Episode 49
बड़े नखड़े से गुड्डी बोली।
गुड्डी रानी
तभी फिर फोन की घंटी बजी ,वही थी ,गुड्डी मेरी ननद।
और अबकी फोन उठा के मैंने उन्हें दे दिया।
आफ कोर्स ,स्पीकर फोन आन था। मैं और मम्मी उन दोनों की हर बात सुन रहे थे।
" आज बहुत इन्तजार कराया भैय्या , तूने। "
बड़े नखड़े से गुड्डी बोली।
" अरे इन्तजार का फल बहुत मीठा होता है। "
आज वो भी मूड में थे ,उसे चिढाते बोले।
" अच्छा जी , तो कब मिलेगा ,वो मीठा वाला फल। "
उसी अदा से उस शोख ने जवाब दिया।
" बहुत जल्द , बस परसों ,४८ घंटे के अंदर , मैं तेरे सामने होऊंगा। "
ख़ुशी से वो बोले
अब उनकी ममेरी बहन की आवाज से भी ख़ुशी छलक रही थी , खिलखिलाती वो बोली।
" सच्ची ,चलिए आप भी याद करियेगा किसी दिल वाली से पाला पड़ा था। "
गुड्डी बोली।
उसे चिढाते , वो बोले ,
" क्या बोली तू , बिल वाली ,लगता है लाइन में कुछ प्राब्लम है जोर से बोल न ,साफ़ सुनाई नहीं दे रहा। "
मुझे लगा की अब मेरी ननदिया गुस्सा हो जायेगी ,लेकिन आज वो भी गरमाई हुयी थी , पहले तो जोर से हंसी , फिर बोली ,
" दुष्ट ,बदमाश। मुझे सब मालूम है ,प्राब्लम कहाँ है , तू भी न ,आओ जल्दी बताती हूँ ,पिटाई करनी पड़ेगी सब सही हो जाएगा। "
और फिर वो खुद बोली ,
" भैया आपने इंतजार तो बहुत करवाया है लेकिन कभी चखाया नहीं ,कैसा होता है ये फल , "
अब वो भी उन्ही के लेवल पर आ रही थी।
मैं और मम्मी सोच रहे थे देखें ये क्या जवाब देते हैं लेकिन मम्मी की ट्रेनिंग का अब इनपर पूरा असर हो गया था ,बोले ,
" तूने केला देखा है न ,. "
वो भी एकदम पक्की छिनार , हंस के उन की बात काटती बोली ,
" अरे भैय्या ,समझते क्या हो मुझको अब बच्ची नहीं हूँ। अरे देखा भी है ,छुआ है ,पकड़ा है ,चखा भी है , वो छोटा वाला न। "
" तभी तो मैं कहता हूँ तू न अभी भी बच्ची है ,अरे छोटा वाला नहीं , बड़ा वाला , पूरे ७ इंच का , और मोटा भी खूब ,. "
वो भी अब रंग में थे।
और मैं भी उनको और गरम करने के लिए अब खूब जोर जोर से चूसने लगी ,
साथ में मेरी तर्जनी जो ऊनके पिछवाड़े के छेद पर घिसर मसर कर रही थी ,
सटाक से गांड के अंदर घुस गयी।
हलके से उन्होंने सिसकी ली और उधर से उनकी उस छिनार बहना की भी सैक्सी सिसकी सुनाई पड़ा ,
पक्का उसकी ऊँगली भी उसकी पैंटी के अंदर रगड़ घिस्स कर रही होगी।
गुड्डी अब पूरे जोश में थी और थी भी वो बचपन की छिनार , बड़ी अदा से ठंडी सांस लेते बोली ,
" भैया , सच में इत्ता बड़ा , इत्ता लंबा , उईईइ ये तो बहुत ही बड़ा है। "
इन्तजार
गुड्डी अब पूरे जोश में थी और थी भी वो बचपन की छिनार , बड़ी अदा से ठंडी सांस लेते बोली ,
" भैया , सच में इत्ता बड़ा , इत्ता लंबा , उईईइ ये तो बहुत ही बड़ा है। "
" अरे तूने इन्तजार भी तो बहुत लंबा किया है , जित्ता लंबा इन्तजार उत्ता लंबा , . "
वो भी अब आलमोस्ट खुल के ,.
"न न भइय्या , मेरी तो सोच के हालात खराब हो रही तू सच बोल रहे हो ,परसों ,. लेकिन क्या एकबार में ,. "
अब वो खुल के सिसक रही थी ,लंबी साँसे लेरही थी जैसे जोर जोर से ऊँगली कर रही हो अपनी चुनमुनिया में।
" और क्या एकबार में ,. पूरा , और सिर्फ एक बार नहीं बार बार , आठ दिन रहूंगा मैं तेरे पास ,इत्ते दिन बाद मिलूंगा तुझसे , तू ही तो कह रही थी बहुत इन्तजार किया तूने। "
मैंने उनकी गांड में ऊँगली जोर जोर से गोल गोल घुमाने के साथ अब सीधे उनकी प्रोस्ट्रेट पर दबाना शुरू कर दिया ,
वो एकदम झड़ने के कगार पर थे।
उनकी सिसकी , सेक्सी साँसे उस तक भी पंहुंच रही थी ,
" क्यों भैया कुछ हो रहा है क्या , "
वो सिसकते हुए बोली।
" अरे , तुझसे बात करूँ और कुछ हो न कैसे हो सकता है। "
वो बोले लेकिन साथ साथ झड़ने भी लगे ,मुठियाने ,चूसने और गांड में ऊँगली का असर तो था ही साथ में उस छिनार से बात का भी असर था।
और उधर वो भी पक्का झड़ रही थी , फोन रखतीजोर जोर से हंसती बोली ,
" ठीक है भैया वेट करुँगी ,तुम्हारा सच में बहुत मन करता है ,जल्दी से आ जाओ न परसों। "
वो बार बार झड़ रहे थे , अपनी उस मस्त माल को याद करके ,कम से कम कटोरी भर मलाई उन्होंने मेरे मुंह में छोड़ा होगा।
और मैं भी जब तक वो झड़ते रहे ,उनकी कसी गांड में मैं घसर मसर ऊँगली करती रही ,
फिर उन्हें चूमते हुए सारी उनकी मलाई उनके मुंह में ,मैंने और मुंझसे ज्यादा उनकी सास ने उन्हें कम स्लट बना था।
झड़ें वो कहीं लेकिन सारी मलाई वापस उन्ही के मुंह में जाती थी।
दो चार बड़ी बड़ी बूंदे गाढ़ी थक्केदार , उनके होंठों पर लगी थी ,
उनकी सास ने वहां से अपनी ऊँगली पर ले के सीधे उनके पिछवाड़े चुपड़ दिया ,और आशीष भी दिया ,
" अरे इस मस्त कोरे छेद में खूब गाढ़ी गाढ़ी मलाई अंदर जाए ,
नयी सुहागन की तरह तेरी गांड से भी हरदम रबड़ी मलाई छलकती रहे ,
जल्द ही मेरे समधन के भोंसडे से भी चौड़ा हो जाए। "
और फिर मम्मी ने उनकी बहन के बारे में भी बोला ,
"देखा कित्ता मस्त झड़ी ,सीधे बाथरूम गयी होगी।
और इत्ता जोर जोर से हँस रही थी ,हंसी तो फंसी ,
बस अब पहला मौक़ा पाते ही उसे निहुराओ ,सटाओ और घुसेड़ दो ,एक झटके में पूरा ७ इंच। "
वो बोले नहीं ,
लेकिन उनकी मुस्कराहट और चेहरे की दमक कह रही थी ,
"एकदम मम्मी।'
मॉम का आखिरी दिन
मॉम का आखिरी दिन था और वो कुछ भी कर रहे थे , बस मॉम किसी तरह खुश रहें।
और मॉम भी एकदम उन्हें चिपकाये, एक मिनट के लिए भी एक दूसरे को दोनों छोड़ नहीं रहे थे।
और साथ में मम्मी की ट्रेनिंग भी ,
उन्हें सिखाना पढ़ाना ,उनकी आदते सुधारना जारी था।
मम्मी का सारा सामान भी उन्होंने ही पैक किया अपने हाथ से।
मम्मी ने यहां तक की उस समय की अपनी पहनी ब्रा और पैंटी भी उन्हें उतार के दे दी ,
वो उसे चूम के अपनी वार्डरोब में रखने लगे तो ,
डाँट और चपत एक साथ पड़ गयी उन्हें ,
अरे बुद्धू तुझे पहनने के लिए दिया है , चल पहन अभी।
अरे तुझ तुझे इससे लगेगा न की मैं तेरे पास हूँ।
किचेन में भी मम्मी उनके साथ ,शाम का खाना उन्ही दोनों के जिम्मे था।
मम्मी उन्हें धीमी आंच पर मसाला भूनना सिखा रही थी ,
और साथ में मम्मी का एक हाथ उनके गुदाज गोरे चिकने पिछवाड़े को सहला रहा था , और एक अँगली का अंदर घुसा हुआ था , मम्मी कभी उनके इयर लोब्स को हलके से बाइट कर लेतीं ,कभी अपने भारी जोबन उनके पीठ पर रगड़ देतीं ,
और हलके हलके उनके कान में बोल रही थीं ,
मैं किचेन में किसी काम से गयी , और उन लोगों की फुसफुसाती आवाज,
" अरे तू फालतू में घबड़ाता है ,बेकार में झिझकता है। सिर्फ गांड मराने से कोई गे थोड़े ही हो जाता है।
अरे तुझे तो बुर चोदने का इत्ता जबरदस्त शौक है और सच बोलूं तो तू चोदता भी जबरदस्त है।
और अभी अपने मायके जाएगा न , तो अपनी कच्ची कुँवारी बहन को ,
और फिर अब तो तेरी माँ के भोसड़े में घुसने का इंतजाम पक्का हो गया है , बस दस दिन बाद मैं आउंगी तो ले आउंगी , तो चोदना मेरी समधन को ,. "
" नहीं लेकिन ,. " अभी भी उनमें कुछ झिझक थी। कढ़ाई में हलके हलके कलछुल चलाते वो बोले।
" नहीं लेकिन मतलब , क्या तू मेरी समधन को नहीं चोदना चाहता , "
मम्मी ने उनके गाल को हलके से बाइट करते पूछा और मुझे सुनते देख के हलके से आँख मार दी।
" नहीं नहीं , उन्हें तो मैं कब से , . मेरा मतलब कब से चोदना चाहता हूँ ,जरूर पेलुँगा भले ही थोड़ी जबरदस्ती करनी पड़े ,मैं उस के बारे में सोच रहा था ,. "
वो बहुत हलके से बोले।
" अरे साफ़ साफ़ क्यों नहीं गांड मरवाने के बारे में सोच रहे थे।
अरे भंडुए ,मादरचोद , इसमें तुझे क्या सोचना है , तुझे तो बस निहुर जाना है , कुतिया बन के , लेट जाना है ,
बस आगे का काम तो गांड मारने वाला करेगा।
अरे कुछ दिन गांड मरवा लेगा न तो तू खुद ही लौंडेबाज ढूंढेगा। "
और ये बोलने के साथ मम्मी ने उनकी गांड में घुसी ऊँगली आधी और ठेल दी।
" नहीं लेकिन लोग , कुछ गलत नहीं है ,इसमें ,. " उन्होंने अपने मन की आशंका साफ़ साफ़ उगल दी।
" गलत क्यों है ,देख तू अपनी बहना को फंसा के लाएगा , तो तेरी बीबी भी तो उससे मजे लेगी ,उससे अपनी चूत चटवायेगी। मैं भी कच्ची कलियों को तो खूब रगड़ रगड़ के भोगती हूँ ,लेकिन तेरे ऐसे लन्ड को देख के उसे भी नहीं छोड़ती हूँ , ज्यादातर औरतें लड़कियां ,शायद ही कोई ऐसी हों जिन्होंने एक दुसरे के देह का रस नहीं लिया हो। ननद भौजाई का तो रिश्ता है इस पर बना है। लेकिन इसका मतलब ये थोड़े है की वो हार्डकोर लेस्बियन हो गयीं और उन्हें लड़के नहीं पसन्द है।
अरे ऐसे के लिए ' बाई ' शब्द है , जो दोनों का मजा लेते है , तो बस उसी तरह से तू भी लड़कों का भी मजा ले और लड़कियों का भी।
अपनी माँ बहनों को चोद और गांड मरवाने का भी मजा ले। "
मम्मी ने फैसला सूना दिया था। लेकिन एक सवाल और दाग दिया ,
" तू जानता है किसी को जिसे गांड मारने ,मरवाने का शौक हो , . "
अबकी उन्होंने ख़ुशी से अपना ज्ञान प्रदर्शित किया ,
हंस के बोले ,
' बहुतों को , अपने कमल जीजू ही, पूरे कालेज में मशहूर थे गांड मारने के लिए। शायद ही कोई चिकना माल बचता था उनसे ,
कॉलेज में मुझसे तीन साल सीनियर थे ,
और जिसकी वो एक बार मार लेते थे खुद ही अगली बार उनके सामने पहुँच जाता था अपनी नेकर सरका के,
और आके सबको गाता था कित्ता मजा आया उसे मरवाने में। "
"एकदम, सही बोला तू लेकिन तुझे मालूम पहली रात ही उन्होंने चीनू की ऐसी फाड़ दी की , और अगली सुबह उसे टाँके लगवाना पड़ा। तो बोल न , वो गे थोड़े ही हो गए , अरे वो मैक्सिसमम मजे वाला है जैसे मैं हूँ मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ती।
और जो लोग लड़कियों की गांड मारते है ,आधी ब्ल्यू फ़िल्में तो ऐनल सेक्स की होती हैं , तो वो क्या अननेचुरल है , फिर तो मुंह में चुसवाना , चूंची चोदना भी ,. अच्छा चल ये बोल तेरे साथ कॉलेज में कोई था जो मरवाता था। "
मम्मी ने अगला सवाल पूछा।
ये कन्फेशन टाइम था ,
" अरे मम्मी ये पूछिये कौन नहीं था , मेरा कॉलेज ,ब्वायज हाई कॉलेज तो इसी बात के लिए मशहूर था। ८० % से ज्यादा लड़के , मेरी भी तो चार पांच बार , ,बहुत मेरे पीछे पड़े थे ,लेकिन बस मैं हर बार बाल बाल बच गया। मेरे कितने क्लोज फ्रेंड्स थे रेगुलर ,बिना नागा मरवाते थे"
लेकिन ,. . " लेकिन उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था।
" अरे अब क्या लेकिन ,
मम्मी ने अब उन्हें हड़काते हुए जोर जोर से उनके चूतड़ पे दो चांटे जमाये।
" डर लगता है ,दर्द बहुत होगा पहली बार। "
वो हिचकते हुए बोले।
" अरे वो तो तेरी बहन को भी होगा जिस की तू कोरी चूत फाड़ेगा , तो क्या तू छोड़ेगा उसको दर्द के डर से। अरे डर तो मन का होता है ,चल तुझे दो ट्रिक बताती हूँ , पहले तो लन्ड को खूब चूसना ,खास तौर से सुपाड़े को ,खूब थूक लगा देना। एक तो वो चिकना हो जाएगा , दूसरा तेरे मन से लन्ड का डर निकल जाएगा।
एक बात और करना , गांड खूब ढीली रखना ,बस असली दर्द तो तब होता है जब गांड का छल्ला पार होगा ,लेकिन ढीली रखोगे तो चला जायेगा ,और जहाँ दो चार बार गया , फिर तो मजे ही मजे हैं। "
उन्हें चूमते मम्मी बोलीं।
मसाला भून गया था , वो कढाई उतारने में लग गए और मैं किचेन से बाहर चली आयी।
उनकी सास , मेरी सास
मसाला भून गया था , वो कढाई उतारने में लग गए और मैं किचेन से बाहर चली आयी।
खाने की टेबल पर भी दोनों लोग चालू थे , मम्मी की छेड़छाड़ , खास तौर से उनके मायकेवालियों को लेकर।
उनकी समधन और मेरी छोटी ननद दोनों उनके निशाने पर थी।
और वो भी अब मम्मी की हाँ में हाँ मिला रहे थे थे , हंस के खुल के मेरी सास और और अपनी टीनेज ममेरी बहन के बारे में ऐसी ऐसी बातें कर रही थे की , . बस।
और यही नहीं मम्मी ने अबकी उन्ही से अपनी समधन को फोन कराया , मेरी सास की ट्रेन बस एक घण्टे में थी , वो निकलने वाली ही थीं , लेकिन खूब लहक लहक के उन्होंने बातें की बल्कि तीन बार कहलवाया भी की तीरथ से लौट के बस अगले दिन ही वो हम लोगों के पास आएँगी ,
लेकिन जब उन्होंने पूछा की सब तैयारी हो गयी तो मम्मी ने उनके हाथ से फोन लेते हुए बोला ( आफ जोर्स स्पीकर फोन आन था )
" अरे इसका मतलब है की इसकी मातृभूमि साफ़ सूफ कर ली है न ,चिक्कन मुक्कन ,आपका लौंडा नम्बरी चूत चटोरा है। अभी से इसकी जीभ लपलपा रही है ,सोच सोच के टनटना रहा है। "
कहने की बात नहीं ,मम्मी ने उनके शार्ट से उनका खूँटा बाहर कर दिया था और जोर जोर से रगड़ मसल रही थीं।
लेकिन बजाय बुरा मानने के मेरी सास खिलखिला के हंसी , बोली ,
" एकदम तैयारी कर ली है , और इसके पास आउंगी तो एक बार फिर से ,. कर लूंगी। :"
" और इतनी पूजा मनौती करियेगा तो एक मेरी भी अर्जी लगा दीजियेगा , "
मम्मी ने गुजारिश की।
" एकदम बोलिये न आपकी इच्छा तो मेरी इच्छा से भी पहले पूरी होगी , एकदम अर्जी लगाउंगी। "
मेरी सास हंस के बोलीं।
" मेरा दामाद आपकी ओखली में धमाधम मूसल चलाये , दिन रात ,"
मम्मी ने आज एकदम खुल के बोल दिया।
वो बीर बहूटी हो गए ,लजा के लेकिन मम्मी ने एकझटके से ऐसे रगड़ा की चमड़ा हट के मोटा सुपाड़ा बाहर ,
और उनकी मम्मी के जवाब ने तो उनकी और हालत और खराब कर दी. हँसते हुए वो बोलीं ,
" फिर तो मेरी और आपकी अर्जी एक ही हुयी , जरूर पूरी होगी ,डबल जोर जो है।
बस दस दिन बाद मैं लौट के आ जाउंगी , आप तो आइयेगा ही न बस उसके अगले दिन आपके दामाद के पास। "
पीछे से मेरी जेठानी की बार बार आवाज आ रही जल्दी चलिए ट्रेन का टाइम होने वाला है।
मेरी सास फोन रखतीं उसके पहले मॉम से फोन ले के मैंने फोन पर ही अपने सास का पैर छुआ , बेस्ट आफ जर्नी बोला ,
और भी की चलती गाडी से कोई अंग बाहर नहीं निकालिएगा। "
पर मम्मी भी , पीछे से उन्होंने स्पीकर फोन पर ही टुकड़ा जोड़ा, अरे तू गाडी से अंग निकालने की बात कर रही है या साडी से।
मेरी सास जोर से खिलखलाने लगीं और बोलीं ,बहू तेरी कई मिनती हो तो बता दे , वो भी मान लूंगी ,जरूर पूरी होगी। "
मैं क्यों छोड़ती ये मौक़ा ,हंस के बोली ,
" बस वही जो मम्मी ने आप को बताया था और आप की भी है , बस आप दोनों की अर्जी में मेरी भी जोड़ दीजियेगा। "
लेकिन मेरी सास भी ,एकदम मेरी सास थीं अपनी समधन की परफेक्ट समधन , तुरंत हंस के बोलीं ,
" एकदम अब हम तीनों की अर्जी है तो जरूर पूरी होगी ,लेकिन एक बात ये जरूर है की तू अपने मरद की पक्की चमची है।
पर ये समझ ले साफ़ तेरी सास न सिर्फ तेरे मरद से बल्कि तुझसे भी पूरी सेवा करवाएगी।
मैं बहू बेटे में कोई फर्क नहीं करती। हर तरह का स्वाद लेती हूँ। '
पीछे से मेरी जेठानी ने फिर से देर होने का उलाहना दिया तो मैं उनको क्यों बख्शती , सासु जी से मैं बोली ,
" एकदम मम्मी आप आइये तो , हम दोनों आपकी सेवा के लिए बेताब हो रहे हैं। और वो आपकी बड़ी बहू जल्दी जल्दी कर रही हैं उनसे बोल दीजिये न हमने नेट से चेक कर लिया है ,गाडी पूरे ४२ मिनट लेट है। असली बात ये है की आपकी बड़ी बहू ने किसी यार को टाइम दे रखा है बस इसी लिए आप लोगों को भेजने की जल्दी है , और इसी लिए हम लोग परसों आ रहे है जिससे एक रात का मौका उनको और मिल जाए। और उसके बाद तो मैं उनके देवर को ला ही रही हूँ ,देवर भाभी अपनी पुरानी यादें ताजा कर लेंगे। "
सासु जी खिलखला के बोलीं ,
" देवरानी जेठानी के बीच में मैं नहीं पड़ती , और देवर भाभी के बीच तो एकदम नहीं। परसों तू दोनों आ ही रहे हो सलट लेना आपस में। अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर हां है ,इसलिए। निकलती हूँ , और तेरी अर्जी जरूर लगाउंगी ,पक्की पूरी होगी। "
और उन्होंने फोन रख दिया।
फिर तो मैंने और मम्मी ने मिल के उन्हें ऐसा चिढाया ,
छुटकी ननदिया
और मम्मी ने भी रात में साढ़े ग्यारह बजे उनसे गुड्डी को भी फोन लगवाया ,पूरे पौन घण्टे बात की दोनों ने।
" भईया ,इत्ती रात को , . "
अलसाती ,अंगड़ाई लेती आवाज में गुड्डी बोली।
थोड़ी शिकायत,थोड़ी नखड़ा।
" क्यों रात को नहीं कर सकता क्या मैं ,"
वो सीधे मम्मी के सिखाये लेवल पर आ गए ,पर मेरी छिनार ननदिया,दुहरी मीनिंग वाले डायलाग बोलने में उनसे भी २० थी।
बड़ी अदा से वो शोख किशोरी बोलीं,
" एकदम कर सकते हो भैया आप ,चाहे दिन को चाहे रात को , मैं मना नहीं करुँगी। "
फिर कुछ रुक के बोली ,
"लेकिन आज दिन में किया था न फिर से रात में ,"
वो लेवल बढ़ाती जा रही थी , उन्हें उकसा रही थी।
और अब वो भी पक्के बेशर्म ,लौंडिया पटाने में एक नम्बर के , वो भी बोले ,
" क्यों एक बार कर लूंगा तो दुबारा नहीं करवाएगी तू ,:
मुझे लगा अब वो गुस्सा हो जाएगी , या फोन रख देगी पर वो भी ,
कुछ देर वो खिलखलाती रही ,फिर बोली ,
" अरे भैया लगता है तुझे कुछ हो गया है ,इत्ती रात को ऐसी ऐसी बातें ,. "
फिर कुछ रुक के सीरियस होती बोली ,
" भइया तू नम्बरी भुलक्कड़ हो। दिन में क्या बोला था मैंने , भूल गए इतनी जल्दी। अरे मैंने बोला था , तू ही पीछे हट जाते हो मैंने आज तक मना नही किया। फिर ये भी तो कहा था न की मान लो मैं मना करूँ भी , तो कोई जरूरी है तू मान जा। "
" एकदम नहीं मानूँगा , मेरे पीछे हटने का सवाल ही नहीं ,अब तुझे भी पीछे नहीं हटने दूंगा ,और नहीं मानेगी तो जबरदस्ती। "
" उफ़्फ़ जबरदस्ती , ऐसे तो न थे आप ,खिलखलाती वो बोली ,फिर हंस के कहा , अच्छा समझी ,भाभी ने बताया था न दिन में ,उनकी पांच दिन की छुट्टी चल रही है इस लिए इतने जोश में हो आप। "
गुड्डी भी न ,
फिर गुड्डी ने उन्हें और उकसाया ,
" अच्छा चलिए आप इतना बोल रहे हो न तो बोलो ,क्या करोगे जबरदस्ती ,ज़रा मैं भी तो देखूं अपने प्यारे प्यारे भइय्या की हिम्मत। "
एक पल केलिए वो रुके ,
एकदम जोश में आ चुके थे वो ,पहले तो मेरी सास से एकदम खुल्लमखुल्ला और फिर अब ये छिनार ननद तो और ,.
तंबू पूरा तना और ऊपर से मम्मी ने शार्ट खींचकर उसे बाहर भी कर दिया ,
" तेरी ले लूंगा ,आने तो दो मुझे। "
" क्या ले लोगे ," गुड्डी अब भी उन्हें छेड़ रही थी ,चढ़ा रही थी
" सब कुछ ,कुछ भी नहीं छोडूंगा। " वो भी अब जोश में थे।
" पहले आओ तो , अभी भी ३४ घंटे १८ मिनट बचे है तेरे यहां आने में। "
बड़ी शिकायत से तल्खी भरे अंदाज में वो बोली।
लेकिन वो अब मूड में आ गए थे बोलते रहे ,
बोले ,
" तेरे गुलाबी होंठ ,प्यारे प्यारे गाल , . मीठी सी चुम्मी ,. आगे बोलूं क्या क्या लूंगा। "
" नहीं नहीं , अब मुझे नींद आ रही है सोने जा रही हूँ , . "
वो हंस के बोली।
" आ जाऊं मैं भी , बाकी का सपने में बता दूंगा क्या क्या लेनी है तेरी। "
वो अब एकदम जोश में थे।
"एकदम भैय्या आओ न , फिर कुछ रुक के हलके से बोली ,
" मैं तो तुझे सच में भी मना नहीं करुँगी ,सपने में कौन मना करता है , गुड नाइट एंड स्वीट ड्रीम ,लेकिन सपने में आना जरूर। "
और गुड्डी ने फोन काट दिया।
' साली ,छिनार , ऊँगली कर रही होगी तेरे लन्ड के बारे में सोच सोच के " मम्मी ने उनका लन्ड मुठियाते बोला ,
फिर जोड़ा ,
" देख न,कैसे गीली हो रही थी ,कित्ते मोटे मोटे चींटे काट रहे थे हरामजादी की चूत में ,
अरे जा रहे हो परसों तो पहला मौका पाते ही चांप देना ,वरना इतना गरमाई है किसी से भी भरतपुर लुटवा लेगी। "
" एकदम मम्मी। "
उन्होंने हामी भरी।
गुड्डी रानी
तभी फिर फोन की घंटी बजी ,वही थी ,गुड्डी मेरी ननद।
और अबकी फोन उठा के मैंने उन्हें दे दिया।
आफ कोर्स ,स्पीकर फोन आन था। मैं और मम्मी उन दोनों की हर बात सुन रहे थे।
" आज बहुत इन्तजार कराया भैय्या , तूने। "
बड़े नखड़े से गुड्डी बोली।
" अरे इन्तजार का फल बहुत मीठा होता है। "
आज वो भी मूड में थे ,उसे चिढाते बोले।
" अच्छा जी , तो कब मिलेगा ,वो मीठा वाला फल। "
उसी अदा से उस शोख ने जवाब दिया।
" बहुत जल्द , बस परसों ,४८ घंटे के अंदर , मैं तेरे सामने होऊंगा। "
ख़ुशी से वो बोले
अब उनकी ममेरी बहन की आवाज से भी ख़ुशी छलक रही थी , खिलखिलाती वो बोली।
" सच्ची ,चलिए आप भी याद करियेगा किसी दिल वाली से पाला पड़ा था। "
गुड्डी बोली।
उसे चिढाते , वो बोले ,
" क्या बोली तू , बिल वाली ,लगता है लाइन में कुछ प्राब्लम है जोर से बोल न ,साफ़ सुनाई नहीं दे रहा। "
मुझे लगा की अब मेरी ननदिया गुस्सा हो जायेगी ,लेकिन आज वो भी गरमाई हुयी थी , पहले तो जोर से हंसी , फिर बोली ,
" दुष्ट ,बदमाश। मुझे सब मालूम है ,प्राब्लम कहाँ है , तू भी न ,आओ जल्दी बताती हूँ ,पिटाई करनी पड़ेगी सब सही हो जाएगा। "
और फिर वो खुद बोली ,
" भैया आपने इंतजार तो बहुत करवाया है लेकिन कभी चखाया नहीं ,कैसा होता है ये फल , "
अब वो भी उन्ही के लेवल पर आ रही थी।
मैं और मम्मी सोच रहे थे देखें ये क्या जवाब देते हैं लेकिन मम्मी की ट्रेनिंग का अब इनपर पूरा असर हो गया था ,बोले ,
" तूने केला देखा है न ,. "
वो भी एकदम पक्की छिनार , हंस के उन की बात काटती बोली ,
" अरे भैय्या ,समझते क्या हो मुझको अब बच्ची नहीं हूँ। अरे देखा भी है ,छुआ है ,पकड़ा है ,चखा भी है , वो छोटा वाला न। "
" तभी तो मैं कहता हूँ तू न अभी भी बच्ची है ,अरे छोटा वाला नहीं , बड़ा वाला , पूरे ७ इंच का , और मोटा भी खूब ,. "
वो भी अब रंग में थे।
और मैं भी उनको और गरम करने के लिए अब खूब जोर जोर से चूसने लगी ,
साथ में मेरी तर्जनी जो ऊनके पिछवाड़े के छेद पर घिसर मसर कर रही थी ,
सटाक से गांड के अंदर घुस गयी।
हलके से उन्होंने सिसकी ली और उधर से उनकी उस छिनार बहना की भी सैक्सी सिसकी सुनाई पड़ा ,
पक्का उसकी ऊँगली भी उसकी पैंटी के अंदर रगड़ घिस्स कर रही होगी।
गुड्डी अब पूरे जोश में थी और थी भी वो बचपन की छिनार , बड़ी अदा से ठंडी सांस लेते बोली ,
" भैया , सच में इत्ता बड़ा , इत्ता लंबा , उईईइ ये तो बहुत ही बड़ा है। "
इन्तजार
गुड्डी अब पूरे जोश में थी और थी भी वो बचपन की छिनार , बड़ी अदा से ठंडी सांस लेते बोली ,
" भैया , सच में इत्ता बड़ा , इत्ता लंबा , उईईइ ये तो बहुत ही बड़ा है। "
" अरे तूने इन्तजार भी तो बहुत लंबा किया है , जित्ता लंबा इन्तजार उत्ता लंबा , . "
वो भी अब आलमोस्ट खुल के ,.
"न न भइय्या , मेरी तो सोच के हालात खराब हो रही तू सच बोल रहे हो ,परसों ,. लेकिन क्या एकबार में ,. "
अब वो खुल के सिसक रही थी ,लंबी साँसे लेरही थी जैसे जोर जोर से ऊँगली कर रही हो अपनी चुनमुनिया में।
" और क्या एकबार में ,. पूरा , और सिर्फ एक बार नहीं बार बार , आठ दिन रहूंगा मैं तेरे पास ,इत्ते दिन बाद मिलूंगा तुझसे , तू ही तो कह रही थी बहुत इन्तजार किया तूने। "
मैंने उनकी गांड में ऊँगली जोर जोर से गोल गोल घुमाने के साथ अब सीधे उनकी प्रोस्ट्रेट पर दबाना शुरू कर दिया ,
वो एकदम झड़ने के कगार पर थे।
उनकी सिसकी , सेक्सी साँसे उस तक भी पंहुंच रही थी ,
" क्यों भैया कुछ हो रहा है क्या , "
वो सिसकते हुए बोली।
" अरे , तुझसे बात करूँ और कुछ हो न कैसे हो सकता है। "
वो बोले लेकिन साथ साथ झड़ने भी लगे ,मुठियाने ,चूसने और गांड में ऊँगली का असर तो था ही साथ में उस छिनार से बात का भी असर था।
और उधर वो भी पक्का झड़ रही थी , फोन रखतीजोर जोर से हंसती बोली ,
" ठीक है भैया वेट करुँगी ,तुम्हारा सच में बहुत मन करता है ,जल्दी से आ जाओ न परसों। "
वो बार बार झड़ रहे थे , अपनी उस मस्त माल को याद करके ,कम से कम कटोरी भर मलाई उन्होंने मेरे मुंह में छोड़ा होगा।
और मैं भी जब तक वो झड़ते रहे ,उनकी कसी गांड में मैं घसर मसर ऊँगली करती रही ,
फिर उन्हें चूमते हुए सारी उनकी मलाई उनके मुंह में ,मैंने और मुंझसे ज्यादा उनकी सास ने उन्हें कम स्लट बना था।
झड़ें वो कहीं लेकिन सारी मलाई वापस उन्ही के मुंह में जाती थी।
दो चार बड़ी बड़ी बूंदे गाढ़ी थक्केदार , उनके होंठों पर लगी थी ,
उनकी सास ने वहां से अपनी ऊँगली पर ले के सीधे उनके पिछवाड़े चुपड़ दिया ,और आशीष भी दिया ,
" अरे इस मस्त कोरे छेद में खूब गाढ़ी गाढ़ी मलाई अंदर जाए ,
नयी सुहागन की तरह तेरी गांड से भी हरदम रबड़ी मलाई छलकती रहे ,
जल्द ही मेरे समधन के भोंसडे से भी चौड़ा हो जाए। "
और फिर मम्मी ने उनकी बहन के बारे में भी बोला ,
"देखा कित्ता मस्त झड़ी ,सीधे बाथरूम गयी होगी।
और इत्ता जोर जोर से हँस रही थी ,हंसी तो फंसी ,
बस अब पहला मौक़ा पाते ही उसे निहुराओ ,सटाओ और घुसेड़ दो ,एक झटके में पूरा ७ इंच। "
वो बोले नहीं ,
लेकिन उनकी मुस्कराहट और चेहरे की दमक कह रही थी ,
"एकदम मम्मी।'
मॉम का आखिरी दिन
मॉम का आखिरी दिन था और वो कुछ भी कर रहे थे , बस मॉम किसी तरह खुश रहें।
और मॉम भी एकदम उन्हें चिपकाये, एक मिनट के लिए भी एक दूसरे को दोनों छोड़ नहीं रहे थे।
और साथ में मम्मी की ट्रेनिंग भी ,
उन्हें सिखाना पढ़ाना ,उनकी आदते सुधारना जारी था।
मम्मी का सारा सामान भी उन्होंने ही पैक किया अपने हाथ से।
मम्मी ने यहां तक की उस समय की अपनी पहनी ब्रा और पैंटी भी उन्हें उतार के दे दी ,
वो उसे चूम के अपनी वार्डरोब में रखने लगे तो ,
डाँट और चपत एक साथ पड़ गयी उन्हें ,
अरे बुद्धू तुझे पहनने के लिए दिया है , चल पहन अभी।
अरे तुझ तुझे इससे लगेगा न की मैं तेरे पास हूँ।
किचेन में भी मम्मी उनके साथ ,शाम का खाना उन्ही दोनों के जिम्मे था।
मम्मी उन्हें धीमी आंच पर मसाला भूनना सिखा रही थी ,
और साथ में मम्मी का एक हाथ उनके गुदाज गोरे चिकने पिछवाड़े को सहला रहा था , और एक अँगली का अंदर घुसा हुआ था , मम्मी कभी उनके इयर लोब्स को हलके से बाइट कर लेतीं ,कभी अपने भारी जोबन उनके पीठ पर रगड़ देतीं ,
और हलके हलके उनके कान में बोल रही थीं ,
मैं किचेन में किसी काम से गयी , और उन लोगों की फुसफुसाती आवाज,
" अरे तू फालतू में घबड़ाता है ,बेकार में झिझकता है। सिर्फ गांड मराने से कोई गे थोड़े ही हो जाता है।
अरे तुझे तो बुर चोदने का इत्ता जबरदस्त शौक है और सच बोलूं तो तू चोदता भी जबरदस्त है।
और अभी अपने मायके जाएगा न , तो अपनी कच्ची कुँवारी बहन को ,
और फिर अब तो तेरी माँ के भोसड़े में घुसने का इंतजाम पक्का हो गया है , बस दस दिन बाद मैं आउंगी तो ले आउंगी , तो चोदना मेरी समधन को ,. "
" नहीं लेकिन ,. " अभी भी उनमें कुछ झिझक थी। कढ़ाई में हलके हलके कलछुल चलाते वो बोले।
" नहीं लेकिन मतलब , क्या तू मेरी समधन को नहीं चोदना चाहता , "
मम्मी ने उनके गाल को हलके से बाइट करते पूछा और मुझे सुनते देख के हलके से आँख मार दी।
" नहीं नहीं , उन्हें तो मैं कब से , . मेरा मतलब कब से चोदना चाहता हूँ ,जरूर पेलुँगा भले ही थोड़ी जबरदस्ती करनी पड़े ,मैं उस के बारे में सोच रहा था ,. "
वो बहुत हलके से बोले।
" अरे साफ़ साफ़ क्यों नहीं गांड मरवाने के बारे में सोच रहे थे।
अरे भंडुए ,मादरचोद , इसमें तुझे क्या सोचना है , तुझे तो बस निहुर जाना है , कुतिया बन के , लेट जाना है ,
बस आगे का काम तो गांड मारने वाला करेगा।
अरे कुछ दिन गांड मरवा लेगा न तो तू खुद ही लौंडेबाज ढूंढेगा। "
और ये बोलने के साथ मम्मी ने उनकी गांड में घुसी ऊँगली आधी और ठेल दी।
" नहीं लेकिन लोग , कुछ गलत नहीं है ,इसमें ,. " उन्होंने अपने मन की आशंका साफ़ साफ़ उगल दी।
" गलत क्यों है ,देख तू अपनी बहना को फंसा के लाएगा , तो तेरी बीबी भी तो उससे मजे लेगी ,उससे अपनी चूत चटवायेगी। मैं भी कच्ची कलियों को तो खूब रगड़ रगड़ के भोगती हूँ ,लेकिन तेरे ऐसे लन्ड को देख के उसे भी नहीं छोड़ती हूँ , ज्यादातर औरतें लड़कियां ,शायद ही कोई ऐसी हों जिन्होंने एक दुसरे के देह का रस नहीं लिया हो। ननद भौजाई का तो रिश्ता है इस पर बना है। लेकिन इसका मतलब ये थोड़े है की वो हार्डकोर लेस्बियन हो गयीं और उन्हें लड़के नहीं पसन्द है।
अरे ऐसे के लिए ' बाई ' शब्द है , जो दोनों का मजा लेते है , तो बस उसी तरह से तू भी लड़कों का भी मजा ले और लड़कियों का भी।
अपनी माँ बहनों को चोद और गांड मरवाने का भी मजा ले। "
मम्मी ने फैसला सूना दिया था। लेकिन एक सवाल और दाग दिया ,
" तू जानता है किसी को जिसे गांड मारने ,मरवाने का शौक हो , . "
अबकी उन्होंने ख़ुशी से अपना ज्ञान प्रदर्शित किया ,
हंस के बोले ,
' बहुतों को , अपने कमल जीजू ही, पूरे कालेज में मशहूर थे गांड मारने के लिए। शायद ही कोई चिकना माल बचता था उनसे ,
कॉलेज में मुझसे तीन साल सीनियर थे ,
और जिसकी वो एक बार मार लेते थे खुद ही अगली बार उनके सामने पहुँच जाता था अपनी नेकर सरका के,
और आके सबको गाता था कित्ता मजा आया उसे मरवाने में। "
"एकदम, सही बोला तू लेकिन तुझे मालूम पहली रात ही उन्होंने चीनू की ऐसी फाड़ दी की , और अगली सुबह उसे टाँके लगवाना पड़ा। तो बोल न , वो गे थोड़े ही हो गए , अरे वो मैक्सिसमम मजे वाला है जैसे मैं हूँ मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ती।
और जो लोग लड़कियों की गांड मारते है ,आधी ब्ल्यू फ़िल्में तो ऐनल सेक्स की होती हैं , तो वो क्या अननेचुरल है , फिर तो मुंह में चुसवाना , चूंची चोदना भी ,. अच्छा चल ये बोल तेरे साथ कॉलेज में कोई था जो मरवाता था। "
मम्मी ने अगला सवाल पूछा।
ये कन्फेशन टाइम था ,
" अरे मम्मी ये पूछिये कौन नहीं था , मेरा कॉलेज ,ब्वायज हाई कॉलेज तो इसी बात के लिए मशहूर था। ८० % से ज्यादा लड़के , मेरी भी तो चार पांच बार , ,बहुत मेरे पीछे पड़े थे ,लेकिन बस मैं हर बार बाल बाल बच गया। मेरे कितने क्लोज फ्रेंड्स थे रेगुलर ,बिना नागा मरवाते थे"
लेकिन ,. . " लेकिन उनका पीछा नहीं छोड़ रहा था।
" अरे अब क्या लेकिन ,
मम्मी ने अब उन्हें हड़काते हुए जोर जोर से उनके चूतड़ पे दो चांटे जमाये।
" डर लगता है ,दर्द बहुत होगा पहली बार। "
वो हिचकते हुए बोले।
" अरे वो तो तेरी बहन को भी होगा जिस की तू कोरी चूत फाड़ेगा , तो क्या तू छोड़ेगा उसको दर्द के डर से। अरे डर तो मन का होता है ,चल तुझे दो ट्रिक बताती हूँ , पहले तो लन्ड को खूब चूसना ,खास तौर से सुपाड़े को ,खूब थूक लगा देना। एक तो वो चिकना हो जाएगा , दूसरा तेरे मन से लन्ड का डर निकल जाएगा।
एक बात और करना , गांड खूब ढीली रखना ,बस असली दर्द तो तब होता है जब गांड का छल्ला पार होगा ,लेकिन ढीली रखोगे तो चला जायेगा ,और जहाँ दो चार बार गया , फिर तो मजे ही मजे हैं। "
उन्हें चूमते मम्मी बोलीं।
मसाला भून गया था , वो कढाई उतारने में लग गए और मैं किचेन से बाहर चली आयी।
उनकी सास , मेरी सास
मसाला भून गया था , वो कढाई उतारने में लग गए और मैं किचेन से बाहर चली आयी।
खाने की टेबल पर भी दोनों लोग चालू थे , मम्मी की छेड़छाड़ , खास तौर से उनके मायकेवालियों को लेकर।
उनकी समधन और मेरी छोटी ननद दोनों उनके निशाने पर थी।
और वो भी अब मम्मी की हाँ में हाँ मिला रहे थे थे , हंस के खुल के मेरी सास और और अपनी टीनेज ममेरी बहन के बारे में ऐसी ऐसी बातें कर रही थे की , . बस।
और यही नहीं मम्मी ने अबकी उन्ही से अपनी समधन को फोन कराया , मेरी सास की ट्रेन बस एक घण्टे में थी , वो निकलने वाली ही थीं , लेकिन खूब लहक लहक के उन्होंने बातें की बल्कि तीन बार कहलवाया भी की तीरथ से लौट के बस अगले दिन ही वो हम लोगों के पास आएँगी ,
लेकिन जब उन्होंने पूछा की सब तैयारी हो गयी तो मम्मी ने उनके हाथ से फोन लेते हुए बोला ( आफ जोर्स स्पीकर फोन आन था )
" अरे इसका मतलब है की इसकी मातृभूमि साफ़ सूफ कर ली है न ,चिक्कन मुक्कन ,आपका लौंडा नम्बरी चूत चटोरा है। अभी से इसकी जीभ लपलपा रही है ,सोच सोच के टनटना रहा है। "
कहने की बात नहीं ,मम्मी ने उनके शार्ट से उनका खूँटा बाहर कर दिया था और जोर जोर से रगड़ मसल रही थीं।
लेकिन बजाय बुरा मानने के मेरी सास खिलखिला के हंसी , बोली ,
" एकदम तैयारी कर ली है , और इसके पास आउंगी तो एक बार फिर से ,. कर लूंगी। :"
" और इतनी पूजा मनौती करियेगा तो एक मेरी भी अर्जी लगा दीजियेगा , "
मम्मी ने गुजारिश की।
" एकदम बोलिये न आपकी इच्छा तो मेरी इच्छा से भी पहले पूरी होगी , एकदम अर्जी लगाउंगी। "
मेरी सास हंस के बोलीं।
" मेरा दामाद आपकी ओखली में धमाधम मूसल चलाये , दिन रात ,"
मम्मी ने आज एकदम खुल के बोल दिया।
वो बीर बहूटी हो गए ,लजा के लेकिन मम्मी ने एकझटके से ऐसे रगड़ा की चमड़ा हट के मोटा सुपाड़ा बाहर ,
और उनकी मम्मी के जवाब ने तो उनकी और हालत और खराब कर दी. हँसते हुए वो बोलीं ,
" फिर तो मेरी और आपकी अर्जी एक ही हुयी , जरूर पूरी होगी ,डबल जोर जो है।
बस दस दिन बाद मैं लौट के आ जाउंगी , आप तो आइयेगा ही न बस उसके अगले दिन आपके दामाद के पास। "
पीछे से मेरी जेठानी की बार बार आवाज आ रही जल्दी चलिए ट्रेन का टाइम होने वाला है।
मेरी सास फोन रखतीं उसके पहले मॉम से फोन ले के मैंने फोन पर ही अपने सास का पैर छुआ , बेस्ट आफ जर्नी बोला ,
और भी की चलती गाडी से कोई अंग बाहर नहीं निकालिएगा। "
पर मम्मी भी , पीछे से उन्होंने स्पीकर फोन पर ही टुकड़ा जोड़ा, अरे तू गाडी से अंग निकालने की बात कर रही है या साडी से।
मेरी सास जोर से खिलखलाने लगीं और बोलीं ,बहू तेरी कई मिनती हो तो बता दे , वो भी मान लूंगी ,जरूर पूरी होगी। "
मैं क्यों छोड़ती ये मौक़ा ,हंस के बोली ,
" बस वही जो मम्मी ने आप को बताया था और आप की भी है , बस आप दोनों की अर्जी में मेरी भी जोड़ दीजियेगा। "
लेकिन मेरी सास भी ,एकदम मेरी सास थीं अपनी समधन की परफेक्ट समधन , तुरंत हंस के बोलीं ,
" एकदम अब हम तीनों की अर्जी है तो जरूर पूरी होगी ,लेकिन एक बात ये जरूर है की तू अपने मरद की पक्की चमची है।
पर ये समझ ले साफ़ तेरी सास न सिर्फ तेरे मरद से बल्कि तुझसे भी पूरी सेवा करवाएगी।
मैं बहू बेटे में कोई फर्क नहीं करती। हर तरह का स्वाद लेती हूँ। '
पीछे से मेरी जेठानी ने फिर से देर होने का उलाहना दिया तो मैं उनको क्यों बख्शती , सासु जी से मैं बोली ,
" एकदम मम्मी आप आइये तो , हम दोनों आपकी सेवा के लिए बेताब हो रहे हैं। और वो आपकी बड़ी बहू जल्दी जल्दी कर रही हैं उनसे बोल दीजिये न हमने नेट से चेक कर लिया है ,गाडी पूरे ४२ मिनट लेट है। असली बात ये है की आपकी बड़ी बहू ने किसी यार को टाइम दे रखा है बस इसी लिए आप लोगों को भेजने की जल्दी है , और इसी लिए हम लोग परसों आ रहे है जिससे एक रात का मौका उनको और मिल जाए। और उसके बाद तो मैं उनके देवर को ला ही रही हूँ ,देवर भाभी अपनी पुरानी यादें ताजा कर लेंगे। "
सासु जी खिलखला के बोलीं ,
" देवरानी जेठानी के बीच में मैं नहीं पड़ती , और देवर भाभी के बीच तो एकदम नहीं। परसों तू दोनों आ ही रहे हो सलट लेना आपस में। अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर हां है ,इसलिए। निकलती हूँ , और तेरी अर्जी जरूर लगाउंगी ,पक्की पूरी होगी। "
और उन्होंने फोन रख दिया।
फिर तो मैंने और मम्मी ने मिल के उन्हें ऐसा चिढाया ,
छुटकी ननदिया
और मम्मी ने भी रात में साढ़े ग्यारह बजे उनसे गुड्डी को भी फोन लगवाया ,पूरे पौन घण्टे बात की दोनों ने।
" भईया ,इत्ती रात को , . "
अलसाती ,अंगड़ाई लेती आवाज में गुड्डी बोली।
थोड़ी शिकायत,थोड़ी नखड़ा।
" क्यों रात को नहीं कर सकता क्या मैं ,"
वो सीधे मम्मी के सिखाये लेवल पर आ गए ,पर मेरी छिनार ननदिया,दुहरी मीनिंग वाले डायलाग बोलने में उनसे भी २० थी।
बड़ी अदा से वो शोख किशोरी बोलीं,
" एकदम कर सकते हो भैया आप ,चाहे दिन को चाहे रात को , मैं मना नहीं करुँगी। "
फिर कुछ रुक के बोली ,
"लेकिन आज दिन में किया था न फिर से रात में ,"
वो लेवल बढ़ाती जा रही थी , उन्हें उकसा रही थी।
और अब वो भी पक्के बेशर्म ,लौंडिया पटाने में एक नम्बर के , वो भी बोले ,
" क्यों एक बार कर लूंगा तो दुबारा नहीं करवाएगी तू ,:
मुझे लगा अब वो गुस्सा हो जाएगी , या फोन रख देगी पर वो भी ,
कुछ देर वो खिलखलाती रही ,फिर बोली ,
" अरे भैया लगता है तुझे कुछ हो गया है ,इत्ती रात को ऐसी ऐसी बातें ,. "
फिर कुछ रुक के सीरियस होती बोली ,
" भइया तू नम्बरी भुलक्कड़ हो। दिन में क्या बोला था मैंने , भूल गए इतनी जल्दी। अरे मैंने बोला था , तू ही पीछे हट जाते हो मैंने आज तक मना नही किया। फिर ये भी तो कहा था न की मान लो मैं मना करूँ भी , तो कोई जरूरी है तू मान जा। "
" एकदम नहीं मानूँगा , मेरे पीछे हटने का सवाल ही नहीं ,अब तुझे भी पीछे नहीं हटने दूंगा ,और नहीं मानेगी तो जबरदस्ती। "
" उफ़्फ़ जबरदस्ती , ऐसे तो न थे आप ,खिलखलाती वो बोली ,फिर हंस के कहा , अच्छा समझी ,भाभी ने बताया था न दिन में ,उनकी पांच दिन की छुट्टी चल रही है इस लिए इतने जोश में हो आप। "
गुड्डी भी न ,
फिर गुड्डी ने उन्हें और उकसाया ,
" अच्छा चलिए आप इतना बोल रहे हो न तो बोलो ,क्या करोगे जबरदस्ती ,ज़रा मैं भी तो देखूं अपने प्यारे प्यारे भइय्या की हिम्मत। "
एक पल केलिए वो रुके ,
एकदम जोश में आ चुके थे वो ,पहले तो मेरी सास से एकदम खुल्लमखुल्ला और फिर अब ये छिनार ननद तो और ,.
तंबू पूरा तना और ऊपर से मम्मी ने शार्ट खींचकर उसे बाहर भी कर दिया ,
" तेरी ले लूंगा ,आने तो दो मुझे। "
" क्या ले लोगे ," गुड्डी अब भी उन्हें छेड़ रही थी ,चढ़ा रही थी
" सब कुछ ,कुछ भी नहीं छोडूंगा। " वो भी अब जोश में थे।
" पहले आओ तो , अभी भी ३४ घंटे १८ मिनट बचे है तेरे यहां आने में। "
बड़ी शिकायत से तल्खी भरे अंदाज में वो बोली।
लेकिन वो अब मूड में आ गए थे बोलते रहे ,
बोले ,
" तेरे गुलाबी होंठ ,प्यारे प्यारे गाल , . मीठी सी चुम्मी ,. आगे बोलूं क्या क्या लूंगा। "
" नहीं नहीं , अब मुझे नींद आ रही है सोने जा रही हूँ , . "
वो हंस के बोली।
" आ जाऊं मैं भी , बाकी का सपने में बता दूंगा क्या क्या लेनी है तेरी। "
वो अब एकदम जोश में थे।
"एकदम भैय्या आओ न , फिर कुछ रुक के हलके से बोली ,
" मैं तो तुझे सच में भी मना नहीं करुँगी ,सपने में कौन मना करता है , गुड नाइट एंड स्वीट ड्रीम ,लेकिन सपने में आना जरूर। "
और गुड्डी ने फोन काट दिया।
' साली ,छिनार , ऊँगली कर रही होगी तेरे लन्ड के बारे में सोच सोच के " मम्मी ने उनका लन्ड मुठियाते बोला ,
फिर जोड़ा ,
" देख न,कैसे गीली हो रही थी ,कित्ते मोटे मोटे चींटे काट रहे थे हरामजादी की चूत में ,
अरे जा रहे हो परसों तो पहला मौका पाते ही चांप देना ,वरना इतना गरमाई है किसी से भी भरतपुर लुटवा लेगी। "
" एकदम मम्मी। "
उन्होंने हामी भरी।