Episode 91

" आपके देवर , रात के डिनर की तैयारी करेंगे यहां , उनकी बहुत इच्छा थी की आप को पूरा खाना ,. असली बात तो दीदी ये है की वो आप पे लगता है लाइन मार रहे हैं , ये आपके गदराये उभारों पे नजर है इनकी ,फिर आपकी छुट्टी भी ख़तम ,. . साडी स्पेशल डिनर ,. असल में उन्हें बड़े बड़े ही अच्छे लगते हैं , आप जैसे , 36 डी डी। "

हलके से ब्लाउज के ऊपर से उनके प्लम्प जोबन दबाते मैं बोली।

" अरे सारे मर्दों को ही बड़े बड़े अच्छे लगते हैं , आज कल की लड़कियों की तरह नहीं ,ढूंढते रह जाओगे , पता ही नहीं लगता लड़का है की लड़की। "

बिना मेरा हाथ हटाए वो बोलीं।

बिचारी उन्हें क्या पता था की इन बड़े बड़े उभारों की आज रात उनके देवर क्या गत बनाने वाले हैं और मैं भी।

" तेरे इतने बड़े तो मेरे इंटर जब पास किया तब थे मेरे , सारे लड़के एकदम ,. "

ब्लाउज के ऊपर से मेरे उभारों को सहलाते वो बोलीं।

मेरा एक हाथ अब उनके ब्लाउज के अंदर घुस गया था ,ब्रा के ऊपर से बड़े बड़े कबूतरों को दबोच के मैंने भी उनके जुबना की तारीफ की ,

"सच्ची दी तब तो आपके कॉलेज के सारे लड़कों का बस आपको देखते ही , झंडा ऊंचा रहे हमारा ,हो जाता होगा। है न। "

"हाँ ,तू भी न और गाँव के लौंडे तो ,. शहर वालो की तरह नहीं की क्या होता है वो आज कल की लड़कियां करती रहती हैं , . " वो बिना मेरा हाथ हटाए बोलीं

" फेसबुक " मैंने बात पूरी की ,

" हाँ वही , वो लौंडे तो ,. " उनकी अधूरी बात ने मुझे उनके बाल्य काल की सारी कहानीसुना दी।

खुद ही वो बता चुकी थी , गाँव से जहाँ उन्होंने इंटर किया था साढ़े चार किलोमीटर पैदल जाती थीं वो , अब गाँव है तो रास्ते में गन्ने के खेत ,अरहर के खेत , अमराई सब पड़ेंगे ही , तो इसका मलतब जिस उमर में अभी गुड्डी है ,उस उम्र में नीले गगन के तले उन्होंने खूब कबड्डी खेली होगी। और इसी लिए इन किशोरियों से उन्हें खतरा लगता था।

" अरे दीदी तभी तो आपके देवर , . "

और अब मेरा हाथ ब्रा के अंदर सेंध लगा चुका था , सही बात थी ३६ डी डी के बाद भी एकदम कड़क पत्थर जैसे , उसे सहलाते मैं बोली ,

" अरे इत्ता मस्त माल छोड़ के कहाँ जहां मैग्नीफाइंग ग्लास लेके देखना पद वैसे ,के पीछे वो कहाँ जाने वाले , मेरे साथ भी न जब वो खूब मूड में होते हैं तो कितनी बार रात में ,. बोल देते हैं ,. अरे यार जोबन हो तो मेरी भाभी जैसे ,. बिचारे इतना ललचाते रहते हैं एक बार दे भी दीजिये न ,अब जेठ जी भी नहीं तो दे दीजिये न , आज रात को। फिर आपकी छुट्टी का भी बहाना आज नहीं रहा , अब देखिये आप के चक्कर में मुझे डांट पड़ गयी की आपको शॉपिंग करवा लाऊँ , और फिर खुद आज आप के लिए छपन भोग ,. सब इसी जुबना का जादू है ,. "

" तू भी न ," मुझसे अलग होती बोलीं।

उनकी मुस्कराहट कह रही थी की बात उन्हें पसंद आयी मेरी और हरकत भी।

" कब तक निकलना है , " उन्होंने पूछा

" बस आधे पौन घंटे में ,. मैं भी चल के तैयार हो रही हूँ ,आप भी ,. " मैं बोली और ऊपर अपने कमरे में।

बहुत काम था गुड्डी को बोलना था , इन्हे बताना था और सबसे बढ़ के दिया को।

दिया

" कब तक निकलना है , "जेठानी जी ने पूछा

" बस आधे पौन घंटे में ,. मैं भी चल के तैयार हो रही हूँ ,आप भी ,. "

मैं बोली और ऊपर अपने कमरे में।

बहुत काम था गुड्डी को बोलना था , इन्हे बताना था और सबसे बढ़ के दिया को।

दिया लेकिन परफेक्ट पार्टनर इन क्राइम निकली।

मैंने दिया को सब कुछ समझा दिया, जेठानी की सारी खुराफात, गुड्डी को ले जाने में कैसे वो भरभद्ऱ करने की कोशिश कर रही थीं, वो व्हाट्सऐप वाली बात भी, जो उनकी मायके की किसी चतुर सुजान बालिका ने किया था की सिर्फ फोटो से डरने की कोई जरूरत नहीं है, बस कह दीजिए फेक है, मॉर्फ है,.

पहले तो हँसते हँसते लोटपोट हो गयी , फिर बोली ,

" अब आप अपनी जेठानी जी की चिंता मेरे ऊपर छोड़ दीजिये , अरे आप की तीन तीन ननदें रहेंगी न, बस भाभी आप खाली तमाशा देखिएगा,. उन्हें जैसा आप चाहती हैं वैसी शॉपिंग करवायेंगे ,साडी ही क्यों ब्लाउज भी , वो याद रखेंगी आज की शॉपिंग।

आधे घंटे में मैं नीचे पहुंची तो जेठानी तैयार।

जेठानी जी ,मुझसे पहले तैयार , खूब चटक साडी पहन के ,

मेरे मन में तो आया बोलूं , की मॉल में जाने के लिए आज आप खुद माल बनी हुयी हैं पर किसी तरह अपने पर कंट्रोल किया।

हाँ थोड़ी शरारत के बिना कैसे ,

" दी आपकी लिपस्टिक थोड़ी स्मज हो गयी लगता है देवर आपके चुम्मा चाटी कर रहे थे। "

और उन्ही के पर्स से लिपस्टिक निकाल के , डार्क रेड तो उन्होंने पहले ही लगा के रखी थी ,मैंने थोड़ी और ,. जैसे

इनके शहर के गंज वाले मोहल्ले में,रेड लाइट एरिया में शाम को बन ठन के इनकी मायकेवालियाँ खड़ी रहती हैं ,एकदम उसी तरह।

तय हुआ था की मैं गुड्डी और दिया को गुड्डी के घर से पिक करुँगी , बल्कि वो जिस गली में रहती है उसके सामने से।
( उस गली में कुछ धोबियों के भी घर थे और गली के बाहर हरदम दो चार गदहे बंधे रहते थे ,इसलिए गुड्डी को गारी गाते समय ,चिढ़ाते समय हरदम हम लोग गुड्डी का नाम गदहों से जरूर जोड़ते थे। )

आज भी दो चार गदहे थे वहां लेकिन गुड्डी वहां नहीं थी।

मेरी निगाह चुन्नू की दूकान पड़ी , वही वीडियों लाइब्रेरी वाला जिसके यहाँ से ये ब्ल्यू फ़िल्में लाये थे , और जो गुड्डी के मोहल्ले का केबल चलाता और रात में एक बजे से अच्छी अच्छी फ़िल्में भी दिखाता था।

दोनों लड़कियां वहीँ खड़ी थी ,मैं भी चुन्नू की दूकान पर पहुँच गयी।

पर मेरी आँखे फ़ैल गयीं ,दोनों ने रेनकोट पहन रखी थी ,

और मैं चालू हो गयी।

'सालियों ,कमीनियों बाहर एक बादल का टुकड़ा भी नहीं है और तुम दोनों , क्या अंदर से गीली हो रही हो , "

बिना इस बात की परवाह किये की चुन्नू वहीँ उन दोनों के साथ खड़ा है।
और गुड्डी भी चढ़ गयी चुन्नू के ऊपर तेल पानी ले के ,

" अरे तुझे कुछ शऊर वाउर है की नहीं ,नाक कटाएगा पूरे मोहल्ले की। भाभी पहली बार तेरी दूकान पे आयीं हैं ,न दुआ सलाम ,न चाय पानी ,. "

और रही सही कसर दिया ने पूरी कर दी चुन्नू की।

बेचारा , झट से उसने दो बार नमस्ते कर दिया , बैठने को स्टूल ऑफर किया।

लेकिन तब तक दोनों रेन कोट खुल गए , और ये तय होगया की आज तो पूरे शहर में बारिश होगी जम के ,सफ़ेद थक्केदार मलाई की।

आग लगा रही थीं दोनों ,

आग ही आग

लेकिन तब तक दोनों रेन कोट खुल गए , और ये तय होगया की आज तो पूरे शहर में बारिश होगी जम के ,सफ़ेद थक्केदार मलाई की।

आग लगा रही थीं दोनों ,

दिया के मम्मे तो वैसे ही जबरदस्त थे ,एकदम परफेक्ट पंजाबी कुड़ी थी वो , भरे भरे कड़े कड़े ,और आज जो उसने हॉट हॉट टॉप पहन रखा था

उसमें कुछ सोचने का जोर लगाना ही नहीं पड़ता। उस जस्ट इंटर पास हुयी टीनेजर के बूब्स की कड़ाई ,गोलाई शेप ,साइज सब कुछ ,

नाभि दर्शना टॉप के नीचे स्कर्ट और उससे निकलती खूब लम्बी लम्बी गोरी गोरी टाँगे।

गुड्डी इत्ती बोल्ड तो नहीं थी पर टॉप उसका भी नाभि दर्शना था और साथ में लो हाइट वाली रिप्ड जींस जो मैं उसके लिए लायी थी।

एकदम देह से चिपका ,गुड्डी की लम्बी टाँगे , उसके भरे कड़े नितम्ब सब कुछ ,. और टॉप उसका भी देह से चिपका।

बनयाइन चड्ढी दोनों तो मैंने मना ही कर रखी थी, तो जस्ट इंटर पास, मेरी दोनों ननदियों के जुबना के उभार के साथ साथ निपल भी साफ़ साफ़ झलक रहे थे.

रेन कोट दोनों ने चुन्नू के ऊपर फेंक दिया और बोलीं सम्हाल के रख दे , लौट के ले लेंगी दोनों।

अब इतने हॉट ड्रेस पहन के घर से निकलना वो भी इस छोटे शहर में तो पॉसिबिल नहीं था , इसलिए रेनकोट मैंने अपनी दोनों ननदों की अकल को दाद दी चुन्नू को चिढ़ाया।

"हे इत्ती हाट हाट लड़कियां अगर आधे घंटे भी तेरे यहाँ आके बैठ गयीं तो सोचो तेरा धंधा कितना चल निकलेगा। "
" कहाँ भाभी ,अभी तक बोहनी भी नहीं हुयी। "
बुरा सा मुंह बना के वो बोला।

" अरे बोहनी अभी तो इसकी भी नहीं हुयी " गुड्डी के डिम्पल पे चिकोटी काटती मैं बोली।

" नालायक तू पैदा ही ऐसी रोनी सूरत लेके हुआ , रोज रात को जो सविता भाभी की असली कहानी दिखा दिखा के पैसा कमा रहा है ,वो , "

दिया ने बस दो हाथ नहीं लगाया उसे , . और हम लोग कार की ओर चल दिए।

जेठानी जी गाडी में पीछे बैठी थीं और मैं ड्राइव कर रही थी।

गुड्डी को जेठानी के पास बिठाना खतरे से खाली नहीं था इसलिए उसे मैंने आगे अपने साथ बिठाया और दिया को अपनी जेठानी के साथ।

वैसे भी जेठानी को शीशे में उतारने का काम दिया के जिम्मे था।

" दिया तू वो क्या सविता भाभी की नयी कहानी की बात सूना रही थी ?" मैंने गाडी स्टार्ट करते हुए , दिया को उकसाया।
वो चालू हो गयी लेकिन मेरी जेठानी से बात करते हुए ,उनसे बोली ,

" भाभी , आप श्रुती को जानती हैं न , . अरे वही जिसकी सकल एकदम सोनाक्षी सिन्हा से मिलती है ,एकदम सेम टू सेम , कोई भी धोखा खा जाए , "

" अच्छी तरह ,उसकी हाल चाल ,लछ्ण कुलछ्न , अपने से पन्दरह साल बड़े मर्द से शादी की ,चार साल हो गए चुहिया भी नहीं हुयी वही न ,तेरे ही मोहल्ले में तो रहती है वो ,पति उसके मेडिकल रप्रेजेंटेटिव हैं क्या हुआ उसको। "

जेठानी जी ने मुड़ कर दिया की ओर अपना चेहरा दिया की ओर किया।

पंचायत और खासतौर से पर निंदा में जेठानी जी को बहुत रस आता था।

लेकिन दिया ने अनसुना कर दिया और पात्र परिचय में लगी रही।

"भाभी ,उनके मम्मे तो एकदम सोनाक्षी जैसे खूब बड़े बड़े भी कड़े कड़े भी ,हरदम उनके लो कट ब्लाउज से छलकते रहते हैं , पिछवाड़ा भी वैसे खूब गदराया ,भरा ,भरा , लौंडे तो लौंडे मरद भी उनको सोना डार्लिंग ही कहते हैं , और वो बुरा भी नहीं मानती हैं , हेयर स्टाइल मेकअप ,कपडे सब वो भी एकदम कॉपी ,. सब लौंडे उनके दीवाने बल्कि उनके बड़े बड़े मम्मों के ,.

बात काट के जेठानी बोलीं ,

"मालूम है ,मालूम है मुझे बचपन से मिजवाती है वो। जब कच्चे टिकोरे थे तब

श्रुती

" अच्छी तरह ,उसकी हाल चाल ,लछ्ण कुलछ्न , अपने से पन्दरह साल बड़े मर्द से शादी की ,चार साल हो गए चुहिया भी नहीं हुयी वही न ,तेरे ही मोहल्ले में तो रहती है वो ,पति उसके मेडिकल रप्रेजेंटेटिव हैं क्या हुआ उसको। "

जेठानी जी ने मुड़ कर दिया की ओर अपना चेहरा दिया की ओर किया।

पंचायत और खासतौर से पर निंदा में जेठानी जी को बहुत रस आता था।

लेकिन दिया ने अनसुना कर दिया और पात्र परिचय में लगी रही।

"भाभी ,उनके मम्मे तो एकदम सोनाक्षी जैसे खूब बड़े बड़े भी कड़े कड़े भी ,हरदम उनके लो कट ब्लाउज से छलकते रहते हैं , पिछवाड़ा भी वैसे खूब गदराया ,भरा ,भरा , लौंडे तो लौंडे मरद भी उनको सोना डार्लिंग ही कहते हैं , और वो बुरा भी नहीं मानती हैं , हेयर स्टाइल मेकअप ,कपडे सब वो भी एकदम कॉपी ,. सब लौंडे उनके दीवाने बल्कि उनके बड़े बड़े मम्मों के ,. "

बात काट के जेठानी बोलीं ,

"मालूम है ,मालूम है मुझे बचपन से मिजवाती है वो। जब कच्चे टिकोरे थे तब से रगड़वा रही है , मुझे कोई क्या बताएगा उस के बारे में "

" अरे भाभी आप से तो कुछ भी छुपा नहीं , आपको तो सब कुछ मालूम है। "

दिया तारीफ़ के स्वर में बोली और बात आगे बढ़ाई।

" भाभी सच में उनके उभार एकदम ३६ डी ,हम सब लड़कियों को बता चुकी हैं वो , लड़के झूठे ही सोना डॉलिंग ,सोना डार्लिंग नहीं कहते उन्हें। "

" मेरे तो ३६ डीडी हैं " जेठानी सीना उभार के बोलीं।

" आप भी बचपन से मिजवा रही होंगी ,उस सोना की तरह "मैंने आगे की सीट पर बैठे बैठे सोचा ,लेकिन चुप रही। अभी सारा काम दिया के हवाले था।

“" माई भाभी इज़ बेस्ट एंड बिगेस्ट। लेकिन एक और कारण है लौंडों के उस श्रुति के पीछे पड़े रहने का , उनके पति तो महीने में बीस बाइस दिन बाहर रहते हैं ,. "

दिया ने उनके कंधे पर हाथ रख के मक्खन लगाया और बात आगे बढ़ाई।

" अरे सारे मेडिकल वालों की यही हालत है। "

मेरी जेठानी जी बोलीं थोड़े दुःख भरे स्वर में ( मेरे जेठ भी मेडिकल रेप थे और एक बार बाहर जाते थे तो चार पांच दिन )

"और वो रहते भी तो उसके बस का कुछ नहीं था , शादी तो बस ,. अरे जब तक मरद का खूंटा तगड़ा ठोस न हो, कोई औरत को बाँध कर नहीं रख सकता। "

जेठानी ने राज खोला।

" एकदम भाभी वही तो बात थी , आपको तो सब , . तो उस श्रुति का चक्कर चार पांच महीने से उसी के घर के सामने एक मोबाइल वाला था , २६-२७ - साल का श्रुति भाभी के उम्र का ही लेकिन कुंवारा ,बस उसी से चल गया। " दिया ने किस्सा आगे बढ़ाया।

"वही विनोद न ,. " जेठानी जी ने जब अपनी जानकारी शेयर की तो दिया को भी लगा की,

सच में जेठानी जी का इनफार्मेशन सिस्टम ग़जब का था.

लेकिन जेठानी ने राज खोला ,

“अरे ऊ हमारे गाँव के पास की ,हमरे कालेज में ही थी ,हम लोग साथ ही ,. बस वो साइंस साइड से थी और मैं आर्ट साइड से , उसका तो हाईकॉलेज से ही चक्कर चलता रहता था , और फिर उसके घर वालों ने उसके फूफा के पास भेज दिया आगे पढ़ने के लिए , गाँव में बदनामी भी हो रही थी , तो वहां अपने फूफा के लड़के से ही , दिन में भइया रात में सैंया ,. और फिर उस लड़के के दोस्त भी , सुरु से ,. उसका कभी एक से मन नहीं भरता था ,. बचपन की ,. कभी कभी तो एक साथ ही चार पांच लौंडो को फंसा के रखती थी, . अरे यहाँ भी कभी कभी मुलाकात हो जाती थी, तो मुझसे क्या छिपाती,. "

"हाँ एकदम भाभी आप ने एकदम सही पहचाना , वही बस , तो उस विनोद से पांच छह महीना जम के रोज बिना नागा, और जानती हैं उस श्रुति को विनोद ने पटाया कैसे ,. . वही सोना डार्लिंग वाली ट्रिक से , उसने अपनी दूकान पर सोनाक्षी सिन्हा का एक हॉट पोस्टर लगाया , और बस एक दिन वो दूकान पे जब पहुंची तो वो बोला ,

" भाभी ,देखिये जिस दिन से मैंने दूकान पर आपका पोस्टर लगाया है मेरी सेल १० गुनी बढ़ गयी है। "

" धत्त ,. . ये तो सोनाक्षी का ,. आप भी न लड़कों की तरह मेरे पीछे ,. " मुस्करा के श्रुति बोली।

" तो आप कौन उन से कम है , बल्कि कुछ जगहों पर तो उससे भी ज्यादा ,. " बेशर्मो की तरह सीधे उनकी लो कट चोली से झलकते बूब्स को घूर के देखते वो बोला।

" आप भी न , . "

वो जोर से खिलखिलायीं और आँचल से अपनी गहराइयों को ढकने की कोशिश की पर किया नहीं।

हंसी तो फंसी , विनोद समझ गया ,और ऊपर से जो जवाब श्रुति ने दिया तो बस विनोद पुराना खिलाड़ी समझ गया चिड़िया ने दाना चुग लिया। श्रुति आंख नचा के बोली ,

" अच्छा आप की सेल बढ़ी मेरे पोस्टर से तो मेरा कमीशन ,? "

" एकदम , और अपने ड्राअर से एक चवन्नी छाप चिनिया मोबाइल खूब लाल पीला निकाल के उसने श्रुति की पकड़ा दिया।

" कितने का है ,महँगा होगा। " उलट पलट के वो देखते बोलीं।

" भाभी , अपनी सैंडल उतारिये और ,. आखिर देवर हूँ आपका ,मेरा भी कुछ हक़ है। हिम्मत है मेरी भौजी से पैसा मांगूंगा। " विनोद बोला।और श्रुति ने पर्स में रख लिया।

फिर तो रोज कभी लिपस्टिक कभी नेलापलिश , और एक दिन विनोद ने ऑफर दे दिया ,

" भाभी , भैय्या तो अक्सर घर से बाहर रहते हैं मैं देखता हूँ ,आप बोर होती होंगी न। मेरे पास एकदम असली की क्वालिटी वाली फ़िल्में , गाने सब मोबाइल के लिए आते हैं ,और अगर कभी आप बोर हो रही हों तो मैं ला के दे दूँ , . आप बुरा तो नहीं मानेगी। "

" बुरा क्यों मानूंगी , आखिर भाभी हूँ तुम्हारी " हँसते हुए वो मुड़ी और अपना सोनाक्षी सिन्हा माफिक पिछवाड़ा जबस्दस्त हामी में दो चार बार विनोद की ओर मटकाया , बस उनके घर के दरवाजे विनोद के लिए खुल गए।

उसके बाद तो बस हफ्ते दस दिन में ही , वो भाभी से सोना डार्लिंग बन गयी,

सोना डार्लिंग

" बुरा क्यों मानूंगी , आखिर भाभी हूँ तुम्हारी "

हँसते हुए वो मुड़ी और अपना सोनाक्षी सिन्हा माफिक पिछवाड़ा जबस्दस्त हामी में दो चार बार विनोद की ओर मटकाया , बस उनके घर के दरवाजे विनोद के लिए खुल गए।

उसके बाद तो बस हफ्ते दस दिन में ही , वो भाभी से सोना डार्लिंग बन गयी,

, कई बार तो मैं कभी दिन में भी श्रुति भाभी के घर गयी कॉलेज से आते जाते तो दिन में भी , विनोद वहीं और किस विस् तो हम लोगों के सामने भी , . "

दिया ने बात आगे बढ़ाई।

जेठानी और दिया का रिश्ता अब फेविकोल से जुड़ गया था , पर निंदा का सुख, साथ की गाँव की सहेली की पोल पट्टी,. जिसे वो नमक मिर्च लगा के अपने पूरे गाँव में बांटती,. अब वो सिर्फ हुंकारी नहीं भर रही थीं बल्कि दिया को उकसा रही थीं , एकदम खुल के खोल के, उसे बताने के लिए चढ़ा रही थीं

" अरे उसकी शुरू से यही आदत थी ,गाँव में लौंडो के साथ ,कभी अरहर के खेत में तो कभी गन्ने के खेत में , बिना कोई परवाह किये , कई बार तो मैंने भी उसे ,. "

मेरी जेठानी यादों में खो गयी और उन्होंने कॉलेज के दिन अपने और उस श्रुति के ,.

और दिया तो अब एकदम मेरी जेठानी की चमची का रोल बखूबी अदा कर रही थी।

" हाँ भाभी आप एकदम सही कह रही हैं , सच में आप की निगाह,. एकदम आप से कोई कुछ छिपा नहीं सकता, एकदम सही पहचानती हैं आप,. एकदिन तो मैं कैसे बताऊँ , . " और दिया चुप हो गयी।

" बोल न वरना पिटेगी मेरे हाथ से , कैसी ननद है भाभी से लजा रही है। " जेठानी ने उकसाया।

और पक्की ननद की तरह से दिया चालू हो गयी ,

" भाभी वो श्रुति , श्रुति क्या ,विनोद उनको बार बार सोना डार्लिंग बोल रहा था , कुतिया बना के बिस्तर पे लिटा के ,. दोनों का सर दरवाजे की ओर था तो उन दोनों ने मुझे देखा नहीं और क्या हचक हचक के . और वो आपकी बचपन की सहेली हमारे मोहल्ले की सोना डार्लिंग भी हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं , लेकिन मेरा तो मुंह खुला रह गया जब विनोद ने उनके उस छेद से निकाल के सीधे , वहां डाल दिया ,.

" अरे स्साली , साफ़ साफ़ बोल न गांड मारनी शुरू कर दी ,क्या यहाँ वहां बोल रही है , गांड को गांड न बोलना ,बुर को बुर न बोलना दोनों की बहुत बड़ी बेइज्जती है। "

मैं बहुत देर से जबान पर ताला लगा के बैठी थी , पर कोई ननद बात करने में ' ये वो ' करे तो मैं उसे छोड़ने वाली नहीं थी।

गुड्डी नयी बछेड़ी ,उस के मुंह से निकल गया , " वहां , पिछवाड़े ,. दर्द नहीं हुआ उन्हें ,श्रुति भाभी को। "
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