Episode 75


फेसबुक की हीरोइन

दो मोबाइल एक साथ बजे , एक मेरे हाथ में , गुड्डी वाला , और एक इनका ,.

मैंने इनके मोबाइल की ओर देखा , मिस्टर खन्ना का ,. अब वो तो ये इग्नोर नहीं कर सकते थे , और दस पंद्रह मिनट की छुट्टी ,

मैंने गुड्डी की मोबाइल की ओर देखा ,.

एक अनजान नंबर था , बिना नाम का ,. मैं समझ गयी ,

अभी जो मैंने गुड्डी की हॉट हॉट फोटो के साथ उसके मोबाइल के दसो नंबर उसके फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट कर दिए थे ,

बस उसी का नतीजा ,.

मैंने फोन काट दिया , .

गुड्डी बाई फोन उठायें उसके पहले ,.

" सुन स्साली , छिनार ,. "

मैं एकदम ठंडी आवाज में बोली ,

" ध्यान से सुन स्साली , अगर जरा भी गड़बड़ हुयी न तो एक के बाद एक दूंगी कान के नीचे , तेरे दोनों गोरे गोरे गालों पर मेरी पाँचों उँगलियाँ छप जाएंगी , .

सुन बहन की लौंड़ी , तेरे आशिक का फोन था , अभी फिर आएगा ,. स्पीकर फोन आन कर के बात करना ,

प्यार से थोड़ा अंदाज से , पटाते हुए , जैसे तेरे शहर में कालीनगंज में सड़क पर रण्डिया ग्राहक पटाती हैं न उसी तरह से ,

अगर वो नहीं पटा तो समझ ले ,.

एकदम गरमाई कातिक की कुतिया की तरह , कातिक की कुतीया ही है , जैसे किसी लड़के से बात करेगी , सड़क पर देखेगी , . बस स्साली तेरे दिमाग में उसका लौंड़ा होना चाहिए , सोच सिर्फ , वो स्साला तुझे चोदेगा तो तुझे कितना मजा आएगा , तेरी ये गरम गरम चूँचिया पकड़ के रगड़ेगा , . मसलेगा , . बस सोच सोच के चूत हरदम गीली रहनी चाहिए , .

जैसे कातिक की कुतिया के पीछे कोई भी कुत्ता जाता है , सूंघता चाटता है , . वो टांग फैला देती है , बस उसी तरह से , तेरे कित्ते भौंरे है ,. . ?. "

एक पल के लिए रुकी और मैंने हाथ उठा दिया , वो जोर से बिलबिलाई और बोली

आठ नहीं दस , वो कॉलेज के गेट पर , गली के बाहर ,. उसने कबूला

और दूकान में बाजार पर , सहेलियों के भाई ,. पूरा बोल वरना देती हूँ , और दिखा उनके नंबर ,.

कुल पंद्रह सोलह ,. लेकिन नंबर मेरे पास नहीं है ,. हाँ दो चार के हैं ,. वो धीमे से बोली ,

हाँ दिया के फेसबुक अकाउंट में हैं सबके , अ

ब वो थोड़ी खुली।

बस मोबाइल तो मेरे ही हाथ में था , दिया को खैर मैं भी जानती थी ,.

बस मैंने मेसेज कर दिया उसे गुड्डी के फेसबुक अकाउंट का लिंक सारे लड़कों को भेजने का , .

और जो गुड्डी के फोन में थे उनको गुड्डी की ओर से ही रिक्वेस्ट भेज दी ,

इत्ती हाट हाट मैंने उसके फेसबुक पर फोटुएं

और मोबाइल के पूरे नंबर पब्लिक प्रोफ़ाइल पर फोन तो आने ही थे , बस अब बात ये थी की गुड्डी बाई , किस तरह अपने चाहने वालों को चारा डालती हैं , .

मैंने उसको पूरी बात समझा दी , और वो वो भी समझ गयी की अगर उसने कुछ भी गड़बड़ की तो मेरे हाथ उसके गाल पर ,.

और मैंने ये भी बोल दिया ,

अगर किसी लड़के ने अपने से फोन काटा तो , बस तेरी पूरी नंगी पुंगी फोटो तेरे ही फोन से उसके पास भेज दूंगी ,.

तब तक गुड्डी का फोन घनघनाया ,.

मैंने नंबर देखा उसी का था जिसने थोड़ी देर पहले किया था , जोर से गुड्डी के निप्स मैंने मरोड़े

और एक बार फिर हड़का के की एकदम रंडी की तरह पटाना इसे , तेरी बोहनी कर रहा है , . मैंने फोन उसे पकड़ा ,

ये कहने की जरूरत नहीं थी की स्पीकर फोन ऑन था ,

गुड्डी ने कुछ एक्स्ट्रा शहद डाल के हेलो बोला , .

मुझे इस बात की ख़ुशी हुयी की लौंडिया सीखती जल्दी है , बस एक दो हाथ , थोड़ा हड़काना और एकदम ,.

" मैंने आप को फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेजी थी ,"

उस लड़के की आवाज आयी , और मुझे गुड्डी के जवाब का इन्तजार था , और एकदम परफेक्ट ,

मैंने गुड्डी के हाथ से मोबाइल लेकर उस लड़के की फेसबुक प्रोफ़ाइल खोल कर उसके सामने कर दिया ,

" और मैंने एक्सेप्ट कर ली , तुरंत ,. "

खिलखिलाती वो बोली , फिर थोड़ा गुस्से में बोली ,

"लेकिन एक बात , आप मुझे आप नहीं तुम कहेंगे , प्यार के नाम से बुलायेंगे , गुड्डी। ठीक। ",

" बड़ा मीठा नाम है और आप की फोटो भी बहुत हॉट है, "

लड़के ने बहुत घिसी पिटी लाइन मारने की कोशिश की , पर गुड्डी ने और

" असल में जितना नाम मीठा है , मैं उससे भी मीठी हूँ , और हॉट भी। "

" वो तो चखने पर पता चलेगा , . "

उसने बोला ,. वो देख रहा था लौंडिया किस हद तक आगे बढ़ती है , मैंने गुड्डी को इशारा किया ,

और वो फिर हँसते हुए बोली ,

" अरे यार तुम भी इसी शहर के , मैं भी ,. क्या पता , . देखो रिक्वेस्ट भेजी एक्सेप्ट हो गयी , फोन किया मैंने उठा लिया तो क्या पता

कभी चखने का भी , . चांस की बात है , लेकिन थोड़ा सा बस ,. और चखने के चक्कर काटना मत। हे अपनी फोटो भेजो न , सेल्फी खिंच के ,. और तुम रहते कहाँ हो ,. "

उसने अपना पता डाकखाना सब बता दिया , और गुड्डी ने भी ,.

तब तक मैंने देखा की चार पांच मिस कॉल्स थीं , यानी और लौंडे गरमा रहे थे ,

मैंने गुड्डी को इशारा किया किया काल काटने की और मस्त बहाना बनाया

" हे मम्मी बुला रही हैं , . "

पर वो लौंडा इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला , वो जिद्द करने लगा

मिस्ड काल

" हे थोड़ी देर और करो न ,. "

उसने रिरिया कर के बोला ,

" अरे थोड़ी देर क्यों , तू जित्ती देर चाहे यार , लेकिन ,. . ऐसा कर न , रात में करते हैं , रात में आ जाना ग्यारह बजे के बाद , . फिर चाहे जीतनी देर करना मैं मना नहीं करुँगी , हाँ बैटरी अपनी चार्ज कर के रखना , डिस्चार्ज न हो जाए ,. "

हँसते हुए गुड्डी सीधे डबल मीनिंग पर आ गयी ,.

" मेरी इत्ती जल्दी डिस्चार्ज नहीं होती , . तेरी हो जायेगी ,. पक्का मिलूंगा रात में ,. "

" चल रात में देखूंगी तुझे भी और तेरी बैटरी को भी , मैं ऊपर कमरे में रहती हूँ , अकेले ,. इसलिए जित्ती देर तक चाहना , लेकिन एक यार अपने दोस्त का छोटा सा काम करेगा , . "

गुड्डी अब थोड़ी सीरियस हो गयी ,.

" क्या बोल न यार तेरे लिए जान भी हाजिर है ,. . "

वो एकदम रोमांटिक हो रहा था , .

" यार जान ले लुंगी तेरी तो बैटरी किस की डिस्चार्ज करुँगी , तेरे दोस्त तो होंगे लड़के , लड़कियां नहीं ,. "

गुड्डी बोली

" हाँ हाँ बहुत हैं यार अपने बोल न तू , . "

वो बोला

" असल में मेरी एक सहेली से बाजी लगी है , उस कमीनी के मुझसे सवा सौ ज्यादा फेसबुक पर ब्वाय फ्रेंड हैं ,. बस , . अब यार तेरे जैसे हॉट हैंडसम लड़के और तो मिल नहीं सकते , . तो तुझसे १८ -१९ भी चलेंगे , लेकिन एकदम तेरी तरह , मस्त , हॉट , और बैटरी भी लांगलास्टिंग , . समझ गए न बस उन से फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट ,. और अगर उनकी फ्रेंडशिप लिस्ट में मैं देख लुंगी , तेरा नाम होगा तो तुरंत एक्सेप्ट कर लुंगी , .

इतनी लिफ्ट मिलने के बाद कौन स्साला लौंडा डबल मीनिंग बोलने का और अपनी ताकत दिखाने का मौका छोड़ता, बात काट के बीच में बोला,

" बैटरी भी लांग लास्टिंग है और मोबाइल भी बड़ी साइज वाला,. "

और अबकी गुड्डी की बारी थी बात काटने की, हस्की आवाज में बोली,

" चल चल, रात में तेरी बैटरी भी देख लुंगी और मोबाइल भी, वैसे भी साढ़े छह इंच से कम वाले मॉडल को तो मैं छूती भी नहीं, पकड़ना तो दूर रहा, लेकिन में तेरी नहीं तेरे दोस्तों की बात कर रही हूँ, मालूम है बहुत ठरकी हैं तेरे यार, चल आज पेसल ऑफर है, साल में एक दिन वाला, देखतीं हूँ अपने कितने दोस्तों की रिक्वेस्ट भेज पाता है, पचास से कम आयीं न तो फोन मत करना,. चल चलती हूँ ,. " गुड्डी बोली लेकिन फोन नहीं काटा।

मैं मान गयी अपनी ननदिया को, पेसल सिग्गी का असर था , या मेरे हड़काने का या स्साली का असली छिनरपन आज सामने आ रहा था, लेकिन जैसा मैं चाहती थी उससे भी दो हाथ आगे चल रह थी.
पचास भी हो गए न आज रात तक , तेरे आने स पहले ,. अच्छा चलती हूँ , वरना मम्मी यहीं आ जाएंगी। "

और ये कह के उसने फोन काट दिया ,

लेकिन तब तक गुड्डी के फोन पर ६ मिस्ड काल आ चुकी थीं ,

और जिनका नाम पता ट्रू कॉलर से मैंने पता कर लिया था और उनकी फेसबुक प्रोफ़ाइल भी , उन छहों के नाम तो मैंने गुड्डी को बता दिए , लेकिन ये भी पुछा इसमें तेरे भौंरे कौन कौन हैं ,

मुस्करा के उसने तीन का नाम बताया , लेकिन हंस के बोली ,

मुन्ना को लगा दीजिये , मेरी गली के सामने ही रहता है , बेचारा पिछले ढाई साल से रोज मुझे कॉलेज छोड़ने जाता है और छुट्टी के बाद कॉलेज के गेट पर , जब से मैं हाईकॉलेज में पहुंची हूँ , . लॉलीपॉप भी अपनी दूकान पर फ्री में खिलाता है ,.

लेकिन मैंने उसे हड़का लिया , पुराना यार है ज़रा इससे एकदम खुल के ,.

तबतक घंटी बज गयी

और मुन्ना की आवाज आने के पहले ही गुड्डी उस पर चढ़ गयी ,

मुन्ना

तबतक घंटी बज गयी और मुन्ना की आवाज आने के पहले ही गुड्डी उस पर चढ़ गयी ,

" इत्ते दिनों बाद तुझे फुर्सत मिली है घंटी मारने की ,. "

" अरे मैडम जी , इत्ते दिनों से में नंबर मांग रहा था आपने दिया ही नहीं ,. कैसे करता ,. "

वो बेचारा बोला ,

" जैसे आज किया , अरे यार करने वाले ,. देख तेरा नंबर तो मेरे पास था न ,. बिना तेरी आवाज सुने मैं समझ गयी कौन है ,. अच्छा छोड़ , अरे यार तेरी काल थी तो उस समय , . मैं असल में भाभी के पास आयी हूँ ,

देख तो रहा था तू दीदे फाड़ फाड़ के , जब मैं गली से निकली थी ,. तो उस समय भाभी के पास थी ,

लेकिन अभी भाभी ज़रा भैया को स्वीट डिश खिला रही हैं तो मैंने तुझे काल कर लिया ,. "

गुड्डी हँसते हुए बोली और मुझे जोर से आँख मार दी।

" हे मुझे स्वीट डिश कब खिलाएगी , . "

वो बहुत बेसबरी से बोला ,

" क्या पता तेरी किस्मत का ताला कब खुल जाए , आज देख तुझे नंबर भी मिल गया , मैंने तुझे काल भी कर लिया , मुझे बात भी हो गयी , लेकिन क्या खायेगा बोल न ,. हवा मिठाई ,. मैं बहुत दिन से देख रही हूँ तेरे मुंह में पानी आ रहा है ,. . "

गुड्डी एकदम मेरे कहे के मुताबिक़ हवा दे रही थी यार को।

" सच , हे ललचा मत सोच सोच के ,. " वो बोला लेकिन गुड्डी तो आज , उसकी बात काट के ,

" हे सोच सोच के कुछ अपने आप , . ख्यालों में हंगामा मत कर लेना , अभी लौटूंगी न शाम को , तो ,. अच्छा चल बोल क्या मन करता है मेरी हवा मिठाई को देख के ,. अगर ईमानदारी से सच्ची सच्ची बोल देगा तो क्या पता ,. "

और जैसे बाँध फट गया हो , . वो रुक रुक के बोल रहा था , उसकी आवाज एकदम हस्की और उसका असर गुड्डी रानी पर भी हो रहा था ,

" यार ,. तूने तो ,. एक बार बस देख लेता हूँ , न दिन में ,. तो बस दिन भर , आज भी तो वो पीला वाला कुरता पहन के निकली , ,. .

एकदम दोनों कड़े कड़े , . बस पहली नजर से ही हालत एकदम टाइट हो गयी , . सिर्फ एक बार बस देखने को मिल जाय पास से न ,. छूना , पकड़ना तो ,. "

गुड्डी की आँखे बंद थी , लेकिन हलकी सी खूब मस्त आवाज में बोली , . और और ,.

" यार प्लीज एक बार बस , . छूने सहलाने को मिल जाए , बहुत हलके से दबाऊंगा , मसलूंगा , हलके हलके चूमूंगा , चूसूंगा ,. बस एक बार बस थोड़ी देर के लिए ,. . "

गुड्डी की हालत इसलिए भी खराब हो रही थी की उसे तो मैंने टॉपलेस कर दिया था बस उसके दोनों जोबन ,.

सच में मेरी ननदिया की हवा मिठाई जबरदस्त थी एकदम जानमारु ,.

और जैसे जैसे उसका यार बोल रहा था , एकदम उसी के साथ साथ , क्या मर्द जोबन का रस लूटेगा ,

जिस तरह मैं अपनी ननद की चूँचियाँ रगड़ मसल रही थीं , .

गुड्डी जिस तरह फोन पर ठंडी ठंडी साँसे ले रही थीं , सिसक रही थी , बस वो सुन सुन के उसके मोहल्ले के भौंरे की हालत एकदम और खराब हो रही थी , .

किसी तरह गुड्डी ने उसकी बात काटी और बोली ,

" हे ज्यादा ललचा मत नदीदे , मुझे मालूम है तेरा क्या मन करता है मेरी हवा मिठाई देख कर ,. लेकिन क्या पता मिल भी जाय , पर अभी फोन काट रही हूँ ,

और अपना हाथ वहां ,. कुछ भी गड़बड़ किया अपने से न तो बस ,. कुट्टी , . आउंगी शाम को तेरी दूकान पे। और एक बात और , वो जो तेरे साथ चार पांच और ,. उन्हें मेरा नंबर मत बाँट देना ,. पर फेसबुक पे ,.

तेरे दोस्त हैं तो मैं एक्सेप्ट कर लुंगी लेकिन लिमिटेड ऑफर है अगले एक घंटे का , असल में शाम तक मेरी दिया से बेट लगी है , मुझे १०० और फेसबुक पर ,. इसी लिए ,. चल काट फोन ,.

शाम को मिलूंगी तो बात करेंगे ,. . मन भर , पक्का। "

और यह कह के गुड्डी ने फोन काट दिया और मैंने उसके दूसरे भौंरे का फोन रिंग कर कर के पकड़ा दिया , ये तो और ,.

कुल सात आठ से दस बारह मिनट में उसकी बात हुयी फिर मैंने खुद उसके सारे अकाउंट्स पर स्टेटस चेंज कर ,

" अभी अपने प्यारे सेक्सी भैया के पास हूँ , प्लीज रात में ११ बजे के बाद , . "

और सारे मिस्ड काल पे यही मेसेज भी डाल दिया।

मैंने जोर से हाथ उठाया , झापड़ मारने के लिए वो एकदम सहम कर सिकुड़ गयी , पर हाथ उसके गाल पर पहुँचने से पहले रुक गया

और मैंने जोर से उसके निप्स नोच लिए ,

वो दर्द से बिलबिला गयी , पर वो जानती थी की अगर चीख निकली तो ,.

जो हाथ रुका हुआ था सीधे गाल पर पड़ेगा , दो घंटे तक आज मैं उसके साथ कुछ भी कर सकती थी और उससे कुछ भी करवा सकती थी , .

" स्साली छिनार , चूत मरानो , . सारे के सारे लौंडे तेरे जोबन के इत्ते दीवाने , . और बोल क्यों रखती है इसे छुपा के ,

लगाऊं दो हाथ ,. बेचारा हवा मिठाई मांग रहा था , अरे छू लेने देती उसे कम से कम।

दबवाने मसलवाने से जोबन बढ़ता है , घटता नहीं। "

मैंने अपनी ननदिया को हड़काया भी समझाया भी ,

कातिक की कुतिया

" स्साली छिनार , चूत मरानो , . सारे के सारे लौंडे तेरे जोबन के इत्ते दीवाने , . और बोल क्यों रखती है इसे छुपा के , लगाऊं दो हाथ ,. बेचारा हवा मिठाई मांग रहा था , अरे छू लेने देती उसे कम से कम। दबवाने मसलवाने से जोबन बढ़ता है , घटता नहीं। "

वो टॉपलेस तो थी ही , उसके मोबाइल से ही मैंने ताबतोड़ उसकी टॉपलेस फोटुएं उसे दिखाती खींची ,

सब में उसका चेहरा भी साफ़ साफ़ था ,.

" अब आज से , सोच ले तेरे ये निप्स कित्ते मस्त हैं , देख लेंगे साले तो उनका दिन बढ़िया गुजर जाएगा , तेरा नाम ले के मुट्ठ मारेंगे ,. आज से तेरा ब्रा पहनना बंद , और उसके अलावा , घर से निकलने के पहले ये निप्स ऐसे रोल करना अंगूठे और तर्जनी से एकदम टनाटन हो जाएगा , . एकदम टाइट ड्रेस ,. दूर से ये निप्स दिखने चाहिए , .

और किसी भी दिन ,. .

तो बस सोच ले , ये सारी तेरी टॉपलेस फोटुएं उन सारे लौंडो के पास ,.

अब तुझे फैसला करना है लौंडो को रोज निप्स की झलक दिखानी है या अपनी चूँची पूरी की पूरी ,. "

वो एकदम घबड़ा गयी ,. नहीं भाभी , हाँ भाभी जैसा आप कहें भाभी ,

और मेरा हाथ अबकी पड़ गया ,. कस के , . झन्नाक ,.

सच में उँगलियों की छाप पड़ गयी थी ,

" रंडी तुझे क्या सिखाया था , कैसे बोलना है , . बोल स्साली की लगाऊं एक और ,. "

मैं बहुत गुस्से में , एकदम ठंडी आवाज में बोली

" मैं , भाभी , मैं अपनी चूँची , निप्स एकदम झलकाऊँगी , साफ़ साफ़ पक्का , . "

और अब मैंने जहां मेरे हाथ के निशान थे , कस के चूम लिया और मुस्करा के बोली

" चल अब तू मेरी पक्की रंडी ननद हो गयी , आज से मेरे सामने , तेरे भइया के सामने , सिर्फ लंड , बुर , चूँची , चुदाई , गाँड़ बस यही सब , . इसके अलावा कुछ बोला तो पड़ा हाथ मेरा

फिर मैंने उसे जोबन झलकाने के दर्जन भर ट्रिक्स भी सिखायीं , कभी अंगड़ाई ले के उभारो का कटाव , कसाव , .

कभी लड़का अगर पीछा कर रहा तो , शलवार कुर्ता , या कुर्ती , टॉप पहने हो तो बस रुक जाओ , बिना उस की ओर देखे , झुक के सैंडल के स्ट्रैप ठीक करो , साइड से उभार भी दिखेगा और क्लीवेज भी दुपट्टा घर से निकलते समय तो ढंके रहेगा ,

लेकिन गली में घुसते ही , एकदम गले से चिपका के , .

और कभी खड़ी हो के ,

दोनों हाथों को सीधे उभारों के नीचे रख के उभार के , .

मैंने उसे उसके उभार ढकने नहीं दिए और मसलते हुए रात के लिए बोली

"और रात में जो लौंडे फोन करंगे न , सबकी सब बात रिकार्ड करना और रिकार्डिंग मुझे फारवर्ड करना ,. और लड़के से बात करते समय , उसकी फेसबुक प्रोफ़ाइल खुली रख , एक हाथ से कस के अपनी चूत रगड़ना और दूसरा चूँची पर और बोल क्या सोचेगी ,"

" यही की मुझे वो खचा खच चोद रहा है , मेरी चूँची मसल रहा है , मैं उसका लंड घोंट रही हूँ ,. "

गुड्डी अब बिना हिचक के बोली।

मैं मुस्करायी और प्यार से उसकी चुनमुनिया सहलाते बोली ,

" सही , एकदम सही ,. अरे यार इस पर बस तेरे भैया का नाम लिखा है , तेरी नथ तो वही उतारेंगे ,. . तुझको तो मैं यहां छोडूंगा थोड़े अपने साथ ले चलूँगा , लेकिन तबतक कम से काम तेरी गली मोहल्ले के , शहर के लौंडो का जितना भला करा सकती है , करा दे ,. घोंटेंगी तो सबसे पहले इन्ही का लंड , लेकिन बेचारे सोच सोच के , तेरा नाम ले के मुट्ठ मारेंगे तो तेरा क्या घिस जायेगे ,. "

लेकिन मैंने अचानक अपनी आवाज का टोन बदल दिया ,

" लेकिन स्साली ये सोच ले , अगर किसी लौंडे को के एल पी डी किया न ,. किसी की बात का प्यार से जवाब नहीं दिया , . अगर वो एक झलक दिखाने को कहे और तूने मना कर दिया तो बस तेरी नंगी पुंगी फोटो उस के पास कल पहुंच जायेगी , . और फिर तेरे गली के सारे भौरों के पास , तुझे जैसे बोला है न एकदम वैसा लौंडो से बात करने में , उनके सामने जोबन झलकाने में , उन स्सालो को लगे तू कातिक की कुतिया से भी ज्यादा गरमाई है , पक्की चुदवासी हैं लौंड़े की प्यासी ,. "

मेरी बात ख़तम हुयी ही थी की ये आ गए ,.

लेकिन उस से पहले मैंने उससे असली मतलब की बात कह दी थी ,

' जैसे तेरे भइया आएंगे न उसी समय तेरा टेस्ट हो जाएगा , तू कातिक की कुतिया की तरह गरमाई है की नहीं ,
अब वो कुछ करें न करे सब तुझे करना है ,. .

स्साली तुझे बोलै था अपने भइया का लंड पकड़ने मसलने के लिए अभी तक कुछ भी नहीं , . सोच ले ,. आज रंडी मात होनी चाहिए तुझसे ,. "

होने वाला बुरा हाल

बेचारी उसे नहीं मालूम था ये मर्द उसकी क्या हाल करने वाला था ,

बस किसी तरह फंसा पटा के मुझे अपने साथ इस माल को ले चलना था ,

उसके बाद तो पहुंचते ही उसके सीधे साधे भैया से ऐसी उसकी झिल्ली फड़वाती

की दो दिन तक बिस्तर से उठने लायक नहीं रहती

लेकिन असली खेल तो उसके बाद था ,

इनकी सास ने इन्हे हुकुम सुना दिया था ,

महीने भर के अंदर गाभिन करना था अपनी बहिनिया को , वो भी मेरे और मेरी मम्मी के सामने , अपनी बहिनिया का पेट फुलाना था ,

और

नौ महीने बाद केहाँ केहाँ ,.

उसकी बुर एक सुन्दर सी लड़की उगल देती ,.

मम्मी ने साफ़ साफ़ कहा था , इस छोरी की गाभिन होने की दिन तारीख वो तय करेंगी , . जिससे श्योर शॉट , .

न सिर्फ लड़की पैदा हो , बल्कि मेरी ननद से भी दस गुना छिनार हो , .

मम्मी भी न क्या क्या ,

इनसे तो नहीं पर मुझसे कहा था ,.

तो तू क्या सोचती है १८-१९ साल बाद मेरे दामाद का खूंटा कुछ ढीला पड़ जाएगा ,

एकदम नहीं अरे उस उम्र में तो मरद और अगियाता है , तो क्या पता ,. .

मैं मम्मी का इशारा भी समझ रही थी , और इरादा भी , . बस मुस्करा के रह गयी

और मंजू और गीता ,

मंजू से ज्यादा गीता तो तैयार बैठी थीं इसे ' खिलाने पिलाने' के लिए

पहले ही मुझे बोल रही थी ,

" भाभी , ससुरी को चिचियाने दीजिये , खूब चूतड़ पटकेगी , लेकिन मैं हूँ न , उसके ऊपर चढ़ के उसके मुंह ,. एक रात में सब का स्वाद दिला दूंगी , ' खाना पीना ' दोनों ,.

और अब मेरी बारी थी ,

पीछे से उसे दबोचते ,उसके गदराये बूब्स सहलाते मैंने उस के कान में फुसफुसाया ,

" तुझे मालूम है तेरे भैय्या इन के कित्ते दीवाने हैं , "

"एकदम भाभी , बहुत दिनों से , . . लेकिन बिचारे बहुत सीधे हैं न कुछ कह पाते हैं न कर पाते हैं ,"

अब उन्हें छोड़ कर वो मेरे पास आ गयी थी

लेकिन उस की शरारती आँखे अभी भी इन्हे चिढ़ा उकसा रही थीं

"तो चल के मजा देते हैं न , आगे से तू पीछे से मैं , मिल के उनकी सारी शरम उतार देते हैं। "

हम दोनों कॉलेज की सहेलियों की तरह मस्ती कर रहे थे , खिलखिलाते ,एक दूसरे का हाथ पकड़े ,कान में फुसफुसाते।
वो बोली ,

" एकदम भाभी ,नेकी और पूछ पूछ , चलिए आज हम दोनों मिल के भैय्या की ऐसी की तैसी कर देते हैं।

और आगे से वो ,पीछे से मैं।

कमरे में हल्का अँधेरा था , मखमली ,और स्टीरियो पर ग्राइंड की हलकी हलकी म्यूजिक ,

गुड्डी की कच्ची अमिया ,उनकी नंगी छाती रगड़ रही थी ,गुड्डी की आँखों में भी अभी उस सिगी के लाल डोरे तैर रहे थे।

जोर से वो अपने भैय्या को पकडे , मुस्कराती ,चिढ़ाती

और पीछे से मैं उन्हें उकसाती ,चढाती ,

आज सही मौक़ा है मत छोड़ना इस अपने माल को।

डांस बेबी डांस

एक ओर से उस किशोरी केछोटे छोटे कड़े कड़े बूब्स टॉप से आलमोस्ट बाहर निकले उनके सीने पर रगड़ते हुए ,

और पीछे से मेरे ऑलमोस्ट खुले ब्लाउज से छलकते बड़े बड़े मेरे जोबन की नोक उनके पीठ को बेधते हुए।

मेरे हाथ सिर्फ उन्हें ही नहीं बल्कि उन्हें बाहों में बांधे हुए उनकी छुटकी बहिनिया को भी पकडे थे ,
,
मेरे एक हाथ ने गुड्डी का छोटा सा स्कर्ट उठा दिया और दुसरे ने उनके एकदम टनटनाये बालिश्त भर के मस्त लंड को सीधे

उसकी कच्ची कली को ढंकने की नाकाम कोशिश करती दो इंच की पट्टी वाली थांग पे ,

म्यूजिक के साथ साथ हम तीनो ग्राइन्ड कर रहे थे ,

टच मी ,टच मी ,टच मी ,

किस मी किस मी किस मी

गुड्डी के होंठ गाने के लफ्जों को न सिर्फ दुहरा रहे थे बल्कि उन्हें खुल के दावत भी दे रहे थे।

और ग्राइंड डांस जल्द ही ड्राई हंपिंग में बदल गया।

गुड्डी और वो एक दूसरे की बाँहों में

और उनका खूंटा सीधे गुड्डी के गुलाबो के ऊपर बस बीच ,में बहुत पतला सा उनका शार्ट और न के बराबर उसकी पैंटी।

दोनों एक दूसरे की बाहों में बंधे

रेशमी अँधेरे में पुच पुच की पुच्ची की आवाजें और साथ में बैक ग्राउंड में गाने की हलकी हलकी आवाज ,

किस मी किस मी किस मी

और अब मैंने पाला बदल लिया था ,मैंने ने भी गुड्डी को पीछे से ,. और अब वो मेरे और मेरे इनके ,के बीच सैंडविच बनी ,

गुड्डी का एक उभार इनके हाथ में ,और दूसरा मेरे हाथ में

आगे का मजा ये ले रहे थे तो पीछे का मैं ,

और चूतड़ थे भी मेरी छुटकी ननदिया के बड़े सेक्सी ,

बहुत बड़े और भारी नहीं लेकिन एकदम लौंडों के माफिक ,खूब टाइट ,बब्बल बॉटम ,

बस वैसे ही जिन्हे देख कर लौंडेबाजों की पैंटें टाइट हो जाती हैं और वो ,

बस यही सोचते हैं की ,

किसी तरह पहला मौका पाते ही इसे निहुरा के ठोंक दें।

मेरा एक हाथ गुड्डी के उभारों का रस ले रहा था तो दूसरा उसके चूतड़ों का।

और वो रसीली छिनार हम दोनों का बराबर का साथ दे रही थी ,कभी धक्के आगे दे दे के अपने भैया के खड़े खूंटे पे अपनी चुनमुनिया रगड़ती तो

कभी अपने गोल गोल गोल चूतड़ मेरे ऊपर रगड़ती।

बस थोड़ी सी ट्रेनिंग की जरूरत थी और फुसलाने ,उकसाने की ,

मेरी सीधी साधी ननदिया ,अपने शहर की रेड लाइट एरिया , कालीनगंज की रंडियों को भी मात कर देगी।

क्या मस्त डांस कर रही थी , एकदम टॉपलेस एक बार आ गयी न मेरे चंगुल में पक्का मुजरा करवाउंगी ,

स्ट्रिपटीज

यही तो मैं चाहती थी।

गुड्डी के कान में फुसफुसा के मैं बोली ,

" तुझे क्या इंस्ट्रक्शन दिया था भूल गयी ,अगले पन्दरह मिनट में तुझे भैय्या के लंड को पांच बार कस कस के पकड़ना रगड़ना था

और सात मिनट हो गए , और एक बार भी स्साली तूने लंड को हाथ भी नहीं लगाया , चल ,

देख कित्ता मस्त खूंटा तेरे भैय्या ने खड़ा किया है। "

बस अगले ही पल ,उनके ९० डिग्री पर खड़े हथियार को उनकी कच्ची अमिया वाली बहन ने दबोच लिया ,

और मैंने उस साली की कच्ची अमिया को।

गुड्डी ने न सिर्फ पकड़ा ,बल्कि हलके हलके दबा भी रही थी और फिर मुठियाना भी शुरू कर दिया।

मेरे मोबाइल पर एक मस्त वीडियो बन रहा था , भैय्या बहिनी का।

उन्होंने भी ड्राई हंपिंग की रफ़्तार तेज कर दी ,बस लग रहा था इस कच्ची कली को ,अपनी छुटकी बहिनिया को यहीं खड़े खड़े चोद देंगे।

म्यूजिक बंद हो गयी थी पर इनके खूंटे की उसके गुलबिया पर रगड़ाई जारी थी।

और मस्तायी मेरी ननदिया भी खुल के अपने भैय्या के मोटे खूंटे का मजा ले रही थी।

शादी के शुरू के दिनों में अगर कभी गारी मैं या मजाक में भी उनका नाम ,उस के साथ जोड़ती थी तो वो ऐसा चिहुँकती थी और आज एक दम खुल के उनका लंड पकड़ के रगड़ मसल रही थी।

मैंने अपनी बात धीमे से दुहरायी
" क्यों मजा आ रहा है न अपने भैय्या का पकड़ने दबाने में ,अरे वो भी तेरे कच्चे टिकोरे कैसे रस ले ले के दबा रहे हैं , तू भी ले ले खुल के मजा।
हाँ एक बात और कान खोल के सुन ले , इस कमरे में सिर्फ लंड ,बुर ,चूत गांड और चुदाई ही बोली जायेगी , अगर इसके अलावा कुछ भी स्साली तेरे मुंह से निकला ,जरा भी झिझकी , शरमाई न तो बस समझ ले ,पांच हाथ तेरे गाल पे और पांच तेरे चूतड़ पे ,

और इत्ती जोर से छपेगा न की पांच दिन तक मेरे फिंगर प्रिंट्स तेरे गाल और गांड पे नजर आएंगे। "

" हाँ ,भाभी समझ गयी " हलके से मिमियाते उसके मुंह से निकला।

तभी मुझे एक बात और ,बल्कि दो बातें और सूझीं।

आईफोन

तभी मुझे एक बात और ,बल्कि दो बातें और सूझीं।

एक बार इसी कमरे में मेरे मुंह से गलती से कार्ड्स के बारे में निकल गया था ,टाइम पास के लिए और क्या क्या ज्ञान नहीं मिला था ,

" भाभी आप भी न ,मेरे सामने बोल दिया तो बोल दिया गलती से भी भैय्या के सामने जुबान से भी नहीं निकालिएगा , क्या सोचेंगे आप के बारे में। अरे आपके मायके में होता होगा ये सब , मवालियों ,जुआरियों का ये खेल , मेरे सीधे साधे भैय्या को ये सब एक दम पसंद नहीं है। "

और मैंने उनसे बोला ,

" हे ज़रा कार्ड निकालिये न , गुड्डी के साथ ज़रा तीन पत्ती,. "

और वो तुरंत ड्राअर की ओर मुड़े ,
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