Episode 47
भाई -बहन संवाद
यही ट्रिक तो मैं उनकी छुटकी बहिनिया और अपनी छिनार ननदिया के साथ भी तो कर सकती थी ,और बस अब तीन दिन ही तो बचे थे , भाई बहन की स्क्रिप्ट चालू होने में।
परसों सुबह मम्मी चली जाएंगी और उसके अगले दिन हम लोग उनके मायके , मेरे मन में उसकी बातें अभी फांस की तरह चुभती थी ,
" आप क्या जानेगी , मेरे भैय्या हैं मैं इतने दिनों से जानती हूँ इनको। "
" अरे भाभी आप आम खा रही है ,मेरे भैया तो इसका नाम भी नहीं सुन सकते , इत्ती चिढ है , अच्छी तरह से ब्रश करके जाइयेगा ,
माउथ वाश भी , न हो तो कुछ सौंफ वौंफ भी , . अरे मुझसे पूछ लेती न पहले , मैं बता देती आपको। "
अब पता चलेगा ,जब उसकी कच्ची अमिया चखाउँगी उन्हें।
थोड़ी उसकी मर्जी से थोड़ी जबरदस्ती ,बल्कि ज्यादा जबरदस्ती।
तभी वो लौटे तैयार होके ,सेकेण्ड हाफ में में आफिस जाना था उन्हें।
और मुझे फिर से उनकी सुबह की फोन वार्ता याद आयी , और मैंने उनकी ओर फोन बढ़ा दिया ,
" हे ज़रा उस एलवल वाली को फोन लगाओ न "
(एलवल वो मोहल्ला था जहाँ ,उनका माल काम ममेरी बहन रहती थी ),
वो थोड़ा सा झिझके तो मैंने हड़का लिया ,
' अरे लगाओ न , फोन लगाने में इत्ता झिझक रहे हो तो उसकी चिकनी जाँघों के बीच कैसे लगाओगे , अरे लगा न ,
लगाना तुम बातें मैं करुँगी। और ये मत कहना की तुझे अपनी उस बहन का नम्बर नहीं मालुम है ,
ब्रा तक का तो उसका नंबर मालूम है तुझे कप सहित तो फोन नम्बर , . "
चुपचाप नंबर लगा के उन्होंने फोन मेरी ओर बढ़ा दिया , मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें चुपचाप मेरे बगल में बैठने का इशारा किया।
दो बार घंटी भी नहीं बजी होगी की उधर से एक मीठी सुरीली सेक्सी आवाज आयी,
" भैय्या,. "
" भैय्या नहीं भाभी , " खिलखिलाते हुए मैं बोली ,
" अरे दिन रात भैया को याद करती हो , कभी कभी भाभी को भी याद कर लिया कर न "
आफ कोर्स स्पीकर फोन आन था ,उनकी आँखे फोन से ऐसे चिपकी थीं जैसे उसकी आवाज न हो ,वो खुद हो।
" आज कल तो तेरे बड़े मजे हो रहे होंगे , इंटर का कोर्स हो गया और अभी छुट्टियां भी , खूब छैलों के साथ मजे लूट रही होगी मेरी ननदिया। "
मैंने उसे छेड़ा।
" अरे नहीं भाभी ,ऐसी कोई बात नहीं , अभी बस बोर हो रही हूँ , "
बुरा सा मुंह बना के वो बोली।
" मैं मान नहीं सकती तेरा ऐसा माल , ये रूप ये जोबन , और इंटर का कोर्स कर ले बिना इंटरकोर्स किये हुए,
अरे ये बता कितनों के साथ किया , आखिरी बार किसके साथ ,अरे यार भाभी तो सहेली की तरह होती है ,
उससे क्या छिपाना, बोल न ५,१० कितने चढ़े अबतक मेरी बांकी हिरनिया पर। "
मैंने छेड़ना जारी रखा।
" अरे भाभी आप ऐसी किस्मत सबकी थोड़ी होती है ,एक भी नहीं। आपकी ननद अभी तक कोरी है ,एकदम सच्ची। "
अब वो भी रंग में आ रही थी ,लगता है घर में कोई था नहीं।
" मैं मान नहीं सकती , तू तो मुझे जानती है न , एकदम ऊँगली डाल के टेस्ट करुँगी , अगर कोरी न निकली तो कोहनी तक पेल दूंगी अंदर। "
मैंने उसे हड़काया लेकिन मेरे मन की एक चिंता दूर होगयी की कहीं उसकी सोनचिरैया ने चारा तो नहीं चुग नहीं लिया।
और मैंने उनकी ओर देखा तो उनका चेहरा भी ख़ुशी से चमक रहा था।
और फोन पर दूध खील की तरह मेरी किशोर ननद गुड्डी की हंसी छलक रही थी ,दिन में भी कमरे में दूधिया चांदनी की तरह बरस रही थी।
और मेरी ननद थी भी ऐसी , सुरु के पेड़ की तरह छरहरी , ५-३ की लम्बाई , गोरी ऐसी की बस जैसे दूध में किसी ने दो बूँद गुलाबी रंग डाल दिया हो , तन्वंगी ,छरहरी लेकिन कटाव भराव उसके , बस उसके क्लास की लड़कियों से २० नहीं ,२१।
जब लड़कियों के उभार बस दिखने शुरू होते हैं उस समय भी टॉप फाड़ते थे और अब तो परफेक्ट ३२ सी ,
बस एकदम मुट्ठी में आ जाय वैसे ,
और बांकी हिरन सी पतली कमर पर वो और भरे भरे लगते। लंबे काले बाल सीधे नितम्ब तक , लेकिन सबसे कातिल थी उसकी जानमारू अदा ,बांकी चितवन ,जिस अंदाज से वो मुड़ देखती थी और हंसी , हँसते ही गोरे गोरे गालों में गड्ढे पड़ जाते थे।
अगर उसके भैया का दिल उसके ऊपर आ गया था तो उन से ज्यादा ज्यादा दोष उसकी नयी नयी आयी जवानी का था।
" मुझे मालुम है भाभी आप छोड़ने वाली नहीं मुझे अब तक होली की याद है। "
हंसते हुए वो बोली।
होली की याद
" मुझे मालुम है भाभी आप छोड़ने वाली नहीं मुझे अब तक होली की याद है। "
हंसते हुए वो बोली।
सच में होली में , एक तो मेरी ननद रानी सुबह गीली होली के टाइम आयी नहीं ,मेरे कहने पर भी ,
आखिर मेरी एकलौती ननद थी वो और शाम को आयी भी तो एकदम ओढ़ बिढ़ कर।
रोज तो स्कर्ट ,या फ्राक पहनती थी पर उस दिन खूब मोटा मोटा शलवार कुर्ता
लेकिन उसे मालुम नहीं था की उसकी भौजाई किस हद तक जा सकती है , ससुराल में ये मेरी पहली होली थी।
मैंने बसन्ती को पटाया , कामवाली थी लेकिन रिश्ते में बहू होने के नाते वो भी भाभी लगती थी।
बस।
मैंने गुड्डी को बातों में फुसलाया , डबल भांग की डोज वाली गुझिया
और ठंडाई खिलाई ,पिलाई।
" बस ज़रा सा गुलाल का टीका , मैं बोली। "
गुलाल से गाल पर पहले गुलाल पहुंचा फिर मेरे हाथ , और उसके बाद टाइट कुर्ते से झाँकती गोलाइयों का नम्बर था।
वो मेरा हाथ रोक पाती उसके पहले बंसती तैयार खड़ी थी , पीछे से गुड्डी के दोनों नाजुक कलाइयां , बसन्ती की संडसी ऐसी पकड़ में।
आराम से मैंने कुर्ते के सारे बटन खोले , फिर कुरता हटाकर ब्रा भी हटाई ,
वो छटपटाती रही ,
लेकिन वो भौजाई भी क्या जो होली में ननद के जोबन न मसले रगड़े ,
" अरे ननद रानी अपने भैया से तो न जाने कबसे मिजवा रगड़वा रही हो अब ज़रा भौजाई के साथ भी मजा ले लो न। "
मैं बोली।
तबतक बंसती ने उसके दुपटे से ही गुड्डी के हाथ बाँध दिए ,
फिर तो बसन्ती के भी दोनोंहाथ खाली हो गए ,
वही निहुरा के जबरन उस कच्ची कली के मैंने शलवार का नाड़ा भी खोल दिया ,
फिर ऊपर की मंजिल बंसती के हाथ और गुलाबी परी मेरे हाथों में ,
पहले तो एक प्लेट गुलाल सीधे गुलाबी परी के ऊपर और फिर मेरे हाथों ने उसे मसलना शुरू किया।
मेरी ननद बिचारि को क्या मालुम की कन्या रस के मामले में मैं ,.
बोर्डिंग में जो लड़कियां नयी नयी आती , उनकी रैगिंग कर के लेस्बियन कुश्ती सिखा के एकदम ,
कुछ देर उसकी कुँवारी चूत का रस लेने के बाद मैंने जब ऊँगली करने की कोशिश की तो मुझे मालुम पड़ गया की कैंडलिंग क्या ,
यहाँ तो कभी कानी ऊँगली का पोर भी नहीं घुसा है।
और घुसाता कौन , मेरी एकलौती ननद की एकलौती भौजाई भी तो मैं ही थी और ये हम दोनों की पहली होली थी।
एकदम टाइट , पूरी कसी ,कोरी।
गुड्डी उसी का जिक्र कर रही थी।
और हंसती खिलखिलाती उसने अपना सवाल दाग दिया ,
" और अगर होली में आपने जो चेक किया था , वैसे ही कोरी कसी निकली तो ? "
" तो मैं उसे बहुत दिन कोरी नहीं रहने दूंगी। बस दो दिन बाद आ रही हूँ मैं , परसों के बाद ,नरसों। "
मैं भी हंसते हुए बोली।
" ये तो बहुत अच्छा हुआ भाभी , यहाँ बहुत बोर हो रही थी मैं। "
गुड्डी बोली ,
" बोर ,मलतलब किसी से बोरिंग करवा रही थी क्या , लगता है मैंने गलत टाइम पे फोन कर दिया , "
गुड्डी को चिढाती हुयी मैंने बहुत सीरियस हो के बोला।
" भाभी ,आपको भी बस एक चीज , यहाँ मैं बोरियत की बात कर रही थी और आप भी न आप करवाती रहती है न दिन रात बोरिंग इसीलिए ,. "
बनावटी गुस्से में गुड्डी बोली।
" चल दो दिन की बात और है फिर तेरी सारी बोरियत दूर कर दूंगी ,मेरे साथ तेरे भैया भी आ रहे हैं और वो भी पूरे हफ्ते भर के लिए। "
" सच में भाभी ,. " उसकी ख़ुशी फोन से भी छलक रही थी। लेकिन फिर उदास आवाज में बोली , भैया तो मुझे याद भी नहीं करते।
मुझे मौका मिल गया अपनी ननद पर चढ़ाई करने का ,चिढाते हुए मैं बोली।
' अरी तू क्या जाने रोज याद करते हैं। "
मैं उसे खुश करने की कोशिश करते बोली।
" कब ,मुझसे तो कभी बोले नहीं ,फोन भी नहीं किया। " गुड्डी बोली।
" अरे मैं बताती हूँ न ,रोज रात को जब मेरे ऊपर चढ़ाई करते हैं न तो बस थोड़ी देर में मेरी जगह तेरा नाम ले के ,. ओह्ह गुड्डी बहुत मजा आ रहा है ओह्ह और जोर से धक्का मार न , कित्ते रसीले हैं तेरे ये होंठ तेरे जोबन , . बोलते हैं। सच में न विशवास हो तो उन्ही से पूछ लेना। "
मैंने उसे चिढाया।
" धत्त भाभी ,आप भी न , . " वो थोड़ी शरमाई लजायी।
" अरे इसलिए तो ला रही हूँ , उन्हें अगर तू कोरी मिली न बस समझ ले तेरा कोरापन बस उन्ही से दूर करवा दूंगी। बहुत प्यार से फाड़ेंगे तेरी।
" मैंने छेड़ा।
" अरे रहने दीजिये भाभी ,अगर ,. फिर आपका उपवास हो जाएगा। मेरे भैय्या आपको ही मुबारक। आप को हम तो लाये ही इसीलिए थे की आप पर चढ़ाई करें ,बोरिंग करें , रोज बिना नागा ,. "
हँसते हुए गुड्डी बोली। अब वो भी मेरी तरह खुल के मजाक के मूड में थी।
" अरे कोई उपवास वुपवास नहीं होगा मेरा ,कुछ रेस्ट मिल जाएगा तेरी भाभी को वरना तो तेरे भैया ५ दिन की छुट्टी में भी नहीं छोड़ते। "
मैंने और लेवल बढ़ाया।
" अरे भाभी तो इसमें मेरे भैया का क्या दोष ,मेरी प्यारी भाभी हैं ही इतनी अच्छी और फिर आप को छोड़ कर , . . " वो मूड में थी।
" चल लगी बाजी , अगर तेरी कोरी निकली तेरे भैया को मैं तेरे ऊपर चढ़ा के ही रहूंगी , अच्छा मौक़ा है अगर तुझे अपने भैया से अच्छा कोई मर्द दिखे तो फड़वा ले उससे अभी भी दो दिन है ,. " मैंने उनकी ओर देखते हुए तीर छोड़ दिया।
और गुड्डी का जवाब भी तुरंत मिल गया।
" अरे भाभी आप भी न ,. मेरे भैया से अच्छा कोई नहीं ,वो दुनिया में सबसे अच्छे हैं। " हँसते हुए मेरी ननदिया बोली। और उसने जोड़ा ,
" हाँ भाभी आप बाजी की बात कह रही हैं न तो आप कहीं भूल तो नहीं गयी पिछले साल की बाजी , . बस सात आठ दिन बचे है ,अच्छा है आप आ रही हैं तो का भी फैसला हो जाएगा , जहां आप हारी , आप का हार मेरा। " गुड्डी ने मुझे याद दिलाया।
( पिछले साल इसी महीने में बाजी लगी थी , मैंने बोला था की ये सबके सामने न सिर्फ आम खाएंगे , बल्कि गुड्डी के हाथ से और उसे भी खिलाएंगे। अगर मैं हार गयी तो मेरे गले का हार उसका और वो हार गयी तो ८ घंटे तक उसे मेरी हर बात माननी होगी। ).
एकदम याद है लेकिन देख कोई और तुझसे बात करना चाहता है , और मैंने फोन उन्हें पकड़ा दिया।
मैं चली गयी थी लेकिन एक्सटेंसन पर भाई बहन का संवाद सुन रही थी ,
पहचान कौन ,
( पिछले साल इसी महीने में बाजी लगी थी , मैंने बोला था की ये सबके सामने न सिर्फ आम खाएंगे ,
बल्कि गुड्डी के हाथ से और उसे भी खिलाएंगे।
अगर मैं हार गयी तो मेरे गले का हार उसका
और वो हार गयी तो ८ घंटे तक उसे मेरी हर बात माननी होगी। ).
एकदम याद है लेकिन देख कोई और तुझसे बात करना चाहता है , और मैंने फोन उन्हें पकड़ा दिया।
मैं चली गयी थी लेकिन एक्सटेंसन पर भाई बहन का संवाद सुन रही थी ,
" हेल्लो ,. " मेरी ननद अपनी टिपिकल शहद घुली हस्की सेक्सी आवाज में बोली।
वो भी मूड में थे उसे छेड़ने के , चुप रहे।
' हेलो , कौन , ,. " फिर रुक के गुड्डी बोली , " अरे नाम तो बताओ न "/
" पहचान कौन , . " हलके से मुस्कारते वो बोले।
" उह्ह्ह ,. मुझे क्या मालूम , " बड़ी अदा से वो शोख टीनेजर बोली , " बोलो न ,कुछ तो हिंट दो न ".
" ऊँह , कुछ , चलो कुछ गेस करो न । "
मेरी और मेरी ननद की टेलीफ़ोन की बात सुन के वो भी मूड में आ गए थे।
" उन्हह ,अच्छा चल सोचती हूँ , टाल ,फेयर ,हैंडसम , मेरे खूब अच्छे वाले मीठे मीठे भैय्या। "
गुड्डी भी अब मूड में थी ,और दोनों कबुतरों में गुटरगूँ चालू हो गयी।
कुछ देर के बाद उनके मुंह से निकल गया ,
" मुझे मालूम था की इस समय तुम अकेली रहती हो इसलिए ,"
बात काट के वो जोर से खिलखिलाई और फिर उन्हें चिढाते बोली ,
" अच्छा तो अकेले जान के फायदा उठाया जा रहा है। "
वो बिचारे झेंप गए ,लेकिन बात उनकी ममेरी बहन ने ही आगे बढ़ाई ,उसी तरह हँसते हुए ,
" चलो भइय्या ,जब फायदा उठा सकते थे तब तो फायदा उठाया नहीं और अब ,. "तेरे बस का नहीं है फायदा वायदा उठाना। "
कुछ मेरी और मम्मी की ट्रेंनिग का नतीजा और कुछ उनकी अपनी चाहत , अब उनकी भी हिम्मत खुल गयी थी , बोले ,
" अरे जब जागो तभी सबेरा , कोई जरूरी है जो काम पहले कोई चूक जाए वो दुबारा न करे , "
गुड्डी भी उन्ही की तरह इन्फार्मल और बोल्ड हो गयी थी ,बल्कि उनसे भी ज्यादा ,कुछ रुक के बोली ,
" एकदम जरूरी नहीं ,. "
" तू बुरा तो नहीं मानेगी। "
अब वो एकदम डायरेक्ट हो रहे थे ,यही तो मैं चाहती थी ,और मुझसे बढ़ कर उनकी सास।
" तेरी किसी बात का जो पहले बुरा माना है जो अब मानूँगी ,तुम भी न भैय्या "
फिर हंस के बोली ,
" और अगर बुरा मान भी गयी तो तू मेरे बुरा मानने का बुरा मत मानना ,और क्या। "
उन दोनों की बात सुनते मेरे मुंह से निकलते निकलते रह गया ,
"अरे बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना और जब वो तेरा बचपन का माल और एकलौती बहन हो। "
गुड्डी को लगा की बात शायद आगे ज्यादा जा रही है इसलिए उसने बात बदलते हुए कहा ,
" भैय्या ,मेरी तो छुट्टियां चल रही है लेकिन लगता है आप को भी कोई काम धाम है नहीं। "
" अरे काम ही तो कर रहा हूँ ,तुझसे बात करना भी तो काम हुआ न , " वो बोले।
" ये कौन सा काम हुआ ,. " अदा से वो शोख बोली ,पर उनका दिमाग सिंगल ट्रैक हो चुका था ,बोले ,
" तो कौन सा काम ,. तेरा मतलब कामसूत्र वाला काम ,. "
अबकी वो शरमाई , थोड़ा झिझकी और हलके से बोली ,
"धत्त ,. "
" अरे क्यों धत्त क्यों , वो भी तो काम हुआ न ,उसी से तो दुनिया चलती है और मज़ा भी कितना आता है उस काम में। "
वो अब एकदम खुल के मूड में आ गए थे।
और वो भी लगता है , पक्का मेरी ननद की उँगलियाँ उसकी कोरी बुलबुल पे चल रही होंगी , कुछ रुक के ,गहरी सांस लेती बोली ,
" तो करो न ,मैंने कौन सा मना किया है ,. " वो बहुत धीमे से बोली। इससे ज्यादा कोई टीनेजर क्या सिग्नल देती।
" लेकिन इतनी दूर से कैसे करूँ , इसलिए फोन पर कर रहा हूँ ,जो कर सकता हूँ।
मेरी ननद भी एकदम पक्की थी ,एकबार फिर वो उनकी रगड़ाई करने के मूड में आ गयी थी ,चिढाते बोली।
" अरे तो उसके साथ करो न जिसके साथ रोज करते हो ,,,,,"
पर वो भी हारने वाले नहीं थे आखिर उनकी सास की ट्रेनिंग थी , छेड़ते हुए बोले ,
" क्या करता हूँ ज़रा खुल के तो बोलो न , मेरी समझ में नहीं आया। "
" पिटोगे तुम , बहुत जोर से पिटोगे " ,हँसते हुए वो शोख बोली
" अच्छा तो तेरे साथ कर लूँ , . " हँसते हुए वो बोले।
" हे हे मैंने ऐसा तो नहीं कहा था। " वो उसी तरह शहद घुली आवाज में बोली।
" लेकिन तूने मना भी तो नहीं किया। " वो आज छोड़ने के मूड में नहीं थे ,
और मेरी ननद वो बात बोल गयी जो मुझे मालुम तो थी ,लेकिन उसी के मुंह से मैं सुनना चाहती थी।
" मना तो भैय्या मैंने पहले भी कभी नहीं किया। "
मेरी बांकी किशोर ननद के मुंह से निकल गया।
लेकिन उसकी बात अनसुनी करते वो बोले ,
" तूने सुना है ना कोई भी लड़की अगर न कहे तो उसका मतलब है शायद और अगर शायद कहे तो उसका मतलब हाँ ,. "
अबकी वो एकबार फिर से गुड्डी मूड में आ गयी थी ,जोर से खिलखलाती बोली ,
" शायद ,हां भैय्या ,. शायद ,शायद सुना है. "
इससे ज्यादा कौन लड़की इशारा दे सकती है। वो भी , जोश में आ गए , ख़ुशी से बोल उठे ,
" हे तूने बोल दिया , शायद और जानती है लड़की शायद बोले तो क्या मतलब होता है। "
हँसते हुए वो फिर बोली ,
" बोल दिया तो क्या हुआ ,मैं तो फिर से बोल रही हूँ ,शायद ,शायद ,शायद। "
उनके मोबाइल पर आफिस का कोई मेल आ गया था ,किसी मीटिंग का रिमाइंडर ,
वो बोले ,
" हे अभी चलता हूँ लेकिन कल पक्का इसी समय मिलेंगे ,साढ़े तीन बजे। "
" एकदम पक्का भइया ,प्रामिस इसी समय साढ़े तीन बजे , मेरा मतलब है शायद , उन्हें चिढाते खिलखिलाती वो छोरी बोली और दोनों ने फोन रख दिया।
पीछे से मैंने उन्हें गपुच लिया और उनके गाल कचकचा के काटते बोली ,
" साढ़े तीन बजे गुड्डी जरूर मिलना ,साढ़े तीन बजे , अरे लौंडिया एकदम पट गयी है , बस अब उसे निहुराओ सटाओ और घुसेड़ दो , फाड़ दो एक धक्के में। "
मेरा हाथ उनके बल्ज पे था , रगड़ते हुए। एकदम तन्नाया था अपनी छुटकी बहिनिया से बात कर के।
" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे "
उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।
" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। "
वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी
ट्रेनिंग -
खेली खायी , एम् आई एल ऍफ़
" शाम को मैं और मम्मी तुझे आफिस से पिकअप करेंगे " उनके निकलते निकलते मैंने उन्हें याद दिलाया।
" एकदम पक्का याद है ,मम्मी ने बोला था। " वो बोले ,मम्मी की किसी बात को भूलने की हिम्मत थी क्या उनकी ,
ये आफिस चले गए।
और मैं सोने , सिएस्टा का अपना ही मजा है और फिर रोज रात का रतजगा।
शाम को वो फिर मम्मी के हवाले थे। उनकी 'आउटडोर ' ट्रेनिंग थी।
मम्मी ने उन्हें आफिस से ही पिक किया और फिर भीड़ भरे बाजारों में ,गलियों में ,सडकों पर और यहाँ तक की शाम की भीड़ भरी धक्कामुक्की सिटी बस में भी ,
बाजार में औरतों की भरी भीड़ में मॉम ने उन्हें टास्क दिया ,
पहचान किसका पिछवाड़ा मेरी समधन से बड़ा है और किसका मेरी समधन सा।
स्टैटिक्स में तो वो एक्सपर्ट थे ही , मुश्किल से 2. 2 % मेरी सास के साइज के थे ,. 000 ८ % उनसे बड़े और बाकी सब छोटे।
और अगर साइज के साथ भराव ,कटाव ,गांड का गुदाजपन देखें तो मेरी सास ऐसे मुश्किल से ४-५ मिलीं।
अब वो समझ गए ,मम्मी ने आज सुबह अपनी समधन से उनकी सेटिंग करवा के ,.
तब तक मम्मी बोलीं , वो देख एकदम मेरी समधन जैसी ,ज़रा पीछे से चेक कर।
मैं घबड़ाई ,वो तो औरतों से बोलने में भी ,बड़ी मुश्किल से तो उन्होंने देखना घूरना शुरू किया था।
एक पल के लिए मॉम की और उन्होंने देखा और फिर हलके से पीछे से टच किया और मॉम कीओर देख के मुस्कराये ,
मतलब एकदम टँच माल।
मम्मी ने एकदम से हाई फाइव किया और फिर एकदम टाइट साडी की दरार में ऊँगली से हलके से रगडने का इशारा किया।
मुझे लगा की अब वो पिटे लेकिन ,
उन्होंने कर दिया ,
और वो पलटी ,
मैं डर कर भीड़ में छुप गयी , मैं उन्हें पिटते नहीं देख सकती थी।
थोड़ी देर बाद मैंने हिम्मत कर आँखे उनकी ओर की , वो औरत उनकी ओर देख रही थी ,लेकिन गुस्से से नहीं ,मुस्कराती हुयी।
तबतक एक भरी हुयी सिटी बस आयी , वो उसमें चढ़ गयी।
मॉम ने इशारा किया , और वो भी उसके पीछे पीछे ,
आगे मॉम को सिखाना नहीं पड़ा ,
बस में बस वो उसके पीछे और अब उनका तना तंबू ,
गांड की दरार के बीच में सटा के खड़े थे ,कुछ देर तक तो बस के हिचकोले ,
पीछे की भीड़ और कुछ देर बाद उन्होंने भी पुश करना शुरू कर दिया।
एक बार फिर उस ने देखा ,. मुस्करायी ,और बस आगे से भी उसने दरेरना शुरू कर दिया।
मैं समझ गयी जैसे कोई शेरनी अपने शावक को पहली बार शिकार पर लेजाती है
उसी तरह मम्मी ,उन्हें शिकार पहचानना , शिकार को फंसाना और शिकार को मजे ले ले के शिकार करना सीखा रही थीं।
मुझे मालूम था उन्हें बड़े उम्र की , भारी बदन एम् आई एल ऍफ़ टाइप पसंद थी ,लेकिन वो इस हद तक ,
कम से कम ४-५ के साथ उन्होंने उस शाम और मजे की बात है कोई भी नाराज नहीं हुयी।
कच्ची कलियाँ
मुझे मालूम था उन्हें बड़े उम्र की , भारी बदन एम् आई एल ऍफ़ टाइप पसंद थी ,लेकिन वो इस हद तक ,
कम से कम ४-५ के साथ उन्होंने उस शाम और मजे की बात है कोई भी नाराज नहीं हुयी।
उसके बाद कच्ची कलियाँ ,एकदम मेरी छुटकी ननद की उम्र की एकाध तो उससे भी कच्ची।
भीड़ भरी बस में ही मैंने देखा ,एक किशोरी ,मेरी ननद की ही उम्र की होगी , वो उस के बगल में ,उ
न्होंने दोनों हाथ अपने सीने पे बाँध रखे थे लेकिन उससे आगे निकलते ,जैसे बहुत जल्दी में हों ,
और हलके से उन्होंने उसके उभरते उभार को ,दरेरते हुआ दबा दिया।
जहां वो उतरे , वहां वो लड़की भी उनके पीछे पीछे उतरी।
मैं तो एक बार डरी ,जब उस लड़की ने मुड़ के उनकी ओर देखा ,
लेकिन वो मुड़ी ,मुस्करायी उनकी ओर देखा और अपने रस्ते।
मैंने अपने साथ चल रही मॉम की ओर देखा ,वो जबरदस्त मुस्करा रही थीं और उन की ओर हाई फाइव कर रही थीं।
मतलब ये ट्रिक उन्हें मम्मी ने ही सिखाई थी।
कम से कम ८-१० लडकिया सब किशोरियां ,हाईकॉलेज इंटर में पढने वाली ,
किसी को देख के मुस्करा के इशारा तो किसी को फ़्लाइंग किस , और ५-६ के उभारों की नाप जोख तो उन्होंने की ही होगी
१०० में १०० नम्बर दिए मम्मी ने उन्हें और आशीर्वाद भी ,
बहुत जल्द अपनी बहन की नथ उतारो।
,
मुझे एक शरारत सूझी और मैंने मम्मी के कान में कुछ कहा ,
वो बहुत जोर से हंसी और बोलीं सब मैं ही करुँगी , कुछ तू भी तो कर।
और मैंने गूगल देव का सहारा लिया , और मैं सब को हांक के एक बार कम रेस्टोरेंट में ले गयी।
मम्मी से मैंने असल में बोला था ,
मम्मी आप इन्हें शिकार करना सिखा रही हैं अगवाड़े के मजे के लिए तो कुछ पिछवाड़े के मजे का भी तो इंतजाम करिये ,
आखिर आप नेइन्हें एक जबरदस्त गांडू बनने का भी तो आशीर्वाद दिया है।
वो जगह एक हॉट बार थी और वहां भी ,
हम लोगों ने डिनर वहीँ किया ,
लेकिन कम से कम ४ -५ ' टॉप ' ने उन्हें प्रपोज कर ही दिया और वो भी डायरेक्ट ,
' आर यू बॉटम ?"
और जिस तरह झिझक के वो मुस्कराये ,
उससे जोर की हाँ हो ही नहीं सकती थी।
गनीमत थी हम दोनों साथ थे वरना उनकी नथ वहीँ उतरजाती।
लेकिन रात को एक बार फिर रात भर , .
हाँ आज वो मम्मी के साथ एकदम अकेले , सिर्फ सास दामाद , यहां तक की मैं भी कमरे से बाहर थी।
वैसे भी मेरी वो ५ दिन वाली छुट्टियां चल रही थीं , और मैं सोना भी चाहती थी और उन दोनों को अकेले मौका भी भी देना चाहती थी।
वैसे भी कल मम्मी का आखिरी दिन था हमारे साथ ,
परसों सुबह ही उन्हें चले जाना था वापस ,
और उसके अगले दिन ,सुबह सुबह ,हम दोनों को उनके मायके।
अगले दिन उन्होंने छुट्टी ले रखी थी , जिससे मम्मी के साथ पूरा दिन बिता सकें।
मम्मी
अगले दिन उन्होंने छुट्टी ले रखी थी , जिससे मम्मी के साथ पूरा दिन बिता सकें।
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अगले दिन उनकी तो छुट्टी थी , लेकिन सारा काम मेरे सर पे आया।
मंजू बाई भी नहीं आई
लेकिन अब गीता थी , उसकी लड़की , जो उसके न आने पर आती थी।
उसके बारे में तो आप सब को बता ही चुकी हूँ ,
मेरी छुटकी ननद से एकाध साल ही बड़ी , कुछ दिन पहले ही बियाई थी , लेकिन मायके उसकी सास ने अकेले ही आने दिया।