Episode 46
मॉम बोली।
" अरे नेकी और पूछ पूछ , आपके मुंह में घी शक्कर , कब आएगा वो दिन , बहुत दिन से मेरी ओखल उपवास कर रही है। "
मेरी सास की खिलखलाती हुयी आवाज उधर से आयी।
" अरे वो मूसल भी बेताब हो रहा है आपकी ओखल की सेवा करने के लिए , "
खिलखिलाते हुए मॉम बोलीं और उनका आधा सोया आधा जागा मूसल उनके शार्ट से बाहर निकाल के रगड़ने मसलने लगीं।
" बहुत लंबा मोटा है मूसल आपकी आवाज सुन के खड़ा ,कड़ा हो रहा है। "
अपने दामाद को छेडते ,चिढाते मम्मी अपनी समधन से बोली।
" अरे रात भर आपने लन्ड घोंटा है आपको मालुम होगा कितना मोटा ,कितना कड़ा ,. और मेरी ओखल लंबे मोटे से नहीं डरती अगर मेरी समधन ने घोंट लिया है तोमैं भी घोंट लुंगी , निचोड़ के रख दूंगी उसको। "
हंसती हुयी मेरी सास की आवाज आयी और उन्होंने संवाद का लेवल एक लेवल और बढ़ाया।
" देखूंगी ताकत आपकी , अपने हाथ से पकड़ के मोटा मूसल आपके भोंसडे में घुंसवाऊँगी , और फिर आप लाख मना करे ,चीखें चिल्लाएं , अपने मोटे मोटे चूतड़ पटकें ,बिना आपको दो बार झाड़े ,झड़ने वाला लन्ड नहीं है ये। "
मम्मी ने भी उसी तरह जवाब दिया।
कुछ समधनों की बात चीत का असर , कुछ मम्मी की जादुई उँगलियों का ,उनका लन्ड एकदम मोटा ,पूरा ७ इंच का खड़ा कड़ा ,ताजादम हो गया था।
मम्मी ने एकझटके में खींच के सुपाड़ा भी खोल दिया और खूब मोटा ,गुलाबी भूखा सुपाड़ा बाहर।
" अरे मैं काहें मना करुँगी , मैं तो खुद घोंटने के लिए बेताब हूँ , और अच्छा हुआ आपने पहले चख के ट्राई कर के देख लिया छोटे पतले में मुझे तो पता ही नहीं चलेगा , जिस भोंसड़ी से दो दो बच्चे बाहर निकल चुके हों ,न जाने कितने अंदर बाहर हो चुके हों तो उसको तो लंबा मोटा ही ,. "
लेकिन मेरी सास की बात काटते हुए ,मम्मी ने जोर से उनके लन्ड को मुठियाते अपनी समधन को भरोसा दिलाया ,
" गारंटी मेरी , आपको गौने की रात याद आ जाएगी ,ऐसे हचक हचक के , . एकदम कड़क है। चलिए आपको इसकी फोटो भेजती हूँ आपके व्हाट्सएप्प पर फिर देख कर बोलियेगा, हाँ पसन्द आये तो जरूर दो चुम्मी लीजियेगा उस मूसल की। "
टेक्नीकल असिस्टेंस तो मैं थी ही ,झट से मॉम के मोबाइल से उनके कड़े लन्ड की मैंने दो तीन फोटुएं खींची ,''
एक पगलाए बौराये सुपाड़े का क्लोज भी और अपनी सास को व्हाट्सएप्प कर दिया।
३०-४० सेकेण्ड तक उधर से कोई नहीं आयी लगता है सासु जी उनके लन्ड का दर्शन करने में बिजी थीं ,और तभी दो मुआ मुआह ,. . चुम्मियों की जबरदस्त आवाज आयी।
" पसन्द आया न " मम्मी ने पूछा।
" बहुत ,बस अब तो मन कर रहा है की कब अंदर घोटूं इसे। "
सासु की बेचैन आवाज आयी।
" बस आप तीरथ से लौट आइये , और हाँ वहां पंडों से खूब दबवाइयेगा ,मसलवाइयेगा लेकिन नीचे की कुठरिया पर खबरदार ,. अब तो वहां यहीं ,. आप जिसदिन लौटेंगी अगले दिन मैं आपके पास और उसके अगले दिन हम दोनों यहां बस ,. "
" एकदम ,. .
हँसते हुए मेरी सास बोलीं , और पंडों की बात आपने एकदम सही कही ,तीर्थ का तो वो भी एक मजा है और बिना दबाये मसले ,
मीजे रगड़े तो वो छोड़ते भी नहीं है , लेकिन आप पक्का ,बल्कि जिस दिन मैं लौटूंगी उसी दिन आप आइये न और अगले दिन आपके साथ चल दूंगी। "
मेरी सास हँसते हुए बोली।
वो कान पारे मम्मी के बगल में बैठे सुन रहे थे और मैं भी ,तबतक मम्मी ने वो काम किया जिसे मैंने और उन्होंने सोचा भी नहीं था।
मेरी सास के बेटे का
मूसल
" अच्छा ज़रा फोन काटने के पहले मूसल वाले से बात तो कर लीजिये "
मम्मी धीरे से मेरी सास से बोलीं और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
ऐसे डरते सकुचाते ,झिझकते उन्होंने फोन पकड़ा जाइए गौने की रात कोई नयी नवेली पहली बार लजाते डरते हिचकिचाते अपने पति का पहली बार लन्ड पकड़ती है।
स्पीकर फोन तो आन था ही , मम्मी मुझे मुस्करा के देख रही थीं और मैं उन्हें उकसा रही थी ,उनकी हिम्मत बढ़ा रही थी।
लेकिन हम दोनों एकदम चुपचाप ,सिर्फ मेरी सास और मेरे 'उनके' की आवाज ,
थोड़ा वात्सल्य और दुलार ,लेकिन उसके पीछे से छिपी छलकती वासना , कुछ मान मन्नौवल ,कुछ शिकवा शिकायत और ज्यादातर डबल मीनिंग डायलाग ,
साफ़ था आग दोनों तरफ लगी थी।
शुरुआत मेरी सास ने ही की ,
" तुम लोग दो तीन दिन में पहुंच रहे हो ,लेकिन मैं तो उसके एक दिन पहले ही चली जाउंगी ,तुझे देखने को बहुत मन था ,
बहू से भी मिलने का , पर ,. . "
उन्होंने कुछ टिपीकल छूट्टी नहीं मिलती , काम बहुत है टाइप बोलने की कोशिश की तो बात माँ जी ने ही सम्हाली ,
उनका मन रखते हिम्मत बढ़ाते बोलीं।
" अरे मुझे मालूम नहीं है क्या , लेकिन चलो तेरे आने से मेरा फायदा होगया न , वरना घर खाली छोड़ के कैसे मैं ,
अब तुम दोनों आओगे ,७-८ दिन रहोगे तो मेरा भी तीरथ जाने का इतने दिन से प्रोग्राम बना था , वो पूरा हो गया , वरना कैसे जा पाती।
फिर तेरी भाभी भी ,अकेले कैसे रह पातीं तुम दोनों रहोगे तो उनका भी मन लगा रहेगा। "
" हाँ बस ,कल परसों की बात है ,उसके अगले दिन , नरसों हम दोनों सुबह सुबह ही घर पहुँच जाएंगे। एक हफ्ते की मैंने पूरी छुट्टी ले ली है " चहकते हुए वो बोले।
" चलो ठीक है ,पहले तुम यहाँ आ जाओ फिर तीरथ से लौटने के बाद , तुझे अपनी सास को धन्यवाद देना चाहिए ,ऐसी सास बहुत मुश्किल से मिलती हैं। तीर्थ से लौटने के बाद मैं आउंगी तुम लोगों के पास। उनसे बात हो गयी है , अब अकेले तो मुश्किल था लेकिन वो आएँगी तो उनके साथ आउंगी , फिर सारी थकान वहीँ उतारूंगी। खूब सेवा करवाउंगी तुम दोनों से। "
हंसते हुए मेरी सास बोलीं।
यहाँ हम सब समझ रहे थे वो 'किस सेवा' की बात कर रही थीं।
उन्होंने कुछ जवाब दिया लेकिन मैंने कमान अपने हाथ में ले ली।
फोन उनसे लेती हुयी मैं बोली , पहले प्रणाम किया फिर कहा ,
" एकदम आप बस आ जाइये , उसके आगे की बात हमारे हाथ पर छोड़ दीजिये , खूब सेवा होगी आपकी ,
ऐसी कहीं भी कभी भी हुई न होगी ,"
मैं बोली।
" अरे जीती रहो , तेरे मुंह में घी शक्कर बहू , अरे तेरे यही सब गुन लक्षन देख के तो तुझे मैं ले आयी थी ,
मुझे पूरा मालुम था तू इस घोंचू को ट्रेन करके ठीक कर देगी ,वरना मेरा मुन्ना तो , . लेकिन एक बात समझ लो मैं तेरी माँ की तरह जल्दी और कम सेवा से संतुष्ट नहीं होनेवाली , कित्ते दिनों से ,. "
वो हँसते हुए बोलीं।
" बस आप आ जाइये ,फिर आप अपनी समधन और बहू पे छोड़ दीजिये , और आपका मुन्ना , वो तो अब अब एकदम बदल गए हैं बस यही सोचते है की कब आप आएं और कब , आप करवाते करवाते थक जाएंगी , वो करते करते नहीं थकेंगे आपकी बहू की गारंटी। "
मैं भी हँसते हुए बोली।
" बहुत तरफदारी करती है तू अपने पति की , मरद की चमची , एक बार ज़रा उससे भी तो बात कराओ , "
मैंने फिर उनको फोन पकड़ा दिया और खुद उनका टनटनाया खूंटा पकड़ लिया और लगी हुमच हुमच कर मुठियाने ,
" तू ज़रा भी परेशान न हो , हाँ लेकिन अपनी सासू और मेरी समधन को डबल बल्कि ट्रिपल थैंक्स दे देना ,
जरा अच्छी तरह से एक बार अपनी तरफ से और दो बार मेरी तरफ से , और उनकी और मेरी बहू की सब बातें मानना ,
वरना जब आउंगी न तो बहुत पिटाई होगी तेरी।
अरे बस दस दिन की बात है , फिर देखूंगी , बहुत दिन हो गया तुझे देखे हुए , चलती हूँ , नहाने को देर हो रही है। "
वो फोन रखती ,उसके पहले मुझसे नहीं रहा गया मैं बोल ही पड़ी ,
" अरे अभी अभी तो देखा है आपने , अभी तो मैंने व्हाट्सऐप किया था आपके फोन पे , हाँ इन एक्शन आइयेगा तो देख लीजियेगा। "
मैंने हँसते खिलखलाते बोला।
मेरी सास भी मॉम से कम नहीं थी , कुछ उधार नहीं रखती थीं , तुरंत सूद समेत लौटा देती थी।
" बहू तू भी न एकदम पक्की बदमाश है , बाप का तो पता नहीं लेकिन अपनी माँ पे गयी है. अरे आउंगी तो देखना दिखाना सब होयेगा ही। घबड़ा मत तुझसे भी सेवा करवाउंगी अच्छी तरह से और तेरे मरद से भी , मिलते हैं ब्रेक के बाद , दस दिन पर। "
ये कहकर उन्होंने फोन रख दिया।
" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "
सासु की सेवा
" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "
वो मैंगो शेक बनाने गए और मैं और मम्मी एक दूसरे को देख कर आँखों ही आँखों में मुस्करा रहे थे ,
बहुत दिन नहीं हुए थे , जब आम खाने और छूने को छोड़िये , नाम लेने से ये बिचकते थे ,
उनकी उस ममेरी बहन से ( जिसके ऊपर इन्हे चढाने का मेरा और मम्मी का पक्का प्लान था , बल्कि मम्मी ने तो यहाँ तक कह दिया था , उसे इनकी रखैल बनाने का , और इनसे गाभिन भी कराने का ) मेरी बाजी लगी थी ,
मैं इनके मायके में सबके सामने इन्हे आम खिलाऊंगी और उनके मायके में सब लोग मान गए थे की कोमल ये बाजी तो तू हार गयी।
और अभी ये अपनी सास के लिए मैंगो शेक बनाने गए थे ,
और कुछ देर बाद , मैंगो शेक पीते पीते , मम्मी ने उन्हें पुचकारते उन बाल सहलाते कहा ,
"मैंगो शेक तो तूने बहुत अछ्छा बनाया है , चल मैं भी तो तुझे कुछ इनाम दे दूँ , चल चाट। "
मेरी मॉम भी न , थोड़ा सा इनाम कहीं भी कभी भी देने में बिश्वास करती थीं।
वहीँ सोफे पे , अपनी साडी उठा के उन्होंने कमर तक और अपना पिछवाड़ा सीधे उनके मुंह में रख के ,
मम्मी इनसे कहती थीं ,
" अरे सास की सैंडल तो हर दामाद चाटता है , ( मम्मी जिस दिन आयी थीं , उसी दिन उन्होंने ,. ) पर असली दामाद है जो सासू का पिछवाड़ा जम के चाटे , . "
और मैं और आग में घी छोड़ती ,
" और मम्मी , असली दामाद , . "
और वो उनके बाल सहलाते बोलतीं ,
" जैसा ये है , गाँड़ के अंदर तक ,. और ,. और अंदरवाला भी , . क्यों हैं न "
और ये शरमा जाते लौंडिया माफिक , लेकिन बात मॉम की एकदम सही थी ,
और उनको चटवाने में परफेक्ट करने वाली मंजू बाई और उससे भी ज्यादा , गीता उसकी बेटी थी , वो भी एकदम एक्सपर्ट , . मम्मी ने उससे भी ,.
मैं कभी उसकी तारीफ़ करती तो वो मुझसे भी कहती , बस एक बार अपनी उस कच्ची कली ननद को ले आइये , देखिये ,
पिछवाड़ा चाटने के मामले में मैं अपने से दस हाथ आगे , एकदम अंदर तक ,.
और मम्मी भी उसका साथ देतीं , .
वो भी इशारा समझ जाते थे ,उनका मुंह पूरा खुला ,
दोनों होंठ पिछवाड़े के छेद के दोनों ओर , वैक्यूम पम्प को मात करते , और जीभ एकदम छेद के अंदर , गोल गोल घूमती,गीली गीली ,
मॉम ने गांड चाटने में उन्हें एकदम ट्रेन कर दिया था ,
लेकिन एक अच्छी ट्रेनर की तरह वो जल्दी सन्तुष्ट नहीं होती थीं ,
" अरे और अंदर घुसेड़ न मादरचोद , अभी तो तुझे मेरे समधन की भी गांड चाटनी है , गांडू , घुसेड़ और ,. . "
जोर जोर से अपने चूतड़ उनके मुंह पर रगडती वो बोलीं।
" अरे मम्मी इनकी माँ के चूतड़ तो और बड़े बड़े ,जानमारू एकदम चक्की की तरह चौड़े , खूब मरवाती होंगी पिछवाड़े। "
मैं क्यों मौक़ा चूकती।
" अरे तेरी सास तो बचपन से लौंडो की तरह गांड मरवाती है ,उनका गांड का छेद भी खूब चौड़ा और गहरा होगा , बहुत मजा आएगा तुझ चाटने में "
उनके बाल खींचते वो उनसे बोलीं , और उन्होंने बची खुची जीभ भी अंदर पेल दी।
मम्मी मुझे चिढाते बोलीं ,
" अरे तेरा ये भी तो , तू अपनी सास की गांड की तारीफ़ कर रही है न तो , . तेरे इसकी भी ,. गांड किससे कम है। एकदम चिकना नमकीन लौंडा है ,साला मादरचोद गांडू मस्त। "
" लेकिन मम्मी अभी कोरी है इनकी ,एकदम इनके उस ममेरी बहन गुड्डी की तरह। "
मैंने बुरा सा मुंह बनाते बोला। हाँ मेरी उँगलियाँ इनके पिछवाड़े की कसी कोरी दरार को सहला रही थीं।
मम्मी भी पहला मौका देखते ही पाला बदल लेतीं थीं , बेटी मैं थी उनकी लेकिन अक्सर वो अपने दामाद की तरफ , इस बार फिर मुझे हड़काते बोलीं ,
" सारी गलती तेरी है , ननद बिना इंटरकोर्स के इंटर पास कर रही है , और ये बिचारा भी ,थोड़ा शर्माता ,झिझकता है तो क्या हुआ तेरी भी तो कुछ जिम्मेदारी है ,की खाली टाँगे उठा के सारी रात सेवा ही करवाओगी ? अरे इसकी बहन की कोरी कोरी फड़वाना और इसकी कोरी फड़वाना तेरा काम है। ये मना थोड़े ही करेगा , और मना करे तो जबरदस्ती करने की तुझे पूरी छूट है ,मेरी ओर से। "
और जैसे अपनी सास की बात की ताकीद करते वो और जोर से , उनकी जीभ मम्मी की गोलकुंडा के अंदर धंसी , छेद के अंदर घुसी , लपड़ सपड़ , जोर जोर से चाटते
मम्मी की बात हर बार की तरह एकदम सही थी।
तीन बार जब कॉलेज में वो पढ़ते थे क्लास ८ से क्लास ११ के बीच ,
एकदम उसकी उमर में जब लौंडेबाज लड़के ,चिकने लड़कों को पक्का गांडू बना देते हैं ,
खुद कबूला था उन्होंने , तीन बार उनकी नेकर सरका दी गयी थी ,सटा दिया गया था लेकिन ऐन मौंके पर , बस बच ही गए वो।
और कमल जीजू मेरे ,
मेरी सबसे बड़ी मौसेरी बहन , चीनू के हस्बैंड , मम्मी की सबसे बड़ी बहन की बेटी के हस्बैंड ,. .
वो भी उन्ही के कॉलेज में पढ़ते थे ,
जब ये नौंवे में पहुंचे तो वो बारहवें में थे और फिर वो इंजिनयरिंग में चले गए , खुद भी नंबरी ,.
और रीनू की शादी की बात सोचते ही हंसी आ जाती है , सुहागरात की अगली सुबह , रीनू हस्पताल चली गयी , ' वहां ' चार चार टाँके लगे थे , उसे ,
खुद बताते हैं अपने कॉलेज के लौंडेबाजी के किस्से और अभी अभी शादी के बाद भी , .
कभी कोई चिकना दिख गया न तो बस छोड़ते नहीं है।
उनका कॉलेज सच में मशहूर था लौंडेबाजी के लिए।
और इनकी भी , बस ,.
ये समझिये बच ही गयी ,. वरना जितने चिकने हैं ये , . मेरी शादी में मेरी भावजों ने इन्हे भी और मुझे भी बहुत चिढ़ाया इस बात को लेकर , .
और अब तो मम्मी ने शर्त भी लगा दी है की वो मेरी सास पर इन्हे तभी चढ़ायेंगी , जब मैं इनका कोरा पिछवाड़ा फड़वा दूँ , वो भी किसी पक्के लौण्डेबाज से जिसका खूंटा ८ इंच से कम का न हो , जो एकदम इनकी ,.
और अगर मैं ये न कर पायी तो इन्हे मेरी सास के ऊपर चढाने का प्लान कैंसल , . और ये तो मैं कतई नहीं सोच सकती थी ,
लेकिन मेरे लिए परेशानी थी , कहाँ मिलेगा ऐसा , . . जैसा मम्मी ने कहा है , और कैसे उनके पिछवाड़े ,. पर कुछ भी हो अब तो कोमल को ये करना ही पडेगा ,
सच में मम्मी ने इन्हे , . मस्त चाटते थे ये , चूत चाट चाट के झाड़ने में तो ये शुरू से एकदम एक्सपर्ट थे लेकिन , पिछवाड़ा चाटने में ,. और वो भी सिर्फ चाटना नहीं चाट चाट के , बिना अगवाड़ा छुए , झाड़ देना , . और उनकी सास तो वैसे भी ,. और एक बार झाड़ने से काम नहीं चलने वाला था उनका ,.
मैं काम कर रही थी पर कनखियों से देख भी रही थी ,
सच्च में , एकदम मस्त चाट रहे थे ये ,
दोनों नितम्बो को हाथ से कस के फैला के , . जीभ देर तक पिछवाड़े की दरार में , ऊपर नीचे , ऊपर नीचे ,
और फिर गोल छेद के चारों ओर
बीच बीच में मुंह के थूक से जैसे बच्चे बबल गम का गोला बनाते हैं , एकदम उसी तरह ढेर सारा थूक लेकर और सीधे , गोल छेद पर ,
और उसका असर छेद पर भी हो रहा था , दुबदुबाता , . सिकुड़ता फैलता , . और फिर सिर्फ जीभ की टिप अंदर गोल गोल
लेकिन थोड़ी देर में सिर्फ टिप नहीं ,. आधी जीभ अंदर , और गांड के अंदर धंसी घुसी , दीवालों को चाटती ,
साथ में दोनों होंठ इनके सासु के पिछवाड़े चिपके जोर से सक करते एकदम वैक्यूम क्लीनर की तरह , . जीभ भी क्या कोई लंड से गाँड़ मारेगा उसी तरह अंदर बाहर गोल गोल , .
देर तक
ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।
मॉम के दामाद
ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।
और मम्मी की कुछ कहने की जरुरत नहीं थी ,
वो मम्मी की बॉडी लैंग्वेज , आँख के इशारे से ही समझ जाते थे , और मेरी मम्मी भी न ,
उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था दिन है या रात।
हम लोग बेड रूम में हैं या लिविंग रूम में या यहाँ तक की किचेन में , .
और ये भी नहीं की कोई आ जाएगा ,
वो झिझक , हिचक जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी , सब उन्होंने छुड़ा दी थी ,
मैं देख रही थी थी कितनी मस्ती से वो अपनी सास की गांड चाट रहे थे ,
सीधे छेद के अंदर उनकी जीभ थी ,
चूत चटोरे तो ये शुरू से थे , लेकिन अब मम्मी ने इन्हे पक्का गांड चट्ट भी बना दिया था ,
और वो भी जबतक इनकी जीभ गाँड़ के अंदर दो ढाई इंच नहीं घुस जाती थी ,
तब तक , गाली तो छोड़िये ,
चटाक चटाक , स्पैंकिंग भी ,.
और एक और परेशानी की बात इनके लिए होती थी , मम्मी इनसे कुछ ही कहती , एक ग्लास पानी लाने को ही ,
इनका खूंटा तनना शुरू हो जाता , .
और गांड चाटते समय तो एकदम लोहे का रॉड , . लेकिन मम्मी उसे देख कर अनदेखा कर देती ,
और कुछ दिन बाद मैं समझी उन की ट्रिक ,
इसी बहाने उन के खूंटे को आदत हो गयी , घंटो तने रहने की खड़े रहने की , .
ये नहीं की कुछ देर बाद झंडा झुकने लगा ,
आज मम्मी कुछ ज्यादा ही जोश में थीं , शायद समधन से बात का असर , रगड़ रगड़ के , .
फिर सोफे से उतर कर , वहीँ ,
वो मम्मी का इशारा समझ गए ,
ड्राइंग रूम में फर्श पर ही कारपेट पर वो लेट गए और मम्मी एक बार फिर से उनके ऊपर चढ़ गयी ,
क्या कोई लड़का किसी लड़की का मुंह चोदेगा अपने लंड से ,
जिस तरह मम्मी अपनी गांड और बुर से उनके मुंह को चोद रही थीं ,
और वो बिना रुके चाट रहे थे , चूस रहे थे ,
खूंटा एकदम तना ,
मम्मी ने झुक के अपने हाथ से तने लंड को थोड़ी देर तक मसला , रगड़ा , .
फिर वैसे ही छोड़ दिया , .
दो बार मम्मी झड़ी तब जाके उनके ऊपर से उठीं ,
मम्मी ने झड़ने के बाद ही छोड़ा इनको।
कंप्यूटर बंद करके मैं सुबह के बारे में सोच रही थी ,
जब मॉम ने उनसे और मेरी सास से डायरेक्ट इंटरैक्शन करवा दिया था ,और मेरी चमक गयी।
यही ट्रिक तो मैं उनकी छुटकी बहिनिया और अपनी छिनार ननदिया के साथ भी तो कर सकती थी ,
और बस अब तीन दिन ही तो बचे थे , भाई बहन की स्क्रिप्ट चालू होने में।
परसों सुबह मम्मी चली जाएंगी और उसके अगले दिन हम लोग उनके मायके , मेरे मन में उसकी बातें अभी फांस की तरह चुभती थी ,
" आप क्या जानेगी , मेरे भैय्या हैं मैं इतने दिनों से जानती हूँ इनको। "
" अरे भाभी आप आम खा रही है ,मेरे भैया तो इसका नाम भी नहीं सुन सकते , इत्ती चिढ है ,
अच्छी तरह से ब्रश करके जाइयेगा , माउथ वाश भी , न हो तो कुछ सौंफ वौंफ भी , . अरे मुझसे पूछ लेती न पहले ,
मैं बता देती आपको। "
अब पता चलेगा ,
जब उसकी कच्ची अमिया चखाउँगी उन्हें।
थोड़ी उसकी मर्जी से थोड़ी जबरदस्ती ,बल्कि ज्यादा जबरदस्ती।
तभी वो लौटे तैयार होके ,सेकेण्ड हाफ में में आफिस जाना था उन्हें।
और मुझे फिर से समधन- समधन की और उनकी मेरी सासू से सुबह की फोन वार्ता याद आयी ,
और मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,
" हे ज़रा उस एलवल वाली को फोन लगाओ न "
" अरे नेकी और पूछ पूछ , आपके मुंह में घी शक्कर , कब आएगा वो दिन , बहुत दिन से मेरी ओखल उपवास कर रही है। "
मेरी सास की खिलखलाती हुयी आवाज उधर से आयी।
" अरे वो मूसल भी बेताब हो रहा है आपकी ओखल की सेवा करने के लिए , "
खिलखिलाते हुए मॉम बोलीं और उनका आधा सोया आधा जागा मूसल उनके शार्ट से बाहर निकाल के रगड़ने मसलने लगीं।
" बहुत लंबा मोटा है मूसल आपकी आवाज सुन के खड़ा ,कड़ा हो रहा है। "
अपने दामाद को छेडते ,चिढाते मम्मी अपनी समधन से बोली।
" अरे रात भर आपने लन्ड घोंटा है आपको मालुम होगा कितना मोटा ,कितना कड़ा ,. और मेरी ओखल लंबे मोटे से नहीं डरती अगर मेरी समधन ने घोंट लिया है तोमैं भी घोंट लुंगी , निचोड़ के रख दूंगी उसको। "
हंसती हुयी मेरी सास की आवाज आयी और उन्होंने संवाद का लेवल एक लेवल और बढ़ाया।
" देखूंगी ताकत आपकी , अपने हाथ से पकड़ के मोटा मूसल आपके भोंसडे में घुंसवाऊँगी , और फिर आप लाख मना करे ,चीखें चिल्लाएं , अपने मोटे मोटे चूतड़ पटकें ,बिना आपको दो बार झाड़े ,झड़ने वाला लन्ड नहीं है ये। "
मम्मी ने भी उसी तरह जवाब दिया।
कुछ समधनों की बात चीत का असर , कुछ मम्मी की जादुई उँगलियों का ,उनका लन्ड एकदम मोटा ,पूरा ७ इंच का खड़ा कड़ा ,ताजादम हो गया था।
मम्मी ने एकझटके में खींच के सुपाड़ा भी खोल दिया और खूब मोटा ,गुलाबी भूखा सुपाड़ा बाहर।
" अरे मैं काहें मना करुँगी , मैं तो खुद घोंटने के लिए बेताब हूँ , और अच्छा हुआ आपने पहले चख के ट्राई कर के देख लिया छोटे पतले में मुझे तो पता ही नहीं चलेगा , जिस भोंसड़ी से दो दो बच्चे बाहर निकल चुके हों ,न जाने कितने अंदर बाहर हो चुके हों तो उसको तो लंबा मोटा ही ,. "
लेकिन मेरी सास की बात काटते हुए ,मम्मी ने जोर से उनके लन्ड को मुठियाते अपनी समधन को भरोसा दिलाया ,
" गारंटी मेरी , आपको गौने की रात याद आ जाएगी ,ऐसे हचक हचक के , . एकदम कड़क है। चलिए आपको इसकी फोटो भेजती हूँ आपके व्हाट्सएप्प पर फिर देख कर बोलियेगा, हाँ पसन्द आये तो जरूर दो चुम्मी लीजियेगा उस मूसल की। "
टेक्नीकल असिस्टेंस तो मैं थी ही ,झट से मॉम के मोबाइल से उनके कड़े लन्ड की मैंने दो तीन फोटुएं खींची ,''
एक पगलाए बौराये सुपाड़े का क्लोज भी और अपनी सास को व्हाट्सएप्प कर दिया।
३०-४० सेकेण्ड तक उधर से कोई नहीं आयी लगता है सासु जी उनके लन्ड का दर्शन करने में बिजी थीं ,और तभी दो मुआ मुआह ,. . चुम्मियों की जबरदस्त आवाज आयी।
" पसन्द आया न " मम्मी ने पूछा।
" बहुत ,बस अब तो मन कर रहा है की कब अंदर घोटूं इसे। "
सासु की बेचैन आवाज आयी।
" बस आप तीरथ से लौट आइये , और हाँ वहां पंडों से खूब दबवाइयेगा ,मसलवाइयेगा लेकिन नीचे की कुठरिया पर खबरदार ,. अब तो वहां यहीं ,. आप जिसदिन लौटेंगी अगले दिन मैं आपके पास और उसके अगले दिन हम दोनों यहां बस ,. "
" एकदम ,. .
हँसते हुए मेरी सास बोलीं , और पंडों की बात आपने एकदम सही कही ,तीर्थ का तो वो भी एक मजा है और बिना दबाये मसले ,
मीजे रगड़े तो वो छोड़ते भी नहीं है , लेकिन आप पक्का ,बल्कि जिस दिन मैं लौटूंगी उसी दिन आप आइये न और अगले दिन आपके साथ चल दूंगी। "
मेरी सास हँसते हुए बोली।
वो कान पारे मम्मी के बगल में बैठे सुन रहे थे और मैं भी ,तबतक मम्मी ने वो काम किया जिसे मैंने और उन्होंने सोचा भी नहीं था।
मेरी सास के बेटे का
मूसल
" अच्छा ज़रा फोन काटने के पहले मूसल वाले से बात तो कर लीजिये "
मम्मी धीरे से मेरी सास से बोलीं और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
ऐसे डरते सकुचाते ,झिझकते उन्होंने फोन पकड़ा जाइए गौने की रात कोई नयी नवेली पहली बार लजाते डरते हिचकिचाते अपने पति का पहली बार लन्ड पकड़ती है।
स्पीकर फोन तो आन था ही , मम्मी मुझे मुस्करा के देख रही थीं और मैं उन्हें उकसा रही थी ,उनकी हिम्मत बढ़ा रही थी।
लेकिन हम दोनों एकदम चुपचाप ,सिर्फ मेरी सास और मेरे 'उनके' की आवाज ,
थोड़ा वात्सल्य और दुलार ,लेकिन उसके पीछे से छिपी छलकती वासना , कुछ मान मन्नौवल ,कुछ शिकवा शिकायत और ज्यादातर डबल मीनिंग डायलाग ,
साफ़ था आग दोनों तरफ लगी थी।
शुरुआत मेरी सास ने ही की ,
" तुम लोग दो तीन दिन में पहुंच रहे हो ,लेकिन मैं तो उसके एक दिन पहले ही चली जाउंगी ,तुझे देखने को बहुत मन था ,
बहू से भी मिलने का , पर ,. . "
उन्होंने कुछ टिपीकल छूट्टी नहीं मिलती , काम बहुत है टाइप बोलने की कोशिश की तो बात माँ जी ने ही सम्हाली ,
उनका मन रखते हिम्मत बढ़ाते बोलीं।
" अरे मुझे मालूम नहीं है क्या , लेकिन चलो तेरे आने से मेरा फायदा होगया न , वरना घर खाली छोड़ के कैसे मैं ,
अब तुम दोनों आओगे ,७-८ दिन रहोगे तो मेरा भी तीरथ जाने का इतने दिन से प्रोग्राम बना था , वो पूरा हो गया , वरना कैसे जा पाती।
फिर तेरी भाभी भी ,अकेले कैसे रह पातीं तुम दोनों रहोगे तो उनका भी मन लगा रहेगा। "
" हाँ बस ,कल परसों की बात है ,उसके अगले दिन , नरसों हम दोनों सुबह सुबह ही घर पहुँच जाएंगे। एक हफ्ते की मैंने पूरी छुट्टी ले ली है " चहकते हुए वो बोले।
" चलो ठीक है ,पहले तुम यहाँ आ जाओ फिर तीरथ से लौटने के बाद , तुझे अपनी सास को धन्यवाद देना चाहिए ,ऐसी सास बहुत मुश्किल से मिलती हैं। तीर्थ से लौटने के बाद मैं आउंगी तुम लोगों के पास। उनसे बात हो गयी है , अब अकेले तो मुश्किल था लेकिन वो आएँगी तो उनके साथ आउंगी , फिर सारी थकान वहीँ उतारूंगी। खूब सेवा करवाउंगी तुम दोनों से। "
हंसते हुए मेरी सास बोलीं।
यहाँ हम सब समझ रहे थे वो 'किस सेवा' की बात कर रही थीं।
उन्होंने कुछ जवाब दिया लेकिन मैंने कमान अपने हाथ में ले ली।
फोन उनसे लेती हुयी मैं बोली , पहले प्रणाम किया फिर कहा ,
" एकदम आप बस आ जाइये , उसके आगे की बात हमारे हाथ पर छोड़ दीजिये , खूब सेवा होगी आपकी ,
ऐसी कहीं भी कभी भी हुई न होगी ,"
मैं बोली।
" अरे जीती रहो , तेरे मुंह में घी शक्कर बहू , अरे तेरे यही सब गुन लक्षन देख के तो तुझे मैं ले आयी थी ,
मुझे पूरा मालुम था तू इस घोंचू को ट्रेन करके ठीक कर देगी ,वरना मेरा मुन्ना तो , . लेकिन एक बात समझ लो मैं तेरी माँ की तरह जल्दी और कम सेवा से संतुष्ट नहीं होनेवाली , कित्ते दिनों से ,. "
वो हँसते हुए बोलीं।
" बस आप आ जाइये ,फिर आप अपनी समधन और बहू पे छोड़ दीजिये , और आपका मुन्ना , वो तो अब अब एकदम बदल गए हैं बस यही सोचते है की कब आप आएं और कब , आप करवाते करवाते थक जाएंगी , वो करते करते नहीं थकेंगे आपकी बहू की गारंटी। "
मैं भी हँसते हुए बोली।
" बहुत तरफदारी करती है तू अपने पति की , मरद की चमची , एक बार ज़रा उससे भी तो बात कराओ , "
मैंने फिर उनको फोन पकड़ा दिया और खुद उनका टनटनाया खूंटा पकड़ लिया और लगी हुमच हुमच कर मुठियाने ,
" तू ज़रा भी परेशान न हो , हाँ लेकिन अपनी सासू और मेरी समधन को डबल बल्कि ट्रिपल थैंक्स दे देना ,
जरा अच्छी तरह से एक बार अपनी तरफ से और दो बार मेरी तरफ से , और उनकी और मेरी बहू की सब बातें मानना ,
वरना जब आउंगी न तो बहुत पिटाई होगी तेरी।
अरे बस दस दिन की बात है , फिर देखूंगी , बहुत दिन हो गया तुझे देखे हुए , चलती हूँ , नहाने को देर हो रही है। "
वो फोन रखती ,उसके पहले मुझसे नहीं रहा गया मैं बोल ही पड़ी ,
" अरे अभी अभी तो देखा है आपने , अभी तो मैंने व्हाट्सऐप किया था आपके फोन पे , हाँ इन एक्शन आइयेगा तो देख लीजियेगा। "
मैंने हँसते खिलखलाते बोला।
मेरी सास भी मॉम से कम नहीं थी , कुछ उधार नहीं रखती थीं , तुरंत सूद समेत लौटा देती थी।
" बहू तू भी न एकदम पक्की बदमाश है , बाप का तो पता नहीं लेकिन अपनी माँ पे गयी है. अरे आउंगी तो देखना दिखाना सब होयेगा ही। घबड़ा मत तुझसे भी सेवा करवाउंगी अच्छी तरह से और तेरे मरद से भी , मिलते हैं ब्रेक के बाद , दस दिन पर। "
ये कहकर उन्होंने फोन रख दिया।
" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "
सासु की सेवा
" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "
वो मैंगो शेक बनाने गए और मैं और मम्मी एक दूसरे को देख कर आँखों ही आँखों में मुस्करा रहे थे ,
बहुत दिन नहीं हुए थे , जब आम खाने और छूने को छोड़िये , नाम लेने से ये बिचकते थे ,
उनकी उस ममेरी बहन से ( जिसके ऊपर इन्हे चढाने का मेरा और मम्मी का पक्का प्लान था , बल्कि मम्मी ने तो यहाँ तक कह दिया था , उसे इनकी रखैल बनाने का , और इनसे गाभिन भी कराने का ) मेरी बाजी लगी थी ,
मैं इनके मायके में सबके सामने इन्हे आम खिलाऊंगी और उनके मायके में सब लोग मान गए थे की कोमल ये बाजी तो तू हार गयी।
और अभी ये अपनी सास के लिए मैंगो शेक बनाने गए थे ,
और कुछ देर बाद , मैंगो शेक पीते पीते , मम्मी ने उन्हें पुचकारते उन बाल सहलाते कहा ,
"मैंगो शेक तो तूने बहुत अछ्छा बनाया है , चल मैं भी तो तुझे कुछ इनाम दे दूँ , चल चाट। "
मेरी मॉम भी न , थोड़ा सा इनाम कहीं भी कभी भी देने में बिश्वास करती थीं।
वहीँ सोफे पे , अपनी साडी उठा के उन्होंने कमर तक और अपना पिछवाड़ा सीधे उनके मुंह में रख के ,
मम्मी इनसे कहती थीं ,
" अरे सास की सैंडल तो हर दामाद चाटता है , ( मम्मी जिस दिन आयी थीं , उसी दिन उन्होंने ,. ) पर असली दामाद है जो सासू का पिछवाड़ा जम के चाटे , . "
और मैं और आग में घी छोड़ती ,
" और मम्मी , असली दामाद , . "
और वो उनके बाल सहलाते बोलतीं ,
" जैसा ये है , गाँड़ के अंदर तक ,. और ,. और अंदरवाला भी , . क्यों हैं न "
और ये शरमा जाते लौंडिया माफिक , लेकिन बात मॉम की एकदम सही थी ,
और उनको चटवाने में परफेक्ट करने वाली मंजू बाई और उससे भी ज्यादा , गीता उसकी बेटी थी , वो भी एकदम एक्सपर्ट , . मम्मी ने उससे भी ,.
मैं कभी उसकी तारीफ़ करती तो वो मुझसे भी कहती , बस एक बार अपनी उस कच्ची कली ननद को ले आइये , देखिये ,
पिछवाड़ा चाटने के मामले में मैं अपने से दस हाथ आगे , एकदम अंदर तक ,.
और मम्मी भी उसका साथ देतीं , .
वो भी इशारा समझ जाते थे ,उनका मुंह पूरा खुला ,
दोनों होंठ पिछवाड़े के छेद के दोनों ओर , वैक्यूम पम्प को मात करते , और जीभ एकदम छेद के अंदर , गोल गोल घूमती,गीली गीली ,
मॉम ने गांड चाटने में उन्हें एकदम ट्रेन कर दिया था ,
लेकिन एक अच्छी ट्रेनर की तरह वो जल्दी सन्तुष्ट नहीं होती थीं ,
" अरे और अंदर घुसेड़ न मादरचोद , अभी तो तुझे मेरे समधन की भी गांड चाटनी है , गांडू , घुसेड़ और ,. . "
जोर जोर से अपने चूतड़ उनके मुंह पर रगडती वो बोलीं।
" अरे मम्मी इनकी माँ के चूतड़ तो और बड़े बड़े ,जानमारू एकदम चक्की की तरह चौड़े , खूब मरवाती होंगी पिछवाड़े। "
मैं क्यों मौक़ा चूकती।
" अरे तेरी सास तो बचपन से लौंडो की तरह गांड मरवाती है ,उनका गांड का छेद भी खूब चौड़ा और गहरा होगा , बहुत मजा आएगा तुझ चाटने में "
उनके बाल खींचते वो उनसे बोलीं , और उन्होंने बची खुची जीभ भी अंदर पेल दी।
मम्मी मुझे चिढाते बोलीं ,
" अरे तेरा ये भी तो , तू अपनी सास की गांड की तारीफ़ कर रही है न तो , . तेरे इसकी भी ,. गांड किससे कम है। एकदम चिकना नमकीन लौंडा है ,साला मादरचोद गांडू मस्त। "
" लेकिन मम्मी अभी कोरी है इनकी ,एकदम इनके उस ममेरी बहन गुड्डी की तरह। "
मैंने बुरा सा मुंह बनाते बोला। हाँ मेरी उँगलियाँ इनके पिछवाड़े की कसी कोरी दरार को सहला रही थीं।
मम्मी भी पहला मौका देखते ही पाला बदल लेतीं थीं , बेटी मैं थी उनकी लेकिन अक्सर वो अपने दामाद की तरफ , इस बार फिर मुझे हड़काते बोलीं ,
" सारी गलती तेरी है , ननद बिना इंटरकोर्स के इंटर पास कर रही है , और ये बिचारा भी ,थोड़ा शर्माता ,झिझकता है तो क्या हुआ तेरी भी तो कुछ जिम्मेदारी है ,की खाली टाँगे उठा के सारी रात सेवा ही करवाओगी ? अरे इसकी बहन की कोरी कोरी फड़वाना और इसकी कोरी फड़वाना तेरा काम है। ये मना थोड़े ही करेगा , और मना करे तो जबरदस्ती करने की तुझे पूरी छूट है ,मेरी ओर से। "
और जैसे अपनी सास की बात की ताकीद करते वो और जोर से , उनकी जीभ मम्मी की गोलकुंडा के अंदर धंसी , छेद के अंदर घुसी , लपड़ सपड़ , जोर जोर से चाटते
मम्मी की बात हर बार की तरह एकदम सही थी।
तीन बार जब कॉलेज में वो पढ़ते थे क्लास ८ से क्लास ११ के बीच ,
एकदम उसकी उमर में जब लौंडेबाज लड़के ,चिकने लड़कों को पक्का गांडू बना देते हैं ,
खुद कबूला था उन्होंने , तीन बार उनकी नेकर सरका दी गयी थी ,सटा दिया गया था लेकिन ऐन मौंके पर , बस बच ही गए वो।
और कमल जीजू मेरे ,
मेरी सबसे बड़ी मौसेरी बहन , चीनू के हस्बैंड , मम्मी की सबसे बड़ी बहन की बेटी के हस्बैंड ,. .
वो भी उन्ही के कॉलेज में पढ़ते थे ,
जब ये नौंवे में पहुंचे तो वो बारहवें में थे और फिर वो इंजिनयरिंग में चले गए , खुद भी नंबरी ,.
और रीनू की शादी की बात सोचते ही हंसी आ जाती है , सुहागरात की अगली सुबह , रीनू हस्पताल चली गयी , ' वहां ' चार चार टाँके लगे थे , उसे ,
खुद बताते हैं अपने कॉलेज के लौंडेबाजी के किस्से और अभी अभी शादी के बाद भी , .
कभी कोई चिकना दिख गया न तो बस छोड़ते नहीं है।
उनका कॉलेज सच में मशहूर था लौंडेबाजी के लिए।
और इनकी भी , बस ,.
ये समझिये बच ही गयी ,. वरना जितने चिकने हैं ये , . मेरी शादी में मेरी भावजों ने इन्हे भी और मुझे भी बहुत चिढ़ाया इस बात को लेकर , .
और अब तो मम्मी ने शर्त भी लगा दी है की वो मेरी सास पर इन्हे तभी चढ़ायेंगी , जब मैं इनका कोरा पिछवाड़ा फड़वा दूँ , वो भी किसी पक्के लौण्डेबाज से जिसका खूंटा ८ इंच से कम का न हो , जो एकदम इनकी ,.
और अगर मैं ये न कर पायी तो इन्हे मेरी सास के ऊपर चढाने का प्लान कैंसल , . और ये तो मैं कतई नहीं सोच सकती थी ,
लेकिन मेरे लिए परेशानी थी , कहाँ मिलेगा ऐसा , . . जैसा मम्मी ने कहा है , और कैसे उनके पिछवाड़े ,. पर कुछ भी हो अब तो कोमल को ये करना ही पडेगा ,
सच में मम्मी ने इन्हे , . मस्त चाटते थे ये , चूत चाट चाट के झाड़ने में तो ये शुरू से एकदम एक्सपर्ट थे लेकिन , पिछवाड़ा चाटने में ,. और वो भी सिर्फ चाटना नहीं चाट चाट के , बिना अगवाड़ा छुए , झाड़ देना , . और उनकी सास तो वैसे भी ,. और एक बार झाड़ने से काम नहीं चलने वाला था उनका ,.
मैं काम कर रही थी पर कनखियों से देख भी रही थी ,
सच्च में , एकदम मस्त चाट रहे थे ये ,
दोनों नितम्बो को हाथ से कस के फैला के , . जीभ देर तक पिछवाड़े की दरार में , ऊपर नीचे , ऊपर नीचे ,
और फिर गोल छेद के चारों ओर
बीच बीच में मुंह के थूक से जैसे बच्चे बबल गम का गोला बनाते हैं , एकदम उसी तरह ढेर सारा थूक लेकर और सीधे , गोल छेद पर ,
और उसका असर छेद पर भी हो रहा था , दुबदुबाता , . सिकुड़ता फैलता , . और फिर सिर्फ जीभ की टिप अंदर गोल गोल
लेकिन थोड़ी देर में सिर्फ टिप नहीं ,. आधी जीभ अंदर , और गांड के अंदर धंसी घुसी , दीवालों को चाटती ,
साथ में दोनों होंठ इनके सासु के पिछवाड़े चिपके जोर से सक करते एकदम वैक्यूम क्लीनर की तरह , . जीभ भी क्या कोई लंड से गाँड़ मारेगा उसी तरह अंदर बाहर गोल गोल , .
देर तक
ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।
मॉम के दामाद
ये मम्मी का काम कर रहे थे ,और लैपी पर इनका काम मैं कर रही थी।
और मम्मी की कुछ कहने की जरुरत नहीं थी ,
वो मम्मी की बॉडी लैंग्वेज , आँख के इशारे से ही समझ जाते थे , और मेरी मम्मी भी न ,
उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था दिन है या रात।
हम लोग बेड रूम में हैं या लिविंग रूम में या यहाँ तक की किचेन में , .
और ये भी नहीं की कोई आ जाएगा ,
वो झिझक , हिचक जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी , सब उन्होंने छुड़ा दी थी ,
मैं देख रही थी थी कितनी मस्ती से वो अपनी सास की गांड चाट रहे थे ,
सीधे छेद के अंदर उनकी जीभ थी ,
चूत चटोरे तो ये शुरू से थे , लेकिन अब मम्मी ने इन्हे पक्का गांड चट्ट भी बना दिया था ,
और वो भी जबतक इनकी जीभ गाँड़ के अंदर दो ढाई इंच नहीं घुस जाती थी ,
तब तक , गाली तो छोड़िये ,
चटाक चटाक , स्पैंकिंग भी ,.
और एक और परेशानी की बात इनके लिए होती थी , मम्मी इनसे कुछ ही कहती , एक ग्लास पानी लाने को ही ,
इनका खूंटा तनना शुरू हो जाता , .
और गांड चाटते समय तो एकदम लोहे का रॉड , . लेकिन मम्मी उसे देख कर अनदेखा कर देती ,
और कुछ दिन बाद मैं समझी उन की ट्रिक ,
इसी बहाने उन के खूंटे को आदत हो गयी , घंटो तने रहने की खड़े रहने की , .
ये नहीं की कुछ देर बाद झंडा झुकने लगा ,
आज मम्मी कुछ ज्यादा ही जोश में थीं , शायद समधन से बात का असर , रगड़ रगड़ के , .
फिर सोफे से उतर कर , वहीँ ,
वो मम्मी का इशारा समझ गए ,
ड्राइंग रूम में फर्श पर ही कारपेट पर वो लेट गए और मम्मी एक बार फिर से उनके ऊपर चढ़ गयी ,
क्या कोई लड़का किसी लड़की का मुंह चोदेगा अपने लंड से ,
जिस तरह मम्मी अपनी गांड और बुर से उनके मुंह को चोद रही थीं ,
और वो बिना रुके चाट रहे थे , चूस रहे थे ,
खूंटा एकदम तना ,
मम्मी ने झुक के अपने हाथ से तने लंड को थोड़ी देर तक मसला , रगड़ा , .
फिर वैसे ही छोड़ दिया , .
दो बार मम्मी झड़ी तब जाके उनके ऊपर से उठीं ,
मम्मी ने झड़ने के बाद ही छोड़ा इनको।
कंप्यूटर बंद करके मैं सुबह के बारे में सोच रही थी ,
जब मॉम ने उनसे और मेरी सास से डायरेक्ट इंटरैक्शन करवा दिया था ,और मेरी चमक गयी।
यही ट्रिक तो मैं उनकी छुटकी बहिनिया और अपनी छिनार ननदिया के साथ भी तो कर सकती थी ,
और बस अब तीन दिन ही तो बचे थे , भाई बहन की स्क्रिप्ट चालू होने में।
परसों सुबह मम्मी चली जाएंगी और उसके अगले दिन हम लोग उनके मायके , मेरे मन में उसकी बातें अभी फांस की तरह चुभती थी ,
" आप क्या जानेगी , मेरे भैय्या हैं मैं इतने दिनों से जानती हूँ इनको। "
" अरे भाभी आप आम खा रही है ,मेरे भैया तो इसका नाम भी नहीं सुन सकते , इत्ती चिढ है ,
अच्छी तरह से ब्रश करके जाइयेगा , माउथ वाश भी , न हो तो कुछ सौंफ वौंफ भी , . अरे मुझसे पूछ लेती न पहले ,
मैं बता देती आपको। "
अब पता चलेगा ,
जब उसकी कच्ची अमिया चखाउँगी उन्हें।
थोड़ी उसकी मर्जी से थोड़ी जबरदस्ती ,बल्कि ज्यादा जबरदस्ती।
तभी वो लौटे तैयार होके ,सेकेण्ड हाफ में में आफिस जाना था उन्हें।
और मुझे फिर से समधन- समधन की और उनकी मेरी सासू से सुबह की फोन वार्ता याद आयी ,
और मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,
" हे ज़रा उस एलवल वाली को फोन लगाओ न "