Episode 67


किचेन में

इस किचेन में लहसुन प्याज भी नहीं आता ,

शादी के बाद पहले दिन ही , और कित्ती बार वही बात ,

एक कढ़ाई चढ़ाते हुए और उसमे थोड़ा घी डाल के वो मटन बिरयानी डालते हुए मैंने सोचा ,

और आज उसी किचेन में ,चिकन मटन पोर्क सब कुछ ,और अभी तो ये शुरुआत है ,

मेरी सासु जी आएँगी न मेरे घर इनके हाथ से उन्हें चिकन दो प्याजा न खिलाया तो ,.

वो मेरी हरकते देख रहे थे।

" यू आर सच अ गुड ब्वाय कुछ इनाम तो मिलना चाहिए "
,
और उनका बॉक्सर शार्ट नीचे खींचकर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में ,

शादी के शुरु के दिनों में रात भर एकदम लिपटे चिपटे रहते थे लेकिन दिन में अपनी मायकेवालियों के सामने ,

न तुम हमें जानो न हम तुम्हे जाने

और किचेन में तो बिना नहाये घुसने की मनाही ,

एक बार मैं चाय बनाने वाली थी की सासु जी ने टोक दिया

"बहु रात भर क्या क्या,. . . और वैसे ही किचेन में "

यहाँ आज एक कड़ाही में मटन बिरयानी गरम हो रही थी

ओवन में चिकन पिज्जा और उस के बाद सलामी का नंबर

और मैं उसी किचेन में सपड़ सपड़ उन का लंड चूस रही थी।

उसी किचेन में न सिर्फ मैं खुल्लम खुला उनका लंड चूस रही थी , दरवाजा पूरा खुला था , जेठानी बरामदे में बैठ कर टीवी देख रही थी

मैंने फिर थोड़ा सा टारगेट , इनके दोनों रसगुल्ले ( कलावती जिसे पेल्हड़ कहती थी ) पहले तो हलके हलके चाटा फिर कस के

उनकी बॉल्स चूसी

और एक बार फिर उनकी बांसुरी मेरे मुंह में

अबकी माल गिरा के ही मैंने छोड़ा , थोड़ी देर सारी मलाई मेरे मुंह के अगले हिस्से में फिर मेरे थूक में मिली

सब की सब पिज्जा की स्पेशल क्रीम टॉपिंग ,. उन्हें देख कर मैं मुस्करायी ,

और वो भी मुस्कराये ,

जिम्मेदारी तो उन्ही की थी मेरी शुद्ध शाकाहारी जेठानी को चिकेन पिज्जा की वो पीस अपने हाथ से खिलाना

जिसमें चिकेन पीस के साथ उनकी मलाई और 'मेरा भी योगदान 'था

मेरा पति सिर्फ मेरा है ,मेरी मर्जी मैं उसके साथ क्या क्या करूँ।

जेठानी को देखना है तो देखें।

और जब तक मैं दूसरा सलामी वाला पिजा ओवन में गर्म करती ,वो टेबल लगा रहे थे।

और अवार्ड प्रोग्राम देखते , जेठानी जी ने चिकन ,पोर्क ,मटन सब प्रेम से खा लिया।

" पिज्जा अच्छा है न ,सलामी वाला पिजा जेठानी जी को देते मैं बोली।

"एकदम ऐसा मैंने पहले कभी नहीं खाया "

ख़तम करते मेरी जेठानी बोली।

"आपने आपने देवर को पहले कभी नहीं बोला होगा न ,"

और मैंने उन्हें हुकुम सुनाया

"जबतक हमलोग हैं यहां रोज शाम को इसी तरह का पिज्जा "

अपनी जेठानी के लिए किचेन में से ही पिज्जा के एक पीस पर मैं एक्स्ट्रा चिकेन टॉपिंग डाल के लायी थी साथ में मेरी मुंह से निकली इनकी मलाई वाली और उस को ,जेठानी जी के देवर ने अपने ही हाथ से उन्हें गड़प करवा दिया।

सलामी वाली मेरे इशारे पर उनके देवर ने अपने हाथ से ,उनके मुंह में ,

एक पल के लिए उनकी ओर मुंह बनाते बोलीं वो ,

" हे कैसा कैसा लग रहा है ,. क्या है ये। "

मेरे कुछ बोलने के पहले ही उन्होंने मोर्चा सम्हाल लिया ,

" अरे भाभी ये इम्पोर्टेड मशरूम है इसलिए थोड़ा अलग स्वाद ,. "

" और क्या दो चार दिन खाइयेगा ,बस स्वाद लग जाएगा। "

मैं भी अपने सैयां के साथ आ गयी।

तभी मैंने देखा की अपनी भौजाई की ओर देखते उनका तम्बू तन रहा था।

दो बातें मेरे समझ में आ गयी ,

ये साल्ला , इसे अपने घर सारी लौंडिया ,औरतें पसंद है और दूसरी

इनकी भौजाई के धरम भरष्ट या स्वाद बदलवाने वाले खेल में इसे भी मजा आ रहा है।

और अपनी एक गलती भी मेरी समझ में आगयी ,

जब किचन में मैं इनका लिंग चूषण कर रही थी , हाथ से झाड़ कर इनकी सारी मलाई अपनी जेठानी के पिजा पर।

स्पेशल क्रीम टॉपिंग।

आधे से ज्यादा चिकेन और सलामी जेठानी जी ने गड़प कर ली

और मटन बिरयानी भी।

चुन चुन के उन की प्लेट में मैंने मटन पीसेज रखी थी ,

'इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता ' वाली जेठानी जी ने सब साफ़ कर दिया ,

पहले तो कभी चखा नहीं था उन्होंने जो पकड़ पाती ,

हाँ उन पीसेज को इम्पोर्टेड रसियन पनीर बोलना पड़ा।

खाने के बाद मैंने जेठानी जी को आँख मार के पूछा स्वीट डिश चलेगी।

स्वीट डिश

खाने के बाद मैंने जेठानी जी को आँख मार के पूछा स्वीट डिश चलेगी।

समझते हुए भी अनजान बन कर बोलीं ,

" कौन सी स्वीट डिश ?"

"अरे दीदी ,आपका इत्ता स्वीट स्वीट देवर सामने बैठा है ,चलेगा। "

तबतक इनका खूंटा पूरा तन गया था , और बेशर्मी से उनके तने खूंटे को ,

शार्ट के ऊपर से पकड़ कर दबाते मसलते ,मैंने उनकी भौजाई को दिखाया ,

" मस्त चाको बार , चलेगा "

" क्या गलत सलत बोलती हो ,चॉकलेट के रंग का तो नहीं है। "

जेठानी जी मूड में आ गयी थी.

" अच्छा आपने तो देखा होगा ही , होली दिवाली में ,

चलिए चाको बार न सही कोरेनेटो सही ,अब आपने ऊपर वाले मुंह से आज नया नया स्वाद ले लिया है ,

तो नीचे वाले मुंह का भी स्वाद बदल ही लीजिये आज। "

मैंने अपनी जेठानी को चढ़ाया।

मना नहीं किया उन्होंने ,लेकिन बुरा सा मुंह बना के बोलीं ,

" यार ,मेरा पेट गड़गबड़ चल रहा है ,वरना ,. "

मतलब ,बिना समझे वो बोल उठे लेकिन उनकी भौजाई ने उन्हें खुल के समझा दिया।

" तू भी न बुद्धू , अरे मेरी पांच दिन वाली छुट्टी चल रही है। कल से शुरू हुयी है। "

उन्होंने अपनी परेशानी बताई।

" अरे दी , तो इसमें क्या परेशानी की बात है , अब चार दिन ,बल्कि तीन दिन ही तो बचे हैं , और हम लोग कल कौन वापस जाने वाले हैं ,पूरे हफ्ते भर के लिए आये हैं। "

मैंने अपनी जेठानी का मन हल्का कर दिया।

और इन्हे इशारा किया ,

" अरे चल नीचे वाले होंठ आउट आफ ऑर्डर हैं तो ऊपर वाले ही सही ,

गुड्डी की चुम्मी तभी मिलेगी जब मेरी जेठानी जी को खुश करोगे तुम , जरा एक छोटी सी चुम्मी लेकर दिखाओ न। "। "

और जब तक मेरी जेठानी समझे सम्हले , इनके होंठ अपनी भौजाई के होंठों पे ,

और भौजाई की दोनों कलाई मेरे कब्जे में।

सँड़सी ऐसी मेरी पकड़ ,

और मैंने अपनी जेठानी का आँचल नीचे कर दिया , गोल गोल गदराये और उन के हाथ सीधे वहीँ।

मैंने आँख तरेर कर देखा तो अगले पल उनका हाथ ब्लाउज के अंदर ,

बिचारी जेठानी कसर मसर कर रही थीं , छूटने की कोशिश कर रही थीं ,इन्हे बुरा भला कर रही थीं ,

पर हम तीनों जानते थे असल में उनका मन क्या कर रहा है।

और मैंने भला हो मोबाइल फोन वालों का ,

दसियों फोटों , एक डेढ़ मिनट का वीडियो

चलते समय मैंने जेठानी जी को वो फोटुए दिखा भी दी उनका देवर से जोबन मर्दन करवाते ,चुसवाते चुमवाते।

" सासु जी का व्हाट्सऐप नंबर है क्या आपके पास , "

मैंने जेठानी जी से भोलेपन से पूछा।

और बुद्धू वो बोले ,मेरे पास है।

' क्यों क्या करना है " जेठानी जी ने पूछा।

" बस ये सोच रही थी की , . अपनी सासु जी को उनकी बड़ी बहू और छोटे बेटे की ये अच्छी अच्छी फोटुएं भेज दूँ। "

दूर से मोबाइल नचाते ,उन लोगों की हॉट हॉट फोटुएं दिखाते मैं हँसते हुए बोली।

" अरे डीलिट कर अभी , "

बेचारी जेठानी जी बोलीं ,

उनकी बात मान कर मैंने अपनी सासु जी जो तो नहीं भेजी लेकिन इनके सासु जी को तुरंत भेज दी। "

और इनकी सासु जी का कमेंट भी आ गया ,

" लगे रहो मुन्ना भाई , मस्त है लेकिन अपनी उस छुटकी बहिनिया के साथ ऐसी फोटुएं कब भेजोगे। लेकिन पूरा उघार कर दबाना उसकी। तेरे माल के कच्चे टिकोरे देखने के लिए मैं तरस रही हूँ। "

और उनकी सास से ज्यादा तगड़ा उनका कमेंट था ,

" जल्दी ,मॉम बहुत जल्दी। "

( इनके ) मायके की दूसरी रात

और ऊपर कमरे में पहुंचते ही हम दोनों खिलखलाने लगे

दोनों पर जैसे हंसी का दौरा पड़ गया, हंसी रुक ही नहीं रही थी ,

और साथ में एक दूसरे के कपडे उतारने का भी,

उन्होंने मेरी कुर्ती उतार के फेंकी और बोले ,

" इम्पोर्टेड रशियन पनीर ,ही ही ही ही "

और मैंने उनकी बॉक्सर शार्ट खींच दी , बोली

" इम्पोर्टेड मशरूम "

और उन्होंने मेरी पजामी खींच दी ,

" वेज बिरयानी,. " और फिर हम दोनों पर हंसी का दौरा।

मैंने उनकी टी शर्ट उतार के फेंक दी और उन्हें पलंग पर धकेल कर गिरा दिया।

फिर मैंने उनपर हमला बोल दिया ,

होंठों ने ,हाथों ने

पहले उनके गाल मैंने काटे कचकचा के पूरी ताकत से ,

थे भी तो खूब नमकीन और कचकचौवा, एकदम मालपूआ।

फिर होंठ और जीभ अपनी उनके मुंह में ऐसे ठेल दी , जैसे

वो अपना लंड मेरी बुर में पेलते हैं , हचक के.

फिर उनके सीने पर उनके निपल्स को हलके हलके बाइट

और फिर नाभि में मेरी जीभ अटक गयी ,उसे छेड़ती चाटती ,

एक पल का टाक ब्रेक लेके मैं पचास बार तो बोली ही होउंगी ,

आई लव यू ,आई लव यू ,

यार यू आर जस्ट मेड फॉर मी

और

फिर हाथ भी मैदान में आ गए , उनके निपल को स्क्रैच करने लगे।
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