Episode 64
सावन अपने पूरे जोबन पे
मैंने लेकिन मोर्चा बदल दिया।
" इनकी माँ का कोई फोन वोन आया या फिर वहां पंडो दबवाने मिजवाने में ही ,. "
मेरी बात काट के खिलखिलाती मेरी जेठानी बोली ,
" अरे बिचारे पंडों की क्या गलती , वो खुद ही धक्का मारती रगड़वाती ,. . "
और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी , मैंने उन्ही से पूछा ,
" क्यों तुम्हारी भौजी सही कह रही हैं न , खूब दबवाती मिजवाती हैं न
लेकिन अभी है भी उनका कितना कड़क बड़ा बड़ा ,दबाने मीजने के लायक। "
जेठानी जी ने जुम्हाई ली तो हम दोनों ने इशारा समझ लिया और हम दोनों भी ऊपर अपने कमरे की ओर ,
सीढ़ी चढ़ते हुए इनके बॉक्सर शार्ट्स में , इनके पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करते ,रगड़ते हलके से मैं बोली
चल मादरचोद ऊपर।
पता नहीं मेरी जेठानी ने सुना तो नहीं,
सुना हो तो सुना हो।
ये इनकी अपने मायके में, पहली रात थी अपने नए रूप में।
और क्या रात थी वो ,
सावन अपने पूरे जोबन पे।
काली काली घटाएं घिरी हुयी थीं , हलकी पुरवाई चल रही थी ,भीगी भीगी सी बस लगा रहा था की कि कहीं आसपास पानी बरसा हो ,
मिटटी की सोंधी सोंधी महक हवा में घुली हुयी ,
कमरे में पहुँच के बजाय दरवाजा बंद करने के
मैंने खिड़की भी खोल दी ,
और बाहर आम का बड़ा पेड़ झूम झूम के , जैसे कजरी गा रहा हो ,
इससे पहले रात में इस कमरे की खिड़की दरवाजे कभी नहीं खुलते थे ,
( कहीं कोई देख ले तो , कोई क्या कहेगा , सेक्स के साथ जुडी गिल्ट फ़ीलिंग , हर चीज एक घुटन के साथ जुडी , छुपी सहमी )
और मैंने अपना कुर्ता उतार के उनकी ओर उछाल दिया , वो उसे तहियाने में लगे थे
की मैं उनके पास ,और नीचे झुक के बॉक्सर शार्ट ,
सररर , नीचे , वो नंगे।
लेकिन अब वो भी तो ,
उन्होंने भी मेरे शलवार का नाडा खींच दिया और शलवार उनके हाथ में
अंडर गारमेंट्स न उन्होंने पहने थे न मैंने।
वो कपडे तह कर के रख रहे थे और मैं निसुती खिड़की के पास ,
खुली खिड़की से आती सावन की गीली गीली हवा का मजा लेती
( ये भी पहली बार था इस कमरे में , सेक्स तो हम लोग बिना नागा करते थे और खूब मजे ले ले कर लेकिन ,
उनका बस चले तो बस ज़िप खोल के काम चला लेते ,
और ज्यादातर कपडे तभी उतरते जब हम दोनों चद्दर के अंदर होते ,लेकिन अब )
सावन की एक मोटी सी बूँद मेरे चेहरे पर पड़ी और फिर कुछ देर में दूसरी मेरे गदराये मस्ताए जुबना पे ,
निपल के बस थोड़ा ऊपर ,
मैं नीचे तक गीली हो गयी।
वो अलमारी बंद ही कर रहे थे ,मेरे ही हालत में बर्थ डे सूट में ,
" ए ज़रा एक सिगी तो सुलगाना , . अरे वो स्पेशल वाली जो अजय जीजू ने दी थी न। "
मैंने खिड़की के पास से खड़े खड़े ही आवाज लगाई।
अब रुक रुक कर बूंदो की आवाज ,कमरे की छत पर से नीचे जमीन पर से ,आम के पेड़ की खिड़कियों पर से ,
अलग अलग एक सिम्फोनी मस्ती की ,
खिड़की से हाथ बाहर निकाल के मैंने चार पांच बूंदे रोप लीं और सीधे अपने उभारों पर मसल दिया।
तब तक वो मेरे पास आके खड़े हो गए थे वही अजय जीजू वाली स्पेशल सिग्गी सुलगा के सुट्टा लगाते ,
क्या जबरदस्त अजय जीजू की वो ,. एक दो सुट्टे में ही बुर की बुरी हालात हो जाती थी , बस मन करता था की कोई लौंडा दिखे तो उसे पटक के रेप कर दूँ।
" साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद , अकेले अकेले। "
उनके मुंह से सिग्गी छीन कर सुट्टा लगाते मैं बोली।
साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद ,
" साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद , अकेले अकेले। "
उनके मुंह से सिग्गी छीन कर सुट्टा लगाते मैं बोली।
सच में दो सुट्टे के बाद ही मेरी हालत खराब हो गयी लेकिन मैंने उनके गोरे गुलाबी नमकीन गालों पे कस के चिकोटी काटती मैंने चिढ़ाया ,
" साल्ले , गाली नहीं दे रही सच बोल रही अरे तेरी उस अनारकली ऑफ आजमगढ़ की
जो तुम एक बार सील खोल दोगे तो बस ,
अब मेरे जीजू लोगों को तो तुमने उस छमिया की कच्ची अमिया , अपनी छुटकी बहनिया के कच्चे कोरे टिकोरे १०० रुपये में मेरे जीजू लोगों के हाथ बेच ही दिए है
तो फिर जब तुम अपने उस माल की सील तोड़ देगे तो मेरे भाई भी , माना सगे नहीं है ,दूर दराज के पास पड़ोस के ,गाँव मोहल्ले के हैं ,लेकिन ,. और फिर तुम साले ,साल्ले तो बन ही जाओगे न।
और फिर अपनी माँ के पहलौठी के तो हो नहीं ,
और तेरी माँ मेरी गारन्टी है , झांटे आने के पहले ही लगवाना चालू कर दिया होगा , तो तुम भोंसड़ी के तो हुए न।
और फिर मादरचोद ,
मम्मी की सबसे कड़ी शर्त तूने पूरी कर दी , अपनी गांड फड़वाने की ,कमल जीजू को पटा के , मम्मी का आज दिन में फोन आया था।
बहुत खुश थीं तुमसे ,कह रही थीं मेरी सास से उनकी बात आज भी हुयी थी , आज से ठीक चौदह दिन बाद , तेरी माँ को ले के वो हाजिर। कह रही थीं वो , बस चौदह दिन उस छिनार के जने से कह देना , अपनी माँ चोदने के लिए तैयार रहे , तो साल्ले अब तो मादरचोद बनने से तुझे कोई रोक नहीं सकता। "
मैं कनखियों से देख रही थी , उन खूँटा अब फिर टनटना रहा था।
मेरी बातों का असर ,या सावन के मौसम की मस्ती का या अजय जीजू के मस्त सिगरेट का , या सबका मिला जुला ,
पर शेर अंगड़ाई ले रहा था।
एक दो सुट्टे और मार के मैंने सिगरेट उनके नदीदे मुंह में खोंस दी और अब वो जम कर सुट्टे लगाने लगे।
बाहर मौसम और जबरदस्त ,.
हवा थोड़ी तेज हो गयी थी , रह रह कर आसमान में बिजली चमक रही थी।
आम का पेड़ मस्ती से झूम रहा था , और अब बौछार थोड़ी तेज हो के हम लोगों को भिगो रही थी।
मैंने शरारत से अपने दो हाथ बाहर कर के अंजुरी में झरती बारिश का ढेर सारा पानी रोप कर जब तक वो सम्हलें ,समझें
कुछ पानी मैंने इनके चेहरे पर डाला और कुछ इनके खड़े खूंटे पर ,उसे मसलते मैं बोली ,
" यार आज तेरे मायके का पहला दिन ,एकदम जैसा मैं सोच रही थी वैसा ही गुजरा तो मेरे मुन्ने को कुछ इनाम तो मिलना ही चहिये न , आओ। "
और ये कह के मैंने उन के मुंह से मसाले वाली सिगी खींच ली और बस दो खूब जोरदार सुट्टे लगा के ख़तम कर बाहर फेंक दी ,
और पलंग पर लेट गयी।
" आओ न "
मैंने बुलाया , मेरी खुली जाँघों को देख के वो समझ गए मैं किस इनाम की बात कर रही हूँ।
उनके होंठ मेरे निचले होंठों पर , जबरदस्त चूत चटोरे तो वो थे ही ,
थोड़े ही देर में सपड़ सपड़ ,. मेरी हालत खराब
क्या मस्त चाट रहे थे वो ,थोड़ी ही देर में बाहर चल रहे तूफ़ान में काँप रहे आम के पेड़ के पत्तों की तरह मेरी देह भी काँप रही थी।
लेकिन इरादा तो मेरा कुछ और चटवाने का था ,
आखिर उनके मायके का मेरा पहला दिन इत्ता स्पेशल गुजरा , खास तौर से अपनी भौजाई के सामने जिस तरह से उन्होंने मेरे तलवे चाटे , एकदम खुल के
मेरी जिठानी की हालत देखते बनती थी ,
तो उनका इनाम भी तो कुछ स्पेशल बनता था न।
और मैंने अपने कूल्हे कुछ और ऊपर उठाये ,
अक्लमंद को इशारा काफी ,
और फिर मम्मी और मंजू ने रोज रोज गांड चटाई में उन्हें ट्रेन भी अच्छा कर दिया था ,
जीभ मेरी चिकनी देह पर फिसलती आगे के छेद से पीछे के छेद की ओर ,
पर तड़पाने में उनका कोई सानी नहीं था ,एकदम मेरी तरह,
जीभ गोलकुंडा के किले के चारो ओर चक्कर काटती रही , बस छोटे छोटे लिक्स
और फिर उस भूरी सुरंग से बस एक मिलीमीटर दूर छोटे छोटे चुम्बनों की बारिश
बाहर बारिश तेज हो गयी थी ,और
अंदर मेरी गालियों की बारिश ,
साल्ले , भोंसड़ी के , तेरी माँ की फुद्दी मारूँ , रन्डी के जने ,गांड़चटटो
चाट मादरचोद चाट ,चाट गाँड़ ठीक से , चाट डाल दे जीभ अंदर ,
गांडू , मजा आया था ने मेरे जीजू से गांड मरवाने में , अभी तो बस ट्रेलर था ,
डाल न जीभ अपनी , तेरे बहन को तेरी रखैल बनाऊं ,
और उनकी जीभ सीधे मेरी गांड के कसे छेद पर
जहां कल अजय और कमल जीजू का मूसल रात भर चला था।
कल सिर्फ उनकी ही कोरी गांड नहीं फटी थी , मेरी भी पहली पहली बार।
जीजू के साथ कल की रात ,.
(बीती हुयी, थोड़ा सा फ्लैश बैक )
बाहर बारिश तेज हो गयी थी ,और
अंदर मेरी गालियों की बारिश ,
साल्ले , भोंसड़ी के , तेरी माँ की फुद्दी मारूँ , रन्डी के जने ,गांड़चटटो
चाट मादरचोद चाट ,चाट गाँड़ ठीक से , चाट डाल दे जीभ अंदर ,
गांडू , मजा आया था ने मेरे जीजू से गांड मरवाने में , अभी तो बस ट्रेलर था ,
डाल न जीभ अपनी , तेरे बहन को तेरी रखैल बनाऊं ,
और उनकी जीभ सीधे मेरी गांड के कसे छेद पर जहां कल अजय और कमल जीजू का मूसल रात भर चला था।
कल सिर्फ उनकी ही कोरी गांड नहीं फटी थी ,
मेरी भी पहली पहली बार।
जब मेरी सहेलियां सुजाता ,अन्नया और सब ,अपनी गांड मराई के किस्से सुनातीं तो मन मेरा भी बहुत करता था
और मेरी दोनों कमीनी बहनें , कमल जीजू ने तो दूसरी तीसरी रात ही चीनू दी की गाँड़ मार ली थी और रीनू की अजय ने चौथे दिन , . फिर कमल जी तो एक गाँड़ के शैदाई , .
चीनू दी का हफ्ते में तीन चार बार पिछवाड़े का बाजा बज जाता ,
और रीनू का वीकेंड या कोई भी छुट्टी हो , उस दिन उस कमीनी की गाँड़ की अजय जीजू मार मार के छुट्टी कर देते थे ,
मेरी भी कोरी अजय जीजू ने ही ली थी , कल की ही तो बात है , .
लेकिन बस दो बातें थी ,
एक तो मैंने जब से इनके मुंह से ये सुना था की इनके अर्ली टीनेज डेज में ,
तीन बार इनकी नेकर सरकायी गयी लेकिन ये बाल बाल बच गए , तो बस मैंने सोच लिया था की ,
पहले इनकी फटेगी तब फड़वाउंगी।
दुसरे बचपन में ही तय हुआ था की पहले मेरे जीजू मेरी कसी कोरी चूत में अपना मूसल चलाएंगे तब इनका नम्बर लगेगा ,
आखिर तीन बहनों में सबसे छोटी थी ,छोटी साली होने का फायदा ,
लेकिन मेरी शादी पहले हो गयी और मेरे बिचारे दोनों जीजू ,
छोटी साली की कसी कोरी कुँवारी चूत फाड़ने का मजा पाने से रह गए ,
तो बस चीनू की शादी में जब पहली बार मैं कमल जीजू से मिली थी तभी मैंने तय कर लिया था ,
कोमलिया भले ही आगे का उद्घाटन पति ने कर दिया लेकिन ,पीछे का जीजू से ही
और कल रात मैंने करवा ही लिया दोनों जीजू से , एक साथ सैंडविच बन के भी , अलग अलग गांड मरवा के भी
उधर उनकी जीभ की नोक अब बार बार पिछवाडे के छेद को कुरेद रही थी ,घुसने की कोशिश कर रही थी।
कल जहां कमल जीजू का मोटा लन्ड घुसा था ,
और मैंने पोज चेंज कर दिया , अब उसी पोज में जो मर्दो की फेवरिट पोज होती है ,
कुतिया बना के ,
बिस्तर पर मैं कुतिया बन गयी ,और खुद अपने हाथ से अपनी गांड का छेद कस के फैला के
चाट साले चाट गँड़ुये , अपनी बहन के भंडुए
कल इसी गांड से तो मेरे जीजू की मलाई भी खूब सपड़ सपड़ चाटी थी न , बोल आया था मजा न।
अरे ठीक से चाट तो , और जोर ,से डाल दे जीभ अंदर , अरे बस १० -१२ दिन की बात है ,
साल्ले , तुझसे तेरी माँ की भी गाँड़ चटवाउंगी , बोल चाटेगा न रंडी की , .
कल इसी लिए न मोटे मोटे लन्ड घोंट रहा था गांड में की ,
तुझे तेरी माँ का भोंसड़ा मिलेगा।
मादरचोद ,चल पहले मेरी गांड चाट ठीक से
खूब जोर जोर से मैं गरिया रही थी ,
बिना इस बात की परवाह किये की कहीं मेरी जेठानी तो नहीं सुन लेंगी नीचे।
और वो भी अब सब परवाह छोड़ के मेरी गांड चाटने में लगे थे।
मेरा सर खिड़की की ओर था ,
इसलिए खुली खिड़की से हलकी हलकी बारिश की फुहारे
मेरे चेहरे पर मेरे उभारों पर बारिश की हलकी हलकी बौछार , मजा दस गुना कर दे रही थी।
जीभ थोड़ी सी अंदर घुसी ,
कभी घिसती कभी गोल गोल अंदर घूमती
चोदने में अगर मेरे दोनों जीजू नम्बर वन थे और गांड मारने में कमल जीजू की पी एच डी थी
तो बुर चाटने और गांड चाटने में ये मेरे दोनों जीजू से २१ - २२ नहीं २५ थे पूरे।
बिचारि उनकी साली रीनू तड़प के रह गयी थी ,
उसकी नीचे की दुकान पर ताला लगा था पांच दिन वाला।
लेकिन मैंने उससे पक्का वायदा किया था की काठमांडू से लौटने पर उसके जीजू उसकी चूत गांड सब चटवाउंगी।
गांड चाटने की ट्रेनिंग देने में तो उनकी सास का पूरा हाथ था लेकिन गांड के अंदर पूरी तरह जीभ डाल के गांड का ,.
ये खास तौर से मंजू बाई की ,. .
अगर इनकी जुबान उसकी गांड के अंदर घुस के लसलसी ,.
तो फिर मार हाथ के ,इनकी गांड वो लाल कर देती थी ,
और उनके चेहरे पर बैठ कर इनकी नाक बंद कर देती ,
इनको एक एक साँस के लिए मुहाल कर देती जब तक इनकी जीभ मंजू बाई की गांड के अंदर पूरी तरह घुस के वो सब ,. लिसलिसी , .
अच्छी तरह चाट चाट के गांड के अंदर का ,. .
और मैंने भी फिर वही पोज अख्तियार कर लिया ,
वो लेटे और बिना मेरे कुछ कहे उनके दोनों होंठ पूरी तरह खुले ,
मैंने भी अपनी गांड के छेद को दोनों हाथों फैलाया और उनके मुंह पै सेंटर कर के बैठ गयी , आगे का काम इनका था ,
थोड़ी देर में ही इनकी जीभ २ इंच अंदर घूम घूम के मेरी गांड के अंदर
मैं गिनगिना रही थी मेरी पूरी देह में सनसनी दौड़ रही थी ,मैं महसूस कर रही थी इनकी जीभ कैसे करोच करोच कर , गाँड़ की अंदरूनी दीवाल से , . सब कुछ , वो लिसलिसी सी ,
और मैंने कस के अपनी गांड को उनके मुंह से चिपका दिया ,.
किसी मोटे लन्ड से कम मजा नहीं देती थी उनकी जीभ ,
और मोटे लन्ड से मुझे और किसकी याद आती , कमल जीजू की याद
कल रात जैसे उन्होंने मेरी गांड मारी थी वो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती , सच पूछिये तो कल मेरी गांड की सुहागरात थी
और जैसे छोटी साली की होनी चाहिए दो जीजू के साथ एकसाथ। कल मुझे छोटी साली होने का असली मजा मिला।
इनकी जीभ मेरी गांड में गोल गोल घूम रही थी और
मेरी आँखों के सामने कल की रात घूम रही थी।
गनीमत था की मेरी गांड की सील अजय जीजू ने खोल दी थी वरना अगर कही कमल जीजू का मूसल सबसे पहले घुसता तो मैं दो दिन चल नहीं सकती थी।
कमल जीजू ने गांड मारने की आइडियल पोज में निहुरा दिया था , और ये सब स्टैंड अलोन मोड़ में हो रहा था ,
ये और इनकी साली रिंग साइड सीट पर बैठे थे मुझसे कुछ फीट दूर पर हीऔर अजय जीजू व्हिस्की की बोतल खोलने में लगे थे।
" बोल मरवाना है गांड़ , "
मेरे खुले चूतड़ पर प्यार से हलके हलके स्पैंक करते कमल जीजू ने पूछा ,
पिछवाड़े का मजा , जीजू के संग
" बोल मरवाना है गांड़ , "
मेरे खुले चूतड़ पर प्यार से हलके हलके स्पैंक करते कमल जीजू ने पूछा ,
मेरे जवाब में मिनट भर की भी देर हुयी होगी पर
तड़ाक तड़ाक तड़ाक तड़ाक
चार हाथ मेरे दोनों चूतड़ों पर और अबकी जोर से,
पहली बार मैं स्पैंकिंग का दर्द /मजा ले रही थी।
" अरी जल्दी हाँ बोल मेरी छिनार बहना, वरना दोनों चूतड़ पर कमल खिल उठेंगे ,लाल लाल। "
रीनू मुझे छेड़ते बोली ,
और बिना रुके मैंने हाँ बोल दिया ,
लेकिन तबतक दो और हाथ पूरी ताकत से और अबकी
सीधे गांड के छेद पर ,
मैं बिलबिला उठी।
थी तो मैं निहुरी थी एकदम कातिक की कुतिया की तरह खुद अपने हाथों से अपनी गाँड़ का छेद चियारे ,
लेकिन मुड़ कर देख रही थी ,
कमल जीजू का लंड ,मोटा बीयर कैन भी मात ,इत्ता मोटा , खूब टनटनाया।
मेरे मुंह में पानी आ रहा था.
गांड अभी भी तमाचे के दर्द से बिलबिला रही थी,
तभी गच्चाक से जीजू ने एक साथ दो ऊँगली मेरी कसी गांड के अंदर , सट्टाक से पेल दिया।
उईईईईई ,
मैंने दांत कस कर होंठों पर गड़ा लिए , दर्द को रोकने के लिए फिर भी जोर की चीख निकल पड़ी।
उईईई
मैं समझ गयी थी ,कमल जीजू का धक्का , चाहे ऊँगली का हो या उनके मोटे बंबू का , होता पूरी ताकत से है।
उन्होंने एक धक्के में ही अपनी दोनों उँगलियाँ एक साथ मेरी गांड में जड़ तक ठोंक दी थी।
धीमे धीमे गोल गोल वो घुमा रहे थे ,मेरी गांड को अपने मोटे लंड के लिए तैयार करने के लिए ,
लेकिन फिर ऊँगली के अगले दोनों पोर मोड़ कर , चम्मच की तरह , फिर मेरी गांड की दीवारों पर
रगड़ रगड़ कर , करोच करोच कर ,
एक बार फिर मैंने इनकी ओर देखा तो ये और इनकी साली रीनू ,
दोनों की निगाहें मेरे गांड के छेद से चिपकी।
रीनू के हाथ में व्हिस्की की बोतल थी जो अभी अजय जीजू ने खोली थी और वो सीधे बोतल से ही गटक गटक ,
लेकिन उसमें से एक भी बूँद रीनू के गले से नीचे नहीं उतरी ,
सब उसके मुँह से सीधे "मेरे उनके "मुंह में ,
दो पेग से ज्यादा ही , ऊपर से सीधे साली के मुंह से , डबल नशा तो होना ही था।
रीनू ने उन्हें चढ़ाया ,
" अरे जीजू ज़रा कमल जीजू का लंड तो देख कैसे फनफना रहा है ,
इत्ता मोटा ऐसे सूखे सूखे तेरी बीबी की गांड में जाएगा तो बिचारी की फट के ,
अरे जरा चूस चूम के होंठों की चिकनाई लगा के , फिर देखना कैसे सटासट तेरी छिनार बीबी घोंटेंगी अपने जीजू का लंड तेरे सामने। "
इधर कमल जीजू की मुड़ी हुयी उंगलिया करोच करोच कर ,मेरी गांड की अंदरूनी दीवाल से ,
जैसे कहते हैं टेढ़ी ऊँगली से घी निकलता है एकदम वैसे ,खूब अंदर तक ,
रीनू ने इशारे से कमल जीजू को अपनी ओर बुलाया और साथ में गाल दबा के इनके होंठ खुलवा दिए।
लेकिन कमल जीजू ने बजाय अपना तन्नाया ,फनफनाता मोटा लौंडा इनके मुंह में पेलने के ,
मेरी गांड में से करोच करोच कर ,रगड़ रगड़ कर निकाली ऊँगली सीधे उनके मुंह में ठेल दी ,
पूरे हलक तक।
और ऊपर से रीनू उनकी साली ,
" अरे जीजू मजे ले ले के चूसो तेरी बीबी की ही गांड का माल है ,
ये मत बोलना की पहले कभी मेरी छुटकी बहना ने स्वाद नहीं चखाया है। "
चखा तो था उन्होंने , और न सिर्फ मेरा बल्कि अपनी सास का भी और मंजू बाई और उसकी छिनार बेटी गीता तो एकदम खुल के ,खोल के ,.
लेकिन ऐसे सब के सामने और वो भी जीजू की ऊँगली से ,
रीनू की लेकिन कन्विंसिंग पावर , कुछ देर में वो चपड़ सपड़
और चार पांच मिनट में जब ऊँगली एकदम चिकनी हो गयी तो उनके मुंह कमल जीजू का लंड , रीनू ने अपने हाथ से पकड़ कर और वो भी
पूरा अंदर तक।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था अपनी आँखों पर
यही , हाँ यही , कैसा इन्होने ,. चीनू के भाई की शादी में , मैं अपने दोनों जीजू की गोद में बैठी थी और दोनों के हाथ मेरे दोनों उभारों पर और यही रीनू ,
" कोमलिया तूने अपना अगवाड़ा तो बचा लिया हमारे मर्दों से लेकिन तेरा कोरा पिछवाड़ा तेरे जीजू लोग ही फाड़ेंगे "
असल में इनके आने का प्रोग्राम कैंसल हो गया था और दोनों मेरी बहनों ने , हम सब बहने जीजू लोग एक ही कमरे में रुके थे , जिस कमरे में मेरी नयी भाभी छवि की सुहागरात होनी थी , और शाम से ही मेरी भाभियाँ , जैसे पता चला ये नहीं आ पा रहे हैं , . . छवि के सामने , . घबड़ा मत जिस समय तेरी फटेगी न उसी समय तेरी कोमलिया ननद की भी फटेगी , फरक सिर्फ इतना होगा की तेरी आगे की फटेगी , कोमलिया की पीछे की फटेगी , तेरा साजन तेरा फाड़ेगा और तेरे दोनों ननदोई कोमलिया की लेंगे , .
लेकिन ये आ गए , सब प्रोग्राम तो छोड़िये , क्या क्या न कहा , ये वो ज़माना था जब ये एकदम मेरी सास जेठानी के कहे पर , सब कुछ इन्हे खराब लगता था , मेरे इनके साथ जॉब पर जाने के पहले वाले दिन , इनके बदलाव के पहले
और क्या क्या न कहा , मुझे तो कहा , . मेरे जीजू , बहनों सब को ,
और मुझे ऑलमोस्ट खींच के ,
लेकिन मुझे लगा अगर मैंने अभी कुछ नहीं किया तो मेरी बहनों मौसी और जीजू लोगों से हमेशा के लिए , और मैं इनसे बहाना बना के ऊपर गयी जीजू के पास दोनों जीजू , और रीनू सब साथ थे कमरे में एकदम टेन्स , .
मैंने कहने की कोशिश की , अरे जीजू , सैंडविच का प्रोग्राम टला है , कैंसल नहीं हुआ है ,
कमल जीजू के मुंह से निकल गया और तेरा वो , अभी दुर्वासा हो गया था
" अरे जीजू , खुद आपका ये खूंटा चूस चूस के खड़ा करेगा , और वो अपनी इस बीबी और मेरी कमीनी बहन की गांड में सटायेगा "
रीनू ने कमल जीजू को फुसलाया
पर मुझे नहीं लग रहा था ये सब सच होगा , उस समय बोलने की बात और थी , पर अब इनकी और कमल जीजू की साली
रीनू
मुझे बहुत घमंड था अपने लंड चूसने पर ,
लेकिन आज ये जिस तरह से कमल जीजू का लंड ,
मुझसे २१ नहीं तो २० तो थे ही ,एकदम सोर्ड स्वालोअर ,पूरे हलक तक।
सपड़ सपड़ और खूब ढेर सारा सैलाइवा लगा के
और फिर उनका मोटा सुपाड़ा निकाल के ढेर सारा थूक उन्होंने और फिर जीभ से पूरे सुपाड़े पर लथेड़ दिया और फिर से ,
चार पांच मिनट तक ,
तब तक रीनू मेरे पास आ गयी और मेरी गांड चियार कर खूब बड़ा सा एक बबल गम के बाल जैसा
थूक का गोला सीधे मेरे गांड के छेद।
इशारे से रीनू ने इनको और कमल जीजू को भी बुलाया ,
" अरे ज़रा मेरी बहना की गांड भी तो चिकनी कर दे , "
और अपनी साली की देखा देखी उन्होंने भी खूब बड़ा सा थूक का गोला बनाया और सीधे मेरी गांड के छेद पे।
चार पांच बार ,बारी बारी से वो और उनकी साली ,
और फिर रीनू ने मेरी गांड के छेद में अपना अंगूठा और तर्जनी डाल के पूरी ताकत से फैलाया और उन्हें भी इशारा किया ,
उन्होंने भी अंगूठे और तर्जनी को मेरी गांड के छेद में डालके ,
दोनों ने , मेरे उन्होंने और उनकी साली ने एकसाथ पूरी ताकत से एक साथ
मेरी गांड का छेद अब थोड़ा सा खुल गया था और कमल जीजू ने अपना बौराया पगलाया मोटा सुपाड़ा मेरी कसी गांड के छेद पे
एक धक्का पूरी ताकत से
मेरी गांड का छेद अब थोड़ा सा खुल गया था और कमल जीजू ने अपना बौराया पगलाया मोटा सुपाड़ा मेरी कसी गांड के छेद पे
इतना मोटा क्या बताऊँ ,पहाड़ी आलू ,छोटा टमाटर सारी उपमाएं सब फेल।
कमल जीजू ने कस के दोनों हाथों से मेरी पतली कटीली कमरिया पकड़ ली थी ,
लेकिन फिर जो हुआ , मुझे विश्वास नहीं हुआ ,
जो काम मैं सोच नहीं सकती थी ,उनकी साली ने , मेरी मंझली बहन ने ,
ृरीनू ने उनके कान में कुछ फुसफुसाया ,
कमल जीजू के तो दोनों हाथ खूब टाइट मेरी कमर को पकड़े थे ,
और इन्होने अपने हाथ से , कमल जीजू का मोटा कड़ा लंड पकड़ के मेरी गांड के खुले छेद पे ,खुद सेट किया ,
कैसा लग रहा था मैं बता नहीं सकती , तभी
सटाक
ओह्ह्ह उईईईईई आह्ह्ह्ह
मेरी जोर की चीख निकल गयी।
एक धक्का पूरी ताकत से कमल जीजू का , और उनका आधे से ज्यादा सुपाड़ा मेरी गांड के छेद में सेट होगया ,
जैसे कोई खूब पतली मुंह वाली बोतल में जबरन कार्क ठूंस दे , बस वैसे ही ,
पर कमल जीजू के धक्के रुके नहीं ,एक के बाद एक ,
उधर मेरी छिनार रंडी बहिनिया , रीनू फोटो ,
फिल्म सब , स्टिल वीडियो अपने लेटेस्ट आई फोन पर
और एक से एक क्लोज अप ,
उनका हाथ कमल जीजू के लंड को पकड़कर गांड के छेद पर सेट करते हुए ,
मेरी कसी कच्ची गांड में घुसा फंसा कमल जीजू का मोटा सुपाड़ा ,
मेरी गांड में धंसा ,घुसा कमल जीजू का सुपाड़ा
चार पांच धक्को में कमल जीजू ने अपना मोटा सुपाड़ा मेरी कसी गांड में घुसा के ही दम लिया।
" चल अब आराम से बैठ के देखते है , पूरा सुपाड़ा अंदर धंस गया है ,अब मेरी छुटकी बहिनिया लाख चूतड़ पटके बिना पूरी तरह गांड मराये साली अब बच नहीं सकती। "
पास में ही रखी कुरसी पर ,जहाँ वो जीजा साली पहले बैठे थे ,रीनू उन्हें खींच के ले गयी।
अजय जीजू पहले ही वहां बैठे थे ,उनके एक ओर अजय जीजू दूसरी ओर रीनू ,उनकी साली।
अजय जीजू ने अपनी मस्ती वाली पेसल सिगरेट , जो अजय जीजू पी रहे थे , उनके मुंह में खोंस दी।
और यहां
पल भर के लिए जीजू ठहरे।
पल भर के लिए मेरी फटती गांड में दर्द कुछ कम हुआ।
और जीजू ने थोड़ा सुपाड़ा बाहर खींचा ,मेरी कमर पर उनकी कलाइयों का जोर थोड़ा और बढ़ा ,
जैसे कोई कुशल धनुर्धर ,प्रत्यंचा खींच कर तीर चढ़ा ले लक्ष्य संधान के पहले ,