Episode 41

स्साले अगर मेरी समधन को तेरी गालियां बंद हुयी न , तो मैं न सिर्फ रुकूंगी , बल्कि तुझे न सास मिलेगी , न माँ , चल बोल मादरचोद ,

मान गयी मैं मम्मी को ,

कोई भी गाली बची नहीं थी जो अपनी माँ को वो नहीं दे रहे थे ,

रंडी , छिनार , गदहा चोदी , कुत्ता चोदी ,

कुछ गालियां तो उन्होंने मम्मी से सीखीं थी ,

मम्मी उनसे उनकी माँ के बारे में बिना गाली के बात नहीं करती थीं ,

पर कुछ में तो उन्होंने हद पार कर दी , आज रात में जब उनकी सास बनी जो कुछ थोड़ी फैंटेसी ,

थोड़ी लगा बढ़ा के बातें कर रही थीं , वो सब उन्होंने सच मान लिया था और वो जोड़ के ,

" अपने भाई से मामा से राखी के दिन फड़वाती हो , . . आओ अबकी तेरे भोंसडे को , . "

मम्मी इत्ती खुश हुईं की झुक के उनके गाल चूम लीं और हलके हलके अब वो नीचे से धक्के उन्हें मारने दिया ,

मैं चुपचाप बैठी देख रही थी , सास दामाद की काम क्रीड़ा और उम्मीद कर रही थी की जल्द ही माँ बेटा की भी ऐसी ही , .

लेकिन मुझसे नहीं रहा गया , उनके गाल पर जोर से पिंच करती बोली

" अरे स्साले बहनचोद , तेरे मामा ने तेरी माँ चोद दी , तो तू अबकी जब अपने मायके जाएगा तो उसकी बेटी चोद लेना। "

वो जोर से मुस्कराये और जैसे मेरी बात की हामी भरते हुए नीचे से अपनी सास की बुर में पूरी तेजी से धक्का मारा जैसे अपनी ममेरी बहन , गुड्डी की कच्ची कसी चूत में लंड पेल रहे हों ,

फिर तो दोनों ओर से धक्का पेल चुदाई ,

लेकिन मम्मी ऊपर ही रहीं , आधे घंटे से भी ज्यादा , बिना रुके ,

न नीचे से उनके धक्के रुक रहे थे न ऊपर से उनकी सास के धक्के , .

बीच बीच में उनकी सास कभी अपने बड़े बड़े जोबन अपने दामाद की छाती पर रगड़ देतीं तो कभी अपनी बुरिया में लंड को दबोच कर निचोड़ देती

और उनके दामाद अपनी माँ को लगातार गाली , एक से एक ,.

लेकिन झड़ी वो दामाद से पहले , .

और कैसे झड़ी एकदम बार बार , पूरी देह उनकी काँप रही थी , जैसे तूफ़ान में पत्ता ,

और साथ में ये भी , . . बार बार , अपनी पिचकारी अपनी सास की बुर में , .

बाहर रात की कालिख पुंछ रही थी , पूरब से हलकी हलकी लालिमा की हलकी सी झलक दिख रही थी ,

तीन राउंड चोदा उन्होंने मेरी सास बनी अपनी सास को , और वो भी खुल के बोल के।

रोल प्ले खत्म हुआ जब सुबह वो बेड टी ले के आये ,

'बेड टी '

रोल प्ले खत्म हुआ जब सुबह वो बेड टी ले के आये ,

लेकिन उसके पहले हम दोनों ने उन्हें 'बेड टी ' पिलाई।

असल में मेरी चुनमुनिया कुलबुला रही थी , सास दामाद की प्रेमलीला देख देख कर ,

लेकिन उससे भी ज्यादा जिस तरह से वो आदरणीया सास की , अपनी माँ को एक से एक मस्त गालियां दे रहे थे ,

अब ये पक्का हो गया था ये बेटा बिना अपनी माँ को चोदे नहीं रहेगा ,

और ये सुन सुन के मैं और , . रहा नहीं जा रहा था

मैंने मम्मी को प्रॉमिस किया था की आज रात इनके खूंटे को मैं हाथ भी नहीं लगाउंगी , .

( इसीलिए तो मैंने पैर से उस मोटे को पकड़ जकड के रगड़ा था )

और अपने किसी भी छेद में इनका मूसल नहीं घोंटूंगी ( इसलिए बहुत ललचायी , तो इनके 'रसगुल्ले ' को ही घोंट के ही ,. . )

लेकिन ये तो मेरी चुनमुनिया को चाट चूस सकते थे ,

इसलिए जैसे ही ये अपने सास से अलग हुए , इनकी सास इनके ऊपर से हटीं , मैं चढ़ गयी ,

मेरी चुनमुनिया सीधे इनके मुंह के ऊपर , .

ये न एकदम पक्के लालची , नदीदे , लगे चाटने चूसने ,

पर मैंने अपनी जाँघों को थोड़ा सा ऊपर कर दिया , और कंधो को कस के दबा दिया ,

अब बेचारे वो सर उठा के अपनी जीभ निकाल के मेरी गुलाबो पर , नीचे से ही ,

लेकिन मन तो मेरा भी उतना ही कर रहा था मैं एक बार फिर से बैठ गयी ,

और उनके खुले होंठों के बीच अपने निचले होंठों को ,

जैसे थोड़ी देर पहले उनकी सास उन्हें चोद रही थीं , कस कस के ,

उसी तरह मेरी गुलाबो भी कस कस के उनके होंठों को रगड़ रही थी

सच में चूसने में उनका जवाब नहीं था , पक्का चूत चटोरा , . दोनों होंठ मेरी फांको के ऊपर और चूत के अंदर उनकी जीभ ,

क्या कोई लंड से चोदेगा जैसे वो जीभ से चोद रहे थे , हुआ वही जो होना था , दस मिनट और मैं ऐसी झड़ी की , . .

एकदम थेथर लेकिन उनका चूसना चाटना बंद नहीं हुआ ,

और मैं भी ,

लेकिन थोड़ी देर में एक और परेशानी आ गयी , . सुनहली धूप की पहली किरण छन के आना शुरू हो गयी थी , पिघलते सोने की तरह ,

और जो सुबह सुबह होता है ,.

बहुत जोर से आ रही थी ,

मैंने छुड़ाने की कोशिश की

लेकिन मम्मी के दामाद की पकड़ , पहली रात से ही मैं समझ गयी थी की मैं इससे छूट नहीं सकती थी ,

मैंने हलके से बोला भी , .

छोड़ न यार , . आ रही है बहुत जोर से , .

जवाब में उन्होंने और कस के पकड़ लिया मुझे ,

मुस्कराते , उन्हें समझाते मैंने हलके से एक चपत लगाई और वार्न किया ,

" हे छोड़ यहीं हो जायेगी यहीं "

पर वो ऐसे मुस्कराये जैसे कह रहे हों , हो जाने दो न ,.

और फिर कस के अपने दोनों होंठ मेरी गुलाबो से चिपका दिया एकदम और इतनी जोर से चूसने लगे की ,

किसी तरह से मैंने अपनी गुलाबो को उठाने की कोशिश की ,

उनका मुंह एकदम खुला था ,

सुनहली धुप हम दोनों पर बरस रही थी ,

और मेरी गुलाबो से

एक सुनहली बूंद ,

दूसरी सुनहली बूंद ,.

और फिर तो मैं चाह के भी नहीं रोक सकती थी ,

तेज धार छलछल ,

सीधे मेरे निचले होंठों से उनके होंठ के बीच ,

वो मुंह खोल के एक एक बूँद रोप रहे थे , .

मुझे बहुत प्यार आ रहा था , उनपर

प्यार से उनके गाल पर चपत मारते हुए मैंने बोला ,

" देख , स्साले माँ के भंडुए , . एक भी बूँद अगर बाहर छलकी न तो बहुत मारूंगी मैं, . "

मम्मी मुझे देख कर मुस्करा रही थीं ,

मुझे उकसा रही थीं , और फिर तो जैसे बाँध टूट पड़ा ,

लेकिन सच में एक भी बूद बाहर नहीं छलकी ,

और फिर मैंने अपनी चुनमुनिया उनके होंठों के बीच चिपका दिया , और अब सीधे मेरे निचले होंठों से उनके होंठों से होते हुए , .

कुछ देर तक उनका गाल फुला रहा , फिर सब का सब पेट में , .

और मेरे बाद मम्मी ने नंबर लगाया लेकिन टिपिकल उनकी सास , उनसे खुल कर कहलवाया , उनसे बुलवाया

न गोल्डन शावर , न सुनहली शराब , बल्कि साफ साफ ,

और उसके बाद जम कर ,

दो कप बेड टी उन्हें हम माँ बेटी ने पिलाई , सुबह हो रही थी

और उसके बाद हम दोनों सो गए , वो घर के काम में लग गए।

सुबह का ब्रेकफास्ट , बाकी सब कुछ,

ब्रेकफास्ट टेबल पर हम दोनों ,मैं और मम्मी उन्हें चिढाते रहे ,खूब छेड़ते रहे। उनकी माँ का नाम ले ले ,

मम्मी तो सीधे उन्हें मादरचोद कह के ही बुला रही थीं ,

अरे चोदने में लाज नहीं तो नाम में क्या लाज , बिचारे बीरबहूटी हो रहे थे।

और मैं भी उन्हें बार बार याद दिला रही थी ,

" याद हैं न आज से ठीक २२ दिन ,बल्कि २१ दिन बाद ,देखते देखते २१ दिन बीत जाएंगे पता ही नहीं चलेगा तुझे , लांग वीकेंड है , दो तीन दिन की छुट्टी ले ले ,बल्कि आज ही अप्लाई कर देना , चार पांच दिन मातृभूमि की सेवा में , है न। "

और जब मेरी निगाह सामने टंगे कैलेण्डर पर गयी ,

उनकी चोरी पकड़ी गयी , मैं और मम्मी खिलखिलाहटों में डूब गए।

२१ दिन बाद वाली ' उस तारीख ' को आलरेडी उन्होंने लाल गोले से घेर दिया था।

" आफिस में आज एक जल्दी मीटिंग है ,निकलना है। "

कह के शरमाते लजाते वो उठ खड़े हुए , लेकिन मम्मी भी उनके उठते उठते भी उनकी पेंट खोल चेक चेक कर लिया।

सब ठीक था , फार्मल ग्रे पैंट के अंदर

मम्मी की दो दिन की पहनी पैंटी ,

और उनका ' वो ' भी थोड़ा सोया ज्यादा जागा।

अपनी पैंटी के ऊपर से ' उसे ' रगड़ते मम्मी बोलीं ,

" बहुत याद आ रही है मेरी छिनार चूत मरानो समधन के भोंसडे की न , जा जा अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे रसीले भोंसडे का रस , उन के भी भोंसडे में तुझ से ज्यादा चींटे काट रहे हैं , अभी आता होगा बुरचोदो का फोन। "

और सच में वो निकले भी नहीं थे की मेरी सास का फोन आ गया , आफ कोर्स स्पीकर फोन था ,

और आज तो कल से भी दस गुना ज्यादा खुल्लम खुला दोनों समधनों के बीच बातें हो रही थी।

सोफ़ी

" आफिस में आज एक जल्दी मीटिंग है ,निकलना है। "

कह के शरमाते लजाते वो उठ खड़े हुए , लेकिन मम्मी भी उनके उठते उठते भी उनकी पेंट खोल चेक चेक कर लिया।

सब ठीक था , फार्मल ग्रे पैंट के अंदर मम्मी की दो दिन की पहनी पैंटी , और उनका ' वो ' भी थोड़ा सोया ज्यादा जागा।

अपनी पैंटी के ऊपर से ' उसे ' रगड़ते मम्मी बोलीं ,

" बहुत याद आ रही है मेरी छिनार चूत मरानो समधन के भोंसडे की न , जा जा अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे रसीले भोंसडे का रस , उन के भी भोंसडे में तुझ से ज्यादा चींटे काट रहे हैं , अभी आता होगा बुरचोदो का फोन। "

और सच में वो निकले भी नहीं थे की मेरी सास का फोन आ गया , आफ कोर्स स्पीकर फोन था ,

और आज तो कल से भी दस गुना ज्यादा खुल्लम खुला दोनों समधनों के बीच बातें हो रही थी।
……………………….

शाम को उन्हें आफिस से सीधे सोफी के पास जाना था।

अरे वही सोफी ,जादूगरनी ब्यूटी पार्लर वाली जिसे मम्मी ने इनका रंग रूप ,नाक नक्श बदलने का एकमुश्त ठीक दिया था ,

(एक बार फिर से पेज ३२ पर जाकर चाहें तो सोफी और उसके कारनामों की यादें ताजा कर लें )

और जिसकी शाप पे पहली बार मैंने आर्टिफिसियल बूब्स ही नहीं आर्टिफिसियल वैजाइना तक देखी थी।

उसने इन्हें पक्का अपने शीशे में उतार लिया था , और अपनी शाप के साथ, ' होमवर्क ' भी इन्हें अच्छा ख़ासा देती थी ,

मेकअप का , ड्रेस सेन्स का।

मम्मी और मुझे से भी उस की पक्की दोस्ती हो गयी थी।

लेकिन सोफी से भी बढ़कर सोते जागते उनकी गुरु तो थीं ,और कौन ,. मेरी मम्मी।

आफिस में आफ कोर्स वो प्रापर अपने ही कपडे पहन के जाते थे

( सिवाय अंदर मॉम के रस से सनी भीगी पैंटी को छोड़ कर )

लेकिन घर में ,और उस के बाद पल पल पर गुरु ज्ञान बरसता रहता था

और मम्मी की बातें तो वो मम्मी के कहने के पहले ही मानने में यकीन रखते थे।

एक एक चीजें ,छोटी छोटी बातें , एटीट्यूड ,अंदाज ,नाजो अदा , . .

एक दिन मैं और मम्मी उन के साथ बैठ कर हमारी शादी का वीडियो देख रहे थे और उन की मायकेवालियों को खास तौर से उनकी उस ममेरी बहन को दिखा दिखा के छेड़ रहे थे।

और जैसा की होता है शादी में ,मेरे घर वाले लड़कों की निगाहें उनकी उस कटीली छमिया के आ रहे नए नए उभार पर चिपकी थीं , कुछ तो खुल के कमेंट भी कर रहे थे , और मम्मी ने प्वाइंट आउट किया ,

" देख ध्यान से ,जैसे ही कोई उसके उभारों को देखता है , बिना उधर देखे ही उसे अंदाज लग जाता है और कैसे वो अपनी चुन्नी ठीक करने की कोशिश करती है। ये हर लड़की की ख़ास अदा होती है।

और चलते समय उसके पिछवाड़े के उभार देख कैसे मस्त थिरक रहे हैं। "

दोपहर में सुजाता आयी थी उसने बोला की कोई फेयर लगा है , खासतौर से लेडीज के लिए बहुत स्पेशल शाप हैं , डिस्काउंट भी।

उन्हें तो आफिस से सोफी के यहाँ जाना था , कोई ' ख़ास असाइनमेंट ' था , सोफी ने बोला था। , तय ये हुआ की हम लोग वही फेयर में जाएंगे और वो सोफी के यहाँ से सीधे वहीँ ,

सुजाता के हसबैंड को कहीं आज टूर पर जाना था तो हम सब खाना भी वहीँ खा के घर आएंगे।
जबरदस्त सेल थी और जबरदस्त डिस्काउंट। खचाखच भीड़।

औरतें ही औरतें ,कच्ची अमियों से लेकर खेली खायी तक , पटी पड़ी थीं।

मैं,मम्मी और सुजाता ,समझ में नहीं आ रहा था किधर से शुरू करें।

एक लेन साड़ियों की थी ,हम तीनो उधर ही चल पड़े, जार्जेट ,शिफॉन , साउथ इन्डियन हर त्तरह की साड़ियों के स्टाल, और साड़ियों की खरीदारी तो आप समझ सकते हैं. मम्मी एक शिफॉन की दूकान पर बैठ गयी और वो और सुजाता ,.

लेकिन मेरे दिमाग में सामने की लेन दिख रही थी जहाँ हाट वेस्टर्न ड्रेसेज मिल रही थीं।

मैंने मम्मी और सुजाता को वहीँ छोड़ा और उस ओर जा पहुंची।

मेरे मन में कुछ और था , अपने से ज्यादा अपनी उस छिनार ननदिया के लिए , . चार दिन ही तो रह गए थे ,इनके मायके जाने के लिए। उसके लिए।

अरे माल पटाना है तो कुछ तो इन्वेस्ट करना ही पडेगा , और मैं चाहती थी की वहीँ इनके मायके में ही उसे हॉट हॉट ड्रेसेज पहना के ,

उसके घरवालों के बीच ही झलकउवा कपड़ों में ,.

और उसके भइया की ओर से गिफ्ट होगा तो उसे ,

तो फिर मैंने खूब रिवीलिंग हॉट हॉल्टर, स्पैन्डेक्स,छोटी छोटी स्कर्ट ,साइड स्प्लिट वाली और साथ में मैचिंग अंतवस्त्र,.

उसके बूब्स की साइज तो मुझे मालुम ही थी ,३२ सी, तो ,

पुश अप ब्रा ,

पीक अ बू ब्रा और

थॉन्ग्स,. .

वहीँ पर मुझे सोफ़ी दिख गयी , अरे वही उनकी गुरुआनी।

उनके साथ एक और थी कोई ,. पहले नहीं मिली थी ,लेकिन थी एकदम मस्त माल, सब की निगाहें उसी की ओर ,

स्पैन्डेक्स टॉप , लांग स्कर्ट ,फ़्लैट हील्स , ब्वाय कट हेयर ,

एकदम माडर्न लुक ,ग्रीन आइज , भरी भरी आई लैशेज, मस्कारा और हल्का सी काजल की रेख , हाई चीकबोन्स।

हाँ वैसे " मानचेस्टर" लग रही थी लेकिन ध्यान से देखने पर उसके लंबे स्लेंडर फ्रेम पे छोटी छोटी बूबीज भी अच्छी लग रही थी जो उसकी टाइट टॉप उभार रही थी।

सोफी के साथ उसने भी मुझे देखा और हम तीनों ने आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया।

वो कौन थी

उनके साथ एक और थी कोई पहले नहीं मिली थी ,लेकिन थी एकदम मस्त माल, सब की निगाहें उसी की ओर , स्पैन्डेक्स टॉप , लांग स्कर्ट ,फ़्लैट हील्स , ब्वाय कट हेयर ,एकदम माडर्न लुक ,ग्रीन आइज , भरी भरी आई लैशेज, मस्कारा और हल्का सी काजल की रेख , हाई चीकबोन्स।

हाँ वैसे " मानचेस्टर" लग रही थी लेकिन ध्यान से देखने पर उसके लंबे स्लेंडर फ्रेम पे छोटी छोटी बूबीज भी अच्छी लग रही थी जो उसकी टाइट टॉप उभार रही थी।

सोफी के साथ उसने भी मुझे देखा और हम तीनों ने आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया।

सोफी ने उसके कान में कुछ बोला और मेरे साथ आ गयी।

असल में शापिंग का मजा ही किसी सहेली के साथ है , सुजाता तो मम्मी के साथ थी और मैं अकेली।

सोफी के साथ आने से मजा दूना हो गया।

थोड़ी देर में सोफी ने मेरे कान में कहा और हम लोग एक दूकान की खोज में निकल पड़े।

सुना मैंने भी था की इस सेल में है लेकिन सोफी के पास पक्का पता था।

आज कल मेल आर्डर या इंटरनेट पे मिल जाते थे लेकिन जो मजा दूकान पर खरीदारी करने में है वो भी किसी सहेली के साथ ,

हर चीज को हाथ में पकड़कर ,छू कर,दबा कर देखने में ,एक दूसरे को चिढाते हुए जांचने परखने में ,

एडल्ट ट्वाय शाप ,वो भी जो फीमेल्स के लिए खासतौर से , .

वैसी एक दो दुकाने भी एक सेल में आयी थी।

सोफी को पक्का पता था और वहीँ वो मुझे खींच कर ले गयी।

एक से एक लंबे कड़े मस्त ,मोटे भी खूब ,

ऐसा नहीं पहले मैने डिल्डो देखे नहीं थे ,लेकिन फोटुओं में , इंटरेनट पर या कभी नेट पर किसी कैटलॉग पर ,

हाथ में लेने का पकड़ने का ,दबाने का छूने और सहलाने का मौका पहली बार मिल रहा था।

तीन साइज में , सात इंच , आठ इंच और एक दस इंच। मोटाई भी ढाई से तीन इंच तक ,और एक दम रियल।

सात इंच वाला नार्मल साइज का था ,पिंक कलर का , मन कर रहा था बस चूम लूँ , मुंह में ले लूँ।

एकदम इनके वाले की तरह,लंबाई भी मोटाई और वैसे ही प्यारा।

आठ इंच वाला किंग साइज का था , डार्क ब्ल्यू कलर का। शायद कमल जीजू के साइज का , या उनका इसके १९,२० होगा।

१९ क्या कमल जीजू का ही २० ही होगा , जैसा मेरी कजिन चीनू बताती थी।

चीनू मुझसे थोड़ी ही बड़ी थी ,मौसेरी बहन लेकिन शादी मुझसे बाद हुयी थी ,चार पांच महीने बाद।

कजिन्स में सबसे छोटी मैं ही थी। और चीनू की पहली रात में ही कमल जीजू ने सच्ची में फाड् के रख दिया था ,अगले दिन ही बिचारी को टाँके लगे।

आठ इंच वाला तो देखने में ही डर लगता था ,लेकिन सच बोलूं तो मन भी करता था ,एक बार तो ट्राई करने का।

और तब तक सोफी ने उस सेल्स गर्ल से बोला और वो ,

सुपर किंग साइज वाला लायी वो और मैं देख के दंग रह गयी।

मुश्किल से मुट्ठी में पकड़ में आता था ,एकदम काला।

टेप से उस सेल्स गर्ल ने नाप के भी दिखाया, पूरे दस इंच लंबा और तीन इंच मोटा।

" ये कोई घोंट भी सकता है ,"

मेरे मुंह से निकल गया और अपनी बात पे मैं खुद शर्मा गयी।

सोफी और उस सेल्सगर्ल की पहले से जान पहचान थी दोनों जोर से खिलखिलाने लगी।

" वो तो घोटाने वाले और घोटने वाली पर डिपेंड करता है। "

सेल्स गर्ल हंसते हुए बोली।

और मुझे मौसी ( चीनू की माँ ) और मम्मी की बात याद आ गयी ,वही चीनू के सुहागरात के अगले दिन जब उसकी कमल जीजू ने फाड़ कर रख दी थी और उसे टाँके लगवाने जाना पड़ा था।

मौसी कमल जीजू के लिए बोलीं ,लगता है चीनू की सास किसी गदहे घोड़े से तभी इतना लंबा मोटा , .

मम्मी बात काट के बोलीं अच्छा तो है,अपनी बात भूल गयी ,कैसे रात भर चिल्लाई थी।

मौसी मुस्कराने लगी तो मम्मी ने अपना डायलाग बोल दिया ,

" अरे अगर कोई लड़की बोले की बहुत लंबा मोटा है नहीं घोंट पायेगी तो समझो छिनार पना कर रही है , अरे इतने बड़े बच्चे जो चूत रानी निकाल देती हैं , उनके लिए लन्ड क्या चीज है। "

और मौसी ने तुरंत हामी भरी।

तब तक सोफी ने उस सेल्स गर्ल को कुछ इशारा किया था और वो अंदर चली गयी थी।

कुछ देर में हार्नेस जैसी कोई चीज ले के आयी जो मैंने आज तक नहीं देखी थी।

सोफी मेरे हाथ में पकड़ाते बोली ,

अरे कोई जरूरी नहीं डिल्डो का मजा अकेले अकेले लिया जाय इसको लगा के दो लोग साथ भी , .

तबतक सेल्स गर्ल ने अपनी कमर में बाँध के अपनी जीन्स के ऊपर से ही उसमें ८ इंच वाला डिलडो फिट कर लिया था और मैं अब समझ गयी स्ट्रैप आन डिल्डो,

" देखा बस कमर और हिप के जोर पे डिपेंड करता है कितना अदंर जाएगा , लड़कों की जरूरत नहीं सहेलियां आपस में मजे ले सकती है। " स्ट्रैप आन डिल्डो को प्यार से मुठियाते वो सेल्स गर्ल बोली।

" अरे हम लड़कियां लड़कों केसाथ भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं , क्यों ,. "

आँख मार के मुझसे सोफी बोली।

और मैं सोफी का इशारा समझ गयी की वो 'किसके ' बारे में बाते कर रही थीं।

और अब मैं खिलखिला के हंस पड़ी ,एकदम।

तबतक सेल्स गर्ल भी हम लोगों की बात समझ गयी थीं ,हंसी में शामिल होते हुए बोली ,

" यस आई गॉट इट यू मीन मेल कन्ट्। "

फिर कुछ रुक के वो बोली लेकिन हमारे पास ऐनल डिल्डो भी हैं थोड़े थिन।

लेकिन उसकी बात मैंने और सोफी ने एक साथ काट दी ,

"एकदम नहीं व्हाट इज़ गुड फार फीमेल होल इज गुड फार मेनहोल। "

बट आई हैव समथिंग यूजफुल फॉर योर मेल ,

कह के सेल्स गर्ल अंदर चली गयी ,स्ट्रैप आन लगाए लगाए।

और उसका स्ट्रैप आन देखकर मेरे मन में में बस एक चीज नजर आ रही थी , मेरी ममेरी ननद ,इनकी छिनार बहन गुड्डी।

अब चार दिन बाद तो उससे मुलाकात होनी ही थी फिर मैंने तय कर लिया था ,

इन्हें भी पटा लिया था की कुछ जुगत लगा के उसे अपने साथ ले आएं ,फिर तो दिन रात चक्की चलेगी उसकी।

इनकी तो रखैल बना के रखूंगी ही ,और जब वो आफिस चले जाएंगे तो मैं , बस यही स्ट्रैप आन के साथ ,,. "

लेकिन फिर मैंने सोचा की मम्मी के दिमाग में तो वो तो बस इन्ही के पीछे पड़ जाएँगी।

तबतक वो सेल्स गर्ल कुछ रिंग्स ले के आयी और अपने स्ट्रैप आन पे लगे डिल्डो पर चढ़ा के समझा भी दिया उसने ,ये काक रिंग्स है।

खेल खिलौने

और उसका स्ट्रैप आन देखकर मेरे मन में में बस एक चीज नजर आ रही थी , मेरी ममेरी ननद ,इनकी छिनार बहन गुड्डी।

अब चार दिन बाद तो उससे मुलाकात होनी ही थी फिर मैंने तय कर लिया था , इन्हें भी पटा लिया था की कुछ जुगत लगा के उसे अपने साथ ले आएं ,फिर तो दिन रात चक्की चलेगी उसकी।

इनकी तो रखैल बना के रखूंगी ही ,और जब वो आफिस चले जाएंगे तो मैं , बस यही स्ट्रैप आन के साथ ,,. "

लेकिन फिर मैंने सोचा की मम्मी के दिमाग में,. .

तो वो तो बस इन्ही के पीछे पड़ जाएँगी।

तबतक वो सेल्स गर्ल कुछ रिंग्स ले के आयी और अपने स्ट्रैप आन पे लगे डिल्डो पर चढ़ा के समझा भी दिया उसने ,ये काक रिंग्स है।

और मैं झट से समझ गयी उसका फंक्शन और असर दोनों।

मम्मी ने जिस तरह से इम्प्रोवाइज कर के अपनी ब्रा और पैंटी से उनके कॉक को बांधा था की मैं और मम्मी उन्हें लाख छेड़ें , तंग करें वो अराउजड होंगे लेकिन झड़ेंगे नहीं। बिलकुल उसी तरह।

इससे ब्लड या सीमेन कॉक हेड की ओर नहीं फ्लो कर पाता तो बस किसी भी लड़की का ड्रीम ,एक ऐसा कॉक जो झड़े नहीं और खूब सख्त हो।

हाँ , जो वो सेल्स गर्ल दिखा रही थी ,उसमें मम्मी की तरह के हस्तलाघव की जरूरत नही ,बस सटाया, फंसाया घुसेड़ा और लॉक कर दिया। लन्ड खड़े का खड़ा।

वैरायटी भी थी यहाँ एक सिम्पल सी रिंग थी कॉक और बॉल्स दोनों को ग्रिप कर लेती थी ,दो रिंग की , दूसरी मल्टीपल रिंग्स वाली लेकिन सेल्स गर्ल ने समझाया और सोफी ने भी ताईद की ,

वाइब्रेटर कॉक रिंग सबसे अच्छी है।

सोफी ने समझाया की ये कैसे कॉक के बेस पे पल्सेट करता रहता है लेकिन उससे भी बड़ी मजे की बात है

फकिंग के टाइम ये सीधे क्लीट पे रगड़ खाता है और उसे वाइब्रेट करता रहता है।

स्पेशली वोमन आन टॉप में ,अब तो मेरे सोचने के लिए बचा ही नहीं था कुछ।

बस मैंने वाइब्रेटिंग कॉक रिंग तो ले ही ली साथ में दो कॉक और बॉल्स रिंग्स भी ले ली।

साथ में तीनो डिल्डो भी स्ट्रैप आन के साथ , सात इंच वाला , आठ इंच वाला और सुपर जायंट दस इंच वाला।

सेल्स गर्ल मेरे पीछे पड़ गयी थी की मैं कुछ ' लड़कियों ' वाला सामान भी ले लूँ।

मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

मैं असल में अपनी ननदिया को तंग करने केलिए कुछ चाहती थी और मैंने सोफी को हलके से बोला भी।

सोफी को गुड्डी के बारे में सब कुछ मालुम था ,

और वो दुष्ट उसने उस सेल्स गर्ल से भी मेरी उस किशोर १२ वीं में पढ़ रही , ननद के बारे में सब बता दिया।

अब तो वो भी खिलखिलाने लगी , बोली अरे ऐसी बच्चियों के लिए तो मेरे पास काफी खेल तमाशें हैं ,और वो भी आन द हाउस।

थोड़ी देर में वो झोला भर के ले आयी और जो पहली चीज ही उसने दिखाई उसने मेरा दिल जीत लिया।

लव हनी एग्स,

मुश्किल से दो ढाई इंच का गुलाबी खूब चिकना ,एग शेप का ,अंदर घुसेड़ दो ,

रजामंदी से या जबरदस्ती और फिर पैंटी में फंसा दो। बस।

खेल चालू।

और असली खेल रिमोट का था , १५ -२० मीटर से पूरा असरदार। तीन तरह की स्पीड , वाइब्रेट भी करेगा , गोल गोल घूमेगा

और एक से डेढ़ मिनट में झाड़ देने की गारंटी।

मैं सोच रही थी , उसकी कच्ची कसी चूत में डाल के ,वो अपने 'सीधे साधे भैया ' के पास बैठी होगी या घर में सबके सामने , .

और वो छोटा सा रिमोट मेरी मुठ्ठी में ,

बार बार असरदार ,क्या हालत होगी उस बिचारी की।

और ये तो जब तक उसकी नहीं फटी होगी तब के लिए ,एक बारे जब मैं उसके भैया और अपने सैंया को उसके ऊपर चढ़ा के हचक हचक के चोद के उसकी बुर का हलवा बना देंगे उसके बाद के लिए ,

बेन वा बॉल्स थीं तीन का सेट , मोटाई डेढ़ इंच ,दो इंच और ढाई इंच ,

और सबसे अच्छी बात उसमे भी थी रिमोट कंट्रोल की।

पिछवाड़े के लिए भी बट प्लग्स थे

और उसमें भी मैंने मीडियम और जायन्ट साइज वाले सेलेक्ट कर लिए।

कंडीशन सिम्पल थी , मेरी ननदिया को इस्तेमाल करते हुए फोटो

और इंडोर्सेमेंट ,

मैं कुछ सोचती उसके पहले सोफी ने हाँ कर दी।

सारे ' खिलौनों ' का बैग लेकर हम लोग धमाल मचाते बाहर निकले , तब तक सेल्स गर्ल आयी।

' एक कॉम्प्लिमेंट्री आइटम , ये स्पेशल जेल डिलडो और बट प्लग्स के ,कितनी भी कसी होगी सटाक से जाएगा। "

और मुस्कराते हुए दे गयी।

मुझे इनका पिछवाड़ा याद आ गया।

कुछ देर में मैं और सोफी जूते की दूकान पर थे।

मुझे एक मोजरी लेनी थी ,और सो मेनी च्वायसेज।

मेरे साथ सोफी ने भी एक पेयर ली। लेकिन तभी सोफी ने मेरा ध्यान शेल्फ पर रखे हाई हील्स की और चला गया , एक से एक।

और सेल्स गर्ल ने ताड लिया।

थोड़ी देर में हम दोनों के सामने हाई हील्स का ढेर लगा था।

तीन इंच साढ़े तीन इंच , लेकिन सोफी भी न उसने सेल्स गर्ल को उकसाया,बस यही हैं शो सम स्टिलेटो।

और उस समय वो आगयी ,

वही लड़की जो सोफी के साथ थी ,सुरु के पेड़ की तरह छरहरी ,बहुत ही अलग ढंग की नमकीन ,

वो भी दूकान में दिखी और मुझे देख कर मुस्करायी।

सेल्स गर्ल स्टिलेटो लेकर आ गयी।

चार इंच ,साढ़े चार इंच , और पेन्सिल हील्स , नीचे खूब नुकीली , .

सोफी भी न , . पेन्सिल हील्स सहलाते मुझे आँख मार के बोली ,

" अपने उनके लिए ले लो न पहनने में भी सेक्सी और जब चाहो तो ये पूरा अंदर घुसेड़ सकती हो। "

और हम दोनों खिलखिलाने लगे ,

मैंने भी हाथ में ले कर देखा , पिंक ,डार्क रेड ,मेरे फेवरिट कलर , स्मूथ हाई क्वालिटी लेदर , और हील वाकई लंबी भी थी ,हार्ड भी।

हील टच करते हुए मैंने सोफी से बोला

" यार तेरी आइडिया तो धांसू है लेकिन , वो या कोई भी इसे पहनके चलेगा कैसे। "

वो ( वही सोफी की परिचिता /सहेली ) जैसे अपने शूज देखते हुए भी हमारी बात सुन रही थी , मुस्कराके ,मुझे देख के बोली ,

" एकदम आराम से चल सकता है , क्यों नहीं चलिए मैं चल के दिखाती हूँ ,"

और सोफी ने स्टिलेटो ,साढ़े चार इंच वाले उसे पकडा दिए।

और पहन के थोड़ी देर में जब वो चली , हम लोगों से दूर , दूकान के दूसरी तरफ तो बस ,

हम दोनों का कलेजा मुंह में आ गया।

क्या कॉन्फिडेंस , क्या इलेन ,स्टाइल ,बैलेंस ,

लेकिन जिस तरह से टाइट स्कर्ट में उसके छोटे छोटे लेकिन खूब कसे कड़े नितम्ब कसर मसर ,कसर मसर कर रहे थे ,लेफ्ट राइट ,लेफ्ट राइट,.

मुझसे नहीं रहा गया ,मेरे होंठ गोल हुए और मैंने जोर की सीटी मारी ,

और मेरे मुंह से निकल ही गया ,

" साल्ला ,क्या मस्त पिछवाड़ा है , बहुत मजा आएगा मारनेवाले को। "​
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