Episode 69
और वो आ गयी।
अगले दिन दस साढ़े दस बज रहे होंगे, मौसम भी थोड़ा आशिकाना हो रहा था।
हवा में कुछ देर पहले ही बंद हुयी बारिश की भीगी भीगी महक थी ।
आसमान में धूप और बदरिया लुका छिप्पी खेल रहे थे, और
वो ऊपर हमारे कमरे में थोड़े अलसा रहे थे , थोड़े जागे थोड़े सोये ,जब मैं पहुंची उन्हें खुश खबरी देने ,
बता नहीं सकती कैसे लग रहे थे वो ,
खूब मीठे मीठे , सो हैंडसम , क्यूट।
बस एक मेश ,स्प्लिट शार्ट,एकदम झलकौवा , और उनका खूंटा अधजगा सा ,
एकदम साफ़ झलकता।
मम्मी की पसंद ,मेश ,पॉलिएस्टर ,सिंगल प्लाई एकदम सी थ्रू ,. . और उनके खुले सुपाड़े पे रगड़ता।
उन्हें ऐसे देख के मैं क्या करती , वही करती जो मैंने किया ,
शार्ट के ऊपर से कस के उनके खूंटे को रगड़ती , मैंने उन्हें खुशबरी सुनाई ,
"उठ यार तेरा माल आ गया है। "
नींद ,आलस सब एक पल में गायब ,उनकी आँखों में एक अजब सी चमक ,चेहरे पर ख़ुशी आ गयी थी।
" सच्ची " वो चहक के उठते हुए बोले।
" एकदम " और शार्ट के ऊपर से ही और जोर से खूंटे को मसलते रगड़ते मुठियाते मैं बोली ,
" स्साले , माल का नाम सुन के तेरा ये हाल हो गया है तो देख के क्या होगा।
और यार लेकिन एक बात ,तेरा माल एकदम मस्त होगया है। गदरा गयी है स्साली। खूब दबाने ,मसलने रगड़ने लायक।
और गाल भी इत्ते चिकने मुलायम ,एकदम मालपूआ।
कचकचौआ ,काटना जरूर और वो भी मेरी जेठानी के सामने। "
मुश्किल से हाँ निकली उनके मुंह से।
पर मेरा अमोघ अस्त्र था न मेरे पास , मेरा मोबाइल जिसमें उनकी 'अच्छी वाली ' फोटुएं भरी पड़ी थी ,
अजय और कमल जीजू के साथ ,
हसबैंड नाइट की आल ड्रेस्ड अप ,
मेरी उँगलियाँ मोबाइल के बटनों पर टहल रही थीं ,
लेकिन उसकी जरुरत नहीं पड़ी।
वो खुद ही बेताब थे अपनी दिलेजाना से मिलने को तम्बू में बम्बू अब एकदम खड़ा था।
मुस्कराती उनकी हालत देखकर मैं बोली ,
" साले , तुम तो हो ही पैदायशी बहनचोद , तेरी माँ का भोंसड़ा मारुं ,
लेकिन जब हो तो हो ,ज़रा देखूं तो बहन का नाम सुन के इसकी क्या हालत है। "
और मैंने तम्बू उठा दिया ,बम्बू झट से बाहर , जैसे स्प्रिंग लगा हो ,
पूरे बालिश्त भर का ,कड़ा जैसे पत्थर।
मैंने उन्हें हल्का सा धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया , साया साड़ी मेरी कमर तक ,
और मेरी चूत उनके मुंह पे , रगड़ते घिसते ,मैंने अपने सैंया के मोटे कड़े फननाये लंड को पकड़ लिया
कस कर दबाती ,मसलती अपनी मुट्ठी में ,मैं बोली ,
" बोल बहुत मस्ती चढ़ी है जाएगा न अपनी उस छिनार एलवल वाली की बिल में ,
अरे बिल क्या उस के मुंह में गांड में हर जगह घुसवाऊँगी। वो साल्ली आयी ही है घुसवाने , बहुत मस्ती चढ़ी है ,
बस तुम मत शरमाना उससे , क्या समझाया था तुझे एकदम रंडी की तरह बेशरम हो के ,. "
और प्यार से एक हलकी सी चपत उनके पगलाए लंड पर मैंने जड़ दी।
और अब हम दोनों 69 वाली पोज में थे।
हाथ की जगह अब मेरे होंठों ने ले लिया था ,
पहले तो जीभ की नोंक से उनके पी होल ( पेशाब के छेद ) को छेड़ा ,
फिर जीभ से सुपाड़े के चारो ओर।
पहले हलके हलके , फिर तेजी से और फिर एक झटके में गप्प , पूरा मोटा मांसल सुपाड़ा मेरे रसीले गुलाबी होंठों के बीच ,
सपड़ सपड़
होंठ सुपाड़े को दबा रहे थे ,जीभ लपर लपर सुपाडे को चाट रही थी ,और मैं पूरी ताकत से चूस रही थी।
लेकिन मेरी उंगलियां भी खाली नहीं बैठी थीं , पहले तो उनके तन्नाए लंड के बेस पे , फिर बॉल्स पर ,
फिर बॉल्स और पिछवाड़े के बीच वाली जगह , फिर सीधे पीछे गोलकुंडा के गोल गोल दरवाजे के चारों ओर,
और गप्पाक ,
एक झटके में मेरे मखमली मुंह ने उनका आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया ,पूरे ५-६ इंच.
गचाक , एक झटके में मेरी मंझली ऊँगली उनकी गांड में। एकदम जड़ तक।
और वो भी खूब मस्त हो के मेरी बुर चूस रहे थे , संतरे की फांको की तरह मेरे दोनों भगोष्ठों को उन्होंने चूसा और फिर
उसे फैला के जीभ पूरी अंदर ,मेरी गीली बुर में।
मेरी ऊँगली हचाहच उनकी गांड मार रही थी ,
पीछे से ,गांड के अंदर से उनके प्रोस्ट्रेट को , मर्दों की जादू की बटन को दबा रही थी छेड़ रही थी ,
और मेरा मुंह वैक्यूम क्लीनर से भी जोर से उनके लंड को चूस रहा था।
दो तीन बार आलमोस्ट उन्हें मैं झाड़ने के कगार पर ले जाके रुकी ,
और साथ में शब्दों की झड़ी , ताने ,उन्हें उकसाना , गालियां ,
" बोल न ,कैसा लग रहा है अपने उस मस्त माल के बारे में सोच सोच के , साले बहन के भंडुए , जो सोच के ये हाल हो रहा है तो जो देखेगा तो ,फिर तो ,.
अरे आज मौका है ,खुल के ज़रा भी शर्माना ,झिझकना मत , चाहे वो मना करे ,झिझके ,
भले ही खूब जबरदस्ती करने पड़े , लेकिन आज उसकी कच्ची अमिया का स्वाद लिए बिना छोड़ना मत ,
वो भी हम लोगों के सामने ,
अरे मैं रहूंगी न मेरे सोना मोना तेरे पास , बस आज मसल देना कस के उसकी चूँची ,
बस जैसे जैसे मैं इशारा करूँ, अरे वो छिनाल आयी ही है दबवाने।
आते ही मुस्करा के पूछा , भाभी भैया कहाँ है। तो आज भैय्या से सैयां बनने का पूरा मौका है। छोड़ना मत साल्ली को। "
मस्त माल
" बोल न ,कैसा लग रहा है अपने उस मस्त माल के बारे में सोच सोच के , साले बहन के भंडुए ,
जो सोच के ये हाल हो रहा है तो जो देखेगा तो ,फिर तो ,.
अरे आज मौका है ,खुल के ज़रा भी शर्माना ,झिझकना मत , चाहे वो मना करे ,झिझके , भले ही खूब जबरदस्ती करने पड़े , लेकिन आज उसकी कच्ची अमिया का स्वाद लिए बिना छोड़ना मत ,
वो भी हम लोगों के सामने ,
अरे मैं रहूंगी न मेरे सोना मोना तेरे पास , बस आज मसल देना कस के उसकी चूँची ,
बस जैसे जैसे मैं इशारा करूँ, अरे वो छिनाल आयी ही है दबवाने।
आते ही मुस्करा के पूछा , भाभी भैया कहाँ है। तो आज भैय्या से सैयां बनने का पूरा मौका है। छोड़ना मत साल्ली को। "
मेरी बातों का असर उनपर साफ़ पता चल रहा था जिस तरह से उन्होंने मेरी चूत चूसने की रफ़्तार बढ़ा दी थी ,
लंड जिस तरह उनका टनटना रहा था।
और मैंने भी उनका पूरा लंड घोंट लिया था ,जोर जोर से चूस रही थी। तभी मुझे कुछ याद आया ,
" अरे साले ,जब से तू अपने मायके आया है तुझे एक दिन भी बेड टी नहीं पिलाई , बुरा मानने की बात ही है ,चल खोल मुंह ,. . "
और गप्पाक से मुंह उन्होंने खोल दिया , खूब बड़ा सा ,
मैंने कमर थोड़ी सी उठायी और ,प
हली , बूँद सुनहली ,
पहले धीरे धीरे , . . फिर तेज सुनहली धार ,
साथ ही साथ मैंने उनकी गांड से ऊँगली निकाल ली और फिर एक साथ दो ऊँगली ,एकदम जड़ तक।
एकदम जादुई असर हुआ उनके लंड पे ,
एकदम लोहे का खम्भा , एकदम टनटनाया ,
और मैं जानती थी अब अगले ३०-४० मिनट तक इसकी यही हाल रहने वाली है।
साथ साथ वो सुनहरी शराब गटक रहे थे,घूँट घूँट।
" हे सब मत गटक लेना ,थोड़ा मेरी उस छुटकी ननदिया के लिए भी अपने मुंह में बचा के रखना। "
मैंने समझाया।
और वार्डरोब खोल के मैंने एक शर्ट खोल के निकाली और उनकी ओर उछाल दी ,
एक फ्लोरल टैंक शर्ट , आलमोस्ट ट्रांसलूसेंट , स्लीवेल्स।
और जब तक वो शर्ट पहन रहे थे मैंने अपनी लिपस्टिक फ्रेश कर ली।
डार्क रेड स्कॉरलेट , वेट लुक वाली ,मेरा फेवरिट कलर।
और उनके बाल भी थोड़े मैंने ठीक कर दिए जेल लगा के।
वो थोड़ा हिचकिचा रहे थे , और बात भी थी ,
फ्लोरल स्लीवलेस टैंक शर्ट
और मूंछ भी एकदम सफाचट , चिकनी चमेली ,
,उनके सिक्स पैक्स अच्छी तरह झलक रहे थे ,
और उससे भी बढ़कर मेश ,पालिएस्टर स्प्लिट शार्ट ,
तम्बू एकदम तना , और झलकता , आधे घंटे तक तो इसकी यही हालत रहने वाली थी।
" अरे चल जल्दी यार वरना वो तेरी बहना यहीं चली आएगी ,ऐसी चुदवासी हो रही है वो , बोल चोदेगा न उस छिनाल को "
मैंने हड़काया।
पर उन्होंने वो किया की मैं मुस्कराये बिना नहीं रह सकी।
" यारों का चलन है गुलामी ,
देते हैं हसीनो को सलामी "
झुक कर गुनगुनाते हुए उन्होंने तीन बार मुझे फर्शी सलामी दी।
" ठीक है तू तो जोरू का गुलाम है ही ,तेरे माल को भी गुलाम बना लुंगी। "
और उन्हें अपनी ओर खींच के ,
स्मूच स्मूच ,स्मूच स्मूच ,
दो किस्सी सीधे उनके लिप पे और दो गालों पे ,
और हम दोनों सीधे नीचे , उनके तने तम्बू को पकड़ कर ,
सीधे उस कमरे में , जहाँ उनकी जानेजाना इन्तजार कर रही थीं।
उफ़,
कोमल जी,
आपकी यह तरसाने और तड़पाने की कला , गज़ब। आप तो उफ़, क्या कहु एकदम डीप फ्राई कर के खा जाती हो.
एकदम करारा , रोस्टेड , मस्त सिका हुआ।
आज तो आपने मेरी जवानी की याद दिला दी, करीब - करीब ऐसे ही थे मेरे जोबन , जब मैं सेकंड ईयर मैं थी.
सच्ची कहु तो वो मेरे जिस्म का सबसे "कामुक" साल था , इसके बारे मैं फिर बताऊगी उधर "अपनी सहेलिओं के थ्रेड पर" यहाँ सिर्फ आपकी बातें।
उफ़, क्या मस्त गरम किया हैं, "चिड़िया" के शिकार के लिए , बस एक बटन ही दबाना रह गया है जैसे , मिसाइल का, और चुलबुली चिड़िया का "काम" तमाम।
और यह तो, जैसे सोने पे सुहागा। .
और साथ में शब्दों की झड़ी , ताने ,उन्हें उकसाना , गालियां ,
" बोल न ,कैसा लग रहा है अपने उस मस्त माल के बारे में सोच सोच के , साले बहन के भंडुए , जो सोच के ये हाल हो रहा है तो जो देखेगा तो ,फिर तो ,.
बस , तड़पते हुए। . . इंतज़ार
कुछ , पूछना था। . पर यहाँ नहीं , मैसेज कर दूंगी आपको।
इंतज़ार मैं। . . . .
आपकी निहारिका
सहेलिओं , पाठिकाओं, पनिहारिनों, आओ कुछ अपनी दिल की बातें करें -
लेडीज - गर्ल्स टॉक - निहारिका
उनकी जानेजाना
और हम दोनों सीधे नीचे , उनके तने तम्बू को पकड़ कर ,
सीधे उस कमरे में , जहाँ उनकी जानेजाना इन्तजार कर रही थीं।
जस्ट स्टनिंग।
नजरें उठीं ,नजरें झुकी और दुआ सलाम हो गयी।
सुरु के पेड़ की तरह छरहरी , अपनी उमर की लड़कियों से ज्यादा लम्बी , ५. ५ से कम नहीं रही होगी ,
चम्पई बदन ,सुरमयी आँखे ,
और गहरी काली रात की तरह काले काले बाल उसके किशोर कंधे पर लहराते ,
प्याजी कसी शलवार कमीज
उसकी छरहरी देह के सारे कटाव उभार उजागर कर रही थी ,और वो भी उसकी हमउम्र किशोरियों से कहीं ज्यादा ही उभरे।
जेठानी जी ने सही कहा था
अब उसके उभार ,एकदम छलक कर,सर उठाये ,बुलाते चुनौती देते और सबसे बढाकर कैशोर्य की वो एक ख़ास अदा , उद्द्धत भी और अल्हडपन से भरी.
उस सारंगनयनी की आँखों में पहले तो अचरज था ,एक बांकी हिरनी जैसे अचानक चौंक जाये , फिर खुशी, जो आँखों से होती हुयी पूरी देह में सिहरन बन के दौड़ गयी और ,
फिर एकदम बीर बहुटी, लाज से गाल गुलाल हो गए।
मैं बदलती ऋतुओं की तरह उसके चेहरे के भाव देख रही थी ,
पहले तो वो क्लीन शेव्ड लुक , कानों में स्टड्स और टैंक शर्ट, इस बदलाव पर आश्चर्य तो होना ही था
लेकिन अगले पल मिलने की ख़ुशी , उनकी मसल्स और व्याग्रता को देख कर सुख ,
लेकिन फिर ज़रा निगाह नीचे गयी तो मेश स्प्लिट शार्ट में एकदम साफ़ झलकता , टनटनाया मोटा खूंटा ,.
और उसे देख के तो कोई भी लड़की शर्मा जाए ,ये तो नयी बछेड़ी थी।
और उनकी आँखे तो बस ,उसकी कच्ची अमिया पे टिकी थी ,
रूई के फाहे जैसे उभार , कबूतर के बच्चे , टाइट प्याजी रंग की कमीज में सर उठाये ,तने।
उनका मन और इरादा दोनों साफ़ साफ़ उनकी नज़रों से झलकता था।
" अरे क्या इरादा है देवर जी , अपने माल को देख के एकदम टनाटन। "
जेठानी जी ने इन्हे ,अपने देवर को छेड़ा।
" अरे दीदी , इनका माल है बचपन का ,और वो भी इतना मस्त तो खड़ा तो होना ही था। "
फिर मैंने अपनी तोप का निशाना अपनी छुटकी ननदिया की ओर मोड़ दिया , गुड्डी से बोली ,
" और सुन लो ,खड़ा तुमने किया है तो अब बैठाना भी तेरे ही हाथ में हैं। "
" हाथ ,. " अचरज से मेरी जेठानी बोलीं ,
" हाथ , अरे ये मेरी ननद जिस चीज से इसे बिठाएगी उसे तू हाथ कहती हो। "
हम दोनों खिलखिलाने लगे पर वो हलके से बोली ,
' धत्त भाभी ,. "
इत्ती जोर से वो ब्लश कर रही थी , और उसके गोरे गोरे चिकने गाल और खासकर डिम्पल्स एकदम लाल ,शर्म से।
उन्ही डिम्पल्स को मैं पिंच करती बोली,
" अरे मेरी बिन्नो ,मन मन भावे मूड हिलावे। "
फिर गुड्डी के कान में फुसफुसा के बोली ,( लेकिन इस तरह की मेरे उन्हें भी साफ़ साफ़ सुनाई दे )
" अरे मेरी जान ,ले ले न अपनी बुलबुल में। अरे उसी के लिए तो बिचारे ने इतना जोरदार खड़ा किया है ,दे दे न , उसका भी मन भर जाएगा और तेरा भी। "
वो बिचारी लाज से गुलाल हो रही थी।
कमरे में एक ही कुर्सी थी जिस पर वो बैठी थी और उन्हें देखकर खड़ी हो गयी थी।
मेरा एक हल्का सा इशारा और 'ये ' उस कुर्सी पर बैठ गए।
और फिर मैं और मेरी जेठानी ,दोनों ने धक्का देकर जबरन उसे ,गुड्डी को ,उसी कुर्सी पर उनकी गोद में बिठा दिया।