Episode 45


पूरे कपडे में , सिर्फ ; खूंटा बाहर निकला रहता ,

और बिस्तर पर उनकी माँ , .

मैं और मंजू बाई मिल के उनकी स्ट्रिप टीज करतीं और फिर बिस्तर पे लेटा के , सबसे पहले मंजू बाई
मंजू एकदम किंकी , एक से एक गन्दी गर्हित आइडिया पता नहीं कहाँ से उसके दिमाग में आती थीं , .

और मेरी सास के बारे में सोच कर तो उसको और , गीता तो और ,. वो दोनों सिर्फ प्लान करने में नहीं बल्कि , .

मंजू मेरी सास के ऊपर चढ़कर न सिर्फ अपना भोंसड़ा जम के चुसवाने वाली थी ,

बल्कि उसने प्रॉमिस भी किया की मेरी सास को पक्की गांड चट्टों बना के छोड़ेगी ,

वो भी मेरे और इनके सामने , ये तो कुर्सी पर बंधे बैठे रहेंगे , . गीता के कब्जे में बस चुपचाप ,. बोलने का सवाल नहीं था , गीता का प्लान था मेरी सास की ब्रा और पैंटी से ही उनके मुंह में , .

पैंटी का गोला बना के उनके मुंह में ठूस देगी ऊपर से मेरी सास की ३६ डी डी की ब्रा से सास के बेटे का मुंह बाँध ,

वो सिर्फ देख सकते हैं , .
,
और जब मंजू का भोंसड़ा मेरी सास के मुंह में ,. मेरी सास खाली नहीं बैठेंगी , मैं रहूंगी न उनकी , ' सेवा ' करने के लिए , मेरी चार चार उंगलिया मेरी साजन की ' मातृभूमी ' में घुसी पूरी जड़ तक , गोल गोल , पूरी ताकत से , . हचक हचक कर , .

जैसे उनके बेटे ने उन्हें चोदा होगा न उससे भी दस गुनी ताकत से , .

हाँ बस मंजू ने साफ़ साफ़ बोला था , . झड़ने मत देना छिनरा को , . एकदम किनारे तक ले जा कर , बस कभी मंजू उनके निप्पल नोच लेगी , जैसे ही मेरी सास का झड़ना शुरू होगा , या क्लिट ,. दर्द के मारे उनकी मस्ती ख़तम हो जायेगी ,. लेकिन थोड़ी देर में मैं फिर मैं चालू हो जाउंगी , .

कम से कम आधे एक घंटे तक , जब तक वो मंजू को चूस चूस कर दो तीन बार नहीं झाड़ लेंगी , और उसके बाद ,.

बस वही ,. सुनहली शराब , मंजू के भोंसडे से , . मेरी सासु के मुंह में ,

और मंजू ने शर्त लगा दी , उसके बाद मैं और गीता , . लेकिन सबसे खतरनाक आइडिया गीता का था , उनका खूंटा ,

ये नहीं था की उन्हें नहीं चुसवाया गया था , .

लेकिन अबकी बजाय रबडी मलाई के उस खूंटे से भी सुनहली शराब ,. . वो कुछ झिझकते तो ,. गीता थी न

लेकिन सारी रात तड़पाने के बाद , . अपनी सास की , भोर में ,. जब वो खुद बोलती तो उन्हें उनके खूंटे के ऊपर चढ़ाया जाता , वो ऊपर ,.

और ,उसके बाद . मंजू की पूरी की पूरी मुट्ठी ,

उसके बाद

सच में इनकी सास कितनी जल्दी मेरी सास को ले कर आएं , .

मैं इतना इन्तजार कर रही थी ,

मुझसे ज्यादा मंजू और गीता , . लेकिन सबसे ज्यादा जो इन्तजार कर रहा था वो बोल नहीं रहा था , .

लेकिन उनकी सास तो दिन में दस बार उन्हें चिढ़ा चिढ़ा कर याद दिलाती थीं , .

और हम सब , . मादरचोद बोल बोल के

दिन पंख लगा के उड़ रहे थे , मम्मी को जाने में बस अब कुछ दिन ही बचे थे।

' लैंग्वेज ' . .

दिन पंख लगा के उड़ रहे थे , मम्मी को जाने में बस अब कुछ दिन ही बचे थे।

मन तो उनका नहीं कर रहा था , न उनका न मम्मी का। पर हमें इनके मायके जाना था और मम्मी के अपने इंगेज्मेंट्स।

थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी ,की तर्ज पर मॉम की उनकी ट्रेनिंग , कहीं भी कभी भी जारी थी।

और उसका असर भी साफ दिखता था ,वो अच्छी तरह संस्कारी से ' सुसंस्कारी ' बन चुके थे।

मम्मी ने झाड़पोंछ के उनकी सारी ' बुरी बुरी ' अच्छी आदतें छुड़वा दी थीं।

सब झिझक ,लाज ,लिहाज ,हिचक ,नजरें झुका लेना नजरें चुराना एकदम गायब हो चुकीं थीं।

लेकिन एक प्रॉब्लम उनकी नहीं सुधर रही थी , .

उनकी ' लैंग्वेज ' . .

और उससे सबसे ज्यादा प्राबलम उनकी साली को थी , . उनकी मुंहबोली साली , मेरी छोटी बहन की तरह पक्की सहेली , सुजाता को , .

असल में , उसका मरद पंजाबी था , पक्का दिल्ली वाला ,

और बात बात में , मादरचो बहनचो , उसके बिना उसका सेंटेस पूरा होना मुश्किल था ,

और सिर्फ वही नहीं , मेरी बाकी हम उम्र सहेलियों के पति , सब की यही हालत थी ,

असल में थोड़ा बहुत सुट्टा मार लेना , एक दो पेग कम से कम सोशल ड्रिंक , बियर ,.

शुरू में तो ये सब ,. लेकिन ये तो मैं बता ही चुकी हूँ कैसे मैंने उन्हें पहले पहले सुट्टा मरवाया , और मम्मी ने तो पेसल वाली भी ,.

अब ड्रिंक से भी वो घबड़ाते नहीं थे ,

मैं और मम्मी मिल के , . 'सुधारने की बहुत कोशिश उनकी जुबान , .

सबसे पहले मम्मी

फिर मैंने और अब सबसे बढ़ कर मंजू और गीता ,

गाली सुन के उन्हें बुरा नहीं लगता बल्कि खास तौर से उनकी उस ममेरी बहन और अब मेरी सास का नाम लेके गाली देने में तो उनका एकदम टनटना जाता था , .

और मम्मी और मंजू तो उन्हें मादरचोद ही कह के बुलाती थीं , .

लेकिन उनकी जुबान अभी भी , उनके मुंह से गाली नहीं निकलती थी ,

हाँ मम्मी की बात अलग थी , वो तो रोज सुबह सुबह नाश्ते के पहले उनसे दस बार अपनी समधन का नाम ले ले के उनसे मोटी मोटी गालियां देती थीं , .

लेकिन बात थी बात चीत में , उनके सुधारने की

हाँ तो मैं सुजाता की बात बता रही थी ,

एक दिन मैं उसके घर गयी थी और हम सब गप्पे मार रहे थे की उसके हबी आ गए , .

बस किसी बात में उनके मुंह से मेरे सामने मादरचो निकल गया ,

और मैं हंसने लगी की वो बिचारे ,. फिर उनके मुंह से निकल गया सॉरी , अब तो मैं और , और साथ में सुजाता भी हंस के. बिचारे ,

और मैं उनकौ चिढ़ाते हुए बोली ,.

" जीजू , अरे साली को सॉरी नहीं बोलते , . "

लेकिन वो झेंपते हुए बोले , " अरे यार वो आपके सामने , . लेडीज के सामने , . "

मैंने फिर उन्हें खींचा ,

" अरे मैं लेडीज कबसे हो गयी , मैं साली हूँ , साली रहूंगी , भले सुजाता मुझसे छोटी ही सही , लेकिन जीजू तो जीजू , . "

अब कुछ सम्हलते हुए वो बोले , .

" अरे स्साली मेरी लैंग्वेज , . बहनचोद , बिना बात के मादरचो निकल जाता है , . "

" तो निकल जाने दीजिये न , . आपकी बहन , आपकी माँ , मेरी सुजाता की ननद , सास ही लगेगी न , तो आप चाहे , जितनी बार , जैसे भी , . हम दोनों को कोई भी ऐतराज नहीं होगा , "

जब से इनका ' सुधार ' हुआ था , तब से हर वीकेंड में हम ' बच्ची पार्टी ' ( टाउनशिप में हम सब यंग कपल्स , २१ से २४ साल वाली जिनकी शादी के साल दो साल हुए थे अभी , कोई बच्चा वच्चा न था , न होने वाला था , . बस एक ही काम था , फुल टाइम मस्ती , न कोई दिन देखता था न रात ) का एक पूल्ड डिनर होता था , . ६-७ कपल्स थे , .

हाँ , और सारे लड़के लोग , बिना गाली के , .

बेचारे कोशिश बहुत करते थे लेकिन मुंह से ( सिवाय इनके , . . इनके लिए तो अबे साले से भी परहेज था ) बस हम लोगों ने एक ट्रिक कर रखी थी , गाली देना मना नहीं था , बस ,. जिसके मुंह से पहले गाली निकलती थी , स्वीट डिश उसके जिम्मे , .

आधे से ज्यादा सुजाता को हम लोगों को आइसक्रीम खिलाना पड़ता था , . हाँ ये ,. सुजाता बार बार इन्हे चिढ़ाती थी , जीजू आपका नंबर कब आएगा , .

और उनका नंबर आया लेकिन उसमें उनकी सास और उससे ज्यादा गीता का हाथ था , .

गीता की गालियां भी एक से एक , एक दिन इन्होने कुछ बोला तो वो पलट के बोली ,

" इहै छाता तोहरी बहिनी की बुरिया में घुसेड़ के फैला दूंगी , . . "

अब सास ने इनकी , इन्हे उकसाया , जवाब देने को ,

और बड़ी मुश्किल से ये बोल पाए , .

" स्साली छिनार ,. . "

गीता ने पलट के जवाब दिया , अब तक सोच सोच के हंसी आ जाती है

"अरे अगर नहीं बोल पाए न तो उ झाड़ू देख रहे हो , तोहरी गंडिया में पेल दूंगी , मोर बन के नाचोगे , इन्ही यही अंगनवा में "

तब जा के उनकी जुबान खुली , वो बोले ,

" मादरचोद , रंडी की औलाद , तेरी फाड़ के तेरी माँ के भोंसडे से भी चौड़ा कर दूंगा , . अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों ,. "

खुश हो के एक गाल इनकी सास ने चूम लिया और एक गीता ने , . फिर तो गीता के आते ही दोनों ओर से , यही

शुरू करते , .

" मादरचोद कहाँ माँ चोदवा रही थी , . " और वो हंस के जवाब देती ,

" अरे भंडुवे , तेरा काम कर रही थी , तेरी माँ के लिए यार ढूंढ रही थी , .

और दो चार दिन बाद ही उस दिन ये वर्क फार्म होम कर रहे थे , और चमचा नंबर तीन का फोन आया , और पहली बार मैंने इन्हे सुना ,

" स्साले , तुझे समझाया था , उस बंगालन के , . "

उधर से कुछ उसने बोला तो उन्होंने उसकी माँ बहन एक कर दी और बोला ,

" मादरचोद , चाहे उसने अपनी गांड में छुपा रखा हो या भोंसडे में , उसके उस गांडू मर्द का , सारे डिटेल्स निकाल के शाम तक मुझे मेल कर , . "

और ये बिना गुस्से के बोल रहे थे ,

अगले पूल डिनर में आइसक्रीम मुझे ही खिलानी पड़ी , सबसे पहले इन्ही के मुंह से , . और वो एक से एक ,.

और आइसक्रीम खाते समय , दूकान पर , . सुजाता के हबी ने बोला ,

" मादरचोद , स्साला आइसक्रीम इसकी जबरदस्त होती है। "

पर इन्होने भूल सुधार किया ,

" अबे आदमी देख न स्साले , . ( ४० -५० की उम्र रही होगी ) , इस भोंसड़ी वाले की तो बहनचोद , नहीं तो बेटी चोद , उमर देख के "

और मैंने मुस्करा के सुजाता की ओर देखा , सच में उसके जीजू ' सुधर ' गए थे।

कच्ची कलियाँ

हम लोगों के घर के पास ही एक गर्ल्स हाईकॉलेज था , और आज उनका ' वर्क फ्रॉम होम ' वाला दिन था।

जहाँ वो बैठे थे , वहां से हाईकॉलेज की किशोरियां आती जाती दिखती थीं।

मम्मी उनके बगल में बैठ के कभी उन्हें छेड़ रही थीं ,कभी उन्हें उकसा रही थीं

और आज टारगेट पर थी उनकी ममेरी बहन ,मेरी छुटकी ननदिया ,गुड्डी।

हाईकॉलेज की एक लड़की कॉलेज से निकली थी की उसे दिखाती मम्मी ने उन्हें उकसाया ,

" देख तेरे माल की तरह है न ,. . '

सच में गोरी चिट्ठी ,चेहरे पे लुनाई और वही उभरते जोबन।

पहले का जमाना होता तो शायद वो झिझक जाते पर आज टकटकी लगा के उसके कच्ची अमियों को देखने लगे है।

" है न एकदम पटाखा तेरे माल की तरह ,तेरी गुड्डी के भी तो कच्चे टिकोरे इसी तरह हैं न " मम्मी ने और आग लगाई।

" हाँ उसके भी इसी तरह , थोड़े छोटे ,. लेकिन इसी साइज के ,. "

उनके जिस तरह बोल फूटे मुझे तो कानों पे बिश्वास नहीं हुआ।

" अरे यही तो उमर होती है मिजवाने दबवाने की ,कचकचा के काटने की। एकबार दबाना मसलना काटना शुरू कर दोगे न तो खुदी खोल के तेरे हाथ में देगी। "

मम्मी ने और उनकी हिम्मत बढ़ाई।

वो लड़की अब उन्ही की ओर देख रही थी।

दूसरा मौक़ा होता तो तुरंत वो निगाहें फेर लेते या कुछ और काम का बहाना बना के उठ जाते।

मेरा पक्का एक्सपीरियन्स था की जैसे ही जवानी आती है ,जोबन के फूल आने लगते हैं ,लड़कियों का सिक्स्थ सेन्स भी एकदम से बढ़ जाता है , कोई उनके बारे में बाते करे ,उनके उभारों को घूर घूर के देखे ,चट से उन्हें अंदाज हो जाता है।

और उस लड़की को भी हो गया होगा , अब जिस तरह से वो उन्हें देख रही थी। लेकिन मॉम मेरी उनको उकसाने लगी ,

" अरे देख रही है तुझे लाइन मार , लाइन मार ,. "

मुझे लगा की अब वो निगाहें फेर लेंगे , हट जाएंगे लेकिन अब तो वो एकदम अपनी सास के गुलाम ,

उसी तरह उसके कच्चे टिकोरों को घूरते रहे ,और फिर एक हल्का सा फ़्लाइंग किस ,

मुझे लगा की अब वो लड़की या तो जाके प्रिंसिपल से शिकायत करेगी या सीधे हमारे घर आके ,

एक पल के लिए तो लगा भी , . उस लड़की ने खूब बुरा सा मुंह बनाया , अपना चेहरा हटा लिया और दुपट्टे से अपने आते उभारों को ढक लिया और पीछे मुंड गयी।

तब तक उसके कालेज की बस आ गयी और वो बस में बैठने लगी। ये बेबस उसकी ओर ,. तभी वो फिर उनकी ओर मुड़ी और

. . अब उसके गोरे गोरे चेहरे पे मुस्कराहट थी , आँखों में शैतानी नाच रही थी ,सीधे उनके ओर देख रही थी। दुपट्टा एक बार फिर गले से एकदम चिपका ,दोनों उभार खूब उभरे कड़े,चुनौती देते खड़े , हलके से जैसे उसने उन्हें उभारा , रसीले होंठ गोल किये और बस चलने के पहले हलके से वेव किया।

" देख तू झूठ मूठ में डर रहा था , देखा उसे अच्छा लगा न। अरे किस लड़की को अपने जोबन की तारीफ़ अच्छी नहीं लगेगी। " मम्मी ने उनके साथ हाई फाइव किया।

तब तक कुछ और लड़कियां निकलीं और मम्मी ने उनका टेस्ट चालू कर दिया ,

चल आगे वाले की साइज बोल ,

' २८ ' वो झट से बोले।

सहीजवाब , मम्मी बोलीं और अगला सवाल दाग दिया ,

" और उसके पीछे वाली का , "

" ३० " उन्होंने उसके आते हुए कच्चे टिकोरों को घूर के जवाब दिया।

" अच्छा बोल ,वो दबवाती होगी की नहीं। " मम्मी ने क्विज थोड़ी और टफ कर दी।

" नहीं नहीं अभी बहुत छोटी लगती है। " उन्होंने हिचकिचाते हुए अंदाज लगाया और मॉम का एक तेज हाथ उनकी पीठ पर पड़ गया।

" तू न बुद्धू का बुद्धू ही रहेगा , इत्ता सीखा पढ़ाया , . अरे पक्का दबवाती है ,अच्छा चल इसके पीछे वाले की साइज बता "

" ३२ , और हाँ ये दबवाती होगी ,पक्का। " उन्होंने तुरंत जवाब दे दिया।

सास दामाद की क्विज चलती रही जबतक लडकिया सब निकल नहीं गयी , और उसके बाद फाइनल क्वेश्चन मम्मी ने दाग दिया ,

" अच्छा बोल इसमें से कौन कौन दबवाने लायक थीं ? "

कुछ सोच के उन्होंने ४-५ के बारे में बताया।

और जबरदस्त डांट पड़ गयी। कोई बची नहीं उनकी मायकेवाली जिसका रिश्ता मम्मी ने गधे घोड़े से न जोड़ा हो ,

" अबे साल्ले, रंडी के पूत ,हरामी के जने,तेरी सारी बहनों की फुद्दी मारूँ ,उनकी गांड में गदहे कुत्ते का लन्ड , अरे ये सब की सब दबवाने लायक हैं।

बस ये सोचो की इस चूंचियां उठान में मीजने दबाने में कित्ता मजा आएगा ,तेरी उस छिनार ममेरी बहन से भी तो छोटी बहने हैं न तेरी ?"

वो क्या बोलते मैंने पूरी फेहरिस्त सुना दी , भला हो फेसबुक और व्हाट्सएप्प का ,

उनकी फुफेरी ,मौसेरी ,चचेरी सब की सब।

ज्यादातर वो जो इनकी माल से भी छोटी , कुछ की तो बस झांटे आ रही थीं ,

ब्रा साइज के साथ आखिर मेरी ननदें थी ,मेरी जिम्मेदारी थी उनके जोबन का हिसाब रखना।

मम्मी ने गुस्से का वाल्यूम थोड़ा कम किया ,

" अच्छा बोल ये जो तेरी माल है , जिस से मिलेगा २-३ दिन में , उसका दबाने का मन करता है न ?"

मम्मी से झूठ बोलने की उनकी हिम्मत थोड़ी थी , तुरंत कबूल किया , हाँ मम्मी बहुत मन करता है।

" अरे तो साल्ले दबाता क्यों नहीं , जल्दी से उसका नेवान कर ले वरना न जाने किससे अपना फीता कटवा ले , वैसे तेरी पसंद माननी पड़ेगी माल है बहुत मस्त। ले जरूर आना।

तेरी शादी में तो दो साल छोटी थी , लेकिन बारात में जो आयी थी तो अबतक तेरी ससुराल में उसके इत्ते दीवाने हैं , आज तक उसका नाम ले के मुट्ठ मारते हैं।

तुम मजे ले लेना तो फिर मैं लेजाऊंगी कुछ दिन के लिए अपने गाँव , सब गुण धर्म सीखा दूंगी। "

मम्मी ने हाल खुलासा बयान किया , उनकी ट्रेंनिंग, मेरी ननद के बारे में सास दामाद की ये ज्ञान भरी चर्चा मेरी कच्ची कली , कोरी ननदों के बारे में और चलती पर ,

, तब तक सुजाता का मेसेज आ गया ,सुजाता - मेरी सहेली ,इनकी एकलौती और फेवरिट साली और मम्मी की फेवरिट मुंहबोली बेटी।

सुजाता और मम्मी को एक मिशन पर जाना था ,

वही मिसेज मोइत्रा की गोरी गोरी कबूतरियों को दाना चुगाने का।

मम्मी खुद उन दोनों कबूतरियों को देखना चाहती थी।

मम्मी तैयार होने चली गयी , और वो बिचारे फिर आफिस के काम में लग गए।

समधन -समधन

मम्मी तैयार होने चली गयी , और वो बिचारे फिर आफिस के काम में लग गए।

मम्मी सुजाता के साथ चली गयीं ,मैं उन्हें आफिस के काम में हेल्प करा रही थी ,साथ ही मम्मी के बारे सोच रही थी।

वो भी न ,सुबह सुबह रोज की तरह ब्रेकफास्ट के साथ साथ अपनी समधन से ,

मस्तराम मात जिस तरह के संवाद दोनों के बीच हो रहे थे ,लेकिन आज शुरुआत मेरी सास ने ही की।

" देर हो गयी आज , लगता है रात भर खूब मूसल चला ओखली में। " उधर से मेरी सास की आवाज आयी ,

( आफ कोर्स स्पीकर फोन आन था )

बात एकदम सही थी , मेरी सास का सिक्स्थ सेन्स गजब का था।

तीर एकदम निशाने पर लगा ,मैं और वो मॉम की ओर देख के मुस्कराने लगे।

पर मॉम कौन सी कम थी ,पलटी मार के उन्होंने उल्टा हमला बोला।

" अरे घबड़ाती क्यों हैं , कुछ दिन की तो बात है , ले आउंगी न आपको यहाँ पे , फिर आपकी ओखल में भी दिन रात मूसल चलेगा यहां पर। "

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