Episode 43
दस पंद्रह मिनट तक लगातार ,
और साथ में गालियों की बारिश के साथ मंजू बाई कभी अपनी बड़ी बड़ी कड़ी चूँचियों से उनके सीने को रगड़ देती तो
कभी अपनी ऊँगली झुक के उनकी गांड के छेद पे कस के रगड़ देती , तो कभी कचकचा के उनके निप्स काट लेतीं ,
लेकिन मंजू बाई सिर्फ उन्हें तंग नहीं कर रही थीं ,उनकी पूरी कोशिश थी की किसी तरह वो उससे पहले झड़ जाएँ।
लेकिन वही हुआ ,
पहले मंजू बाई
फिर उनकी सास ,
और जब वो दोनों हटी तो मंजू बाई ने तारीफ़ की नजर से मुझे देखा ,
वो नहीं झड़े , उनका झंडा वैसे ही ऊँचा का ऊंचा
और उनकी सास और मंजू बाई दो दो बार झड़ गयीं .
एक को चोद कर झाड़ा उन्होंने एक को चूस चूस कर के ,
अरे आखिर वो किसी को चोदें ,
किसी से भी चुदे ,
माल तो मेरे ही थे।
और मैंने ओनरशिप और तारीफ़ की निगाह से उनकी ओर देखा।
झंडा अभी भी लहरा रहा था ,
लेकिन वो भी बस अब झड़ने के कगार पर ही थे ,
अब गए तब गए।
बस मंजू बाई ने उनके लन्ड के बेस पर खूब जोर से , पूरी ताकत से चुटकी काट ली।
और उनका जोश एकदम से ,
'वो ' अभी भी खड़ा ,तना था लेकिन झड़ने का ख़तरा नहीं था।
उनकी सास और मंजू बाई दोनों ही लस्तपस्त थकी पड़ी थीं ,
कभी एक दूसरे को देख के मुस्कराती तो कभी उनको देख के।
मस्त झड़ी थीं दोनों , उनकी सास और मंजूबाई। हिलने की हालत भी नहीं थी।
मैं ख़ुशी से तारीफ़ से उन्हें देख रही थी और वो मुझे , टू मिनट वंडर तो वो कभी भी नहीं थे।
पहली रात ही उन्होंने मुझे तोड़कर रख दिया था। ८-१० मिनट से ज्यादा ही
जो मेरी भाभियों ने सहेलियों ने सीखा पढ़ा के भेजा था ,
कम से कम कम १५ -२० मिनट ,
लेकिन आज तो एक साथ दोनों प्रौढ़ाओं ,
इस खेल में एक्सपर्ट ,
और वो भी नीचे लेटे लेटे ,
आधे घंटे तो कम से कम , .
और सबसे पहले मंजू बाई एक्टिव हुयी , उनकी माँ , मेरी सास का नाम लेकर उन्हें चढाने ,चिढ़ाने लगी।
" ठीक है ,ठीक है , लेकिन कम से कम दो बार झाड़ के लस्त पस्त करोगे न अपनी माँ को और बिना रुके तीसरी बार चोदोगे ,
मेरी गारंटी है एकदम तेरे लौंड़े की छिनार दीवानी हो जायेगी।
सब सरम लिहाज भूल के ,खुद ही तेरे पीछे पड़ेगी , सबके सामने चुदने को तैयार हो जायेगी , . "
और मैंने भी मजा लेते हुए टुकड़ा लगाया ,
" मंजू बाई एकदम सही कह रही है , अरे जंगल में मोर नाचा किसने देखा ,
जब तक हमारे सामने मेरी सास पे चढ़ाई न हुयी तो कैसे हम माने की तुम असली मादरचोद हो की नहीं। "
मॉम भी ना , कुछ भी हो जाए वो हरदम अपने दामाद की तरफदारी ही करती थीं , बोलीं ,
" अरे तू समझती क्या है मेरे दामाद को ,आने दो तेरी सास को , अब १५-१६ दिन तो ही बचे हैं न।
हाथ कंगन को आरसी क्या , अरे इसी कमरे में ,बरामदे में सारे घर में , जैसे कातिक में कुतिया चुदती है न ,
वैसे घिर्रा घिर्रा के , रगड़ रगड़ के ,तेरे सामने ,मेरे सामने ,मंजू बाई के सामने चोदेगा।
अरे इसमें कौन सरम ,बोल मुन्ना चोदेगा न हम सबके सामने , . "
और वो तो मुझसे ज्यादा उनके गुलाम , जोर जोर से उन्होंने सर हिलाया।
मैंने मुश्किल से मुस्कराहट रोकी।
शादी के बाद कभी मजाक में ही सही ,चिढाने के लिए ,गारी वारी गाने में मैं उनके किसी मायके वाली का नाम ले के ,
कुछ बोल देती तो वो एकदम अलफ ,
लेकिन अब खुल के उनकी माँ के बारे में , और वो ,. मुस्करा के हामी में सर हिला रहे हैं।
लेकिन मम्मी ने मंजू बाई की बात की ताईद की।
" बात वो सही कह रही है , पहली बार हचक के चोद चोद के अपनी माँ के भोसड़े की ऐसी तैसी कर देना , कम से कम दो बार झाड़ना ,ठीक है न मुन्ना ,उसके बाद अपनी मलायी जब वो तीसरी बार झड़ें न तो बस सीधे बच्चेदानी में उड़ेल देना , "
मम्मी की बात अबकी मैंने काटी ,
" अरे मम्मी आप क्या कह रही है , अरे अगर ये अपनी गाढ़ी मलाई मेरी सास की सीधे बच्चेदानी में ,. कहीं गाभिन हो गयीं तो। "
मैंने बनावटी घबराहट से कहा।
" अरे गाभिन हो गयी तो क्या हुआ , पेट फुलाये घूमेंगी , नौ महीने बाद सोहर होगा।
तुझे एक मस्त ननद मिलेगी और इन्हें एक बहन ,बस उसकी झांटे निकलने का इन्तजार करना, . "
मंजू बाई बोल रही थी लेकिन अबकी मैंने फिर बात काटी ,
" अरे मंजू बाई इनकी वो बहन लगेगी की बेटी , भले भोसड़ा इनकी माँ का होगा लेकिन लन्ड तो इनका , . "
मैंने फिर अपना शक जाहिर किया।
अबकी मुझे डांट पड़ गयी , और कौन डाँटता। मम्मी। झुंझला के बोलीं ,
" तू भी न , तुझसे मेरे मुन्ना का कोई फायदा देखा नहीं जाता , अरे बहन या बेटी , बिना चोदे उसे मेरा मुन्ना छोड़ेगा नहीं , अरे मादरचोद ,बहनचोद तू उसे बना सकती है तो बेटीचोद , . . "
और अबकी बात उन्होंने काटी।
बिचारे बड़ी देर से बोलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन हम तीनों के बीच में उनकी कौन सुनता ,लेकिन अबकी जोर से वो बोले ,
" ऐसा कुछ नहीं होने वाला। "
मतलब , . . हम तीनों एकसाथ चीखे।
कुछ देर बिचारे रुके फिर उन्होंने राज खोला ,
" आप लोग भी न " ,.
फिर उन्होंने थूक घोंटा , गहरी सांस ली और बोले ,
" बात ये है की जब मैं पैदा हुआ था , तभी , उसके तुरंत बाद , माँ ने ऑपरेशन करवा लिया था की अब दो बच्चे हो गए तो , इसके बाद नहीं , बस ,. तब से , तब इसलिए उनके , . "
जो बात कहने में वो हिचक रहे थे मैंने पूरी कर दी , आखिर पत्नी थी उनकी , उनकी माँ की छोटी बहू।
" तो तेरा मतलब ये है की तुम कितना भी मेरी सास को हचक हचक के चोदोगे ,मलाई उनकी बुर में डालोगे , सीधे बच्चेदानी में भी ,तब भी वो गाभिन नहीं होगीं। "
मैंने मुद्दा साफ़ किया।
जोर जोर से सर हिलाने के साथ उन्होंने खुल के हाँ बोला .
मेरी सास
जो बात कहने में वो हिचक रहे थे मैंने पूरी कर दी , आखिर पत्नी थी उनकी , माँ की छोटी बहू।
" तो तेरा मतलब ये है की तुम कितना भी मेरी सास को हचक हचक के चोदोगे ,मलाई उनकी बुर में डालोगे , सीधे बच्चेदानी में भी ,तब भी वो गाभिन नहीं होगीं। "
मैंने मुद्दा साफ़ किया।
जोर जोर से सर हिलाने के साथ उन्होंने खुल के हाँ बोला , और ये साफ़ साफ़ बोला की उनके पैदा होने के बाद से ही , .
और एक बात मम्मी के मन में भी साफ़ हो गयी ,हंस के बोली ,
" अब समझी , तभी तेरे शादी में कितने जोश से अपनी बड़ी बड़ी चूंचियां झलकाते ,उठा उठा के कैसे सारे घरातियों को ललचा रही थीं ,चुनौती दे रही थी. कोई पकड़ चोद भी देता तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ,
तेरे ससुरालवाले तभी से मेरी समधन के दीवाने है , सब उनके साया के अंदर घुसना चाहते है ,
तेरे चचिया ससुर ,मौसेरे ससुर ,यहाँ तक की घर में,गाँव में काम करने वाले , . कहांर ,नाऊ , . "
और वो मुस्करा रहे थे।
डंडा वैसे ही खड़ा कडा था।
तब तक मंजू बाई की निगाह पलंग पर पड़े खेल खिलौने पर गयीं , और काक रिंग को उठा के उन्होंने पूछा ये क्या है ,
मम्मी ने मुझे इशारा किया की मैं समझा दूँ , और मैं मानती थी समझाने का बेस्ट तरीका है इस्तेमाल करने का , डिमांस्ट्रेशन और एक कॉक रिंग मैंने उन्हें पहना दी।
डंडे के बेस पर जाकर एकदम टाइट फिट , एकदम बेसिक वाली थी और
मंजू बाई को बोला चढ़ जाएँ वो मीठी शूली पर ,
" चल अगर तूने मुझे अबकी फिर झाड़ दिया न तो मैंने समझूँगी की तू एकदम पक्का मादरचोद बनेगा , फाइनल इम्तहान ,
कॉक रिंग्स
तब तक मंजू बाई की निगाह पलंग पर पड़े खेल खिलौने पर गयीं , और काक रिंग को उठा के उन्होंने पूछा ये क्या है ,
मम्मी ने मुझे इशारा किया की मैं समझा दूँ ,
और मैं मानती थी समझाने का बेस्ट तरीका है इस्तेमाल करने का , डिमांस्ट्रेशन और एक कॉक रिंग मैंने उन्हें पहना दी।
डंडे के बेस पर जाकर एकदम टाइट फिट , एकदम बेसिक वाली थी और मंजू बाई को बोला चढ़ जाएँ वो मीठी शूली पर ,
" चल अगर तूने मुझे अबकी फिर झाड़ दिया न तो मैंने समझूँगी की तू एकदम पक्का मादरचोद बनेगा , फाइनल इम्तहान ,
और लन्ड मंजू बाई के भोंसडे में सरकता ,
अबकी शुरू से ही मंजू बाई फोर्थ गियर में , कुछ भी उनके ऊपर नहीं छोड़ा था , लगातार धक्के लगा लगा के उन्हें चोद रही थीं ,
उनके सीने पे अपनी बड़ी बड़ी चूंची रगड़ रही थी ,एक ऊँगली उनके गांड के छेद पर भी ,
साथ में मेरी सास को लेकर एक से एक गन्दी गालियां ,
कोई वैसे सुने तो कान बंद कर ले , और दे ही नहीं रही थीं
उनसे दिलवा भी रही थीं।
मम्मी भी खूब मजे ले रही थीं।
खूब उकसा रही थीं ,उन्हें भी मंजू बाई को भी।
और अबकी दोनों पहलवान बराबर के धक्के लगा रहे थे।
एक तो वैसे कुछ मेरी मम्मी और मंजू बाई की ट्रेनिंग से उनका टाइम बढ़ गया था , फिर शायद गीता के पहिलौटी के दूध का असर था ,
और सबसे बढ़कर ,
कॉक रिंग का जादू
लन्ड ,मलखम्ब हो गया था।
अब उनका साथ और कोई दे न दे , मैं तो देती ही , आखिर जनम जनम का साथ था ,बल्कि सात जनम का।
मैंने मंजू बाई से इशारा किया की वो एक पल के उठ जाए और मैं ज़रा दूसरा काक रिंग भी ट्राई कर लूँ।
थक तो वो भी गयी थी , 'विपरीत रति ' में , ऊपर से धक्का लगाने में।
कोई और औरत होती तो मरद के ऊपर बस ८-१० मिनट में ही चूं बोल देती
,ये तो मंजू बाई ऐसी खेली खायी बचपन की छिनार की ताकत थी की पिछले २०-२५ मिंनट से उनके ७ इंच के मोटे लन्ड पे चढ़ी धक्कमधुक्का खेल रही थी
उसे भी कुछ पल मिल गया आराम करने को और मुझे अपनी शैतानी करने को।
मैंने और सोफी ने मिल के उनके लिए तरह तरह की कॉक रिंग्स खरीदी थीं और जो सबसे स्पेशल थी ,डबल धमाके वाली , 'हिज' से ज्यादा 'हर' को मजे देने वाली।
असल में सच पूछिये तो कॉक रिंग लड़कों से ज्यादा लड़कियों को मजा देता है , अरे अगर कोई लौंडा ५- ६ मिनट में बिना लड़की को झाड़े झड़ जाए तो सबसे ज्यादा झल्लाहट लड़की को ही होगी न ,
और कॉक रिंग्स से ये ख़तरा एकदम दूर होजाता है ,
खूब देर तक सख्त कड़े लन्ड का मजा ,और कोई लड़की दुनिया में क्या चाहेगी।
लेकिन इस वाली में दो स्पेशल चीजें और लगी थीं , जी प्वाइंट स्टिम्युलेटर और क्लीट वाइब्रेटर।
कोई कोई बहुत एक्सपीरियंस्ड मर्द ही होते हैं जिन्हें जी प्वाइंट का अंदाजा होता है ,
लेकिन वहां ऊँगली से ही छू सकते है और छिनार से छिनार भी दो चार मिनट में जी प्वाइंट जे रगड़ने पर खलास हो जाती है
लेकिन चुदते समय , लन्ड सीधे अंदर हो जाता है तो जी प्वाइंट या जी स्पॉट चूत में दो -तीन इंच ही अंदर होता है ,
चूत के सामने वाले हिस्से में। इसलिए चोदते समय इसका एक्स्ट्रा स्टिमुलेशन मुश्किल है।
दूसरी जादू की बटन होती है कन्या के देह में क्लीट या भगनासा ,
और 'ये ' उसके पूरे एक्सपर्ट थे ,ऊँगली से ,जीभ से यहाँ तक की चोदते समय भी लन्ड के बेस से रगड़ रगड़ ,घिस्सा मार मार के ,. .
पर विपरीत रति में जब स्त्री ऊपर हो और खास तौर पर लड़के के हाथ बंधे हो तो सब कंट्रोल तो औरत के हाथ में होंगे न
और अगर बाजी न झड़ने की हो तो , वो क्यों अपने क्लीट पर जान बूझ कर ,.
लेकिन इस कॉक रिंग में एक क्लीट वाइब्रेटर भी लगा था ,बटरफ्लाई की तरह ,
और सबसे बड़ी बात ये जी प्वाइंट औ. र क्लीट स्टिम्युलेटर रिमोट कंट्रोल से थे और रिमोट मेरे पास था।
मंजू बाई के दुबारा चढने पर पहले तो मैंने दोनों को स्टार्ट नहीं किया।
वो भी अब पूरे जोश में थे ,नीचे से चूतड़ उठा उठा के धक्का लगा रहे थे और मंजू बाई भी अब थोड़ा सुस्ताने के बाद पूरी तेजी से ,
कुछ ही देर में तूफानी चुदाई फिर चालु हो गयी.
और अब मैंने भी अब अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया ,
पहले तो स्लो , फिर मीडियम , जी प्वाइंट स्टिमुलेटर
मंजू बाई के माथे पर पसीना आ गया ,वो कांपने झूमने लगी ,मैं समझ गयी उसकी हालात और क्लीट वाइब्रेटर भी आन कर दिया ,
लेकिन वो भी पक्की छिनार ,एक बार उसने चाल चली ,
धक्कों की स्पीड कम की , लेकिन अब मेरे वो भी खेले खाये हो गए थे ,सास की ट्रेनिंग का असर ,
पूरी ताकत से उन्होंने नीचे से चूतर उछाल के चौवे छक्के मारने शुरू कर दिए ,
और मैंने जी प्वाइंट और क्लीट दोनों के वाइब्रेटर फुल स्पीड पर कर दिए , नतीजा वही जो होना था।
दो चार मिनट में मंजू बाई झड़ने के कगार पर पहुँच गयी और
पांच मिनट के अंदर आज तक शायद पहले कभी वो ऐसे नहीं झड़ी होगी ,
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आहहहह उईईई उह्ह्ह्ह्ह्ह
एक बार , फिर बार बार , वो भी बिना रुके , खचाखच ,
नहीं नहीं ,ओह्ह अह्ह्ह आआअहा उईईईईई उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म।
मंजू बाई सिसक रही थी , तड़प रही थी झड़ रही।
और जब उतरी तो कटे पेड़ की तरह उनके बगल में जैसे गिर के बेहोश सी हो जाय , एकदम लथपथ , पस्त।
पांच मिनट के बाद उसने आँखे खोली।
लेकिन वो वैसे ही अनझडे.
मम्मी दोनों को देख मुस्करा रही थीं , लेकिन उनकी ललचायी नजर बार बार उस कुतुबमीनार पर पड़ रही थी ,एकदम खड़ा कड़क।
उनकी सास
मम्मी दोनों को देख मुस्करा रही थीं ,
लेकिन उनकी ललचायी नजर बार बार उस कुतुबमीनार पर पड़ रही थी ,एकदम खड़ा कड़क।
मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें इशारा किया , चढ़ जाइये न आपके दामाद ने इतना मस्त खड़ा किया है।
और बस वो चढ़ गयीं।
धीरे धीरे कर कुतुबमीनार गुलाबी घाटी में गायब हो गया ,
कुछ देर तक वो घुड़सवारी का मजा लेती रहीं ,लेकिन उसके बाद खुद उन्होंने ही अपने दामाद के बंधे हाथ खोल दिए।
बस इतना इशारा काफी था , उनके लिए ,और एक बार गाडी और नाव का रिश्ता बदल गया।
वो फिर से ऊपर ,
और सिर्फ गाडी और नाव का ही रिश्ता नहीं ,मॉम तो रोल प्ले में माहिर थीं
और आज कल उनकी पूरी कोशिश भी ,.
बस कुछ ही देर में उनका रिश्ता भी बदल गया ,
अब बजाय उनकी सास बनने के वो मेरी सास बन गयीं ,
वही आवाज ,वही अंदाज और जिस तरह उन्हें वो उकसा रही थीं , चैलेंज कर रही थी।
कुछ देर में पंजाब मेल फेल हो गयी उनके धक्कों की स्पीड के आगे ,
और अब हाथ खाली हो गए थे तो गदराये ३६ डी डी जोबन की मसलाई रगड़ाई चालू हो गयी.
सिसकारियां , गालियां , चूमने चाटने की आवाजें ,
घचक घचाक ,सटासट सटासट , गपागप गपागप।
और वो भी अब मेरी सास बनी , अपनी सास को हचक हचक के ,.
धक्को का जवाब धक्के से ,चुम्बन का चुम्बन से ,
मंजू बाई भी अब मेरे साथ बैठ के सास दामाद का दंगल देख रही थी ,
मुकाबला शायद बराबरी पर छूटता , ( और कोई पहली बार ये कुश्ती तो हो नहीं रही थी ,दोनों को दूसरे के हर दांव पेंच मालुम थे )
लेकिन कॉक रिंग ने शायद उनका पलड़ा भारी कर दिया।
वो भी बस कगार पर ही थे की , मेरी सास बनी उनकी सास ने हथियार डाल दिए।
एक बार ,बार बार ,. लगातार
गहरी साँसे ,
ऊपर नीचे होते नितम्ब ,
और फिर सब कुछ जैसे ठहर जाय , वो भी मंजू बाई के बगल में उसी तरह थकी हारी ,लस्त पस्त।
थक तो वो भी गए थे ,देह उनकी चूर चूर हो रही थी। अंग अंग टूट गए थे।
लेकिन बस झड़े नहीं थे।
और मैं झुकी टकटकी लगा के उन्हें मुस्करा के देख रही थी , उनके बालों में ऊँगली घुमा रही थी।
उनकी बंद थकी आँखों को मैंने हलके से चूम लिया ,
आखिर उनकी जीत मेरी भी तो जीत थी ,
और असली बात ये थी की उनकी जीत सच में उनकी हार थी , वो हार जो मैं कब से चाहती थी ,
और मंजू बाई ने अपने अंदाज में वो बात खुल के बोल भी ,
" चलो मान गए तेरी ताकत , बिना झड़े हम दोनों को ,और वो भी मुझे दो बार ,चल इनाम में सच में तुझे मादरचोद , . . "
उसकी बात काट के उनकी सास बोलीं ,
" अरे मंजू बाई अब तो मेरी समधन मान भी गयी है , बस पंद्रह बीस के दिन अंदर वो खुद यहीं आ रही है , . "
और एक बार फिर मेरी मॉम और मंजू बाई मिल के मेरी सास की ऐसी की तैसी करने में जुट गयीं।
मंजू बाई दो बार ,मॉम भी एक बार ,.
इसलिए चुदाई का मूड तो दोनों में से किसी का नहीं था इतनी जल्दी ,लेकिन जो मुझे डर था वही हुआ ,
दोनों उनकी चिकनी कुँवारी कोरी कसी गांड के पीछे पड़ गयीं।
खतरा, . इनके पिछवाड़े पर
आखिर उनकी जीत मेरी भी तो जीत थी ,
और असली बात ये थी की उनकी जीत सच में उनकी हार थी , वो हार जो मैं कब से चाहती थी ,
और मंजू बाई ने अपने अंदाज में वो बात खुल के बोल भी ,
" चलो मान गए तेरी ताकत , बिना झड़े हम दोनों को ,और वो भी मुझे दो बार ,चल इनाम में सच में तुझे मादरचोद , . . "
उसकी बात काट के उनकी सास बोलीं ,
" अरे मंजू बाई अब तो मेरी समधन मान भी गयी है , बस पंद्रह बीस के दिन अंदर वो खुद यहीं आ रही है , . "
और एक बार फिर मेरी मॉम और मंजू बाई मिल के मेरी सास की ऐसी की तैसी करने में जुट गयीं।
मंजू बाई दो बार ,मॉम भी एक बार ,.
इसलिए चुदाई का मूड तो दोनों में से किसी का नहीं था इतनी जल्दी ,लेकिन जो मुझे डर था वही हुआ ,
दोनों उनकी चिकनी कुँवारी कोरी कसी गांड के पीछे पड़ गयीं।
मॉम ने तो ८ इंच का स्ट्रैप आन डिल्डो पहन भी लिया
और मंजू ने जबरदस्ती उन्हें पटक के पेट के बल लिटा भी दिया ,
मैंने लाख कहा ,
डर से उनकी हालात खराब ,
लेकिन मैंने जब अपने दिल की बात मॉम से कही तब जाके वो मानीं ,
" अरे मम्मी ,आपका इकलौता दामाद वो भी इतना चिकना ,मस्त नमकीन माल और उसका इतना कसा कसा कोरा पिछवाड़ा ,
उसकी नथ किसी प्लास्टिक ,या रबर के बने , . से उतारी जाय। अरे उसके गांडछेदन के लिए तो
एक एकदम मोटा कड़ा ,गदहे और घोड़े को मात करने वाला हथियार होना चाहिए
और वो भी उस लौण्डेबाज का जिसने गांड मारने में पी एच डी कर रखी हो ,
और पहली बार गांड मार के ही आपके इस लौंडिया छाप दामाद को पक्का गांडू बना दे। "
मॉम एक दो पल के लिए हिचकीं ,
उधर मंजू बाई अपने दोनों हाथ के अंगूठों से उनके गांड के कसे छेद को पूरी तरह फैला के खड़ी थी।
हिचकिचाते माँ ने मेरी बात तो मान ली पर बोलीं ,
" तेरी बात में तो दम तो है लेकिन तुझे मिलेगा कहाँ से ऐसा लौंडेबाज , .
और खबरदार जो मेरे इस दामाद के लिए इससे ( अपने ८ इंच के डिल्डो वाले स्ट्रैप आन की ओर इशारा करते ) कम साइज का ढूंढा ,
गौने की रात को कोई कमसिन दुल्हन जैसे चिल्लाती है न वैसे ही चिल्लाना चाहिए ये,और,. . "
मालुम तो मुझे भी नहीं था की कहाँ मिलेगा मम्मी के दामाद के नथ का उतरैया , पर बोल दिया तो बोल दिया।
अभी तो मुझे अपने उनकी गांड की रक्षा करनी थी इस भयानक गांड फाडू डिल्डो से ,और मैंने मम्मी की बात काटते उन्हें फिर समझाया ,
" अरे मम्मी इस चिकने को फाड़ने वाले बहुत मिलेंगे , ऊपर से आपकी ट्रेनिंग। आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिये , बहुत जल्द ,. "
लेकिन मॉम आखिर मेरी भी मॉम थी , उन्होंने मेरी बात पकड़ ली।
" पक्का ,लेकिन दो बातें , मैं जब पंद्रह दिन में आउंगी न तेरी सास के साथ , तो उसके पहले इस लौंडे की फट जानी चाहिए।
और दूसरी बात उसकी फोटो ,वीडयो सब मेरे पास नहीं तो तेरी सास को यहाँ लाने का , प्रोग्राम कैंसल। "
मेरी ऊपर की सांस ऊपर ,नीचे की नीचे।
ये तो मेरी कबकी फंतासी थी की मेरी सस्कारी सास , और मम्मी का संस्कारी दामाद , घचाघच घचाघच ,
मेरे सामने और सब कुछ स्टिल ,वीडियो ,.
इन्हें मादरचोद तो बनाना ही था और बिना मॉम की हेल्प के ये हो नहीं सकता था।
मुझे तुरन्त जवाब देना था और साथ में कुछ अडिशनल ऑफर भी ,
" एकदम मम्मी ,बहुत जल्द , और साउंड लाइट के साथ पिक्चर आपको व्हाट्सअप करुँगी ,इनकी सारी चीखें भी ,
और हाँ बार इनकी नथ असली औजार से उतर जाये न फिर तो जो आप सुपर डुपर १० इंच वाला लायी हैं न उससे इनकी भी ,
इनकी माँ की भी , . लेकिन मम्मी इनको आपको ट्रेन करना पडेगा। आप ऐसी गुरु इन्हें कहाँ मिलेगी। "
५०० ग्राम मक्खन काम कर गया।
मैंने मम्मी से प्रॉमिस तो कर दिया था , . लेकिन कहाँ से ढूंढूंगी , इनकी नथ उतारनेवाले को , . . कम से कम आठ इंच वाला और वो भी लौंडेबाज़ी में एक्सपर्ट,. मुझे कुछ कुछ याद आ रहा था , . है तो कोई ऐसा , . जानती भी हूँ मैं , लेकिन ,. और उसके बिना मेरी सास पर मेरी मम्मी के दामाद का चढ़ने का कार्यक्रम खतरे में पड़ता दिख रहा था , लेकिन मैंने सर झटक दिया ,. मुझे अपनी सास की तो ,. भले ही कहीं से भी ढूंढ के सास के बेटे के पिछवाड़े की ,
और सबसे बड़ी ये थी ,. अभी तो ये बच गए ,
गाँड़ बची तो लाखों पाए ,.
इन्होने चैन की सांस ली ,.
मालूम इन्हे भी था और मुझे भी ये ज्यादा दिन नहीं बचने वाली है , अगर इनकी सास ने ठान लिया है तो
मम्मी मान गयी ,
" चल तू कह रही है तो और , उस में भी उसे ट्रेन करदूँगी , लेकिन मेरे आने के पहले फोटो और वीडियो सब , और उसके बाद मैं कुछ नहीं सुनूँगी। "
एकदम ,मैं बोली और मेरी सांस में सांस आयी।
मम्मी ने ५-१० हाथ जोरदार उनके माखन सी चिकनी गांड पे लगाए , गुलाब वहां खिल उठे और मॉम बोली ,
" चल आज तो तू इस से बच गया लेकिन ज्यादा दिन ,जल्द ही फटेगी तेरी। "
लेकिन मंजू बाई कहाँ छोड़ने वाली थीं उनको ,
" अरे मोर उंगलिया ही काफी हैं चल अभी इसको गांडू का मजा चखाती हूँ "
और गांड की दरार पर वो अपनी ऊँगली रगड़ने लगीं।
फिर मम्मी क्यों बख्शतीं उनको
,"चल तेरा पीछे का छेद बच गया तो बच गया , आगे का नहीं छोडूंगी। चल गांडू चाट मेरा लन्ड ,चूस अगर ढंग से चूस दिया न तो देखना खूब मोटे मोटे लन्ड मिलेंगे तुझे चूसने को मेरी गारंटी। "
चूसवाने की प्रैक्टिस तो मैंने ही उनकी शुरू करवाई थी , और डिटेल्ड इंस्ट्रक्शन के साथ ,
मॉम - मंजू बाई
,"चल तेरा पीछे का छेद बच गया तो बच गया , आगे का नहीं छोडूंगी।
चल गांडू चाट मेरा लन्ड ,चूस अगर ढंग से चूस दिया न तो देखना खूब मोटे मोटे लन्ड मिलेंगे तुझे चूसने को मेरी गारंटी। "
चूसवाने की प्रैक्टिस तो मैंने ही उनकी शुरू करवाई थी , और डिटेल्ड इंस्ट्रक्शन के साथ ,
पहले गाजर और कच्चे केले के साथ , पहले छोटे फिर ५ इंच , ६ इंच के।
( आफ कोर्स ये दोनों ही खाने के मामले में उनकी नो नो लिस्ट में थे )
" दांत नहीं लगना चहिए, अगर दांत का निशान भी दिख गया न गांडू तो बहुत मार पड़ेगी तुझे , सिर्फ होंठो पकड़ो ,
हाँ ऐसे ,फिर हलके हलके चूसो, . "
साथ में मैं खुद एक लॉलीपॉप ले के ,
पहले जीभ से जैसे सुपाड़े को छेड़ रही होऊं ,
वैसे लॉलीपॉप को छेड़ते ,चाटते चूसते ,फिर अपने गुलाबी मखमली होंठों से आधे लॉलीपॉप को दबा के चुभलाते ,चूसते गप्प कर लेती ,
फिर वही लॉलीपॉप मेरी तरह से वो भी ट्राई करते ,
फिर कैसे बैठना चाहिए ,
कैसे लन्ड पकड़ना चाहिए , कैसे शरारत के साथ मुस्कारते हुए छेडते हुए ,मर्द की आँखों में आँखों में आँखे डाल के मुस्कराते हुए ,
उसके औजार से खेलते हुए ,.
लेकिन जब मम्मी आगयीं तो तब से तो तो रोज
और साइज बढ़ के ७ इंच तक पहुँच गयी और ऊपर से १५ -२० मिनट से पहले मम्मी निकालने नहीं देती ऊपर से एकदम गले के एन्ड तक ,और चोकिंग रिफ्लेक्सेज को कैसे ओवरकम किया जाय ,
सीखने में तो नम्बर वन थे ही वो , और वो भी मम्मी से ,. . बस एक दो दिन में गैग रिफ्लेक्स को भी ओवरकम करना वो सीख गए।
और आज तो पूरे आठ इंच का था ,
लेकिन मम्मी के आगे कौन जीत सका है , पूरे के पूरे ८ इंच उनके मुंह में ठेल के वो मानी।
उनका बाल पकड़ के पहले तो पूरा मुंह खुलवाया जैसे डाक्टर खुलवाते हैं और उसके बाद , धीमे धीमे कर के ,. सरकाते ,पुश करते ,
और साथ में उनकी और मंजू बाई की गालियां ,
मैं कभी उनकी पीठ सहलाती तो कभी उनके गाल , लेकिन छेड़ने का मौका मैं भी क्यों छोडती ,
उनके कान में हलके हलके मैं बोल रही थी ,मस्त आवाज में ,
" मस्त चूस रही है तू जानम ,चल एक दिन हम दोनों साथ साथ लन्ड चूसेंगे फिर देखेंगे कौन पहले झाड़ता है। "
मुंह में मम्मी ने ८ इंच का ठेल रखा था और गांड में मंजू बाई की उँगलियाँ अंदर बाहर और जिस तेजी के साथ
क्या कोई लौण्डेबाज गांड मारेगा ,
" चल मेरा आशिरबाद है , तुझे मिलेंगे एक साथ दो दो लौंडेबाज , एक मुंह में ठेलेगा , एक गांड में पेलेगा। "
मंजू बाई ने गांड के छल्ले को रगड़ते दरेरते बोला।
" अरे इसकी माँ बहने तो सब एक साथ तीन तीन से पहले ही चुदवाती ,मरवाती हैं ,ये भी तो उन्ही की तरह पैदायशी हरामी खानदानी गांडू है।'
मम्मी क्यों चुप रहतीं।
" अरे ये उनका भी नम्बर डकायेगा मरवाने में , देख लीजियेगा। जिस लन्ड को घोंटने में चार चार बच्चो की माँ को भोंसड़ीवालियों को पसीना आ जाता है न वो भी ये हंसते हँसते घोंट जाएगा देखियेगा , . "
उनके गोरे गोरे नमकीन चूतड़ पे दूहथड लगाती मंजू बाई जोर जोर से बोली।
मैं सोच सकती थी उनकी क्या हाल हो रही होगी लेकिन न तो मंजू बाई छोड़ने वाली थीं न उनकी सास।
आधे घंटे के बाद ही वो छूटे ,
छूटे क्या
अब मंजू बाई ने स्ट्रैप आन लगा के आगे का मोर्चा सम्हाला और उनकी सास ने पीछे का ,
१५ -२० मिनट तक और , डबल रगड़ाई के बाद ही उन्हें छोड़ा गया।
और इंटरवल ही हुआ था ,
बिचारे
और साथ में गालियों की बारिश के साथ मंजू बाई कभी अपनी बड़ी बड़ी कड़ी चूँचियों से उनके सीने को रगड़ देती तो
कभी अपनी ऊँगली झुक के उनकी गांड के छेद पे कस के रगड़ देती , तो कभी कचकचा के उनके निप्स काट लेतीं ,
लेकिन मंजू बाई सिर्फ उन्हें तंग नहीं कर रही थीं ,उनकी पूरी कोशिश थी की किसी तरह वो उससे पहले झड़ जाएँ।
लेकिन वही हुआ ,
पहले मंजू बाई
फिर उनकी सास ,
और जब वो दोनों हटी तो मंजू बाई ने तारीफ़ की नजर से मुझे देखा ,
वो नहीं झड़े , उनका झंडा वैसे ही ऊँचा का ऊंचा
और उनकी सास और मंजू बाई दो दो बार झड़ गयीं .
एक को चोद कर झाड़ा उन्होंने एक को चूस चूस कर के ,
अरे आखिर वो किसी को चोदें ,
किसी से भी चुदे ,
माल तो मेरे ही थे।
और मैंने ओनरशिप और तारीफ़ की निगाह से उनकी ओर देखा।
झंडा अभी भी लहरा रहा था ,
लेकिन वो भी बस अब झड़ने के कगार पर ही थे ,
अब गए तब गए।
बस मंजू बाई ने उनके लन्ड के बेस पर खूब जोर से , पूरी ताकत से चुटकी काट ली।
और उनका जोश एकदम से ,
'वो ' अभी भी खड़ा ,तना था लेकिन झड़ने का ख़तरा नहीं था।
उनकी सास और मंजू बाई दोनों ही लस्तपस्त थकी पड़ी थीं ,
कभी एक दूसरे को देख के मुस्कराती तो कभी उनको देख के।
मस्त झड़ी थीं दोनों , उनकी सास और मंजूबाई। हिलने की हालत भी नहीं थी।
मैं ख़ुशी से तारीफ़ से उन्हें देख रही थी और वो मुझे , टू मिनट वंडर तो वो कभी भी नहीं थे।
पहली रात ही उन्होंने मुझे तोड़कर रख दिया था। ८-१० मिनट से ज्यादा ही
जो मेरी भाभियों ने सहेलियों ने सीखा पढ़ा के भेजा था ,
कम से कम कम १५ -२० मिनट ,
लेकिन आज तो एक साथ दोनों प्रौढ़ाओं ,
इस खेल में एक्सपर्ट ,
और वो भी नीचे लेटे लेटे ,
आधे घंटे तो कम से कम , .
और सबसे पहले मंजू बाई एक्टिव हुयी , उनकी माँ , मेरी सास का नाम लेकर उन्हें चढाने ,चिढ़ाने लगी।
" ठीक है ,ठीक है , लेकिन कम से कम दो बार झाड़ के लस्त पस्त करोगे न अपनी माँ को और बिना रुके तीसरी बार चोदोगे ,
मेरी गारंटी है एकदम तेरे लौंड़े की छिनार दीवानी हो जायेगी।
सब सरम लिहाज भूल के ,खुद ही तेरे पीछे पड़ेगी , सबके सामने चुदने को तैयार हो जायेगी , . "
और मैंने भी मजा लेते हुए टुकड़ा लगाया ,
" मंजू बाई एकदम सही कह रही है , अरे जंगल में मोर नाचा किसने देखा ,
जब तक हमारे सामने मेरी सास पे चढ़ाई न हुयी तो कैसे हम माने की तुम असली मादरचोद हो की नहीं। "
मॉम भी ना , कुछ भी हो जाए वो हरदम अपने दामाद की तरफदारी ही करती थीं , बोलीं ,
" अरे तू समझती क्या है मेरे दामाद को ,आने दो तेरी सास को , अब १५-१६ दिन तो ही बचे हैं न।
हाथ कंगन को आरसी क्या , अरे इसी कमरे में ,बरामदे में सारे घर में , जैसे कातिक में कुतिया चुदती है न ,
वैसे घिर्रा घिर्रा के , रगड़ रगड़ के ,तेरे सामने ,मेरे सामने ,मंजू बाई के सामने चोदेगा।
अरे इसमें कौन सरम ,बोल मुन्ना चोदेगा न हम सबके सामने , . "
और वो तो मुझसे ज्यादा उनके गुलाम , जोर जोर से उन्होंने सर हिलाया।
मैंने मुश्किल से मुस्कराहट रोकी।
शादी के बाद कभी मजाक में ही सही ,चिढाने के लिए ,गारी वारी गाने में मैं उनके किसी मायके वाली का नाम ले के ,
कुछ बोल देती तो वो एकदम अलफ ,
लेकिन अब खुल के उनकी माँ के बारे में , और वो ,. मुस्करा के हामी में सर हिला रहे हैं।
लेकिन मम्मी ने मंजू बाई की बात की ताईद की।
" बात वो सही कह रही है , पहली बार हचक के चोद चोद के अपनी माँ के भोसड़े की ऐसी तैसी कर देना , कम से कम दो बार झाड़ना ,ठीक है न मुन्ना ,उसके बाद अपनी मलायी जब वो तीसरी बार झड़ें न तो बस सीधे बच्चेदानी में उड़ेल देना , "
मम्मी की बात अबकी मैंने काटी ,
" अरे मम्मी आप क्या कह रही है , अरे अगर ये अपनी गाढ़ी मलाई मेरी सास की सीधे बच्चेदानी में ,. कहीं गाभिन हो गयीं तो। "
मैंने बनावटी घबराहट से कहा।
" अरे गाभिन हो गयी तो क्या हुआ , पेट फुलाये घूमेंगी , नौ महीने बाद सोहर होगा।
तुझे एक मस्त ननद मिलेगी और इन्हें एक बहन ,बस उसकी झांटे निकलने का इन्तजार करना, . "
मंजू बाई बोल रही थी लेकिन अबकी मैंने फिर बात काटी ,
" अरे मंजू बाई इनकी वो बहन लगेगी की बेटी , भले भोसड़ा इनकी माँ का होगा लेकिन लन्ड तो इनका , . "
मैंने फिर अपना शक जाहिर किया।
अबकी मुझे डांट पड़ गयी , और कौन डाँटता। मम्मी। झुंझला के बोलीं ,
" तू भी न , तुझसे मेरे मुन्ना का कोई फायदा देखा नहीं जाता , अरे बहन या बेटी , बिना चोदे उसे मेरा मुन्ना छोड़ेगा नहीं , अरे मादरचोद ,बहनचोद तू उसे बना सकती है तो बेटीचोद , . . "
और अबकी बात उन्होंने काटी।
बिचारे बड़ी देर से बोलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन हम तीनों के बीच में उनकी कौन सुनता ,लेकिन अबकी जोर से वो बोले ,
" ऐसा कुछ नहीं होने वाला। "
मतलब , . . हम तीनों एकसाथ चीखे।
कुछ देर बिचारे रुके फिर उन्होंने राज खोला ,
" आप लोग भी न " ,.
फिर उन्होंने थूक घोंटा , गहरी सांस ली और बोले ,
" बात ये है की जब मैं पैदा हुआ था , तभी , उसके तुरंत बाद , माँ ने ऑपरेशन करवा लिया था की अब दो बच्चे हो गए तो , इसके बाद नहीं , बस ,. तब से , तब इसलिए उनके , . "
जो बात कहने में वो हिचक रहे थे मैंने पूरी कर दी , आखिर पत्नी थी उनकी , उनकी माँ की छोटी बहू।
" तो तेरा मतलब ये है की तुम कितना भी मेरी सास को हचक हचक के चोदोगे ,मलाई उनकी बुर में डालोगे , सीधे बच्चेदानी में भी ,तब भी वो गाभिन नहीं होगीं। "
मैंने मुद्दा साफ़ किया।
जोर जोर से सर हिलाने के साथ उन्होंने खुल के हाँ बोला .
मेरी सास
जो बात कहने में वो हिचक रहे थे मैंने पूरी कर दी , आखिर पत्नी थी उनकी , माँ की छोटी बहू।
" तो तेरा मतलब ये है की तुम कितना भी मेरी सास को हचक हचक के चोदोगे ,मलाई उनकी बुर में डालोगे , सीधे बच्चेदानी में भी ,तब भी वो गाभिन नहीं होगीं। "
मैंने मुद्दा साफ़ किया।
जोर जोर से सर हिलाने के साथ उन्होंने खुल के हाँ बोला , और ये साफ़ साफ़ बोला की उनके पैदा होने के बाद से ही , .
और एक बात मम्मी के मन में भी साफ़ हो गयी ,हंस के बोली ,
" अब समझी , तभी तेरे शादी में कितने जोश से अपनी बड़ी बड़ी चूंचियां झलकाते ,उठा उठा के कैसे सारे घरातियों को ललचा रही थीं ,चुनौती दे रही थी. कोई पकड़ चोद भी देता तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ,
तेरे ससुरालवाले तभी से मेरी समधन के दीवाने है , सब उनके साया के अंदर घुसना चाहते है ,
तेरे चचिया ससुर ,मौसेरे ससुर ,यहाँ तक की घर में,गाँव में काम करने वाले , . कहांर ,नाऊ , . "
और वो मुस्करा रहे थे।
डंडा वैसे ही खड़ा कडा था।
तब तक मंजू बाई की निगाह पलंग पर पड़े खेल खिलौने पर गयीं , और काक रिंग को उठा के उन्होंने पूछा ये क्या है ,
मम्मी ने मुझे इशारा किया की मैं समझा दूँ , और मैं मानती थी समझाने का बेस्ट तरीका है इस्तेमाल करने का , डिमांस्ट्रेशन और एक कॉक रिंग मैंने उन्हें पहना दी।
डंडे के बेस पर जाकर एकदम टाइट फिट , एकदम बेसिक वाली थी और
मंजू बाई को बोला चढ़ जाएँ वो मीठी शूली पर ,
" चल अगर तूने मुझे अबकी फिर झाड़ दिया न तो मैंने समझूँगी की तू एकदम पक्का मादरचोद बनेगा , फाइनल इम्तहान ,
कॉक रिंग्स
तब तक मंजू बाई की निगाह पलंग पर पड़े खेल खिलौने पर गयीं , और काक रिंग को उठा के उन्होंने पूछा ये क्या है ,
मम्मी ने मुझे इशारा किया की मैं समझा दूँ ,
और मैं मानती थी समझाने का बेस्ट तरीका है इस्तेमाल करने का , डिमांस्ट्रेशन और एक कॉक रिंग मैंने उन्हें पहना दी।
डंडे के बेस पर जाकर एकदम टाइट फिट , एकदम बेसिक वाली थी और मंजू बाई को बोला चढ़ जाएँ वो मीठी शूली पर ,
" चल अगर तूने मुझे अबकी फिर झाड़ दिया न तो मैंने समझूँगी की तू एकदम पक्का मादरचोद बनेगा , फाइनल इम्तहान ,
और लन्ड मंजू बाई के भोंसडे में सरकता ,
अबकी शुरू से ही मंजू बाई फोर्थ गियर में , कुछ भी उनके ऊपर नहीं छोड़ा था , लगातार धक्के लगा लगा के उन्हें चोद रही थीं ,
उनके सीने पे अपनी बड़ी बड़ी चूंची रगड़ रही थी ,एक ऊँगली उनके गांड के छेद पर भी ,
साथ में मेरी सास को लेकर एक से एक गन्दी गालियां ,
कोई वैसे सुने तो कान बंद कर ले , और दे ही नहीं रही थीं
उनसे दिलवा भी रही थीं।
मम्मी भी खूब मजे ले रही थीं।
खूब उकसा रही थीं ,उन्हें भी मंजू बाई को भी।
और अबकी दोनों पहलवान बराबर के धक्के लगा रहे थे।
एक तो वैसे कुछ मेरी मम्मी और मंजू बाई की ट्रेनिंग से उनका टाइम बढ़ गया था , फिर शायद गीता के पहिलौटी के दूध का असर था ,
और सबसे बढ़कर ,
कॉक रिंग का जादू
लन्ड ,मलखम्ब हो गया था।
अब उनका साथ और कोई दे न दे , मैं तो देती ही , आखिर जनम जनम का साथ था ,बल्कि सात जनम का।
मैंने मंजू बाई से इशारा किया की वो एक पल के उठ जाए और मैं ज़रा दूसरा काक रिंग भी ट्राई कर लूँ।
थक तो वो भी गयी थी , 'विपरीत रति ' में , ऊपर से धक्का लगाने में।
कोई और औरत होती तो मरद के ऊपर बस ८-१० मिनट में ही चूं बोल देती
,ये तो मंजू बाई ऐसी खेली खायी बचपन की छिनार की ताकत थी की पिछले २०-२५ मिंनट से उनके ७ इंच के मोटे लन्ड पे चढ़ी धक्कमधुक्का खेल रही थी
उसे भी कुछ पल मिल गया आराम करने को और मुझे अपनी शैतानी करने को।
मैंने और सोफी ने मिल के उनके लिए तरह तरह की कॉक रिंग्स खरीदी थीं और जो सबसे स्पेशल थी ,डबल धमाके वाली , 'हिज' से ज्यादा 'हर' को मजे देने वाली।
असल में सच पूछिये तो कॉक रिंग लड़कों से ज्यादा लड़कियों को मजा देता है , अरे अगर कोई लौंडा ५- ६ मिनट में बिना लड़की को झाड़े झड़ जाए तो सबसे ज्यादा झल्लाहट लड़की को ही होगी न ,
और कॉक रिंग्स से ये ख़तरा एकदम दूर होजाता है ,
खूब देर तक सख्त कड़े लन्ड का मजा ,और कोई लड़की दुनिया में क्या चाहेगी।
लेकिन इस वाली में दो स्पेशल चीजें और लगी थीं , जी प्वाइंट स्टिम्युलेटर और क्लीट वाइब्रेटर।
कोई कोई बहुत एक्सपीरियंस्ड मर्द ही होते हैं जिन्हें जी प्वाइंट का अंदाजा होता है ,
लेकिन वहां ऊँगली से ही छू सकते है और छिनार से छिनार भी दो चार मिनट में जी प्वाइंट जे रगड़ने पर खलास हो जाती है
लेकिन चुदते समय , लन्ड सीधे अंदर हो जाता है तो जी प्वाइंट या जी स्पॉट चूत में दो -तीन इंच ही अंदर होता है ,
चूत के सामने वाले हिस्से में। इसलिए चोदते समय इसका एक्स्ट्रा स्टिमुलेशन मुश्किल है।
दूसरी जादू की बटन होती है कन्या के देह में क्लीट या भगनासा ,
और 'ये ' उसके पूरे एक्सपर्ट थे ,ऊँगली से ,जीभ से यहाँ तक की चोदते समय भी लन्ड के बेस से रगड़ रगड़ ,घिस्सा मार मार के ,. .
पर विपरीत रति में जब स्त्री ऊपर हो और खास तौर पर लड़के के हाथ बंधे हो तो सब कंट्रोल तो औरत के हाथ में होंगे न
और अगर बाजी न झड़ने की हो तो , वो क्यों अपने क्लीट पर जान बूझ कर ,.
लेकिन इस कॉक रिंग में एक क्लीट वाइब्रेटर भी लगा था ,बटरफ्लाई की तरह ,
और सबसे बड़ी बात ये जी प्वाइंट औ. र क्लीट स्टिम्युलेटर रिमोट कंट्रोल से थे और रिमोट मेरे पास था।
मंजू बाई के दुबारा चढने पर पहले तो मैंने दोनों को स्टार्ट नहीं किया।
वो भी अब पूरे जोश में थे ,नीचे से चूतड़ उठा उठा के धक्का लगा रहे थे और मंजू बाई भी अब थोड़ा सुस्ताने के बाद पूरी तेजी से ,
कुछ ही देर में तूफानी चुदाई फिर चालु हो गयी.
और अब मैंने भी अब अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया ,
पहले तो स्लो , फिर मीडियम , जी प्वाइंट स्टिमुलेटर
मंजू बाई के माथे पर पसीना आ गया ,वो कांपने झूमने लगी ,मैं समझ गयी उसकी हालात और क्लीट वाइब्रेटर भी आन कर दिया ,
लेकिन वो भी पक्की छिनार ,एक बार उसने चाल चली ,
धक्कों की स्पीड कम की , लेकिन अब मेरे वो भी खेले खाये हो गए थे ,सास की ट्रेनिंग का असर ,
पूरी ताकत से उन्होंने नीचे से चूतर उछाल के चौवे छक्के मारने शुरू कर दिए ,
और मैंने जी प्वाइंट और क्लीट दोनों के वाइब्रेटर फुल स्पीड पर कर दिए , नतीजा वही जो होना था।
दो चार मिनट में मंजू बाई झड़ने के कगार पर पहुँच गयी और
पांच मिनट के अंदर आज तक शायद पहले कभी वो ऐसे नहीं झड़ी होगी ,
ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आहहहह उईईई उह्ह्ह्ह्ह्ह
एक बार , फिर बार बार , वो भी बिना रुके , खचाखच ,
नहीं नहीं ,ओह्ह अह्ह्ह आआअहा उईईईईई उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म।
मंजू बाई सिसक रही थी , तड़प रही थी झड़ रही।
और जब उतरी तो कटे पेड़ की तरह उनके बगल में जैसे गिर के बेहोश सी हो जाय , एकदम लथपथ , पस्त।
पांच मिनट के बाद उसने आँखे खोली।
लेकिन वो वैसे ही अनझडे.
मम्मी दोनों को देख मुस्करा रही थीं , लेकिन उनकी ललचायी नजर बार बार उस कुतुबमीनार पर पड़ रही थी ,एकदम खड़ा कड़क।
उनकी सास
मम्मी दोनों को देख मुस्करा रही थीं ,
लेकिन उनकी ललचायी नजर बार बार उस कुतुबमीनार पर पड़ रही थी ,एकदम खड़ा कड़क।
मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें इशारा किया , चढ़ जाइये न आपके दामाद ने इतना मस्त खड़ा किया है।
और बस वो चढ़ गयीं।
धीरे धीरे कर कुतुबमीनार गुलाबी घाटी में गायब हो गया ,
कुछ देर तक वो घुड़सवारी का मजा लेती रहीं ,लेकिन उसके बाद खुद उन्होंने ही अपने दामाद के बंधे हाथ खोल दिए।
बस इतना इशारा काफी था , उनके लिए ,और एक बार गाडी और नाव का रिश्ता बदल गया।
वो फिर से ऊपर ,
और सिर्फ गाडी और नाव का ही रिश्ता नहीं ,मॉम तो रोल प्ले में माहिर थीं
और आज कल उनकी पूरी कोशिश भी ,.
बस कुछ ही देर में उनका रिश्ता भी बदल गया ,
अब बजाय उनकी सास बनने के वो मेरी सास बन गयीं ,
वही आवाज ,वही अंदाज और जिस तरह उन्हें वो उकसा रही थीं , चैलेंज कर रही थी।
कुछ देर में पंजाब मेल फेल हो गयी उनके धक्कों की स्पीड के आगे ,
और अब हाथ खाली हो गए थे तो गदराये ३६ डी डी जोबन की मसलाई रगड़ाई चालू हो गयी.
सिसकारियां , गालियां , चूमने चाटने की आवाजें ,
घचक घचाक ,सटासट सटासट , गपागप गपागप।
और वो भी अब मेरी सास बनी , अपनी सास को हचक हचक के ,.
धक्को का जवाब धक्के से ,चुम्बन का चुम्बन से ,
मंजू बाई भी अब मेरे साथ बैठ के सास दामाद का दंगल देख रही थी ,
मुकाबला शायद बराबरी पर छूटता , ( और कोई पहली बार ये कुश्ती तो हो नहीं रही थी ,दोनों को दूसरे के हर दांव पेंच मालुम थे )
लेकिन कॉक रिंग ने शायद उनका पलड़ा भारी कर दिया।
वो भी बस कगार पर ही थे की , मेरी सास बनी उनकी सास ने हथियार डाल दिए।
एक बार ,बार बार ,. लगातार
गहरी साँसे ,
ऊपर नीचे होते नितम्ब ,
और फिर सब कुछ जैसे ठहर जाय , वो भी मंजू बाई के बगल में उसी तरह थकी हारी ,लस्त पस्त।
थक तो वो भी गए थे ,देह उनकी चूर चूर हो रही थी। अंग अंग टूट गए थे।
लेकिन बस झड़े नहीं थे।
और मैं झुकी टकटकी लगा के उन्हें मुस्करा के देख रही थी , उनके बालों में ऊँगली घुमा रही थी।
उनकी बंद थकी आँखों को मैंने हलके से चूम लिया ,
आखिर उनकी जीत मेरी भी तो जीत थी ,
और असली बात ये थी की उनकी जीत सच में उनकी हार थी , वो हार जो मैं कब से चाहती थी ,
और मंजू बाई ने अपने अंदाज में वो बात खुल के बोल भी ,
" चलो मान गए तेरी ताकत , बिना झड़े हम दोनों को ,और वो भी मुझे दो बार ,चल इनाम में सच में तुझे मादरचोद , . . "
उसकी बात काट के उनकी सास बोलीं ,
" अरे मंजू बाई अब तो मेरी समधन मान भी गयी है , बस पंद्रह बीस के दिन अंदर वो खुद यहीं आ रही है , . "
और एक बार फिर मेरी मॉम और मंजू बाई मिल के मेरी सास की ऐसी की तैसी करने में जुट गयीं।
मंजू बाई दो बार ,मॉम भी एक बार ,.
इसलिए चुदाई का मूड तो दोनों में से किसी का नहीं था इतनी जल्दी ,लेकिन जो मुझे डर था वही हुआ ,
दोनों उनकी चिकनी कुँवारी कोरी कसी गांड के पीछे पड़ गयीं।
खतरा, . इनके पिछवाड़े पर
आखिर उनकी जीत मेरी भी तो जीत थी ,
और असली बात ये थी की उनकी जीत सच में उनकी हार थी , वो हार जो मैं कब से चाहती थी ,
और मंजू बाई ने अपने अंदाज में वो बात खुल के बोल भी ,
" चलो मान गए तेरी ताकत , बिना झड़े हम दोनों को ,और वो भी मुझे दो बार ,चल इनाम में सच में तुझे मादरचोद , . . "
उसकी बात काट के उनकी सास बोलीं ,
" अरे मंजू बाई अब तो मेरी समधन मान भी गयी है , बस पंद्रह बीस के दिन अंदर वो खुद यहीं आ रही है , . "
और एक बार फिर मेरी मॉम और मंजू बाई मिल के मेरी सास की ऐसी की तैसी करने में जुट गयीं।
मंजू बाई दो बार ,मॉम भी एक बार ,.
इसलिए चुदाई का मूड तो दोनों में से किसी का नहीं था इतनी जल्दी ,लेकिन जो मुझे डर था वही हुआ ,
दोनों उनकी चिकनी कुँवारी कोरी कसी गांड के पीछे पड़ गयीं।
मॉम ने तो ८ इंच का स्ट्रैप आन डिल्डो पहन भी लिया
और मंजू ने जबरदस्ती उन्हें पटक के पेट के बल लिटा भी दिया ,
मैंने लाख कहा ,
डर से उनकी हालात खराब ,
लेकिन मैंने जब अपने दिल की बात मॉम से कही तब जाके वो मानीं ,
" अरे मम्मी ,आपका इकलौता दामाद वो भी इतना चिकना ,मस्त नमकीन माल और उसका इतना कसा कसा कोरा पिछवाड़ा ,
उसकी नथ किसी प्लास्टिक ,या रबर के बने , . से उतारी जाय। अरे उसके गांडछेदन के लिए तो
एक एकदम मोटा कड़ा ,गदहे और घोड़े को मात करने वाला हथियार होना चाहिए
और वो भी उस लौण्डेबाज का जिसने गांड मारने में पी एच डी कर रखी हो ,
और पहली बार गांड मार के ही आपके इस लौंडिया छाप दामाद को पक्का गांडू बना दे। "
मॉम एक दो पल के लिए हिचकीं ,
उधर मंजू बाई अपने दोनों हाथ के अंगूठों से उनके गांड के कसे छेद को पूरी तरह फैला के खड़ी थी।
हिचकिचाते माँ ने मेरी बात तो मान ली पर बोलीं ,
" तेरी बात में तो दम तो है लेकिन तुझे मिलेगा कहाँ से ऐसा लौंडेबाज , .
और खबरदार जो मेरे इस दामाद के लिए इससे ( अपने ८ इंच के डिल्डो वाले स्ट्रैप आन की ओर इशारा करते ) कम साइज का ढूंढा ,
गौने की रात को कोई कमसिन दुल्हन जैसे चिल्लाती है न वैसे ही चिल्लाना चाहिए ये,और,. . "
मालुम तो मुझे भी नहीं था की कहाँ मिलेगा मम्मी के दामाद के नथ का उतरैया , पर बोल दिया तो बोल दिया।
अभी तो मुझे अपने उनकी गांड की रक्षा करनी थी इस भयानक गांड फाडू डिल्डो से ,और मैंने मम्मी की बात काटते उन्हें फिर समझाया ,
" अरे मम्मी इस चिकने को फाड़ने वाले बहुत मिलेंगे , ऊपर से आपकी ट्रेनिंग। आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिये , बहुत जल्द ,. "
लेकिन मॉम आखिर मेरी भी मॉम थी , उन्होंने मेरी बात पकड़ ली।
" पक्का ,लेकिन दो बातें , मैं जब पंद्रह दिन में आउंगी न तेरी सास के साथ , तो उसके पहले इस लौंडे की फट जानी चाहिए।
और दूसरी बात उसकी फोटो ,वीडयो सब मेरे पास नहीं तो तेरी सास को यहाँ लाने का , प्रोग्राम कैंसल। "
मेरी ऊपर की सांस ऊपर ,नीचे की नीचे।
ये तो मेरी कबकी फंतासी थी की मेरी सस्कारी सास , और मम्मी का संस्कारी दामाद , घचाघच घचाघच ,
मेरे सामने और सब कुछ स्टिल ,वीडियो ,.
इन्हें मादरचोद तो बनाना ही था और बिना मॉम की हेल्प के ये हो नहीं सकता था।
मुझे तुरन्त जवाब देना था और साथ में कुछ अडिशनल ऑफर भी ,
" एकदम मम्मी ,बहुत जल्द , और साउंड लाइट के साथ पिक्चर आपको व्हाट्सअप करुँगी ,इनकी सारी चीखें भी ,
और हाँ बार इनकी नथ असली औजार से उतर जाये न फिर तो जो आप सुपर डुपर १० इंच वाला लायी हैं न उससे इनकी भी ,
इनकी माँ की भी , . लेकिन मम्मी इनको आपको ट्रेन करना पडेगा। आप ऐसी गुरु इन्हें कहाँ मिलेगी। "
५०० ग्राम मक्खन काम कर गया।
मैंने मम्मी से प्रॉमिस तो कर दिया था , . लेकिन कहाँ से ढूंढूंगी , इनकी नथ उतारनेवाले को , . . कम से कम आठ इंच वाला और वो भी लौंडेबाज़ी में एक्सपर्ट,. मुझे कुछ कुछ याद आ रहा था , . है तो कोई ऐसा , . जानती भी हूँ मैं , लेकिन ,. और उसके बिना मेरी सास पर मेरी मम्मी के दामाद का चढ़ने का कार्यक्रम खतरे में पड़ता दिख रहा था , लेकिन मैंने सर झटक दिया ,. मुझे अपनी सास की तो ,. भले ही कहीं से भी ढूंढ के सास के बेटे के पिछवाड़े की ,
और सबसे बड़ी ये थी ,. अभी तो ये बच गए ,
गाँड़ बची तो लाखों पाए ,.
इन्होने चैन की सांस ली ,.
मालूम इन्हे भी था और मुझे भी ये ज्यादा दिन नहीं बचने वाली है , अगर इनकी सास ने ठान लिया है तो
मम्मी मान गयी ,
" चल तू कह रही है तो और , उस में भी उसे ट्रेन करदूँगी , लेकिन मेरे आने के पहले फोटो और वीडियो सब , और उसके बाद मैं कुछ नहीं सुनूँगी। "
एकदम ,मैं बोली और मेरी सांस में सांस आयी।
मम्मी ने ५-१० हाथ जोरदार उनके माखन सी चिकनी गांड पे लगाए , गुलाब वहां खिल उठे और मॉम बोली ,
" चल आज तो तू इस से बच गया लेकिन ज्यादा दिन ,जल्द ही फटेगी तेरी। "
लेकिन मंजू बाई कहाँ छोड़ने वाली थीं उनको ,
" अरे मोर उंगलिया ही काफी हैं चल अभी इसको गांडू का मजा चखाती हूँ "
और गांड की दरार पर वो अपनी ऊँगली रगड़ने लगीं।
फिर मम्मी क्यों बख्शतीं उनको
,"चल तेरा पीछे का छेद बच गया तो बच गया , आगे का नहीं छोडूंगी। चल गांडू चाट मेरा लन्ड ,चूस अगर ढंग से चूस दिया न तो देखना खूब मोटे मोटे लन्ड मिलेंगे तुझे चूसने को मेरी गारंटी। "
चूसवाने की प्रैक्टिस तो मैंने ही उनकी शुरू करवाई थी , और डिटेल्ड इंस्ट्रक्शन के साथ ,
मॉम - मंजू बाई
,"चल तेरा पीछे का छेद बच गया तो बच गया , आगे का नहीं छोडूंगी।
चल गांडू चाट मेरा लन्ड ,चूस अगर ढंग से चूस दिया न तो देखना खूब मोटे मोटे लन्ड मिलेंगे तुझे चूसने को मेरी गारंटी। "
चूसवाने की प्रैक्टिस तो मैंने ही उनकी शुरू करवाई थी , और डिटेल्ड इंस्ट्रक्शन के साथ ,
पहले गाजर और कच्चे केले के साथ , पहले छोटे फिर ५ इंच , ६ इंच के।
( आफ कोर्स ये दोनों ही खाने के मामले में उनकी नो नो लिस्ट में थे )
" दांत नहीं लगना चहिए, अगर दांत का निशान भी दिख गया न गांडू तो बहुत मार पड़ेगी तुझे , सिर्फ होंठो पकड़ो ,
हाँ ऐसे ,फिर हलके हलके चूसो, . "
साथ में मैं खुद एक लॉलीपॉप ले के ,
पहले जीभ से जैसे सुपाड़े को छेड़ रही होऊं ,
वैसे लॉलीपॉप को छेड़ते ,चाटते चूसते ,फिर अपने गुलाबी मखमली होंठों से आधे लॉलीपॉप को दबा के चुभलाते ,चूसते गप्प कर लेती ,
फिर वही लॉलीपॉप मेरी तरह से वो भी ट्राई करते ,
फिर कैसे बैठना चाहिए ,
कैसे लन्ड पकड़ना चाहिए , कैसे शरारत के साथ मुस्कारते हुए छेडते हुए ,मर्द की आँखों में आँखों में आँखे डाल के मुस्कराते हुए ,
उसके औजार से खेलते हुए ,.
लेकिन जब मम्मी आगयीं तो तब से तो तो रोज
और साइज बढ़ के ७ इंच तक पहुँच गयी और ऊपर से १५ -२० मिनट से पहले मम्मी निकालने नहीं देती ऊपर से एकदम गले के एन्ड तक ,और चोकिंग रिफ्लेक्सेज को कैसे ओवरकम किया जाय ,
सीखने में तो नम्बर वन थे ही वो , और वो भी मम्मी से ,. . बस एक दो दिन में गैग रिफ्लेक्स को भी ओवरकम करना वो सीख गए।
और आज तो पूरे आठ इंच का था ,
लेकिन मम्मी के आगे कौन जीत सका है , पूरे के पूरे ८ इंच उनके मुंह में ठेल के वो मानी।
उनका बाल पकड़ के पहले तो पूरा मुंह खुलवाया जैसे डाक्टर खुलवाते हैं और उसके बाद , धीमे धीमे कर के ,. सरकाते ,पुश करते ,
और साथ में उनकी और मंजू बाई की गालियां ,
मैं कभी उनकी पीठ सहलाती तो कभी उनके गाल , लेकिन छेड़ने का मौका मैं भी क्यों छोडती ,
उनके कान में हलके हलके मैं बोल रही थी ,मस्त आवाज में ,
" मस्त चूस रही है तू जानम ,चल एक दिन हम दोनों साथ साथ लन्ड चूसेंगे फिर देखेंगे कौन पहले झाड़ता है। "
मुंह में मम्मी ने ८ इंच का ठेल रखा था और गांड में मंजू बाई की उँगलियाँ अंदर बाहर और जिस तेजी के साथ
क्या कोई लौण्डेबाज गांड मारेगा ,
" चल मेरा आशिरबाद है , तुझे मिलेंगे एक साथ दो दो लौंडेबाज , एक मुंह में ठेलेगा , एक गांड में पेलेगा। "
मंजू बाई ने गांड के छल्ले को रगड़ते दरेरते बोला।
" अरे इसकी माँ बहने तो सब एक साथ तीन तीन से पहले ही चुदवाती ,मरवाती हैं ,ये भी तो उन्ही की तरह पैदायशी हरामी खानदानी गांडू है।'
मम्मी क्यों चुप रहतीं।
" अरे ये उनका भी नम्बर डकायेगा मरवाने में , देख लीजियेगा। जिस लन्ड को घोंटने में चार चार बच्चो की माँ को भोंसड़ीवालियों को पसीना आ जाता है न वो भी ये हंसते हँसते घोंट जाएगा देखियेगा , . "
उनके गोरे गोरे नमकीन चूतड़ पे दूहथड लगाती मंजू बाई जोर जोर से बोली।
मैं सोच सकती थी उनकी क्या हाल हो रही होगी लेकिन न तो मंजू बाई छोड़ने वाली थीं न उनकी सास।
आधे घंटे के बाद ही वो छूटे ,
छूटे क्या
अब मंजू बाई ने स्ट्रैप आन लगा के आगे का मोर्चा सम्हाला और उनकी सास ने पीछे का ,
१५ -२० मिनट तक और , डबल रगड़ाई के बाद ही उन्हें छोड़ा गया।
और इंटरवल ही हुआ था ,
बिचारे