Episode 87


पत्ते

इसलिए मैंने तय किया अभी मैं शांत रहूंगी , पहले जेठानी जी को उनके पत्ते खोलने दूंगी और फिर नहले पे दहला जड़ूंगी।

सब खाना गरम हो गया लेकिन रोटी ,

जेठानी जी की रोटी बनाना आसान नहीं था , पतली क्ररारी कड़क और गरम।

लेकिन एक कैसरोल में इन्होने रोटियां भी बना के रख दी थीं और मैंने बस उन्हें गरम कर दिया।

थोड़ी देर में हम खाने की टेबल पर थे ,

और मै प्यार से आदर से अपनी जेठानी को खाना परस रही थी।

न मुझे भूख थी न खाना खाने का मन , लेकिन मैं बस किसी तरह जबरन कौर घोंट रही थी।

वैसे भी इस घर में शादी के बाद से मुझे इसी तरह से खाना खाने की प्रैक्टिस हो गयी थ

पतली करारे और कड़क रोटियों ने जेठानी का मूड कुछ हद तक ठीक कर दिया था और कुछ मेरे बिना कुछ बोले जो उन्होंने अपनी भंडास निकाली थी।

मेरे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था ,सारे पत्ते तो मैंने सही फेंके थे।

सुबह उनके देवर के फोटो एक से एक , उन्ही के मोबाइल पे ,. उन्हें चिढ़ाया भी था की उनके मायके के ग्रुप[ में और मैं सोच रही थी की अब तो जेठानी मेरी मुट्ठी में ,

मैं बस अपने को समझा रही थी ,बी कूल बी कूल चिल चिल।
और अपने सारे स्ट्रेटजिक लेशन सोच रही थी जो मिसेज खन्ना ने उसे लेडीज क्लब के इलेक्शन में सिखाये थे।

" यूफोरिया ,यूफोरिया सबसे बड़ा दुश्मन है। जब बस लगता है दो चाल ,नहीं बस चार चाल और मात आप अपनी ओर का बोर्ड देखना भूल जाते हो। उसके साथ यही हो रहा था , वो सोच रही थी जेठानी को मात दे दी , अब गुड्डी उसके साथ चल रही है ,लेकिन जब तक आखिरी बाल न फेंक दी जाय ,आप नहीं जानते ,ड्रॉ ,हार या जीत क्या होगी। "

कोई तो बात है जो उसे नहीं मालूम है।

जिठानी जी का मूड अब नार्मल हो रहा था ,और मैं भी उन्हें भरपूर मक्खन लगा रही थी।

तबतक उनका फोन घनघनाया।

और मैं उठ गयी ,

"आप क्यों तकलीफ करती है ,ले आती हूँ मैं हूँ न। "

मैं शहद घोल के बोली।

जेठानी जी की ये आदत मुझे बहुत बुरी लगती थी , देवरानी के होते हुए उन्हें ऊँगली उठाना भी बुरा लगता था , कुछ सुधर गयीं थी अबकी लेकिन आज फिर ,

टेबल पर पानी रखा है ,ग्लास में सिर्फ डालना है , और वो मेरी जेठानी ग्लास के पास ऊँगली से ठक ठक करेंगी।

इसी लिए मोबाइल लेने बिना उनके कहे मैं उठी और

और , मोबाइल के साथ ही मुझे खजाने की चाभी मिल गयी।

व्हाट्सएप मैंने ही उन्हें आज सुबह ही सिखाया था और उनकी बहनों और भौजाइयों के ग्रुप में ज्वाइन भी कराया था।

उनकी एक छोटी कजिन का मेसेज था ,

" अरे आप की कोई ऐसी वैसी फोटो किसी ने खींच ली है न तो बस आप मना कर सकती हो , कह सकती हो मॉर्फ है। अगर कोई लम्बी चौड़ी फिल्म हो तो मुश्किल है लेकिन फोटो या एम् एम् एस तो आसानी से, कौन क्रिमीनल लैब से चेक कराएगा असली नकली। बस पहले आप स्कोर कर दो , प्रिवेंशन इस बेस्ट क्योर। "

दो घण्टे पहले का था मेसेज ,यानी सुबह जो थोड़ा बहुत ,. वो सब डर इसीलिए गायब।

फोन किसी ऐड का था। मैंने अपनी जेठानी को बता दिया। और फोन उनके हवाले।

खाने के बाद मैं तब तक उनके पास बैठी रही जब तक वो सो नहीं गयी। यानी अब दो तीन घंटे की छुट्टी और फिर मैं ऊपर अपने कमरे, में।

स्ट्रटेजी

क्या गड़बड़ हुआ , क्या गलत हुआ ,मैं सोचे जा रही थी।

फिर मैंने सोच बदली ,सबसे पहला काम ,मम्मी ,. स्ट्रेटजिक थिंकिंग का काम उनका था।

लेकिन मम्मी भी न ऐन मौके पर गायब , ये तो मुझे मालूम था की वो आजकल बॉम्बे में होंगी लेकिन न उनका पर्सनल फोन उठ रहा था न ऑफिसियल. अंत में उनकी सेक्रेटरी को मैंने पकड़ा तो पता चला की वो यंग इन्टप्रेन्योर्स को एड्ड्रेस करने गयी हैं और वहां फोन नहीं लगता। हाँ सेशन के बाद वो उन्हें मेसेज कर देगी , अभी ४२ मिनट बाकी हैं।

४२ मिनट बहुत होते हैं क्राइसिस में।

मैंने जेठानी जी के बारे में सोचना बंद किया और अपना वीक प्वाइंट सोचने लगी , क्या हो सकता है वर्स्ट केस सिनेरियो।

और पांच मिनट में मेरी चमकी।

गुड्डी।

वर्स्ट केस सिनेरियो , जेठानी जी गुड्डी को हमारे साथ नहीं जाने देंगी।

कैसे ये सब अलग बात थी। लेकिन यही था वर्स्ट केस। और अगर मैं आपरेशन गुड्डी में फेल होती तो इनके मायके में , मेरी बड़ी थू थू होने वाली थी।

गुड्डी को तो मुझे भूलना ही पड़ता ,उसके जरिये जो इनकी बाकी कजिन्स की टाँगे फैलवाने के चक्कर में थी वो सब भी।

और गुड्डी बिचारी भी , जेठानी जी उसकी जम के लेतीं। एकदम उसे बहिन जी बना के छोड़तीं।

और फिर ये भी एक बार वापस अपने कोकून में।

मैंने कई बार जेठानी जी की स्वाट ऐनेलिस फिर से करने की कोशिश की।

स्ट्रेंथ , क्या है उनकी स्ट्रेंथ ,

सास ,मेरी सास।

मुझे याद आया , खाते समय उन्होंने पूछा था ,

" तूने गुड्डी के ले जाने का प्रोग्राम सासु जी को बताया है न ?"

और मैंने बात टाल दी थी। उन्हें उनकी फेवरिट कड़वे करेले की सब्जी ऑफर कर के।

और मैंने अब जेठानी जी के एक एक शब्द पर गौर करना शुरू किया ,

ऊंच नीच ,बदनामी , खर्चा

बस यही तीन चीजें वो सासु माँ को समझाती। और यह भी की ये सब हमारे फायदे के लिए है ,

जवान लड़की कहीं ऊंच नीच हो जाय , कितनी बदनामी होगी ,फिर नहीं कोई सोचेगा बेचारी भाभी तो उसके फायदे के लिए ले ले गयी थी सब भैय्या भाभी को ही दोस देंगे लड़की की जब्बर जवानी और उसका खोट कोई नहीं देखेगा। फिर कोचिंग की फ़ीस , अब उसके घरवाले तो भरेंगे नहीं ,इतनी फ़ीस लगती है आज कल , फिर क्या सब लड़कियां डाक्टर इंजीनयर बनती हैं ,और जितनी पढ़ी लिखी लड़की उतना ही पढ़ा लिखा लड़का ढूंढो। जितना पढ़ा लिखा लड़का उतना बड़ा दहेज़ , फिर कहाँ से आएगा पैसा। और नहीं तो कुँवारी बैठी रहो पढ़ लिख कर।

मेरा दिमाग अब तेजी से चलने लगा था।

मैंने परकाया प्रवेश कर लिया था और अब मैं जेठानी जी की तरह सोच रही थी खास तौर से जब वो एकदम कार्नर्ड हों।

और क्या बातें कर के वो सासु जी को गुड्डी के हम लोगों के साथ जाने के खिलाफ कर सकती थीं। एक बात साफ़ थी की इसमें वो कोई ऐसी बात नहीं करेंगी जो मरे या इनके खिलाफ हो। क्योंकि सासु जी इसे तुरंत जेठानी देवरानी वाली बात मान लेती। हाँ वो हमारे फायदे की बात कह के ही उनसे हमारा नुकसान करवाने वाली थीं।

मेरे मन में बार बार ये बात बात आती थी की इस जेठानी की कैसे जबरदस्त ठुकाई की जाई की इनकी सात पुश्त याद रखें , लेकिन किसी तरह उस ख्याल को मैंने दिमाग से निकाला ,.

अभी सिर्फ और सिर्फ डिफेन्स , हमारी 'क्वीन ' खतरे में थी , उसे बचाना फर्स्ट टारगेट था।

अब प्राबलम कुछ कुछ समझ में आ रही थी ,लेकिन करूँ क्या , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

और मम्मी भी उन नए लौंडों को , यंग एंटरप्रेन्योर्स ,. तभी फोन बजा , मम्मी का मेसेज बहुत शार्ट

एनीथिंग अर्जेन्ट

यस , मैंने तुरंत जवाब भेजा।

एक्सपर्ट की सलाह

अब प्राबलम कुछ कुछ समझ में आ रही थी ,लेकिन करूँ क्या , कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

और मम्मी भी उन नए लौंडों को , यंग एंटरप्रेन्योर्स ,. तभी फोन बजा , मम्मी का मेसेज बहुत शार्ट

एनीथिंग अर्जेन्ट

यस , मैंने तुरंत जवाब भेजा।

लेकिन लगता है उनका लेक्चर चालू था पर सेक्रेटरी ने किसी तरह मेसेज भेज दिया था।
दस मिनट बाद उनका फोन आया , टॉयलेट ब्रेक के नाम पे वो पैनल से निकल के आई थीं। मैंने उन्हें सब हालत बताई।

वो फिर गायब लेकिन पन्दरह मिनट बाद वो व्हाट्सऐप पे आयीं और चार क्लियर इंस्ट्रक्शन उन्होंने दिए।

इसका मतलब अब सिचुएशन उन्होंने टेकओवर कर ली थी लेकिन टैक्टिकल डिसीजन और एक्जीक्यूशन तो हमें ही करना था , फील्ड में।

पहला इंस्ट्रक्शन - उन्हें बोलो की गुड्डी के घर जाएँ और अगले दो तीन घंटे तक उसके घर पे ही रहें।

दूसरा मेरे लिए था , मैं थोड़ी देर में नीचे जाऊं ,जेठानी जी के जगने के पहले ,और उनके साथ , नथिंग कान्फ्लिक्टिंग ,बस उन्हें अपने साथ रखूं और थोड़ा मक्खन।

तीसरा मेरी सहेली आकाश कोचिंग वाली के लिए ,एक मेल बल्कि दो मेल।

और चौथा सिचुएशन दुबारा क्रिटिकल हो , तो हम अपना प्रोग्राम प्री पोन कर लें बजाय चार दिन बाद जाने के जल्दी चल दें ,गुड्डी के साथ। इसके लिए मैं मिसेज खन्ना को बोल के आफिस से एक मेल इनके लिए छुट्टी कैंसल ,कम बैक नाऊ। लेकिन ये बात किसी को भी मालूम न पड़े कल से पहले।

हाँ सबसे कठिन फ्रंट सासु जी को वो टैकिल कर लेंगी। अभी उनकी कोई बजट की मीटिंग थी और फिर एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल से ,आठ बजे हम फिर मिलेंगे वीडियो चैट पर।

अब चीजें कुछ कंट्रोल में आयी।

और फिर बस दस मिनट मैंने रिलैक्स किया , शार्ट नैप। और नीचे।

बीस मिनट बाद मैं सीढ़ियों से धड़ धड़ नीचे।

हाँ लेकिन इस बीस मिनट में सब कुछ बदल गया था ,न मेरी सिर्फ धजा बल्कि एट्टीट्यूड भी।

शादी के शुरू के दिनों की तरह साडी , पैशन रेड , घूंघट तो नहीं लेकिन सर ढका

और सबसे बढ़कर एक बदला हुआ ऎटिट्यूड , जिसे सिखाने की कोशिश जेठानी जी पहले दिन से कर रही थीं ,

सबमिसिव ,स्माइलिंग , नजर नीची।

यह मान के चलना की मुझे कुछ नहीं आता और मैं सीखने के लिए तैयार हूँ।और साथ में मक्ख़न ५०० ग्राम वो भी बहुत सफाई से ,

साढ़े चार बजने वाले थे , यानी मेरी जेठानी का टी टाइम।

ज्यादा दूध की उनकी पसंद की चाय बना के , और फ्रेश कूकीज के साथ ,

जब मैं उनके कमरे में पहुंची तो वो बस आँखे खोल रही थीं।

टी टाइम मैंने अनाउंस किया ,और आँखे खोल दी मेरी जेठानी ने।

चाय के साथ उनकी फेवरिट सीरियल्स , घर की पंचायत , और फिर नाश्ते का टाइम ,

" दी आप ने लास्ट टाइम जो मूंग का हलवा बनाना सिखाया था न ,मैं सोचती हूँ आज ट्राई करती हूँ लेकिन प्लीज आप साथ रहिएगा , कुछ कम ज्यादा हो तो ,. और साथ में,. "

स्ट्रेटजी -मूंग का हलवा

साढ़े चार बजने वाले थे , यानी मेरी जेठानी का टी टाइम।

ज्यादा दूध की उनकी पसंद की चाय बना के , और फ्रेश कूकीज के साथ ,

जब मैं उनके कमरे में पहुंची तो वो बस आँखे खोल रही थीं।

टी टाइम मैंने अनाउंस किया ,और आँखे खोल दी मेरी जेठानी ने।

चाय के साथ उनकी फेवरिट सीरियल्स , घर की पंचायत , और फिर नाश्ते का टाइम ,

" दी आप ने लास्ट टाइम जो मूंग का हलवा बनाना सिखाया था न ,मैं सोचती हूँ आज ट्राई करती हूँ लेकिन प्लीज आप साथ रहिएगा , कुछ कम ज्यादा हो तो ,. और साथ में,. "

" पकौड़ियाँ ,. वो तो तुम अपने आप अच्छी बना लेती हो। बारिश होने वाली है ,अच्छा लगेगा। "

जेठानी बोली।

अब उनका मूड एकदम ठीक लग रहा था लेकिन मेरी निगाह मोबाइल पर थी। मैं उन्हें मोबाइल पे अकेले नहीं छोड़ना चाहती थी।

किचेन में पहुंचते ही उन्होंने पहला सवाल दाग दिया ,

" मूंग मतलब कैसी मूंग ?

और मैंने एकदम अनजान बन के नौसिखिये की तरह बोली ,

" मूंग क्या ,मूंग मतलब मूंग "

यही तो कॉलेज में पढ़ने लिखने और घर के काम का फरक है , हँसते हुए वो बोलीं।

अरे धुली मूंग समझाया उन्होंने।

और मैं कृतज्ञता से उनकी ओर देखती रही।

लेकिन मैंने उन्हें कोई काम नहीं करने दिया, सब काम खुद , साथ में तारीफ़

" अरे आप का बनाया हलवा तो आज तक ये याद करते हैं , एक बार एक आफिस की पार्टी में, फाइव स्टार कैटरर थे, और मूंग का हलवा, इनके बॉस ने भी बड़ी तारीफ़ की , लेकिन इनसे तो नहीं रहा गया, वो वहीँ पार्टी में , सबके सामने, अपने बॉस के ऊपर जाकर,. बोल पड़े, ' ठीक है , लेकिन जो मेरी भाभी मूंग का हलवा बनाती हैं न उसका तो कोई जवाब नहीं , लोग ऊँगली चाटते रहते हैं,. बाद में वो होटल के शेफ ने भी इनसे पूछा की आपकी भाभी के हलवे का सीक्रेट क्या है, तो उससे भी बोले , मेरी भाभी अपने सीक्रेट किसी को नहीं बताती। दस बार मुझसे बोला था उन्होंने यहां आने के पहले, अबकी कुछ भी भूल जाओ लेकिन भाभी से हलवा बनाना सीखना मत भूलना,. "

जेठानी एकदम खुश, बोलीं ,

"सच में, ये एकदम अलग ही तरीका है, मैंने भी अपनी मम्मी से सीखा था , उनकी एक गाने की कॉपी है उसी में पीछे लिखा भी है, लेकिन असल में आता तो बनाने से है, मूंग का हलवा।"

" एकदम दी, इसलिए आज हुकुम आप करेंगी , बोलेंगी आप,. . करुँगी मैं, आपकी छोटी हूँ आपसे चार साल बाद इस घर में आयी हूँ , सिखने का काम मेरा सिखाने का आप का "

मैंने जो रोल उन्होंने मेरे लिए सोचा था एकदम उसी तरह से,. यहाँ तक की अलमारी से सामान निकालने का काम भी,

मूंग की दाल, चीनी , देसी घी, इलायची बादाम सब कुछ, .

वो बस हुकुम चला रही थीं, ओर बीच बीच में नुस्ख निकाल रही थीं , कभी मेरे मायके वालों को दोस देतीं कभी मम्मी को , एकदम शुरू के दिनों की तरह लेकिन आज मैं बजाय उदास होने के खूब ख़ुशी उनकी चमचागिरी कर रही थी, उन्हें बातों में लगाए हुए थी.

मम्मी की बातों से मैं दो तीन बात समझ गयी थी, पहली तो जेठानी जी को फोन से जितना हो सके उतनी दूर रखो, उनके मायके से कोई अडवाइजर न सलाह दे सकेगा , न वो मांग सकेगीं, फिर गुड्डी के घर वालों से बात करके वो कुछ उलटा सीधा पढ़ा नहीं सकेंगी। साथ में मेरी सास को भी कोई फोन करके हम लोगों के प्लान में बिघ्न नहीं डाल पाएंगी।

और दूसरी बात अगर मैं एक सुशील संस्कारी बहू की तरह रहूंगी तो उन्हें ये नहीं लगेगा की मेरे पर निकल आये हैं, थोड़ा वो कम्फर्ट जोन में रहेंगी। और तीसरी बात जो इन्हे इनकी सास ने काम पकड़ाया था, गुड्डी के घर में तीन चार घंटे बिताने का,. अगर कोई उल्टा सीधा फोन वहां आया तो उसे वो इंटरसेप्ट कर लेंगे , हाँ मैंने उन्हें अच्छी तरह समझाया था की कोचिंग के या उसके हम लोगों के साथ जाने के बारे में आज एकदम बात न करें।

कड़ाही में चलाते समय एक दो बार जरूर उन्होंने कलछुल पकड़ कर दिखाया, ऐसे पकड़,. और बीच बीच में ज्ञान गंगा भी बरस रही थी, अरे नहीं और देर तक हाँ , रुक रुक कर,

हलवा अच्छा बना , खूब स्वादिष्ट और जेठानी जी ने खाया भी लेकिन तारीफ़ मैंने उनके सिखाने की खूब की।

" आज खाना मैं बनाउंगी और आप से लौकी के कोफ्ते भी सीखूंगी " मैंने उनसे कहा।

न सिर्फ जेठानी जी को बल्कि मेरी सास को भी लगता था की कोफ्ते उनकी बड़ी बहू ऐसा कोई नहीं बना सकता।

मेरा पर्पज कोफ्ते सीखने के साथ जेठानी को खुश रखना भी था और उन्हें मोबाइल से दूर रखना भी और उन पर निगाह भी रखना की वो सासू जी से बात तो नहीं कर रही हैं।

बाहर पानी तेज बरस रहा था , मेरी जेठानी को सिर्फ मेरी एक चीज पसंद थी मेरा गाना और मैंने एक के बाद एक आधे दर्जन गाने बारिश के उन्हें सुनाये और दो चार कजरियाँ उनकी भी आवाज में सुनी।

तबतक वो आगये ,एकदम भीगी बिल्ली बने ,लेकिन बहुत खुश दूर से ही उन्होंने थम्स अप का साइन दिया।

कोफ्ते

खाना खाते समय भी वो तारीफ़ करते रहे ख़ास तौर से लौकी के कोफ्ते की, बस एक बार इनके मुंह से निकलते निकलते रह गया एकदम मटन के कोफ्ते लग रहे हैं मैंने जोर से लात मारी टेबल के नीचे से तो ये सम्हले,

, और मैं उन्हें छेड़ती रही ,

" कल छुट्टी ख़तम हो रही है भौजाई की इसलिए आज से ही पटा रहे हो क्या ?"

खाने के बाद जेठानी को मैंने उनके हवाले किया और खुद ऊपर।

बहाना था की मुझे जेठानी जी की सिखाई कजरियाँ नोट करनी है कहीं भूल न जाऊं।

पर मुझे मम्मी से बात करनी थी ,उन्होंने साढ़े नौ बजे से पौने दस बजे के बीच का स्लॉट दिया था।

और गुड्डी से भी ,फिर दस बजे छुटकी।

चार घंटे तक जेठानी जी की चमचागिरी कर के मेरी हालत भी खराब हो गयी।
जेठानी जी के भी फेवरिट सीरियल शुरू होने वाले थे , ग्यारह बजे तक।

इसलिए उनके देवर को मैंने ये काम सौंपा की वो उनके साथ सीरियल देखें , थोड़ा उनका मन बहलायें और उन्हें कही ज्यादा बात न करने दें ,लगाने बुझाने वाली।

मैं ऊपर।

पहले तो रगड़ रगड़ के मैं नहायी , बाल धो के , फिर अपनी फेवरिट पिंक नाइटी पहनी और मम्मी को फोन लगाया।

गुड्डी का भी दो मेसेज था ,कुछ ख़ास नहीं।

लेकिन इनकी मेल , दिल खुश हो गया। अब जेठानी जी के सामने तो ये बता नहीं सकते थे तो इन्होने एक मेल कर दी थी ,

आपरेशन गुड्डी का घर ,

कामयाब , जैसा मम्मी ने प्लान किया था एकदम वैसे ही।

सबसे बड़ा खतरा तो वहीँ था कहीं जेठानी जी सास का इस्तेमाल कर के उन लोगों के इरादे न बदलवा दें।

साथ में मिसेज मल्होत्रा का मेल की दो दिन के अंदर गुड्डी को रिपोर्ट करना है , क्लासेज शुरू हो चुकी हैं। और वो सीधे पैरेंट्स को एड्रेस ,

और गुड्डी के घरवाले मान गए यानि परसों उस सोन चिरैया को ले कर हम लोग फुर्र , फिर होगी उसकी असली कोचिंग।

दिन रात ,उसकी कुठरिया में उसके सीधे साधे भैय्या ,जो इस बात पर मुझसे नाराज हो गए थे की एलबम में उनकी छुटकी बहिनिया के फोटो के साथ अनजाने में मैंने कंडोम रख दिया था ,

अपने हाथ से मैं उन्ही भैय्या का मूसल उस की ओखल में ,वो भी बिना कंडोम के, और उस के बाद से तो रोज बिना नागा ,

लेकिन उसके लिए मुझे इस जेठानी का प्लान बिगाड़ना था।

उन्होंने मेल में ये भी लिखा था की उन्होंने गुड्डी के पेरेंट्स से मेरी सासु जी की बात भी करवा दी थी। और उन लोगों ने भी सासू जी को गुड्डी के कोचिंग में एडमिशन के बारे में हम लोगो ने किसे जुगाड़ से लास्ट डेट के बाद भी कराया सब बता दिया था।

हाँ उन्होंने गुड्डी के पेरेंट्स को ये बता दिया था की गुड्डी के जाने की डेट के बारे में किसी को भी न बताएं , गुड्डी को भी नहीं। क्योंकि ये बैकडोर से एडमिशन हुआ है सोर्स सिफारिश से ,और अगर ज्यादा लोगों को पता चल गया तो मुश्किल होगी।

सासु जी मेरी बहुत वार्म तो नहीं थी गुड्डी के हम लोगों के साथ जाने की खबर से पर उन्होंने मना भी नहीं किया गुड्डी के जाने को। लेकिन अब अगर जेठानी जी ये खबर उन्हें नमक मिर्च लगा के देतीं तो वो ये नहीं कह सकती थीं की मुझे किसी ने बताया नहीं।

जेठानी जी का प्लान गुड्डी का कौमार्य बचाने के लिए नहीं था ,मुझे मेरी औकात दिखाने के लिए था।और मुझसे ज्यादा अपने देवर को, भले वो ऊँची पोस्ट पर हो, अच्छा पढ़ा लिखा हो , लेकिन होंगे तो अपनी जगह, इस जगह, इस घर में जेठानी का जी ही राज चला है उन्ही का चलेगा, और उन की मर्जी के बगैर वो गुड्डी के बारे में सोच भी नहीं सकते।

बस आज का दिन किसी तरह , कल जब उनकी छुट्टी एक बार ख़तम हो जाए , बस ,फिर तो ऐसी कस के मैं उनकी रगड़ाई करने वाली थी की लेकिन आज मेरा पूरा दिमाग सिर्फ सिंगल प्वाइंट पे था।

और मम्मी का फोन आ गया , वीडियो चैट।

वो भी आलमोस्ट सक्सेफुल था।

मम्मी ने अपने समधन से खूब खुल के मजाक किया, और उन्होंने भी, दोनों समधनों का रिश्ता भी और स्वभाव भी,. मम्मी ने पूछ लिया की पंडों से दबवाया मसलवाया की नहीं, और उन्हें दुबारा याद दिलाया की वापस तीरथ से लौटने के हफ्ते दस दिन के अंदर वो आएँगी यहाँ और फिर दोनों समधने हम लोगों के घर,. बड़ी देर तक मस्ती भरी बातें की दोनों लोगों ने, हाँ मम्मी ने जान बूझ कर गुड्डी के बारे में बात नहीं की, लेकिन सासू जी ने ही गुड्डी के कोचिंग में एडमिशन के बारे में खुद बता दिया,

एक खतरनाक बात उन्होंने सासु जी से पता कर ली थी. सासु जी ने अपना प्रोग्राम प्री पोन कर दिया था , अब वो नरसो यानी आज से तीसरे दिन दोपहर तक आ जाने वाली थीं। और ये बात जेठानी जी को जरूर मालुम होगी लेकिन उन्होंने छिपा के रखी थी।

मम्मी ने साफ़ हिदायत दी की मैं ये और गुड्डी परसों रात को अपने अपने घर किसी भी तरह पहुँच जाय। लेटेस्ट परसों शाम के पहले हम लोगों को यहां से निकल चलना था लेकिन परसों सुबह के पहले ये बात न गुड्डी को पता चलनी थी न मेरी जेठानी को। क्योंकिं उसके बाद जेठानी जी लाख उछल कूद मचाएं ,सासु जी हम लोगों के जाने के पहले आ कर कोई विघ्न बाधा नहीं डाल सकती थीं।

और कल रात जो जेठानी जी की कुटाई होने वाली थी उसके बाद से तो विघ्न बाधा तो छोड़िये , वो अपने हाथ से गुड्डी को तैयार करके हमारे साथ विदा करेंगी।

समधन समधन

मम्मी ने अपने समधन को हमारे यहां आने के बारे में , . गनीमत थी वो प्रोग्राम उसी तरह,. . सासु जी के आने के हफ्ते दस दिन बाद कोई फंक्शन था तीरथ पूरा होने का। मम्मी उस में आती और अगले दिन अपनी समधन को लेकर हमारे यहाँ ,

अपनी समधन को उनके बेटे के नीचे लिटाने का जो मम्मी का प्रोग्राम था वो एकदम कायम था। मम्मी और उनकी समधन एकदम खुल के मजाक करती थीं ,रिश्ता ही ऐसा था। और मेरी सास ने कबूल कर लिया था की तीर्थ में पूरा उपवास चला उनका और घर पहुँचने के एक दो दिन बाद उनकी पांच दिन की छुट्टी चालू।

हाँ एक बाद उन्होंने कबूल कर लिया की उपवास सिर्फ कमर के नीचे था, ऊपर तो, भीड़ भाड़, धककमधुक्का, नदी तालाब में नहाने में, ऊपर की मंजिल

पर रगड़ने वाले मसलने वाले कम नहीं थे.

मम्मी ने उन्हें चिढ़ाया भी, ठीक तो है , तीरथ के दान का असर तो सौगुना होता है और फिर जोबन दान से बढ़कर दान क्या होगा, और पण्डे पुजारी का आशीर्वाद मिलेगा तो हमारी आपकी जो मनौती थी वो जरूर पूरी होगी।

लेकिन मेरी सास भी इनकी सास से कम नहीं थीं, हंस के बोली,

" आप एकदम सही कहतीं है और वो मनौती तो हर जगह , आखिर हमारी आपकी डबल मनौती है तो जरूर पूरी होगी "

( मम्मी ने मेरी सास से कहा था की उनकी ओर से एक मनौती मांग लेंगी की उनका एकलौता दामाद, उनकी एकलौती समधन की ओखल में अपना मोटा मूसल धमाधम चलाये )

पर मम्मी ने उन्हें चिढ़ाया की जैसे ही हमारे यहाँ वो पहुंचेंगी उसी रात वो अपनी समधन का उपवास अपने हाथ से तुड़वाएंगी।

खिलखिलाती हुयी मेरी सासु माँ बोलीं , " आपके मुंह में घी शक्कर ,जल्दी वो दिन आये। "

हाँ एक बात और मम्मी ने बताई की जब वो सासु माँ से बात कर रही थी तो दो बार मेरी जेठानी जी का फोन आया , लेकिन मम्मी की सेक्सी बातों के आगे सासु ने उनका फोन काट दिया। मम्मी का असेसमेंट था की मेरी जेठानी ने अपने पति के जरिये कुछ तो मेरी सासु का कान भरा है और सासु का प्लान जल्दी आने का इसी का नतीजा है। लेकिन मम्मी के चलते वो सीधे बात नहीं कर पायीं ( और यहाँ मैं भी उन्हें फंसाये हुए थी , तब भी दो बार बाथरूम का बहाना बना के उन्होंने ट्राई कर ही लिया था ),इसलिए जो रिस्क असेसमेंट शाम को ८५ % था वो अब घट के १० % रह गया।

मम्मी जब वीडियो चैट से गायब हुईं तो साढ़े नौ बज रहा था। ये नीचे अपने भौजाई के साथ सीरियल देख रहे थे और ग्यारह बजे के पहले आने वाले नहीं थे।

और आज दोपहर के बाद पहली बार मैंने चैन की साँस ली।

मम्मी कल ९-१० बजे दिन में एक बार फिर मेरी सास से बात करने वाली थीं , और फिर वो मुझे रिपोर्ट करने वाली थी , उसके बाद तो सिर्फ जेठानी की कुटाई होने वाली थी। एकदम जैसे अल्टीमेट सरेंडर के प्रोग्राम में ,जो लेडी रेसलर हारती है घुमा घुमा के पूरे रिंग में उसकी गांड खुलेआम मारी जाती है।

जेठानी की तो हालत उससे भी ज्यादा , . . पहले तो उन्ही के देवर से उनके संस्कारों की मैं माँ चुदवाती और फिर उनकी ,.

तबतक गुड्डी का मेसेज आया भाभी स्काइप पर आ जाइये छुटकी आ गयी है।

छुटकी अरे बताया तो था इनकी सबसे छोटी कजिन ,अभी हाईकॉलेज का रिजल्ट आया है ,लेकिन सबसे तीखी हरी मिर्च। तय हुआ था की मैं गुड्डी और छुटकी रात में स्काइप पे कुछ ननद भाभी स्टाइल की बातें करेंगे।

बताया तो था छुटकी के बारे में ,लेकिन उसके बारे में जो भी बताओ कम है। वो वय: संधि के उस दरवाजे पर खड़ी जहाँ घर वाले उसे अभी भी बच्ची समझते थे पर घर से बाहर निकलते ही , मोहल्ले के लौंडे सीटी बजाकर , इशारे कर के न सिर्फ उसे उसकी जवानी का अहसास करा देते थे बल्कि कितने उसपे चढ़ाई का भी प्लान बना चुके थे।

टीनेज ब्रा तो उसने कब से पहननी शुरू कर दी थी ,पर नहाने के बाद शीशे के सामने उन आती बढ़ती गदराती गोलाइयों को कभी छू के ,कभी सहला के ,कभी हलके से फ्लिक कर के तो उसे खुद को रोज अपनी आती जवानी का अहसास होता।

उमर तो बस वही जो गुड्डी की थी , जब मेरी शादी में बारात में गाँव में आयी थी मेरे और उसके कच्चे टिकोरों ने न सिर्फ लौंडों को बल्कि गाँव के मर्दों की भी पैंट टाइट कर दी थी। सच में खट्टी मीठी अमिया की बात ही कुछ ऐसी है ,हर कोई कुतरना चाहता है। और छुटकी की अमिया अपनी समौरियों से २० नहीं २२ थीं।

लेकिन जो उसकी कातिल बनाती थीं वो थीं उसके संदली भोले चेहरे पर बड़ी बड़ी कजरारी आँखे,खूब रसीले होंठ और एट्टीट्यूड। उन आँखों का तो बस , झुकना भी गज़ब उठना भी गजब ,

खिलना कम, कम कली ने सीखा है,

तेरी आंखों की नीमबाजी से।

लगता है मीर ने वैसे ही किसी शोख को देख के लिखा होगा। और फिर हुस्न के साथ अदा भी अगर मिल जाए ,

तिरछी निगाह के साथ हलकी सी मुस्कराहट , वो एक जम्बिश के साथ गर्दन का मोड़ना और बेसाख्ता उन गुलाब से गालों पर आयी लटों को हटाना , उसकी फेहरिस्त में आधे घायल थे।

और जैसा मेरी बाकी ससुरालवालियों को आदत है , बस उसी तरह से मना करना उसने सीखा नहीं था था। उसके फेसबुक पेज पे १२४६ फ्रेंड्स थे उसमें ८२७ लड़के और उसमें से भी साढ़े चार सौ से ऊपर एक से एक हंक। जब वो उन कटीली आँखों और गुलाबी भरे भरे होंठों से फक मी लुक देती थी तो बस ,

तो छुटकी और गुड्डी स्काइप पर पहले से ही थे जब मैं पहुंची।

और पांच मिनट में ही मेरी सेक्सी मीठी मीठी ननदों ने, जो टेंशन मेरी जेठानी ने दिया था सब गायब कर दिया।

छेड़छाड़ की शुरुआत छुटकी ने ही की ,बोली

" भाभी आप दो ननदों में भेदभाव करती हैं , गुड्डी को अपने साथ ले जारही हैं और मुझे एक बार भी नहीं बुलाया। "

मैंने तुरंत कान पकडे ,अपने और बोली ,

" आ जाओ न तू भी , लेकिन गुड्डी तो वहां कोचिंग करेगी और तू , . "

अभी गुड्डी मेरी ओर हो गयी बोली ,

" भाभी इसकी भी करवा दीजियेगा न ,कोचिंग "

बस दुहरे मीनिंग वाले डायलॉग चालू हो गए।

" बोल करवाएगी , एक बार हाँ कर देगी न तो मैं छोडूंगी नहीं भले फिर लाख ना ना करना " मैंने छुटकी को चिढ़ाया।

क्या जबरदस्त अंगड़ाई ली उस हाईकॉलेज वाली ने ,लगता था बस वो कबूतर के बच्चे टॉप फाड़ के उड़ के बाहर आ जाएंगे।

" अरे भाभी ,नेकी और पूछ पूछ। हाँ और दस बार हाँ। ना करने वाले कोई और होंगे। "

वो छुटकी जिस शोख ढंग से बोली सच्च में मैं लड़का होती न तो वहीँ पटक के चोद देती।

" तेरे शहर में क्या तुझे यारों की कमी पड़ गयी या ,. कोई पसंद का नहीं मिल रहा " गुड्डी ने छेड़ा अपनी कजिन को।

" फेसबुक पे तो तेरे इत्ते ,. " मैंने भी अपनी राय जाहिर कर दी।

" अरे भाभी वो सब हगिंग और किस की स्माइली वाले हैं , असली बात तक पहुंचते ही नहीं। " उदास चेहरा बना के वो बोली।
फिर वो मेरे ऊपर एकदम तेल पानी ले के चढ़ गयी।

" भाभी आप तो रोज बिना नागा , और यहाँ आप की ननदें बिचारी एक बार के लिए ,. "

और गुड्डी भी अब अपनी छोटी कजिन की ओर से , .

"सच्च कह रही है तू ,भाभी इट इज नॉट फेयर। हम दोनों अपनी सील बंद लिए टहल रही हैं और आप सिर्फ चिढ़ाती रहती है की इंटर कोर्स कर लिया बिना इंटरकोर्स के। "

" और अब तो मैं भी इंटर में पहुँच गयीं हूँ , . . " खिलखिलाते हुए छुटकी बोली।

" तो ठीक है मैं जिससे करवाती हूँ रोज बिना नागा फड़वा दूँ उससे तुम दोनों की। सोच लो। "

अब दोनों की चुप होने की बारी थी।

" बहुत दर्द होगा फटते समय , "अब मैंने चढ़ाई कर दी।

फिर तो दोनों ने ऐसा हंसना शुरू किया , चुप होती फिर हंसना चालू कर देतीं।

मुश्किल से हंसी रोक के छुटकी बोली ,

" एकदम भाभी ,जैसे आप को हुआ था न , याद है गुड्डी दी। "

"एकदम याद है , " गुड्डी बोली और दोनों ने फिर हंसना शुरू कर दिया।

"कित्ता जोर से चीखी थीं आप " दोनों एक साथ बोलीं।

दोनों के भैय्या का मूसल था ही इतना मोटा , बिचारे बहुत सम्हाल के ,लेकिन,. मैंने भी कंट्रोल करने की कोशिश की थी पर चीख निकल ही गयी। लेकिन इन दोनों को कैसे ,. "

और गुड्डी और छुटकी दोनों ने कबूल कर लिया।

" भाभी ,इस की शैतानी है यही मुझे पकड़ के ले गयी थी। " छुटकी ने गुड्डी की ओर इशारा किया।

" अच्छा शैतान की नानी , और टेबल के ऊपर स्टूल रख के रोशनदान में छेद किसने किया था। " गुड्डी ने बाल अब छुटकी के खाते में डाल दी।

" और किसने कहा था की पूरा देखने को मैं तो बस ज़रा सा ,. " छुटकी बोली।

" भाभी बहुत दर्द हुआ था आपको " अबकी सीधा सा मुंह बना के उस किशोरी ने मुझे चिढ़ाते हुए पूछा।

" घबड़ा मत आ जा ना , तेरे भैय्या से तेरी फड़वा दूंगी , बस तुझे खुद मालूम हो जायेगा कितना दर्द होता है। "मैंने छुटकी को लपेटा।

"एकदम भाभी बहुत चहक रही है न , इसकी तो एकदम सूखी ही ,. " गुड्डी अब फिर मेरे साथ हो गयी।

और मैंने फिर बात बदल दी ,मैं और गुड्डी मिल के जैसे शिकार का हांका करते हैं न बस उसी तरह छुटकी का ,. "

" जाने दे गुड्डी यार ,बोलना आसान है घोंटना नहीं। फिर बिचारी अभी ये बच्ची है ,दूध के दांत भी नहीं टूटे। " मैंने गुड्डी से कहा।

अब छुटकी अलफ ,

"एकदम बच्ची नहीं हूँ , ये देखो मेरे मेरी क्लास में सबसे बड़े हैं मेरे। "

कबूतर के बच्चे

अब छुटकी अलफ ,

"एकदम बच्ची नहीं हूँ , ये देखो मेरे मेरी क्लास में सबसे बड़े हैं मेरे। "

अपने कबूतर के बच्चो को टॉप के ऊपर से सहलाते बोली।

" अरे ऐसे क्या पता चलेगा तू खोल के दिखा न " गुड्डी ने उसे उकसाया।

"धत्त " अब छुटकी ने जोर से ब्लश किया।

" मैं कह रही थी न गुड्डी बिचारी अभी बच्ची है ,हिम्मत नहीं है इसमें जाने दो अभी पता नहीं जो दिखा रही है असली है या नकली। " मैं बोली

और गुड्डी भी शामिल होगयी ,

" एकदम भाभी ,ढूंढते रह जाओगे टाइप , और बात करती है , फड़वाने की। छुटकी दिखा न यार हमीं तीन तो हैं ,मेरा दरवाजा बंद है कोई नहीं आएगा। " गुड्डी ने उसे और उकसाया।

" मेरा भी " मैं बोली और फिर छुटकी से कहा यार ज़रा सा टॉप उठा दे एक नजर ,अच्छा चल ब्रा मत खोलना।

छुटकी ने काउंटर अटैक किया। गुड्डी पर

"गुड्डी दी बड़ी हैं पहले वो। "

" अरे सबसे बड़ी तो मैं हूँ चल मैं ,. " और मैंने नाइटी कंधे पर से सरका दी।

मेरे ३४ सी के परफेक्ट बूब्स , हाफ कप ब्रा में ,

गुड्डी और छुटकी देखते रह गए।
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