Episode 89
और मैं किचेन में आलू के पराठे ,मूंग का हलवा , तली भूनी चीजें मेरी जेठानी को बहुत पसंद थीं और इसलिए थोड़ा स्थूल ,मांसल उनकी देह हो भी गयी थी लेकिन ज्यादातर फैट सही जगहों पर था , भरे भरे बूब्स के साथ खूब बड़े चूतड़।
लेकिन उसी बीच मैंने मम्मी को फोन लगा दिया , दो बार इंगेज आया।
तीसरी बार खुद उन्ही का फोन था , खूब खुश।
अपनी समधन से गप्प मार रही थीं वो , और समधन समधन टाइप गाली गलौज से भरपूर।
पूरे आधे घंटे तक , और आज मेरी सास का मूड कल के मुकबले बेहतर था ,यानी जेठानी जी अपना प्वाइजन इंजेक्शन उन्हें नहीं लगा पायी थीं.
और मम्मी ने एडवांस में एंटीडोट लगा दिया था।
मम्मी ने मेरा सास का प्रोग्राम एकदम पक्का करवा दिया था ,
हमारे पहुँचने के ठीक १२ वे दिन।
उन्हें गुड्डी का प्रोग्राम गुड्डी के घर वालों से मिल गया था ,
बस वो एक बात से हिचक रही थीं की जब वो मेरे घर रहेंगी तो गुड्डी ,फिर उसके सामने कैसे खुल के ,.
और आज मम्मी ने बिना उनके कहे बता दिया था , की उनके आने के पहले ही गुड्डी मेरे गाँव आ जायेगी। कोचिंग में कुछ दिन की छुटियाँ है , सावन में गाँव का और दस पंद्रह दिन जब तक मेरी सासु जी मेरे साथ रहेंगी , गुड्डी मेरे मायके में। गाँव में शीला भाभी , मेरी छोटी कजिन बेला ,.
और सासु जी ने तुरंत हाँ कर दी।
तो अब गुड्डी का हमारे साथ जाना पक्का
सासु जी का हमारे यहाँ आना पक्का ,
और उसी समय वो किचेन में आ गए ,
हग्स ,किसेज
और मैंने उन्हें सारी खुशखबरी बता दी , बहनचोद मादरचोद बोल के।
मोर हग्स और किसेज
लेकिन तभी जेठानी जी बाथरूम से बाहर निकलीं ,
बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक
मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।
यानी बाल धुले यानी जेठानी जी की पांच दिन वाली छुट्टी अब ख़तम
"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ . " मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।
लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।
रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।
आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।
और फिर जेठानी जी आयीं।
जेठानी - छुट्टी खत्म
बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक
मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।
मतलब हर महीने की पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम।
"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ . " मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।
लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।
रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।
आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।
और फिर जेठानी जी आयीं।
उनके चेहरे की चमक , मुस्कान और लम्बे खुले अभी भी थोड़े थोड़े गीले बालों से साफ़ साफ़ लग रहा था की उनकी आंटी जी चली गयी हैं।
जैसे ही हम लोगो की आँखे मिली ,वो जोर से मुस्करायीं और मै भी ,
अभी कुछ देर तक तो ये सीज फायर चलने ही वाला था , जबतक उनके अगवाड़े पिछवाड़े मैं ,. और सरप्राइज वाज माय बेस्ट वेपन।
आफ कोर्स उनके देवर उनके बगल में बैठे और इसरार करके खिला रहे थे।
" देवर के रहते हुए भाभी को अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करना पड़े, घोर कलियुग , "मैंने उन्हें उकसाया।
फिर क्या था पराठा सीधे इनके हाथों से जेठानी जी के मुंह में , और वो लाख ना नुकुर करती रहीं पर , वो कहाँ मानने वाले थे , और
कुछ देर में उनका एक हाथ जेठानी जी के कंधे पर ,
" आपके लिए एक खुशखबरी है ,आपकी भौजाई की ओर से , . . "
जेठानी जी के प्लेट में ढेर सारा मूंग का हलवा डालते मैं बोली।
जेठानी जी मेरा मतलब समझ के मुझे पहले तो आँख से बरजती रहीं ,फिर मुस्कराते हुए डांटने की मुद्रा में बोली ,
" तू भी न ,कुछ भी कहीं भी बोलती रहती है। "
" तो ठीक है आप ही बता दीजिये न ,बिचारे इतने दिन से इन्तजार कर रहे थे ,रोज मन मसोस कर ,. " मैंने और रगड़ाई की।
अच्छी तो उन्हें खूब लग रहा थी ये छेड़छाड़ , पर तबतक उनकी निगाह उनकी प्लेट में रखे मूंग के हलवे पर पड़ी और वो बोल पड़ीं ,
" अरे इतना ज्यादा डाल दिया , एक साथ। "
"दी ,आपके देवर इतनी देर से डाल रहे हैं तो कुछ नहीं और ज़रा सा मैंने डाल दिया तो ,. अरे देखिये कितना घी पड़ा है ,सटासट चला जाएगा। "
मैंने चिढ़ाया।
मन में तो आया की बोलूं ,अगर ऊपर वाले मुंह से खाने में दिक्कत हो रही हो तो नीचे वाले मुंह से , पिछवाड़े से ,. जाएगा तो दोनों ओर से पेट में ही। पर लगा की बस अब थोड़ी देर का इन्तजार है तबतक जेठानी जी को बिचकने से बचाना था।
और ये भी अपना रोल बखूबी निभा रहे थे , खिलाते हुए कभीअपनी भौजाई के मालपुवा ऐसे गाल सहला दे रहे थे तो कभी होंठ छू देते और भाभी भी उनकी पक्की पतुरिया ऐसे , सिहरने लजाने की ऐसी एक्टिंग करतीं जैसे नयी बहुरिया हों।
और इस चक्कर में उनकी भौजाई का आँचल थोड़ा ढलक गया ,और दोनों पथरीले बड़े बड़े जोबन झलक गए ,
और जैसे ही वो ठीक करने लगीं मैंने मना कर दिया।
" अरे दी आपके देवर इतनी सेवा कर रहे हैं तो थोड़ा सा टिप ,मेरा मतलब टिट दर्शन बनता है न। " मैंने छेड़ा।
नाश्ता आलमोस्ट ख़तम होने के कगार पे था ,मैं चाय पोर कर रही थी।
जेठानी जी बनावटी गुस्से से मुस्कराती बोलीं ,
तू भी न
और अपना आँचल ठीक कर लिया पर पूरा नहीं , क्लीवेज अभी भी दिख रहा था। बड़े बड़े दूध के कटोरे जैसे छलक रहे हों।
नाश्ते के बाद इनका और जेठानी जी का कोई सीरियल देखने का प्लान था। १० मिनट में शुरू होने वाला था।
और तब तक दिया का फोन बजा, मैंने तुरंत काट दिया , तब तक दिया का टेक्स्ट भी आ गया। वो गुड्डी और छन्दा एक साथ गुड्डी के घर पे थे ,
मैंने जेठानी की नजर बचा के टेक्स्ट देख लिए।
गुड्डी का रिजल्ट
गुड्डी के रिजल्ट के लिए मैं भी परेशान थी, बहुत परेशान थी, कल रात जिस तरह से वो बात कर रही थी, . बार बार कह रही थी, समझ में नहीं आ रहा क्या करूँ,. हिंदी और इंग्लिश के पेपर के लिए, और वो जो एक नंबर का जानते हुए गलत होगया, हिंदी में जो दो चैप्टर नहीं तैयार किये थे वही आ गए,. .
सब लड़के लड़कियों की बात अलग होती है, कुछ के लिए तो बस पास हो गए , पर कुछ सोचने वाली होती हैं तो बस वही एक बात सोच सोच के,. फिर अच्छे कालेज में एडमिशन , जो अखबार में छपता है दिल्ली में १०० % कट ऑफ , तो क्या असर होता होगा बच्चों पर , खैर उसे तो कोचिंग का, लेकिन वहां भी तो अच्छे नंबर आने पर फ़ीस फ्री, स्कालरशिप अलग,
और उसके अच्छे नंबर आने पर घर वाले भी सोचते हाँ कर सकती है वो , नीट में आ जायेगी , अगर जरा सा कोचिंग का सपोर्ट मिला, और ऊपर से अगर फ़ीस फ्री हो गयी तो उनकी रही सही हिचक भी,. . फिर अच्छे नंबरों से घर में माहौल भी उसके फेवर में रहेगा, जेठानी की किसी बात का असर नहीं पडेगा,. और बस आज की एक दिन की बात है,.
और नंबर आने पर वो डिटेल मिसेज मल्होत्रा को भी मुझे भेजना ही होगा। मम्मी ने भी बोला था की फ़ीस के कंसेशन या एडमिशन वाली बात का मिल कोचिंग से सीधे उसके घर आने पर भी अच्छा असर पडेगा, कांग्रेचुलेटरी मेसेज का भी
पर ये सब तो तब होगा जब रानी जी के अच्छे नंबर आएं,.
लेकिन वो सब बात अलग थी, मेरे सामने उसका उदास परेशान चेहरा बार बार घूम रहा था , और ये डर भी की कहीं अगर कुछ गड़बड़ हुआ तो जेठानी जी को तेल पानी लेकर उसके पर चढ़ने का मौका मिल जाएगा,.
जेठानी के सामने उसे या दिया किसी को फोन भी नहीं कर सकती थी, रिजल्ट की साइट खुल नहीं रही थी , तभी दिया का मेसेज आया
डरते डरते , जेठानी की आँख बचाते मैंने मेसेज खोला।
जितने देवता पीर जानती थी , जितनी मान मनौती मान सकती थी , सब मान ली , बस किसी तरह इस लड़की के अच्छे नंबर आ जाएँ,. उसका उदास चेहरा,. .
दिया का मेसेज था गुड्डी के नंबर अच्छे है लेकिन वो बहुत सैड है , कालेज में सेकेण्ड आने से।
सच में जेठानी की नजर उड़ती चिड़िया का पर गिन लेती थी। उन्होंने देख लिया की उनकी नजर बचा के मैं मोबाईल पे कुछ पढ़ रही हूँ।
" किसका मेसेज है " उन्होंने पूछ लिया।
मैंने तुरंत मोबाइल आफ किया और मुंह बना के बोली ,
" गुड्डी का इंटर का रिजल्ट आ गया लेकिन अच्छा नहीं है , इसलिए वो थोड़ा ,. "
अब तो जेठानी जी ,एकदम जैसे कोई टीम हारते हारते जीत जाय बस उसी तरह ,
चालू एकदम ,
" ये तो होना ही था। अरे जवानी सब पे आती है। जोबन भी आता है, लेकिन पढ़ाई लिखाई की उमर में , जब देखो तब कटी पतंग की तरह इधर उधर , कभी दोस्ती बाजी तो कभी ,. हरदम फोन से चिपकी ,जैसे फोन न हो गया ,यार हो गया। और घमंड इतना की न बड़ों का लिहाज न शरम , जबान कैंची की तरह ,. . अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे ,. "
इतने दिनों का फ्रस्ट्रेस्शन सब उगल रही थीं।
और मेरी उँगलियाँ अब फोन से चिपक गयीं थी , रिजल्ट की साइट गुड्डी का रोल नंबर
लेकिन जेठानी की तेज निगाह मेरी उँगलियों से चिपकी थी और मैं रुक गयी.
उनका ज्वालामुखी जब लावा उगल रहा हो उनकी निगाहें और पैनी हो जाती थी और वो यही चाहती थीं की जब वो पुराने जमाने के ऋषि मुनियों की तरह श्राप दे रही हों तो सब लोग उनकी ओर ध्यान से देखें,
और आज, अभी तो मुझे वही सब करना था जिससे वो खुश रहें , वो फिर चालू हो गयीं,.
" जरा सा गोरा रंग क्या होगया, ऐसी जवानी चढ़ी है, किसी को भी नहीं सेटती,. . बस उड़ती फिरती है, ऊपर से उसकी सहेलियां,. मैं जान रही थी की यही होने वाला है, पढ़ने लिखने वाली लड़कियों के ये गुन लछ्छन होते हैं,. क्या घमंड है उसको रूप रंग का, जब देखो तब, पहले तो थोड़ी , अब देखो तब , जबान भी लड़ाने लगी है, न बड़ों का लिहाज,. अरे आँख मूँद कर बड़ों की बात माननी चाहिए , सोचना चाहिए की बड़ी भाभी हैं उसके फायदे की ही बात करेंगी, पर बिना जवाब दिए काम कहाँ चलता है, वही दिमाग अगर [पढ़ाई में चलता तो,.
उनकी बातें पिघले शीशे सी मेरे कानों में जा रही थी , पर मेरा चेहरा यही बता रहा की मैं उनकी बातें बहुत ध्यान से सुन रही हूँ ,.
जेठानी जी का प्रवाह रोकने का, उनका ध्यान बंटाने का एक ही तरीका था उनके देवर का ध्यान उनकी ओर किया जाए, मैंने अपने उनको एक हल्का सा इशारा किया, और मेरी एक निगाह काफी थी उन्हें समझाने के लिए,.
" अरे भाभी, मेरे हाथ से खाइये क्या थोड़ा थोड़ा,. " और उन्होंने अपनी भौजी की पसंद का आलू के पराठे का बड़ा सा टुकड़ा तोडा, आम के अचार में लपेटा और सीधे,
बिना उन्हें रोके उनकी भौजाई बोलीं,
" अरे एक बार में ही इतना ज्यादा,. "
डबल मीनिंग डायलॉग की शुरआत उन्होंने ही की, लेकिन अब उनकी सास ने डबल मीनिंग में अब उनको भी एक्सपर्ट कर दिया था, और मुस्करा के वो बोले,.
" भौजी, डालने का काम देवर का और डलवाने का भौजाई का, फिर पांच दिन का उपवास आप का आज ख़त्म हुआ है , आज तो ज्यादा ही,. बस देखिये एक बार में कितना आप घोंट लेती हैं"
और पूरा का पूरा बड़ा सा पराठे का टुकड़ा मेरी जेठानी के मुंह में,
देवर ने जेठानी को उलझा लिया था, और मैंने मौके का पूरा फायदा उठाया, .
मेरी दिल की धड़कन तेज हो गयी थी मैं सब देवी देवता पीर मना रही एकदम सेक्युलर ढंग से ,
रिजल्ट की साइट खुल गयी और रिजल्ट देखते ही बहुत जोर का गुस्सा आया ,
गुड्डी के ऊपर ,
ये मैडम जी भी न
99. 2. % नंबर था , बायो, फिजिक्स केमेस्ट्री में १०० में १०० , इंग्लिश में ९९ सिर्फ हिंदी में थोड़ा कम था ,
और कितना नंबर चाहिए इस लड़की को।
देवर से उलझी मेरी जेठानी मेरी उँगलियों का चक्कर नहीं देख पाई, पर जैसे ही देवर का घोंटाया पराठा उन्होंने गटक लिया,. एक बार फिर वो चंद्रमुखी से ज्वालामुखी हो गयीं और गुड्डी के खिलाफ उनका विषवमन चालू हो गया,
नंबर
99. 2. % नंबर था , बायो, फिजिक्स केमेस्ट्री में १०० में १०० , इंग्लिश में ९९ सिर्फ हिंदी में थोड़ा कम था ,
और कितना नंबर चाहिए इस लड़की को।
देवर से उलझी मेरी जेठानी मेरी उँगलियों का चक्कर नहीं देख पाई, पर जैसे ही देवर का घोंटाया पराठा उन्होंने गटक लिया,. एक बार फिर वो चंद्रमुखी से ज्वालामुखी हो गयीं और गुड्डी के खिलाफ उनका विषवमन चालू हो गया,
" अरे इस उम्र में लड़कियां घर का काम काज सीखती हैं ,लेकिन ये आज कल की लड़कियां बस उड़ती रहती हैं इधर उधर ,कुछ काम बोलो भी तो बस एक बहाना पढ़ना है पढ़ना है , और अब उसमें भी फिसड्डी। मुझे मालूम नहीं क्या मोबाइल ले के बस नैन मटक्का , गप्पे ,. "
लेकिन वो परेशान थे , गुड्डी के रिजल्ट के बारे में , मैंने उन्हें मेसेज कर दिया और ये भी बोल दिया की वो एकदम चुप रहें।
" उसका कोचिंग का क्या होगा ,जायेगी तुम लोगों के साथ ,. " उन्होंने वो सवाल कर दिया जो उन्हें साल रहा था।
" पता नहीं ,. " मैंने मुंह बना के जवाब दिया फिर जोड़ा , " मुश्किल लगता है , लेकिन आप उससे कहियेगा मत उसका दिल टूट जाएगा , कोचिंग वालों ने बोला था रिजल्ट आने पर पक्का करेंगे और रिजल्ट अच्छा नहीं है तो , अब हम लोग ये कितना प्रेशर डाल सकते हैं , "
मैंने बुझे मन से बोला।
जेठानी जी की तो जैसे मन की बात हो गयी , ख़ुश होके चहकते हुए बोलीं
" तुम लोग भी न , अरे क्यों परेशान हो रहे हो अगर अपना ही सिक्का खोटा है तो , कोई सोर्स वॉर्स की जरुरत ना है। अरे इहाँ लड़कियां नहीं पढ़ती क्या , चुपचाप लड़कियों के कॉलेज में नाम लिखाये ,. " फिर कुछ रुक कर बोलीं , " अरे मैंने भी इंटर किया था अपने गाँव के कॉलेज से , कौन ,. साढ़े चार किलोमीटर पैदल जाती थी और घर का काम , गाँव का सब रीत रिवाज ,. . और गुड सेकेण्ड डिवीजन पास भी हुयी थी। और ये ,. ले गए और कहीं ऊंच नीच कुछ हुआ तो ,. अब तो ये पता ही चल गया ये लड़की पढ़े लिखेगी तो है नहीं खाली ,. "
ये बात मैंने सही बोली थी की कोचिंग वालों को रिजल्ट चाहिए था और मैंने रिजल्ट मिसेज मल्होत्रा को फॉरवर्ड कर दिया और टेबल समेटने लगी।
दूसरा टाइम होता तो जरूर पूछती अपनी जेठानी से से ,
" दीदी उस साढ़े चार किलोमीटर में रास्ते में गन्ने के और अरहर के खेत भी तो पड़ते होंगे तो कितनी बार उनमे एक्स्ट्रा क्लास कीं"
लेकिन अभी तो मैडम जी की क्लास लेनी थी ,99 . 2 % और मुंह फुला के बैठी थीं।
किचेन में पहुँच के मैंने दिया और छन्दा के रिजल्ट भी देख लिए ,उन दोनोके भी अच्छे थे , जितना वो मस्ती करती थीं उस हिसाब से। छन्दा के 91. . 4 % थे और दिया के 8 8 % . कोचिंग वाले तो सिर्फ बायो , फिजिक्स केमिस्ट्री के नंबर देखते थे और इन तीनों में मैडम जी के 100में 100
जब मैं सीढ़ी से ऊपर जा रही थी तो जेठानी जी के कमरे से उनकी और उनके देवर की खिलखिलाने की आवाज सीरियल के साथ सुनाई दे रही थी।
कमरे में पहुँचते ही मैंने वीडियो चैट आन किया ,गुड्डी दिया और छन्दा तीनो थीं , गुड्डी मुंह लटकाये बीच में और एक ओर दिया और एक और छन्दा।
फोन चालू होते ही मैं चालू हो गयी ,
" स्साली छिनार , तेरी बुर गांड तेरे भाई से चुदवाऊं ,अपने भाई से मरवाऊँ ,दिया के भाई से फड़वाऊं , किसी के और आगे जा के ये छिनारपना करना ,. . "
गुड्डी के चेहरे पर मुस्कराहट चालू हो गयी थी।
लेकिन मेरी गालियां जारी रहीं ,
" रंडी मुझसे रंडीपना मत करना ,अपनी इन बेचारी सीधी साधी सहेलियों को बेवकूफ बनाएगी तो बना ,मुझे नहीं चरा सकती , बचपन की छिनार , भाइचॉदी। स्साली इत्ते अच्छे नंबर आये हैं और पार्टी देने से बचने के लिए ये नौटंकी फैला रखी है सुबह से। चल पार्टी की तैयारी कर और तू दोनों भी इतनी सीधी हो अपनी सहेली के चक्कर में , अरे भले आज इसकी शलवार खुले बाजार में नीलाम करनी पड़े , लेकिन पार्टी तो इसे देनी पड़ेगी। "
अब गुड्डी हंसी और दिया और छन्दा भी।
तबतक कोचिंग से मिसेज मल्होत्रा का मेसेज आ गया था कांग्रेट्स का , उनके पास गुड्डी का नंबर नहीं था मैंने दे दिया। उनका मेल भी था स्काई कोचिंग के ऑफिसियल मेल अकाउंट से , बायो ,फिजिक्स और केमेस्ट्री तीनो में १०० होने से उसकी पूरी फ़ीस फ्री। ९९ % से ज्यादा होने के लिए ५५ हजार का अवार्ड भी। गुड्डी के पर्सेनटाइल वाली सिर्फ तीन लड़कियां उनकी कोचिंग में थीं और आल इंडिया लेवल पे ९ ,गुड्डी के मार्क उनकी कोचिंग के आल इंडिया लेवल में चौथा तह इसलिए ये पचास हजार। उन्होंने गुड्डी का अकाउंट नंबर पूछा था।
मेल मैंने गुड्डी को फारवर्ड कर दिया।
गुड्डी लेकिन बोली ,भाभी कोचिंग , .
और जैसे मेरे जवाब में मिसेज मल्होत्रा का मेसेज आया गुड्डी के पास।
गुड्डी का चेहरा खिल गया। लिखा कुछ नहीं था लेकिन हग्स ,किसेज और थम्स अप की स्माइलीज ही बहुत कुछ कह रहे थे।
दिया और छन्दा ने उससे मोबाइल छीन लिया।
" एक मेल भी भेजा है उन्होंने कोचिंग से ,खोल " मैंने गुड्डी को बोला।
" स्साली , अभी तक कोचिंग पहुंची नहीं और अभी से 'मेल ' आने लगे। मिल बाँट के 'मेल ' का मजा लेंगे , समझी। " छन्दा ने खींचा।
गुड्डी कोचिंग से आया मेल पढ़ रही थी और साथ में छन्दा भी , पूरी फ़ीस फ्री और ५०,००० रूपये का बोनस ज्वाइन करने के पहले ही ,
खुशी और ब्लश से उसके गुलाब से गाल और गुलाबी हो रहे थे।
" भाभी मुझे तो अब बस आप वाला , 'मेल ' चाहिए , बस " दिया मुस्कराते हुए बोली।
मैंने दिया को जोर से हड़काया ,
" सालियों , दो साल पहले तक तो वो 'मेल' तुम सब के ही हवाले था। ले लेती खुल के मजे। तुम सबों के निकम्मेपन से उस स्साले 'मेल' की नथ मुझे उतारनी पड़ी। फिर दूसरी बात ये तेरा मेरा क्या लग रखा है , हम सब का , . "
तब तक छन्दा ने दिया को मेल के बारे में बताया।
फिरतो दिया ने जोर से उसे हग किया और दे किस्सी पे किस्सी ,
" स्साली ,कमीनी पचास हजार लूट लिया तूने तो ,. "
आग`से दिया पीछे से छन्दा , क्या दो मर्द मिल के किसी लड़की को रगड़ेंगे।
मिठाई
तबतक ये सीन पर आ गए और मैंने इन्हे फोन पकड़ा दिया , फिर तो फोन पर इतनी चुम्मियाँ हुयी की बस तार गरम होकर पिघलने वाला था। मैंने स्पीकर ऑन कर दिया ,
" हे तेरे इत्ते अच्छे नंबर आये ,मिठाई ,. " ये बोले
फिर चुम्मियाँ
मुझे वो वाली चाहिए हवा मिठाई दोनों , ये शैतानी से बोले।
" बदमार्श ,गंदे ,सिंगल ट्रैक माइंड , चल तो रही हूँ न तुम्हारे साथ ले लेना ,अच्छा मुंह मत बनाओ ,कल , आज तो भाभी हम लोगो को पार्टी पर ले जारही हैं ओनली गर्ल्स। शॉपिंग मस्ती लंच फिल्म ,. लेकिन कल सुबह सुबह आ जाउंगी , और नदीदे तेरी हवा मिठाई तेरे हवाले , लेकिन अभी चलती हूँ ,दिया की पांच मिस्ड काल है जिन्दा नहीं छोड़ेगी मुझे छिनाल। "
ये कह के गुड्डी ने फोन रख दिया।
ये मेरी ओर मुड़े और मैंने उन्हें सब समझा दिया, जेठानी जी के लिए स्पेशल डिनर।
" आपने तो कहा था न की ६ घंटे के लिए घर आपके हवाले तो बस डेढ़ बजे से साढ़े सात तक , घर किचेन सब ,. . आठ बजे से नौ बजे तक आपकी भौजाई के साथ डिनर और फिर , ठुकाई , वो ठंडी वाली डिश सर्व करने का मौक़ा। "
सच में यार तू न , इत्ती मुश्किल से मैं अपने पर कंट्रोल कर रहा था। वो बोले।
" बस अब बहुत हो गया कंट्रोल , आज रात में कोई कंट्रोल नहीं मंजू बाई और गीता की पूरी ट्रेनिंग इस्तेमाल कर देना। " मैंने उनका गाल सहलाते बोला।
और पूछा और डिनर में , . .
" बस वही कर रहा हूँ , सबके नंबर मैंने ले लिए हैं ढाई बजे की होम डिलीवरी के लिए बोल रहा हूँ "
पोर्क ,मटन ,फिश ,किचेन और भी बहुत कुछ , पांच मिनट तो वो फोन करते रहे , फिर हम लोग मीनू तैयार करते रहे उस संस्कारी डिनर का
गलावटी कबाब चिकेन टिक्का , फिश चाप से लेकर रोगन जोश , कीमा मटर और मटन बिरयानी और भी लम्बी लिस्ट बनायीं थी उन्होंने।
मैंने सब अप्रूव कर दी उनके गालों पर चुम्मा लेकर
और फिर नीचे जेठानी की ओर ,
मेरा शैतानी चरखा टाइप दिमाग तेजी से चल रहा था।
जेठानी और गुड्डी की रिजल्ट की पार्टी
और फिर नीचे जेठानी की ओर ,
मेरा शैतानी चरखा टाइप दिमाग तेजी से चल रहा था।
जेठानी को पार्टी के लिए पटाना और वो भी गुड्डी के रिजल्ट के लिए आलमोस्ट इम्पॉसिबल था।
अचानक मुझे याद आया ,वो चार दिन पुराना अखबार, मैंने सैंडल लपेटी थी उसमे , बस निकाला झाड़ा और चल दी।
और जेठानी जी के सामने बिसूरता हुआ मुंह बना के खड़ी हो गयी,
" दीदी आज आपके चक्कर में सुबह सुबह आपके देवर से डांट पड़ गयी।
""तुमने काम ही कुछ ऐसा वैसा किया होगा , बेचारा मेरा देवर इतना सीधा साधा है , बिना बात के क्यों डाँटेगा तुझे , . "
मेरे गाल सहलाते वो बोलीं।
बिचारी क्या मालूम उन्हें वो देवर उनका सो काल्ड धरम भरस्ट करने के लिए क्या क्या तैयारी कर रहा है। लेकिन ये भी साफ़ साफ था की सीरयल देखते देखते उन्होंने अपनी भौजाई को पटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
" बोल न क्या बोल रहा था वो , . "
जेठानी जी के पेट में गैस बन रही थी।
" इतना दिन हम लोगों को यहाँ आये हो गया , तुम बस दिन भर घर में पड़े पड़े अलसाती रहती हो , ये नहीं की जा के भाभी को कुछ शॉपिंग वापिंग करा के ले आओ , दो चार साडी वाड़ी उनके लिए ले लो , अब तो यहां भी एक दो अच्छे माल खुल गए हैं , . . "
मैंने बोला।
" वो भी न ,मेरे लिए ,. " हलके से मुस्कराते हुए उनके मुंह से निकल गया।
" दीदी ,डांट तो मुझे पड़ गयी लेकिन मुझे भी लगा बात वो सही कह रहे हैं ,और ये देखिये कितनी अच्छी सेल का ऑफर निकला है २० से ५० % तक का डिस्काउंट , मानसून ऑफर , शिफॉन ,जार्जट ,चिकन , सिल्क ,. "
और मैंने वो पुराना धुराना अखबार जिसमें मैंने सैंडल लपेटी थी, उनके सामने निकाल के बस वही कोना खोल के दिखा दिया।
उन्होंने ये जहमत नहीं की देखने की ,कि अखबार कितना पुराना है।
" कहाँ है ये दूकान का नाम साफ़ साफ़ नहीं है "
वो बोलीं, पर,. उनके मुंह की चमक से लग रहा था उन्होंने दाना चुग लिया है।
"वो मैंने फोन कर के पूछ लिया है , वो जो है न फ़न माल नया खुला है बस उसी में। " मैंने जाल फेंक दिया।
" उसका नाम मैंने भी बहुत सूना है ,वहां एक मल्टीप्लेक्स भी खुला है ,आज तक मैंने , तुम्हारे जेठ ले भी नहीं जाते कभी " दुखी होके उन्होंने मुंह बनाया।
"तो चलिए चलते हैं न आज , मौसम भी अच्छा हो रहा है। वहीँ कुछ खा पी भी लेंगे, और बाद में पिक्चर, जो आप मल्टीप्लेक्स बोल रही थीं न उसी में। सेल की सेल और साथ में मस्ती , प्लीज दी मना मत करियेगा। "" मैंने लहकाया।
" एकदम ,. " वो मान गयी।
अब डिफिकल्ट पार्ट था ,उन्हें बताने का गुड्डी और उसकी सहेलियां भी साथ चलेंगी।
" दिया , वो गुड्डी की सहेली ,. "
" हाँ क्या हुआ उसको , वो पंजाबन न क्या हुआ उसको , फेल हो गयी क्या ," मुस्कराते हुए वोबोलीं ।
" नहीं नहीं फेल नहीं हुयी पास हो गयी बस जैसे तैसे करके ,लेकिन नंबर उसके भी कुछ ख़ास नहीं , लेकिन मैं दूसरी बात कह रही थी। वो दूकान जहां सेल चल रही हैं न उसके भाई के दोस्त की है , तो उसकी थोड़ी जान पहचान ,डिस्काउंट भी ठीक ठाक दिलवा देगी अब मैं भी तो यहाँ नयी नयी हूँ ,कोई जान पहचान तो है नहीं मेरी। अक्सर सेल में पुराने ,घिसे पिटे कपडे पकड़ा देते हैं , कहीं छेद वेद हो ,साडी कहीं ज्यादा घिसी हो ,. . "
मैंने बात आगे बढ़ाई, बिना दिया के तो कुछ हो भी नहीं सकता था।
" ये बात तो तुम्हारी सही है लेकिन कई बार सेल में अच्छा मॉल भी मिल जाता है। " वो मान गयीं
जाल खींचने का वक्त आ गया था।
" एकदम सही कह रही हैं आप , लेकिन थोड़ा जान पहचान वाला कोई साथ हो तो ,. धोखा नहीं होगा , और दिया को तो डायरेक्ट बोल नहीं सकती तो गुड्डी को भी ,. "
अब वो चैतन्य हो गयीं ,अब चंद्रमुखी से वो ज्वालामुखी होने ही वाली थी। बोलीं आलमोस्ट फुंफकारते हुए ,
" और उनको तो साथ नहीं ले चल रही हो ,मेरे देवर को। "
" अरे नहीं भाभी , सीधी हूँ लेकिन इतनी भी नहीं और फिर आप की बात , आप एकदम सही कह रही थीं ,फूस और आग एक साथ नहीं रह सकते ,ये जवान होती हुयी छोरियां ,भैय्या भैय्या कह के , वो कहते उसके पहले ही मैंने उन्हें मना कर दिया। "
" ठीक किया ,मैं यही तो तुम्हे समझा रही थी। अरे आदमी की कोई गलती नहीं ,उसका तो मन करेगा ही लड़की देख कर , हमीं लोगों की जिम्मेदारी है ये सब ,. अरे ये जवान होती लड़कियां, मर्द का मन तो करेगा ही न उठता हुआ उभार देख कर, और ये छिनार जान बूझ के छरछंद करती हैं, कभी दुप्पट्टा ठीक करेंगी , कभी गिराएंगी, जिससे निगाह वहीँ पड़ें,. अरे दूकान में मिठाई रखी हो , सजी शो केस में, ताज़ी गरम गरम इमरती हो, तो किसके मुंह में नहीं पानी आएगा, तो मरद की का गलती,. अरे हमीं लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए, गलती से भी कभी,. तुम बहुत सीधी हो, लेकिन चलो कुछ तो सीख रही हो, वरना वहीँ लिपटना चिपटना,. इस उमर की लड़कियों से मरद को बहुत बचाना चाहिए ,. अच्छा किया जो उसको नहीं ले चल रही हो,. ""
वो फिर एक बार समझाने वाले मोड में आ गयी थीं। "
" अरे दीदी मैं समझने में थोड़ा स्लो हूँ ,लेकिन आप समझाती हैं तो समझ जाती हूँ , जैसा ट्रेन में लिखा रहता है न यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें बस वैसे ही एकदम , डिब्बे घुसते ही चेन वेन में बाँध के जैसे अटैची रख देते हैं न वैसे ही। "
हँसते हुए मैंने उन्हें गले से लगा लिया।
उन्होंने भी जोर से भींचते बोला चल अब कुछ समझ तो रही है तू।
लेकिन उसी बीच मैंने मम्मी को फोन लगा दिया , दो बार इंगेज आया।
तीसरी बार खुद उन्ही का फोन था , खूब खुश।
अपनी समधन से गप्प मार रही थीं वो , और समधन समधन टाइप गाली गलौज से भरपूर।
पूरे आधे घंटे तक , और आज मेरी सास का मूड कल के मुकबले बेहतर था ,यानी जेठानी जी अपना प्वाइजन इंजेक्शन उन्हें नहीं लगा पायी थीं.
और मम्मी ने एडवांस में एंटीडोट लगा दिया था।
मम्मी ने मेरा सास का प्रोग्राम एकदम पक्का करवा दिया था ,
हमारे पहुँचने के ठीक १२ वे दिन।
उन्हें गुड्डी का प्रोग्राम गुड्डी के घर वालों से मिल गया था ,
बस वो एक बात से हिचक रही थीं की जब वो मेरे घर रहेंगी तो गुड्डी ,फिर उसके सामने कैसे खुल के ,.
और आज मम्मी ने बिना उनके कहे बता दिया था , की उनके आने के पहले ही गुड्डी मेरे गाँव आ जायेगी। कोचिंग में कुछ दिन की छुटियाँ है , सावन में गाँव का और दस पंद्रह दिन जब तक मेरी सासु जी मेरे साथ रहेंगी , गुड्डी मेरे मायके में। गाँव में शीला भाभी , मेरी छोटी कजिन बेला ,.
और सासु जी ने तुरंत हाँ कर दी।
तो अब गुड्डी का हमारे साथ जाना पक्का
सासु जी का हमारे यहाँ आना पक्का ,
और उसी समय वो किचेन में आ गए ,
हग्स ,किसेज
और मैंने उन्हें सारी खुशखबरी बता दी , बहनचोद मादरचोद बोल के।
मोर हग्स और किसेज
लेकिन तभी जेठानी जी बाथरूम से बाहर निकलीं ,
बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक
मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।
यानी बाल धुले यानी जेठानी जी की पांच दिन वाली छुट्टी अब ख़तम
"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ . " मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।
लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।
रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।
आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।
और फिर जेठानी जी आयीं।
जेठानी - छुट्टी खत्म
बाल खूब धुले ,छितराये , उनके नितम्बों तक
मैं उनकी ओर देख के मुस्करायी , और वो भी जवाब में मुस्करायी।
मतलब हर महीने की पांच दिन वाली छुट्टी ख़तम।
"आप तैयार हो के आइये तब तक मैं नाश्ता लगाती हूँ . " मैं बोली और वो मुस्करती हुयी अपने कमरे में घुस गयीं।
लेकिन सबसे पहले मैंने गुड्डी को फोन लगाया , नहीं मिला तो दिया को।
रिजल्ट अभी तक नहीं आया था लेकिन बस कभी भी आ सकता था। दिया ने मुझे गुड्डी का रोल नंबर और साइट दोनों बता दीं। जित्ता गुड्डी परेशान हो रही होगी उतनी ही मैं भी उसकी परेशानी सोच के परेशान हो रही थी।
आलू के पराठे ,मक्खन लगे , दही ,चटनी ,अचार ,मूंग का हलवा ,चाय सब कुछ मैंने टेबल पर लगा दी। पौने दस बज गया था।
और फिर जेठानी जी आयीं।
उनके चेहरे की चमक , मुस्कान और लम्बे खुले अभी भी थोड़े थोड़े गीले बालों से साफ़ साफ़ लग रहा था की उनकी आंटी जी चली गयी हैं।
जैसे ही हम लोगो की आँखे मिली ,वो जोर से मुस्करायीं और मै भी ,
अभी कुछ देर तक तो ये सीज फायर चलने ही वाला था , जबतक उनके अगवाड़े पिछवाड़े मैं ,. और सरप्राइज वाज माय बेस्ट वेपन।
आफ कोर्स उनके देवर उनके बगल में बैठे और इसरार करके खिला रहे थे।
" देवर के रहते हुए भाभी को अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करना पड़े, घोर कलियुग , "मैंने उन्हें उकसाया।
फिर क्या था पराठा सीधे इनके हाथों से जेठानी जी के मुंह में , और वो लाख ना नुकुर करती रहीं पर , वो कहाँ मानने वाले थे , और
कुछ देर में उनका एक हाथ जेठानी जी के कंधे पर ,
" आपके लिए एक खुशखबरी है ,आपकी भौजाई की ओर से , . . "
जेठानी जी के प्लेट में ढेर सारा मूंग का हलवा डालते मैं बोली।
जेठानी जी मेरा मतलब समझ के मुझे पहले तो आँख से बरजती रहीं ,फिर मुस्कराते हुए डांटने की मुद्रा में बोली ,
" तू भी न ,कुछ भी कहीं भी बोलती रहती है। "
" तो ठीक है आप ही बता दीजिये न ,बिचारे इतने दिन से इन्तजार कर रहे थे ,रोज मन मसोस कर ,. " मैंने और रगड़ाई की।
अच्छी तो उन्हें खूब लग रहा थी ये छेड़छाड़ , पर तबतक उनकी निगाह उनकी प्लेट में रखे मूंग के हलवे पर पड़ी और वो बोल पड़ीं ,
" अरे इतना ज्यादा डाल दिया , एक साथ। "
"दी ,आपके देवर इतनी देर से डाल रहे हैं तो कुछ नहीं और ज़रा सा मैंने डाल दिया तो ,. अरे देखिये कितना घी पड़ा है ,सटासट चला जाएगा। "
मैंने चिढ़ाया।
मन में तो आया की बोलूं ,अगर ऊपर वाले मुंह से खाने में दिक्कत हो रही हो तो नीचे वाले मुंह से , पिछवाड़े से ,. जाएगा तो दोनों ओर से पेट में ही। पर लगा की बस अब थोड़ी देर का इन्तजार है तबतक जेठानी जी को बिचकने से बचाना था।
और ये भी अपना रोल बखूबी निभा रहे थे , खिलाते हुए कभीअपनी भौजाई के मालपुवा ऐसे गाल सहला दे रहे थे तो कभी होंठ छू देते और भाभी भी उनकी पक्की पतुरिया ऐसे , सिहरने लजाने की ऐसी एक्टिंग करतीं जैसे नयी बहुरिया हों।
और इस चक्कर में उनकी भौजाई का आँचल थोड़ा ढलक गया ,और दोनों पथरीले बड़े बड़े जोबन झलक गए ,
और जैसे ही वो ठीक करने लगीं मैंने मना कर दिया।
" अरे दी आपके देवर इतनी सेवा कर रहे हैं तो थोड़ा सा टिप ,मेरा मतलब टिट दर्शन बनता है न। " मैंने छेड़ा।
नाश्ता आलमोस्ट ख़तम होने के कगार पे था ,मैं चाय पोर कर रही थी।
जेठानी जी बनावटी गुस्से से मुस्कराती बोलीं ,
तू भी न
और अपना आँचल ठीक कर लिया पर पूरा नहीं , क्लीवेज अभी भी दिख रहा था। बड़े बड़े दूध के कटोरे जैसे छलक रहे हों।
नाश्ते के बाद इनका और जेठानी जी का कोई सीरियल देखने का प्लान था। १० मिनट में शुरू होने वाला था।
और तब तक दिया का फोन बजा, मैंने तुरंत काट दिया , तब तक दिया का टेक्स्ट भी आ गया। वो गुड्डी और छन्दा एक साथ गुड्डी के घर पे थे ,
मैंने जेठानी की नजर बचा के टेक्स्ट देख लिए।
गुड्डी का रिजल्ट
गुड्डी के रिजल्ट के लिए मैं भी परेशान थी, बहुत परेशान थी, कल रात जिस तरह से वो बात कर रही थी, . बार बार कह रही थी, समझ में नहीं आ रहा क्या करूँ,. हिंदी और इंग्लिश के पेपर के लिए, और वो जो एक नंबर का जानते हुए गलत होगया, हिंदी में जो दो चैप्टर नहीं तैयार किये थे वही आ गए,. .
सब लड़के लड़कियों की बात अलग होती है, कुछ के लिए तो बस पास हो गए , पर कुछ सोचने वाली होती हैं तो बस वही एक बात सोच सोच के,. फिर अच्छे कालेज में एडमिशन , जो अखबार में छपता है दिल्ली में १०० % कट ऑफ , तो क्या असर होता होगा बच्चों पर , खैर उसे तो कोचिंग का, लेकिन वहां भी तो अच्छे नंबर आने पर फ़ीस फ्री, स्कालरशिप अलग,
और उसके अच्छे नंबर आने पर घर वाले भी सोचते हाँ कर सकती है वो , नीट में आ जायेगी , अगर जरा सा कोचिंग का सपोर्ट मिला, और ऊपर से अगर फ़ीस फ्री हो गयी तो उनकी रही सही हिचक भी,. . फिर अच्छे नंबरों से घर में माहौल भी उसके फेवर में रहेगा, जेठानी की किसी बात का असर नहीं पडेगा,. और बस आज की एक दिन की बात है,.
और नंबर आने पर वो डिटेल मिसेज मल्होत्रा को भी मुझे भेजना ही होगा। मम्मी ने भी बोला था की फ़ीस के कंसेशन या एडमिशन वाली बात का मिल कोचिंग से सीधे उसके घर आने पर भी अच्छा असर पडेगा, कांग्रेचुलेटरी मेसेज का भी
पर ये सब तो तब होगा जब रानी जी के अच्छे नंबर आएं,.
लेकिन वो सब बात अलग थी, मेरे सामने उसका उदास परेशान चेहरा बार बार घूम रहा था , और ये डर भी की कहीं अगर कुछ गड़बड़ हुआ तो जेठानी जी को तेल पानी लेकर उसके पर चढ़ने का मौका मिल जाएगा,.
जेठानी के सामने उसे या दिया किसी को फोन भी नहीं कर सकती थी, रिजल्ट की साइट खुल नहीं रही थी , तभी दिया का मेसेज आया
डरते डरते , जेठानी की आँख बचाते मैंने मेसेज खोला।
जितने देवता पीर जानती थी , जितनी मान मनौती मान सकती थी , सब मान ली , बस किसी तरह इस लड़की के अच्छे नंबर आ जाएँ,. उसका उदास चेहरा,. .
दिया का मेसेज था गुड्डी के नंबर अच्छे है लेकिन वो बहुत सैड है , कालेज में सेकेण्ड आने से।
सच में जेठानी की नजर उड़ती चिड़िया का पर गिन लेती थी। उन्होंने देख लिया की उनकी नजर बचा के मैं मोबाईल पे कुछ पढ़ रही हूँ।
" किसका मेसेज है " उन्होंने पूछ लिया।
मैंने तुरंत मोबाइल आफ किया और मुंह बना के बोली ,
" गुड्डी का इंटर का रिजल्ट आ गया लेकिन अच्छा नहीं है , इसलिए वो थोड़ा ,. "
अब तो जेठानी जी ,एकदम जैसे कोई टीम हारते हारते जीत जाय बस उसी तरह ,
चालू एकदम ,
" ये तो होना ही था। अरे जवानी सब पे आती है। जोबन भी आता है, लेकिन पढ़ाई लिखाई की उमर में , जब देखो तब कटी पतंग की तरह इधर उधर , कभी दोस्ती बाजी तो कभी ,. हरदम फोन से चिपकी ,जैसे फोन न हो गया ,यार हो गया। और घमंड इतना की न बड़ों का लिहाज न शरम , जबान कैंची की तरह ,. . अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे ,. "
इतने दिनों का फ्रस्ट्रेस्शन सब उगल रही थीं।
और मेरी उँगलियाँ अब फोन से चिपक गयीं थी , रिजल्ट की साइट गुड्डी का रोल नंबर
लेकिन जेठानी की तेज निगाह मेरी उँगलियों से चिपकी थी और मैं रुक गयी.
उनका ज्वालामुखी जब लावा उगल रहा हो उनकी निगाहें और पैनी हो जाती थी और वो यही चाहती थीं की जब वो पुराने जमाने के ऋषि मुनियों की तरह श्राप दे रही हों तो सब लोग उनकी ओर ध्यान से देखें,
और आज, अभी तो मुझे वही सब करना था जिससे वो खुश रहें , वो फिर चालू हो गयीं,.
" जरा सा गोरा रंग क्या होगया, ऐसी जवानी चढ़ी है, किसी को भी नहीं सेटती,. . बस उड़ती फिरती है, ऊपर से उसकी सहेलियां,. मैं जान रही थी की यही होने वाला है, पढ़ने लिखने वाली लड़कियों के ये गुन लछ्छन होते हैं,. क्या घमंड है उसको रूप रंग का, जब देखो तब, पहले तो थोड़ी , अब देखो तब , जबान भी लड़ाने लगी है, न बड़ों का लिहाज,. अरे आँख मूँद कर बड़ों की बात माननी चाहिए , सोचना चाहिए की बड़ी भाभी हैं उसके फायदे की ही बात करेंगी, पर बिना जवाब दिए काम कहाँ चलता है, वही दिमाग अगर [पढ़ाई में चलता तो,.
उनकी बातें पिघले शीशे सी मेरे कानों में जा रही थी , पर मेरा चेहरा यही बता रहा की मैं उनकी बातें बहुत ध्यान से सुन रही हूँ ,.
जेठानी जी का प्रवाह रोकने का, उनका ध्यान बंटाने का एक ही तरीका था उनके देवर का ध्यान उनकी ओर किया जाए, मैंने अपने उनको एक हल्का सा इशारा किया, और मेरी एक निगाह काफी थी उन्हें समझाने के लिए,.
" अरे भाभी, मेरे हाथ से खाइये क्या थोड़ा थोड़ा,. " और उन्होंने अपनी भौजी की पसंद का आलू के पराठे का बड़ा सा टुकड़ा तोडा, आम के अचार में लपेटा और सीधे,
बिना उन्हें रोके उनकी भौजाई बोलीं,
" अरे एक बार में ही इतना ज्यादा,. "
डबल मीनिंग डायलॉग की शुरआत उन्होंने ही की, लेकिन अब उनकी सास ने डबल मीनिंग में अब उनको भी एक्सपर्ट कर दिया था, और मुस्करा के वो बोले,.
" भौजी, डालने का काम देवर का और डलवाने का भौजाई का, फिर पांच दिन का उपवास आप का आज ख़त्म हुआ है , आज तो ज्यादा ही,. बस देखिये एक बार में कितना आप घोंट लेती हैं"
और पूरा का पूरा बड़ा सा पराठे का टुकड़ा मेरी जेठानी के मुंह में,
देवर ने जेठानी को उलझा लिया था, और मैंने मौके का पूरा फायदा उठाया, .
मेरी दिल की धड़कन तेज हो गयी थी मैं सब देवी देवता पीर मना रही एकदम सेक्युलर ढंग से ,
रिजल्ट की साइट खुल गयी और रिजल्ट देखते ही बहुत जोर का गुस्सा आया ,
गुड्डी के ऊपर ,
ये मैडम जी भी न
99. 2. % नंबर था , बायो, फिजिक्स केमेस्ट्री में १०० में १०० , इंग्लिश में ९९ सिर्फ हिंदी में थोड़ा कम था ,
और कितना नंबर चाहिए इस लड़की को।
देवर से उलझी मेरी जेठानी मेरी उँगलियों का चक्कर नहीं देख पाई, पर जैसे ही देवर का घोंटाया पराठा उन्होंने गटक लिया,. एक बार फिर वो चंद्रमुखी से ज्वालामुखी हो गयीं और गुड्डी के खिलाफ उनका विषवमन चालू हो गया,
नंबर
99. 2. % नंबर था , बायो, फिजिक्स केमेस्ट्री में १०० में १०० , इंग्लिश में ९९ सिर्फ हिंदी में थोड़ा कम था ,
और कितना नंबर चाहिए इस लड़की को।
देवर से उलझी मेरी जेठानी मेरी उँगलियों का चक्कर नहीं देख पाई, पर जैसे ही देवर का घोंटाया पराठा उन्होंने गटक लिया,. एक बार फिर वो चंद्रमुखी से ज्वालामुखी हो गयीं और गुड्डी के खिलाफ उनका विषवमन चालू हो गया,
" अरे इस उम्र में लड़कियां घर का काम काज सीखती हैं ,लेकिन ये आज कल की लड़कियां बस उड़ती रहती हैं इधर उधर ,कुछ काम बोलो भी तो बस एक बहाना पढ़ना है पढ़ना है , और अब उसमें भी फिसड्डी। मुझे मालूम नहीं क्या मोबाइल ले के बस नैन मटक्का , गप्पे ,. "
लेकिन वो परेशान थे , गुड्डी के रिजल्ट के बारे में , मैंने उन्हें मेसेज कर दिया और ये भी बोल दिया की वो एकदम चुप रहें।
" उसका कोचिंग का क्या होगा ,जायेगी तुम लोगों के साथ ,. " उन्होंने वो सवाल कर दिया जो उन्हें साल रहा था।
" पता नहीं ,. " मैंने मुंह बना के जवाब दिया फिर जोड़ा , " मुश्किल लगता है , लेकिन आप उससे कहियेगा मत उसका दिल टूट जाएगा , कोचिंग वालों ने बोला था रिजल्ट आने पर पक्का करेंगे और रिजल्ट अच्छा नहीं है तो , अब हम लोग ये कितना प्रेशर डाल सकते हैं , "
मैंने बुझे मन से बोला।
जेठानी जी की तो जैसे मन की बात हो गयी , ख़ुश होके चहकते हुए बोलीं
" तुम लोग भी न , अरे क्यों परेशान हो रहे हो अगर अपना ही सिक्का खोटा है तो , कोई सोर्स वॉर्स की जरुरत ना है। अरे इहाँ लड़कियां नहीं पढ़ती क्या , चुपचाप लड़कियों के कॉलेज में नाम लिखाये ,. " फिर कुछ रुक कर बोलीं , " अरे मैंने भी इंटर किया था अपने गाँव के कॉलेज से , कौन ,. साढ़े चार किलोमीटर पैदल जाती थी और घर का काम , गाँव का सब रीत रिवाज ,. . और गुड सेकेण्ड डिवीजन पास भी हुयी थी। और ये ,. ले गए और कहीं ऊंच नीच कुछ हुआ तो ,. अब तो ये पता ही चल गया ये लड़की पढ़े लिखेगी तो है नहीं खाली ,. "
ये बात मैंने सही बोली थी की कोचिंग वालों को रिजल्ट चाहिए था और मैंने रिजल्ट मिसेज मल्होत्रा को फॉरवर्ड कर दिया और टेबल समेटने लगी।
दूसरा टाइम होता तो जरूर पूछती अपनी जेठानी से से ,
" दीदी उस साढ़े चार किलोमीटर में रास्ते में गन्ने के और अरहर के खेत भी तो पड़ते होंगे तो कितनी बार उनमे एक्स्ट्रा क्लास कीं"
लेकिन अभी तो मैडम जी की क्लास लेनी थी ,99 . 2 % और मुंह फुला के बैठी थीं।
किचेन में पहुँच के मैंने दिया और छन्दा के रिजल्ट भी देख लिए ,उन दोनोके भी अच्छे थे , जितना वो मस्ती करती थीं उस हिसाब से। छन्दा के 91. . 4 % थे और दिया के 8 8 % . कोचिंग वाले तो सिर्फ बायो , फिजिक्स केमिस्ट्री के नंबर देखते थे और इन तीनों में मैडम जी के 100में 100
जब मैं सीढ़ी से ऊपर जा रही थी तो जेठानी जी के कमरे से उनकी और उनके देवर की खिलखिलाने की आवाज सीरियल के साथ सुनाई दे रही थी।
कमरे में पहुँचते ही मैंने वीडियो चैट आन किया ,गुड्डी दिया और छन्दा तीनो थीं , गुड्डी मुंह लटकाये बीच में और एक ओर दिया और एक और छन्दा।
फोन चालू होते ही मैं चालू हो गयी ,
" स्साली छिनार , तेरी बुर गांड तेरे भाई से चुदवाऊं ,अपने भाई से मरवाऊँ ,दिया के भाई से फड़वाऊं , किसी के और आगे जा के ये छिनारपना करना ,. . "
गुड्डी के चेहरे पर मुस्कराहट चालू हो गयी थी।
लेकिन मेरी गालियां जारी रहीं ,
" रंडी मुझसे रंडीपना मत करना ,अपनी इन बेचारी सीधी साधी सहेलियों को बेवकूफ बनाएगी तो बना ,मुझे नहीं चरा सकती , बचपन की छिनार , भाइचॉदी। स्साली इत्ते अच्छे नंबर आये हैं और पार्टी देने से बचने के लिए ये नौटंकी फैला रखी है सुबह से। चल पार्टी की तैयारी कर और तू दोनों भी इतनी सीधी हो अपनी सहेली के चक्कर में , अरे भले आज इसकी शलवार खुले बाजार में नीलाम करनी पड़े , लेकिन पार्टी तो इसे देनी पड़ेगी। "
अब गुड्डी हंसी और दिया और छन्दा भी।
तबतक कोचिंग से मिसेज मल्होत्रा का मेसेज आ गया था कांग्रेट्स का , उनके पास गुड्डी का नंबर नहीं था मैंने दे दिया। उनका मेल भी था स्काई कोचिंग के ऑफिसियल मेल अकाउंट से , बायो ,फिजिक्स और केमेस्ट्री तीनो में १०० होने से उसकी पूरी फ़ीस फ्री। ९९ % से ज्यादा होने के लिए ५५ हजार का अवार्ड भी। गुड्डी के पर्सेनटाइल वाली सिर्फ तीन लड़कियां उनकी कोचिंग में थीं और आल इंडिया लेवल पे ९ ,गुड्डी के मार्क उनकी कोचिंग के आल इंडिया लेवल में चौथा तह इसलिए ये पचास हजार। उन्होंने गुड्डी का अकाउंट नंबर पूछा था।
मेल मैंने गुड्डी को फारवर्ड कर दिया।
गुड्डी लेकिन बोली ,भाभी कोचिंग , .
और जैसे मेरे जवाब में मिसेज मल्होत्रा का मेसेज आया गुड्डी के पास।
गुड्डी का चेहरा खिल गया। लिखा कुछ नहीं था लेकिन हग्स ,किसेज और थम्स अप की स्माइलीज ही बहुत कुछ कह रहे थे।
दिया और छन्दा ने उससे मोबाइल छीन लिया।
" एक मेल भी भेजा है उन्होंने कोचिंग से ,खोल " मैंने गुड्डी को बोला।
" स्साली , अभी तक कोचिंग पहुंची नहीं और अभी से 'मेल ' आने लगे। मिल बाँट के 'मेल ' का मजा लेंगे , समझी। " छन्दा ने खींचा।
गुड्डी कोचिंग से आया मेल पढ़ रही थी और साथ में छन्दा भी , पूरी फ़ीस फ्री और ५०,००० रूपये का बोनस ज्वाइन करने के पहले ही ,
खुशी और ब्लश से उसके गुलाब से गाल और गुलाबी हो रहे थे।
" भाभी मुझे तो अब बस आप वाला , 'मेल ' चाहिए , बस " दिया मुस्कराते हुए बोली।
मैंने दिया को जोर से हड़काया ,
" सालियों , दो साल पहले तक तो वो 'मेल' तुम सब के ही हवाले था। ले लेती खुल के मजे। तुम सबों के निकम्मेपन से उस स्साले 'मेल' की नथ मुझे उतारनी पड़ी। फिर दूसरी बात ये तेरा मेरा क्या लग रखा है , हम सब का , . "
तब तक छन्दा ने दिया को मेल के बारे में बताया।
फिरतो दिया ने जोर से उसे हग किया और दे किस्सी पे किस्सी ,
" स्साली ,कमीनी पचास हजार लूट लिया तूने तो ,. "
आग`से दिया पीछे से छन्दा , क्या दो मर्द मिल के किसी लड़की को रगड़ेंगे।
मिठाई
तबतक ये सीन पर आ गए और मैंने इन्हे फोन पकड़ा दिया , फिर तो फोन पर इतनी चुम्मियाँ हुयी की बस तार गरम होकर पिघलने वाला था। मैंने स्पीकर ऑन कर दिया ,
" हे तेरे इत्ते अच्छे नंबर आये ,मिठाई ,. " ये बोले
फिर चुम्मियाँ
मुझे वो वाली चाहिए हवा मिठाई दोनों , ये शैतानी से बोले।
" बदमार्श ,गंदे ,सिंगल ट्रैक माइंड , चल तो रही हूँ न तुम्हारे साथ ले लेना ,अच्छा मुंह मत बनाओ ,कल , आज तो भाभी हम लोगो को पार्टी पर ले जारही हैं ओनली गर्ल्स। शॉपिंग मस्ती लंच फिल्म ,. लेकिन कल सुबह सुबह आ जाउंगी , और नदीदे तेरी हवा मिठाई तेरे हवाले , लेकिन अभी चलती हूँ ,दिया की पांच मिस्ड काल है जिन्दा नहीं छोड़ेगी मुझे छिनाल। "
ये कह के गुड्डी ने फोन रख दिया।
ये मेरी ओर मुड़े और मैंने उन्हें सब समझा दिया, जेठानी जी के लिए स्पेशल डिनर।
" आपने तो कहा था न की ६ घंटे के लिए घर आपके हवाले तो बस डेढ़ बजे से साढ़े सात तक , घर किचेन सब ,. . आठ बजे से नौ बजे तक आपकी भौजाई के साथ डिनर और फिर , ठुकाई , वो ठंडी वाली डिश सर्व करने का मौक़ा। "
सच में यार तू न , इत्ती मुश्किल से मैं अपने पर कंट्रोल कर रहा था। वो बोले।
" बस अब बहुत हो गया कंट्रोल , आज रात में कोई कंट्रोल नहीं मंजू बाई और गीता की पूरी ट्रेनिंग इस्तेमाल कर देना। " मैंने उनका गाल सहलाते बोला।
और पूछा और डिनर में , . .
" बस वही कर रहा हूँ , सबके नंबर मैंने ले लिए हैं ढाई बजे की होम डिलीवरी के लिए बोल रहा हूँ "
पोर्क ,मटन ,फिश ,किचेन और भी बहुत कुछ , पांच मिनट तो वो फोन करते रहे , फिर हम लोग मीनू तैयार करते रहे उस संस्कारी डिनर का
गलावटी कबाब चिकेन टिक्का , फिश चाप से लेकर रोगन जोश , कीमा मटर और मटन बिरयानी और भी लम्बी लिस्ट बनायीं थी उन्होंने।
मैंने सब अप्रूव कर दी उनके गालों पर चुम्मा लेकर
और फिर नीचे जेठानी की ओर ,
मेरा शैतानी चरखा टाइप दिमाग तेजी से चल रहा था।
जेठानी और गुड्डी की रिजल्ट की पार्टी
और फिर नीचे जेठानी की ओर ,
मेरा शैतानी चरखा टाइप दिमाग तेजी से चल रहा था।
जेठानी को पार्टी के लिए पटाना और वो भी गुड्डी के रिजल्ट के लिए आलमोस्ट इम्पॉसिबल था।
अचानक मुझे याद आया ,वो चार दिन पुराना अखबार, मैंने सैंडल लपेटी थी उसमे , बस निकाला झाड़ा और चल दी।
और जेठानी जी के सामने बिसूरता हुआ मुंह बना के खड़ी हो गयी,
" दीदी आज आपके चक्कर में सुबह सुबह आपके देवर से डांट पड़ गयी।
""तुमने काम ही कुछ ऐसा वैसा किया होगा , बेचारा मेरा देवर इतना सीधा साधा है , बिना बात के क्यों डाँटेगा तुझे , . "
मेरे गाल सहलाते वो बोलीं।
बिचारी क्या मालूम उन्हें वो देवर उनका सो काल्ड धरम भरस्ट करने के लिए क्या क्या तैयारी कर रहा है। लेकिन ये भी साफ़ साफ था की सीरयल देखते देखते उन्होंने अपनी भौजाई को पटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
" बोल न क्या बोल रहा था वो , . "
जेठानी जी के पेट में गैस बन रही थी।
" इतना दिन हम लोगों को यहाँ आये हो गया , तुम बस दिन भर घर में पड़े पड़े अलसाती रहती हो , ये नहीं की जा के भाभी को कुछ शॉपिंग वापिंग करा के ले आओ , दो चार साडी वाड़ी उनके लिए ले लो , अब तो यहां भी एक दो अच्छे माल खुल गए हैं , . . "
मैंने बोला।
" वो भी न ,मेरे लिए ,. " हलके से मुस्कराते हुए उनके मुंह से निकल गया।
" दीदी ,डांट तो मुझे पड़ गयी लेकिन मुझे भी लगा बात वो सही कह रहे हैं ,और ये देखिये कितनी अच्छी सेल का ऑफर निकला है २० से ५० % तक का डिस्काउंट , मानसून ऑफर , शिफॉन ,जार्जट ,चिकन , सिल्क ,. "
और मैंने वो पुराना धुराना अखबार जिसमें मैंने सैंडल लपेटी थी, उनके सामने निकाल के बस वही कोना खोल के दिखा दिया।
उन्होंने ये जहमत नहीं की देखने की ,कि अखबार कितना पुराना है।
" कहाँ है ये दूकान का नाम साफ़ साफ़ नहीं है "
वो बोलीं, पर,. उनके मुंह की चमक से लग रहा था उन्होंने दाना चुग लिया है।
"वो मैंने फोन कर के पूछ लिया है , वो जो है न फ़न माल नया खुला है बस उसी में। " मैंने जाल फेंक दिया।
" उसका नाम मैंने भी बहुत सूना है ,वहां एक मल्टीप्लेक्स भी खुला है ,आज तक मैंने , तुम्हारे जेठ ले भी नहीं जाते कभी " दुखी होके उन्होंने मुंह बनाया।
"तो चलिए चलते हैं न आज , मौसम भी अच्छा हो रहा है। वहीँ कुछ खा पी भी लेंगे, और बाद में पिक्चर, जो आप मल्टीप्लेक्स बोल रही थीं न उसी में। सेल की सेल और साथ में मस्ती , प्लीज दी मना मत करियेगा। "" मैंने लहकाया।
" एकदम ,. " वो मान गयी।
अब डिफिकल्ट पार्ट था ,उन्हें बताने का गुड्डी और उसकी सहेलियां भी साथ चलेंगी।
" दिया , वो गुड्डी की सहेली ,. "
" हाँ क्या हुआ उसको , वो पंजाबन न क्या हुआ उसको , फेल हो गयी क्या ," मुस्कराते हुए वोबोलीं ।
" नहीं नहीं फेल नहीं हुयी पास हो गयी बस जैसे तैसे करके ,लेकिन नंबर उसके भी कुछ ख़ास नहीं , लेकिन मैं दूसरी बात कह रही थी। वो दूकान जहां सेल चल रही हैं न उसके भाई के दोस्त की है , तो उसकी थोड़ी जान पहचान ,डिस्काउंट भी ठीक ठाक दिलवा देगी अब मैं भी तो यहाँ नयी नयी हूँ ,कोई जान पहचान तो है नहीं मेरी। अक्सर सेल में पुराने ,घिसे पिटे कपडे पकड़ा देते हैं , कहीं छेद वेद हो ,साडी कहीं ज्यादा घिसी हो ,. . "
मैंने बात आगे बढ़ाई, बिना दिया के तो कुछ हो भी नहीं सकता था।
" ये बात तो तुम्हारी सही है लेकिन कई बार सेल में अच्छा मॉल भी मिल जाता है। " वो मान गयीं
जाल खींचने का वक्त आ गया था।
" एकदम सही कह रही हैं आप , लेकिन थोड़ा जान पहचान वाला कोई साथ हो तो ,. धोखा नहीं होगा , और दिया को तो डायरेक्ट बोल नहीं सकती तो गुड्डी को भी ,. "
अब वो चैतन्य हो गयीं ,अब चंद्रमुखी से वो ज्वालामुखी होने ही वाली थी। बोलीं आलमोस्ट फुंफकारते हुए ,
" और उनको तो साथ नहीं ले चल रही हो ,मेरे देवर को। "
" अरे नहीं भाभी , सीधी हूँ लेकिन इतनी भी नहीं और फिर आप की बात , आप एकदम सही कह रही थीं ,फूस और आग एक साथ नहीं रह सकते ,ये जवान होती हुयी छोरियां ,भैय्या भैय्या कह के , वो कहते उसके पहले ही मैंने उन्हें मना कर दिया। "
" ठीक किया ,मैं यही तो तुम्हे समझा रही थी। अरे आदमी की कोई गलती नहीं ,उसका तो मन करेगा ही लड़की देख कर , हमीं लोगों की जिम्मेदारी है ये सब ,. अरे ये जवान होती लड़कियां, मर्द का मन तो करेगा ही न उठता हुआ उभार देख कर, और ये छिनार जान बूझ के छरछंद करती हैं, कभी दुप्पट्टा ठीक करेंगी , कभी गिराएंगी, जिससे निगाह वहीँ पड़ें,. अरे दूकान में मिठाई रखी हो , सजी शो केस में, ताज़ी गरम गरम इमरती हो, तो किसके मुंह में नहीं पानी आएगा, तो मरद की का गलती,. अरे हमीं लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए, गलती से भी कभी,. तुम बहुत सीधी हो, लेकिन चलो कुछ तो सीख रही हो, वरना वहीँ लिपटना चिपटना,. इस उमर की लड़कियों से मरद को बहुत बचाना चाहिए ,. अच्छा किया जो उसको नहीं ले चल रही हो,. ""
वो फिर एक बार समझाने वाले मोड में आ गयी थीं। "
" अरे दीदी मैं समझने में थोड़ा स्लो हूँ ,लेकिन आप समझाती हैं तो समझ जाती हूँ , जैसा ट्रेन में लिखा रहता है न यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें बस वैसे ही एकदम , डिब्बे घुसते ही चेन वेन में बाँध के जैसे अटैची रख देते हैं न वैसे ही। "
हँसते हुए मैंने उन्हें गले से लगा लिया।
उन्होंने भी जोर से भींचते बोला चल अब कुछ समझ तो रही है तू।