Episode 84

और जोर से चीखी वो लेकिन तबतक मेरे होंठों का साथ देने मेरी उँगलियाँ भी पहुँच गयीं थी और उन्होंने ब्रा में सेंध लगा दी ,अंदर घुस के उसके निपल को जोर से पिंच करदिया ,और एकबार फिर मेरे दांतों ने उसके निप्स को

नीचे मेरी शलवार उतार कर गुड्डी ने अपने लिए ही मुसीबत मोल ले ली थी। उसकी दो इंच की पैंटी में ढंकी छुपी सोन चिरैया को मेरी खेली खायी बुरिया जम के रगड़ रही थी। और साथ ही मेरा एक हाथ उसके गोल गोल चूतड़ों पर,

क्या मस्त चूतड़ थे , एकदम बबल बॉटम , लौंडो जैसे जिसकी गांड मारने के लिए लौण्डेबाज तरसते हैं। मैंने हलके से चूतड़ों को सहलाते हुए भींच दिया ,एकदम कड़क।

चटाक चटाक

दो हलके हलके चांटे मैंने अपनी ननदिया के चूतड़ पर जमाये।

वो सिसक उठी।

स्साली ,तो इसका मतलब इस छिनार बुरचोदि को स्पैंकिंग में मजा आता है , मैंने मन ही मन सोचा , और दो और अबकी जोर से

चटाक चटाक

उययीईइ वो सिसक भी रही थी चीख भी रही थी ,और मेरी तर्जनी उसकी गांड की दरार के बीच।

उफ्फ्फ क्या छेद था ,स्साली का एकदम टाइट ,बहुत मजा आएगा जो इसकी गांड मारेगा।

और सोच सोच के मेरी बुर की भी हालत खराब हो रही थी ,और उसका एक इलाज था मेरे पास ,मेरी छोटी ननद।

किसी इंटर में पढ़ने वाली से बुर चटवाने का मजा ही कुछ और है ,बस मैं सीधे अपनी ननद के ऊपर।

चुम्मा चाटी

उययीईइ वो सिसक भी रही थी चीख भी रही थी ,और मेरी तर्जनी उसकी गांड की दरार के बीच।

उफ्फ्फ क्या छेद था ,स्साली का एकदम टाइट ,बहुत मजा आएगा जो इसकी गांड मारेगा।

और सोच सोच के मेरी बुर की भी हालत खराब हो रही थी ,और उसका एक इलाज था मेरे पास ,मेरी छोटी ननद।

किसी इंटर में पढ़ने वाली से बुर चटवाने का मजा ही कुछ और है ,बस मैं सीधे अपनी ननद के ऊपर।

बहुत ही क्विक लर्नर थी वो ,बिना मेरे कुछ कहे उसके गुलाबी होंठ मेरे निचले होंठों पर , पहले हलके हलके किस

कल पहली बार मैंने जबरदस्ती गुड्डी से अपनी चूत चटवायी थी और आज एकदम ,

साथ साथ मेरी ननद के छोटे छोटे किशोर हाथ ,मेरे बड़े बड़े उभारों पर , जिस तरह से वो सहला रही थी ,हलके हलके छू रही थी ,

और मेरे भी हाथ एक गुड्डी के नए नए आये जुबना पे और दूसरी इनकी ममेरी बहन की पैंटी में ढकी छुपी अनचुदी चूत पे

कभी मैं हलके से सहलाती तो कभी जोर से दबोच लेती और मेरी निगाह गुड्डी की छोटी छोटी पैंटी पर गयी ,

हल्का सा पैच , यानी ,

वो गीली हो रही थी।

बस यही तो मैं चाहती थी और फिर मारे मस्ती के जोर जोर से गुड्डी के टीनेजर होंठो पे अपनी बुर रगड़ते हुए मैं बोलने लगी

" चाट साली छिनाल चाट जोर जोर से ,मेरे मरद की चोदी ,तेरे सारे खानदान वालियों की बुर मरवाउं अपने मरद के लंड से ,रंडी ,हरामन , हाँ हाँ हाँ चाट मेरी रानी हाँ है ऐसे ही और कस के, ओह ओह्ह उफ्फ्फ मस्त चाटती है तू ,"

जैसे उसके भाई उसके कुंवारे किशोर मुंह में डाल कर , हचक हचक कर उसका मुंह चोदना चाहते थे बस उसी तरह मैं भी गुड्डी के किशोर होंठों पर कस कस के अपनी बुर रगड़ रही थी ,साथ में मेरा एक हाथ अब उसकी ब्रा में घुस के उसके छोटे छोटे निपल पिंच कर रहे थे मरोड़ रहे थे।

एक बार फिर मेरी निगाह गुड्डी की पैंटी की तरफ गयी ,वो गीला पैच अब बड़ा हो गया था।

यानी स्साली को रगड़ावाने में ,गाली सुनने में मजा मिलता है।

फिर तो , मम्मी ने तो मंजू बाई और गीता को प्रॉमिस ही कर दिया था की अगर मैं उनकी बहन को ले आ पायी तो बस चौबीस घंटे के लिए मुझे गुड्डी को उन दोनों कमीनियों के हवाले करना होगा , चौबीस घंटा तो बहुत है बारह घंटे में वो दोनों इसे सिखा पढ़ा कर ,खिला पिला कर एकदम पक्की ,.

मेरे बुर के धक्के गुड्डी के होंठों पर बढ़ गए थे। एक हाथ उस की टीन ब्रा के अंदर और दूसरा उसकी पैंटी के ऊपर और मेरी गालियां भी साथ साथ

" मेरे मर्द की रखैल , चाट , भैय्या चोदी ,चाट चाट साली बुर में जीभ डाल ,हाँ हाँ ऐसे ही तुझे तो पक्की चूत चटोरी बनवाऊंगी। चल मेरे साथ देखे तुझे क्या चटवाउंगी ,मेरी गांड ,गांड के अंदर का , गांड का ,. बोल चाटेगी न छिनार ,ले ले ,. "

और गांड की बात ने एकदम से मेरा मन ,.

दोनों हाथों से कस के मैनें गुड्डी के सर को जोर से पकड़ा ,जरा सा उठी ,और अब बजाय अगवाड़े के पिछवाड़े का छेद मेरी बांकी ननद के होंठों पर ,उसने होंठ बंद करने की कोशिश की तो बस मैंने एक हाथ से उसके दोनों नथुने भींच दिए।

दस सेकेण्ड

बीस सेकेण्ड और

उसने गौरेया की तरह चोंच चियार दी,बस एक पल मैंने अपने चूतड़ उठाये हलके से अपनी गांड फैला के सीधे उसके खुले होंठों पर सेट कर दिया।

" बस चाटती रह गंडचट्टो , हाँ हाँ यार तू बस ऐसे ऐसी ही ,. "

वो जोर जोर से अपनी जीभ मेरे गांड के छेद पर फ्लिक कर रही थी ,एकदम अपने भैय्या की तरह। .

मुझे भी तो कुछ करना बनता था , मैंने जो हाथ पैंटी के ऊपर था वो गुड्डी की पैंटी के ऊपर से सीधे पैंटी की ऊपर क्या मुलायम संतरे की फांको की तरह रसीली , गुलाब की मुलायम पंखुडियो की तरह उस कली की चूत की पुत्तियाँ थीं।

थोड़ी देर दोनों प्रेमगली के दरवाजों के बीच मैं सहलाती रही ,फिर

गच्चाक ,कुहनी की पूरी ताकत से मैंने पेल दिया।

चूत उस किशोरी की एकदम गीली ,भीगी लेकिन तब भी इत्ती कसी ,

पूरी ताकत से पेलने पर भी मुश्किल से एक पोर घुसा।

मैं हलके हलके गोल गोल घुमाती रही साथ साथ अपनी गांड अपनी ननद के होंठो ,

"चाट साली ,चाट गांड ,और जोर से ,जीभ अंदर हाँ , अरे अभी गांड चटवा रही हूँ , चलेगी न मेरे साथ दो तीन दिन में तो गांड के अंदर का भी , एकदम बहुत मजा आएगा , तुझे स्साली।

और तभी सीढ़ियों पर से पैरों की आवाज आती सुनाई दी ,और किसकी ,अपने उनकी

मैंने गुड्डी की कच्ची कली में से रस में भीगी अपनी ऊँगली निकाल ली , और पैंटी भी उसकी ठीक कर दी ,लेकिन गुड्डी के मुंह पर से अपना पिछवाड़ा मैंने नहीं हटाया।

उनकी आँखे अपनी प्यारी ममेरी बहन की खुली खुली चिकनी जाँघों पर अटकी थीं , और उस छोटी सी पैंटी पे जो मुश्किल से उनकी बहन की कुंवारी अनचुदी चुनमुनिया को छिपा पा रही थी। गुड्डी की पतली सी पैंटी पर गीला पैच और बड़ा हो गया था।

मस्त हो रही थी स्साली।

" हे तू बोल रहा था न तुझे अपनी बहन की चूत देखनी है , बोल न दिखाऊं "

बहन की,.

उनकी आँखे अपनी प्यारी ममेरी बहन की खुली खुली चिकनी जाँघों पर अटकी थीं , और उस छोटी सी पैंटी पे जो मुश्किल से उनकी बहन की कुंवारी अनचुदी चुनमुनिया को छिपा पा रही थी। गुड्डी की पतली सी पैंटी पर गीला पैच और बड़ा हो गया था।

मस्त हो रही थी स्साली।

" हे तू बोल रहा था न तुझे अपनी बहन की चूत देखनी है , बोल न दिखाऊं "
……. .

मुड़कर मैंने उनसे कहा

और कस के गुड्डी के सर को अपनी जाँघों के बीच दबा लिया। अब उसके कान मेरी जांघो के बीच दबे थे और वो कुछ सुन नहीं सकती थी।

और इस सरकने से गुड्डी की जीभ एक बार फिर मेरे पिछवाड़े से अगवाड़े शिफ्ट हो गयी थी। वो सारी दुनिया से बेखबर मेरी बुर का रस चाटने में मगन थी।

मेरे वो गुड्डी की खुली जाँघों के पास बैठ गए।

बोल देखना है , मैंने उन्हें फिर उकसाया।

उनकेमुंह से तो उस छोटीसी गीली होती पैंटी कोदेख के लार टपक रही थी।

उनके मन का बैरोमीटर उनका खूंटा एकदम तन्नाया बौराया खड़ा था जैसे मौक़ा पाए तो चोददे अपनी बहिनिया को अभी।

उनका मुंह एकदम खुला और अभी अभी उनकी बहन की गीली गीली चूत से निकली रस से भीगी ऊँगली ,पहले तो थोड़ी देर उनके नाक के पास ,उस कोरी कसी इंटरवाली की चूत की खुशबू ही उन्हें पागल करने के लिए काफी थी।

और फिर शहद से भीगी वो ऊँगली उनके प्यासे होंठों के बीच,
जिस बेताबी से वो चाट रहे थे ,.
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,

" मीठा है न शहद ,देखोगे अपनी बहिनिया के शहद के छत्ते को ,"

जोर जोर से उन्होंने हामी में सर हिलाया।

और मैंने हलके से उनकी उस इंटरवाली बहन की कसी कसी छोटी सी पैंटी बस ज़रा सी सरकायी। किनारे से वो संतरे की फांके हलकी सी दिखीं ,

खूब फूली फूली ,मांसल ,रसीली ,

इतने में ही उनकी हालत खराब , .

उन्होंने हाथ बढ़ाया तो मैंने हाथ झटक दिया ,

" साले बहनचोद ,देखने की बात हुयी थी , छूने की नहीं। चल करवाती हूँ तेरी बहन की चूत की मुंह दिखाई , बोल क्या देगा मुंह दिखाई ,"

मैंने शर्त लगाई।

हाँ , उनके मुंह से चूत की फांक देख कर ही लार टपक रही थी।

“"बोल, चोदेगा न अपनी माँ का भोंसड़ा ,बोल खुल के " मैंने उनके कान में फुसफुसाते हुए उनसे उगलवाया।

बहिनिया की

लालच के मारे उनकी बुरी हालत थी।

" देख कित्ती गीली हो रही तेरी बहिनिया की बुर तेरे लंड के बारे में सोच सोच के। एकदम पनिया गयी है " मैंने पैंटी थोड़ी और सरकायी।

अब आधे से ज्यादा ,एकदम भीगी गीली चूत दिख रही थी।

" है न एकदम मक्खन मलाई मस्त चिकनी ,चूत तेरी बहना की ,खूब चोदने लायक ,"

मैंने पैंटी थोड़ी और सरकायी और अब चूत की दरार साफ़ साफ़ दिख रही थी।

उनकी आँखे फ़ैल गयीं।

वो गुलाबी पंखुड़ियां ,जैसे सुबह सुबह ओस से गीली हों , हलकी हलकी रस से भीगी , उस कारूं के खजाने को दबोचे भींचे जिसपर कितने ही लोग निगाहे गड़ाए बैठे थे ,लेकिन मिलने वाला था वो मेरे सैंया को ही। हलकी हलकी दरार , उस प्रेम गली की जिसमें घुसने के लिए पूरा शहर बेचैन था , जब से हाईकॉलेज में आयी तब से आग लगा रखी थी उसने , लेकिन उसमे उसके प्यारे प्यारे ,सीधे साधे भैय्या को ही,.

खूब कसी ,कुँवारी लसलसाती अनचुदी,.

बहुत हलके से उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने अपनी लम्बी पतली उंगली उन फांको के बीच में , दरार हलकी सी बहुत मुश्किल से खुली , उसके अंदर मांसल गुलाबी लसलसी सी , ऊँगली मैंने थोड़ा और धकेला।

गुड्डी के भैय्या , मेरे सैंया की आँखे बस वहीँ धंसी चिपकी।

ऊँगली कुछ और अंदर , एक पोर पूरा और फिर मैंने धीमे धीमे गोल गोल ,घुमाना चालू किया।

उनकी हालत खराब।

और गुड्डी के चूत रस से भीगी ऊँगली ,पहले मैंने उनके नाक के पास लगायी।

उस कुँवारी बिनचूदी चूत के रस की महक ,

एकदम तड़प उठे वो ,

और फिर मैंने हलके से गुड्डी रस से भीगी ऊँगली ,उनके प्यासे होंठों पर टच कराया और ,

नदीदे वो ,झट से ऊँगली मेरी चूसने लगे ,जैसे अपनी बहन की चूत चूस रहे हों।

और अपने दूसरे हाथ से वो गुड्डी की दो अंगुली की लेसी रुपहली पैंटी एकदम साइड में सरका दी ,चूत पूरी तरह खुल गयी।

कल रात को जो उन्होंने पिक्चर पर गुड्डी का अपने नाम सन्देश देखा था ,जिसमे वो अपने दोनों किशोर हाथों से अपनी कुँवारी चूत के गुलाबी मांसल होठों को खुल्द फैला के उन्हें बुला रही थी ,उकसा रही ,

" भइया , आओ न ,भैय्या कैसी है तेरी बहना की चूत। बोलो चोदोगे इसको , चोदो न भैय्या मेरी चूत "

एकदम क्लोज अप में कल रात उन्होंने उस इंटरवाली की अनफक्ड चूत देखी थी और आज सुबह सुबह उनके सामने खुली फैली।

उनके होंठ बहन की चूत का रस चूस रही थीं और आँखे बहन की चूत चोद रही थीं।

खूंटा एकदम तन्नाया , बौराया।

मैं उनके इस नए 'बहन प्रेम ' का मुस्कराते हुए मजा ले रही थी , और गुड्डी के होंठों का भी।

गुड्डी मेरी जाँघों के बीच फंसी दबी अपनी भाभी की बुर हलके हलके चूस रही थी।

और अब मैं 69 की पोज में ,मेरी बुर गुड्डी के होंठों को रगड़ती और मैं ,

झुक के उसके भइया को दिखाते तड़पाते , मैंने बस अपनी जीभ की टिप से गुड्डी की क्लिट को छू भर दिया।

और तेज हवा में जैसे कोई फूल शाख पर काँप उठे वो दोशीजा हिल गयी।

और अबकी मेरे होंठों ने ,

नहीं नहीं गुड्डी के निचले होंठों को न चूमा न चूसा ,बस छू भर दिया।

और जैसे तूफ़ान आ गया।

गुड्डी सिसक रही थी ,काँप रही थी ,तड़प रही थी ,

और सिसकती तड़पती बहिनिया को देख कर , उनके भैय्या भी ,

खूंटा एकदम जबरदंग , सुपाड़ा मोटा खूब फैला ,उनके छोटे बॉक्सर शार्ट से झाँकने लगा।

मैंने उनकी तर्जनी पकड़ के बस गुड्डी की खुली गुलाबी पंखुड़ियों से एक पल के लिए छुला भर दिया।

और बस क़यामत नहीं हुयी।

और बस क़यामत नहीं हुयी

और जैसे तूफ़ान आ गया।

गुड्डी सिसक रही थी ,काँप रही थी ,तड़प रही थी ,

और सिसकती तड़पती बहिनिया को देख कर , उनके भैय्या भी ,

खूंटा एकदम जबरदंग , सुपाड़ा मोटा खूब फैला ,उनके छोटे बॉक्सर शार्ट से झाँकने लगा।

मैंने उनकी तर्जनी पकड़ के बस गुड्डी की खुली गुलाबी पंखुड़ियों से एक पल के लिए छुला भर दिया।

और बस क़यामत नहीं हुयी।

मैंने इनके हाथों को छोड़ दिया और गुड्डी के ऊपर से उठ कर सीधे अपने साजन के बगल में बैठ गयी।

गुड्डी मुस्कराते हुए अपने भैय्या की हरकतों को देख रही थी।

मीठा मीठा मुस्करा रही थी ,और वो डरते सहमते उनकी उँगलियाँ उन गुलाबी पंखुड़ियों के बाहरी हिस्सों को पहले तो बस जस्ट टच कररही थीं ,फिर उन्होंने हलके हलके सहलाना शुरू कर दिया।

और उनकी और गुड्डी की आँखे चार हुयी दोनों मुस्करा पड़े।

लेकिन मैं ,जबतक दोनों को तड़पाऊं नहीं तो गुड्डी की भाभी कैसी ,

मैंने झट से गुड्डी की पैंटी फिर से ढँक दी।

" उन्ह नहीं सिर्फ देखने की बात हुयी थी छूने की थोड़ी , . " मैंने थोड़ा कड़ाई से कहा।

जैसे किसी बच्चे के हाथ से हवा मिठाई छीन ली गयी हो ,उन्होंने वैसा मुंह बनाया।
' अच्छा चलो पैंटी के ऊपर से छु लो ,"

और उनकी उँगलियाँ एक बार फिर से ,

मुझे शरारत सूझी और मैंने एक बार गुड्डी को उनकी जवान होती बहन को देखा और फिर उन्हें ,

" चाहो तो एक छोटी सी चुम्मी भी ले सकते हो पैंटी के ऊपर से लेकिन अगर गुड्डी हाँ कहे तो , "

बस बिना उनके पूछे ,बिना मेरे कहे उस एलवल वाली ,जिल्ला टॉप माल ने , एक जोर का फ़्लाइंग किस अपने भैया को देके ग्रीन सिग्नल दे दिया

बस उनके नदीदे होंठ ,पैंटी के ऊपर से ,

गुड्डी खूब सिसक रही थी , तड़प रही थी चूतड़ पटक रही थी ,और मेरे हाथ का हैंडी कैम ,मोबाइल , विडीयो ,स्टिल

मेरा सैयां गजब का चूत चटोरा , पतली सी पैंटी का कवर ,

गुड्डी झूम रही थी जैसे

सावन में घटा झूमे

कोई नागिन संपेरे की बीन पे झूमे ,

तभी नीचे से कुछ कलियों के खिलखिलाने की आवाज सुनाई दी ,

फिर मेरी जेठानी से बतियाने की।

गुड्डी की सहेलियां

तभी नीचे से कुछ कलियों के खिलखिलाने की आवाज सुनाई दी ,

फिर मेरी जेठानी से बतियाने की।

गुड्डी उन्हें हटाते हुए खुद बैठ गयी ,

"स्साली ,कमीनीयां , आ ही गयीं सूंघते सूंघते। "

मैं समझ गयी , गुड्डी की सहेलियां ,लेकिन गनीमत थी नीचे जेठानी जी के पल्ले पड़ गयीं थी , बिना कुछ देर उलझाए वो थोड़े ही छोड़तीं उन्हें।

…………………………. .

शलवार कुर्ता उतारने में लड़कियों को बहुत टाइम लगता है , लेकिन पहनने में कुछ भी नहीं।

झटपट ,हम दोनों ,ननद भौजाई ,शलवार सूट के अंदर।

हाँ गुड्डी की ब्रा जरूर मैंने जब्त कर ली।

देर से आने की कुछ फाइन तो लगनी थी न , और फिर ननद के नए आ रहे टेनिस बाल साइज के बूब्स , कैद में रहें ,सख्त नाइंसाफी है।

उन्होंने भी पेंट चढ़ा लिया , पर उनका खूंटा तो वैसे का वैसे ही खड़ा पेंट फाड़ता।

" सुन यार ,तेरे भैय्या ने तेरा देखा भी ,छुआ भी ,और चूसा भी। देख बिचारे का कित्ती जोर से खड़ा है ,अब कम से कम तू ऊपर से तो उसे एक चुम्मी ,. "

मैंने अपनी ननद को चढ़ाया , पर उसे अब चढ़ाने की जरूरत नहीं थी , खिलखिलाते हुए उन्हें चिढ़ाती निगाहों से देखती बोली ,

" मैं अपनी प्यारी भौजी की बात कभी नहीं टालती। "और जैसे कोई प्रपोज करे वो शरारती लड़की ,तुरंत घुटने के बल बैठकर ,

पहले तो उसने अपने गुलाबी होंठों से सीधे मेरे सैयां के बल्ज पे एक जबरदस्त चुम्मी ली।

खूंटा और तन गया।और गुड्डी की कुँवारी उंगलिया , दोनों हाथों से उस छिनार ने , पेंट के ऊपर से उसे प्यार से पकड़ लिया ,दबाया मसला और लगी चूसने।

नीचे से खिलखलाती कलियों की पदचाप सीढ़ियों पर आनी शुरू हो गयी थी पर , गुड्डी नदीदी ,

उनके पेंट फाड़ते बल्ज को चूमने चूसने में लगी हुयी थी।

जब आवाजें एकदम पास आ गयीं तो उस शोख ने अपने होंठ हटाए और बड़ी अदा से ,बोली ,

" क्यों भैय्या ,कैसा लगा। "

वो बिचारे शर्मा भी रहे थे और मस्त भी हो रहे थे , पर गुड्डी की सहेलियों की आवाज आयी और वो बगल के कमरे में चले गए।

सहेलियां

गुड्डी की दोनों सहेलियां दरवाजे पे धक्का मार के दाखिल ,

सहेलियां क्या था बिजलियाँ थी , घनघोर घटा के बीच की।

दिया को देख के तो मेरी सांस ऊपर की ऊपर ,नीचे की नीचे।

दिया को मैंने पहले भी देखा था ,कित्ती बार मिली थी ,गुड्डी की क्लोजिस्ट फ्रेंड ,
लेकिन

लेकिन वो अब वाकई बड़ी हो गयी थी ,( बल्कि बड़ा हो गया था )

एकदम परफेक्ट पंजाबी कुड़ी ,

लम्बाई ५. ७ छू रही थी ,एकदम गोरी चिट्ठी , उसके टॉप फाड़ते उभार तो आलमोस्ट मेरे उभारों के बराबर ,लेकिन सबसे जबरदस्त था उसका ऎटिट्यूड। एकदम मस्ती छलक रही थी।

दरवाजे से घुसते वो जोर से चीखी , भाभी।

और मैंने उसे जोर से हग कर लिया।

मेरा ' टिपिकल टीनेजर ननद स्पेशल हग',मेरे भरे भरे उभार ननदों के आ रहे टीन बूब्स को कस के मसल के रख देते थे। पर दिया ने खूब जोश से जवाब भी दिया ,अपने उभारों को मेरे सीने पे वापस दबा के। उसकी आँखों में मस्ती की चमक थी। मैं क्यों पीछे रहती ,अपनेहाथ से खुल के उसके जुबना दबाती बोली,

" अरे हार्न तो खूब दबाने लायक हो गएँ हैं। अभी बजवाना शुरू किया की नहीं ,. "

" अरे भाभी ,ननद किसकी हूँ , . " खिलखिलाते हुए मेरी आँखों में झांकते उस शोख ने जवाब दिया।

तबतक मेरी निगाह गुड्डी की दूसरी सहेली पर पड़ी,

छन्दा ,डस्की लेकिन नमक बहुत ज्यादा। बहुत ही शार्प फीचर्स , थोड़ी लजीली , प्लम्प लेकिन सब सही जगहों पर , खूब गदरायी।

" हे छन्दा तेरा धंधा कैसा चला रहा है ," मैंने उसे छेड़ा।

और वो दिवाली की फुलझड़ी की तरह खीस्स से हंस दी।

और मेरा ननद स्पेशल, ननदों को चिढ़ाने के लिए जो मैं गाती थी ,मैं शुरू हो गयी।

"मंदिर में घी के दिए जलें ,मंदिर में ,
मैं तुमसे पूछूं हे छन्दा रानी ,हे दिया रानी ,
तोहरे जुबना क कारोबार कैसे चले ,

अरे तेरा रातों क रोजगार कैसे चले
अरे मंदिर में ,. . "

और बजाय शरमाने ,चिढ़ने के अबकी जवाब दिया ने दिया , खुल के अपने बड़े बड़े बूब्स को पुश करके ,

" अरे भौजी आपकी दुआ से अगर जोबन आये हैं तो उनके कद्रदान भी आएंगे और रोजगार भी चलेगा ही। "

" ये हुयी न बात मस्त छिनाल ननदों वाली , अब ऐसे सावन के मौसम में , मैं तो स्पेशल ऑफर दे रही हूँ तुम ननदों को ,

सैयां से सैयां बदल लो मोरी ननदी ,

मेरी बात काटती अबकी छन्दा जैसे उदास होते ,मुंह बना के बोली ,

" अरे भौजी , अगर सैयां होते तो ऐसे मस्त मौसम में उनके साथ कबड्डी न खेल रही होती बिस्तर पे, इधर उधर भटकती क्या। "

" अच्छा चल सैंया न सही ,यार तो होंगे।" मैंने कोर्स करेक्शन किया कर दिया के उभारों को घूरती बोली ,

" अरे ये जोबन , ये रूप ,ये नमक ,मेरी ननदों का ,अब ये मत कहना की यार भी नहीं है। अरे स्वाद बदल जाएगा नीचे वाले मुंह का ,हैं न ,कभी लंबा कभी मोटा ,कर लो अदलाबदली। बोल मंजूर हो तो बुलाऊँ उन्हें। "

दिया-छन्दा

" अच्छा चल सैंया न सही ,यार तो होंगे।" मैंने कोर्स करेक्शन किया कर दिया के उभारों को घूरती बोली ,

" अरे ये जोबन , ये रूप ,ये नमक ,मेरी ननदों का ,अब ये मत कहना की यार भी नहीं है। अरे स्वाद बदल जाएगा नीचे वाले मुंह का ,हैं न ,कभी लंबा कभी मोटा ,कर लो अदलाबदली। बोल मंजूर हो तो बुलाऊँ उन्हें। "

अब छन्दा रानी की चमकी ,,चमक के बोली वो ,

" अच्छा भाभी , हमारे ऊपर हमारे ही भैय्या को चढ़ाना चाहती हैं। माना आपके मायके का चलन है ये ,दिन में भइया रात में सैयां वाला ,हमारे यहाँ नहीं ,. "

लेकिन उसकी बात दिया ने काट दी और मेरे बगल में आके खड़ी होके बोली ,

" तू भी छन्दा ,न यार हर लड़का तो किसी न किसी का भइया होगा ही। ऐसे बारिश के मौसम में ऐसा ऑफर , एकदम मंजूर है भाभी हमें हो जाय अदला बदली"
( गुड्डी ने मुझे बताया था की दिया तो अपने एकलौते सगे भाई से कब से फंसी है ,रोज रात बिना कबड्डी खेलती है और अगले दिन कॉलेज में सहेलियों को अनसेंसर्ड वर्ज़न, छन्दा का कोई सगा भाई था नहीं तो वो पिछले साल ही अपने एक फूफेरे भाई से और अबतक तो मौसेरे ,चचेरे , कोई कजिन नहीं बचे हैं )

गुड्डी हम लोगो की छेड़छाड़ से अब तक सूखी बची थी ,उसे क्यों मैं छोड़ती। उससे बोली ,

" अरे गुड्डी कुछ सीख अपनी सहेलियों से , देखो मेरा एक स्पेशल ऑफर है सिर्फ तुम जैसे छिनार ननदों के लिए , एडवांस में अदलाबदली। चलो अभी तुम मेरे वाले से मजा ले लो ,और फिर जिस तुम पटाओगी ,उसके साथ मैं। अब ऐसे मौसम में भाभी दिन रात मजे ले और बिचारि ननदें सावन में प्यासी रहें , तो बोलो है न मंजूर। "

गुड्डी शरमा गयी ,वो मेरी बात साफ़ साफ़ समझ रही थी , पर दिया उन सबों की लीडर , सब की ओर से बोली।

"एकदम भाभी मंजूर। लेकिन ये बताइये आप हम ननदों के लिए लायी क्या हैं। "

" तेरे भैय्या को लाइ हूँ न ,सावन के मौसम में इससे बढ़िया गिफ्ट क्या हो सकती है , " हँसते हुए मैंने चिढ़ाया। फिर गुड्डी को देखते हुए बोला ,

" आगे से पीछे से ,ऊपर से नीचे ,. . हर मुंह में ,. चाहे दबवाओ ,चाहे डलवाओ। चाहे चूसो चाहे चुसवाओ। "मैंने छेड़ा।
"नहीं नहीं भाभी " दिया और छन्दा एक साथ चीखीं।

और मैंने दराज से दो मोटी लम्बी हैंड कार्व्ड कैंडल्स निकालीं।

"चलो तुम्हारी बात मान ली , भैया भी तुम्हारे चार दिन की चांदनी ,. . कुछ दिन बाद तो मैं ले के फुर्र हो जाउंगी , फिर बिचारि तुम ननदें ,तब के लिए है न मस्त देखो। "

और मोटी कैंडल अपनी मुट्ठी में मैं उन दोनों को दिखाते, चिढ़ाते ऐसे मुठिया रही थी जैसे कोई मस्त मोटा लंड हो.

थी भी वो दोनों कैंडले ,साढ़े साथ इंच से थोड़ी ज्यादा ही लम्बी ,तीन इंच मोटी देखने में छूने में पकड़ने में एकदम मस्त मोटे लंड को मात करती। आगे का हिस्सा खूब मोटे फूले हुए कड़क सुपाड़े की तरह ,यहाँ तक की जैसे खड़े लंड में जैसे फूली फूली हलकी वेन्स दिखती हैं ,उस तरह की वेन्स भी , हाँ बेस पे एक बहुत बड़ा सा चौड़ा , इस तरह से डिजाइन किया था की चाहे टेबल पर रखना हो या पकड़ना हो।

" है न एकदम मस्त ,एकदम तेरे भैय्या की शेप और साइज का है , उसी पे मॉडल किया है देख एकदम सटासट जायेगा , हैं न

चिकना "

उन दोनों को ललचाती मैं बोलीं।

दिया की आँखे तो एकदम मोटी कैंडल पर चिपकी ,अविश्वास में ,लेकिन छन्दा के मुंह से निकल गया ,

"क्या सच में भाभी ,. "

" और क्या तभी तो मैं इतना मस्त मानसून ऑफर तुम ननदों को दे रही थी ,चाहे तो नाप के ,चाहे पकड़ के ,चाहे घोंट के ,चाहे चूस के ,. देख लेना। हाँ बदले में जब तुम यार पटाओगी तो मैं भी बिना चखे नहीं छोडूंगी। आखिर सलहज का तो ननदोई पर ननद से पहले हक़ होता है। "

अपनी ननदों को, गुड्डी की सहेलियों को , छेड़ते मैं बोली। फिर गुड्डी से कहा ,

" यार तुझे तो मालूम है तेरे भैय्या कंडोम कहाँ रखते हैं ,ज़रा निकाल न। "

गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,

अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "

जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी

" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।

पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।

दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।

और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहलेही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "

और उसी समय

फटा पोस्टर निकला हीरो।

फटा पोस्टर निकला हीरो

गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,

"अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "

जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी

" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।

पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।

दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।

और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहले ही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "

और उसी समय

फटा पोस्टर निकला हीरो।

उनके भैय्या मेरे सैंया बाहर।

गुड्डी एक कैंडल पर कंडोम चढ़ा रही थी और उसे सीधे दिया की खुली जाँघों के बीच दिखा दिखा के ,दिया कौन पीछे रहने वाली थी ,वो भी ऐसे धक्के मारने की ऐक्टिंग कर रही थी जैसे कोई चुदक्कड़ माल,नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर ,

भैय्या ,छन्दा चीखी।

तीनो लड़कियां अपनी अपनी जगह फ़्रीज।

"अरे, भाभी से तो इतना हंस हंस के गले मिल रही थी और भैय्या से ,. " मैंने गुड्डी की सहेलियों को चिढ़ाते हुए सन्नाटा तोड़ा।

एकदम भाभी ,और दिया उनसे ,सिर्फ गले ही नहीं मिली बल्कि लिफाफे पे टिकट की तरह चिपक गयी।

और वो भी ,. वाज लुकिंग सो हॉट ,हैंडसम ,मैनली।

. हॉट मतलब रीयल हॉट ,जिसे देख के एकदम सती साध्वी बनने वाली लड़की भी पिघल जाए.
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