Episode 48

मेरी उससे खूब पटती थी , मिल के हम दोनों उनको खूब चिढाते थे।

मैंने और गीता ने मिल के सुबह का काम निपटाया।

वो और मम्मी देर तक सोते रहे , और बेड टी ,ब्रेकफास्ट सब मेरे जिम्मे।

ब्रेकफास्ट में भी वोऔर मम्मी चालू रहे।

मम्मी उनको जितनी ट्रिक सिखा सकती थीं , उससे भी कहीं ज्यादा सिखा रही थीं।

उनकी सारी झिझक शरम लिहाज सब कुछ तो उन्होंने कब की दूर कर दी थी ,चाहे गाली दे के बात करने की हो , लड़कियों औरतों पर लाइन मारने की हो , उन्हें पटाने के लिए स्किमिंग करने की हो या पटने पर उन पर चढ़ाई कैसे करनी है , सब कुछ और सबसे बढ़ कर , मम्मी से एकदम खुल के ,

उनकी जो जो फन्तासियाँ बचपन से मन के किसी कोने में बंद थी ,

जो मैंने उनके लैपटॉप के अंदर पासवर्ड से छुपी फाइलों और चैट रूम में देखी थी ,

फेम डाम की , सिसिफिकेशन की

जो एम् आई एल ऍफ़ और

कच्ची कलियों के फोटों का जखीरा उन्होंने छुपा रखा था ,

सब कुछ , .

एकदम खुल के न उन के बारे में बातें करते थे बल्कि मजा लेते थे।

मम्मी से उनकी ट्यूनिंग इतनी परफेक्ट हो गयी थी की थी की मम्मी कुछ कहतीं उसके पहले ही वो काम कर भी देते।

बहुत से चीजें उन्हें ना पसंद थी , कर्टसी उनके मायकेवालियों के ,

मैंने उनमे से बहुत सी चीजें उन्हें चखा दी थीं ,शुरू करा दी थीं ,

थोड़ी जबरदस्ती थोड़ी मान मनऔवल लेकिन कर्टसी मम्मी अब वो उनकी पहली पंसद बन गयी थीं।

जैसे स्मोकिंग मैंने उन्हें शुरू कराई ,कुछ चिढा के कुछ चढ़ा के ( लेकिन बहुत कंट्रोल्ड ,सोशल स्मोकिंग , सिर्फ पार्टी वार्टी में या जब मैं कहती )

लेकिन मम्मी ने एक तो दम उन्हें ,. सिगरेट रोल करना भी और 'स्पेशल मसाले ' वाले भी ,

और उसका असर भी ,इस्तेमाल भी मम्मी ने अच्छी तरह समझा दिया था।

जब मैंने ब्रेकफास्ट के बाद टेबल समेट रही थी , तो मैं मुस्कराये बिना नहीं रह सकी।

वो 'स्पेशल वाली ' सिगरेट रोल कर रहे थे ,

और मम्मी उन्हें कुछ सिखा पढ़ा रही थीं ,और वो एकदम गुरु ज्ञान की तरह सुन रहे थे ,

" अपनी उस कच्ची कली को ,जब मायके जाओगे न अपने ,बस किसी तरह पटा के इस स्पेशल सिगरेट का एक दो सुट्टा लगवा देने खुद खोल के खड़ी हो जायेगी ,साली।

दिमाग का उसके रायता बन जाएगा ,

और फिर जो कुछ करोगे न उसकी नयी नयी आती चूंचियां मीजोगे ,

गुलाबी गली में ऊँगली करोगे ,सब करवाएगी और खुद ही पानी पानी हो जायेगी।

और एक बार जो उसे ये मजा मिल गया तो बस मौका पाते ही टांग उठा के , . अरे कब से वो तेरे लिए चुदवासी है ,तुझे पता भी नहीं। "

" एकदम मम्मी ,मस्त आइडिया दिया आपने ,एकदम सही है ,

मन तो मेरा भी पहले बहुत करता था लेकिन पहले डर भी लगता था ,झिझक भी। पर ये आपने अच्छी ट्रिक बता दी। "

वो हंस के खुल के अपनी ममेरी बहन के बारे में बातें कर रहे थे।

मैं मुस्कराती हुयी किचेन में चली गयी।

जब थोड़ी देर बाद लौटी तो ५२ पत्ते की किताब खुली थी।

५२ पत्ते की किताब

जब थोड़ी देर बाद लौटी तो ५२ पत्ते की किताब खुली थी।

( शादी के बाद ,एक बार इनके घर में ज़रा सा कभी ताश का जिक्र कर लिया था तो ,

मेरी जिठानी और इनकी उस बहन कम माल ने वो हालत कर दी ,

भाभी आप ये सोच भी कैसे सकती है इस तरह के खेल ,और मेरे भैय्या तो ,. }

थोड़ा बहुत ताश तो मैंने और मुझसे ज्यादा उनकी असली से भी ज्यादा बढकर पक्की साली ,मेरी सहेली सुजाता ने सिखा दिया ,

लेकिन तब भी वो कच्चे खिलाड़ी ही रहे ,पक्का खिलाड़ी उन्हें मॉम ने बनाया

और सिर्फ ताश में नहीं बल्कि दांव लगा के जुए की तरह खेलने में ,रमी हो ,तीन पत्ती हो या पोकर।

एक बार तो उन्होंने सुजाता ,अपनी साली को हरा भी दिया था।

पर आज मम्मी ने तगड़ी शर्त लगाई थी , उन दोनों ने मुझे भी बुलाया पर मैं किचेन में आज बिजी थी ,

" साले गांडू ,रोज हार जाता है। ध्यान लगा के खेल अगर आज हार गया न तो अपनी समधन का नाम ले के तुझसे सड़का लगवाउंगी। "

हार तो वो उस बार भी गए लेकिन मम्मी ने उन्हें मेरी सास के नाम दस गाली दिलवा के छोड़ दिया ,

पर अगला राउंड उनके हाथ में ही रहा।

ये बात अलग थी की उस समय मैं आके उनके पास बैठ गयी थी ,

और कुछ मैंने उन्हें हिंट दी , कुछ नकल कराई , मम्मी के पत्ते भी इधर उधर से देख के उन्हें इशारे से बताये।

बिना बेईमानी के आखिर ताश के खेल का क्या मजा ,और आखिर मेरा पति सिर्फ मेरा है , और उसकी जीत में मेरी जीत थी।

लेकिन एक खतरनाक बात और थी मम्मी ने धमकी दी थी ,

अगर तू हारा न तो बस भले ही तेरी बीबी लाख बहाने बना के बचाने की कोशिश करे ,

उस दस इंच के डिलडो से मैं तेरी कुँवारी गांड मार के ही रहूंगी।

उनकी कोरी गांड बच गयी ,कम से कम आज।

और फिर तीसरी बाजी लग गयी थी ,दांव पर एक बार मेरी सास थीं ,

और अपनी सास को बचाने के लिए तो मैं उनकी हेल्प करने से रही।

लेकिन खेल वो अच्छा रहे थे।

तभी एक बार दो बार तीन बार घंटी बजी , मुश्किल से बाजी बीच में छोड़ के वो उठे और दरवाजा खोला।

गीता थी .

मॉम की ,ट्रेनिंग का असर , गीता को आज थोड़ी देर हो गयी थी , वो बोल उठे,

" कमीनी ,किससे चोदवा रही थी ,जो इतनी देर हो गयी आज ,. "

" हरामजादे ,, अरे तेरी माँ के यार से , चल हट। "

गीता कौन कम थी , अदा से जुबना उभार के , बड़े नखड़े से उसने जवाब दिया ,और किचेन की ओर चल दी।

" अरे अपनी माँ का सबसे बड़ा यार तो यही है , . "

हँसते हुए मम्मी ने और आग में घी डाला , और गीता रुक गयी।

सीधे उनके शार्ट के ऊपर से ,उनके थोड़े सोये ,थोड़े जागे बल्ज को पकड़ते बोली ,

" अररे , . तभी तो मैं कहूँ जिस बुर से निकला है उसी भोंसडे में , गपागप्प , . जा जा के ये इतना मस्त मूसल हो गया है।

चल चेक करके देखतीं हूँ सारी ताकत उसी के भोंसडे में खर्च कर दी या कुछ मालमसाला बचा के भी रखा है। "

गीता हंस के उनका औजार पकड़ के ड्रैग करते बोली।

वो थोड़ा सकपकाए , हिचके पर गीता ने जोर से दबाते ,मसलते बोला ,

" अरे बहुत काम करवाना है तुझसे अभी ,चल। "

मैंने और मम्मी ने इशारा किया उन्हें आँख से ,लाइन क्लियर और गीता उन्हें खींचते किचन में ,

थोड़ी ही देर में किचेन से सडप सडप की आवाजे आ रही थीं।

मम्मी मुझे देख के मुस्करा रही थीं।

" मुन्ना दुध्धू पीना है तो नीचे अर्जी लगाना पडेगा। "

किचेन से गीता की आवाज आ रही थी।

और कुछ देर बाद टारगेट बदल गया , गीता ने उनके सर को दबाते बोला ,

" अरे बहन के यार ज़रा पिछवाड़े का भी तो स्वाद चख ले, हाँ हाँ अरे जीभ पूरी अंदर डाल के। "

लेकिन थोड़ी देर बाद उनकी मुराद पूरी हो गयी थी , गीता ने अपनी दूध से छलकती एक छाती उनके मुंह में लगा दी थी ,

यही नहीं , उस पहलौठी की बियाई ने थोड़ा सा दूध ले के उनके औजार पर भी लपेट कर हलके हलके मुठियाना शुरू कर दिया,

उधर वो सपड़ सपड़ कर गीता के छाती से दूध,

मम्मी ने उनके लिए शिलाजीत,अश्वगन्धा ,शतावर ,कौंच और न जाने क्या क्या मिला के ताकत का स्पेशल मलहम बनाया था ,

लेकिन उनका भी मानना था की पहलौठी के दूध का कोई मुकाबला नहीं ,

दस पंद्रह दिन भी लन्ड पे कस के लगाया जाए तो एकदम लोहे का खम्भा ,

और सच में उनकी हालत अब वही हो गयी थी। साइज में भी कड़े पन में भी,

" अरे अबकी मायके जाओगे न तो बस अपनी उस बहिनिया को पटा के लाना ,
बस आगे की जिमेदारी मेरी , कैसे उसे तेरे नीचे लिटाना है , कैसे तेरे वीर्य से उसे गाभिन कराना है ,

और एक बार गाभिन हो गयी न बस , ९ महीने बाद बियाएगी ,

फिर एक बार पहलौठी के दूध का मजा मिलेगा , . सारी जिम्मेदारी मेरी,सीधे से नहीं मानेगी तो जबरन ,

गाभिन तो उसे करवा के रहूंगी मैं तुमसे , . "

गीता उनके मोटे कड़े लन्ड पे अपने दूध की मालिश करती उन्हें समझा रही थी।

वो गयी लेकिन बिना उन्हें झाड़े।

बिचारे का एकदम तना ,खड़ा ,

मस्तराम

बिचारे का एकदम तना ,खड़ा ,

और मॉम भी आज एकदम ,

कहने लगी चल आज तेरा एक टेस्ट लेती हूँ ,

देखती हूँ कही किसी अनपढ़ से मैंने अपनी सोनचिरैया तो नहीं ब्याह दी ,ये ज़रा पढ़ के दिखाओ।

मस्तराम की एक ६४ पेजी निकाल के मम्मी ने उनके हवाले कर दी।

मैं समझ रही थी कोई पेंच जरूर होगा।

पर वो पेंच लगाने का काम मम्मी ने मेरे हवाले कर दिया और मैंने शर्त सूना दी।

" बस एक थोड़ा सा चेंज , जहां भी किसी लड़की का नाम होगा बस तुम अपनी उस ममेरी बहिनिया का नाम लोगे

और जहां लड़के का नाम होगा ,तुम अपना या अपनी ससुराल के किसी मर्द का ,मेरे कजिन ,जीजू कुछ भी चलेंगे।

बस अब चालु हो जाओ , नो हेजिटेशन , नो स्टाप , टाइम बिगन्स नाउ।

कहने की बात नहीं थी की मम्मी ने टेप रिकार्ड आन कर दिया था ,और वो बिचारे भी झिझकते शर्माते चालु हो गए ,

और रास्ता भी क्या था उनके पास।

" गुड्डी के गोरे गोरे मक्खन मलाई ऐसे चिकने चिकने गाल ,छोटे छोटे कड़े कड़े रसीले जोबन लौंडों का मन लूट लेते थे , गुड्डी ने अपने गुलाबी रसीले होंठों के बीच मोटे कड़क लन्ड को ले कर पहले तो हलके हलके चुभलाना चूसना शुरू किया।

गुड्डी की मखमली कुँवारी जीभ कड़े सुपाड़े के चारो ओर सपड़ सपड़ चाट रही थी। साथ में गुड्डी के कोमल हाथ पेल्हड़ को सहला रहे थे। "

उन्होंने पढना शुरू किया ,और असर जादू की तरह तुरंत हुआ।

उनका चेहरा तमतमाया था ,सांस खूब गहरी लंबी चल रही थी

जैसे सच में ही उनकी छिनार बहन उनका लन्ड चाट चूस रही हो।

उन्होंने आगे पढ़ना जारी रखा।

"उसने भी कस कस के गुड्डी का सर पकड़ के हचक पेलना जारी रखा। गुड्डी गों गों कर रही थी।

लेकिन बिना रुके आधे से ज्यादा लन्ड उस कोरी लौंडिया के मुंह में उसने पेल दिया।

लेकिन गुड्डी भी ,गों गों करते हुए भी अब कस कस के चूस रही थी जैसे मोटा गन्ना। गुड्डी के गाल लन्ड से एकदम फूले हुए फटे पड़ रहे थे। गुड्डी की जीभ नीचे से लन्ड चाट रही थी ,

और अब वो पूरी जोश में हचहच लन्ड गुड्डी के मुंह में पेल रहा था , सटासट। "

जोश से उनकी हालत खराब थी और सबसे बड़ा उसका सबूत था शार्ट को फाड़ता ,एकदम खड़ा , तंबू में बम्बू।

मम्मी ने मुझे इशारा किया ,और मैंने शार्ट थोड़ा सा सरका दिया।

जैसे पिंजड़े में से शेर बाहर आये , उसी तरह से उनका मोटा कड़क लन्ड , झट से बाहर और गप्प से मैंने गपुच लिया

और लगी हलके हलके मुठियाने।

मम्मी उनके कान में कुछ हलके हलके बोल रही थीं लेकिन ऐसे की मम्मी की आवाज टेप पर ना आये ,

" सोच साली के बारे में सोचने में बोलने में इत्ता मजा आ रहा है तो उसके कुंवारे कोरे मुंह में पेलने में ,
उसकी कसी कच्ची चूत फाड़ने में कितना मजा आएगा। "

वो अगली लाइन पर आये ,मस्तराम की कहानी जारी रखते

" गुड्डी की लंबी चिकनी गोरी टाँगे ,अब उसके कंधे पर थी ,जाँघे पूरी खुली ,लन्ड ममखमली १७ साल की कच्ची कुँवारी चूत पर रगड़ रहा था। जैसे ही उसकी कमर पकड़ केउन्होंने एक करारा धक्का , मारा ,सुपाड़ा चूत फाड़ता अंदर घुस गया।

गुड्डी जोर से चीखी ,

" नहीं भैया नहीं ,बहुत दर्द हो रहा है "

मैं मम्मी की ओर देख के मुस्करायी , मस्तराम की कहानी में भैय्या कहीं नहीं था।

मम्मी भी समझ के मुस्करायी और मेरे साथ लन्ड मंथन में ,

मैं अब जोर जोर से लन्ड मुठिया रही थी और मम्मी की लंबी उंगलिया शार्प नाख़ून ,उनके पेल्हड़ पर रगड़ रहे थे।

मस्ती से हालत खराब हो रही थी।
,
उनकी आँखे लेकिन अब घडी की ओर लगी थीं , तीन बस बजने वाले ही थे।

मम्मी को भी कल की टेलीफोन वार्ता पूरी मालुम थी और ये भी की ,उन्होंने अपनी ममेरी बहन से वादा किया है ३ बजे फोन करने का।
,:
" इन्तजार करने दो साली छिनार को ,तुझे भी तो उस कमीनी ने बहुत इन्तजार किया है , पढ़ो न आगे "

मम्मी ने पुश किया और जहां वो रुके थे वही से फिर चालु हो गए.

" गुड्डी जोर से चीखी ,नहीं भैया बहुत दर्द हो रहा है , ओह्ह्ह्ह फट गयी मेरी।

लेकिन जोर से दोनों किशोर चूंचियां दबाते मसलते उसने एक और फर दूसरा करारा धक्का मारा।

गुड्डी दर्द से दुहरी हो रही थी ,जोर जोर से चीख रही थी।

उसकी कसी कुँवारी चूत फट चुकी थी। हलके हलके खून की बूंदे बाहर भी छलक के आ रही थीं। "

उनकी आँख एक बार घडी की ओर गयी ,तीन बजकर पांच मिनट हो गए थे।

" चलो न तुम रुको मत ,खुद करेगी वो छिनार फोन ,उसकी चूत में तेरे लन्ड के लिए मोटे मोटे चींटे काट रहे होंगे ,पढ़ो आगे. न "

मैं बोली और गप्प से उनके मोठे सुपाड़े को मैंने गपक लिया और लगी जोर जोर से चूसने ,

मेरी जीभ उनके पेशाब के छेद को चाट चूस रही थी।

साथ में मेरी नरम कलाई उनके लन्ड के बेस को पकड़ के रगड़ रगड़ के आगे पीछे कर रही थी।

चूड़ी की रुनझुन कमरे में गूँज रही थी।

गुड्डी की फट गयी ,फाड़ दी उसके भैय्या ने चल आगे पढ़ न ,मम्मी बेताबी से बोलीं।

" ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह ,ईईईईई ,गुड्डी की चीख गूँज रही थी , उसके चिकने गाल पर आंसू की दो बूंदे छलक आयीं

लेकिन वो बड़ी बेरहमी से उसकी चूत पूरी ताकत से चोद रहे थे।

भईया निकाल लो प्लीज , गुड्डी बोली पर जैसे ही उन्होंने धक्के मारने बंद किये नीचे से खुद चूतड़ उठा के वो बोली ,

नहीं नहीं भैया ,रुक मत चोद और चोद मेरे दर्द की चिंता मत कर , मेरा कब से मन कर रहा है तुझसे चुदवाने का।

चोदो न भैय्या ,प्लीज अच्छे भैया डाल दो पूरा लन्ड मेरी कुँवारी बुर में।

गुड्डी बोली और एक बार फिर से वो धक्के मारने लगे। "

तब तक फोन की घंटी घनघना उठी , वही थी उनकी ममेरी बहन ,एलवल वाली , गुड्डी।

मैंने झट से दूसरे हाथ से फोन काट दिया , उनको मुठियाना जारी रखा और जोर जोर से लन्ड को चूसना भी।

" तू पढ़ न , बहुत बेताब हो रही है तेरी बहना , मैं कह रही थी न एकदम चुदवासी हो रही है आज उससे खुद उगलवा लेना ,

कित्ती चुदवासी है ,चल पढ़ आगे। "

मम्मी बोलीं और उन्होंने कहानी आगे शुरू की ,

" कमरे में तूफ़ान मचा था चुदाई पूरी तेजी से चल रही थी ,नीचे से गुड्डी हर धक्के का जवाब चूतड़ उठा के दे रही थी ,
खुद अपनी चूंची उनके सीने से रगड़ रही थी। पूरा लन्ड उसकी चूत ने घोंट लिया था। "

तभी फिर फोन की घंटी बजी ,वही थी ,गुड्डी मेरी ननद।

और अबकी फोन उठा के मैंने उन्हें दे दिया।

आफ कोर्स ,स्पीकर फोन आन था। मैं और मम्मी उन दोनों की हर बात सुन रहे थे।

" आज बहुत इन्तजार कराया भैय्या , तूने। "

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