Episode 39

" खुश तो बहुत होंगे मादरचोद की अब तेरी माँ को ,चोदने की तेरी तारीख पक्की हो गयी है। है न। लेकिन एक बात की गारंटी मेरी तरफ से ,जितने तेजी से धक्के तू मारेगा न उसके दूनी तेजी से तेरी छिनार माँ अपने मोटे मोटे चूतड़ उठा उठा के जवाब देगी। जितना तुझे मजा आएगा उस भोंसडे में घुसने में जिससे तू निकला है ,न उससे ज्यादा मेरी सास को मजा आएगा ,मेरे खसम को अपना खसम बनाने में।

और सारी मलाई अपनी माँ की बच्चेदानी में ही डालना ,क्या पता ठीक ९ महीने बाद उसका भोंसड़ा ,एक मेरी छिनार ननद ही उगल दे। "

शर्तें

९ बजे उनका मेसेज आया की वो आफिस से निकल रहे हैं।

सुजाता तब तक चली गयी थी।

और उनके घर पहुँचने के पहले मेरा मेसेज उन्हें मिल गया,

अगर तू सच में अपनी माँ को चोदने के लिए बेताब हो रहा है न तो ये काम करना ,

१. बाथरूम का दरवाजा पीछे से खुला है , वहीँ से अदंर आ जाना।

नहा के फ्रेश हो के तैयार होके , वहां पर वोदका की आधी बोतल है उसे पूरी तरह खाली कर देंना।

२ वोदका पीते हुए अपनी माँ का नाम ले ले के जोर से सड़का मारना, लेकिन झड़ना नहीं। लंड जब पूरा खड़ा हो जाए ,सुपाड़ा एकदम खुला हो तो ,

३ वहां रखा हुआ ब्लाइंड फोल्ड अपनी आँखों पर बाँध लेना कस के।

४ और बोलना मैं हूँ पक्का मादरचोद ,मुझे मेरी माँ का भोंसड़ा मारना है।

५ ,बस , बाथरूम से जो दरवाजा हमारे बेडरूम में खुलता है बस उससे अंदर चले आना।

और अगर अपनी माँ को चोदने का मन न कर रहा है तो बस , सीधे अंदर आ जाना और गेस्ट रूम में सो जाना।

मैं और मम्मी अपने बेडरूम में रहेंगे।

मम्मी बल्कि मना कर रही थीं की ये ऑपशन न दो ,

अगर कही वो गेस्ट रूम में सो गया तो ,हम लोगो की इतनी दिन की प्लानिंग

,मम्मी ने इतनी मुश्किल से अपनी समधन को पटाया था यहाँ आने के लिए और अब ये बात तो मेरी सास की आवाज से मुझे पता चल गयी थी की चींटे तो उनकी भी फुद्दी में जबरदस्त काट रहे हैं , और उसके बाद अगर कहीं वो , .

लेकिन मुझसे ज्यादा उन्हें कौन जानता था , उनके मन की बात ,उनके तन की आग ,

दस मिनट बाद बाथरूम के पीछे के दरवाजे के खुलने की आवाज आयी।

मैं और मम्मी दोनों बेडरूम ही थे , पहले से पूरी तरह तैयार।

आल लाइट्स आफ , नाइट लैम्प भी।

और करीब पंद्रह मिनट बाद , उनकी आवाज आयी मेरी सास का नाम ले ले के जोर जोर से सडका मारने की और साथ में उह्ह्ह ओह्ह ,एकदम गरम थे वो।

मैंने मुस्करा के माँ की ओर उनकी सास की ओर देखा ,

और थोड़ी देर बाद जब बाथरूम से बेडरूम का दरवाजा खुला , वो सिर्फ ब्लाइंड फोल्ड पहने

और औजार एकदम पागल ,पूरी तरह खड़ा ,

मैं दरवाजे के बगल में ही थी ,

उन्हें पकड़ के सहारा देकर सीधे डबल बेड पर लाने के लिए ,

उनकी सास बनी मेरी सास

अगर तू सच में अपनी माँ को चोदने के लिए बेताब हो रहा है न तो ये काम करना ,

१ बाथरूम का दरवाजा पीछे से खुला है , वहीँ से अदंर आ जाना। नहा के फ्रेश हो के तैयार होके , वहां पर वोदका की आधी बोतल है उसे पूरी तरह खाली कर देंना।

२ वोदका पीते हुए अपनी माँ का नाम ले ले के जोर से सड़का मारना, लेकिन झड़ना नहीं। लंड जब पूरा खड़ा हो जाए ,सुपाड़ा एकदम खुला हो तो ,

३ वहां रखा हुआ ब्लाइंड फोल्ड अपनी आँखों पर बाँध लेना कस के।

४ और बोलना मैं हूँ पक्का मादरचोद ,मुझे मेरी माँ का भोंसड़ा मारना है।

५ ,बस , बाथरूम से जो दरवाजा हमारे बेडरूम में खुलता है बस उससे अंदर चले आना।

और अगर अपनी माँ को चोदने का मन न कर रहा है तो बस , सीधे अंदर आ जाना और गेस्ट रूम में सो जाना। मैं और मम्मी अपने बेडरूम में रहेंगे।

मम्मी बल्कि मना कर रही थीं की ये ऑपशन न दो ,

अगर कही वो गेस्ट रूम में सो गया तो ,

हम लोगो की इतनी दिन की प्लानिंग ,मम्मी ने इतनी मुश्किल से अपनी समधन को पटाया था यहाँ आने के लिए

और अब ये बात तो मेरी सास की आवाज से मुझे पता चल गयी थी की चींटे तो उनकी भी फुद्दी में जबरदस्त काट रहे हैं ,

और उसके बाद अगर कहीं वो , .

लेकिन मुझसे ज्यादा उन्हें कौन जानता था , उनके मन की बात ,उनके तन की आग ,

दस मिनट बाद बाथरूम के पीछे के दरवाजे के खुलने की आवाज आयी।

मैं और मम्मी दोनों बेडरूम ही थे , पहले से पूरी तरह तैयार। आल लाइट्स आफ , नाइट लैम्प भी।

और करीब पंद्रह मिनट बाद , उनकी आवाज आयी मेरी सास का नाम ले ले के जोर जोर से सडका मारने की और साथ में उह्ह्ह ओह्ह ,एकदम गरम थे वो।

मैंने मुस्करा के माँ की ओर उनकी सास की ओर देखा ,

और थोड़ी देर बाद जब बाथरूम से बेडरूम का दरवाजा खुला ,

वो सिर्फ ब्लाइंड फोल्ड पहने और औजार एकदम पागल ,पूरी तरह खड़ा ,

मैं दरवाजे के बगल में ही थी ,उन्हें पकड़ के सहारा देकर सीधे डबल बेड पर लाने के लिए ,

जहां मेरी सास बनी उनकी सास

इन्तजार कर रहीं थी ,एकदम उन्ही की हालत में ,बेताब ।

……और मैं उन्हें पकड़के सीधे पलंग पर ले आयी , एक तो अँधेरा था ,ऊपर से काला फोल्ड, उन्हें कुछ दिखने का सवाल ही नहीं था।

" अरे जरा मातृभूमि का स्वाद तो ले "

मैंने उन्हें खुली चिकनी मोटी मोटी मखमली जाँघों के बीच झुकाते हुए बोला।

बुर वैसी ही गीली हो रही थी , उसकी रसीली महुए दारु सी महक ,

अगले ही पल उनके होंठ चुम्बक से सीधे भोंसड़ी से चिपक गए।

चूत चटोरे तो वो पैदायशी थे ,और भोंसडे की महक ,उसके स्वाद का लालच, बस।

जो उनकी आदत थी , आग भड़काने की , . .

पहले तो उन्होंने अपनी मांसल जीभ की नोक से हलके हलके , रसीली बुर के दोनों मांसल पपोटों के बाहरी ओर ,

और फिर बाज की तरह हलके से उनके होंठ जैसे झपट्टा मार के सीधे रस में गीली बुर के ऊपर, और उतनी ही तेजी से दूर हो गए।

भोंसडे के रस की गमक के साथ सिसकियों से कमरा गूँज उठा।

और उन्होंने गियर चेंज कर दिया ,

अब उनकी जीभ रसीली बुर की दोनों फांको के बीच कभी गोल गोल कभी आगे पीछे

और साथ में जैसे कोई लन्ड से चोद रहा हो ,अंदर बाहर ,

उसका असर हुआ ,सिसकियाँ सिर्फ तेज नही हुयी बल्कि चूतड़ भी तेजी से ऊपर नीचे,

और अब उनकी उँगलियाँ भी कभी बुर को रगडती मसलती तो कभी क्लीट को नोच लेते

और तेजी से निकलती सिसकियों के बीच बीच में , हलकी हलकी मस्ती की चीखें

उफ़ ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह उई उई

' माँ 'की आवाज चीखों और सिसकियों के बीच,

" अरे मुन्ना बहुत मस्त चूस रहे हो ,बहुत दिन से मन था तुझसे चुसवाने का चटवाने का ,ओह्ह उईईई "

लेकिन उनके होंठ तो ' माँ ' की बुर से चिपके थे ,हाँ कान जरूर खुले थे. कान पारे वो हर बात सुन रहे थे।

'माँ'-बेटे का संवाद चालू हो गया था।

" बहुत दिन से मन था मेरा मुन्ना ,हाँ हाँ मुन्ना ऐसे ही चूस न , ओह्ह ओह्ह हाँ हाँ "

और साथ साथ उनके हाथों ने जोर से उनका पकड़ कर भोंसड़ी पर रगड़ना शुरू करदिया।

" ओह्ह सिर्फ चुस्वाने का ही नहीं तुझे अपने ऊपर चढाने का भी ,

अरे शुरू से जब तेरी नूनी थी ,खोल खोल के मैं बिना नागा कड़वा तेल लगाती थी और चारो और भी, मुन्ना "

उन्होंने और जोर जोर से चूस के जैसे हामी भरी की उन्हें अच्छी तरह याद है।

" अरे जब तुम थोड़े बड़े होगये थे मुन्ना ,कॉलेज जाने लगे थे ,तब भी याद है तू कितना चिढ़ता था ,शरमाता झिझकता था ,

तब भी ,तुझे लिटा के ,अपनी जाँघों के नीचे जबरदस्ती दबा के , याद है मुन्ना , तेरी नेकर सरका के , खोल के ,कडुवा तेल , .

और एक बार तेरी बुआ ,

अरे तुझसे ६-७ साल ही तो बड़ी है वो उस समय शायद दसवीं ग्यारहवीं में पढ़ती थी ,

कच्चे कच्चे टिकोरे आ गये थे ,हो गए थे मिजवाने लायक, वो आ गयी उसी समय और मुझे तेरे तेल लगाते देख के चिढा के बोली की

"भौजी इतना तेल लगा रही हो की एकदम मस्त कड़क मोटा हथियार हो मेरे भतीजे का ,इसे अंदर लेने का इरादा है क्या। "

याद है तुझे ,मैंने पलट के तेरी बुआ को बोला था ,

"अरे तो उसमें गड़बड़ क्या है , मेरा प्यारा प्यारा मुन्ना है मैं चाहे जो करूँ , और सुन तेरा मन है तो तू ही नेवान कर लेना।

बुआ भतीजे का तो खुल्लम खुल्ला चलता है। "

अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,

" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , "

और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,

लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।

' माँ ' -बेटा संवाद '

अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,

" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , '

और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,

लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।

माँ ने समझाया ,

" अरे तू समझता नहीं अपनी बुआ को , वो लाइन मारती थी तेरे पे , मुझसे भी कई बार बोली , भाभी कच्चा केला खाने का मन करता है तो मैं बोली पटा ले ,खोल ले खा ले।

अरे तेरी बुआ तो बचपन से चलती थी , जब से कच्चे कच्चे टिकोरे आये थे , नौवीं में थी ,तब से ही दबवाने मिजवाने लगी थी।

मेरी ससुराल वालियों की साली झांटे बाद में आती है लेकिन चूत में खुजली पहले मचनी लगती है ,

और ऊपर से तेरी बुआ थी भी मस्त माल। '

'सच में बुआ मुझे भी ,. जब कालेज से लौटती थीं तो मेरा गाल जोर से चिकोट लेती

तो कभी चिढाते हुए मेरी नेकर खींचने की कोशिश करती। "

उन्होंने भी कबूल किया ,

बुआ की बात से बात बदल कर वो बोलीं ,

"लेकिन ये भी तो बोल तू भी तो मुझे देख के मुट्ठ मारता था , है न "

अब शरमाने की बारी उनकी थी ,

" नहीं नहीं हाँ , बस एक दो बार , "

झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया।

" झूठे " जोर से डांट पड़ी उन्हें ,

" रोज मेरी ब्रा में तेरी मलाई रहती थी। "

वो बिचारे घबड़ा गए लेकिन उन्हें पकड़ के ऊपर ,.

अब उनके होंठ सीधे गद्दर रसीले जोबन पे ,और जैसे कोई छोटे बच्चे को दुद्धू पिलाये , उनके होंठों के बीच बड़े बड़े निपल ठूंस दिए , .

गाल पे एक चपत पड़ी सो अलग।

" अरे घबड़ा काहें रहे हो , इसमें क्या , . अरे मैं जान बूझ के तुझसे पहले नहाने जाती थी और अपनी ब्रा खूँटी पे छोड़ देती थी , फिर तुझे भेजती थी , मुझे ,मालुम था तू , ब्रा के अंदर मुट्ठ मारने को तड़प रहा होगा। "

" फिर आपको गुस्सा नहीं आता था , धोना पड़ता होगा। "

" गुस्सा क्यों आएगा , अरे जवान होता लड़का ,सब लड़के उस उम्र में मुट्ठ मारते हैं ,तेरी बस रेख आ रही थी , और धोऊंगी क्यों , मेरे मुन्ना की सोना मोना की गाढ़ी मेहनत की मलाई मैं तो बहुत प्यार से उसे ऐसे ही पहन लेती थी।

वो जो थक्केदार मेरे उभारों पर लगती थी गीली गीली बहुत अच्छा लगता था।

और तू कितनी देर मुट्ठ मारता था तो निकलती थी मलाई ,देख के ही मन खुश हो जाता था। "

वो बोलीं।

फिर सोच कर पिघलती बोलीं ,

' उस उम्र में तेरी कित्ती ढेर सारी गरम गरम गाढ़ी थक्केदार मलाई निकलती थी , सोच के ही गीली हो जाती है।

और जब चपड़ चपड़ वो थक्केदार सफ़ेद मलाई मेरी छाती पे , . इत्ता अच्छा लगता था , सोचती थी एकदिन जिन कबूतरों के बारे में सोच सोच के तू मुट्ठ मारता है न बस

एक दिन तुझे पकड़ के जबरदस्ती उन्ही कबूतरों में दबा दबा के तेरा सारा माल निकालूंगी। "

तो निकाला क्यों नहीं ,वो बुरा सा मुंह बना के बोले।

" अरे हर चीज का टाइम होता है , एक तो तू इत्ता लौंडियों की तरह शरमाता झिझकता था ,

मुझे लगा की अगर कहीं घबड़ा के तूने मेरी ब्रा में मुट्ठ मारना बंद कर दिया तो अभी जो तेरी मलाई का स्वाद मेरे जोबन को मिलता है वो भी बंद हो जाएगा।

फिर लगता था की कहीं उस तेरी छिनार बुआ ने देख लिया तो ,. वो भी तेरे बारे में सोच सोच के ऊँगली करती थी ,

पर चल आज मौक़ा मिला है न अब रोज तेरी पिचकारी से अपनी छाती से दबा दबा के ,

आज मौक़ा मिल गया है न दबा कस के ,जैसे मुट्ठ मारते समय सोचते थे ,. "

उन्हें जवाब मिला और खींच के उनके हाथ ३६ डी डी पर

"लेकिन आप , आप कैसे देखतीं थी। "

घबड़ा के वो बोल पड़े। पर उनके दोनों हाथ बड़ी बड़ी चूँचियों को गूंथने में ज़रा भी नहीं हिचक रहे थे।

" अरे जिधर से तू देखता था , बाथरूम के दरवाजे में जो छेद तूने बनाया था , मुझे नहाते देखने को , बस उसी छेद से बिना नागा मुट्ठ मारता था मेरी ब्रा में । "

हँसते हुए उन्होंने बोला और फिर उनके गाल सहलाते पूछ लिया ,

" मुन्ना तू ब्रा में लपेट के मुट्ठ मारता था तुझे ब्रा अच्छी लगती थी या , . "

उन्होंने चिढाते हुए उनके कान का पान बनाते हुए पूछा।

" वो ब्रा , ब्रा के अंदर , वो ,. " वो हकला रहे थे।

" अरे साफ़ साफ़ बोल न , मुझे तो बहुत अच्छा लगता था ये सोच सोच के की तुझे मेरी , बोल न। "

" वो आपकी चूंची , " हिम्मत करके मुंह खुला उनका।

" तो ले ले न ,क्या अब भी मुट्ठ मार के काम चलाएगा। "

और ' माँ' ने खुद उनका हाथ पकड़ के गदराई बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूंची पे रख दिया ,और अब वो खुल के दबाने मसलने लगे।

मातृभुमी की सेवा

" तो ले ले न ,क्या अब भी मुट्ठ मार के काम चलाएगा। "

और ' माँ' ने खुद उनका हाथ पकड़ के गदराई बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूंची पे रख दिया ,और अब वो खुल के दबाने मसलने लगे।

" यही मन करता था न तेरा ,उस समय भी जब मुझे नहाते देखता था "

चिढाते हुए फिर पूछा उन्होंने और साथ ही उनका तन्नाया खूँटा पकड़ के मसलने रगडने लगीं।

और मुठियाते हुए बोलीं ,

" मुन्ना ,ये इत्ता मोटा तगड़ा जबरदस्त इसी लिए हुआ है की बचपन में मैं इतना कडुवा तेल इसे पिलाया ,

जम कर मल मल कर मालिश की इसकी। और मैं बस यही सोचती थी की बड़ा हो के जब खूब टनाटन होगा न तो एकदिन , . . "

और ये कहते हुए उन्होंने अपने अंगूठे से उनके सुपाड़े को जोर से रगड़ दिया।

वो जोर से सिसक उठे।

" तलवार तो तेरी जबरदस्त है , ज़रा चला के तो दिखाओ। आ न बचपन से तेरा मन करता था न चल आ आज तुझे असल में मादरचोद बनाती हूँ , आ मेरे ऊपर।

अगर असल में अपनी माँ का बेटा है न माँ का दूध पिया तो आज मेरे भोंसडे के परखच्चे उड़ा देगा ,चल न , पेल दे। "

बस इतना कहना काफी था ,और भले ही ब्लाइंड फोल्ड बंधा था ,

लेकिन दोनों लंबी लंबी गोरी टाँगे उनके कंधे पे ,लन्ड सीधे बुर के मुहाने पे और दोनों हाथ बड़ी बड़ी चूँचियों पे ,

पहले धक्के पे ही आधा लन्ड अंदर , और नीचे से भी चूतड़ उठा के जवाब मिला।

" चोद मुन्ना चोद , चोद माँ को तेरा बहुत मन करता न मादरचोद बनने को , और मेरा भी मन करता था तुझे मादरचोद बनाने को ,

चल चोद रगड़ रगड़ के। '

कुछ ही देर में बातें बंद थी सिर्फ रगड़घिस चालु थी , चूँचियों की बुर की ,

उनका मोटा लन्ड पिस्टन की तरह भोंसड़ी के अदंर सटासट ,लन्ड का बेस सीधे क्लीट पे

होंठ जोबन का रस ले रहे थे तो कभी कचकचा के निपल काट लेते।और तभी उन्होंने दोनों चूंचियां पकड़ के ,

आलमोस्ट लन्ड पूरा बाहर निकाल के जो करारा धक्का मारा तो जैसे उनकी चूलें ढीली हो गयी ,

और एक बार फिर वो बोल पड़ी,

" अरे , मादरचोद , ओह्ह आज पता चल रहा है भोंसडे से एक मर्द को निकाला है , रगड़ के रख दिया तूने। बचपन से जो खोल खोल के मैंने इसमें तेल लगाया था आज सुफल हुआ।

अरे ये धक्का अपने बूआ की बुर में मारो न तो पता चले उस छिनार को बचपन से मेरे मुन्ने को देख के ललचाती रहती थी। "

बूआ का नाम सुनते ही जैसे उनका जोश दस गुना हो गया और फिर तो क्या कोई धुनिया रुई धुनेगा, जिस तरह उन्होंने

और जवाब भी उसी तरह ,

'अरे सिर्फ तेरी बुआ क्या , तेरी मौसी , तेरी चाची सब मेरे मुन्ने के इस मोटे लन्ड के लिए मचल रही हैं ,"

उनके सीने पे मोटी मोटी चूंचियां रगडती वो बोलीं।

( उनके बाथरूम के छेद में से देखने की बात , ब्रा में मुट्ठ मारने की बात , उनकी बुआ की बातें सारी की सारी सोलह आने सही थीं। यहाँ तक की मम्मी की समधन की उन्हें मुट्ठ मारते हुए देखने की बात भी ,.
हुआ ये की तिजहरिया को जो मेरी सास का फोन आया तो मम्मी ने उनसे सारी बातें उगलवा ली ).

सारी रात , बार बार ,

आह से आह्हा तक ,

पोज बदल बदल कर ,

उनके 'मातृ प्रेम ' का एक नया रूप , चाहे मैं और मॉम हो या मंजू -गीता , माँ का नाम लेके जो उन्हें चिढाते थे ,गालियां देते थे ,

आज सच में ,

दूसरे राउंड में , जब वो निहुरा के ,झुका के अपनी फेवरिट डॉगी पोज में ,

सटासट सटासट ,घचाघच घचाघच ,पूरी ताकत से , तो खुद उन्होंने

सब कुछ उगल दिया , उनके मन की बात , कैशोर्य की फैंटेसीज

क्या उनको भाता था , और जो तिजहरिया को मम्मी ने मेरी सासू को बातों में बहला फुसला के, पता किया था ,

अपनी समधन से उगलवाया था , सब कुछ एकदम उस से मेल खाता था।

रोल प्ले में तो मम्मी का जवाब नहीं था , मेरी सास बनी वो हर धक्के का जवाब धक्के से , और खुद उकसा उकसा के

उनके कैशोर्य की बातों को याद दिला दिला के , और जोश दिला रही थीं।

मादर.

( उनके बाथरूम के छेद में से देखने की बात , ब्रा में मुट्ठ मारने की बात , उनकी बुआ की बातें सारी की सारी सोलह आने सही थीं। यहाँ तक की मम्मी की समधन की उन्हें मुट्ठ मारते हुए देखने की बात भी ,.
हुआ ये की तिजहरिया को जो मेरी सास का फोन आया तो मम्मी ने उनसे सारी बातें उगलवा ली ).

सारी रात , बार बार ,

आह से आह्हा तक ,

पोज बदल बदल कर ,

उनके 'मातृ प्रेम ' का एक नया रूप ,

चाहे मैं और मॉम हो या मंजू -गीता , माँ का नाम लेके जो उन्हें चिढाते थे ,

गालियां देते थे ,

आज सच में ,

दूसरे राउंड में ,

जब वो निहुरा के ,झुका के अपनी फेवरिट डॉगी पोज में ,

सटासट सटासट ,घचाघच घचाघच ,पूरी ताकत से ,

तो खुद उन्होंने

सब कुछ उगल दिया , उनके मन की बात , कैशोर्य की फैंटेसीज

क्या उनको भाता था ,

और जो तिजहरिया को मम्मी ने मेरी सासू को बातों में बहला फुसला के, पता किया था ,

अपनी समधन से उगलवाया था , सब कुछ एकदम उस से मेल खाता था।

रोल प्ले में तो मम्मी का जवाब नहीं था ,

मेरी सास बनी वो हर धक्के का जवाब धक्के से , और खुद उकसा उकसा के

उनके कैशोर्य की बातों को याद दिला दिला के , और जोश दिला रही थीं।

उनका असली रंग अगले राउंड में देखने को मिला , .

शुरू में तो मेरी सास बनी उनकी सास रोल प्ले कर रही थीं , उन्हें उकसा रही थीं ,

और उनके आँखों में ब्लाइंड फोल्ड भी लगा था , कमरे में पूरा अँधेरा था

लेकिन अगली बार , .

ब्लाइंड फोल्ड उतर गया था हाँ कमरे में अँधेरा अभी था , .

असल में प्लानिंग ये मम्मी की ही थी , अपने दामाद को अपनी समधन पर चढाने की , .

मैं तो सिर्फ उन्हें उनके बचपन के माल पर चढ़ा कर , . उसकी कोरी कच्ची कली उन्ही से फड़वाकर ,

लेकिन मैंने भी देखा उन्हें एम आई एल ऍफ़ पसंद थी ,

और अपनी सास को लेकर जब भी मम्मी उन्हें चिढ़ाती थीं ,

उनका एकदम टनटना जाता था ,

फिर तो मैं भी , और फिर मंजू भी , और उसकी बेटी गीता भी , .

जिस रात वो गीता और मंजू के साथ , .

गीता खूब उन्हें मादरचोद कह के चिढ़ाती ,

जरा माँ के भोसड़े में मुंह मार ले , .

कह कर उकसाती ,.

मम्मी ने अपनी समधन को भी , और वो भी , मामला मज़ाक से असलियत में बदल गया।

बस , मम्मी ने अपनी समधन से बात करके , .

फिर तो कुछ सच , कुछ फैंटेसी , कुछ उनकी दबी छिपी इच्छाएं ,

सब कुछ मेरी सास बनी उनकी सास ने सब उगलवा लिया , .

मम्मी ने मुझे बोला था ,

की बस एक बार ये खुल के सोचे न की वो अपनी माँ चोद रहा है , तेरे सामने बोल बोल के ,

मजे ले ले के अपनी माँ को चोदेगा न देखना एक दिन सच में तेरे सामने ही अपनी माँ चोदेगा ये , .

बस , .

और अब जब तय हो गया था की मेरे इनके मायके से आने के आठ दस दिन बाद मम्मी खुद इनकी माँ को लेकर आएँगी ,

तो बस ये तो अब ,.

और आज जिस तरह से , ये खुल के ,.

लेकिन सेकडं राउंड में अपनी सास को मेरी सास समझ के , अपनी फेवरिट पोज में , . डॉगी पोज़ में

और अब वो ज्यादा बोल रहे थे ,

मम्मी सिर्फ उकसा रही थीं , मम्मी उन्हें मुन्ना कह के बुला रही थीं ( जो मेरी सास का उनके लिए पेट नेम था और वही सिर्फ ये नाम लेती थीं ),

" मुन्ना अच्छा बोल तुझे मेरी कौन सी चीज अच्छी लगती थी , क्या सोच के मुट्ठ मारता था? " मम्मी ने छेड़ा ,

और फिर तो वो चालू हो गए ,

" माँ वो आपकी , वो आपके , . " वो थोड़ा हकलाए और डांट पड़ गयी , .

" मुन्ना पिटेगा तू मेरे हाथ से , माँ चोदने में लाज नहीं लग रही और बोलने में , . बोल खुल के , . "

उनके साथ यही प्रॉब्लम थी , झिझक हिचक ,. . लेकिन उनकी सास थीं न , उनकी ' लैंग्वेज ' सुधारने के लिए ,

वो अब खुल के बोलने लगे ,

" माँ , वो आपके उभार , आपकी चूँची ,. सच में बहुत , . इसलिए तो मैं आपकी ब्रा में मुट्ठ मारता था ,

लगता था की आपकी बड़ी बड़ी चूँची पर मुट्ठ मार रहा हूँ ,

मन करता था कचकचा के दोनों जोबन कस के दबा दूँ , रगड़ दूँ , मल दूँ , चूस लूँ कस के के , . "

और जैसे वो उन दिनों में लौट गए , कस के दोनों उभार दबाने लगे , रगड़ने लगे झुकी हुयी अपनी सास को मेरी सास समझ कर ,

उनके दोनों उभार मसलते रगड़ते हचक हचक के चोद रहे थे , दोनों निपल कस के पुल कर रहे थे ,

" सच में आपके उभार , आपकी दोनों चूँचियाँ , .

जब मैं पढ़ता था न तब भी वो सोच सोच के मेरा टनटना जाता था , मेरा वो , . मेरा लंड खड़ा हो जाता था ,

मेरा मन करता था माँ की कभी मौका मिले तो आपकी दोनों चूँची पकड़ के , कस के हचक हचक के पेल दूँ , पूरा , .

पढ़ते समय भी मेरा मन मुट्ठ मारने का करता था लेकिन मैं किसी तरह सोचता था , .

बस कल आपके नहाने के समय बाथरूम में छेद से देखूंगा , .

और फिर बाद में आपकी वो ३६ नंबर वाली ब्रा में लंड को , . मुट्ठ मारूंगा , . "

मैं सोच रही थी , घबड़ा मत मेरे बालम , . मन तो कर रहा था बोल दूँ , .

बस कुछ दिन की बात है , ये सारे सपने तेरे सच होंगे , इसी बिस्तर पर पे मेरे सामने चोदेगा तू अपनी माँ को , . मैं अपने हाथ से तेरा खूंटा पकड़ के तेरी माँ के भोंसडे में लगाउंगी , .

लेकिन मम्मी ने मना किया था की मैं कुछ मत बोलूं , बस मजे लूँ और मोबाइल पर 'माँ बेटे' का संवाद रिकार्ड करू

और अब वो हचक हचक के चोद रहे थे , मेरी सास बनी अपनी सास को , .

ब्लाइंड फोल्ड भले ही मैंने उतार दिया था , लेकिन एक तो घुप अंधेरा था , दूसरे दो समय उनकी आँखे एकदम बंद हो जाती थी ,

माँ की ,.

मैं सोच रही थी , घबड़ा मत मेरे बालम , . मन तो कर रहा था बोल दूँ , . बस कुछ दिन की बात है , ये सारे सपने तेरे सच होंगे , इसी बिस्तर पर पे मेरे सामने ,

चोदेगा तू अपनी माँ को , .

मैं अपने हाथ से तेरा खूंटा पकड़ के तेरी माँ के भोंसडे में लगाउंगी , .

लेकिन मम्मी ने मना किया था की मैं कुछ मत बोलूं ,

बस मजे लूँ और मोबाइल पर 'माँ बेटे' का संवाद रिकार्ड करू

और अब वो हचक हचक के चोद रहे थे , मेरी सास बनी अपनी सास को , .

ब्लाइंड फोल्ड भले ही मैंने उतार दिया था , लेकिन एक तो घुप अंधेरा था , दूसरे दो समय उनकी आँखे एकदम बंद हो जाती थी ,

जब वो खूब मस्त होके चोदते थे और दूसरे

जब वो सु सु करते थे , .

और वो सोच यही रहे थे की अपनी माँ चोद रहे हैं ,

बहुत कम बार इतने हचक हचक के चोदते मैंने देखा था उन्हें

कस के वो दोनों हाथों से उभार रगड़ रहे थे

और झुकी हुयी उनकी माँ बनी , सास के ,

एकदम फुल स्पीड से ,

हर दूसरे तोसरे धक्के के बाद उनका बांस सीधे बच्चेदानी पर धक्का मार रहा था ,

कुछ तो मेरी और मेरी मम्मी की मेहनत , और उससे ज्यादा गीता की पहलौठी के दूध का कमाल ,

पहले भी वो बिना मुझे झाड़े कभी नहीं झड़े , लेकिन अब तो , . बिना तीन बार झाड़े ,.

और एकदम जैसा मजमे वाले कहते हैं न एकदम लोहे का खम्भा , टनाटन

मेरी सास बनी मम्मी , मजे से सिसक रही थीं ,

उनके धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं , कभी कस कस के निचोड़ रहे थीं अपने दामाद के खूंटे को अपनी बिल में

और अब वो खुद पूछ रहे थे ,

" क्यों माँ कैसा लग रहा है ,

जवाब में मेरी सास बनी उनकी सास ने जोर से सिसकी भरी , .

और मारे जोश के , .

मंजू ने उनको एक से एक ट्रिक सिखा दिया था , .

सच में नम्बरी छिनार थी वो , .

अपने दोनों पैरों से पहले तो उन्होंने झुकी मम्मी की दोनों टाँगे फैलायीं ,

फिर जब खूंटा उनका एकदम जड़ तक गड़ा था , अपने दोनों टांगों के बीच में मम्मी की टांगों को एकदम दबोच लिया ,

उनकी दोनों टाँगे , जाँघे एकदम चिपक गयी थीं ,

मंजू ने उन्हें सिखाया था , .

इस स्टाइल में कोई चार चार बच्चे जनने वाली भोंसडी वाली हो तो उसे भी गौने की रात याद आ जाएगी , चीख निकल जायेगी ,

मेरी मम्मी ने तो सिर्फ मुझे जना था , और वो भी सिजेरियन , .

जब तक उन्होंने बाहर निकाला ,

आलमोस्ट आधा सुपाड़ा , भी , . और पूरी ताकत से धक्का मारा , . दोनों टांगों मम्मी की उनकी टांगों के बीच एकदम कस के दबोच रखी थी , जाँघे एकदम चिपकी , बुर एकदम सटी कसी , और

दोनों जोबन पकड़ के वो करारा धक्का मारा ,

रगड़ते , दरेररते , घसीटते , एकदम आधा ४ इंच से ज्यादा , पहले धक्के में ,

मम्मी की चीख निकल गयी , .

( सच में , मुझे बहुत मजा आया ,

शादी के बाद रोज मुझसे पूछती थी , क्यों कैसा है मेरा दामाद , .

मुझे मालूम था वो असल में क्या पूछना चाहती हैं , मम्मी से ज्यादा मेरी सहेली थीं , वो और मैंने एक दिन बोल ही दिया , .

अरे मम्मी एक दिन आइये न खुद देख लीजियेगा , .

और जवाब में बोलीं वो , . वो भी न , . .

. एकदम छोडुंगी नहीं , और शरमायेगा ज्यादा तो रेप कर दूंगीं उसका

और आज उनको सच में पता चलगया था की उनका दमाद रोज उनकी बेटी के कैसे परखच्चे उडाता है )

लेकिन वो रुके नहीं , मम्मी चीखती रहीं वो धक्के मारते रहे ,

तीसरे धक्के में उनका खूंटा सीधे उनकी सास की बच्चेदानी पर जहां से मैं निकली थी ,

और मम्मी कांपने लगी ,

वो चीखती रहीं , सिसकती रहीं ,

और वो धक्के मारते रहे , चोदते रहे बिना रुके उन्हें उसी तरह निहुराये , कुतिया बनाये ,

अपनी टांगों के बीच उनकी टांगों को दबोचे ,

मम्मी की बुर छिल रही थी , रगड़ रही थी ,

मम्मी झड़ रही थीं , जोर जोर से

और वो अभी भी ये समझ रहे थे की जैसे अपनी माँ चोद रहे हों , वो अभी भी बोल रहे थे ,

ले माँ ले , बोल मजा आ रहा है ,

मम्मी अब बोलने की हालत में नहीं थी ,

झाड़ झाड़ कर उन्होंने एकदम उन्हें थेथर कर दिया था ,

और उनके झड़ने का सवाल नहीं था

उनका मूसल वैसा ही कड़ा , टनाटन , पत्थर ऐसा , धक्के धक्के पर धक्का ,

हाँ जब उन्होंने देखा की मम्मी एकदम थेथर हो गयी हैं , तो बिना एक इंच भी बाहर निकाले उन्होंने आसन बदल लिया ,​
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