Episode 81


उनका गोरा गोरा खूब भरा गदराया कड़ा कड़ा जोबन आलमोस्ट छलक कर बाहर ,

शरारत का हक़ सिर्फ देवर भाभी का ही थोड़े है ,थोड़ा हक़ तो देवरानी का भी बनता है।

जेठानी जी के गुदाज खुले छलकते उभार पर अपनी ऊँगली से दबाते मैंने चिढ़ाया ,

" दीदी आप अपने देवर को ये वाले आम एक बार चखा देतीं न तो बस वो वाले आम भी ये खा लेते ,"

" मैंने कभी मना किया था क्या ,. बस यही एकदम बुद्धू,. " आम की फांक चूसती वो बोलीं।

एक फांक मैंने भी उठा ली लेकिन मैं मुस्कराते हुए सोच रही थी , यही बात तो कच्ची अमिया वाली भी बोल रही थी ,मेरी छुटकी ननदिया ,

" मैंने कभी मना किया था क्या , " ,.

लेकिन अब जमाना बदल चुका था अब ये कच्ची अमिया भी कुतरेंगे और रसीले आम भी।

मैंने उन्हें आँख से इशारा किया लेकिन अब उसकी जरूरत नहीं पड़ी , इनका एक हाथ तो पहले ही अपनी भाभी के कंधे पर था और अब अपने आप सरकती उंगलिया जेठानी जी की खुली गोरी गुदाज गोलाइयों पर सरक कर ,.

जेठानी जी ने अपना हाथ उठाया , मुझे लगा शायद ये इनके हाथ को रोकेंगी लेकिन ,

उन्होंने एक खूब मोटी ,सिन्दूरी ,रस से छलकती फांक उठायी और सीधे देवर के मुंह में ,

और उन्होंने गड़प कर लिया।

इनकी आँखों में आंखे डालतीं शरारत से वो बोलीं ,क्यों आ रहा है मजा।

बस मौके का फायदा उठा के एक बार मैंने अपनी जेठानी की खाली ग्लास लिम्का -वोदका से भर दी और बोला ,

" अरे दीदी अभी तो मजा शुरू हुआ लेकिन आप की ग्लास तो अभी भरी हुयी है ,आप के देवर ने इत्ते प्यार से मास्टर शेफ वाल मॉकटेल बनाया है और आप ,. "

अबकी जेठानी ने जी खुद ग्लास उठा के बॉटम्स अप ,

आधा पेग से ज्यादा और अंदर।

" हे जो फिल्म लाये हो लगाओ न ," जेठानी खुद मटन कबाब गड़प करते बोलीं ,फिर कहा ," बढ़िया स्वाद है ,कभी खाया नहीं ऐसा। "

और उठ के उन्होंने डीवीडी लगा दी ,लेकिन उनके उठने का असर ये हुआ की ,

अब जेठानी जी बीच में हो गयीं ,मेरे और मेरे उनके बीच सैंडविच।

टाइटिल से ही मैं समझ गयी कुछ भी बचा नहीं होगा इसमें , " हार्डकोर ३ ब्रेजर्स "

कुछ कुछ तो कुनमुनाई मेरी जेठानी जी , जब पिक्चर के शुरू में ही टॉप लेस ,.

" कैसी पिक्चर है ," कुछ मुंह बनाया उन्होंने

" आप के देवर लाये हैं आप के लिए , वो जाने ,आप जानिये। "
मुस्करा के मैं बोली , फिर उनसे पूछ लिया ,

" सच्ची में दी आपने पहले कभी नहीं देखा , जेठ जी नहीं लाये थे कभी ,. "

" लाये थे ,लेकिन मैंने उन्हें झिड़क दिया, ये क्या सब ,. फिर दुबारा उनकी हिम्मत नहीं हुयी " जेठानी जी ने कबूला।

" अरे देवर तो होता ही इसीलिए है न , जो काम सैंया के साथ न कर पाओ वो देवर के साथ ट्राई कर लीजिये। "

और तब तक फिल्म शुरू हो चुकी थी और जैसे ऐसी फिल्मो का नियम है , शुरूआत ब्लो जॉब से करनी होती है ,

और ऐक्ट्रेस डीप थ्रोट कर रही थी।

ब्लो जॉब

और तब तक फिल्म शुरू हो चुकी थी और जैसे ऐसी फिल्मो का नियम है , शुरूआत ब्लो जॉब से करनी होती है ,

और ऐक्ट्रेस डीप थ्रोट कर रही थी।

" क्यों दी ये मत कहियेगा , ये भी नहीं ट्राई किया ?मैंने अपनी जेठानी को चिढ़ाया।

" एक दो बार , बस तेरे जेठ तो बहुत जिद करते है लेकिन मैं मना कर देती हूँ ,मुझे अच्छा नहीं लगता ,. उसी से ,. . वो सब ,. . उसी को मुंह में लेना "

धीमे से मेरे कान में उन्होंने राज खोला।

" दो दिन की बात है , पक्का ,आपकी छुट्टी ख़तम बस ,. अपने देवर से ट्राई कर लीजिएगा न , बहुत मस्त चुसवाते हैं वो ,सच्ची। "

मैं भी उनके कान में फुसफुसाते बोली।

असर उस फिल्म का उनके देवर पर भी पड़ रहा था , तम्बू एकदम तना। मोटा सुपाड़ा छोटे से शार्ट से बाहर झांकता,

तब तक एक और ऐक्टर ने अपने कपडे उतारे और उसका लंड , एकदम लम्बा मोटा ,८ इंच से कम क्या होगा रहा होगा ,

" उईईई ,. " जेठानी जी की सिसकी और चीख एक साथ निकल गयी।

" इत्ता बड़ा ,घोंट पाएगी वो। " वो बोल पड़ी।

"एकदम भाभी अभी देखियेगा न " अबकी जवाब उनके देवर ने दिया।

बर्फ कब की पिघल चुकी थी ,उनकी ' संस्कारी' भौजाई अब धीमे धीमे खुल रही थीं।

" आपके देवर का इससे कौन सा कम है , और मैं तो रोज ,. फिर परसों रात तो आप भी ,. एक बार पकड़ के देखिये न ,अच्छा जस्ट जरा सा ,शार्ट के ऊपर से , बस एक बार छू के ,. "

मैंने फुसफुसाते हुए अपनी जेठानी को उकसाया और जब तक वो सम्हले , जेठानी जी का हाथ पकड़ के इनके खूंटे पर।

थोड़ी देर तो वो झिझकी ,शरमाई , हाथ हटाने की कोशिश भी की लेकिन कभी मैंने तो कभी उनके देवर ने ,

और दो चार मिनट के बाद वो उस मोटे खूंटे को न सिर्फ शार्ट के ऊपर से छू रही थी बल्कि ,.

और उस लम्बे मोटे लंड वाले ने उस लड़की के पिछवाड़े का बाजा बजा दिया , एक झटके में पूरा सुपाड़ा गांड के अंदर ,

" ये पीछे भी ,. " जेठानी चौंकी।

" अब दीदी ये मत कहियेगा की जेठ जी ने , आपके इत्ते मस्त चूतड़ों को छोड़ रखा है , " मैंने उन्हें चिढ़ाया।

" तूने मरवाया है ,कभी पीछे। ? अबकी जेठानी जी ने मेरे से सीरियसली पूछ लिया और मेरी आँखों के सामने मेरे दोनों जीजू अजय और कमल जीजू के मोटे मोटे लंड आ गए।

" तो क्या दीदी सच में आपकी गांड कभी जेठ जी ने नहीं मारी या फिर किसी ने आपके मायके में ,या ,. "

" नहीं नहीं ,तेरे जेठ जी तो एकदम तू तो जानती है कैसे ,और इस परिवार का रीत रिवाज ,. उन्होंने कभी कहा भी नहीं "

जैसे मन मसोसती हुयी मेरी जेठानी बोली।

संस्कारी परिवार के रीत रिवाजों को डुबोते हुए मैंने जेठानी जी के ग्लास को फिर लिम्का कम वोदका ज्यादा वाले ड्रिंक से भर दिया और मेरी जेठानी ने गड़प भी कर लिया।

लेकिन देवरानी के नाते मेरा तो कुछ धरम भी बनता था न तो मैंने सोच भी लिया की जेठानी जी के कुंवारे पिछवाड़े की नथ तो उतारनी पड़ेगी।

जो मजा उनके देवर देवरानी ने लिया , उससे बिचारी जेठानी कैसे बची रहें ,सख्त नाइंसाफी होती। और नाइंसाफी मुझे पसन्द नहीं।

सामने स्क्रीन पर गांड मरौवल जम कर चल रही थी और मेरी जेठानी की आँखे वहीँ चिपकी थीं।

ख़ास तौर पर जब वो मुस्टंडा अपना मोटा लंड पूरा बाहर निकालता तो , और उसके खुले सुपाड़े पर

और तबतक टिट फक का एक सीन आ गया ,

टिट फक

और तबतक टिट फक का एक सीन आ गया ,

खूब मस्त बड़ी बड़ी ,३८ डी डी से क्या कम होंगी और उन चूँचियों के बीच जिस तरह मस्त लंड को पकड़ के वो चोद रही थी ,

मेरे मुंह से निकल गया ,क्या मस्त चूँचियाँ है ,कुछ

और जवाब बिना रुके उन्होंने दिया ,

" अरे मेरी भौजाई की चूँचिया उस से लाख गुना अच्छी हैं ज्यादा कड़क , और रसीली ,उस स्साली की तो सब नकली प्लास्टिक ,"

और भौजाई अपनी तारीफ़ सुन के खुश ,और उनके देवर का हाथ सरक के , बलाउज की बची हुयी तीन चुटपुटिया बटनों में से दो चट चट उनके देवर के हाथ के दबाव से खुल गयीं ,

सिर्फ एक सबसे नीचे वाले केसहारे किसी तरह ब्लाउज लटका फंसा था।

और भौजी के जिस जुबना की वो तारीफ़ कर रहे थे ,वो अब उनकी हथेली में सहलाया ,दबाया कुचला जा रहा था। कुछ देर में तर्जनी और अंगूठे के बीच उनकी भौजी के निपल भी रगड़े मसले जा रहे थे।

मुझसे ज्यादा कौन जानेगा , उनकी उँगलियाँ निपल पे , क्लिट की रगड़ायी से कम नहीं होती थी , कोई भी लड़की हो औरत हो उसे दो चार मिनट में वो पिघला सकते थे

और भौजी की हालत ख़राब , वोडका , सामने चल रही ब्ल्यू फिल्म और जॉबन पर देवर का हाथ ,

कनखियों से मैंने देखा की मेरी जेठानी का हाथ अब एकदम खुल के अपने देवर के तने लंड को शार्ट के ऊपर से अब खुल के रगड़ रहा था।

" आपने इस में से कौन से कौन से पोज ट्राई किया है "मैंने जेठानी जी से पूछा।

मिशनरी पोज में उन्होंने हामी भरी तब तक एक एक्टर डॉगी पोज में ,

डॉगी पोज

तब तक एक एक्टर डॉगी पोज में ,

" दी इस पोज में तो जेठ जी ने जरूर चोदा होगा , "

अब मैं उन्हें खुल के बोलने के लिए उकसा रही थी।

" हाँ नहीं , हाँ जायद नहीं दो चार बार शादी के शुरू में ,. . चोदा था ऐसे ,"

हिचकिचाते उन्होंने कबूला फिर मुझसे पूछा , तो मैंने बात मोड़ दी।

" आपके देवर बगल में बैठे हैं , पूछ लीजिये न उनसे। "

और बिना पूछे उन्होंने कबूल कर लिया।

" रोज बिना नागा , भौजी ,अरे इसे कुतिया बना के चोदने में इत्ता मजा आता है न , जब मेरा मोटा सुपाड़ा रगड़ते दरेरते कसी चूत में घुसता है न भाभी,. "

और उनका सुपाड़ा ,शार्ट से बाहर झाँक रहा था ,और ,और उनकी भाभी की उंगलिया कुछ हिचकते झिझकते अपने देवर के कड़े कड़े सुपाडे को सहला रही थी।

सामने स्क्रीन पर भी जबरदस्त डॉगी चुदाई चल रही थी।

" अरे दीदी , बस कल की रात और, परसों आपकी छुट्टी ख़तम और उस रात आपकी इस से भी जबरदस्त इस पोज में चुदाई होगी मेरी गारंटी।

"मैंने अपनी जेठानी से बोला

आधे से ज्यादा देवर का खूंटा बाहर था और देवर की भौजाई की मुट्ठी में अब वो खुल के रगड़ मुठिया रही थीं।

" दीदी ,देवर को देवर कहते ही इसलिए हैं सब्स्टीट्यूट , द्वितीयो वर , दूसरा दूल्हा ,एक के साथ एक फ्री वाला ,तो अब जेठ जी नहीं है तो फिर तो आपके देवर का हक़ बनता है ,फिर आपकी छुट्टी ख़तम होगी उस दिन ,उस दिन तो जम के खुजली मचती है।“

सामने स्क्रीन पर एक वोमेन आन टॉप वाली सीन चल रही थी। मेरी जेठानी मेरी बात में हामी भरते हुए बोलीं ,

" तू सच कहती है ,जिस दिन वो पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम होती है न , बस इत्ता मन करता है ,इत्ता मन करता है की ,बस मन करता है की स्साला कोई मरद मिल जाए न तो बस जैसे ये चोद रही है न ,बस वैसे ही पटक के चोद दूँ उसको। "

फिल्म ख़तम। हो गयी थी , मैंने लाइट जलाते हुए कहा ,

" अरे दीदी बैठा तो है आपके बगल में मर्द , ६ फिट का , बस चोद दीजिये पटक कर इसे और आपका देवर द्वितीय वर भी है , जेठ जी भी नहीं है तो फिर आपके देवर की ड्यूटी भी बनती है। "

मेरी जेठानी की उँगलियाँ अभी भी उनके शार्ट से बाहर झांकते सुपाड़े पर थीं, और उनके देवर का हाथ अभी भी उनके ब्लाउज में धंसा।

" जानते हो देवर को देवर क्यों कहते हैं ?"

मेरी जेठानी बोलीं।

मेरे और इनके मुंह से एक साथ निकला ,क्यों ?

" इसलिए की वो हरदम अपनी भौजाई से मांगता रहता है , दे बुर , . दे बुर। "

उनकी भौजाई हँसते हुए बोलीं।

" अरे दीदी तो आपको दे देना चाहिए था न , कौन सी घिस जाती और बिचारे देवर का भी ,. " मैं क्यों मौका छोड़ती।

" इसने कभी मांगा ही नहीं। " उनकी भौजाई बोलीं। सच में मेरे वो न एकदम ही ,.

लेकिन अब वो समझदार हो गए थे , तुरंत बोले ,

" भौजी दे बुर , . दे बुर। "

" जा के आज पहले मेरी देवरानी की ले , आज कल मेरी छुट्टी है ,. " उनकी भौजाई खिलखिलाते बोलीं।

" यानी परसो का पक्का न " मैं और उनके देवर एक साथ बोले।
" परसों तो मैं तुझे रेप कर दूंगी , देखती हूँ तेरी ताकत ,तलवार तो बहुत तगड़ी है ,तलवार बाजी उस दिन देख लुंगी , अभी चलो। "

और मैं और ये कमरे से बाहर निकल आये। रात काफी होचुकी थी।

पर इस उमर में रात सोने के लिए थोड़ी होती है।

मेरा सोना मोना

हम दोनों सीढ़ी चढ़ रहे थे ,अपने कमरे में जाने के लिए।

" तुम बहुत दुष्ट हो "

उन्होंने खिलखिलाते हुए मेरे नितम्ब पे एक जोर की चपत मारी और मेरे गाल काटते हुए बोले ,

" मेरी भौजाई को दारु ,. " और खिलखिलाने लगे।

" मॉक टेल ,मास्टर शेफ की अवार्ड विनर , . असली कारीगरी तो साले तुम्हारी है "

और हँसते हुए मैंने उनके पिछवाड़े एक हाथ जड़ दिया।

" दीदी ,एकदम प्योर वेज कबाब , लहसुन प्याज भी नहीं पड़ा ,. "

मेरी आवाज की नक़ल करते हुए वो खिलखिला पड़े।

" दे बुर ,दे बुर , . देवर मांगे दे बुर " अबकी मैं अपनी जेठानी की आवाज कॉपी करती हुयी हंसती हुयी बोली।

वो भी हंसने लगे।

" साल्ले माँगा क्यों नहीं बेचारी तुरंत दे देती अपनी बुर , मुझे तेरी कुँवारी नथ सुहागरात में न उतारनी पड़ती " और उन्हें चिढ़ाने के साथ साथ मेरी ऊँगली अब अपने सैयां के नमकीन पिछवाड़े में धंसी , घिस्स मिस्स हो रही थी।

" देर आयद दुरुस्त आयद , मांग तो लिया और तेरी जेठानी ने हाँ भी कर दी। "
मेरी खूब मीठी सी चुम्मी लेते वो बोले।

" चल बुर तू चोदना और कोरी कसी गांड का उद्घाटन मैं करुँगी "

उनके शार्ट से निकाल के खूंटे को मुठियाती मैं बोली।

लंड उनका एकदम तन्नाया। वो कुछ बोलते उसके पहले ही मैंने करेक्शन जारी कर दिया।

लैंड को मुठियाते उनके लंड से ही मैं बोली ,

" अच्छा चल यार गुस्सा न हो , कोरी अनचुदी गांड मारने का मन कर रहा है तेरा ,चल मार लेना आखिर तुझे भी तो पिछवाड़े वाले छेद में आने जाने का रास्ता मालूम होना चाहिए , चल अपनी भौजाई की गांडफाड़ तू देना ,बाद में जब उनकी सैंडविच बनायंगे , न तो तेरे हिस्से बुर मेरे हिस्से उनकी गांड। फाड़ के रख दूंगी ,इत्ते दिन की गांड मराई जो छिनार ने अपने देवर से बचा के रखी थी। लेकिन मारूंगी तो मैं गांड उस बुरचोदि की जरूर। "

बिना बोले उनसे रहा नहीं जाता तो इसलिए उन्होंने बोल दिया ,

और तब तक हम लोग कमरे में पहुँच गए थे

उन्होंने बोल दिया ,

" लेकिन ,. कैसे "

और उन्हें वही पलंग के सहारे निहुरा के मैं बोली,

"ऐसे , जैसे अभी थोड़ी देर में तेरी मारूंगी , अरे सब कुछ जानना जरुरी है क्या ,जब मारूंगी तो देख लेना ,ऐसी चिलायेंगी तेरी भौजी जैसे अपनी सुहागरात में फटने पर न चिल्लाई होंगी। "

शार्ट मैंने उनकी सरका के नीचे कर दी थी और उनके गोल गोल गोरे चिकने बबल बॉटम पर दो हाथ कस के जड़ दिए ,हलके गुलाबी फूल खिल उठे।

मेरी ऊँगली की टिप , पूरी ताकत से उनकी गांड के अंदर ,सटाक।

" एक बार में पूरा पेलना मेरी जेठानी के गांड के अंदर ,नो रहम सहम ,चिल्लाने देना , बहुत गांड मटका मटका के तुझे ललचाती थीं न। "

गोल गोल ऊँगली की टिप उनकी कसी गांड में घुमाती मैं बोली ,और अगले पल उनकी शर्ट भी मैंने खींच के फर्श पर और उन्हें आगे सीधे ,

और और

बीस पच्चीस चुम्मे तो जड़ें ही होंगे उनके मालपूआ ऐसे मीठे मीठे गाल पे। फिर बोली अपने सजन से ,

" यार तू न बहुत बहुत अच्छा है ,बहुत मेरा सोना मोना ,खूब मीठा वाला सोना मोना , आज का दिन तो मैं भूल नहीं सकती ,पहले तो मेरी उस नकचढ़ी ननद से ,

" गुड्डी अपनी चूत दो न मुझे "

और एक बार हम दोनों फिर खिलखिलाने लगे और वो कपड़ों के दुश्मन मेरी साडी उतारने में जुट गए और थोड़ी देर में मैं भी उनकी जैसी थी ,वस्त्रहीन। अब उनके मायके में हमलोगो को इस बात का फरक नहीं पड़ता था की दरवाजा बंद है की नहीं ,कहीं खिड़की खुली तो नहीं है ,कोई सुन तो नहीं लेगा ,

मैं उनकी लीगली वेडेड वाइफ , धर्मपत्नी , मर्जी उनकी जो चाहें करे मेरे साथ ,और किसी से क्या मतलब ,

मेरा सोना मोना , मेरा मुन्ना।

उन्हें अपनी बाँहों में लेकर अपने जोबन उनके सीने पर रगड़ाती मैं बोली ,

" यार आज तूने मेरा जिस तरह से उस छिनार के होंठो से सीधे लेकर ,. रसीली फांक ,,. साले गांडू तेरे मायकेवालियों की फट के हाथ में आ गयी। " और ये कह के उन्हें मैंने बिस्तर पर धकेल दिया ,और उन के ऊपर चढ़ गयी।

" भोंसड़ी के , मादरचोद , जानते हो लेकिन किस बात ने एकदम मुझे तेरी पंखी बना दिया ,. अपने माल को जिस तरह से तूने साल भर के लिए ,और सबसे बढ़ कर उसके घर वालों को भी बस अब चार पांच दिन में ये हमारे साथ , और जानते हो मेरा तो फायदा होगा ही , तुझे तो बंद सील खोलने को मिलेगी ,मंजू बाई ,गीता की मस्ती ,गुड्डी का भी फायदा लेकिन जानते हो सबसे ज्यादा कौन खुश होगा ,. " उनकी आँखों में झाँक के मैंने पूछा।

वो मुस्कराते रहे समझ के ,

और हम दोनों के मुंह से एक साथ निकला ,

" मम्मी ,. "

जोरू का गुलाम भाग ९८

मेरा सोना मोना

हम दोनों सीढ़ी चढ़ रहे थे ,अपने कमरे में जाने के लिए।

" तुम बहुत दुष्ट हो "

उन्होंने खिलखिलाते हुए मेरे नितम्ब पे एक जोर की चपत मारी और मेरे गाल काटते हुए बोले ,

" मेरी भौजाई को दारु ,. " और खिलखिलाने लगे।

" मॉक टेल ,मास्टर शेफ की अवार्ड विनर , . असली कारीगरी तो साले तुम्हारी है "

और हँसते हुए मैंने उनके पिछवाड़े एक हाथ जड़ दिया।

" दीदी ,एकदम प्योर वेज कबाब , लहसुन प्याज भी नहीं पड़ा ,. "

मेरी आवाज की नक़ल करते हुए वो खिलखिला पड़े।

" दे बुर ,दे बुर , . देवर मांगे दे बुर " अबकी मैं अपनी जेठानी की आवाज कॉपी करती हुयी हंसती हुयी बोली।

वो भी हंसने लगे।

" साल्ले माँगा क्यों नहीं बेचारी तुरंत दे देती अपनी बुर , मुझे तेरी कुँवारी नथ सुहागरात में न उतारनी पड़ती " और उन्हें चिढ़ाने के साथ साथ मेरी ऊँगली अब अपने सैयां के नमकीन पिछवाड़े में धंसी , घिस्स मिस्स हो रही थी।

" देर आयद दुरुस्त आयद , मांग तो लिया और तेरी जेठानी ने हाँ भी कर दी। "
मेरी खूब मीठी सी चुम्मी लेते वो बोले।

" चल बुर तू चोदना और कोरी कसी गांड का उद्घाटन मैं करुँगी "

उनके शार्ट से निकाल के खूंटे को मुठियाती मैं बोली।

लंड उनका एकदम तन्नाया। वो कुछ बोलते उसके पहले ही मैंने करेक्शन जारी कर दिया।

लैंड को मुठियाते उनके लंड से ही मैं बोली ,

" अच्छा चल यार गुस्सा न हो , कोरी अनचुदी गांड मारने का मन कर रहा है तेरा ,चल मार लेना आखिर तुझे भी तो पिछवाड़े वाले छेद में आने जाने का रास्ता मालूम होना चाहिए , चल अपनी भौजाई की गांडफाड़ तू देना ,बाद में जब उनकी सैंडविच बनायंगे , न तो तेरे हिस्से बुर मेरे हिस्से उनकी गांड। फाड़ के रख दूंगी ,इत्ते दिन की गांड मराई जो छिनार ने अपने देवर से बचा के रखी थी। लेकिन मारूंगी तो मैं गांड उस बुरचोदि की जरूर। "

बिना बोले उनसे रहा नहीं जाता तो इसलिए उन्होंने बोल दिया ,

और तब तक हम लोग कमरे में पहुँच गए थे

उन्होंने बोल दिया ,

" लेकिन ,. कैसे "

और उन्हें वही पलंग के सहारे निहुरा के मैं बोली,

"ऐसे , जैसे अभी थोड़ी देर में तेरी मारूंगी , अरे सब कुछ जानना जरुरी है क्या ,जब मारूंगी तो देख लेना ,ऐसी चिलायेंगी तेरी भौजी जैसे अपनी सुहागरात में फटने पर न चिल्लाई होंगी। "

शार्ट मैंने उनकी सरका के नीचे कर दी थी और उनके गोल गोल गोरे चिकने बबल बॉटम पर दो हाथ कस के जड़ दिए ,हलके गुलाबी फूल खिल उठे।

मेरी ऊँगली की टिप , पूरी ताकत से उनकी गांड के अंदर ,सटाक।

" एक बार में पूरा पेलना मेरी जेठानी के गांड के अंदर ,नो रहम सहम ,चिल्लाने देना , बहुत गांड मटका मटका के तुझे ललचाती थीं न। "

गोल गोल ऊँगली की टिप उनकी कसी गांड में घुमाती मैं बोली ,और अगले पल उनकी शर्ट भी मैंने खींच के फर्श पर और उन्हें आगे सीधे ,

और और

बीस पच्चीस चुम्मे तो जड़ें ही होंगे उनके मालपूआ ऐसे मीठे मीठे गाल पे। फिर बोली अपने सजन से ,

" यार तू न बहुत बहुत अच्छा है ,बहुत मेरा सोना मोना ,खूब मीठा वाला सोना मोना , आज का दिन तो मैं भूल नहीं सकती ,पहले तो मेरी उस नकचढ़ी ननद से ,

" गुड्डी अपनी चूत दो न मुझे "

और एक बार हम दोनों फिर खिलखिलाने लगे और वो कपड़ों के दुश्मन मेरी साडी उतारने में जुट गए और थोड़ी देर में मैं भी उनकी जैसी थी ,वस्त्रहीन। अब उनके मायके में हमलोगो को इस बात का फरक नहीं पड़ता था की दरवाजा बंद है की नहीं ,कहीं खिड़की खुली तो नहीं है ,कोई सुन तो नहीं लेगा ,

मैं उनकी लीगली वेडेड वाइफ , धर्मपत्नी , मर्जी उनकी जो चाहें करे मेरे साथ ,और किसी से क्या मतलब ,

मेरा सोना मोना , मेरा मुन्ना।

उन्हें अपनी बाँहों में लेकर अपने जोबन उनके सीने पर रगड़ाती मैं बोली ,

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