Episode 44
रात अभी बाकी है
और इंटरवल ही हुआ था , बिचारे वो नहीं ,उनका वो।
रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी ,और वो वैसे का वैसे तना।
इतना मस्त तन्नाया खूंटा खड़ा हो ,
और दो दो प्रौढ़ाएँ , परफेक्ट , एम् आई एल ऍफ़ ,. .
पहल मंजू बाई ने ही की ,
सच्च में उसके जोबन एकदम गदराये , रिकार्ड तोड़ , मेरे सास से भी एक दो नंबर बड़ी साइज के और उन्ही के तरह बिना ब्लाउज के भी हरदम कड़े , ज़रा भी झुकाव नहीं , खूब मांसल , ३८ डी डी से बड़े ही रहे होंगे ,
किसी मर्द की पक्की फैंटेसी ,
और उन्ही दोनों जुबना के बीच पकड़ कर , उनके खूंटे को ,
खुद रगड़ घस्स , रगड़ घस्स ,
वो कुछ नहीं कर रहे थे ,
और उन्होंने कुछ करने की कोशिश की भी तो मंजू बाई ने बरज दिया ,
वो खुद अपनी दोनों बड़ी बड़ी चूँचियों को पकड़ के जोर जोर से दबा कर रगड़ रही थी ,
उनके मोटे तन्नाए खूंटे पर ,.
जब उन्होंने मेरी सास बनी अपनी सास के ओखल से अपना मूसल निकाला था , आधे पौन घंटे से ज्यादा हो गया था ,
और ये दोनों लोग उनके पिछवाड़े के पीछे पड़ी थीं ,
मम्मी उन्हें डिलडो चूसने की ट्रेनिंग दे रही थीं , और मंजू बाई उनके पिछवाड़े , जबरदस्त ऊँगली ,.
और उनका खूंटा जस का तस भूखा ,
चूँची चोदन के साथ मंजू बाई कभी कभी अपनी जीभ निकाल कर उनके मोटे सुपाड़े को चाट लेती ,
तो कभी मुंह में लेकर चुभलाने लगती ,
ऐसे मस्त बड़े बड़े गदराये जोबन , जिन्हे सिर्फ छूने को ही मन ललक रहा हो ,
उसके बीच लंड को दबा कर मस्त चुदाई , .
सोच कर ही ,. और दूसरा कोई होता तो शायद पांच छह मिनट में पर ये भी ,.
और आज मेरी सास के बारे में सोच कर कुछ ज्यादा ही जोश में थे , .
पन्दरह मिनट तक हचक हचक कर मंजू बाई उन्हें अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से चोदती रही ,.
फिर उसने उन्हें उनकी सास के हवाले कर दिया ,
मैंने चिढ़ाते हुए मम्मी को कॉक रिंग की ओर इशारा किया , लेकिन उन्होंने साफ़ जोर जोर से मना कर दिया ,
अभी इस लढके ने जबरदस्त रगड़ाई मंजू बाई और मम्मी की की थी , और उनकी जादुई लकड़ी वैसे की वैसे कड़ी , .
मैं भी जानती थी , मेरा बाबू , मेरा सोना मोना , . .
बिना किसी कॉक रिंग के भी अपनी सास की ऐसी की तैसी करने में काफी है ,
और अबकी शुद्ध मिशनरी पोजीशन , सास नीचे दामाद ऊपर ,
मैं अपने ' उनके ; ओर
और मंजू बाई मम्मी की ओर , . .
कुछ देर तो उन्होने धक्के हलके लगाए ,
लेकिन फिर दोनों ओर से गालियों की बौछार , मम्मी भी मंजू बाई भी और अबकी गालियों का केंद्र ,
मेरी सास नहीं ननद थी , उनका बचपन का माल , वही गुड्डी ,.
" अरे भोंसड़ी के रंडी के जने , ये तेरी उस छिनार बहन गुड्डी की कसी कच्ची चूत नहीं है , लगा जोर जोर से धक्का , . "
मम्मी नीचे से बोलीं ,
और मंजू ने भी आग लगाई ,
" स्साले , ले आएगा न उस कच्ची कली को देखना , महीने भर में भोसड़ा कर दूंगी , उसका पेल कस के "
" याद है , तुझे उसे गाभिन भी करना है , महीने भर के अंदर , अपने सामने करवाउंगी उसे गाभिन , . तीन महीने में पेट फुलायेगी घूमेगी और नौ महीने में सोहर , . "
मम्मी ने नीचे से धक्के लगाते उन्हें याद दिलाया ,
" एकदम फिर चुसूर चुसूर दूध पीना अपनी बहन का ,. पहिलौठी का दूध , और वो भी बहन का मस्त नशा होगा तुझे "
मंजू ने पीछे से उनकी पीठ सहलाते कहा
" अरे जैसे इनकर मामा , जब ई हुए थे तो इनकी माँ की चूँची से चूस चूस के पीते थे , "
नीचे से धक्के लगाते हुए उनकी सास ने जोड़ा ,
और मैं समझने लगी थी मंजू बाई और मम्मी की मिली जुली चाल ,
मेरे खसम ने इन दोनों लोगो को दो दो बार अच्छी तरह से झाड़ कर पिछली बार थेथर कर दिया था , बिना झड़े
और उनका झंडा ज़रा भी ढीला नहीं हुआ था ,
बस वही अबकी दोनों लोगो को यह डर सता रहा था की कहीं इस बार फिर , . ये उन्हें झाड़ दें और खुद ,.
कम से कम अबकी इनकी सास और मंजू बाई चाहतीं थी ,. अबकी ये पहले झड़ें , .
और इसके लिए वो दोनों लोग मिलकर ,. उनके धक्के धीमे थे , इसलिए दोनों को लग रहा था की इस बार फिर वो एक बार खूब देर तक , .
इसलिए दोनों उन्हें उकसा रही थीं की पूरी तेजी से लगातार धक्के मारें जिससे वो जल्दी झड़ जाएँ ,.
पर मैं अपने शोना को जानती थी , ये दोनों प्रौढ़ाएँ चाहे जो कहें करे , . .
पर ये असर तो हुआ की , मारे जोश के उन्होंने अपनी सास को दुहरा कर दिया ,
अपने खूंटे को आलमोस्ट बाहर निकाल के क्या जोरदार धक्का मारा , सीधे बच्चेदानी पर
उनकी सास हिल गयीं ,
दूसरी बार फिर उसी तरह ऑलमोस्ट बाहर निकाल कर , पहली बार से भी ज्यादा करारा धक्का ,
सास ने उनकी दोनों हाथ से चादर पकड़ ली थी , और अब वो सिसक रहीं , मचल रही थीं ,
और ये फूल स्पीड में , . . दस बारह धक्के ,
मंजू मेरी ओर देख के मुस्करा रही थी , .
इस तूफानी तेजी से तो वो भी सात आठ मिनट से ज्यादा , .
और शर्तिया अपनी सास से पहले झड़ जाते , और उसके पहले मंजू ने पन्दरह मिनट तक जबरदस्त अपनी चूँची से रगड़ाई की थी ,. उसका भी तो असर होना था ,.
और मैं ये नहीं चाहती थी , मेरा बाबू ,. मेरा लाड़ला प्यारा शोना छोना ,. मैंने बस उनके कंधे को हलके से छू दिया , और मेरा इशारा काफी था ,
शोना छोना
और मैं ये नहीं चाहती थी , मेरा बाबू ,. मेरा लाड़ला प्यारा शोना छोना ,.
मैंने बस उनके कंधे को हलके से छू दिया , और मेरा इशारा काफी था ,
दो चार धक्के उसी तरह मारे उन्होंने , . . फिर सुपाड़ा भी करीब पूरा बाहर निकाला , . .
और क्या ताकत दिखाई उन्होंने , एकदम रगड़ते दरेरते , घसीटते , पूरी ताकत से ठेल दिया ,
और अबकी जिस ताकत से सुपाड़ा बच्चेदानी से टकराया ,.
उनकी सास की चीख निकल गयी , . वो सिसक रही थीं , . .
और उनका लंड पूरी तरह उनकी सास के बुर में जड़ तक धंसा , जैसे किसी बोतल में डॉट अटक जाए , .
और अबकी उन्होंने लंड के बेस से ही , गोल गोल चक्कर लगाना , रगड़ना , घिसना ,.
यही तो मैं चाहती थी ,.
उनके लंड के बेस से इनकी सास की क्लिट कस कस के रगड़ी जा रही थी ,
इतने दिनों में इन्हे अपनी सास के भी सारे प्वायंट मालूम हो गए थे , एक हाथ सास के जोबन पर , कस के मसल रहे थे , कभी निपल फ्लिक रहे थे ,. लेकिन उनका सबसे खतनाक हथियार था , उनक होंठ और जीभ ,
कभी कस के निप्स सक करते तो कभी जीभ से उसे फ्लिक करते ,
एक हाथ उनकी सास की दोनों फैली जाँघों के बीच , और जो क्लिट उनकी लंड के बेस से रगड़ी घिसी जा रही थी , उस पर उनकी हाथ की उँगलियाँ ,
जोबन और क्लिट पर हमला ,
और मोटा खूंटा जड़ तक धंसा हुआ , .
कभी वो अंगूठे से क्लिट दबाते तो कभी , तर्जनी और अंगूठे से उसे रगड़ते ,
जादू के उस बटन का असर तो होना था ,.
उनकी सास आँखे बंद किये , . बस सिसक रही थीं अपने बड़े बड़े नितम्ब चादर पर रगड़ रही थीं , . .
लग रहा था , अब गयीं , तब गयीं , . .
और उन्होंने अब बिना इन्तजार किये , एक बार फिर लंड बाहर निकाला , और अबकी धीरे धीरे रगड़ते , घिसटते ,. और वापस उसी तरह स्लो मोशन में , . चार पांच मिनट ,
फिर एक बार क्लिट की रगड़ाई और फिर तूफानी धक्के ,
नतीजा वही हुआ जो होना था , . तूफ़ान में पत्ते की तरह उनकी सास की देह काँप रही थी , देह एकदम ढीली हो गयी थी ,
वो भी रुक गए , . और सास ने जब आँखे खोलीं तो दामाद की ओर देख कर मुस्करायीं ,
वो भी मुस्कराये और फिर दोनों लग कस के लिपट गए , चिपट गए , देर तक ,. ऐसे ही चिपटे रहे , पर खूंटा उसी तरह जड़ तक अंदर धंसा हुआ , उनकी
सास के , जैसे दूध में पानी मिला हो , वैसे ही चिपके , एक दूसरे में मिले घुले ,.
पर थोड़ी देर में एक बार फिर , . और अबकी जैसे तूफ़ान के बाद , हलकी हलकी हवा चले ,
बस उसी तरह धक्के धीमे धीमे , उनका हाथ भी गदराये ३६ डी जोबन पर मस्ती से सहला रहे थे ,
लेकिन पांच छह मिनट में एक बार फिर से और अबकी मंजू भी मैदान में आ गयी थी ,
जबरदस्त गालियां , अबकी मेरी सास को ,. और मंजू बाई भी न , . क्या जबरदस्त ,.
ये अपनी सास के ऊपर थे , और इनके ऊपर बस अपने बड़े बड़े कड़े कड़े गदराये जोबन ,
इनकी पीठ पर कभी छुला देती , तो कभी जोर से रगड़ देती ,
बेचारे , और इनकी सास भी तो , उन्होंने कस के दुलार से दामाद को अपनी ओर भींच लिया , बस जिस जोबन की याद में उनकी हालत ख़राब रहती थी , ब्लाउज के ऊपर से ही एक झलक पाने के लिए ये कुछ भी करने को तैयार रहते थे ,
वही जोबन इनके सीने से रगड़े जा रहे थे , दबाये कुचले जा रहे थे ,
और पीछे से बरछी कटार की तरह मंजू बाई के निपल , एकदम कड़े , बस उन्ही उत्तेजित निप्स से वो सीधे इनकी बैक बोन पर बस हलके से सहलाते , छुलाते , . एकदम नीचे तक , .
और दोनों जोबन कस के इनके चिकने मुलायम मांसल नितम्बो पर ,
और साथ में गालियां ,
" भोंसड़ी के एक बार बस इस गांड में मोटा लंड ले ले , मेरा आसिरबाद है , अपनी माँ बहन का नमबर डकायेगा , मरवाने में , . . एक साथ निहुर के तुम और तेरी माँ , बहन साथ मरवायेगी , . "
और अबकी जब मंजू बाई के जोबन इनकी पीठ पर दबा रगड़ रहे थे , सीने पर इनकी सास के उरोज ,.
मंजू बाई के हाथों ने इनके नितम्ब का मोर्चा सम्हाल लिया ,
पहले तो कुछ देर तक हलके से वो चूतड़ सहलाती रही , फिर सीधे दो उँगलियाँ इनकी गांड के दरार पर , .
एकदम कसी दरार ,
मुझसे नहीं रहा गया , . झुक कर ,.
मैंने ढेर सारा थूक , इनके नितम्बो के दरार के ऊपरी भाग , और थोड़ी देर में सरक कर ,. . वो थूक का धागा इनकी दरार पर ,
और अब मंजू ने कस के ऊँगली रगड़ना शुरू कर दिया ,
इस दुहरे हमले का नतीजा हुआ ,
अब सब कुछ भूल कर वो हचक हचक कर अपनी सास की बुर चोद रहे थे , और इनकी सास भी तो यही चाहती थीं ,
हर धक्के का जवाब वो धक्के से दे रही थीं , नतीजा , कुछ देर बाद एक बार फिर से अब जब वो कगार पर पहुंची तो साथ में उनके दामाद भी ,
पहले मम्मी ने झड़ना शुरू किया और
मंजू शायद यही मौका देख रही थी ,
गच्चाक , एक साथ उसने अपनी दो मोटी मोटी उँगलियाँ इनकी गांड में पेल दी , और पूरी जड़ तक , .
मैंने प्रोस्ट्रेट मसाज के बारे में सुना था , पढ़ा था , मम्मी ने समझाया भी , लेकिन
आज पहली बार देख रही थी
ये अपनी झड़ती हुयी सास के बिल में धक्के मार रहे थे और पीछे से मंजू इनकी गांड में , फिर जैसे चम्मच की तरह अंदर मोड़ कर उसने पूरी ताकत से इनके प्रोस्ट्रेट को दबाना शुरू किया
इनकी सास की बिल भी झड़ते हुए बार इनके लंड को निचोड़ रही थी , ये वैसे भी एकदम कगार पर थे ,
और इस दुहरे हमले का असर हुआ , .
कुछ ही देर में , .
ये देर तक , . लंड इनका सास की बुर में गड़ा ,
और थक्के दार रबड़ी मलाई के फुहारे ,
कुछ ही देर में बुर के बाहर भी छलक कर , . .
मंजू बाई रुक गयी थी , लेकिन दो मिनट के बाद उसने दुबारा , अबकी पहली बार से भी जोर से
और ये एक बार फिर से झड़ रहे थे ,.
बड़ी देर तक ये और इनकी सास ऐसे लिपटे गुथे पड़े रहे , . और जब इन्होने खूंटा निकाला तो इनकी सास ने इन्हे खींच कर अपनी खुली फैली जाँघों के बीच से
और खींच कर , इनका मुंह सीधे अपने भोंसडे पर ,.
मैंने मम्मी को बताया था की उनका दामाद एकदम पक्का कम स्लट है , मैं रोज अपनी बुर से इनकी मलाई इन्हे खिलाती थी
पर मम्मी ने बोला जब तक वो खुद न देख लें ,.
और अभी उनका दामाद उनके भोंसडे से , पहले जाँघों पर फैली , .
फिर ऊपर लगी ,
और अंत में दोनों फांको को फैला कर , जीभ एकदम अंदर तक डाल कर
सपड़ सपड़
उन्होंने भले ही खूंटा अपनी सास की बिल से निकाल लिया हो , मंजू बाई ने अपनी दोनों उँगलियाँ इनके पिछवाड़े से नहीं निकाली थीं ,.
और अब गोल गोल ,. जैसे गाँड़ में मथानी चल रही हो जोर जोर से , .
जैसे ही सास के भोंसडे से मलाई रबड़ी खा कर वो उठे ,
मंजू बाई ने एक हाथ से उनका गाल दबा कर मुंह खुलवा दिया और दूसरा हाथ जिसकी उँगलियाँ इनके पिछवाड़े मथ रही थीं , वो निकल कर सीधे इनके मुंह में लेकि सिर्फ एक पोर तक
" रबड़ी मलाई बहुत खा ली , अब ज़रा मक्खन भी चाट ले न , रंडी के जाने , गांडू , मादरचोद ,. "
मंजू बाई बोलीं।
उन्होंने आँख बंद कर ली थी पर एक पोर तक तो दोनों उँगलियाँ अंदर घुस ही गयी थीं , और वो भी जानते थे बिना साफ़ सूफ किये ,
ऊपर से उनकी सास , हँसते खिलखिलाते , जोर से उनके निपल स्क्रैच कर के बोलीं , अरे भंडुए के पूत , . आँख खोल कर देख न , . खोल आँख ,
और उन्होंने आँखे खोल दी , . धीरे धीरे पूरी ऊँगली अंदर।
इनके पिछवाड़े से निकली , लीपड़ी चुपड़ी , सीधे इनके मुंह में हलक तक ,
कुछ देर तक तीनो लोग ऐसे ही पड़े रहे , लेकिन उसके बाद तो उन दोनों प्रौढ़ाओं ने उनकी ऐसी की तैसी की ,
एक के साथ दो ,.
एम् आई एल ऍफ़ ( मदर आई लव टू फ़क )
इनकी जबरदस्त फैंटेसी थी , एम् आई एल ऍफ़ वाली ( मदर आई लव टू फ़क ) ,
मैंने कितनी बार टीवी सीरयल में बड़ी उम्र की औरतों को देख कर उन्हें लार टपकाते नोटिस किया था ,
फिर जब बॉबी जासूस बन कर मैंने इनके डार्क वेब में सेंध लगाई , जिन साइट्स पर ये नाम बदल कर सर्फ़ और चैट करते थे , एकदम साफ़ हो गया इन्हे क्या पसंद है ,. कच्ची कलियाँ और उससे भी बढ़कर एम् आई एल ऍफ़ ,
खेली खायी ,. ज्यादा बड़ी नहीं लें ३५-४५ के उम्र के बीच की ,
गदरायी , खूब मांसल , बड़े बड़े जोबन वाली ,
जो थोड़ी जबरदस्ती भी करें ,.
मैंने ममी को बताया तो उलटे मुझे डांट पड़ गयी , मम्मी भी न मुझसे ज्यादा इनको फेवर करती थीं , अपने इकलौते दामाद को ,.
" ठीक तो है , सभी मर्द करते हैं , . चल आने दे मुझे , . "
लेकिन आने के पहले ही फोन पर ही , इनकी बर्थ डे के दिन , . क्या खुल के गाली वाले सोहर , इनकी माँ को रंडी छिनार सब कुछ ,. और उस के बाद तो रोज चार पांच बार सास दामाद में , . . और जब मॉम के आने की बात हुयी तो सारा घर अपने हाथ से ,.
लेकिन आज तो हद पार हो गयी थी , किसी भी आदमी की जो हॉटेस्ट फैंटेसी हो सकती है उससे भी ज्यादा ,
दो ३५ -३८ के बीच की खूब मांसल भरे देह वाली , लेकिन ज़रा भी स्थूल नहीं , सेक्सी नहीं जबरदस्त सेक्सी , भरपूर जोबन , बड़े बड़े नितम्ब , .
और उनके बीच एक आदमी , . किसी की भी फैंटेसी हो सकती है
लेकिन आज ये फैंटेसी नहीं असलियत थी ,.
मंजू और मॉम ने मिलकर , . क्या गत की इनकी , मम्मी दो बार झड़ चुकी थीं , ये भी एक बार , .
खूंटा थोड़ा सोया थोड़ा जगा , पर ये दोनों उसे सोने देती तब न ,
दोनों लोग मिल के , कभी साथ साथ चाटती ,
कभी साथ चूसती ,
तो कभी एक के हवाले खूंटा और दूसरे के हवाले रसगुल्ले ,
कभी मम्मी कस के अपने दामाद का लंड चूसती तो मंजू इनके पिछवाड़े , .
क्या मस्त वो गांड चाटती थी , जीभ एकदम अंदर तक , ये गिनगीना रहे थे
लेकिन न मंजू को कोई जल्दी थी न इनकी सास को ,
खूंटा एकदम खड़ा बेताब बेसबरा ,
पर ये कुछ कर भी नहीं सकते थे ,
थोड़ी देर की मस्ती के बाद , इनकी सास की ब्रा से मंजू ने इनके हाथ बाँध दिए , और उनकी पैंटी मुंह में ठूंस दी ,
आँखों में ब्लाइंडफोल्ड भी
फिर तो , कभी एक अपनी चूँचियों से उनका लंड चोदती कभी दूसरी ,.
कभी एक गाल एक के हाथ और दूसरा दूसरे के , . . साथ में हाथ से उनकी सास , मंजू मथानी की तरह खूंटे को , .
मम्मी ने उनके मुंह से पैंटी को निकाल दिया और उन्हें बिस्तर पर धक्के देकर गिरा दिया और खुद उनके ऊपर चढ़ गयीं , फेस सिटिंग ,
मंजू उसकी के साथ उनके लंड को कस के चूस रही थी ,
और फिर जब पॉजिशन बदली ने तो कुछ देर अपनी बुर चुसवाने के बाद उनका सर पकड़ कर सीधे अपने पिछवाड़े ,
" चल रानी चाट मेरी गांड , अरे मस्त चाटेगा न तो तेरी माँ के भोंसडे के साथ उसकी गांड भी दिलवा दूंगी ,. "
जोर जोर से उनके मुंह पर अपनी गांड रगड़ती वो बोली ,
आधे घंटे से भी ज्यादा , दोनों ,. उनकी सास और मंजू बाई ,.
मैं साथ बैठे बैठे देख रही थी , लेकिन मुझसे नहीं देखा गया , दो मस्त भोंसडे , और खूंटा तब भी भूखा ,.
मैंने चुपके से उनका हाथ खोल दिया और ब्लाइंड फोल्ड बस
वहीँ बिस्तर पर मंजू बाई को कुतीया बना के ,
क्या मस्त कुटाई की उन्होंने
मैं और उनकी सास सोफे पर बैठे देख रही थीं , बियर पी रही थी ,
लेकिन मान गयी मैं मंजू बाई को भी क्या मस्त धक्के मार रही थी , पीछे की ओर
फिर पोजीशन बदल के , साइड से , वो बिस्तर पर ये खड़े , .
ये खूब खुश लग रहे थे
इस ख़ुशी के लिए तो मैं कुछ भी करने को तैयार थी , .
पर मैंने एक फैसला कर लिए , जब इनकी ममेरी बहन को फंसा फुसला के यहाँ ले आउंगी , किसी भी बहाने से ,.
उसकी फटेगी तो है ही , चोदी भी जायेगी हचक के ,. लेकिन मैं लाऊंगी उसे , . इनकी रखैल बनाने के लिए ,
और रखैल कौन जो रंडी की तरह चुदवाना न जाने , .
बस मैं उसे मंजू बाई और गीता के हवाले कर दूंगी , चुदाई की सब ट्रिक सिखाने को , .
मंजू के झड़ने के साथ ही ये भी झड़े ,
सारी रात
पूरी रात घमासान चला।
इनकी इतनी रगड़ाई आज तक कभी नहीं हुयी , जीतनी उस रात हुयी।
उन्हें भी मजा रहा था ,
लेकिन सबसे ज्यादा मजा मुझे आया ,इनकी सारी शरम लाज , लिहाज ,झिझक सब कुछ ,इनकी और इनकी माँ बहनो के ,. में
मंजू बाई और मम्मी ने भी खूब मजे लिए।
लेकिन वो भी झड़े , वो भी पूरे तीन बार.
दो बार मंजू बाई के भोंसडे में , एकदम लबालब ,मलाई बाहर तक छलक रही थी।
एकदम गाढ़ी थक्केदार मलाई , और फिर मंजू बाई ने उनके ऊपर चढ़ कर उन्हें चटाई भी।
एकदम पक्के कम स्लट बन गए थे वो ,सडप सडप सब चाट गए।
और एक बार अपनी सास के अंदर भी ,
एकदम कटोरी भर मलाई।
सुबह तक सब थक के चूर हो गए
लेकिन सुबह सुबह सोने के पहले उन्हें 'बेड टी' मिली पीने को ,
वो भी दो कप पूरी।
मैं भले ही पांच दिन की छुट्टी के चक्कर में आउट आफ आर्डर थी ,
पर मंजू बाई और उनकी सास थीं न 'पिलाने को '
और ऊपर से हुकुम भी अगर एक बूँद भी बाहर छलकी तो ,
सच में नहीं छलकी ,सडप सडप सब सटक गए।
सोने को भी ,मैं और मम्मी सो गए , लेकिन मंजू बाई को जाना था और उन्हें सुबह का घर का काम ,फिर आज आफिस भी जाना था।
हाँ मंजू बाई ने थोड़ी हेल्प करा दी उन्हें ,
और चलते चलाते एक बार फिर सुनहरे शरबत की प्याली ,पिला दी।
मंजू , गीता और -- मेरी सास ,
प्लानिंग
सोने को भी ,मैं और मम्मी सो गए , लेकिन मंजू बाई को जाना था और उन्हें सुबह का घर का काम ,फिर आज आफिस भी जाना था।
हाँ मंजू बाई ने थोड़ी हेल्प करा दी उन्हें , और चलते चलाते एक बार फिर सुनहरे शरबत की प्याली ,पिला दी।
मंजू बाई न पक्की छिनार , एकदम किंकी ,
लेकिन उसकी बेटी गीता ( मेरी ननद गुड्डी से सिर्फ एक साल बड़ी थी ) उससे भी दस हाथ आगे ,
और मम्मी की खास चहेती ,चहेती तो वो मेरी भी थी और इनकी भी
असल में जब उन्होंने मंजू बाई को दो बार झाड़ा और अपनी सास को भी एक बार और झंडा वैसे ही तना रहा ,
मम्मी भी मान गयीं अपने दामाद को और मंजू भी , वैसे पहले भी कभी ये ' टू मिनट वंडर ' नहीं थे , मेरी सहेलियों और भाभियों ने जो अपना अपना हाल सुना के मुझे भेजा था , पहली रात को भी उनसे ज्यादा ही ,
लेकिन अब तो, एक तो उनकी सास और मंजू की ट्रेनिंग लेकिन सबसे ज्यादा असर था पहलौठी के दूध का, गीता का ,
और मम्मी और मंजू के साथ गीता भी मेरी सास के पीछे पड़ी थी , मादरचोद बस इसी नाम से इन्हे बुलाती थी , और इन्ही के सामने मेरी सास को एक से एक गन्दी गाली न सिर्फ देती बल्कि इन से दिलवाती भी थी ,
एक दिन वो आयी और दरवाजा खोलने में इन्हे थोड़ी देर हो गयी बस गीता चालू
" काहें मादरचोद , अपनी महतारी के लिए यार ढूढ़ रहे थे ,. "
" अरे अपनी माँ का सबसे बड़ा यार तो यही है " मम्मी को भी मौका मिल गया अपनी समधन की ऐसी की तैसी करने का।
" अरे उस भोंसड़ी वाली का एक से क्या होगा , वो तो पक्की रंडी है , पूछ लीजिये इन्ही से " गीता ने लेवल और बढ़ाया और इनसे ही रंडी कहलवाया।
लेकिन मम्मी भी और मम्मी को क्यों दोष दूँ इनकी मम्मी कौन कम थीं क्या ,.
रोज नाश्ते के समय मम्मी पहले अपने समधन को फोन लगाती थी और वो भी वीडियो काल , स्पीकर फोन पर
उफ़ क्या क्या बातें नहीं होती थीं , दोनों समधनों के बीच में , नहीं नहीं डबल मीनिंग नहीं एकदम खुल्लम खुल्ला, और मेरी सास इनकी सास से भी चार हाथ आगे थीं , और मुझे पक्का अंदाज है की मेरी सास को मालूम था की ये कान पारे एक एक बात सुन रहे हैं ,
बिना नागा रोज,. और कई बात देह तक भी पहुंच जाती थी , एक दिन मम्मी ने अपनी समधन को चिढ़ाया ( वीडियो काल थी ) अरे आपके आँचल में क्या लगा है ,
समझ तो मेरी सास भी गयी असली बात सीधे चोली को देखना है , पर हँसते हुए उन्होंने आँचल हटा दिया , मस्त गदराये रसीले जोबन ,
ये एकदम टकटकी लगा के देख रहे थे और मम्मी ने मेरी सास को चिढा चिढ़ा के गाना शुरू कर दिया ,
तेरे चिकने चिकने गाल मेरा दामाद चूमेगा , तेरी चोली की बड़ी बड़ी गेंद मेरा दामाद खेलेगा ,
और साथ ही पक्की प्लानिंग , जिस दिन मेरी सास आएँगी उस दिन ये कैसे चढ़ाई करेंगे , और उस प्लानिंग में मम्मी के साथ ये और गीता भी शामिल होते थे ,.
तय ये हुआ था की इन्हे ब्लाइंड फोल्ड कर दिया जायेगा , मातृभूमि का दर्शन करने को नहीं मिलेगा , बंद आँखों से पहले चूमें चाटे चूसे , चाहे तो जीभ अंदर डाल दें , और उसके बाद ,
मैंने सजेस्ट किया की मेरी सास के चूतड़ के नीचे मोटी मोटी तकिया कुशन पर इन्होने वीटो कर दिया ,अरे पहले ही तेरी सास का पिछवाड़ा बहुत मांसल और गदराया है ,
पर मैंने भी बता दिया , लेकिन अपनी सास की बिल में अपने मर्द का खूंटा मैं ही सटाउंगी ,
ये मान गए पर उनकी सास ने हुकुम सुना दिया , पहले धक्के में ही सुपाड़ा पूरा अंदर होना चाहिए
एकदम, वो बोले और कुछ दिन में तो मम्मी थोड़ा सा प्रोग्राम बताती तो बाकी का ये खुद , कैसे निहुरा के , कैसे पीछे से ,
सच में मम्मी , मंजू और गीता ने मिल के उन्हें मन से तो पक्का मादरचोद बना दिया था , तन का बस मौके की बात थी ,
और गीता तो एकदम से मेरी सास के पिछवाड़े पड़ी थी , स्साले गाँड़ जरूर मारना ,
पर मम्मी भी उन्होंने एक छोटी सी शर्त लगा रखी थी , गांड किसी की भी मारने के पहले उनके दामाद को गाँड़ मरवानी होगी और कैसे किससे ये मेरे जिम्मे था
सोचने में भी और करने में भी , . ये भी न एकदम उसके पक्के , . लेकिन मैं मान गयी गीता को , . उनके खूंटे पे रोज , पहलौठी का दूध , . बिना नागा , दोनों टाइम , .
और उसे इस बात का फरक भी नहीं पड़ता था की मम्मी सामने बैठी हैं या , वहीँ खोल के , . .
पूरे दस पन्दरह मिनट तक , रगड़ रगड़ कर , .
उस का असर भी इनके खूंटे पे दिख रहा था , एकदम लोहे का खम्भा हो रहा था , मोटाई भी पहले से बीस नहीं बाइस हो गयी थी ,
और कई बार दूध लगाने का काम गीता करती और मुठियाने का ये और कई बार गीता खुद ,.
साथ में गीता की गालियां ,
" साले रंडी के जाने , ये मोटा लंड तेरा जाएगा उसी रंडी के भोंसडे में जिससे तू गांडू निकला है , पहली बार में उस रंडी को गौने की रात की याद दिला देना या जब तेरे मामा के संग. . "
और मम्मी और गीता को हवा देतीं , " ये तो तू इसके मन की ही बात कह रही है और मेरी बेटी की सास की भी ,. "
अक्सर जब गीता का पहलौठी के दूध से मुठियाने का काम चलता तो मम्मी अपनी समधन से बतियाती रहतीं ,.
एक दिन तो मम्मी ने हद कर दी , गीता ने खूब दूध लगा दिया था और ये मुठिया रहे थे उसी समय मम्मी ने कैमरा मोबाइल का इनकी ओर कर दिया
और जब से तय हुआ था की मेरी सास आएंगी , उनके साथ , . .
सास को बेटा चोद और इन्हे मादरचोद बनाने का प्लान पक्का हो गया था ,
मेरे और मम्मी से ज्यादा वो दोनों , मंजू बाई और गीता न , .
एक दिन मम्मी कहीं सुजाता , मेरी सहेली , अपनी मुंहबोली छोटी बेटी के साथ गयी थीं , . और घर में मैं अकेली थी , इन्हे भी कहीं आफिस के काम से जाना था ,
बस उसी समय मंजू बाई और गीता आ गयीं और फिर वही मेरी सास के बारे में प्लानिंग , . एक से एक , और मैंने भी तय कर लिया ,
असल में मम्मी अपने समधियाने जाने वाली थीं , मेरी सास को लाने ( जिससे मेरी सासू जी के आने का प्लान किसी भी तरह फेल न हो ) , और एक बार सासू जी आ गयी उनके बेटे को उनके ऊपर चढाने से कोई रोक नहीं सकता था , . मेरे लिए शायद मुश्किल होता , . .
पर उनकी सास इसी लिए अपने सामने , .
और वो सपने में भी अपनी सास की बात नहीं टाल सकते थे , .
प्रोग्राम ये था की तीन चार दिन मम्मी अपनी समधन के साथ ,. ये भी छुट्टी लेकर , . .
इसलिए दिन रात , मम्मी की समधन की ओखल में मम्मी के दामाद का मूसल चलेगा , .
उसके बाद दो तीन दिन मम्मी की किसी जरुरी काम से मुंबई जाना था ,
बस उसी समय , शाम को ,.
उसी रात को , गीता बोली , . . वो दो तीन दिन , मंजू गीता और आफ कोर्स मैं भी सासू माँ की जबरदस्त रगड़ाई ,.
गीता का दिमाग , . कोई भी किंक बचने वाला नहीं था , .
उसके बाद , जब मम्मी लौटती तो दो तीन दिन और हम लोगो के साथ ,
उसके बाद मम्मी का प्रोग्राम था , अपनी समधन को अपने साथ हमारे गाँव ले जाने का , और वहां , मेरे चचा , मौसा , फूफा , गांव के सारे ,
गन्ने का खेत , अरहर का खेत , अमराई कुछ भी नहीं बचती
. रोज तो मम्मी अपनी समधन को उकसाती थीं , .
और वो दो तीन जब मम्मी नहीं रहती , . उसी रात गीता का प्रोग्राम था , .
उनके बेटे रहते लेकिन , वो सिर्फ कुर्सी पर बैठ कर , . गीता थी न उनको ' कंट्रोल ' में करने के लिए , कुर्सी पे उन्हें बांध छान कर , .