Episode 52



ऐसी लड़कियां जो गारियाँ शुरू होते ही उछल जाती थी ,

क्या देहाती गँवारू

वो भी आज ,.

मेरे साथ मुझसे भी तेज आवाज में दुहरा रही थीं ,इशारा कर कर के गा रही थीं ,

ज्योती छिनार दबवावे दोनों चूंची चने के खेत में।

मीता मुस्करा रही थी अपने नंबर का इन्तजार करती और उसका भी नम्बर लगवा दिया मैंने ,

चल मेरे घोड़े,चने के खेत में ,चने के खेत में ,

चल मेरे घोड़े चने के खेत में , चने के खेत में ,

चने के खेत में पड़ी थी राई ,अरे पड़ी थी राई

अरे जीजू की बहना की हमारी प्यारी ननदी की ,

अरे मीता रानी की हो रही चुदाई चने के खेत में।

चने के खेत में अरे चने के खेत में ,

मीता छिनार को चोदे हमार भाई ,चने के खेत में।

चल मेरे घोड़े चने के खेत में ,चने के खेत में पड़ा था रोड़ा

अरे मीता बुरचोदो को ले गया घोड़ा चने के खेत में ,

अरे जीजू भंडुए की मीता को ले गया घोड़ा चने के खेत में ,

अरे चोद रहा घोडा ,चने के खेत में

अरे मीता भाईचोदी घोंट रही लौंडा चने के खेत में।

बरात की कोई लड़की बची नही ,और मीता का नाम तो सबसे जोड़ के ,

यहां तक की गधा घोडा कुत्ता कोई नहीं बचा जिस्ससे मैंने उसे न चुदवाया हो।

गाना ख़तम होते ही जबरदस्त शोर हुआ. हमारे घर सारी लड़कियों ने जबरदस्त शोर किया ,भाभियों ने भी।

इसलिए भी की जूता चोरी का मिशन कामयाब हो गया था और जूता ,मीता ज्योति को दिखाते हुए मेरी कस्टडी में कर दिया गया था।

उधर से कोई कमेंट आता उसके पहले ही मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया ,एकदम नया लेकिन उसी तरह हॉट

जीजू का एक दोस्त बार बार अपनी घडी मीता को दिखा रहा थे ,शायद कोई इम्पोर्टेड थी ,

बस उसी को देख के मैं चालू हो गयी ,

अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में ,

अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में ,

अरे दूल्हा की बहिनी के दुई दरवाजा ,

अरे जीजू भंडुवा के बहिनी के दुई दरवाजा

मीता छिनरो के ,ज्योति साली के दुई दरवाजा

अरे मिल के घरतिया बजावे ला बाजा ,

अरे ले भागे कुठरिया में ,सुई डोले

अरे सुई डोले कलाई बिच घड़िया में , सुई डोले

अरे मीता बुजरो खूब चोदवावै , अरे दूल्हा क बहिना खूब चोदवावे

हो खूब चोदवावे ,हो खूब चोदवावे, दूल्हा के सालों से चूंची मिसवावे

चूंची मिजवावै और गाल कटवावे , अरे घोंटे उ लौंडा कुठरिया में ,

सूई डोले ,अरे सूई डोले कलाइ बिच घड़िया में , सुई डोले।

इसी बीच कुछ हम लोगों के यहां लड़के बरातियों को चाय पिला रहे थे तो दो ने मीता और नीतू को टारगेट किया ,

दोनों नखड़े कर रही थी

और मैंने अगला गाना चालु कर दिया ,

लीला लीला हो ननदी लीला ,

अरे दूल्हे की बहना लीला हो ,लीला ,लीला।

अरे मीता छिनार अरे नीतू छिनार तानी लीला हो ,लीला लीला।

अरे चट्ट लीला ,पट्ट लीला घुमा करवट सटासट लीला,

अरे दुनो जांघिया फैलाय ,गपागप लीला।

अबहीं उमरिया बा ननदी क बारी ,

अबहीं उमरिया बा मीता क बारी ,अरे नीतू क बारी

सारे घरतिया सटासट मारी ,सटासट मारी ,

अरे इधर उधर जिन हिला ,अरे भैया हमार ठेल दिहैं किल्ला ,

लीला लीला।

मैंने थोड़ा सा ब्रेक लिया तो संध्या भाभी और बंसती ने मोर्चा सम्हाल लिया ,

पर वो गालियां तो मेरा हरदम मेरा ही नाम लगा के दी जाती थीं इसलिए मुझे पूरा याद थीं ,

गंगा जी तेरा भला करे ,गंगा जी ,

अरे दूल्हा की बहिनी क बुरिया , अरे मीता क बुरिया ज्योती क बुरिया ,

पोखरवा जइसन ,तलबवा जइसन ,

ओहमा ९०० छैला कूदा करे ,मजा लूटा करें ,

बुर चोदा करें ,

गंगा जी ,

अरिया अरिया सगिया लगाया बिचवा लगाएंन चौरैया जी ,

सागवा खोटन चली दूल्हा क बहिना

अरे कमल भंडुवे की बहिना , अरे मीता छिनार अरे नीतू छिनार

गिरी पड़ीं बिछलायी जी ,अरे भोसड़ी में घुस गय लकड़िया जी।

अरे दौड़ा दौड़ा कमल भैया , भोंसड़ी से खींचा लकड़िया जी

अरे गांड़िया से खींचा लकड़िया जी ,

अरे दौडें आये दूल्हे राजा अरे कमल भैया ,

अरे उन्ही के गांडी में घुस गय लकड़िया जी

पूरे पांच घण्टे तक गाने चले। ११ बजे कमल जीजू मंडप में आये थे और पांच बजे सुबह कोहबर के लिए उठे।

कम से कम दो दर्जन से ज्यादा गारियां , मैंने खुद गायीं थी।

बरात में आयी लड़कियों पर तो सबसे ज्यादा लेकिन मैंने जीजू की माँ ,बुआ चाची किसी को नहीं बखसा ,गदहा ,घोडा ,कुत्ता सब का नाम लगा लगा के और आफ कोर्स जीजू का नाम तो सबके साथ जोड़ा।

और जीजू और उनके दोस्तों को भी नाम ले ले के ,

भँडुआ ,गंडुआ ,मादरचोद ,बहनचोद सब ,

और यह प्रेम भरी छेड़छाड़ तो कोहबर में जारी रही ,;लेकिन उसके पहले

मीता आयी मेरे पास ,मेरी सारी गालियों का टारगेट और मुझे अँकवार में भर लिया , बोली।

" आज से आप मेरी सबसे प्यारी वाली ,मीठीं मीठी छुटकी भौजी हो। "

इत्ती गालियां दी थी मैंने उसे ,

पर रिश्ते में में मेरी ननद थी छेड़ने का मौक़ा कैसे छोड़ती मैं ,

कचाक से मीता के गोर गुलाबी मालपुआ ऐसे गाल मुंह में भर के हलके से बाइट ले ली ,

" अरे बिना चखे कैसे पता चलेगा की मेरी फेवरिट ननद कित्ती मीठी है ? "

और जवाब में उसने भी ,मुझसे भी ज्यादा जोर से मेरे गाल को कचकचा के काट लिया और बोली ,

"अरे मेरे भैया से तो कटवाइयेगा ही न तबतक बहन से ही। "

और जवाब मैंने अपने टाइट कुर्ते को फाड़ते भरे भरे जोबन से उसकी चोली में फंसी कच्ची अमिया को कस के रगड़ के दिया।

हम दोनों में पक्की दोस्ती हो गयी थी और असली ननद भाभी का मीठा वाला रिश्ता भी।

तबतक कोहबर की घेरा बन्दी शुरू हो गयी थी और जूते के लिए सौदेबाजी भी ,

मैं अपनी कजिन्स और भौजाइयों के साथ कोहबर के दरवाजे पर मोर्चा लगा के बैठे , और उधर दूल्हे के साथ उनकी बहनें दोस्त सब ,

कोहबर

तबतक कोहबर की घेरा बन्दी शुरू हो गयी थी और जूते के लिए सौदेबाजी भी ,

मैं अपनी कजिन्स और भौजाइयों के साथ कोहबर के दरवाजे पर मोर्चा लगा के बैठे , और उधर दूल्हे के साथ उनकी बहनें दोस्त सब ,

और जीजू के दोस्त भी एकदम खुल के मजाक करने वाले , लेकिन मैं और संध्या भाभी तो थे ही आज हम लोगो के यहां की छुटकियां भी ,

मीता के बगल में कमल जीजू का एक दोस्त खड़ा था ,बोला

" अरे घुसने दीजिये न वरना हम धक्का मार के घुस जाएंगे। "

" लगता था इस छिनार के साथ बहुत धक्का मारने की प्रैक्टिस कर के आये हैं सब बराती।"

मीता की ओर इशारा करके संध्या भाभी ने चिढ़ाया।

" देखिये यहां घुसने का हक़ सिर्फ मेरे जीजू का है , और मैं उन्हें मना भी नहीं करुँगी , बस फ़ीस दे अंदर जाएँ। : "

मैं आँखे नचाते उस लड़के से बोली।

मीता फिर अपने रंग पे आ गयी थी ,

अपने भैया से सटती बोली,

" अरे आप लोग घुसने देने का पैसा चार्ज करती है ,क्या रेट है ,सबका एक ही रेट है या अलग अलग?"

" वो बातें तो हम जीजू से अंदर कर लेंगी लेकिन अभी आप लोग जूते का नेग दीजिये , "

हमारी ओर की एक छुटकी जो उम्र में मीता के ही बराबर रही होगी।

" इस नोटबंदी के जमाने में पैसा कहाँ होगा अरे अपनी मशीन खोलिये , बस भैया अपना कार्ड डाल देंगे , "

नीतू भी अब चहक रही थी।

हमारे घर के लड़के भी बरातियों की लड़कियों के आस पास मंडरा रहे थे।

बंसती हम लोगों से बोलीं , अरे आवे दा दूल्हा के ,

और जब तक हम लोग कुछ समझते , हमारे यहां के लड़को को मीता और नीतू की ओर इशारा करके बोली ,

"इन दोनों को लेजाओ न बहुत गरमा रही हैं इन दोनों की नथ उतराई में ही इतना पैसा मिल जाएगा की सब नेग की रस्म हो जायेगी। "

अंत में समझौता हो गया , लड़कियां जिद कर रही थीं की वो भी अपने भैया के साथ कोहबर में आएँगी।

लेकिन हमने सिर्फ कमल जीजू को अंदर घुसने दिया।

पर वो भी ,टिपिकल कमल जीजू , मुझे दरेरते रगड़ते अंदर घुसे , पर मैं भी तो यही चाहती थी और रास्ता छेंके खड़ी रही।

पर जो नहीं सोचती थी वो भी हुआ ,मौके का फायदा उठा के मेरे टाइट कुर्ते से झांकते दोनों उभारों को जीजू ने कस के दबोच भी लिया।

मौके का फायदा सिर्फ वही उठा सकते थे क्या ,आखिर उनकी छोटी साली थी मैं ,

मैंने भी उस भीड़ धक्का मुक्की में अपने मेंहदी लगे हाथ सीधे उनके बल्ज पे , और जिस ताकत से उन्होंने मेरे कबूतरों को रगड़ा मसला था उससे भी दूनी जोर से ,

आखिर उन्हें भी तो ससुराल का ,कोहबर का और साली का मजा मिलना चाहिए।

कोहबर में खूब रगड़ाई हुयी उनकी , धान कुटवाया गया और साथ में गारियाँ भी ,

धान कूटा हो दूल्हा धान कूटा हो ,अपनी बहिनी क ओखरी में धान कूटा हो /

और छोटी साली होने के नाते सब रस्में भी मैंने कराई ,

दुल्हन के हाथ कमल जीजू को पानी पिलाने का काम ,

( आफ कोर्स ,वो चीनू दी का जूठा था ) ,

दुल्हन के हाथ कमल जीजू को पान खिलाने का काम

( उसके अंदर भी एक छोटा सा पान था जिसे चीनू दी ने घंटो मुंह में रखकर कुचला चुभलाया था )

हमी तीनो थे ,उस समय मैंने मौके का फायदा उठा के कमल जीजू से दिल की बात कह दी ,

( मैंने एकदम खुल कर गालियां दी थीं ,उन्हें भँडुआ ,गंडुआ ,मादरचोद ,बहनचोद सब तो बोला था , सिर्फ मीता और नीतू से नहीं बल्कि उनकी माँ और मौसी से भी रिश्ता जोड़ जोड़ के , तो मुझे लगा की कहीं ज्यादा तो नहीं हो गया )

" जीजू आपने बुरा तो नहीं माना " हिचकते हुए मैं बोल गयी।

पर कमल जीजू न , एकदम मेरे अच्छे वाले प्यारे जीजू , परफेक्ट जीजू ,

बिना इस बात का ख्याल किये की उनकी दुल्हन बगल में बैठी है ,सास और सलहजें भी सुन सकती है , मुस्कराते बोले ,

" अरे बुरवाली की बात का क्या बुरा मानना "

मुझे लगा चीनू दी बुरा मान जाएंगे पर वो भी अब एकदम अपने साजन की हो गयी थीं , . वो मुस्कराने लगीं।

" और जब मैं कुछ करूँगा तो तू बुरा तो नहीं मानेगी न " जीजू मुझसे एडवांस में गारंटी लेना चाहते थे।

मैं मुस्कराते हुए चुप रही ,पर चीनू दी भी न उन्होंने एकदम पाला बदल लिया था , हम बहनों का साथ छोड़ के मेरे जीजू की तरफ चली गयी थी।

मुझे कोहनी मारती बोलीं ,

" अब चुप क्यों है बोल न "

" जीजू , ये बुरवाली बुरा मानने वाली नहीं है , और ये साली आधी घरवाली नहीं डबल घरवाली है ,जित्ता दी के साथ , उसका दूना इस बुरवाली साली के साथ। "

अब हम तीनों में कोई पर्दा नहीं रह गया था ,और कोहबर की शर्त तो हमेशा की शर्त हो जाती है।

लेकिन चीनू दी अगर मेरे कमल जीजू की ओर डिफेक्ट कर गयीं थीं ,मेरा साथ छोड़ के तो मैं क्यों उनका साथ देती।

एक बार फिर से उन दोनों की गाँठ जोड़ते मैंने जीजू को उनके फायदे की बात बता दी ,

" जीजू , पिछले चार दिन से जब से दी की को पांचदिन वाली सहेली गयीं है न ,दी पिल पर हैं। इसलिए आप को बेकार में रबड़ वबड पे पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है , "

चीनू दी ने मुझे घूर के देखा पर मुस्कराहट नहीं रोक पायीं ,अब वो बात तो पता नहीं जीजू से कह पाती की नहीं तो मैंने कह दी।

और मालूम तो सब को था ही की आज रात चीनू दी के साथ क्या होना है।

ननद और भौजाइ

उस रात ,.

अगली सुबह मैं देर से उठी , और जब उठी तो पता चला,.

सोई भी तो बहुत देर से थी, और सोता भी कौन ,

एक बड़े से कमरे में हम ननदों और भौजाइयों के सोने का इंतजाम था , जैसा शादी वाले घर में होता है , जमीन पर बिस्तर लगा हुआ था , गद्दे चद्दर , जाड़े का मौसम था इसलिए खूब मोटी मोटी लंबी लंबी रजाइयां , और बस ,

लिहाफ के अंदर चाहे कोई कच्चे टिकोरे वाली ननद हो या बस अभी झांटे आ रही थी ,

भौजाइयों उसे गपुच लेती थीं , और फिर जोर जबरदस्ती थोड़ी मान मनौवल ,

अरे तेरे भैया नहीं तो आज तेरे हो साथ ,

मेरे ऊपर तो भौजाइयों की 'विशेष कृपा' रहती थी ,

और उस रात तो और ,

शादी के अगले दिन की रात ,कुछ लोग चले गए थे ,बाकी ज्यादातर कल सुबह चले जाने वाले थे ,फिर पता नहीं कब मिलते।

शादी के काम का प्रेशर भी नहीं था। ,. आज आखिरी मौका था , तो ,. कौन सोता कौन सोने देता ,.

मेरे बगल की रजाई में चीनू दी की दो छोटी चचेरी बहने , गीता और नीता थीं , अभी दोनों बारहवे में गयी ही थी ,

और भौजाइयां चालू हो गयी ,

मुश्किल से १० बजा होगा और किसी ने कमरे की बत्ती बंद कर दी ,

" हे मालूम है तुझे तेरी बहन की फट रही होगी इस समय , "

एक भौजी ने गीता से कहा ,

" फट नहीं रही होगी ,अब तक फट गयी होगी , दूल्हा उसका ऐसे छोड़ने वाला नहीं है "

नीलू भाभी ने अपनी राय दी।

अबतक गीता एक भाभी की बाहों में थीं ,

" चल तुझे बताती हूँ की कैसे फटी होगी तेरी दी की आज रात। "

लेकिन तबतक संध्या भाभी मेरे पीछे पड़ गयीं , अरे चल पहले इसकी ले के बताते हैं न , ये लड़कियां भी देख के सीख जाएंगी ,

मेरी रजाई और साया एक साथ उन्होंने नीलू भाभी के साथ पलट दिया ,

फिर तो चीनू दी का नाम ले के , मैं चीनू दी बन के रोल प्ले कर रही थी नीचे से कभी चूतड़ उचका के कभी सिसक के कभी चीख के और

संध्या भाभी कमल जीजू का

( लेकिन मन में मेरे सचमुच में कमल जीजू ही थे , मुझे मालूम था की मेरी वो छोड़ने वाले नहीं थे , )

और बारह बजने तक तो कोई ननद बची नहीं थी , उधर वहां चीनू दी की सुहागरात उनकी ससुराल में हो रही होगी और यहां ,

कच्चे टिकोरे हों या आ रही छोटी छोटी अमिया हो , शलवार ,स्कर्ट ,कैपरी सब की सब सरक के नीचे उतर चुकी थीं ,

नयी गीली गुलाबी चूतो पर भाभियों की खूब धक्का खायी बुरें , रगड़ घिस्स ,रगड़ घिस्स।

" अरे गनीमत मान होने वाले ननदोई जी का ख्याल कर के पूरी ऊँगली नहीं पेल रही हूँ , बिचारे को झिल्ली इंटैक्ट मिले , लेकिन ज़रा नीचे वाली कुठरिया का ले ले लेने दे। "

किसी कोने से रजाई के अंदर से भौजाई की आवाज आती , तो कहीं कोई किसी शर्माती घबड़ाती ननद को कोई चिढाती ,

" काहें को इतना शरमा रही है वहां तेरी चीनू दी की झिल्ली कब की फट चुकी होगी ,

अब तो वो तेरे जीजू के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही होंगी। "

चीनू दी का तो पता नहीं पर मैंने संध्या भाभी के हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।

उतनी खेली खायी तो नहीं थी पर मैं भी अभी अभी हनीमून से सीधे यहाँ लौटी थी , ढेर सारे दांवपेंच ,पैंतरे मैंने भी सीख लिए थे , बेड रेसलिंग के।

कुछ देर में संध्या भाभी नीचे ,मैं ऊपर ,उनके दोनों गुदाज उभार मेरे हाथों में और मेरी चूत उनकी बुर की रगड़ाई करती।

बत्ती बंद थी , पर रोशनदान से आती चांदनी से सब कुछ साफ़ साफ़ दिखता था ,

और मेरी बगल की रजाई में दोनों कजिन्स ,गीता और नीता बैठ कर टुकुर टुकुर ,

सिर्फ बुर की रगड़ाई घिसाई नहीं ,

चूसना चाटना ,

69 सब कुछ ,

तीन चार बार से कम कोई नहीं झड़ा होगा ,चाहे कच्ची कुँवारी किशोर कलियाँ रही हों या दो दो बच्चे की माँ भौजाइयां ,

और मेरे साथ तो ,. .

संध्या भाभी हटीं तो रानू भाभी पहले से घात लगाये बैठीं थी।

४-५ भौजाइयां, एक के बाद एक

सारी भौजाइयों ने मुझसे अपनी चूत चटवायी , चुसवाई

और वो भी बगल में टुकुर टुकुर देखती , मेरी छोटी कजिन्स को दिखा दिखा के ,

" देख ऐसे चाटते है , सीख ले , बहुत काम आएगा , . "

मैं कभी जीभ की टिप से भाभी की क्लिट छेड़ देती , कभी पूरी जीभ अंदर डाल के जैसे कोई मर्द चोद रहा हो वैसे बुर उनकी चोदती , और चिढ़ाती भी ,

" क्यों भैया ऐसे ही चोद चोद के आपको झाड़ते हैं न ,. "

और यही नहीं जब सुबह होने वाली थी ,

दो भौजाइयों ने मेरे दोनों हाथ पकडे , दो ने दोनों टाँगे फैला दी

और मेरी छोटी बहनों से मेरी चूत चुसवाई

जब तक मैं झड़ झड़ कर थेथर नहीं हो गयी

पांच बजे के आसपास ही सोने को मिला और तब तक एकदम लस्त पस्त.

जब मैं उठी तो साढ़े नौ बज गया था ,

और उठते ही पता चला की चीनू दी , हास्पिटल में भर्ती हो गयी हैं।

कमल जीजू

जब मैं उठी तो साढ़े नौ बज गया था ,

और उठते ही पता चला की चीनू दी , हास्पिटल में भर्ती हो गयी हैं।

मेरी तो सोच सोच के ,डर से आशंका से हालात ख़राब ,

कल सुबह इसी समय तो विदाई हुयी थी उनकी ,कल रात ही तो सुहागरात थी ,इतनी मीठी मीठी बातें पर

और बिचारे कमल जीजू उनकी क्या हालत हुयी होगी ,

कुछ सोच नहीं पा रही थी , किसी ने बोला बड़ी मौसी ( चीनू दी की माँ )अभी हॉस्पिटल से चीनू को देख के आ रही हैं ,

बस दौड़ती हुयी मैं उनके कमरे में पहुंची।

और

मौसी और मेरी मम्मी जोर जोर से खिलखिला रही थीं।

मेरी घबड़ाई हालत देख के मौसी ने हँसते पूछा ,

" कोमलिया तुझे क्या हो गया ,सुबह सुबह इतनी परेशान , . "

मैंने किसी तरह अपने को कंट्रोल करते बोला ,

" चीनू दी ,. . हास्पिटल ,. अभी आप "

एक बार फिर मौसी और मम्मी खिलखिलाने लगीं।

" अरे तेरी चीनू दी की तेरे उस दुष्ट जीजा ने फाड़ दी और कुछ नहीं। "

मौसी जोर जोर से हंसते बोलीं।

फटती तो सबकी है सुहागरात में ,

लेकिन हॉस्पिटल ,

मैं सोच रही थी की मम्मी ने सब हाल खुलासा किया।

कमल जीजू लगता है कुछ ज्यादा ही 'वेल एंडाऊड ' है , बस , चीनू दी की ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी , इसलिए पास के नर्सिंग होम में भर्ती किया है , शायद एक दो टाँके वांके लगेंगे। मौसी देख के आयीं हैं ,उन्होंने डॉक्टर से बात भी की है , सब ठीक है परेशानी की कोई बात नहीं है।

और तबतक मंझली मौसी भी आ गयी और वो एकदम मेरे पीछे पड़ गयीं ,

जोर जोर से मेरे गाल मींजती बोली ,

" छोटी साली होने के तूने कुछ पकड़ वकड कर नाप वाप के देखना चाहिए था न। "

" लगता है चीनू की सास सच में गदहे घोड़े के पास गयी थी "

मम्मी हंसते हुए बोलीं।

" मैंने तो बोला ही था गाने में न ,लोग कहें गदहे का जना "

अब हँसते हुए मैं भी उन लोगों के मजाक में शामिल हो गयी।

कुछ देर में नहा धो के तैयार होके मैं नर्सिंग होम में गयी.

रूम में चीनू अकेली थी ,मुझे देख के उनका थका मुरझाया चेहरा खिल उठा ,

, मैं कुछ बोलती ,पूछती उसके पहले उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और अपनी टिपिकल शरारती आवाज में बोलीं

" बच गयी तू , मेरी जगह तू इस बेड पर होती ,अगर कमल तेरे ऊपर सबसे पहले चढ़ते न ,"

मेरा अगले सवाल का अंदाज उन्हें हो गया था , इसलिए मेरे बिना पूछे बता दिया पूरा बित्ता फैला के जीजू की साइज ,

मेरी तो आँखे फटी की फटी रह गयी।

और मेरी कलाई पकड़ के दबाते चीनू ने इशारा किया उनके औजार की मोटाई का ,

मेरी साँस रुक गयी ,सच में गदहे वाली साइज।

' तभी ,लेकिन जीजू ने इत्ती जल्दी बाजी क्यों की "

मैं बोली पर चीनू दी ने मान ली गलती उन्ही की थी,मेरे जीजू की नहीं।

वो कुछ ज्यादा ही नखड़े दिखा रही थी ,पहले तो आज नहीं ,आज नहीं कहती रही ,

और घण्टे भर बाद जब अपनी जाँघे खोलीं भी तो जैसे ही जीजू ने घुसेड़ा,बजाय टाँगे फैलाने के , साथ देने के ,उन्होंने अपनी टाँगे भींच ली।

फिर डाक्टरनी ने बोला की उनकी झिल्ली थोड़ी मोटी भी थी ,इसलिए, थोड़ा बहुत खून निकला था ,

वो तो कह रही थी की हॉस्पिटल ले जाने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन कमल जीजू एकदम परेशान हो गए और उन्हें यहां ले आये ,

अभी थोड़ी देर पहले ही गए हैं।

' सजा मिली दी आपको मेरे सीधे साधे जीजू को तंग करने की "

मैंने उन्हें चिढाया।

" घबड़ा मत जब तेरे ऊपर चढ़ेगा न तो फिर पूछुंगी तुझसे। "

अब वो भी मस्ती के मूड में आगयी थीं।

मेरे दिमाग में तो जीजू के औजार का साइज घूम रहा था , ये तो एकदम जैसे ब्ल्यू फिल्मों में देखते हैं एकदम वैसा ,

ऊपर से उनका एट्टीट्यूड भी एकदम फुल्ली मस्त

सच में बिचारी दी , इत्ता लंबा ,मोटा ,

बिचारी क्यों ,मजा भी तो खूब आया होगा।

मैंने सोचा,

मेरे आंख के सामने बस जीजू और उन का औजार घूम रहा था ,

कहते हैं न ,थिंक आफ डेविल , . बस वही हुआ।

उसी समय बस बाहर से जीजू की आवाज सुनाई दी ,

मैंने मुस्कराते हुए चीनू दी को चुप रहने का इशारा किया और चुपके से कमरे से बाहर निकल आयी।

वो डाक्टरनी से बाते कर रहे थे ,

टॉल , फेयर ,हैंडसम,

लेकिन बरात में जो उनका हंसता हुआ चेहरा था ,अभी एकदम लटका हुआ ,

और डाक्टरनी भी उन्हें समझा रही थी।

डोंट ब्लेम योरसेल्फ ,ये होता है ,नथिंग ऐबनार्मल। वो अभी एकदम ठीक है।

मैंने तीन चार टाँके लगा दिया है, सब ठीक है। बस एक दिन यहाँ रहना होगा कल सुबह डिस्चार्ज होजायेगी।

एक बहुत छोटा सा टियर था मैंने ग्राफ्ट कर दिया है , बस कल शी विल बी ऐज गुड ऐज न्यू। कल रात जैसे थी बस वैसे , बल्कि बेहतर टाइटर।

थोड़ा जीजू के चेहरे पे मुस्कान लौटी ,और वो चीनू के कमरे में घुसे।

चीनू दी को वो समझा रहे थे की उन्हें कल डिस्चार्ज किया जायेगा , और सब एकदम ठीक है।

चुपके से मैंने पीछे से जाके उन्हें पकड़ लिया।

मेरी टाइट टी शर्ट मेरी लो राइज जीन्स में टक थी और मेरे बूब्स ,बस आप सोच सकते हैं , कटाव उभार के साथ निपल तक झलक रहे थे।

और पीछे से जीजू की पीठ में गड रहे थे।

जीजू का उदास चेहरा मुझसे नहीं देखा जा रहा था ,मैंने अपनी जीभ के टिप्स से उनके इयर लोब्स को हलके से छू दिया ,

बस वो ,

और मैं और चीनू खिलखिलाने लगे।

" क्यों जीजू इत्ते उदास क्यों हैं ,आज की रात का उपवास हो जाएगा ,इसलिए ? "

मैंने उन्हें चिढ़ाया।

" अरे वाह उपवास क्यों होगा , इत्ती अच्छी सी प्यारी सेक्सी साली जो है ,"

चीनू भी उन्हें चिढाने में जुट गयी।

" और क्या दी ,आपका घाटा तो मेरा फायदा , और जीजू रात की बात तो रात को, कहिये तो थोड़ा बहुत ब्रेकफास्ट अभी आपको करा दूँ , थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी ,कभी भी। "

मैं भी चीनू के साथ मिल गयी।

जीजू के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान लौटी।

" देखा मेरी बहन है पीछे नहीं हटने वाली " चीनू भी हंसते हुए बोली।

" कहिये तो दरवाजा बंद करूँ और यही बिस्तर पे ,चीनू की बगल में ,

बहुत जगह है इसके बिस्तर पे ,वरना जिंदगी भर शिकायत करेगी ,मेरे मरद को भूखा रखा। "

मैं बोली।

" वैसलीन लगा के आयी हो क्या "

जीजू अब अपने असली मूड में आ गए थे , चिढाते हुए बोले।

" जीजू मैं परफेक्ट आर्गेनिक हूँ , सिर्फ सैलाइवा ,

वैसे भी सच में बोलूं आप को देखते ही लार टपकने लगती है और वो साली की साली वो भी गीली हो जाती है। इसलिए एवर रेडी फॉर माई हैंडसम जीजू "

मैं भी जीजू के लेवल पर आ गयी थी।

लेकिन बुरा हो हॉस्पिटल वालों का तभी एक नर्स आगयी चूतड़ मटकाती ,दी को इंजेक्शन लगाने और हम दोनों को निकालने ,

विजिटिंग ऑवर खत्म हो गया था ,

जीजू की निगाह उस नर्स के पिछवाड़े चिपकी थी।

" क्यों जीजू , मस्त पिछवाड़ा है न बहुत ललचा रहे हो। "

लेकिन अब कमल जीजू अपने रंग में आ चुके थे , पीछे से मेरी टाइट जीन्स में कसर मसर करते गुदाज चूतड़ों के बीच दरार में ऊँगली रगड़ते बोले ,

" लेकिन मेरी साली से ज्यादा नहीं। "

फिर ऊँगली और ज्यादा धंसाते बोले ,

" तुझे मालूम है ,मैं पिछवाड़े का भी उतना ही शौक़ीन हूँ जितना अगवाड़े का ,तेरा पिछवाड़ा भी नहीं छोडूंगा , बिना बजाये। "

मैं सच में गीली हो गयी ,

मेरे सामने चीनू दी का डिस्क्रिप्शन घूम गया ,

बालिश्त भर लंबा और मेरी कलाई के बराबर मोटा।

मैंने इधर उधर देखा , हॉस्पिटल में सन्नाटा था।

मैंने जोर से जीजू की जीन्स के ऊपर से ही बल्ज जोर से दबाया /

तन्ना रहा था ,और हँसते हुए बोली ,

" एकदम जीजू वरना मेरा पिछवाड़ा गुस्सा नहीं हो जाएगा। मुझे भेदभाव एकदम पसंद नहीं। "

न उन्होंने मेरी गांड की दरार पर से ऊँगली हटाई और न मैंने उनके तन्नाते , टेंट पोल पर से अपना हाथ।

" जीजू ,इसपर पहला नम्बर तो मेरा लगना था लेकिन चलिए चीनू बड़ी है मैंने बख्श दिया ,पर आज मैं नहीं छोडूंगी आज की रात साली के नाम "

मैंने जीजू के टेंट पोल को अब खुल के रगड़ते बोली।

जीजू का दूसरा हाथ मेरे कंधे पर था जो सरक कर टी फाड़ते मेरी गोलाई पर आ पहुँचा ,और खुल के दबाते बोले,

" तुझपे भी तो पहला नंबर मेरा लगना था पर , अब आज की रात तू बचेगी नहीं ,न अगवाड़ा न पिछवाड़ा। "

हम लोगों को अलग अलग करने वाला रास्ता आ गया था ,

उन्हें दिखाते ललचाते मैंने एक जोर की अंगड़ाई ली ,मेरे दोनों कबूतर एकदम छलक रहे थे , और बोली ,

" जीजू आपके मुंह में घी शक्कर , बचना कौन साली चाहती है। और ये साली मना करने वाली नहीं है। "

जीजू हँसते हुए बोले ,

" और अगर मना करे तो ,. "

" तो मानियेगा मत ,. " और मैंने उन्हें दिखा के ,अपने मस्त चूतड़ मटकाते ललचाते मौसी के घर की ओर चल पड़ी।

रात आयी लेकिन ,

जीजू नहीं आये , वो बिचारे हॉस्पिटल में चीनू के कमरे के बाहर एक कुर्सी पर बैठे , जागते हुए उन्होंने रात गुजारी। .

मुझे अगली सुबह वापस जाना था ,लेकिन घर पहुँचते ही पहला फोन कमल जीजू का आया ,

वही मस्ती ,वही अंदाज ,

" तू अबकी तो बच गयी पर अगली बार नहीं बचेगी। "

" अरे जीजू आपको कित्ती बार समझाऊं , ये साली बचना नहीं चाहती। "

फिर पूरे आधे घंटे तक वो खुल के मजाक ,द्विअर्थी डायलाग।

और उस के बाद हर हफ्ते दस दिन में उनका फोन आ जाता था , बस वही कोहबर की शर्त याद दिलाते , जबरदस्त सेन्स आफ ह्यूमर।

लेकिन मैं बची रही ,उनसे मुलाक़ात ही नहीं हुयी ,फिर मेरा ससुराल , हर तरह की पाबन्दी।

डेढ़ साल से ऊपर हो गए ,​
Next page: Episode 53
Previous page: Episode 51