Episode 78
जेठानी जी के सामने
और हम तीनो सीढ़ी से धड़धड़ नीचे।
गुड्डी के वो दो घंटे १२ मिनट पहले ख़त्म हो चके थे।
शरारत में मैंने गुड्डी के टॉप के स्ट्रिंग्स फिर नीचे खींच दिए और उसकी छलकती हुयी गोलाइयाँ आधी से ज्यादा बाहर आ गयी , और वो उसे ठीक कर पाती , उसके पहले ही हम तीनो नीचे ,
जेठानी जी के सामने।
" क्या हो रहा था " वो बोलीं
और जिस तरह से हम तीनो केमुंह से एक साथ निकला , कुछ भी तो नहीं, उससे साफ़ था बहुत कुछ हो रहा था।
जेठानी बिचारी ,
उनकी हालत एक ऐसे नेता की थी , जिसकी पार्टी की सरकार चली गयी हो , इलेक्शन में वो न खुद हार गया हो बल्कि उसकी जमानत भी जब्त हो गयी हो। लेकिन वो भूल नहीं पा रहा हो की कल तक उसकी तूती बोलती थी और सड़क चौराहे पर किसी ट्रैफिक कांस्टेबल पर धौंस जमाने की कोशिश कर रहा हो.
पर हारे हुए नेता और घिसी हुयी आइटम गर्ल को जैसे कोई नहीं सुनता , बस वही ,.
" मै सोच रही थी , अरे तुझे तो मालूम ही है की साढ़े चार बजे यहां सब लोग चाय,. इसीलिए तुझे आवाज दी। "
जेठानी ने मेरी आँख में आँख डाल कर बोला।
मुझे एकदम मालूम था ,सारा टाइम टेबल और मीनू भी ,
आखिर साढ़े सात महीने तक यही तो करती थी ,सुबह ठीक सवा छह बजे किचेन के अंदर ,वो भी नहा धो के , फिर सबकी बेड टी , सात बजे के पहले , फिर ब्रेकफास्ट , लंच , शाम साढ़े बजे इवनिंग टी ,शाम का नाश्ता , रात का खाना , और हर डिश के साथ नया नया ताना।
जेठानी जी भी आती थीं बीच बीच में सिर्फ ये बोलने के लिए ,
" तेरे मायके की तरह नहीं है यहाँ , हमारे यहां तो किचेन में लहसुन प्याज आना क्या कोई बात भी नहीं कर सकता ,. "
तो जेठानी जी का इशारा साफ़ था , मैं किचेन में जाऊं ,पुराने जमाने की तरह चाय बना के ले आऊं यहीं बरामदे में और वो अपने छुटके देवर और ननदी के साथ गप्पाष्टक करें और ये उन दोनों से उगलवाने की कोशिश करें की मैं क्या बात कर रही थी।
बिचारी दो दिनों से मैंने उन्हें कित्ते हिंट दिए थे की अब जमाना बदल चुका है , उनका देवर अब मेरी पति पहले है ,मेरा एकदम अच्छा वाला मीठा मीठा हबी।
मैं भी कौन कम थी अपनी मम्मी के कॉलेज की पढ़ी , हँसते हुए मैंने उन्हें गले लगा लिया और बोली ,
" एकदम दी , कैसे भूल सकती हूँ , अरे मैं खुद बहुत चयासी हो रही थी। ये तो आपके देवर न ,थोड़े बिजी थी , . "
और मैंने जब मुस्करा के अपने उनको देखा तो बिचारे ऐसे शरमाये की लौंडिया मात।
" और दी , आपके देवर चाय बहुत अच्छी बनाते हैं , स्पेशली मसाला चाय। अभी बना के लाते हैं , "
और उनको चिढ़ाते और गुड्डी के गुलाब ऐसे गालों पर चिकोटी काटते मैंने उनको बोल दिया,
" और आज तो ये चिकनी भी आयी है स्पेशल मेहमान ,
ज़रा उसको भी तो अपने हाथ का जौहर दिखाओ न ,चाय के साथ वाय भी। "
वो किचेन की ओर मुड़ गए , और अब मैंने गुड्डी को भी उधर खदेड़ दिया जिससे जो बातें जेठानी जी के पेट में नहीं पच पा रही थी वो मुझसे कर लें वरना फ़ालतू में गैस की दवा ढूंढती फिरेंगी। "
" तू भी जा न ज़रा अपनी भैय्या की हेल्प करा दे ,कही चाय में चीनी की जगह नमक डाल दें , फिर उन्हें चाय के साथ वाय भी तो बनानी है ,अपनी पसंद की वाय बनवा लेना अपने भैय्या से। "
एकदम भाभी कह के ,मुस्कराती वो छोरी बड़ी शोख अदा से अपने कसे कसे नितम्ब मटकाती , मुझे दिखाती किचेन में चली गयी ,
मैं और मेरी जेठानी
जेठानी जी ने उगल दिया ,
और जेठानी जी ने मेरे गले को सहलाते हुए बड़े शाक और दुख भरी आवाज में कहा ,
" हे तेरा गला बड़ा सूना लग रहा है। "
मैं उनका मतलब समझ रही थी लेकिन जान बूझ के नहीं बोली।
अब मैं भी ये सब ट्रिक सीख गयी थी , मैं जो वो चाहती थीं की मैं अपने मुंह से बोलूं , वो सुख उन्हें नहीं देना चाहती थी।
बस मैं उनकी ओर देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थी।
आखिर उनसे नहीं रहा गया , वो बिचारी ,बोलना ही पड़ा उन्हें।
" हे वो गुड्डी ,वो हार ,बाजी तो तूने न , फिर ,. " रुकते रुकते वो बोल रही थीं।
कुछ देर मैं चुप रही ,फिर मुस्कराकर ,किसी बड़े दिल वाली की तरह मैं बोली ,
" अरे दी ,इनकी एकलौती छोटी बहन है ,सगी तो कोई है नहीं जो है वही ,और हमारी भी छोटी ननद। उसका दिल आ गया था , तो बस , बाजी वाजी क्या वो तो बस ऐसे ही मज़ाक में और चलिए इसी बहाने आपके देवर ने आपके सामने आम खाना शुरू कर दिया। "
वो कुछ बोलती उस के पहले मैंने अगले तीर चला दिए ,
" वैसे भी दीदी ,अबकी मेरी बर्थडे पे ये मेरे लिए कुंदन का हार दिया है ,बीच में पन्ना ,मैं भूल गयी थी दिखाना आपको , साथ में मैचिंग झुमके और हाँ जो प्रमोशन हुआ था न उनका , उस समय मैंने तो बहुत मना किया पर आप तो जानती है न मेरी सुनते हैं क्या के जड़ाऊ सात लड़ वाला हार , और मम्मी भी आयी थी मेरी , अभीहम लोगों के यहाँ आने के एक दिन पहले तो गयी वापस , वो भी अब मैं एकलौती लड़की ,. यूरोप गयी थीं वो तो एक बसरा पर्ल्स का हार , . वो वाला तो मैं नहीं लायी हूँ पर आपको व्हॉट्सेएप कर दूंगी। आप को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में ऐड कर देती हूँ , . व्हाट्सऐप है न आपके पास ,. "
आखिरी तीर चला के मैं चल दी।
अब मैं एकदम सीख गयी थी ,शिकार को कब घायल कर के छोड़ देना चाहिए ,जिससे खूब धीरे धीरे खून रिसे , और उसे अपनी चोट याद आती रहे।
गुड्डी तो खैर टीनेजर थी और किशोरियां कुछ ज्यादा ही चबड चबड करती हैं , लेकिन उसे कंट्रोल करना गाइड करना तो मेरी जेठानी का , और अब मैं समझ गयी कित्ती बार तो उसके कंधो पर रख के वो बन्दूक चलाती थीं।
बिना मुड़े मैंने कनखियों से ,. वो ,. मेरी जेठानी एकदम आग बबूला,. टेंशनियाइ ,.
यही तो मैं चाहती थी।
मैं किचेन में
गुड्डी को मैंने बोला था न की जा अपने भैय्या के हाथों का जौहर देख ,किचेन में।
उनके हाथ सच में जौहर दिखा रहे थे ,सीधे गुड्डी की कच्ची अमिया पे ,एक उस कसे बहुत ही लो कट टॉप के अंदर और दूसरा ऊपर से ही ,.
और मेरी छुटकी ननदिया भी कम नहीं थी , उस शोख परी ने अपने नाजुक हाथों से उनकी झलकौवा शार्ट के ऊपर से उनके खड़े खूंटे को कस कस के रगड़ मसल रही थी , और उन्हें चिढ़ा रही थी।
उधर चूल्हे पर दूध उबल रहा था।
यही तो मैं चाहती थी।
जब तक उन दोनों ने अहसास किया की मैं किचेन के अंदर हूँ , दूध उबल रहा है , और वो लपक कर चूल्हे की ओर बढे , पर मुस्कराते हुए मैंने पहले दूध उतार दिया।
झेंप कर वो बेसन फेंटने में लग गए और मैं उनकी माल कम बहन के पास।
उन्हें झेंपते हुए देखा मैं और गुड्डी दोनों मुस्कराने लगे। .
" गुड्डी क्या बनवा रही हो ,अपने भैय्या से " गुड्डी को चिढ़ाते मैंने पूछा।
" पकौड़ी " बेसन फेंटते हुए जवाब उन्होंने दिया।
" भाभी आपने भैय्या को ट्रेनिंग बहुत अच्छी दी है ,एकदम परफेक्ट कुक "
गुड्डी के गालों को मरोड़ते मैंने उसे छेड़ा,
" अरे मेरी ननद रानी आज की रात रुक जाओ न तो बस बाकी उन्होंने ये क्या क्या सीखा है ,ये भी दिखा देंगे ,आगे से ,पीछे से. क्यों है न ,दिखा दोगे न गुड्डी को। "
वो और गुड्डी दोनों झेंप गए।
गुड्डी
" गुड्डी क्या बनवा रही हो ,अपने भैय्या से " गुड्डी को चिढ़ाते मैंने पूछा।
" पकौड़ी " बेसन फेंटते हुए जवाब उन्होंने दिया।
" भाभी आपने भैय्या को ट्रेनिंग बहुत अच्छी दी है ,एकदम परफेक्ट कुक "
गुड्डी के गालों को मरोड़ते मैंने उसे छेड़ा,
" अरे मेरी ननद रानी आज की रात रुक जाओ न तो बस बाकी उन्होंने ये क्या क्या सीखा है ,ये भी दिखा देंगे ,आगे से ,पीछे से. क्यों है न ,दिखा दोगे न गुड्डी को। "
वो और गुड्डी दोनों झेंप गए।
वो गुड्डी की ऊपर वाली मंजिल की हाल चाल पूछ रहे थे तो मैंने निचली मंजिल में सेंध लगायी।
क्या मस्त रसीली फ़ांके थी ,स्साली की।
एकदम रस छलक रहा था।
कुछ देर तो उसकी चुनमुनिया छोटी सी लेसी पेंटी के ऊपर सहलाती रही मैं , फिर पैंटी सरका के सीधे एक फांक के किनारे किनारे ,मेरी ऊँगली ,.
गुड्डी एकदम मस्ता रही थी।
उधर से उसके भैय्या ललचायी निगाहों से हम दोनों को देख रहे थे ,कनखियों से।
मैंने जो उन्हें देखा और उनकी चोरी पकड़ी गयी तो वो फिर झेंप गए लेक्किन हम दोनों उन्हें कहाँ छोड़ने वाले थे।
मैंने एक जबरदस्त आँख मार दी , और
गुड्डी ने एक मीठी सी तगड़ी फ़्लाइंग किस उछाल दी उनकी ओर ,
बात टालने के लिए उन्होंने गुड्डी से पूछा ,
" सुन बैंगन की पकौड़ी पसंद है न तुझे बनाऊं ?"
" एकदम भैय्या ,बैंगन तो मुझे बहुत पसंद है " मुस्कराती चिढ़ाती वो शोख बोली।
और बैगन थाली से निकाल के उनकी ओर बढ़ा दिए।
" हे जो बैगन कुछ देर पहले पकड़ के रगड़ मसल रही थी वो ज्यादा जोरदार थे ,या जो तूने अभी दिए? "
उसकी पैंटी पूरी तरह सरकाते मैंने पूछा।
" जो कुछ देर पहले पकड़ी थी , न तो कोई उत्ता लम्बा और न उत्ता मोटा , भाभी उसकी तो बात ही अलग है मेरा वाला। "
और अब मेरी ऊंगली गुड्डी की चुनमुनिया की दोनों फांको के बीच घुस गयी थी।
" मतलब, आपका। "
गुड्डी ने कोर्स करेक्शन किया
लेकिन जवाब में मैंने गचाक , पूरी ताकत से अपनी मंझली ऊँगली निचली दोनो फांको के बीच ,
" न न , न तेरा न मेरा हम दोनों का ,जैसे कॉलेज में किसी सहेली के साथ मिल के लॉलीपॉप चूसा होगा न एकदम वैसे। "
उसके गाल पर हलके से चुम्मी लेते मैंने बोला।
पर ऊँगली मेरी घुसी नहीं ,एक पोर भी नहीं। बस ज़रा सी टिप। बहुत ज्यादा ही कसी चूत थी स्साली की।
मैं अपनी ननद की चूत की दरार में अब खुल के ऊँगली से रगड़ घिस कर रही थी और वो बिचारी सिसक रही थी।
निप्स उसकी कच्ची अमिया के एकदम टनाटन
" हे कभी मैरिनेटेड बैगन की पकौड़ी खाई है ?" गुड्डी के गाल कचकचा के काटते मैंने पूछा।
" नहीं भाभी , कभी सुना भी नहीं ये क्या होता है "उस नादाँ कमसिन ने अपनी भोली भोली आँखे नचा के पूछा।
मैंने पास ही रखी थाली में से एक मोटा सा बैगन ,खूब लंबा उठाया दूसरे हाथ से अपनी छुटकी ननदिया की पैंटी खोल दी।
बैगन की टिप अभी जहाँ मेरी ऊँगली थी ,उसकी हलकी हलकी गीली रसीली चूत की फांको के बीच.
" ननद रानी अगर तू चुद गयी होती न तो मैं तुझे करवा के सीखा देती , लेकिन जिस दिन मेरे सैंया से चुद जायेगी न बस उसके अगले दिन ये स्पेशल रेसिपी तुझे सीखा दूंगी "
कस कस के बैगन की टिप उसकी हलकी खुली चूत पर रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया।
पर वो छिनार कौन कम थी ,थी तो मेरी ननद , खिलखिलाते बोली।
" भाभी , उसके लिए अपने सैयां केकाण पकड़िए , मैंने तो कभी नहीं मना किया था वही शरमा जाते थे। लेकिन चलिए प्रैक्टिकल न सही थ्योरी ही ,प्रैक्टिकल बाद में कर लुंगी। "
" ऐसा खूब मोटा और लम्बा बैगन, हलके हलके चूत में घुसेड़ लो ,कम से कम ६ इंच और फिर जोर से चूत भींचती रहो। कम से कम ४ घंटे , दुहरा बल्कि तिहरा फायदा , एक तो चूत की मसल्स टाइट ,दूसरे चूत में लम्बे मोटे का मजा ,. और जो रस निकलता रहेगा उससे बैगन मैरीनेट हो जाएगा। और उसके पकौड़े बना के जिस लौंडे को खिला देगी न एकदम तेरे आगे पीछे दुम हिलाते ,. "
" दुम ,. भाभी " हँसते ,लोटपोट होते वो बोली।
" अरे यार पीछे वाली नहीं तो आगे वाली ,. " मैं भी उस के साथ हंसती बोली।
"हे जानती है ,एक बार तेरे भैय्या को , ऐसे गाजर डाल के अपनी बुर में ,उसका हलवा बना के खिलाया ,और वो बिचारे सीधे बुध्दू ,समझ नहीं पाए ,बोले ये तो बड़ा स्पेशल है ,मीठा भी और टैंगी भी। "
और एक बार फिर हँसते हँसते मैं और गुड्डी दोनों दुहरे।
पकौड़ी छानने के लिए उन्होंने कड़ाही चढ़ा दी थी लेकिन कान उनके इधर ही ,
ननद की पैंटी
और एक बार फिर हँसते हँसते मैं और गुड्डी दोनों दुहरे।
पकौड़ी छानने के लिए उन्होंने कड़ाही चढ़ा दी थी लेकिन कान उनके इधर ही ,
" हे क्या बात कर रही हो तुम दोनों " सुनने को बेताब वो , नहीं रहा गया।
लेकिन माकूल जवाब उनके माल ने ही दिया।
" तुझसे मतलब ,गर्ली टाक ,ओनली फॉर गर्ल्स , क्यों भाभी ,. "
" एकदम " मैंने अपनी ननद का समर्थन किया।
और अबकी गुड्डी के होंठों ने पहल की और जबरदस्त किस मेरे होंठों पे।
लेकिन मैंने उसे फिर अपने सैंया के लिए छोड़ दिया ,
" हे चल जरा अपने भैय्या की हेल्प कर ,. "
और चलने के पहले एक बार कस के मुट्ठी में मैंने गुड्डी की खुली चूत जोर जोर से रगड़ कर भींच ली ,
और जब मैं किचेन से बाहर निकली तो गुड्डी की पैंटी मेरी मुट्ठी में थी ,
और गुड्डी अपने भैय्या के पास।
हाँ उसकी निगाह मेरी ओर ही लगी थी ,गुड्डी को दिखा के एक बार उसके चूत के रस से भीनी पैंटी पहले मैंने सूंघ ली फिर चूम ली।
बजाय झिझकने के गुड्डी ने मुस्कराते हुए ,मेरी ओर एक फ़्लाइंग किस उछाल दिया।
बिचारी मेरी जेठानी भुकुसी अपने कमरे में बैठी टीवी से जंग लड़ रही थीं ,
"इस समय कोई सीरियल भी ढंग का नहीं आता। "
" देखिये दी ,आपकी देवरानी आपके लिए क्या चीज जीत के लायी है "
कमरे में घुसते ही मुस्करा के मैंने उन्हें उकसाया।
थोड़ा उनका मूड भी हल्का हुआ , उठ बैठीं , बोलीं ,
" बोल न ,. . पहेली क्यों बुझा रही है। "
और मैंने मुट्ठी खोल के उन्हें दिखा दिया ,
हम दोनों के ननद की पैंटी।
एकदम चेहरे पर ४०० वाट का बल्ब जल गया।
ख़ुशी से वो मेरे पास आगयीं और अपनी उत्सुकता दबाती , पूछ बैठीं ,
" हे उसकी ,. है ?"
मैंने सर हिला के हाँ बोल दिया।
अब तो वो ख़ुशी के मारे ,.
मैंने बोला था न ,गुड्डी पहले एकदम,. जबरदस्ती अच्छी बच्ची बनी फिरती थी , और हमारी मेरी और मेरी जेठानी दोनों की ,मजबूरी
एकलौती ननद , तो गारी भी तो उसी के नाम से और छेड़ेंगी भी तो उसी को न , और गारियाँ हम दोनों को एकदम खुल्ल्मखुल्ला वाली पसंद थी ,
वरना गारी क्या , और वो भी ननद भौजाई के बीच.
जेठानी जी ने बताया था , फागुन का महीना था ,होली की मस्ती और अब वो छोटी भी नहीं थी ,हाईकॉलेज में पहुँच गयी थी। मजाक मजाक में जेठानी जी ने उसकी स्कर्ट जरा सा छू दी बस वो ऐसे बिफर गयी ,क्या क्या सीन नहीं बनाया उसने।
मैंने जेठानी जी को दिलासा भी दिलाया और वादा भी किया ,दी जाने दीजिये ,एक दिन इसी घर में आपके सामने , उसकी पैंटी उतार दूंगी। "
और मैंने वो जीत की ट्राफी मैंने उनके हवाले कर दी।
" तू भी न , . एकदम उस्ताद है " ख़ुशी से पैंटी पकड़ते वो बोलीं और मुझे भींच लिया।
मैंने भी कस के अँकवार में उन्हें दबाते हुए कबूल किया ,
" दी आखिर आप की देवरानी हूँ कुछ तो असर होगा न। "
और हम दोनों कमरे से बाहर आगये ,
भइया बहिनी मिल के टेबल सेट कर रहे थे।
भइया बहिनी
भइया बहिनी मिल के टेबल सेट कर रहे थे।
जेठानी ने झट से स्कर्ट उठा के गुड्डी के छोटे छोटे नितम्बों को दबोच लिया।
उनके अनपूछे सवाल का गुड्डी की ओर से मैंने जवाब भी दे दिया ,
" अरे दी , नीचे वाली चिरैया को भी धूप हवा चाहिए न , आखिर अब उसके चारा घौंटने के दिन आ गए है। "
और साथ ही गुड्डी को एक काम भी पकड़ा दिया।
उसके भैय्या गरम गरम पकौड़े लाने किचेन में चले गए थे , मैं गुड्डी से बोली ,
" सुन यार ,तेरे चक्कर में तेरे भैय्या तो आज से आम खाने लगे हैं न "
गुड्डी की मीठी मीठी निगाहें मुस्कराने लगीं।
" तो अब आज ज़रा उनसे कहो न एक प्लेट आम ताजा काट के , बड़ी बड़ी फांके ,. और हाँ तू मत काटना अपने भैय्या से ही कटवाना। "
गुड्डी किचेन की ओर मुड़ चुकी थी , किचेन के दरवाजे के पास से मेरी ओर देखते हुए वो सारंग नयनी ,हँसते हुए बोली।
" एकदम भाभी ,पक्का ,भैय्या से ही कटवाउंगी। "
डबल मीनिंग डायलॉग बोलने में अब मेरी ननद भी हम लोगो के टक्कर में आने की कोशिश कर रही थीं।
जेठानी जी ने भी पूँछ जोड़ दी ,
" सही है ,भैय्या से कटवाने का मजा ही और है। "
लेकिन अपनी जेठानी को रगड़ने का ये मौका मैं क्यों छोड़ती , मैंने ऊँगली पे कुछ जोड़ा ,फिर उन्हें छेड़ा ,
" सच में दी सिर्फ दो दिन बचे है आपकी छुट्टी खतम होने में बस आज और कल फिर परसों उसके भैय्या आपको काटे बिना नहीं छोड़ेंगे। देवर का तो बैसे ही हक़ होता है और फिर तो जेठ जी के नहीं होने पर तो सेन्ट परसेंट दूकान उनकी "
तब तक वो और गुड्डी बाकी सामान लेके ,
चाय
बैंगन के पकोड़े ताज़ी चटनी ,
और हाँ फ्रेश कटे आम भी थे।
"जियत रहे यह जोड़ी , जल्द ही गाभिन हो ,नौवें महीने में सोहर हो ,"
अब मेरी जेठानी जी भी मूड में आ गयीं ,उस एलवल वाली को चिढ़ाने में
गुड्डी के गाल गुलाबी ,नैन शराबी ,. हलके से वो ब्लश कर रही थी , मेरी जेठानी की बात पे।
" एकदम भाभी आप के मुंह में घी शक्कर "
हँसते हुए मैंने अपनी जेठानी का साथ दिया, लेकिन मेरे मन में मम्मी की बात याद आ रही थी ,
" बस किसी तरह उसे पटा के यहाँ ले आ , और फिर उसे गाभिन कराने की जिम्मेदारी मेरी। "
मन मेरा भी यही कर रहा था की किसी तरह ये सोन चिरैया पट जाय और हम लोगों के साथ चल दे , एकबार मेरे घर पहुँच गयी तो फिर तो ,
मम्मी और उससे भी बढ़कर मंजू बाई ,उसकी बिटिया गीता ,. लेकिन कैसे चलेगी हम लोगों के साथ मेरे मन में यही सवाल साल रहा था।
वो और गुड्डी मिल के टेबल लगा रहे थे , बैंगन के पकौड़े ,चाय ,बहुत कुछ ,.
मैंने उन्हें देखते हुए अपनी जेठानी को चढ़ाया ,
" अरे आज आपके देवर ने पहली बार रसोई छूई है , इसका कोई नेग वेग तो दीजिये इनको। "
( नयी बहु घर में आने के दो चार दिन बाद जब पहली बार रसोई में कुछ बनाती है तो उसके ससुराल वाले ,सास ,उसकी जेठानी सब नेग देते हैं )
" एकदम " चहक के वो बोलीं।
फिर उनके बगल में बैठी गुड्डी की ओर इशारा कर के अपने देवर से बोली ,
" चल ये मेरी ननद तेरा नेग, पसंद हैं न , बस ले लो। "
मैं क्यों मौक़ा चुकती ,
" अरे दीदी ,इससे अच्छा नेग तो हो ही नहीं सकता , बिचारे कब से इसे देख के ,. " मैं जेठानी से बोली और फिर उनको छेड़ते हुए कहा ,
" ले लो , ले लो ,अब तो तुम्हारी भौजाई की भी इजाजत मिल गयी है ,मौसी भी राजी बंसती भी राजी। "
उनका बायां हाथ तो वैसे ही गुड्डी के कंधे पर था ,गुड्डी के टॉप से झांकती गोलाइयों से बस जरा सा दूर ,
और उन्होंने और गुड्डी को खींच के अपनी ओर ,.
लेकिन उनसे ज्यादा खुद ही गुड्डी सरक के एकदम अपने भैय्या से सट के , टेबल के एक तरफ वो और गुड्डी और सामने मैं और जेठानी जी।
चाय एकदम परफेक्ट ,चाय दूध ,शुगर क्यूब्स सब अलग अलग।
गुड्डी झुक के जब जेठानी जी के कप में दूध डाल रही थी , तो लो कट टॉप से न सिर्फ उसकी गोरी गोरी टेनिस बाल साइज की कड़ी कड़ी दूधिया गोलाइयाँ बल्कि मिल्क टीटस भी साफ साफ़ दिख रहे थे।
छोटे छोटे लेकिन एकदम खड़े शहद के रंग के,.
" दी ,दूध बताइयेगा। "
मुस्कराते मैंने अपनी जेठानी को उकसाया,पर उसकी कोई जरूरत नहीं थी।
उनकी निगाहें गुड्डी के छलकते नए नए आये जुबना को सहला रही थीं।
" हो गयी है एकदम दूध देने लायक। " वो मुस्करा के बोलीं।
गुड्डी पहले तो एकदम चिढ जाती , गुस्सा हो जाती पर अब सिर्फ हलके से शरमाते मुस्कराते ,और प्याले में ,
" भैय्या दूध कित्ता "
" जित्ता दे दो ,. " वो भी एकदम मूड में थे आज।
पर मैंने जेठानी जी की बात का जवाब दिया ,