Episode 61
मायके की ओर
ड्राइव मैं कर रही थी ,
और ये मेरे बगल में रात भर लुटी गौने की दुल्हन की तरह ,थके , सुस्ताते ,आधी नींद में मेरे कंधे पर सर रखे ,
सड़क एकदम साफ़ थी , सुबह अभी ठीक से हुयी भी नहीं थी ,
बस कहीं कहीं सड़क पर बगल से साइकिल चलाते दूधवाले ,
इनका मायका तीन साढ़े तीन घण्टे की ड्राइव पर था ,
और मेरा दिमाग एक बार फिर पुरानी बातों में ,
इनकी मायकेवालियों की , खास तौर से इनकी उस छिपकली ममेरी बहन के कमेंट्स ,
जेठानी जी के ताने ,.
दूसरा कोई समय होता तो इस समय मैं वो सब सोच सोच कर काँप रही होती , घबड़ा रही होती , मन करता की न जाऊं इनके मायके ,
लेकिन ये अब खुद थे मेरे साथ ,
सबसे बड़ी बाजी अपने ससुराल में मैं मैंने जीत ली थी इन्हें ,
इनका बदला हुआ बिहैवियर , ऐटिट्यूड , पसंद , और नया मेट्रोसेक्सुअल लुक ,
मैंने कनखियों से इनकी ओर देखा ,
पिंक फ्लोरल शर्ट , वैक्स्ड लुक , परफ्यूम ,कानों में स्टड्स ,
और सबसे बढ़कर , टोटल क्लीन शेव्ड लुक , मूंछे सफाचट ,
जिसे इनकी वो छिनाल ममेरी बहन बार बार कहती थी , अरे मूंछे तो मर्द की शान होती हैं और ये भी ,
लेकिन उस का असली राज तो कमल जीजू ने खोला ,
कॉलेज में ये परफेक्ट चिकने थे , वो कॉलेज क्या पूरे शहर के लौंडेबाज इनके पीछे ,
और कालेज में भी यही हाल , तो बस उस लुक को चेंज करने के लिए ,इन्होंने शेव करना बंद कर दिया और मूंछे रख ली।
और उसे डिफेंड भी करने लगे ,मर्द की शान बता के।
मैं उनके चिकने गालों को देख के मुस्कराने लगी , मेरी मुंहबोली छोटी बहन और इनकी साली ,
तनु , अरे वही ब्यूटी पार्लर वाली , फेसियल के साथ साथ उसने न इनकी सिर्फ मूंछे साफ़ की बल्कि ऐसा वैक्स किया की
लौटना भी मुश्किल , बेचारी मेरी जेठानी ये लुक देख के तो उनकी ,
और , व्हाट अ चेंज ,
ये मेरे बगल में बैठे मैं ड्राइविंग सीट पर ,
और इनके पिछवाड़े पूरी मलाई भरी , गांड पूरी तरह रात भर मूसल घोंटने के बाद अच्छी तरह फैली।
और उनका फोन वाइब्रेट हुया , मैंने उठाया , मॉम का मेसेज था इन लिए ,
" सदा सुहागन रहो , तेरे पिछवाड़े के उद्द्घाटन की फोटो देखीं , एकदम मस्त , आधी शर्त तो पूरी कर दी तूने , बस मायके पहुँच के अपनी बहन चोद दो , तो ,. तो तुझे मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी मेरी। अगवाड़ा पिछवाड़ा सब दिलवाऊंगी अपनी समधन की। "
रीनू ने जो फोटुएं खींची थी ,स्टिल वीडयो सब उसी समय मैंने मम्मी को व्हाट्सअप कर दिया था और बाद में मेल भी , अपने और इनके फोन पे भी ट्रांसफर कर दी थी।
वो थोड़ा आंखे बंद किये कुनमुनाए और मैंने छेड़ा ,
क्यों क्या कमल जीजू की याद आ रही है ,बहुत मोटा था क्या ,. या फिर अपनी उस छिनाल बहन की ,पक्की चुदवासी है। "
इन्होंने एक बार फिर से सोने की कोशिश की और मेरे मन में उनकी ममेरी बहन की बातें , नकचढ़ी
" भाभी आप क्या जानेगी मेरे भैया को ,आप तो अभी अभी आयी हैं , मैं जानती हूँ बचपन से ,सब पसंद नापसन्द। "
इत्ता खराब लगता था , शादी के बाद अगर आपके पति के बारे में कोई इस टोन में बात करे
जैसे वो उसे ओन करता है और आप तो बाहरवाली हो
आउटसाइडर ,
कभी कभी वो इनके सामने भी बोलती ,
" भैय्या ये सब बातें हम लोगों की अपनी है ,आउटसाइडर के सामने नहीं करनी चाहिए। "
और वो भी उसी का साथ देते ,हंस के बोलते ,तू एकदम सही बोल रही है ,
और मैं जल के ख़ाक हो जाती। मन करता था उससे पूछुं ,
" क्यों इनसाइडर , तुझे मालुम है तेरे भैया को कैसे लेना पसंद है। कभी पकड़ के देखा है क्या , तू तो सब जानती है न। '
कभो लगता ,
ननद है की सौत ,
वो तो मम्मी के फोन ,. घर में मेरे और तो कोई था नहीं बस बचपन से वही मेरी सखी सहेली फ्रेंड गार्जियन ,
बस मम्मी की बातों ने मेरी सैनिटी बरकरार रखी।
और अब बाजी एकदम पलट गयी थी ,
मेरा पति सिर्फ मेरा।
मैंने मुस्कराकर उनकी ओर देखा ,
भोर की पहली किरण उनके गाल पे छेड़ रही थी।
दुष्ट तू भी मेरे पति पे लाइन मार रही है ,
मैंने हलके से बोला और उन्हें चूम लिया।
उनकी आँख खुल गयी और उन्होंने ड्राइव करने का ऑफर दिया , और हम लोगों ने सीट बदल ली।
हलकी हलकी पुरवाई चल रही थी।
हवा में ताज़ी हुयी बारिश की भीगी भीगी सी महक घुली हुयी थी ,लगता था अभी बस थोड़ी ही देर पहले बारिश थमी थी।
सड़क के किनारे छोटे छोटे गड्ढो में जमा बारिश का पानी इस बात की गवाही भी दे रहा था।
आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।
आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।
और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,
ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।
दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे
और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।
आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,
रास्ता उनके मायके का
आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।
आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।
और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,
ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।
दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।
आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,
मुझे मम्मी के गाँव की याद आ गयी और इनका मम्मी से किया गया वायदा ,
अपनी ममेरी बहन को ८-१० दिन के लिए मम्मी के गांव ,
मेरे मायके भेजने का वायदा ,
और फिर उसकी कुटाई होती ,
गन्ने के खेत में ,
आम के बगीचे में , मेंड़ के पीछे ,
झोपड़ी के नीचे ,
एक साथ तीन चार लौंडे ,
चमरौटी के , भरौटी के ,अहिरौटी के ,
और गाँव की औरतें भी , .
फिर उसे पक्की छिनार होने से कोई रोक नहीं सकता था।
सच्च में कितना मज़ा आएगा, स्साली , छिनार , .
भाभी मेरे यहाँ ये नहीं होता , मेरे यहाँ वो नहीं होता , . आपके मायके की तरह यहाँ नहीं,
सही है , जब मेरे मायके के मोटे लौंड़े घोंटेंगी वो , वो भी एक साथ दो दो तीन तीन ,
हरदम दोनों ओर से सड़का टपकेगा , तब पता चलेगा उसे , . चूत का तो भोंसड़ा बनेगा ही , गांड भी फाड़ी जायेगी
लेकिन उसके पहले तो मुझे बाजी जीतनी है उससे , .
"मेरे भैया आम छू भी नहीं सकते , . भाभी आप का हार तो गया ,"
भैया उसके , उसी के हाथ से खिलवाउंगी इन्हे ,
और उस जेठानी के सामने , .
"तूने भी गलत बाज़ी लगा ली , तू मेरे देवर को जानती नहीं , आम का तो नाम नहीं ले सकता ये ,
और खिलाने की बात तो सपने में भी नहीं सोचना , मैं तो जानती हूँ न अपने देवर को , तू तो अभी कल की आयी है ,. "
एक बार हार गयी वो फिर तो , . पहले ये चढ़ेंगे फिर इनके साले
चिढाते हुए मैंने इन्हें छेड़ा ,
' रस्ता नहीं कट रहा है क्या , अरे वो छिनार भी खूब चुदवासी हो रही होगी। "
वो कुछ नहीं बोले पर जीन्स में तना उनका बल्ज बोल रहा था।
" मिलते ही चुम्मा लेना उसका , और वो भी अपनी भौजाई के सामने। "
लेकिन उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया जैसे सुन के अनसुना कर दिया।
और मुझे मम्मी की वार्निंग याद आगयी ,
"चीजें इतनी आसान नहीं होंगी तेरी ससुराल में। अपने मायके में पहुँच के इसके वापस अपने कोकून में घुसने के पूरे चांसेज है , पुरानी फेमिलियर टेरिटरी , होम पिच का अडवांटेज , उसकी भौजाई ,बहन , तुमको पूरा ध्यान देना होगा और पहली वार्निंग पर ही साम दाम दंड भेद , सब ,. "
मम्मी की वार्निंग
और मुझे मम्मी की वार्निंग याद आगयी ,
"चीजें इतनी आसान नहीं होंगी तेरी ससुराल में।
अपने मायके में पहुँच के इसके वापस अपने कोकून में घुसने के पूरे चांसेज है ,
पुरानी फेमिलियर टेरिटरी , होम पिच का अडवांटेज , उसकी भौजाई ,बहन ,
तुमको पूरा ध्यान देना होगा और पहली वार्निंग पर ही साम दाम दंड भेद , सब ,. "
बस ,
भला हो स्मार्ट फोन बनाने वालों का
बात करने के अलावा सब कुछ हो जाता है
,फेसबुक , चैट ,मेल व्हाट्सअप , फोटो ,फ़ाइल टांसफर
बस उसी यंत्र का इस्तेमाल किया मैंने।
अपनी बहन कम माल के लिए लेटेस्ट आई फोन खरीदा था उन्होंने ,
" सुनो , मैं सोच रही थी जो गुड्डी के लिए तुमने फोन लिया है न उसमें तुम्हारी कुछ फोटुएं लोड कर दूँ , . ये कैसी रहेगी। "
और ये कह के मैंने उन्हें उनकी एक फोटी दिखाई ,
हसबैंड डे के दिन की , पूरी ब्राइडल फाइनरी में , चोली लहंगा , कम्प्लीट मेक अप।
फर्स्ट प्राइज मिला था उन्हें ,
" धत्त , . "
झेंप गए , फिर अपनी आँखों से बरजा उन्होंने।
" तो ये वाली , . "
अब मैं भी पूरे जोश में आ गयी थी और उन को एक दूसरी फोटो दिखाई ,
अजय जीजू का मोटा औजार , . लॉलीपॉप की तरह ,.
सपड़ सपड़ ,. चेहरा इनका एकदम पूरा साफ साफ़
" प्लीज , प्लीज डिलीट कर दो न , . "
अब वो मिन्नत करने की हालत में आगये थे।
" चलो कर देती हूँ , "
मैं मान गयी पर ये उन्हें भी मालूम था और मुझे भी ,
ये सब दसों जगह , मेरे मेल अकाउंट में ,व्हाट्सअप पे , मम्मी के पेज पे , यानी बस एक बटन दबाना था और फिर वापस ,
" अच्छा चलो , उसके फोन में डालती नहीं हूँ लेकिन दिखा दूंगी उसको भी
और तेरी उस पूरे मोहल्ले में बांटने वाली भौजाई को भी ,आखिर उन्हें मालूम तो चले तेरी असली पसन्द ,. "
और अब जो फोटो मैंने उन्हें दिखाई , बस उनकी फट गयी।
लेटेस्ट थी ,चलने के ठीक पहले जब कार के बोनेट पे ही निहुराके कमल जीजू उनकी ,.
उनका चेहरा लाज से लाल हो गया ,
उस गुलाबी गाल को चूम के मैं बोली ,
" चल यार नहीं दिखाती , ये सब हम लोगों का ही राज रहेगा , लेकिन बोल न उस की चुम्मी लेगा न अपनी भौजाई के सामने। "
हाँ कहने के अलावा कोई रास्ता बचा था क्या उनके पास ?
" अरे ऐसे थोड़ी ,उसके मम्मे भी तो खूब मस्त है , बोल उसकी कच्ची अमिया दबा दबा के चूमोगे न
अपनी ममेरी बहन को। "
मैं अपना अडवांटेज प्रेस कर रही थी।
और न उन्होंने सिर्फ हाँ बोला , बल्कि खुल के ,
उनसे तिनतिरबाचा भरवाया ,अपनी ननद को दस मोटी मोटी गाली भी दिलावाई।
लेकिन इन सब का असर उनके ऊपर भी हो रहा था , जो मैंने सोचा था एकदम वैसा ,
तंबू में बम्बू खड़ा हो गया था जीन्स का बल्ज एकदम टाइट ,
उसे ऊपर से रगड़ते मलसते मैंने जीन्स थोड़ी सी खोल दी और अंदर ऊँगली डाल के चेक चेक किया ,
एकदम कड़ा , तैयार ,
इसका मतलब उनके मन में भी बस उसी मस्त किशोरी की शक्ल घूम रही थी।
' बस थोड़ी देर की बात है , मिलने दो उसे , देखना चुमवाऊंगी , चटवाउंगी ,चुसवाऊँगी , सब करेगी वो छिनार , बहुत तड़पाया है तुझे उस स्साली ने। "
उनके उत्थित लिंग को मैंने एश्योर किया।
और शहर शुरू हो गया था ,
उनका मायका मेरी ससुरालऔर शहर के शुरू में ही , एक इनफेमस या सच कहूँ तो फेमस मोहल्ला था , रेड लाइट एरिया , . एक गंज।
और जब उनकी बहन को उनके माँयकेवालियों मैं गारी गाती थी तो बिना इस मोहल्ले का नाम लिए गारियाँ पूरी ही नहीं होती थी।
" . की बहिना छिनार , वो दुवारे खड़ी ,. . गंज में उघारे खड़ी ,. "
" एक किया ,दो किया , साढ़े तीन किया अरे नौसौ , अरे नौ सौ भंडुवे ,. गंज के। "
दरवाजे पर पूरा सिंगार किये , ग्राहकों को पटाती ,फंसाती रंडिया खड़ी थी ,
" क्या देख रहे हो , कही तेरा माल , तेरी वो बहना तो यहाँ नहीं खड़ी है। "
बिचारे वो , मैने फिर चिढ़ाया ,
" अरे उस के लिए तो ग्राहक मैं ले चल रही हूँ न , उसकी नथ उतराई तो तुझे करनी है। हाँ एक बार बस तू चढ़ जाए न , बस देखना , वो तो इन रंडियों को भी मात कर देगी। घबड़ा मत ,एकदम रंडी नबर वन बना दूंगी मैं उसे ,प्रामिस। "
वो शर्मा भी रहे थे ,मुस्करा भी रहे थे।
' और ये तुम्हारी फोटुएं नहीं दिखाउंगी उसे बस याद रखना ,जो होने वाली रंडी नम्बर वन है न बस उससे एकदम रंडी की तरह ही पेश आना , एकदम खुल के और सबके सामने ,. नो लाज झिझक। "
और ये कहते हुए मैंने अपना फोन अपने पर्स में रख दिया।
और तब तक उनका घर आ गया।
जेठानी मेरी दरवाजे पर ही मिल गयीं।
मायके में
मेरी जेठानी ( और उनकी भाभी ) दरवाजे पर ही खड़ी मिल गयीं , और उन्हें देखते ही ,
बस एकदम फट के , . . शेल शॉक्ड , बोल नहीं निकल रहे थे उनके ,.
बस यही तो मैं चाहती थी।
मेरी जेठानी की आँखे बस उनके ऊपर ,.
मूंछे सफाचट , एकदम क्लीन् शेव्ड चिकना चेहरा , आलमोस्ट वैक्स्ड लुक ,
उनके होंठों पे मेरी होंठों की स्मज्ड लिपस्टिक ,
जेल लगे हुए बाल , सेट किये हुए , आलमोस्ट कंधे तक बढे
पिंक फ्लोरल एकदम झलकउवा शर्ट , टाइट हिप हगिंग रिप्ड जीन्स ,
कानों में चमकते हुए स्टड्स ,
हाथ में सुनहली ब्रेसलेट ,
जेठानी की फट के हाथ में आ गयी , और मैंने आयोडाइज्ड नमक का तुरंत छिड़काव किया
" क्यों दीदी अच्छे हैं न इनके कान वाले , . प्योर गोल्ड हैं , . इनकी सास ने दिए हैं , उन्होंने ही ले जाकर छिदवाया भी , बोलीं आज कल तो सारे लड़के पहनते हैं "
और सबसे बढ़ कर उनका एकदम बदला ऐटिट्यूड
उन्होंने अपनी भाभी को हग कर लिया। और मेरी जेठानी ने भी उन्हें भींचते हुए चिढाया ,
" एकदम मस्त चिकना हो गया है। "
" एकदम दीदी " मैंने भी हामी भरी।
( और वैसे भी मेरी उस ननद के खिलाफ तो मेरी जेठानी के साथ हम लोगों का साझा गठबंधन था ही )
मैंने पीछे से उनके देवर की पिछवाड़े की दरार में ऊँगली रगड़ी तो , कुछ हल्का सा गीला ,
कमल जीजू की मलाई अभी भी , ऊँगली का प्रेशर बढ़ाते हुए मैंने अपनी जेठानी से पूछा ( लेकिन निगाहें इन्ही के चेहरे पर अटकी थीं )
" दीदी इनके माल का क्या हाल है? "
" अरे माल तो बेहाल है , सुबह से ,
दो बार फोन आ चुका है , एकदम काटने लायक कटकटौवा गाल हो गए हैं उसके। "
मेरी जेठानी ने उन्हें छेड़ा।
भले ही कुछ बातों में हम में मतैक्य न हो ,लेकिन हमारी ननद नाम लेकर उनकी रगड़ाई करने में हम एकदम एकजुट होजाते थे।
" अरे कटवाने वाली तैयार है ,बेकरार है ,काटने वाला भी आ गया है , फिर क्या , क्यों हैं न ?"
अबकी सीधे मैंने उनसे पूछा
और बजाय शर्माने बुरा मानने के , झिझकने के वो मुस्करा रहे थे।
और मुझे अपनी उस ननद के साथ लगी बाजी याद आगयी ,
हार गयी तो चार घंटे तक उसे मेरी सारी बाते माननी होगी ,
और चार घंटे में तो उस्की गंगा में इतनी डुबकियां लगेंगी , और उसके इतने एम् एम् इस बनेगे की ,. हरदम के लिए
मैं मुस्कराने लगी।
तबतक मेरी जेठानी ने मुझसे खुल के पूछा ( ये बाथरूम चले गए थे )
" अरे तूने तो मेरे देवर को एकदम बदल दिया "
मुस्कराती हुयी उनकी भाभी बोलीं।
" एकदम दीदी , लेकिन ये बोलिये दिल से ,. . अच्छे लगते हैं न "
मैंने उनकी आँखों में आँखे डालते साफ साफ़ पूछ लिया।
खिलखिलाते हुए वो बोलीं ,
" एकदम , लेकिन ये सोच की जब वो तेरी ननद देखती तो उस की तो फट के ,. "
उनकी बात बीच में काट के , हँसते हुए मैं बोली ,
" अरे दीदी उस की फड़वाने के लिए तो तो इन्हें ले आयी हूँ , आप को बाजी याद है न ,
बस और फिर फटने वाली चीज को वो स्साली कब तक बचा के रखेगी। "
मेरी दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।
लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
हमारा कमरा
मेरे दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।
लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
हमारा कमरा ऊपर की मंजिल पर था , जहां मैं शादी के बाद आयी थी ,
जहाँ हमारी सुहागरात मनी।
मैंने उस कमरे की खिड़की खोल के एक गहरी साँस ली , ढेर सारी खट्टी मीठी यादें जुडी हैं इस कमरे से।
सच बोलूं तो मीठी बहुत ज्यादा , खट्टी बस थोड़ी सी ,दाल में नमक जैसी ,
इनका प्यार दुलार , इज्जत सब कुछ मिला मुझे इस कमरे में ,
और खुल के मजे भी।
पहली रात ही , .
हम दोनों है नौसिखिये थे , .
लेकिन जिस तरह सम्हल के ,
इन्होंने और जितना मेरी भभियों ने सिखा के भेजा था ,
उससे भी ज्यादा ,
पहली रात ही मैं सीख गयी थी ,शादी के बाद की रातें सोने के लिए नहीं होतीं ,
पूरे तीन बार ,
और अगले दिन , दिन में भी घात लगा दी थी उन्होंने।
इस कमरे की तो मैं रानी थी , जब मैं और ये इस कमरे में होते तो बस ,
सिर्फ सेक्स ही नहीं ,
जो तुम को हो पसंद वही बात करेंगे ,
चाहेंगे , निभाएंगे ,सराहेंगे , आप ही को ,.
बस एकदम उसी स्टाइल में और वो भी दिल से।
लेकिन जहाँ कमरे से हम बाहर होते ,नीचे की मंजिल पे जहाँ मेरी जिठानी ,सास ,इनकी सब मायकेवालियां होतीं ,
बस जैसे मुझे पहचानेंगे नहीं
( हाँ बीच बीच में लालचियों की तरह छुप छुप के देखने से बाज नहीं आते थे वहां भी )
न कोई बात ,न कुछ।
और मेरे कमरे में भी ,जैसे कोई मायके वाली आ जाये ,
भले ही उसके पहले मुझसे चिपके बैठे हों ,
एकदम दूर हो के , जैसे पहचानते भी न हों ,.
और कई बार तो एक सिम्बालिक प्रजेंस भी ,
मैंने वो कंडोम वाला वाकया तो कई बार बताया है ,
बात छोटी सी थी लेकिन मेरे दिल को सालती थी।
कंडोम वो पहले दिन से ही इस्तेमाल करते थे ,
लेकिन वो फेमली प्लानिंग टाइप वाला,
चीनू मेरी बड़ी मौसेरी बहन ने मुझे डॉटेड कंडोम के बारे में बताया तो मैंने इनसे बोला था ,
और अगले ही दिन , वो ले आये और दिन में ही उन्होंने इस्तेमाल भी कर डाला ,
खूब मज़ा आया , मुझे भी और उन्हें भी।
पहली बार दिन में , हिप्स उछाल उछाल के , सिसक सिसक के
सेक्स के बाद भी हम लोग बहुत देर तक एक दुसरे को भींचे बांहों में कस के बांधे पड़े रहते थे ,
वो मेरे अंदर
और आज तो स्पेशल मजा आया था इसलिए ,
लेकिन थोड़ी देर में मेरी कोई मायके वाली ने खटखट की और मैंने झट से पास में रखे अपने वेडिंग ऐल्बम में उसे रख दिया।
बस वही ,
रात में उन्होंने देख लिया की कण्डोम वेडिंग एलबम में उन फोटुओं के बीच पड़ा है
जहाँ वो उनकी ममेरी बहन की हमारी शादी में डांस करते,
बस बिना कुछ बोले वो अलफ़ , दूसरी ओर करवट कर के ,
बिना कुछ 'किये धरे ' सो गए।
इतना बुरा लगा मुझे ,
पर अगले दिन सुबह भोर होने के पहले ही , जैसे रात की सारी बात भूल के ,
रात का भी उधार चुकता कर दिया उन्होंने।
सुबह एक राउंड तो रोज होता था था लेकिन उस दिन पहली बार
सुबह सबेरे दो राउंड , फर्स्ट टाइम , .
और वो भी खूब देर तक।
मैंने उनकी ओर देखा वार्डरोब में वो मेरे और अपने कपडे रख रहे थे ,
पर पहले
छू भी नहीं सकते थे , कुछ बोलो भी तो चिढा के बोलते थे ,
कपडे उतारने की जिम्मेदारी मेरी तेरे भी अपने भी
और रखने की जिम्मेदारी तुम्हारी।
एक दिन मैं वार्डरोब में कपडे रख रही थी की मेरी ननद आ गयी ,
वही उनकी ममेरी बहन ,गुड्डी।
उसे चिढाते हुए मैंने बोला ,
" देखो अपने भैया को , अपना एक भी काम अपने से , अपने कपडे भी तहियाकर नहीं रख सकते। "
इठलाकर ठसके से बहुत नाजो अंदाज से वो कमिसन किशोरी मुझे छेड़ने की कोशिश करते हुए ,बोली ,
" अरे भाभी आप को लाये ही इसलिए हैं न ,काम करने के लिए। मेरे भैय्या थोड़े ही कुछ करेंगे। "
अपनी नाजनीन षोडसी ननद के गोरे गुलाबी गालों को हलके से पिंच करते मैं चिढाया ,
" कमसिन हो नादाँ हो , . अरे तुझे अभी भी ये नहीं मालुम , करते तो तेरे भइय्या ही हैं , मैं तो सिर्फ करवाती हूँ।
बोल तूने कभी करवाया की नहीं उनसे। "
अब वो थोड़ी शरमा गयी।
मेरी ऊँगली मेरी ननद के गालों से उसके गुलाब से होंठों पर और फिर नीचे ,.
" बच्ची हो तुम अभी ,करने करवाने के बारे में तुझे अभी सिखाना पडेगा। " मैंने फिर छेड़ा।
" बच्ची वच्ची नहीं हूँ ,पूरे ,. साल की हो गयी हूँ। चार साल हो गए टीनेजर हुए। " तुनक के वो बोली।
" अरे तब तो तुम एकदम 'करवाने ' लायक हो गयी , मेरे ससुराल वाली मैंने सुना था चौदह में चुदवासी हो जाती है और तुम तो दो साल और ,तेरी कच्ची अमिया भी तो कैसी गदरा रही है। बोल 'करवा' दूँ तेरे भैया से , वैसे भी मेरी पांच दिन वाली छुट्टी आने वाली है , बिचारे का उपवास हो जाएगा। "
मैं अब खुल के अपनी ननद को छेड़ रही थी।
मेरी ऊँगली उस के कच्चे टिकोरों पर थी ,कड़े कड़े , नए जवानी के गदराते उभार ,
" धत्त भाभी ,आप को सिर्फ एक ही बात सूझती है। "
झुंझला के मेरे चंगुल से छूटने की कोशिश करते वो बोली।
" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। "
हँसते हुए मैं बोली।
उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।
मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।
निजाम बदल गया है
" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। " हँसते हुए मैं बोली।
उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।
मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।
मेरी साडी ब्लाउज पेटीकोट सब अलग अलग खानों में प्रॉपर्ली तहिया के उन्होंने रख दिए थे ,फिर शलवार सूट भी और बाकी ड्रेसेज भी।
मेरे बोलने के बाद मैचिंग लिंगरी , ब्रा ,पैंटी भी
और सारी हाई हील्स ,सैंडल्स , बाथरूम स्लीपर्स सब कुछ सबसे नीचे वाले खाने में।
अपने कपडे भी ,
सारा समानअटैचियों से निकल कर करीने से वार्डरोब में लग चुंका था और मेरी ड्रेसिंग टेबल पर मेरे मेकअप का सारा सामान,
" मेरे भैया तो अपने हाथ से पानी तक नहीं लेते , भाभी सब कुछ आप को ही , . "
मेरे कान में गुड्डी की बाते गूंज रही थी थी और आँखे उन को सब कुछ करते देख रही थी।
मेरी निगाह बिस्तर पर गयी ,
" सुनो ,इस पर वो डबल बेड का ब्लैक साटिन वाली बेडशीट ,. क्या पता आज रात किसी की किस्मत खुल जाए। "
मुस्कराते मैं बोली और फ्रेश होने बाथरूम चली गयी।
लौट के आयी तो सब कुछ एकदम टँच।
वो खड़े मेरी ओर देख रहे थे जैसे अप्रूवल का इन्तजार कर रहे हों।
मैंने प्यार से उनके कढ़े बाल बिगाड़ दिए और मुस्कराने लगी।
ख़ुशी उनके चेहरे पर दौड़ गयी।
मैं खुले वार्डरोब की तरफ देख रही थी ,
" क्या पहनूँ ,क्या न पहनूँ "
बस यही सोच रही थी , उहापोह में लेकिन उन्होंने रास्ता साफ़ कर दिया।
मैं बताता हूँ ,
और एक मेरा फेवरिट शलवार सूट निकाल के दे दिया
और जवाब में मैंने अपनी साडी ,ब्लाउज खोल के उनकी ओर उछाल दिया।
बड़े ध्यान से साडी तहा के उन्होंने वार्डरोब में रख दी , फिर ब्लाउज को भी।
और अब मेरे अंडरगारमेंट्स का नम्बर था , वो उन्होंने न सिर्फ कैच किया ,बल्कि सूँघा भी और चूमा भी ,
मैं तबतक शलवार पहन चुकी थी ,
और उनकी निगाहें मेरे उभारों पर ,
लालची कहीं के , मैंने हलके से बोला।
मैं उन्हें छेड़ने ,ललचाने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी।
जब पी संग हो तो हर दिन होली है ,
मैंने धीरे धीरे अपने मस्त उभारों को सहलाया ,हलके से दबाया , फिर नीचे से उभारते हुए उन्हें ललचाया।
बिचारे जंगबहादुर की हालत खराब थी। एकदम तन्नाया , बौराया ,
और फिर मैंने अपने निपल्स फ्लिक कर दिए ,
ड्राइव मैं कर रही थी ,
और ये मेरे बगल में रात भर लुटी गौने की दुल्हन की तरह ,थके , सुस्ताते ,आधी नींद में मेरे कंधे पर सर रखे ,
सड़क एकदम साफ़ थी , सुबह अभी ठीक से हुयी भी नहीं थी ,
बस कहीं कहीं सड़क पर बगल से साइकिल चलाते दूधवाले ,
इनका मायका तीन साढ़े तीन घण्टे की ड्राइव पर था ,
और मेरा दिमाग एक बार फिर पुरानी बातों में ,
इनकी मायकेवालियों की , खास तौर से इनकी उस छिपकली ममेरी बहन के कमेंट्स ,
जेठानी जी के ताने ,.
दूसरा कोई समय होता तो इस समय मैं वो सब सोच सोच कर काँप रही होती , घबड़ा रही होती , मन करता की न जाऊं इनके मायके ,
लेकिन ये अब खुद थे मेरे साथ ,
सबसे बड़ी बाजी अपने ससुराल में मैं मैंने जीत ली थी इन्हें ,
इनका बदला हुआ बिहैवियर , ऐटिट्यूड , पसंद , और नया मेट्रोसेक्सुअल लुक ,
मैंने कनखियों से इनकी ओर देखा ,
पिंक फ्लोरल शर्ट , वैक्स्ड लुक , परफ्यूम ,कानों में स्टड्स ,
और सबसे बढ़कर , टोटल क्लीन शेव्ड लुक , मूंछे सफाचट ,
जिसे इनकी वो छिनाल ममेरी बहन बार बार कहती थी , अरे मूंछे तो मर्द की शान होती हैं और ये भी ,
लेकिन उस का असली राज तो कमल जीजू ने खोला ,
कॉलेज में ये परफेक्ट चिकने थे , वो कॉलेज क्या पूरे शहर के लौंडेबाज इनके पीछे ,
और कालेज में भी यही हाल , तो बस उस लुक को चेंज करने के लिए ,इन्होंने शेव करना बंद कर दिया और मूंछे रख ली।
और उसे डिफेंड भी करने लगे ,मर्द की शान बता के।
मैं उनके चिकने गालों को देख के मुस्कराने लगी , मेरी मुंहबोली छोटी बहन और इनकी साली ,
तनु , अरे वही ब्यूटी पार्लर वाली , फेसियल के साथ साथ उसने न इनकी सिर्फ मूंछे साफ़ की बल्कि ऐसा वैक्स किया की
लौटना भी मुश्किल , बेचारी मेरी जेठानी ये लुक देख के तो उनकी ,
और , व्हाट अ चेंज ,
ये मेरे बगल में बैठे मैं ड्राइविंग सीट पर ,
और इनके पिछवाड़े पूरी मलाई भरी , गांड पूरी तरह रात भर मूसल घोंटने के बाद अच्छी तरह फैली।
और उनका फोन वाइब्रेट हुया , मैंने उठाया , मॉम का मेसेज था इन लिए ,
" सदा सुहागन रहो , तेरे पिछवाड़े के उद्द्घाटन की फोटो देखीं , एकदम मस्त , आधी शर्त तो पूरी कर दी तूने , बस मायके पहुँच के अपनी बहन चोद दो , तो ,. तो तुझे मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी मेरी। अगवाड़ा पिछवाड़ा सब दिलवाऊंगी अपनी समधन की। "
रीनू ने जो फोटुएं खींची थी ,स्टिल वीडयो सब उसी समय मैंने मम्मी को व्हाट्सअप कर दिया था और बाद में मेल भी , अपने और इनके फोन पे भी ट्रांसफर कर दी थी।
वो थोड़ा आंखे बंद किये कुनमुनाए और मैंने छेड़ा ,
क्यों क्या कमल जीजू की याद आ रही है ,बहुत मोटा था क्या ,. या फिर अपनी उस छिनाल बहन की ,पक्की चुदवासी है। "
इन्होंने एक बार फिर से सोने की कोशिश की और मेरे मन में उनकी ममेरी बहन की बातें , नकचढ़ी
" भाभी आप क्या जानेगी मेरे भैया को ,आप तो अभी अभी आयी हैं , मैं जानती हूँ बचपन से ,सब पसंद नापसन्द। "
इत्ता खराब लगता था , शादी के बाद अगर आपके पति के बारे में कोई इस टोन में बात करे
जैसे वो उसे ओन करता है और आप तो बाहरवाली हो
आउटसाइडर ,
कभी कभी वो इनके सामने भी बोलती ,
" भैय्या ये सब बातें हम लोगों की अपनी है ,आउटसाइडर के सामने नहीं करनी चाहिए। "
और वो भी उसी का साथ देते ,हंस के बोलते ,तू एकदम सही बोल रही है ,
और मैं जल के ख़ाक हो जाती। मन करता था उससे पूछुं ,
" क्यों इनसाइडर , तुझे मालुम है तेरे भैया को कैसे लेना पसंद है। कभी पकड़ के देखा है क्या , तू तो सब जानती है न। '
कभो लगता ,
ननद है की सौत ,
वो तो मम्मी के फोन ,. घर में मेरे और तो कोई था नहीं बस बचपन से वही मेरी सखी सहेली फ्रेंड गार्जियन ,
बस मम्मी की बातों ने मेरी सैनिटी बरकरार रखी।
और अब बाजी एकदम पलट गयी थी ,
मेरा पति सिर्फ मेरा।
मैंने मुस्कराकर उनकी ओर देखा ,
भोर की पहली किरण उनके गाल पे छेड़ रही थी।
दुष्ट तू भी मेरे पति पे लाइन मार रही है ,
मैंने हलके से बोला और उन्हें चूम लिया।
उनकी आँख खुल गयी और उन्होंने ड्राइव करने का ऑफर दिया , और हम लोगों ने सीट बदल ली।
हलकी हलकी पुरवाई चल रही थी।
हवा में ताज़ी हुयी बारिश की भीगी भीगी सी महक घुली हुयी थी ,लगता था अभी बस थोड़ी ही देर पहले बारिश थमी थी।
सड़क के किनारे छोटे छोटे गड्ढो में जमा बारिश का पानी इस बात की गवाही भी दे रहा था।
आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।
आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।
और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,
ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।
दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे
और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।
आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,
रास्ता उनके मायके का
आधे से ज्यादा रास्ता उनके मायके का पार हो चुका था।
आसमान में अभी भी शावक से सफ़ेद भूरे बादल एक दूसरे का पीछा कर रहे थे ,आपस में खिलवाड़ कर रहे थे।
और दरवाजे से झांकती शर्माती नयी बहुरिया की तरह ,
ताज़ी ताज़ी सुबह की शरमाती किरणे भी बादल का घूंघट हटाने की कोशिश कर रही थीं।
दूर दूर तक धानी चूनर की तरह धान के खेत फैले थे और उनमें झुकी रोपनी करने वाली ग्राम्याएँ , सोहनी के गाने गा रही थीं।
आम के घने बगीचे , और गन्ने के खेत ,
मुझे मम्मी के गाँव की याद आ गयी और इनका मम्मी से किया गया वायदा ,
अपनी ममेरी बहन को ८-१० दिन के लिए मम्मी के गांव ,
मेरे मायके भेजने का वायदा ,
और फिर उसकी कुटाई होती ,
गन्ने के खेत में ,
आम के बगीचे में , मेंड़ के पीछे ,
झोपड़ी के नीचे ,
एक साथ तीन चार लौंडे ,
चमरौटी के , भरौटी के ,अहिरौटी के ,
और गाँव की औरतें भी , .
फिर उसे पक्की छिनार होने से कोई रोक नहीं सकता था।
सच्च में कितना मज़ा आएगा, स्साली , छिनार , .
भाभी मेरे यहाँ ये नहीं होता , मेरे यहाँ वो नहीं होता , . आपके मायके की तरह यहाँ नहीं,
सही है , जब मेरे मायके के मोटे लौंड़े घोंटेंगी वो , वो भी एक साथ दो दो तीन तीन ,
हरदम दोनों ओर से सड़का टपकेगा , तब पता चलेगा उसे , . चूत का तो भोंसड़ा बनेगा ही , गांड भी फाड़ी जायेगी
लेकिन उसके पहले तो मुझे बाजी जीतनी है उससे , .
"मेरे भैया आम छू भी नहीं सकते , . भाभी आप का हार तो गया ,"
भैया उसके , उसी के हाथ से खिलवाउंगी इन्हे ,
और उस जेठानी के सामने , .
"तूने भी गलत बाज़ी लगा ली , तू मेरे देवर को जानती नहीं , आम का तो नाम नहीं ले सकता ये ,
और खिलाने की बात तो सपने में भी नहीं सोचना , मैं तो जानती हूँ न अपने देवर को , तू तो अभी कल की आयी है ,. "
एक बार हार गयी वो फिर तो , . पहले ये चढ़ेंगे फिर इनके साले
चिढाते हुए मैंने इन्हें छेड़ा ,
' रस्ता नहीं कट रहा है क्या , अरे वो छिनार भी खूब चुदवासी हो रही होगी। "
वो कुछ नहीं बोले पर जीन्स में तना उनका बल्ज बोल रहा था।
" मिलते ही चुम्मा लेना उसका , और वो भी अपनी भौजाई के सामने। "
लेकिन उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया जैसे सुन के अनसुना कर दिया।
और मुझे मम्मी की वार्निंग याद आगयी ,
"चीजें इतनी आसान नहीं होंगी तेरी ससुराल में। अपने मायके में पहुँच के इसके वापस अपने कोकून में घुसने के पूरे चांसेज है , पुरानी फेमिलियर टेरिटरी , होम पिच का अडवांटेज , उसकी भौजाई ,बहन , तुमको पूरा ध्यान देना होगा और पहली वार्निंग पर ही साम दाम दंड भेद , सब ,. "
मम्मी की वार्निंग
और मुझे मम्मी की वार्निंग याद आगयी ,
"चीजें इतनी आसान नहीं होंगी तेरी ससुराल में।
अपने मायके में पहुँच के इसके वापस अपने कोकून में घुसने के पूरे चांसेज है ,
पुरानी फेमिलियर टेरिटरी , होम पिच का अडवांटेज , उसकी भौजाई ,बहन ,
तुमको पूरा ध्यान देना होगा और पहली वार्निंग पर ही साम दाम दंड भेद , सब ,. "
बस ,
भला हो स्मार्ट फोन बनाने वालों का
बात करने के अलावा सब कुछ हो जाता है
,फेसबुक , चैट ,मेल व्हाट्सअप , फोटो ,फ़ाइल टांसफर
बस उसी यंत्र का इस्तेमाल किया मैंने।
अपनी बहन कम माल के लिए लेटेस्ट आई फोन खरीदा था उन्होंने ,
" सुनो , मैं सोच रही थी जो गुड्डी के लिए तुमने फोन लिया है न उसमें तुम्हारी कुछ फोटुएं लोड कर दूँ , . ये कैसी रहेगी। "
और ये कह के मैंने उन्हें उनकी एक फोटी दिखाई ,
हसबैंड डे के दिन की , पूरी ब्राइडल फाइनरी में , चोली लहंगा , कम्प्लीट मेक अप।
फर्स्ट प्राइज मिला था उन्हें ,
" धत्त , . "
झेंप गए , फिर अपनी आँखों से बरजा उन्होंने।
" तो ये वाली , . "
अब मैं भी पूरे जोश में आ गयी थी और उन को एक दूसरी फोटो दिखाई ,
अजय जीजू का मोटा औजार , . लॉलीपॉप की तरह ,.
सपड़ सपड़ ,. चेहरा इनका एकदम पूरा साफ साफ़
" प्लीज , प्लीज डिलीट कर दो न , . "
अब वो मिन्नत करने की हालत में आगये थे।
" चलो कर देती हूँ , "
मैं मान गयी पर ये उन्हें भी मालूम था और मुझे भी ,
ये सब दसों जगह , मेरे मेल अकाउंट में ,व्हाट्सअप पे , मम्मी के पेज पे , यानी बस एक बटन दबाना था और फिर वापस ,
" अच्छा चलो , उसके फोन में डालती नहीं हूँ लेकिन दिखा दूंगी उसको भी
और तेरी उस पूरे मोहल्ले में बांटने वाली भौजाई को भी ,आखिर उन्हें मालूम तो चले तेरी असली पसन्द ,. "
और अब जो फोटो मैंने उन्हें दिखाई , बस उनकी फट गयी।
लेटेस्ट थी ,चलने के ठीक पहले जब कार के बोनेट पे ही निहुराके कमल जीजू उनकी ,.
उनका चेहरा लाज से लाल हो गया ,
उस गुलाबी गाल को चूम के मैं बोली ,
" चल यार नहीं दिखाती , ये सब हम लोगों का ही राज रहेगा , लेकिन बोल न उस की चुम्मी लेगा न अपनी भौजाई के सामने। "
हाँ कहने के अलावा कोई रास्ता बचा था क्या उनके पास ?
" अरे ऐसे थोड़ी ,उसके मम्मे भी तो खूब मस्त है , बोल उसकी कच्ची अमिया दबा दबा के चूमोगे न
अपनी ममेरी बहन को। "
मैं अपना अडवांटेज प्रेस कर रही थी।
और न उन्होंने सिर्फ हाँ बोला , बल्कि खुल के ,
उनसे तिनतिरबाचा भरवाया ,अपनी ननद को दस मोटी मोटी गाली भी दिलावाई।
लेकिन इन सब का असर उनके ऊपर भी हो रहा था , जो मैंने सोचा था एकदम वैसा ,
तंबू में बम्बू खड़ा हो गया था जीन्स का बल्ज एकदम टाइट ,
उसे ऊपर से रगड़ते मलसते मैंने जीन्स थोड़ी सी खोल दी और अंदर ऊँगली डाल के चेक चेक किया ,
एकदम कड़ा , तैयार ,
इसका मतलब उनके मन में भी बस उसी मस्त किशोरी की शक्ल घूम रही थी।
' बस थोड़ी देर की बात है , मिलने दो उसे , देखना चुमवाऊंगी , चटवाउंगी ,चुसवाऊँगी , सब करेगी वो छिनार , बहुत तड़पाया है तुझे उस स्साली ने। "
उनके उत्थित लिंग को मैंने एश्योर किया।
और शहर शुरू हो गया था ,
उनका मायका मेरी ससुरालऔर शहर के शुरू में ही , एक इनफेमस या सच कहूँ तो फेमस मोहल्ला था , रेड लाइट एरिया , . एक गंज।
और जब उनकी बहन को उनके माँयकेवालियों मैं गारी गाती थी तो बिना इस मोहल्ले का नाम लिए गारियाँ पूरी ही नहीं होती थी।
" . की बहिना छिनार , वो दुवारे खड़ी ,. . गंज में उघारे खड़ी ,. "
" एक किया ,दो किया , साढ़े तीन किया अरे नौसौ , अरे नौ सौ भंडुवे ,. गंज के। "
दरवाजे पर पूरा सिंगार किये , ग्राहकों को पटाती ,फंसाती रंडिया खड़ी थी ,
" क्या देख रहे हो , कही तेरा माल , तेरी वो बहना तो यहाँ नहीं खड़ी है। "
बिचारे वो , मैने फिर चिढ़ाया ,
" अरे उस के लिए तो ग्राहक मैं ले चल रही हूँ न , उसकी नथ उतराई तो तुझे करनी है। हाँ एक बार बस तू चढ़ जाए न , बस देखना , वो तो इन रंडियों को भी मात कर देगी। घबड़ा मत ,एकदम रंडी नबर वन बना दूंगी मैं उसे ,प्रामिस। "
वो शर्मा भी रहे थे ,मुस्करा भी रहे थे।
' और ये तुम्हारी फोटुएं नहीं दिखाउंगी उसे बस याद रखना ,जो होने वाली रंडी नम्बर वन है न बस उससे एकदम रंडी की तरह ही पेश आना , एकदम खुल के और सबके सामने ,. नो लाज झिझक। "
और ये कहते हुए मैंने अपना फोन अपने पर्स में रख दिया।
और तब तक उनका घर आ गया।
जेठानी मेरी दरवाजे पर ही मिल गयीं।
मायके में
मेरी जेठानी ( और उनकी भाभी ) दरवाजे पर ही खड़ी मिल गयीं , और उन्हें देखते ही ,
बस एकदम फट के , . . शेल शॉक्ड , बोल नहीं निकल रहे थे उनके ,.
बस यही तो मैं चाहती थी।
मेरी जेठानी की आँखे बस उनके ऊपर ,.
मूंछे सफाचट , एकदम क्लीन् शेव्ड चिकना चेहरा , आलमोस्ट वैक्स्ड लुक ,
उनके होंठों पे मेरी होंठों की स्मज्ड लिपस्टिक ,
जेल लगे हुए बाल , सेट किये हुए , आलमोस्ट कंधे तक बढे
पिंक फ्लोरल एकदम झलकउवा शर्ट , टाइट हिप हगिंग रिप्ड जीन्स ,
कानों में चमकते हुए स्टड्स ,
हाथ में सुनहली ब्रेसलेट ,
जेठानी की फट के हाथ में आ गयी , और मैंने आयोडाइज्ड नमक का तुरंत छिड़काव किया
" क्यों दीदी अच्छे हैं न इनके कान वाले , . प्योर गोल्ड हैं , . इनकी सास ने दिए हैं , उन्होंने ही ले जाकर छिदवाया भी , बोलीं आज कल तो सारे लड़के पहनते हैं "
और सबसे बढ़ कर उनका एकदम बदला ऐटिट्यूड
उन्होंने अपनी भाभी को हग कर लिया। और मेरी जेठानी ने भी उन्हें भींचते हुए चिढाया ,
" एकदम मस्त चिकना हो गया है। "
" एकदम दीदी " मैंने भी हामी भरी।
( और वैसे भी मेरी उस ननद के खिलाफ तो मेरी जेठानी के साथ हम लोगों का साझा गठबंधन था ही )
मैंने पीछे से उनके देवर की पिछवाड़े की दरार में ऊँगली रगड़ी तो , कुछ हल्का सा गीला ,
कमल जीजू की मलाई अभी भी , ऊँगली का प्रेशर बढ़ाते हुए मैंने अपनी जेठानी से पूछा ( लेकिन निगाहें इन्ही के चेहरे पर अटकी थीं )
" दीदी इनके माल का क्या हाल है? "
" अरे माल तो बेहाल है , सुबह से ,
दो बार फोन आ चुका है , एकदम काटने लायक कटकटौवा गाल हो गए हैं उसके। "
मेरी जेठानी ने उन्हें छेड़ा।
भले ही कुछ बातों में हम में मतैक्य न हो ,लेकिन हमारी ननद नाम लेकर उनकी रगड़ाई करने में हम एकदम एकजुट होजाते थे।
" अरे कटवाने वाली तैयार है ,बेकरार है ,काटने वाला भी आ गया है , फिर क्या , क्यों हैं न ?"
अबकी सीधे मैंने उनसे पूछा
और बजाय शर्माने बुरा मानने के , झिझकने के वो मुस्करा रहे थे।
और मुझे अपनी उस ननद के साथ लगी बाजी याद आगयी ,
हार गयी तो चार घंटे तक उसे मेरी सारी बाते माननी होगी ,
और चार घंटे में तो उस्की गंगा में इतनी डुबकियां लगेंगी , और उसके इतने एम् एम् इस बनेगे की ,. हरदम के लिए
मैं मुस्कराने लगी।
तबतक मेरी जेठानी ने मुझसे खुल के पूछा ( ये बाथरूम चले गए थे )
" अरे तूने तो मेरे देवर को एकदम बदल दिया "
मुस्कराती हुयी उनकी भाभी बोलीं।
" एकदम दीदी , लेकिन ये बोलिये दिल से ,. . अच्छे लगते हैं न "
मैंने उनकी आँखों में आँखे डालते साफ साफ़ पूछ लिया।
खिलखिलाते हुए वो बोलीं ,
" एकदम , लेकिन ये सोच की जब वो तेरी ननद देखती तो उस की तो फट के ,. "
उनकी बात बीच में काट के , हँसते हुए मैं बोली ,
" अरे दीदी उस की फड़वाने के लिए तो तो इन्हें ले आयी हूँ , आप को बाजी याद है न ,
बस और फिर फटने वाली चीज को वो स्साली कब तक बचा के रखेगी। "
मेरी दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।
लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
हमारा कमरा
मेरे दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।
लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
हमारा कमरा ऊपर की मंजिल पर था , जहां मैं शादी के बाद आयी थी ,
जहाँ हमारी सुहागरात मनी।
मैंने उस कमरे की खिड़की खोल के एक गहरी साँस ली , ढेर सारी खट्टी मीठी यादें जुडी हैं इस कमरे से।
सच बोलूं तो मीठी बहुत ज्यादा , खट्टी बस थोड़ी सी ,दाल में नमक जैसी ,
इनका प्यार दुलार , इज्जत सब कुछ मिला मुझे इस कमरे में ,
और खुल के मजे भी।
पहली रात ही , .
हम दोनों है नौसिखिये थे , .
लेकिन जिस तरह सम्हल के ,
इन्होंने और जितना मेरी भभियों ने सिखा के भेजा था ,
उससे भी ज्यादा ,
पहली रात ही मैं सीख गयी थी ,शादी के बाद की रातें सोने के लिए नहीं होतीं ,
पूरे तीन बार ,
और अगले दिन , दिन में भी घात लगा दी थी उन्होंने।
इस कमरे की तो मैं रानी थी , जब मैं और ये इस कमरे में होते तो बस ,
सिर्फ सेक्स ही नहीं ,
जो तुम को हो पसंद वही बात करेंगे ,
चाहेंगे , निभाएंगे ,सराहेंगे , आप ही को ,.
बस एकदम उसी स्टाइल में और वो भी दिल से।
लेकिन जहाँ कमरे से हम बाहर होते ,नीचे की मंजिल पे जहाँ मेरी जिठानी ,सास ,इनकी सब मायकेवालियां होतीं ,
बस जैसे मुझे पहचानेंगे नहीं
( हाँ बीच बीच में लालचियों की तरह छुप छुप के देखने से बाज नहीं आते थे वहां भी )
न कोई बात ,न कुछ।
और मेरे कमरे में भी ,जैसे कोई मायके वाली आ जाये ,
भले ही उसके पहले मुझसे चिपके बैठे हों ,
एकदम दूर हो के , जैसे पहचानते भी न हों ,.
और कई बार तो एक सिम्बालिक प्रजेंस भी ,
मैंने वो कंडोम वाला वाकया तो कई बार बताया है ,
बात छोटी सी थी लेकिन मेरे दिल को सालती थी।
कंडोम वो पहले दिन से ही इस्तेमाल करते थे ,
लेकिन वो फेमली प्लानिंग टाइप वाला,
चीनू मेरी बड़ी मौसेरी बहन ने मुझे डॉटेड कंडोम के बारे में बताया तो मैंने इनसे बोला था ,
और अगले ही दिन , वो ले आये और दिन में ही उन्होंने इस्तेमाल भी कर डाला ,
खूब मज़ा आया , मुझे भी और उन्हें भी।
पहली बार दिन में , हिप्स उछाल उछाल के , सिसक सिसक के
सेक्स के बाद भी हम लोग बहुत देर तक एक दुसरे को भींचे बांहों में कस के बांधे पड़े रहते थे ,
वो मेरे अंदर
और आज तो स्पेशल मजा आया था इसलिए ,
लेकिन थोड़ी देर में मेरी कोई मायके वाली ने खटखट की और मैंने झट से पास में रखे अपने वेडिंग ऐल्बम में उसे रख दिया।
बस वही ,
रात में उन्होंने देख लिया की कण्डोम वेडिंग एलबम में उन फोटुओं के बीच पड़ा है
जहाँ वो उनकी ममेरी बहन की हमारी शादी में डांस करते,
बस बिना कुछ बोले वो अलफ़ , दूसरी ओर करवट कर के ,
बिना कुछ 'किये धरे ' सो गए।
इतना बुरा लगा मुझे ,
पर अगले दिन सुबह भोर होने के पहले ही , जैसे रात की सारी बात भूल के ,
रात का भी उधार चुकता कर दिया उन्होंने।
सुबह एक राउंड तो रोज होता था था लेकिन उस दिन पहली बार
सुबह सबेरे दो राउंड , फर्स्ट टाइम , .
और वो भी खूब देर तक।
मैंने उनकी ओर देखा वार्डरोब में वो मेरे और अपने कपडे रख रहे थे ,
पर पहले
छू भी नहीं सकते थे , कुछ बोलो भी तो चिढा के बोलते थे ,
कपडे उतारने की जिम्मेदारी मेरी तेरे भी अपने भी
और रखने की जिम्मेदारी तुम्हारी।
एक दिन मैं वार्डरोब में कपडे रख रही थी की मेरी ननद आ गयी ,
वही उनकी ममेरी बहन ,गुड्डी।
उसे चिढाते हुए मैंने बोला ,
" देखो अपने भैया को , अपना एक भी काम अपने से , अपने कपडे भी तहियाकर नहीं रख सकते। "
इठलाकर ठसके से बहुत नाजो अंदाज से वो कमिसन किशोरी मुझे छेड़ने की कोशिश करते हुए ,बोली ,
" अरे भाभी आप को लाये ही इसलिए हैं न ,काम करने के लिए। मेरे भैय्या थोड़े ही कुछ करेंगे। "
अपनी नाजनीन षोडसी ननद के गोरे गुलाबी गालों को हलके से पिंच करते मैं चिढाया ,
" कमसिन हो नादाँ हो , . अरे तुझे अभी भी ये नहीं मालुम , करते तो तेरे भइय्या ही हैं , मैं तो सिर्फ करवाती हूँ।
बोल तूने कभी करवाया की नहीं उनसे। "
अब वो थोड़ी शरमा गयी।
मेरी ऊँगली मेरी ननद के गालों से उसके गुलाब से होंठों पर और फिर नीचे ,.
" बच्ची हो तुम अभी ,करने करवाने के बारे में तुझे अभी सिखाना पडेगा। " मैंने फिर छेड़ा।
" बच्ची वच्ची नहीं हूँ ,पूरे ,. साल की हो गयी हूँ। चार साल हो गए टीनेजर हुए। " तुनक के वो बोली।
" अरे तब तो तुम एकदम 'करवाने ' लायक हो गयी , मेरे ससुराल वाली मैंने सुना था चौदह में चुदवासी हो जाती है और तुम तो दो साल और ,तेरी कच्ची अमिया भी तो कैसी गदरा रही है। बोल 'करवा' दूँ तेरे भैया से , वैसे भी मेरी पांच दिन वाली छुट्टी आने वाली है , बिचारे का उपवास हो जाएगा। "
मैं अब खुल के अपनी ननद को छेड़ रही थी।
मेरी ऊँगली उस के कच्चे टिकोरों पर थी ,कड़े कड़े , नए जवानी के गदराते उभार ,
" धत्त भाभी ,आप को सिर्फ एक ही बात सूझती है। "
झुंझला के मेरे चंगुल से छूटने की कोशिश करते वो बोली।
" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। "
हँसते हुए मैं बोली।
उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।
मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।
निजाम बदल गया है
" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। " हँसते हुए मैं बोली।
उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।
मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।
मेरी साडी ब्लाउज पेटीकोट सब अलग अलग खानों में प्रॉपर्ली तहिया के उन्होंने रख दिए थे ,फिर शलवार सूट भी और बाकी ड्रेसेज भी।
मेरे बोलने के बाद मैचिंग लिंगरी , ब्रा ,पैंटी भी
और सारी हाई हील्स ,सैंडल्स , बाथरूम स्लीपर्स सब कुछ सबसे नीचे वाले खाने में।
अपने कपडे भी ,
सारा समानअटैचियों से निकल कर करीने से वार्डरोब में लग चुंका था और मेरी ड्रेसिंग टेबल पर मेरे मेकअप का सारा सामान,
" मेरे भैया तो अपने हाथ से पानी तक नहीं लेते , भाभी सब कुछ आप को ही , . "
मेरे कान में गुड्डी की बाते गूंज रही थी थी और आँखे उन को सब कुछ करते देख रही थी।
मेरी निगाह बिस्तर पर गयी ,
" सुनो ,इस पर वो डबल बेड का ब्लैक साटिन वाली बेडशीट ,. क्या पता आज रात किसी की किस्मत खुल जाए। "
मुस्कराते मैं बोली और फ्रेश होने बाथरूम चली गयी।
लौट के आयी तो सब कुछ एकदम टँच।
वो खड़े मेरी ओर देख रहे थे जैसे अप्रूवल का इन्तजार कर रहे हों।
मैंने प्यार से उनके कढ़े बाल बिगाड़ दिए और मुस्कराने लगी।
ख़ुशी उनके चेहरे पर दौड़ गयी।
मैं खुले वार्डरोब की तरफ देख रही थी ,
" क्या पहनूँ ,क्या न पहनूँ "
बस यही सोच रही थी , उहापोह में लेकिन उन्होंने रास्ता साफ़ कर दिया।
मैं बताता हूँ ,
और एक मेरा फेवरिट शलवार सूट निकाल के दे दिया
और जवाब में मैंने अपनी साडी ,ब्लाउज खोल के उनकी ओर उछाल दिया।
बड़े ध्यान से साडी तहा के उन्होंने वार्डरोब में रख दी , फिर ब्लाउज को भी।
और अब मेरे अंडरगारमेंट्स का नम्बर था , वो उन्होंने न सिर्फ कैच किया ,बल्कि सूँघा भी और चूमा भी ,
मैं तबतक शलवार पहन चुकी थी ,
और उनकी निगाहें मेरे उभारों पर ,
लालची कहीं के , मैंने हलके से बोला।
मैं उन्हें छेड़ने ,ललचाने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी।
जब पी संग हो तो हर दिन होली है ,
मैंने धीरे धीरे अपने मस्त उभारों को सहलाया ,हलके से दबाया , फिर नीचे से उभारते हुए उन्हें ललचाया।
बिचारे जंगबहादुर की हालत खराब थी। एकदम तन्नाया , बौराया ,
और फिर मैंने अपने निपल्स फ्लिक कर दिए ,