Episode 77

यही चीख सुनने के लिए तो मेरे कान तरस रहे थे ,छिनार।

और अबकी मैंने और कस के उसके निप्स कुतर लिए।

" उय्य्यी , नही आह्ह्ह्ह उईईईईईई " वो पहले से भी जोर से चीखी।

और अबकी बाज की तरह मेरे होंठों ने उसके निप्स को झपट कर कैद कर लिया , पहले हलके हलके फिर जोर जोर से चूसने लगी।

मेरे एक हाथ ने खींच कर उसके हाथ मेरे उभारों पर रख लिया , और अब वो भी , .

इस खेल की नयी खिलाड़न थी वो लेकिन सीखती बहुत जल्दी थी , कुछ देर में उसके हाथ भी मेरे बूब्स को दबा रहे थे सहला रहे थे ,मसल रहे थे।

और मैंने तिहरा हमला बोल दिया ,

मेरा एक हाथ गुड्डी की चूँची रगड़ मसल रहा था , दूसरी चूँची मेरे होंठों के हवाले और मेरा दूसरा हाथ अब गुड्डी की स्कर्ट के अंदर घुसा ,उसकी गुलाबो का हाल चाल पूछ रहा था। दो इंच की थांग क्या बचाती उसको। कुछ देर तो मैंने लेसी थांग के ऊपर से चुनमुनिया को गदोरी से रगड़ा मसाला , फिर वो छोटा सा थांग का परदा सरका के मेरी उँगलियाँ ,

उफ़्फ़ ,

क्या रसीली फांके थीं , स्साली की। एकदम कसी लेकिन रस छलक रहा था गुड्डी के लेबिया से।
नयी नयी ,बस खिली गुलाब की रसीली पंखुड़ियों की तरह , मखमली मुलायम।

उंगलियों की टिप उन्हें सहलाती रही ,बहुत धीरे से ,हलके से ,और फिर दोनों भगोष्ठों के बीच ,

लेकिन वो बहुत कसी थी , ऊँगली की टिप भी घुसना मुश्किल

( और उसमे ,उसके भैय्या का बियर कैन साइज का मोटा बांस मैं घुसवाने वाली थी , हचाक )

मेरी उँगलियाँ वो जादुई बटन ढूंढने में लगी तो तो एकदम साध्वी को भी छिनार बना दे।

मिल गयी वो ,उसकी क्लिट,एकदम ढंकी बंद ,

लेकिन थोड़ी देर की रगड़ घिस ने उसे भी मुंह खोलने पर मजबूर कर दिया।

गुड्डी की जाँघे अपने आप फ़ैल चुकी थी ,योनि से हल्का हलका रस निकल रहा था और छोटे मटर के दाने के तरह उसकी क्लिट एकदम कड़ी

उह्ह्ह उह्ह्ह ओह्ह्ह हाननं नाहीईईईई ,. . . वो सिसक रही थी ,मुझसे चिपकी और उसके हाथ भी अब खुल के मेरे बड़े बड़े उभारों का रस ले रहे थे ,

अगर मैं दो चार और मिनट ऐसे करती तो मेरी छुटकी ननदिया झड़ने के कगार पर आ जाती लेकिन मैं उसको इत्ती जल्दी झाड़ने के चक्कर में नहीं थी।

मैंने गियर चेंज किया ,

" सुन मेरी प्यारी प्यारी मीठी मीठी ननद रानी , चल एक सेल्फी लेते हैं न। ' उसके शहद से गाल चूमते मैं बोली।

सेल्फी

" सुन मेरी प्यारी प्यारी मीठी मीठी ननद रानी , चल एक सेल्फी लेते हैं न। ' उसके शहद से गाल चूमते मैं बोली।

" ऐसे भाभी " एक पल के लिए वो घबड़ायी।

" तो क्या हुआ ,हमी तुम तो है ,फिर तेरे फोन से लेंगे न ,तू ही लेना। चाहे तो बाद में डिलीट कर देना , तेरा नया आई फोन इनॉग्रेशन हो जाएगा। "

मेरी एक चुम्मी और उसके रसीले होंठों पर , और वो मान गयी।

आज कल की कौन लड़की एक सेल्फी पे रुकती है जो वो रुकती , फिर उसके भैय्या की गिफ्ट ,नया नया आई फोन।

दर्जन भर से ऊपर , हम दोनों की कुछ में सिर्फ बूब्स के क्लोज अप्स,

उससे फोन लेते हुए डिलीट करने के पहले मैने उसे चढ़ाया ,

अभी करेगी डिलीट या घर जा के कर लेना ,हिडेन फोल्डर में है ,किसी को ,. दिखेगा थोड़ी।

" हाँ भाभी सही कह रही हो आप ,घर जाके डिलीट कर दूंगी "

और उसने मुझसे फोन ले लिया ,

लेकिन उतना समय काफी था मेरे पास उन सारी फोटुओं को ८-१० जगह फारवर्ड करने के लिए ,और फिर क्रॉप कर के मेरी फोटो उन में से काट के हटाने का काम तो मेरेलिए मिनट भर का भी नहीं था। और कोई ट्रेस भी करेगा तो खींची भी उसके ही फोन से और फारवर्ड भी उसी के फोन से ,

लेकिन असली चीज तो बची थी

" तेरे भैय्या एकदम बुधु हैं इत्ती मस्त लड़की इत्ते दिनों से उनके पास है और अबतक कोरी बची है ,कब की वो जवान हो गए ,पूरे शहर मोहल्ले को पता चल गया लेकिन ,. "

खुद लाड़ से मुझे चिपकाती वो सुनयना बोली ,

" भाभी आप एकदम सही कहती हैं ,इस बारे में मेरी और आपकी राय एकदम है। "

फिर वो खिलखिलाने लगी।

मैंने उसका हाथ खींच के अपने बूब्स पे रख लिया और अपने हाथ से गुड्डी के हाथ से प्रेस करवाने लगी।

" बिचारे तुझसे खुल के मांग भी नहीं पा रहे थे ,. " हँसते हुए ,उसके कच्चे टिकोरे दबाते मैं बोली।

"एकदम भाभी " मेरे निपल अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच में रोल करते हुए वो खिलखिलाते हुए बोली।

" कभी इसको खिलाती विलाती ,प्यार दुलार करती हो न "

अब मेरा हाथ उस किशोरी की खुली जाँघों के बीच था और उसकी चुनमुनिया मैं हलके हलके छेड़ रही थी।

" ऊँगली वुगली , फिंगरिंग तो करती होगी अपने भैय्या का नाम ले के " मैंने उसकी लेबिया को दबोचते पूछा।

" नहीं भाभी सच्ची ,नहीं " वो शर्मीली शरमाते शरमाते बोली।

" झूठी " कचकचा के मैंने कच्चे टिकोरों पे अपने दांत गड़ा दिए।

" ओके बहुत कम ,बस कभी ,जस्ट टच बहुत मन किया तो ,. " उसने कबूला।

और मेरे हाथों ने उसकी थांग खोल के ऐसा फेंका की सीधे दरवाजे की सिटकनी पर वो टंग गयी।

मेरे मन में कुछ और प्लान बन रहा था ,आज मैं उसके तन के साथ मन को भी खोल देना चाहती थी ,४२ मिनट अभी भी बचे मेरी ननद की गुलामी के।

और मैंने उसके कान में कुछ फुसफुसाया। मुश्किल से वो मानी।

" नो पिक्चर विक्चर भाभी "

" एकदम " मैं मान गयी। मेरे उनके गुड्डी के सब के मोबाइल गुड्डी ने खुद ड्राअर में बंद कर दिया ,

मैं दूर हट गयी ,

अगले दस मिनट तक ,. सिर्फ मन की बात। तन की बात ,किशोर उँगलियाँ ,किशोर देह।

मन की बात, तन की बात

अगले दस मिनट तक ,. सिर्फ मन की बात। तन की बात ,किशोर उँगलियाँ ,किशोर देह।

और उसके बाद खुश हो के मैंने अपनी बाँहों में भर लिया ,एकदम परफेक्ट , मेरी असली ननद।

भाभी मेरी पैंटी , वो सारंगनयनी घबड़ायी हिरणी की तरह इधर उधर ढूंढ रही थी , तो मैंने उसे दरवाजे की ओर दिखाया , सिटकनी में टंगी ,फंसी लहराती।

हम दोनों खिलखिलाने लगे।

जाके ले ले न ,मैंने उसको बुला पर मुझे लगा की बस अब २-४ मिनट में उसके भैय्या आने ही वाले होंगे।

और वैसे भी सिर्फ २८ मिनट बचे थे।

वो दरवाजे के पास खड़ी पैंटी पहन पहन रही थी की

मैंने उसे धर दबोचा।

बाज के चंगुल में गौरेय्या ,

अब मेरी बारी थी।

गुड्डी

वो कुछ समझ पाती , कुछ बोल पाती उसके पहले एक टाइट स्लैप ,

सीधे उसके गाल पे , और मैं चालू,

" स्साली ,छिनार , तुझे अपने मायके के सारे मरदों से चुदवाउ, अपने भैय्या को चूँची झलका झलका के ललचाने में कोई लाज नहीं , अपने भैय्या से स्साली चूँची मिजवाने में कोई शरम नहीं ,. और चूँची बोलने में तेरी गाँड़ फट रही थी। "

जबतक वो समझे एकऔर , चटाक , . . पहले वाले से भी तेज,

"स्साली बोला था न तुझे ज़रा भी हिचकोगी तो पांच तेरे गाल पे और पांच तेरे चूतड़ पे , और ज़रा भी बात मानने में हिचकिचाई न तो भेजती हूँ तेरी सारी फोटुएं ,तेरी सहेलियों के पास। "

वो डरी ,सहमी ,सिकुडी।

" खोलमुंह भाइचॉदी ,रंडी जल्दी खोल "

और मेरे एक हाथ की उँगलियों ने उसके गाल दबाकर उसका मुंह खुलवा लिया। दूसरे हाथ से मैंने कस के उसके सर को पकड़ रखा था ,हिल डुल भी नहीं सकती थी वो ,

खोल मुंह

वो डरी ,सहमी ,सिकुडी।

" खोलमुंह भाइचॉदी ,रंडी जल्दी खोल "

और मेरे एक हाथ की उँगलियों ने उसके गाल दबाकर उसका मुंह खुलवा लिया। दूसरे हाथ से मैंने कस के उसके सर को पकड़ रखा था ,हिल डुल भी नहीं सकती थी वो ,

और फिर बहुत देर से मुंह में ,जैसे बच्चे बबुल गम से गोला बनाते हैं ,उसी तरह पूरे मुंह का सैलाइवा मैंने इकट्ठा किया था ,

फचाक ,वो सैलाइवा का गोला सीधे उसके मुंह में।

" करती हूँ मुख शुद्धि तेरी ,देख तेरे इस मुंह में क्या क्या जाता है ,छिनार इसी मुंह से बोलने में शर्मा रही थी न ,"

उसका गाल अभी भी मेरी उँगलियों से दबा ,मुंह चिड़िया की तरह खुला , और

फचाक , अबकी पहले से भी ज्यादा थूक उसके मुंह के अंदर।

बोल हो गयी न सुद्धि की और कराएगी छिनार , एक हल्का चांटा ,

और अबकी मेरा निशाना जान बूझ के थोड़ा चूका , थोड़ा उसके मुंह में ,थोड़ा चेहरे पर।

बहुत प्यार से धीरे धीरे वो सैलाइवा मेरी उँगलियों ने उसके पूरे चेहरे पर फैला दिया।

और अब गाल छोड़ के मेरी उंगलियां आलमोस्ट नोचते हुए ,उसके टिट्स को पिंच कर रही थी।

" बोल छिनार "

मैं गरजी और अबकी वो वो बिना सोचे समझे बोल उठी।

" चूँची "

"जोर से बोल स्साली , तुझे कुत्तों से चोदवाउंगी। . "

मैं चीखी और अबकी वो खुल के बोली ,

"चूँची "

मैंने गुड्डी के नयी नयी आयी मिल्क टिट्स को मरोड़ा, कस के।

बोल फिर से ,और वो फिर बोली ,

' चूँची '

हाँ ऐसे ही , और मुझसे नहीं रहा गया।

मैंने दांत लगा ही दिया ,

जिस जिस ने कच्ची अमिया कुतरी होंगी , उसे ही उसका स्वाद मालुम होगा।

क्या मस्त , . कोई लाख कहे , ये नहीं वो नहीं लेकिन इस उमर की लड़की किसी के हाथ लग जाए तो बिना टिकोरों को चखे कौन छोड़ता है।

और अबकी वो नहीं चीखी। एक बार फिर दूसरी अमिया पे ,

और अबकी वो खुद सिसकती हुयी बोली चूँची।

हाँ ऐसे ही मजे ले ले के ये सोच न की तेरे भैय्या तेरी चूँची कुतर रहे हैं मीज रहे हैं , जब बोलो , जिस भी पार्ट के बारे में रस ले ले के मजे ले ले के।

मैंने अपनी जवान होती ननद को समझाया।

और टेस्ट के लिए मैंने उसे आर्डर भी दिया ,खोल

खोल

और टेस्ट के लिए मैंने उसे आर्डर भी दिया ,

खोल

मेरी उँगलियों ने बस बहुत हलके से गुड्डी की स्कर्ट को छुआ होगा

और गुड्डी के दोनो हाथों ने स्कर्ट उठा के कमर तक , पैंटी तो वैसे भी उसके हाथ में ही थी।

बस हलके से मेरी हथेली का टच और वो सिहर गयी ,

मेरी दो उँगलियाँ दोनों ओर से उसके लेबिया को , क्या रस से छलकती फांके थी स्साली की। मैंने जरा सा जोर बढ़ाया और मेरे बिना कुछ कहे उसके मुंह से निकल गया

" चूत "

पांच बार मैंने उससे चूत बुलवाया। सारी लाज शरम हिचक धीरे धीरे ,.

और उसके भगोष्ठ जैसे कोई कमल अभी अभी खिल ही रहा हो उसके पेटल्स ,

मुलायम ,मांसल ,ताजे ,जस्ट ब्लूमिंग।

" सुन जब चूत बोलती है न तो महसूस कर , कित्ती मस्त ,रसभरी ,मांसल जवानी से छलकती है ये ,और वो इसके लिए बेताब है वो कुछ भी कर सकता है इसे पाने के लिए , इसका जादू ,इसका रस ,इसकी मस्ती ,चल अपनी ऊँगली से छू ,हलके हलके सहला इसका मजा ले और फिर बोल ,

"चूत "

और मैंने अपने हाथ से पकड़ कर गुड्डी का हाथ उसकी खुली जाँघों के बीच ,

हलके हलके उस किशोरी की ऊँगली उन सॉफ्ट मैजिकल पेटल्स को छू रही थीं ,सहला रही थीं।

मस्ती से गुड्डी की काली कजरारी आँखे बंद हो रही थी ,

और उस के रसीले टीनेज होंठों से सिसकियों के बीच निकला ,

जैसे शहद घुला हो, हलके से

चूत।

वो आवाज जिसे सिर्फ सुन के किसी भी मर्द का खड़ा हो जाए।

और अब मेरी उँगलियाँ भी गुड्डी की उँगलियों के साथ उसके चूत का रस ले रही थीं।

मेरे एक हाथ कच्चे टिकोरों पर और दूसरा गुड्डी के मक्खन मलाई चूत पे।

और क्या चूत थी ,एकदम मुलायम,मांसल और रसीली।

गुड्डी अब खुद अपनी उँगलियों से अपने भगोष्ठों को दबा रही थी ,सहला रही थी।

" हे गुड्डी , सोच यार ये तेरी उँगलियाँ नहीं तेरे भैय्या का मोटा मस्त कड़क लंड है , तेरे लिए बेचैन , बावरा ,बुर में घुसने के लिए पागल। "

" हाँ भाभी "

हलके से उसकी आवाज सिसकियों के बीच निकली।

" सोच जब ऊँगली से छूने से इत्ता मजा आ रहा है जब तेरे भैय्या का मोटा लंड तेरी चूत को रगड़ेगा ,सहलायेगा , इन्ही रस भरी फांको के अंदर घिसटता ,दरेरता अंदर घुसेगा तो कित्ता मजा आएगा। "

मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए और उकसाया।

गुड्डी के चेहरे पर जो मस्ती थी , जिस तरह से उसकी आँखे बंद थी , बस वो यही सोच रही थी की कैसे उसके प्यारे भैय्या का लंड ,. और सिसक रही थी।

" घर लौटेगी तो फिर इस तरह से १० मिनट तक खूब धीमे धीमे , आँखे बंद कर के ,. बस सोचना की तेरे भैय्या का लंड तेरी चूत में,. " और मैंने उसे कैसे अंगूठे और तर्जनी के बीच लेबिया या फांको को दबा के मास्टरबेट करते हैं सिखा दिया। अब वो खुद ,.

" बोल करेगी न "

" हाँ भाभी ,हाँ ,. ",

" तेरे भैय्या ने तुझे अच्छा सा फोन दिया है न "

झुक के मैंने उसके ईयर लोब्स को हलके से चूमते हुए मेरी सरसराती आवाज ने उससे पूछा।

" हाँ भाभी मेरी सहेलियों की ,. सालियाँ कोई भाई या ब्वाय फ्रेंड एक पेन भी देदेता था न तो बस सारे क्लास में और दस बार तो फेसबुक पे पोस्ट करेंगी,सेल्फी निकालेंगी उसके साथ ,. एक के भाई ,भाई क्या रोज कब्बडी खेलती है उसके साथ , उसने अपना पुराना धुराना स्मार्ट फोन दे दिया तो ,. सारी सहेलियां जल जाएंगी। सच में भैय्या बहुते अच्छे है , मुझे बहुत ,. "

उसकी बात को काटते उसकी कच्ची अमियों को जीभ से चाटती मैं बोली ,

" अरे यार तू भी तो बहुत अच्छी है एकदम प्यारी प्यारी , मीठी मीठी ,. तेरे भैय्या ने अपने से चुन चुन के कुछ ख़ास पिक्चरें भी डाली हैं। उसे भी जरूर देखना ,हाँ और साथ में जैसे बताया न ,अंगूठे और ऊँगली के बीच में अपनी फांको को लेकर हलके हलके ,. बस सोचना की तेरे भैय्या तुझे ,. और हाँ जब झड़ना तो मुझे टेक्स्ट जरूर करना। सोने से पहले कम से कम तीन बार , . . "

गुड्डी की उंगलियां उसकी चूत को सहला रही थी और मेरी उंगलिया गुड्डी के निप्स को ,. .

" हाँ भाभी हाँ एकदम "

हलके हलके फिंगरिंग करती वो बोली।

गुड्डी

उसकी बात को काटते उसकी कच्ची अमियों को जीभ से चाटती मैं बोली ,

" अरे यार तू भी तो बहुत अच्छी है एकदम प्यारी प्यारी , मीठी मीठी ,. तेरे भैय्या ने अपने से चुन चुन के कुछ ख़ास पिक्चरें भी डाली हैं। उसे भी जरूर देखना ,हाँ और साथ में जैसे बताया न ,अंगूठे और ऊँगली के बीच में अपनी फांको को लेकर हलके हलके ,. बस सोचना की तेरे भैय्या तुझे ,. और हाँ जब झड़ना तो मुझे टेक्स्ट जरूर करना। सोने से पहले कम से कम तीन बार , . . "

गुड्डी की उंगलियां उसकी चूत को सहला रही थी और मेरी उंगलिया गुड्डी के निप्स को ,. .

" हाँ भाभी हाँ एकदम "

हलके हलके फिंगरिंग करती वो बोली।

और मैंने अपनी ट्रेनिंग टेस्ट कर ली ,

अपनी सेक्सी कमसिन ननद के गाल चूमते मैंने पूछ लिया , बोल ननद रानी क्या सोचेगी अपनी चूत मसलते समय।

" कि मेरे भैय्या मुझे ,. "

और वो एक पल के लिए हिचकी तो कस के मैंने गुड्डी की घुंडियां मरोड़ दी।

" ईईईई ,चीखी वो और बोली ,

मेरे भैय्या मुझे चोद रहे हैं। "

गुड्डी बोली।

धीमे धीमे उसकी झिझक जा रही थी।

" क्या डालेंगे तेरे भैय्या अपना तेरे कहाँ "

कचकचा कर मैंने उसकी कच्ची अमिया को काटा और एक बार फिर उसके कान में फुसफुसाया।

" भैय्या अपना लंड , मेरी चूत में "

गुड्डी अब बिना हिचक बोल रही थी।
,
पांच बार और जोर जोर,मैंने हुक्म दिया।

और अपनी उँगलियों के बीच बुर की फांके रगड़ाती अब खुल के मेरी छुटकी ननदिया बोल रही थी।

" भैय्या अपना लंड मेरी चूत में,. "

पांच बार।

" ज़रा निहुर अपनी गांड दिखा , और वो निहुर गयी।

कुतिया बनी

क्या मस्त चूतड़ थे ,

एकदम बबल बॉटम ,गोरे गोरे बहुत बड़े नहीं लेकिन खूब कसे और बीच में मुश्किल से दिखने वाली दरार ,एकदम ऐसी जिसके लिए लौण्डेबाज तरसते है।

मेरी ऊँगलिया थोड़ी देर तक ननद के चूतड़ का रस लेती रही फिर दोनों नितम्बो को कस के फैला के मैंने अंगूठा गुड्डी की गाँड़ पे गड़ा दिया। .

और मेरे बिना कुछ बोले वो किशोरी बोल उठी ,

" भाभी ,गांड। "

और मेरे मन में वो बातें कौंध उठी जो इनकी साली रीनू,कमल जीजू और मैं इनके माल के पिछवाड़े के बारे में कर रहे थे।
इसकी फोटो देखके रीनू ही बोली,

"स्साली,तेरी ननद का पिछवाड़ा तो बहुत मस्त है , हचक के गांड मारने लायक है ,क्यों।

ननद का पिछवाड़ा

मेरे मन में वो बातें कौंध उठी जो इनकी साली रीनू,कमल जीजू और मैं इनके माल के पिछवाड़े के बारे में कर रहे थे।

इसकी फोटो देखके रीनू ही बोली,

"स्साली,तेरी ननद का पिछवाड़ा तो बहुत मस्त है , हचक के गांड मारने लायक है ,क्यों। "

"एकदम लेकिन अभी कच्ची कली है बहुत कसा होगा , खूब तेल वेल लगा के चिकना कर के तब कहीं मुश्किल से घुसेडवा पाएगी ,"

कमल जीजू ने अपना एक्सपर्ट कमेंट दिया।

" अरे तो लगा लीजियेगा न कड़वा तेल ,मेरी ननद है मैं ही तेल का खर्चा बर्दाश्त कर लूंगी "

मुस्कराती मैं बोली।

"एकदम नहीं , स्साली की एकदम सूखी मारना जीजू , और उमर की बात आप कर रहे हो , इस से दो दो साल छोटे लौंडो की नेकर सरका के , निहुरा के ,. "

रीनू कस के बोली।

बात तो रीनू की एकदम सही थी लेकिन सूखे सूखे , .

मैं इत्ती खेली खायी आलमोस्ट दो साल हो गए शादी के और पहली रात से ही आलमोस्ट बिना नागा , और उस दिन मेरे कोरे पिछवाड़े की सील अजय जीजू ने खोली , और चुदाई का बेस्ट लुब्रिकेंट अजय जीजू की रबड़ी मलाई मेरी गांड में बुचौबुच्च छलक रही थी ,

और कमल जीजू ने भी अपना लंड एक दम चिकना कर के,.

तब भी मेरी जान नहीं निकली बस बाकी सब कुछ हो गया। और ये तो एकदम नयी बछेड़ी , यंग टीनेजर ,

" कहीं फट फटा गयी तो ,. "

धीरे से मैंने अपना आब्जेक्शन बताया , पर रीनू ने हल बता दिया,

" मोची से सिलवा लेगी ,ऐसा क्या।"

बड़ी मुश्किल से इस बात पर आम सहमति बनी की कमल जीजू मेरी ननद की कोरी गांड मारने से पहले बस ज़रा सा थूक अपने मोटे सुपाड़े के टिप पे लगा सकते हैं।

गुड्डी की कोरी गांड को मेरा अंगूठा हलके हलके दबा रहा था , चिढ़ाते हुए मैंने बोला,

" ननद रानी मस्त मजा आएगा तेरी गांड मारने वाले को और तुझे भी आएगा जब तेरी गांड में लंड घुसेगा। "

" नहीं नहीं भाभी इधर नहीं , ये तो गलत है ये इस काम के लिए ,. "

गुड्डी चिहुंक कर बोली।

जवाब में मैंने जोर से उसकी कच्ची अमिया एक बार और कुतर ली ,फिर हंस के समझाया,

" तभी तो कहती हूँ तू न एकदम बच्ची है ,अरे तुझसे छोटी उमर के लौंडे , बिना बोले , खुद निहुर के नेकर सरका देते हैं ,एक बार मरवाओगी न तो खुद बोलेगी हाँ भाभी ने सही कहा था।
मेरा अंगूठा उसकी गांड के छेद पर घसर मसर ,. लेकिन तभी मेरे तेज कानो ने हल्के से दरवाजा बंद होने की आवाज सुनी।

यानी वो चिपकू वर्मा इनका दोस्त गया ,और दो तीन मिनट में ये ऊपर।

"चल पैंटी पहन ले तू "

पैंटी पहन कर गुड्डी टॉप भी ठीक कर रही थी लेकिन मैंने उसके निप्स खुले ही रहने दिए।

मुझे कुछ याद आया ,

अपने भैय्या का

मुझे कुछ याद आया ,

" हे तुझे बोला था न , की अपने भैय्या का लंड पकड़ने को दबाने को "
मैं कड़क के बोली।

"पकड़ा तो था ,शार्ट के ऊपर से ,"सहम कर वो कमसिन बोली।

"स्साली ,छिनार ,भाईचोद, तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारुं , तुझे शार्ट पकड़ने को बोला था की ,. "

मैंने अपनी बात जान बूझ के आधी छोड़ दी।

" भैय्या का लंड पकड़ने को लेकिन वो भैय्या कहीं ,. " वो हिचकते हुए बोली।

"तो भैय्या से कहती न , वो मना थोड़े ही करते , बोल क्या बोलती तू। "

मैंने चढ़ाया।

" भैय्या , अपना लंड मुझे पकड़ने दो न "

खिलखिलाते वो शोख बोली।

इत्ते धीमे ज़रा जोर से बोल न। मैं ने कहा।

उनके सीढ़ी चढने की आवाज बहुत हलकी सी आ रही थी।

" भैय्या अपना लंड मुझे पकड़ने दो न "

अबकी उसकी बोली न सिर्फ तेज थी बल्कि बहुत सेंसुअस भी।

उन्होंने शायद सुन भी लिया होगा लेकिन मैं रिस्क क्यों लेती मैंने गुड्डी से बोला ,

" हाँ थोड़ा और सेक्सी ढंग से , पटाते हुए बोल न "

" भैय्या , प्लीजजजजजज , मुझे अपना लंड पकड़ने दो न ,प्लीज्ज "

गुड्डी एकदम हस्की सेक्सी आवाज में बोल रही थी।

अबकी तो उन्होंने पक्का सूना होगा और साथ ही दरवाजे पर खट खट हुयी।

गुड्डी झेंपी लेकिन मैं कहाँ छोड़ने वाली थी ,

" एक बार बचा है ,बोल न और फिर दरवाजा खोल दें "

और मैंने गुड्डी के निप्स पिंच कर दिए।

भैय्या , प्लीजजजजजज , मुझे अपना लंड पकड़ने दो न ,प्लीज्ज " गुड्डी ने एकदम सिडक्टिव सेक्सी ढंग से बोला ,और दरवाजा खोल दिया।

अबकी तो उन्होने शर्तिया सुना होगा और सबूत मेरे सामने था ,उनका खूंटा ,एक बार फिर जगने लगा था।

किसी से भी अगर कोई यंग सेक्सी टीनेजर ऐसे बोले तो खूंटा खड़ा होयेगा ही.

मेरी आँख का इशारा काफी था , और अब वो न सिर्फ अपने भैय्या के खूंटे को शार्ट के अंदर पकड़े थी बल्कि हलके हलके सहला रही थी ,दबा रही थी , मसल रही थी।

पहली बार उसने लिंग स्पर्श किया था और उस छुअन का जो मजा है रोमांच है ,सिहरन है वो एक किशोरी ही बता सकती है जसिने पहली बार एक लम्बा कड़क खूब मोटा लंड पकड़ा हो।

मैंने फिर पाला बदला , और उन्हें चढ़ाया ,

"कुछ तो सीखो ,मुझसे नहीं तो गुड्डी से ,लड़की हो के खुद तुमसे बोली , तुम्हारा लंड माँगा और खुद तेरे शार्ट में हाथ डाल के मुठिया रही है। बिचारी इत्ती देर से अपना जुबना दिखा रही है ,ललचा रही है तुझे ये मस्त खटमिट्ठी कच्ची अमिया एक्दम खुली और तू भी न ,. "

हाथ तो आउट आफ ऐक्शन थे लेकिन होंठ दांत ,

इत्ती देर के बाद उन्होंने कच्ची अमिया कुतरी , पहले हलके से जैसे डरते डरते , फिर थोड़ा जोर से और प्यार से।

उन्हें गियर चेंज करने के लिए गुड्डी ने मजबूर किया ,एक झटके में उसने लंड का चमड़ा खींचा ,मोटा सुपाड़ा बाहर ,शार्ट के आलमोस्ट ट्रांसपरेंट कपडे से झलकता ,

और अब वो भी जोर जोर से गुड्डी के निप्स चूस रहे थे , वो निप्स जिसके लिए वो न जाने कब से दीवाने थे।

मैं कहाँ थी ? नहीं नहीं मैं भाई बहन के बीच में नहीं बल्कि दूर खड़ी और बहुत बिजी ,

इत्ती मस्त सीन चल रही तो मोबाइल से थोड़े ही काम चलता है , हाई पावर हैंडी कैम जिसमे तगड़ा ज़ूम भी था।

उस झलकौवा शार्ट से झलकते मेरी ननद के कोमल कोमल हाथ उनके मोटे टनटनाये खूंटे को मुट्ठियाते ,

और उनके होंठ सीधे गुड्डी की कच्चे टिकोरे चूसते ,चाटते ,कुतरते।

उनकी बहना के दोनों किशोर जोबन अब कैद से बाहर थे ,टॉप और ब्रा की।

और उसके भैय्या के होंठों के बीच कैद हो गए थे , कभी जीभ से निप्स वो फ्लिक करते तो कभी दोनों होंठों के बीच दबा दबा के चूसते।

मैंने थोड़ी और आग लगायी ,

" हे मेरी ननद तो बिलो द बेल्ट मजे ले रही और तुम सिर्फ कमर के ऊपर , . कुछ तो सीखो मेरी ननद से। "

लेकिन गुड्डी ने रूल सेट कर दिया ,

" भैय्या मैंने इस खोला नहीं और देखा भी नहीं ,इसलिए तू भी बस ,. . "

यानी पैंटी हटनी नहीं थी।

उनके होंठ निपल्स से नेवल पर और फिर गुड्डी की चिकनी मखमली जाँघों पर।

ललचायी निगाहों से वो गुड्डी की पैंटी बल्कि सिर्फ दो इंच की लेसी थांग निहार रहे थे जो बहुत मुश्किल से गुड्डी की रसीली भीगी भीगी फांको को छिपाये थी।

हिम्मत कर के उन्होंने एक ऊँगली की टिप लेसी थांग के ऊपर से गुड्डी की फांक पर रखी और उसकी लेबिया के किनारे किनारे ,

गुड्डी गिनगीना उठी और जवाब में उसने मुठियाने की रफ़्तार तेज कर दी।

इन्होने भी उस टीनेजर की थांग से ढकी लेबिया पे प्रेशर बढ़ा दिया।

और उसी समय

नीचे से हंकार आ गयी , चाय आ जाओ सब लोग।

मैं उन्हें आँख से इशारा कर रही थी अरे एक झटके में थांग सरका के चूत का नजारा तो देख लो ,

पर वो भी न ,

गुड्डी की वार्निंग और नीचे से उनकी भाभी की आवाज।

लेकिन गुड्डी इत्ती सीधी नहीं थी।

उनके उठने के पहले ही गुड्डी ने दूसरे हाथ से उनका बॉक्सर शार्ट खींच दिया ,और खूंटा निकल के बाहर।

क्लिक ,क्लिक

वो गुड्डी को शिकायत की नजर से देख रहे थे , पर गुड्डी मुस्कराते हुए बोली ,

' अरे भइया थोड़ी बहुत बेईमानी चलती है। क्यों भाभी। "

"एकदम,. . " जल्दी जल्दी साडी बांधते हुए मैंने अपनी ननद को सपोर्ट किया।

उन्हें तो बस अपनी शार्ट ठीक करनी थी और गुड्डी को अपना टॉप ,

और हम तीनो सीढ़ी से धड़धड़ नीचे।

गुड्डी के वो दो घंटे १२ मिनट पहले ख़त्म हो चके थे।​
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