Episode 40
मलाई , गाढ़ी , थक्केदार
जब उन्होंने देखा की मम्मी एकदम थेथर हो गयी हैं , तो बिना एक इंच भी बाहर निकाले उन्होंने आसन बदल लिया ,
अब मेरी सास बनी उनकी सास उनके नीचे , टाँगे , जाँघे एकदम फैली ,
और उन्होंने उनके चूतड़ के नीचे तकिया कुशन लगा के एकदम उठा दिया था ,
धक्के उनके अब रुके लेकिन होंठ और हाथ चालू हो गए ,
जिस जोबन के वो दीवाने थे ,
अब उनके होंठ के बीच , चुसूर चुसूर चूस रहे थे वो अपनी सास की चूँची ,
जीभ से निप्स फ्लिक करते और दूसरा जोबन उनके हाथ के नीचे कुचला मसला जा रहा था ,
लंड एकदम जड़ तक धंसा था , लोहे की तरह कड़ा ,
और दूसरा हाथ , अब पहले तो कुछ देर फैली जांघों को सहला रहे थे , और धीरे धीरे उनका हाथ जादू के बटन की ओर ,
क्लिट छेड़ने के मामले में तो वो एकदम एक्सपर्ट थे , .
बस पहले तो उनका अंगूठा , कुछ देर तक तो मम्मी की क्लिट वो हलके हलके दबाते रहे फिर अंगूठे और तर्जनी के बीच ,
उनकी सास की हालत खराब , वो सिसक रही थीं चूतड़ पटक रही थीं , मोटा खूंटा दामाद का अंदर धंसा हुआ था ,
" करो न " हलके से वो बोलीं ,
लेकिन दामाद भी उनका अब एकदम उन्ही की तरह , . उन्होंने निप्स और क्लिट दोनों कस कस के मसलना शुरू कर दिया ,
मम्मी को भी याद आया की वो तो इनकी माँ बनी है ,
एकदम मेरी सास की आवाज में ,
कोई कह नहीं सकता था की किसी और की आवाज है ,
" मुन्ना कर न , चोद न अपनी माँ को , "
बस फिर तो वो एकदम तूफ़ान मेल हो गए , धक्के पर धक्का , .
" ले माँ , ले , घोंट पूरा , . अपने मुन्ना का "
मम्मी नीचे से चूतड़ उठा उठा कर हर धक्के का जवाब जोर जोर धक्के से दे रही थीं ,
अपनी बाहों में उन्होंने अपने दामाद को भींच लिया था , उनके लम्बे नाख़ून उनके कंधो पर धंस रहे थे ,
और साथ में गालियां
" चोद स्साले चोद , देखती हूँ ताकत तेरी "
और अपनी समधन की ऐक्टिंग कर रही थी तो उन्हें मौका मिल गया , उनकी , मेरी सास की खिंचायी करने की बोलीं ,
" ,आह ओह्ह , . जब पहली बार राखी के दिन तेरे मामा ने फाड़ी थी मेरी झिल्ली ,
उस दिन भी इतना दर्द नहीं हुआ था , ओह्ह चोद न कस कस के ,
इतने मर्दों से शादी के बाद मैंने चुदवाया , इत्ते लौंडो से शादी के पहले ,
लेकिन मुन्ना जो मजा तुझसे चुदवाने में आ रहा है , . "
फिर तो उनका हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर , .
और मम्मी फिर थोड़े देर बाद झड़ने लगीं ,
पर अबकी न वो रुके न उन्होंने पोज बदला ,
पूरे आधे घंटे तक बिना रुके ,
मेरी मम्मी को अपनी माँ समझ कर चोदने के बाद ही वो झड़े ,
और देर तक ,
पूरी कटोरी भर मलाई छोड़ी उन्होंने अपनी सास की बुर के अंदर , .
और मैंने लाइट जला दी , .
लेकिन उनकी सास ने उन्हें छोड़ा नहीं , वो भी साथ साथ झड़ती रही ,
मेरी बात पर उन्हें यकीन नहीं आता था की उनका दमाद बिना मुझे तीन बार झाड़े कभी भी ,.
लेकिन आज वो खुद तीन बार तब उनके दामाद ने मलाई उनकी बिल में ऊगली थी।
बड़ी देर तक वो दोनों एक दूसरे को पकडे दबोचे लेटे रहे।
दो बार की मलाई उनकी सास की बुर में बजबजा रही थी ,
एक तो हर बार कम से कम कटोरी भर मलाई छोड़ते थे ,
और दूसरे उनकी सास ने , जब वो उनकी माँ बनी उनसे चुदवा रही थीं ,
दोनों बार की मलाई एक एक बूँद अपनी बुर में भींच के रोक रखी थी ,
बस जैसे ही वो अलग होने लगे , .
मम्मी ने उन्हें खींच कर , सीधे उनका मुंह अपनी बुर पे , जिसमें से उनकी मलाई छलछला रही थी ,
और कस के अपने दोनों हाथों से उनका सर , अपनी जाँघों के बीच ,
सच में उनका दमाद पक्का कम स्लट था , .
और एक्सपर्ट भी ,
पहले तो उन्होंने अपनी जीभ की नोक से जांघ के ऊपरी हिस्से पर , अपनी सास की गुलाबो के चारो और , एक एक बूँद चाट डाली ,
फिर जैसे कोई आम की दो फांको को फैला के चाटे , . . दोनों भगोष्ठों को उन्होंने फैलाया , और पूरा मुंह सीधे वहीँ लगा के ,
सपड़ , सपड़ ,
मम्मी ने कस के दोनों हाथों से उनके सर को पकड़ के अपनी रस से डूबी रसमलाई पर चिपका रखी थी , वो इंच भर सरक नहीं सकते थे
वीर्य से लिथड़ी बुर को कस कस के पहले तो उन्होंने चाटा , फिर जम कर चूसना शुरू कर दिया ,
सच में देख कर मेरी हालत भी ख़राब होने लगी थी ,
हम तीनों एक साथ बिस्तर पर लेटे थे ,
लाइट मैंने सब जला दी थीं , एक एक चीज साफ़ साफ़ दिख रही थी ,
उन की सास ने मुझसे तीन तिरबाचा भरवाया था की आज रात सिर्फ उनकी सास के नाम ,
और आज वो उसे पक्का मादरचोद बना के छोड़ेंगी , .
आज वो मूसल मुझे नहीं मिलेगा ,
लेकिन चोर चोरी से जाय , हेरा फेरी से थोड़े ही जाता है , .
मैं पलंग के दूसरी ओर बैठी , सास दामाद की प्रेम लीला देख रही थी , .
लेकिन मुंह उनका सास की सेवा कर रहा था ,
पर ' वो ' ऊन के मोटे मूसलचंद तो खाली थे ,
हाँ दो बार अपनी सास को मेरी सास समझ कर जो उन्होंने पूरे जोश से चोदा था , . .
तो वो भी थोड़ा सोया , थोड़ा थका ,.
पग घुंघुर बाँध
उन की सास ने मुझसे तीन तिरबाचा भरवाया था की आज रात सिर्फ उनकी सास के नाम ,
और आज वो उसे पक्का मादरचोद बना के छोड़ेंगी , .
आज वो मूसल मुझे नहीं मिलेगा ,
लेकिन चोर चोरी से जाय , हेरा फेरी से थोड़े ही जाता है , .
मैं पलंग के दूसरी ओर बैठी , सास दामाद की प्रेम लीला देख रही थी , .
मुंह उनका सास की सेवा कर रहा था ,
पर ' वो ' ,. मोटे मूसलचंद तो खाली थे ,
हाँ दो बार अपनी सास को मेरी सास समझ कर जो उन्होंने पूरे जोश से चोदा था , . . तो वो भी थोड़ा सोया , थोड़ा थका ,.
पर मुझे इससे क्या फरक पड़ता था , . . वो मुझे छोड़ते थे क्या , .
मैंने अपने महावर लगे गोरे गोरे पैरों की ओर देखा ,
इन पैरों के तो वो , . सच्ची में वो चरणदास थे ,
और मेरे बिछुओं की रुनझुन , .
मैंने हलके से अपने पैरों को हिलाया ,
बिछुए मेरे झुंझुनाये , .
असर उनके सोते खूंटे पर हुआ , .
और अगले पल वो ' मोटू ' मेरे गोरे चिकने मखमली पैरों के बीच ,
कई बार ' मेरे उन पांच दिनों में ' मैंने उन्हें सिर्फ तलुवों से रगड़ के पैर से रगड़ के झाड़ चुकी थी , .
कुछ देर तक मैं सिर्फ अपने दोनों पैरों के बीच ' उसे ' दबाये रही ,
फिर हलके हलके मेरे पैरों ने हिलना शुरू किया ,
मम्मी मेरी शरारत देख रही थीं , मुस्करा रही थीं ,
उनके दामाद की हम दोनों मिल के रगड़ाई कर रहे थे ,
मेरे घुंघरू वाले बिछुए गुनगुना रहे थे ,
थोड़ी देर में मेरे पायल के घुंघरू भी गाने लगे साथ साथ , मैंने रफ़्तार बढ़ा दी थी , और सोया शेर जाग रहा था , .
मम्मी ने उनके सर पर जोर कुछ कम किया ,
और वो भी अब मम्मी का एक एक इशारा समझने लगे थे ,
हलके से उन्होंने सर उठाया , मम्मी की बुर में लगी सब मलाई उन्होंने चाट चाट कर साफ़ कर दी थी ,
पर प्रेम गली के अंदर अभी भी ,
बस अपनी दोनों उँगलियों से उन्होंने अपनी सास की दोनों फांकों को फैलाया और कस एक जीभ पूरी जड़ तक ठेल दी ,
और फिर गोल गोल , .
मैंने पैरों के बीच मथानी की तरह , उनके उस मोटे मुस्टंडे को मसल रगड़ रही थी।
अब वह जग गया था
और उधर वो पूरी तरह मुंह अपनी सास की बिल से चिपकाए , जीभ अंदर ठेले , पूरी ताकत से सास की बुर से अपनी मलाई की एक एक बूँद चाट रहे थे
उनकी सास कस के अपने दामाद का सर अपनी जाँघों के बीच में दबाये अपनी बुर चुसवा , चटवा रही थीं , .
दामाद के दोनों होंठ सास की बुर से चिपके , वैक्यूम क्लीनर से भी जोर से चूस रहे थे , . .
और जीभ उनकी सास की पूरी गहराई में घुसी , उनके अपने लंड की मलाई चाट चाट के साफ़ कर रही थी , .
मम्मी मेरी ओर तारीफ़ की नजर से देख रही थीं की कैसे पक्का कम स्लट मैंने इन्हे बना दिया , .
और तभी उनकी निगाह मेरे दोनों पैरों के बीच में दबे इनके मोटू की ओर पड़ी तो वो मुस्करा उठीं ,
अब वो एकदम जग गया था , पूरा तन्नाया , खड़ा , फनफनाया , कड़ा , मोटा , . पूरे बालिश्त भर का ,
अब वो भी एक एक बून्द अपनी सास के अंदर से मलाई चाट चुके थे , .
बस झुक के सास ने मोटा खूंटा गड़प कर लिया ,
दामाद के चूसने चाटने का असर उनपर भी होगया था वो भी एकबार फिर से गरमा रही थीं ,
मेरे चेहरे की ओर देख कर मम्मी समझ गयीं ,
और उन्होंने इशारा किया मैं भी आ जाऊं उनके दामाद का खूंटा चूसने चाटने में ,
ऐसी तैसी करने में ,
बस हम दोनों मिल के , .
लेकिन मैं मान गयी मम्मी को ,
उनकी सास,
और सास की बेटी
मेरे चेहरे की ओर देख कर मम्मी समझ गयीं , और उन्होंने इशारा किया मैं भी आ जाऊं उनके दामाद का खूंटा चूसने चाटने में , ऐसी तैसी करने में ,
बस हम दोनों मिल के , . लेकिन मैं मान गयी मम्मी को ,
सिर्फ जीभ की टिप से , .
पहले तो मम्मी ने अपने दोनों होंठों से दबा के बहुत हलके से सुपाड़ा का चमड़ा हटा दिया ,
वो मोटा , पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा पूरी तरह खुल गया था ,
और अब मम्मी की सिर्फ जीभ की टिप से सुपाड़े के चारों ओर ,
बहुत हलके से फिर सीधे पेशाब वाले छेद के अंदर उन्होंने जीभ की टिप गड़ा दी ,
और लगी सुरसुरी करने ,
उनकी हालत खराब हो रही थी , वो सिसक रहे थे ,उचक रहे थे ,
पर उनकी सास इत्ती जल्दी छोड़ने वाली नहीं थी , अब वो जीभ से चाट रही थीं , .
लेकिन इतना मोटा गन्ना , रसदार , उनसे भी नहीं रहा गया ,
गप्पांक से उन्होंने पूरा सुपाड़ा घोंट लिया , .
और लगी चुभलाने चूसने , जीभ से साथ लिक भी कर रही थी ,
और अब दोनों हाथों से कस के अपने दामाद के मोटे गन्ने को उन्होंने पकड़ भी लिया ,
मुठिया भी रही थीं , चूस भी रही थीं ,
और मैं देख रही थी ललचा रही थी
मम्मी ने कनखियों से देखा मुझे और इशारा किया ,
बस ,
अब गन्ना सास चूस रही थी , और
दोनों रसगुल्ले सास की बेटी , . .
कुछ ही देर में मम्मी ने इनका पूरा बित्ते का घोंट लिया ,
और मुझे भी कुछ इशारा किया
उनका सबसे सेंसिटव प्वाइट , . पिछवाड़े का छेद
रसगुल्ले के चूसने के साथ , मेरी उंगलिया अब गोलकुंडा के आस पास चक्कर काट रही थीं , . .
फिर सीधे छेद पर , पहले तो दबाया फिर ऊँगली की टिप हलके हलके ,
उनकी हालत अब एकदम खराब हो रही थी ,
उनका सुपाड़ा अब बार मम्मी की हलक में ठोकर मार रहा था ,
वो कस कस के चूस रही थी ,
साथ में उनकी जीभ दामाद के मूसल के निचले हिस्से को रगड़ रगड़ के चाट रही थीं ,
और अब उनका मन कर रहा था सास उनकी अब चूस चूस कर के ही झाड़ दें ,
मम्मी ने उन्हें छोड़ दिया ,
और मैंने भी ,.
हम दोनों दूर बैठे , मम्मी उन्हें देख के मुस्करा रहीं थी , उनका खूंटा एकदम खड़ा , परेशान ,
लेकिन मम्मी से बहुत देर देखा नहीं गया और अपने दामाद को खींच के अपने पास बुला लिया और सीधे अपने गदराये ३६ डी डी के जोबन को ,
पहले उनके हाथों में , फिर होंठों पर , .
हम दोनों को मालूम था मम्मी के उभार उन्हें किस तरह ललचाते थे ,
लेकिन असली चीज तो कुछ और थी ,
मम्मी ने खुद उनके खूंटे को पकड़ के अपने उभारों के बीच , और खुद उनके ऊपर चढ़ कर टिट फक करने लगीं ,
कुछ देर बाद वो ऊपर थे ,
अपने सुपाड़े को मम्मी के निप्स के ऊपर फ्लिक कर रहे थे
पर कुछ देर में ही अपने मोटे बालिस्त भर लम्बे लंड से अपनी सास की बड़ी बड़ी चूँचियों को चोद रहे थे ,
मम्मी भी न
अपनी लम्बी जीभ निकाल के उनके खुले सुपाड़े को चाट लेती थीं।
लेकिन अब उनकी सास ने नहीं रहा गया ,
उन्होंने धक्का देकर दामाद को पलंग पर पटक दिया , और खुद ऊपर
लेकिन अब उनकी सास ने नहीं रहा गया , उन्होंने धक्का देकर दामाद को पलंग पर पटक दिया , और खुद ऊपर
कुछ ही देर में दामाद का खूंटा , उनकी बुर में और अपनी नज़रों से उन्होंने बरज दिया था
अब हिलना मत , जो कुछ करुँगी मैं ,
मैं करुँगी तू करवाएगा ,
और फिर क्या धक्के मारे उन्होंने ,
किसी कच्ची उमर वाली कुँवारी की सील तोड़ते समय कोई चोदू मर्द भी उत्ते जोर जोर से धक्के नहीं मारता होगा ,
सास ने उनके दोनों कंधे जोर से दबोच रखे थे ,
और हर दूसरे तीसरे धक्के में पूरा का पूरा खूंटा उनके अंदर होता था ,
फिर वो बिना हिले डूले ,
सिर्फ आगे पीछे हिल हिल कर अपने दामाद का खूंटा अपनी बिल में ,
और उसके बाद फिर धक्के पर धक्के ,
८-१० मिनट तक इसी जब्बरदस्त अपने दामाद को चोदने के बाद ,
एक बार जब पूरा खूंटा उनके अंदर था वो रुकी और दामाद के दोनों हाथ पकड़ कर सीधे अपने जोबन पर
और जब उनके दामाद ने कस के मसलना रगड़ना शुरू किया , . तो
वो जोर से मुस्करायीं ,,
और मैं समझ गयी उनकी ऐसी की तैसी होने वाली है ,
वही हुआ ,
और उनके चेहरे पर उनकी हालत देख कर किसी तरह मुस्कान रोकी मैंने ,
मैं समझ गयी थी क्या हो रहा है ,
नट क्रैकर ,
किसी संस्कृत के कामशास्त्र से , . थोड़ी बहुत मम्मी से मैंने भी सीखा था , (मम्मी के पास पूरा संकलन था , और कुछ तो बहुत ही दुर्लभ , मूल संस्कृत में )
और जितना सीखा था उतने से ही इनकी हालत मैं खराब कर देती थी ,
योनि में लिंग को पकड़ के कस के भींचना ,
एकदम जैसे कोई निचोड़ ले , पूरी ताकत से , इसके लिए केजल एक्सरसाइज से योनि की मसल्स एकदम टाइट और पावरफुल रहती हैं ,
लेकिन मम्मी तो अल्टीमेट , .
जैसे अजगर दबोच कर हड्डी हड्डी तोड़ देता है , एकदम वैसे , .
योनि का अंतिम भाग जब सुपाड़े को कस के निचोड़ता है तो हिस्सा नामरमल रहता है , उसके बाद का हिस्सा जब लिंग के बीच के भाग को दबोचता है तो निचला भाग ढीला हो जाता है , और फिर उसी तरह जब लिंग का बेस सिकोड़ जाता है , बाकी हिस्सा ढीला हो जाता है ,
मम्मी लेकिन इतनी तेजी से करती थीं ये की एक वेव की तरह ,
कोई दूसरा होता तो दो मिनट में पानी फेंक देता , लेकिन ये तो उनके दामाद थे ,
पर उनके दामाद भी समझ गए थे की बिना सास की इज्जाजत के कुछ नहीं होने वाला था , .
उन्होंने लाख कोशिश की , अपने चूतड़ पटके , नीचे से धक्का लगाने की कोशिश की ,
सास को अपनी ओर पकड़ कर खींचने की कोशिश की ,
लेकिन कुछ नहीं , .
मंम्मी सिर्फ उन्हें देख कर मुस्करा रही थी और अपनी बुर से उनके लंड को कस के निचोड़ रही थीं ,
फिर प्यार से एक हल्का चांटा मारते हुए बोलीं ,
" बोल अपनी माँ के भँड़ुये , चोदेगा न। "
" हाँ , . "
मुस्कराते हुए वो बोले , और अबकी मम्मी का चांटा पूरी तेजी से उनके गाल पर पड़ा ,
" स्साले , खुल के बोल "
" हां , मैं अपनी माँ चोदूगा , हचक ह्च्चक के पेलुँगा अपना लंड। "
अबकी वो खुल के बोले पर मम्मी इत्ती आसानी से थोड़े छोड़ने वाली थीं ,
आज वो उन की सारी शरम ख़तम करने वाली थीं जिससे जब वो अपनी समधन को फुसला के पटा के यहाँ ले आएँगी ,
उसी रात में अपनी समधन पर उनके बेटे को चढ़ा दें , और एक दो बार नहीं , जबतक मेरी सास यहाँ रहें तब तक , रोज लगातार ,
मम्मी अभी भी नहीं मानी , बोली ,
स्साली रंडी छिनार का नाम ले कर बोल , ,
मुझे अपने कान पर विश्वास नहीं हुआ , .
वो मेरी सास का नाम ले ले कर बोल रहे थे , .
और मम्मी ने ऊपर से धक्के लगाने शुरू कर दिए ,
धीरे मम्मी ने चोदने की रफ़्तार बढ़ाई , साथ में इंस्ट्रक्शन ,