद दिया था ,मेरे माँ बनने का थोड़े ही।
फिर से चिढाते हुए मम्मी से मैंने पुछा।
"ये तो एकदम एक्सप्रेस डिलीवरी हो गयी लेकिन चार साल में पांच कैसे ?"
" अरे तू भी न इसकी संगत में रह के , . . गाभिन होने और बच्चा जनने के बीच जनाना को कितना टाइम लगता है ९ महीने न तो फिर ४५ महीने हुए ,मैं तो ४८ महीने का टाइम दे रहीं हूँ ,बच्चा बाहर ,ये अंदर। "