Episode 68


आज मैं बहुत खुश थी , बहुत , बहुत ,. .

जीभ इनके खूंटे के बेस को सहलाती रही ,

फिर एक एक बॉल्स उनकी लेके मैं चूसने चुभलाने लगी।

मेरे हाथ अब उनके नितम्बो पर थे थोड़ा उन्हें उचकाकर बॉल्स और पिछवाड़े के बीच की जगह पर

और कभी कभी गोलकुण्डे के दरवाजे पर भी

माना गांड चाटने में वो एक नंबरी थे लेकिन मैं भी कोई कम नहीं थी।

कहने की बात नहीं खूंटा उनका खूब फनफनाया , तना एकदम ९० डिग्री पर।

जीभ एक बार फिर खूंटे के बेस से खुले सुपाड़े तक ,

कुछ देर चाटने चुटने के मैं ' उसी से ' बात करने लगी।

" भूलना मत ,ठीक तीन दिन बाद मेरी जेठानी की छुट्टी ख़तम होने वाली है छोड़ना मत उसे ,मादरचोद ,चोद देना पटक के। प

हले मेरी जेठानी, फिर मेरी सास और छिनार ननद भी तो है।

कसी कोरी चूत से लेकर रसीले भोंसडे तक ,तेरा मायका तो एकदम माल रोड हो रहा है।

अरे फेसबुक और व्हाट्सऐप से ढूंढ कर तेरी सारी कजिन्स की लिस्ट बना ली है मैंने ,जिनकी झांटे आनी बस शुरू हुयी है से लेकर चुदवाने में कालीन गंज ( इनके मायके की रेड लाइट एरिया ) रंडियों को मात कर देने वाली सारी ,सब की दिलवाऊंगी तुझे ,

मादरचोद ,बहनचोद ,भाभी चोद , सब बनाउंगी , . आज तूने मेरा दिल खुश कर दिया। "

इसके बाद मेरी बोलती बंद हो गयी, क्योंकि मेरे लालची होंठों ने इनका मोटा सुपाड़ा गड़प कर लिया और लगे चूसने चुभलाने।

मेरी ऊँगली क्यों शैतानी से बाज आती ,और अब तो पीछे का रास्ता खुल भी गया था ,

बस गचाक से एक ऊँगली मैंने जड़ तक पेल दी. और लगी ऊँगली से उनकी गांड मारने।

गचागच गचागच।

बिचारे चूतड़ उठा के , मेरे होंठों का भी मजा ले रहे थे और ऊँगली का भी।

थोड़ी ही देर में इनका आधे से ज्यादा लंड मेरे मुंह में ,

और मेरी दो उँगलियाँ इनकी गांड में ,जड़ तक।

मैं जोर जोर से चूस रही थी , चाट रही थी।

मेरे गुलाबी रसीले होंठ इनके मोटे कड़े मूसल पे रगड़ते हुए ,

मेरा पति सिर्फ मेरा है

मैं जोर जोर से चूस रही थी , चाट रही थी।

मेरे गुलाबी रसीले होंठ इनके मोटे कड़े मूसल पे रगड़ते हुए ,

घिसते हुए ,दरेरते हुए , इनके लंड का मजा ले रहे थे

सच में मस्त लंड है मेरे सैयां जी का तभी तो साली सब इनकी मायकेवालियाँ ,.

वो भी मेरे सर को पकड़ के प्रेस कर रहे थे , और धीमे धीमे मेरे हलक तक

हचक हचक कर , पूरी ताकत से मुंह चोद रहे थे ,मेरा।

चाहे बुर चोदने की बात हो या मुंह दोनों में अव्वल।

डीप थ्रोट में मजा तो बहुत आता है जब हलक तक मोटा सुपाड़ा रगड़ रगड़ कर ,

लेकिन थोड़ी देर में मेरे गाल दुखने लगे , और मैंने लंड मुंह से बाहर निकाल लिया।

लेकिन इतना मोटा कड़ा मस्त लंड मैं ऐसे थोड़े ही छोड़ने वाली थी।

अब मुंह में ढेर सारा थूक लेके , मैंने लंड के बेस पर लगाया , और लगी साइड से लिक करने।

झंडा एकदम खड़ा था।

और फिर उनकी फेवरिट चीज,

मैंने अपने गुलाबी मखमली होंठों के बीच एक बाल लेकर

हलके हलके चूसना चुभलाना शुरू किया ,बीच बीच में मेरी शरारती जीभ की नोक उनके बाल को छेड़ देती।

वो सिसक रहे थे ,तड़प रहे , चूतड़ पटक पटक कर , मस्ती ,

आई लव यू मेरे सोना , आज कित्ती हेल्प की तुमने मेरी जेठानी जी का ,.

बस दो चीज और ,.

और अपनी बात अधूरी छेड़ कर मैंने उनकी दूसरी बाल गड़प कर ली

और पहले से भी तेज चूसने चुभलाने लगी।

लेकिन मेरी बात अनसुनी करना , पहली रात से मैंने देखा था ,

वो सोच भी नहीं सकते थे।

कौन सी दो बात, उन्होंने पूछ लिया . . .

लेकिन मेरे मुंह में तो उनकी बाल ,

अब इतना मस्त रसगुल्ला कौन छोड़ता।

कुछ देर चूसने चुभलाने के बाद , उनके सुपाड़े को लिक करते हुए मैंने उनकी आँखों में आँखे डालकर देखा ,

" तेरी भौजी को मटन बिरयानी बहुत पसंद आयी न ,लेकिन तुम्हारी बनायी बिरयानी के आगे तो ये एकदम बेकार ,. "

किस मर्द को अपने बनाये खाने की तारीफ़ पसंद नहीं ,

और खैर ये बनाते भी बहुत अच्छा हैं ,सारी नान वेज डिशेज।

उन्होंने हामी में सर हिलाया तो मैंने पत्ता फेंका ,

मैं भूल नहीं सकती थी , " इस रसोई में तो लहसुन प्याज तक नहीं आता ,. "

"अपने हाथ से यहीं बना के अपनी भौजाई को खिलाओ न , वो स्पेशल वेज बिरयानी इम्पोर्टेड पनीर वाली। "

हम दोनों देर तक खिलखिलाते रहे , ही ही ही ही।

पर उन्होंने एक सवाल दाग दिया ,

" लेकिन तेरी जेठानी के सामने ,कैसे? "

" ये चिंता तू मेरे ऊपर छोड़ दे , मैं उन्हें लेके पांच छह घंटे के लिए चली जाउंगी न और तुम जब ऑल लाइन क्लियर का मेसेज दोगे ,उसके बाद ही

उनके लेके , . "

" तब तो कोई प्राबलम नहीं है " खुश होते हुए वो बोले।

लेकिन एक प्राबलम मेरी दिमाग में घुस गयी ,

" तुझे मालूम है यहां मटन वटन कहाँ मिलता है ?"

" एकदम खाता नहीं तो क्या , . देखा तो है , मटन चिकेन पोर्क फिश और सब ताज़ी अपने सामने कटवाकर , . "

उन्होंने जवाब दे दिया।

मारे ख़ुशी के अपनी दोनों कड़ी कड़ी गदरायी चूँचियों के बीच उनका लंड लेकर , कसर मसर

टिट फक,चूँची चोदन

टिट फक,चूँची चोदन

मारे ख़ुशी के अपनी दोनों कड़ी कड़ी गदरायी चूँचियों के बीच उनका लंड लेकर , कसर मसर

टिट फक,चूँची चोदन

मस्ती से उनकी हालत खराब हो रही थी ,

और ऊपर से मैं बीच बीच में मेरी चूँचियों के बीच से झांकते , उनके मोटे सुपाड़े को

कभी जीभ से चाट लेती तो कभी

होंठों के बीच लेकर चुभलाने लगती।

सिसकियों के बीच , उन्होंने पूछ ही लिया ,

और वो दूसरी बात , ?

" अरे आज से तीन दिन बाद, जिस दिन उन्हें खुद किचेन में बनाकर ,मटन ,पोर्क ,चिकेन ,फिश सब , . तो बस उसी दिन

ऊपर के मुंह के साथ नीचे वाले मुंह की भी दावत करा देना। खुद ही तो उन्होंने तुम्हे हिंट दिया था , उस दिन उनकी ' वो वाली ' छुट्टी ख़त्म होगी।

बस,और उस दिन तो ऐसे चींटे काटते हैं बुर में , बस मटन पोर्क चिकेन ऊपर वाले मुंह में , नीचे वाले मुंह में पटक के चोद देना छिनार को. "

" वो तो तीन दिन बाद ,तेरी जेठानी का नंबर लगेगा लेकिन पहले उनकी देवरानी को तो चोद दूँ। "

और अगले पल वो मेरे ऊपर थे ,मुझे दुहरी कर के ,मेरी दोनों लम्बी टाँगे उनके कंधे पर ,

और एक के बाद एक करारे धक्के।

चार पांच धक्को में ही उनका मोटा पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पर ठोकर मारने लगा।

जब थोड़ी सांस लेने का मौक़ा मिला तो , उनकी बात को याद दिलाते उन्हें चिढ़ाते मैं बोली ,

" अच्छा , इसका मतलब अभी देवरानी को चोद रहे हो और तीन दिन बाद जेठानी को चोदोगे। "

कचकचा कर मेरी चूँची काटते , सुपाडे तक मूसल बाहर निकाल कर एक धक्के में पूरा पेलते मेरे सैयां बोले ,

" अरे आज तक तेरी बात टाली है मैंने जो ये टालूंगा , लेकिन तू भी ,. . "

उनका मतलब समझ नीचे से धक्के का जवाब धक्के से देती मैं बोली ,

" एकदम मेरे साजन , तेरे साथ ही रहूंगी ,पूरी रात ,बस सारी रात चोदना अपनी भौजाई को ,असली लंड क्या होता है उन्हें मालूम हो जाएगा "

और मन ही मन मैं सोच रही थी ,

मेरे बावरे बालम , अरे सिर्फ तेरी भौजाई ही नहीं जब तू अपनी छोटकी बहिनिया को चोदेगा ,अपनी माँ चोदेगा तब भी मैं तुम्हारे साथ रहूंगी। "

इसी बीच उन्होने तूफानी चुदाई के साथ तिहरा हमला बोल दिया ,

उनके होंठ मेरे निपल चूस रहे थे ,चूँची काट रहे थे ,

उंगलिया मेरी क्लीट मसल रही थीं ,रगड़ रही थीं

और लंड हर धक्के में सीधे मेरी बच्चेदानी पे ,

मेरा पति सिर्फ मेरा है

कोमल जी,
"मेरा पति सिर्फ मेरा है "
यह कह कर आपने सारी दुनिया ही जीत ली।

अब जो कुछ भी होता है पति - पत्नी के बीच उसका क्या खूबसूरत व्याख्यान किया है , साथ ही एक औरत की डोमिनान्स भी एकदम सटीक दिखाई पड़ती है , असल जिंदगी मैं औरत शायद ही ये सब कर पाती हो, चलो न सही, पर आपके साथ शब्दों के मायाजाल मैं कुछ सुकून मिल जाता है, डोमिनान्स व् प्यार वो भी हक़ के साथ कबीले - ऐ - तारीफ, आप लिखती जाओ मैं [निहारिका] और कई मुझ जैसे कई और किशतीयां गोते लगा रही हैं। . . . .

इंतज़ार मैं। . . . .

आपकी निहारिका

सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका

देह का सावन

इसी बीच उन्होने तूफानी चुदाई के साथ तिहरा हमला बोल दिया ,

उनके होंठ मेरे निपल चूस रहे थे ,चूँची काट रहे थे ,

उंगलिया मेरी क्लीट मसल रही थीं ,रगड़ रही थीं

और लंड हर धक्के में सीधे मेरी बच्चेदानी पे ,

चार पांच मिनट के अंदर मैं झड़ने लगी ,

मैं काँप रही थी , झूम रही थी सावन के बादलों की तरह ,

उनकी चुदाई की रफ़्तार थोड़ी कम हो गयी लेकिन रुकी नहीं

और जब मेरा झड़ना रुका तो एक बार फिर वो फुल टेम्पो पर.

लेकिन कुछ ही देर में उन्होंने मुझे निहुरा कर कुतीया बना दिया।

ठीक ही किया।

क्या कातिक में देसी कुतिया गरमाती होगी ,

जिस तरह से मैं गरमा रही थी ,

चुदवासी हो रही थी।

और वो भी निहुरा के मुझे ,धक्के पे धक्का , और हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर।

उनके दोनों हाथ मेरे मोटे मोटे चूतड़ों पर ,

क्या मजा आ रहा था चुदाई का , खुली खिड़की से सावन की ठंडी हवा आ रही थी।

मैंने जोर से तकिये को दबोच रखा था ,

निहुरि हुयी ,झुकी हुयी मैं उनके जबरदंग धक्कों का जवाब धक्के से,साथ में

" मादरचोद , कहाँ से इत्ता मोटा मूसल जैसा लंड पाया तूने ,

तेरी माँ का भोंसड़ा मारुं , गदहे से चोदवा के की घोड़े से चोदवा के तुझे जाना जना , अरे रंडी की औलाद,

हराम जादे ,अरे जिस छिनार के भोंसडे से निकला है उसी भोंसडे में तेरा ये मोटा लण्ड पिलवाउंगी , मादरचोद। "

और इन गालियों का जो असर मैं सोच रही थी , वही हुआ।

गालियों से खास कर माँ बहन की गालियों से इनका जोश दस गुना हो जाता है।

जैसे कोई धुनिया रुई धुनें उसी तरह वो मुझे धुन रहे थे ,

चोदने के साथ साथ मेरी चूँचियों की रगड़ाई , गाल काटना , बुर के ऊपर ऊँगली से रगड़ना ,क्लिट की मसलाई ,

नतीजा ये हुआ की ७-८ मिनट मैं फिर झड़ने के कगार पे पहुँच गयी।

तीन का घंटा कहीं दूर बजा।

मेरी देह की हालत ये मुझसे जानते थे ,बस कस कस कर अंगूठे और तर्जनी के बीच उन्होंने क्लिट की ये मसलाई शुरू की

कि ,मैं झड़ने लगी , झड़ती रही ,झड़ती रही ,

इनका सुपाड़ा सीधे मेरी बच्चेदानी पर ,

पर कुछ देर के लिए इन्होने भी धक्के मारने बंद कर दिए।

मैं थक भी गयी थी ,जब मेरा झड़ना रुका तो फिर एक दो मिनट रुक कर ,हलके हलके धक्के उन्होंने शुरू किये।

लगा मुझे की मैं सावन के झूले का मजा ले रही हूँ , और वो पेंग लगा रहे हैं ,

साजन सजनी

देह का सावन

बुरा हो मोबाइल बनाने वालों का ,

इनके फोन की घंटी बजी ,

वैसे तो इस हालत में वो किसी का फोन नहीं उठाते लेकिन उन्होने फोन उठा लिया ,मेसेज था।

सिर्फ दो लोगों का फोन वो हमेशा उठा लेते हैं एक तो मम्मी का ,और मम्मी का मेसेज इत्ती रात को वो भी इनके फोन पे ,

उन्होंने फोन मुझे पास कर दिए ,

इनकी साली

सिर्फ दो लोगों का फोन वो हमेशा उठा लेते हैं एक तो मम्मी का ,और मम्मी का मेसेज इत्ती रात को वो भी इनके फोन पे ,

उन्होंने फोन मुझे पास कर दिए ,

हूँ , उसी दूसरे का फोन था ,इनकी साली , नया नया जीजा साली का असली रिश्ता बना था , रीनू , मेरी मंझली बहन ,

मुझसे थोड़ी ही बड़ी।

मेसेज था , जीजू स्काइप पे आओ न , तुरंत।

और बिना लंड बाहर निकाले उन्होंने स्काइप आन कर दिया।

उधर मेरी दोनों बहने थी चीनू और रीनू और दोनों जीजू कमल और अजय , और इधर मैं और वो।

चुदाई उधर भी जबरदस्त चल रही थी ,

चीनू की सैंडविच बनी थी ,

कमल जीजू अपनी बीबी की गांड में और अजय जीजू बड़ी साली की बुर में।

यही दिखाने के लिए रीनू ने स्काइप आन करवाया था।

उन के और रीनू के बीच मस्ती चालू हो गयी ,

काठमांडू से लौटने के बाद की बात , ये उससे कम से कम हफ्ते भर रुकने के लिए बोल रहे थे ,

मैं तो दो बार झड़ चुकी थी थकी भी बहुत थी पर बिचारे ये ,

मजा तो इन्होने भी पूरा लिया था पर बिना झड़े ,

मेरा भी सच पूछिए तो प्लानिंग यही थी की अब इनके लंड का पानी सीधे मेरी ननद कम सौत की देह के अंदर जाय।

और यही हुआ।

भला हो इंटरेनट कनेक्शन वालों का ,घंटे भर में डिस्कनेक्ट हो गया ,

तब तक नीचे घंटी बजी।

उन के कड़े अनझड़े,लंड को मुठियाती मैं मुस्करा के बोली ,

" जाओ , कलावती होगी , खोल दो न, बिचारी जाने कब से ,. । "

वो नीचे गए, और मैं नींद की गोद में।

कब लौट कर आये,

नीचे उन्होंने क्या खोला , क्या किया पता नहीं

लेकिन मेरी नींद आठ बजे खुली जब बेड टी के साथ इन्होने जगाया।

इनके मायके का एक और दिन शुरू हो गया था।

और वो आ गयी।

अगले दिन दस साढ़े दस बज रहे होंगे, मौसम भी थोड़ा आशिकाना हो रहा था। हवा में कुछ देर पहले ही बंद हुयी बारिश की भीगी भीगी महक थी । आसमान में धूप और बदरिया लुका छिप्पी खेल रहे थे, और
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